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Incest वो,जो नही होना था।

Palak aur Abhishek ka Milan

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cartoon18

लिखावट बाय दिहाती लेखक🌚
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अपडेट- 26
भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।

मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।

मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।

पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।

तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।

पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।

समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।

टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।

सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।

रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।

आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।

अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।

"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"

सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।

मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।

सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।

सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.

फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।

सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।

पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।

स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।

स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।

20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।

पलक आगे निकल गयी।

मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।

पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।

और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।

मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)

घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।

अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।

मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।

मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।

मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।

फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।

9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।

मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.

नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।

मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।

रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।

बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।

कॉल उठाते ही,

सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।

सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।

मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।

सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।

सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।


मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।

मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.

सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,

मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय

रात के 1 बज गए थे।

फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।

नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।

आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।

मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।

रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।

रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।

शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।

पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।

अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।

गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।

तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।

ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।

सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।

मेरे ख्याली पुलाव में थोड़ी संस्तुति हुई। लगभाग सुबह 4 बजे मुझे नींद आएगी।

""लेकिन मैं शायद गलत था यह सब कुछ उल्टा हुआ""
 

cartoon18

लिखावट बाय दिहाती लेखक🌚
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आगे की कहानी काफी रोमांचित है।
आगे अपडेट के लिए इंतज़ार करिए। जल्दी ही मिलेगे।
अपनी राय जरूर रखे कॉमेंट सेक्शन में सभी की बात को रखा जाएगा।
 
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Yasasvi3

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माफ़ी चाहूँगा बहुत दिन बाद अपडेट दे रहा हूँ।

आशा करता हूं कि आप लोगों की दिवाली बहुत अच्छी रही होगी।🙏🙏

अपडेट-21

मम्मी- सुनो सब लोगो का खाना लगा दिया है खा कर ही जाना।

मौसी- नहीं दीदी हम लोग घर भी खा लेंगे और पलक के पापा भी होंगे।

मम्मी- सुनो तुम लोग खा लो और पलक के पापा के लिए पैक करे दे रही हूं।
इसी बहाने वो मेरे हाथों का स्वाद चक लेगे।

मौसी के मना करने के बाद, आख़िर मम्मी की बात मौसी को मनानी पड़ी।

सब लोग खाना खाने लगे लेकिन मै बाद में खाना खाता हूं क्योंकि मुझे इतनी जल्दी खाने की आदत नही है।

थोड़ी देर में बाइक निकाल कर मौसी और पलक को उनके घर तक छोड़ने निकल गया।

मै बाइक चला रहा था बीच में पलक थी।जिसके स्तन मुझे से चिपक रहे थे।पीछे मौसी बैठी हुई थी बैग पकड़ कर।

मजा तो आ रहा था 15 किमी चलने के बाद मौसी का घर आगया सब लोग उतर गए। मै बाइक मोड़ कर जाने लगा।
मौसी आवाज देती हुई,

मौसी- ' अवी' तू थोड़ी देर रुक ले और मौसा जी से मिल ले फिर जाना।

मैं- नहीं मौसी ठीक है फिर कभी आऊंगा।

मौसी- हां पहेली बार घर आया है और नखरे कर रहा है चल अंदर चुप चाप,
मैं- नहीं मौसी अगली बार पक्का

मौसी पलक से
मौसी- पलक इसको रुकने को बोल कि 10 मिनट बाद जाना.
पलक सीधे ताना मरते हुए,

पलक- इसको रुकना होता तो रुक जाता ये हम लोगों को अपना थोड़ा समझता है हम तो पराए हैं इसके लिए।

पलक की बात सुन आश्चर्य चकित होग्या। मैंने मौसी कहा ठीक है 1 मिनट चलता हूं अंदर।


मौसा जी का नाम - ठाकुर बलवीर सिंह
नाम सुनकर ऐसा लगा कि बहुत खतरनाक आदमी है लेकिन जैसा नाम है वैसा नहीं है बहुत साफ दिल का बहुत अच्छा आदमी है।

घर के अंदर गया मौसा जी से मिला पढ़ाई के बारे में पूछने लगे।
इधर उधर की बातें हुई फिर मौसी और मौसा से जाने की इजाज़त ली।
मौसा कुछ पैसे भी देने लगे पर मैंने मन कर दिया।

मौसी बोली पलक से तो मिलकर बाय कर ले।
पहले तो मेरा जाने का मन नही था पर मौसी की बात टाल भी नहीं सकती थी।

ऊपर पलक के रूम में रूम का गेट बंद था। दरवाजा खटखटाने के बाद खुला

पलक- बोल क्या काम है।
मैं- मै जा रहा हूं बस बाय करने आया हूं।
पलक- हो गई बाए अब जा,
मैं- तू क्या फिर से मुझसे नाराज़ है,
पलक- नहीं किसने कहा
मैं- नहीं तू इनते एटिट्यूड से बात तभी कहा,

पलक- चल ठीक है अब बाई हो गई तो तू जा वैसे भी रात हो रही है।
मैं- हा ठीक है।

मै बाय काहे कर नीचे चला आया।मौसा और मौसी से बिदा लेकर घर आया।

रास्ते में ये सोच कर सुकून आ रहा था चलो अब पलक की बच्ची की गुलामी करने से छुटकारा मिला।

घर आ गया पर कुछ अजीब सा लग रहा था जैसे कोई चीज़ मुझसे दूर हो गई हो।

मैने ज्यादा गौर नहीं किया वॉशरूम में जेक फ्रेश हुआ.
रूम में बैठे - बैठे कुछ सोच रहा था।

मम्मी ने आवाज लगाई कि खाना खा ले आकर क्यू कि उस टाइम पर सबने खाना खा रहे थे।
पर मैं सबसे लेट खाता हूं।
खाना खा के अपना कमरा में आ गया।


10 बज गए थे नींद आँखों से कोसो दुर थी टाइम कट नहीं रहा था।

फोन निकाल कर पलक को कॉल की पर रिंग 2-3 बजे फिर फोन कट गया।

2-3 कॉल करने के बाद भी जब कॉल रिसीव नहीं हुई मैंने कॉल बंद कर दिया।

सोचने लगा पता नहीं इस लड़की को क्या हो जाता है। कभी बहुत अच्छे से बात होती है कभी बिल्कुल इग्नोर।
पलक के बारे में सोचते - सोचते सो गया ।


सुबह उठ के नहा कर स्कूल के लिए तैयार हो गया।

7 बजे सूरज के घर के लिए निकल गया वहीं स्कूल चला गया।

स्कूल में टाइम कटने के बाद गर्ल्स स्कूल के बाहर खड़े होके पलक का इंतजार करने लगा।

20 मिनट बाद पलक आती दिखाई दी और उसने बिल्कुल ही मुझे इग्नोर कर दिया जैसे कि मैं कोई अंजान हूं।

मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने आवाज भी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

पलक की इस हरकत से मैं टेंशन में आ गई कि इससे क्या हो गया।

सूरज को घर छोड़ कर मैं तुरंत घर जाके पहले पलक को कॉल लगाई नंबर स्विच ऑफ जा रहा था।

वॉशरूम माई जेक फ्रेश होके नीचे खाना खाने लगा तभी।

मम्मी- हम लोग भैया की लड़की देखने जायेंगे.
मैं- कहाँ पे,
मम्मी- दूसरे शहर में मौसी ने एक रिश्ता बताया है अगर लड़की अच्छी लगी तो बात आगे बढ़ाएंगे।फिर अगली बार रिश्ते की बात करेगी।

मैं- ठीक है पर भैया को आप ने बता दिया।
मम्मी- हा भैया, मौसी और तेरे पापा हम सब लोग जायेंगे।
तू और पलक घर पर रहना और ध्यान रखना।

मैं- ठीक है जैसी आपकी इच्छा वैसी आप लोग जा कह रहे हैं और किस दिन जा रहे हैं
मम्मी- भोपाल, अगले हफ्ते शुक्रवार को।

खाना खा के में ऊपर कमरा में आ गया।
फिर से पलक को कॉल लगाया। लेकिन अब रिंग तो जा रही थी पर कॉल अब भी रिसीव नहीं हो रही थी।

गुस्सा तो बहुत आ रही थी लेकिन अब क्या कर सकता था।

अब रोज का मेरा यही सीन हो गया था कि सुबह स्कूल जाते टाइम पलक की कॉल लगाई तो मोबाइल स्विच ऑफ और शाम के टाइम कॉल रिसीव ही नही करती थीं ।

अब यार मैंने सोचने लगा कि क्या हो गया है मुझे ये सब क्या करने लगा अगर कोई नहीं कॉल उठा रहा है तो कोई बात नहीं।
आज से कॉल नहीं आएगा

पर मेरा मन नही मान रहा था कि जिस लड़की के साथ 1 सप्ताह बिताया हो।लड़े- जागड़े सब किये हो यार उस लड़की से एक दम बात बन जाए और तो और लड़की आप को सामने से बिल्कुल इग्नोर कर दे, थोड़ा दिल को हर्ट होता है।

रात के 10 बजे मन में आया कि शायद आज कॉल रिसीव हो जाए।
मैंने कॉल लगा दी लेकिन असफलता ही हाथ लगी।
सोच लिया कल स्कूल के बाहर ही बात करुंगा।
Badhiya update
 
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Yasasvi3

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भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।

मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।

मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।

पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।

तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।

पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।

समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।

टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।

सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।

रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।

आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।

अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।

"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"

सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।

मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।

सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।

सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.

फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।

सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।

पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।

स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।

स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।

20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।

पलक आगे निकल गयी।

मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।

पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।

और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।

मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)

घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।

अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।

मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।

मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।

मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।

फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।

9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।

मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.

नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।

मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।

रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।

बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।

कॉल उठाते ही,

सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।

सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।

मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।

सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।

सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।


मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।

मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.

सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,

मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय

रात के 1 बज गए थे।

फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।

नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।

आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।

मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।

रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।

रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।

शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।

पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।

अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।

गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।

तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।

ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।

सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।

मेरे ख्याली पुलाव में थोड़ी संस्तुति हुई। लगभाग सुबह 4 बजे मुझे नींद आएगी।

""लेकिन मैं शायद गलत था यह सब कुछ उल्टा हुआ""
Bhot badhiya ja rahi h khani waiting for next update ab palk ka kya reaction aata h
 
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मुझे समझ नहीं आ रहा था कि पलक ने मुझे ये सब करते हुए कब देख लिया।

मैं- पलक देख यार वो जो हुआ एक हवस का नशा था उसमें मुझे कुछ समझ नहीं आया और वो सब गलती से हो गया।

पलक- अच्छा अब तुझे हवस का नशा समझ में आ गया है। और मैं तेरे लिए इतने दिनों से प्यार की आश लगाए बैठी वो, उसको क्या कहेगा तू।

मैं- देख ऐसी बात नहीं है मेरे अंदर तेरे लिए फीलिंग है। मैं भी तुझे पसंद करता हूं। पर हम लोगों के लिए ये सब गलत है।

पलक मुझे समझती हुई बोली,
देख मुझे मालूम नहीं है कि तू मुझे पसंद करता है या नहीं अगर तू करता भी होता मेरे इतने संकेत देने के बाद तुझे कुछ समझ नहीं आया।

मैं- यार देख समझने की कोशिश कर दुनिया बाले क्या सोचेगी, मौसा ,मौसी, मम्मी ,पापा, भाई और बहुत से रिश्तेदार क्या सोचेंगे।

पलक- देख दुनिया का काम बोलना ही वो तू जब कुछ अच्छा करेगा तभी भी बोलेगा, जब कुछ बुरा करेगा तभी भी बोलेगा।और मैं सब लोगो के चक्कर में अपना प्यार नहीं खो सकती ना।

मैं- तू बकाई में पागल हो गई है या तेरा दिमाग चल गया है। तेरे मेरे घर बाले क्या सोचेगा कभी तूने सोचा है ये।

पलक- देख मैं और तू राजी तो क्या करेगा काजी बस मैं ये जानती हूं।

मैं- देखो पलक एक बार को मान ले मैं मान गया पर घर बालो को कैसे समझेंगे।

पलक- मैं, तुम भाग कर शादी कर लेंगे कहीं अपनी नई दुनिया बसायेगे। जहां हमें कोई परेशान करने वाला नहीं होगा।कोई टोकने वाला दुनिया डरने वाला नहीं।कोई नही मै और तुम सिर्फ,

मेरी हर बात का पलक एक अलग जवाब दे रही थी। हर बात पर नहेले पर दहला मर रही थी।

मैं- पलक बेवकूफ़ों वाली बाते मत कर बुरा सपना समझ कर भूल जा।और कोई दूसरा लड़का अपने लिए पसंद कर सकता है, मैं तेरा जिंदगी भर बेस्ट फ्रेंड बना रहूँगा तेरे सुख दुख में कभी कोई भी दिक्कत आएगी मैं तेरे साथ खड़ा रहूँगा।

पलक थोड़ा मुस्कुराती हुई,
सही है तेरा में तुझे ज्यादा तो नहीं 1 साल हो छोटी हूं और तू मुझसे कह रहा है कि बाहर मुझे मार लू।एक बात याद रख, कोई भी लड़की अपनी मर्जी के बिना कुछ नहीं करने देती है समझा तू,

मुझे जो मेरे अंडरगारमेंट्स मैंने देखा मेरे कपड़ो के साथ खेलना मैंने तो कभी बुरा नहीं माना और नहीं मैंने मम्मी को बताया और तूने बड़ी आसानी से कहा दिया की में किसी और लड़के को अपना बना लू।

मै जिंदगी भर कुमारी रहें लूंगी।लेकिन एक बार किसी को चाहा लिए उसे नही छोडूंगी।

मैं- तू भी तो मुझे सबके सामने लफंगा और पता नहीं क्या बोलता है तो मुझे बुरा नहीं लगता।

पलक- क्यों कि मैं नहीं किसी को बताना चाहती थी कि तू मेरा भाई है। तू मुझे सयाद बहन की नज़र से देख पर मैंने तुझे उस नजर से नहीं देख है। समझा तू, और किरण तुझे हां बोलने आ रही थी मैंने ही माना किया। किरण और मैं एक दूसरे को बिना बताए कुछ नहीं कर सकते।

आज कल बाहर के किसी लड़के का भरोसा नहीं होता,
पता नहीं कैसे लड़के होते हैं।
मुझे बस तू पसंद है मैं तुझे से ही प्यार करता हूं। तू हां बोले तो ठीक नहीं तो अपना एक तरफा प्यार रहेगा।

पलक की इतनी बात सुनकर गुस्से में लाल हो गया अबकी बार खीच कर पलक के गाल पर तमाचा जड़ दिया।

गुस्से में, कैसे प्यार की बात कर रही है तू चार दिन साथ रह ली चार मीठी बात कर ली तेरे पीछे घूमने लगा इसमें तुझे प्यार नज़र आ गया। किस कर के गलती हो गई मुझे 1 घंटे से 4 बार सॉरी बोल रहा हूं। पर नहीं मैडम को प्यार चाहिए.

पलक हल्के गुस्से में मुस्कराते हुए खाने लगी

""कटी हुई ठेनिया कहा छांव देती है,
हद से ज्यादा उम्मीद हमेशा के लिए घाव देती है..!""

मैंने एक बात आज नोटिस की कि इतने कसके तम्चा मरने के बाद पलक बिल्कुल नहीं रोई और मुस्कुरा रही थी।
और अब कुछ बोल नहीं रही थी.

मै कुछ बोलने को तब भी नीचे गेट पर तिंग टोंग हुआ।
गेट खोलने नीचे जाने लगा।

जाते हुए पलक से कहा,

जो हुआ इस कमरे के अंदर हुआ. इसी कमरे का अंदर ख़तम हो जाना चाहिए और तू वैसे भी मुझसे समझदार है।

नीचे गेट खोला पापा, मम्मी, मौसी और भैया सब लोग।

अंदर आते हुए,
मम्मी चिल्लाते हुए पूरे दिन सोता रहता है।देख कितने कॉल किए हैं फोन पर,
ये नहीं वापस कॉल कर ले बस सोना है जनाब को।बेचारी लड़की ने सब काम किया होगा।कुछ काम का नहीं है बस सोना है तुझको।

सभी लोग अंदर आए।

मौसी ने पलक को आवाज़ दी और मुझसे कहा कि जल्दी चलो बहुत देर हो गई है।

पापा और भैया बारामदे में बैठ कर कुछ बता कर रहे थे।

मेरी और पलक की लड़ाई में पता ही नहीं चला कि 9 बजे गए थे।
मैंने कहा मतलब मौसी आप रुकेंगी नहीं,
मौसी- बेटा वो तेरे मौसा आ रहे हैं और मेरा भाई उनका लड़का भी आया है (मतलब पलक के मामा) तो हम लोगो को जल्दी निकलना होगा।

पलक क्या ऊपर सो रही है।

मैं- देखा नहीं मौसी अभी देखता हूँ।
मौसी- अगर सो रही हो तो उठा देना काहे देना की मम्मी ने जल्दी चलने को बोला है।
मैं- और खाना वगेरा
मम्मी- खाना पीना हम लोगों ने तो होटल कर लिया था तेरे पलक और तेरे मौसा जी के लिए पैक करा लिया।

मम्मी- अरे वाह आज बड़ी चिंता हो रही है मौसी की ,
क्या बात है मौसी से वैसे तू बिल्कुल मतलब नहीं रखता।

मैं- अरे नहीं मम्मी वो मौसी को छोड़ने जाना है ना इसलिए.
मौसी सब लोग बैठ कर आराम से पानी पीने लगे, तब तक भाग कर पलक को बुलाने चला गया।

मैंने पलक को बुलाया की मौसी नीचे बुला रही है।

पलक- हां मैंने सुन लिया आ रही हूं तू चल,
मैं- देख यार गुस्से में तमाचा मार दिया पर किसी को बताना नहीं
पलक- ठीक है कोई नहीं,:angel3:

मै नीचे गया बाइक निकली स्टार्ट कर के रेडी हो गया।
थोड़ी देर मौसी और पलक भी आ गई।

दोनो लोगो को बाइक पर बैठा कर हम लोग निकल गये।
रास्ते में आज पलक मुझसे दूर बैठी थी। (मतलब आज उसके स्तन मेरी पीठ में महसूस नहीं हो रहे थे)

सोचने लगा आज शायद ज़्यादा ही नाराज़ हो गई थी तमाचे को वजह से।

आधे घंटे बाद मौसी के घर पहुँच गया।
मौसी और पलक को उतरने के बाद बाइक मोड़ कर जाने लगा।

पलक झट से अंदर चली गई एक मिनट भी नहीं रुकी।
मौसी - थोड़ी देर रुक कर जाता मौसा से भी मिल लेता। और छोटू से भी मिल लेना।(छोटू, रोहन का घर का नाम)

मैं- नहीं मौसी भूख भी लगी है और 10 बजे भी बज रही है। अगली बार पक्का आउंगा।

मौसी- हां वो मालूम है तू कितना आएगा।

ओके बाय अब मैं नहीं,जब तू आएगा तभी तेरे घर आउंगी। इतना कहेकर मौसी मुस्कुराने लगी.बोली अरे मजाक कर रही हूं।
मौसी को बाय बोल कर घर की या निकल गया।

रास्ते में आज शाम को पलक के साथ किसिंग बहुत याद आ रही थी।
लेकिन एक तरफ़ ये भी मान में आ रहा था कि जिसको अभी ये सब मना किया वही में सोचने लगा।

बहुत से फ़िज़ुली ख्याल सोचते सोचते घर आ गया।

पापा मम्मी और भैया सब लोग हॉल में बैठे थे।
मम्मी- खाना खा ले।

मैं- हां मम्मी लगा दो भूख भी ज़ोरो की लगी है।
मम्मी- हां पूरे दिन पड़ा रहेगा। तो भूख भी लगेगी।

मैं- अरे नहीं मम्मी सुबह आप लोगो को छोड़ने के बाद पहले 2- घंटे पढ़ाई की फिर सोया और फिर पलक को भी स्कूल से पिक करने गया था।

पापा घर में सबसे कम बोलते थे।
जब भी बोलते हैं तो उनकी बात कोई टाल भी नहीं सकता कोई भी क्यों ना हो।
क्यों कि एक बार भैया ने उनकी बात नहीं मानी तो पापा ने भैया को 3 दिन के लिए गांव भेज दिया था।

गांव मतलब नरक मेरे लिए क्योंकि जो शहर में सुविधा है वो गांव में कहा।और गांव जाके खेती देखो और खेतो मे काम कराओ।
पापा- हमेशा पड़ा शुगर के जैसा सोता रहता है कोई काम नहीं है।
सब लोग चुप थे, मैं बैठे हुए पापा की बाते सुन रहा था।
पापा- सुन आज से अगर तू अब से दिन में सोया तेरी खैर नहीं। पापा का लेक्चर ख़त्म हुआ।
भैया- चलो अब घर के सभी काम टाइम पर होंगे।
मम्मी-हा बिलकुल सही कहा,

मैं- मम्मी अच्छी लड़की कैसी है पसंद आएगी या नहीं,
मम्मी- लड़की नहीं भाभी बोल सबको पसंद है।

मैं- मम्मी भाभी की फोटो तो दिखाओ।
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भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।

मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।

मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।

पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।

तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।

पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।

समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।

टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।

सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।

रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।

आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।

अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।

"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"

सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।

मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।

सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।

सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.

फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।

सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।

पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।

स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।

स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।

20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।

पलक आगे निकल गयी।

मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।

पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।

और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।

मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)

घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।

अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।

मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।

मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।

मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।

फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।

9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।

मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.

नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।

मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।

रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।

बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।

कॉल उठाते ही,

सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।

सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।

मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।

सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।

सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।


मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।

मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.

सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,

मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय

रात के 1 बज गए थे।

फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।

नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।

आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।

मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।

रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।

रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।

शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।

पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।

अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।

गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।

तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।

ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।

सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।

मेरे ख्याली पुलाव में थोड़ी संस्तुति हुई। लगभाग सुबह 4 बजे मुझे नींद आएगी।

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भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।

मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।

मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।

पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।

तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।

पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।

समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।

टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।

सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।

रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।

आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।

अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।

"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"

सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।

मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।

सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।

सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.

फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।

सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।

पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।

स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।

स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।

20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।

पलक आगे निकल गयी।

मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।

पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।

और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।

मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)

घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।

अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।

मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।

मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।

मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।

फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।

9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।

मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.

नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।

मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।

रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।

बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।

कॉल उठाते ही,

सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।

सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।

मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।

सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।

सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।


मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।

मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.

सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,

मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय

रात के 1 बज गए थे।

फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।

नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।

आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।

मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।

रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।

रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।

शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।

पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।

अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।

गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।

तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।

ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।

सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।

मेरे ख्याली पुलाव में थोड़ी संस्तुति हुई। लगभाग सुबह 4 बजे मुझे नींद आएगी।

""लेकिन मैं शायद गलत था यह सब कुछ उल्टा हुआ""
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भैया ने अपने फोन से फोटो दिखाई।
भाभी एक दम कट्टो माल लग रही थी।

मैं- वाह, भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मम्मी- हां बहू अच्छी, संस्कारी भी है और
गुनवान भी है।
पापा और भैया सब लोग अपने कमरे में चला गया।

मैं खाना खा के बाद अपने कमरे में चला गया।

पर आज कुछ अजीब सा लग रहा था। क्योंकि पलक और मेरे बीच में जो हुआ था। उससे मुझे पलक की लिए बुरा लग रहा था।

तुरंत फोन उठाया और पलक को लगाया।

पुरी रिंग गई कॉल कट हो गई। मैंने 2-3 बार प्रयास किया पर जब कुछ प्रतिक्रिया नहीं मिली।लेकिन सुकून नहीं मिला फिर कॉल लगाया अबकी कॉल व्यस्त जा रही थी। मैंने कॉल लगाना छोड़ दिया और मैसेज डाल दिया शायद मैसेज का रिप्लाई आ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

12 बजे तक इंतजार करता रहा कोई रिप्लाई और कोई कॉल नहीं आंखो से नींद कोसो दूर थी।

समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।दोबारा फिर से कॉल लगाई लेकिन अब मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। मेरी टेंशन अब बढ़ गईं थी।
बहुत से गलत ख्याल आने लगे।

टेंशन के चलते नींद नहीं आई।पलक के बारे में मैं सोचते-सोचते कब सो गया।पता ही नहीं चला।

सुबह के काम करने के बाद स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल निकल गया।

रास्ते में सूरज मिला और हम लोग स्कूल पहुंच गए।

आज सोच मैं डूबा हुआ था। मेरा चाहे थोड़ा उतर सा लग रहा था।
सूरज- क्या मुझे देखते हुए क्या बात है वे आज कहीं खोया लग रहा है कोई बात है क्या?
मैं- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है।

अब शायद पलक की टेंशन मुझे होने लगी है। जो कि मेरे चेहरे से दिख रही थी।

"क्योंकि कल रात से मेरे अंदर ना जाने क्यू पलक से बात करने का मन हो रहा है।
ना कॉल रिसीव कर रही है ज्यादा हो गया है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर लेती है।"

सूरज- नहीं भाई वैसे तू हमेशा खुश रहता था कभी इतनी टेंशन मैंने नहीं देखा।और तो और तेरा चेहरा उतारा हुआ है।अगर कुछ हो तो बता भाई तेरे साथ ही खड़ा है।

मैं- हां भाई मैं जानता हूं तू मेरे साथ है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं बस ऐसे घर में थोड़ी समस्या है इतनी कोई ज्यादा गंभीर बात नहीं है।

सूरज- सोच बोल रहा है ना,
मैं- हां भाई कसम से सही बोल रहा हूं।

सूरज- अच्छा ठीक है अगर कोई समस्या हो तो बताना।
मैं- हां भाई तुझे नहीं बताऊंगा तो कैसे बताऊंगा.

फिर मैंने सूरज से उसका फोन मांगा कि अब मेरी बेचनी बहुत खराब थी। जब पलक से मेरी पहले भी लड़ाई हुई है।पर आज तक इतनी बेचैनी नहीं हुई।

सूरज के फोन से कॉल लग गया क्योंकि मेरा कॉल रिसीव नहीं हो रही है। लेकिन अब पलक का फोन व्यस्त है। मेरी टेंशन और बढ़ हो गई है, स्कूल का समय पर फोन व्यस्त है।

पर मन ही मन सोचने लगा कि क्या हुआ जा रहा है मुझे एक लड़की के लिए पागल हुए जा रहा अब। सयाद पलक की कमी अब मुझे खल रही थी।

स्कूल में जैसा मेरा टाइम काटा बस में ही जानता हूं कैसे मेरा टाइम काटा।

स्कूल खत्म हो गया। मैं तुरंत पलक के स्कूल के बाहर जा कर वेट करने लगा।

20 मिनट बाद पलक के स्कूल की छुट्टी हुई। सामने से पलक आती है मैंने "हए" किया।
लेकिन ना तो उसने मेरी तरफ देखा ना मेरे हए का कोई रिप्लाई दिया।

पलक आगे निकल गयी।

मैंने बाइक पलक के पीछे लगा दी। स्कूल की मोड़ पर एक लड़का पलक का इंतजार कर रहा था।मै खड़े होकर देखने लगा।

पलक ने देखा ही उसको "ही" किया मेरे दिल बहुत कसके झटका लगा कि ये क्या हो गया।

और पलक उसके लड़के के साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे इतना बुरा लग रहा था कि रोना आ रहा था। कल की बात है कि इतनी बड़ी सजा.लेकिन ये सब बातों को कोई बहुत अच्छी तरह से नोटिस कर रहा था।

मेरे मुह उतर गया।बाइक स्टार्ट कर के घर आ गया।
रास्ते में उस लड़के की सामने पलक से बात करना ठीक नहीं लगेगा।(शायद बहुत लड़का रोहन होगा)

घर आया खाना खाने का मन नहीं हुआ.और उस पलक की बच्ची के ऊपर गुस्सा तो बहुत कसके आ रही थी।

अपने कमरे में आ के सो गया।शाम को मम्मी ऊपर कामरे में उठाने आई।

मम्मी- क्या बात है कल पापा ने मना किया था कि दिन में नहीं सोना फिर भी तू नहीं माना और स्कूल की ड्रेस भी नहीं बदली कल संडे है तो मतलब कुछ भी करेगा।

मैं- नहीं मम्मी आज तबीयत अच्छी नहीं लग रही है हल्का सा बुखार है. इसीलिये आराम करने लगा पता नहीं कब नींद आ गयी।

मम्मी- चल कपड़े बदल और फ्रेश होकर नीचे आ खाना खा और फिर तुझे दवा दे देती हूँ। तब तुझे अच्छा महसूस होगा।

फ्रेश होकर नीचे गया हल्का फुल्का खाना खाया और फिर दवा खाया फिर से सोया गया क्योंकि कल रात को नींद पूरी नहीं हुई थी।

9 बजे तरफ मेरे फोन पर लगतार सूरज के फोन आये जा रहे थे।नींद बहुत कसके आने के करण का फोन स्विच ऑफ कर दिया।

मेरी आँख रात 12 बजे खुली। सयाद अब बुखार भी उतर गया था.

नीचे जाकर पानी लेके आया। कमरे में आकर फोन ढूडने लगा।

मेरा फोन स्विच ऑफ था।
मन में आया कि पलक का फोन नहीं आया था और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया।
तुरंत फोन ऑन किया और देखा कि सूरज की 10 मिस्ड कॉल, आया 5 मैसेज पड़े।

रात काफी हो गई थी. इस टाइम पर सूरज को कॉल करना ठीक नहीं समझा।
लेकिन ना जाने क्यू पलक को कॉल लगाना को मन कर रहा था।
पलक को कॉल लगाई नंबर बिजी जा रहा था। 3-4 बार कॉल करने के बाद नंबर बिजी ही जा रहा था।

बार-बार लगना था नहीं समझा. जैसे फोन रखा तुरंत मेरा फोन रिंग हुआ।
मन ही मन खुश हुआ कि चलो पलक ने वापस कॉल किया। मेरा अंदाज़ ग़लत था क्यों कि अब सूरज का फ़ोन था।
मन नहीं था कि सूरज फोन रिसीव करें।

कॉल उठाते ही,

सूरज- क्यू बे क्या हो गया भाई फोन नहीं उठा रहा था।
मैं- वो यार तो गया था थोड़ी तबीयत खराब थी।

सूरज- अब तू ज्यादा बन मत कर, आज सुबह से देख रहा हूँ। तेरे मुंह से उतरा हुआ था नहीं तू ज्यादा स्कूल में मस्ती कर रहा था।स्कूल खत्म होते तू तुरंत भाग गया रुका भी नहीं।
कोई समस्या है तो मुझे शेयर पूरी नहीं थोड़ी बहुत मदद कर दूंगा।

मैं- नहीं भाई यार कल रात से कुछ तबियत ख़राब लग रही है. सर भी दर्द हो रहा था इसलिए ऐसा है।

सूरज- देख अगर कुछ है तो बता मैं तेरे साथ बहुत दिनों से रह रहा हूं। पहले भी तू बीमार हुआ है लेकिन ऐसा व्यवहार नहीं किया तूने।
मैं- नहीं भाई कुछ नहीं हुआ बा ऐसे ही तबियत खराब है और कुछ नहीं।

सूरज- मैं जानता हूँ तू मुझे ऐसे तो बताये गा नहीं क्यू तू मुझे अपना दोस्त समझता ही नहीं है।


मैं- नहीं भाई सच्ची में, अभी बस मेरी आंख खुली है, तुझे ही कॉल लगने जा रहा था तब तक तेरा फोन आ गया।
सूरज- अच्छा कल संडे है कहीं घूमने चलेगा यहीं लोकल में।

मैं- नहीं यार मैं नहीं जाउंगा फिर कभी,
सूरज- यार चल बहुत बढ़िया जगह तू जब से आया तूने वो जगह देखी नहीं होगी.प्लीज भाई चल मेरी खातिर.

सूरज ने कोई पार्क का नाम बताया,

मैं- चल ठीक है चलूंगा लगभग 10 तरफ ठीक है।
सूरज- ठीक है
मैं- ठीक है बाय

रात के 1 बज गए थे।

फोन कट कर दिया। लेकिन आंखो में नींद नहीं थी बहुत देर तक।
पलक की याद आ रही थी.गुस्से में लगातार है पलक के फोन पे फोन लगाने जा रहा था।

नंबर बिजी जा रहा था.कितने मैसेज भी किये लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला.
जितना नंबर बिजी जा रहा उतनी टेंशन बढ़ रही थी।

आज जाने क्या हो रहा था कि पलक का चेहरा ख्यालो मेरा दिमाग में उसके बिना नींद चेन सब गायब था।
टेंशन ये नहीं थी पलक फोन नहीं उठा रही।

मेरा दिल उन सब बातो को सोच-सोच कर भारी हुए जा रहा था।
टेंशन ये थी कि लड़का कौन था और उससे इतना चिपक क्यों रही थी।

रात भर पलक के बारे में सोचता रहा दिल से बहुत ज्यादा रोने का मन कर रहा है.कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.पलक की याद सताए जा रही थी।
बस कैसे भी बात कर ले बस 1 मिनट, गुस्सा निकाल कर मार ले जो सजा देनी है दे दे बस एक बार बात कर ले।

रात के 3 बजे फिर से पलक को फोन लगाया। अबकी बार नंबर स्विच ऑफ था।

शायद मेरी यही सज़ा थी जैसा मैंने पलक के साथ किया उसकी ये सज़ा कुछ भी नहीं थी।
जब मेरे पास थी मैंने कोई इज़्ज़त नहीं कि उसे हमेशा रुलाया परेशान किया। साथ साथ थप्पड़ भी मारे अब जब मुझसे दूर है शायद उसकी कीमत समझ में आ रही है।

पलक की उस दिन वाली सभी बातें याद आने लगीं। मैं सोच-सोच कर रोने लगा बस अब कैसे भी पलक मिल जाए।

अगर पलक को हा कर देता क्या होता।जिस लड़की का ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था आज उस लड़की की याद मैं पागल हुई जा रहा था। मुझे अपने आप पर गुस्सा और तरस दोनों आ रहे थे।

गुस्सा इसलिए आ रही थी.कि मैंने वक्त रहते पलक की इज्ज़त नहीं की अब उसके लिए पछा ता रह हुं।

तरस इस लिए है कि उसकी याद मैं सिर्फ आंसू बजाए जा रहा हूं और कुछ कर भी नहीं सकता, किसी को बता भी नहीं सकता।

ख्याल में मौसी आई है। कल मौसी के यहां जाने मन बना लिया वही जाकर पलक को मना लूंगा।
मौसी के नाम से मेरी टेंशन थोड़ी कम हुई और रोना भी बंद हुआ।
अब प्लान बनाया कि कल मौसी के यहां जाऊंगा और पलक से सॉरी बोल दूंगा।

सयाद सॉरी से नहीं बात बनी।
तो उसके लिए कुछ गिफ्ट ले लूंगा अगर मना करेगी तो उससे मार भी खा लाऊंगा। पर कल हर हाल में मना कर आऊंगा।

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