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अपडेट- 26
भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।
मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।
मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।
पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।
तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।
पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।
समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।
टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।
सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।
रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।
आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।
अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।
"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"
सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।
मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।
सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।
सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.
फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।
सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।
पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।
स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।
स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।
20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।
पलक आगे निकल गयी।
मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।
पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।
और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।
मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)
घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।
अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।
मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।
मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।
मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।
फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।
9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।
मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.
नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।
मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।
रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।
बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।
कॉल उठाते ही,
सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।
सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।
मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।
सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।
सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।
मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।
मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.
सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,
मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय
रात के 1 बज गए थे।
फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।
नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।
आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।
मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।
रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।
रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।
शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।
पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।
अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।
गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।
तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।
ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।
सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।
मेरे ख्याली पुलाव में थोड़ी संस्तुति हुई। लगभाग सुबह 4 बजे मुझे नींद आएगी।
""लेकिन मैं शायद गलत था यह सब कुछ उल्टा हुआ""
भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।
मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।
मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।
पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।
तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।
पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।
समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।
टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।
सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।
रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।
आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।
अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।
"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"
सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।
मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।
सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।
सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.
फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।
सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।
पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।
स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।
स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।
20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।
पलक आगे निकल गयी।
मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।
पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।
और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।
मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)
घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।
अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।
मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।
मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।
मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।
फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।
9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।
मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.
नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।
मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।
रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।
बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।
कॉल उठाते ही,
सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।
सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।
मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।
सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।
सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।
मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।
मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.
सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,
मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय
रात के 1 बज गए थे।
फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।
नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।
आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।
मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।
रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।
रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।
शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।
पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।
अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।
गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।
तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।
ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।
सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।
मेरे ख्याली पुलाव में थोड़ी संस्तुति हुई। लगभाग सुबह 4 बजे मुझे नींद आएगी।
""लेकिन मैं शायद गलत था यह सब कुछ उल्टा हुआ""