Very Nice updateBahut hi shandar update he naag.champa Ji,
Malayi swami ji ko pasand aa gayi he.................ab wo malayi ko ji bharke bhogenge.........
Agli update ki pratiksha rahegi
बहुत ही बढ़िया वर्णन और प्रकृति से तादाम्य की बात कितने अच्छे ढंग से कही गयी।अध्याय १०
इतने में और एक लड़की जिसकी उम्र लगभग के बराबर ही होगी; वह भी जल्दी-जल्दी हमारे पास आई और शैली खाला से बोलने लगी, "शाली खाला क्या यही है हमारी नहीं आमदनी मलाई? वही जिसके बारे में आपने कहा था कि स्टेशन के पास पूजा सामग्री की दुकान वाली औरत की पाली हुई लौंडिया? वाह! यह दिखने में तो बहुत सुंदर है, यह कितनी गोरी चिट्टी है, बड़े बड़े भरे हुए स्तन... पतली कमर... चौड़े कूल्हे... और यह बड़ा सा जूड़ा ... पर इसने अब तक कपड़े क्यों पहन रखे हैं, शैली खाला, शैली खाला ... आप इसे नंगी कर दो ना... हम सब के सभी से नंगी देखना चाहती हैं"
फुलवा ज्यादा समझदार होने का नाटक करती हुई उसे लड़की से बोली", तूने बिल्कुल सही समझा शालिनी, यही है हमारी नई सदस्या- मलाई! पर तू ज्यादा जल्दबाजी मत कर, यह अंदर वाला बगीचा हम नारियों के लिए एक पवित्र स्थान है ... यहां सबको पता है कि कोई भी नारी ना तो कपड़े पहन सकती है और ना ही अपने तो को बाँध सकती है ... क्योंकि यह जगह है उनके लिए बंधन मुक्त होने की जगह है ... पर तू थोड़ा सब्र कर । थोड़ी ही देर में शैली खाला हमारी मलाई को बिल्कुल नंगी कर देगी, तू इतनी उतावली मत हो"
शैली खाला जो अब तक चुप थी उसने कहा, "तुम दुनु जाना एकदम सही कहत रही, जबसे हम ईका के पहिला बेर देखनी, तबसे हमरा भी इ इच्छा रहे कि हम एह लौंडिया के पूरा नंगी देख सकीले... और आज स्वामी जी के कृपा से हमार उ इच्छा पूरा होखे वाला बा"
तब तक मुझे नशा चढ़ चुका था मैं चुपचाप खड़ी-खड़ी वहां डगमगा रही थी। शैली खाला ने सहारा देने के लिए मेरा हाथ पकड़ रखा था। उसने मुझे संबोधित करते हुए फिर कहा, "मलाई, हमार नजर तोहरा पर बहुत दिन से रहे... और हम सोचत रहीं कि तोहार कमला मौसी बहुत भाग्यशाली औरत हई कि उका तोहर जइसन लौंडिया मिलल बा। तू सचमुच बहुत सुंदर ह आ तू हमार दिल के मोह लेले रही, हम चाहत बानी कि हमनी के मंडली के सब सदस्या तुहार सुंदरता के तारीफ करस, कि भी इ हमनी महिला लोग खातिर एगो पवित्र जगह बा, इहाँ हमनी के आज़ादी से रहे के पड़ी... हम तहरा के नंगी करी देब... लेकिन एक बात बताईं, का तोहार मलिकाइन कमला मौसी एक बेर भी तोहरा मलाईदार देह से मस्ती ना कईले रहली?"
मेरे हाथ उठाकर एक उंगली दिखाकर इशारे से जवाब दिया - एक बार।
शैली खाला ने हताशा और अस्वीकृति से सर हिलाया।
एक प्रलोभन से भरी हुई और माहिर हाथों से शैली खाला एक-एक करके मेरे सारे गहने उतारने लगी। सबसे पहले सचिन काका की दी हुई लाल रंग की कांच की चूड़ियां उसके बाद कमला मौसी की दी हुई सोने की मोटी मोटी चूड़ियां उसके बाद अनिमेष के साथ मेरी शादी पर बने हुए बंगाली सुहागन की पहचान यानी की सफ़ेद शाँखा और लाल पौला ... उसके बाद गले का हार, पैरों की पायल ... उसके बाद उसने धीरे-धीरे मेरा आंचल मेरी छाती से हटकर, मेरी साड़ी उतार दी ... उसके बाद अपने माहिर हाथों से उसने मेरे ब्लाउज की एक-एक हुक को खोल और फिर मेरा ब्लाउज मेरे बदन से हटा दिया ... हवा के एक देश ठंडा झोंके से मेरा पूरा बदन सिहर उठा और मेरे पूरे बदन में एक अनजाना खुल्लम खुल्ला माहौल की तरंगे मेरे बदन में बहने लगी मैं मारे उत्तेजना के सिहर उठी ... और इतनी देर तक मैंने ध्यान ही नहीं दिया था कि फुलवा और शालिनी ने सहारा देने के लिए मुझे पकड़ रखा था ... पर अब उनसे शायद रहा नहीं जा रहा था... वह दोनों मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी थी और प्यार से स्तनों को दबा दबा कर देख रही थी... शैली खला ने फिर मेरे आगे झुक कर मेरे पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और उसको मेरी कमर से नीचे सरकार कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और फिर बड़े जतन के साथ उसने मेरे बालों का जुड़ा खोल कर मेरे बालों को पीठ पर फैला दिए...
इतने में मैंने गौर किया कि मेरी उतरी हुई साड़ी के ऊपर शैली खाला ने मेरा ब्लाउज, मेरा पेटिकोट और मेरे सारे गहने रख दिए थे... उसने फिर मेरी साड़ी से उनकी एक पोटली बनाई।
शालिनी और फुलवा मेरे बदन में हाथ फेर फेर कर मेरे पूरे बदन को प्यार से सहला रही थी ... जैसे कि मानो वह दोनों वह मेरे कोमल बदन और जवानी का जायज़ा ले रही हों। इतने में फुलवा से रहा नहीं गया और वह बोली , " शैली खाला, इस लौंडिया के बाल कितने सुंदर हैं, एकदम घने घने से घुँघराले और बिल्कुल फूलों से भी नीचे तक लंबे ..."
शैली खाला ने मुस्कुराते हुए उन दोनों की तरफ देखा और फिर उन दोनों का हाथ हटाकर मुझे बाकी महिलाओं की ओर मोड़कर खड़ा कर दिया। जैसे कि मानो वह मेरा परिचय वूमंडली की दूसरी महिलाओं से करवा रही हो और वह भी मुझे बिल्कुल नंगी करके ... इतने में एक और अधिक उम्र की औरत मेरे सामने आई और फिर उसने मुझसे कहा, "अपना सारा अहंकार, अभिमान, पूर्वाग्रह, शर्म, मान-मर्यादा त्याग कर, अपने पैर फैलाकर खड़ी हो जाओ और अपने दोनों हाथ को ऊपर उठाओ; अपने शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांड की प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए और खुशी और उल्लास से चिल्ला- जैसे कि आप प्रकृति माँ को घोषणा कर रही हों कि तुम भी एक योनि धारी नारी हो... तेरे पास वह शक्ति है जिसकी वजह से तू बिना किसी जख्म के भी अपना खून बहा सकती है... तो काम और वासना से भरी हुई है; कुछ ही देर में तू ब्रह्मांड जितनी बड़ी होने जा रही है और मां प्रकृति के साथ एक होने जा रही है... तू एक नई है और फिलहाल तू बिल्कुल नंगी है... तेरे बाल भी खुले हुए हैं... तूने अपनी जिंदगी के सारे बंधन त्याग दिए हैं... तू स्वामी जी गुड़धानी खाँ का आशीर्वाद लेने आई है... इसके लिए तेरा शुद्धिकरण कुछ ही देर में होने वाला है... इसलिए, अपने शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांड की प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए और खुशी और उल्लास से चिल्ला ... जोर से चिल्ला ..."
इसी के साथ-साथ वहां मौजूद बाकी औरतें भी यही कहने लगी, "चिल्ला ! जोर से चिल्ला ... चिल्ला ! जोर से चिल्ला ..."
जैसा मुझसे कहा गया था, ठीक वैसे ही मैं अपने दोनों पैरों को फैला कर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ आसमान की तरफ होकर उठाकर खुशी और उल्लास के साथ चीखने चिल्लाने लगी...
ऐसे कुछ देर तक चीखने चिल्लाने के बाद शालिनी और फुलवा मुझे हाथ पकड़ कर सहारा देकर बगीचे के कोने में लगे हुए हैंड पंप के पास ले गई। वहां उन्होंने मुझे उकडू होकर बिठा दिया। फुलवा हैंडपंप चलने लगी और बाल्टी में पानी भरने लगा कुछ देर बाद एक बड़े से मग्गे में पानी भरकर शालिनी मेरे ऊपर पानी डाल-डाल कर मुझे नहलाने लगी | उसके बाद मेरे माथे पर अपनी उंगलियां चला-चला कर मेरे बालों को अच्छी तरह से भिगोने लगी; फिर उसने अपनी हथेली पर थोड़ा सा शैंपू लिया और फिर वह उसे मेरी मांग में अच्छी तरह से घिस कर मेरे पूरे बालों में शैंपू लगाने लगी...
इतने में मैंने देखा की शैली खाला भी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई है। उसके हाथ में एक कांच की बोतल है जिसमें वही मीठी-मीठी सुगंधित छाछ जैसी कोई चीज भरी हुई थी उसने खुद अपने हाथों से उसे मुझे पिला दी| मैं बड़े-बड़े घूँट लेते हुए वह सारा का सारा छांछ जैसा चीज पी गई। अब तक मुझे पता चल गया था कि यह कोई तीव्र नशीली वस्तु थी उसके बाद वह अधेड़ उम्र की औरत , जिसने मुझे पैरों को फैला कर खड़े होकर और अपने हाथों पर करके चिल्लाने को कहा था, वह अंदर से एक छोटा सा ढका हुआ मिट्टी का लोटा अपने साथ लेकर आई। उसके अंदर भी शैंपू जैसी झाग वाली कोई चीज थी वह मेरे माथे पर वह चीज धीरे-धीरे डालने लगी...
मेरे सर पर जो तरल पदार्थ डाला जा रहा था वह काफी गाढ़ा था। उसमें से एक परिचित सुगंध और साथ-साथ एक दुर्गंध भी आ रही थी। कौतूहलवश मैंने पूछा , " यह आप मेरे सिर पर क्या डाल रही हो"
तो उस अधेड़ उम्र की औरत ने कहा, "षष्टामृत...मतलब दही, घी, सरसों का तेल, मेंहदी, की कैसी औरत जिसने एक लड़की को जन्म दिया उसके स्तनों का दूध और स्वामीजी का दुलार यानी कि उनका मूत्र...हमें तुम्हारी शादी का सिन्दूर पूरी तरह से मिटा देना है और तुम्हारे शरीर और तुम्हारी अंतरात्मा को पूरी तरह आजाद कर देना है"
एक मशीन की तरह फुलवा मेरे सर पर मग्गे से पानी डाल रही थी और शालिनी उमरिया चला चला कर धीरे-धीरे मेरी मांग का सिंदूर घिस-घिस कर उसे दो डाल रही थी | वैसे तो मैं यहां आने से पहले ही नहा कर आई थी और ऊपर से बारिश भी हो रही थी; हम सब के सब वैसे भी भी गए थे लेकिन यहां कुछ और ही हो रहा था - किसी रीति रिवाज का पालन और यहां शायद हर किसी को मालूम है कि इस रीति रिवाज को पालन करते हुए किसको क्या करना है... मैंने देखा कि दो और महिलाएं मेरे पास आई। उनमें से एक के हाथ में एक उस्तरा था और दूसरे के हाथ में एक मिट्टी का कटोरा।
शालिनी और फुलवा ने धीरे-धीरे मेरे को जमीन पर बिल्कुल लिटा दिया और फिर उन दोनों ने मेरी दोनों टांगों को जितना हो सके फैला दिए।
शैली खाला ने उसे अधीर उम्र की औरत से कहा कि वह अपने रोटी का तरल पदार्थ मेरे दो टांगों के बीच मेरे जघन बालों के ऊपर डालें... और फिर उसे अच्छी तरह मेरे जघन बालों पर मलने के बाद शैली खाला उस्तरे से मेरे जघन बालों मूंड़ने लगी... और वह बीच-बीच में बोल रही थी, "बाप रे बाप... यह झांट झांट के बाल है या फिर सुंदरबन का जंगल? मैं बड़ी सावधानी से इनको मूँड़ इसकी योनि को बिल्कुल गंजा किए दे रही हूँ"
किसी बीच वह अधेड़ उम्र की औरत, फुलवा और शालिनी एक साथ मंत्र उच्चारण की तरह बोलने लगी, "अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ ... अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ ..."
और अंदर कहीं से मुझे शंख ध्वनि की आवाज सुनाई देने लगी।
क्रमशः
मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी।बहुत ही बढ़िया वर्णन और प्रकृति से तादाम्य की बात कितने अच्छे ढंग से कही गयी।
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आदरणीय पाठक मित्र SANJU ( V. R. ) जी,एक बार फिर से मलाई से रुबरू का अवसर प्राप्त हुआ । सचिन अंकल के साथ कई दिनों की दैहिक मिलन ने उसे काफी बदल दिया । और कमला ने भी इस पर और भी घी डालने का काम किया था ।
एक से जी अब भरता नही , कुछ और मिल जाए तो बात होगी -- तांत्रिक के सम्पर्क मे बात भी बनेगी और जो कुछ उसे सपने मे उत्तेजित करते थे शायद वह भी पुरी होगी ।
एक बंगालन सुंदरी भोजपुरी संवाद लिख रही है , ऐसा अपेक्षा कम से कम मुझे तो नही था । वैसे काफी अच्छा भोजपुरी लिखी है आपने ।
तांत्रिक के क्या जलवे हैं ! खुबसूरत और जवान औरतों से हर वक्त घिरा हुआ और उनके जवानी का रस चुसता हुआ । वैसे मै प्रत्येक माह मे एक या दो बार अवश्य कल्याणी से होकर गुजरता हूं । कृष्णानगर जाते समय बीच मे पड़ता है । इन तांत्रिक बाबा के आश्रम का पता मुझे अवश्य बताएं । शायद थोड़ा-बहुत कृपा मुझ पर भी हो जाए !
सभी अपडेट बेहतरीन थे नाग चंपा मैडम ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।