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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Kala Nag

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Bahut hee behtarin varnan aisa laga jaise samne picture chal rahi hai… ek thappad ki gunj mehsoos hui mitr bahut hi barhiya likh rahe ho aap…
धन्यबाद बंधु बहुत बहुत धन्यबाद
आपके कमेंट्स मेरे लिए ऊर्जा समान है
आप सदेव जुड़े रहे हैं और मेरा उत्साह बढ़ाते रहें
 
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वैदेही के साथ जो हुआ , सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि कैसे उस बेचारी ने इतना सहा होगा !
एक्चुअली यह वैदेही और भैरव सिंह के बीच की लड़ाई थी जिसमें विश्वा एक मोहरा बन गया । यह कहानी सही मायने में वैदेही की है जिसे भैरव सिंह ने पग पग अपमानित किया और उसके दुखों का कारण बना ।
उन सात थप्पड़ों की गूंज रंगमहल पर कहर बन कर गरजेगी । तिनका तिनका बिखर जायेगा रंगमहल का और भैरव सिंह बेवश सा देखता रह जायेगा ।

एक बी आर चोपड़ा की फिल्म थी " आज की आवाज " । नाना पाटेकर के ज़ुल्मो के खिलाफ एक शरीफ एवं सीधा सादा नौजवान राज बब्बर ने कत्लेआम मचा दिया था । गुंडों की हालत पतली हो गई थी तब नाना पाटेकर ने कहा था -" ऐसा लगता है जैसे शरीफों के डर से गुंडों ने रोड पर निकलना बंद कर दिया ।‌"

अद्भुत फिल्म थी वो और उसी मूवी से नाना पाटेकर की पहचान बनी थी ।
ऐसा ही माहौल विश्वा क्रिएट करने वाला है । उसके कहर का सामना अब भैरव सिंह को करना है । उसके सिपहसालारों को करना है ।

विश्व को सात साल की सजा सुनाई गई । मुझे लगता है एक्चुअली उसे तीन साल के बाद ही जेल से रिहा हो जाना चाहिए । दिन रात मिलाकर दो दिन काउंट किए जाते हैं और कुछ पर्व त्योहार को मिला दिया जाए तो फिर टोटल तीन साल ही बनते हैं ।

रोल्स रॉयस । काफी महंगी कार । कहते हैं कि अगर कार में कभी खराबी आ जाए जो कि अमूमन होती नहीं है तो कम्पनी के इंजीनियर खुद उस जगह पर आकर कार की खराबी दूर करते हैं । भले ही उन्हें कम्पनी के हेलीकॉप्टर से ही आना क्यों न पड़े ।

खैर , भैरव सिंह और वैदेही का कन्वर्सेशन सच में लाजबाव था । बहुत ही बेहतरीन सीन क्रिएट किया था आपने उस वक्त ।

इसके पहले अदालत में जजों का फैसला था , वह भी बिल्कुल वास्तविक लगा । छोटी छोटी चीज़ों का भी बखूबी ध्यान रखा आपने । जो जो धाराएं लगाई गई थी, सौ प्रतिशत सही था । आउटस्टैंडिंग ।

बहुत ही खूबसूरत लिख रहे हैं आप । थोड़ी बहुत देवनागरी लिपि की व्याकरण सम्बन्धित गलतियां हैं जिस पर थोड़ी मेहनत और की जा सकती है । वैसे देवनागरी लिपि में लिखना ही काफी जिगर वाला काम होता है । चाइनीज भाषा के बाद सबसे कठीन लेंग्वेज हिंदी ही है । अंग्रेजी में तो मात्र छब्बीस शब्द होते हैं जबकि हिन्दी में इसके डबल यानी बावन शब्द । इसके अलावा व्याकरण सम्बन्धित चीजें अलग से होती है जिसे समझना आसान भी नहीं होता ।
इसके बावजूद भी आप ने जिन जिन शब्दों का प्रयोग किया है वह हर किसी के वश में नहीं होता । आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।

हमेशा की तरह जगमग जगमग अपडेट ।
 

Kala Nag

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वैदेही के साथ जो हुआ , सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि कैसे उस बेचारी ने इतना सहा होगा !
एक्चुअली यह वैदेही और भैरव सिंह के बीच की लड़ाई थी जिसमें विश्वा एक मोहरा बन गया । यह कहानी सही मायने में वैदेही की है जिसे भैरव सिंह ने पग पग अपमानित किया और उसके दुखों का कारण बना ।
उन सात थप्पड़ों की गूंज रंगमहल पर कहर बन कर गरजेगी । तिनका तिनका बिखर जायेगा रंगमहल का और भैरव सिंह बेवश सा देखता रह जायेगा ।

एक बी आर चोपड़ा की फिल्म थी " आज की आवाज " । नाना पाटेकर के ज़ुल्मो के खिलाफ एक शरीफ एवं सीधा सादा नौजवान राज बब्बर ने कत्लेआम मचा दिया था । गुंडों की हालत पतली हो गई थी तब नाना पाटेकर ने कहा था -" ऐसा लगता है जैसे शरीफों के डर से गुंडों ने रोड पर निकलना बंद कर दिया ।‌"

अद्भुत फिल्म थी वो और उसी मूवी से नाना पाटेकर की पहचान बनी थी ।
ऐसा ही माहौल विश्वा क्रिएट करने वाला है । उसके कहर का सामना अब भैरव सिंह को करना है । उसके सिपहसालारों को करना है ।

विश्व को सात साल की सजा सुनाई गई । मुझे लगता है एक्चुअली उसे तीन साल के बाद ही जेल से रिहा हो जाना चाहिए । दिन रात मिलाकर दो दिन काउंट किए जाते हैं और कुछ पर्व त्योहार को मिला दिया जाए तो फिर टोटल तीन साल ही बनते हैं ।

रोल्स रॉयस । काफी महंगी कार । कहते हैं कि अगर कार में कभी खराबी आ जाए जो कि अमूमन होती नहीं है तो कम्पनी के इंजीनियर खुद उस जगह पर आकर कार की खराबी दूर करते हैं । भले ही उन्हें कम्पनी के हेलीकॉप्टर से ही आना क्यों न पड़े ।

खैर , भैरव सिंह और वैदेही का कन्वर्सेशन सच में लाजबाव था । बहुत ही बेहतरीन सीन क्रिएट किया था आपने उस वक्त ।

इसके पहले अदालत में जजों का फैसला था , वह भी बिल्कुल वास्तविक लगा । छोटी छोटी चीज़ों का भी बखूबी ध्यान रखा आपने । जो जो धाराएं लगाई गई थी, सौ प्रतिशत सही था । आउटस्टैंडिंग ।

बहुत ही खूबसूरत लिख रहे हैं आप । थोड़ी बहुत देवनागरी लिपि की व्याकरण सम्बन्धित गलतियां हैं जिस पर थोड़ी मेहनत और की जा सकती है । वैसे देवनागरी लिपि में लिखना ही काफी जिगर वाला काम होता है । चाइनीज भाषा के बाद सबसे कठीन लेंग्वेज हिंदी ही है । अंग्रेजी में तो मात्र छब्बीस शब्द होते हैं जबकि हिन्दी में इसके डबल यानी बावन शब्द । इसके अलावा व्याकरण सम्बन्धित चीजें अलग से होती है जिसे समझना आसान भी नहीं होता ।
इसके बावजूद भी आप ने जिन जिन शब्दों का प्रयोग किया है वह हर किसी के वश में नहीं होता । आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।

हमेशा की तरह जगमग जगमग अपडेट ।
धन्यबाद मेरे भाई बहुत बहुत धन्यबाद
कुछ कमियाँ और खामियाँ पता चलता है पर तब तक अपडेट पोस्ट हो चुका होता है
पर यही कोशिश में रहता हूँ l हर अगले पोस्ट में उन कमियों को दूर करूँ
फिर भी कहानी को आगे बढ़ाना ही होगा l जब कहानी दिमाग़ में तैर रहा हो l तब जितनी जल्दी हो सके अपडेटस देते रहना चाहिए l वरना कहानी की रीदम टूट सकता है l हाँ देवनागरी में लिखना बहुत ही कठिन है l खास कर उनके लिए जो हिंदी भाषी ना हों l फिरभी कोशिश जारी है l
सारे पाठकों में आप का स्थान मेरे लिए विशेष है क्यूंकि आप हर बारीकी पर ध्यान देते हैं l इसीलिए आपकी दी हुई समीक्षा मेरे लिए बहुत महत्व रखती है l
फिर से आभार
 

Lib am

Well-Known Member
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👉सैंतीसवां अपडेट
--------------------
आखिर कर वह दिन आ ही गया.... आज जजों ने जो फैसला सुरक्षित कर लिया था..... आज उसकी तारीख आ गई है... राज्य के सभी छोटे बड़े से लेकर... बड़े बड़े विद्वानों और सरकार को भी प्रतीक्षा है.... आज की आने वाली निर्णय पर.... इस घोटाले पर सुनवाई के दौरान... बेहद ही दुखद घटना भी हुई.... बचाव पक्ष के वकील... श्री जयंत कुमार राउत जी की अकस्मात देहांत हो गया.... इसके बाद बचाव पक्ष ने... कोई वकील नहीं लीआ... अपनी पैरवी खुद की.... इसलिए.... सब बेसब्र हो कर इंतजार में हैं.... की इस सुनवाई का अंत क्या होगा.... अभी अभी राजगड़ मनरेगा आर्थिक घोटाले की मुख्य अभियुक्त को..... पुलिस वैन में ले जाया गया है... अभियोजन पक्ष के सभी गवाह.... पहले से ही कोर्ट में मौजूद हैं... बस थोड़ी देर और.... फिर आएगा.... सबसे ज्यादा चर्चित घोटाले पर... मनानीय उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय... तब तक के लिए.... मैं प्रज्ञा... खबर ओड़िशा से....

इतना कह कर अपनी माइक ऑफ कर देती है और कोर्ट से लगे पुलिस बैरीकैट तक जाती है l उधर कोर्ट के भीतर सभी मौजूद हैं, सिवाय दिलीप कर के l कोर्ट में शांति छाई हुई है l इतनी शांति के फैन के आवाज के बावज़ूद सबको घड़ी की टिक टिक आवाज़ तक सुनाई दे रही है l जज अपना चश्मा निकाल कर रूम में बैठे सभी पर नजर दौड़ाता है l भैरव सिंह और विश्व दोनों के चेहरे भाव शुन्य दिख रहे हैं l बल्लभ एंड कंपनी धड़कते हुए दिल के साथ फैसले का इंतजार कर रहे हैं l वैदेही का मन बहुत भारी और उदास लग रहा है l प्रतिभा के आँखों में भी इंतजार दिख रही है l

जज अपना चश्मा दुरुस्त करता है l और

जज - तो आज हम... उस मुक़ाम पर पहुंच गए हैं... जहां इस केस का सफ़र इस अदालत में खतम हो रहा है....
अब यह अदालत अपना फैसला सुनाने से पहले... कुछ तथ्यों पर रौशनी डालना चाहती है...
एसआईटी के रिपोर्ट के अनुसार.... स्वर्गीय श्री उमाकांत आचार्य जी के... विश्व के विरुद्ध शिकायत ले कर राजा साहब जी के पास गए.... राजा साहब ने आश्वासन दिया... के उस पर वह इस बात की तहकीकात... कराएंगे....
फिर राजा साहब... मनानीय मुख्यमंत्री जी से मुलाकात करते हैं... मनरेगा आर्थिक घोटाले पर बात करते हैं... जिस पर आगे चलकर... गृहमंत्रालय एक एसआईटी का गठन कर... राजगड़ में हुए मनरेगा आर्थिक घोटाले की जांच की आदेश देते हैं....
जैसा कि बचाव पक्ष ने कहा.... आरंभ से ही... विश्व को.... अपराधी मान कर.... जांच को आगे बढ़ाया गया.... इसलिए जांच केवल विश्व तक ही सीमित रह गई.... यह जानने के बावजूद... के इस आर्थिक घोटाले में पांच मुख्य अभियुक्त हैं.... पर गिरफ्तारी के लिए सिर्फ़ विश्व के नाम पर समन जारी किया गया.... यह सबसे बड़ी चूक या गलती रही.... एसआईटी की... जो अभियुक्तों के फरार होने में सहायक हुआ.... अगर पांचो के नाम.... समन जारी हुआ होता.... तो शायद वह तीन अभियुक्त.... कानून के गिरफ्त में होते... यह एसआईटी की बहुत बड़ी.... चूक है....
अब आते हैं.... प्रथम एवं प्रमुख सरकारी गवाह.... जिसने अपनी पद... मर्यादा को न केवल नष्ट किया.... बल्कि छल से.... कॉन्ट्रैक्ट के जरिए... मनरेगा से पैसे भी ऐंठे... उनकी जिरह से यह साफ हो गया... के जांच को प्रभावित करने की पुरी कोशिश की है.... इससे एसआईटी की... लापरवाही... उजागर हुआ है.... जो बहुत ही शर्म की बात है... फ़िर विश्व की गिरफ्तारी और उसके बाद... विश्व पर हुए.... अत्याचार.... बहुत ही अमानवीय एवं शर्मनाक है....
पर इतने घटनाओं में.... विश्व लूट का एक जरिया है... ऐसा दिख रहा है.... पर यह कहीं पर भी विश्व शामिल नहीं है.... यह प्रमाणित नहीं हो पाया है...
इसलिए अब विश्व से यह अदालत जानना चाहती है... श्री उमाकांत आचार्य कौन हैं... और आपका उनसे क्या सम्बंध है....
विश्व - वह हमारे पारिवारिक मित्र व शुभचिंतक थे... वह मेरे पढ़े हुए प्राथमिक स्कुल के.... प्रधान आचार्य थे...
जज - अब एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न.... क्या आचार्य जी ने आपको.... सरपंच चुनाव में खड़े होने के लिए कहा था.... मतलब.... आपने राजा साहब को तो नकार दिया.... पर आचार्य जी को ना नहीं कहा... आपके लिए... आचार्य जी इतना महत्व रखते थे....
विश्व - जी...
जज - तो एक अंतिम प्रश्न.... क्या आचार्य जी ने.... राजा साहब को आपके विरुद्ध... शिकायत की थी...
विश्व - पता नहीं.... आचार्य जी ने... शिकायत की.... इस बात का कोई गवाह भी तो नहीं है.....
जज- ठीक है.... तो आप इस पर.... भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी से.... जिरह क्यूँ नहीं की....
विश्व - आचार्य जैसे महात्मा का नाम.... अदालत में.... सच और झूठ के बीच लाना नहीं चाहता था....
जज - तो क्या आचार्य जी ने झूठ कहा था...
विश्व - आचार्य जी कभी झूठ नहीं बोलते थे....
जज - मतलब अगर आचार्य जी ने कहा होगा... तो वह सच ही होगा....(विश्व चुप रहता है) विश्व जवाब दीजिए.... (विश्व फ़िर भी चुप रहता है) विश्व... (विश्व का जवड़ा भींच जाता है)
विश्व - आचार्य सर... कभी झूठे नहीं थे... कभी हो ही नहीं सकते थे....
जज - बस यही बात.... क्या आप सोच समझ के... बोल रहे हैं...
विश्व - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) जी...
जज - यह स्टेटमेंट आपके विरुद्ध भी जा सकती है....
विश्व - जी...
जज - ठीक है... श्री विश्व.... अब यह अदालत फैसला सुनाएगी....

एक बार फिर अदालत में ख़ामोशी छा जाती है l सबकी धड़कने बढ़ जाती है l सिवाय दो शख्स के l भैरव सिंह और विश्व के l

जज - अभियुक्त विश्व से... एक कंफर्मेशन मिल जाने के बाद... अब अदालत अपना निर्णय..... तीन शुन्य मत से सुनाने जा रही है... पहले इस केस में एसआईटी की जांच.... इस केस पर कम... विश्व पर फोकस था... इसलिए... यह अदालत जांच को अधुरी मानती है... अदालत बचाव पक्ष की यह दलील मानती है.... की यह षडयंत्र... केवल विश्व या उन भगोड़े के बलबूते संभव नहीं हो सकता था.... इसके पीछे जरूर कुछ और शक्ति शाली लोग हो सकते हैं.... इसलिए यह अदालत सरकार को आदेश देती है.... एसआईटी को बंद ना करे.... जब तक एसआईटी के द्वारा... अभियुक्तों की पूरी जानकारी हासिल नहीं हो जाती.... जरूरत पड़ने पर फरार व गायब हुए अभियुक्तों के खिलाफ़.... इंटरपोल के जरिए... रेड कॉर्नर नोटिस इशू करें.... और एसआईटी के टीम को बदल कर... नॉन बायस्ड ऑफिसरों के हवाले करे.... और पूरी जांच फॉरेंसिक सहित अदालत को सौंपे.....
पहला एवं प्रमुख सरकारी गवाह.... अपनी करतूतों से.... न्याय व्यवस्था को ना सिर्फ भटकाया बल्कि... अनीति के साथ... मनरेगा से... पैसा भी कमाया.... इसलिए... यह अदालत... उनकी अभी की पंचायत समिति सभ्य की पद को खारिज करती है.... और उन पर आजीवन चुनाव लड़ने से.... प्रतिबंध लगाती है....
श्री अनिकेत रोणा जी... बचाव पक्ष की आप पर दी हुई दलील..... और आपके इकबालिया बयान.... सुनने के बाद.... अदालत आपको छह माह तक अपने पदवी से निलंबन का आदेश देती है.... और आपके विभाग को आदेश देती है.... निलंबन के बाद.... आपकी पोस्टिंग... तुरंत राजगड़ से दूर... कहीं और किया जाए.... कम से कम अगले तीन पोस्टिंग तक.... राजगड़ या उसके आसपास इलाकों से भी दूर.... रखा जाए.....
और अंत में विश्व प्रताप महापात्र जी..... जिन हत्याओं पर.... आपको एसआईटी ने संदेह का लाभ दिया है... उसे यह अदालत बरकरार रखते हुए.... संदेह का लाभ आपको दे रही है...... दिलीप कुमार कर के जिरह से साबित हुआ है के जितने चेकों पर दस्तखत किए हैं उसमें साजिशन आप से कराई गई थी..... पर आपकी उस साजिश में सहमति और सहभागिता नहीं थी.... यह कहीं पर भी प्रमाणित नहीं हुआ है..... और राजा साहब श्री भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी जिनके शिकायत पर..... सरकार तक जिनकी आवाज़ पहुंचाई..... वह जिवित नहीं हैं.... और आपने उनकी श्री क्षेत्रपाल जी हुई मुलाकात..... और वार्तालाप का खंडन नहीं किया है.... श्री विश्व.... आप एक पढ़े लिखे नवयुवक हैं.... आपने.... जन मत के द्वारा जो जिम्मेदारी प्राप्त की.... वह जिम्मेदारी आप ठीक से निभा नहीं पाए हैं.... यह आपको स्वीकार करना होगा....
विश्व - (अपना सर हाँ में हिलाते हुए) जी... योर ऑनर....
जज - इसलिए आपको यह अदालत.... अपनी जिम्मेदारी ठीक से ना निभा पाने की दोषी पाती है.... आप बहुत ही आसानी से.... इस महा लूट का ज़रिया बन गए.... अपनी पद व कर्तव्य के प्रति असचेतनता ही... इस महा लूट का कारण बना.... यही कारण है कि यह अदालत आपको आईपीसी धारा 420 /आईपीसी धारा 378 व 379 / और आईपीसी धारा 392 के तहत इस महा घोटाले की केस में.... आंशिक दोषी पा रही है....
इसलिए यह अदालत मक्तुल श्री विश्व प्रताप महापात्र को चार वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाती है.... चूंकि लूट की रकम.... एसआईटी के द्वारा बरामदगी नहीं हो पाया.... इसलिए तीन वर्ष की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी.... चूंकि आप गिरफ्तार होने के बाद से सुनवाई खतम होने तक.... जैल में पांच महीना रहे हैं.... इसलिए यह पांच महीना आपके सजा से काट दिया जाता है.... आपको सिर्फ छह वर्ष सात महीने की ही जैल होगी... और अगर आप इस निर्णय के विरुद्ध... ऊपर की अदालत पर जाना चाहें तो.... जा सकते हैं... और नहीं तो.... यदि आप चाहें... फिर से सुनवाई के लिए.... पिटीशन डाल सकते हैं....
अब यह अदालत की कारवाई समाप्त होती है...

इतना कह कर जज अपना लकड़ी का हथोड़ा टेबल पर मार कर सुनवाई खतम कर दी और उसके बाद अदालत के फैसले नामे में तीनों जज दस्तखत किए और अदालत की कारवाई खतम हो गई l
विश्व को हथकड़ी लगा कर दास अपने साथ कोर्ट के बाहर ले गया l पीछे पीछे वैदेही वैन तक पहुंचती है l

वैदेही - विश्व.... (विश्व और दास रुक जाते हैं, विश्व के रुकते ही वैदेही सिसकते हुए उसके गले लग जाती है )
विश्व - दीदी... (वैदेही को खुद से अलग करते हुए) आप रो क्यूँ रहे हो....
वैदेही - (हैरान हो कर विश्व को देखते हुए) तुझे जरा भी दुख नहीं हुआ....
विश्व - दुख कैसा.... दीदी... दुख कैसा... इस नियति को मैंने चुना है.... दुख तब होता... अगर मुझ पर थोपा गया होता....
वैदेही - तू सच में... इतना बदल गया...
विश्व - (थोड़ा मुस्कराकर) मेरा बदलना तुमने बहुत पहले ही देख लिया था.... पर बोल अब रही हो...
वैदेही - यह... यह... क्या कह रहा है... मुझे कब मालुम हुआ..?
विश्व - तुम मुझे विशु नहीं.... विश्व बुला रही हो.... (कह कर मुस्करा देता है)

वैदेही अपनी दोनों हाथ हैरानी से अपने मुहँ पर रख कर बड़ी बड़ी फटी आखों से विश्व को देखने लगती है l

विश्व - इतना हैरान ना हो दीदी.... यही नियति है...
वैदेही - (अपना सर हाँ में हिलाते हुए) हाँ.... यही नियति है...
विश्व - दीदी... बस एक इच्छा है....
वैदेही - बोल...
विश्व - अब मेरी सजा खतम होने तक.... आप मुझसे मिलने की कोशिश मत करना...
वैदेही - (एक खिंच कर थप्पड़ मारती है) क्या तेरा दिमाग फिर गया है... मुझे मिलने से मना कर रहा है...
विश्व - दीदी... आप मुझे जैल में मिलने ना आया करो.... आप अगर आओगी.... तो मुझे मेरी बेबसी की एहसास होता रहेगा.... मैं अपने लक्ष से भटकना नहीं चाहता....
वैदेही - (सुबकते हुए) मैं तुझे देखे बगैर कैसे रह पाऊँगी...
विश्व - आप मेरी खैर खबर.... सुपरिटेंडेंट साहब से लेती रहना....
वैदेही - अगर... कुछ जरूरी हुआ तो...
विश्व - तो चिट्ठी लिख कर.... सुपरिटेंडेंट साहब को दे देना.... पर मुझसे इन सात सालों में.... मिलने की कोशिश भी मत करना....

इतना कह कर विश्व तेजी से मुड़कर वैन में बैठ जाता है l गाड़ी अपनी धुआँ उड़ाकर चला जाता है l वैदेही वहीँ खड़ी रह जाती है और वैन को अपनी आंखों से ओझल होते देखती रह जाती है l

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तापस अपनी गाड़ी को भगा रहा है l उसके पास बगल में प्रतिभा बैठी है l तापस को लगता है l प्रतिभा कुछ अपसेट है l

तापस - क्या बात है जान... क्या सोच रही हो...
प्रतिभा - (अपना सर ना में हिलाते हुए) नहीं कुछ भी नहीं.....
तापस - विश्व को सजा हो गई... इसके लिए कहीं तुम खुद को जिम्मेदार तो नहीं मान रही....
प्रतिभा - नहीं... एज अ पब्लिक प्रोसिक्यूटर मुझे जो करना था किया... पर इस बार... जिम्मेदार खुद विश्व है...
तापस - हाँ... यह तुमने सही कहा.... वाकई... कोर्ट से मिले मौके को गंवा दिया....
प्रतिभा - नहीं सेनापति जी.... नहीं... जब विश्व को मैंने.... पहली बार कटघरे में देखा था..... आज जो विश्व को मैंने देखा.... दोनों में फर्श से अर्श तक का फर्क़ है...
तापस - (हैरानी भरे एक नजर प्रतिभा पर डालते हुए) अच्छा... वह कैसे...
प्रतिभा - पहली दफा जब विश्व को कटघरे में देखा था.... तब मुझे... वह एक डरा हुआ, कंफ्युज्ड लग रहा था.... पर आज मैंने जिस विश्व को देखा.... वह निडर, डीटरमीन और मैच्योर्ड लग रहा है....
तापस - अच्छा... यह तुमने कब गौर किया...
प्रतिभा - जज साहब जब...... अपना फैसला सुना रहे थे.... तब मैं उसे गौर से देख रही थी....
तापस - चलो मान लेता हूँ.... पर आज जो हुआ... इसमे तुमको... विश्व की.... मैच्योर्डनेस कहाँ दिखी....
प्रतिभा - (तापस की ओर देखते हुए) सेनापति जी... आप तो इतने... बेवक़ूफ़ ना थे....
तापस - इंसान हूँ... कहीं कहीं... चुक जाता हूँ... पर चूक सुधारने के लिए... मेरी वकील साहिबा है ना....
प्रतिभा - हो गया...
तापस - अभी कहाँ... तुम डिटेल्स में.... बताओगी तो समझ में आएगा....
प्रतिभा - देखिए सेनापति जी.... इन पांच महीनों में... विश्व को... राजा साहब का... रुतबा समझ में आ चुका होगा... मेरे हिसाब से... विश्व ने... एनालीसीस किया होगा.... राजा साहब के एक इशारे पर... जब एक मंत्रालय.... विश्व के खिलाफ.... एसआईटी बना सकती है... उस आदमी को... कटघरे में खड़ा कर.... विश्व जो भी जिरह करता.... वह कोर्ट में... साबित भी नहीं कर पाता.... तब उसकी जिरह बेकार ही जाता....
तापस - हाँ... यह तो है... पर आज कोर्ट ने जो स्टैंड लिया है.... क्या तुम्हें जायज लगता है....
प्रतिभा - हाँ... चाहे कानून के नजरिए से... या फिर मानवीय दृष्टि कोण से.... जायज ही है...
तापस - अच्छा... वह कैसे....
प्रतिभा - देखिए.... सेनापति जी... कानूनन... इसलिए... भले ही... विश्व एक्युस्ड था... पर कहीं पर यह साबित नहीं हो सका... उसे जानकारी नहीं थी... या उसकी सहमती नहीं थी... या वह सामिल नहीं था.... हाँ जयंत सर होते तो बात कुछ और ही होती.... क्यूँ के... केस को अच्छी तरह से... स्टडी करने के बाद ही... उन्होंने सौ गवाहों के बीच से.... जिरह के लिए.... सिर्फ़... चार लोगों को चुना था.... और अगर वह राजा साहब की जिरह कर पाए होते.... तो बात अलग होती... पर विश्व की बदकिस्मती... जयंत सर चल बसे.... और विश्व जैसे.... आम इंसान के लिए.... राजा साहब जैसी शख्सियत का जिरह के जरिए.... कुछ भी तथ्य.... अदालत में प्रस्तुत कर पाना संभव ही नहीं था.... इसलिए.... अब तक जितनी भी.... प्रोसिडींग हुई है.... उस हिसाब से... कानूनन सजा ठीक ही है....
तापस - हाँ तुम... वकील हो... इस मामले में... मुझसे बेहतर समझ रखती हो.... पर इस में.... तुम्हें मानवीय पक्ष कहाँ नजर आया....
प्रतिभा - सेनापति जी... एसआईटी ने जिन पांच लोगों को.... मुख्य अभियुक्त बनाया है... सिर्फ़ एक ही कानून के सामने उपलब्ध हो पाया.... या फ़िर यूँ कहें... सिर्फ़ एक को... उपलब्ध कराया गया....
तापस यह सुन कर गाड़ी रोक कर एक किनारे लगा देता है, और हैरान हो कर प्रतिभा को देखने लगता है

प्रतिभा - यह वह सच है.... जिसे मैंने महसूस किया.... अदालत ने... केस को बंद नहीं किया है.... जिनको एसआईटी फरार बता रहा है.... उनके खिलाफ़ वारंट... अदालत से जारी की गई है.... जरूरत पड़ने पर.... रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए कहा गया है....
तापस - हाँ तो...
प्रतिभा - सेनापति जी... अगर आपने जयंत सर को ध्यान से सुना हो... तो याद होगा.... उन्होंने कहा था.... के उन्हें डर है... एसआईटी जिन्हें फरार बता रही है.... वास्तव में वह शायद.... जिवित ना हों.....
तापस - हाँ याद है....
प्रतिभा - तो समझ लीजिए l.... विश्व को सजा दे कर.... अदालत ने... उसकी जान बचाई है....
तापस - तुम यह यकीन के साथ... कैसे कह सकती हो....
प्रतिभा - जरा सोचिए... सेनापति जी.... यह जितना छोटा और संक्षिप्त दिख रहा है.... असल में.... हमारे कल्पना से भी बड़ी है.... यह केस... टोटली फैब्रिकेटेड है.... फ्रेम्ड है.... विश्व सिर्फ़ एक.... डाइवर्जन है.... इसलिए तो अदालत ने इस केस को खतम नहीं किया.... सरकार को... एसआईटी की ऑफिसर बदलने को कहा है....
तापस - (गाड़ी शुरू करता है) लेकिन क्या तुम्हें लगता है.... सरकार इसे सिरीयसली लेगी...
प्रतिभा - नहीं.... सरकार... एक और टीम बना कर सात साल तक... केस को खिंचेगी.... सात साल बाद.... उन अभियुक्तों को.... मरा हुआ घोषित कर.... केस क्लोज कर देगी....
तापस - क्या बात है... मैडम... आज तो आपका दिमाग.... दिमाग नहीं.... कंप्युटर की अम्मा लग रही है....

प्रतिभा तापस को घूर कर देखती है l तापस उससे अपना नजरें चुरा कर गाड़ी चलाता है l

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उधर शाम हो चुकी है l चिलका के बीचों-बीच एक हाउस बोट में भैरव सिंह अपने चेयर पर बैठा है, उसके पास एक तरफ पिनाक सिंह और दूसरी तरफ ओंकार चेट्टी बैठे हुए हैं l कुछ दूर डायनिंग टेबल के पास परीडा, बल्लभ, यश और रोणा भैरव सिंह के तरफ मुहँ कर बैठे हुए हैं l एक कोने में दिलीप कर हाथ जोड़े खड़ा है l उन सबके बीच कोई बात चित नहीं हो रही है l आखिर कर ख़ामोशी को तोड़ते हुए

ओंकार - राजा साहब... अब तो कोर्ट का काम खतम हो गया है.... और केस भी लगभग खतम हो गया है.... बाकी जो भी है.... सब हमारे हाथ में है.....
पिनाक - कहाँ.... ओंकार जी.... अदालत ने केस को क्लॉज नहीं की है..... उल्टा... एसआईटी की टीम बदलने के लिए.... कहा है....
ओंकार - तो इसमें.... परेशान होने की... क्या बात है.... यह जज फिर अपने अपने रास्ते.... और केस का भविष्य.... गृह मंत्रालय के डस्ट बिन में.....
रोणा - पर मेरा तो... पोपट हो गया ना.... मुझे छह महीने के लिए.... सस्पेंड कर दिया गया है....
बल्लभ - शूकर करो... तुम्हारे इकबालिया बयान के चलते.... सिर्फ़.... सस्पेंड हुए हो... और नौकरी तुम्हारी सलामत है.... उस कर को देखो.... आजीवन चुनाव नहीं लड़ सकता है.....
रोणा - उसकी प्रॉब्लम भी कोई प्रॉब्लम है.... अरे वह नहीं लड़ सकता है..... तो अपनी बीवी को... तो चुनाव में.... खड़ा कर सकता है....
भैरव - बस.... (उसकी आवाज़ सुन कर, सब फिरसे खामोश हो जाते हैं) बस.. यह एक ऐसा केस है... जिसमें सब ने कुछ न कुछ खोया है.... पर जितना पाया है... उसके आगे.... यह खोना कुछ भी नहीं है.... (पिनाक की ओर देख कर) छोटे राजा जी.... पहले इस बेवक़ूफ़... कर को कुछ पैसे दो.... इसकी रोनी सुरत.... देखी नहीं जा रही है... (पिनाक अपनी ब्रीफकेस से पैसों कुछ गड्डी निकाल कर कर के तरफ फेंकता है, कर भी झपट कर वह पैसे उठा लेता है) अदालत ने अगर सामने का दरवाज़ा बंद किया है.... तो पीछे का दरवाज़ा इस्तमाल करने के लिए.... जो हमारा साथ देता है..... हम उसे कभी नहीं छोड़ते.... रोणा तुम्हारा तीन पोस्टिंग का कोटा.... सिर्फ़ पांच साल में पूरा हो जाएगा.... और उसके बाद राजगड़ में तुम रिटायर होगे....
रोणा - (खुशी के मारे) थैंक्यू.... थैंक्यू.. वेरी मच... राजा साहब... थैंक्यू... वेरी मच...
भैरव - दिलीप कर.... तु... फ़िकर मत कर.... तु.... मेरा बफादार था है और रहेगा.... और तुझे तेरे हिस्से की हड्डी मिलती रहेगी....
कर - आप मेरे भगवान... मैं आपका थूक चटा भक्त हूँ... अब मैं और क्या कउं... आप मालिक हो.... मैं कुत्ता हूँ...
पिनाक - कोई शक़...
भैरव - परीडा.... तुम वाकई बहुत काम आए.... तुम कहो.... तुम्हें क्या ईनाम... चाहिए....
परीडा - बस राजा साहब.... अदालत ने... मेरी कैरियर पर दाग लगा दी है.... आप मेरी प्रमोशन करवा दीजिए.... और यशपुर की एसएसपी बना कर पोस्टिंग करवा दीजिए...
भैरव - तथास्तु... ऐसा ही होगा.... प्रधान... हमने कभी... इंसान को पहचानने में... कोई गलती नहीं की है... चेट्टी एंड सन्स ने... मेरे इस खास रत्न पर मोहर भी लगा दी है.... इसलिए तुम आज मांगो क्या मांगते हो...
बल्लभ - बस राजा साहब.... आपकी छत्र छाया... मेरे सर पर यूँही बनी रहे.... आप दिन दुगनी और रात चौगुनी दौलत की गंगा बहाएं..... और हमारे ऊपर कुछ छिटें यूँ ही फेंक मारते रहें....
भैरव - तथास्तु.... अंत में... चेट्टीस् फादर एंड सन.... कहिए आप लोगों को क्या चाहिए....


ओंकार कुछ कहने को होता है पर यश उसे इशारे से रोक देता है

यस - राजा साहब... हम जानते हैं... आप ना तो किसीसे दोस्ती करते हैं.... और ना ही किसीसे दुश्मनी छोड़ते हैं.... बस हमे दोस्ती का दर्जा दीजिए.... यही ख्वाहिश है हमारी....

भैरव सिंह कुछ देर के लिए चुप हो जाता है l उसकी चुप्पी, वहाँ सबको डराने लगती है l पर यश के आंखों में कोई डर नहीं दिखता है l

भैरव सिंह - (मुस्कराते हुए) ठीक है.... यश.... हमे... चेट्टीस् के दोस्ती कुबूल है....
यश - ठीक है.... राजा साहब.... यही हमारे लिए... बेस्ट कंप्लीमेंट है... थैंक्यू....
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अगले दिन जगन्नाथ मंदिर में, वैदेही अपना सामान बांध कर कमरे से बाहर निकलती है l बाहर उसे पंडा और कुछ सेवायत उसके इंतजार में थे l वैदेही बाहर निकलती है और सबको हाथ जोड़ कर नमस्कार करती है l सब ज़वाब में वैदेही को नमस्कार करते हैं l

वैदेही - अच्छा बाबा... चलती हूँ... आपने जो किया... उसके की धन्यबाद बहुत ही छोटा है.... बस भगवान से प्रार्थना करूंगी... की मैं आपके चरणों की सेवा कर सकूँ... ऐसा अवसर मुझे दे....
पंडा - मैं कौन हूँ... मैं क्या हूँ... सब उसकी मर्जी.... अगर मंजिल के राह में... ठोकरें लगते रहे... तो समझ लो.... उसने कुछ तो जरूर सोच रखा होगा....... और वह बहुत ही खास होगा....

वैदेही कुछ नहीं कहती बस हल्की सी मुस्करा देती है और मंदिर से बाहर निकल कर रास्ते पर ऑटो के लिए खड़ी होती है l उसके साथ साथ पंडा भी आकर खड़ा होता है l

वैदेही - बाबा आप क्यूँ यहाँ आए... मैं बस स्टैंड चली जाऊँगी....
पंडा - बेटी अब तो तेरा यहाँ.... आना नहीं होगा... तेरे भाई से मिलने अब तुझे भुवनेश्वर जाना होगा....
वैदेही - हाँ बाबा.... मैं कुछ कर लुंगी... बाबा आप फ़िकर ना करो...
पंडा - अरे कैसे ना करूँ... कल को अगर बुलावा आ गया... तो उस कम्बख्त को क्या मुहँ दिखाऊंगा....
वैदेही - पर बाबा....
पंडा - चुप रह और सुन.... अगली बार जब विश्व से मिलने जाएगी.... तब मुझसे एक बार मिलकर चले जाना....
वैदेही - पर... क्यूँ बाबा...
पंडा - देख... भुवनेश्वर राम मंदिर में कोई धर्मशाला नहीं है.... सेवायतों के लिए तीन चार कमरे हैं.... और उस मंदिर का पुजारी मेरा ही भाई है.... वह तुम्हारे ठहरने का प्रबंध कर देगा....
वैदेही - (मुस्कराते हुए) ठीक है बाबा... (इतने में ऑटो आजाती है, वैदेही उसमें बैठ जाती है) अच्छा बाबा मैं... चलती हूँ...
पंडा - (उसे टोक कर) चलती हूँ नहीं बेटा.... कहो फिर मिलते हैं... इससे जीने की आस बनी रहती है....
वैदेही - ठीक है बाबा... फिर मिलते हैं...
पंडा - हाँ... फ़िर मिलते हैं....

ऑटो निकल जाती है चांदनी चौक से निकल कर रिंग रोड पर आ जाती है और बादाम बाड़ी बस स्टैंड की बढ़ने लगती है, तभी एक फॉर्च्यूनर उसके सामने रुक जाती है l एक आदमी उतरता है, जेब से रिवाल्वर निकाल कर ऑटो ड्राइवर को ऑटो छोड़ कर भागने के लिए कहता है l ऑटो ड्राइवर बिना पीछे देखे भाग जाता है l

आदमी - सुनो वैदेही.... तुम्हारे लिए... एक अलग गाड़ी की व्यवस्था की गयी है....

वैदेही अपना ऑटो से उतरती है और पीछे मुड़ कर देखती है l एक चमचमाती दुध सी सफेद रंग की गाड़ी, रोल्स रॉयस l गाड़ी देखते ही वैदेही समझ जाती है, यह भैरव सिंह की गाड़ी है l तब तक उसका समान वह आदमी ऑटो से निकाल कर रोल्स रॉयस की ओर बढ़ जाता है l वैदेही भी उसके पीछे पीछे गाड़ी तक जाती है l ड्राइवर डिकी में सामान रखने के बाद कार का दरवाजा खोल देता है और वैदेही को अंदर जाने के लिए कहता है l वैदेही भी बिना कुछ कहे गाड़ी के अंदर जा कर बैठ जाती है l उसके सामने वाली सीट पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l गाड़ी में पिछली सीट की अरेंजमेंट आमने सामने किया गया है l गाड़ी के इंटरकम से ड्राइवर को गाड़ी चलाने को बोलता है भैरव सिंह l गाड़ी चलने लगती है l वैदेही गुस्से से भैरव को देखती है l भैरव सिंह उसके गुस्से को देख कर एक कुटील मुस्कान से वैदेही को देखता है l

भैरव - कोई बात नहीं मेरी रंडी... तु जितना चाहे मुझे गाली दे सकती है.... कोई नहीं सुन पाएगा.... गाड़ी का यह हिस्सा साउंड प्रूफ़ है... इसलिए मेरे लिए... जितनी गालियाँ सोच रही है.... जल्दी जल्दी उगल दे.... फिर मौका मिले ना मिले....
वैदेही - कमीने.... कुत्ते.... हरामी... मादरचोद.... सुवर... गंदी नाली के कीड़े... वहशी... दरिंदे.... (वैदेही चुप हो जाती है)
भैरव - बस.... इतनी ही गाली आती है.... तुझे.... तेरे पेट में... मेरे लिए... गाली भी नहीं बन रही है.... हाँ.... कैसे बनेगी... बाँझ जो ठहरी... जब इतनी चुत फाड़ चुदाई के बाद... बच्चा नहीं जन पाई... तो गाली कहाँ से लाएगी... कुत्तीआ...

वैदेही गुस्से से थर्रा जाती है, चेहरा लाल हो जाती है पर कुछ कह नहीं पाती l

भैरव - अरे कुछ नहीं सूझ रहा है तुझे... कोई बात नहीं.... मैं ही बता देता हूँ तुझे.... यही सोच रही है ना.... यह गाड़ी कितने की है.... पुरे चालीस करोड़ की है... इसे रोल्स रॉयस कहते हैं... मेड ऑन ऑर्डर गाड़ी इसे कहते हैं.... समझी... अब तु सोचेगी... इतनी महंगी गाड़ी में.... तुझे क्यूँ बिठाया.... तो सुन मेरी रंडी कुत्तीआ.... तेरी गांड इतनी बार फाड़ी है... तो तुझ पर तरस खा कर... सोचा एक बार... चालीस करोड़ की कार में.... एक तेरा पिछवाड़ा ही टिका दूँ....
वैदेही - क्या यही बकवास सुनाने के लिए.... मुझे अपने साथ ले जा रहा है.... कहाँ..... फिर रंग महल को.... या किसी थर्ड ग्रेड लॉज को....
भैरव - तु.... इस खुश फहमी मत पाल ले... के तुझमे निचोड़ने के लिए... कुछ रस बचा भी है....
तुझे.... अपने साथ राजगड़ लिए जा रहा हूँ... अपने भाई के लिए... उस जयंत के साथ सो सो कर थक गई होगी.... इसलिए तुझे अपने तरफ से... चालीस करोड़ की सवारी पर लिफ्ट दे रहा हूँ... शर्त लगा ले... इतनी महंगी लिफ्ट... पुरे राज्य में.... किसीने नहीं ली होगी....

वैदेही गुस्से से भैरव पर झपट पड़ती है l भैरव उसे पकड़ लेता है और वैदेही के हाथ को मरोड़ कर सीट पर उल्टा लिटा देता है l

भैरव - अरे वाह कुत्तीआ... काटने को आ गई.... (वैदेही को दर्द हो रहा है, भैरव के कब्जे में वह छटपटा रही है, उसके गालों पर उंगली फेरते हुए) बस..... बस यही दर्द.... यही छटपटाहट देखना चाहता था.... तेरी.... (भैरव उसके ऊपर झुक कर उसके कान के पास) तुझे आज बिन पानी के मछली के जैसे फड़फड़ाते देख.... मुझे कितना सुकून मिल रहा है.... क्या बताऊँ.... (कह कर वैदेही को छोड़ देता है, वैदेही अपनी हाथ को पकड़ कर भैरव सिंह को गुस्से से देखने लगती है) तेरे खानदान की औरतों को चोद कर.... अगली नस्ल की फसल तैयार किया जाता था..... पर तु.... कमीनी रांड साली... बाँझ निकली.... यह मेरी पहली हार थी.... मेरे दादा, मेरे पिता सबने अपनी बीज का फल चखा.... पर तु बाँझ साली कुत्तीआ... मुझे वह संतुष्टि नहीं दे सकी.... (वैदेही उसे घूरे जा रही है) सात साल... कितनी चुदाई की.... पर तुने मेरे बीज का फल नहीं दिया.... एक बार बड़े राजा ने.... मेरे मर्दानगी पर सवाल उठा दिया.... मैंने इसलिए गांव में ढूंढ ढूंढ कर बीज डालता गया... और फसल बनाता गया... इसके बाद डॉक्टर को बुला कर जब चेक कराया.... तु कम्बख्त बाँझ निकली.... वह पल मेरे लिए बहुत ही दर्दनाक था.... वह क्या है कि.... मेरे सुख और तेरे दर्द के बीच जो आएगा.... वह तबाह और बर्बाद हो जाएगा....
वह चाहे... तेरी माँ हो, रघुनाथ हो, या उमाकांत आचार्य, या विश्व हो... या फ़िर जयंत... हा हा हा हा....

वैदेही - जयंत सर... उनको बेइज्जत कर, गोबर फीकवा कर...
भैरव - ऐ... चुप... तूने देखा नहीं..... जैसे ही गवाह के कटघरे में उसके आँखों में देखा.... खौफ से उसका दिल धड़कना बंद कर दिया.... समझ गई... यह है मेरा खौफ, रौब और रुतबा...
वैदेही - मुझसे इतनी ही नाराजगी है... तो मुझे रंग महल के जानवरों के हवाले क्यूँ नहीं कर दिया....
भैरव सिंह - सोचा तो मैंने भी यही था.... पर मैंने फिर सोचा.... अगर तु मर गई... तो मजा वहीँ खतम हो जाएगा.... मैं तो तुझे तड़पते हुए, चीखते हुए, रोते बिलखते हुए देखना चाहता था..... इतनी बेरहमी से चुदाई के बाद... जब तु... चिल्लाई नहीं... तब दूसरों से भी तुझे चुदवाया.... पर फिरभी.... तेरे चेहरे पर... दर्द उभरा ना जिल्लत.... इसलिए तुझे चुड़ैल बता कर लोगों से पथराव करवाया.... लोग पत्थर बरसा रहे थे... मुझे असीम खुशी मिल रही थी.... पर तुझे.... विश्व ने आकर बचा लिया.... उसी दिन से विश्व.... मेरा टार्गेट बन गया.... हूं ह... मुझे नीचा दिखाने के लिए... उससे ग्रैजुएशन करवा रही थी.... मैंने उसे फंसा कर... जैल की रोटी तोड़ने के लिए छोड़ दिया.... क्यूंकि मुझे तेरी दुखती रग मिल चुका था..... हा हा हा.... विश्व... तु भले ही बेज़ान हो गई है.... पर तुझे दर्द तब होती है... जब विश्व को दर्द होता है.... हा हा हा हा.... यही... हाँ यही तो तेरे चेहरे पर देखना चाहता था.... हा हा हा हा
वैदेही - यह तुने.... ठीक नहीं किया भैरव सिंह क्षेत्रपाल.... यह तुने ठीक नहीं किया....
भैरव - अच्छा... कौन मेरा... क्या उखाड़ लेगा... तेरा भाई विश्व... हा हा हा हा...
वैदेही - हँस मत कुत्ते हँस मत.... कोई देखेगा तो सोचेगा.... राजा साहब पागल हो गया है.... इसलिए हँस मत...
भैरव - आले आले आले... मेरे हँसने से... मेरी कुत्तीआ का... पिछवाड़ा सुलग रही है...
वैदेही - भैरव सिंह तुने मुझे... जिंदा रख कर बहुत बड़ी.... गलती कर दी है.... अब विश्व को भी... जिंदा नहीं छोड़ना था....
भैरव - (वैदेही के गालों को अपने पंजे से पकड़ कर) तु जिंदा है... मेरी झांट के बाल तक उखाड़ नहीं पाई.... सिर्फ़ विश्व को मेरे खिलाफ भड़काने के सिवा.... और वह तेरा विश्व क्या कर लेगा मेरा.... मेरे एक भीमा के बांह बराबर नहीं है... फूँक मारूं... उड़कर पता नहीं कहाँ गिरेगा... कुत्तीआ... साली कहती है... मैंने गलती की है....
वैदेही - विश्व से डरता है तु.... इसलिए... उसे लंगड़ा करने की कोशिश की थी तुने.... उसका हुक्का पानी बंद करवा रखा है तुने....
भैरव - वह इसलिए... के वह जब जब गली गली भीख मांगता... तब तेरे तड़प देख कर मैं... खुश होता....
वैदेही - पर भाग्य ने यह होने नहीं दिया....
भैरव - भाग्य... जब जब भाग्य मुझसे... पंजा लड़ाया है... मैंने तब तब किसी और का भाग्य लिखा है.....
वैदेही - इतना अहं.... पचा नहीं पाओगे... यह तब तक... है जब तक... विश्व अंदर है... वह जब आएगा... तु बहुत रोएगा... उसके इरादों के आँधी के आगे... तेरा साम्राज्य तिनका तिनका उड़ जाएगा.... उसके नफ़रत के सैलाब से.... तेरा जर्रा जर्रा बह जाएगा.... देखना.... आखिर उस पर... मेरे तीन थप्पड़ों का.... कर्ज है...
भैरव - आई शाबाश... मुझे अब तुझ पर प्यार आ रहा है... मेरी रंडी कुत्तीआ.... चल आज तेरी खुशी के लिए... मैं सात साल तक विश्व को भूल जाता हूँ... तो बता विश्व आकर मेरा क्या उखाड़ेगा....

वैदेही चुप रहती है और गुस्से से भैरव सिंह को देखती है l भैरव सिंह उसे देख कर हँसने लगता है l ऐसे में वे लोग राजगड़ के मुख्य चौराहे पर पहुंच जाते हैं l

भैरव - चल उतर हरामजादी... तुने विश्व को अपने तीन थप्पड़ों के कर्ज तले दबा रखा है.... ना... अब मैं तुझे... उसके सात साल के लिए... सात थप्पड़ों का कर्ज दूँगा... इसी बीच चौराहे पर....

यह कह कर भैरव सिंह, वैदेही को बालों को पकड़ कर बाहर खिंच निकालता है, वैदेही देखती है, वहाँ पर लोगों का जमावड़ा है

भैरव - यह सब तेरे लिए ही इकट्ठे हुए हैं... मैंने इनसे वादा किया था... आज इस चौराहे पर... तेरा तमाशा करूंगा.... देख लोग कितनी बेताबी से... तेरी तमाशा देखने के लिये खड़े हैं... हा हा हा हा... देख....

वैदेही लोगों के चेहरे को देखती है l सबकी आँखों में भय और विवशता दिखती है l

भैरव - (चिल्लाते हुए) गांव वालो... हमने जो इसकी हुक्का-पानी बंद किया था.... वह आज हटा रहे हैं... पर इसके भाई की हुक्का-पानी बंद रहेगी..... (वैदेही को देख कर) क्यूँ कुत्तीआ... कैसी रही.... चल बता... विश्व आएगा.... तो यहाँ क्या बदलेगा....

यह कह कर भैरव सिंह वैदेही को पहला थप्पड़ मारता है l थप्पड़ लगते ही वैदेही का बायाँ गाल लाल हो जाती है l

भैरव - चल बता... क्या कर लेगा.... यहां क्या बदलेगा....
वैदेही - तेरे पाले हुए कुत्ते... जो... तेरे नाम की खौफ... फैला कर गली गली शेर बन फ़िर रहे हैं.... उन्हें विश्व कुत्तों की तरह इन्हीं गालियों में... दौड़ा दौड़ा कर मारेगा....
भैरव - वाह मजा आ गया... वाह...

यह कह कर दुसरा थप्पड़ उल्टे हाथ से मारता है, वैदेही गिर जाती है और उसका दायाँ गाल की हालत वही होती है l

भैरव - हाँ अब बता... अब क्या बदलेगा...
वैदेही - तेरे खानदान को... छोड़ किसीने.... यहाँ पर... कभी उत्सव नहीं मनाई... वह आकर पहला उत्सव मनाएगा.....
भैरव - वाह क्या बात है... वाह... (कह कर बलों से खिंच कर उठाता है) यह ले यह तीसरा थप्पड़....

तीसरे थप्पड़ से वैदेही के गालों पर भैरव सिंह के हाथों के निशान दिखते हैं l

भैरव - चल बता.... लोग मजे ले रहे हैं.... चल बता...
वैदेही - आज तक किसीने... क्षेत्रपाल नाम के खिलाफ... पुलिस थाने में... केस दर्ज नहीं कराई.... वह करेगा....
भैरव - बढ़िया... बहुत बढ़िया.... वाह. हम बहुत खुश हुए, यह ले यह चौथा (कह कर फ़िर उल्टे हाथ थप्पड़ मारता है)
वैदेही - जो लोग यहाँ पर... क्षेत्रपाल यह क्षेत्रपाल महल के तरफ पीठ नहीं करते, उल्टे पांव लौटते हैं.... उसके आने के बाद... सब एक दिन तुझे और तेरी महल को पीठ करेंगे और वापस भी लौटेंगे.... बिना उल्टे पांव के.....
भैरव - आ हा... हाहा... हा मजा आ गया... यह ले पांचवां (कह कर थप्पड़ मारता है, इस बार वैदेही के होंठ फट जाते हैं)
वैदेही - (एक घूंट खून की थूकती है) जिस अहंकार के दम पर.... हमारे परिवार को तितर बितर किया है.... उसी अहंकार के चलते.... तुझसे तेरा परिवार भी तितर बितर हो जाएगा.... इसका वजह... विश्व नहीं तु होगा....
भैरव - आह... इतनी खुशी.... बर्दाश्त नहीं हो रही.... यह ले छटा....

इसबार वैदेही नीचे गिर जाती है पर उठ नहीं पाती l भैरव एक आदमी को इशारा करता है तो वह आदमी बोतल से पानी निकाल कर वैदेही के मुहँ पर उड़ेल देता है l वैदेही उठती है l

भैरव - चल बता... छटा लगाया है.... चल बता....
वैदेही - इस गांव में मातम में सिर्फ़ क्षेत्रपाल महल में ही भीड़ होती थी.... पर विश्व आने के बाद मातम गांव में तो मनेगा..... पर कोई क्षेत्रपाल महल के मातम में शामिल नहीं होगा....
भैरव - वाह वाह वाह.... बस आखिरी थप्पड़... कह कर जोर से हाथ घुमा देता है l थप्पड़ लगते ही, वैदेही छिटक कर दूर गिरती है l बड़ी मुश्किल से उठ खड़ी होती है l

वैदेही - तू... अपने गरूर के सिंहासन पर होगा.... यही लोग तेरे... महल की ईंट से ईंट बजा देंगे... तेरी महल ढह जाएगी.... क्षेत्रपाल.... यह नाम सिर्फ इतिहास हो जाएगा.... और तेरे लोगों की अंजाम की कहानी.... आने वाले कल में... बुजुर्गों से सुनी भी जाएगी... सुनाई भी जाएगी....

इतना कह कर वैदेही गिर जाती है l एक आदमी भैरव सिंह के गाड़ी से वैदेही की सामान निकाल कर फेंक देता है l फिर भैरव सिंह वहाँ से गाड़ी में बैठ कर चला जाता है l लोग धीरे धीरे वहाँ से चले जाते हैं l पश्चिम आकाश में सुरज डूब रहा है l पर उस चौराहे पर वैदेही अभी भी बेहोश पड़ी हुई है l
तो अब वैदेही ने विश्व पर तीन और क्षेत्रपाल ने वैदेही पर 7 थप्पड़ों का जो कर्ज चढ़ाया है देखते है कब और कैसे उतरता है। सात साल बाद राजा का बाजा बजना पक्का है। जबरदस्त अपडेट।
 
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