अध्याय - 43
" अरे कुंडली से कुछ तो अंदाज़ा चल ही जाता है, शुक्र का स्थान देख लेना. किस घर मे है और उच्च स्थान मे है. बात तो ये सही कह रही है असली चीज़ तो वही है तू इसकी चिंता मत कर ये ज़िम्मेदारी अपनी दादी पे छोड़ दे. एकदम टॅन टना टन होगा." दादी भी अब खुल के मज़ाक के मूड मे थी और सब कुछ समझते हुए भी मै अंजान बैठी थी.. ...
उसी दिन से लड़को की तलाश चालू हो गयी.. ............!
लड़के की तलाश मे पहला और सबसे इंपॉर्टेंट स्टेप होता है, लड़की की फोटो खिंचवाना. और उसके लिए अंजू मुझे ले गयी, पाठक फोटो स्टूडियो मे. जिसमे फोटो खींचवाए बिना लोग कहते थे अच्छा लड़का मिल ही नही सकता. पहले मम्मी ने पहनने के लिए साड़ी तय कर रखी थी, लेकिन अब जमाना बदल गया है बोलकर मैने साड़ी पहनने से मना कर दिया . तो अंजू ने कहा कि सलवार सूट पहन लो और आँख नचा के बोली हां दुपट्टा गले से चिपका कर रखना, ज़रा भी नीचे नही.
कही ऐसा ना हो फोटो देखना वाला लड़का तेरे चेहरे को कम और तेरे बड़े बड़े चूचे चूचे ही देखता रहे। मेने अंजू की सलाह मान ली. उफफफ्फ़ मेने आप को अपने बारे मे तो बताया ही नही कि उस समय मे...... मै कैसी लग रही थी.
खजूर के पेड़ सी लंबी, पतली, 5-7 की. पर इतनी पतली भी नही, स्लेंडरर आंड फुल हाफ कवर्स. गोरी. बड़ी बड़ी आँखे, खूब मोटे और लंबे बालों की चोटी, पतली लंबी गर्दन और मेरे उभार 34सी, और वही हालत हिप्स की भी थी, भरे भरे. स्टूडियो में अंजू ने मेरा हल्का सा मेकप भी किया, हल्का सा काजल, हल्की गुलाबी लिपस्टिक और थोड़ा सा रूज हाइ चीकबोन्स पे. एक बार तो शीशे मे देख के मे खुद शर्मा गयी.
फोटो लेकर जब घर आई तो दादी बोली वाकई बड़ी हो गयी है. कई जगह फोटो भेजी गयी, कुंडलिया आई. और इस बार भी दादी की सलाह काम आई. उनकी किसी सहेली की भतीजी का रिश्तेदार, और मम्मी ने भी उन के बारे मे सुन रखा था.
शहर के ही प्रसिद्ध कारोबारी सेठ के दो बेटे थे, बड़ा बेटा करनाल ब्याह हुआ था और छोटे बेटे के लिए उन्हे एक अच्छी संसकारी, घरेलू कार्य में निपुण लड़की की तलाश थी ...... हैसियत के मामले पर वो अंजू की ससुराल से भी ज्यादा अमीर थे।
पहले तो मम्मी थोड़ी हिचकी, पता नही, उसे मे कैसी लगूंगी, इतनी धनवान फैमिली है, पता नही उसके लिए कितने किस तरह के रिश्ते आ रहे होंगे. पर मेरी दादी मेरी तरफ से बोली, अरे अमीर लोगों को क्या सींग लगे होते है..... उन्हे भी अपने घर में एक संस्कारी बहू चाहिए है,
मेरी एक बात गाँठ बाँध ले दर्शना.... मेरी रेखडी कोई ऐसी वैसी थोड़े ही है. एक बार जो छोरा देख लेगा तो देखिएगा, खुद ही पीछे पड़ जाएगा. खैर बात चलाई गयी और दादी की सहेली ने भी बहोत ज़ोर देके कहा लेकिन बात अटकी लड़की देखने और कुंडली मिलान पे.....
लड़की देखने को वो तरीका जिसमे भर भर के लड़के के सारे रिश्तेदार आते है और लड़की ट्रे मे चाय ले के जाती है, मुझे कतई नही पसंद था. और अंजू तो मुझे चिढ़ाने भी लगी थी कि रेखा चाय की ट्रे ले के प्रॅक्टीस शुरू कर दो.
पता चला लड़का बिजनिस् के सिलसिले में देल्ही गया है , इसलिए वो दों तीन तक नही सकता. और मे भी लड़के को देखने उससे बात चीत कर के ही, 'हा' करने मे इंट्रेस्टेड थी. तय ये हुआ कि हफ्ते के आख़िर मे इतवार के दिन वो लोग लड़के के साथ हमारे घर आयेंगे।
इतवार को आने में पूरे पांच दिन बांकी थे.. इसलिए दादी ने पहले कुंडली मिलवाने का डिसीजन लिया... पास ही एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी जाने माने ज्योतिष रहते थे। उमर में बुढीया और हरकत से रसिया थे। मेरी दादी के जवानी के दिनों में उनकी अच्छी खासी दोस्ती थी। कईयो बार दादी के मुह से सुना था कि उनके बड़े बेटे (मेरे कजिन ताऊ ) उन्ही के आशीर्वाद से पैदा हुए है। हाहा हाहाह हाहा
पंडित जी मेरी और मेरे होने वाले पति की कुंडली मिलाई तो उसमें 26 गुण मिले, ये सुनकर दादी और मम्मी के चेहरे पर खुशी की चमक आ गयी.... लेकिन पंडित जी ने कहा रेखा के और उस लड़के के गण मिल नही रहे है, शुक्र ग्रह की स्थिति भी सही दिशा में नही है, नीच ग्रह की छाया है।
बावली गांड ये गण, ग्रह, दिशा, छाया सब गणित छोड़ और शुद्ध हिंदी में बता.... दादी पंडित जी से हस्ती हुयी बोली। पंडित जी दादी की बातों को सुनकर हस्ते हुए बोले ताई तेरी छोरी रेखा राक्षस गण की है और छोरा मनुष्य गण का है इसका मतलब छोरी छोरे पर भारी पड़ेगी। छोरा जिंदगी भर छोरी की जी हजुरी करेगा। हमेशा दब कर रहेगा। उसके पीछे पीछे फिरेगा।
बावली गांड ये तो बढ़िया है... छोरीयाँ को वैसे भी छोरे के ऊपर चड़ कर चढाई करने में ज्यादा मजा आता है। रही बात पीछे पीछे फिरने की तो मेरी लाडली रेखा राणी के पीछे तो सारे हिसार के सांड पड़े है। ये बात दादी ने द्विअर्थी अंदाज में बोली.... ये चढाई उतारायी छोड़ और चुदाई की बात बता...???
ताई छोरी का शुक्र तो ऊँचे घर में लेकिन राहु की तरफ देख रहा है। ऊपर से शनि की भी छाया है, जिससे छोरी के अंदर सेक्स की भूख आम छोरियों से ज्यादा है.... कहते है उस युग में ऐसी ही कुंडली द्रोपदी की थी, और ऐसी ही कुंडली वाली छोरिया एक साथ पांच पांच मर्दो के साथ संबद्ध स्थात्पित करने में सक्षम होती है।
दादी बड़ी जोर से हस्ती हुयी बोली भोसड़ी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय... तू बुढा होने के साथ साथ अब चूतिया भी हो गया है.... चूतमारि के एक बात बता तेरी लुगाई के कितने छेद है.... क.. क.. क्या मतलब ताई....???? पंडित इस बार चोंकते हुए बोला।
बावलीगांड तू तो ऐसे चोंक रहा है जैसे मैने तेरे से जन्नत के द्वार के छेद पूछ लिए...??? बोल ना.....
तीन छेद.... ताई
कौन कौन से...??
मुह.... गांड.... और भोसड़ा (चूत)
फिर बावली गांड मुझे एक बात बता एक औरत एक बार में एक समय में, एक साथ तीन मर्दो के साथ तीनों छेद को छिलवा सकती है.... लेकिन तू पांच की कह रहा है तो बांकी के दो मर्दो के लंड क्या तेरे मुह और गांड में घुसेगे.....?? दादी बड़ी जोर से हस्ती हुई बोली...... हाहा हाहा
इससे पहले पंडित कुछ बोलता... मम्मी बीच में बोल पड़ी औरत के दो हाथ भी होते है। तीन लंड तीनों छेद में और अपने एक एक हाथ से एक एक लंड मुठिया कर औरत एक बार एक साथ पांच मर्दो के लंड के साथ बड़े प्यार से सुख ले सकती है।
दादी मम्मी की बात सुनकर उनका मुह ताकने लगी..... जैसे उन्हे सांप सूघ गया हो। दादी को नॉर्मल करते हुए मम्मी हस्ती हुयी बोली.... अरे मैने वो तो ऐसे ही कह दिया।
जैसे जैसे हँसी ठिठोली का सुरूर चढ़ता गया, पंडित जी के घर के अंदर बैठी उनकी पंड़िताईन का ध्यान उनकी ओर आकर्षित होने लगा, दादी, मम्मी का उन्मुक्त व्यवहार, मुंह से निकल रही गालियां, नॉनवेज जोक्स पर उनके ठहाके, वे समझ नहीं पा रही थी कि ये कौन लोग हैं? पर पंड़िताईन तीनों लोगों की जिज्ञासा का मजा ले रही थी। और कमरे में जो हरकतें उनकी बातें सुनकर अब पंड़िताईन भी कमरे में आकर बैठ गयी।
अब दादी ने मुद्दे की बात को दोबारा से पूछा पंडितजी मुझे ये बताओ कि छोरी के इस पाँचालि (पांच पांच मर्दो वाली सेक्स की भावना) वाले रूप या कुंडली की भविष्य वाणी से छोरी और छोरी के ब्याह के बाद कोई मुसीबत या परेष्णांनी तो नही होगी।
ताई अब इसके बारे में क्या बोलू.... वैसे मेरी पढ़ी गयी कुंडली आज तक फैल नही हुई है।
कमरे का माहौल अब शांत हो गया...!
अब बारी पंड़िताईन की थी और वो यह कहकर इन कामुक कृत्यों को उचित बताने लगी कि कुदरत ने इंसानों का दिमाग ऐसा बनाया है कि उसे खाने में, कपड़ों में, घूमने फिरने में, विविधता पसंद होती है. फिर शारीरिक सुख के मामलों में एकनिष्ठ होने की बंदिश क्यों? कोई भी व्यक्ति कइयों के साथ शारीरिक संबंध रखते हुए भी वफादार रह सकता है, अपने जीवन साथी को प्यार कर सकता है। केवल भावनात्मक लगाव रखना परिवार में तनाव उत्पन्न कर सकता है और यदि पति पत्नी एक दूसरे की जानकारी में नए नए व्यक्तियों से चरम सुख की प्राप्ति करें तो सर्वोत्तम।
पंड़िताईन का ज्ञान सुनकर दादी की जैसे सत्संग का अनुभव होने लगा और फिर पंड़िताईन कहने लगी- देख ताई, भगवान ने तो चूत और लंड दिए आनंद उठाने को, हमने समाज और उसके नियम बना के बंदिशें लगा दी. जिन घरों में एकांत मिलता है वहां चूत की आग को शांत करने लड़कियां, औरतें कुत्ते को भी नहीं छोड़ती। रईस घरों की चुदाई के सुख से वंचित औरतें, ड्राइवर और घर के अन्य नौकरों से चुदवाती हैं। अभिषेक बच्चन को भी यदि मौका मिले तो वो ऐश्वर्या जैसी परी को चोदने के बाद भी राजी खुशी अपनी सामान्य शक्ल सूरत वाली कामवाली बाई को भी चोदना चाहेगा. क्योंकि नई का चस्का ऐसा ही होता है। कुल मिला के बात इतनी है कि हर लंड नई चूत की तलाश में रहता है और हर चूत को नए लंड में ज्यादा मजा आता है।
दादी और मम्मी मुस्कुरा के पंड़िताईन की हर बात से सहमत हो रही थी। सामूहिक चुदाई पर ज्ञान भरी मस्ती की चर्चा चल रही थी। पंड़िताईन भी किसी तरह के अपराध बोध को दादी पर हावी नहीं होने देना चाहती थी। दादी को यही लग रहा था कि छोरा छोरी ब्याह के बाद कोई भी नई चूत और लंड मिले तो दोनों मिल के मौज करेंगे।
आखिर कार दादी पांडताईं की बातों से संतुष्ट हो गयी और पंडित को फीस देकर उठने लगी तो... मम्मी ने उन्हे पांच मिनिट रुकने को बोला.... मम्मी मेरी कुंडली के साथ साथ अपने लाडले बेटे सुनील की कुंडली भी साथ ले गयी थी और उसकी कुंडली भी पंडित को दिखाने लगी।
पंडित ने सुनील की कुंडली को देखने के बाद दादी से कहा कि सब बढ़िया है ताई जाओ खुशी खुशी..... और ये सुनते ही दादी उठ कर कमरे से बाहर निकल गयी लेकिन मम्मी कमरे के बाहर जाने वाली थी कि पीछे से पंडित ने आवाज दी.. दर्शना
मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा तो पंडित ने इशारे से मम्मी को बुलाया और कहा कि दर्शना तेरे छोरे की कुंडली में दोष है, शनि और मंगल एक साथ बैठे है लगन के घर में, शुक्र नीचे के घर नीच गृहों के साथ विराजमान है.... इतना सब पंडित कह ही रहे थे कि पांडताईं बीच में बोल पड़ी पंडित जी तुम भी अंक गाड़ित बुझाने लगे हो... बस करो चुप रहो.. मै समझाए देती हूँ।
दर्शना तेरे छोरे के ब्याह में बहुत मुसीबत है, शायद उसका ब्याह होगा भी नही।
मम्मी ये सुनकर टेंशन में आ गयी और बोली ये क्या कह रही हो पांडताईं मेरे तो एक ही लड़का है और जब उसका ब्याह नही होगा तो मेरा वंश कैसे चलेगा....????
उसका उपाय है तो लेकिन थोड़ा सा मुश्किल है.....?? पांडताईं बोली
जो भी हो तुम बताओ..!
दर्शना बुरा मत मानना और जो मै कह रही हूँ उसको ध्यान से सुनो बेटे के मंगल दोष को दूर करने के लिए एक पूजा होगी जिसे पंडित जी संपन करायेंगे कब और कहाँ वो तुम फिर कभी अकेली आना तब विस्तार से विधि बतायेंगे।
अभी तुम बस अपने बेटे से थोड़ा सा दूरी बनाओ और उसको अपनी जवान बेटियों से भी दूर रखो क्योकि उसका शुक्र (सेक्स) ग्रह नीच ग्रहों के साथ है जिससे वो सेक्स के लिए उतावला रहता है और कामवासना की पूर्ति के लिए वो अपनी माँ बहन से भी संभोग कर सकता है वो सारे रिश्तों को भूल जाता है। ऐसा होना कोई बड़ी बात नही है,
यदि बेटी के बड़े होने पर बाप के साथ और बेटे को बड़ा होने पर मां के साथ सोने दिया जाए तो पता चले कि नैतिकता का दंभ कितना कमज़ोर है. कोई बेटी और कोई मां बिना चुदे नहीं रहेगी। भाई बहन में चुदाई उस तुलना में तो बहुत सामान्य बात है,
दर्शना तुम मेरी बात समझ रही हो ना... अभी तुम अपनी बेटी के ब्याह की सोचो। अपनी बेटी के ब्याह में कोई व्यवधान ना हो तो उसके लिए तुम अपने बेटे सुनील और रेखा को घर में अकेला मत छोड़ना। नही तो अनर्थ हो जायेगा। बेटे की कामवासना को शांत कैसे किया जाये ये तुम्हे समझाने और बताने की जरूरत नहीं है क्योकि तुम एक औरत होने के साथ साथ उसकी माँ हो, और मर्द की जिस्म की आग कब भड़काना और बुझाना हर औरत को ये कलाएँ ऊपर वाले ने वरदान स्वरूप दी गई है।
दर्शना.... ओ रांड कहाँ रह गयी क्या उस बावली गांड पंडित का लॉली पॉप चूस रही है..... दादी की बाहर से तेज आती हुयी आवाज सुन मम्मी ( दर्शना) जल्दी से बाहर निकल आई।
दोनों औरते अपनी अपनी मन में चल रही बातों को छिपाते हुए घर में प्रवेश कर गयी। घर पहुँच कर उन्होंने कुंडली मिल गयी है केहकर ब्याह का दूसरा स्टेप पार कर लड़की लड़का दिखाई योजना पर चर्चा करना शुरू कर दिया।
उसी शाम रात को अंजू के पति विनय का फोन आया और बोला वो और अंजू के ससुर काम के सिलसिले में सुबह सुबह दो दिन के लिए बाहर जाने वाले है इसलिए अंजू अपने मायके से किसी को साथ लेकर आ जाये.... विनय अब अंजू को घर में अकेला छोड़ कर पहले की गयी गलती दोहराना नही चाहता था।
अगली सुबह दादी को अंजू अपने साथ ससुराल ले गयी.... हालांकि दादी ना नुकर कर रही थी लेकिन अंजू ने कहा उसके पति और ससुर काम के सिलसिले में शहर से बाहर गये है और वो अकेली है तो दादी ने सहमति दे दी।
दादी के जाने के बाद घर में अब हम तीन रह गये..... पापा बाहर दुकान पर बैठे थे। मै किचिन में काम में बिजी थी....
"तुम बैठो में ज़रा नहा लूँ" मम्मी सुनील को सोफे पर ही बैठा छोड़ कर अपने कमरे में चली गई. सुनील मम्मी के जाने के बाद बैठा हुआ कुछ देर टीवी देखता रहा। थोड़ी देर बाद वह उठ कर किचन की तरफ़ चला आया।
सुनील ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ उसे सामने अपनी बहन रेखा किचन में काम करती नज़र आई। अपनी बहन को किचन में अकेला देख कर सुनील की बाछे ही खिल गईं। " सुनील ने तो आंखों ही आंखों में रेखा की ब्रा और पैंटी तक उतार दी थी।
उसकी जिज्ञासु नज़रों ने उसके जिस्म का, उस की गोलाइयों का, उसके उभारों का, उसकी गहराइयों का पूरा पूरा आनंद ले लिया था। कह सकते हैं कि उसने आंखों ही आंखों में, रेखा के संग मनमर्जियां कर ली थी।"
उस ने फॉरन मूड कर अपनी मम्मी के कमरे के दरवाज़े का जायज़ा लिया। तो उस को मम्मी के कमरे का दरवाज़ा बंद नज़र आया। सुनील समझ गया कि उस की मम्मी अपने छत के बाथरूम में नहाने के लिए जा चुकी हैं। सुनील का लंड अपनी बहन को किचन में अकेले देख कर फुल अपने जोबन पर आ गया।
सुनील ने आज कुर्ता पजामा पहना हुआ था। मगर आज अपने पजामे के नीचे उस ने अंडरवेार नही पहना हुआ था। इस की वज़ह ये थी कि सुनील को पता था कि अब मोका मिलते ही उस के हाथ उस की बहन के जिस्म से दुबारा ज़रूर छेड़ छाड़ करेगा।और इस सुरते हाल में उस का लंड खड़ा होना लाजमी है।
किचन में दाखिल होने से पहले सुनील ने अपने लंड को सेहला कर खड़ा कर दिया। ताकि वह जी भर कर अपनी बहन के बदन से खेल कर उसे अपनी मौजूदगी और प्यास का अहसास दिला सके। फिर वह आहिस्ता-आहिस्ता दबे पाँव चलता हुआ किचन में दाखिल हो गया।
मै अपने हाथ में छुरी पकड़े सब्ज़ी काटने में इतनी बिजी थी।कि अपने भाई के किचन में आ कर अपने पीछे खड़े होने का पता ही ना चला।
सुनील मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर तंग कपड़ो में अपनी बहन के बहुत ही मोटे-मोटे भारी चुतड़ों को आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगा।
अपने भाई की मौजूदगी से बे ख़बर मै जब किचन में अपने काम में बिजी थी।तो मेरे हिलने से पीछे मेरी भारी गान्ड की मोटी गुदाज पहाड़ियाँ भी हल्के-हल्के हिल कर सुनील के लंड की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी।
अपनी बहन की चौड़ी और उभरी हुई गान्ड के इतने करीब हो कर अब सुनील के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुस्किल हो रहा था।
पजामे में से उस का लंड उठ-उठ कर झटके मारता हुआ सुनील को आगे बढ़ कर अपनी बहन की गान्ड में घुस्स जाने पर उकसा रहा था। अपनी बहन के जिस्म की उँचाईयो और गहराइयों नापते-नापते हुए आख़िर सुनील के सबर का पैमाना लबरेज हो गया। और उस ने आहिस्ता से एक क़दम बढ़ाते हुए अपना एक हाथ अपनी मेरी मोटी गान्ड पर रखा और दूसरे हाथ को उस ने आगे बढ़ा कर मेरी भारी तनी हुई छाती को अपने हाथ में काबू कर के मसलना शुरू कर दिया।
"हाईईईई में मर गई" ज्यों ही सुनील के हाथ मेरी गान्ड और मम्मो से टकराए तो मेरी डर के मारे चीख निकल गई और हाथ में पकड़ी हुई छुरी, हाथ से छूट कर किचन के फ़र्श पर जा गिरी।
सुनील जानता था कि बाथरूम में नहाती हुई उस की मम्मी को बाथरूम और किचिन का दरवाज़ा बंद होने की वज़ह से रेखा की चीख नहीं सुनाई देगी ।
इसीलिए सुनील ने मेरी चीख की परवाह ना करते हुए मेरे जिस्म के चारो ओर अपने बाजुओं का घेरा कस लिया ।
सुनील के इस तरह चिपकने से उस का मोटा सख़्त लंड मेरी गुदाज गान्ड की मोटी पहाड़ियों में से होता हुए चूत से टच करने लगा।
"आज भाई के लंड ने दुबारा अपनी बहन की चूत को अपनी सलामी दी थी।"
ज्यों ही सुनील का लंड मेरी मोटी रानों में से होता हुआ फूली हुई चूत के होंठो से रगड़ा, मेरे मुँह से एक "अहह" निकली और मैने अपने आप को अपने भाई की क़ैद से छुड़ाने की कोशिस करते हुए कहा "क्या मुसीबत है भाई, आप क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हैं"।
"मेरी जान तुम्हारा जिस्म मुझे एक पल चैन नहीं लेना दे रहा, तुम ही बताओ में क्या करूँ" सुनील ने अपने आप को हलके से मेरे जिस्म से हटाया और फिर दुबारा तेज़ी के साथ आगे बढ़ा।
साथ ही साथ सुनील ने मेरी जवान, गुदाज और भारी छाती पर अपना हाथ दुबारा बढ़ा कर उसे एक बार फिर ज़ोर से मसला।
अपने भाई की इस हरकत से मेरे बदन में एक सनसनी-सी दौड़ गई। मैने मज़े से बे हाल होते हुए अपने होंठो को सख्ती से एक दूसरे के साथ भींचा ताकि कहीं मुँह से मेरी सिसकारी ना फूट पड़े।
"आप मम्मी पापा से कह कर अपने लिए एक बीवी का बन्दोबस्त करो, मुझे क्यों सता रहे हैं आप भाई" मैने अपने भाई की बात का जवाब देते हुए कहा।
"हाँ में तो बात करूँगा मम्मी से, मगर तुम ये बात याद रखो कि में तुम को किसी भी लड़के से शादी की हरगिज़ इजाज़त नहीं दे सकता"
"मुझे शादी के लिए आप की इजाज़त की ज़रूरत नही" मैने अपने भाई के सामने से हटाने की कोशिस करते हुए मैने भाई को जवाब दिया।
"मुझे अपने जिस्म का दीदार करवा कर अपना आशिक़ बनाने के बाद, अब शादी के लिए तुम को ना सिर्फ़ मेरी बल्कि मेरे लंड की भी इजाज़त चाहिए मेरी जान" सुनील ने एक सख़्त लहजे में अपना फ़ैसला सुनाते हुआ कहा।
भाई के लहजे में सख्ती को महसूस कर के मैने बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और ख़ामोश हो गई।
मै ख़ुद को अपने भाई से अलग रखना चाह रही थी। लेकिन चाहने के बावजूद अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो पा रही थी।
मुझ को जिस बात कर डर था। मेरे साथ वह ही बात दुबारा हो रही थी। भाई मोका पा कर मेरे जिस्म के साथ खिलवाड़ कर रहा था और मै ना चाहते हुए भी अपने सगे भाई के हाथों और ज़ुबान को उस के साथ ये सलूक करने से नहीं रोक पा रही थी।
अभी मै अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी। कि कब मम्मी नहा कर बाथरूम से निकले तो मेरा भाई मेरी जान बक्शी करे।
फिर अचानक अपने जज़्बात को सम्बालते हुए मै एक दम अपने भाई की क़ैद से निकल कर बाहर की तरफ़ भागी।
इस से पहले कि मै किचन से बाहर निकल पाती। सुनील ने मुझे पकड़ कर किचन की दीवार के साथ लगा दिया।
और अपने होंठो को अपनी बहन के नरम, गुदाज और फूले हुए होंठो पर चिस्पान कर दिया।
"उफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ेदार होन्ट हैं तुम्हारे मेरी बहन" सुनील ने मेरे लज़ीज़ होंठो का मज़े दार ज़ायक़ा पहली बार चखा। तो उसे स्वाद आ गया और वह जोश में आते हुए बोला।
मगर दूसरी तरफ़ मैने तो कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा था कि मेरा अपना भाई मेरे होंठो को कभी इस तरह चूमेगा।
मैने गुस्से में आ कर अपने भाई को एक ज़ोर का धक्का दिया।
सुनील अपनी बहन के इस ज़ोरदार धक्के के लिए तैयार नहीं था। इसीलिए वह अपना बेलेन्स खो बैठा और ज़मीन पर जा गिरा।
सुनील के जमीन पर गिरने की देर थी। कि मै जल्दी से किचन से निकली और अपने कमरे में जा कर अपने आप को अंदर लॉक कर लिया।
पहली दफ़ा की तरह आज मै अपने कमरे में आ कर रोई तो नही। मगर पहले की तरह दिल आज भी परेशान हुआ कि मै अंजाने में किस मुसीबत में पड़ चुकी है। कि मेरा अपना भाई ही मेरा आशिक़ बन कर मेरे सामने आन खड़ा हुआ है।
मै चाहते हुए भी अपनी मम्मी से अपने भाई की हरकतो की शिकायत नहीं कर सकती थी। इस की पहली वज़ह तो ये थी। कि मम्मी ने कभी भी मेरी इस बात का ऐतबार नहीं करना था। कि उन का अपना सगा बेटा ही उन की बेटी की इज़्ज़त लूटने पर तुला हुआ है।
दूसरा मै अपने भाई की शिकायत करती । तो मेरी अपनी ये बात भी कि कैसे शरीफ़ बच्ची रात की तन्हाई में अपने सगे जीजा से सिर्फ़ गंदी बातें करती रही बल्कि वह अपनी प्यासी चूत की प्यास भी बुझा चुकी थी।
इन सारी बातों को सोच-सोच कर मेरे पास सबर के अलावा अभी कोई चारा नहीं था।
मगर मै अपने इस इरादे पर अभी तक क़ायम थी। कि मै जल्द ही इस घर से चली जाऊंगी। क्योंकि अब मेरे पास इस के सिवा कोई दूसरा हल नहीं था।
उधर दूसरी तरफ़ सुनील अपने कपड़े झाड़ता फ़र्श से उठा और मुस्कुराता हुआ घर से बाहर की तरफ़ चला गया।
जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।