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Incest शक या अधूरा सच( incest+adultery)

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Rekha rani

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लण्डबाज रे , हाअय्य लण्डबाज रे
तोरे नैना बड़े लण्डबाज रे !

खुला खाना और नंगा नहाना,..,यो ही स म्हारा हरियाणा।
संजय जी की ढलती जवानी vs रेखा की मदमस्त गर्माहट
नतिजा: संजय का BDSM :lol:

याद राखियों या बात रे ::::::: लुगाई ओर दारू कुछ बी करवा सके है!!!!!!😜

रेगिस्तान भी हरे हो जाया करै
जब मेरे यार गैल खड़े हो जाया करै
ईबे तो entry ए मारी थी आगे आगे देखियो
के के होवेगा।
अर्ज किया है .... बस मुलायजा फरमाइयेगा ;)
संजय जी के लिए खास है :D

कि निचोडलेगी डालेगी वो तुझे चूसे आम के जैसे -
और तुम बिलबिलाये हुए रेंग भी ना पाओगे
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो
तुम क्या सोचते हो दीमक ना आयेंगे इनपर
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो , क्या सोचते हो जमाने भर के दीमक ना आयेंगे इनपर

अरे चाट कर तार तार कर जायेंगे इज्जत तुम्हारी और तुम झान्ट नही कुछ उखाड़ पाओगे :lol:

आपकी कविता पढ़ कर आपका भ्रम दूर करने के लिए अर्ज किया है...

रांडे 2 ढ़ाल के होते हैं
1. आस राण्डा
2. ख़ास राण्डा
‪आस_राण्डा‬ : 30 साल तक के माणस जिनके ब्याह की आस है
‪ख़ास_राण्डा‬ : 30 साल पाच्छे के रांडे ख़ास रांडे होते हैं कती छँटे होड़ …..
कती पिछणे होड़

आस कती ख़त्म ना होया करे रांडे की आस पूरी उम्र रह्या करे 😜😂
 

Rekha rani

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यह तो " शोले " फिल्म का सीन्स हो गया , फर्क इतना था कि फिल्म मे अमित जी ने लीला मिश्रा जी को धर्मेंद्र जी की हर ऐब और बुराई बताकर हेमा जी का रिश्ता मांगा था और यहां नायिका रेखा देवी स्वयं ही अपनी सारी कमीयों का बखान अपने मंगेतर संजय साहब के समक्ष रख दी।

आजकल की लड़कियां अत्यंत ही होशियार है , चतुर सुजान है, फाश इशारा गोली की तरह समझती है लेकिन शादी-ब्याह जैसे संवेदनशील मसले पर थोड़ा-बहुत संकोची हो ही जाती है।
मुझे एक बार लगा यह रिश्ता तो होने से रहा ! कौन लड़का ऐसी गुणवान और संस्कारी महिला से शादी करना चाहेगा जो अपनी इज्ज़त का जनाजा खुद बढ़ - चढ़कर निकाल रही हो !
पर ऐसा हुआ नही। शायद संजय साहब के सिर पर रेखा के हुस्न का जादू कुछ ज्यादा ही चढ़ गया। शायद अब उन्हे एकाकीपन खलने लगा हो । शायद किसी वजह से अन्य लड़कियां इनसे वैवाहिक सम्बन्ध बनाना नही चाहती । कुछ तो जरूर कारण रहा होगा कि उनके धनाढ्य वर्ग से होने के बावजूद भी किसी भी मां-बाप ने अपनी पुत्री का रिश्ता इनके साथ बनाना नही चाहा।
वैसे मैने पहले भी आप के थ्रीड पर कहा था कि मर्द का अमीर होना और औरत का खुबसूरत होना करीब करीब एक ही कैटिगरी मे आता है। इसलिए रेखा को यह सोचने की जरूरत ही नही कि उसकी शादी एक अमीर लड़के से हो रही है।
लेकिन यह भी आश्चर्य की बात है कि संजय साहब को अपने बड़े भाई एवं पिता से दस हजार रुपए प्रतिमाह खर्चे के लिए पैसे मिलते है । क्या संजय साहब अपने ही फर्म मे नौकरी करते है लेकिन अगर करते भी है तो यह रकम तो सफिसिएंट नही लगता । इससे अधिक तो एक मजदूर कमा लेता है। आखिर यह क्या चक्कर है ?

उधर दर्शना देवी और सुनील के बीच आंख मिचौली का खेल हमेशा की तरह जारी है। लेकिन सुनील ऐसा क्या करने वाला है जिससे रेखा एक बड़ी मुसीबत मे फंस सकती है ?

बहुत ही बेहतरीन अपडेट रेखा जी।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
आभार एक बार फिर से अच्छे से विश्लेषण के लिए, दस हजार रुपये संजय की मंथली पॉकेट money है, ऐसा उसने कहा है, जिसे शायद मै ठीक से नही लिख पाई। रेखा की बेबाकी बातों पर आपके लिए एक कविता समर्पित करती हूँ जिससे रेखा का बड़बोला पन के मायने उजागर हो जायेंगे।

बडा मुश्किल है यारों
बेबाक स्त्री से प्यार करना
वो समझ जाती तुम्हारी चालाकियां
बहकती नहीं देख तुम्हारी शोखियां

किसी तारीफ़ की भूखी नही होती
किसी तोहफ़े से नहीं भरमाती
दरकिनार कर देती दोगलेपन को
अच्छे से समझती दिखावे भोलेपन को

बेबाक स्त्रियां पढ़ लेती मन के भाव
और ज़वाब देना बखूबी आता इन्हें
अपनी उड़ान अपने बाजूयो से भरती
किसी के कंधे पे ये नहीं चढ़ती

बेबाक स्त्री सबको बहुत चुभती है
पर दिल से रिस्पेक्ट उसी की होती है
वो बस मुस्कुरा कर नहीं रह जाती
हक की लड़ाई बेबाकी से लड़ जाती

वो नहीं चाहती की सब उसे पसंद करे
या उसकी जी हुजूरी करे
उसकी अपनी अलग ही दुनिया होती
जहां वो खुद की ही मालिक होती

स्वरचित ✍️

धन्यवाद
 

Rekha rani

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Shandar update

Shandar update
रेखा के गुण पूरे नही मिल रहे हैं पंडित के हिसाब से रेखा लड़के पर भारी पड़ेगी ऐसे भी रेखा अभी तक सब पर भारी ही पड़ रही है
दादी और पंडित के बीच अश्लील मजाक हास्यप्रद था
सुनील ने तो रसोई में मजे लेने थे वो ले लिए
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
रेखा तो बहुत advansh निकली बिना शर्माए सब कुछ पूछ लिया संजय सीधा सादा लग रहा है रेखा संजय पर भारी पड़ने वाली है
संजय को अपनी ही फैक्ट्री से दस हजार रूपए मिल रहे हैं ये समझ में नही आ रहा है
मां बेटे के बीच आंख मिचौली का खेल चल रहा है अब आखिर सुनील ने क्या कर दिया है??
बहुत बहुत शुक्रिया एक अच्छे विश्लेषण के लिए

Dhanyavaad
 

Sanjuhsr

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मैने सयानी होकर कोनसी गलती की, बोल,
मेरे भी सुनील भैया की बाते सुनकर कान खड़े हो गै, सुनील के बात कर रा है, इसी के गलती करी है मम्मी ने, या सुनील मेरे ताई बचान खातर कहन लाग रा है,
में बैचेन होगी आगे के केवेगा सुनील, मम्मी को,

अध्याय - 32

रेखडी तू यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है, जा अपने कमरे में... ये तो आज गांजा फूंक कर आया है, काँहि होश तो है नही बस बकवास किये जा रहा है। मम्मी मुझे कमरे में अंदर धकलेते हुई गुस्से में मुझसे बोली।

रुक रेखडी तू कही नही जायेगी, तू भी तो सुन अपनी सती सावित्री माँ की कहानी..... जो अपनी जवान छोरी का ब्याह बूढ़े आदमी से कर रही है, और खुद बुढ़ापे में जवानी के गुल खिला रही है। सुनील मम्मी की बात काटते हुए बोला।

मम्मी ने उठाई चप्पल.... तेरी बेहण का भोसड़ा...... तुम ऐसे नही मानोगे, और सुनील को मारते हुए दूसरे कमरे में ले गयी.... मुझे उन दोनों की आवाजे सुनाई देनी लगभग बंद हो गयी।

लेकिन उधर दूसरे कमरे में.... बोल क्या बक रहा है, अपनी माँ पर लांछन लगाता है, जिस भोसडे से पैदा हुआ है उसे ही गाली देता है। आखिर एक पचास साल की औरत एक जवान लड़के के आगे कहा टिकती।

सुनील ने मम्मी के हाथ में से चप्पल छीन ली..... और पीछे से अपने मजबूत आगोश में कस कर दबा लिया... मम्मी के इस तरह सुनील के जिस्म के लपेटने से मम्मी का जिस्म पीछे से अपने बेटे की कमर के साथ चिपकता चला गया।

जिस की वजह से मम्मी के तरबूज़ की तरह बड़े बड़े मम्मे उस के बेटे सुनील की बदन से लग कर चिपक गये।

"उफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी मम्मी का बदन कितना नरम है और उन के जिस्म में कितनी गर्मी भरी हुई है" ज्यों ही मम्मी अपने जवान बेटे के जिस्म से टकराई। तो सुनील के दिल में पहली बार मम्मी के लिए इस तरह की बात आई।

इसीलिए अब जैसे ही सुनील ने अपनी मम्मी के बड़े और गुदाज मम्मो को पीछे से अपने जिस्म के साथ छूते और रगड़ खाते हुए महसूस किया।

मम्मी के मोटे जिस्म और उस के भारी मम्मो के असर से सुनील के जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया। और सुनील के ना चाहने के बावजूद उस का लंड पहली बार मम्मी के भारी चूतरो के लिए तड़प कर पूरा सख़्त हो गया था।

उधर मम्मी भी ज्यों ही अपने जवान बेटे के साथ पीछे से चिपकी। तो उसे भी अपने बेटे के जिस्म की मज़बूती और उस के जिस्म में मौजूद जवानी की गर्मी का फॉरन ही अहसास हो गया। जिस की वजह से मम्मी की चूत में लंड की लगी हुई आग फिर से सुलगने लगी।


अभी दोनो माँ बेटा एक दूसरे के जज़्बात से बे खबर हो कर अपने अपने जिस्मो की आग को संभालने की ना काम कोशिश कर रहे थे। कि तभी सुनील मम्मी को दीवाल से सटा कर बोला..... दर्शना देवी (मम्मी) बंद करो ये अपना सती सावित्री होने का नाटक.... मुझे सब पता है तेरे और उस मादरचोद फूफा के बीच क्या चल रहा है। और ये कई सालों से हवस का नँगा नाच में देखते आया हू।

पहले तो मुझे लगता था कि सलहज जीजा का रिश्ता है, ये सब मजाक होता होगा। लेकिन जब कुछ साल पहले जब पापा के इलाज के लिए फतेहपुर गये थे वो हॉस्पिटल में भर्ती थे और हम कुछ दिन बुआ के घर रुके थे।

शाम को किसी बात पर मम्मी तुम रोने जैसी हो गई थी और फूफा जी समझा रहे थे। तभी फूफा जी ने हमें यह कह कर बाहर खेलने भेज दिया कि बच्चों को ऐसी बातें नहीं बतानी चाहिए, इससे उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, पर मेरा मन तो मम्मी तुम पर ही था। मैं वहाँ पर रुकना चाहता था और उनकी बातें सुनना चाहता था, पर मम्मी तूने ही मुझे बाहर भेज दिया।

अंजू और रेखा घर के सामने पार्क में खेलने चले आए। पर मुझे फूफा और तुम्हारी बातें सुननी थीं तो मैं वापस घर आ गया और अंदर ना जाकर बाहर गेट के पास खड़ा हो कर उनकी बातें सुनने लगा।

फूफा जी कह रहे थे कि यह सब तो घर में चलता रहता है। मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती! और यह कह कर तुम रोने लगीं, फूफा जी चुप कराने लगे, कभी आँसू पोंछते कभी तेरे गाल सहलाते। फिर तुम मम्मी उनके गले से लग कर रोने लगीं। फूफा जी सर पर हाथ फेर रहे थे। थोड़ी देर बाद तुम्हारा रोना बंद हो गया पर मम्मी तुम फूफा जी से चिपक कर ही खड़ी रहीं।

तुम दोनों के हाथ एक दूसरे की कमर पर फिर रहे थे। थोड़ी देर बाद फूफा जी तुम्हारे होंठों को चूमने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। लेकिन इतना जरूर पता था कि ये गलत हो रहा था।

ये सुनकर मम्मी के एक झटका लगा, बस कर बेटा बस कर चुप हो जा...... और उन्होंने पूरी ताकत से सुनील को दूर धकेल दिया, और गहरी साँसे लेते हुए स्टूल पर बैठ गयी उस वक्त मम्मी ने अपने भारी सीने पर कोई दुपट्टा नही लिया हुआ था। जिस वजह से मम्मी की तंग और कसी हुई कमीज़ में से उस के मोटे मोटे तरबूज़ नुमा मम्मे सुनील की आँखों को एक दिल कश नज़ारा दे रहे थे। जब कि छोटे से स्टूल पर बैठने से मम्मी के भारी और बड़े चूतड़ पीछे को लटक रहे थे।

पूरे कमरे में एक सन्नाटा भर गया था, कुछ पलों के बाद मम्मी ने एक लंबी सांस ली और कहा "सुनील बेटा" यहाँ आ मेरे पास बैठ...... मम्मी ने अपने बेटे को ये मुस्करा कर कहा ।


मम्मी अपने जवान बेटे को देख कर ऐसे मुस्कुराइ जैसे कोई जवान माशूका अपने रूठे हुए आशिक़ को मनाने के लिए इस्तिकबाल करते हुए अपने महबूब पर अपनी मुस्कुराहट के फूल न्योछावर करती है।


" ठीक है मम्मी "सुनील ने अपने गुस्से को नरम करते हुए बुलंद आवाज़ में मम्मी को जवाब दिया।


"आ रहा हूँ आप के इन मोटे मम्मो और इस बड़ी गान्ड को नजदीक से अपनी आँखों से सेकने मम्मी" सुनील ने अपने दिल/मन में ये बात कही।


सुनील की उत्तेजना का स्वरूप बदल रहा था दिमाग की उत्तेजना लंड की उत्तेजना में पहुँच गयी, आँखों में भरा हुआ खून अब उसके लंड की नसो में दौड़ रहा था। वो मम्मी के जिस्म में अब एक काम पिपासू औरत देख रहा था, और वो भी मम्मी के पास बेड पर बैठ गया।


सुनील बेटा जो तूने उस समय देखा वो सच नही है, मै तेरे फूफा से तेरे पापा के इलाज के विषय में बात कर रही थी, और बातें करते हुए भावुक हो गयी, मुझे वो दिलासा दे रहे थे और तूने गलत समझ लिया। इसमें तेरी कोई गलती नही है, वो तेरा बचपन था और बचपन में बच्चे कुछ देखते और कुछ समझते है।


""बचपन...... मम्मी गरीब मजदूर बाप के बेटों का बचपन कभी नहीं आता.... उनके ऊपर सीधे जवानी आती हैं और वो भी समय से पहले.... "" सुनील मुस्कुरा कर बोला।


मम्मी ने अपना एक हाथ सुनील की झान्ग पर दूसरा उसके हाथ उसके गले में डाल कर बोली बेटा तू फूफा पर इल्जाम लगा रहा है, वो गलत है, उन्होंने उस समय बहुत पैसे दिये थे.... तेरे पापा के इलाज के लिए..... कितनी मदद की थी।


सुनील : हा मम्मी ये सच कहा फूफा ने पैसे दिये थे तूने हाथ की हथेली में मांगे थे और उसने तेरे ब्लाउस के अंदर हाथ डाल कर रखे थे.... ।


"" स्त्री एक ऐसी गुरु होती है, जो अपने ब्लाउस के टूटे बटन से, मर्द के टूटे हुए दिल को जोड़ने की कला जानती है ""


मम्मी का भांडा फुट चुका था.... वो अपनी सफ़ायी देते हुए बोली.... तो इसमें क्या हो गया औरते अपने पैसे अपने ब्लाउस में ही तो रखती है, औरत के ब्लाउस से ज्यादा सुरक्षित जगह पैसे रखने की कोई नहीं है, मै खुद रखती तो उन्होंने रख दिये।


ये सुनकर सुनील का माथा ठनक गया और वो दाँत मीसते हुए बोला मां तू कैसी औरत है, खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कैसे कैसे बहाने बना रही है, ऐसे गैर मर्द से अपने ब्लाउस में हाथ डलवा कर पैसे लेने वाली औरत को रण्डी, छिनार कहा जाता है।


अब बारी मम्मी की थी, क्या कहा तूने रण्डी अपनी सगी माँ को.... मैने तुझे अपने जिस चूत से निकाला आज तू उसी चूत को गाली दे रहा है।


दुनिया की हर औरत एक रण्डी है। चल हा मै भी एक रण्डी हू। क्या झांट उखाड़ लेगा मेरी.......... मम्मी थोड़ी भावुक होते हुए बोली....अपनी उपेक्षा का दंश झेलते झेलते मैं तंग आ गई थी, मगर उस घटना के बाद मैंने जिल्लत भरी जिन्दगी में खुशी पाने की राह ढूंढ़ ली, भले ही समाज उसे गलत नजर से देखे मेरे ठेंगे से। आज तक मैंने जो उपेक्षा का दंश झेला है उससे तो कई गुना खुशी और संतोष की प्राप्ति तो होती साथ ही मेरे अंदर के आक्रोश को काफी हद तक शांत होता।


पतिव्रता होना पत्नी का पहला कर्तव्य है। पर तुम जानते हो ना चोर तो वो ही होता है जो चोरी करता हुआ पकड़ा जाये … मैं अभी तक तो पतिव्रता ही हूँ … पर चुदने से पतिव्रता होने का क्या सम्बन्ध है ? यह विषय तो बिल्कुल अलग है। मैं अपने पति को सच्चे दिल से चाहती हूँ। जिस दिन उन्हें चाहना छोड़ दूंगी उस दिन इस घर से तो क्या इस दुनिया से भी चली जाऊंगी।


बेटा भूख के भी अपने अलग अलग प्रकार है, सिर्फ पेट में नही पलती भूख, किसी की आँखों में, किसी के हाथों में, किसी की सोच में हर रोज थोड़ी थोड़ी पलती है, आँखों में संभोग की भूख, हाथों में किसी को नोचने की भूख, सोच में पैसों की भूख, दुनिया में कितनी यातनाएं भूख से ही जनमी है।


बेटा जब इतनी बातें हो ही गयी है तो तुझे तेरे पापा का एक सच बताती हूँ... औरत बेड में मर्द को गालिया तभी देती हैं जब उसे जो खुशी चाहिए वो मिलती नही.


और जो मर्द उसे खुश कर पाता है, उससे वो गालिया सुनना पसंद करती हैं, उस मर्द के लिए उसके मुंह से गालिया नही बल्कि खुशियों की सिसकारियां निकलती है, और उन सिसकियों से मर्द और उत्तेजित होता है.
सही कहा ना.


तेरे पापा ने आज तक मेरे साथ सिर्फ सोना ही सीखा है, जागना नही, इसलिए हमारा रिश्ता उलझन भरा है।


ये सुनकर सुनील का माथा ठनक गया। और बोला....


हाँ मान लिया मर्द दिल तोड़ते है
मगर औरत रूह तक बर्बाद कर देती है।


और उसने झटके से उठने की कोशिस की इस अचानक झटके की वजह से स्टूल पर बैठी मम्मी एक दम से अनबॅलेन्स हुई।


इस तरह एक अचानक और एक दम से उठने की वजह से मम्मी अपने बिल्कुल सामने खड़े हुए अपने बेटे सुनील के जिस्म के साथ टकरा गई।


मम्मी चूँकि इस बात की उम्मीद नही कर रही थी। इसीलिए सुनील के साथ टकराते ही वो अपना होश खो बैठी और एक दम से पीछे की तरफ गिरने लगी।


सुनील ने जब मम्मी को यूँ पीछे की तरफ गिरते देखा। तो उस ने फॉरन मम्मी को सहारा देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। और मम्मी की मोटी कमर के चारो ओर अपने हाथ को लपेट कर अपनी तरफ खैंचा।


सुनील के हाथ का सहारा मिलते ही मम्मी का पीछे की तरफ गिरता जिस्म एक दम से ऊपर की तरफ उठा। तो इस दफ़ा ना सिर्फ़ दोनो माँ बेटा की छाती एक दूसरे की छाती में समाती चली गई।


बल्कि नीचे से भी सुनील की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड मम्मी की शलवार में मौजूद मम्मी की गरम और प्यासी चूत से रगड़ खा गया।


"आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज! अपनी माँ को अपनी इन मज़बूत बाहों में जकड कर मार ही डालो मुझे यययययययययययी बएटााआआआआआआआ" अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती से चिपकते ही मम्मी के दिल में ये ख्वाहिश उमड़ी।

"हाईईईईईईईईईईई! आप ने बचपन में मुझे अपने इन मोटे मम्मों का दूध पिला कर मुझे जवान तो कर दिया है,अब आप कब अपने इस जवान बेटे को अपने इन मम्मो से दुबारा अपना दूध पीने का मोका दोगी अम्मिईीईईईईईईई" मम्मी की भारी और गुदाज छातियों को यूँ अपनी सख़्त छाती से टकराते हुए महसूस कर के सुनील के दिल में भी ख्याल आया।

दोनो माँ बेटे के प्यासे जिस्म ज्यों ही अचानक आपस में इस तरह टकराये। तो सुनील और मम्मी दोनो को ना सिर्फ़ एक दूसरे के जिस्मो में लगी हुई आग का अंदाज़ा हुआ।

बल्कि सुनील और मम्मी ने एक दूसरे की बिखरी हुई सांसो को भी अच्छी तरह से सुन लिया था।

"इस से पहले कि में अपने जवान बेटे के जिस्म की गर्मी से पिघल कर बहक जाऊं, मुझे अपने बेटे की बाहों से निकल जाना चाहिए" मम्मी के दिमाग़ में ख्याल आया। और उन्होंने अपने आप को संभालते हुए अपने जिस्म को अपने बेटे की बाहों से आज़ादी दिला दी।

" तुम्हे चोट तो नही बेटा आई, मम्मी ने सुनील की बाहों से निकलते ही पूछा।

नही, मै ठीक हू और तुम ठीक हो मम्मी ? ???? सुनील ने पूछा

वो तो तेरे ऊपर निर्भर करता है, वैसे अब मुझे लगता हैं सब कुछ ठीक होने का समय आ गया है...... मम्मी ने ये बात द्विअर्थी शब्दों में कही थी जिसे सुनील अच्छे से भांप गया था।

मम्मी मुस्काती हुयी : सुनील बेटा और कुछ कहना सुनना है क्या????

सुनील -- हा मम्मी मुझे बस तीन बातें कहनी है...
1. आज से इस घर की और घर के लोगों की खुशी की जिम्मेदारी मेरी है, मेरे होते हुए अब तुम्हे कोई दुःख नही होगा।

2. रेखडी का ब्याह मेरी मर्जी से, कब और किसके साथ होगा ये मै बताऊंगा।

3. आज के बाद फूफा मादरचोद इस घर में कभी नहीं आयेगा।

ठीक है बेटा मुझे तेरी सारी शर्ते मंजूर है।
Is part ko aur aage ke jitne bhi part me sunil aur darshana ka role aaya hai aur jitna wo log aage bad chuke hai uske bad kya new update ki dono ki bate sahi lag rahi hai
 
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खुला खाना और नंगा नहाना,..,यो ही स म्हारा हरियाणा।


याद राखियों या बात रे ::::::: लुगाई ओर दारू कुछ बी करवा सके है!!!!!!😜

रेगिस्तान भी हरे हो जाया करै
जब मेरे यार गैल खड़े हो जाया करै
ईबे तो entry ए मारी थी आगे आगे देखियो
के के होवेगा।


आपकी कविता पढ़ कर आपका भ्रम दूर करने के लिए अर्ज किया है...

रांडे 2 ढ़ाल के होते हैं
1. आस राण्डा
2. ख़ास राण्डा
‪आस_राण्डा‬ : 30 साल तक के माणस जिनके ब्याह की आस है
‪ख़ास_राण्डा‬ : 30 साल पाच्छे के रांडे ख़ास रांडे होते हैं कती छँटे होड़ …..
कती पिछणे होड़

आस कती ख़त्म ना होया करे रांडे की आस पूरी उम्र रह्या करे 😜😂
देवी जी मुझे लगता है आप अपनी प्रतिभा यहां बरबाद कर रही है। आपके पास ज्ञान का भंडार है आप प्रवचन क्यों नही शुरु करती है। आपके अंदर मुझे बहुत स्कोप दिखता है
खैर मजाक अपनी तरफ आप एक बहुत ही अच्छी लेखक है। कृपया ऐसे ही लिखती रहिए और हमारा मनोरंजन करती रहिएगा।धन्यवाद
 

Rekha rani

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Is part ko aur aage ke jitne bhi part me sunil aur darshana ka role aaya hai aur jitna wo log aage bad chuke hai uske bad kya new update ki dono ki bate sahi lag rahi hai
मुझसे भूल हुयी... Sorry.... ज्यादा लंबा gafe हो जाता update में जिससे भटकाव हो गया, भूल सुधार कर अगले update में लिखने का प्रयास जारी है, इसी तरह गलतिया बताकर सिखाते रहिये।

धन्यवाद 🙏
 

Rekha rani

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देवी जी मुझे लगता है आप अपनी प्रतिभा यहां बरबाद कर रही है। आपके पास ज्ञान का भंडार है आप प्रवचन क्यों नही शुरु करती है। आपके अंदर मुझे बहुत स्कोप दिखता है
खैर मजाक अपनी तरफ आप एक बहुत ही अच्छी लेखक है। कृपया ऐसे ही लिखती रहिए और हमारा मनोरंजन करती रहिएगा।धन्यवाद
Shukriya
 

Rekha rani

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अध्याय - 45

उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। पापा कार्ड बाँटने आसपास के शहरों में रिश्तेदार के यहाँ गये थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी ना हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।

सुनील ने मम्मी को लिफ़ाफ़े के अंदर एक तस्वीर देते हुए कहा कि मम्मी रेखा के लिए ये जो रिश्ता सब ने मिलकर तय किया है वो लड़का मुझे पसंद नहीं है, इसलिए ये रिश्ता तोड़ दो अभी भी ज्यादा देर नही हुयी है और अपनी रेखा के लिए मैने जो लड़का चुना है उसकी तस्वीर इस लिफ़ाफ़े में है।एक बार अच्छे से देख कर जल्द फैसला कर सब घरवालो को बता दो।

मम्मी ने सुनील के हाथ से लीफाफा ले कर खोल कर देखने लगी और उसमें रखी हुयी तस्वीर देख कर मम्मी की आँखों के साथ साथ गांड फट गयी। और उस तस्वीर को एक झटके से दूर फेंक दिया। सुनील ये क्या मजाक है, बावली गांड पागल हो गया है क्या....???

मम्मी अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी। कि काश ये सब एक भयानक मज़ाक हो और काश सुनील उसे ये कह दे कि उसने इस किस्म की कोई बात नहीं कही।

सुनील ने मम्मी की फैंकी हुई अपनी और अपनी बहन रेखा की फोटो को फर्श से उठाया और उन को हाथ में ले कर बहुत गौर से देखने लगा। मगर उस ने अपनी मम्मी की बात का कोई जवाब ना दिया। अपनी जवान बहन के मोटे और भरे मम्मो को तस्वीर में देख कर सुनील की आँखों और मुँह पर एक मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट फैलती चली गई ।

अपने बेटे के खामोशी और उस के चेहरे पर मक्कारी भरी शैतानी मुस्कुराहट को देख कर मम्मी का दिल पहले से ज़्यादा डोलने लगा और सुनील से कोई जवाब ना पा कर वह दुबारा चीखी " सुनील खामोश क्यों हो, कुछ तो बको और मुझे बताओ कि ये सब चूतियापा क्या है?"

"क्यों मम्मी आप को अपनी बेटी के लिए मेरा रिश्ता पसंद नहीं आया क्या?" सुनील अपनी शैतानी आँखों को मम्मी की आँखों में डालते हुए, इतनी बड़ी बात बड़े आराम और होसले से कह गया।

"क्या बकवास कर रहे, तुम! होश में तो हो अपने बेटे की बात सुन कर मम्मी का सर चकराने लगा और उसे यूँ महसूस हुआ कि जैसे किसी ने उस के पावं तले से ज़मीन खैंच ली हो।

"हाँ मम्मी जी ये बात सच है, आप सब ही तो मुझे बार-बार शादी करने पर मजबूर कर रही थी ना" सुनील ने बड़े सकून से मम्मी को जवाब दिया।

" सुनील लगता है तुम पागल हो चुके हो, मेने तुम को किसी दूसरी लड़की से शादी करने का कहा था और तुम अपनी ही सग़ी बहन के साथ ये गंदी हरकत करने का सोचने लगे, तुम जानते हो कि ये बात ना सिर्फ़ ना मुमकिन ही नहीं बल्कि हमारे देश में सगी बहन से ब्याह करना गुनाह भी है बेटा"

मम्मी ने जब सुनील को इस तरह बेझिझक अपनी ही सग़ी बहन से शादी करने की बात करते सुना। तो उसे यकीन हो गया कि उस का बेटा जवानी की गर्मी और जिस्मानी तौर पर पागल हो चुका है। इसीलिए वह इस तरह की बहकी-बहकी बातें करने लगा है।

"क्यों ना मुमकिन है ये बात, आप ही बताएँ क्या कमी है मुझ में, जवान हूँ और मेरी कमाई से ही पूरा घर पल रहा है, तो आप को तो खुश होना चाहिए अपनी बेटी के लिए मेरे इस रिश्ते पर मम्मी" उस ने मम्मी के नज़दीक जाते हुए कहा।

अपने बेटे के मुँह से इस तरह की वाहियात बातें सुन कर मम्मी का मुँह गुस्से से लाल पीला हो गया और उस ने अपने नज़दीक पहुँचे हुए बेटे के मुँह पर ज़ोर दार किस्म के थप्पड़ो की बरसात कर दी। अपने मुँह पर पड़ते अपनी मम्मी के थप्पड़ो को नहीं रोका और चुप चाप खड़ा अपनी मम्मी से मार ख़ाता रहा। वो खुद चाहता था कि जब उस की मम्मी दिल भर कर अपने अंदर का गुस्सा उस पर निकाल लेंगी। तो फिर ही वह उन से सकून से बात चीत करेगा।

जब मम्मी अपने बेटे के मुँह पर तमाचे मारते-मारते थक गई. तो वह पास पड़े सोफे पर बैठ कर रोने लगी। सुनील भी अपनी मम्मी से मार खाने के बाद खुद भी उन के सामने पड़े सोफे पर जा बैठा और अपनी मम्मी के चुप होने का इंतिज़ार करने लगा।

कुछ देर बाद जब मम्मी रो-रो कर थक गई. तो सुनील अपने सोफे से उठ कर मम्मी के पास जा बैठा और उन के कंधे पर हाथ रख कर प्यार से अपने गले से लगा लिया।

मम्मी आज अपने बेटे की बातें सुन कर उस से नफ़रत करने लगी थी। इसीलिए वह सुनील के हाथ को झटक कर तेज़ी से उठी और दूसरे सोफे पर जा बैठी। और अपनी आँखों में आते हुए आँसुओं को पोन्छते हुए कहा " सुनील ये सब क्या है और "तुम को ऐसी घटिया बात सोचते हुए भी शरम आनी चाहिए, मुझे तो शरम आ रही है तुम को अपना बेटा कहते हुए" मम्मी ने अपने बेटे को कोसते हुए कहा।

"मम्मी चाहे आप कुछ भी कहो में अब शादी करूँगा तो सिर्फ़ रेखा से वरना नही" सुनील अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा।

सुनील अब अपनी बहन की मोटी फुद्दि को हासिल करने के लिए पूरी तरह तुला हुआ था।और अपनी बहन की जवान गरम और प्यासी चूत में अपना मोटा लंड डालने के लिए उसे चाहे कोई भी हद क्रॉस क्यूँ ना करनी पड़े वह उस पर अब आमादा हो चुका था।

वो अब तक ये समझ रहा था। कि वो किसी ना किसी तरह से अपनी मम्मी को ये सब काम करने पर राज़ी कर लेगा। लेकिन जब उस ने देखा कि घी सीधी उंगली से नही निकल रहा। तो उसे पहली बार अपनी मम्मी पर बहुत गुस्सा आया।

"में आप को सोचने के लिए रात भर की मोहलत देता हूँ मम्मी,में चाहता तो ये ही हूँ कि रेखा को बीवी बनाने में आप की रज़ामंदी शामिल हो, लेकिन अगर आज रात के बाद आप ने फिर भी मेरी बात ना मानी,तो फिर में ना सिर्फ़ रेखा को इस घर से भगा कर ले जाऊंगा, बल्कि में आप से ये मकान,जायदाद और सारा रुपैया पैसा भी छीन कर आप को कोड़ी कोड़ी का मोहताज कर दूँगा, और आप कुछ भी नही कर सकेगीं" सुनील ने पहली बार अपनी ही मम्मी को धमकी देते हुए गुस्से में कहा।

ये कह कर वो गुस्से में उठ कर घर के दरवाजे की तरफ चला गया।

मम्मी अपने बेटे का ये रूप देख कर ख़ौफ़ से कांप गई अपने बेटे की सारी बातें सुन कर मम्मी को तो समझ ही नहीं आ रही थी। कि ये सब क्या हो रहा है। इसीलिए वो अपने सर पर हाथ रख कर "सुन्न" हालत में सोफे पर ही बैठी रही और अपने आँसू दुबारा बहाने लगी।

मम्मी तो अपने बेटे से छुप छुप कर अपनी चूत मरवाने के चक्कर में थी। मगर उसे क्या पता था कि उस का बेटा अपनी बहन को अपनी दुल्हन बना कर अपने हमेशा हमेशा के लिए अपने पास ही रख कर चोदना चाहता है। इसीलिए अपने बेटे का प्लान सुन कर ही ख़ौफ़ के मारे मम्मी के पसीने छूटने लगे थे।


दूसरी तरफ मै जब घर के अंदर दाखिल हुयी सुनील तो जैसे अपनी बहन के आने के इंतज़ार में ही बैठा था।

"भाई सब ख़ैरियत है ना घर में, मम्मी किधर है,क्या हुआ?" मैने घबराई हुई आवाज़ के साथ एक ही सांस में इतने सारे सवाल पूछ डाले।

"उफफफ्फ़! मेरी लाडली सब कुशल मंगल (अमन शांति) है तुम चिंता मत करो" सुनील अपनी "माशूक" बहन की आवाज़ सुन कर चहक उठा। और बड़े रोमॅंटिक अंदाज़ में बोला।

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था और अंदर मम्मी के पास जाकर बैठ गयी फिर मम्मी ने मुझ को अपने और सुनील के दरमियाँ होने वाली सारी बात डीटेल से बता दी।

" साला बेहनचोद भैया" मम्मी के मुँह से सारी बात सुन कर मै पहले से ज़्यादा
परेशान हो कर गाली देते हुए रोने लगी। और कुछ देर सोफे पर बैठी अपने आँसू बहाती रही। और फिर जब थक गई तो अपने कमरे में चली आई।

उधर मम्मी ने पूरी रात बिस्तर पर करवटें बदलते और सोचते सोचते और रोते रोते ही गुजार दी। अपने ख्यालों में मगन हो कर अपनी जिंदगी पर नज़र दौड़ाते दौड़ाते मम्मी को वो वक्त याद आने लगा। जब उस के बेटे ने दिन रात मेहनत कर अपने घर का ना सिर्फ़ बोझ उठा रहा है। साथ ही साथ मम्मी को आज सुबह की बाथरूम वाली बात भी याद आ गईं। जब मम्मी ने अपनी जिस्मानी प्यास से मजबूर हो कर अपने बेटे के लंड को याद कर अपनी गरम चूत से खेल खेलना शुरू किया था।

अपने बेटे के लंड को देख कर उसी वक्त ही मम्मी को अंदाज़ हो गया था। कि उसके जवान बेटे के जिस्म में बहुत गर्मी छुपी हुई है। जिस के लिए उसे एक ऐसी चूत की ज़रूरत है। जो उस के बेटे के प्यासे जवान बदन की गर्मी को अच्छी तरह से संभाल सके।

ये बात सोचते सोचते पहली बार मम्मी के दिल में ख्याल आया। इसमे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है । अपने बेटे से अपनी चूत की प्यास बुझाकर मै अपनी बेटी की शादी बेजिझक कर सकती हू। तो इस में कोई हैरानगी तो नही।

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़ में ये क्या सोचने लगी हूँ" मम्मी के दिमाग़ में ज्यूँ ही ये बात आई। तो उस ने फॉरन अपने आप को कोसा।

(कहते हैं कि "विपरीत काले मर्यादा त्यागते " इंसान का जब बुरा वक्त आता है तो इंसान आहिस्ता आहिस्ता बुरे भले की तमीज़ खो बैठता है।)

"ज्यूँ उम्र बढ़ती गई,

बदनामी चढ़ती गई..!!"

इसीलिए मम्मी के लिए अब बेहतर ये है कि, अपने बेटे के साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर एक दूसरे की जरूरत पूरी करे।

अपनी इस सोच को जस्टिफाइ करने की खातिर वो सोचने लगी। कि अगर मम्मी और फूफा के नाजायज़ ताल्लुक़ात के बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं हुई। तो फिर मम्मी और सुनील के साथ जिस्मानी संबंध के बाद अपने ही घर में दोनों माँ बेटे का पति पत्नी की तरह से एक साथ रहने का ईलम बाहर की दुनिया को कैसे हो सकता है।

इन सब बातों पर सोचते-सोचते मम्मी ने अपने दिल को अपने बेटे के साथ बदलते रिश्ते पर राज़ी किया और फिर उस की आँख लग गई।

अगले दिन सुबह जब मम्मी की आँख खुली। टट्टी पोट्टी से फ्री होने के बाद मम्मी ने रात वाले अपने फ़ैसले पर एक बार फिर गौर किया और उस के बाद उस ने अपने कदम अपने बेटे के कमरे की तरफ बढ़ा दिया।

कमरे में मौजूद सुनील ने जब अपनी मम्मी को अपने कमरे में आते देखा। तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

बेटा " मम्मी ने ना चाहते हुए भी थोड़ा प्यार से से कहा।

सुनील तो अपनी मम्मी से गालियाँ और कड़वाहट सुनने को तैयार बैठा था। मगर मम्मी का ये धीमा लहज़ा सुन कर उस को बहुत हेरानी हुई।

" बेटा एक बात पूछूँ अपनी मम्मी के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा? तू अपनी से बहन और मम्मी में से किससे ज्यादा प्यार करता है " मम्मी ने बहुत सुकून भरे अंदाज़ में सुनील से पूछा।

"बेशक मम्मी आपसे" और वो भी बड़े ही प्यार से जबाब देते हुए बोला... अपनी मम्मी के मुँह से गुस्से भरी गालियों की बजाय प्यार की बात सुन कर सुनील समझ गया वाकई ही उसकी बातों का कोई जादू है।जो मम्मी एक रात में ही इतना बदल गई हैं।

बेटा जब तू अपनी मम्मी से इतना प्यार करता है तो फिर अपना प्यार अपनी बहन पर क्यो जाया करने की सोच रहा है.. मै तुझे वो सब कुछ दे सकती हू जो तुझे चाहिए। क्या तुझे अपनी मम्मी के साथ प्यार करने में और बीबी बनाने में कोई ऐतराज है....??

"मम्मी तो किसी भी जवान लंड के इंतज़ार में अपनी चूत का पानी बर्बाद कर रही थी।और फिर अपने ही सगे बेटे के मोटे सख़्त और बड़े लंड के दर्शन करने के बाद। तो उस की फुद्दि अपने बेटे के लंड को अपने अंदर काबू करने के लिए बेचैन होने लगी थी।"

इस हालत में जब उस की अपनी मम्मी की गरम और प्यासी चूत ही उसे अपने साथ चुदने की इजाज़त देने पर आमादा हो गई थी। तो "अंधे को क्या चाहिए दो आँखे" वाली मिसाल को ज़हन में रखते हुए सुनील को "हां" करने में भला क्या ऐतराज हो सकता था।

इसीलिए खुशी के आलम में उस ने फॉरन कहा "जैसे आप की मर्ज़ी मम्मी मुझे कोई ऐतराज नही"।

मम्मी को भी अपने मूसल लंड धारी बेटे से इसी जवाब की उम्मीद थी।

बहरहाल अपनी मम्मी के फ़ैसले को सुन कर सुनील का लंड उस की पॅंट में फुल खड़ा हो गया और उस ने एक हाथ से अपने लंड को मसल्ते हुए मम्मी से कहा "तो अब जल्दी ही प्यार की बरसात करो ना जान। अब तुम्हारे इस आशिक़ से तुम्हारी चूत की दूरी बर्दाश्त नहीं होती" ।


"में जल्द ही बरसूँगी मगर इस के लिए मेरी दो शर्ते होंगी मेरे लाडले" मम्मी ने इठलाते हुए अपने आशिक़ बेटे की बात का जवाब दिया।


"शर्तें, केसी शर्तें मेरी जान?" सुनील ने भी उसी अंदाज़ में अपनी मम्मी से पूछा।


"पहली शर्त ये कि मेरी जब तक रेखा की विदा इस घर से नही हो जाती तब तक तुम रेखा के साथ साथ मुझे हाथ नहीं लगाओगे और दूसरी शर्त ये कि मुझे अपनी बीवी बनाने के बाद अपनी बहन रेखा को कभी चोदने की नहीं सोचोगे" मम्मी ने अपने बेटे को अपनी दोनों शर्ते बता दीं।


"हाईयययययययी! कुर्बान जाऊँ में अपनी शहज़ादी के, तुम अभी मम्मी से बीवी बनी भी नहीं और बीवियों वाले हुकम पहले ही चलाने शुरू कर दिए हैं मेरी जान!" अपनी मम्मी की दूसरी शर्त सुन कर सुनील की हँसी निकल गई और वह बोला।


"में मज़ाक नहीं कर रही बेटा, अगर तुम को मेरी ये शर्ते मंजूर हैं तो बताओ।


"अच्छा जैसे मेरे दिल की रानी कहेगी में वैसे ही करूँगा बाबा, वैसे भी जिस बेटे को तुम जैसी भरी हुए मस्त बदन और जनम-जनम की प्यासी चूत वाली मम्मी चोदने को मिल जाय, तो उस का लंड किसी और की चूत में कैसे जाएगा जानू"? सुनील ने अपनी मम्मी को मक्खन लगाते हुए जवाब दिया।


"ठीक है मै कुछ दिन बाद रेखा की शादी होने के बाद तेरे लिए खास प्रोग्राम बनाती हूँ" मम्मी ने अपने बेटे को कहा और कमरे से बाहर आ गई।


हाय मेरी प्यासी मम्मी इंतजार तुम्हारा मरने तक करेंगे बस तुम किसी और से मरवा कर मत आ जाना.... सुनील मम्मी की चलते हुए उछलती हुयी गांड देख कर अपना लंड मसलते हुए बोला।


माँ बेटे तो अपनी अपनी जुगाड़ फिक्स कर अपने काम धंधे में लग गये जबकि मै बिना कुछ खाए पिए सारा दिन अपने बिस्तर पर बीमार बन कर पड़ी रही। शाम को जब सुनील घर वापिस आया। तो वो होटेल से अपने और अपनी मम्मी के लिए स्पेशल खाना ले आया।


जब मम्मी ने मेरे कमरे में आ कर मुझ को खाना दिया। तो मैने उसे खाने से इनकार कर दिया। मम्मी ने मुझ को अपनी भूक हड़ताल ख़तम करने का कहा। मगर मै भी अपनी ज़िद पर कायम रहीं।


आख़िर काफ़ी देर बाद थक हार कर मम्मी ने मुझको मेरे हाल पर छोड़ा । और खुद माँ बेटे प्यार से खाना खाने लगे। मम्मी के जाने के बाद काफ़ी देर तक मैने कमरे में रखे खाने की तरफ नज़र उठा कर भी ना देखा। मगर जो भी हो मै एक इंसान थी। जो कि कल शाम से भूकी भी थी।


इसीलिए आख़िर कार कुछ देर बाद जब भूक मेरे लिए लिए ना काबले बर्दास्त हो गई। तो मुझ को उठ कर प्लेट में पड़ा खाना खाना ही पड़ा।


एक कहावत है कि:-


"तिढ़ ना पाया रूठेआं ते सबे गुलान ख़ुतेआं।"


(कि जब तक पेट में रोटी ना जाय उस वक्त तक इंसान को कोई बात नही सूझती।)


इसीलिए दो दिन की भूकि मुझ को पेट भर कर खाना मिला। तो मेरे दिल और दिमाग़ को भी कुछ सकून मिला और मैने ठंडे दिल से कुछ सोचना शुरू कर दिया। और काफी सोच समझने के बाद मैने घर से भाग जाने का फैसला किया।


अगली सुबह मै बावली गांड सी छोरी सिर्फ पहने हुये कपड़ो में सीधा रेलवे स्टेशन पहुँच गयी और स्टेशन पर से ही संजय को फोन लगा कर कहा जल्दी से रेलवे स्टेशन आ जाओ नही तो मै ट्रेन के नीचे कूद कर अपनी जान दे दूँगी। संजय पागलो की तरह मुझे ढूँडनता हुआ दस मिनिट में स्टेशन पर आ गया और उसे सामने देखकर मै रोते हुए उसके सीने से चिपक गयी।


संजय दो मिनिट तक मुझे सीने से चिपकाए रहा और मुझे चुप कराता रहा। आँखो के सारे आँसू बह जाने के बाद मै उसके सीने से दूर हो कर कुर्सी पर बैठ गयी। उसने कहा रेखा क्या हुआ है...??? क्या प्रोबलम है कुछ बताओ तो सही...???


मेरे पास उसके सवाल का कोई जबाब नही था क्योकि मेरा सगा भाई मेरे लिए गुप्त रोग बन गया था और गुप्त रोग ना किसी को बता सकते है और ना ही छिपा सकते है। उसने दोबारा वही सवाल किया... ?? ?


संजय तुम मुझसे अभी शादी कर अपने घर ले जा सकते हो इस बार मैने उसके सवाल का जबाब दिया। वो कुछ देर सोचता रहा और बोला रेखा हमारी शादी वैसे भी तीन चार दिन बाद हो ही रही है फिर इस तरह भागकर शादी क्यो ही करना....???

नही मुझे तुमसे शादी अभी करनी है और तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जाना है.... मैने इस बार बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा।

रेखा कोई भी लाग लपेट किये बिना मै सीधा जवाब दूंगा। तुम्हारे इस तरह भाग कर शादी करने के फैसले पर तुम्हारे पापा पर क्या बीतेगी ये सोचा है...... वो अपनी बेटी की शादी समाज के बीच रीति रिवाजों से करने का सपना सजाये हुये अपने रिश्तेदारों में आसपास के शहरों में कार्ड बाटने गये है जब वो वापस आयेंगे तो लोग समाज रिश्तेदार उनसे पूछएंगे..... बेटी को भाग कर शादी क्यों करनी पड़ी?

बाप पे जो गुजरेगी उस से अधिक उस बेटी पे गुजर रही होगी जिसको अपने ही पिता से भाग कर अपना जीवनसाथी चुनना पड़ा जिसका उसे हक़ था। ये सवाल समाज, रिश्तेदार, बांकी लोग ये क्यों नही पूछते...?? मै संजय को जबाब देते हुए बोली।

रेखा घर से भागी हुई बेटियों का पिता इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है, पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है, आसपास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है। भारत का एक सामान्य पिता अपनी बेटी के प्रेम से नहीं डरता, वह डरता है अपनी बेटी के भाग जाने से! संजय मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर समझाते हुए बोला।

संजय की कुछ कुछ बातें मेरे समझ में आ रही थी। तो मुझे अभी क्या करना चाहिए.. ???

सबसे पहले तो मुझे ये बताओ आखिर प्रोबलम क्या है तुम्हारी...?? संजय का सवाल वही अटका था। जिसका सच्चा जबाब (मेरा सगा भाई मेरी चूत पाने के चक्कर में मुझसे शादी करने की कह रहा है) सुनकर वो शायद मुझसे कभी शादी नही करता। ये सोच कर मैने उसे सच ना बताते हुए कहा कि घर पर मम्मी से झगडा हो गया था और मै गुस्से में घर से भाग कर आ गई।

बस इतनी सी बात रेखा... चलो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ और मम्मी से बोलता हूँ मेरी दुल्हनिया आपकी अमानत है कुछ दिन बाद ये आपको परेशान नही करेगी।
ये सुनकर मेरी हँसी छूट पड़ी..... ह्म्म

दिल के रिस्ताँ का कोए नाम ना होंदा।
हर रास्तां का कोए मुकाम ना होंदा।
अगर निभाण की चाहत हो दोनों कानी।
तो कसम त कोए रिस्तां नाकाम ना होंदा।
 

Rekha rani

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Awesome update, lekin ma bete ka scene kuchh smajh nahi aaya , beta pahle ma ko balakmail kar chuka tha aur chudayi ki bat ho chuki thi to ab ye sab kya chal raha tha, kuchh jod nahi ban raha hai,
लण्डबाज रे , हाअय्य लण्डबाज रे
तोरे नैना बड़े लण्डबाज रे !

संजय जी की ढलती जवानी vs रेखा की मदमस्त गर्माहट
नतिजा: संजय का BDSM :lol:

अर्ज किया है .... बस मुलायजा फरमाइयेगा ;)
संजय जी के लिए खास है :D

कि निचोडलेगी डालेगी वो तुझे चूसे आम के जैसे -
और तुम बिलबिलाये हुए रेंग भी ना पाओगे
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो
तुम क्या सोचते हो दीमक ना आयेंगे इनपर
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो , क्या सोचते हो जमाने भर के दीमक ना आयेंगे इनपर

अरे चाट कर तार तार कर जायेंगे इज्जत तुम्हारी और तुम झान्ट नही कुछ उखाड़ पाओगे :lol:
यह तो " शोले " फिल्म का सीन्स हो गया , फर्क इतना था कि फिल्म मे अमित जी ने लीला मिश्रा जी को धर्मेंद्र जी की हर ऐब और बुराई बताकर हेमा जी का रिश्ता मांगा था और यहां नायिका रेखा देवी स्वयं ही अपनी सारी कमीयों का बखान अपने मंगेतर संजय साहब के समक्ष रख दी।

आजकल की लड़कियां अत्यंत ही होशियार है , चतुर सुजान है, फाश इशारा गोली की तरह समझती है लेकिन शादी-ब्याह जैसे संवेदनशील मसले पर थोड़ा-बहुत संकोची हो ही जाती है।
मुझे एक बार लगा यह रिश्ता तो होने से रहा ! कौन लड़का ऐसी गुणवान और संस्कारी महिला से शादी करना चाहेगा जो अपनी इज्ज़त का जनाजा खुद बढ़ - चढ़कर निकाल रही हो !
पर ऐसा हुआ नही। शायद संजय साहब के सिर पर रेखा के हुस्न का जादू कुछ ज्यादा ही चढ़ गया। शायद अब उन्हे एकाकीपन खलने लगा हो । शायद किसी वजह से अन्य लड़कियां इनसे वैवाहिक सम्बन्ध बनाना नही चाहती । कुछ तो जरूर कारण रहा होगा कि उनके धनाढ्य वर्ग से होने के बावजूद भी किसी भी मां-बाप ने अपनी पुत्री का रिश्ता इनके साथ बनाना नही चाहा।
वैसे मैने पहले भी आप के थ्रीड पर कहा था कि मर्द का अमीर होना और औरत का खुबसूरत होना करीब करीब एक ही कैटिगरी मे आता है। इसलिए रेखा को यह सोचने की जरूरत ही नही कि उसकी शादी एक अमीर लड़के से हो रही है।
लेकिन यह भी आश्चर्य की बात है कि संजय साहब को अपने बड़े भाई एवं पिता से दस हजार रुपए प्रतिमाह खर्चे के लिए पैसे मिलते है । क्या संजय साहब अपने ही फर्म मे नौकरी करते है लेकिन अगर करते भी है तो यह रकम तो सफिसिएंट नही लगता । इससे अधिक तो एक मजदूर कमा लेता है। आखिर यह क्या चक्कर है ?

उधर दर्शना देवी और सुनील के बीच आंख मिचौली का खेल हमेशा की तरह जारी है। लेकिन सुनील ऐसा क्या करने वाला है जिससे रेखा एक बड़ी मुसीबत मे फंस सकती है ?

बहुत ही बेहतरीन अपडेट रेखा जी।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
रेखा तो बहुत advansh निकली बिना शर्माए सब कुछ पूछ लिया संजय सीधा सादा लग रहा है रेखा संजय पर भारी पड़ने वाली है
संजय को अपनी ही फैक्ट्री से दस हजार रूपए मिल रहे हैं ये समझ में नही आ रहा है
मां बेटे के बीच आंख मिचौली का खेल चल रहा है अब आखिर सुनील ने क्या कर दिया है??
Is part ko aur aage ke jitne bhi part me sunil aur darshana ka role aaya hai aur jitna wo log aage bad chuke hai uske bad kya new update ki dono ki bate sahi lag rahi hai
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Rekha rani

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Is part ko aur aage ke jitne bhi part me sunil aur darshana ka role aaya hai aur jitna wo log aage bad chuke hai uske bad kya new update ki dono ki bate sahi lag rahi hai

देवी जी मुझे लगता है आप अपनी प्रतिभा यहां बरबाद कर रही है। आपके पास ज्ञान का भंडार है आप प्रवचन क्यों नही शुरु करती है। आपके अंदर मुझे बहुत स्कोप दिखता है
खैर मजाक अपनी तरफ आप एक बहुत ही अच्छी लेखक है। कृपया ऐसे ही लिखती रहिए और हमारा मनोरंजन करती रहिएगा।धन्यवाद
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