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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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बहुत बढ़िया भाई 👌
प्रत्यूष अच्छा कैरक्टर लगने लगा था, किन्तु ...
यही तो उत्तम लेखनी की कला है 👌👌 साधु साधु
 

Lib am

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👉उनचासवां अपडेट
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कुछ दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l प्रत्युष पीजी के लिए निरोग में ही एडमिशन ले चुका है पर उसके कहे ऐनास्थोलॉजी के वजाए मेडिसन में जॉइन हुआ l उधर जैल में विश्व की रुतबा दोबारा वही हो चुका है जो कभी रंगा को चीरा मारने के बाद हुआ करता था, आज विश्व को कोई छेड़ नहीं रहा है l सारे कैदी विश्व से दूरी बनाए रखे हुए हैं l सिर्फ यही चारों विश्व को खाने के समय मिलते हैं मगर सिर्फ कोई एक. ऐसा विश्व ने ही उन्हें कहा था l ताकि किसी को भनक तक ना लगे के यह लोग विश्व से मिले हुए हैं l इस तरह दिन बीतते जा रहे हैं l इस बीच प्रत्युष अपने किसी दोस्त की शादी अटेंड करने दिल्ली जा कर वापस आता है l प्रत्युष के दिल्ली से वापस आने के दो दिन बाद डायनिंग टेबल पर प्रतिभा और तापस

प्रतिभा - जब से प्रत्युष दिल्ली से लौटा है.... कुछ ज्यादा ही खोया खोया रहने लगा है...
तापस - हाँ जान... मैंने भी यही महसुस किया है... पर मैंने सोचा तुम्हें वजह मालुम होगी...
प्रतिभा - क्या... (बिदक कर) वजह मुझे कैसे पता होगा...
तापस - (थोड़ा डरने की ऐक्टिंग करते हुए) मैंने सोचा.... वह तुम्हारा बहुत करीब है... इसलिए तुमको बताया होगा....
प्रतिभा - अच्छा वह सिर्फ मेरे करीब है... आपसे बहुत दूर है... यही कहना चाहते हैं...
तापस - आरे... भाग्यवान गुस्सा क्यूँ कर रही हो...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) देखिए... जब बेटे के पैर में.... बाप का जुता आ जाती है...तब हमे उससे बेटे के वजाए दोस्ती का रिस्ता निभाना चाहिए... हमारा बेटा अपने ग़म में... सब से कटा कटा सा रहता है... ऐसे में हमारा फर्ज है कि हम उससे दोस्त बन कर सब डील करें...
तापस - तुम क्या कहना चाहती हो... हम अपने बेटे के दोस्त नहीं है...
प्रतिभा - हाँ... हैं... पर कुछ तो कमी है... कहीं ना कहीं... कमी है... वरना जब से पीजी जॉइन किया है... दिन व दिन वह हमसे कटता जा रहा है... ऐसा क्यूँ....

तापस को प्रतिभा के मन की पीड़ा समझमें आती है l वह अपना हाथ बढ़ा कर प्रतिभा की हाथ को पकड़ लेता है l

तापस - जान तुम चाहती हो तो मैं... प्रत्युष से बात करता हूँ... पर एक बात तो है... हमारा प्रत्युष थोड़ा कंफ्युज्ड है... उम्र के इस पड़ाव पर भी... देखो ना... हमसे डिस्कस किया ऐनास्थोलॉजी करेगा पर जॉइन हुआ किसमें... मेडिसन में...
प्रतिभा - (गुस्से से अपना हाथ छुड़ा लेती है) आप को तो बहाना चाहिए... मेरे बेटे की कमियां और खामियां गिनने के लिए...
तापस - हाँ यह तो सच कहा आपने...
प्रतिभा - (खड़ी हो जाती है) क्या वह सिर्फ़ मेरा बेटा है... आपका कुछ नहीं है...
तापस - ओ... अब समझ में आया... के वह मेरा भी बेटा है...
प्रतिभा - (अपने कमर पर हाथ रखकर) आप कहना क्या चाहते हैं...
तापस - अरे सीधे सीधे कहती... हमारे बेटे से पूछो क्या हुआ है... सिर्फ़ मेरा बेटा.. मेरा बच्चा...
प्रतिभा - गुस्सा हो गए आप...
तापस - नहीं... बिल्कुल भी नहीं... पर तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि वह... दिल्ली से आने के बाद ज्यादा ही खोया खोया रहने लगा है....
प्रतिभा - (फिर से बैठते हुए) पता नहीं... पर मुझे ऐसा महसूस हुआ है... जैसे वह अंदर से टूटा हुआ है... कहीं तानिया से कोई अनबन तो नहीं हुआ है... यह उम्र ही कुछ ऐसी है... (आवाज़ में दर्द) कहीं कुछ...
तापस - शुभ शुभ बोलो भाग्यवान... एक ही तो औलाद है...
प्रतिभा - इसलिए तो आपको कह रही हूँ... प्लीज... आप उससे दोस्त बन कर पूछिए... दिलासा दीजिए... प्लीज (कहते कहते प्रतिभा रो देती है)
तापस - (खड़ा हो जाता है, और प्रतिभा की सर को अपने सीने से लगा कर) जान वादा करता हूँ... उसके मन में क्या चल रहा है.... वह किस बात को लेकर परेशान है... सब पता करके बताता हूँ... एक काम करो आज छुट्टी ले लो... मैं दोपहर से रात लौटने तक लाट साहब के साथ रहूँगा... ठीक है...

यह सुनते ही प्रतिभा उसे कसकर पकड़ लेती है l तापस प्रतिभा की पीठ को थपथपा कर दिलासा देता है l उस दिन प्रत्युष मेडिकल चला जाता है l उसके जाने के बाद तापस भी फोन कर छुट्टी ले लेता है l फ़िर अपनी गाड़ी की डिकी में एक ट्रैकिंग के टेंट, दो फोल्डिंग चेयर, दो फिशिंग रॉड और कुछ युटेनशील लोड करता है l उसके बाद गाड़ी लेकर एक लीकर के दुकान में रुक कर टीन बीयर की पेटी खरीदता है l उसके बाद गाड़ी लेकर निरोग हस्पताल मे पहुंचता है l वहाँ पहुँच कर प्रत्युष को कॉल कर बाहर बुलाता है l प्रत्युष बाहर आकर तापस से पूछता है

प्रत्युष - क्या बात है डैड...
तापस - डैड के बच्चे... अंदर बैठ... मैं यहाँ तेरा किडनैप कर रहा हूँ....
प्रत्युष - डैड... मेरी क्लास है... कैसे...
तापस - वह सब मैं नहीं जानता... तू बस क्लास बंक कर और चल मेरे साथ...
प्रत्युष - क्या कह रहे हैं डैड... क्या एक बाप को अपने बेटे से ऐसा कहना शोभा देता है...
तापस - पुरे यूनिवर्स में... मैं यूनीक जो ठहरा... चल... बहस मत कर बैठ जा....
प्रत्युष - ओह.. गॉड...
तापस - तु... आकर बैठता है... या... मैं यहाँ पर हंगामा करूँ...
प्रत्युष - ओके ओके...( कह कर गाड़ी में बैठ जाता है)

फिर तापस अपनी गाड़ी मोड़ कर एनएच पर दौड़ाता है l गाड़ी में प्रत्युष हैरान हो कर तापस को देखने लगता है l तापस कोई गाना गुनगुना रहा है l प्रत्युष पहली बार अपने डैड को इतना जॉली मुड़ में देख रहा है l उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान छा जाती है l गाड़ी लगभग डेढ़ घंटे बाद एक नदी के किनारे पहुंचता है l

प्रत्युष - यह कौनसी जगह है....
तापस - इसे बिरुपा कहते हैं... यह महानदी की शाखा नदी है... हम आज यहाँ फिशिंग करेंगे... खाना बनाएंगे और फिर थोड़ा पियेंगे... अंत में शाम को वापस घर जाएंगे...
प्रत्युष - क्या... (हैरानी से आँखे बड़ी करते हुए) डैड... आपकी तबीयत तो ठीक है ना...
तापस - ठीक मतलब.... बढ़िया है.... चल आजा टेंट लगाने में मदद कर...

कहकर तापस गाड़ी से वह छोटा सा टेंट निकालता है l प्रत्युष भी अपने बाप की मदत करने लगता है l फ़िर गाड़ी से दो फोल्डिंग चेयर निकाल कर नदी किनारे लगाता है जहां पानी की थोड़ी गहराई थोड़ी ज्यादा होती है l फ़िर एक पैकेट आटा, सरसों की तेल का छोटा सा बोतल निकालता है और एक छोटा सा डिबिया हींग का निकाल कर तापस प्रत्युष को देता है l प्रत्युष को समझ में नहीं आता इन सब के साथ क्या करें l वह तापस को कंफ्युज्ड हो कर देखने लगता है l

तापस - ऐसे क्या देख रहा है... (एक छोटा सा प्लेट देते हुए) ले यह प्लेट ले... और इस में सिर्फ़ दो मुट्ठी आटा डाल... उसमें आधी बोतल सरसों की तेल डाल और इस डिबिया से आधा हींग निकाल कर एक साथ गुंथ कर एक गोला बना... चल जल्दी कर... तब तक मैं कुछ और काम कर लेता हूँ....

प्रत्युष कुछ सवाल नहीं करता, तापस के दिए इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते हुए आटे का गोला बना देता है l तब तक तापस गाड़ी से दो फ़िशिंग रॉड लेकर वहाँ पहुँच जाता है l फ़िर प्रत्युष से वह आटे की गोला लेकर जहां पर चेयर डाला था वहाँ पहुँच कर गोले से छोटे छोटे दाने बना कर पहले पानी में डाल ने लगता है l

प्रत्युष - डैड.... यह आप क्या कर रहे हैं...
तापस - मछलियों को चारा डाल रहा हूँ... उसके बाद शिकार...
प्रत्युष - पर मछलियों के लिए... कीड़ों को या फिर केंचुओं को चारा बनाया जाता है ना...
तापस - यह एक सीक्रेट है... जो बचपन में... हमें एक मछुआरे ने दी थी.. तब हम कटक में रहते थे... रोज काठजोड़ी में नहाने जाते थे.... वहीँ से यह सीक्रेट जाना था... बचपन में बहुत मछलियां पकड़ी है.... आज बुढ़ापे मे..वह एक्सपेरियंस तुझसे शेयर कर रहा हूँ....
प्रत्युष - अच्छा...
तापस - हाँ... यह आटे में घुला सरसों का तेल और हींग... मछलियों को अपने तरफ खिंचता है.... अब देख... यह यह देख... (प्रत्युष को दिखाते हुए) कितनी मछलियां आगई हैं... ला फ़िशिंग रॉड ला...

प्रत्युष एक फ़िशिंग रॉड तापस को देता है l तापस उसकी कांटे में वही गुंथा हुआ आटे की छोटी सी दाना बना कर पानी में डालता है l एक मिनट भी नहीं लगता तापस रॉड खिंचता है, प्रत्युष हैरान हो जाता है जब वह तापस के रॉड में एक बड़ी मछली को छटपटाते हुए लटकी हुई देखता है l प्रत्युष को जोश आ जाता है l वह भी तापस की तरह कांटे में गुंथे हुए आटे की दाना लगा कर कोशिश करता है पर उसके बंसी में मछली फंसती नहीं है उल्टा मछली उसके कांटे से दाना खा कर निकल जाती है l यह देखकर प्रत्युष बड़ा मायूस हो जाता है l उसे मायूस होता देख तापस प्रत्युष के साथ मिलकर मोर्चा संभालता है l फ़िर दोनों मिलकर बंसी खिंचते हैं l उसमें एक छोटी मछली फंसती है l प्रत्युष खुश तो होता है पर चूंकि उसका मछली तापस से छोटा था खुशी जाहिर नहीं करता l इस बार प्रत्युष को थोड़ा थोड़ा आइडिया आ जाता है l अब वह खुद अपने से कोशिश करता है l लगभग दस मिनट में और दो मछली पकड़ लेता है l उसके बाद फिरसे तापस दाने फेंकता है l फेंकने के फौरन बाद प्रत्युष अपनी बंसी से फ़िर से कोशिश करता है l इस बार की फंसी मछली ताकत से प्रत्युष की बंसी को खिंचता है l प्रत्युष चिल्लाता है तो तापस भी आकर बंसी को पकड़ लेता है l दोनों मिलकर जब बंसी को उपर उठाते हैं l तो दोनों के दोनों हैरान हो जाते हैं l क्यूँकी बहुत बड़ी मछली फंसी हुई थी और वह मछली इतनी जोर से छटपटा रही थी के दोनों बाप बेटे अपनी जगह से हील गए l जब मछली को खिंच कर किनारे की रेत में तापस पटक देता है, किसी छोटे बच्चे की तरह प्रत्युष ताली बजाते हुए कुदने लगता है l तापस उसकी खुशी और बच्चों वाली हरकत देख कर बहुत खुश होता है l फिर सारे मछलियों को काट कर साफ करते हुए तापस प्रत्युष को गाड़ी से अदरक और लहसून निकाल कर पत्थर पर कूटने को कहता है l आज प्रत्युष को जोश चढ़ा था इसलिए वह बिना देरी किए गाड़ी की ओर भागता है और वह अदरक लहसुन निकाल कर नदी के किनारे पर बड़े पत्थर पर कुट कुट कर पेस्ट करने लगता है l इतने मे सारी मछलीयों के छिलका उतार कर वही पेस्ट, नमक और हींग मिलाकर मेरीनेट कर देता है l फिर तापस गाड़ी के पास जा कर खुद गैस स्टोव, तेल और फ्राय पैन लता है फ़िर स्टोव जला कर पैन पर मछलियाँ तेल डाल कर फ्राय करने लगता है l सारी मछलियों को फ्राय कर देने के बाद टेंट के पास प्रत्युष को मछली ले जाने को और चेयर डालने को कहता है l प्रत्युष फौरन अपने बाप की कही बात को अमल करता है l इतने में तापस जाकर गाड़ी से बियर टीन के पैकेट उठा लाता है l

प्रत्युष - (हैरानी से) डैड... आप इतने सारे बियर पियेंगे....
डैड - मैं नहीं... हम बियर पियेंगे और चीयर करेंगे...
प्रत्युष - व्हाट... ओह... माय... गॉड.... डैड... आ... आआआ.. आप पियेंगे...
डैड - डैड के ढक्कन... मैं नहीं हम दोनों...
प्रत्युष - न.. नन.. नहीं.. म्म्म्म.. मैं.. नहीं... मुझे माँ के हाथों से नहीं पीटना....
तापस - मतलब अगर तेरी माँ तुझे नहीं मारेगी... उस कंडीशन में पियेगा... क्यूँ...
प्रत्युष - हाँ... नहीं नहीं... मैंने ऐसा कब कहा... म्म्म्म.. मैं शराब नहीं पिता...
तापस - तो मैं भी कौनसा पियक्कड़ हूँ... मुझे भी रात को घर में सोना है... इसलिए आज दिन में पियेंगे... शाम तक नशा उतर जाएगी....
प्रत्युष - डैड.... यह आप ठीक नहीं कर रहे हैं... मैं नहीं पीयुंगा...
तापस - ऑए... बहुत हो गया... हाँ... तुझे क्या लगता है.... मैं नहीं जानता तु अपने दोस्तों के साथ कौनसी ब्रांड पिता है... चल ज्यादा नखरे मत दिखा... (कह कर टीन की ढक्कन खोल कर देते हुए) यह ले... किंगफिशर... हा हा हा...
प्रत्युष - नहीं नहीं... मैं माँ को बोल दूँगा... प्लीज नहीं....
तापस - हाँ हाँ बोल देना... पहले यह... टीन खतम कर... फिर बिंदास बोल देना...
प्रत्युष - देखिए डैड... (हाथ में लेते हुए) आप जबरदस्ती कर रहे हैं... इसलिए...
तापस - हाँ जरूर...

प्रत्युष अपनी शर्ट की कलर से मुहँ छुपाते हुए पीछे मुड़ कर एक ही सांस में पी लेता है l जब उसकी टीन खतम हो जाती है

तापस - वाह बेटा... तु तो नहीं पीता था... फ़िर कैसे एक घूंट में हाँ... कैसे... (प्रत्युष अपना मुहँ चुराने लगता है) कोई नहीं... आज तेरा दिन है... चल मिलके यह पेटी खाली करते हैं....

फिर संकोच के साथ प्रत्युष मछली चखना और बियर दोनों खतम करने लगता है l जब प्रत्युष को थोड़ा नशा होने लगता है तब

तापस - कैसा लग रहा है बेटा...
प्रत्युष - ओह डैड... आई लव यु... आई लव यु... उम्म आ... लव यु...
तापस - गुड... वेरी गुड... तो अब कुछ पूछूं...
प्रत्युष - क्या... क्या डैड... पूछिये ना...
तापस - हूँ.... तो बताओ... बेटा... तु... दिल्ली गया क्यूँ था और... वहाँ हुआ क्या था... जो तुझे हमसे दूर कर दिआ है....

यह सुनते ही प्रत्युष के चेहरे से हँसी गायब हो जाती है l वह बहुत गंभीर हो जाता है l उसके होंठ सील जाते हैं और आँखें छलक पड़ते हैं l तापस उसकी हालत देख कर उसके पास जाकर बैठता है और प्रत्युष के कंधे पर अपना हाथ रखकर अपनी तरफ घुमाता है l प्रत्युष उसे देखते ही आँखे छलकाने लगता है और तापस के गले लग जाता है, और जोर से जकड़ कर रोने लगता है l तापस उसकी पीठ को थप थपा कर दिलासा देता रहा l धीरे धीरे प्रत्युष का रोना सिसकियों में बदल जाता है l

तापस - मेरा बहादुर डॉक्टर बेटा... ऐसे नहीं रोते... बोल बेटा तुझे क्या हुआ है...
प्रत्युष - (अपनी सिसकियों को कंट्रोल करते हुए) ड.. डैड... आ.. आपने कैसे जाना... मैं अंदर से टुटा हुआ हूँ....
तापस - मैं नहीं... तेरी माँ की जान बसती है... तुझमें... उसीको अंदाजा हो गया... तु... अंदर से टुटा हुआ है....
प्रत्युष - माँ....
तापस - हाँ... बेटे... तुम्हारी माँ... वह मेरी जीने का सहारा है... और तेरी जिंदगी की अहम हिस्सा है... पर हम दोनों उसकी जिंदगी हैं...
प्रत्युष - (चुप रहता है)
तापस - बेटा... तेरी हँसने से हमारी दुनिया हँसती है... हमारे प्यार की... हमारे विश्वास की... तु निशानी है... पहली बार जिंदगी में... तेरी माँ को... तेरे लिए यूँ टूटते देखा है.... बेटा... मर्द सिर्फ़ शरीर से मजबुत होता है... पर औरत की सहनशीलता और बर्दाश्त करने की ताकत के आगे मर्द कहीं भी नहीं ठहरता... वही जब औरत टूटती है... तो.... बहुत मुस्किल होता है यार... आज इसलिये तेरी माँ के खातिर बता... क्या हुआ... क्या तुझे खाए जा रहा है... (प्रत्युष फिरभी चुप रहता है तो तापस उसे हिलाता है)
प्रत्युष - (तापस के हिलाने से वह जागता है, और एक गहरी सांस ले कर) डैड... मेडिकल में गोल्ड मेडल मिलने के बाद... मुझे हमारे एमडी की बात... माननी नहीं चाहिए थी... अब उनकी बात अग्रि कर के... मैंने अपने ही गले में नाग सांप की कुंडली को... फांस बना कर डाल लिया है...
तापस - व्हाट.. य... यह क... क्या कह रहा है...
प्रत्युष - जी डैड... मैं सच कह रहा हूँ... यश वर्धन चेट्टी... एक यूथ आइकन नहीं... एक राक्षस है... एक दरिंदा है... उसकी मेडिकल और फार्मास्युटिकल दोनों ही नोट छापने की मशीन हैं...
तापस - यह...(बहुत ही सहजता से) तुझे कब मालुम हुआ...
प्रत्युष - आप सरप्राइज नहीं हुए... मतलब... यश वर्धन के बारे में... आपको पहले से ही अंदाजा है....
तापस - हाँ था... पर भूल गया था.... पर यह बताओ... तुम्हें ऐसा क्या पता चला जो... तुम्हारा हीरो रातों रात विलेन बन गया...
प्रत्युष - डैड... यश वर्धन की काली करतूत मेरे सामने आ गया है...
तापस - कैसे.... और कौनसी काली करतूत...
प्रत्युष - डैड... जब यश वर्धन ने ऑफर दिया... की हाउस सर्जन के साथ साथ पीजी का... सैलरी और स्टाइपेंड दोनों... एक अग्रिमेंट साइन किया.... अगर बीच में पीजी और जॉब छोड़ने की नौबत आए... तो बदले में पांच करोड़ देने होंगे... तब मैंने इस अग्रिमेंट की महत्व को समझ में नहीं आया... पर अब समझ में आ रहा है... क्यूंकि उसके पास मेरे सारे सर्टिफिकेट जमा है...
तापस - ठीक है... हुआ क्या है... यह बताओ...
प्रत्युष - मेरे जॉइन करने के बाद.... ओपीडी में मैंने एक आदमी को बहुत बार देखा.... मैं उस आदमी को पिछले पांच सालों से जानता था... वह बराबर मेडिकल आता था और दवा ले जाता था... ओपीडी से हमेशा वह न्यूरो विटामिन लेता था... मुझे ताजूब हुआ... की वह पांच सालों से लगातार वह दवा ले रहा है... वह भी न्यूरो विटामिन... उसके बावजुद उसकी हेल्थ में कोई... इंप्रुवमेंट नहीं दिखा... तो मैंने उससे बात की... तो पता चला... की वह... उस विटामिन के लिए... एक तरह से एडिक्टेड है... उसके हाथ पैर कांपने लगते हैं... जब वह विटामिन की वह गोलियाँ नहीं खाता.... अब मुझे शक़ होने लगा...
क्यूंकि साधारण लोगों तक जेनेरिक दवा पहुंचे... इसलिए सरकार की स्टैंड का जबरदस्त समर्थन करने वाला.... अपने फार्मास्युटिकल कंपनी में सबसे सस्ता दवाई बना कर लोगों की सेवा करने का दम भरने वाला.... उसके दवाओं में उल्टा असर क्यूँ हो रहा है.... मैंने अपने विश्वस्त कुछ स्टूडेंट्स की एक टीम बनाई... ऐसे मरीजों की लिस्ट बनाई जो पांच सालों से तरह तरह के दवा... रेगुलर बेसीस पर ले रहे थे... उन सभी दवाओं के सैंपल मैंने उनके जरिए कलेक्ट किया और उन्हें ले कर दिल्ली गया था... वहाँ के लैब पर उन दवाओं की केमिकल एनालिसिस करवाया... तो मुझे उनमें प्रतिबंधित स्टेरॉयड और ड्रग्स के अंश मिले....
तापस - क्या...
प्रत्युष - हाँ डैड...
तापस - ओ...
प्रत्युष - मैंने और भी पता लगा लिया है... वह अपनी फार्मास्युटिकल कंपनी के आड़ में... बैनड ड्रग्स की स्मगलिंग भी कर रहा है...
तापस - ओह... यह तो बहुत ही खतरनाक बात है...
प्रत्युष - वही तो... मेरे पास सबूत हो कर भी कोई फायदा नहीं हुआ...
तापस - क्यूँ.. सबूत है... तो ठीक है ना... हमारे पास वह रिपोर्ट तो है ना.... .... हम उस रिपोर्ट के आधार पर... उससे तुम्हारा कंट्राक्ट कैंसिल करवा सकते हैं...
प्रत्युष - नहीं डैड... हम कुछ नहीं कर सकते हैं.... मैंने वह सारे सैंपल... प्राइवेट लैब में चेक कराए... क्यूंकि मैं जब दिल्ली में पहुंचा... तब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यश की एक नई दवा को मंजूरी दी... मैंने प्राइवेट लैब में... उसी दवा का भी परीक्षण किया... रिजल्ट वही निकला... इससे साफ़ हो गया... उसकी पहुंच कहाँ कहाँ तक किस लेवल पर है... मत भूलिए डैड... वह एक कैबिनेट मिनिस्टर का बेटा है.... वह भी स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर का... उसे खरोंच भी आया तो... शासन व प्रशासन दोनों उसके लिए खड़े हो जाएंगे....
तापस - तो.. फ़िर तु... चुप चाप अपना पीजी खतम कर और... निकल तु उस हस्पताल से....
प्रत्युष - यही तो परेशानी है... डैड... ओपीडी में मुझे वही दवा लिखने होंगे जिनमे... प्रतिबंधित स्टेरॉयड और ड्रग्स मिले हैं... मरीज़ उसकी आदि हो कर.... मरने तक खरीदता रहेगा और... यश का जेब भरता रहेगा... आप नहीं जानते डैड... यश के फैक्ट्री का नाम संजीवनी पुरस्कार के लिए रिकमेंड किया जाने वाला है... उसकी फैक्ट्री का जेनेरिक मेडिसन की दुनिया में अवदान को देख कर.... यह अवार्ड दिया जाएगा.... अब मैं एक डॉक्टर हूँ.... पर दवा के जगह जहर कैसे लिख कर दूँ.... इसलिए मैं घुट रहा हूँ.... कभी कभी लगता है... मैं खुदको कुछ कर ना लूँ....
तापस - चुप.... शुभ शुभ बोल... ह्म्म... वाकई बहुत बड़ी मुसीबत में है तु... एक काम करते हैं... तेरी माँ से बात करते हैं....
प्रत्युष - माँ... नहीं नहीं... मैं माँ का दिल दुखाना नहीं चाहता...
तापस - देख... कल को कुछ उल्टा सीधा हो गया तो... तेरी माँ के सामने गुनहगार हो कर मैं खड़ा नहीं होना चाहता... और तु भी...
प्रत्युष - (एक गहरी सांस ले कर) ठीक है डैड... आप जैसा ठीक समझें..
तापस - तो चल... सब कुछ समेटते हैं... और तेरी माँ के पास चलते हैं...

दोनों सारे पैन साफ करते हैं और सभी सामान समेट कर गाड़ी में रखते हैं l उसके बाद तापस गाड़ी चला कर भुवनेश्वर अपने क्वार्टर में पहुंचता है l अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखकर प्रतिभा के सामने खड़ा हो जाता है l फ़िर प्रत्युष को हाथ मुहँ साफ कर आने के लिए इशारा करता है l उसके जाते ही तापस प्रतिभा को सब बता देता है l प्रतिभा सब सुन कर धप करते हुए अपनी जगह बैठ जाती है l

प्रतिभा - पांच करोड़... कहाँ से लाएंगे... यश ऐसा निकलेगा... यह कोई कैसे सोच सकता है...
तापस - मैंने तुमसे और एक बात छुपाई है... ना छुपाई नहीं है... असल में मेरे दिमाग से यह बात निकल गया था...
प्रतिभा - (हैरान हो कर) कौनसी बात....

तापस प्रतिभा को विश्व के नाम वैदेही की उस चिट्ठी का जिक्र करता है जिसमें यश के हाथों जयंत की हत्या का जिक्र था l प्रतिभा यह जान कर शुन हो जाती है l उसके हाथ कांपने लगते हैं l तापस पास जाकर उसके हाथ थाम लेता है l

तापस - जान.. यह मैंने जान बुझ कर नहीं छुपाया है... मैं सच कह रहा हूँ... मेरे दिमाग से यह बात पुरी तरह से गुम गया था... अब हमारा बेटा फंसा हुआ है... हमे उसे बाहर निकालना है...

प्रतिभा की जबड़े भींच जाती हैं l वह अपने आप को दुरुस्त करती है l फ़िर कुछ निश्चय करते हुए अपना सर हिलाती है l

प्रतिभा - सेनापति जी... यश के चंगुल से बचने के लिए... एक बात की जा सकती है...
तापस - क्या....
प्रतिभा - पहले प्रत्युष को आने दीजिए... (आवाज़ देती है) प्रत्युष.... ओ प्रत्युष
प्रत्युष - (कमरे में आते है) जी माँ...
प्रतिभा - कुछ रेगुलर पेशेंट की लिस्ट बना... वह जो दवा ले रहे हैं... उसकी भी लिस्ट बना कब से ले रहे हैं.... और वह प्रेशक्रीप्शन तु जब उनके लिए लिखेगा... उनसे कंज्यूमर द्वारा केमिकल लैब टेस्ट की फर्म भी भरवा लेना.... हम तीन जगहों पर चेक करवाएंगे... कोलकाता, हैदराबाद और पुणे में... उन सबकी रिपोर्ट के दम पर... यश को झुकाएंगे... और जरूरत हुई तो... इस बात को लेकर... यश की फार्मास्यूटिकल्स कंपनी बंद करवाने की कोशिश करेंगे...
तापस -(हैरान व परेशान हो कर) भाग्यवान... क्या हम यह कर पाएंगे...
प्रतिभा - हाँ.. हम कर पाएंगे.... अब.... अब हर रोज मैं जाऊँगी... प्रत्युष को मेडिकल छोड़ने और लाने.... आप जब प्रत्युष उन पेशेंट्स से फॉर्म भरवा लेगा और सैंपल कलेक्ट कर लेगा... आप जाएंगे.... चेक कराने.... जब रिपोर्ट आ जाएगा... तब मैं यश को उसी के जाल में लपेट लुंगी...
प्रत्युष - पर माँ उन पेशेंट्स पर अगर कोई मुसीबत आई तो....
प्रतिभा - अरे यहाँ सारी इंसानियत को खतरा है.... और तु... कुछ पेशेंट्स को लेकर परेशान है... उससे भी ज्यादा... तु... यश के चंगुल में फंसा हुआ है.... बस तुझे वहाँ से निकालना है...
तापस - भाग्यवान.... क्या हम और रास्ते पर विचार करें....
प्रतिभा - सेनापति जी.... सिर्फ़ दो ही रास्ते बचे हुए हैं... या तो समर्पण... या फिर रण... अपनी विवेक के विरुद्ध प्रत्युष दूसरों को जहर नहीं दे सकता है... और चार साल तक घुट घुट कर नहीं रह सकता है.... इसलिये कोई समर्पण नहीं... सिर्फ रण...
तो इस वजह से प्रत्युष की जान गई थी। मगर कहीं न कहीं चुटियापा तो इसने खुद ही किया था। जब वो अपने माता पिता के साथ होटल में यश से मिला था क्षेत्रपाल के साथ और उसके पिता ने बताया था कि क्षेत्रपाल ने उसकी मां को धमकी भी दी थी फिर भी उसे अपने आइकन को फॉलो करना था तो भुगत उसका अंजाम और दो अपनी जान। मां बाप की बात ना मान कर चलोगे तो अंजाम तो यही होगा। बेहतरीन अपडेट।
 

Kala Nag

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तो इस वजह से प्रत्युष की जान गई थी। मगर कहीं न कहीं चुटियापा तो इसने खुद ही किया था। जब वो अपने माता पिता के साथ होटल में यश से मिला था क्षेत्रपाल के साथ और उसके पिता ने बताया था कि क्षेत्रपाल ने उसकी मां को धमकी भी दी थी फिर भी उसे अपने आइकन को फॉलो करना था तो भुगत उसका अंजाम और दो अपनी जान। मां बाप की बात ना मान कर चलोगे तो अंजाम तो यही होगा। बेहतरीन अपडेट।
हम्म क्यूंकि लोगों को पहचानना आसान नहीं होता
 

Kala Nag

Mr. X
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बहुत बढ़िया भाई 👌
प्रत्यूष अच्छा कैरक्टर लगने लगा था, किन्तु ...
यही तो उत्तम लेखनी की कला है 👌👌 साधु साधु
धन्यबाद भाई बहुत बहुत धन्यबाद
 
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Reactions: Ajju Landwalia

Kala Nag

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👉पचासवां अपडेट
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कुछ दिनों के बाद
सेंट्रल जैल
अब सिर्फ़ जीलू और मिलू दोनों जैल में हैं l सीलु और टीलु पर चल रहे केस फॉलस् हो गया इसलिए अब वे दोनों बाहर हैं l
एक रात डायनिंग हॉल में
डिनर के टेबल पर विश्व के साथ जीलू बैठ कर खाना खा रहा है l

जीलू - (वगैर विश्व के तरफ देखे) भाई एक खबर है...
विश्व - ह्म्म्म्म... (विश्व भी जीलू के तरफ बिना देखे) कहो...
जीलू - सीलु ने आपको आगाह करने के लिए कहा है...
विश्व - बात को लंबा मत खिंचो... मुद्दे पर आओ...
जीलू - परसों पटीया पुलिस स्टेशन से सीलु के लिए खबर आया था... ऑफिसर इनचार्ज.... सीलु से मिलना चाहता था... इसलिए सीलु ओर टीलु दोनों मिलने गए थे...
विश्व - ह्म्म्म्म... आगे...
जीलू - ऑफिसर इनचार्ज... सीलु को तैयार रहने को बोला... हो सकता है... अगले हफ्ते सीलु यहाँ हो...
विश्व - (अब जीलू की ओर देखते हुए) तुम कहना क्या चाहते हो... तब से बेवजह बात को घुमा फिरा कर खिंच रहे हो...
जीलू - (बेशर्मों की तरह हंसते हुए) सॉरी भाई... तुम मेरे तरफ देख नहीं रहे हो... सोचा तुमको थोड़ा सिरीयस कर दूँ...
विश्व - हाँ बोलो... अब मैं सिरीयस हूँ...
जीलू - हाँ नहीं तो.... बात ही इतनी सिरीयस है... इसलिये आपको सिरीयस होना ही पड़ेगा...
विश्व - अब बोलोगे भी...
जीलू - हाँ बोलता हूँ ना... तो इनचार्ज से सीलु और टीलु मिलने पहुंचे... तो वहाँ पर रंगा का वकील... पहले से ही बैठ कर... थाने के इनचार्ज से बातेँ कर रहा था....
विश्व - हाँ तो...
जीलू - भाई... रंगा अभी यहाँ आने की तैयारी कर रहा है....
विश्व - अच्छा...
जीलू - हाँ भाई... और इसबार वह अकेला नहीं आ रहा है.... अपने साथ चार चार हाती, सांढ भालू और गेंडा भी ला रहा है...
विश्व - मतलब....
जीलू - ओह ओ... भाई समझा करो... वह अपने साथ चार चार हट्टे कट्टे लंबे-चौड़े तगड़े मुस्टंडे ला रहा है... तुमसे बदला लेने....
विश्व - ह्म्म्म्म अच्छी बात है...
जीलू - क्या अच्छी बात है... तुम जानते नहीं भाई... इन बीते दो सालों में... रंगा खुद को एक सांढ जैसा बनाया है... वह वकील... उस इनचार्ज से कह रहा था... रंगा इसबार विश्व को मसल कर रख देगा...
विश्व - तो ठीक है... वह वही करने आ रहा है... जो उसे करना चाहिए... और वापस कंधे पर जाने के लिए... साथ में गिन गिन कर चार लोगों को भी ला रहा है...
जीलू - भाई जो भी हो... तुम्हें सावधान रहना होगा उनसे... जब तुम आए थे... तब वह लोग छुप छुप कर उकसा रहे थे... पर अब आर या पार का इरादा लेकर आ रहा है... वह सबके सामने उकसाने से भी नहीं चुकेगा...
विश्व - ठीक है... जो भी होगा... देखा जाएगा....
जीलू - क्या भाई... इतना हलके में क्यूँ ले रहे हो...
विश्व - अब कि बार... रंगा मुझे छेड़ेगा, उकसायेगा, मार भी सकता है... पर तब... जब मैं चाहूँगा... वहाँ... जहां मैं चाहूँगा... पर उसका अंजाम वह होगा... जो मैं तय करूंगा....

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आधी रात को तापस अपने बिस्तर पर करवट बदल कर जब बगल में प्रतिभा को नहीं पाता है तो झट से उठ कर बिस्तर पर बैठ जाता है l प्रतिभा उसको बाल्कनी में छत को घूरते हुए दिखती है l तापस उसके पास आकर खड़ा होता है l प्रतिभा को एहसास हो जाता है कि तापस उसके पास खड़ा है l वह तापस की ओर बिना देखे

प्रतिभा - सेनापति जी.... क्या मैंने सही किया...
तापस - जान... तुमने जो भी किया सब सही किया है... सोच समझ कर किया है... हमारा बेटा अंधेरे में भटक रहा था... तुमने उसे रौशनी दिखाई है... कुछ देर के लिए ही सही... वह अब हमारा बेटा लग रहा है...
प्रतिभा - थैंक्स सेनापति जी... आप मुझे समझते हैं....
तापस - जान... मैं और तुम ना अलग हैं... ना जुदा हैं... हम पति पत्नी हैं... साथी हैं... एक दूसरे के पूरक हैं...
प्रतिभा - फिर भी मुझे डर लग रहा है...
तापस - जान डरा हुआ तो मैं भी हूँ... पर तुमने कम से कम प्रत्युष को... फ्रस्ट्रेशन से... डिप्रेशन से निकाला है.... तुम नहीं जानती... वह मुझे खुद को कुछ कर लेने की बात कह रहा था... अटलीस्ट तुमने उसे टार्गेट दिया है... वह कुछ करे या ना करे... मगर हम उसे भँवर से निकलेंगे... जरूर निकलेंगे....
प्रतिभा - (थोड़ी राहत की साँस लेते हुए) आप ने कुछ पता किया है...
तापस - हाँ... और तुमने...
प्रतिभा - हाँ मैंने भी थोड़ा बहुत खबर... निकलने की कोशिश की है...
तापस - तो तुमने... डिनर पर बताया क्यूँ नहीं...
प्रतिभा - मैं... प्रत्युष के दिमाग पर बोझ नहीं डालना चाहती थी...
तापस - हम यूहीं फार्म पर या किसी दुकान पर रैड नहीं करा सकते हैं... यहाँ तक हस्पताल में भी नहीं...
प्रतिभा - क्यूँ... काउन्टर फैट ड्रग के विरुद्ध... सीएफएसआई एक्शन क्यूँ ले नहीं सकती...
तापस - तुम अब माँ बन कर सोच रही हो... वकील बन कर सोचो... वह भी क्रिमिनल वकील की तरह...
प्रतिभा - क्या मतलब...
तापस - खुदको तुम क्यूँ इतना असहाय बना रही हो... हमने जिसके खिलाफ मोर्चा खोला है... एक वेल ऑर्गनाइज्ड तरीके से क्राइम करता है.... हर क्राइम के परफेक्शन के लिए बैकअप भी रखता है....
प्रतिभा - (एक फीकी सी मुस्कान मुस्कराते हुए) लगता है... आपने अपनी तरीके से खूब रिसर्च किया है...
तापस - हाँ... कह सकती हो... असल में.. हम बाप बेटे मिलकर... हर पहलू पर गौर किया है...
प्रतिभा - तो क्या हम कामयाब होंगे....
तापस - जान... कोशिश कर रहे हैं... वैसे तुमने क्या किया है...
प्रतिभा - यही की... यश अपना काला बिजनैस कटक से समेट रहा है... और यशपुर शिफ्ट कर रहा है....
तापस - तुम्हें कैसे पता...
प्रतिभा - आपने न्यूज में सुना या देखा होगा... दो साल पहले ही... निरोग हस्पताल की चेन को... यशपुर एक्शटेंड कर रहा है... उसकी सारी फर्मालीटी अब हाल ही में पूरी हुई है... साथ ही साथ... फार्मास्यूटिकल्स की ब्रांच भी राजगड़ ले जाने की कोशिश में है...
तापस - ओ... राजगड़ मतलब... कानून और प्रशासन की पहुंच से दूर...
प्रतिभा - हाँ....
तापस - तब तो खेल बहुत पेचीदा हो जाएगा...
प्रतिभा - इसलिए मैं... रैड की बात कह रही थी...
तापस - मैंने भी देख लिया है... वह हर तरह की... वोर्स्ट सिचुएशन के लिए... तैयार है...
उसके फार्म में... दो तरह की दवाई बनती हैं... एक इंडियन मेडिकल स्टैंडर्ड पर... और एक उसके अपने मतलब के स्टैंडर्ड पर... वह अपनी दवाएं... बड़ी चालाकी से खपा रहा है.... हमे बहुत ही पुख्ता सबूत चाहिए... यश वर्धन जैसे हस्ती को सरे आम नंगा करने के लिए....
प्रतिभा - हाँ... यह आपने सही कहा...
तापस - अब तक उसे पता भी नहीं है... की हम उसके पीछे लगे हुए हैं...
प्रतिभा - यही डर मुझे सोने नहीं दे रही है... जो क्षेत्रपाल के लिए... जयंत सर की मौत को... एक दुखद हादसा बना दिया... वह अपने लिए क्या कर जाएगा... (तापस चुप रहता है) जब उसे पता चलेगा... उसकी सल्तनत की नींव को कोई खरोंच रहा है... क्या करेगा वह... (तापस की ओर देखती है, तापस अब आसमान की ओर देख रहा है) सेनापति जी... हम आग से... तेजाब से खेल रहे हैं... हैं ना...
तापस - जान... अब हम पीछे नहीं हट सकते... सवाल बेटे का है... प्रत्युष अपने आपसे लड़ रहा है.... तुमने उसकी लड़ाई को डाइवर्ट किया है.... अब उस लड़ाई में... हमे उसका साथ देना है... चाहे कुछ भी हो... अंजाम हम तीनों भुगतेंगे... उसके लिए खुद को तैयार करना होगा....

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अगली सुबह
नाश्ते के टेबल पर
सब चुपचाप अपने नाश्ते में लगे हुए हैं l

प्रतिभा - अच्छा प्रत्युष... तुमने कितने पेशेंट से... लैब टेस्ट के लिए फर्म भरवाया है...
प्रत्युष - सिर्फ़ एक ही अंकल से भरवाया है...
प्रतिभा - क्या... (हैरानी से) पर तो मैंने तुझसे... एक से ज्यादा कहा था....
प्रत्युष - हाँ पर... मैं किसी को अंधेरे में रख कर और उनके कंधे पर बंदूक रख कर... लड़ना नहीं चाहता...
प्रतिभा - तो इस अंकल को तैयार कैसे किया...
प्रत्युष - वह एक एक्ससर्विस मेन हैं... मैं उन्हें पांच सालों से जनता हूँ... इसलिए... मैंने उनसे बात कर सब समझा दिया... तो वह सारे प्रेसक्रीप्शन मेरे हवाले कर दिया है... और तीनों लैब के फॉर्म में साइन कर दिया है... और मैंने उनके लिए दी जाने वाली दवाओं के सैंपल को... भेज भी दिया है...
तापस - इस मिशन में... तु अकेला है... या कोई और भी है... साथ में...
प्रत्युष - हाँ हैं तो... पर उनके बारे में... किसी से भी... कुछ भी रिवील नहीं करूंगा.... आप से भी नहीं...
तापस - क्यूँ...
प्रत्युष - माँ... डैड... सॉरी पर... कल रात... मैंने आप दोनों की सारी बातेँ सुन ली थी...

दोनों हैरान हो कर प्रत्युष को देखने लगते हैं l पर प्रत्युष बिना किसी रिएक्शन के अपना नाश्ता कर रहा है l तापस और प्रतिभा दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं l

प्रत्युष - कल मैं आपके कमरे के पास से गुज़रा.... तो पाया दरवाज़ा खुला था... अंदर झांका तो आप दोनों बाल्कनी में थे... तब पीछे रह कर मैंने सारी बात सुन लिया था... मैं डैड की इस बात से सहमत हूँ... अंजाम जो भी हो... हम तीनों उसे भुगतेंगे...

प्रत्युष की यह बात दोनों पर बम की तरह गिरा l दोनों की मुहँ खुला रह गया l

प्रत्युष - माँ... आग हो या तेजाब... कमर कस ली है... मैं एक डॉक्टर हूँ.. जिंदगी बांट सकता हूँ... जहर तो हरगिज नहीं... मैंने गलत इंसान को अपना आइडल माना... अब लड़ाई उसके मुखौटे को नोच कर उतार फेंकने की है... माँ थैंक्स... आपने मुझे एक मोटीव दिया है... और डैड थैंक्स... आपने मुझे जिंदगी का फलसफा समझाया... अब मुझे माँ की दी हुई लक्ष को साधना है... बस...

इतना कह कर प्रत्युष वहाँ से उठ कर चला जाता है l पीछे टेबल पर तापस और प्रतिभा शॉक से उबरने की कोशिश करते हैं l

प्रतिभा - ये... यह क्या... कह रहा था... प्रत्युष
तापस - चाहे कुछ भी कहा है... उसे अकेला नहीं छोड़ना है...

प्रतिभा जल्दी से अपना नाश्ता खतम करती है और तैयार हो कर गाड़ी निकालती है l प्रत्युष आकर गाड़ी में बैठ जाता है l दोनों निकल जाते हैं l तापस भी तैयार हो कर जैल की तरफ चला जाता है l प्रतिभा प्रत्युष को लेकर पहले लिंगराज मंदिर में जाति है l वहाँ पहुँच कर पूजा की सामान लेकर अंदर जाती है l वह पुजारी से अपना पुजा कराने के बाद प्रत्युष को लेकर जल्दी मंदिर से जाने लगती है l प्रतिभा इतनी जल्दी में होती है कि उसे किसीका ध्यान ही नहीं रहता l जल्दी जल्दी में वह किसीसे टकरा जाती है, प्रतिभा की सामान गिरने को होती है कि वह औरत थाम लेती है l

औरत - संभलकर...(प्रतिभा को देख कर) आरे... वकील मासी जी... आप..
प्रतिभा - (उस औरत को देखती है) आप ...(हैरानी से) जानी-पहचानी लग रही हैं... पर याद नहीं आ रहा है...
औरत - जी कोई बात नहीं.... मैं वैदेही...
प्रतिभा - व... वैदेही... (प्रतिभा याद करने की कोशिश करते हुए) ना... नहीं... मुझे...
वैदेही - कोई बात नहीं... आपको जयंत सर याद हैं ना... वह जिसके केस लड़ते हुए चल बसे... मैं उसकी बहन हूँ....
प्रतिभा - ओ... ठी... ठीक है... कैसी हो... और यहाँ... तुम...
वैदेही - आज मैं अपने भाई से मिलने आई थी... मिलने से पहले... भगवान लिंगराज की दर्शन करने आई हूँ...
प्रतिभा - ओह... अच्छा... ठीक है... जाओ दर्शन कर लो... मैं चलती हूँ... हो सका तो बाद में मिलते हैं...
वैदेही - जी अच्छा....

वैदेही मंदिर के भीतर चली जाती है l प्रतिभा भी जल्दी जल्दी बाहर निकल जाती है l बाहर गाड़ी के पास पहुंच कर पीछे मुड़ कर देखती है, वैदेही को जाते हुए l फिर कार में बैठ कर प्रत्युष और वह, वहाँ से निकल जाते हैं l उधर तापस ऑफिस पहुँचता है तो देखता है उसके कैबिन में दास इंतजार कर रहा है l

तापस - क्या बात है दास... कोई इमर्जेंसी है क्या... मेरे कैबिन में.. मेरा ही इंतजार कर रहे हो...
दास - सर... एक खबर है... कितनी इमर्जेंसी है... यह आप निर्णय कीजिए...
तापस - अच्छा... लगता है.. बीपी बढ़ाने वाली खबर है...
दास - जी सर...
तापस - ठीक है.. बताओ क्या खबर है...
दास - सर आज ही खबर आई है... रंगा और उसके चार साथियों को... पुलिस ने फरदर इंट्रोगेशन के लिए... अपनी कस्टडी में डिमांड किया है... और अदालत ने... चौदह दिनों की हिरासत में लेने के लिए... पुलिस को परमीशन दी है.... इसलिए शायद कल उन पांचो को यहाँ लाकर पुलिस हैंड ओवर करेगी...
तापस - व्हाट द हैल इज़ गोइंग ऑन दास...
दास - अब इसमें हम क्या कर सकते हैं... रंगा अपना हिसाब चुकाने आ रहा है... सिर्फ़ चौदह दिनों में अपना काम तमाम करने...
तापस - ओह गॉड... विश्व को उनसे दुर रखना पड़ेगा... वरना... (अपना हाथ टेबल पर मारते हुए) दास गिव मी सम आइडिया... रंगा... खुन खराबा के उदेश्य से आ रहा है.... पिछली बार जब वह हस्पताल में था... मैंने उसके आंखों में बदले की आग देखा था... वह उसके लिए... किसी भी हद तक जाएगा...
दास - सर अगर आप बुरा ना माने तो...
तापस - हाँ हाँ... कहो...
दास - मेरे हिसाब से... हमे इस मैटर को इतना भी... सिरीयसली लेना नहीं चाहिए....
तापस - क्या... आर यु गॉन मैड... तुम जानते भी हो क्या कह रहे हो...
दास - सर अगर मेरा अंदाजा सही है... तो... जो आप नहीं जान पा रहे हैं... और रंगा नहीं जानता... वह होने वाला है....
तापस - पहेलियाँ ना बुझाओ... दास खुलकर कहो क्या कहना चाहते हो...
दास - सर... मैं यह कह रहा हूँ... जो हो रहा है... उसे होने देते हैं... हम नजर रखेंगे... कुछ गलत होने लगा तो... रंगा का एनकाउंटर कर देंगे... हमारे पास सीसीटीवी है... पहले ऑब्जर्व करते हैं... फ़िर कुछ करते हैं... वह चौदह दिनों के लिए... आ रहा है... हो सकता है... अपने ऊपर वह और चार्जर्स ना ले...
तापस - मैं दुआ करूंगा... तुम्हारा अंदाजा सही निकले... लेट हाव क्रॉस फिंगर... एंड होप फॉर बेस्ट...
दास - यस सर....
तापस - दास.... वैसे कब तक हैंड ओवर होगा...
दास - सर... आज शाम तक या.... कल सुबह तक हो जाना चाहिए...
तापस - ओके... यु मे लिव नाउ... (कह कर बेल बजाता है, जगन भागते हुए आता है, और सैल्यूट करता है) जगन... जाओ विश्व को बुला कर लाओ...

जगन और दास दोनों बाहर चले जाते हैं l तापस के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिखने लगता है l वह अपने कैबिन में एक सिरे से दुसरे सिरे तक चलने लगता है l तभी विश्व आता है l

तापस - विश्व... आओ...
विश्व - जी कहिए... आपने बुलाया है...
तापस - जानते हो... कभी कभी जो हम बोते हैं... वही वक्त आने पर काटते हैं...
विश्व - जी यह बहुत दार्शनिक बात है... इस बात का मुझसे क्या सम्बंध....
तापस - रंगा शायद आज... जैल में आ रहा है...
विश्व - तो...
तापस - तो... तुम्हें फिक्र नहीं है...
विश्व - किस बात की फिक्र... क्यूँ की रंगा आ रहा है... इसलिये...
तापस - कमाल के आदमी हो तुम... जिससे बचने के लिए मारे फिर रहे थे... आज जब वही आ रहा है... तुम्हें कोई फिक्र ही नहीं है...बस इतना जान लो... वह सिर्फ़ तुम्हारे लिए आ रहा है... क्यूंकि वह यहाँ चौदह दिनों की रिमांड के नाम पर आ रहा है...
विश्व - अच्छा ऐसा भी होता है...
तापस - हाँ ऐसा होता है... मेरा मतलब है... ऐसा हो सकता है...
विश्व - तो आप मुझे यह क्यूँ बता रहे हैं....
तापस - ताकि यह चौदह दिन तुम रंगा से... थोड़ा सावधान रहो....
विश्व - और आप क्या करेंगे...
तापस - क्या मतलब है तुम्हारा...
विश्व - अगर आपको किसी अनहोनी का अंदेशा है... तो आप उसे कानूनन रोकने की कोशिश क्यूँ नहीं कर रहे हैं...
तापस - वह हम कोशिश करेंगे... पर तुमको भी हमारा साथ देना चाहिए... देखो विश्व... पिछली बार उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया था... पर मैंने नकार दिया था... अब वह कानून का सहारा लेकर... मेरा मतलब है कानून का आड़ लेकर आ रहा है... वह बार बार मौके की तलाश करेगा... बस तुम सावधान रहना...
विश्व - कितना बेबस है आपका कानून... सुपरिटेंडेंट सर.... अनहोनी का अंदेशा है... पर रोकने के लिए असमर्थ... जो गुनाह करने के लिए अंदर आने के लिए... कानून का सहारा ले रहा है... पर कानून मदत उससे मांग रहा है जो पीड़ित होने वाला है....

यह बात सुन कर तापस कुछ और सोच में खो जाता है l विश्व उसे किसी सोच में डूबा हुआ देखता है तो वह वहाँ से जाने लगता है तभी तापस को होश आता है l

तापस - हाँ विश्व.. कुछ कह रहे थे...
विश्व - यही... की.. मैं ध्यान रखूँगा... सावधान रहूँगा...
तापस - हाँ ठीक है जाओ....

विश्व चला जाता है l पर तापस फ़िर से अपनी सोच में खो जाता है l उसकी सोच तब टूटती है जब दास की आवाज उसके कानों में पड़ता है l तापस दास की ओर देखता है

तापस - हाँ दास... क्या कह रहे थे...
दास - सर आप कुछ सोच रहे थे... मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया...
तापस - अरे नहीं... कहो.. क्या हुआ...
दास - सर वह... रंगा को आज शाम को हैंड ओवर करने वाले हैं....
 

Rajnish4322

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👉उनचासवां अपडेट
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कुछ दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l प्रत्युष पीजी के लिए निरोग में ही एडमिशन ले चुका है पर उसके कहे ऐनास्थोलॉजी के वजाए मेडिसन में जॉइन हुआ l उधर जैल में विश्व की रुतबा दोबारा वही हो चुका है जो कभी रंगा को चीरा मारने के बाद हुआ करता था, आज विश्व को कोई छेड़ नहीं रहा है l सारे कैदी विश्व से दूरी बनाए रखे हुए हैं l सिर्फ यही चारों विश्व को खाने के समय मिलते हैं मगर सिर्फ कोई एक. ऐसा विश्व ने ही उन्हें कहा था l ताकि किसी को भनक तक ना लगे के यह लोग विश्व से मिले हुए हैं l इस तरह दिन बीतते जा रहे हैं l इस बीच प्रत्युष अपने किसी दोस्त की शादी अटेंड करने दिल्ली जा कर वापस आता है l प्रत्युष के दिल्ली से वापस आने के दो दिन बाद डायनिंग टेबल पर प्रतिभा और तापस

प्रतिभा - जब से प्रत्युष दिल्ली से लौटा है.... कुछ ज्यादा ही खोया खोया रहने लगा है...
तापस - हाँ जान... मैंने भी यही महसुस किया है... पर मैंने सोचा तुम्हें वजह मालुम होगी...
प्रतिभा - क्या... (बिदक कर) वजह मुझे कैसे पता होगा...
तापस - (थोड़ा डरने की ऐक्टिंग करते हुए) मैंने सोचा.... वह तुम्हारा बहुत करीब है... इसलिए तुमको बताया होगा....
प्रतिभा - अच्छा वह सिर्फ मेरे करीब है... आपसे बहुत दूर है... यही कहना चाहते हैं...
तापस - आरे... भाग्यवान गुस्सा क्यूँ कर रही हो...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) देखिए... जब बेटे के पैर में.... बाप का जुता आ जाती है...तब हमे उससे बेटे के वजाए दोस्ती का रिस्ता निभाना चाहिए... हमारा बेटा अपने ग़म में... सब से कटा कटा सा रहता है... ऐसे में हमारा फर्ज है कि हम उससे दोस्त बन कर सब डील करें...
तापस - तुम क्या कहना चाहती हो... हम अपने बेटे के दोस्त नहीं है...
प्रतिभा - हाँ... हैं... पर कुछ तो कमी है... कहीं ना कहीं... कमी है... वरना जब से पीजी जॉइन किया है... दिन व दिन वह हमसे कटता जा रहा है... ऐसा क्यूँ....

तापस को प्रतिभा के मन की पीड़ा समझमें आती है l वह अपना हाथ बढ़ा कर प्रतिभा की हाथ को पकड़ लेता है l

तापस - जान तुम चाहती हो तो मैं... प्रत्युष से बात करता हूँ... पर एक बात तो है... हमारा प्रत्युष थोड़ा कंफ्युज्ड है... उम्र के इस पड़ाव पर भी... देखो ना... हमसे डिस्कस किया ऐनास्थोलॉजी करेगा पर जॉइन हुआ किसमें... मेडिसन में...
प्रतिभा - (गुस्से से अपना हाथ छुड़ा लेती है) आप को तो बहाना चाहिए... मेरे बेटे की कमियां और खामियां गिनने के लिए...
तापस - हाँ यह तो सच कहा आपने...
प्रतिभा - (खड़ी हो जाती है) क्या वह सिर्फ़ मेरा बेटा है... आपका कुछ नहीं है...
तापस - ओ... अब समझ में आया... के वह मेरा भी बेटा है...
प्रतिभा - (अपने कमर पर हाथ रखकर) आप कहना क्या चाहते हैं...
तापस - अरे सीधे सीधे कहती... हमारे बेटे से पूछो क्या हुआ है... सिर्फ़ मेरा बेटा.. मेरा बच्चा...
प्रतिभा - गुस्सा हो गए आप...
तापस - नहीं... बिल्कुल भी नहीं... पर तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि वह... दिल्ली से आने के बाद ज्यादा ही खोया खोया रहने लगा है....
प्रतिभा - (फिर से बैठते हुए) पता नहीं... पर मुझे ऐसा महसूस हुआ है... जैसे वह अंदर से टूटा हुआ है... कहीं तानिया से कोई अनबन तो नहीं हुआ है... यह उम्र ही कुछ ऐसी है... (आवाज़ में दर्द) कहीं कुछ...
तापस - शुभ शुभ बोलो भाग्यवान... एक ही तो औलाद है...
प्रतिभा - इसलिए तो आपको कह रही हूँ... प्लीज... आप उससे दोस्त बन कर पूछिए... दिलासा दीजिए... प्लीज (कहते कहते प्रतिभा रो देती है)
तापस - (खड़ा हो जाता है, और प्रतिभा की सर को अपने सीने से लगा कर) जान वादा करता हूँ... उसके मन में क्या चल रहा है.... वह किस बात को लेकर परेशान है... सब पता करके बताता हूँ... एक काम करो आज छुट्टी ले लो... मैं दोपहर से रात लौटने तक लाट साहब के साथ रहूँगा... ठीक है...

यह सुनते ही प्रतिभा उसे कसकर पकड़ लेती है l तापस प्रतिभा की पीठ को थपथपा कर दिलासा देता है l उस दिन प्रत्युष मेडिकल चला जाता है l उसके जाने के बाद तापस भी फोन कर छुट्टी ले लेता है l फ़िर अपनी गाड़ी की डिकी में एक ट्रैकिंग के टेंट, दो फोल्डिंग चेयर, दो फिशिंग रॉड और कुछ युटेनशील लोड करता है l उसके बाद गाड़ी लेकर एक लीकर के दुकान में रुक कर टीन बीयर की पेटी खरीदता है l उसके बाद गाड़ी लेकर निरोग हस्पताल मे पहुंचता है l वहाँ पहुँच कर प्रत्युष को कॉल कर बाहर बुलाता है l प्रत्युष बाहर आकर तापस से पूछता है

प्रत्युष - क्या बात है डैड...
तापस - डैड के बच्चे... अंदर बैठ... मैं यहाँ तेरा किडनैप कर रहा हूँ....
प्रत्युष - डैड... मेरी क्लास है... कैसे...
तापस - वह सब मैं नहीं जानता... तू बस क्लास बंक कर और चल मेरे साथ...
प्रत्युष - क्या कह रहे हैं डैड... क्या एक बाप को अपने बेटे से ऐसा कहना शोभा देता है...
तापस - पुरे यूनिवर्स में... मैं यूनीक जो ठहरा... चल... बहस मत कर बैठ जा....
प्रत्युष - ओह.. गॉड...
तापस - तु... आकर बैठता है... या... मैं यहाँ पर हंगामा करूँ...
प्रत्युष - ओके ओके...( कह कर गाड़ी में बैठ जाता है)

फिर तापस अपनी गाड़ी मोड़ कर एनएच पर दौड़ाता है l गाड़ी में प्रत्युष हैरान हो कर तापस को देखने लगता है l तापस कोई गाना गुनगुना रहा है l प्रत्युष पहली बार अपने डैड को इतना जॉली मुड़ में देख रहा है l उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान छा जाती है l गाड़ी लगभग डेढ़ घंटे बाद एक नदी के किनारे पहुंचता है l

प्रत्युष - यह कौनसी जगह है....
तापस - इसे बिरुपा कहते हैं... यह महानदी की शाखा नदी है... हम आज यहाँ फिशिंग करेंगे... खाना बनाएंगे और फिर थोड़ा पियेंगे... अंत में शाम को वापस घर जाएंगे...
प्रत्युष - क्या... (हैरानी से आँखे बड़ी करते हुए) डैड... आपकी तबीयत तो ठीक है ना...
तापस - ठीक मतलब.... बढ़िया है.... चल आजा टेंट लगाने में मदद कर...

कहकर तापस गाड़ी से वह छोटा सा टेंट निकालता है l प्रत्युष भी अपने बाप की मदत करने लगता है l फ़िर गाड़ी से दो फोल्डिंग चेयर निकाल कर नदी किनारे लगाता है जहां पानी की थोड़ी गहराई थोड़ी ज्यादा होती है l फ़िर एक पैकेट आटा, सरसों की तेल का छोटा सा बोतल निकालता है और एक छोटा सा डिबिया हींग का निकाल कर तापस प्रत्युष को देता है l प्रत्युष को समझ में नहीं आता इन सब के साथ क्या करें l वह तापस को कंफ्युज्ड हो कर देखने लगता है l

तापस - ऐसे क्या देख रहा है... (एक छोटा सा प्लेट देते हुए) ले यह प्लेट ले... और इस में सिर्फ़ दो मुट्ठी आटा डाल... उसमें आधी बोतल सरसों की तेल डाल और इस डिबिया से आधा हींग निकाल कर एक साथ गुंथ कर एक गोला बना... चल जल्दी कर... तब तक मैं कुछ और काम कर लेता हूँ....

प्रत्युष कुछ सवाल नहीं करता, तापस के दिए इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते हुए आटे का गोला बना देता है l तब तक तापस गाड़ी से दो फ़िशिंग रॉड लेकर वहाँ पहुँच जाता है l फ़िर प्रत्युष से वह आटे की गोला लेकर जहां पर चेयर डाला था वहाँ पहुँच कर गोले से छोटे छोटे दाने बना कर पहले पानी में डाल ने लगता है l

प्रत्युष - डैड.... यह आप क्या कर रहे हैं...
तापस - मछलियों को चारा डाल रहा हूँ... उसके बाद शिकार...
प्रत्युष - पर मछलियों के लिए... कीड़ों को या फिर केंचुओं को चारा बनाया जाता है ना...
तापस - यह एक सीक्रेट है... जो बचपन में... हमें एक मछुआरे ने दी थी.. तब हम कटक में रहते थे... रोज काठजोड़ी में नहाने जाते थे.... वहीँ से यह सीक्रेट जाना था... बचपन में बहुत मछलियां पकड़ी है.... आज बुढ़ापे मे..वह एक्सपेरियंस तुझसे शेयर कर रहा हूँ....
प्रत्युष - अच्छा...
तापस - हाँ... यह आटे में घुला सरसों का तेल और हींग... मछलियों को अपने तरफ खिंचता है.... अब देख... यह यह देख... (प्रत्युष को दिखाते हुए) कितनी मछलियां आगई हैं... ला फ़िशिंग रॉड ला...

प्रत्युष एक फ़िशिंग रॉड तापस को देता है l तापस उसकी कांटे में वही गुंथा हुआ आटे की छोटी सी दाना बना कर पानी में डालता है l एक मिनट भी नहीं लगता तापस रॉड खिंचता है, प्रत्युष हैरान हो जाता है जब वह तापस के रॉड में एक बड़ी मछली को छटपटाते हुए लटकी हुई देखता है l प्रत्युष को जोश आ जाता है l वह भी तापस की तरह कांटे में गुंथे हुए आटे की दाना लगा कर कोशिश करता है पर उसके बंसी में मछली फंसती नहीं है उल्टा मछली उसके कांटे से दाना खा कर निकल जाती है l यह देखकर प्रत्युष बड़ा मायूस हो जाता है l उसे मायूस होता देख तापस प्रत्युष के साथ मिलकर मोर्चा संभालता है l फ़िर दोनों मिलकर बंसी खिंचते हैं l उसमें एक छोटी मछली फंसती है l प्रत्युष खुश तो होता है पर चूंकि उसका मछली तापस से छोटा था खुशी जाहिर नहीं करता l इस बार प्रत्युष को थोड़ा थोड़ा आइडिया आ जाता है l अब वह खुद अपने से कोशिश करता है l लगभग दस मिनट में और दो मछली पकड़ लेता है l उसके बाद फिरसे तापस दाने फेंकता है l फेंकने के फौरन बाद प्रत्युष अपनी बंसी से फ़िर से कोशिश करता है l इस बार की फंसी मछली ताकत से प्रत्युष की बंसी को खिंचता है l प्रत्युष चिल्लाता है तो तापस भी आकर बंसी को पकड़ लेता है l दोनों मिलकर जब बंसी को उपर उठाते हैं l तो दोनों के दोनों हैरान हो जाते हैं l क्यूँकी बहुत बड़ी मछली फंसी हुई थी और वह मछली इतनी जोर से छटपटा रही थी के दोनों बाप बेटे अपनी जगह से हील गए l जब मछली को खिंच कर किनारे की रेत में तापस पटक देता है, किसी छोटे बच्चे की तरह प्रत्युष ताली बजाते हुए कुदने लगता है l तापस उसकी खुशी और बच्चों वाली हरकत देख कर बहुत खुश होता है l फिर सारे मछलियों को काट कर साफ करते हुए तापस प्रत्युष को गाड़ी से अदरक और लहसून निकाल कर पत्थर पर कूटने को कहता है l आज प्रत्युष को जोश चढ़ा था इसलिए वह बिना देरी किए गाड़ी की ओर भागता है और वह अदरक लहसुन निकाल कर नदी के किनारे पर बड़े पत्थर पर कुट कुट कर पेस्ट करने लगता है l इतने मे सारी मछलीयों के छिलका उतार कर वही पेस्ट, नमक और हींग मिलाकर मेरीनेट कर देता है l फिर तापस गाड़ी के पास जा कर खुद गैस स्टोव, तेल और फ्राय पैन लता है फ़िर स्टोव जला कर पैन पर मछलियाँ तेल डाल कर फ्राय करने लगता है l सारी मछलियों को फ्राय कर देने के बाद टेंट के पास प्रत्युष को मछली ले जाने को और चेयर डालने को कहता है l प्रत्युष फौरन अपने बाप की कही बात को अमल करता है l इतने में तापस जाकर गाड़ी से बियर टीन के पैकेट उठा लाता है l

प्रत्युष - (हैरानी से) डैड... आप इतने सारे बियर पियेंगे....
डैड - मैं नहीं... हम बियर पियेंगे और चीयर करेंगे...
प्रत्युष - व्हाट... ओह... माय... गॉड.... डैड... आ... आआआ.. आप पियेंगे...
डैड - डैड के ढक्कन... मैं नहीं हम दोनों...
प्रत्युष - न.. नन.. नहीं.. म्म्म्म.. मैं.. नहीं... मुझे माँ के हाथों से नहीं पीटना....
तापस - मतलब अगर तेरी माँ तुझे नहीं मारेगी... उस कंडीशन में पियेगा... क्यूँ...
प्रत्युष - हाँ... नहीं नहीं... मैंने ऐसा कब कहा... म्म्म्म.. मैं शराब नहीं पिता...
तापस - तो मैं भी कौनसा पियक्कड़ हूँ... मुझे भी रात को घर में सोना है... इसलिए आज दिन में पियेंगे... शाम तक नशा उतर जाएगी....
प्रत्युष - डैड.... यह आप ठीक नहीं कर रहे हैं... मैं नहीं पीयुंगा...
तापस - ऑए... बहुत हो गया... हाँ... तुझे क्या लगता है.... मैं नहीं जानता तु अपने दोस्तों के साथ कौनसी ब्रांड पिता है... चल ज्यादा नखरे मत दिखा... (कह कर टीन की ढक्कन खोल कर देते हुए) यह ले... किंगफिशर... हा हा हा...
प्रत्युष - नहीं नहीं... मैं माँ को बोल दूँगा... प्लीज नहीं....
तापस - हाँ हाँ बोल देना... पहले यह... टीन खतम कर... फिर बिंदास बोल देना...
प्रत्युष - देखिए डैड... (हाथ में लेते हुए) आप जबरदस्ती कर रहे हैं... इसलिए...
तापस - हाँ जरूर...

प्रत्युष अपनी शर्ट की कलर से मुहँ छुपाते हुए पीछे मुड़ कर एक ही सांस में पी लेता है l जब उसकी टीन खतम हो जाती है

तापस - वाह बेटा... तु तो नहीं पीता था... फ़िर कैसे एक घूंट में हाँ... कैसे... (प्रत्युष अपना मुहँ चुराने लगता है) कोई नहीं... आज तेरा दिन है... चल मिलके यह पेटी खाली करते हैं....

फिर संकोच के साथ प्रत्युष मछली चखना और बियर दोनों खतम करने लगता है l जब प्रत्युष को थोड़ा नशा होने लगता है तब

तापस - कैसा लग रहा है बेटा...
प्रत्युष - ओह डैड... आई लव यु... आई लव यु... उम्म आ... लव यु...
तापस - गुड... वेरी गुड... तो अब कुछ पूछूं...
प्रत्युष - क्या... क्या डैड... पूछिये ना...
तापस - हूँ.... तो बताओ... बेटा... तु... दिल्ली गया क्यूँ था और... वहाँ हुआ क्या था... जो तुझे हमसे दूर कर दिआ है....

यह सुनते ही प्रत्युष के चेहरे से हँसी गायब हो जाती है l वह बहुत गंभीर हो जाता है l उसके होंठ सील जाते हैं और आँखें छलक पड़ते हैं l तापस उसकी हालत देख कर उसके पास जाकर बैठता है और प्रत्युष के कंधे पर अपना हाथ रखकर अपनी तरफ घुमाता है l प्रत्युष उसे देखते ही आँखे छलकाने लगता है और तापस के गले लग जाता है, और जोर से जकड़ कर रोने लगता है l तापस उसकी पीठ को थप थपा कर दिलासा देता रहा l धीरे धीरे प्रत्युष का रोना सिसकियों में बदल जाता है l

तापस - मेरा बहादुर डॉक्टर बेटा... ऐसे नहीं रोते... बोल बेटा तुझे क्या हुआ है...
प्रत्युष - (अपनी सिसकियों को कंट्रोल करते हुए) ड.. डैड... आ.. आपने कैसे जाना... मैं अंदर से टुटा हुआ हूँ....
तापस - मैं नहीं... तेरी माँ की जान बसती है... तुझमें... उसीको अंदाजा हो गया... तु... अंदर से टुटा हुआ है....
प्रत्युष - माँ....
तापस - हाँ... बेटे... तुम्हारी माँ... वह मेरी जीने का सहारा है... और तेरी जिंदगी की अहम हिस्सा है... पर हम दोनों उसकी जिंदगी हैं...
प्रत्युष - (चुप रहता है)
तापस - बेटा... तेरी हँसने से हमारी दुनिया हँसती है... हमारे प्यार की... हमारे विश्वास की... तु निशानी है... पहली बार जिंदगी में... तेरी माँ को... तेरे लिए यूँ टूटते देखा है.... बेटा... मर्द सिर्फ़ शरीर से मजबुत होता है... पर औरत की सहनशीलता और बर्दाश्त करने की ताकत के आगे मर्द कहीं भी नहीं ठहरता... वही जब औरत टूटती है... तो.... बहुत मुस्किल होता है यार... आज इसलिये तेरी माँ के खातिर बता... क्या हुआ... क्या तुझे खाए जा रहा है... (प्रत्युष फिरभी चुप रहता है तो तापस उसे हिलाता है)
प्रत्युष - (तापस के हिलाने से वह जागता है, और एक गहरी सांस ले कर) डैड... मेडिकल में गोल्ड मेडल मिलने के बाद... मुझे हमारे एमडी की बात... माननी नहीं चाहिए थी... अब उनकी बात अग्रि कर के... मैंने अपने ही गले में नाग सांप की कुंडली को... फांस बना कर डाल लिया है...
तापस - व्हाट.. य... यह क... क्या कह रहा है...
प्रत्युष - जी डैड... मैं सच कह रहा हूँ... यश वर्धन चेट्टी... एक यूथ आइकन नहीं... एक राक्षस है... एक दरिंदा है... उसकी मेडिकल और फार्मास्युटिकल दोनों ही नोट छापने की मशीन हैं...
तापस - यह...(बहुत ही सहजता से) तुझे कब मालुम हुआ...
प्रत्युष - आप सरप्राइज नहीं हुए... मतलब... यश वर्धन के बारे में... आपको पहले से ही अंदाजा है....
तापस - हाँ था... पर भूल गया था.... पर यह बताओ... तुम्हें ऐसा क्या पता चला जो... तुम्हारा हीरो रातों रात विलेन बन गया...
प्रत्युष - डैड... यश वर्धन की काली करतूत मेरे सामने आ गया है...
तापस - कैसे.... और कौनसी काली करतूत...
प्रत्युष - डैड... जब यश वर्धन ने ऑफर दिया... की हाउस सर्जन के साथ साथ पीजी का... सैलरी और स्टाइपेंड दोनों... एक अग्रिमेंट साइन किया.... अगर बीच में पीजी और जॉब छोड़ने की नौबत आए... तो बदले में पांच करोड़ देने होंगे... तब मैंने इस अग्रिमेंट की महत्व को समझ में नहीं आया... पर अब समझ में आ रहा है... क्यूंकि उसके पास मेरे सारे सर्टिफिकेट जमा है...
तापस - ठीक है... हुआ क्या है... यह बताओ...
प्रत्युष - मेरे जॉइन करने के बाद.... ओपीडी में मैंने एक आदमी को बहुत बार देखा.... मैं उस आदमी को पिछले पांच सालों से जानता था... वह बराबर मेडिकल आता था और दवा ले जाता था... ओपीडी से हमेशा वह न्यूरो विटामिन लेता था... मुझे ताजूब हुआ... की वह पांच सालों से लगातार वह दवा ले रहा है... वह भी न्यूरो विटामिन... उसके बावजुद उसकी हेल्थ में कोई... इंप्रुवमेंट नहीं दिखा... तो मैंने उससे बात की... तो पता चला... की वह... उस विटामिन के लिए... एक तरह से एडिक्टेड है... उसके हाथ पैर कांपने लगते हैं... जब वह विटामिन की वह गोलियाँ नहीं खाता.... अब मुझे शक़ होने लगा...
क्यूंकि साधारण लोगों तक जेनेरिक दवा पहुंचे... इसलिए सरकार की स्टैंड का जबरदस्त समर्थन करने वाला.... अपने फार्मास्युटिकल कंपनी में सबसे सस्ता दवाई बना कर लोगों की सेवा करने का दम भरने वाला.... उसके दवाओं में उल्टा असर क्यूँ हो रहा है.... मैंने अपने विश्वस्त कुछ स्टूडेंट्स की एक टीम बनाई... ऐसे मरीजों की लिस्ट बनाई जो पांच सालों से तरह तरह के दवा... रेगुलर बेसीस पर ले रहे थे... उन सभी दवाओं के सैंपल मैंने उनके जरिए कलेक्ट किया और उन्हें ले कर दिल्ली गया था... वहाँ के लैब पर उन दवाओं की केमिकल एनालिसिस करवाया... तो मुझे उनमें प्रतिबंधित स्टेरॉयड और ड्रग्स के अंश मिले....
तापस - क्या...
प्रत्युष - हाँ डैड...
तापस - ओ...
प्रत्युष - मैंने और भी पता लगा लिया है... वह अपनी फार्मास्युटिकल कंपनी के आड़ में... बैनड ड्रग्स की स्मगलिंग भी कर रहा है...
तापस - ओह... यह तो बहुत ही खतरनाक बात है...
प्रत्युष - वही तो... मेरे पास सबूत हो कर भी कोई फायदा नहीं हुआ...
तापस - क्यूँ.. सबूत है... तो ठीक है ना... हमारे पास वह रिपोर्ट तो है ना.... .... हम उस रिपोर्ट के आधार पर... उससे तुम्हारा कंट्राक्ट कैंसिल करवा सकते हैं...
प्रत्युष - नहीं डैड... हम कुछ नहीं कर सकते हैं.... मैंने वह सारे सैंपल... प्राइवेट लैब में चेक कराए... क्यूंकि मैं जब दिल्ली में पहुंचा... तब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यश की एक नई दवा को मंजूरी दी... मैंने प्राइवेट लैब में... उसी दवा का भी परीक्षण किया... रिजल्ट वही निकला... इससे साफ़ हो गया... उसकी पहुंच कहाँ कहाँ तक किस लेवल पर है... मत भूलिए डैड... वह एक कैबिनेट मिनिस्टर का बेटा है.... वह भी स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर का... उसे खरोंच भी आया तो... शासन व प्रशासन दोनों उसके लिए खड़े हो जाएंगे....
तापस - तो.. फ़िर तु... चुप चाप अपना पीजी खतम कर और... निकल तु उस हस्पताल से....
प्रत्युष - यही तो परेशानी है... डैड... ओपीडी में मुझे वही दवा लिखने होंगे जिनमे... प्रतिबंधित स्टेरॉयड और ड्रग्स मिले हैं... मरीज़ उसकी आदि हो कर.... मरने तक खरीदता रहेगा और... यश का जेब भरता रहेगा... आप नहीं जानते डैड... यश के फैक्ट्री का नाम संजीवनी पुरस्कार के लिए रिकमेंड किया जाने वाला है... उसकी फैक्ट्री का जेनेरिक मेडिसन की दुनिया में अवदान को देख कर.... यह अवार्ड दिया जाएगा.... अब मैं एक डॉक्टर हूँ.... पर दवा के जगह जहर कैसे लिख कर दूँ.... इसलिए मैं घुट रहा हूँ.... कभी कभी लगता है... मैं खुदको कुछ कर ना लूँ....
तापस - चुप.... शुभ शुभ बोल... ह्म्म... वाकई बहुत बड़ी मुसीबत में है तु... एक काम करते हैं... तेरी माँ से बात करते हैं....
प्रत्युष - माँ... नहीं नहीं... मैं माँ का दिल दुखाना नहीं चाहता...
तापस - देख... कल को कुछ उल्टा सीधा हो गया तो... तेरी माँ के सामने गुनहगार हो कर मैं खड़ा नहीं होना चाहता... और तु भी...
प्रत्युष - (एक गहरी सांस ले कर) ठीक है डैड... आप जैसा ठीक समझें..
तापस - तो चल... सब कुछ समेटते हैं... और तेरी माँ के पास चलते हैं...

दोनों सारे पैन साफ करते हैं और सभी सामान समेट कर गाड़ी में रखते हैं l उसके बाद तापस गाड़ी चला कर भुवनेश्वर अपने क्वार्टर में पहुंचता है l अपने बेटे के कंधे पर हाथ रखकर प्रतिभा के सामने खड़ा हो जाता है l फ़िर प्रत्युष को हाथ मुहँ साफ कर आने के लिए इशारा करता है l उसके जाते ही तापस प्रतिभा को सब बता देता है l प्रतिभा सब सुन कर धप करते हुए अपनी जगह बैठ जाती है l

प्रतिभा - पांच करोड़... कहाँ से लाएंगे... यश ऐसा निकलेगा... यह कोई कैसे सोच सकता है...
तापस - मैंने तुमसे और एक बात छुपाई है... ना छुपाई नहीं है... असल में मेरे दिमाग से यह बात निकल गया था...
प्रतिभा - (हैरान हो कर) कौनसी बात....

तापस प्रतिभा को विश्व के नाम वैदेही की उस चिट्ठी का जिक्र करता है जिसमें यश के हाथों जयंत की हत्या का जिक्र था l प्रतिभा यह जान कर शुन हो जाती है l उसके हाथ कांपने लगते हैं l तापस पास जाकर उसके हाथ थाम लेता है l

तापस - जान.. यह मैंने जान बुझ कर नहीं छुपाया है... मैं सच कह रहा हूँ... मेरे दिमाग से यह बात पुरी तरह से गुम गया था... अब हमारा बेटा फंसा हुआ है... हमे उसे बाहर निकालना है...

प्रतिभा की जबड़े भींच जाती हैं l वह अपने आप को दुरुस्त करती है l फ़िर कुछ निश्चय करते हुए अपना सर हिलाती है l

प्रतिभा - सेनापति जी... यश के चंगुल से बचने के लिए... एक बात की जा सकती है...
तापस - क्या....
प्रतिभा - पहले प्रत्युष को आने दीजिए... (आवाज़ देती है) प्रत्युष.... ओ प्रत्युष
प्रत्युष - (कमरे में आते है) जी माँ...
प्रतिभा - कुछ रेगुलर पेशेंट की लिस्ट बना... वह जो दवा ले रहे हैं... उसकी भी लिस्ट बना कब से ले रहे हैं.... और वह प्रेशक्रीप्शन तु जब उनके लिए लिखेगा... उनसे कंज्यूमर द्वारा केमिकल लैब टेस्ट की फर्म भी भरवा लेना.... हम तीन जगहों पर चेक करवाएंगे... कोलकाता, हैदराबाद और पुणे में... उन सबकी रिपोर्ट के दम पर... यश को झुकाएंगे... और जरूरत हुई तो... इस बात को लेकर... यश की फार्मास्यूटिकल्स कंपनी बंद करवाने की कोशिश करेंगे...
तापस -(हैरान व परेशान हो कर) भाग्यवान... क्या हम यह कर पाएंगे...
प्रतिभा - हाँ.. हम कर पाएंगे.... अब.... अब हर रोज मैं जाऊँगी... प्रत्युष को मेडिकल छोड़ने और लाने.... आप जब प्रत्युष उन पेशेंट्स से फॉर्म भरवा लेगा और सैंपल कलेक्ट कर लेगा... आप जाएंगे.... चेक कराने.... जब रिपोर्ट आ जाएगा... तब मैं यश को उसी के जाल में लपेट लुंगी...
प्रत्युष - पर माँ उन पेशेंट्स पर अगर कोई मुसीबत आई तो....
प्रतिभा - अरे यहाँ सारी इंसानियत को खतरा है.... और तु... कुछ पेशेंट्स को लेकर परेशान है... उससे भी ज्यादा... तु... यश के चंगुल में फंसा हुआ है.... बस तुझे वहाँ से निकालना है...
तापस - भाग्यवान.... क्या हम और रास्ते पर विचार करें....
प्रतिभा - सेनापति जी.... सिर्फ़ दो ही रास्ते बचे हुए हैं... या तो समर्पण... या फिर रण... अपनी विवेक के विरुद्ध प्रत्युष दूसरों को जहर नहीं दे सकता है... और चार साल तक घुट घुट कर नहीं रह सकता है.... इसलिये कोई समर्पण नहीं... सिर्फ रण...
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कुछ दिनों के बाद
सेंट्रल जैल
अब सिर्फ़ जीलू और मिलू दोनों जैल में हैं l सीलु और टीलु पर चल रहे केस फॉलस् हो गया इसलिए अब वे दोनों बाहर हैं l
एक रात डायनिंग हॉल में
डिनर के टेबल पर विश्व के साथ जीलू बैठ कर खाना खा रहा है l

जीलू - (वगैर विश्व के तरफ देखे) भाई एक खबर है...
विश्व - ह्म्म्म्म... (विश्व भी जीलू के तरफ बिना देखे) कहो...
जीलू - सीलु ने आपको आगाह करने के लिए कहा है...
विश्व - बात को लंबा मत खिंचो... मुद्दे पर आओ...
जीलू - परसों पटीया पुलिस स्टेशन से सीलु के लिए खबर आया था... ऑफिसर इनचार्ज.... सीलु से मिलना चाहता था... इसलिए सीलु ओर टीलु दोनों मिलने गए थे...
विश्व - ह्म्म्म्म... आगे...
जीलू - ऑफिसर इनचार्ज... सीलु को तैयार रहने को बोला... हो सकता है... अगले हफ्ते सीलु यहाँ हो...
विश्व - (अब जीलू की ओर देखते हुए) तुम कहना क्या चाहते हो... तब से बेवजह बात को घुमा फिरा कर खिंच रहे हो...
जीलू - (बेशर्मों की तरह हंसते हुए) सॉरी भाई... तुम मेरे तरफ देख नहीं रहे हो... सोचा तुमको थोड़ा सिरीयस कर दूँ...
विश्व - हाँ बोलो... अब मैं सिरीयस हूँ...
जीलू - हाँ नहीं तो.... बात ही इतनी सिरीयस है... इसलिये आपको सिरीयस होना ही पड़ेगा...
विश्व - अब बोलोगे भी...
जीलू - हाँ बोलता हूँ ना... तो इनचार्ज से सीलु और टीलु मिलने पहुंचे... तो वहाँ पर रंगा का वकील... पहले से ही बैठ कर... थाने के इनचार्ज से बातेँ कर रहा था....
विश्व - हाँ तो...
जीलू - भाई... रंगा अभी यहाँ आने की तैयारी कर रहा है....
विश्व - अच्छा...
जीलू - हाँ भाई... और इसबार वह अकेला नहीं आ रहा है.... अपने साथ चार चार हाती, सांढ भालू और गेंडा भी ला रहा है...
विश्व - मतलब....
जीलू - ओह ओ... भाई समझा करो... वह अपने साथ चार चार हट्टे कट्टे लंबे-चौड़े तगड़े मुस्टंडे ला रहा है... तुमसे बदला लेने....
विश्व - ह्म्म्म्म अच्छी बात है...
जीलू - क्या अच्छी बात है... तुम जानते नहीं भाई... इन बीते दो सालों में... रंगा खुद को एक सांढ जैसा बनाया है... वह वकील... उस इनचार्ज से कह रहा था... रंगा इसबार विश्व को मसल कर रख देगा...
विश्व - तो ठीक है... वह वही करने आ रहा है... जो उसे करना चाहिए... और वापस कंधे पर जाने के लिए... साथ में गिन गिन कर चार लोगों को भी ला रहा है...
जीलू - भाई जो भी हो... तुम्हें सावधान रहना होगा उनसे... जब तुम आए थे... तब वह लोग छुप छुप कर उकसा रहे थे... पर अब आर या पार का इरादा लेकर आ रहा है... वह सबके सामने उकसाने से भी नहीं चुकेगा...
विश्व - ठीक है... जो भी होगा... देखा जाएगा....
जीलू - क्या भाई... इतना हलके में क्यूँ ले रहे हो...
विश्व - अब कि बार... रंगा मुझे छेड़ेगा, उकसायेगा, मार भी सकता है... पर तब... जब मैं चाहूँगा... वहाँ... जहां मैं चाहूँगा... पर उसका अंजाम वह होगा... जो मैं तय करूंगा....

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आधी रात को तापस अपने बिस्तर पर करवट बदल कर जब बगल में प्रतिभा को नहीं पाता है तो झट से उठ कर बिस्तर पर बैठ जाता है l प्रतिभा उसको बाल्कनी में छत को घूरते हुए दिखती है l तापस उसके पास आकर खड़ा होता है l प्रतिभा को एहसास हो जाता है कि तापस उसके पास खड़ा है l वह तापस की ओर बिना देखे

प्रतिभा - सेनापति जी.... क्या मैंने सही किया...
तापस - जान... तुमने जो भी किया सब सही किया है... सोच समझ कर किया है... हमारा बेटा अंधेरे में भटक रहा था... तुमने उसे रौशनी दिखाई है... कुछ देर के लिए ही सही... वह अब हमारा बेटा लग रहा है...
प्रतिभा - थैंक्स सेनापति जी... आप मुझे समझते हैं....
तापस - जान... मैं और तुम ना अलग हैं... ना जुदा हैं... हम पति पत्नी हैं... साथी हैं... एक दूसरे के पूरक हैं...
प्रतिभा - फिर भी मुझे डर लग रहा है...
तापस - जान डरा हुआ तो मैं भी हूँ... पर तुमने कम से कम प्रत्युष को... फ्रस्ट्रेशन से... डिप्रेशन से निकाला है.... तुम नहीं जानती... वह मुझे खुद को कुछ कर लेने की बात कह रहा था... अटलीस्ट तुमने उसे टार्गेट दिया है... वह कुछ करे या ना करे... मगर हम उसे भँवर से निकलेंगे... जरूर निकलेंगे....
प्रतिभा - (थोड़ी राहत की साँस लेते हुए) आप ने कुछ पता किया है...
तापस - हाँ... और तुमने...
प्रतिभा - हाँ मैंने भी थोड़ा बहुत खबर... निकलने की कोशिश की है...
तापस - तो तुमने... डिनर पर बताया क्यूँ नहीं...
प्रतिभा - मैं... प्रत्युष के दिमाग पर बोझ नहीं डालना चाहती थी...
तापस - हम यूहीं फार्म पर या किसी दुकान पर रैड नहीं करा सकते हैं... यहाँ तक हस्पताल में भी नहीं...
प्रतिभा - क्यूँ... काउन्टर फैट ड्रग के विरुद्ध... सीएफएसआई एक्शन क्यूँ ले नहीं सकती...
तापस - तुम अब माँ बन कर सोच रही हो... वकील बन कर सोचो... वह भी क्रिमिनल वकील की तरह...
प्रतिभा - क्या मतलब...
तापस - खुदको तुम क्यूँ इतना असहाय बना रही हो... हमने जिसके खिलाफ मोर्चा खोला है... एक वेल ऑर्गनाइज्ड तरीके से क्राइम करता है.... हर क्राइम के परफेक्शन के लिए बैकअप भी रखता है....
प्रतिभा - (एक फीकी सी मुस्कान मुस्कराते हुए) लगता है... आपने अपनी तरीके से खूब रिसर्च किया है...
तापस - हाँ... कह सकती हो... असल में.. हम बाप बेटे मिलकर... हर पहलू पर गौर किया है...
प्रतिभा - तो क्या हम कामयाब होंगे....
तापस - जान... कोशिश कर रहे हैं... वैसे तुमने क्या किया है...
प्रतिभा - यही की... यश अपना काला बिजनैस कटक से समेट रहा है... और यशपुर शिफ्ट कर रहा है....
तापस - तुम्हें कैसे पता...
प्रतिभा - आपने न्यूज में सुना या देखा होगा... दो साल पहले ही... निरोग हस्पताल की चेन को... यशपुर एक्शटेंड कर रहा है... उसकी सारी फर्मालीटी अब हाल ही में पूरी हुई है... साथ ही साथ... फार्मास्यूटिकल्स की ब्रांच भी राजगड़ ले जाने की कोशिश में है...
तापस - ओ... राजगड़ मतलब... कानून और प्रशासन की पहुंच से दूर...
प्रतिभा - हाँ....
तापस - तब तो खेल बहुत पेचीदा हो जाएगा...
प्रतिभा - इसलिए मैं... रैड की बात कह रही थी...
तापस - मैंने भी देख लिया है... वह हर तरह की... वोर्स्ट सिचुएशन के लिए... तैयार है...
उसके फार्म में... दो तरह की दवाई बनती हैं... एक इंडियन मेडिकल स्टैंडर्ड पर... और एक उसके अपने मतलब के स्टैंडर्ड पर... वह अपनी दवाएं... बड़ी चालाकी से खपा रहा है.... हमे बहुत ही पुख्ता सबूत चाहिए... यश वर्धन जैसे हस्ती को सरे आम नंगा करने के लिए....
प्रतिभा - हाँ... यह आपने सही कहा...
तापस - अब तक उसे पता भी नहीं है... की हम उसके पीछे लगे हुए हैं...
प्रतिभा - यही डर मुझे सोने नहीं दे रही है... जो क्षेत्रपाल के लिए... जयंत सर की मौत को... एक दुखद हादसा बना दिया... वह अपने लिए क्या कर जाएगा... (तापस चुप रहता है) जब उसे पता चलेगा... उसकी सल्तनत की नींव को कोई खरोंच रहा है... क्या करेगा वह... (तापस की ओर देखती है, तापस अब आसमान की ओर देख रहा है) सेनापति जी... हम आग से... तेजाब से खेल रहे हैं... हैं ना...
तापस - जान... अब हम पीछे नहीं हट सकते... सवाल बेटे का है... प्रत्युष अपने आपसे लड़ रहा है.... तुमने उसकी लड़ाई को डाइवर्ट किया है.... अब उस लड़ाई में... हमे उसका साथ देना है... चाहे कुछ भी हो... अंजाम हम तीनों भुगतेंगे... उसके लिए खुद को तैयार करना होगा....

_____×_____×_____×_____×_____×_____×


अगली सुबह
नाश्ते के टेबल पर
सब चुपचाप अपने नाश्ते में लगे हुए हैं l

प्रतिभा - अच्छा प्रत्युष... तुमने कितने पेशेंट से... लैब टेस्ट के लिए फर्म भरवाया है...
प्रत्युष - सिर्फ़ एक ही अंकल से भरवाया है...
प्रतिभा - क्या... (हैरानी से) पर तो मैंने तुझसे... एक से ज्यादा कहा था....
प्रत्युष - हाँ पर... मैं किसी को अंधेरे में रख कर और उनके कंधे पर बंदूक रख कर... लड़ना नहीं चाहता...
प्रतिभा - तो इस अंकल को तैयार कैसे किया...
प्रत्युष - वह एक एक्ससर्विस मेन हैं... मैं उन्हें पांच सालों से जनता हूँ... इसलिए... मैंने उनसे बात कर सब समझा दिया... तो वह सारे प्रेसक्रीप्शन मेरे हवाले कर दिया है... और तीनों लैब के फॉर्म में साइन कर दिया है... और मैंने उनके लिए दी जाने वाली दवाओं के सैंपल को... भेज भी दिया है...
तापस - इस मिशन में... तु अकेला है... या कोई और भी है... साथ में...
प्रत्युष - हाँ हैं तो... पर उनके बारे में... किसी से भी... कुछ भी रिवील नहीं करूंगा.... आप से भी नहीं...
तापस - क्यूँ...
प्रत्युष - माँ... डैड... सॉरी पर... कल रात... मैंने आप दोनों की सारी बातेँ सुन ली थी...

दोनों हैरान हो कर प्रत्युष को देखने लगते हैं l पर प्रत्युष बिना किसी रिएक्शन के अपना नाश्ता कर रहा है l तापस और प्रतिभा दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं l

प्रत्युष - कल मैं आपके कमरे के पास से गुज़रा.... तो पाया दरवाज़ा खुला था... अंदर झांका तो आप दोनों बाल्कनी में थे... तब पीछे रह कर मैंने सारी बात सुन लिया था... मैं डैड की इस बात से सहमत हूँ... अंजाम जो भी हो... हम तीनों उसे भुगतेंगे...

प्रत्युष की यह बात दोनों पर बम की तरह गिरा l दोनों की मुहँ खुला रह गया l

प्रत्युष - माँ... आग हो या तेजाब... कमर कस ली है... मैं एक डॉक्टर हूँ.. जिंदगी बांट सकता हूँ... जहर तो हरगिज नहीं... मैंने गलत इंसान को अपना आइडल माना... अब लड़ाई उसके मुखौटे को नोच कर उतार फेंकने की है... माँ थैंक्स... आपने मुझे एक मोटीव दिया है... और डैड थैंक्स... आपने मुझे जिंदगी का फलसफा समझाया... अब मुझे माँ की दी हुई लक्ष को साधना है... बस...

इतना कह कर प्रत्युष वहाँ से उठ कर चला जाता है l पीछे टेबल पर तापस और प्रतिभा शॉक से उबरने की कोशिश करते हैं l

प्रतिभा - ये... यह क्या... कह रहा था... प्रत्युष
तापस - चाहे कुछ भी कहा है... उसे अकेला नहीं छोड़ना है...

प्रतिभा जल्दी से अपना नाश्ता खतम करती है और तैयार हो कर गाड़ी निकालती है l प्रत्युष आकर गाड़ी में बैठ जाता है l दोनों निकल जाते हैं l तापस भी तैयार हो कर जैल की तरफ चला जाता है l प्रतिभा प्रत्युष को लेकर पहले लिंगराज मंदिर में जाति है l वहाँ पहुँच कर पूजा की सामान लेकर अंदर जाती है l वह पुजारी से अपना पुजा कराने के बाद प्रत्युष को लेकर जल्दी मंदिर से जाने लगती है l प्रतिभा इतनी जल्दी में होती है कि उसे किसीका ध्यान ही नहीं रहता l जल्दी जल्दी में वह किसीसे टकरा जाती है, प्रतिभा की सामान गिरने को होती है कि वह औरत थाम लेती है l

औरत - संभलकर...(प्रतिभा को देख कर) आरे... वकील मासी जी... आप..
प्रतिभा - (उस औरत को देखती है) आप ...(हैरानी से) जानी-पहचानी लग रही हैं... पर याद नहीं आ रहा है...
औरत - जी कोई बात नहीं.... मैं वैदेही...
प्रतिभा - व... वैदेही... (प्रतिभा याद करने की कोशिश करते हुए) ना... नहीं... मुझे...
वैदेही - कोई बात नहीं... आपको जयंत सर याद हैं ना... वह जिसके केस लड़ते हुए चल बसे... मैं उसकी बहन हूँ....
प्रतिभा - ओ... ठी... ठीक है... कैसी हो... और यहाँ... तुम...
वैदेही - आज मैं अपने भाई से मिलने आई थी... मिलने से पहले... भगवान लिंगराज की दर्शन करने आई हूँ...
प्रतिभा - ओह... अच्छा... ठीक है... जाओ दर्शन कर लो... मैं चलती हूँ... हो सका तो बाद में मिलते हैं...
वैदेही - जी अच्छा....

वैदेही मंदिर के भीतर चली जाती है l प्रतिभा भी जल्दी जल्दी बाहर निकल जाती है l बाहर गाड़ी के पास पहुंच कर पीछे मुड़ कर देखती है, वैदेही को जाते हुए l फिर कार में बैठ कर प्रत्युष और वह, वहाँ से निकल जाते हैं l उधर तापस ऑफिस पहुँचता है तो देखता है उसके कैबिन में दास इंतजार कर रहा है l

तापस - क्या बात है दास... कोई इमर्जेंसी है क्या... मेरे कैबिन में.. मेरा ही इंतजार कर रहे हो...
दास - सर... एक खबर है... कितनी इमर्जेंसी है... यह आप निर्णय कीजिए...
तापस - अच्छा... लगता है.. बीपी बढ़ाने वाली खबर है...
दास - जी सर...
तापस - ठीक है.. बताओ क्या खबर है...
दास - सर आज ही खबर आई है... रंगा और उसके चार साथियों को... पुलिस ने फरदर इंट्रोगेशन के लिए... अपनी कस्टडी में डिमांड किया है... और अदालत ने... चौदह दिनों की हिरासत में लेने के लिए... पुलिस को परमीशन दी है.... इसलिए शायद कल उन पांचो को यहाँ लाकर पुलिस हैंड ओवर करेगी...
तापस - व्हाट द हैल इज़ गोइंग ऑन दास...
दास - अब इसमें हम क्या कर सकते हैं... रंगा अपना हिसाब चुकाने आ रहा है... सिर्फ़ चौदह दिनों में अपना काम तमाम करने...
तापस - ओह गॉड... विश्व को उनसे दुर रखना पड़ेगा... वरना... (अपना हाथ टेबल पर मारते हुए) दास गिव मी सम आइडिया... रंगा... खुन खराबा के उदेश्य से आ रहा है.... पिछली बार जब वह हस्पताल में था... मैंने उसके आंखों में बदले की आग देखा था... वह उसके लिए... किसी भी हद तक जाएगा...
दास - सर अगर आप बुरा ना माने तो...
तापस - हाँ हाँ... कहो...
दास - मेरे हिसाब से... हमे इस मैटर को इतना भी... सिरीयसली लेना नहीं चाहिए....
तापस - क्या... आर यु गॉन मैड... तुम जानते भी हो क्या कह रहे हो...
दास - सर अगर मेरा अंदाजा सही है... तो... जो आप नहीं जान पा रहे हैं... और रंगा नहीं जानता... वह होने वाला है....
तापस - पहेलियाँ ना बुझाओ... दास खुलकर कहो क्या कहना चाहते हो...
दास - सर... मैं यह कह रहा हूँ... जो हो रहा है... उसे होने देते हैं... हम नजर रखेंगे... कुछ गलत होने लगा तो... रंगा का एनकाउंटर कर देंगे... हमारे पास सीसीटीवी है... पहले ऑब्जर्व करते हैं... फ़िर कुछ करते हैं... वह चौदह दिनों के लिए... आ रहा है... हो सकता है... अपने ऊपर वह और चार्जर्स ना ले...
तापस - मैं दुआ करूंगा... तुम्हारा अंदाजा सही निकले... लेट हाव क्रॉस फिंगर... एंड होप फॉर बेस्ट...
दास - यस सर....
तापस - दास.... वैसे कब तक हैंड ओवर होगा...
दास - सर... आज शाम तक या.... कल सुबह तक हो जाना चाहिए...
तापस - ओके... यु मे लिव नाउ... (कह कर बेल बजाता है, जगन भागते हुए आता है, और सैल्यूट करता है) जगन... जाओ विश्व को बुला कर लाओ...

जगन और दास दोनों बाहर चले जाते हैं l तापस के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिखने लगता है l वह अपने कैबिन में एक सिरे से दुसरे सिरे तक चलने लगता है l तभी विश्व आता है l

तापस - विश्व... आओ...
विश्व - जी कहिए... आपने बुलाया है...
तापस - जानते हो... कभी कभी जो हम बोते हैं... वही वक्त आने पर काटते हैं...
विश्व - जी यह बहुत दार्शनिक बात है... इस बात का मुझसे क्या सम्बंध....
तापस - रंगा शायद आज... जैल में आ रहा है...
विश्व - तो...
तापस - तो... तुम्हें फिक्र नहीं है...
विश्व - किस बात की फिक्र... क्यूँ की रंगा आ रहा है... इसलिये...
तापस - कमाल के आदमी हो तुम... जिससे बचने के लिए मारे फिर रहे थे... आज जब वही आ रहा है... तुम्हें कोई फिक्र ही नहीं है...बस इतना जान लो... वह सिर्फ़ तुम्हारे लिए आ रहा है... क्यूंकि वह यहाँ चौदह दिनों की रिमांड के नाम पर आ रहा है...
विश्व - अच्छा ऐसा भी होता है...
तापस - हाँ ऐसा होता है... मेरा मतलब है... ऐसा हो सकता है...
विश्व - तो आप मुझे यह क्यूँ बता रहे हैं....
तापस - ताकि यह चौदह दिन तुम रंगा से... थोड़ा सावधान रहो....
विश्व - और आप क्या करेंगे...
तापस - क्या मतलब है तुम्हारा...
विश्व - अगर आपको किसी अनहोनी का अंदेशा है... तो आप उसे कानूनन रोकने की कोशिश क्यूँ नहीं कर रहे हैं...
तापस - वह हम कोशिश करेंगे... पर तुमको भी हमारा साथ देना चाहिए... देखो विश्व... पिछली बार उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया था... पर मैंने नकार दिया था... अब वह कानून का सहारा लेकर... मेरा मतलब है कानून का आड़ लेकर आ रहा है... वह बार बार मौके की तलाश करेगा... बस तुम सावधान रहना...
विश्व - कितना बेबस है आपका कानून... सुपरिटेंडेंट सर.... अनहोनी का अंदेशा है... पर रोकने के लिए असमर्थ... जो गुनाह करने के लिए अंदर आने के लिए... कानून का सहारा ले रहा है... पर कानून मदत उससे मांग रहा है जो पीड़ित होने वाला है....

यह बात सुन कर तापस कुछ और सोच में खो जाता है l विश्व उसे किसी सोच में डूबा हुआ देखता है तो वह वहाँ से जाने लगता है तभी तापस को होश आता है l

तापस - हाँ विश्व.. कुछ कह रहे थे...
विश्व - यही... की.. मैं ध्यान रखूँगा... सावधान रहूँगा...
तापस - हाँ ठीक है जाओ....

विश्व चला जाता है l पर तापस फ़िर से अपनी सोच में खो जाता है l उसकी सोच तब टूटती है जब दास की आवाज उसके कानों में पड़ता है l तापस दास की ओर देखता है

तापस - हाँ दास... क्या कह रहे थे...
दास - सर आप कुछ सोच रहे थे... मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया...
तापस - अरे नहीं... कहो.. क्या हुआ...
दास - सर वह... रंगा को आज शाम को हैंड ओवर करने वाले हैं....
Superb Updatee

Toh Ranga wapas aaraha hai Vishwa se badla lene ke liye. Aur apne saath 4-4 mustande bhi la raha hai. Par Ranga shayad nhi jaanta ke yeh Vishwa woh Vishwa nhi hai. Yeh Vishwa pura badal chuka hai.

Dekhte hai issbaar Ranga ka kyaa hota hai aur Vishwa exactly kyaa karta hai.
 

Rajnish4322

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👉पचासवां अपडेट
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कुछ दिनों के बाद
सेंट्रल जैल
अब सिर्फ़ जीलू और मिलू दोनों जैल में हैं l सीलु और टीलु पर चल रहे केस फॉलस् हो गया इसलिए अब वे दोनों बाहर हैं l
एक रात डायनिंग हॉल में
डिनर के टेबल पर विश्व के साथ जीलू बैठ कर खाना खा रहा है l

जीलू - (वगैर विश्व के तरफ देखे) भाई एक खबर है...
विश्व - ह्म्म्म्म... (विश्व भी जीलू के तरफ बिना देखे) कहो...
जीलू - सीलु ने आपको आगाह करने के लिए कहा है...
विश्व - बात को लंबा मत खिंचो... मुद्दे पर आओ...
जीलू - परसों पटीया पुलिस स्टेशन से सीलु के लिए खबर आया था... ऑफिसर इनचार्ज.... सीलु से मिलना चाहता था... इसलिए सीलु ओर टीलु दोनों मिलने गए थे...
विश्व - ह्म्म्म्म... आगे...
जीलू - ऑफिसर इनचार्ज... सीलु को तैयार रहने को बोला... हो सकता है... अगले हफ्ते सीलु यहाँ हो...
विश्व - (अब जीलू की ओर देखते हुए) तुम कहना क्या चाहते हो... तब से बेवजह बात को घुमा फिरा कर खिंच रहे हो...
जीलू - (बेशर्मों की तरह हंसते हुए) सॉरी भाई... तुम मेरे तरफ देख नहीं रहे हो... सोचा तुमको थोड़ा सिरीयस कर दूँ...
विश्व - हाँ बोलो... अब मैं सिरीयस हूँ...
जीलू - हाँ नहीं तो.... बात ही इतनी सिरीयस है... इसलिये आपको सिरीयस होना ही पड़ेगा...
विश्व - अब बोलोगे भी...
जीलू - हाँ बोलता हूँ ना... तो इनचार्ज से सीलु और टीलु मिलने पहुंचे... तो वहाँ पर रंगा का वकील... पहले से ही बैठ कर... थाने के इनचार्ज से बातेँ कर रहा था....
विश्व - हाँ तो...
जीलू - भाई... रंगा अभी यहाँ आने की तैयारी कर रहा है....
विश्व - अच्छा...
जीलू - हाँ भाई... और इसबार वह अकेला नहीं आ रहा है.... अपने साथ चार चार हाती, सांढ भालू और गेंडा भी ला रहा है...
विश्व - मतलब....
जीलू - ओह ओ... भाई समझा करो... वह अपने साथ चार चार हट्टे कट्टे लंबे-चौड़े तगड़े मुस्टंडे ला रहा है... तुमसे बदला लेने....
विश्व - ह्म्म्म्म अच्छी बात है...
जीलू - क्या अच्छी बात है... तुम जानते नहीं भाई... इन बीते दो सालों में... रंगा खुद को एक सांढ जैसा बनाया है... वह वकील... उस इनचार्ज से कह रहा था... रंगा इसबार विश्व को मसल कर रख देगा...
विश्व - तो ठीक है... वह वही करने आ रहा है... जो उसे करना चाहिए... और वापस कंधे पर जाने के लिए... साथ में गिन गिन कर चार लोगों को भी ला रहा है...
जीलू - भाई जो भी हो... तुम्हें सावधान रहना होगा उनसे... जब तुम आए थे... तब वह लोग छुप छुप कर उकसा रहे थे... पर अब आर या पार का इरादा लेकर आ रहा है... वह सबके सामने उकसाने से भी नहीं चुकेगा...
विश्व - ठीक है... जो भी होगा... देखा जाएगा....
जीलू - क्या भाई... इतना हलके में क्यूँ ले रहे हो...
विश्व - अब कि बार... रंगा मुझे छेड़ेगा, उकसायेगा, मार भी सकता है... पर तब... जब मैं चाहूँगा... वहाँ... जहां मैं चाहूँगा... पर उसका अंजाम वह होगा... जो मैं तय करूंगा....

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आधी रात को तापस अपने बिस्तर पर करवट बदल कर जब बगल में प्रतिभा को नहीं पाता है तो झट से उठ कर बिस्तर पर बैठ जाता है l प्रतिभा उसको बाल्कनी में छत को घूरते हुए दिखती है l तापस उसके पास आकर खड़ा होता है l प्रतिभा को एहसास हो जाता है कि तापस उसके पास खड़ा है l वह तापस की ओर बिना देखे

प्रतिभा - सेनापति जी.... क्या मैंने सही किया...
तापस - जान... तुमने जो भी किया सब सही किया है... सोच समझ कर किया है... हमारा बेटा अंधेरे में भटक रहा था... तुमने उसे रौशनी दिखाई है... कुछ देर के लिए ही सही... वह अब हमारा बेटा लग रहा है...
प्रतिभा - थैंक्स सेनापति जी... आप मुझे समझते हैं....
तापस - जान... मैं और तुम ना अलग हैं... ना जुदा हैं... हम पति पत्नी हैं... साथी हैं... एक दूसरे के पूरक हैं...
प्रतिभा - फिर भी मुझे डर लग रहा है...
तापस - जान डरा हुआ तो मैं भी हूँ... पर तुमने कम से कम प्रत्युष को... फ्रस्ट्रेशन से... डिप्रेशन से निकाला है.... तुम नहीं जानती... वह मुझे खुद को कुछ कर लेने की बात कह रहा था... अटलीस्ट तुमने उसे टार्गेट दिया है... वह कुछ करे या ना करे... मगर हम उसे भँवर से निकलेंगे... जरूर निकलेंगे....
प्रतिभा - (थोड़ी राहत की साँस लेते हुए) आप ने कुछ पता किया है...
तापस - हाँ... और तुमने...
प्रतिभा - हाँ मैंने भी थोड़ा बहुत खबर... निकलने की कोशिश की है...
तापस - तो तुमने... डिनर पर बताया क्यूँ नहीं...
प्रतिभा - मैं... प्रत्युष के दिमाग पर बोझ नहीं डालना चाहती थी...
तापस - हम यूहीं फार्म पर या किसी दुकान पर रैड नहीं करा सकते हैं... यहाँ तक हस्पताल में भी नहीं...
प्रतिभा - क्यूँ... काउन्टर फैट ड्रग के विरुद्ध... सीएफएसआई एक्शन क्यूँ ले नहीं सकती...
तापस - तुम अब माँ बन कर सोच रही हो... वकील बन कर सोचो... वह भी क्रिमिनल वकील की तरह...
प्रतिभा - क्या मतलब...
तापस - खुदको तुम क्यूँ इतना असहाय बना रही हो... हमने जिसके खिलाफ मोर्चा खोला है... एक वेल ऑर्गनाइज्ड तरीके से क्राइम करता है.... हर क्राइम के परफेक्शन के लिए बैकअप भी रखता है....
प्रतिभा - (एक फीकी सी मुस्कान मुस्कराते हुए) लगता है... आपने अपनी तरीके से खूब रिसर्च किया है...
तापस - हाँ... कह सकती हो... असल में.. हम बाप बेटे मिलकर... हर पहलू पर गौर किया है...
प्रतिभा - तो क्या हम कामयाब होंगे....
तापस - जान... कोशिश कर रहे हैं... वैसे तुमने क्या किया है...
प्रतिभा - यही की... यश अपना काला बिजनैस कटक से समेट रहा है... और यशपुर शिफ्ट कर रहा है....
तापस - तुम्हें कैसे पता...
प्रतिभा - आपने न्यूज में सुना या देखा होगा... दो साल पहले ही... निरोग हस्पताल की चेन को... यशपुर एक्शटेंड कर रहा है... उसकी सारी फर्मालीटी अब हाल ही में पूरी हुई है... साथ ही साथ... फार्मास्यूटिकल्स की ब्रांच भी राजगड़ ले जाने की कोशिश में है...
तापस - ओ... राजगड़ मतलब... कानून और प्रशासन की पहुंच से दूर...
प्रतिभा - हाँ....
तापस - तब तो खेल बहुत पेचीदा हो जाएगा...
प्रतिभा - इसलिए मैं... रैड की बात कह रही थी...
तापस - मैंने भी देख लिया है... वह हर तरह की... वोर्स्ट सिचुएशन के लिए... तैयार है...
उसके फार्म में... दो तरह की दवाई बनती हैं... एक इंडियन मेडिकल स्टैंडर्ड पर... और एक उसके अपने मतलब के स्टैंडर्ड पर... वह अपनी दवाएं... बड़ी चालाकी से खपा रहा है.... हमे बहुत ही पुख्ता सबूत चाहिए... यश वर्धन जैसे हस्ती को सरे आम नंगा करने के लिए....
प्रतिभा - हाँ... यह आपने सही कहा...
तापस - अब तक उसे पता भी नहीं है... की हम उसके पीछे लगे हुए हैं...
प्रतिभा - यही डर मुझे सोने नहीं दे रही है... जो क्षेत्रपाल के लिए... जयंत सर की मौत को... एक दुखद हादसा बना दिया... वह अपने लिए क्या कर जाएगा... (तापस चुप रहता है) जब उसे पता चलेगा... उसकी सल्तनत की नींव को कोई खरोंच रहा है... क्या करेगा वह... (तापस की ओर देखती है, तापस अब आसमान की ओर देख रहा है) सेनापति जी... हम आग से... तेजाब से खेल रहे हैं... हैं ना...
तापस - जान... अब हम पीछे नहीं हट सकते... सवाल बेटे का है... प्रत्युष अपने आपसे लड़ रहा है.... तुमने उसकी लड़ाई को डाइवर्ट किया है.... अब उस लड़ाई में... हमे उसका साथ देना है... चाहे कुछ भी हो... अंजाम हम तीनों भुगतेंगे... उसके लिए खुद को तैयार करना होगा....

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अगली सुबह
नाश्ते के टेबल पर
सब चुपचाप अपने नाश्ते में लगे हुए हैं l

प्रतिभा - अच्छा प्रत्युष... तुमने कितने पेशेंट से... लैब टेस्ट के लिए फर्म भरवाया है...
प्रत्युष - सिर्फ़ एक ही अंकल से भरवाया है...
प्रतिभा - क्या... (हैरानी से) पर तो मैंने तुझसे... एक से ज्यादा कहा था....
प्रत्युष - हाँ पर... मैं किसी को अंधेरे में रख कर और उनके कंधे पर बंदूक रख कर... लड़ना नहीं चाहता...
प्रतिभा - तो इस अंकल को तैयार कैसे किया...
प्रत्युष - वह एक एक्ससर्विस मेन हैं... मैं उन्हें पांच सालों से जनता हूँ... इसलिए... मैंने उनसे बात कर सब समझा दिया... तो वह सारे प्रेसक्रीप्शन मेरे हवाले कर दिया है... और तीनों लैब के फॉर्म में साइन कर दिया है... और मैंने उनके लिए दी जाने वाली दवाओं के सैंपल को... भेज भी दिया है...
तापस - इस मिशन में... तु अकेला है... या कोई और भी है... साथ में...
प्रत्युष - हाँ हैं तो... पर उनके बारे में... किसी से भी... कुछ भी रिवील नहीं करूंगा.... आप से भी नहीं...
तापस - क्यूँ...
प्रत्युष - माँ... डैड... सॉरी पर... कल रात... मैंने आप दोनों की सारी बातेँ सुन ली थी...

दोनों हैरान हो कर प्रत्युष को देखने लगते हैं l पर प्रत्युष बिना किसी रिएक्शन के अपना नाश्ता कर रहा है l तापस और प्रतिभा दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं l

प्रत्युष - कल मैं आपके कमरे के पास से गुज़रा.... तो पाया दरवाज़ा खुला था... अंदर झांका तो आप दोनों बाल्कनी में थे... तब पीछे रह कर मैंने सारी बात सुन लिया था... मैं डैड की इस बात से सहमत हूँ... अंजाम जो भी हो... हम तीनों उसे भुगतेंगे...

प्रत्युष की यह बात दोनों पर बम की तरह गिरा l दोनों की मुहँ खुला रह गया l

प्रत्युष - माँ... आग हो या तेजाब... कमर कस ली है... मैं एक डॉक्टर हूँ.. जिंदगी बांट सकता हूँ... जहर तो हरगिज नहीं... मैंने गलत इंसान को अपना आइडल माना... अब लड़ाई उसके मुखौटे को नोच कर उतार फेंकने की है... माँ थैंक्स... आपने मुझे एक मोटीव दिया है... और डैड थैंक्स... आपने मुझे जिंदगी का फलसफा समझाया... अब मुझे माँ की दी हुई लक्ष को साधना है... बस...

इतना कह कर प्रत्युष वहाँ से उठ कर चला जाता है l पीछे टेबल पर तापस और प्रतिभा शॉक से उबरने की कोशिश करते हैं l

प्रतिभा - ये... यह क्या... कह रहा था... प्रत्युष
तापस - चाहे कुछ भी कहा है... उसे अकेला नहीं छोड़ना है...

प्रतिभा जल्दी से अपना नाश्ता खतम करती है और तैयार हो कर गाड़ी निकालती है l प्रत्युष आकर गाड़ी में बैठ जाता है l दोनों निकल जाते हैं l तापस भी तैयार हो कर जैल की तरफ चला जाता है l प्रतिभा प्रत्युष को लेकर पहले लिंगराज मंदिर में जाति है l वहाँ पहुँच कर पूजा की सामान लेकर अंदर जाती है l वह पुजारी से अपना पुजा कराने के बाद प्रत्युष को लेकर जल्दी मंदिर से जाने लगती है l प्रतिभा इतनी जल्दी में होती है कि उसे किसीका ध्यान ही नहीं रहता l जल्दी जल्दी में वह किसीसे टकरा जाती है, प्रतिभा की सामान गिरने को होती है कि वह औरत थाम लेती है l

औरत - संभलकर...(प्रतिभा को देख कर) आरे... वकील मासी जी... आप..
प्रतिभा - (उस औरत को देखती है) आप ...(हैरानी से) जानी-पहचानी लग रही हैं... पर याद नहीं आ रहा है...
औरत - जी कोई बात नहीं.... मैं वैदेही...
प्रतिभा - व... वैदेही... (प्रतिभा याद करने की कोशिश करते हुए) ना... नहीं... मुझे...
वैदेही - कोई बात नहीं... आपको जयंत सर याद हैं ना... वह जिसके केस लड़ते हुए चल बसे... मैं उसकी बहन हूँ....
प्रतिभा - ओ... ठी... ठीक है... कैसी हो... और यहाँ... तुम...
वैदेही - आज मैं अपने भाई से मिलने आई थी... मिलने से पहले... भगवान लिंगराज की दर्शन करने आई हूँ...
प्रतिभा - ओह... अच्छा... ठीक है... जाओ दर्शन कर लो... मैं चलती हूँ... हो सका तो बाद में मिलते हैं...
वैदेही - जी अच्छा....

वैदेही मंदिर के भीतर चली जाती है l प्रतिभा भी जल्दी जल्दी बाहर निकल जाती है l बाहर गाड़ी के पास पहुंच कर पीछे मुड़ कर देखती है, वैदेही को जाते हुए l फिर कार में बैठ कर प्रत्युष और वह, वहाँ से निकल जाते हैं l उधर तापस ऑफिस पहुँचता है तो देखता है उसके कैबिन में दास इंतजार कर रहा है l

तापस - क्या बात है दास... कोई इमर्जेंसी है क्या... मेरे कैबिन में.. मेरा ही इंतजार कर रहे हो...
दास - सर... एक खबर है... कितनी इमर्जेंसी है... यह आप निर्णय कीजिए...
तापस - अच्छा... लगता है.. बीपी बढ़ाने वाली खबर है...
दास - जी सर...
तापस - ठीक है.. बताओ क्या खबर है...
दास - सर आज ही खबर आई है... रंगा और उसके चार साथियों को... पुलिस ने फरदर इंट्रोगेशन के लिए... अपनी कस्टडी में डिमांड किया है... और अदालत ने... चौदह दिनों की हिरासत में लेने के लिए... पुलिस को परमीशन दी है.... इसलिए शायद कल उन पांचो को यहाँ लाकर पुलिस हैंड ओवर करेगी...
तापस - व्हाट द हैल इज़ गोइंग ऑन दास...
दास - अब इसमें हम क्या कर सकते हैं... रंगा अपना हिसाब चुकाने आ रहा है... सिर्फ़ चौदह दिनों में अपना काम तमाम करने...
तापस - ओह गॉड... विश्व को उनसे दुर रखना पड़ेगा... वरना... (अपना हाथ टेबल पर मारते हुए) दास गिव मी सम आइडिया... रंगा... खुन खराबा के उदेश्य से आ रहा है.... पिछली बार जब वह हस्पताल में था... मैंने उसके आंखों में बदले की आग देखा था... वह उसके लिए... किसी भी हद तक जाएगा...
दास - सर अगर आप बुरा ना माने तो...
तापस - हाँ हाँ... कहो...
दास - मेरे हिसाब से... हमे इस मैटर को इतना भी... सिरीयसली लेना नहीं चाहिए....
तापस - क्या... आर यु गॉन मैड... तुम जानते भी हो क्या कह रहे हो...
दास - सर अगर मेरा अंदाजा सही है... तो... जो आप नहीं जान पा रहे हैं... और रंगा नहीं जानता... वह होने वाला है....
तापस - पहेलियाँ ना बुझाओ... दास खुलकर कहो क्या कहना चाहते हो...
दास - सर... मैं यह कह रहा हूँ... जो हो रहा है... उसे होने देते हैं... हम नजर रखेंगे... कुछ गलत होने लगा तो... रंगा का एनकाउंटर कर देंगे... हमारे पास सीसीटीवी है... पहले ऑब्जर्व करते हैं... फ़िर कुछ करते हैं... वह चौदह दिनों के लिए... आ रहा है... हो सकता है... अपने ऊपर वह और चार्जर्स ना ले...
तापस - मैं दुआ करूंगा... तुम्हारा अंदाजा सही निकले... लेट हाव क्रॉस फिंगर... एंड होप फॉर बेस्ट...
दास - यस सर....
तापस - दास.... वैसे कब तक हैंड ओवर होगा...
दास - सर... आज शाम तक या.... कल सुबह तक हो जाना चाहिए...
तापस - ओके... यु मे लिव नाउ... (कह कर बेल बजाता है, जगन भागते हुए आता है, और सैल्यूट करता है) जगन... जाओ विश्व को बुला कर लाओ...

जगन और दास दोनों बाहर चले जाते हैं l तापस के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिखने लगता है l वह अपने कैबिन में एक सिरे से दुसरे सिरे तक चलने लगता है l तभी विश्व आता है l

तापस - विश्व... आओ...
विश्व - जी कहिए... आपने बुलाया है...
तापस - जानते हो... कभी कभी जो हम बोते हैं... वही वक्त आने पर काटते हैं...
विश्व - जी यह बहुत दार्शनिक बात है... इस बात का मुझसे क्या सम्बंध....
तापस - रंगा शायद आज... जैल में आ रहा है...
विश्व - तो...
तापस - तो... तुम्हें फिक्र नहीं है...
विश्व - किस बात की फिक्र... क्यूँ की रंगा आ रहा है... इसलिये...
तापस - कमाल के आदमी हो तुम... जिससे बचने के लिए मारे फिर रहे थे... आज जब वही आ रहा है... तुम्हें कोई फिक्र ही नहीं है...बस इतना जान लो... वह सिर्फ़ तुम्हारे लिए आ रहा है... क्यूंकि वह यहाँ चौदह दिनों की रिमांड के नाम पर आ रहा है...
विश्व - अच्छा ऐसा भी होता है...
तापस - हाँ ऐसा होता है... मेरा मतलब है... ऐसा हो सकता है...
विश्व - तो आप मुझे यह क्यूँ बता रहे हैं....
तापस - ताकि यह चौदह दिन तुम रंगा से... थोड़ा सावधान रहो....
विश्व - और आप क्या करेंगे...
तापस - क्या मतलब है तुम्हारा...
विश्व - अगर आपको किसी अनहोनी का अंदेशा है... तो आप उसे कानूनन रोकने की कोशिश क्यूँ नहीं कर रहे हैं...
तापस - वह हम कोशिश करेंगे... पर तुमको भी हमारा साथ देना चाहिए... देखो विश्व... पिछली बार उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया था... पर मैंने नकार दिया था... अब वह कानून का सहारा लेकर... मेरा मतलब है कानून का आड़ लेकर आ रहा है... वह बार बार मौके की तलाश करेगा... बस तुम सावधान रहना...
विश्व - कितना बेबस है आपका कानून... सुपरिटेंडेंट सर.... अनहोनी का अंदेशा है... पर रोकने के लिए असमर्थ... जो गुनाह करने के लिए अंदर आने के लिए... कानून का सहारा ले रहा है... पर कानून मदत उससे मांग रहा है जो पीड़ित होने वाला है....

यह बात सुन कर तापस कुछ और सोच में खो जाता है l विश्व उसे किसी सोच में डूबा हुआ देखता है तो वह वहाँ से जाने लगता है तभी तापस को होश आता है l

तापस - हाँ विश्व.. कुछ कह रहे थे...
विश्व - यही... की.. मैं ध्यान रखूँगा... सावधान रहूँगा...
तापस - हाँ ठीक है जाओ....

विश्व चला जाता है l पर तापस फ़िर से अपनी सोच में खो जाता है l उसकी सोच तब टूटती है जब दास की आवाज उसके कानों में पड़ता है l तापस दास की ओर देखता है

तापस - हाँ दास... क्या कह रहे थे...
दास - सर आप कुछ सोच रहे थे... मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया...
तापस - अरे नहीं... कहो.. क्या हुआ...
दास - सर वह... रंगा को आज शाम को हैंड ओवर करने वाले हैं....
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