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Incest वो तो है अलबेला (incest + adultery)

क्या संध्या की गलती माफी लायक है??


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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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throw some experienced mature light on it ?

संघर्ष से लेखक का तात्पर्य ये है कि अभी तक अभय के जीवन में सब बहुत ही आराम से हो रहा है, जैसे घर से भाग कर भी कोई खास तकलीफ में नही रहा, गांव वापस आने पर भी कोई खास मेहनत नही, घर वालों को अपना अहसास दिलाने में भी कोई मेहनत नही।

सब मक्खन जैसा स्मूथली हो रहा है, कुछ तो दिखना चाहिए ना कि वो कुछ करना चाह रहा है और उसमे उसे अपना दिमाग और श्रम खर्च करना पड़ा।
सही कहा रिकी भाई ने, संघर्ष की आंच मे तप कर जो सोना बनता अभय उसकी चमक से संध्या की आंखे चौंध जाती.
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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सही कहा रिकी भाई ने, संघर्ष की आंच मे तप कर जो सोना बनता अभय उसकी चमक से संध्या की आंखे चौंध जाती.
वो मंजर ही इक और होता, उस मंजर में सारे घर वाले अपने आप को तुच्छ देखते, चाहते हुए भी अभय से मिलना क्या देखने को भी तरसते, बस गांव की खुशहाली होते देखते और अपनी किस्मत को कोसते, कुछ कर नही पाते।
 
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Hemantstar111

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वो मंजर ही इक और होता, उस मंजर में सारे घर वाले अपने आप को तुच्छ देखते, चाहते हुए भी अभय से मिलना क्या देखने को भी तरसते, बस गांव की खुशहाली होते देखते और अपनी किस्मत को कोसते, कुछ कर नही पाते।

Abhay yaha padhne aaya hai, aur apne baap ke sawalo ko dhundhane,


Aap logo ke kahne ka matlab hai, mujhe usse footpath par sulate hue dikhana chahiye tha, bhookhe pet 2 ya 3 raate gujarte hue dikhana chahiye tha.

I am sorry brother, but aise bachho ki zindagi do waqt ke khane shundhane me nikal jata hai, Sitara ban kar nahi chamkate.

Kahani agar dhyaan se padhi hogi to zarur pata chala hoga ki, aate hi usne apne gale ki chain bechi, apni padhai start ki aur saath hi saath siber cafe me kaam bhi Kiya, vo aaj bhi sangharsh hi kar raha hai, afsoos aap ki nangi aakhe dekh nahi paa rahi hai,

Sangharsh se jindagi nahi banti, sahi jagah aur sahi raste pe sangharsh karne par banti hai, jo abhi kar raha hai, apni padhai kar ke
 
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