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Sir ji har samay free nhi rhete haiSarkar....
Aap thread par aate ho.....
Fir bhi koi reply nahi....
Sir ji har samay free nhi rhete haiSarkar....
Aap thread par aate ho.....
Fir bhi koi reply nahi....
Sorry Bhai par mere khini karano k chalte late ho jati hai updateKon sa kal bhai
आपका भी सुरु हो गया कल परसो बोलना
बिलकुल सरकार इतना चलेगा और बड़ाऊ।FONT ki size badi kar do sarakr ..................
Bhai bas aap ek massage dal diya kro ki aap busy hoSorry Bhai par mere khini karano k chalte late ho jati hai update
Next update coming soon
Sala ye larka chutiya h isko samajh nhi AA rha ki isko palak se pyar h!अपडेट- 24
मै अपने कमरे में बैठा सोचने लगा कि ये काहे के लिए मैने लड़ाई मोल ले ली कोई बात नहीं ऐसे बस उसने मुझ से ये कहा कि पलक मेरी gf है।
और हम बात पर हम लोग लड़ पड़े।
यार मैं कितनी चुतिया हूं पर मैं मुकर भी नहीं सकती थी।
क्योंकि अब बात औकात की थी जो उसे दिखती ही थी।
10 मिनट बाद पलक ऊपर आई और मेरी तरफ गुस्से में देख कर अपने कमरे के अंदर चली गई।
मै पलक के कमरे में गया।
मैं- क्या हुआ ऐसे गुस्से में देख कर यहां क्यों आ गई।
पलक कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप चाप थी।
चेहरा वो बालो से ढके थी और कुछ बोल नहीं रही थी बस हल्की सी सिसकने की आवाज आ रही थी।
मैं- तू क्या फिर रोने लगी।
बोलो यार क्या हुआ है।
मैं- कुछ तो बोलेगी या नहीं ऐसे बीएस सिसकती रहेगी।
पलक एक दम रोते हुए तेरी समस्या क्या है, मैं किसी के साथ राहु के साथ कुछ भी करू तुझे क्या है तू होता कौन है ये सब पूछने वाला तेरी समझ में नहीं आता है क्या ?
मैं- अब क्या तेरी समस्या है अब क्या कर दिया मैंने (मैं भी गुस्से में)
पलक- अभी तूने रोहन से क्या कहा तू उसे मारे गा मुझसे दूर रहने को बोला।
मैं- (झूठ बोलते हुए) नहीं ये कुछ नहीं कहा मैंने बस उसने मेरी मर्दंगी को ललकारा था बस इसलिए मैंने उसको हड़का दिया।
पलक- देख झूठ मत बोल मेरे मोबाइल में रिकॉर्डर सेट है। तेरी एक बात सुन ली है तूने क्या कहा है रोहन से।
और तू प्लीज जब तुझे मुझसे कुछ है ही नहीं तो क्यू करता है ये सब।
और सुन देख में तुझे आज आखिरी बार समझ रही है मेरी जिंदगी टांग मत अड़ाया कर मैं कुछ भी करू समझ तू।
ऐसे ही बहुत बुरा करते हुए पलक रोने लगी।मैं- अच्छा मेरी माँ चुप हो जाओ ठीक है आगे नहीं करुगा।
पलक अभी भी रोये जा रही थी
मैं- देख चुप हो जा नहीं तो मैं,
पलक- नहीं तो क्या तू मुझे मारेगा।
मैं- नहीं मेरा वो मतलब नहीं प्लीज़ यार चुप हो जाओ बस।
पलक अनसुना किए रोये जा रही थी।अब मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करू कैसे चुप करौ।
मैंने फिल्मों में देखा था कि हीरो हीरोइन को चुप करने के लिए उसके होठों पर जोर से किस करते हैं।(अचीवमेंट कहो या हवस कहो)
""वो, जो नहीं होना था"" वही हुआ मैंने पलक के माथे को पकड़ा और उसके आंसू पूछे और गुलाबी होठों पर होंठ रख दिया। और पलक के होठ चुसने लगा। यह नर्म, गीला रूमानी एहसास पहले फील कभी नहीं हुई थी।
पहले भी 1-2 बार हम लोग मैं किस हुई है पर कभी ऐसा फील नहीं आया।मेरा ऐसे करने से शायद पलक को झटका सा लगा होगा।
और पलक ने पहले तो मुझसे छुड़ाने की कोशिश की.पर पकड़ मेरी मजबूर थी.पलक ने धीरे-धीरे आंखें बंद कर ली थी।
पलक ने नहीं विरोध करना किया। लेकिन अभी भी पलक ने साथ नहीं दिया, लेकिन मैं लगतार होठों को चूस जा रहा था।
पलक धीरे धीरे आंखे बंद कर रही थी और विरोध भी करना कम कर रही थी। और फिर मैंने अपनी जीभ पलक के मुंह में डाल दी।
मेरे ऐसे करने से पलक पर मदहोशी सी छाने लगी थी।पलक ने अपने आप को बाहों में ढीला छोड़ दिया अपने हाथो को मेरे गालों पर रख किस का जवाब देने लगी।
अब पलक भी मेरा साथ देने लगी थी। चूमने में इतना गुम था कि मेरे फोन पर 2-3 बार रिंग हुई, मैंने कोई ध्यान नहीं दिया।(मेरा फोन कमरे में था)
अब पलक भी मस्त चूम रही क्या लग रहा है कि एक दम ऐसा एहसास था जैसी जन्नत में। पलक का फोन आया और हम लोगो का चुमन टूट गया।
हदबड़ी में पलक ने अपना फोन रिसीव किया।
मौसी- बेटा पलक कहां हो तुम,
पलक- मम्मी रूम में हूं बताओ कोई काम
मौसी- बेटा हम लोग रास्ते में अभी 1 घंटा और लगेंगे। और ये बता ये अवि कहा है.क्या घर से बाहर है क्या?
पलक- हा एक मिनट मम्मी अभी देखती हूं।इतना कहे पलक कमरे से बाहर निकल कर मेरे रूम में घुस गई।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या कर रही है।
पलक- क्या मम्मी अवि यहीं पर सो रहा हैं और फोन साइलेंट पर है।
मौसी- अच्छा अवि को उठा देना और हां बता देना कि हम लोग आ रहे हैं।
और परेशान तो नहीं कर रहा ना,
पलक- अरे नहीं मम्मी जब से आया है तब से सोया ही है।
मौसी- अच्छा चल ऐसे कर अवि को उठ दे और हम आते हैं अभी।
इतना काहे कर फोन कट कर दिया। मैं पलक की तारीफ करता हुआ।
सोचती तो तू बहुत आगे का, ऐसे मैं तेरे लिए तो तालियां बनाती हूं। मैं बिस्तर पर बैठी और पलक मेरे सामने खड़ी हुई थी।
मैं- पलक को देख कर कुछ बोलने ही वाला था कि पलक ने अपने होंठ ऊपर रख दिए थे और मैं बिस्तर पर गिर गया था, अब पलक ऊपर मेरे और मेरे नीचे।
इतने मुलायम नशीले ओठ़् ऐसा लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ी हो।और हवस का इतना नशा चढ़ा था की में मुहु हटा नहीं पाया।
और हम लोग एक दूसरे से होठ चूमने लगे अब मैं शांत था ओठों को चूमे जा रहा था, पर पलक के अंदर एक अलग ही जोश था। पलक लगातर मेरे होठों को चूमने जा रही थी। और अपनी जीव मेरे मुंह में डाल कर चूसने लगी।
साथ ही साथ हम लोग इतना गरम हो गया थे।
मेरा लंड खड़ा हो रहा था और पलक की जांघों पर फील हो रहा था। ये बात नोटिस नहीं की,
हम्म लोगो का चुम्बन टूट गया।
अब मैं और पलक गहरी सांस ले रहे थे।
पलक ये क्या था
मैं- तुझे बुरा लगा किस करना सॉरी
पलक- नहीं वो नहीं मुझे कुछ चुभ रहा था.क्या था वो
मैं- बात घूमते हुए मौसी का फोन आया था क्या कह रही थी।
पलक- अरे तुझे बताना ही भूल गई मम्मी और मौसी रास्ते में आने में टाइम लगेगा।
मैं- अच्छा, तुझे मेरा किस करना बुरा तो नहीं लगेगा ना
पलक- नहीं अगर बुरा लगा होता तो तुझे तब भी तेरे मुंह हटा नहीं देती।
मैं- हां मालूम है कोशिश तो तूने की थी.पर मेरी पकड़ के आगे तेरी एक ना चली।
पलक- हां मालूम है तेरी पकड़ और तू,
मैं- पर यार एक बात बता हम लोग जो ये कर रहे हैं वो गलत है।
पलक- देख मुझे तो नहीं लगता जो हम लोगों ने किया वो गलत है।
मैं- कैसे ग़लत नहीं यार,
पलक- रुक बताती हूं कैसे,
और इतने कहते ही पलक ने फिर से होठों को चूमना चालू कर दिया, अब की बार पलक मेरे ऊपर थी।
किस करते हमने पोजीशन बदल ली अब मैं ऊपर था और पलक नीचे थी मेरे हाथ धीरे पलक के स्तन तरफ जा रहे थे। मैं पलक कपड़ो के ऊपर से स्तन दबाने लगा और पलक किस करते सिस्कारियां लेने लगी और लगातर हम लोग एक दूसरे को चुम्मे जा रहे थे।
सांस टूटी एक दूसरे से अलग हुई।
हम दोनों लोग कसके सांसे भर रहे थे
मैं- तुझे मेरा ये करना बुरा तो नहीं लगेगा।
पलक- नहीं तेरे होठों ने जो किया वो सही था पर तेरे हाथों ने जो किया वो गलत किया।
मैं- सॉरी यार वो कंट्रोल ही हुआ।तू बुरा मत मनाना मेरी बात का,नहीं तो तू बिना बताए रूठ जाए।
पलक- देख जब तू गुस्सा दिलता है तभी मैं रूठ जाती हूं वैसे भी रूठाने के बाद जब तू इतना प्यार से मानता है वो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
मैं- देख जो कुछ भी हुआ अचानक हुआ है. हम दोनों के बीच ठीक नहीं है। हम इस बात को यहीं ख़तम कर देते हैं। हम दोनो की भलाई इसी में है जो हुआ यही ख़तम कर दे।
पलक- बात तो सही है तेरी पर मुझे कोई बुरी नहीं लगती.क्यूं कि मैं तुझे प्यार करती हूं।और मै ये भी जानती हु की तू भी मुझे पसंद करता है।
मैं- देख पागल मत बन तुझे इसमें बुरी नजर क्यों नहीं आ रही. कुछ भी हो, लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि, हम दोनों भाई बहन हैं।
पलक- हां तेरा सही जब तेरा मन करे तो तेरी राखेल और जब मन ना हो तो भाई बहन।
गुस्से में,
मैं- पलक तू ये क्या बोल रही है मेरे कहने का वो मतलब नहीं है मैं कुछ और कहेना चाहता हूं और तू कुछ या मतलब निकल रही है।
पलक- मै तेरी बात को अच्छी तरह समझ आ रही है। मै कोई बची नहीं हूं। तू यही कहना चाहता है ना कि तू मेरा भाई है।इसलिये ये सब मैं तेरे साथ नहीं कर सकती।
मैं- बिल्कुल मेरे कहने का यही मतलब है.
पलक-यादि तुझे ऐसा करने से अप्ती थी तो फिर तूने मुझे किस क्यों किया।
और उस दिन जब मैं तेरे यहां रुकने आई थी तब तू मेरे नाम लेकर गलत काम कर रहा था तब।और मुझे बिना कपडे के ताड़ रहा था और साथ में मेरे कपड़ो को लेकर गलत काम किया।
उन सब कामों तुझे बहन नज़र नहीं आई, आज जब मैं अपने प्यार का इज़हार कर रही हूँ तब तुझे दुनिया के नियम याद आ रहे हैं।
अगर प्यार नहीं है तो वो सब क्या था।
पलक की बाते सुनकर मेरे पैरो के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई थी। मैं शर्म से पानी पानी हो गया और शर्म से सर नीचे झुक गया।
मेरी जुबान से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था और मैं नहीं जानता था कि मेरा कुछ देर के लिए बहक जाना मुझ पर इतना भारी पड़ेगा।
मेरी एक गलत हरकत ने पलक के अंदर ना जाने कब से दबी हुई भावनाओं की चिंगारी को ज्वालामुखी का रूप दे दिया था। जो अब हर हाल में मुझे अपना अंदर समा लेना चाहती थी।
Awesome updateअपडेट- 24
मै अपने कमरे में बैठा सोचने लगा कि ये काहे के लिए मैने लड़ाई मोल ले ली कोई बात नहीं ऐसे बस उसने मुझ से ये कहा कि पलक मेरी gf है।
और हम बात पर हम लोग लड़ पड़े।
यार मैं कितनी चुतिया हूं पर मैं मुकर भी नहीं सकती थी।
क्योंकि अब बात औकात की थी जो उसे दिखती ही थी।
10 मिनट बाद पलक ऊपर आई और मेरी तरफ गुस्से में देख कर अपने कमरे के अंदर चली गई।
मै पलक के कमरे में गया।
मैं- क्या हुआ ऐसे गुस्से में देख कर यहां क्यों आ गई।
पलक कुछ नहीं बोल रही थी बस चुप चाप थी।
चेहरा वो बालो से ढके थी और कुछ बोल नहीं रही थी बस हल्की सी सिसकने की आवाज आ रही थी।
मैं- तू क्या फिर रोने लगी।
बोलो यार क्या हुआ है।
मैं- कुछ तो बोलेगी या नहीं ऐसे बीएस सिसकती रहेगी।
पलक एक दम रोते हुए तेरी समस्या क्या है, मैं किसी के साथ राहु के साथ कुछ भी करू तुझे क्या है तू होता कौन है ये सब पूछने वाला तेरी समझ में नहीं आता है क्या ?
मैं- अब क्या तेरी समस्या है अब क्या कर दिया मैंने (मैं भी गुस्से में)
पलक- अभी तूने रोहन से क्या कहा तू उसे मारे गा मुझसे दूर रहने को बोला।
मैं- (झूठ बोलते हुए) नहीं ये कुछ नहीं कहा मैंने बस उसने मेरी मर्दंगी को ललकारा था बस इसलिए मैंने उसको हड़का दिया।
पलक- देख झूठ मत बोल मेरे मोबाइल में रिकॉर्डर सेट है। तेरी एक बात सुन ली है तूने क्या कहा है रोहन से।
और तू प्लीज जब तुझे मुझसे कुछ है ही नहीं तो क्यू करता है ये सब।
और सुन देख में तुझे आज आखिरी बार समझ रही है मेरी जिंदगी टांग मत अड़ाया कर मैं कुछ भी करू समझ तू।
ऐसे ही बहुत बुरा करते हुए पलक रोने लगी।मैं- अच्छा मेरी माँ चुप हो जाओ ठीक है आगे नहीं करुगा।
पलक अभी भी रोये जा रही थी
मैं- देख चुप हो जा नहीं तो मैं,
पलक- नहीं तो क्या तू मुझे मारेगा।
मैं- नहीं मेरा वो मतलब नहीं प्लीज़ यार चुप हो जाओ बस।
पलक अनसुना किए रोये जा रही थी।अब मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करू कैसे चुप करौ।
मैंने फिल्मों में देखा था कि हीरो हीरोइन को चुप करने के लिए उसके होठों पर जोर से किस करते हैं।(अचीवमेंट कहो या हवस कहो)
""वो, जो नहीं होना था"" वही हुआ मैंने पलक के माथे को पकड़ा और उसके आंसू पूछे और गुलाबी होठों पर होंठ रख दिया। और पलक के होठ चुसने लगा। यह नर्म, गीला रूमानी एहसास पहले फील कभी नहीं हुई थी।
पहले भी 1-2 बार हम लोग मैं किस हुई है पर कभी ऐसा फील नहीं आया।मेरा ऐसे करने से शायद पलक को झटका सा लगा होगा।
और पलक ने पहले तो मुझसे छुड़ाने की कोशिश की.पर पकड़ मेरी मजबूर थी.पलक ने धीरे-धीरे आंखें बंद कर ली थी।
पलक ने नहीं विरोध करना किया। लेकिन अभी भी पलक ने साथ नहीं दिया, लेकिन मैं लगतार होठों को चूस जा रहा था।
पलक धीरे धीरे आंखे बंद कर रही थी और विरोध भी करना कम कर रही थी। और फिर मैंने अपनी जीभ पलक के मुंह में डाल दी।
मेरे ऐसे करने से पलक पर मदहोशी सी छाने लगी थी।पलक ने अपने आप को बाहों में ढीला छोड़ दिया अपने हाथो को मेरे गालों पर रख किस का जवाब देने लगी।
अब पलक भी मेरा साथ देने लगी थी। चूमने में इतना गुम था कि मेरे फोन पर 2-3 बार रिंग हुई, मैंने कोई ध्यान नहीं दिया।(मेरा फोन कमरे में था)
अब पलक भी मस्त चूम रही क्या लग रहा है कि एक दम ऐसा एहसास था जैसी जन्नत में। पलक का फोन आया और हम लोगो का चुमन टूट गया।
हदबड़ी में पलक ने अपना फोन रिसीव किया।
मौसी- बेटा पलक कहां हो तुम,
पलक- मम्मी रूम में हूं बताओ कोई काम
मौसी- बेटा हम लोग रास्ते में अभी 1 घंटा और लगेंगे। और ये बता ये अवि कहा है.क्या घर से बाहर है क्या?
पलक- हा एक मिनट मम्मी अभी देखती हूं।इतना कहे पलक कमरे से बाहर निकल कर मेरे रूम में घुस गई।
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या कर रही है।
पलक- क्या मम्मी अवि यहीं पर सो रहा हैं और फोन साइलेंट पर है।
मौसी- अच्छा अवि को उठा देना और हां बता देना कि हम लोग आ रहे हैं।
और परेशान तो नहीं कर रहा ना,
पलक- अरे नहीं मम्मी जब से आया है तब से सोया ही है।
मौसी- अच्छा चल ऐसे कर अवि को उठ दे और हम आते हैं अभी।
इतना काहे कर फोन कट कर दिया। मैं पलक की तारीफ करता हुआ।
सोचती तो तू बहुत आगे का, ऐसे मैं तेरे लिए तो तालियां बनाती हूं। मैं बिस्तर पर बैठी और पलक मेरे सामने खड़ी हुई थी।
मैं- पलक को देख कर कुछ बोलने ही वाला था कि पलक ने अपने होंठ ऊपर रख दिए थे और मैं बिस्तर पर गिर गया था, अब पलक ऊपर मेरे और मेरे नीचे।
इतने मुलायम नशीले ओठ़् ऐसा लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ी हो।और हवस का इतना नशा चढ़ा था की में मुहु हटा नहीं पाया।
और हम लोग एक दूसरे से होठ चूमने लगे अब मैं शांत था ओठों को चूमे जा रहा था, पर पलक के अंदर एक अलग ही जोश था। पलक लगातर मेरे होठों को चूमने जा रही थी। और अपनी जीव मेरे मुंह में डाल कर चूसने लगी।
साथ ही साथ हम लोग इतना गरम हो गया थे।
मेरा लंड खड़ा हो रहा था और पलक की जांघों पर फील हो रहा था। ये बात नोटिस नहीं की,
हम्म लोगो का चुम्बन टूट गया।
अब मैं और पलक गहरी सांस ले रहे थे।
पलक ये क्या था
मैं- तुझे बुरा लगा किस करना सॉरी
पलक- नहीं वो नहीं मुझे कुछ चुभ रहा था.क्या था वो
मैं- बात घूमते हुए मौसी का फोन आया था क्या कह रही थी।
पलक- अरे तुझे बताना ही भूल गई मम्मी और मौसी रास्ते में आने में टाइम लगेगा।
मैं- अच्छा, तुझे मेरा किस करना बुरा तो नहीं लगेगा ना
पलक- नहीं अगर बुरा लगा होता तो तुझे तब भी तेरे मुंह हटा नहीं देती।
मैं- हां मालूम है कोशिश तो तूने की थी.पर मेरी पकड़ के आगे तेरी एक ना चली।
पलक- हां मालूम है तेरी पकड़ और तू,
मैं- पर यार एक बात बता हम लोग जो ये कर रहे हैं वो गलत है।
पलक- देख मुझे तो नहीं लगता जो हम लोगों ने किया वो गलत है।
मैं- कैसे ग़लत नहीं यार,
पलक- रुक बताती हूं कैसे,
और इतने कहते ही पलक ने फिर से होठों को चूमना चालू कर दिया, अब की बार पलक मेरे ऊपर थी।
किस करते हमने पोजीशन बदल ली अब मैं ऊपर था और पलक नीचे थी मेरे हाथ धीरे पलक के स्तन तरफ जा रहे थे। मैं पलक कपड़ो के ऊपर से स्तन दबाने लगा और पलक किस करते सिस्कारियां लेने लगी और लगातर हम लोग एक दूसरे को चुम्मे जा रहे थे।
सांस टूटी एक दूसरे से अलग हुई।
हम दोनों लोग कसके सांसे भर रहे थे
मैं- तुझे मेरा ये करना बुरा तो नहीं लगेगा।
पलक- नहीं तेरे होठों ने जो किया वो सही था पर तेरे हाथों ने जो किया वो गलत किया।
मैं- सॉरी यार वो कंट्रोल ही हुआ।तू बुरा मत मनाना मेरी बात का,नहीं तो तू बिना बताए रूठ जाए।
पलक- देख जब तू गुस्सा दिलता है तभी मैं रूठ जाती हूं वैसे भी रूठाने के बाद जब तू इतना प्यार से मानता है वो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
मैं- देख जो कुछ भी हुआ अचानक हुआ है. हम दोनों के बीच ठीक नहीं है। हम इस बात को यहीं ख़तम कर देते हैं। हम दोनो की भलाई इसी में है जो हुआ यही ख़तम कर दे।
पलक- बात तो सही है तेरी पर मुझे कोई बुरी नहीं लगती.क्यूं कि मैं तुझे प्यार करती हूं।और मै ये भी जानती हु की तू भी मुझे पसंद करता है।
मैं- देख पागल मत बन तुझे इसमें बुरी नजर क्यों नहीं आ रही. कुछ भी हो, लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि, हम दोनों भाई बहन हैं।
पलक- हां तेरा सही जब तेरा मन करे तो तेरी राखेल और जब मन ना हो तो भाई बहन।
गुस्से में,
मैं- पलक तू ये क्या बोल रही है मेरे कहने का वो मतलब नहीं है मैं कुछ और कहेना चाहता हूं और तू कुछ या मतलब निकल रही है।
पलक- मै तेरी बात को अच्छी तरह समझ आ रही है। मै कोई बची नहीं हूं। तू यही कहना चाहता है ना कि तू मेरा भाई है।इसलिये ये सब मैं तेरे साथ नहीं कर सकती।
मैं- बिल्कुल मेरे कहने का यही मतलब है.
पलक-यादि तुझे ऐसा करने से अप्ती थी तो फिर तूने मुझे किस क्यों किया।
और उस दिन जब मैं तेरे यहां रुकने आई थी तब तू मेरे नाम लेकर गलत काम कर रहा था तब।और मुझे बिना कपडे के ताड़ रहा था और साथ में मेरे कपड़ो को लेकर गलत काम किया।
उन सब कामों तुझे बहन नज़र नहीं आई, आज जब मैं अपने प्यार का इज़हार कर रही हूँ तब तुझे दुनिया के नियम याद आ रहे हैं।
अगर प्यार नहीं है तो वो सब क्या था।
पलक की बाते सुनकर मेरे पैरो के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई थी। मैं शर्म से पानी पानी हो गया और शर्म से सर नीचे झुक गया।
मेरी जुबान से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था और मैं नहीं जानता था कि मेरा कुछ देर के लिए बहक जाना मुझ पर इतना भारी पड़ेगा।
मेरी एक गलत हरकत ने पलक के अंदर ना जाने कब से दबी हुई भावनाओं की चिंगारी को ज्वालामुखी का रूप दे दिया था। जो अब हर हाल में मुझे अपना अंदर समा लेना चाहती थी।