मैने सयानी होकर कोनसी गलती की, बोल,
मेरे भी सुनील भैया की बाते सुनकर कान खड़े हो गै, सुनील के बात कर रा है, इसी के गलती करी है मम्मी ने, या सुनील मेरे ताई बचान खातर कहन लाग रा है,
में बैचेन होगी आगे के केवेगा सुनील, मम्मी को,
अध्याय - 32
रेखडी तू यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है, जा अपने कमरे में... ये तो आज गांजा फूंक कर आया है, काँहि होश तो है नही बस बकवास किये जा रहा है। मम्मी मुझे कमरे में अंदर धकलेते हुई गुस्से में मुझसे बोली।
रुक रेखडी तू कही नही जायेगी, तू भी तो सुन अपनी सती सावित्री माँ की कहानी..... जो अपनी जवान छोरी का ब्याह बूढ़े आदमी से कर रही है, और खुद बुढ़ापे में जवानी के गुल खिला रही है। सुनील मम्मी की बात काटते हुए बोला।
मम्मी ने उठाई चप्पल.... तेरी बेहण का भोसड़ा...... तुम ऐसे नही मानोगे, और सुनील को मारते हुए दूसरे कमरे में ले गयी.... मुझे उन दोनों की आवाजे सुनाई देनी लगभग बंद हो गयी।
लेकिन उधर दूसरे कमरे में.... बोल क्या बक रहा है, अपनी माँ पर लांछन लगाता है, जिस भोसडे से पैदा हुआ है उसे ही गाली देता है। आखिर एक पचास साल की औरत एक जवान लड़के के आगे कहा टिकती।
सुनील ने मम्मी के हाथ में से चप्पल छीन ली..... और पीछे से अपने मजबूत आगोश में कस कर दबा लिया... मम्मी के इस तरह सुनील के जिस्म के लपेटने से मम्मी का जिस्म पीछे से अपने बेटे की कमर के साथ चिपकता चला गया।
जिस की वजह से मम्मी के तरबूज़ की तरह बड़े बड़े मम्मे उस के बेटे सुनील की बदन से लग कर चिपक गये।
"उफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी मम्मी का बदन कितना नरम है और उन के जिस्म में कितनी गर्मी भरी हुई है" ज्यों ही मम्मी अपने जवान बेटे के जिस्म से टकराई। तो सुनील के दिल में पहली बार मम्मी के लिए इस तरह की बात आई।
इसीलिए अब जैसे ही सुनील ने अपनी मम्मी के बड़े और गुदाज मम्मो को पीछे से अपने जिस्म के साथ छूते और रगड़ खाते हुए महसूस किया।
मम्मी के मोटे जिस्म और उस के भारी मम्मो के असर से सुनील के जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया। और सुनील के ना चाहने के बावजूद उस का लंड पहली बार मम्मी के भारी चूतरो के लिए तड़प कर पूरा सख़्त हो गया था।
उधर मम्मी भी ज्यों ही अपने जवान बेटे के साथ पीछे से चिपकी। तो उसे भी अपने बेटे के जिस्म की मज़बूती और उस के जिस्म में मौजूद जवानी की गर्मी का फॉरन ही अहसास हो गया। जिस की वजह से मम्मी की चूत में लंड की लगी हुई आग फिर से सुलगने लगी।
अभी दोनो माँ बेटा एक दूसरे के जज़्बात से बे खबर हो कर अपने अपने जिस्मो की आग को संभालने की ना काम कोशिश कर रहे थे। कि तभी सुनील मम्मी को दीवाल से सटा कर बोला..... दर्शना देवी (मम्मी) बंद करो ये अपना सती सावित्री होने का नाटक.... मुझे सब पता है तेरे और उस मादरचोद फूफा के बीच क्या चल रहा है। और ये कई सालों से हवस का नँगा नाच में देखते आया हू।
पहले तो मुझे लगता था कि सलहज जीजा का रिश्ता है, ये सब मजाक होता होगा। लेकिन जब कुछ साल पहले जब पापा के इलाज के लिए फतेहपुर गये थे वो हॉस्पिटल में भर्ती थे और हम कुछ दिन बुआ के घर रुके थे।
शाम को किसी बात पर मम्मी तुम रोने जैसी हो गई थी और फूफा जी समझा रहे थे। तभी फूफा जी ने हमें यह कह कर बाहर खेलने भेज दिया कि बच्चों को ऐसी बातें नहीं बतानी चाहिए, इससे उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, पर मेरा मन तो मम्मी तुम पर ही था। मैं वहाँ पर रुकना चाहता था और उनकी बातें सुनना चाहता था, पर मम्मी तूने ही मुझे बाहर भेज दिया।
अंजू और रेखा घर के सामने पार्क में खेलने चले आए। पर मुझे फूफा और तुम्हारी बातें सुननी थीं तो मैं वापस घर आ गया और अंदर ना जाकर बाहर गेट के पास खड़ा हो कर उनकी बातें सुनने लगा।
फूफा जी कह रहे थे कि यह सब तो घर में चलता रहता है। मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती! और यह कह कर तुम रोने लगीं, फूफा जी चुप कराने लगे, कभी आँसू पोंछते कभी तेरे गाल सहलाते। फिर तुम मम्मी उनके गले से लग कर रोने लगीं। फूफा जी सर पर हाथ फेर रहे थे। थोड़ी देर बाद तुम्हारा रोना बंद हो गया पर मम्मी तुम फूफा जी से चिपक कर ही खड़ी रहीं।
तुम दोनों के हाथ एक दूसरे की कमर पर फिर रहे थे। थोड़ी देर बाद फूफा जी तुम्हारे होंठों को चूमने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। लेकिन इतना जरूर पता था कि ये गलत हो रहा था।
ये सुनकर मम्मी के एक झटका लगा, बस कर बेटा बस कर चुप हो जा...... और उन्होंने पूरी ताकत से सुनील को दूर धकेल दिया, और गहरी साँसे लेते हुए स्टूल पर बैठ गयी उस वक्त मम्मी ने अपने भारी सीने पर कोई दुपट्टा नही लिया हुआ था। जिस वजह से मम्मी की तंग और कसी हुई कमीज़ में से उस के मोटे मोटे तरबूज़ नुमा मम्मे सुनील की आँखों को एक दिल कश नज़ारा दे रहे थे। जब कि छोटे से स्टूल पर बैठने से मम्मी के भारी और बड़े चूतड़ पीछे को लटक रहे थे।
पूरे कमरे में एक सन्नाटा भर गया था, कुछ पलों के बाद मम्मी ने एक लंबी सांस ली और कहा "सुनील बेटा" यहाँ आ मेरे पास बैठ...... मम्मी ने अपने बेटे को ये मुस्करा कर कहा ।
मम्मी अपने जवान बेटे को देख कर ऐसे मुस्कुराइ जैसे कोई जवान माशूका अपने रूठे हुए आशिक़ को मनाने के लिए इस्तिकबाल करते हुए अपने महबूब पर अपनी मुस्कुराहट के फूल न्योछावर करती है।
" ठीक है मम्मी "सुनील ने अपने गुस्से को नरम करते हुए बुलंद आवाज़ में मम्मी को जवाब दिया।
"आ रहा हूँ आप के इन मोटे मम्मो और इस बड़ी गान्ड को नजदीक से अपनी आँखों से सेकने मम्मी" सुनील ने अपने दिल/मन में ये बात कही।
सुनील की उत्तेजना का स्वरूप बदल रहा था दिमाग की उत्तेजना लंड की उत्तेजना में पहुँच गयी, आँखों में भरा हुआ खून अब उसके लंड की नसो में दौड़ रहा था। वो मम्मी के जिस्म में अब एक काम पिपासू औरत देख रहा था, और वो भी मम्मी के पास बेड पर बैठ गया।
सुनील बेटा जो तूने उस समय देखा वो सच नही है, मै तेरे फूफा से तेरे पापा के इलाज के विषय में बात कर रही थी, और बातें करते हुए भावुक हो गयी, मुझे वो दिलासा दे रहे थे और तूने गलत समझ लिया। इसमें तेरी कोई गलती नही है, वो तेरा बचपन था और बचपन में बच्चे कुछ देखते और कुछ समझते है।
""बचपन...... मम्मी गरीब मजदूर बाप के बेटों का बचपन कभी नहीं आता.... उनके ऊपर सीधे जवानी आती हैं और वो भी समय से पहले.... "" सुनील मुस्कुरा कर बोला।
मम्मी ने अपना एक हाथ सुनील की झान्ग पर दूसरा उसके हाथ उसके गले में डाल कर बोली बेटा तू फूफा पर इल्जाम लगा रहा है, वो गलत है, उन्होंने उस समय बहुत पैसे दिये थे.... तेरे पापा के इलाज के लिए..... कितनी मदद की थी।
सुनील : हा मम्मी ये सच कहा फूफा ने पैसे दिये थे तूने हाथ की हथेली में मांगे थे और उसने तेरे ब्लाउस के अंदर हाथ डाल कर रखे थे.... ।
"" स्त्री एक ऐसी गुरु होती है, जो अपने ब्लाउस के टूटे बटन से, मर्द के टूटे हुए दिल को जोड़ने की कला जानती है ""
मम्मी का भांडा फुट चुका था.... वो अपनी सफ़ायी देते हुए बोली.... तो इसमें क्या हो गया औरते अपने पैसे अपने ब्लाउस में ही तो रखती है, औरत के ब्लाउस से ज्यादा सुरक्षित जगह पैसे रखने की कोई नहीं है, मै खुद रखती तो उन्होंने रख दिये।
ये सुनकर सुनील का माथा ठनक गया और वो दाँत मीसते हुए बोला मां तू कैसी औरत है, खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कैसे कैसे बहाने बना रही है, ऐसे गैर मर्द से अपने ब्लाउस में हाथ डलवा कर पैसे लेने वाली औरत को रण्डी, छिनार कहा जाता है।
अब बारी मम्मी की थी, क्या कहा तूने रण्डी अपनी सगी माँ को.... मैने तुझे अपने जिस चूत से निकाला आज तू उसी चूत को गाली दे रहा है।
दुनिया की हर औरत एक रण्डी है। चल हा मै भी एक रण्डी हू। क्या झांट उखाड़ लेगा मेरी.......... मम्मी थोड़ी भावुक होते हुए बोली....अपनी उपेक्षा का दंश झेलते झेलते मैं तंग आ गई थी, मगर उस घटना के बाद मैंने जिल्लत भरी जिन्दगी में खुशी पाने की राह ढूंढ़ ली, भले ही समाज उसे गलत नजर से देखे मेरे ठेंगे से। आज तक मैंने जो उपेक्षा का दंश झेला है उससे तो कई गुना खुशी और संतोष की प्राप्ति तो होती साथ ही मेरे अंदर के आक्रोश को काफी हद तक शांत होता।
पतिव्रता होना पत्नी का पहला कर्तव्य है। पर तुम जानते हो ना चोर तो वो ही होता है जो चोरी करता हुआ पकड़ा जाये … मैं अभी तक तो पतिव्रता ही हूँ … पर चुदने से पतिव्रता होने का क्या सम्बन्ध है ? यह विषय तो बिल्कुल अलग है। मैं अपने पति को सच्चे दिल से चाहती हूँ। जिस दिन उन्हें चाहना छोड़ दूंगी उस दिन इस घर से तो क्या इस दुनिया से भी चली जाऊंगी।
बेटा भूख के भी अपने अलग अलग प्रकार है, सिर्फ पेट में नही पलती भूख, किसी की आँखों में, किसी के हाथों में, किसी की सोच में हर रोज थोड़ी थोड़ी पलती है, आँखों में संभोग की भूख, हाथों में किसी को नोचने की भूख, सोच में पैसों की भूख, दुनिया में कितनी यातनाएं भूख से ही जनमी है।
बेटा जब इतनी बातें हो ही गयी है तो तुझे तेरे पापा का एक सच बताती हूँ... औरत बेड में मर्द को गालिया तभी देती हैं जब उसे जो खुशी चाहिए वो मिलती नही.
और जो मर्द उसे खुश कर पाता है, उससे वो गालिया सुनना पसंद करती हैं, उस मर्द के लिए उसके मुंह से गालिया नही बल्कि खुशियों की सिसकारियां निकलती है, और उन सिसकियों से मर्द और उत्तेजित होता है.
सही कहा ना.
तेरे पापा ने आज तक मेरे साथ सिर्फ सोना ही सीखा है, जागना नही, इसलिए हमारा रिश्ता उलझन भरा है।
ये सुनकर सुनील का माथा ठनक गया। और बोला....
हाँ मान लिया मर्द दिल तोड़ते है
मगर औरत रूह तक बर्बाद कर देती है।
और उसने झटके से उठने की कोशिस की इस अचानक झटके की वजह से स्टूल पर बैठी मम्मी एक दम से अनबॅलेन्स हुई।
इस तरह एक अचानक और एक दम से उठने की वजह से मम्मी अपने बिल्कुल सामने खड़े हुए अपने बेटे सुनील के जिस्म के साथ टकरा गई।
मम्मी चूँकि इस बात की उम्मीद नही कर रही थी। इसीलिए सुनील के साथ टकराते ही वो अपना होश खो बैठी और एक दम से पीछे की तरफ गिरने लगी।
सुनील ने जब मम्मी को यूँ पीछे की तरफ गिरते देखा। तो उस ने फॉरन मम्मी को सहारा देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। और मम्मी की मोटी कमर के चारो ओर अपने हाथ को लपेट कर अपनी तरफ खैंचा।
सुनील के हाथ का सहारा मिलते ही मम्मी का पीछे की तरफ गिरता जिस्म एक दम से ऊपर की तरफ उठा। तो इस दफ़ा ना सिर्फ़ दोनो माँ बेटा की छाती एक दूसरे की छाती में समाती चली गई।
बल्कि नीचे से भी सुनील की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड मम्मी की शलवार में मौजूद मम्मी की गरम और प्यासी चूत से रगड़ खा गया।
"आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज! अपनी माँ को अपनी इन मज़बूत बाहों में जकड कर मार ही डालो मुझे यययययययययययी बएटााआआआआआआआ" अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती से चिपकते ही मम्मी के दिल में ये ख्वाहिश उमड़ी।
"हाईईईईईईईईईईई! आप ने बचपन में मुझे अपने इन मोटे मम्मों का दूध पिला कर मुझे जवान तो कर दिया है,अब आप कब अपने इस जवान बेटे को अपने इन मम्मो से दुबारा अपना दूध पीने का मोका दोगी अम्मिईीईईईईईईई" मम्मी की भारी और गुदाज छातियों को यूँ अपनी सख़्त छाती से टकराते हुए महसूस कर के सुनील के दिल में भी ख्याल आया।
दोनो माँ बेटे के प्यासे जिस्म ज्यों ही अचानक आपस में इस तरह टकराये। तो सुनील और मम्मी दोनो को ना सिर्फ़ एक दूसरे के जिस्मो में लगी हुई आग का अंदाज़ा हुआ।
बल्कि सुनील और मम्मी ने एक दूसरे की बिखरी हुई सांसो को भी अच्छी तरह से सुन लिया था।
"इस से पहले कि में अपने जवान बेटे के जिस्म की गर्मी से पिघल कर बहक जाऊं, मुझे अपने बेटे की बाहों से निकल जाना चाहिए" मम्मी के दिमाग़ में ख्याल आया। और उन्होंने अपने आप को संभालते हुए अपने जिस्म को अपने बेटे की बाहों से आज़ादी दिला दी।
" तुम्हे चोट तो नही बेटा आई, मम्मी ने सुनील की बाहों से निकलते ही पूछा।
नही, मै ठीक हू और तुम ठीक हो मम्मी ? ???? सुनील ने पूछा
वो तो तेरे ऊपर निर्भर करता है, वैसे अब मुझे लगता हैं सब कुछ ठीक होने का समय आ गया है...... मम्मी ने ये बात द्विअर्थी शब्दों में कही थी जिसे सुनील अच्छे से भांप गया था।
मम्मी मुस्काती हुयी : सुनील बेटा और कुछ कहना सुनना है क्या????
सुनील -- हा मम्मी मुझे बस तीन बातें कहनी है...
1. आज से इस घर की और घर के लोगों की खुशी की जिम्मेदारी मेरी है, मेरे होते हुए अब तुम्हे कोई दुःख नही होगा।
2. रेखडी का ब्याह मेरी मर्जी से, कब और किसके साथ होगा ये मै बताऊंगा।
3. आज के बाद फूफा मादरचोद इस घर में कभी नहीं आयेगा।
ठीक है बेटा मुझे तेरी सारी शर्ते मंजूर है।