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Incest शक या अधूरा सच( incest+adultery)

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Rekha rani

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इस अपडेट के बाद कुछ गाने गुनगुना रहा है दिल


रात मोरे भैया ने घघरा उठाया
मै चोली वही छोड़ आई डर के मारे :lol:
लाइट चली जाऐ पीछे जिन छोरया न एक मोमबत्ती जलाण म 7-8 तीली लाग जा हैं 🤔




वे भी अपनी gf त कह हैं, बाबू तुम्हारे लिए दुनिया को आग लगा दूंगा ....🤣.
 

Rekha rani

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अध्याय - 44

जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।

किचिन वाले वाकये के बाद मैने अपने भाई से सगाई और शादी तक दूरी बना कर घर में रहने का इरादा कर लिया।

इस तरह तीन चार दिन गुजर गये और इन तीन चार दिनों के दौरान घर के तीनो सदस्यों के लंड और चूत की गर्मी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही थी।

शनिवार के दिन यानी मेरी सगाई के एक दिन पहले सुनील तड़के सुबह सवेरे नहाने के लिए बाथरूम गया। तो नहाने के दौरान अपनी मम्मी और बहन के मोटे मोटे मम्मो और चुतड़ों को याद कर के सुनील का लंड अकड कर खड़ा होने लगा।

इधर दूसरी तरफ मम्मी भी तड़के सुबह सब से पहले उठ कर किचन में आई। और अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाने लगी।

"क्यों न में सुनील को उस के कमरे में ही चाय दे आऊ" गैस पर पड़ी चाय (टी) ज्यों ही बन कर तैयार हुई तो मम्मी ने सोचा। इस के साथ ही मम्मी ने चाय को एक कप में डाला और फिर कप अपने हाथ में थामे अपने बेटे सुनील के कमरे की तरफ चल पड़ी।

ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे सुनील के कमरे के दरवाज़े को हाथ लगाया। तो सुनील के कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक ना होने की वजह से खुलता चला गया।

"लगता है सुनील रात को अपने दरवाज़े की कुण्डी लगा कर नही सोया" अपने बेटे के दरवाजे को यूँ खुला पा कर मम्मी ने सोचा।

मम्मी दरवाजा खोल कर सुनील के कमरे में दाखिल हुई। तो उसे सुनील तो अपने बिस्तर पर नज़र नही आया। मगर मम्मी को अपने कान में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दी।

"लगता है कि सुनील बाथरूम में नहा रहा है" बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर मम्मी समझ गई।

मम्मी ने चाय का कप सुनील के बिस्तर की साइड टेबल पर रखा और मूड कर वापिस किचन में जाने लगी।

" सभी अभी सो रहे है, तो क्यों ना आज सुबह सुबह में अपने बेटे के लंड का दीदार कर लूँ" मम्मी ज्यों ही किचन में जाने के लिए सुनील के बाथरूम के दरवाज़े के सामने से गुज़री। तो उन को ख्याल आया।अपने बेटे के मोटे लंड का ख्याल आते ही मम्मी की मोटी फुद्दि गर्म होने लगी। और उस के साथ ही मम्मी ने एक दम झुक कर बाथरूम के की होल पर अपनी आँख लगा कर बाथरूम में झाँका।

मम्मी की आँख ने ज्यों ही बाथरूम के अंदर का मंज़र देखा। तो बाथरूम का का नज़ारा देख कर मम्मी की साँसें गले में अटकने लगीं। मम्मी की सांस गले में अटकने की वजह से मम्मी की भारी छातियाँ भी बिखरी सांसो के साथ ताल से ताल मिलाते हुए उपर नीचे होने लगी।

मम्मी ने देखा कि बाथरूम में उस का बेटा उस वक्त अपने लंड पर साबुन लगा कर नहाते वक्त साथ ही साथ अपने लंड से भी खेल रहा था। ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे को नहाने के दौरान यूँ अपने मोटे और बड़े लंड से खेलते देखा। तो अपनी उपर नीचे होने वाली सांसो के साथ मम्मी भी दरवाज़े के बाहर खड़े हो कर अपनी शलवार के उपर से ही अपनी फुद्दि पर अपना हाथ फेरने लगी।

"काश मेरा बेटा मुझे भी एक दिन अपने लंड से यूँ खेलने का मोका दे" अपने बेटे के लंड को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए मम्मी का दिल कर रहा था। कि वो अपना हाथ बढ़ा कर अपने बेटे के तगड़े लंड को अपने काबू में कर ले।

मगर मम्मी जानती थी कि ये उस की एक ऐसी ख्वाहिश है। जो शायद कभी पूरी ना हो सकेगी।

इसीलिए अपनी तमन्नाओ को अपने दिल में ही मार कर मम्मी खामोशी से अपने बेटे को अपना लंड रगड़ता देखती रही। और साथ साथ अपनी फुद्दि को भी अपने हाथ से छेड़ती रही।

उधर सुनील को आज काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाना था। इसीलिए उस के पास सुबह सुबह अपने लंड की मूठ लगाने का भी टाइम नही था।

इसीलिए सुनील ने जल्दी से अपना शवर बंद किया। और अपने जिस्म को तोलिये से सॉफ करने लगा। अपने जिस्म को पोंछ कर के ज्यों ही सुनील ने अपने चारो ओर अपनी कमर पर टवल लपेटा। तो मम्मी समझ गई कि अब सुनील किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर निकल सकता है।

इसीलिए मम्मी जल्दी से पलटी और कमरे के बाहर निकलने लगी। मगर इस जल्दी के दौरान मम्मी कमरे का दरवाजा खुला छोड़ गई। ज्यों ही मम्मी कमरे से बाहर आई। तो उसे अपने पीछे अपने बेटे के बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी।

"कहीं सुनील ने मेरी चोरी पकड़ ना ली हो" मम्मी के ज़हन में ना जाने क्यों ये डर बैठ गया। और इसी डर के मारे उसे पता नही किया सूझा कि मम्मी कमरे के सामने बने हुए एक छोटे से कमरे नुमा स्टोर में जा घुसी।

स्टोर में जाते ही मम्मी की नज़र सामने बनी हुई कपड़ों की अलमारी पर पड़ी। इस अलमारी में कपड़े गुंजाइश से ज़्यादा होने की वजह से अलमारी का दरवाजा ठीक से बंद नही हुआ था। मम्मी को जल्दी में कुछ और ना सूझा तो वो कपड़े की अलमारी के खुले हुए दरवाज़े को ज़ोर से बंद करने लगी।

इधर बाथरूम से बाहर निकलते ही सुनील ने देखा कि उस के कमरे का दरवाजा खुला हुआ है।

"ये मेरे कमरे का दरवाजा किस ने खोल दिया है। "अपने कमरे के खुले दरवाज़े को देख कर सुनील ने सोचा।

इस के साथ ही सुनील की नज़र अपने बिस्तर के साइड टेबल पर पड़े हुए "चाय" के कप पर पड़ी।

"ओह्ह्ह्ह! अच्छा लगता है कि मम्मी या रेखा चाय का कप रखने के बाद दरवाजा खुला छोड़ गईं हैं" साइड टेबल पर रखे हुए कप को देखते ही सुनील ने दुबारा सोचा।

इस के साथ ही अपनी अलमारी की तरफ गया और अलमारी में से अपनी एक पॅंट निकाल कर पहन ली। अपनी पॅंट पहन कर टेबल पर पड़ा हुआ चाय का कप अपने हाथ में उठाया। तो उस की नज़र अपने कमरे के खुले दरवाज़े से सामने के कमरे में जा कर अपनी मम्मी पर पड़ी।

जो उस वक्त कपड़ों वाली अलमारी के सामने खड़ी हो कर उस अलमारी को बंद करने की कॉसिश कर रही थी। अलमारी को बंद करने के दोरान मम्मी का मुँह तो अलमारी की तरफ था। जब कि उस की पीठ अपने बेटे की तरफ थी।

स्टोर की अलमारी को बंद करने की गर्ज से मम्मी को चूँकि अलमारी के दरवाज़े पर अपना पूरा ज़ोर लगाना पड़ रहा था। इस दौरान मम्मी आगे को झुकी हुई थी, जिस वजह से मम्मी की मोटी और भारी गान्ड पीछे से उपर की तरफ उठ गई थी।

मुझे मम्मी की मदद करनी चाहिए, "लगता है मम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं"अपनी मम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर सुनील को अंदाज़ा हुआ।

"मुझे जा कर अपनी मम्मी की मदद करने चाहिए" उस के दिल में ख्याल आया।

"रुक जा इधर और अपनी मम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार।" दूसरे ही लम्हे सुनील के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला और अपने लंड की मान कर अपनी मम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा।

" साले सुनील, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद नही सकते हो और अब अपनी ही सग़ी मम्मी को हवस भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर पापा को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे ?" सुनील के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया। लेकिन चाहने के बावजूद सुनील के ज़हन से अपनी मम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था।

इसीलिए हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी मम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा। अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी मम्मी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी मम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी।

अपनी मम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर सुनील का लंड एक बार फिर अपनी मम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था।

(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खासहियत रखी है, कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है।)

इसीलिए दूसरी तरफ मम्मी बे शक अपने बेटे की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी।
मगर इस के बावजूद मम्मी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी।

मम्मी बे शक सुनील की माँ थी। मगर माँ होने के साथ साथ मम्मी आख़िर कर एक औरत भी थी। और हर औरत की तरह मम्मी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था। अपनी जवानी और शादीशुदा जिंदगी में मम्मी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था।

मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने मम्मी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बाहर कर दिया। और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी। जिसे देख देख कर उस के बेटे की अपनी मम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी।

इधर जिस वक्त मम्मी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी। तो दूसरी तरफ उसी वक्त मै कमरे से निकल कर अपने भाई के कमरे की तरफ आ गई थी।

जब आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची। तो मेरी नज़र अपने भाई पर पड़ी। जो इस वक्त चाय का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी मम्मी के गरम जिस्म को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था।

जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था।

मै कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी। वहाँ से अपने भाई के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी। मगर स्टोर में मौजूद मम्मी को मेरी बरामदे में मौजूदगी का अहसास नही हो सकता था।

"ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है" ज्यों ही कमरे के बाहर से मेरी नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी। तो अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई।

सुनील को अपनी बहन के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ। और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी मम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था।

"देखूं तो सही मेरे भाई का लंड, आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला" मेरे दिल में ख्याल आया।

मेरी नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं। तो मेरी नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी मम्मी पर पड़ी। जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में लगी थी।

अपनी मम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया।

"उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे भाई का लंड अपनी सग़ी मम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है" मैने अपनी मम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी।

अपने भाई की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर मुझ को यकीन नही हो रहा था कि जो देख रही है। वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है।

इसी दौरान सुनील अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा । तो मेरी नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी मम्मी की तरफ गई।

इधर मम्मी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी।
अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख मम्मी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी। और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर मम्मी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी।

इसीलिए सुनील का ध्यान मम्मी से हटा। तो स्टोर में मौजूद मम्मी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने सुनील के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई । ।

इस के साथ मम्मी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो मम्मी के मुँह से एक "सिसकी" सी निकल गई।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

ये तो मम्मी की सिसकी की आवाज़ है अपनी मम्मी को यूँ अपने बेटे के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर मैने राहत की सांस ली, मेरे घर में घूम रहे हवसी सांड को अब मेरी मम्मी जैसी दुधारू गाय चढ़ने के लिए मिल गयी। और मैने ठान लिया बस अब जो भी हो कल जो लड़का मुझे देखने आ रहा है, चाहे जैसा भी हो मुझे उसके साथ शादी कर इस रण्डी खाने से बहुत दूर चले जाना है मै अपनी मम्मी की इस हरकत पर अंद्रूनी शर्मीदा हो गई। और जोर से खासते हुए आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई छत पर चली गई।

नेक्स्ट डे........सगाई के दिन घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी। आखिर वो दिन भी आ गया था जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार संजय को देखा, संजय सच में मुझसे कम सुंदर, उम्र में बड़ा और जोड़े में मैच नही खा रहा था। चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे और पैसा सभी कमियाँ छिपा देता है, अच्छी बात ये थी कि
वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी भी मेरे लिए भेजी।


बुजुर्गों की तरफ से तो रिश्ता तय हो चुका था. कुंडली मिलान, लेनदेन सब कुछ. बस, अब सब लड़का लड़की की आपसी बातचीत पर निर्भर था. बुजुर्गों ने तय किया कि लड़का लड़की आपस में बात कर एकदूसरे को समझ लें. कुछ पूछना हो तो आपस में पूछ लें. और हमें छत पर एकांत में भेज दिया गया.


संजय को शांत देख मैने कहा, ‘‘आप कुछ पूछना चाहते हैं?’’ संजय शरमीला था. संस्कारी परिवार से था. उस ने कहा, ‘‘नहीं, बुजुर्गों ने तो सब देख परख लिया है. उन्होंने तय किया है तो सब ठीक ही होगा. आप दिखने में अच्छी हैं. मुझे पसंद हैं, बस इतना पूछना था कि…’’ संजय पूछने में लड़खड़ाने लगा तो मुझ जैसी चुप छिनार, दुनियादारी की पढाई पढ़ी हुयी सभ्य, खेली खाई, हद से ज्यादा संस्कारी लड़की ने हँस कर कहा.....


‘‘पूछिए, निस्संकोच पूछिए, आखिर हमारी आप की जिंदगी का सवाल है.’’


संजय ने पूछा, ‘‘यह शादी आप की मरजी से… मेरे कहने का अर्थ यह है कि आप राजी हैं, आप खुश हैं न.’’


‘‘हां, मैने बड़ी सरलता और सहजता से कहा. नहीं होती तो पहले ही मना कर देती.’’


संजय चुप रहा. अब मैने कहा, ‘‘मैं भी कुछ पूछना चाहती हूं आखिर मेरी भी जिंदगी का सवाल है. उम्मीद है कि आप बुरा नहीं मानेंगे.’’


‘‘नहीं नहीं, निस्संकोच पूछिए,’’ संजय ने कहा. वह मन ही मन सोचने लगा, ‘लड़की पढ़ी लिखी है तो तेज तो होगी ही लेकिन इतनी बिंदास और बेबाक.’


‘‘आप का शादी के पहले कोई चक्कर, मेरा मतलब कोई अफेयर था क्या?’’


‘‘क्या,’’ संजय ने मेरी तरफ देखा.


‘‘अरे, आप घबरा क्यों गए? अमीर घराने से हो. इश्क वगैरा का शौक हो जाता है. इस में आश्चर्य की क्या बात है? सच बताना. एकदूसरे से क्या छिपाना?’’


‘‘जी, वह एक लड़की से. बस, यों ही कुछ दिन तक. अब सब खत्म है,’’ संजय ने झेंपते हुए कहा.


‘‘मेरा भी था,’’ मैने बेझिझक कहा. ‘‘अब नहीं है.’’


वो मेरा मुंह ताकने लगा.


‘‘क्यों, क्या हुआ? जब आप ने कहा तब
मैंने तो ऐसा रिएक्ट नहीं किया जैसा आप कर रहे हैं. आप ने तो पूछने पर बताया, मैं ने तो ईमानदारी से बिना पूछे ही बता दिया.’’


‘‘अच्छा, यह बताओ कि फैमिली बिजनेस ही संभालते हो या कोई और भी काम धंधा करते हो????


फेमिली बिजनिस् तो पूरा पापा और बड़ा भाई ही देखते हैं, मै तो अभी अभी फैक्ट्री में जाना शुरु किया है।


महीने में कितना कमा लेते हो?’’ मैने आगे पूछा.


‘‘जी, पापा 10 हजार रुपए.’’ खर्चा के देते है।


‘‘मैंने वेतन नहीं पूछा, टोटल कमाई पूछी है.’’
‘‘जी,‘‘यह क्या कह रही हैं आप?’’’’ संजय ने आश्चर्य से कहा.


‘‘फिर घर कैसे चलाएंगे 10 हजार रुपए में, खासकर शादी के बाद. कम से कम 5 हजार रुपए तो मेरे ऊपर ही खर्च होंगे. क्या शादी के बाद अपनी पत्नी को घुमाने नहीं ले जाएंगे. बाजार, सिनेमा, कपड़े, जेवर वगैरावगैरा.’’ संजय बेचारे के तो होश गुम थे. अच्छाखासा इंटरव्यू हो रहा था उस का. अब उसे लड़की बड़ी बेशर्म और उजड्ड मालूम हुई.


‘‘अच्छा, पापा से पगार बढ़ाने की बात बोलनी पड़ेगी.......... मै हंस कर बोली.


‘‘जी, बिलकुल.’’


फिर मैंने कहा, ‘‘देखो, शादी के बाद मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए. अपनी मां भाभी को पहले ही समझा कर रखना. मुझे सुबह आराम से उठने की आदत है और हां, शादी के बाद अकसर लड़झगड़ कर लड़के अलग हो जाते हैं. और सारी गलती बहुओं की गिना दी जाती है. सो अच्छा है कि हम पहले ही तय कर लें कि किसी भी बहाने से बिना लड़ाईझगड़े के अलग हो जाएं. दूसरी बात रही पहनावे की तो मुझे साड़ी पहनने की आदत नहीं है. कभी शौक से, कभी मजबूरी में पहन ली तो और बात है. मैं सलवारसूट, पहनती हूं और घर में बरमूड़ा, रात में नाइटी. बाद की टैंशन नहीं चाहिए, यह मत पहनो, वह मत करो, पहले ही बता देती हूं कि पूजापाठ मैं करती नहीं.’’


मै कहे जा रही थी और संजय सुने जा रहा था. संजय को लगा कि वह भी क्या समय था कि जब लड़की लजाते, शरमाते उत्तर देती थी, हां या न में. लड़का पूछता था, खाना बनाना आता है, गाना गाना जानती हो, कोई वाद्ययंत्र गिटार, सितार वगैरा बजा लेती हो, सिलाईबुनाई आती है, मेरे मातापिता का ध्यान रखना होगा और लड़की जीजी, हांहां करती रहती थी और अब जमाना इतना बदल गया.


उसे तो यह लगा मानो वह साक्षात्कार दे रहा हो. यह भी सही है कि अधिकतर जोड़े शादी के बाद अलग हो जाते हैं. दुल्हनें अपनी मांगों पर अड़ कर परिवार के 2 टुकड़े कर देती हैं. फिर अपनी मनमरजी का ओढ़नेपहनने से ले कर खाने में नमक, मिर्च कम ज्यादा होने पर सासबहू की खिचखिच शुरू हो जाती है. यह कह तो ठीक ही रही है, लेकिन शादी से पहले ही इतनी बेखौफ और निडर हो कर बात कर रही है तो बाद में न जाने क्या करेगी? यह तो नीति और मर्यादा के विरुद्ध हो गया. अभी पत्नी बनी नहीं और पहले से ही ये रंगढंग. संजय तो फिर लड़का था.

उस ने भी कहा, ‘‘शादी से पहले का भी बता दिया और शादी के बाद का भी. तुम से शादी करने का मतलब मांबाप, भाईबहन सब छोड़ दूं, तुम्हारे शौक पूरे करता रहूं. कर्तव्य एक भी नहीं और अधिकार गिना दिए. यह क्या बात हुई?’’

मैने कहा, ‘‘जो होता ही है वह बता दिया तो क्या गुनाह किया. सच ही तो कहा है, इस में क्या जुर्म हो गया.’’

‘‘यह कोई तरीका है कहने का. यह कहती कि तुम्हारा घर संभालूंगी, बड़ेबूढ़ों का आदर करूंगी, सब का ध्यान रखूंगी तो अच्छा लगता.’’

‘‘ये सब तो आया के काम हैं. बाई है घर पर काम वाली या हमेशा मुझ से ही सब करवाने के चक्कर में हो. धोबिन भी मैं, बरतन, झाड़ूपोंछा वाली भी मैं. पत्नी चाहिए या नौकरानी,’’

संजय भी उत्तर देने लगा, ‘‘क्या जो पत्नियां अपने घर का काम करती हैं वे नौकरानी होती हैं?’’

‘‘अरे, आप तो नाराज हो गए,’’ मैने अपनी हंसी दबाते हुए कहा. अमीर फैमिली से हो, कमाई तो होगी ही. फिर मेरे पिता दहेज में वाशिंग मशीन तो देंगे ही, कपड़े धुलाई का काम आसान हो जाएगा. मैं तो कुछ बातें पहले से ही स्पष्ट कर रही हूं जैसे मुझे 3-4 सीरियल देखने का शौक है और उन्हें मैं कभी मिस नहीं करती. अब ऐसे में कोई काम बताए तो मैं तो टस से मस नहीं होने वाली, अपने दहेज के टीवी पर देखूंगी. चिंता मत करना. किसी और के मनपसंद सीरियल के बीच में नहीं घुसूंगी.

संजय के चेहरे के बदलते रंग को देख कर मैने कहा, ‘‘आप को बुरा तो लग रहा होगा, लेकिन ये सब नौर्मल बातें हैं जो हर घर में होती हैं. मेरी ईमानदारी और साफगोई पर आप को खुश होना चाहिए और आप हैं कि नाराज दिख रहे हैं.’’

‘‘नहीं, मैं नाराज नहीं हूं ना मुझे कुछ कहना है,’’ संजय ने कहा.... . !

‘‘हां, मुझे गोलगप्पे, चाट, पकोड़ी खाने का बड़ा शौक है, कम से कम हफ्ते में एक बार तो ले ही जाना होगा.’’ मै बोले जा रही थी, बोले जा रही थी. बेवकूफ थी, कमअक्ल थी. समझ नहीं आ रहा था संजय को.

मैने फिर पूछा, ‘‘सुनो, तुम शराब, सिगरेट तो नहीं पीते. तंबाकू तो नहीं खाते.’’

‘‘जी…जी…’’ संजय की जबान फिर लड़खड़ाई.

‘‘जी…जी, क्या हां या नहीं,’’ मैने थोड़े तेज स्वर में पूछा.

अब आप ने इतना सच बोला है तो मैं भी क्यों झूठ बोलूं. कभीकभी दोस्तों के साथ पार्टी वगैरा में. संजय ने जबाब दिया।

‘‘देखो, मुझे शराब और सिगरेट से सख्त नफरत है. इस की बदबू से जी मिचलाने लगता है. तंबाकू खा कर बारबार थूकने वालों से तो मुझे घिन आती है. सब छोड़ना होगा. पहले सोच लो.

संजय ने एक लंबी सांस ली और कुछ शर्ते, नियम कहना बांकी रह गया हो तो वो भी बता दीजिये..... रेखा जी...??

उस समय संजय की शकल देखकर मुझे हँसी आ गयी। ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म नही और कुछ नहीं बस मेरे को जो जानना था जान लिया और आपको कुछ और पूछना हो तो आप पूछ सकते है.....???

नही जी मुझे भी नही पूछना... संजय भी मुस्कुरा कर बोला।

तो फिर चले नीचे...???? और हम दोनों नीचे आ गये। सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और भविष्य के सपनो का आनन्द लेने लगी।

हम दोनों की 15 दिन बाद शादी की बात पक्की हो चुकी थी तीन चार दिन बाद फोन पर देर तक रातों में बातों का दौर भी शुरु हो गया था, इसलिए संजय ने मुझ से मिलने की जिद की, जिसे मैने मान लिया।

मैंने संजय को फोन किया और उसे सन् सिटी माल पर बुलाया, जब मैं संजय से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि संजय को देखने का मेरा नजरिया बदल गया था। मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की और घर में घूम रहे भाई रूपी सांड से गांड मराने की जरुरत नहीं होगी।

कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने संजय से विदा मांगी तो संजय बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम share ऑटो में जाओ, अच्छा नहीं लगता !

संजय ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी। मैं और संजय पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था। सबसे पहले संजय ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी संजय मुझे सॉरी बोलने लगा।

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ।

इसके बाद संजय मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ। ह्म्म्म..... थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, संजय शरमा रहा था इसलिए मैने खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया। उस शाम में ही मैंने संजय को अपना दीवाना बना दिया था।

उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।
 

Rekha rani

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nice update rekhaji
हास्यपर्द और इरोटिक अपडेट,
दादी अपने जमाने की फुल चुड़ककड़ रह चुकी दिख रही है, चुदायी और गालियों की पि इच डी कर रखी है,
वैसे इतनी नही लेकिन हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ इलाकों में विषित परिवारों में ऐसे गाली की भाषा सुनने को मिल जाती है ,
दादी का पुराना आशिक लग रहा है पंडित तभी इतनी गलियां सुन गया वैसे भी ये अलग लेवल का पंडित।है।और। पंडितायैं भी उससे ज्यादा महारत हासिल की हुए है जो सुनील की कुंडली से सब भाप लिया,
रेखा के लिए अमीर परिवार में रिश्ते की बात चली है देखते है क्या रहता है
ईधर सुनील अपना लैंड पैने फिर।रहा।है उससे हो कुछ पा नही रहा।है बस ऐसे ही काम चला रहा।है, चुटिये के हाथ में।दर्शन की कमजोर नस हाथ में आ।गई थी पता नही क्यों नही दबा।रहा है, एक चुदायी तो पढ़ने को मिल जाती,
वैसे रेखा भी अब सती सावित्री बन रही है सोच नही रही है वैसे भी chudva चुकी है अपने जीजा से , जाते जाते सुनील का भला भी कर जाए
शादी-ब्याह के मौके पर लड़के और लड़की का फोटो सेशन होना और देखा दिखावा करना अरेंज मैरेज का अहम पार्ट हे।
वैसे इस बात से मुझे जरा भी अचरज नही हुआ कि दर्शना देवी की एक लड़की अमीर खानदान मे ब्याही गई और अब दूसरे की नम्बर है। दोनो लड़कियाँ तकदीर की धनी है और नो डाऊट बहुत ही खूबसूरत भी है।
लड़की का खूबसूरत होना और लड़के का दौलतमंद होना एक ही कैटेगरी मे आता है।
रेखा की गणना होने वाले हसबैंड के साथ ठीक ठीक ही है। 26 गुण काफी अच्छे माने जाते है। बस 36 गुण नही मिलना चाहिए। लेकिन इसके साथ साथ गण , ग्रह दशा , छाया वगैरह का मिलान भी करना प्रायः विवाह सम्बन्ध होने मे विध्न ही पैदा करता है।
बहुत कम होता है कि देव , मानव एवं राक्षस गण का मिलान हो पाता है। और जहां तक ग्रह दोष की बात है , उसका निवारण भी ज्योतिष शास्त्र मे उल्लेखित है।
शायद यह सब चर्चा अवश्यंभवी इसलिए हो गया है कि रेखा अब वैवाहिक जीवन के सफर पे चलने वाली है।

बाकी पंडित और पंडिताईन का दादी जी के साथ खुलकर अश्लील भाषा मे बात करना महज दिखावा ही था। एक चटपटे स्वादिष्ट व्यंजन की तरह रीडर्स के समक्ष पेश करने का।
वैसे पंडिताईन की बात से मै हंड्रेड पर्सेंट सहमत हूं । जब लड़का जवान हो जाए , उसे एक कक्ष , एकांत , किसी भी घरेलु महिला के साथ शेयर नही करना चाहिए , भले ही वो उसकी बहन हो , भाभी हो , मां हो , बेटी हो , या कोई भी रिलेशनशिप मे हो।
शायद यही कारण था कि दर्शना देवी के साथ साथ अंजु और रेखा के लिए भी सुनील अपने दिलो-दिमाग मे काम - भावना पालने लगा।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट रेखा जी।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
Lgta hai shyad isee ladke ke sath Rekha ki shadi fix hogi aakhir Dadi ka support hai Rekha ke sath apni poti ka ghr bdta dekhna chahti hai taki Khushi se jindgi gujre

Hd hai yr ye Dadi to bhot uchii Khiladi maloom hoti hai baato me to apni bhoo tk ko mast dedi thodi der baato ka silsila or chlta to bechara Pandit apne sirr ke bache baalll khich leta 😂😂😂😂
Dono Saas Bhoo km the ki Panditaain ki Biwi bi inke rang me rang gy
Bechara Pandit ne aakhir Rekha or us Ladke ki kundli ko mila ke harii jhandii dedi
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Waise Rekha rani ji such me in saas bhoo ki baate pd ke esa lga ki MY MIND IS GONEE BI EXPLODE NOW 😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳💨💨💨💨💨💨💨💨💥💥💥💥
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such meai Darshana to dangerous smjta tha but iska saas isse 50 kadam aageee ki lgta hai inki baato ke chkkar me bechare pandit ke tooteee ud gy hoge😵‍💫😵‍💫😵‍💫😵‍💫😵‍💫
To Sunil ki kundli me dosh niklgy aakhir bechara pagal bna ghoom rha hai choot ke piche but mil ni rhe khe bi
Kher Panditaain ne Darshana ko smja to dia hai ki Sunil se doori bna e ke lye sath apne ghr ki ladkiyo ko bi doori bna ke rhne ki
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But aaj jo Sunil ne Rekha ke sath jis trh se kitchen ke ander Rekha ke mna krne ke bad bi usko bahoo me bhar ke jbrn kr rha tha or sath he shadi na krne ki bat isse saaf hai ki Sunil aane wale time me Rekha ki shadi me pareshaniya jroor khadi krega but Rekha ne jo aaj kia usse saff hai Rekha kisi bi trh se Sunil ko apne sath kuch bi krne ni degi
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Kher ab dekhna ye hai hamari REKHA kaise or kis trh se Sunil ka samna krti hai sath he Darshana aage ky krti hai ky Darshana kuch kregi Sunil ke lye or ky Rekha ki shadi pakki hogi us ladke se

Intjaar hai Rekha rani ji aane wale update ka
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Rekha rani ji Aaj ke update type krte time ky soch rhe thi aap Kasam se jo bi socha ho ese he or soch ke aane wale update Dena aap itna mja aaya bta ni skta mai 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
1 baar phir Rekha jism ka majaa dete dete rah gyi Sunil ko.....



Par jaldi hi Sunil ka danka bajne wala lag raha hai .




Bhut shandaar update
Update posted
 

Rekha rani

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इस अपडेट के बाद कुछ गाने गुनगुना रहा है दिल


रात मोरे भैया ने घघरा उठाया
मै चोली वही छोड़ आई डर के मारे :lol:
Update posted
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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अध्याय - 44

जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।

किचिन वाले वाकये के बाद मैने अपने भाई से सगाई और शादी तक दूरी बना कर घर में रहने का इरादा कर लिया।

इस तरह तीन चार दिन गुजर गये और इन तीन चार दिनों के दौरान घर के तीनो सदस्यों के लंड और चूत की गर्मी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही थी।

शनिवार के दिन यानी मेरी सगाई के एक दिन पहले सुनील तड़के सुबह सवेरे नहाने के लिए बाथरूम गया। तो नहाने के दौरान अपनी मम्मी और बहन के मोटे मोटे मम्मो और चुतड़ों को याद कर के सुनील का लंड अकड कर खड़ा होने लगा।

इधर दूसरी तरफ मम्मी भी तड़के सुबह सब से पहले उठ कर किचन में आई। और अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाने लगी।

"क्यों न में सुनील को उस के कमरे में ही चाय दे आऊ" गैस पर पड़ी चाय (टी) ज्यों ही बन कर तैयार हुई तो मम्मी ने सोचा। इस के साथ ही मम्मी ने चाय को एक कप में डाला और फिर कप अपने हाथ में थामे अपने बेटे सुनील के कमरे की तरफ चल पड़ी।

ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे सुनील के कमरे के दरवाज़े को हाथ लगाया। तो सुनील के कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक ना होने की वजह से खुलता चला गया।

"लगता है सुनील रात को अपने दरवाज़े की कुण्डी लगा कर नही सोया" अपने बेटे के दरवाजे को यूँ खुला पा कर मम्मी ने सोचा।

मम्मी दरवाजा खोल कर सुनील के कमरे में दाखिल हुई। तो उसे सुनील तो अपने बिस्तर पर नज़र नही आया। मगर मम्मी को अपने कान में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दी।

"लगता है कि सुनील बाथरूम में नहा रहा है" बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर मम्मी समझ गई।

मम्मी ने चाय का कप सुनील के बिस्तर की साइड टेबल पर रखा और मूड कर वापिस किचन में जाने लगी।

" सभी अभी सो रहे है, तो क्यों ना आज सुबह सुबह में अपने बेटे के लंड का दीदार कर लूँ" मम्मी ज्यों ही किचन में जाने के लिए सुनील के बाथरूम के दरवाज़े के सामने से गुज़री। तो उन को ख्याल आया।अपने बेटे के मोटे लंड का ख्याल आते ही मम्मी की मोटी फुद्दि गर्म होने लगी। और उस के साथ ही मम्मी ने एक दम झुक कर बाथरूम के की होल पर अपनी आँख लगा कर बाथरूम में झाँका।

मम्मी की आँख ने ज्यों ही बाथरूम के अंदर का मंज़र देखा। तो बाथरूम का का नज़ारा देख कर मम्मी की साँसें गले में अटकने लगीं। मम्मी की सांस गले में अटकने की वजह से मम्मी की भारी छातियाँ भी बिखरी सांसो के साथ ताल से ताल मिलाते हुए उपर नीचे होने लगी।

मम्मी ने देखा कि बाथरूम में उस का बेटा उस वक्त अपने लंड पर साबुन लगा कर नहाते वक्त साथ ही साथ अपने लंड से भी खेल रहा था। ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे को नहाने के दौरान यूँ अपने मोटे और बड़े लंड से खेलते देखा। तो अपनी उपर नीचे होने वाली सांसो के साथ मम्मी भी दरवाज़े के बाहर खड़े हो कर अपनी शलवार के उपर से ही अपनी फुद्दि पर अपना हाथ फेरने लगी।

"काश मेरा बेटा मुझे भी एक दिन अपने लंड से यूँ खेलने का मोका दे" अपने बेटे के लंड को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए मम्मी का दिल कर रहा था। कि वो अपना हाथ बढ़ा कर अपने बेटे के तगड़े लंड को अपने काबू में कर ले।

मगर मम्मी जानती थी कि ये उस की एक ऐसी ख्वाहिश है। जो शायद कभी पूरी ना हो सकेगी।

इसीलिए अपनी तमन्नाओ को अपने दिल में ही मार कर मम्मी खामोशी से अपने बेटे को अपना लंड रगड़ता देखती रही। और साथ साथ अपनी फुद्दि को भी अपने हाथ से छेड़ती रही।

उधर सुनील को आज काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाना था। इसीलिए उस के पास सुबह सुबह अपने लंड की मूठ लगाने का भी टाइम नही था।

इसीलिए सुनील ने जल्दी से अपना शवर बंद किया। और अपने जिस्म को तोलिये से सॉफ करने लगा। अपने जिस्म को पोंछ कर के ज्यों ही सुनील ने अपने चारो ओर अपनी कमर पर टवल लपेटा। तो मम्मी समझ गई कि अब सुनील किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर निकल सकता है।

इसीलिए मम्मी जल्दी से पलटी और कमरे के बाहर निकलने लगी। मगर इस जल्दी के दौरान मम्मी कमरे का दरवाजा खुला छोड़ गई। ज्यों ही मम्मी कमरे से बाहर आई। तो उसे अपने पीछे अपने बेटे के बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी।

"कहीं सुनील ने मेरी चोरी पकड़ ना ली हो" मम्मी के ज़हन में ना जाने क्यों ये डर बैठ गया। और इसी डर के मारे उसे पता नही किया सूझा कि मम्मी कमरे के सामने बने हुए एक छोटे से कमरे नुमा स्टोर में जा घुसी।

स्टोर में जाते ही मम्मी की नज़र सामने बनी हुई कपड़ों की अलमारी पर पड़ी। इस अलमारी में कपड़े गुंजाइश से ज़्यादा होने की वजह से अलमारी का दरवाजा ठीक से बंद नही हुआ था। मम्मी को जल्दी में कुछ और ना सूझा तो वो कपड़े की अलमारी के खुले हुए दरवाज़े को ज़ोर से बंद करने लगी।

इधर बाथरूम से बाहर निकलते ही सुनील ने देखा कि उस के कमरे का दरवाजा खुला हुआ है।

"ये मेरे कमरे का दरवाजा किस ने खोल दिया है। "अपने कमरे के खुले दरवाज़े को देख कर सुनील ने सोचा।

इस के साथ ही सुनील की नज़र अपने बिस्तर के साइड टेबल पर पड़े हुए "चाय" के कप पर पड़ी।

"ओह्ह्ह्ह! अच्छा लगता है कि मम्मी या रेखा चाय का कप रखने के बाद दरवाजा खुला छोड़ गईं हैं" साइड टेबल पर रखे हुए कप को देखते ही सुनील ने दुबारा सोचा।

इस के साथ ही अपनी अलमारी की तरफ गया और अलमारी में से अपनी एक पॅंट निकाल कर पहन ली। अपनी पॅंट पहन कर टेबल पर पड़ा हुआ चाय का कप अपने हाथ में उठाया। तो उस की नज़र अपने कमरे के खुले दरवाज़े से सामने के कमरे में जा कर अपनी मम्मी पर पड़ी।

जो उस वक्त कपड़ों वाली अलमारी के सामने खड़ी हो कर उस अलमारी को बंद करने की कॉसिश कर रही थी। अलमारी को बंद करने के दोरान मम्मी का मुँह तो अलमारी की तरफ था। जब कि उस की पीठ अपने बेटे की तरफ थी।

स्टोर की अलमारी को बंद करने की गर्ज से मम्मी को चूँकि अलमारी के दरवाज़े पर अपना पूरा ज़ोर लगाना पड़ रहा था। इस दौरान मम्मी आगे को झुकी हुई थी, जिस वजह से मम्मी की मोटी और भारी गान्ड पीछे से उपर की तरफ उठ गई थी।

मुझे मम्मी की मदद करनी चाहिए, "लगता है मम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं"अपनी मम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर सुनील को अंदाज़ा हुआ।

"मुझे जा कर अपनी मम्मी की मदद करने चाहिए" उस के दिल में ख्याल आया।

"रुक जा इधर और अपनी मम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार।" दूसरे ही लम्हे सुनील के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला और अपने लंड की मान कर अपनी मम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा।

" साले सुनील, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद नही सकते हो और अब अपनी ही सग़ी मम्मी को हवस भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर पापा को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे ?" सुनील के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया। लेकिन चाहने के बावजूद सुनील के ज़हन से अपनी मम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था।

इसीलिए हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी मम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा। अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी मम्मी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी मम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी।

अपनी मम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर सुनील का लंड एक बार फिर अपनी मम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था।

(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खासहियत रखी है, कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है।)

इसीलिए दूसरी तरफ मम्मी बे शक अपने बेटे की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी।
मगर इस के बावजूद मम्मी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी।

मम्मी बे शक सुनील की माँ थी। मगर माँ होने के साथ साथ मम्मी आख़िर कर एक औरत भी थी। और हर औरत की तरह मम्मी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था। अपनी जवानी और शादीशुदा जिंदगी में मम्मी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था।

मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने मम्मी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बाहर कर दिया। और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी। जिसे देख देख कर उस के बेटे की अपनी मम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी।

इधर जिस वक्त मम्मी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी। तो दूसरी तरफ उसी वक्त मै कमरे से निकल कर अपने भाई के कमरे की तरफ आ गई थी।

जब आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची। तो मेरी नज़र अपने भाई पर पड़ी। जो इस वक्त चाय का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी मम्मी के गरम जिस्म को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था।

जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था।

मै कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी। वहाँ से अपने भाई के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी। मगर स्टोर में मौजूद मम्मी को मेरी बरामदे में मौजूदगी का अहसास नही हो सकता था।

"ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है" ज्यों ही कमरे के बाहर से मेरी नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी। तो अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई।

सुनील को अपनी बहन के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ। और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी मम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था।

"देखूं तो सही मेरे भाई का लंड, आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला" मेरे दिल में ख्याल आया।

मेरी नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं। तो मेरी नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी मम्मी पर पड़ी। जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में लगी थी।

अपनी मम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया।

"उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे भाई का लंड अपनी सग़ी मम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है" मैने अपनी मम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी।

अपने भाई की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर मुझ को यकीन नही हो रहा था कि जो देख रही है। वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है।

इसी दौरान सुनील अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा । तो मेरी नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी मम्मी की तरफ गई।

इधर मम्मी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी।
अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख मम्मी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी। और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर मम्मी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी।

इसीलिए सुनील का ध्यान मम्मी से हटा। तो स्टोर में मौजूद मम्मी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने सुनील के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई । ।

इस के साथ मम्मी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो मम्मी के मुँह से एक "सिसकी" सी निकल गई।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

ये तो मम्मी की सिसकी की आवाज़ है अपनी मम्मी को यूँ अपने बेटे के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर मैने राहत की सांस ली, मेरे घर में घूम रहे हवसी सांड को अब मेरी मम्मी जैसी दुधारू गाय चढ़ने के लिए मिल गयी। और मैने ठान लिया बस अब जो भी हो कल जो लड़का मुझे देखने आ रहा है, चाहे जैसा भी हो मुझे उसके साथ शादी कर इस रण्डी खाने से बहुत दूर चले जाना है मै अपनी मम्मी की इस हरकत पर अंद्रूनी शर्मीदा हो गई। और जोर से खासते हुए आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई छत पर चली गई।

नेक्स्ट डे........सगाई के दिन घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी। आखिर वो दिन भी आ गया था जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार संजय को देखा, संजय सच में मुझसे कम सुंदर, उम्र में बड़ा और जोड़े में मैच नही खा रहा था। चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे और पैसा सभी कमियाँ छिपा देता है, अच्छी बात ये थी कि
वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी भी मेरे लिए भेजी।


बुजुर्गों की तरफ से तो रिश्ता तय हो चुका था. कुंडली मिलान, लेनदेन सब कुछ. बस, अब सब लड़का लड़की की आपसी बातचीत पर निर्भर था. बुजुर्गों ने तय किया कि लड़का लड़की आपस में बात कर एकदूसरे को समझ लें. कुछ पूछना हो तो आपस में पूछ लें. और हमें छत पर एकांत में भेज दिया गया.


संजय को शांत देख मैने कहा, ‘‘आप कुछ पूछना चाहते हैं?’’ संजय शरमीला था. संस्कारी परिवार से था. उस ने कहा, ‘‘नहीं, बुजुर्गों ने तो सब देख परख लिया है. उन्होंने तय किया है तो सब ठीक ही होगा. आप दिखने में अच्छी हैं. मुझे पसंद हैं, बस इतना पूछना था कि…’’ संजय पूछने में लड़खड़ाने लगा तो मुझ जैसी चुप छिनार, दुनियादारी की पढाई पढ़ी हुयी सभ्य, खेली खाई, हद से ज्यादा संस्कारी लड़की ने हँस कर कहा.....


‘‘पूछिए, निस्संकोच पूछिए, आखिर हमारी आप की जिंदगी का सवाल है.’’


संजय ने पूछा, ‘‘यह शादी आप की मरजी से… मेरे कहने का अर्थ यह है कि आप राजी हैं, आप खुश हैं न.’’


‘‘हां, मैने बड़ी सरलता और सहजता से कहा. नहीं होती तो पहले ही मना कर देती.’’


संजय चुप रहा. अब मैने कहा, ‘‘मैं भी कुछ पूछना चाहती हूं आखिर मेरी भी जिंदगी का सवाल है. उम्मीद है कि आप बुरा नहीं मानेंगे.’’


‘‘नहीं नहीं, निस्संकोच पूछिए,’’ संजय ने कहा. वह मन ही मन सोचने लगा, ‘लड़की पढ़ी लिखी है तो तेज तो होगी ही लेकिन इतनी बिंदास और बेबाक.’


‘‘आप का शादी के पहले कोई चक्कर, मेरा मतलब कोई अफेयर था क्या?’’


‘‘क्या,’’ संजय ने मेरी तरफ देखा.


‘‘अरे, आप घबरा क्यों गए? अमीर घराने से हो. इश्क वगैरा का शौक हो जाता है. इस में आश्चर्य की क्या बात है? सच बताना. एकदूसरे से क्या छिपाना?’’


‘‘जी, वह एक लड़की से. बस, यों ही कुछ दिन तक. अब सब खत्म है,’’ संजय ने झेंपते हुए कहा.


‘‘मेरा भी था,’’ मैने बेझिझक कहा. ‘‘अब नहीं है.’’


वो मेरा मुंह ताकने लगा.


‘‘क्यों, क्या हुआ? जब आप ने कहा तब
मैंने तो ऐसा रिएक्ट नहीं किया जैसा आप कर रहे हैं. आप ने तो पूछने पर बताया, मैं ने तो ईमानदारी से बिना पूछे ही बता दिया.’’


‘‘अच्छा, यह बताओ कि फैमिली बिजनेस ही संभालते हो या कोई और भी काम धंधा करते हो????


फेमिली बिजनिस् तो पूरा पापा और बड़ा भाई ही देखते हैं, मै तो अभी अभी फैक्ट्री में जाना शुरु किया है।


महीने में कितना कमा लेते हो?’’ मैने आगे पूछा.


‘‘जी, पापा 10 हजार रुपए.’’ खर्चा के देते है।


‘‘मैंने वेतन नहीं पूछा, टोटल कमाई पूछी है.’’
‘‘जी,‘‘यह क्या कह रही हैं आप?’’’’ संजय ने आश्चर्य से कहा.


‘‘फिर घर कैसे चलाएंगे 10 हजार रुपए में, खासकर शादी के बाद. कम से कम 5 हजार रुपए तो मेरे ऊपर ही खर्च होंगे. क्या शादी के बाद अपनी पत्नी को घुमाने नहीं ले जाएंगे. बाजार, सिनेमा, कपड़े, जेवर वगैरावगैरा.’’ संजय बेचारे के तो होश गुम थे. अच्छाखासा इंटरव्यू हो रहा था उस का. अब उसे लड़की बड़ी बेशर्म और उजड्ड मालूम हुई.


‘‘अच्छा, पापा से पगार बढ़ाने की बात बोलनी पड़ेगी.......... मै हंस कर बोली.


‘‘जी, बिलकुल.’’


फिर मैंने कहा, ‘‘देखो, शादी के बाद मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए. अपनी मां भाभी को पहले ही समझा कर रखना. मुझे सुबह आराम से उठने की आदत है और हां, शादी के बाद अकसर लड़झगड़ कर लड़के अलग हो जाते हैं. और सारी गलती बहुओं की गिना दी जाती है. सो अच्छा है कि हम पहले ही तय कर लें कि किसी भी बहाने से बिना लड़ाईझगड़े के अलग हो जाएं. दूसरी बात रही पहनावे की तो मुझे साड़ी पहनने की आदत नहीं है. कभी शौक से, कभी मजबूरी में पहन ली तो और बात है. मैं सलवारसूट, पहनती हूं और घर में बरमूड़ा, रात में नाइटी. बाद की टैंशन नहीं चाहिए, यह मत पहनो, वह मत करो, पहले ही बता देती हूं कि पूजापाठ मैं करती नहीं.’’


मै कहे जा रही थी और संजय सुने जा रहा था. संजय को लगा कि वह भी क्या समय था कि जब लड़की लजाते, शरमाते उत्तर देती थी, हां या न में. लड़का पूछता था, खाना बनाना आता है, गाना गाना जानती हो, कोई वाद्ययंत्र गिटार, सितार वगैरा बजा लेती हो, सिलाईबुनाई आती है, मेरे मातापिता का ध्यान रखना होगा और लड़की जीजी, हांहां करती रहती थी और अब जमाना इतना बदल गया.


उसे तो यह लगा मानो वह साक्षात्कार दे रहा हो. यह भी सही है कि अधिकतर जोड़े शादी के बाद अलग हो जाते हैं. दुल्हनें अपनी मांगों पर अड़ कर परिवार के 2 टुकड़े कर देती हैं. फिर अपनी मनमरजी का ओढ़नेपहनने से ले कर खाने में नमक, मिर्च कम ज्यादा होने पर सासबहू की खिचखिच शुरू हो जाती है. यह कह तो ठीक ही रही है, लेकिन शादी से पहले ही इतनी बेखौफ और निडर हो कर बात कर रही है तो बाद में न जाने क्या करेगी? यह तो नीति और मर्यादा के विरुद्ध हो गया. अभी पत्नी बनी नहीं और पहले से ही ये रंगढंग. संजय तो फिर लड़का था.

उस ने भी कहा, ‘‘शादी से पहले का भी बता दिया और शादी के बाद का भी. तुम से शादी करने का मतलब मांबाप, भाईबहन सब छोड़ दूं, तुम्हारे शौक पूरे करता रहूं. कर्तव्य एक भी नहीं और अधिकार गिना दिए. यह क्या बात हुई?’’

मैने कहा, ‘‘जो होता ही है वह बता दिया तो क्या गुनाह किया. सच ही तो कहा है, इस में क्या जुर्म हो गया.’’

‘‘यह कोई तरीका है कहने का. यह कहती कि तुम्हारा घर संभालूंगी, बड़ेबूढ़ों का आदर करूंगी, सब का ध्यान रखूंगी तो अच्छा लगता.’’

‘‘ये सब तो आया के काम हैं. बाई है घर पर काम वाली या हमेशा मुझ से ही सब करवाने के चक्कर में हो. धोबिन भी मैं, बरतन, झाड़ूपोंछा वाली भी मैं. पत्नी चाहिए या नौकरानी,’’

संजय भी उत्तर देने लगा, ‘‘क्या जो पत्नियां अपने घर का काम करती हैं वे नौकरानी होती हैं?’’

‘‘अरे, आप तो नाराज हो गए,’’ मैने अपनी हंसी दबाते हुए कहा. अमीर फैमिली से हो, कमाई तो होगी ही. फिर मेरे पिता दहेज में वाशिंग मशीन तो देंगे ही, कपड़े धुलाई का काम आसान हो जाएगा. मैं तो कुछ बातें पहले से ही स्पष्ट कर रही हूं जैसे मुझे 3-4 सीरियल देखने का शौक है और उन्हें मैं कभी मिस नहीं करती. अब ऐसे में कोई काम बताए तो मैं तो टस से मस नहीं होने वाली, अपने दहेज के टीवी पर देखूंगी. चिंता मत करना. किसी और के मनपसंद सीरियल के बीच में नहीं घुसूंगी.

संजय के चेहरे के बदलते रंग को देख कर मैने कहा, ‘‘आप को बुरा तो लग रहा होगा, लेकिन ये सब नौर्मल बातें हैं जो हर घर में होती हैं. मेरी ईमानदारी और साफगोई पर आप को खुश होना चाहिए और आप हैं कि नाराज दिख रहे हैं.’’

‘‘नहीं, मैं नाराज नहीं हूं ना मुझे कुछ कहना है,’’ संजय ने कहा.... . !

‘‘हां, मुझे गोलगप्पे, चाट, पकोड़ी खाने का बड़ा शौक है, कम से कम हफ्ते में एक बार तो ले ही जाना होगा.’’ मै बोले जा रही थी, बोले जा रही थी. बेवकूफ थी, कमअक्ल थी. समझ नहीं आ रहा था संजय को.

मैने फिर पूछा, ‘‘सुनो, तुम शराब, सिगरेट तो नहीं पीते. तंबाकू तो नहीं खाते.’’

‘‘जी…जी…’’ संजय की जबान फिर लड़खड़ाई.

‘‘जी…जी, क्या हां या नहीं,’’ मैने थोड़े तेज स्वर में पूछा.

अब आप ने इतना सच बोला है तो मैं भी क्यों झूठ बोलूं. कभीकभी दोस्तों के साथ पार्टी वगैरा में. संजय ने जबाब दिया।

‘‘देखो, मुझे शराब और सिगरेट से सख्त नफरत है. इस की बदबू से जी मिचलाने लगता है. तंबाकू खा कर बारबार थूकने वालों से तो मुझे घिन आती है. सब छोड़ना होगा. पहले सोच लो.

संजय ने एक लंबी सांस ली और कुछ शर्ते, नियम कहना बांकी रह गया हो तो वो भी बता दीजिये..... रेखा जी...??

उस समय संजय की शकल देखकर मुझे हँसी आ गयी। ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म नही और कुछ नहीं बस मेरे को जो जानना था जान लिया और आपको कुछ और पूछना हो तो आप पूछ सकते है.....???

नही जी मुझे भी नही पूछना... संजय भी मुस्कुरा कर बोला।

तो फिर चले नीचे...???? और हम दोनों नीचे आ गये। सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और भविष्य के सपनो का आनन्द लेने लगी।

हम दोनों की 15 दिन बाद शादी की बात पक्की हो चुकी थी तीन चार दिन बाद फोन पर देर तक रातों में बातों का दौर भी शुरु हो गया था, इसलिए संजय ने मुझ से मिलने की जिद की, जिसे मैने मान लिया।

मैंने संजय को फोन किया और उसे सन् सिटी माल पर बुलाया, जब मैं संजय से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि संजय को देखने का मेरा नजरिया बदल गया था। मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की और घर में घूम रहे भाई रूपी सांड से गांड मराने की जरुरत नहीं होगी।

कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने संजय से विदा मांगी तो संजय बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम share ऑटो में जाओ, अच्छा नहीं लगता !

संजय ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी। मैं और संजय पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था। सबसे पहले संजय ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी संजय मुझे सॉरी बोलने लगा।

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ।

इसके बाद संजय मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ। ह्म्म्म..... थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, संजय शरमा रहा था इसलिए मैने खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया। उस शाम में ही मैंने संजय को अपना दीवाना बना दिया था।

उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।
लण्डबाज रे , हाअय्य लण्डबाज रे
तोरे नैना बड़े लण्डबाज रे !

संजय जी की ढलती जवानी vs रेखा की मदमस्त गर्माहट
नतिजा: संजय का BDSM :lol:

अर्ज किया है .... बस मुलायजा फरमाइयेगा ;)
संजय जी के लिए खास है :D

कि निचोडलेगी डालेगी वो तुझे चूसे आम के जैसे -
और तुम बिलबिलाये हुए रेंग भी ना पाओगे
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो
तुम क्या सोचते हो दीमक ना आयेंगे इनपर
ये जो खँडहर होती मिनारो पर नये पर्दे लगा रहा रहे हो , क्या सोचते हो जमाने भर के दीमक ना आयेंगे इनपर

अरे चाट कर तार तार कर जायेंगे इज्जत तुम्हारी और तुम झान्ट नही कुछ उखाड़ पाओगे :lol:
 
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यह तो " शोले " फिल्म का सीन्स हो गया , फर्क इतना था कि फिल्म मे अमित जी ने लीला मिश्रा जी को धर्मेंद्र जी की हर ऐब और बुराई बताकर हेमा जी का रिश्ता मांगा था और यहां नायिका रेखा देवी स्वयं ही अपनी सारी कमीयों का बखान अपने मंगेतर संजय साहब के समक्ष रख दी।

आजकल की लड़कियां अत्यंत ही होशियार है , चतुर सुजान है, फाश इशारा गोली की तरह समझती है लेकिन शादी-ब्याह जैसे संवेदनशील मसले पर थोड़ा-बहुत संकोची हो ही जाती है।
मुझे एक बार लगा यह रिश्ता तो होने से रहा ! कौन लड़का ऐसी गुणवान और संस्कारी महिला से शादी करना चाहेगा जो अपनी इज्ज़त का जनाजा खुद बढ़ - चढ़कर निकाल रही हो !
पर ऐसा हुआ नही। शायद संजय साहब के सिर पर रेखा के हुस्न का जादू कुछ ज्यादा ही चढ़ गया। शायद अब उन्हे एकाकीपन खलने लगा हो । शायद किसी वजह से अन्य लड़कियां इनसे वैवाहिक सम्बन्ध बनाना नही चाहती । कुछ तो जरूर कारण रहा होगा कि उनके धनाढ्य वर्ग से होने के बावजूद भी किसी भी मां-बाप ने अपनी पुत्री का रिश्ता इनके साथ बनाना नही चाहा।
वैसे मैने पहले भी आप के थ्रीड पर कहा था कि मर्द का अमीर होना और औरत का खुबसूरत होना करीब करीब एक ही कैटिगरी मे आता है। इसलिए रेखा को यह सोचने की जरूरत ही नही कि उसकी शादी एक अमीर लड़के से हो रही है।
लेकिन यह भी आश्चर्य की बात है कि संजय साहब को अपने बड़े भाई एवं पिता से दस हजार रुपए प्रतिमाह खर्चे के लिए पैसे मिलते है । क्या संजय साहब अपने ही फर्म मे नौकरी करते है लेकिन अगर करते भी है तो यह रकम तो सफिसिएंट नही लगता । इससे अधिक तो एक मजदूर कमा लेता है। आखिर यह क्या चक्कर है ?

उधर दर्शना देवी और सुनील के बीच आंख मिचौली का खेल हमेशा की तरह जारी है। लेकिन सुनील ऐसा क्या करने वाला है जिससे रेखा एक बड़ी मुसीबत मे फंस सकती है ?

बहुत ही बेहतरीन अपडेट रेखा जी।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 
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अध्याय - 43

" अरे कुंडली से कुछ तो अंदाज़ा चल ही जाता है, शुक्र का स्थान देख लेना. किस घर मे है और उच्च स्थान मे है. बात तो ये सही कह रही है असली चीज़ तो वही है तू इसकी चिंता मत कर ये ज़िम्मेदारी अपनी दादी पे छोड़ दे. एकदम टॅन टना टन होगा." दादी भी अब खुल के मज़ाक के मूड मे थी और सब कुछ समझते हुए भी मै अंजान बैठी थी.. ...

उसी दिन से लड़को की तलाश चालू हो गयी.. ............!

लड़के की तलाश मे पहला और सबसे इंपॉर्टेंट स्टेप होता है, लड़की की फोटो खिंचवाना. और उसके लिए अंजू मुझे ले गयी, पाठक फोटो स्टूडियो मे. जिसमे फोटो खींचवाए बिना लोग कहते थे अच्छा लड़का मिल ही नही सकता. पहले मम्मी ने पहनने के लिए साड़ी तय कर रखी थी, लेकिन अब जमाना बदल गया है बोलकर मैने साड़ी पहनने से मना कर दिया . तो अंजू ने कहा कि सलवार सूट पहन लो और आँख नचा के बोली हां दुपट्टा गले से चिपका कर रखना, ज़रा भी नीचे नही.

कही ऐसा ना हो फोटो देखना वाला लड़का तेरे चेहरे को कम और तेरे बड़े बड़े चूचे चूचे ही देखता रहे। मेने अंजू की सलाह मान ली. उफफफ्फ़ मेने आप को अपने बारे मे तो बताया ही नही कि उस समय मे...... मै कैसी लग रही थी.

खजूर के पेड़ सी लंबी, पतली, 5-7 की. पर इतनी पतली भी नही, स्लेंडरर आंड फुल हाफ कवर्स. गोरी. बड़ी बड़ी आँखे, खूब मोटे और लंबे बालों की चोटी, पतली लंबी गर्दन और मेरे उभार 34सी, और वही हालत हिप्स की भी थी, भरे भरे. स्टूडियो में अंजू ने मेरा हल्का सा मेकप भी किया, हल्का सा काजल, हल्की गुलाबी लिपस्टिक और थोड़ा सा रूज हाइ चीकबोन्स पे. एक बार तो शीशे मे देख के मे खुद शर्मा गयी.
फोटो लेकर जब घर आई तो दादी बोली वाकई बड़ी हो गयी है. कई जगह फोटो भेजी गयी, कुंडलिया आई. और इस बार भी दादी की सलाह काम आई. उनकी किसी सहेली की भतीजी का रिश्तेदार, और मम्मी ने भी उन के बारे मे सुन रखा था.

शहर के ही प्रसिद्ध कारोबारी सेठ के दो बेटे थे, बड़ा बेटा करनाल ब्याह हुआ था और छोटे बेटे के लिए उन्हे एक अच्छी संसकारी, घरेलू कार्य में निपुण लड़की की तलाश थी ...... हैसियत के मामले पर वो अंजू की ससुराल से भी ज्यादा अमीर थे।

पहले तो मम्मी थोड़ी हिचकी, पता नही, उसे मे कैसी लगूंगी, इतनी धनवान फैमिली है, पता नही उसके लिए कितने किस तरह के रिश्ते आ रहे होंगे. पर मेरी दादी मेरी तरफ से बोली, अरे अमीर लोगों को क्या सींग लगे होते है..... उन्हे भी अपने घर में एक संस्कारी बहू चाहिए है,

मेरी एक बात गाँठ बाँध ले दर्शना.... मेरी रेखडी कोई ऐसी वैसी थोड़े ही है. एक बार जो छोरा देख लेगा तो देखिएगा, खुद ही पीछे पड़ जाएगा. खैर बात चलाई गयी और दादी की सहेली ने भी बहोत ज़ोर देके कहा लेकिन बात अटकी लड़की देखने और कुंडली मिलान पे.....

लड़की देखने को वो तरीका जिसमे भर भर के लड़के के सारे रिश्तेदार आते है और लड़की ट्रे मे चाय ले के जाती है, मुझे कतई नही पसंद था. और अंजू तो मुझे चिढ़ाने भी लगी थी कि रेखा चाय की ट्रे ले के प्रॅक्टीस शुरू कर दो.

पता चला लड़का बिजनिस् के सिलसिले में देल्ही गया है , इसलिए वो दों तीन तक नही सकता. और मे भी लड़के को देखने उससे बात चीत कर के ही, 'हा' करने मे इंट्रेस्टेड थी. तय ये हुआ कि हफ्ते के आख़िर मे इतवार के दिन वो लोग लड़के के साथ हमारे घर आयेंगे।

इतवार को आने में पूरे पांच दिन बांकी थे.. इसलिए दादी ने पहले कुंडली मिलवाने का डिसीजन लिया... पास ही एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी जाने माने ज्योतिष रहते थे। उमर में बुढीया और हरकत से रसिया थे। मेरी दादी के जवानी के दिनों में उनकी अच्छी खासी दोस्ती थी। कईयो बार दादी के मुह से सुना था कि उनके बड़े बेटे (मेरे कजिन ताऊ ) उन्ही के आशीर्वाद से पैदा हुए है। हाहा हाहाह हाहा

पंडित जी मेरी और मेरे होने वाले पति की कुंडली मिलाई तो उसमें 26 गुण मिले, ये सुनकर दादी और मम्मी के चेहरे पर खुशी की चमक आ गयी.... लेकिन पंडित जी ने कहा रेखा के और उस लड़के के गण मिल नही रहे है, शुक्र ग्रह की स्थिति भी सही दिशा में नही है, नीच ग्रह की छाया है।

बावली गांड ये गण, ग्रह, दिशा, छाया सब गणित छोड़ और शुद्ध हिंदी में बता.... दादी पंडित जी से हस्ती हुयी बोली। पंडित जी दादी की बातों को सुनकर हस्ते हुए बोले ताई तेरी छोरी रेखा राक्षस गण की है और छोरा मनुष्य गण का है इसका मतलब छोरी छोरे पर भारी पड़ेगी। छोरा जिंदगी भर छोरी की जी हजुरी करेगा। हमेशा दब कर रहेगा। उसके पीछे पीछे फिरेगा।

बावली गांड ये तो बढ़िया है... छोरीयाँ को वैसे भी छोरे के ऊपर चड़ कर चढाई करने में ज्यादा मजा आता है। रही बात पीछे पीछे फिरने की तो मेरी लाडली रेखा राणी के पीछे तो सारे हिसार के सांड पड़े है। ये बात दादी ने द्विअर्थी अंदाज में बोली.... ये चढाई उतारायी छोड़ और चुदाई की बात बता...???

ताई छोरी का शुक्र तो ऊँचे घर में लेकिन राहु की तरफ देख रहा है। ऊपर से शनि की भी छाया है, जिससे छोरी के अंदर सेक्स की भूख आम छोरियों से ज्यादा है.... कहते है उस युग में ऐसी ही कुंडली द्रोपदी की थी, और ऐसी ही कुंडली वाली छोरिया एक साथ पांच पांच मर्दो के साथ संबद्ध स्थात्पित करने में सक्षम होती है।

दादी बड़ी जोर से हस्ती हुयी बोली भोसड़ी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय... तू बुढा होने के साथ साथ अब चूतिया भी हो गया है.... चूतमारि के एक बात बता तेरी लुगाई के कितने छेद है.... क.. क.. क्या मतलब ताई....???? पंडित इस बार चोंकते हुए बोला।

बावलीगांड तू तो ऐसे चोंक रहा है जैसे मैने तेरे से जन्नत के द्वार के छेद पूछ लिए...??? बोल ना.....

तीन छेद.... ताई

कौन कौन से...??

मुह.... गांड.... और भोसड़ा (चूत)

फिर बावली गांड मुझे एक बात बता एक औरत एक बार में एक समय में, एक साथ तीन मर्दो के साथ तीनों छेद को छिलवा सकती है.... लेकिन तू पांच की कह रहा है तो बांकी के दो मर्दो के लंड क्या तेरे मुह और गांड में घुसेगे.....?? दादी बड़ी जोर से हस्ती हुई बोली...... हाहा हाहा

इससे पहले पंडित कुछ बोलता... मम्मी बीच में बोल पड़ी औरत के दो हाथ भी होते है। तीन लंड तीनों छेद में और अपने एक एक हाथ से एक एक लंड मुठिया कर औरत एक बार एक साथ पांच मर्दो के लंड के साथ बड़े प्यार से सुख ले सकती है।

दादी मम्मी की बात सुनकर उनका मुह ताकने लगी..... जैसे उन्हे सांप सूघ गया हो। दादी को नॉर्मल करते हुए मम्मी हस्ती हुयी बोली.... अरे मैने वो तो ऐसे ही कह दिया।

जैसे जैसे हँसी ठिठोली का सुरूर चढ़ता गया, पंडित जी के घर के अंदर बैठी उनकी पंड़िताईन का ध्यान उनकी ओर आकर्षित होने लगा, दादी, मम्मी का उन्मुक्त व्यवहार, मुंह से निकल रही गालियां, नॉनवेज जोक्स पर उनके ठहाके, वे समझ नहीं पा रही थी कि ये कौन लोग हैं? पर पंड़िताईन तीनों लोगों की जिज्ञासा का मजा ले रही थी। और कमरे में जो हरकतें उनकी बातें सुनकर अब पंड़िताईन भी कमरे में आकर बैठ गयी।

अब दादी ने मुद्दे की बात को दोबारा से पूछा पंडितजी मुझे ये बताओ कि छोरी के इस पाँचालि (पांच पांच मर्दो वाली सेक्स की भावना) वाले रूप या कुंडली की भविष्य वाणी से छोरी और छोरी के ब्याह के बाद कोई मुसीबत या परेष्णांनी तो नही होगी।

ताई अब इसके बारे में क्या बोलू.... वैसे मेरी पढ़ी गयी कुंडली आज तक फैल नही हुई है।

कमरे का माहौल अब शांत हो गया...!

अब बारी पंड़िताईन की थी और वो यह कहकर इन कामुक कृत्यों को उचित बताने लगी कि कुदरत ने इंसानों का दिमाग ऐसा बनाया है कि उसे खाने में, कपड़ों में, घूमने फिरने में, विविधता पसंद होती है. फिर शारीरिक सुख के मामलों में एकनिष्ठ होने की बंदिश क्यों? कोई भी व्यक्ति कइयों के साथ शारीरिक संबंध रखते हुए भी वफादार रह सकता है, अपने जीवन साथी को प्यार कर सकता है। केवल भावनात्मक लगाव रखना परिवार में तनाव उत्पन्न कर सकता है और यदि पति पत्नी एक दूसरे की जानकारी में नए नए व्यक्तियों से चरम सुख की प्राप्ति करें तो सर्वोत्तम।

पंड़िताईन का ज्ञान सुनकर दादी की जैसे सत्संग का अनुभव होने लगा और फिर पंड़िताईन कहने लगी- देख ताई, भगवान ने तो चूत और लंड दिए आनंद उठाने को, हमने समाज और उसके नियम बना के बंदिशें लगा दी. जिन घरों में एकांत मिलता है वहां चूत की आग को शांत करने लड़कियां, औरतें कुत्ते को भी नहीं छोड़ती। रईस घरों की चुदाई के सुख से वंचित औरतें, ड्राइवर और घर के अन्य नौकरों से चुदवाती हैं। अभिषेक बच्चन को भी यदि मौका मिले तो वो ऐश्वर्या जैसी परी को चोदने के बाद भी राजी खुशी अपनी सामान्य शक्ल सूरत वाली कामवाली बाई को भी चोदना चाहेगा. क्योंकि नई का चस्का ऐसा ही होता है। कुल मिला के बात इतनी है कि हर लंड नई चूत की तलाश में रहता है और हर चूत को नए लंड में ज्यादा मजा आता है।

दादी और मम्मी मुस्कुरा के पंड़िताईन की हर बात से सहमत हो रही थी। सामूहिक चुदाई पर ज्ञान भरी मस्ती की चर्चा चल रही थी। पंड़िताईन भी किसी तरह के अपराध बोध को दादी पर हावी नहीं होने देना चाहती थी। दादी को यही लग रहा था कि छोरा छोरी ब्याह के बाद कोई भी नई चूत और लंड मिले तो दोनों मिल के मौज करेंगे।

आखिर कार दादी पांडताईं की बातों से संतुष्ट हो गयी और पंडित को फीस देकर उठने लगी तो... मम्मी ने उन्हे पांच मिनिट रुकने को बोला.... मम्मी मेरी कुंडली के साथ साथ अपने लाडले बेटे सुनील की कुंडली भी साथ ले गयी थी और उसकी कुंडली भी पंडित को दिखाने लगी।

पंडित ने सुनील की कुंडली को देखने के बाद दादी से कहा कि सब बढ़िया है ताई जाओ खुशी खुशी..... और ये सुनते ही दादी उठ कर कमरे से बाहर निकल गयी लेकिन मम्मी कमरे के बाहर जाने वाली थी कि पीछे से पंडित ने आवाज दी.. दर्शना

मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा तो पंडित ने इशारे से मम्मी को बुलाया और कहा कि दर्शना तेरे छोरे की कुंडली में दोष है, शनि और मंगल एक साथ बैठे है लगन के घर में, शुक्र नीचे के घर नीच गृहों के साथ विराजमान है.... इतना सब पंडित कह ही रहे थे कि पांडताईं बीच में बोल पड़ी पंडित जी तुम भी अंक गाड़ित बुझाने लगे हो... बस करो चुप रहो.. मै समझाए देती हूँ।

दर्शना तेरे छोरे के ब्याह में बहुत मुसीबत है, शायद उसका ब्याह होगा भी नही।

मम्मी ये सुनकर टेंशन में आ गयी और बोली ये क्या कह रही हो पांडताईं मेरे तो एक ही लड़का है और जब उसका ब्याह नही होगा तो मेरा वंश कैसे चलेगा....????

उसका उपाय है तो लेकिन थोड़ा सा मुश्किल है.....?? पांडताईं बोली

जो भी हो तुम बताओ..!

दर्शना बुरा मत मानना और जो मै कह रही हूँ उसको ध्यान से सुनो बेटे के मंगल दोष को दूर करने के लिए एक पूजा होगी जिसे पंडित जी संपन करायेंगे कब और कहाँ वो तुम फिर कभी अकेली आना तब विस्तार से विधि बतायेंगे।

अभी तुम बस अपने बेटे से थोड़ा सा दूरी बनाओ और उसको अपनी जवान बेटियों से भी दूर रखो क्योकि उसका शुक्र (सेक्स) ग्रह नीच ग्रहों के साथ है जिससे वो सेक्स के लिए उतावला रहता है और कामवासना की पूर्ति के लिए वो अपनी माँ बहन से भी संभोग कर सकता है वो सारे रिश्तों को भूल जाता है। ऐसा होना कोई बड़ी बात नही है,
यदि बेटी के बड़े होने पर बाप के साथ और बेटे को बड़ा होने पर मां के साथ सोने दिया जाए तो पता चले कि नैतिकता का दंभ कितना कमज़ोर है. कोई बेटी और कोई मां बिना चुदे नहीं रहेगी। भाई बहन में चुदाई उस तुलना में तो बहुत सामान्य बात है,

दर्शना तुम मेरी बात समझ रही हो ना... अभी तुम अपनी बेटी के ब्याह की सोचो। अपनी बेटी के ब्याह में कोई व्यवधान ना हो तो उसके लिए तुम अपने बेटे सुनील और रेखा को घर में अकेला मत छोड़ना। नही तो अनर्थ हो जायेगा। बेटे की कामवासना को शांत कैसे किया जाये ये तुम्हे समझाने और बताने की जरूरत नहीं है क्योकि तुम एक औरत होने के साथ साथ उसकी माँ हो, और मर्द की जिस्म की आग कब भड़काना और बुझाना हर औरत को ये कलाएँ ऊपर वाले ने वरदान स्वरूप दी गई है।

दर्शना.... ओ रांड कहाँ रह गयी क्या उस बावली गांड पंडित का लॉली पॉप चूस रही है..... दादी की बाहर से तेज आती हुयी आवाज सुन मम्मी ( दर्शना) जल्दी से बाहर निकल आई।

दोनों औरते अपनी अपनी मन में चल रही बातों को छिपाते हुए घर में प्रवेश कर गयी। घर पहुँच कर उन्होंने कुंडली मिल गयी है केहकर ब्याह का दूसरा स्टेप पार कर लड़की लड़का दिखाई योजना पर चर्चा करना शुरू कर दिया।

उसी शाम रात को अंजू के पति विनय का फोन आया और बोला वो और अंजू के ससुर काम के सिलसिले में सुबह सुबह दो दिन के लिए बाहर जाने वाले है इसलिए अंजू अपने मायके से किसी को साथ लेकर आ जाये.... विनय अब अंजू को घर में अकेला छोड़ कर पहले की गयी गलती दोहराना नही चाहता था।

अगली सुबह दादी को अंजू अपने साथ ससुराल ले गयी.... हालांकि दादी ना नुकर कर रही थी लेकिन अंजू ने कहा उसके पति और ससुर काम के सिलसिले में शहर से बाहर गये है और वो अकेली है तो दादी ने सहमति दे दी।

दादी के जाने के बाद घर में अब हम तीन रह गये..... पापा बाहर दुकान पर बैठे थे। मै किचिन में काम में बिजी थी....

"तुम बैठो में ज़रा नहा लूँ" मम्मी सुनील को सोफे पर ही बैठा छोड़ कर अपने कमरे में चली गई. सुनील मम्मी के जाने के बाद बैठा हुआ कुछ देर टीवी देखता रहा। थोड़ी देर बाद वह उठ कर किचन की तरफ़ चला आया।

सुनील ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ उसे सामने अपनी बहन रेखा किचन में काम करती नज़र आई। अपनी बहन को किचन में अकेला देख कर सुनील की बाछे ही खिल गईं। " सुनील ने तो आंखों ही आंखों में रेखा की ब्रा और पैंटी तक उतार दी थी।
उसकी जिज्ञासु नज़रों ने उसके जिस्म का, उस की गोलाइयों का, उसके उभारों का, उसकी गहराइयों का पूरा पूरा आनंद ले लिया था। कह सकते हैं कि उसने आंखों ही आंखों में, रेखा के संग मनमर्जियां कर ली थी।"

उस ने फॉरन मूड कर अपनी मम्मी के कमरे के दरवाज़े का जायज़ा लिया। तो उस को मम्मी के कमरे का दरवाज़ा बंद नज़र आया। सुनील समझ गया कि उस की मम्मी अपने छत के बाथरूम में नहाने के लिए जा चुकी हैं। सुनील का लंड अपनी बहन को किचन में अकेले देख कर फुल अपने जोबन पर आ गया।

सुनील ने आज कुर्ता पजामा पहना हुआ था। मगर आज अपने पजामे के नीचे उस ने अंडरवेार नही पहना हुआ था। इस की वज़ह ये थी कि सुनील को पता था कि अब मोका मिलते ही उस के हाथ उस की बहन के जिस्म से दुबारा ज़रूर छेड़ छाड़ करेगा।और इस सुरते हाल में उस का लंड खड़ा होना लाजमी है।

किचन में दाखिल होने से पहले सुनील ने अपने लंड को सेहला कर खड़ा कर दिया। ताकि वह जी भर कर अपनी बहन के बदन से खेल कर उसे अपनी मौजूदगी और प्यास का अहसास दिला सके। फिर वह आहिस्ता-आहिस्ता दबे पाँव चलता हुआ किचन में दाखिल हो गया।

मै अपने हाथ में छुरी पकड़े सब्ज़ी काटने में इतनी बिजी थी।कि अपने भाई के किचन में आ कर अपने पीछे खड़े होने का पता ही ना चला।

सुनील मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर तंग कपड़ो में अपनी बहन के बहुत ही मोटे-मोटे भारी चुतड़ों को आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगा।

अपने भाई की मौजूदगी से बे ख़बर मै जब किचन में अपने काम में बिजी थी।तो मेरे हिलने से पीछे मेरी भारी गान्ड की मोटी गुदाज पहाड़ियाँ भी हल्के-हल्के हिल कर सुनील के लंड की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी।

अपनी बहन की चौड़ी और उभरी हुई गान्ड के इतने करीब हो कर अब सुनील के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुस्किल हो रहा था।

पजामे में से उस का लंड उठ-उठ कर झटके मारता हुआ सुनील को आगे बढ़ कर अपनी बहन की गान्ड में घुस्स जाने पर उकसा रहा था। अपनी बहन के जिस्म की उँचाईयो और गहराइयों नापते-नापते हुए आख़िर सुनील के सबर का पैमाना लबरेज हो गया। और उस ने आहिस्ता से एक क़दम बढ़ाते हुए अपना एक हाथ अपनी मेरी मोटी गान्ड पर रखा और दूसरे हाथ को उस ने आगे बढ़ा कर मेरी भारी तनी हुई छाती को अपने हाथ में काबू कर के मसलना शुरू कर दिया।

"हाईईईई में मर गई" ज्यों ही सुनील के हाथ मेरी गान्ड और मम्मो से टकराए तो मेरी डर के मारे चीख निकल गई और हाथ में पकड़ी हुई छुरी, हाथ से छूट कर किचन के फ़र्श पर जा गिरी।

सुनील जानता था कि बाथरूम में नहाती हुई उस की मम्मी को बाथरूम और किचिन का दरवाज़ा बंद होने की वज़ह से रेखा की चीख नहीं सुनाई देगी ।

इसीलिए सुनील ने मेरी चीख की परवाह ना करते हुए मेरे जिस्म के चारो ओर अपने बाजुओं का घेरा कस लिया ।

सुनील के इस तरह चिपकने से उस का मोटा सख़्त लंड मेरी गुदाज गान्ड की मोटी पहाड़ियों में से होता हुए चूत से टच करने लगा।

"आज भाई के लंड ने दुबारा अपनी बहन की चूत को अपनी सलामी दी थी।"

ज्यों ही सुनील का लंड मेरी मोटी रानों में से होता हुआ फूली हुई चूत के होंठो से रगड़ा, मेरे मुँह से एक "अहह" निकली और मैने अपने आप को अपने भाई की क़ैद से छुड़ाने की कोशिस करते हुए कहा "क्या मुसीबत है भाई, आप क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हैं"।

"मेरी जान तुम्हारा जिस्म मुझे एक पल चैन नहीं लेना दे रहा, तुम ही बताओ में क्या करूँ" सुनील ने अपने आप को हलके से मेरे जिस्म से हटाया और फिर दुबारा तेज़ी के साथ आगे बढ़ा।

साथ ही साथ सुनील ने मेरी जवान, गुदाज और भारी छाती पर अपना हाथ दुबारा बढ़ा कर उसे एक बार फिर ज़ोर से मसला।

अपने भाई की इस हरकत से मेरे बदन में एक सनसनी-सी दौड़ गई। मैने मज़े से बे हाल होते हुए अपने होंठो को सख्ती से एक दूसरे के साथ भींचा ताकि कहीं मुँह से मेरी सिसकारी ना फूट पड़े।

"आप मम्मी पापा से कह कर अपने लिए एक बीवी का बन्दोबस्त करो, मुझे क्यों सता रहे हैं आप भाई" मैने अपने भाई की बात का जवाब देते हुए कहा।

"हाँ में तो बात करूँगा मम्मी से, मगर तुम ये बात याद रखो कि में तुम को किसी भी लड़के से शादी की हरगिज़ इजाज़त नहीं दे सकता"

"मुझे शादी के लिए आप की इजाज़त की ज़रूरत नही" मैने अपने भाई के सामने से हटाने की कोशिस करते हुए मैने भाई को जवाब दिया।

"मुझे अपने जिस्म का दीदार करवा कर अपना आशिक़ बनाने के बाद, अब शादी के लिए तुम को ना सिर्फ़ मेरी बल्कि मेरे लंड की भी इजाज़त चाहिए मेरी जान" सुनील ने एक सख़्त लहजे में अपना फ़ैसला सुनाते हुआ कहा।

भाई के लहजे में सख्ती को महसूस कर के मैने बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और ख़ामोश हो गई।

मै ख़ुद को अपने भाई से अलग रखना चाह रही थी। लेकिन चाहने के बावजूद अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो पा रही थी।

मुझ को जिस बात कर डर था। मेरे साथ वह ही बात दुबारा हो रही थी। भाई मोका पा कर मेरे जिस्म के साथ खिलवाड़ कर रहा था और मै ना चाहते हुए भी अपने सगे भाई के हाथों और ज़ुबान को उस के साथ ये सलूक करने से नहीं रोक पा रही थी।

अभी मै अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी। कि कब मम्मी नहा कर बाथरूम से निकले तो मेरा भाई मेरी जान बक्शी करे।

फिर अचानक अपने जज़्बात को सम्बालते हुए मै एक दम अपने भाई की क़ैद से निकल कर बाहर की तरफ़ भागी।

इस से पहले कि मै किचन से बाहर निकल पाती। सुनील ने मुझे पकड़ कर किचन की दीवार के साथ लगा दिया।

और अपने होंठो को अपनी बहन के नरम, गुदाज और फूले हुए होंठो पर चिस्पान कर दिया।

"उफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ेदार होन्ट हैं तुम्हारे मेरी बहन" सुनील ने मेरे लज़ीज़ होंठो का मज़े दार ज़ायक़ा पहली बार चखा। तो उसे स्वाद आ गया और वह जोश में आते हुए बोला।

मगर दूसरी तरफ़ मैने तो कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा था कि मेरा अपना भाई मेरे होंठो को कभी इस तरह चूमेगा।

मैने गुस्से में आ कर अपने भाई को एक ज़ोर का धक्का दिया।

सुनील अपनी बहन के इस ज़ोरदार धक्के के लिए तैयार नहीं था। इसीलिए वह अपना बेलेन्स खो बैठा और ज़मीन पर जा गिरा।

सुनील के जमीन पर गिरने की देर थी। कि मै जल्दी से किचन से निकली और अपने कमरे में जा कर अपने आप को अंदर लॉक कर लिया।

पहली दफ़ा की तरह आज मै अपने कमरे में आ कर रोई तो नही। मगर पहले की तरह दिल आज भी परेशान हुआ कि मै अंजाने में किस मुसीबत में पड़ चुकी है। कि मेरा अपना भाई ही मेरा आशिक़ बन कर मेरे सामने आन खड़ा हुआ है।

मै चाहते हुए भी अपनी मम्मी से अपने भाई की हरकतो की शिकायत नहीं कर सकती थी। इस की पहली वज़ह तो ये थी। कि मम्मी ने कभी भी मेरी इस बात का ऐतबार नहीं करना था। कि उन का अपना सगा बेटा ही उन की बेटी की इज़्ज़त लूटने पर तुला हुआ है।

दूसरा मै अपने भाई की शिकायत करती । तो मेरी अपनी ये बात भी कि कैसे शरीफ़ बच्ची रात की तन्हाई में अपने सगे जीजा से सिर्फ़ गंदी बातें करती रही बल्कि वह अपनी प्यासी चूत की प्यास भी बुझा चुकी थी।

इन सारी बातों को सोच-सोच कर मेरे पास सबर के अलावा अभी कोई चारा नहीं था।

मगर मै अपने इस इरादे पर अभी तक क़ायम थी। कि मै जल्द ही इस घर से चली जाऊंगी। क्योंकि अब मेरे पास इस के सिवा कोई दूसरा हल नहीं था।

उधर दूसरी तरफ़ सुनील अपने कपड़े झाड़ता फ़र्श से उठा और मुस्कुराता हुआ घर से बाहर की तरफ़ चला गया।

जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।
Shandar update
अध्याय - 43

" अरे कुंडली से कुछ तो अंदाज़ा चल ही जाता है, शुक्र का स्थान देख लेना. किस घर मे है और उच्च स्थान मे है. बात तो ये सही कह रही है असली चीज़ तो वही है तू इसकी चिंता मत कर ये ज़िम्मेदारी अपनी दादी पे छोड़ दे. एकदम टॅन टना टन होगा." दादी भी अब खुल के मज़ाक के मूड मे थी और सब कुछ समझते हुए भी मै अंजान बैठी थी.. ...

उसी दिन से लड़को की तलाश चालू हो गयी.. ............!

लड़के की तलाश मे पहला और सबसे इंपॉर्टेंट स्टेप होता है, लड़की की फोटो खिंचवाना. और उसके लिए अंजू मुझे ले गयी, पाठक फोटो स्टूडियो मे. जिसमे फोटो खींचवाए बिना लोग कहते थे अच्छा लड़का मिल ही नही सकता. पहले मम्मी ने पहनने के लिए साड़ी तय कर रखी थी, लेकिन अब जमाना बदल गया है बोलकर मैने साड़ी पहनने से मना कर दिया . तो अंजू ने कहा कि सलवार सूट पहन लो और आँख नचा के बोली हां दुपट्टा गले से चिपका कर रखना, ज़रा भी नीचे नही.

कही ऐसा ना हो फोटो देखना वाला लड़का तेरे चेहरे को कम और तेरे बड़े बड़े चूचे चूचे ही देखता रहे। मेने अंजू की सलाह मान ली. उफफफ्फ़ मेने आप को अपने बारे मे तो बताया ही नही कि उस समय मे...... मै कैसी लग रही थी.

खजूर के पेड़ सी लंबी, पतली, 5-7 की. पर इतनी पतली भी नही, स्लेंडरर आंड फुल हाफ कवर्स. गोरी. बड़ी बड़ी आँखे, खूब मोटे और लंबे बालों की चोटी, पतली लंबी गर्दन और मेरे उभार 34सी, और वही हालत हिप्स की भी थी, भरे भरे. स्टूडियो में अंजू ने मेरा हल्का सा मेकप भी किया, हल्का सा काजल, हल्की गुलाबी लिपस्टिक और थोड़ा सा रूज हाइ चीकबोन्स पे. एक बार तो शीशे मे देख के मे खुद शर्मा गयी.
फोटो लेकर जब घर आई तो दादी बोली वाकई बड़ी हो गयी है. कई जगह फोटो भेजी गयी, कुंडलिया आई. और इस बार भी दादी की सलाह काम आई. उनकी किसी सहेली की भतीजी का रिश्तेदार, और मम्मी ने भी उन के बारे मे सुन रखा था.

शहर के ही प्रसिद्ध कारोबारी सेठ के दो बेटे थे, बड़ा बेटा करनाल ब्याह हुआ था और छोटे बेटे के लिए उन्हे एक अच्छी संसकारी, घरेलू कार्य में निपुण लड़की की तलाश थी ...... हैसियत के मामले पर वो अंजू की ससुराल से भी ज्यादा अमीर थे।

पहले तो मम्मी थोड़ी हिचकी, पता नही, उसे मे कैसी लगूंगी, इतनी धनवान फैमिली है, पता नही उसके लिए कितने किस तरह के रिश्ते आ रहे होंगे. पर मेरी दादी मेरी तरफ से बोली, अरे अमीर लोगों को क्या सींग लगे होते है..... उन्हे भी अपने घर में एक संस्कारी बहू चाहिए है,

मेरी एक बात गाँठ बाँध ले दर्शना.... मेरी रेखडी कोई ऐसी वैसी थोड़े ही है. एक बार जो छोरा देख लेगा तो देखिएगा, खुद ही पीछे पड़ जाएगा. खैर बात चलाई गयी और दादी की सहेली ने भी बहोत ज़ोर देके कहा लेकिन बात अटकी लड़की देखने और कुंडली मिलान पे.....

लड़की देखने को वो तरीका जिसमे भर भर के लड़के के सारे रिश्तेदार आते है और लड़की ट्रे मे चाय ले के जाती है, मुझे कतई नही पसंद था. और अंजू तो मुझे चिढ़ाने भी लगी थी कि रेखा चाय की ट्रे ले के प्रॅक्टीस शुरू कर दो.

पता चला लड़का बिजनिस् के सिलसिले में देल्ही गया है , इसलिए वो दों तीन तक नही सकता. और मे भी लड़के को देखने उससे बात चीत कर के ही, 'हा' करने मे इंट्रेस्टेड थी. तय ये हुआ कि हफ्ते के आख़िर मे इतवार के दिन वो लोग लड़के के साथ हमारे घर आयेंगे।

इतवार को आने में पूरे पांच दिन बांकी थे.. इसलिए दादी ने पहले कुंडली मिलवाने का डिसीजन लिया... पास ही एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी जाने माने ज्योतिष रहते थे। उमर में बुढीया और हरकत से रसिया थे। मेरी दादी के जवानी के दिनों में उनकी अच्छी खासी दोस्ती थी। कईयो बार दादी के मुह से सुना था कि उनके बड़े बेटे (मेरे कजिन ताऊ ) उन्ही के आशीर्वाद से पैदा हुए है। हाहा हाहाह हाहा

पंडित जी मेरी और मेरे होने वाले पति की कुंडली मिलाई तो उसमें 26 गुण मिले, ये सुनकर दादी और मम्मी के चेहरे पर खुशी की चमक आ गयी.... लेकिन पंडित जी ने कहा रेखा के और उस लड़के के गण मिल नही रहे है, शुक्र ग्रह की स्थिति भी सही दिशा में नही है, नीच ग्रह की छाया है।

बावली गांड ये गण, ग्रह, दिशा, छाया सब गणित छोड़ और शुद्ध हिंदी में बता.... दादी पंडित जी से हस्ती हुयी बोली। पंडित जी दादी की बातों को सुनकर हस्ते हुए बोले ताई तेरी छोरी रेखा राक्षस गण की है और छोरा मनुष्य गण का है इसका मतलब छोरी छोरे पर भारी पड़ेगी। छोरा जिंदगी भर छोरी की जी हजुरी करेगा। हमेशा दब कर रहेगा। उसके पीछे पीछे फिरेगा।

बावली गांड ये तो बढ़िया है... छोरीयाँ को वैसे भी छोरे के ऊपर चड़ कर चढाई करने में ज्यादा मजा आता है। रही बात पीछे पीछे फिरने की तो मेरी लाडली रेखा राणी के पीछे तो सारे हिसार के सांड पड़े है। ये बात दादी ने द्विअर्थी अंदाज में बोली.... ये चढाई उतारायी छोड़ और चुदाई की बात बता...???

ताई छोरी का शुक्र तो ऊँचे घर में लेकिन राहु की तरफ देख रहा है। ऊपर से शनि की भी छाया है, जिससे छोरी के अंदर सेक्स की भूख आम छोरियों से ज्यादा है.... कहते है उस युग में ऐसी ही कुंडली द्रोपदी की थी, और ऐसी ही कुंडली वाली छोरिया एक साथ पांच पांच मर्दो के साथ संबद्ध स्थात्पित करने में सक्षम होती है।

दादी बड़ी जोर से हस्ती हुयी बोली भोसड़ी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय... तू बुढा होने के साथ साथ अब चूतिया भी हो गया है.... चूतमारि के एक बात बता तेरी लुगाई के कितने छेद है.... क.. क.. क्या मतलब ताई....???? पंडित इस बार चोंकते हुए बोला।

बावलीगांड तू तो ऐसे चोंक रहा है जैसे मैने तेरे से जन्नत के द्वार के छेद पूछ लिए...??? बोल ना.....

तीन छेद.... ताई

कौन कौन से...??

मुह.... गांड.... और भोसड़ा (चूत)

फिर बावली गांड मुझे एक बात बता एक औरत एक बार में एक समय में, एक साथ तीन मर्दो के साथ तीनों छेद को छिलवा सकती है.... लेकिन तू पांच की कह रहा है तो बांकी के दो मर्दो के लंड क्या तेरे मुह और गांड में घुसेगे.....?? दादी बड़ी जोर से हस्ती हुई बोली...... हाहा हाहा

इससे पहले पंडित कुछ बोलता... मम्मी बीच में बोल पड़ी औरत के दो हाथ भी होते है। तीन लंड तीनों छेद में और अपने एक एक हाथ से एक एक लंड मुठिया कर औरत एक बार एक साथ पांच मर्दो के लंड के साथ बड़े प्यार से सुख ले सकती है।

दादी मम्मी की बात सुनकर उनका मुह ताकने लगी..... जैसे उन्हे सांप सूघ गया हो। दादी को नॉर्मल करते हुए मम्मी हस्ती हुयी बोली.... अरे मैने वो तो ऐसे ही कह दिया।

जैसे जैसे हँसी ठिठोली का सुरूर चढ़ता गया, पंडित जी के घर के अंदर बैठी उनकी पंड़िताईन का ध्यान उनकी ओर आकर्षित होने लगा, दादी, मम्मी का उन्मुक्त व्यवहार, मुंह से निकल रही गालियां, नॉनवेज जोक्स पर उनके ठहाके, वे समझ नहीं पा रही थी कि ये कौन लोग हैं? पर पंड़िताईन तीनों लोगों की जिज्ञासा का मजा ले रही थी। और कमरे में जो हरकतें उनकी बातें सुनकर अब पंड़िताईन भी कमरे में आकर बैठ गयी।

अब दादी ने मुद्दे की बात को दोबारा से पूछा पंडितजी मुझे ये बताओ कि छोरी के इस पाँचालि (पांच पांच मर्दो वाली सेक्स की भावना) वाले रूप या कुंडली की भविष्य वाणी से छोरी और छोरी के ब्याह के बाद कोई मुसीबत या परेष्णांनी तो नही होगी।

ताई अब इसके बारे में क्या बोलू.... वैसे मेरी पढ़ी गयी कुंडली आज तक फैल नही हुई है।

कमरे का माहौल अब शांत हो गया...!

अब बारी पंड़िताईन की थी और वो यह कहकर इन कामुक कृत्यों को उचित बताने लगी कि कुदरत ने इंसानों का दिमाग ऐसा बनाया है कि उसे खाने में, कपड़ों में, घूमने फिरने में, विविधता पसंद होती है. फिर शारीरिक सुख के मामलों में एकनिष्ठ होने की बंदिश क्यों? कोई भी व्यक्ति कइयों के साथ शारीरिक संबंध रखते हुए भी वफादार रह सकता है, अपने जीवन साथी को प्यार कर सकता है। केवल भावनात्मक लगाव रखना परिवार में तनाव उत्पन्न कर सकता है और यदि पति पत्नी एक दूसरे की जानकारी में नए नए व्यक्तियों से चरम सुख की प्राप्ति करें तो सर्वोत्तम।

पंड़िताईन का ज्ञान सुनकर दादी की जैसे सत्संग का अनुभव होने लगा और फिर पंड़िताईन कहने लगी- देख ताई, भगवान ने तो चूत और लंड दिए आनंद उठाने को, हमने समाज और उसके नियम बना के बंदिशें लगा दी. जिन घरों में एकांत मिलता है वहां चूत की आग को शांत करने लड़कियां, औरतें कुत्ते को भी नहीं छोड़ती। रईस घरों की चुदाई के सुख से वंचित औरतें, ड्राइवर और घर के अन्य नौकरों से चुदवाती हैं। अभिषेक बच्चन को भी यदि मौका मिले तो वो ऐश्वर्या जैसी परी को चोदने के बाद भी राजी खुशी अपनी सामान्य शक्ल सूरत वाली कामवाली बाई को भी चोदना चाहेगा. क्योंकि नई का चस्का ऐसा ही होता है। कुल मिला के बात इतनी है कि हर लंड नई चूत की तलाश में रहता है और हर चूत को नए लंड में ज्यादा मजा आता है।

दादी और मम्मी मुस्कुरा के पंड़िताईन की हर बात से सहमत हो रही थी। सामूहिक चुदाई पर ज्ञान भरी मस्ती की चर्चा चल रही थी। पंड़िताईन भी किसी तरह के अपराध बोध को दादी पर हावी नहीं होने देना चाहती थी। दादी को यही लग रहा था कि छोरा छोरी ब्याह के बाद कोई भी नई चूत और लंड मिले तो दोनों मिल के मौज करेंगे।

आखिर कार दादी पांडताईं की बातों से संतुष्ट हो गयी और पंडित को फीस देकर उठने लगी तो... मम्मी ने उन्हे पांच मिनिट रुकने को बोला.... मम्मी मेरी कुंडली के साथ साथ अपने लाडले बेटे सुनील की कुंडली भी साथ ले गयी थी और उसकी कुंडली भी पंडित को दिखाने लगी।

पंडित ने सुनील की कुंडली को देखने के बाद दादी से कहा कि सब बढ़िया है ताई जाओ खुशी खुशी..... और ये सुनते ही दादी उठ कर कमरे से बाहर निकल गयी लेकिन मम्मी कमरे के बाहर जाने वाली थी कि पीछे से पंडित ने आवाज दी.. दर्शना

मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा तो पंडित ने इशारे से मम्मी को बुलाया और कहा कि दर्शना तेरे छोरे की कुंडली में दोष है, शनि और मंगल एक साथ बैठे है लगन के घर में, शुक्र नीचे के घर नीच गृहों के साथ विराजमान है.... इतना सब पंडित कह ही रहे थे कि पांडताईं बीच में बोल पड़ी पंडित जी तुम भी अंक गाड़ित बुझाने लगे हो... बस करो चुप रहो.. मै समझाए देती हूँ।

दर्शना तेरे छोरे के ब्याह में बहुत मुसीबत है, शायद उसका ब्याह होगा भी नही।

मम्मी ये सुनकर टेंशन में आ गयी और बोली ये क्या कह रही हो पांडताईं मेरे तो एक ही लड़का है और जब उसका ब्याह नही होगा तो मेरा वंश कैसे चलेगा....????

उसका उपाय है तो लेकिन थोड़ा सा मुश्किल है.....?? पांडताईं बोली

जो भी हो तुम बताओ..!

दर्शना बुरा मत मानना और जो मै कह रही हूँ उसको ध्यान से सुनो बेटे के मंगल दोष को दूर करने के लिए एक पूजा होगी जिसे पंडित जी संपन करायेंगे कब और कहाँ वो तुम फिर कभी अकेली आना तब विस्तार से विधि बतायेंगे।

अभी तुम बस अपने बेटे से थोड़ा सा दूरी बनाओ और उसको अपनी जवान बेटियों से भी दूर रखो क्योकि उसका शुक्र (सेक्स) ग्रह नीच ग्रहों के साथ है जिससे वो सेक्स के लिए उतावला रहता है और कामवासना की पूर्ति के लिए वो अपनी माँ बहन से भी संभोग कर सकता है वो सारे रिश्तों को भूल जाता है। ऐसा होना कोई बड़ी बात नही है,
यदि बेटी के बड़े होने पर बाप के साथ और बेटे को बड़ा होने पर मां के साथ सोने दिया जाए तो पता चले कि नैतिकता का दंभ कितना कमज़ोर है. कोई बेटी और कोई मां बिना चुदे नहीं रहेगी। भाई बहन में चुदाई उस तुलना में तो बहुत सामान्य बात है,

दर्शना तुम मेरी बात समझ रही हो ना... अभी तुम अपनी बेटी के ब्याह की सोचो। अपनी बेटी के ब्याह में कोई व्यवधान ना हो तो उसके लिए तुम अपने बेटे सुनील और रेखा को घर में अकेला मत छोड़ना। नही तो अनर्थ हो जायेगा। बेटे की कामवासना को शांत कैसे किया जाये ये तुम्हे समझाने और बताने की जरूरत नहीं है क्योकि तुम एक औरत होने के साथ साथ उसकी माँ हो, और मर्द की जिस्म की आग कब भड़काना और बुझाना हर औरत को ये कलाएँ ऊपर वाले ने वरदान स्वरूप दी गई है।

दर्शना.... ओ रांड कहाँ रह गयी क्या उस बावली गांड पंडित का लॉली पॉप चूस रही है..... दादी की बाहर से तेज आती हुयी आवाज सुन मम्मी ( दर्शना) जल्दी से बाहर निकल आई।

दोनों औरते अपनी अपनी मन में चल रही बातों को छिपाते हुए घर में प्रवेश कर गयी। घर पहुँच कर उन्होंने कुंडली मिल गयी है केहकर ब्याह का दूसरा स्टेप पार कर लड़की लड़का दिखाई योजना पर चर्चा करना शुरू कर दिया।

उसी शाम रात को अंजू के पति विनय का फोन आया और बोला वो और अंजू के ससुर काम के सिलसिले में सुबह सुबह दो दिन के लिए बाहर जाने वाले है इसलिए अंजू अपने मायके से किसी को साथ लेकर आ जाये.... विनय अब अंजू को घर में अकेला छोड़ कर पहले की गयी गलती दोहराना नही चाहता था।

अगली सुबह दादी को अंजू अपने साथ ससुराल ले गयी.... हालांकि दादी ना नुकर कर रही थी लेकिन अंजू ने कहा उसके पति और ससुर काम के सिलसिले में शहर से बाहर गये है और वो अकेली है तो दादी ने सहमति दे दी।

दादी के जाने के बाद घर में अब हम तीन रह गये..... पापा बाहर दुकान पर बैठे थे। मै किचिन में काम में बिजी थी....

"तुम बैठो में ज़रा नहा लूँ" मम्मी सुनील को सोफे पर ही बैठा छोड़ कर अपने कमरे में चली गई. सुनील मम्मी के जाने के बाद बैठा हुआ कुछ देर टीवी देखता रहा। थोड़ी देर बाद वह उठ कर किचन की तरफ़ चला आया।

सुनील ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ उसे सामने अपनी बहन रेखा किचन में काम करती नज़र आई। अपनी बहन को किचन में अकेला देख कर सुनील की बाछे ही खिल गईं। " सुनील ने तो आंखों ही आंखों में रेखा की ब्रा और पैंटी तक उतार दी थी।
उसकी जिज्ञासु नज़रों ने उसके जिस्म का, उस की गोलाइयों का, उसके उभारों का, उसकी गहराइयों का पूरा पूरा आनंद ले लिया था। कह सकते हैं कि उसने आंखों ही आंखों में, रेखा के संग मनमर्जियां कर ली थी।"

उस ने फॉरन मूड कर अपनी मम्मी के कमरे के दरवाज़े का जायज़ा लिया। तो उस को मम्मी के कमरे का दरवाज़ा बंद नज़र आया। सुनील समझ गया कि उस की मम्मी अपने छत के बाथरूम में नहाने के लिए जा चुकी हैं। सुनील का लंड अपनी बहन को किचन में अकेले देख कर फुल अपने जोबन पर आ गया।

सुनील ने आज कुर्ता पजामा पहना हुआ था। मगर आज अपने पजामे के नीचे उस ने अंडरवेार नही पहना हुआ था। इस की वज़ह ये थी कि सुनील को पता था कि अब मोका मिलते ही उस के हाथ उस की बहन के जिस्म से दुबारा ज़रूर छेड़ छाड़ करेगा।और इस सुरते हाल में उस का लंड खड़ा होना लाजमी है।

किचन में दाखिल होने से पहले सुनील ने अपने लंड को सेहला कर खड़ा कर दिया। ताकि वह जी भर कर अपनी बहन के बदन से खेल कर उसे अपनी मौजूदगी और प्यास का अहसास दिला सके। फिर वह आहिस्ता-आहिस्ता दबे पाँव चलता हुआ किचन में दाखिल हो गया।

मै अपने हाथ में छुरी पकड़े सब्ज़ी काटने में इतनी बिजी थी।कि अपने भाई के किचन में आ कर अपने पीछे खड़े होने का पता ही ना चला।

सुनील मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर तंग कपड़ो में अपनी बहन के बहुत ही मोटे-मोटे भारी चुतड़ों को आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगा।

अपने भाई की मौजूदगी से बे ख़बर मै जब किचन में अपने काम में बिजी थी।तो मेरे हिलने से पीछे मेरी भारी गान्ड की मोटी गुदाज पहाड़ियाँ भी हल्के-हल्के हिल कर सुनील के लंड की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी।

अपनी बहन की चौड़ी और उभरी हुई गान्ड के इतने करीब हो कर अब सुनील के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुस्किल हो रहा था।

पजामे में से उस का लंड उठ-उठ कर झटके मारता हुआ सुनील को आगे बढ़ कर अपनी बहन की गान्ड में घुस्स जाने पर उकसा रहा था। अपनी बहन के जिस्म की उँचाईयो और गहराइयों नापते-नापते हुए आख़िर सुनील के सबर का पैमाना लबरेज हो गया। और उस ने आहिस्ता से एक क़दम बढ़ाते हुए अपना एक हाथ अपनी मेरी मोटी गान्ड पर रखा और दूसरे हाथ को उस ने आगे बढ़ा कर मेरी भारी तनी हुई छाती को अपने हाथ में काबू कर के मसलना शुरू कर दिया।

"हाईईईई में मर गई" ज्यों ही सुनील के हाथ मेरी गान्ड और मम्मो से टकराए तो मेरी डर के मारे चीख निकल गई और हाथ में पकड़ी हुई छुरी, हाथ से छूट कर किचन के फ़र्श पर जा गिरी।

सुनील जानता था कि बाथरूम में नहाती हुई उस की मम्मी को बाथरूम और किचिन का दरवाज़ा बंद होने की वज़ह से रेखा की चीख नहीं सुनाई देगी ।

इसीलिए सुनील ने मेरी चीख की परवाह ना करते हुए मेरे जिस्म के चारो ओर अपने बाजुओं का घेरा कस लिया ।

सुनील के इस तरह चिपकने से उस का मोटा सख़्त लंड मेरी गुदाज गान्ड की मोटी पहाड़ियों में से होता हुए चूत से टच करने लगा।

"आज भाई के लंड ने दुबारा अपनी बहन की चूत को अपनी सलामी दी थी।"

ज्यों ही सुनील का लंड मेरी मोटी रानों में से होता हुआ फूली हुई चूत के होंठो से रगड़ा, मेरे मुँह से एक "अहह" निकली और मैने अपने आप को अपने भाई की क़ैद से छुड़ाने की कोशिस करते हुए कहा "क्या मुसीबत है भाई, आप क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हैं"।

"मेरी जान तुम्हारा जिस्म मुझे एक पल चैन नहीं लेना दे रहा, तुम ही बताओ में क्या करूँ" सुनील ने अपने आप को हलके से मेरे जिस्म से हटाया और फिर दुबारा तेज़ी के साथ आगे बढ़ा।

साथ ही साथ सुनील ने मेरी जवान, गुदाज और भारी छाती पर अपना हाथ दुबारा बढ़ा कर उसे एक बार फिर ज़ोर से मसला।

अपने भाई की इस हरकत से मेरे बदन में एक सनसनी-सी दौड़ गई। मैने मज़े से बे हाल होते हुए अपने होंठो को सख्ती से एक दूसरे के साथ भींचा ताकि कहीं मुँह से मेरी सिसकारी ना फूट पड़े।

"आप मम्मी पापा से कह कर अपने लिए एक बीवी का बन्दोबस्त करो, मुझे क्यों सता रहे हैं आप भाई" मैने अपने भाई की बात का जवाब देते हुए कहा।

"हाँ में तो बात करूँगा मम्मी से, मगर तुम ये बात याद रखो कि में तुम को किसी भी लड़के से शादी की हरगिज़ इजाज़त नहीं दे सकता"

"मुझे शादी के लिए आप की इजाज़त की ज़रूरत नही" मैने अपने भाई के सामने से हटाने की कोशिस करते हुए मैने भाई को जवाब दिया।

"मुझे अपने जिस्म का दीदार करवा कर अपना आशिक़ बनाने के बाद, अब शादी के लिए तुम को ना सिर्फ़ मेरी बल्कि मेरे लंड की भी इजाज़त चाहिए मेरी जान" सुनील ने एक सख़्त लहजे में अपना फ़ैसला सुनाते हुआ कहा।

भाई के लहजे में सख्ती को महसूस कर के मैने बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और ख़ामोश हो गई।

मै ख़ुद को अपने भाई से अलग रखना चाह रही थी। लेकिन चाहने के बावजूद अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो पा रही थी।

मुझ को जिस बात कर डर था। मेरे साथ वह ही बात दुबारा हो रही थी। भाई मोका पा कर मेरे जिस्म के साथ खिलवाड़ कर रहा था और मै ना चाहते हुए भी अपने सगे भाई के हाथों और ज़ुबान को उस के साथ ये सलूक करने से नहीं रोक पा रही थी।

अभी मै अपने दिल ही दिल में ये दुआ माँग रही थी। कि कब मम्मी नहा कर बाथरूम से निकले तो मेरा भाई मेरी जान बक्शी करे।

फिर अचानक अपने जज़्बात को सम्बालते हुए मै एक दम अपने भाई की क़ैद से निकल कर बाहर की तरफ़ भागी।

इस से पहले कि मै किचन से बाहर निकल पाती। सुनील ने मुझे पकड़ कर किचन की दीवार के साथ लगा दिया।

और अपने होंठो को अपनी बहन के नरम, गुदाज और फूले हुए होंठो पर चिस्पान कर दिया।

"उफफफफफफफ्फ़ क्या मज़ेदार होन्ट हैं तुम्हारे मेरी बहन" सुनील ने मेरे लज़ीज़ होंठो का मज़े दार ज़ायक़ा पहली बार चखा। तो उसे स्वाद आ गया और वह जोश में आते हुए बोला।

मगर दूसरी तरफ़ मैने तो कभी ख़्वाब में भी नहीं सोचा था कि मेरा अपना भाई मेरे होंठो को कभी इस तरह चूमेगा।

मैने गुस्से में आ कर अपने भाई को एक ज़ोर का धक्का दिया।

सुनील अपनी बहन के इस ज़ोरदार धक्के के लिए तैयार नहीं था। इसीलिए वह अपना बेलेन्स खो बैठा और ज़मीन पर जा गिरा।

सुनील के जमीन पर गिरने की देर थी। कि मै जल्दी से किचन से निकली और अपने कमरे में जा कर अपने आप को अंदर लॉक कर लिया।

पहली दफ़ा की तरह आज मै अपने कमरे में आ कर रोई तो नही। मगर पहले की तरह दिल आज भी परेशान हुआ कि मै अंजाने में किस मुसीबत में पड़ चुकी है। कि मेरा अपना भाई ही मेरा आशिक़ बन कर मेरे सामने आन खड़ा हुआ है।

मै चाहते हुए भी अपनी मम्मी से अपने भाई की हरकतो की शिकायत नहीं कर सकती थी। इस की पहली वज़ह तो ये थी। कि मम्मी ने कभी भी मेरी इस बात का ऐतबार नहीं करना था। कि उन का अपना सगा बेटा ही उन की बेटी की इज़्ज़त लूटने पर तुला हुआ है।

दूसरा मै अपने भाई की शिकायत करती । तो मेरी अपनी ये बात भी कि कैसे शरीफ़ बच्ची रात की तन्हाई में अपने सगे जीजा से सिर्फ़ गंदी बातें करती रही बल्कि वह अपनी प्यासी चूत की प्यास भी बुझा चुकी थी।

इन सारी बातों को सोच-सोच कर मेरे पास सबर के अलावा अभी कोई चारा नहीं था।

मगर मै अपने इस इरादे पर अभी तक क़ायम थी। कि मै जल्द ही इस घर से चली जाऊंगी। क्योंकि अब मेरे पास इस के सिवा कोई दूसरा हल नहीं था।

उधर दूसरी तरफ़ सुनील अपने कपड़े झाड़ता फ़र्श से उठा और मुस्कुराता हुआ घर से बाहर की तरफ़ चला गया।

जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।
Shandar update
रेखा के गुण पूरे नही मिल रहे हैं पंडित के हिसाब से रेखा लड़के पर भारी पड़ेगी ऐसे भी रेखा अभी तक सब पर भारी ही पड़ रही है
दादी और पंडित के बीच अश्लील मजाक हास्यप्रद था
सुनील ने तो रसोई में मजे लेने थे वो ले लिए
 
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अध्याय - 44

जब मुझ को इतमीनान हो गया के सुनील घर से बाहर जा चुका है। तो मैने सुख का साँस लिया और अपने घर के काम काज में दुबारा बिजी हो गई।

किचिन वाले वाकये के बाद मैने अपने भाई से सगाई और शादी तक दूरी बना कर घर में रहने का इरादा कर लिया।

इस तरह तीन चार दिन गुजर गये और इन तीन चार दिनों के दौरान घर के तीनो सदस्यों के लंड और चूत की गर्मी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही थी।

शनिवार के दिन यानी मेरी सगाई के एक दिन पहले सुनील तड़के सुबह सवेरे नहाने के लिए बाथरूम गया। तो नहाने के दौरान अपनी मम्मी और बहन के मोटे मोटे मम्मो और चुतड़ों को याद कर के सुनील का लंड अकड कर खड़ा होने लगा।

इधर दूसरी तरफ मम्मी भी तड़के सुबह सब से पहले उठ कर किचन में आई। और अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाने लगी।

"क्यों न में सुनील को उस के कमरे में ही चाय दे आऊ" गैस पर पड़ी चाय (टी) ज्यों ही बन कर तैयार हुई तो मम्मी ने सोचा। इस के साथ ही मम्मी ने चाय को एक कप में डाला और फिर कप अपने हाथ में थामे अपने बेटे सुनील के कमरे की तरफ चल पड़ी।

ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे सुनील के कमरे के दरवाज़े को हाथ लगाया। तो सुनील के कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक ना होने की वजह से खुलता चला गया।

"लगता है सुनील रात को अपने दरवाज़े की कुण्डी लगा कर नही सोया" अपने बेटे के दरवाजे को यूँ खुला पा कर मम्मी ने सोचा।

मम्मी दरवाजा खोल कर सुनील के कमरे में दाखिल हुई। तो उसे सुनील तो अपने बिस्तर पर नज़र नही आया। मगर मम्मी को अपने कान में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दी।

"लगता है कि सुनील बाथरूम में नहा रहा है" बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर मम्मी समझ गई।

मम्मी ने चाय का कप सुनील के बिस्तर की साइड टेबल पर रखा और मूड कर वापिस किचन में जाने लगी।

" सभी अभी सो रहे है, तो क्यों ना आज सुबह सुबह में अपने बेटे के लंड का दीदार कर लूँ" मम्मी ज्यों ही किचन में जाने के लिए सुनील के बाथरूम के दरवाज़े के सामने से गुज़री। तो उन को ख्याल आया।अपने बेटे के मोटे लंड का ख्याल आते ही मम्मी की मोटी फुद्दि गर्म होने लगी। और उस के साथ ही मम्मी ने एक दम झुक कर बाथरूम के की होल पर अपनी आँख लगा कर बाथरूम में झाँका।

मम्मी की आँख ने ज्यों ही बाथरूम के अंदर का मंज़र देखा। तो बाथरूम का का नज़ारा देख कर मम्मी की साँसें गले में अटकने लगीं। मम्मी की सांस गले में अटकने की वजह से मम्मी की भारी छातियाँ भी बिखरी सांसो के साथ ताल से ताल मिलाते हुए उपर नीचे होने लगी।

मम्मी ने देखा कि बाथरूम में उस का बेटा उस वक्त अपने लंड पर साबुन लगा कर नहाते वक्त साथ ही साथ अपने लंड से भी खेल रहा था। ज्यों ही मम्मी ने अपने बेटे को नहाने के दौरान यूँ अपने मोटे और बड़े लंड से खेलते देखा। तो अपनी उपर नीचे होने वाली सांसो के साथ मम्मी भी दरवाज़े के बाहर खड़े हो कर अपनी शलवार के उपर से ही अपनी फुद्दि पर अपना हाथ फेरने लगी।

"काश मेरा बेटा मुझे भी एक दिन अपने लंड से यूँ खेलने का मोका दे" अपने बेटे के लंड को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए मम्मी का दिल कर रहा था। कि वो अपना हाथ बढ़ा कर अपने बेटे के तगड़े लंड को अपने काबू में कर ले।

मगर मम्मी जानती थी कि ये उस की एक ऐसी ख्वाहिश है। जो शायद कभी पूरी ना हो सकेगी।

इसीलिए अपनी तमन्नाओ को अपने दिल में ही मार कर मम्मी खामोशी से अपने बेटे को अपना लंड रगड़ता देखती रही। और साथ साथ अपनी फुद्दि को भी अपने हाथ से छेड़ती रही।

उधर सुनील को आज काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाना था। इसीलिए उस के पास सुबह सुबह अपने लंड की मूठ लगाने का भी टाइम नही था।

इसीलिए सुनील ने जल्दी से अपना शवर बंद किया। और अपने जिस्म को तोलिये से सॉफ करने लगा। अपने जिस्म को पोंछ कर के ज्यों ही सुनील ने अपने चारो ओर अपनी कमर पर टवल लपेटा। तो मम्मी समझ गई कि अब सुनील किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर निकल सकता है।

इसीलिए मम्मी जल्दी से पलटी और कमरे के बाहर निकलने लगी। मगर इस जल्दी के दौरान मम्मी कमरे का दरवाजा खुला छोड़ गई। ज्यों ही मम्मी कमरे से बाहर आई। तो उसे अपने पीछे अपने बेटे के बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी।

"कहीं सुनील ने मेरी चोरी पकड़ ना ली हो" मम्मी के ज़हन में ना जाने क्यों ये डर बैठ गया। और इसी डर के मारे उसे पता नही किया सूझा कि मम्मी कमरे के सामने बने हुए एक छोटे से कमरे नुमा स्टोर में जा घुसी।

स्टोर में जाते ही मम्मी की नज़र सामने बनी हुई कपड़ों की अलमारी पर पड़ी। इस अलमारी में कपड़े गुंजाइश से ज़्यादा होने की वजह से अलमारी का दरवाजा ठीक से बंद नही हुआ था। मम्मी को जल्दी में कुछ और ना सूझा तो वो कपड़े की अलमारी के खुले हुए दरवाज़े को ज़ोर से बंद करने लगी।

इधर बाथरूम से बाहर निकलते ही सुनील ने देखा कि उस के कमरे का दरवाजा खुला हुआ है।

"ये मेरे कमरे का दरवाजा किस ने खोल दिया है। "अपने कमरे के खुले दरवाज़े को देख कर सुनील ने सोचा।

इस के साथ ही सुनील की नज़र अपने बिस्तर के साइड टेबल पर पड़े हुए "चाय" के कप पर पड़ी।

"ओह्ह्ह्ह! अच्छा लगता है कि मम्मी या रेखा चाय का कप रखने के बाद दरवाजा खुला छोड़ गईं हैं" साइड टेबल पर रखे हुए कप को देखते ही सुनील ने दुबारा सोचा।

इस के साथ ही अपनी अलमारी की तरफ गया और अलमारी में से अपनी एक पॅंट निकाल कर पहन ली। अपनी पॅंट पहन कर टेबल पर पड़ा हुआ चाय का कप अपने हाथ में उठाया। तो उस की नज़र अपने कमरे के खुले दरवाज़े से सामने के कमरे में जा कर अपनी मम्मी पर पड़ी।

जो उस वक्त कपड़ों वाली अलमारी के सामने खड़ी हो कर उस अलमारी को बंद करने की कॉसिश कर रही थी। अलमारी को बंद करने के दोरान मम्मी का मुँह तो अलमारी की तरफ था। जब कि उस की पीठ अपने बेटे की तरफ थी।

स्टोर की अलमारी को बंद करने की गर्ज से मम्मी को चूँकि अलमारी के दरवाज़े पर अपना पूरा ज़ोर लगाना पड़ रहा था। इस दौरान मम्मी आगे को झुकी हुई थी, जिस वजह से मम्मी की मोटी और भारी गान्ड पीछे से उपर की तरफ उठ गई थी।

मुझे मम्मी की मदद करनी चाहिए, "लगता है मम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं"अपनी मम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर सुनील को अंदाज़ा हुआ।

"मुझे जा कर अपनी मम्मी की मदद करने चाहिए" उस के दिल में ख्याल आया।

"रुक जा इधर और अपनी मम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार।" दूसरे ही लम्हे सुनील के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला और अपने लंड की मान कर अपनी मम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा।

" साले सुनील, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद नही सकते हो और अब अपनी ही सग़ी मम्मी को हवस भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर पापा को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे ?" सुनील के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया। लेकिन चाहने के बावजूद सुनील के ज़हन से अपनी मम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था।

इसीलिए हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी मम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा। अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी मम्मी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी मम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी।

अपनी मम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर सुनील का लंड एक बार फिर अपनी मम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था।

(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खासहियत रखी है, कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है।)

इसीलिए दूसरी तरफ मम्मी बे शक अपने बेटे की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी।
मगर इस के बावजूद मम्मी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी।

मम्मी बे शक सुनील की माँ थी। मगर माँ होने के साथ साथ मम्मी आख़िर कर एक औरत भी थी। और हर औरत की तरह मम्मी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था। अपनी जवानी और शादीशुदा जिंदगी में मम्मी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था।

मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने मम्मी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बाहर कर दिया। और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी। जिसे देख देख कर उस के बेटे की अपनी मम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी।

इधर जिस वक्त मम्मी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी। तो दूसरी तरफ उसी वक्त मै कमरे से निकल कर अपने भाई के कमरे की तरफ आ गई थी।

जब आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची। तो मेरी नज़र अपने भाई पर पड़ी। जो इस वक्त चाय का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी मम्मी के गरम जिस्म को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था।

जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था।

मै कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी। वहाँ से अपने भाई के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी। मगर स्टोर में मौजूद मम्मी को मेरी बरामदे में मौजूदगी का अहसास नही हो सकता था।

"ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है" ज्यों ही कमरे के बाहर से मेरी नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी। तो अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई।

सुनील को अपनी बहन के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ। और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी मम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था।

"देखूं तो सही मेरे भाई का लंड, आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला" मेरे दिल में ख्याल आया।

मेरी नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं। तो मेरी नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी मम्मी पर पड़ी। जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में लगी थी।

अपनी मम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया।

"उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे भाई का लंड अपनी सग़ी मम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है" मैने अपनी मम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी।

अपने भाई की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर मुझ को यकीन नही हो रहा था कि जो देख रही है। वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है।

इसी दौरान सुनील अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा । तो मेरी नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी मम्मी की तरफ गई।

इधर मम्मी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी।
अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख मम्मी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी। और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर मम्मी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी।

इसीलिए सुनील का ध्यान मम्मी से हटा। तो स्टोर में मौजूद मम्मी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने सुनील के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई । ।

इस के साथ मम्मी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो मम्मी के मुँह से एक "सिसकी" सी निकल गई।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

ये तो मम्मी की सिसकी की आवाज़ है अपनी मम्मी को यूँ अपने बेटे के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर मैने राहत की सांस ली, मेरे घर में घूम रहे हवसी सांड को अब मेरी मम्मी जैसी दुधारू गाय चढ़ने के लिए मिल गयी। और मैने ठान लिया बस अब जो भी हो कल जो लड़का मुझे देखने आ रहा है, चाहे जैसा भी हो मुझे उसके साथ शादी कर इस रण्डी खाने से बहुत दूर चले जाना है मै अपनी मम्मी की इस हरकत पर अंद्रूनी शर्मीदा हो गई। और जोर से खासते हुए आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई छत पर चली गई।

नेक्स्ट डे........सगाई के दिन घर में सगाई की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थी। आखिर वो दिन भी आ गया था जो हर लड़की कि जिंदगी में जरुरी होता है, सगाई के दिन मैंने पहली बार संजय को देखा, संजय सच में मुझसे कम सुंदर, उम्र में बड़ा और जोड़े में मैच नही खा रहा था। चूँकि लड़के वाले बहुत अमीर थे और पैसा सभी कमियाँ छिपा देता है, अच्छी बात ये थी कि
वो चाहते थे कि शादी का पूरा खर्चा वो करें, उन्हें तो बस लड़की चाहिए थी, इसलिए उनकी तरफ से बहुत सी ज्वैलरी आई उन्होंने एक बहुत महंगी साड़ी भी मेरे लिए भेजी।


बुजुर्गों की तरफ से तो रिश्ता तय हो चुका था. कुंडली मिलान, लेनदेन सब कुछ. बस, अब सब लड़का लड़की की आपसी बातचीत पर निर्भर था. बुजुर्गों ने तय किया कि लड़का लड़की आपस में बात कर एकदूसरे को समझ लें. कुछ पूछना हो तो आपस में पूछ लें. और हमें छत पर एकांत में भेज दिया गया.


संजय को शांत देख मैने कहा, ‘‘आप कुछ पूछना चाहते हैं?’’ संजय शरमीला था. संस्कारी परिवार से था. उस ने कहा, ‘‘नहीं, बुजुर्गों ने तो सब देख परख लिया है. उन्होंने तय किया है तो सब ठीक ही होगा. आप दिखने में अच्छी हैं. मुझे पसंद हैं, बस इतना पूछना था कि…’’ संजय पूछने में लड़खड़ाने लगा तो मुझ जैसी चुप छिनार, दुनियादारी की पढाई पढ़ी हुयी सभ्य, खेली खाई, हद से ज्यादा संस्कारी लड़की ने हँस कर कहा.....


‘‘पूछिए, निस्संकोच पूछिए, आखिर हमारी आप की जिंदगी का सवाल है.’’


संजय ने पूछा, ‘‘यह शादी आप की मरजी से… मेरे कहने का अर्थ यह है कि आप राजी हैं, आप खुश हैं न.’’


‘‘हां, मैने बड़ी सरलता और सहजता से कहा. नहीं होती तो पहले ही मना कर देती.’’


संजय चुप रहा. अब मैने कहा, ‘‘मैं भी कुछ पूछना चाहती हूं आखिर मेरी भी जिंदगी का सवाल है. उम्मीद है कि आप बुरा नहीं मानेंगे.’’


‘‘नहीं नहीं, निस्संकोच पूछिए,’’ संजय ने कहा. वह मन ही मन सोचने लगा, ‘लड़की पढ़ी लिखी है तो तेज तो होगी ही लेकिन इतनी बिंदास और बेबाक.’


‘‘आप का शादी के पहले कोई चक्कर, मेरा मतलब कोई अफेयर था क्या?’’


‘‘क्या,’’ संजय ने मेरी तरफ देखा.


‘‘अरे, आप घबरा क्यों गए? अमीर घराने से हो. इश्क वगैरा का शौक हो जाता है. इस में आश्चर्य की क्या बात है? सच बताना. एकदूसरे से क्या छिपाना?’’


‘‘जी, वह एक लड़की से. बस, यों ही कुछ दिन तक. अब सब खत्म है,’’ संजय ने झेंपते हुए कहा.


‘‘मेरा भी था,’’ मैने बेझिझक कहा. ‘‘अब नहीं है.’’


वो मेरा मुंह ताकने लगा.


‘‘क्यों, क्या हुआ? जब आप ने कहा तब
मैंने तो ऐसा रिएक्ट नहीं किया जैसा आप कर रहे हैं. आप ने तो पूछने पर बताया, मैं ने तो ईमानदारी से बिना पूछे ही बता दिया.’’


‘‘अच्छा, यह बताओ कि फैमिली बिजनेस ही संभालते हो या कोई और भी काम धंधा करते हो????


फेमिली बिजनिस् तो पूरा पापा और बड़ा भाई ही देखते हैं, मै तो अभी अभी फैक्ट्री में जाना शुरु किया है।


महीने में कितना कमा लेते हो?’’ मैने आगे पूछा.


‘‘जी, पापा 10 हजार रुपए.’’ खर्चा के देते है।


‘‘मैंने वेतन नहीं पूछा, टोटल कमाई पूछी है.’’
‘‘जी,‘‘यह क्या कह रही हैं आप?’’’’ संजय ने आश्चर्य से कहा.


‘‘फिर घर कैसे चलाएंगे 10 हजार रुपए में, खासकर शादी के बाद. कम से कम 5 हजार रुपए तो मेरे ऊपर ही खर्च होंगे. क्या शादी के बाद अपनी पत्नी को घुमाने नहीं ले जाएंगे. बाजार, सिनेमा, कपड़े, जेवर वगैरावगैरा.’’ संजय बेचारे के तो होश गुम थे. अच्छाखासा इंटरव्यू हो रहा था उस का. अब उसे लड़की बड़ी बेशर्म और उजड्ड मालूम हुई.


‘‘अच्छा, पापा से पगार बढ़ाने की बात बोलनी पड़ेगी.......... मै हंस कर बोली.


‘‘जी, बिलकुल.’’


फिर मैंने कहा, ‘‘देखो, शादी के बाद मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए. अपनी मां भाभी को पहले ही समझा कर रखना. मुझे सुबह आराम से उठने की आदत है और हां, शादी के बाद अकसर लड़झगड़ कर लड़के अलग हो जाते हैं. और सारी गलती बहुओं की गिना दी जाती है. सो अच्छा है कि हम पहले ही तय कर लें कि किसी भी बहाने से बिना लड़ाईझगड़े के अलग हो जाएं. दूसरी बात रही पहनावे की तो मुझे साड़ी पहनने की आदत नहीं है. कभी शौक से, कभी मजबूरी में पहन ली तो और बात है. मैं सलवारसूट, पहनती हूं और घर में बरमूड़ा, रात में नाइटी. बाद की टैंशन नहीं चाहिए, यह मत पहनो, वह मत करो, पहले ही बता देती हूं कि पूजापाठ मैं करती नहीं.’’


मै कहे जा रही थी और संजय सुने जा रहा था. संजय को लगा कि वह भी क्या समय था कि जब लड़की लजाते, शरमाते उत्तर देती थी, हां या न में. लड़का पूछता था, खाना बनाना आता है, गाना गाना जानती हो, कोई वाद्ययंत्र गिटार, सितार वगैरा बजा लेती हो, सिलाईबुनाई आती है, मेरे मातापिता का ध्यान रखना होगा और लड़की जीजी, हांहां करती रहती थी और अब जमाना इतना बदल गया.


उसे तो यह लगा मानो वह साक्षात्कार दे रहा हो. यह भी सही है कि अधिकतर जोड़े शादी के बाद अलग हो जाते हैं. दुल्हनें अपनी मांगों पर अड़ कर परिवार के 2 टुकड़े कर देती हैं. फिर अपनी मनमरजी का ओढ़नेपहनने से ले कर खाने में नमक, मिर्च कम ज्यादा होने पर सासबहू की खिचखिच शुरू हो जाती है. यह कह तो ठीक ही रही है, लेकिन शादी से पहले ही इतनी बेखौफ और निडर हो कर बात कर रही है तो बाद में न जाने क्या करेगी? यह तो नीति और मर्यादा के विरुद्ध हो गया. अभी पत्नी बनी नहीं और पहले से ही ये रंगढंग. संजय तो फिर लड़का था.

उस ने भी कहा, ‘‘शादी से पहले का भी बता दिया और शादी के बाद का भी. तुम से शादी करने का मतलब मांबाप, भाईबहन सब छोड़ दूं, तुम्हारे शौक पूरे करता रहूं. कर्तव्य एक भी नहीं और अधिकार गिना दिए. यह क्या बात हुई?’’

मैने कहा, ‘‘जो होता ही है वह बता दिया तो क्या गुनाह किया. सच ही तो कहा है, इस में क्या जुर्म हो गया.’’

‘‘यह कोई तरीका है कहने का. यह कहती कि तुम्हारा घर संभालूंगी, बड़ेबूढ़ों का आदर करूंगी, सब का ध्यान रखूंगी तो अच्छा लगता.’’

‘‘ये सब तो आया के काम हैं. बाई है घर पर काम वाली या हमेशा मुझ से ही सब करवाने के चक्कर में हो. धोबिन भी मैं, बरतन, झाड़ूपोंछा वाली भी मैं. पत्नी चाहिए या नौकरानी,’’

संजय भी उत्तर देने लगा, ‘‘क्या जो पत्नियां अपने घर का काम करती हैं वे नौकरानी होती हैं?’’

‘‘अरे, आप तो नाराज हो गए,’’ मैने अपनी हंसी दबाते हुए कहा. अमीर फैमिली से हो, कमाई तो होगी ही. फिर मेरे पिता दहेज में वाशिंग मशीन तो देंगे ही, कपड़े धुलाई का काम आसान हो जाएगा. मैं तो कुछ बातें पहले से ही स्पष्ट कर रही हूं जैसे मुझे 3-4 सीरियल देखने का शौक है और उन्हें मैं कभी मिस नहीं करती. अब ऐसे में कोई काम बताए तो मैं तो टस से मस नहीं होने वाली, अपने दहेज के टीवी पर देखूंगी. चिंता मत करना. किसी और के मनपसंद सीरियल के बीच में नहीं घुसूंगी.

संजय के चेहरे के बदलते रंग को देख कर मैने कहा, ‘‘आप को बुरा तो लग रहा होगा, लेकिन ये सब नौर्मल बातें हैं जो हर घर में होती हैं. मेरी ईमानदारी और साफगोई पर आप को खुश होना चाहिए और आप हैं कि नाराज दिख रहे हैं.’’

‘‘नहीं, मैं नाराज नहीं हूं ना मुझे कुछ कहना है,’’ संजय ने कहा.... . !

‘‘हां, मुझे गोलगप्पे, चाट, पकोड़ी खाने का बड़ा शौक है, कम से कम हफ्ते में एक बार तो ले ही जाना होगा.’’ मै बोले जा रही थी, बोले जा रही थी. बेवकूफ थी, कमअक्ल थी. समझ नहीं आ रहा था संजय को.

मैने फिर पूछा, ‘‘सुनो, तुम शराब, सिगरेट तो नहीं पीते. तंबाकू तो नहीं खाते.’’

‘‘जी…जी…’’ संजय की जबान फिर लड़खड़ाई.

‘‘जी…जी, क्या हां या नहीं,’’ मैने थोड़े तेज स्वर में पूछा.

अब आप ने इतना सच बोला है तो मैं भी क्यों झूठ बोलूं. कभीकभी दोस्तों के साथ पार्टी वगैरा में. संजय ने जबाब दिया।

‘‘देखो, मुझे शराब और सिगरेट से सख्त नफरत है. इस की बदबू से जी मिचलाने लगता है. तंबाकू खा कर बारबार थूकने वालों से तो मुझे घिन आती है. सब छोड़ना होगा. पहले सोच लो.

संजय ने एक लंबी सांस ली और कुछ शर्ते, नियम कहना बांकी रह गया हो तो वो भी बता दीजिये..... रेखा जी...??

उस समय संजय की शकल देखकर मुझे हँसी आ गयी। ह्म्म्म ह्म्म्म ह्म्म्म नही और कुछ नहीं बस मेरे को जो जानना था जान लिया और आपको कुछ और पूछना हो तो आप पूछ सकते है.....???

नही जी मुझे भी नही पूछना... संजय भी मुस्कुरा कर बोला।

तो फिर चले नीचे...???? और हम दोनों नीचे आ गये। सगाई किसी तरह अच्छे से निपट गई, सगाई की थकावट में पूरा शरीर टूट रहा था इसलिए मैं अपने कमरे मे गई और भविष्य के सपनो का आनन्द लेने लगी।

हम दोनों की 15 दिन बाद शादी की बात पक्की हो चुकी थी तीन चार दिन बाद फोन पर देर तक रातों में बातों का दौर भी शुरु हो गया था, इसलिए संजय ने मुझ से मिलने की जिद की, जिसे मैने मान लिया।

मैंने संजय को फोन किया और उसे सन् सिटी माल पर बुलाया, जब मैं संजय से मिली तो मैं बहुत खुश हुई क्योंकि संजय को देखने का मेरा नजरिया बदल गया था। मुझे लगा अब मुझे कहीं बाहर मुँह मारने की और घर में घूम रहे भाई रूपी सांड से गांड मराने की जरुरत नहीं होगी।

कुछ वक्त साथ बिताने के बाद मैंने संजय से विदा मांगी तो संजय बोला- तुम मेरी होने वाली पत्नी हो, तुम share ऑटो में जाओ, अच्छा नहीं लगता !

संजय ने किसी को फोन मिलाया और थोड़ी ही देर में एस.यू.वी. हमारे सामने थी। मैं और संजय पीछे बैठ गए और ड्राईवर कार चला रहा था। सबसे पहले संजय ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, यह मेरे लिए कोई नया नहीं था और मैं जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है मैंने कोई विरोध नहीं किया और धीरे-धीरे मेरे होंठो की तरफ बढ़ा और मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने कोई विरोध नहीं किया, मगर फिर भी संजय मुझे सॉरी बोलने लगा।

मैंने कहा- कोई बात नहीं ! कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और मैं तुम्हारी होने वाली पत्नी हूँ।

इसके बाद संजय मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने तुरंत ही उसे हटा दिया, मैंने सोचा कहीं उसे यह ना लगे कि मैं चरित्रहीन हूँ। ह्म्म्म..... थोड़ी ही देर में मेरा घर आ गया, संजय शरमा रहा था इसलिए मैने खुद ही उसे गुडबाय किस दे दिया। उस शाम में ही मैंने संजय को अपना दीवाना बना दिया था।

उधर घर के अंदर एक ड्रामा शुरू हो चुका था। घर में सिर्फ माँ और बेटे ही थे। सुनील चाहता था उसकी बहन रेखा की शादी हो और ये रिश्ता टूट जाये लेकिन वो सामने से साफ मना तो नही कर सकता था क्योकि रिश्तें में कोई कमी नही थी। तो उसने मम्मी को बातों में फँसाने का सोचा। और ऐसी शर्मनाक हरकत की जिसे कोई भी भाई कभी सोच नही सकता।
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
रेखा तो बहुत advansh निकली बिना शर्माए सब कुछ पूछ लिया संजय सीधा सादा लग रहा है रेखा संजय पर भारी पड़ने वाली है
संजय को अपनी ही फैक्ट्री से दस हजार रूपए मिल रहे हैं ये समझ में नही आ रहा है
मां बेटे के बीच आंख मिचौली का खेल चल रहा है अब आखिर सुनील ने क्या कर दिया है??
 

Rekha rani

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Awesome update, lekin ma bete ka scene kuchh smajh nahi aaya , beta pahle ma ko balakmail kar chuka tha aur chudayi ki bat ho chuki thi to ab ye sab kya chal raha tha, kuchh jod nahi ban raha hai,
Thanks. नही जी ऐसा नही है, आपने ठीक से पढ़ा नही है, या फिर मै confuse हू... ठीक से बताइये कहाँ जोड़ नही बन रहा। जिससे भूल सुधार सकू।
 
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