• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest वो तो है अलबेला (incest + adultery)

क्या संध्या की गलती माफी लायक है??


  • Total voters
    292

chandu2

Banned
39
294
53
Ab jab Sandhya sochegi Raman aur apne rishte ke baare me tabhi past ke baare me jana ja sakta hai ki past me kya kya hua tha

abhay ke flashback dekhane ke baad
ab dono ki chudai dikhane ka bhi koi matlab nhi hoga kyonki reader's ko maloom ho gaya hai ki Sandhya pahle se chud rahi hai

Ab reader's sirf ye janna chah rahe hai ki Sandhya aur Raman ka sambandh kab aur kaise bana aur Sandhya abhay ki baato par yakin kyu nhi karti thi aur dusro ki baato me aakar abhay par julam kyu karti thi

Mujhe lagta hai ki pahle Sandhya anjane me chudi hogi fir chudai ka silsila chal pada hoga tbhi to Raman ke saath Kushi Khushi chud rahi thi aur Raman bhi confident tha fir to stories incest ho hi nahi sakta kyunki isme mafi ki koi chance hi nhi hai sivay nafart ke jo sahi bhi hai kyonki ek baar anjane me ya majburi me ki gai galti maaf Kiya ja sakta hai pr baar baar ki gai galti ko maaf nhi kiya ja sakta aur is sab me Raman ki kahi koi sajish ya Galti nazar nahi aa raha hai sab galti Sandhya ka hi nazar aa raha hai

Aur ek baat ki Ma beta ki nafrat wali stories me ma sirf ek bar hi chudti hai wo bhi anjane ya majburi me lekin isme to abhay ke flashback aur Sandhya ke 3 alag alag bayan se lag raha hai ki Sandhya kai baar chuda chuki hai to Puri stories hi adultery ho gai hai

Ab dekhna hoga ki writer mahoday aage kaise sabit karenge ki Sandhya ek baar chudi hai ki kai baar
 
Last edited:

chandu2

Banned
39
294
53
सब के सब पाठक संध्या के अतीत को जिज्ञासु हैं वो तो शायद ठीक भी है लेकिन ये कोई नहीं सोच रहा कि जितना ज़ेहर अलबेले के दिल में संध्या के लिए है इस हिसाब से इन दोनों के बीच चुदाई तो दूर की बात है मुझे तो चुम्मा चाटी भी होते नहीं दिखती अलबेला तो संध्या के हाथ लगते ही उसे झटक देता है

पर इस निराशा की किरण के बाद भी एक आशा की किरण मालती व ललिता में नज़र आ रही है पहले ये दोनों ही चुदेंगी एक लाड प्यार में (मालती) दूसरी बदला लेने में (ललिता) बाकि की लेखक अलबेला ही जाने
Sahi kaha hai Bhai ma beta ke nafarat wali incest/adultery wali stories me sirf ma ek baar hi chudti hai kisi dusre se anjane me ya kisi majburi me jisko beta dekh leta hai aur beta apni ma se nafrat karne lag jata hai lekin is stories me to ma Kai baar chud chuki hai Khushi Kushi fir to stories hi Puri adultery ho gya bhai ek baar ki galti ko beta maaf kar sakta hai pr yha to sab ulta hai to stories incest ho hi nhi sakta
 
Last edited:

MAD. MAX

Active Member
573
2,058
123
YE IMAGENATION BI BDA AJEEB WORD HAI
.
YA YE KHE KI JITNE MOO UTNI BAATE
.
WAISE TO HAR BAT KE 21 MATLAB HOTE HAI AB JROORI YE NI KI SAMNE WALA KY SOCHTA HAI ❓
.
JROORI YE HAI KI HUM KY SOCHTE HAI ❓
.
RHA SWAL STORY KA TO HUM SB READERS KI THINKING 🤔🤔
ALAG ALAG HAI HR BAT KO LEKE
LEKIN HONA WHE HAI JO WRITE KO KRNA HAI 😂😂😂😂😂😂😂
.
KEHNA TO NI CHAHEY
LEKIN DIKHAVOO PE MT JAAOO APNI AKAL LGAOOOOO😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
 

ashik awara

Member
346
585
93
बहुत अच्छे आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी , आगे और पढने का इंतजार हे , पर देखो कब पूरी कहानी पढने को मिलती हे . क्यूंकि मुझे कहानी पूरी होने के बाद ही पढना अच्छा लगता हे पहली बार आपकी कहानी के २१ भाग पढ़े हें
 

brego4

Well-Known Member
2,850
11,104
158
अतीत बड़ा रोचक होता है. किसी भी कहानी मे यदि अतीत का जिक्र है तो अतीत की दीवारें बहुत मजबूत होनी चाहिए जिन पर किरदारों का आज सर पटक कर हैरान हो जाए. कहानी मे सब ठीक जा रहा है सिवाय एक बात के वो है संघर्ष

throw some experienced mature light on it ?
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
18,991
38,934
259
throw some experienced mature light on it ?
संघर्ष से लेखक का तात्पर्य ये है कि अभी तक अभय के जीवन में सब बहुत ही आराम से हो रहा है, जैसे घर से भाग कर भी कोई खास तकलीफ में नही रहा, गांव वापस आने पर भी कोई खास मेहनत नही, घर वालों को अपना अहसास दिलाने में भी कोई मेहनत नही।

सब मक्खन जैसा स्मूथली हो रहा है, कुछ तो दिखना चाहिए ना कि वो कुछ करना चाह रहा है और उसमे उसे अपना दिमाग और श्रम खर्च करना पड़ा।
 

Napster

Well-Known Member
5,085
13,939
188
अपडेट 21


अभय आज अपने चाचा की बात सुनकर बहुत कुछ सोच रहा था। एक 9 साल का बच्चा दिमागी तौर पर परेशान हो चुका था। उसकी जिंदगी थी या अपनी जिंदगी से जूझ रहा था। ये बात भला उस 9 साल के बच्चे को क्या पता?

अपनी मां की मार खाकर भी वो हमेशा अपने दिल से एक ही बात बोलता की मेरी मां मुझसे प्यार करती है इसलिए मरती है, क्योंकि उसे लगता है की मैं ही गलत हूं। मगर आज उसके चाचा की बातें उसे किसी और दिशा में सोचने पर मजबूर कर देती है। वो अपना स्कूल बैग टांगे हवेली के अंदर चल दिया।

अभय अपने कमरे में पहुंच कर, अपना स्कूल बैग एक तरफ रखते हुए बेड पर बैठ जाता है। बार बार दीवाल पर टंगी घड़ी की तरफ नजर घुमाकर देखता। अभय का चेहरा किसी सूखे पत्ते की तरह सूख चला था। वो क्या सोच रहा था पता नही, यूं हीं घंटो बेड पर बैठा अभय बार बार दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ नजर डालता। और जैसे ही घड़ी का कांटा 6 पर पहुंचा । वो अपने कमरे से बाहर निकाला।

कमरे से बाहर निकलते ही, हॉल में उसे उसकी मां दिखाई पड़ी। डाइनिंग टेबल पर बैठा अमन नाश्ता कर रहा था, और संध्या और ललिता वही खड़ी उसे नाश्ता खिला रही थी। नाश्ता देखकर अभि भी अपने कदम डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ा देता है और नजदीक आकर टेबल पर बैठ जाता है। उसको टेबल पर बैठा देख संध्या झट से बोल पड़ी....


संध्या --"क्या हुआ? भूख लग गई क्या?अब पता चला ना खाने की कीमत क्या होती है? जो तूने आज उठा कर फेंक दिया था।"

संध्या की बात सुनकर, अमन नाश्ता करते हुए बोला...

अमन --"हां ताई मां, और आपको पता है? आज मैं सारा दिन भूखा रह गया था।"

संध्या --"इतना बिगड़ जायेगा मैं सोच भी नही सकती थी, आज तुझे पता चलेगा की जब भूंख लगती है तो....

संध्या अभि बोल ही रही थी की, अभय मायूस हो कर वहा से बिना कुछ बोले उठ कर चल देता है। शायद वो समझ गया था की उसे खाने को कुछ नही मिलेगा। अभय हवेली से बाहर निकल कर गांव की सड़को पर चल रहा था, शायद उसे भूख लगी थी इसकी वजह से उसके शरीर में वो ऊर्जा नही थी। आज दोपहर को भी उसने थोड़ा बहुत ही खाया था वो भी पायल के टिफिन बॉक्स में से। उसका टिफिन बॉक्स तो अमन फेंक दिया था। वो चलते चलते अमरूद के बाग में पहुंच गया। उसे भूख लगी थी तो वो अमरूद के पेड़ पर चढ़ कर एक दो अमरूद तोड़ कर खा रहा था। करीब आधे घंटे बाद उसे उसकी मां की कार दिखी जो सड़क के किनारे आ कर रुक गई। पेड़ पर चढ़ा अभय की नजरे उस कार पर ही थी।

तभी उसने देखा की कार में से उसकी मां और उसका चाचा दोनो उतरे, और उसी बगीचे की तरफ आ रहे थे। जैसे जैसे अभय की मां बगीचे की तरफ बढ़ रही थी वैसे वैसे अभय का दिल भी धड़क रहा था।

अभय के मन में हजार सवाल उठने लगे थे, वो बहुत कुछ सोचने लगा था। पर उसकी नजर अभि भी अपनी मां के ऊपर ही टिकी थी। जल्द ही संध्या और रमन उस बगीचे में दाखिल हो चुके थे। अभय के दिल की रफ्तार तब और बढ़ गई जब उसने अपनी मां और चाचा को उस बगीचे वाले कमरे की तरफ जाते देखा।

जैसे ही दोनो कमरे के अंदर दाखिल हुए, संध्या दरवाजा बंद करने के लिए पीछे मुड़ी, तब अभय ने अपनी मां के चेहरे पर जो मुस्कान देखी उसे ऐसा लगा जैसे आज उसकी मां खुश है। जैसे संध्या ने दरवाजा बंद किया अभय की आंखे भी एक पल के लिए बंद हो गई। वो कुछ देर तक यूं ही उस अमरूद की टहनी पर बैठा उस दरवाजे की तरफ देखता रहा। और थोड़ी देर के बाद वो अमरूद के उस पेड़ से नीचे उतर कर बड़े ही धीमी गति से उस कमरे की तरफ बढ़ा।

उसका दिल इस तरह धड़क रहा था मानो फट ना जाए, उसे सांस लेने में तकलीफ सी हो रही थी। हर बार उसे गहरी सांस लेनी पड़ रही थी। चलते हुए उसके पैर आज कांप रहे थे। ठंडी के मौसम में भी उसे गर्मी का अहसास उसके शरीर से टपक रहे पसीने की बूंद करा रही थी। उसका सिर भरी सा पद गया था, मगर आखिर में वो उस कमरे के करीब पहुंच ही गया।

उसकी नजर उस दीवाल पर बने छोटे छोटे झरोखों पर पड़ी, और बड़ी ही हिम्मत जुटा कर अभय ने अपनी नजर उस झरोखे से सटा दिया।

अंदर का नजारा देखते ही, अभय के हाथ की मीठी में पड़ा वो अमरूद अचानक ही नीचे गिर जाता है। अभय के आंखो के सामने उसकी का की बिखरी हुई फर्श पर साड़ी पर पड़ी, वो अपनी मां की फर्श पर साड़ी को देखते हुए जैसे नजरे उठा कर देखा तो, उसे उसकी मां की नंगी पीठ दिखी, जो इस समय उसके चाचा रमन की जांघो पर उसकी तरफ मुंह कर के बैठी थी।

अभय हड़बड़ा गया, और झट से वो उस दीवार से इतनी तेजी से दूर हुआ, मानो उस दीवार में हजार वॉट का करंट दौड़ रहा हो।

अभय के चेहरे पर किस प्रकार के भाव थे ये बता पाना बहुत मुश्किल था। मगर उसे देख कर ये जरूर लग रहा था की वो पूरी तरह से टूटा हुआ, एक लाचार सा बच्चा था। जो आज अपनी मां को किसी गैर की बाहों में पाकर, खुद को गैर समझने लगा था। वो बहुत देर तक उस दीवाल से दूर खड़ा उसी दीवाल को घूरता रहा। और फिर धीरे से अपने लड़खड़ाते पैर उस बगीचे से बाहर के रास्ते की तरफ मोड़ दिया।


आज अभय का साथ उसे पैर भी नही दे रहे थे। दिमाग तो पहले ही साथ छोड़ चुका था और दिल तो ये मानने को तैयार नहीं था की जो उसकी आंखो ने देखा वो सब सच था। एक शरीर ही था उसका जो बिना दिल और दिमाग के कमजोर हो गया था। उसके पैर उस जगह नहीं पड़ते जहा वो रखना चाहता था। पर शायद अभय को इस बात का कोई फिक्र भी नही था। आज उसके कदम कही पड़े वो मायने नहीं रख रहा था। क्यूं की आज उसे खुद को नही पता था की वो अपने पैर किस दिशा की तरफ मोड़?

चलते हुए वो खेत की पगडंडी पर बैठ जाता है, पेट में लगी ढूंढ भी शायद शांत हो गई थी उसकी, अच्छा हुआ उसेसमय वहा कोई नही था, नही तो उस 9 साल के बच्चे का चेहरा देख कर ही यही समझता की जरूर इसका इस दुनिया में कोई नही है।

कहते है ना जो दिल समझता है अपना शरीर भी वैसा ही बर्ताव करता है। और आज अभय के दिल ने मान लिया था की अब उसका कोई नही है। आज वो रो भी नही रहा था, क्यूंकि जब आंखे रोती है तो आंखो से अश्रु की दरिया बहती है, लेकिन जब दिल रोता है, तो सारे दर्द रिस कर अश्रु की सिर्फ दो कतरे फूटते है जिसके कतरे हाथो से पूछने पर भी चांद लम्हों के बाद गालों पे दर्द की लकीरें छोड़ जाति है।


पगडंडी पर बैठा अभय की आंखो से भी आज रह रह कर ही बूंदे टपक रही थी। उसके सामने चारो दिशाएं थी मगर आज वो समझ नही पा रहा था की किस दिशा में वो जाए। उसकी चाचा की कही हुई बाते, अभय को यकीन दिला गई की उसकी मां ने आज तक उसे जितनी बार भी मारा था वो उसकी नफरत थी। रह रह कर अभय के जहन में उसके चाचा की बातें आती की, तेरी मां तेरे बाप से प्यार ही नहीं करती थी, वो तो मुझसे प्यार करती थी।"

अभय का सिर इतना जोर से दुखने लगा की मानो फट जायेगा, और वो अपना हाथ उठते हुए अपने सिर पर रख लेता है।

अंधेरा हो गया था, मगर अभय अभि भी वही बैठा था। तभी अचानक ही बादल कड़कने लगे, और तेज हवाएं चलने लगी... अभय ने एक बाजार उठा कर इधर उधर देखा और खड़ा होते हुए घर की तरफ जाने के लिए कदम बढ़ाया ही था की, उसने अपने पैर रोक लिए...

तभी किसी आवाज ने अभय को यादों से झिंझोड़ते हुए, वर्तमान में ला पटका। अभय की नजर फोन पर पड़ी जिस पर कॉल आ रहा था...

अभि --"हेलो...!!"

सामने से कुछ आवाज नही आवरा था, तो की ने एक बार फिर से बोला...

अभि --"हेलो...कौन है??"

तब सामने से आवाज आई.....

संध्या --"मैं हूं...।"

अभय --"मैं कौन? मैं का कुछ नाम तो होगा?"

अभय की बात सुनकर सामने से एक बार फिर से आवाज आई...

"एक अभागी मां हूं, जो अपने बेटे के लिए बहुत तड़प रही है, प्लीज फोन मत काटना अभय।"

अभय समझ गया की ये उसकी मां है, वो ये भी समझ गया की जरूर उसकी मां ने एडमिशन फॉर्म से नंबर निकला होगा।

अपनी मां की आवाज सुनकर अभय गुस्से में चिल्लाया...

अभय --"तुझे एक बार में समझ नही आता क्या? तेरा और मेरा रास्ता अलग है,। क्यूं तू मेरे पीछे पड़ी है, बचपन तो खा गई मेरी अब क्या बची हुई जिंदगी भी जहन्नुम बनाना चाहती है क्या?"

अभय की बात सुनकर संध्या एक बार फिर से रोने लगती है.....

संध्या --"ना बोल ऐसा, मैने ऐसा कभी सपने में भी नही सोच सकती।"

संध्या की बात सुनकर अभि इस बार शांति से बोला....

अभि --"काश!! तूने ये सपने में सोचा होता, पर तूने तो...??" देख मैं संभाल गया हूं, समझ बात को, मुझे अब तेरी जरूरत नहीं है, और ना ही तेरी परवाह। मैं यह सिर्फ पढ़ने आया हूं, कोई रिश्ता जोड़ने नही। तू अपने भेजे में ये बात डाल ले की मैं तेरे लिए मर चुका हूं और तू मेरे लिए। तू जैसे अपनी जिंदगी जी रही थी वैसे ही जी, और भगवान के लिए मुझे जीने दे। मैं तुझसे गुस्सा नही हूं, ना ही तुझसे नाराज हूं, क्योंकि गुस्सा और नाराजगी अपनो से किया जाता है। तू मेरे लिए दुनिया के भीड़ में चल रही एक इंसान है बस, और कुछ नही।"

कहते हुए अभय ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अभी अतित में उसके साथ क्या क्या घटा ये सोच कर अपने और अपनी माँ संध्या के साथ रिस्ते के बारे में सोच ही रहा था की संध्या का फोन आ गया और फिर अभी ने खरी खोटी सुनाकर फोन कट कर दिया
बडा ही सुंदर वर्णन है
देखते हैं आगे क्या होता है
 

chandu2

Banned
39
294
53
YE IMAGENATION BI BDA AJEEB WORD HAI
.
YA YE KHE KI JITNE MOO UTNI BAATE
.
WAISE TO HAR BAT KE 21 MATLAB HOTE HAI AB JROORI YE NI KI SAMNE WALA KY SOCHTA HAI ❓
.
JROORI YE HAI KI HUM KY SOCHTE HAI ❓
.
RHA SWAL STORY KA TO HUM SB READERS KI THINKING 🤔🤔
ALAG ALAG HAI HR BAT KO LEKE
LEKIN HONA WHE HAI JO WRITE KO KRNA HAI 😂😂😂😂😂😂😂
.
KEHNA TO NI CHAHEY
LEKIN DIKHAVOO PE MT JAAOO APNI AKAL LGAOOOOO😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Bhai yaha writer mahoday ne situation hi Aisa create kar diya hai tabhi to readers ko lagta hai ki Sandhya pahle se chudati a rahi hai
 
Top