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Thriller शतरंज की चाल

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Hamari police har chij janne ke liye maar pit ka hi sahara leti hai ,jabki ye totally unlegal hai aur police statment ki court me koi value bhi nahi hoti ,naa jane kab ye hath pair chalane ki jagah dimag chalayenge, isliye apradhi aaram se court se bari ho jate hai sabuto ke aabhaw me aur innocent log faltu ki maar khate rah jaate hai ..

धन्यवाद डॉक्टर साहब 🙏🏼

तभी तो भारतीय पुलिस है, कहानी में भी नहीं बदलेगी 😂
क्योंकि पूरी दुनिया में सिर्फ़ भारत में पुलिस भर्ती आपकी काबिलियत जांच कर नहीं ......

स्कूल सर्टिफिकेट, आरक्षण कोटा, लम्बाई, मेडिकल फिटनेस, सिफारिश और रिश्वत के आधार पर होती है
 
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जैसा कि हमारे डाॅक्टर साहब ने कहा , पुलिस के थर्ड डिग्री टॉर्चर से अभियुक्त गुनाह भले ही कबूल कर ले पर अदालत मे इस कबूलनामे की कोई अहमियत नही है ।
हां , अगर जज के सामने अभियुक्त गुनाह कबूल करे तो यह अभियुक्त के खिलाफ पक्का साक्ष्य बनता है ।
( लेकिन इस सब की विडिओ रिकार्डिंग होती है )

वैसे यह टॉर्चर वगैरह चीजें सामान्य चोर , साधारण इंसान पर ही होता है । बड़े बड़े रसूखदार लोगों पर टॉर्चर नही होता । अधिक से अधिक नार्को और पाॅलोग्राफी टेस्ट के जरिए सच्चाई जानने की कोशिश की जाती है लेकिन इस टेस्ट के साथ बिडम्बना यह है कि हमारे देश मे नार्को और पाॅलीग्राफी पर संविधान मे कोई प्रावधान नही है इसलिए अदालत मे इसकी भी कोई अहमियत नही होती ।

मेरा अभी भी मानना है कि मनीष को इस झमेले से सिर्फ रजत मित्तल साहब की गवाही ही बचा सकती है । मित्तल साहब को षड्यंत्र के बारे मे बहुत कुछ पता है । और अगर मित्तल साहब और मनीष के बीच इस विषय पर बातें हुई होती तब प्रमुख साजिश कर्ता के बारे मे भी शायद कुछ न कुछ खुलासा हो गया होता ।
इसी वजह से उनकी हत्या करने की कोशिश हुई थी ।

मुझे मित्तल साहब की पत्नी और बेटी पर शक है । शायद वह दोनो मनीष के बढ़ते प्रभाव और कद से प्रसन्न नही होंगे ।
मौका-ए-वारदात पर प्रिया का अचानक पहुंचना और मनीष साहब के हाथ मे आला - ए - कत्ल का पाया जाना संयोग लगता नही है ।

खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
 
Last edited:

Ajju Landwalia

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#अपडेट ३३

अब तक आपने पढ़ा -

मैने हां में गर्दन हिला कर उन दोनों के साथ नीचे की ओर चल दिया। नीचे बेसमेंट पार्किंग में एक पुलिस की कार लगी थी, और मुझे उसी में बैठ कर बाहर ले जाया गया। गेट पर करते ही मुझे शिविका गेट के बाहर खड़ी दिखी, शायद किसी का इंतजार कर रही थी....

अब आगे -

मुझे पुलिस हैडक्वाटर ले जाया गया, और एक कमरे में बैठा दिया गया। इस कमरे में एक पलंग लगा था, और कुछ कुर्सियां थी। और एक पंखा और लाइट। कोई खिड़की नहीं थी इसमें।

मुझे पलंग पर बैठने बोला गया, और वो लोग दरवाजा बाहर से बंद करके चले गए। मेरे हाथ खुले थे। कुछ समय बाद दरवाजा खुला और SP अमरकांत अंदर आए, उनके साथ वही इंस्पेक्टर था जिसने मुझे हॉस्पिटल में साथ चलने कहा था।

"और कुछ चाय पानी पिलाया की नहीं इनको, हरीश।" बैठते हुए अमरकांत ने उस इंस्पेक्टर से पूछा।

"अभी नहीं सर।"

"ठीक है दो चाय मंगवाओ।"

"और मनीष बाबू, बहुत छकाया हमे अपने। क्या किया जाय आपके साथ अब?"

"देखिए मैने कुछ नहीं किया।" मैने घबराते हुए कहा।

"वो तो हम पता ही कर लेंगे। या तो आप सीधे से बताइए या फिर हम अपना तरीके से पूछेंगे।"

तब तक चाय आ चुकी थी।

"लीजिए चाय पीजिए। और जब मन हो बताने का, बस दरवाजा खटखटा दीजिएगा। फिलहाल आप समर के दोस्त हैं, और उसकी थ्योरी के मुताबिक अपने कुछ नहीं किया। आपके कॉल रिकॉर्डिंग भी सुनी है मैने। लेकिन वो कोई सबूत नहीं है आपके पक्ष में। क्योंकि वाल्ट की सारी एक्सेस आपके पास ही थी, लुटेरे आपके इश्यू किए हुए पास से अंदर आए। मित्तल साहब के पास भी आपही पाए गए। ये सारे सबूत आपके खिलाफ है मनीष बाबू। बस दो कड़ी नहीं मिल रही, हथियार वाल्ट के अंदर कैसे पहुंचा और फॉर्महाउस से नेहा से साथ और कौन भागा था?"

"देखिए मैं सच कह रहा हूं, मैने इनमें से कुछ भी नहीं किया।"

"मैं अभी बताने कह भी नहीं रहा आपको। समर के दोस्त हैं आप, कुछ करने से पहले सब मौका आपको दूंगा मैं।"

"पर आप लोग ने मुझे पकड़ा कैसे?"

"पुलिस का क्या आप बेवकूफ समझते हैं? पिछले चार दिन से आप आईसीयू वार्ड में हैं, न किसी से बात कर रहे हैं, न किसी मरीज की खोज खबर ले रहे हैं, बस आते हैं और बैठ जाते हैं। हमें आप पर शक क्यों नहीं होता? बस हमने आपकी फोटो ली और दाढ़ी मूंछ हटा कर देख लिया आप कौन हो।"

"मतलब किसी ने बताया नहीं आपको मेरे बारे में?"

"वैसे तो ये किसी सस्पेक्ट को बताना बनता नहीं है, पर सच में किसी ने नहीं बताया कि आप हॉस्पिटल में मौजूद हैं।"

मैने एक राहत की सांस ली। अब तक चाय भी खत्म हो चुकी थी। अमरकांत अपनी कुर्सी से खड़े हो कर

"मनीष बाबू, अब चलता हूं, भूख लगी हो तो बताइए, खाना भी भिजवा दूंगा। वैसे अब भूख तो मर ही है होगी आपकी।" एक टेडी मुस्कान के साथ अमरकांत ने मुझे बोला, और बाहर निकल गया।

हरीश ने मुझसे कहा, "तीन साल से इनके साथ हूं मैं, आज पहली बार देखा है कि किसी मुजरिम के साथ ऐसे पेश आ रहे हैं। वरना आते ही टॉर्चर शुरू कर देता हैं। वैसे भी अभी आपकी गिरफ्तारी ऑफिशियल नहीं दिखाई गई है। सारा सच जल्द से जल्द बता दीजिए, वरना कब इनका दिमाग घूम जाए, कुछ पता नहीं।"


हरीश ने एक वार्निंग दी थी मुझे।

"बुला लो उनको, जो बोलना है अभी ही बोलूंगा।" मैंने कहा।

कुछ देर बाद अमरकांत वापस मेरे पास आए। इस बार एक वीडियो कैमरा भी उनके साथ था। उसको सेट करने के बाद,

"बोलिए मनीष जी, क्या कहना है आपका?"

मैने भी शुरू से लेकर अभी अपने पकड़े जाने तक की सारी बात बता दी। सब सुनने के बाद।

"देखिए मनीष जी, आपने जो कहा वो सब हम लोग को पता ही है। समर ने भी यही थ्योरी बनाई थी। और कुछ ऐसा जो नया हो?"

"नहीं, मैने सब सच बता दिया आपको।"

"अगर जो आपके इस बयान को सच मानू तो आप लूट में शामिल नहीं थे। लेकिन मित्तल सर पर जो हमला किया उसका क्या?"

"क्या उन्होंने अपना बयान नहीं दिया?"

"हां दिया न, उनका कहना है कि उन्होंने गोली मारने वाले को नहीं देखा। पहले पीठ में गोली लगी उनको, और फिर वो बेहोश हो गए तो उन्हें नहीं पता किसने मारी गोली उनको। लेकिन आपको रिवॉल्वर के साथ प्रिया और मिसेज मित्तल ने देखा। फिर? और आपके अलावा कोई और बाहर का आदमी नहीं गया मेंशन में। इस मामले में तो बहुत सबूत हैं आपके खिलाफ।"

ये सुन कर मुझे एक और झटका लगा।

"और कुछ बताना रह गया हो तो बता दो मनीष बाबू।" अमरकांत ने फिर कहा मुझसे।

"बस समर को आ जाने दीजिए, वो बहुत सारी इनफॉर्मेशन ले कर आएगा।"

"समर तो अपने घर गया है, वो कौन सी इनफॉर्मेशन ले आएगा?"

" वो नेहा के अतीत को खंगालने गया है, और हम दोनो के यकीन है कि उससे ही सब सुलझ जाएगा।"

मेरी ये बात सुनते ही अमरकांत ने अपना फोन निकला और कहीं फोन लगाया। कुछ देर बाद, "समर का फोन स्विच ऑफ बता रहा है मनीष जी। खैर कल तक की छुट्टी है उसकी, हम कल तक देखते हैं, फिर उसके बाद न मैं आपकी गिरफ्तारी छुपा सकता हूं, और न आपको बचा सकता हूं।"

ये बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गए। और थोड़ी देर बाद खाना भी आ गया मेरे लिए।

खाना खा कर मैं सोच में डूब गया।

"इन कुछ दिनों में मैने इतने धोखे खाए हैं कि अब मुझे किसी पर विश्वास नहीं हो रहा। शिविका की चिट्ठी झूठ नहीं थी लेकिन, वो मुझसे सच में प्यार करती है। और शायद इसीलिए नेहा और मेरे संबंध के जानने के बाद वो मुझसे कटी कटी रहने लगी। वैसे तो वो मुझे अच्छी लगती थी, मगर मैं ही खुद को मित्तल सर की फैमिली से दूर रखता आया था, क्या इसी कारण शिविका के इशारे मुझे समझ नहीं आ रहे थे? दूसरी तरफ समर, क्या कहूं उसको मैं दोस्त या तारणहार, लेकिन अब उसका फोन क्यों स्विचऑफ है? वैसे तो अभी तक तो समर ने ऐसा कुछ किया नहीं कि उस पर शक करूं, लेकिन वो भी तो इंदौर का ही है रहने वाला, क्या वही बिट्टू तो नहीं? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?"

यही सब सोचते सोचते मेरी आंख लग गई। सुबह एक हवलदार ने मुझे उठाया और अपने साथ ले कर चला गया बाथरूम वगैरा के लिए। मैं फ्रेश हो कर वापस उसी कमरे में आ गया। आज का दिन भी ऐसे ही निकल गया। शाम को अमरकांत मेरे पास आया, और मुझे कुछ घंटों की मोहलत और दे दी। देर रात तक तो समर नहीं ही आया था।

अगले दिन सुबह मुझे उठाने हरीश आया।

"मनीष जी अब चलिए, अब हम आपकी और सहायता नहीं कर सकते, क्योंकि मीडिया को आपके यहां पर होने की खबर लग गई है, और अब आपकी गिरफ्तारी हम छुपा नहीं सकते।"

"क्या समर से कोई कॉन्टेक्ट हुआ, या वो आया?" मैने उससे पूछा।

"नहीं।"

ये बोल कर वो मुझे अपने साथ ले कर ऑफिस में गया और कुछ जगह मेरे सिग्नेचर करवा कर इंटेरोगेशन रूम में ले गया, जहां दो और लोग मौजूद थे। ये दोनों बहुत हट्टे कट्टे आदमी थे, और दोनों बिना शर्ट के थे, देख कर ही डर लग रहा था उनको।

वहां जाते ही मुझे दोनों हाथ बांध कर लटका दिया गया और वो लोग मुझसे बोले, "मनीष जी सच सच बता दीजिए, हम फिर से आपसे कह रहे हैं, वरना हमको आपको मजबूरन टॉर्चर करना पड़ेगा।"

"मैने सब सच ही बताया है sp साहब को।"


मेरे ये बोलते ही वो दोनों और हरीश मेरे ऊपर डंडे बरसाने लगे, कुछ देर तो मैं सहता रहा, पर जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं बेहोश हो गया.....

Bahut hi shandar update he Riky007 Bhai,

Lo jo lag gaye laude manish ke............khud ko james bond ke chacha samajh rahe the.............

Samar ka bhi abhi tak kuch ata pata nahi............

Keep rocking Bro
 

Napster

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#अपडेट ३३

अब तक आपने पढ़ा -

मैने हां में गर्दन हिला कर उन दोनों के साथ नीचे की ओर चल दिया। नीचे बेसमेंट पार्किंग में एक पुलिस की कार लगी थी, और मुझे उसी में बैठ कर बाहर ले जाया गया। गेट पर करते ही मुझे शिविका गेट के बाहर खड़ी दिखी, शायद किसी का इंतजार कर रही थी....

अब आगे -

मुझे पुलिस हैडक्वाटर ले जाया गया, और एक कमरे में बैठा दिया गया। इस कमरे में एक पलंग लगा था, और कुछ कुर्सियां थी। और एक पंखा और लाइट। कोई खिड़की नहीं थी इसमें।

मुझे पलंग पर बैठने बोला गया, और वो लोग दरवाजा बाहर से बंद करके चले गए। मेरे हाथ खुले थे। कुछ समय बाद दरवाजा खुला और SP अमरकांत अंदर आए, उनके साथ वही इंस्पेक्टर था जिसने मुझे हॉस्पिटल में साथ चलने कहा था।

"और कुछ चाय पानी पिलाया की नहीं इनको, हरीश।" बैठते हुए अमरकांत ने उस इंस्पेक्टर से पूछा।

"अभी नहीं सर।"

"ठीक है दो चाय मंगवाओ।"

"और मनीष बाबू, बहुत छकाया हमे अपने। क्या किया जाय आपके साथ अब?"

"देखिए मैने कुछ नहीं किया।" मैने घबराते हुए कहा।

"वो तो हम पता ही कर लेंगे। या तो आप सीधे से बताइए या फिर हम अपना तरीके से पूछेंगे।"

तब तक चाय आ चुकी थी।

"लीजिए चाय पीजिए। और जब मन हो बताने का, बस दरवाजा खटखटा दीजिएगा। फिलहाल आप समर के दोस्त हैं, और उसकी थ्योरी के मुताबिक अपने कुछ नहीं किया। आपके कॉल रिकॉर्डिंग भी सुनी है मैने। लेकिन वो कोई सबूत नहीं है आपके पक्ष में। क्योंकि वाल्ट की सारी एक्सेस आपके पास ही थी, लुटेरे आपके इश्यू किए हुए पास से अंदर आए। मित्तल साहब के पास भी आपही पाए गए। ये सारे सबूत आपके खिलाफ है मनीष बाबू। बस दो कड़ी नहीं मिल रही, हथियार वाल्ट के अंदर कैसे पहुंचा और फॉर्महाउस से नेहा से साथ और कौन भागा था?"

"देखिए मैं सच कह रहा हूं, मैने इनमें से कुछ भी नहीं किया।"

"मैं अभी बताने कह भी नहीं रहा आपको। समर के दोस्त हैं आप, कुछ करने से पहले सब मौका आपको दूंगा मैं।"

"पर आप लोग ने मुझे पकड़ा कैसे?"

"पुलिस का क्या आप बेवकूफ समझते हैं? पिछले चार दिन से आप आईसीयू वार्ड में हैं, न किसी से बात कर रहे हैं, न किसी मरीज की खोज खबर ले रहे हैं, बस आते हैं और बैठ जाते हैं। हमें आप पर शक क्यों नहीं होता? बस हमने आपकी फोटो ली और दाढ़ी मूंछ हटा कर देख लिया आप कौन हो।"

"मतलब किसी ने बताया नहीं आपको मेरे बारे में?"

"वैसे तो ये किसी सस्पेक्ट को बताना बनता नहीं है, पर सच में किसी ने नहीं बताया कि आप हॉस्पिटल में मौजूद हैं।"

मैने एक राहत की सांस ली। अब तक चाय भी खत्म हो चुकी थी। अमरकांत अपनी कुर्सी से खड़े हो कर

"मनीष बाबू, अब चलता हूं, भूख लगी हो तो बताइए, खाना भी भिजवा दूंगा। वैसे अब भूख तो मर ही है होगी आपकी।" एक टेडी मुस्कान के साथ अमरकांत ने मुझे बोला, और बाहर निकल गया।

हरीश ने मुझसे कहा, "तीन साल से इनके साथ हूं मैं, आज पहली बार देखा है कि किसी मुजरिम के साथ ऐसे पेश आ रहे हैं। वरना आते ही टॉर्चर शुरू कर देता हैं। वैसे भी अभी आपकी गिरफ्तारी ऑफिशियल नहीं दिखाई गई है। सारा सच जल्द से जल्द बता दीजिए, वरना कब इनका दिमाग घूम जाए, कुछ पता नहीं।"


हरीश ने एक वार्निंग दी थी मुझे।

"बुला लो उनको, जो बोलना है अभी ही बोलूंगा।" मैंने कहा।

कुछ देर बाद अमरकांत वापस मेरे पास आए। इस बार एक वीडियो कैमरा भी उनके साथ था। उसको सेट करने के बाद,

"बोलिए मनीष जी, क्या कहना है आपका?"

मैने भी शुरू से लेकर अभी अपने पकड़े जाने तक की सारी बात बता दी। सब सुनने के बाद।

"देखिए मनीष जी, आपने जो कहा वो सब हम लोग को पता ही है। समर ने भी यही थ्योरी बनाई थी। और कुछ ऐसा जो नया हो?"

"नहीं, मैने सब सच बता दिया आपको।"

"अगर जो आपके इस बयान को सच मानू तो आप लूट में शामिल नहीं थे। लेकिन मित्तल सर पर जो हमला किया उसका क्या?"

"क्या उन्होंने अपना बयान नहीं दिया?"

"हां दिया न, उनका कहना है कि उन्होंने गोली मारने वाले को नहीं देखा। पहले पीठ में गोली लगी उनको, और फिर वो बेहोश हो गए तो उन्हें नहीं पता किसने मारी गोली उनको। लेकिन आपको रिवॉल्वर के साथ प्रिया और मिसेज मित्तल ने देखा। फिर? और आपके अलावा कोई और बाहर का आदमी नहीं गया मेंशन में। इस मामले में तो बहुत सबूत हैं आपके खिलाफ।"

ये सुन कर मुझे एक और झटका लगा।

"और कुछ बताना रह गया हो तो बता दो मनीष बाबू।" अमरकांत ने फिर कहा मुझसे।

"बस समर को आ जाने दीजिए, वो बहुत सारी इनफॉर्मेशन ले कर आएगा।"

"समर तो अपने घर गया है, वो कौन सी इनफॉर्मेशन ले आएगा?"

" वो नेहा के अतीत को खंगालने गया है, और हम दोनो के यकीन है कि उससे ही सब सुलझ जाएगा।"

मेरी ये बात सुनते ही अमरकांत ने अपना फोन निकला और कहीं फोन लगाया। कुछ देर बाद, "समर का फोन स्विच ऑफ बता रहा है मनीष जी। खैर कल तक की छुट्टी है उसकी, हम कल तक देखते हैं, फिर उसके बाद न मैं आपकी गिरफ्तारी छुपा सकता हूं, और न आपको बचा सकता हूं।"

ये बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गए। और थोड़ी देर बाद खाना भी आ गया मेरे लिए।

खाना खा कर मैं सोच में डूब गया।

"इन कुछ दिनों में मैने इतने धोखे खाए हैं कि अब मुझे किसी पर विश्वास नहीं हो रहा। शिविका की चिट्ठी झूठ नहीं थी लेकिन, वो मुझसे सच में प्यार करती है। और शायद इसीलिए नेहा और मेरे संबंध के जानने के बाद वो मुझसे कटी कटी रहने लगी। वैसे तो वो मुझे अच्छी लगती थी, मगर मैं ही खुद को मित्तल सर की फैमिली से दूर रखता आया था, क्या इसी कारण शिविका के इशारे मुझे समझ नहीं आ रहे थे? दूसरी तरफ समर, क्या कहूं उसको मैं दोस्त या तारणहार, लेकिन अब उसका फोन क्यों स्विचऑफ है? वैसे तो अभी तक तो समर ने ऐसा कुछ किया नहीं कि उस पर शक करूं, लेकिन वो भी तो इंदौर का ही है रहने वाला, क्या वही बिट्टू तो नहीं? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?"

यही सब सोचते सोचते मेरी आंख लग गई। सुबह एक हवलदार ने मुझे उठाया और अपने साथ ले कर चला गया बाथरूम वगैरा के लिए। मैं फ्रेश हो कर वापस उसी कमरे में आ गया। आज का दिन भी ऐसे ही निकल गया। शाम को अमरकांत मेरे पास आया, और मुझे कुछ घंटों की मोहलत और दे दी। देर रात तक तो समर नहीं ही आया था।

अगले दिन सुबह मुझे उठाने हरीश आया।

"मनीष जी अब चलिए, अब हम आपकी और सहायता नहीं कर सकते, क्योंकि मीडिया को आपके यहां पर होने की खबर लग गई है, और अब आपकी गिरफ्तारी हम छुपा नहीं सकते।"

"क्या समर से कोई कॉन्टेक्ट हुआ, या वो आया?" मैने उससे पूछा।

"नहीं।"

ये बोल कर वो मुझे अपने साथ ले कर ऑफिस में गया और कुछ जगह मेरे सिग्नेचर करवा कर इंटेरोगेशन रूम में ले गया, जहां दो और लोग मौजूद थे। ये दोनों बहुत हट्टे कट्टे आदमी थे, और दोनों बिना शर्ट के थे, देख कर ही डर लग रहा था उनको।

वहां जाते ही मुझे दोनों हाथ बांध कर लटका दिया गया और वो लोग मुझसे बोले, "मनीष जी सच सच बता दीजिए, हम फिर से आपसे कह रहे हैं, वरना हमको आपको मजबूरन टॉर्चर करना पड़ेगा।"

"मैने सब सच ही बताया है sp साहब को।"

मेरे ये बोलते ही वो दोनों और हरीश मेरे ऊपर डंडे बरसाने लगे, कुछ देर तो मैं सहता रहा, पर जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं बेहोश हो गया.....
गजब गजब क्या जबरदस्त और खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये समर भी गायब हो गया, मित्तल साहेब का भी बयान मनिष के कोई काम नहीं आया
मनिष के सच पर कोई विश्वास नहीं रख रहा वैसे सारे सबुत उसके खिलाफ ही हैं
अब अमरकांत का पुलिसीया खेल शुरु हो गया टार्चर
तो क्या मनिष वो झेल पायेगा या शिविका कुछ मदत कर पायेगी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

ayush01111

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अब तक आपने पढ़ा -

मैने हां में गर्दन हिला कर उन दोनों के साथ नीचे की ओर चल दिया। नीचे बेसमेंट पार्किंग में एक पुलिस की कार लगी थी, और मुझे उसी में बैठ कर बाहर ले जाया गया। गेट पर करते ही मुझे शिविका गेट के बाहर खड़ी दिखी, शायद किसी का इंतजार कर रही थी....

अब आगे -

मुझे पुलिस हैडक्वाटर ले जाया गया, और एक कमरे में बैठा दिया गया। इस कमरे में एक पलंग लगा था, और कुछ कुर्सियां थी। और एक पंखा और लाइट। कोई खिड़की नहीं थी इसमें।

मुझे पलंग पर बैठने बोला गया, और वो लोग दरवाजा बाहर से बंद करके चले गए। मेरे हाथ खुले थे। कुछ समय बाद दरवाजा खुला और SP अमरकांत अंदर आए, उनके साथ वही इंस्पेक्टर था जिसने मुझे हॉस्पिटल में साथ चलने कहा था।

"और कुछ चाय पानी पिलाया की नहीं इनको, हरीश।" बैठते हुए अमरकांत ने उस इंस्पेक्टर से पूछा।

"अभी नहीं सर।"

"ठीक है दो चाय मंगवाओ।"

"और मनीष बाबू, बहुत छकाया हमे अपने। क्या किया जाय आपके साथ अब?"

"देखिए मैने कुछ नहीं किया।" मैने घबराते हुए कहा।

"वो तो हम पता ही कर लेंगे। या तो आप सीधे से बताइए या फिर हम अपना तरीके से पूछेंगे।"

तब तक चाय आ चुकी थी।

"लीजिए चाय पीजिए। और जब मन हो बताने का, बस दरवाजा खटखटा दीजिएगा। फिलहाल आप समर के दोस्त हैं, और उसकी थ्योरी के मुताबिक अपने कुछ नहीं किया। आपके कॉल रिकॉर्डिंग भी सुनी है मैने। लेकिन वो कोई सबूत नहीं है आपके पक्ष में। क्योंकि वाल्ट की सारी एक्सेस आपके पास ही थी, लुटेरे आपके इश्यू किए हुए पास से अंदर आए। मित्तल साहब के पास भी आपही पाए गए। ये सारे सबूत आपके खिलाफ है मनीष बाबू। बस दो कड़ी नहीं मिल रही, हथियार वाल्ट के अंदर कैसे पहुंचा और फॉर्महाउस से नेहा से साथ और कौन भागा था?"

"देखिए मैं सच कह रहा हूं, मैने इनमें से कुछ भी नहीं किया।"

"मैं अभी बताने कह भी नहीं रहा आपको। समर के दोस्त हैं आप, कुछ करने से पहले सब मौका आपको दूंगा मैं।"

"पर आप लोग ने मुझे पकड़ा कैसे?"

"पुलिस का क्या आप बेवकूफ समझते हैं? पिछले चार दिन से आप आईसीयू वार्ड में हैं, न किसी से बात कर रहे हैं, न किसी मरीज की खोज खबर ले रहे हैं, बस आते हैं और बैठ जाते हैं। हमें आप पर शक क्यों नहीं होता? बस हमने आपकी फोटो ली और दाढ़ी मूंछ हटा कर देख लिया आप कौन हो।"

"मतलब किसी ने बताया नहीं आपको मेरे बारे में?"

"वैसे तो ये किसी सस्पेक्ट को बताना बनता नहीं है, पर सच में किसी ने नहीं बताया कि आप हॉस्पिटल में मौजूद हैं।"

मैने एक राहत की सांस ली। अब तक चाय भी खत्म हो चुकी थी। अमरकांत अपनी कुर्सी से खड़े हो कर

"मनीष बाबू, अब चलता हूं, भूख लगी हो तो बताइए, खाना भी भिजवा दूंगा। वैसे अब भूख तो मर ही है होगी आपकी।" एक टेडी मुस्कान के साथ अमरकांत ने मुझे बोला, और बाहर निकल गया।

हरीश ने मुझसे कहा, "तीन साल से इनके साथ हूं मैं, आज पहली बार देखा है कि किसी मुजरिम के साथ ऐसे पेश आ रहे हैं। वरना आते ही टॉर्चर शुरू कर देता हैं। वैसे भी अभी आपकी गिरफ्तारी ऑफिशियल नहीं दिखाई गई है। सारा सच जल्द से जल्द बता दीजिए, वरना कब इनका दिमाग घूम जाए, कुछ पता नहीं।"


हरीश ने एक वार्निंग दी थी मुझे।

"बुला लो उनको, जो बोलना है अभी ही बोलूंगा।" मैंने कहा।

कुछ देर बाद अमरकांत वापस मेरे पास आए। इस बार एक वीडियो कैमरा भी उनके साथ था। उसको सेट करने के बाद,

"बोलिए मनीष जी, क्या कहना है आपका?"

मैने भी शुरू से लेकर अभी अपने पकड़े जाने तक की सारी बात बता दी। सब सुनने के बाद।

"देखिए मनीष जी, आपने जो कहा वो सब हम लोग को पता ही है। समर ने भी यही थ्योरी बनाई थी। और कुछ ऐसा जो नया हो?"

"नहीं, मैने सब सच बता दिया आपको।"

"अगर जो आपके इस बयान को सच मानू तो आप लूट में शामिल नहीं थे। लेकिन मित्तल सर पर जो हमला किया उसका क्या?"

"क्या उन्होंने अपना बयान नहीं दिया?"

"हां दिया न, उनका कहना है कि उन्होंने गोली मारने वाले को नहीं देखा। पहले पीठ में गोली लगी उनको, और फिर वो बेहोश हो गए तो उन्हें नहीं पता किसने मारी गोली उनको। लेकिन आपको रिवॉल्वर के साथ प्रिया और मिसेज मित्तल ने देखा। फिर? और आपके अलावा कोई और बाहर का आदमी नहीं गया मेंशन में। इस मामले में तो बहुत सबूत हैं आपके खिलाफ।"

ये सुन कर मुझे एक और झटका लगा।

"और कुछ बताना रह गया हो तो बता दो मनीष बाबू।" अमरकांत ने फिर कहा मुझसे।

"बस समर को आ जाने दीजिए, वो बहुत सारी इनफॉर्मेशन ले कर आएगा।"

"समर तो अपने घर गया है, वो कौन सी इनफॉर्मेशन ले आएगा?"

" वो नेहा के अतीत को खंगालने गया है, और हम दोनो के यकीन है कि उससे ही सब सुलझ जाएगा।"

मेरी ये बात सुनते ही अमरकांत ने अपना फोन निकला और कहीं फोन लगाया। कुछ देर बाद, "समर का फोन स्विच ऑफ बता रहा है मनीष जी। खैर कल तक की छुट्टी है उसकी, हम कल तक देखते हैं, फिर उसके बाद न मैं आपकी गिरफ्तारी छुपा सकता हूं, और न आपको बचा सकता हूं।"

ये बोल कर वो कमरे से बाहर निकल गए। और थोड़ी देर बाद खाना भी आ गया मेरे लिए।

खाना खा कर मैं सोच में डूब गया।

"इन कुछ दिनों में मैने इतने धोखे खाए हैं कि अब मुझे किसी पर विश्वास नहीं हो रहा। शिविका की चिट्ठी झूठ नहीं थी लेकिन, वो मुझसे सच में प्यार करती है। और शायद इसीलिए नेहा और मेरे संबंध के जानने के बाद वो मुझसे कटी कटी रहने लगी। वैसे तो वो मुझे अच्छी लगती थी, मगर मैं ही खुद को मित्तल सर की फैमिली से दूर रखता आया था, क्या इसी कारण शिविका के इशारे मुझे समझ नहीं आ रहे थे? दूसरी तरफ समर, क्या कहूं उसको मैं दोस्त या तारणहार, लेकिन अब उसका फोन क्यों स्विचऑफ है? वैसे तो अभी तक तो समर ने ऐसा कुछ किया नहीं कि उस पर शक करूं, लेकिन वो भी तो इंदौर का ही है रहने वाला, क्या वही बिट्टू तो नहीं? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?"

यही सब सोचते सोचते मेरी आंख लग गई। सुबह एक हवलदार ने मुझे उठाया और अपने साथ ले कर चला गया बाथरूम वगैरा के लिए। मैं फ्रेश हो कर वापस उसी कमरे में आ गया। आज का दिन भी ऐसे ही निकल गया। शाम को अमरकांत मेरे पास आया, और मुझे कुछ घंटों की मोहलत और दे दी। देर रात तक तो समर नहीं ही आया था।

अगले दिन सुबह मुझे उठाने हरीश आया।

"मनीष जी अब चलिए, अब हम आपकी और सहायता नहीं कर सकते, क्योंकि मीडिया को आपके यहां पर होने की खबर लग गई है, और अब आपकी गिरफ्तारी हम छुपा नहीं सकते।"

"क्या समर से कोई कॉन्टेक्ट हुआ, या वो आया?" मैने उससे पूछा।

"नहीं।"

ये बोल कर वो मुझे अपने साथ ले कर ऑफिस में गया और कुछ जगह मेरे सिग्नेचर करवा कर इंटेरोगेशन रूम में ले गया, जहां दो और लोग मौजूद थे। ये दोनों बहुत हट्टे कट्टे आदमी थे, और दोनों बिना शर्ट के थे, देख कर ही डर लग रहा था उनको।

वहां जाते ही मुझे दोनों हाथ बांध कर लटका दिया गया और वो लोग मुझसे बोले, "मनीष जी सच सच बता दीजिए, हम फिर से आपसे कह रहे हैं, वरना हमको आपको मजबूरन टॉर्चर करना पड़ेगा।"

"मैने सब सच ही बताया है sp साहब को।"


मेरे ये बोलते ही वो दोनों और हरीश मेरे ऊपर डंडे बरसाने लगे, कुछ देर तो मैं सहता रहा, पर जब बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं बेहोश हो गया.....
Gajab update
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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क्योंकि पूरी दुनिया में सिर्फ़ भारत में पुलिस भर्ती आपकी काबिलियत जांच कर नहीं ......

स्कूल सर्टिफिकेट, आरक्षण कोटा, लम्बाई, मेडिकल फिटनेस, सिफारिश और रिश्वत के आधार पर होती है
काबिलियत क्या होती है?

चूहे को शेर साबित करना आता हो बस, इतना काफी है 😌
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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जैसा कि हमारे डाॅक्टर साहब ने कहा , पुलिस के थर्ड डिग्री टॉर्चर से अभियुक्त गुनाह भले ही कबूल कर ले पर अदालत मे इस कबूलनामे की कोई अहमियत नही है ।
हां , अगर जज के सामने अभियुक्त गुनाह कबूल करे तो यह अभियुक्त के खिलाफ पक्का साक्ष्य बनता है ।
( लेकिन इस सब की विडिओ रिकार्डिंग होती है )

कोर्ट में नहीं मानेंगे, तो वापस से तुड़ाई होगी।

असल में 3rd डिग्री मार नहीं, मेंटल टॉर्चर होता है। जो आपको ऐसा तोड़ता है अन्दर तक की आदमी सब कबूल लेता है।
वैसे यह टॉर्चर वगैरह चीजें सामान्य चोर , साधारण इंसान पर ही होता है । बड़े बड़े रसूखदार लोगों पर टॉर्चर नही होता ।

मनीष के ऊपर से फिलहाल मित्तल परिवार का हाथ ही नहीं हटा, बल्कि फिलहाल तो वही उसके जानी दुश्मन बने बैठे हैं। तो वो कहां से रसूखदार हो गया?
अधिक से अधिक नार्को और पाॅलोग्राफी टेस्ट के जरिए सच्चाई जानने की कोशिश की जाती है लेकिन इस टेस्ट के साथ बिडम्बना यह है कि हमारे देश मे नार्को और पाॅलीग्राफी पर संविधान मे कोई प्रावधान नही है इसलिए अदालत मे इसकी भी कोई अहमियत नही होती ।
ये सब बिना कोर्ट के आदेश के नहीं होता।
मेरा अभी भी मानना है कि मनीष को इस झमेले से सिर्फ रजत मित्तल साहब की गवाही ही बचा सकती है । मित्तल साहब को षड्यंत्र के बारे मे बहुत कुछ पता है । और अगर मित्तल साहब और मनीष के बीच इस विषय पर बातें हुई होती तब प्रमुख साजिश कर्ता के बारे मे भी शायद कुछ न कुछ खुलासा हो गया होता ।
इसी वजह से उनकी हत्या करने की कोशिश हुई थी ।

क्या पता वो बताना ही न चाह रहे हो उसके बारे में, मनीष उनको ज्यादा आसान बकरा लगा हो बलि चढ़ाने के लिए।
मुझे मित्तल साहब की पत्नी और बेटी पर शक है । शायद वह दोनो मनीष के बढ़ते प्रभाव और कद से प्रसन्न नही होंगे ।
मौका-ए-वारदात पर प्रिया का अचानक पहुंचना और मनीष साहब के हाथ मे आला - ए - कत्ल का पाया जाना संयोग लगता नही है ।
लेकिन क्या एक पत्नी या बेटी अपने ही पति या बाप को गोली मार देगी?
खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
धन्यवाद भाई जी 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Bahut hi shandar update he Riky007 Bhai,

Lo jo lag gaye laude manish ke............khud ko james bond ke chacha samajh rahe the.............
बेवकूफियां तो करता रहता है मनीष, या कहिए मित्तल सर के प्रति संवेदनशील है कुछ ज्यादा।
Samar ka bhi abhi tak kuch ata pata nahi............
समर आने ही वाला है बस
Keep rocking Bro

धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

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गजब गजब क्या जबरदस्त और खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये समर भी गायब हो गया, मित्तल साहेब का भी बयान मनिष के कोई काम नहीं आया
मनिष के सच पर कोई विश्वास नहीं रख रहा वैसे सारे सबुत उसके खिलाफ ही हैं
अब अमरकांत का पुलिसीया खेल शुरु हो गया टार्चर

दिन ही खराब चल रहे हैं उसके भाई 😌
तो क्या मनिष वो झेल पायेगा या शिविका कुछ मदत कर पायेगी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
धन्यवाद भाई, कल देने की पूरी कोशिश होगी।
 
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