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Erotica वूमंडली की लौंडिया

naag.champa

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वूमंडली की लौंडिया

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(मलाई- एक रखैल भाग -२)
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय २ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ (समाप्ति )
 
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अध्याय १०



इतने में और एक लड़की जिसकी उम्र लगभग के बराबर ही होगी; वह भी जल्दी-जल्दी हमारे पास आई और शैली खाला से बोलने लगी, "शाली खाला क्या यही है हमारी नहीं आमदनी मलाई? वही जिसके बारे में आपने कहा था कि स्टेशन के पास पूजा सामग्री की दुकान वाली औरत की पाली हुई लौंडिया? वाह! यह दिखने में तो बहुत सुंदर है, यह कितनी गोरी चिट्टी है, बड़े बड़े भरे हुए स्तन... पतली कमर... चौड़े कूल्हे... और यह बड़ा सा जूड़ा ... पर इसने अब तक कपड़े क्यों पहन रखे हैं, शैली खाला, शैली खाला ... आप इसे नंगी कर दो ना... हम सब के सभी से नंगी देखना चाहती हैं"

फुलवा ज्यादा समझदार होने का नाटक करती हुई उसे लड़की से बोली", तूने बिल्कुल सही समझा शालिनी, यही है हमारी नई सदस्या- मलाई! पर तू ज्यादा जल्दबाजी मत कर, यह अंदर वाला बगीचा हम नारियों के लिए एक पवित्र स्थान है ... यहां सबको पता है कि कोई भी नारी ना तो कपड़े पहन सकती है और ना ही अपने तो को बाँध सकती है ... क्योंकि यह जगह है उनके लिए बंधन मुक्त होने की जगह है ... पर तू थोड़ा सब्र कर । थोड़ी ही देर में शैली खाला हमारी मलाई को बिल्कुल नंगी कर देगी, तू इतनी उतावली मत हो"

शैली खाला जो अब तक चुप थी उसने कहा, "तुम दुनु जाना एकदम सही कहत रही, जबसे हम ईका के पहिला बेर देखनी, तबसे हमरा भी इ इच्छा रहे कि हम एह लौंडिया के पूरा नंगी देख सकीले... और आज स्वामी जी के कृपा से हमार उ इच्छा पूरा होखे वाला बा"

तब तक मुझे नशा चढ़ चुका था मैं चुपचाप खड़ी-खड़ी वहां डगमगा रही थी। शैली खाला ने सहारा देने के लिए मेरा हाथ पकड़ रखा था। उसने मुझे संबोधित करते हुए फिर कहा, "मलाई, हमार नजर तोहरा पर बहुत दिन से रहे... और हम सोचत रहीं कि तोहार कमला मौसी बहुत भाग्यशाली औरत हई कि उका तोहर जइसन लौंडिया मिलल बा। तू सचमुच बहुत सुंदर ह आ तू हमार दिल के मोह लेले रही, हम चाहत बानी कि हमनी के मंडली के सब सदस्या तुहार सुंदरता के तारीफ करस, कि भी इ हमनी महिला लोग खातिर एगो पवित्र जगह बा, इहाँ हमनी के आज़ादी से रहे के पड़ी... हम तहरा के नंगी करी देब... लेकिन एक बात बताईं, का तोहार मलिकाइन कमला मौसी एक बेर भी तोहरा मलाईदार देह से मस्ती ना कईले रहली?"

मेरे हाथ उठाकर एक उंगली दिखाकर इशारे से जवाब दिया - एक बार।

शैली खाला ने हताशा और अस्वीकृति से सर हिलाया।

एक प्रलोभन से भरी हुई और माहिर हाथों से शैली खाला एक-एक करके मेरे सारे गहने उतारने लगी। सबसे पहले सचिन काका की दी हुई लाल रंग की कांच की चूड़ियां उसके बाद कमला मौसी की दी हुई सोने की मोटी मोटी चूड़ियां उसके बाद अनिमेष के साथ मेरी शादी पर बने हुए बंगाली सुहागन की पहचान यानी की सफ़ेद शाँखा और लाल पौला ... उसके बाद गले का हार, पैरों की पायल ... उसके बाद उसने धीरे-धीरे मेरा आंचल मेरी छाती से हटकर, मेरी साड़ी उतार दी ... उसके बाद अपने माहिर हाथों से उसने मेरे ब्लाउज की एक-एक हुक को खोल और फिर मेरा ब्लाउज मेरे बदन से हटा दिया ... हवा के एक देश ठंडा झोंके से मेरा पूरा बदन सिहर उठा और मेरे पूरे बदन में एक अनजाना खुल्लम खुल्ला माहौल की तरंगे मेरे बदन में बहने लगी मैं मारे उत्तेजना के सिहर उठी ... और इतनी देर तक मैंने ध्यान ही नहीं दिया था कि फुलवा और शालिनी ने सहारा देने के लिए मुझे पकड़ रखा था ... पर अब उनसे शायद रहा नहीं जा रहा था... वह दोनों मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी थी और प्यार से स्तनों को दबा दबा कर देख रही थी... शैली खला ने फिर मेरे आगे झुक कर मेरे पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और उसको मेरी कमर से नीचे सरकार कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और फिर बड़े जतन के साथ उसने मेरे बालों का जुड़ा खोल कर मेरे बालों को पीठ पर फैला दिए...

इतने में मैंने गौर किया कि मेरी उतरी हुई साड़ी के ऊपर शैली खाला ने मेरा ब्लाउज, मेरा पेटिकोट और मेरे सारे गहने रख दिए थे... उसने फिर मेरी साड़ी से उनकी एक पोटली बनाई।

शालिनी और फुलवा मेरे बदन में हाथ फेर फेर कर मेरे पूरे बदन को प्यार से सहला रही थी ... जैसे कि मानो वह दोनों वह मेरे कोमल बदन और जवानी का जायज़ा ले रही हों। इतने में फुलवा से रहा नहीं गया और वह बोली , " शैली खाला, इस लौंडिया के बाल कितने सुंदर हैं, एकदम घने घने से घुँघराले और बिल्कुल फूलों से भी नीचे तक लंबे ..."

शैली खाला ने मुस्कुराते हुए उन दोनों की तरफ देखा और फिर उन दोनों का हाथ हटाकर मुझे बाकी महिलाओं की ओर मोड़कर खड़ा कर दिया। जैसे कि मानो वह मेरा परिचय वूमंडली की दूसरी महिलाओं से करवा रही हो और वह भी मुझे बिल्कुल नंगी करके ... इतने में एक और अधिक उम्र की औरत मेरे सामने आई और फिर उसने मुझसे कहा, "अपना सारा अहंकार, अभिमान, पूर्वाग्रह, शर्म, मान-मर्यादा त्याग कर, अपने पैर फैलाकर खड़ी हो जाओ और अपने दोनों हाथ को ऊपर उठाओ; अपने शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांड की प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए और खुशी और उल्लास से चिल्ला- जैसे कि आप प्रकृति माँ को घोषणा कर रही हों कि तुम भी एक योनि धारी नारी हो... तेरे पास वह शक्ति है जिसकी वजह से तू बिना किसी जख्म के भी अपना खून बहा सकती है... तो काम और वासना से भरी हुई है; कुछ ही देर में तू ब्रह्मांड जितनी बड़ी होने जा रही है और मां प्रकृति के साथ एक होने जा रही है... तू एक नई है और फिलहाल तू बिल्कुल नंगी है... तेरे बाल भी खुले हुए हैं... तूने अपनी जिंदगी के सारे बंधन त्याग दिए हैं... तू स्वामी जी गुड़धानी खाँ का आशीर्वाद लेने आई है... इसके लिए तेरा शुद्धिकरण कुछ ही देर में होने वाला है... इसलिए, अपने शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांड की प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए और खुशी और उल्लास से चिल्ला ... जोर से चिल्ला ..."

इसी के साथ-साथ वहां मौजूद बाकी औरतें भी यही कहने लगी, "चिल्ला ! जोर से चिल्ला ... चिल्ला ! जोर से चिल्ला ..."

जैसा मुझसे कहा गया था, ठीक वैसे ही मैं अपने दोनों पैरों को फैला कर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ आसमान की तरफ होकर उठाकर खुशी और उल्लास के साथ चीखने चिल्लाने लगी...

ऐसे कुछ देर तक चीखने चिल्लाने के बाद शालिनी और फुलवा मुझे हाथ पकड़ कर सहारा देकर बगीचे के कोने में लगे हुए हैंड पंप के पास ले गई। वहां उन्होंने मुझे उकडू होकर बिठा दिया। फुलवा हैंडपंप चलने लगी और बाल्टी में पानी भरने लगा कुछ देर बाद एक बड़े से मग्गे में पानी भरकर शालिनी मेरे ऊपर पानी डाल-डाल कर मुझे नहलाने लगी | उसके बाद मेरे माथे पर अपनी उंगलियां चला-चला कर मेरे बालों को अच्छी तरह से भिगोने लगी; फिर उसने अपनी हथेली पर थोड़ा सा शैंपू लिया और फिर वह उसे मेरी मांग में अच्छी तरह से घिस कर मेरे पूरे बालों में शैंपू लगाने लगी...


3333.jpg

इतने में मैंने देखा की शैली खाला भी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई है। उसके हाथ में एक कांच की बोतल है जिसमें वही मीठी-मीठी सुगंधित छाछ जैसी कोई चीज भरी हुई थी उसने खुद अपने हाथों से उसे मुझे पिला दी| मैं बड़े-बड़े घूँट लेते हुए वह सारा का सारा छांछ जैसा चीज पी गई। अब तक मुझे पता चल गया था कि यह कोई तीव्र नशीली वस्तु थी उसके बाद वह अधेड़ उम्र की औरत , जिसने मुझे पैरों को फैला कर खड़े होकर और अपने हाथों पर करके चिल्लाने को कहा था, वह अंदर से एक छोटा सा ढका हुआ मिट्टी का लोटा अपने साथ लेकर आई। उसके अंदर भी शैंपू जैसी झाग वाली कोई चीज थी वह मेरे माथे पर वह चीज धीरे-धीरे डालने लगी...

मेरे सर पर जो तरल पदार्थ डाला जा रहा था वह काफी गाढ़ा था। उसमें से एक परिचित सुगंध और साथ-साथ एक दुर्गंध भी आ रही थी। कौतूहलवश मैंने पूछा , " यह आप मेरे सिर पर क्या डाल रही हो"

तो उस अधेड़ उम्र की औरत ने कहा, "षष्टामृत...मतलब दही, घी, सरसों का तेल, मेंहदी, की कैसी औरत जिसने एक लड़की को जन्म दिया उसके स्तनों का दूध और स्वामीजी का दुलार यानी कि उनका मूत्र...हमें तुम्हारी शादी का सिन्दूर पूरी तरह से मिटा देना है और तुम्हारे शरीर और तुम्हारी अंतरात्मा को पूरी तरह आजाद कर देना है"

एक मशीन की तरह फुलवा मेरे सर पर मग्गे से पानी डाल रही थी और शालिनी उमरिया चला चला कर धीरे-धीरे मेरी मांग का सिंदूर घिस-घिस कर उसे दो डाल रही थी | वैसे तो मैं यहां आने से पहले ही नहा कर आई थी और ऊपर से बारिश भी हो रही थी; हम सब के सब वैसे भी भी गए थे लेकिन यहां कुछ और ही हो रहा था - किसी रीति रिवाज का पालन और यहां शायद हर किसी को मालूम है कि इस रीति रिवाज को पालन करते हुए किसको क्या करना है... मैंने देखा कि दो और महिलाएं मेरे पास आई। उनमें से एक के हाथ में एक उस्तरा था और दूसरे के हाथ में एक मिट्टी का कटोरा।

शालिनी और फुलवा ने धीरे-धीरे मेरे को जमीन पर बिल्कुल लिटा दिया और फिर उन दोनों ने मेरी दोनों टांगों को जितना हो सके फैला दिए।

शैली खाला ने उसे अधीर उम्र की औरत से कहा कि वह अपने रोटी का तरल पदार्थ मेरे दो टांगों के बीच मेरे जघन बालों के ऊपर डालें... और फिर उसे अच्छी तरह मेरे जघन बालों पर मलने के बाद शैली खाला उस्तरे से मेरे जघन बालों मूंड़ने लगी... और वह बीच-बीच में बोल रही थी, "बाप रे बाप... यह झांट झांट के बाल है या फिर सुंदरबन का जंगल? मैं बड़ी सावधानी से इनको मूँड़ इसकी योनि को बिल्कुल गंजा किए दे रही हूँ"

किसी बीच वह अधेड़ उम्र की औरत, फुलवा और शालिनी एक साथ मंत्र उच्चारण की तरह बोलने लगी, "अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ ... अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ ..."

और अंदर कहीं से मुझे शंख ध्वनि की आवाज सुनाई देने लगी।



क्रमशः
 
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अध्याय १०



इतने में और एक लड़की जिसकी उम्र लगभग के बराबर ही होगी; वह भी जल्दी-जल्दी हमारे पास आई और शैली खाला से बोलने लगी, "शाली खाला क्या यही है हमारी नहीं आमदनी मलाई? वही जिसके बारे में आपने कहा था कि स्टेशन के पास पूजा सामग्री की दुकान वाली औरत की पाली हुई लौंडिया? वाह! यह दिखने में तो बहुत सुंदर है, यह कितनी गोरी चिट्टी है, बड़े बड़े भरे हुए स्तन... पतली कमर... चौड़े कूल्हे... और यह बड़ा सा जूड़ा ... पर इसने अब तक कपड़े क्यों पहन रखे हैं, शैली खाला, शैली खाला ... आप इसे नंगी कर दो ना... हम सब के सभी से नंगी देखना चाहती हैं"

फुलवा ज्यादा समझदार होने का नाटक करती हुई उसे लड़की से बोली", तूने बिल्कुल सही समझा शालिनी, यही है हमारी नई सदस्या- मलाई! पर तू ज्यादा जल्दबाजी मत कर, यह अंदर वाला बगीचा हम नारियों के लिए एक पवित्र स्थान है ... यहां सबको पता है कि कोई भी नारी ना तो कपड़े पहन सकती है और ना ही अपने तो को बाँध सकती है ... क्योंकि यह जगह है उनके लिए बंधन मुक्त होने की जगह है ... पर तू थोड़ा सब्र कर । थोड़ी ही देर में शैली खाला हमारी मलाई को बिल्कुल नंगी कर देगी, तू इतनी उतावली मत हो"

शैली खाला जो अब तक चुप थी उसने कहा, "तुम दुनु जाना एकदम सही कहत रही, जबसे हम ईका के पहिला बेर देखनी, तबसे हमरा भी इ इच्छा रहे कि हम एह लौंडिया के पूरा नंगी देख सकीले... और आज स्वामी जी के कृपा से हमार उ इच्छा पूरा होखे वाला बा"

तब तक मुझे नशा चढ़ चुका था मैं चुपचाप खड़ी-खड़ी वहां डगमगा रही थी। शैली खाला ने सहारा देने के लिए मेरा हाथ पकड़ रखा था। उसने मुझे संबोधित करते हुए फिर कहा, "मलाई, हमार नजर तोहरा पर बहुत दिन से रहे... और हम सोचत रहीं कि तोहार कमला मौसी बहुत भाग्यशाली औरत हई कि उका तोहर जइसन लौंडिया मिलल बा। तू सचमुच बहुत सुंदर ह आ तू हमार दिल के मोह लेले रही, हम चाहत बानी कि हमनी के मंडली के सब सदस्या तुहार सुंदरता के तारीफ करस, कि भी इ हमनी महिला लोग खातिर एगो पवित्र जगह बा, इहाँ हमनी के आज़ादी से रहे के पड़ी... हम तहरा के नंगी करी देब... लेकिन एक बात बताईं, का तोहार मलिकाइन कमला मौसी एक बेर भी तोहरा मलाईदार देह से मस्ती ना कईले रहली?"

मेरे हाथ उठाकर एक उंगली दिखाकर इशारे से जवाब दिया - एक बार।

शैली खाला ने हताशा और अस्वीकृति से सर हिलाया।

एक प्रलोभन से भरी हुई और माहिर हाथों से शैली खाला एक-एक करके मेरे सारे गहने उतारने लगी। सबसे पहले सचिन काका की दी हुई लाल रंग की कांच की चूड़ियां उसके बाद कमला मौसी की दी हुई सोने की मोटी मोटी चूड़ियां उसके बाद अनिमेष के साथ मेरी शादी पर बने हुए बंगाली सुहागन की पहचान यानी की सफ़ेद शाँखा और लाल पौला ... उसके बाद गले का हार, पैरों की पायल ... उसके बाद उसने धीरे-धीरे मेरा आंचल मेरी छाती से हटकर, मेरी साड़ी उतार दी ... उसके बाद अपने माहिर हाथों से उसने मेरे ब्लाउज की एक-एक हुक को खोल और फिर मेरा ब्लाउज मेरे बदन से हटा दिया ... हवा के एक देश ठंडा झोंके से मेरा पूरा बदन सिहर उठा और मेरे पूरे बदन में एक अनजाना खुल्लम खुल्ला माहौल की तरंगे मेरे बदन में बहने लगी मैं मारे उत्तेजना के सिहर उठी ... और इतनी देर तक मैंने ध्यान ही नहीं दिया था कि फुलवा और शालिनी ने सहारा देने के लिए मुझे पकड़ रखा था ... पर अब उनसे शायद रहा नहीं जा रहा था... वह दोनों मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी थी और प्यार से स्तनों को दबा दबा कर देख रही थी... शैली खला ने फिर मेरे आगे झुक कर मेरे पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और उसको मेरी कमर से नीचे सरकार कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और फिर बड़े जतन के साथ उसने मेरे बालों का जुड़ा खोल कर मेरे बालों को पीठ पर फैला दिए...

इतने में मैंने गौर किया कि मेरी उतरी हुई साड़ी के ऊपर शैली खाला ने मेरा ब्लाउज, मेरा पेटिकोट और मेरे सारे गहने रख दिए थे... उसने फिर मेरी साड़ी से उनकी एक पोटली बनाई।

शालिनी और फुलवा मेरे बदन में हाथ फेर फेर कर मेरे पूरे बदन को प्यार से सहला रही थी ... जैसे कि मानो वह दोनों वह मेरे कोमल बदन और जवानी का जायज़ा ले रही हों। इतने में फुलवा से रहा नहीं गया और वह बोली , " शैली खाला, इस लौंडिया के बाल कितने सुंदर हैं, एकदम घने घने से घुँघराले और बिल्कुल फूलों से भी नीचे तक लंबे ..."

शैली खाला ने मुस्कुराते हुए उन दोनों की तरफ देखा और फिर उन दोनों का हाथ हटाकर मुझे बाकी महिलाओं की ओर मोड़कर खड़ा कर दिया। जैसे कि मानो वह मेरा परिचय वूमंडली की दूसरी महिलाओं से करवा रही हो और वह भी मुझे बिल्कुल नंगी करके ... इतने में एक और अधिक उम्र की औरत मेरे सामने आई और फिर उसने मुझसे कहा, "अपना सारा अहंकार, अभिमान, पूर्वाग्रह, शर्म, मान-मर्यादा त्याग कर, अपने पैर फैलाकर खड़ी हो जाओ और अपने दोनों हाथ को ऊपर उठाओ; अपने शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांड की प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए और खुशी और उल्लास से चिल्ला- जैसे कि आप प्रकृति माँ को घोषणा कर रही हों कि तुम भी एक योनि धारी नारी हो... तेरे पास वह शक्ति है जिसकी वजह से तू बिना किसी जख्म के भी अपना खून बहा सकती है... तो काम और वासना से भरी हुई है; कुछ ही देर में तू ब्रह्मांड जितनी बड़ी होने जा रही है और मां प्रकृति के साथ एक होने जा रही है... तू एक नई है और फिलहाल तू बिल्कुल नंगी है... तेरे बाल भी खुले हुए हैं... तूने अपनी जिंदगी के सारे बंधन त्याग दिए हैं... तू स्वामी जी गुड़धानी खाँ का आशीर्वाद लेने आई है... इसके लिए तेरा शुद्धिकरण कुछ ही देर में होने वाला है... इसलिए, अपने शरीर, मन और आत्मा को ब्रह्मांड की प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हुए और खुशी और उल्लास से चिल्ला ... जोर से चिल्ला ..."

इसी के साथ-साथ वहां मौजूद बाकी औरतें भी यही कहने लगी, "चिल्ला ! जोर से चिल्ला ... चिल्ला ! जोर से चिल्ला ..."

जैसा मुझसे कहा गया था, ठीक वैसे ही मैं अपने दोनों पैरों को फैला कर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ आसमान की तरफ होकर उठाकर खुशी और उल्लास के साथ चीखने चिल्लाने लगी...

ऐसे कुछ देर तक चीखने चिल्लाने के बाद शालिनी और फुलवा मुझे हाथ पकड़ कर सहारा देकर बगीचे के कोने में लगे हुए हैंड पंप के पास ले गई। वहां उन्होंने मुझे उकडू होकर बिठा दिया। फुलवा हैंडपंप चलने लगी और बाल्टी में पानी भरने लगा कुछ देर बाद एक बड़े से मग्गे में पानी भरकर शालिनी मेरे ऊपर पानी डाल-डाल कर मुझे नहलाने लगी | उसके बाद मेरे माथे पर अपनी उंगलियां चला-चला कर मेरे बालों को अच्छी तरह से भिगोने लगी; फिर उसने अपनी हथेली पर थोड़ा सा शैंपू लिया और फिर वह उसे मेरी मांग में अच्छी तरह से घिस कर मेरे पूरे बालों में शैंपू लगाने लगी...


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इतने में मैंने देखा की शैली खाला भी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई है। उसके हाथ में एक कांच की बोतल है जिसमें वही मीठी-मीठी सुगंधित छाछ जैसी कोई चीज भरी हुई थी उसने खुद अपने हाथों से उसे मुझे पिला दी| मैं बड़े-बड़े घूँट लेते हुए वह सारा का सारा छांछ जैसा चीज पी गई। अब तक मुझे पता चल गया था कि यह कोई तीव्र नशीली वस्तु थी उसके बाद वह अधेड़ उम्र की औरत , जिसने मुझे पैरों को फैला कर खड़े होकर और अपने हाथों पर करके चिल्लाने को कहा था, वह अंदर से एक छोटा सा ढका हुआ मिट्टी का लोटा अपने साथ लेकर आई। उसके अंदर भी शैंपू जैसी झाग वाली कोई चीज थी वह मेरे माथे पर वह चीज धीरे-धीरे डालने लगी...

मेरे सर पर जो तरल पदार्थ डाला जा रहा था वह काफी गाढ़ा था। उसमें से एक परिचित सुगंध और साथ-साथ एक दुर्गंध भी आ रही थी। कौतूहलवश मैंने पूछा , " यह आप मेरे सिर पर क्या डाल रही हो"

तो उस अधेड़ उम्र की औरत ने कहा, "षष्टामृत...मतलब दही, घी, सरसों का तेल, मेंहदी, की कैसी औरत जिसने एक लड़की को जन्म दिया उसके स्तनों का दूध और स्वामीजी का दुलार यानी कि उनका मूत्र...हमें तुम्हारी शादी का सिन्दूर पूरी तरह से मिटा देना है और तुम्हारे शरीर और तुम्हारी अंतरात्मा को पूरी तरह आजाद कर देना है"

एक मशीन की तरह फुलवा मेरे सर पर मग्गे से पानी डाल रही थी और शालिनी उमरिया चला चला कर धीरे-धीरे मेरी मांग का सिंदूर घिस-घिस कर उसे दो डाल रही थी | वैसे तो मैं यहां आने से पहले ही नहा कर आई थी और ऊपर से बारिश भी हो रही थी; हम सब के सब वैसे भी भी गए थे लेकिन यहां कुछ और ही हो रहा था - किसी रीति रिवाज का पालन और यहां शायद हर किसी को मालूम है कि इस रीति रिवाज को पालन करते हुए किसको क्या करना है... मैंने देखा कि दो और महिलाएं मेरे पास आई। उनमें से एक के हाथ में एक उस्तरा था और दूसरे के हाथ में एक मिट्टी का कटोरा।

शालिनी और फुलवा ने धीरे-धीरे मेरे को जमीन पर बिल्कुल लिटा दिया और फिर उन दोनों ने मेरी दोनों टांगों को जितना हो सके फैला दिए।

शैली खाला ने उसे अधीर उम्र की औरत से कहा कि वह अपने रोटी का तरल पदार्थ मेरे दो टांगों के बीच मेरे जघन बालों के ऊपर डालें... और फिर उसे अच्छी तरह मेरे जघन बालों पर मलने के बाद शैली खाला उस्तरे से मेरे जघन बालों मूंड़ने लगी... और वह बीच-बीच में बोल रही थी, "बाप रे बाप... यह झांट झांट के बाल है या फिर सुंदरबन का जंगल? मैं बड़ी सावधानी से इनको मूँड़ इसकी योनि को बिल्कुल गंजा किए दे रही हूँ"

किसी बीच वह अधेड़ उम्र की औरत, फुलवा और शालिनी एक साथ मंत्र उच्चारण की तरह बोलने लगी, "अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ ... अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ ..."

और अंदर कहीं से मुझे शंख ध्वनि की आवाज सुनाई देने लगी।



क्रमशः
बहुत ही बढ़िया वर्णन और प्रकृति से तादाम्य की बात कितने अच्छे ढंग से कही गयी।

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बहुत ही बढ़िया वर्णन और प्रकृति से तादाम्य की बात कितने अच्छे ढंग से कही गयी।

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मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी।

आप जैसे पाठकोँ के मंतव्य मेरे लिए बहुत ही मूल्यवान है और मेरे लिए बहुत बड़ी अनुप्रारना।

मुझे उम्मीद है कि बाकी की कहानी भी आपको पसंद आएगी और मुझे आपके सुझाव और टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
 
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अध्याय ११



मेरे जगन की बालों का बड़ी सावधानी से मुंडन करने के बाद शायरी खाला ने उसे बड़े जतन से एक अलग से ढक्कन वाले मिट्टी के बर्तन में रख दिया। उसके बाद फुलवा और शालिनी ने दोबारा मुझे सहारा देकर खड़ा कर दिया और फिर से वह लोग मेरे ऊपर पानी डाल डाल के मुझे नहलाने लगी और मेरे पूरे बदन पर साबुन लगाने लगी।

इतने में शादी नहीं बोली, "शैली खाला, मैं एक बात जरूर कहूंगी इस बार जो तुम झिल्ली उठा कर लाई हो वह एकदम आसमान में चमकते किसी हीरे की तरह है ... इसका बदन तो बिल्कुल मलाई मक्खन जैसा है ... और इसके बाल एकदम जैसे रेशमी ऊन"

शैली खाला मुस्कुराती हुई बोली, "ठीक बा, ठीक बा, अब हम देखत कि एह लौंडिया के सिंदूर पूरा धूल गइल बा और हम ओकरा चूत के आसपास के बाल के भी बढ़िया से साफ क देले ... अब बाकी शुद्धिकरण के संस्कार जारी राखल जाए के चाही..."

शालिनी और फुलवा में मानो एक नया जोश भर गया। उनमें से एक जल्दी-जल्दी हैंडपंप चलने लगी और दूसरी मग्गे में पानी भर भर कर मेरे ऊपर डालने लगी और वहां मौजूद बाकी नंगी औरतें हम लोगों के चारों तरफ गोल बनाकर अपने हाथ ऊपर उठकर जोर-जोर से मंत्र की तरह बोलने लगी, "अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बह जाओ ... अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ..." और अंदर से कंसार घंटियाँ, शंख और ढाक ढोल बजने लगे...

मैं नशे में बिल्कुल चूर हो रखी थी। मेरे कदम डगमगा रहे थे और मैं अपनी आंखों को भी ठीक से खोल नहीं पा रही थी; लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि शैली खाला मेरी शुद्धिकरण की पूरी रीती की देखरेख कर रही थी... और उसी के चलते उसने उसे अधेड़ उम्र की औरत को इशारा करते हुए कहा, "सिस्टर सिलेस्टी, अब तिहार बारी बा, ई लौंडिया के नई आजादी के एहसास के ज़रा चस्का चखा दिन"

सिस्टर सिलेस्टी, यानी कि वही अधेड़ उम्र की औरत जो मेरे लिए षष्टामृत लेकर आई थी वह एक अजीब सी नशीली नज़रों से मुझे देखने लगी है और धीरे-धीरे अपने नितंबों को मटका मटका कर मेरी तरफ बढ़ने लगी। उसकी चाल ढाल से ऐसा लग रहा था की अपनी जवानी में वह बला की सुंदर रही होगी और उसे जवानी की आग उसके अंदर अभी भी बाकी है ....

उसकी चाल ढाल और हरकतें आत्मविश्वास से पूर्ण और कामुक थीं। वह मेरे सामने घुटने टेक कर बैठ गई है और मेरी आंखों में आंखें डालकर उसने मेरे स्थानों की चूचियों को बड़े प्यार से सहलाना और अपनी उंगलियों से धीरे-धीरे दबाना शुरू किया ... मेरे अंदर धीरे-धीरे एक अजीब सी कामवासना जगने लगी और मेरी सांसे मां को मेरे गले में ही अटकने लगी ... उसके अंदर अभी हाथ मेरे पूरे शरीर में फिर रहे थे और फिर धीरे-धीरे उसकी उंगलियों ने मान लो मेरी नाभि से होते हुए पेट के निचले हिस्से को गुदगुदाते हुए धीरे-धीरे मेरी योनि तक का रास्ता ढूंढ लिया।

सिस्टर सिलेस्टी बड़ी ही कुशलता से मेरे शरीर केसंवेदनशील अंगों को उत्तेजित कर रही थी और मेरे आस-पास नाच रही अन्य महिलाओं के अंदर भी कामवासना की एक अच्छा जगने लगी और मैंने महसूस किया कि उनकी उंगलियां उनके होंठ भी मेरे शरीर की गर्मी का लुफ्त उठा रहे हैं।

अंदर वाले बगीचे का पूरा माहौल काम उत्तेजना से भरा हुआ था और यह ऊर्जा मानो आसमान में छाए घने काले बादलों में घुलकर झमाझम बारिश के रूप में बरस रहे थे।

वहां मौजूद सभी औरतों की शरीर और आत्मा की एक सामूहिक चेतना मेरे अंदर मानो संचार कर रही थी और मैं ऐसा महसूस कर रही थी कि मैं इस समूह से अपने शरीर और आत्मा से धीरे-धीरे जुड़ रही थी ... इतने में मैंने देखा कि बाकी और थी भी एक दूसरे के शरीर को छू छू कर, सहला सहला कर चूम चूम कर चाट चाट कर वासना का आनंद उठा रही थी ... उनमें से कुछ औरतों ने अपनी योनि का गीलापन एक-दूसरे पर मलना शुरू कर दिया था; जबकि अन्य बारी-बारी से एक-दूसरे को चरमोत्कर्ष पर लाने के लिए अपनी उंगलियों का उपयोग कर रही थीं ।

मैं यह सब बड़े इसमें के साथ देख रही थी पर मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं इस दुनिया में नहीं किसी स्वप्न रूप में हूं ... यहां मौजूद सारी की सारी औरतें इस तरह से एक अजीब सी आजादी और उन्मुक्तता का आनंद उठा रही है ... यह सारी की सारी औरतें स्वामी जी गुड़धानी खाँ का आशीर्वाद प्राप्त कर चुकी है - और यही है स्वामी जी गुड़धानी खाँ की महिलाओं का गुप्त समूह - वूमंडली।

यहां हर कोई खुले मन से सारे बंधनों से मुक्त होकर बारिश में नाच रही है एक दूसरे के शरीर का आनंद ले रही है बिजली चमक रही है इस माहौल में एक अजीब सा नशा सा घुला हुआ है ...

इसके बाद शैली खाला ने सबके ऊपर एक नजर दौड़ाई और फिर शालिनी और फुलवा को कुछ इशारा किया।

मैंने देखा कि एक और औरत आकर जमीन पर पालती मार कर बैठ गई और शालिनी और फुलवा ने मुझे बड़े जतन के साथ उसे औरत की गोद में मेरा सर रखकर मुझे जमीन पर लिटा दिया ...

शैली खाला ने दोबारा मेरी टांगों को फैला दिया और सिस्टर सिलेस्टी उन दोनों के बीच पर बैठ गई और फिर मिट्टी के लोटे से षष्टामृत मेरी योनि पर डालकर अच्छी तरह से मलने लगी, और उसके बाद सिस्टर सिलेस्टी ने अपनी मध्यमा उंगली मेरी योनि के अंदर डालकर उसे अंदर बाहर अंदर बाहर हिला हिला कर मिथुन करने लगी और मेरे जी सपोर्ट को उकसाने लगी... इसी बीच शालिनी और फुलवा को भी मौका मिल गया वह लोग छुपकर मेरे स्तनों की चूचियों को अपने मुंह के अंदर लेकर बड़े प्यार से चूसते लगी और मेरे पूरे बदन को बड़े प्यार से सहलाने लगी।


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ऐसा कुछ देर तक चलता रहा पर ऐसी उत्तेजना का आनंद लीला धीरे-धीरे मेरे लिए असहनीय होने लगा था मुझे अच्छा भी लग रहा था ... और मेरे लिए बर्दाश्त करना भी मुश्किल हो रहा था, इसलिए मैं अनजाने में ही चटपटाने लगी लेकिन वहां मौजूद औरतों को शायद मालूम था कि मैं ऐसा ही कुछ करने वाली हूं इसलिए मैंने गौर किया कि उन लोगों ने मेरे हाथ और पर कस कर पकड़ रखी थी मेरे अंदर काम उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और मेरे आस-पास की औरतें नाचती हुई जोर-जोर से चीख चिल्ला कर उच्चारण कर रही थी, "अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बह जाओ ... अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाओ, प्रलोभन में बाह जाओ..."

अंदर कंसार, घंटियाँ, शंख और नगाड़े बज रहे हैं

ऐसा कुछ देर तक चला रहा उसके बाद आसमान में जबरदस्त बिजली कड़की और एक भयानक वज्रपात हुआ। और इसके साथ ही मेरे अंदर आनंद कामना और यौन उत्तेजना का एक जबरदस्त ज्वालामुखी फट पड़ा और उसी के साथ ही मेरी योनि से बह निकली गम मूत्र की धारा।

बड़ी हैरानी की बात है; इसी के साथ ही सब के सब जमीन पर एकदम निढाल होकर लुढ़क गए ... मेरे शरीर में भी मानो जान नहीं थी....

सिर्फ शैली खाला ही ठीक-ठाक थी, उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, "बधाई हो लौंडिया... तोहार शुद्धिकरण हो गईल बा, अब सिर्फ स्वामी जी गुड़धानी खाँ के आशीर्वाद बाकि रहिन... ओकरा बाद तू पूरी की पूरी पवित्र हो जाईल ... तोहार कमला मौसी तोहार खातिर एगो बढ़िया फैसला लेले लिन"

क्रमश:
 
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आदरणीय पाठक मित्र SANJU ( V. R. ) जी,

मैं आपको अपनी कहानी पढ़ने का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी और साथ ही यह भी कहना चाहूंगी कि मुझे आपके मूल्यवंत मंतव्य का इंतजार है |
 
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एक बार फिर से मलाई से रुबरू का अवसर प्राप्त हुआ । सचिन अंकल के साथ कई दिनों की दैहिक मिलन ने उसे काफी बदल दिया । और कमला ने भी इस पर और भी घी डालने का काम किया था ।
एक से जी अब भरता नही , कुछ और मिल जाए तो बात होगी -- तांत्रिक के सम्पर्क मे बात भी बनेगी और जो कुछ उसे सपने मे उत्तेजित करते थे शायद वह भी पुरी होगी ।

एक बंगालन सुंदरी भोजपुरी संवाद लिख रही है , ऐसा अपेक्षा कम से कम मुझे तो नही था । वैसे काफी अच्छा भोजपुरी लिखी है आपने ।

तांत्रिक के क्या जलवे हैं ! खुबसूरत और जवान औरतों से हर वक्त घिरा हुआ और उनके जवानी का रस चुसता हुआ । वैसे मै प्रत्येक माह मे एक या दो बार अवश्य कल्याणी से होकर गुजरता हूं । कृष्णानगर जाते समय बीच मे पड़ता है । इन तांत्रिक बाबा के आश्रम का पता मुझे अवश्य बताएं । शायद थोड़ा-बहुत कृपा मुझ पर भी हो जाए ! :D
सभी अपडेट बेहतरीन थे नाग चंपा मैडम ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 
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एक बार फिर से मलाई से रुबरू का अवसर प्राप्त हुआ । सचिन अंकल के साथ कई दिनों की दैहिक मिलन ने उसे काफी बदल दिया । और कमला ने भी इस पर और भी घी डालने का काम किया था ।
एक से जी अब भरता नही , कुछ और मिल जाए तो बात होगी -- तांत्रिक के सम्पर्क मे बात भी बनेगी और जो कुछ उसे सपने मे उत्तेजित करते थे शायद वह भी पुरी होगी ।

एक बंगालन सुंदरी भोजपुरी संवाद लिख रही है , ऐसा अपेक्षा कम से कम मुझे तो नही था । वैसे काफी अच्छा भोजपुरी लिखी है आपने ।

तांत्रिक के क्या जलवे हैं ! खुबसूरत और जवान औरतों से हर वक्त घिरा हुआ और उनके जवानी का रस चुसता हुआ । वैसे मै प्रत्येक माह मे एक या दो बार अवश्य कल्याणी से होकर गुजरता हूं । कृष्णानगर जाते समय बीच मे पड़ता है । इन तांत्रिक बाबा के आश्रम का पता मुझे अवश्य बताएं । शायद थोड़ा-बहुत कृपा मुझ पर भी हो जाए ! :D
सभी अपडेट बेहतरीन थे नाग चंपा मैडम ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
आदरणीय पाठक मित्र SANJU ( V. R. ) जी,

मैं लगभग हर रोज कम पर जाते वक्त कल्याणी हाईवे से गुजरती हूं, अब तो यह इलाका बहुत ही विकसित और उन्नत हो गया है... वैसे स्वामी जी का आश्रम कहां है यह मुझे भी नहीं मालूम क्योंकि इस कहानी के सभी पात्र और स्थान जैसे कि स्वामी जी का आश्रम काल्पनिक है😁
 
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