Very nice update.अध्याय १३
स्वामी जी गुड़धानी खाँ के बदन से शराब की तीव्र गंध आ रही थी। उनकी आंखें बिल्कुल लाल हो रखी थी और अध खुली थी। उन्होंने कहा, "भई एक बात तो बिल्कुल सही है। शैली खाला ने बिल्कुल सही कहा था। तुम एक अच्छी जात की झिल्ली पाल रही हो कमला। इसके अंदर इसकी जवानी पूरी तरह से खेल रही है ... इसके बाल इसके कूल्हे से भी नीचे तक लंबे हैं ... गाने घुंघराले और रेशमी ... इसके स्थानों का जोड़ा बिल्कुल भरा पूरा और बड़ा-बड़ा है ... जब यह चलती है या फिर हिलती डुलती है तो उसके स्तनों के जोड़े किसी भरे हुए मटके की तरह इसकी सुंदरता और जवानी का रस छलकते हैं और इसके कूल्हे? एकदम चौड़े चौड़े और मांसल है जब यह चलती है तो बड़े ही मादक तरीके से यह मटकते हैं..." उसके बाद स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक गहरी सांस अंदर खींची और फिर बोले, "अरे यह खुशबू कहां से आ रही है? ओह!अच्छा। यह तो इस झिल्ली के प्राकृतिक फेरोमोंस है ... भई कमला ? अब तो तुम बूढी हो रही हो ... तुम्हारी देखभाल करने के लिए, तुम्हारी आमदनी पूरी करने के लिए तुम्हें तो किसी की जरूरत है ... इस लौंडिया का खून गर्म है... तुमने बिलकुल सही निर्णय दिया है। आज के बाद यह भी मेरी वूमंडली की सदस्या बन जाएगी ... मैं अपनी लालसा, वासना के साथ-साथ अपनी तांत्रिक क्रिया भी पूरी कर दूंगा ताकि जिंदगी भर यह तुम्हारे वश में रहे"
स्वामी जी गुड़धानी खाँ की बातें सुनकर कमला मौसी के आंसुओं का बाँध एकदम टूट गया। वह उनके पैरों पर गिरकर फूट-फूट कर रोने लगी, " स्वामी जी गुड़धानी खाँ! आप मेरा उद्धार कीजिए ... मेरे पास जो मेरी सबसे बड़ी संपत्ति थी मैंने उसे आपके चरणों में निछावर कर दिया ... आप मेरी इस झिल्ली को ग्रहण कीजिए उसे आशीर्वाद दीजिए"
स्वामी जी गुड़धानी खाँ ठहरे एक तांत्रिक भूत और पिशाच सिद्ध महापुरूष। वह अपने भक्तों की समस्याओं की का समाधान करने के लिए तांत्रिक क्रिया तो करते ही हैं पर वह उन्हें कोई ताबीज वगैरा नहीं देते। वह दान दक्षिणा के साथ-साथ अपने भक्तों के परिवार की किसी महिला के साथ यौन संपर्क बनाते हैं और बाद में ऐसी कई महिलाएं उनकी वूमंडली में शामिल हो जाया करती है।
कमला मौसी भी अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए स्वामी जी गुड़धानी खाँ की शरण में आई थी। कमला मौसी की यह इच्छा थी कि मैं जिंदगी भर उन्हीं का साथ दूं, उनकी देखभाल करूँ, उनका घर और उनकी दुकान संभालुँ ...
कमला मासी को मेरी आज्ञाकारिता, अनुपालन, सेवा और देखभाल पसंद आई थी। वह मुझे कभी खोना नहीं चाहती थी... यह कभी भी नहीं चाहती थी कि मेरा मन बदल जाए और मैं उन्हें छोड़कर कहीं चली जाऊं... यह सब मैं अब पूरी तरह समझ चुकी थी ... और इसी के साथ-साथ कमला मौसी को यह भी गवारा नहीं था कि मेरी जवानी यूं ही पड़े पड़े सूखती रहे, इसलिए वह यह भी चाहती थी कि मैं वूमंडली की सदस्या बन कर लेचरी करूँ ... यानी शादीशुदा होने के बावजूद मैं पराए मर्दों के साथ संबंध बनाउं ... जिससे मेरी भी यौन संतुष्टि की मनोकामना पूरी हो।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था और मुझे बहुत डर लग रहा था। स्वामी जी गुड़धानी खाँ आपने मुझे बालों से पकड़ कर खड़ा करके रखा था... और कुछ ही देर बाद वह मुझे ग्रहण करने वाले थे और जब तक उन्हें पूर्ण यौन संतुष्टि नहीं मिल जाती वह मुझे भोगने वाले थे ... अब यह सोचने वाली बात थी कि वह एक पराए मर्द थे और मैं एक शादीशुदा युवती ... हमारे समाज में शादीशुदा औरतें अपनी मांग में अपने पति के नाम का सिंदूर लगती हैं और सिर्फ अपने पति को ही अपना तन मन और यौवन समर्पित करती है ... लेकिन मेरी हालत बिलकुल अलग थी, इससे पहले भी अपने पति के रहते हुए भी मैंने सचिन अंकल के साथ यौन संबंध बनाए थे। कमला मौसी के अनुसार मैं इसकी हकदार थी इसलिए जानबूझकर उन्होंने मुझे 'दूफला' बनवाया ... और सच कहूं तो 'दूफला' बनने के बाद मुझे काफी शांति मिली थी... लेकिन यहां यह सब क्या हो रहा है?
कुछ ही घंटों पहले इसी आश्रम में मेरा शुद्धिकरण हो चुका है। यहां की महिलाओं ने षष्टामृत यानी की दही, घी, सरसों का तेल, मेहंदी, एक लड़की की मां के स्तनों का दूध और स्वामी जी के मूत्र के मिश्रण से मेरी मांग का सिंदूर धुला दिया है। अभी मैं बिल्कुल मुक्त हूं। मुक्त? नहीं मैं मुक्त तो नहीं हूं; शैली खाला के अनुसार मैं तो कमला मौसी की लौंडिया हूं ... यानी कि एक दासी, बाँधी, झिल्ली, या फिर सिर्फ एक रखेल ... मैं जानती हूं की कमला मौसी स्वामी जी गुड़धानी खाँ की परम भक्त हैं; लेकिन वह यह क्या कर रही है?
मैंने डरते डरते स्वामी जी की आंखों की तरफ एक बार देखा मुझे ऐसा लग रहा था कि उनकी दृष्टि मेरे शरीर को भेद कर मेरी अंतरात्मा तक को देख रही है ... मेरा सर चकरा गया ... उनकी नज़रें जैसे कि मानो मेरे दिमाग को पिघला रही थी ... इसलिए अगले ही पल मुझे लगने लगा ... नहीं नहीं नहीं, मैं यह सब क्या सोच रही हूं? कमला मौसी मुझे बहुत प्यार करती है- उन्होंने मुझसे ठीक ही कहा था ... औरतों की जिंदगी में ऐसी बहुत सी बातें होती है जिन्हें हमेशा गुप्त ही रखा जाता है ... यहां तक कि वह अपने पति को भी इन सब बातों के बारे में नहीं बताती है और जरूरत भी नहीं है ... कमला मौसी ठीक ही कहती है, भगवान ने मुझे एक योनि दी है, क्या मैं सारी जिंदगी उससे सिर्फ पेशाब करती रहूंगी? यह तो मेरे खेलने कूदने के दिन है मैं क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने दूंगी?.... यह मुझे भी मंजूर नहीं ... मेरी कमला मौसी है ना? बस मुझे एक बात का ध्यान रखना होगा, मेरी कमला मौसी जैसा-जैसा कहती है अगर मैं वैसा वैसा करूं और उनकी हर बात मन कर चलूँ तो यकीनन मेरा भला ही होगा और मैं ऐश करूंगी।
मैं यही सब सो रही थी और मुझे ध्यान ही नहीं की कब मुझे लिटा दिया गया है। कमरे में मौजूद सभी महिलाएं एक-एक करके बाहर चली गई और बाहर खिड़कियों से पूछ कर अंदर देखने लगी खासकर उनमें से जो सबसे कम उम्र की दो लड़कियां थी जैसे की शालिनी और फुलवा वह दोनों सबसे ज्यादा उतावली थी ...
सिर्फ शैली खाला और कमला मौसी ही कमरे के अंदर रह गई। इतने में स्वामी जी गुड़धानी खाँ अपनी लंगोटी उतार दी। मैंने अपनी अध्आं-खुली आखों से देखा, स्वामी जी का लिंग सचमुच बहुत ही मोटा और लंबा था और वह इस वक्त किसी तलवार की तरह और खड़ा हो रखा था और यह लिंग काम से कम 2 इंच मोटा तो जरूर ही होगा उनके अंडकोष भी बड़े-बड़े थे... मैंने अपनी जिंदगी में इतना बड़ा पुरुषांग कभी नहीं देखा था ... मैं जाती थी की स्वामी जी अपना लिंग मेरी योनि में प्रविष्ट करेंगे ... अगर ऐसा हुआ तो हो सकता है कि मेरी योनि फट जाएगी और हो सकता है काफी खून भी निकलेगा ... यह सब ठीक वैसा ही होगा जैसा कि शायद किसी कुंवारी लड़की के साथ पहली बार यौन संबंध बनाया जा रहा हो ... शायद मुझे बहुत दर्द होगा और शहद में बहुत छटपटाउंगी भी; शायद इसीलिए शायरी खान और कमला मौसी अंदर ही रह गई ताकि अगर जरूरत पड़े तो वह मुझे जबरदस्ती पकड़ कर रखेंगी। लेकिन कमला मौसी ने तो कहा था जितना बड़ा और मोटा लिंग लड़कियों के लिए वह उतना ही मजेदार साबित होता है ... देख मेरे भाग्य में क्या लिखा हुआ है?
क्रमशः
different story. Keep writing.अध्याय १५
स्वामी जी ने अपना प्रकांड लंबा और मोटा लिंग अपने हाथों में लेकर उसकी चमड़ी को काफी पीछे तक खींच कर रखा था। उनके लिंग के सिरे यानी की सुपारी के पास उनकी चमड़ी अन्य पुरुषों की तरह जुड़ी हुई नहीं थी इसलिए उनका चर्महीन गुलाबी लिंग मेरी आंखों के सामने बिल्कुल उन्मुक्त होकर बिल्कुल एक जीवित प्राणी की तरह लग रहा था।
शायद कमला मौसी इस बात को भांप गई; वह बोल उठी, " चूस मलाई चूस! झिझकने की कोई गुंजाइश ही नहीं है ... स्वामी जी ने अपने हाथों से तेरे मुंह में अपना लिंग डाल दिया है, यह भी उनका एक तरह का आशीर्वाद है ... इसको चूस चूस के हिला हिला कर उनको थोड़ी तृप्ति दे ... और हां बीच-बीच में हल्के-हल्के अपने दांतों से उनके लिंग को काटती रहना ताकि उन्हें थोड़ा आनंद का एहसास हो"
मुझे मालूम था कि कमला मौसी यौन लीला के मामले में पर्याप्त रूप से अनुभवी है। इसलिए मुझे ऐसा जैसा कह रही थी मैं बिल्कुल वैसा वैसा करती रही और इसी बीच शैली खाला मेरे यौनांग में अपनी उंगलियां फेर फेर कर शायद यह देख रही थी कि मेरा यौनांग काम उत्तेजना की वजह से हल्के हल्के गीला होने लगा है कि नहीं।
मुझे ध्यान नहीं कि मैं कितनी देर तक स्वामी जी गुड़धानी खाँ का लिंग अपने मुंह में लेकर उसे चूस चूस कर, चाट चाट कर और अपने दांतों से हल्का-हल्का काट काट कर आवेदन कर रही थी, लेकिन जब उन्होंने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल दिया तब मैं समझ गई कि अब समय आ गया है ... पता नहीं क्यों मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा ... एक अजीब से डर के मारे और यह दर बिल्कुल वैसा ही था जब बचपन में मुझे डॉक्टर के पास ले जाया करता था इंजेक्शन लगवाने के लिए| बचपन में सुई लगवाने का डर मुझे अभी भी याद है।
कमला मौसी और शैली खाला ने मेरे पैरों को जितना हो सके अपना फैला दिया और फिर कमला मौसी और शैली खाला ने बारी-बारी से थूक थूक कर कर और चाट चाट कर मेरी यौनांग को बिल्कुल गीला कर दिया। इतने में स्वामी जी गुड़धानी खाँ घुटनों के बाल चलकर अपने आप को मेरी दो टांगों के बीच में व्यवस्थित किया और फिर उन्होंने धीरे से मेरी यौनांग के अधरों पर अपने लिंग को लगाया, मर्डर के मारे काँप उठी और फिर उसके बाद मुझे ऐसा लगा कि जैसे कि मानो किसी ने मेरी यौनांग के अंदर एक लोहे का रॉड घोंप दिया हो।
हमारे दर्द के मेरे मुंह से एक तीर्थ सी चीज निकल गई और मेरा पूरा शरीर काँप उठा लेकिन मेरी चीख बाहर खड़ी औरतें की हर्षोल्लास भरी किलकारियों के बीच दब गई।
स्वामी जी गुड़धानी खाँ ने बिल्कुल वक्त ज़ायर नहीं किया, वह मेरे ऊपर लेट कर तेज गति से मैथुन लीला में मग्न हो गए... मेरा कोमल बदन उनके वजन से दबकर और उनकी मैथुन लीला के धक्कों की वजह से ऊपर नीचे ऊपर नीचे डोलने लगा। मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी मुझे बड़ा दर्द हो रहा था इसलिए मैं छटपटा रही थी और यही देखकर कमला मौसी और शैली खाला ने मेरे हाथों और पैरों को पकड़ कर रखा ... यह सब तो बिल्कुल मेरे सपने जैसा ही हो रहा था। लेकिन सपनों में मुझे बड़ा मजा आ रहा था मैं जानबूझकर चीख रही थी चिल्ला रही थी ... क्योंकि सपने में मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर मैं ऐसा करूंगी तो सपने में मेरा बलात्कार करने वाले मुश्टण्डे लोगों को बड़ा मजा आएगा ... लेकिन यहां तो स्थिति कुछ और ही थी; मजबूरन कमला मौसी और शैली खाला को मुझे पकड़ कर रखना पड़ रहा था।
स्वामी जी गुड़धानी खाँ का लिंग इतना मोटा तगड़ा और मजबूत होगा यह मेरी कल्पना से परे था ... वह एक मशीन की तरह मैथून लीला किया जा रहे थे; और बाहर महिलाएं किलकारियां मारती हुई नंगी नाच रही थी ... कुछ देर बाद मेरा सर चकराने लगा और मुझे लगने लगा कि आप शायद में बेहोश हो जाउंगी ...
ऐसा काफी देर तक चलता रहा। उसके बाद मुझे विश्वास हुआ कि स्वामी जी के लिंग से गरम-गरम गाढ़ा गाढ़ा वीर्य का फवारा मेरी योनि के अंदर फूट पड़ा ... लेकिन फिर भी स्वामी जी मेरी योनि में घुसाया हुआ अपना लिंग कुछ देर और हिलाते रहे और फिर उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से बाहर निकाल लिया...
मेरे अगल-बगल बैठी शैली खाला और कमला मौसी ने स्वामी जी को साष्टांग प्रणाम किया और इतने में मैंने देखा कि बाहर नाचती हुई औरतें भी एकदम निहाल होकर जमीन पर गिर पड़ी... में कुछ देर तक तो ऐसे ही पड़ी रही और उसके बाद मैंने हिम्मत करके सर उठाकर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को देखा ... मैंने देखा कि मेरी योनि से स्वामी जी का स्खलित किया हुआ वीर्य का कुछ हिस्सा और मेरी योनि से से निकला हुआ खून टपक रहा है...
मैं पूरी तरह से निढाल होकर पड़ी हुई थी... मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे कोई होश ही नहीं है। लेकिन जब मैंने स्वामी जी गुड़धानी खाँ की तरफ तिरछी नजरों से देखा तो मुझे ऐसा लगा कि वह शायद हमेशा से ही तैयार थे और वह सिर्फ मुझे थोड़ा सुस्ताने का मौका दे रहे थे।
कुछ देर बाद कमला मौसी ने मुझे सहारा देकर बिस्तर पर बिठाया और फिर शैली खाला मेरे लिए दोबारा से वही नशीली छाछ लेकर आई। मैं धीरे-धीरे पूरा का पूरा छाछ पी गई और मैं समझ गई कि इस बार डिस्चार्ज का स्वाद थोड़ा अलग था - यह पहले के मुकाबले थोड़ा ज्यादा मीठा था और इसमें नशीली वस्तु भी ज्यादा मात्रा में मिलाई गई थी।
"मलाई मेरी बच्ची, अब एक अच्छी सी झिल्ली की तरह चुपचाप लेट कर अपनी दोनों टांगों को दोबारा से फैला ज़रा" कमला मौसी ने बड़े प्यार से मुझसे कहा।
मैं समझ गई कि स्वामी जी स्वामी जी गुड़धानी खाँ दोबारा मेरे साथ संभोग करने वाले हैं इसलिए मैं डर के मारे रोआँसा होती हुई बोली , "कमला मौसी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है "
पता नहीं क्यों अचानक कमला मौसी जैसे बहुत गुस्से में आ गई, उन्होंने मुझे एक थप्पड़ मार कर कहा, "यह क्या बदतमीजी है ? चुपचाप अपनी टांगें फैला कर लेट जा"
मैंने रोते हुए वैसे ही किया।
और कुछ ही देर बाद स्वामी जी गुड़धानी खाँ ने दोबारा मेरे ऊपर चढ़ाई की...
क्रमशः
प्रिया पाठक मित्र Premkumar65 जी,different story. Keep writing.
अद्भुत कहानी, जितनी प्रशंशा करें कम है। आपकी अगली कहानी का इन्तजार रहेगाअध्याय १७
इन बातों को सुनते हुए मैं सोने लगी की शुरू-शुरू में एक दिन कमला मौसी फिसल कर गिर गई थी। तब से मैं उनकी सेवा कर रही हूं। उसके बाद उन्होंने मुझे अपनी दुकान पर बैठने को कहा ताकि मैं उनकी थोड़ी सहायता कर सकूं।
लेकिन तब से ही उन्होंने शायद मेरी शक्यता को पहचान लिया था। जब उनके दुकान के बिक्री बट्टे में कमी आ जाती थी; तब वह मुझसे कहा करती थी कि मैं अपने बाल खोल दूं ताकि मुझे देखने के लिए ही सही ब्लॉक पर दुकान आए और कुछ ना कुछ खरीद कर ले जाए , उनका यह पैंतरा काम कर गया और दुकान में छाई हुई मंदी दूर हो जाती थी।
शायद इसीलिए वह मुझे उत्तेजक और अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनाया करती थी - जैसे कि कटा कटा खुला खुला सा ब्लाउज जिससे पीठ और छाती का काफी हिस्सा दिखे ... और वह मुझे देखते ही समझ गई थी कि मेरा दुबला पतला कमजोर पति मुझे अच्छी तरह से यौन तृप्ति नहीं दे सकता; इसलिए उन्होंने मुझे अपने स्वर्गवासी पति के मित्र सचिन अंकल के साथ संपर्क बनाने को कहा जिसे वह कहती है मुझे दूफला बनाना ...
सिर्फ इतना ही नहीं मेरे अंदर की हवस की प्यास को समझ कर अब वह मुझे स्वामी जी गुड़धानी खाँ की आश्रम में लेकर आई थी। यहां मेरा शुद्धिकरण हुआ और फिर स्वामी जी ने मेरा ग्रहण करके मुझे वूमंडली इस सदस्य बनाया ... और अब यह लोग मेरे स्तनों में दूध उत्पन्न करने की मनसा बना रहे हैं। अब मैं करूं तो क्या करूं? अभी तो मैं पूरी तरह से एक किराएदारनी से कमला मौसी की लौंडिया बन चुकी हूं- मतलब एक दासी, एक बाँधी, एक झिल्ली या फिर सिर्फ एक रखेल - कमला मौसी मेरी मालकिन है और मैं उनकी लौंडिया - मैं तो पराधीन हूं !
इतने में शालिनी और फुलवा आ पहुंची।
कमरे के अंदर दाखिल होने के साथ ही फुलवा ने पूछा, "हमारी मलाई मक्खन नींद से जाग गई है क्या ? हम लोग उसे नहाने के लिए आई है"
शैली खाला ने कहा, "हँ, ऊ जाग गइल बा; अब समय आ गइल कि हम ईका के नहला धुला के स्वामी जी गुड़धानी खाँ के लगे ले जाइब आ ओकरा बाद स्वामी जी ईका मांग मा सिंदूर भर दीहें"
इतने में शालिनी फुलवा को हल्के से कोहनी मार के बोली, "लेकिन इस बार मैं मलाई की चूत धोऊंगी; फुलवा तू बिल्कुल हाथ मत लगाना"
इस पर फुलवा ने तत्परता से कहा, "क्यों क्यों क्यों? मैंने क्या गलती की है? पिछली बार मलाई की चूत के पास झाँट के बाल थे, और वह भी एकदम ओरिजिनल, मतलब ऐसा लगता था कि जिंदगी में कभी भी उसने अपने जात के बालों काम मुंडन नहीं किया होगा और देखने वाली बात यह है कि पिछली बार तो शैली खाला ने उसकी चूत धोई थी .. तो इस बार मैं- इस मुंडन की हुई चूत को धोऊंगी"
और इसी के साथ दोनों के दोनों खेल-खेल में लड़ने लगी यह देखकर सिस्टर सिलेस्टी बोल उठी, "अहा! अब तो मलाई लेचारी करेगी, इसलिए इसको यौनांग बिल्कुल साफ सुथरा और चिकन रखना पड़ेगा आसपास बाल रहने से नहीं चलेगा। इसलिए बारी-बारी से तुम दोनों मिलकर इसको अच्छी तरह नहला देना और जब तुम लोग इसे नहलाओगी; तब मैं इसका वीडियो बनाऊंगी। विदेश में इंडियन लड़कियों की वीडियो बहुत ही पॉपुलर है खासकर सिचुएशन में ... और मलाई जैसी सुंदर लड़की का न्यूड वीडियो तो बहुत पॉपुलर होगा"
इसके बाद मुझे कैसे और किसने नहलाया... किसने मेरे गुप्तांगों को बड़े प्यार से धोया ... मुझे बिल्कुल भी नहीं याद क्योंकि तभी भी मुझे नशा चढ़ा हुआ था। बस मुझे इतना याद है कि वह लोग मुझे नंगी हालत में ही स्वामी जी गुड़धानी खाँ पास ले गए। मैंने देखा कि एक बड़े से खाली कमरे के बीचों-बीच स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक आसन पर ध्यान लगाए बैठे हुए हैं। वह लोग जैसे ही मुझे उनके पास ले गए मैं समझ गई कि मुझे क्या करना है। इसलिए मैं खुद-ब-खुद जमीन पर घुटने टेक कर बैठ गई और फिर अपना माथा जमीन पर टिका दिया और अपने लंबे-लंबे बालों को उनके आगे फैला दिए। स्वामी जी गुड़धानी खाँ अपने पैरों के तलवे मेरे बालों पर रखकर मुझे आशीर्वाद दिया और तभी शैली खाला एक गोल सी डिबिया लाकर उसे खोलकर स्वामी जी के सामने धरी।
स्वामी जी गुड़धानी खाँ ने उस डिबिया से एक चुटकी सिंदूर निकालकर मेरी मांग में भर दिया। मेरे पीछे और भी काफी सारी औरतें खड़ी थी जिनमें ज्यादातर बिल्कुल नंगी थी और जैसे ही मेरे मांग में सिंदूर भरी गई, वह लोग खुशी से किलकारियां मरने लगी।
अब मैंने देखा कि कमला मौसी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान खिल गई है पता नहीं क्यों पिछली रात को उनका क्या हो गया था कि वह मेरे ऊपर बहुत गुस्सा कर रही थी यहां तक की उन्होंने मुझे दो बार थप्पड़ भी मारा था। लेकिन अब वह मुस्कुराती हुई मेरे होठों को चुम कर बोली, "मुबारक हो ! मलाई आपसे पूरी तरह से स्वामी जी गुड़धानी खाँ की वूमंडली की लौंडिया बन गई है"
मुझे एक नई सी साड़ी पहनने को दी गई।
स्वामी जी गुड़धानी खाँ उसके बाद फिर से ध्यान में मग्न हो गए। वहां मौजूद कमला मासी, शैली खाला शालिनी, फुलवा और सिस्टर सिलेस्टी जॉकी पूरी घटना का वीडियो बना रही थीं और धीरे से मुझे कमरे से बाहर ले गईं।
घड़ी में लगभग 9:30 बज रहे थे। कमला मौसी ने अपने हाथ में एक पोटली पकड़ रखी थी, जिसे देखकर मैं समझ गई की यह मेरी वह वाली साड़ी थी जिसे पहनकर मैं यहां आई थी। उसे पोटली में मेरा ब्लाउज, पेटीकोट, सचिन अंकल के द्वारा दी गई लाल कांच की चूड़ियां चूड़ियाँ, शंख पौला और कमला मौसी के द्वारा दी गई सोने की मोटे-मोटे कंगन थे |
पर मुझे यह नहीं पता था कि उसे पोटली में एक और चीज भी थी- एक छोटी सी डिब्बी में मेरे जघन के बाल ...
इंसान की नियत और उसकी मन कब बदल जाए, कोई नहीं जानता इसलिए टोना टोटका करके स्वामी जी गुड़धानी खाँ ने यह निश्चित कर दिया था कि मैं हमेशा कमला मौसी की वश में रहूं और इसीलिए उन्होंने कमला मौसी को खास हिदायत दे रखी थी कि वह मेरे जगन के बालों की डिब्बी बहुत संभाल के रखे।
कमला मौसी ने कहा, "मलाई, मैं तुझे घर पर छोड़ कर आती हूं और उसके बाद जाकर दुकान खोलती हूँ"
मेरी जुबान तब भी लड़खड़ा रही थी, " कमला मौसी तुम अकेले जाकर दुकान खोलोगी आज ?"
कमला मौसी मुस्कुराते हुए बोली, "हां सिर्फ आज क्यों, यह पूरा हफ्ता ही मैं अकेले दुकान संभाल लूंगी। तो घर में रहकर थोड़ा सा आराम कर ले और अपनी तबीयत पूरी तरह से ठीक कर ले ... अब तो तू पूरी तरह से वूमंडली की लौंडिया बन चुकी है। तेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया है ... अब जब भी बुलावा आएगा, तुझे स्वामी जी की शरण में उपस्थित होना पड़ेगा ... इसके अलावा शैली खाला के मुताबिक अब तो तू लेचारी भी करेगी, इसका मतलब तुझे कई दिनों तक फिर कई महीनो तक ऐसे ही पड़े रहकर सुखना नहीं पड़ेगा और तो ऐसे उलटे सीधे सपने भी नहीं दिखेगी ... और ना ही अपना मन शांत करने के लिए तू अपनी चूत में उंगली करेगी ... क्योंकि अब कोई ना कोई तेरी सेक्स की भूख को जरूर मिटता रहेगा"
लेचारी- हमारे गाँव के अधिकांश विवाहित पुरुष काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, इसलिए अच्छे परिवारों की लड़कियाँ, दुल्हनें या महिलाएँ अक्सर दूसरे पुरुषों के साथ संबंध रखती हैं से उनकी छुटपुट ज़रूरतें पूरी हो जाती है और उसके साथ ही का दिल भी बहला रहता है... भले ही वह व्यभिचार ही क्यों न हो। हमारे समाज ने इसे भी गुप्त रूप से स्वीकार कर लिया है...
और वैसे भी अगर देखा जाए, तो फिर हाल मेरे पास रहने वाला कोई मर्द नहीं है मेरा पति अनिमेष दस - दस पंद्रह-पंद्रह दिन घर से बाहर ही रहता है और सचिन अंकल? वह तो साल या 6 महीने में एक बार ही भारत आते हैं ... और मेरी जवानी और खूबसूरती इस वक्त पूरे उफान पर है; तभी तो कमला मौसी मेरा इतना ख्याल रखने की कोशिश कर रही है और मेरी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश कर रही है - और मेरी ज़रूरतों में जिस्म की प्यास को बुझाया भी बहुत जरूरी है ... और इसीलिए कमला मौसी ने शैली खाला का सुझाव मानकर मुझे भी लेचारी करवा रही है।
कमला मौसी ने तो बहुत पहले ही मुझसे कहा था - मलाई, यह तो तेरे खेलने कूदने के दिन है तू क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने देगी.... यह मुझे मंजूर नहीं तू चिंता मत कर मैं हूं ना तेरी मौसी? बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी ... और इसके चलते अगर मैं उनके कहे अनुसार सब कुछ करूँ ? तो इसमें हर्ज ही क्या है ? और इसके अलावा अब तो मुझे मेरी नई सहेलियां भी बन गई है - शालिनी और फुलवा - यह दोनों भी खुश होंगी।
कमला मौसी मुझे घर पहुंच आई। मैं बिस्तर पर लेटे-लेटे आराम करती हुई यही सोच कर सो गई कि अब मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है... इस हफ्ते मुझे आराम कर लेना चाहिए की जल्दी में अपनी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू करने वाली हूँ।
समाप्त
मानवीय भावनाओं का शानदार चित्रण....अध्याय १७
इन बातों को सुनते हुए मैं सोने लगी की शुरू-शुरू में एक दिन कमला मौसी फिसल कर गिर गई थी। तब से मैं उनकी सेवा कर रही हूं। उसके बाद उन्होंने मुझे अपनी दुकान पर बैठने को कहा ताकि मैं उनकी थोड़ी सहायता कर सकूं।
लेकिन तब से ही उन्होंने शायद मेरी शक्यता को पहचान लिया था। जब उनके दुकान के बिक्री बट्टे में कमी आ जाती थी; तब वह मुझसे कहा करती थी कि मैं अपने बाल खोल दूं ताकि मुझे देखने के लिए ही सही ब्लॉक पर दुकान आए और कुछ ना कुछ खरीद कर ले जाए , उनका यह पैंतरा काम कर गया और दुकान में छाई हुई मंदी दूर हो जाती थी।
शायद इसीलिए वह मुझे उत्तेजक और अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनाया करती थी - जैसे कि कटा कटा खुला खुला सा ब्लाउज जिससे पीठ और छाती का काफी हिस्सा दिखे ... और वह मुझे देखते ही समझ गई थी कि मेरा दुबला पतला कमजोर पति मुझे अच्छी तरह से यौन तृप्ति नहीं दे सकता; इसलिए उन्होंने मुझे अपने स्वर्गवासी पति के मित्र सचिन अंकल के साथ संपर्क बनाने को कहा जिसे वह कहती है मुझे दूफला बनाना ...
सिर्फ इतना ही नहीं मेरे अंदर की हवस की प्यास को समझ कर अब वह मुझे स्वामी जी गुड़धानी खाँ की आश्रम में लेकर आई थी। यहां मेरा शुद्धिकरण हुआ और फिर स्वामी जी ने मेरा ग्रहण करके मुझे वूमंडली इस सदस्य बनाया ... और अब यह लोग मेरे स्तनों में दूध उत्पन्न करने की मनसा बना रहे हैं। अब मैं करूं तो क्या करूं? अभी तो मैं पूरी तरह से एक किराएदारनी से कमला मौसी की लौंडिया बन चुकी हूं- मतलब एक दासी, एक बाँधी, एक झिल्ली या फिर सिर्फ एक रखेल - कमला मौसी मेरी मालकिन है और मैं उनकी लौंडिया - मैं तो पराधीन हूं !
इतने में शालिनी और फुलवा आ पहुंची।
कमरे के अंदर दाखिल होने के साथ ही फुलवा ने पूछा, "हमारी मलाई मक्खन नींद से जाग गई है क्या ? हम लोग उसे नहाने के लिए आई है"
शैली खाला ने कहा, "हँ, ऊ जाग गइल बा; अब समय आ गइल कि हम ईका के नहला धुला के स्वामी जी गुड़धानी खाँ के लगे ले जाइब आ ओकरा बाद स्वामी जी ईका मांग मा सिंदूर भर दीहें"
इतने में शालिनी फुलवा को हल्के से कोहनी मार के बोली, "लेकिन इस बार मैं मलाई की चूत धोऊंगी; फुलवा तू बिल्कुल हाथ मत लगाना"
इस पर फुलवा ने तत्परता से कहा, "क्यों क्यों क्यों? मैंने क्या गलती की है? पिछली बार मलाई की चूत के पास झाँट के बाल थे, और वह भी एकदम ओरिजिनल, मतलब ऐसा लगता था कि जिंदगी में कभी भी उसने अपने जात के बालों काम मुंडन नहीं किया होगा और देखने वाली बात यह है कि पिछली बार तो शैली खाला ने उसकी चूत धोई थी .. तो इस बार मैं- इस मुंडन की हुई चूत को धोऊंगी"
और इसी के साथ दोनों के दोनों खेल-खेल में लड़ने लगी यह देखकर सिस्टर सिलेस्टी बोल उठी, "अहा! अब तो मलाई लेचारी करेगी, इसलिए इसको यौनांग बिल्कुल साफ सुथरा और चिकन रखना पड़ेगा आसपास बाल रहने से नहीं चलेगा। इसलिए बारी-बारी से तुम दोनों मिलकर इसको अच्छी तरह नहला देना और जब तुम लोग इसे नहलाओगी; तब मैं इसका वीडियो बनाऊंगी। विदेश में इंडियन लड़कियों की वीडियो बहुत ही पॉपुलर है खासकर सिचुएशन में ... और मलाई जैसी सुंदर लड़की का न्यूड वीडियो तो बहुत पॉपुलर होगा"
इसके बाद मुझे कैसे और किसने नहलाया... किसने मेरे गुप्तांगों को बड़े प्यार से धोया ... मुझे बिल्कुल भी नहीं याद क्योंकि तभी भी मुझे नशा चढ़ा हुआ था। बस मुझे इतना याद है कि वह लोग मुझे नंगी हालत में ही स्वामी जी गुड़धानी खाँ पास ले गए। मैंने देखा कि एक बड़े से खाली कमरे के बीचों-बीच स्वामी जी गुड़धानी खाँ एक आसन पर ध्यान लगाए बैठे हुए हैं। वह लोग जैसे ही मुझे उनके पास ले गए मैं समझ गई कि मुझे क्या करना है। इसलिए मैं खुद-ब-खुद जमीन पर घुटने टेक कर बैठ गई और फिर अपना माथा जमीन पर टिका दिया और अपने लंबे-लंबे बालों को उनके आगे फैला दिए। स्वामी जी गुड़धानी खाँ अपने पैरों के तलवे मेरे बालों पर रखकर मुझे आशीर्वाद दिया और तभी शैली खाला एक गोल सी डिबिया लाकर उसे खोलकर स्वामी जी के सामने धरी।
स्वामी जी गुड़धानी खाँ ने उस डिबिया से एक चुटकी सिंदूर निकालकर मेरी मांग में भर दिया। मेरे पीछे और भी काफी सारी औरतें खड़ी थी जिनमें ज्यादातर बिल्कुल नंगी थी और जैसे ही मेरे मांग में सिंदूर भरी गई, वह लोग खुशी से किलकारियां मरने लगी।
अब मैंने देखा कि कमला मौसी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान खिल गई है पता नहीं क्यों पिछली रात को उनका क्या हो गया था कि वह मेरे ऊपर बहुत गुस्सा कर रही थी यहां तक की उन्होंने मुझे दो बार थप्पड़ भी मारा था। लेकिन अब वह मुस्कुराती हुई मेरे होठों को चुम कर बोली, "मुबारक हो ! मलाई आपसे पूरी तरह से स्वामी जी गुड़धानी खाँ की वूमंडली की लौंडिया बन गई है"
मुझे एक नई सी साड़ी पहनने को दी गई।
स्वामी जी गुड़धानी खाँ उसके बाद फिर से ध्यान में मग्न हो गए। वहां मौजूद कमला मासी, शैली खाला शालिनी, फुलवा और सिस्टर सिलेस्टी जॉकी पूरी घटना का वीडियो बना रही थीं और धीरे से मुझे कमरे से बाहर ले गईं।
घड़ी में लगभग 9:30 बज रहे थे। कमला मौसी ने अपने हाथ में एक पोटली पकड़ रखी थी, जिसे देखकर मैं समझ गई की यह मेरी वह वाली साड़ी थी जिसे पहनकर मैं यहां आई थी। उसे पोटली में मेरा ब्लाउज, पेटीकोट, सचिन अंकल के द्वारा दी गई लाल कांच की चूड़ियां चूड़ियाँ, शंख पौला और कमला मौसी के द्वारा दी गई सोने की मोटे-मोटे कंगन थे |
पर मुझे यह नहीं पता था कि उसे पोटली में एक और चीज भी थी- एक छोटी सी डिब्बी में मेरे जघन के बाल ...
इंसान की नियत और उसकी मन कब बदल जाए, कोई नहीं जानता इसलिए टोना टोटका करके स्वामी जी गुड़धानी खाँ ने यह निश्चित कर दिया था कि मैं हमेशा कमला मौसी की वश में रहूं और इसीलिए उन्होंने कमला मौसी को खास हिदायत दे रखी थी कि वह मेरे जगन के बालों की डिब्बी बहुत संभाल के रखे।
कमला मौसी ने कहा, "मलाई, मैं तुझे घर पर छोड़ कर आती हूं और उसके बाद जाकर दुकान खोलती हूँ"
मेरी जुबान तब भी लड़खड़ा रही थी, " कमला मौसी तुम अकेले जाकर दुकान खोलोगी आज ?"
कमला मौसी मुस्कुराते हुए बोली, "हां सिर्फ आज क्यों, यह पूरा हफ्ता ही मैं अकेले दुकान संभाल लूंगी। तो घर में रहकर थोड़ा सा आराम कर ले और अपनी तबीयत पूरी तरह से ठीक कर ले ... अब तो तू पूरी तरह से वूमंडली की लौंडिया बन चुकी है। तेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया है ... अब जब भी बुलावा आएगा, तुझे स्वामी जी की शरण में उपस्थित होना पड़ेगा ... इसके अलावा शैली खाला के मुताबिक अब तो तू लेचारी भी करेगी, इसका मतलब तुझे कई दिनों तक फिर कई महीनो तक ऐसे ही पड़े रहकर सुखना नहीं पड़ेगा और तो ऐसे उलटे सीधे सपने भी नहीं दिखेगी ... और ना ही अपना मन शांत करने के लिए तू अपनी चूत में उंगली करेगी ... क्योंकि अब कोई ना कोई तेरी सेक्स की भूख को जरूर मिटता रहेगा"
लेचारी- हमारे गाँव के अधिकांश विवाहित पुरुष काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, इसलिए अच्छे परिवारों की लड़कियाँ, दुल्हनें या महिलाएँ अक्सर दूसरे पुरुषों के साथ संबंध रखती हैं से उनकी छुटपुट ज़रूरतें पूरी हो जाती है और उसके साथ ही का दिल भी बहला रहता है... भले ही वह व्यभिचार ही क्यों न हो। हमारे समाज ने इसे भी गुप्त रूप से स्वीकार कर लिया है...
और वैसे भी अगर देखा जाए, तो फिर हाल मेरे पास रहने वाला कोई मर्द नहीं है मेरा पति अनिमेष दस - दस पंद्रह-पंद्रह दिन घर से बाहर ही रहता है और सचिन अंकल? वह तो साल या 6 महीने में एक बार ही भारत आते हैं ... और मेरी जवानी और खूबसूरती इस वक्त पूरे उफान पर है; तभी तो कमला मौसी मेरा इतना ख्याल रखने की कोशिश कर रही है और मेरी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश कर रही है - और मेरी ज़रूरतों में जिस्म की प्यास को बुझाया भी बहुत जरूरी है ... और इसीलिए कमला मौसी ने शैली खाला का सुझाव मानकर मुझे भी लेचारी करवा रही है।
कमला मौसी ने तो बहुत पहले ही मुझसे कहा था - मलाई, यह तो तेरे खेलने कूदने के दिन है तू क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने देगी.... यह मुझे मंजूर नहीं तू चिंता मत कर मैं हूं ना तेरी मौसी? बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी ... और इसके चलते अगर मैं उनके कहे अनुसार सब कुछ करूँ ? तो इसमें हर्ज ही क्या है ? और इसके अलावा अब तो मुझे मेरी नई सहेलियां भी बन गई है - शालिनी और फुलवा - यह दोनों भी खुश होंगी।
कमला मौसी मुझे घर पहुंच आई। मैं बिस्तर पर लेटे-लेटे आराम करती हुई यही सोच कर सो गई कि अब मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है... इस हफ्ते मुझे आराम कर लेना चाहिए की जल्दी में अपनी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू करने वाली हूँ।
समाप्त