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Thriller शतरंज की चाल

Rekha rani

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Awesome update
Neha kidnaped ho gayi hai
Aur manish ke hath sirf ek note laga hai aur wo usi par amal kar raha hai kisi ko neha ki kidnaped hone ki bat nhi batata
Kya usne samar ki help nhi lekar sahi kiya
Wait karne ke bad ek envelope mila usme bhi uski hi pics hai gun ke sath Sanjeev par tane huye
Kya Sanjeev mara gaya hai

#अपडेट १९


अब तक आपने पढ़ा -


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।


मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....


अब आगे -


कांपते हाथों से मैने फोन उठाया। "ह ह हैलो?"


"मनीष, फोटो तो तुमने देख ही ली होगी, अब जरा अपनी कार की डिक्की भी एक बार देख लो।" एक घरघराती सी आवाज आई उधर से।


"हेलो कौन बोल रहा है, और क्या है ये सब?"


"पहले डिक्की चेक करो, फिर आगे बात करेंगे।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूं, फिर थोड़ी देर बाद हिम्मत करके नीचे उतर कर कार की तरफ चल दिया। मेरी कार बिल्डिंग के पीछे की ओर पार्क होती थी, साथ में बस एक और गाड़ी ही लगती थी उधर। मैं धड़कते दिल से कार की ओर गया, पूरी पार्किंग में सन्नाटा था।


मैने कार की डिक्की खोली, और घबरा कर पीछे लगभग गिर ही पड़ा। डिक्की में संजीव की लाश थी, जिसके आँखें खुली थी, और सीने पर गोली लगने का निशान था। कुछ देर मैं दिवाल का सहारा लिए उस लाश को निहारता ही रहा, मेरे विचार शून्य हो चुके थे उस समय।


कुछ देर बाद जैसे ही होश आया, मैने कार की डिक्की बंद की और भागते हुए अपने फ्लैट में आ गया। और दरवाजे के सारे लॉक लगा दिए। रस्ते भर मुझे यही अहसास होता रहा जैसे संजीव की लाश मेरे पीछे पीछे चली आ रही है। हल्की ठंड के बावजूद मेरा पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था।


घर आ कर जैसे ही मैं कुछ संयत हुआ। वैसे ही मेरा फोन फिर से बजा। फिर से उसी प्राइवेट नंबर से फोन था।


"क्या है ये सब?" मैने लगभग चिल्लाते हुए फोन पर कहा।


"आराम से जीएम साहब, वरना अभी जो भी अपने देखा उसके बारे।में और कोई भी सुन लेगा और आप बिना खून किए उसके इल्जाम में फंस जाओगे। और तुम्हारी फोटो भी है संजीव पर पिस्तौल तानते हुए। और खून भी तुम्हारी ही रिवॉल्वर से हुआ है।"


"तुम.. तुम क्या चाहते हो आखिर?"


"पहले तो तुम उस लाश को ठिकान लगाओ।"


"क्या?"


"हां, पहले उसे ठिकाने लगाओ, बाकी का बाद में बताता हूं।"


"बाद में क्या? जो कहना है अभी कहो।"


"जी एम साहब, आप मैनेजर होंगे अपने ऑफिस में, अभी फिलहाल अपनी और नेहा की जान की सलामती चाहते हो तो जो बोला वो करो।"


नेहा की बात सुन कर मैं थोड़ा शांत हुआ।


"अब जल्दी से वो काम करो।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं बहुत देर सोच में बैठा रहा, इसी बीच खाना भी आ गया था, जिसे मैने ऐसे ही टेबल पर रख दिया था।


काफी देर सोच कर मैने फिर समर को फोन लगा दिया।


"हेलो समर।"


"हां मनीष, क्या हुआ है?"


"भाई अभी मिलने आ सकता है क्या?"


"हां आता हूं, बस ड्यूटी खत्म करके घर ही जा रहा था। बस 10 मिनिट में पहुंच रहा हूं।"


दस मिनट के बाद वो मेरे घर पर था, ड्यूटी से वापस आ रहा था तो उसने अपनी वर्दी ही पहन रखी थी।


अंदर आते ही, "क्या हुआ है मनीष, तुम आवाज से कुछ परेशान लग रहे हो?" उसने पूछा।


"भाई, मेरी गाड़ी में एक लाश है।"


"क्या?" उसने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा। "सच में बोल रहे हो या कोई भ्रम हुआ है तुमको?"


"यार आज जब ऑफिस से वापस आया तो कुछ देर बाद याद आया कि ऑफिस का एक बैग डिक्की में ही रखा है, तो वही लेने चला गया, डिक्की खोली तो एक लाश पड़ी थी उसमें।" मैने बहाना बनाते हुए कहा।


"किसी जान पहचान वाले की है?"


"नहीं।" मैने सपाट लहजे में झूठ बोला।


"चलो, पहले देखते हैं उसको।" ये बोल कर वो चल दिया। मैं भी मरे कदमों से उसके पीछे चला गया। पार्किंग में पहुंच कर समर ने ही डिक्की खोली।


"आज कल ज्यादा पीने लगे ही या नींद कम ले रहे हो भाई?" समर ने पूछा।
Awesome update
Jaisa lag rha tha Sanjeev ki lash mili manish ki car se , aur manish ko uske qatal ke liye blackmail kiya ja raha hai
Is bar manish ne akalmandi se kam liya aur samar ko bulakar bataya
Ab Sanjeev ki lash gayab hai
Koi khel khel rha hai manish ke sath
 

Adirshi

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finally kafi time baad koi badhiya story read ki hai jispar review de raha hu, usme bhi thriller apna one of the favourite genre hai, thriller stories padhne ka maja hi alag hai so thank you for writing story in this genre

ab kahani pe aau to kahani padhte huye aisa lagta jaise koi dhamakedaar webseries chal rahi hai jaha har update me kuch na kuch hai aur har update padhne ke baad agle update ka wait nahi hota hai, shuruwat se hi kahani me wo pakad hai ke jo ek baar padhna shuru kare to bich me chhodne ka man nahi karta hai upar se aapka likhne ka andaz kamal ka hai hi

kahani ke kirdaar bhi dilchasp hai, ha ab kayi jagah manish ka kirdar chutiya lag sakta hai lekin wo waisa nahi hota to kahani me jaan nahi aati kahani utni interesting nahi banti, the way his journey is shown wo character ki growth ko batata hai, dhabe pe kaam karne se leke GM banne tak aur usme bhi ek scene hai jaha manish neha ko dhabe wale sardarji se milata hai jisse us character ka nature bhi establish hota hai wo apni pehchan nahi bhula hai ya kamiyab banne ke baad bhi wo kaha se aaya hai ye nahi bhula hai, aksar aise hi sidhe log dhoke aur shadyantra ka shikar hote hai,

neha ka character jab aaya tha tab aisa nahi laga tha ke ye kuch twists lekar ayega lekin filhaal wahi sabse interesting character bana hua hai aur uske sath aage kya hoga aur is shatranj ki bisat ka wo kaunsa mohra hai ye dekhne me maja ayega, neha ki entry ne hi kahani me jaan dali thi aur ab jo sab premise ban raha hai wo is kahani me ab tak aaye sabhi mukhya kirdaro ko gray shade me la deta hai jaha har kisi ka koi na koi motive lag raha hai, even mittal sahab bhi, merko bc aisa feel aa raha ke asal bapu wahi hai jo ye shatranj ka khel khel rahe, manish pe achanak yu sab lutane ke piche bas uski kabiliyat nahi ho sakti, khair ye aage kahani me ayega shayad, abhi to kafi intersting mod pe ruki hai kahani, lash ka aana aur fir gayab ho jana batata hai ke koi to manish pe najar rakhe hai ab iski batti uske dimag me kab jalegi wo samay batayega, wahi shrey bhi ek ahem mohra hai shayad usne dekha ke manish pariwar ke jaydad me hissa le jayega isiliye use hatana chah raha hai wahi as I said mittal sahab perfect mastermind hai ab wo kyu hai nahi pata but lag rahe hai wo manish ho aage ke liye tayar karte dikh rahe :D

khair in sab ko chhodo aur shivika ka role badhao men, apun ko abhi tak wahi bandi best lagi hai :shy:

overall abhi tak kahani badhiya chal rahi hai kafi interesting hai aur aage kya hoga dekhna dilchasp hoga bas kahani ki raftaar thodi jyada hai, use dhima karke manish ke alawa baki thode characters pe focus karke unke dimag ko bhi samjha ja sakta hai jo mujhe lagta hai kafi interesting hoga

ye kahani sirf ek safar nahi balki unkahi chaalo ka khel lag raha hai jise manish ho jitna hai,

well done men Riky007 :applause: :applause:
 

dhparikh

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#अपडेट १९


अब तक आपने पढ़ा -


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।


मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....


अब आगे -


कांपते हाथों से मैने फोन उठाया। "ह ह हैलो?"


"मनीष, फोटो तो तुमने देख ही ली होगी, अब जरा अपनी कार की डिक्की भी एक बार देख लो।" एक घरघराती सी आवाज आई उधर से।


"हेलो कौन बोल रहा है, और क्या है ये सब?"


"पहले डिक्की चेक करो, फिर आगे बात करेंगे।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूं, फिर थोड़ी देर बाद हिम्मत करके नीचे उतर कर कार की तरफ चल दिया। मेरी कार बिल्डिंग के पीछे की ओर पार्क होती थी, साथ में बस एक और गाड़ी ही लगती थी उधर। मैं धड़कते दिल से कार की ओर गया, पूरी पार्किंग में सन्नाटा था।


मैने कार की डिक्की खोली, और घबरा कर पीछे लगभग गिर ही पड़ा। डिक्की में संजीव की लाश थी, जिसके आँखें खुली थी, और सीने पर गोली लगने का निशान था। कुछ देर मैं दिवाल का सहारा लिए उस लाश को निहारता ही रहा, मेरे विचार शून्य हो चुके थे उस समय।


कुछ देर बाद जैसे ही होश आया, मैने कार की डिक्की बंद की और भागते हुए अपने फ्लैट में आ गया। और दरवाजे के सारे लॉक लगा दिए। रस्ते भर मुझे यही अहसास होता रहा जैसे संजीव की लाश मेरे पीछे पीछे चली आ रही है। हल्की ठंड के बावजूद मेरा पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था।


घर आ कर जैसे ही मैं कुछ संयत हुआ। वैसे ही मेरा फोन फिर से बजा। फिर से उसी प्राइवेट नंबर से फोन था।


"क्या है ये सब?" मैने लगभग चिल्लाते हुए फोन पर कहा।


"आराम से जीएम साहब, वरना अभी जो भी अपने देखा उसके बारे।में और कोई भी सुन लेगा और आप बिना खून किए उसके इल्जाम में फंस जाओगे। और तुम्हारी फोटो भी है संजीव पर पिस्तौल तानते हुए। और खून भी तुम्हारी ही रिवॉल्वर से हुआ है।"


"तुम.. तुम क्या चाहते हो आखिर?"


"पहले तो तुम उस लाश को ठिकान लगाओ।"


"क्या?"


"हां, पहले उसे ठिकाने लगाओ, बाकी का बाद में बताता हूं।"


"बाद में क्या? जो कहना है अभी कहो।"


"जी एम साहब, आप मैनेजर होंगे अपने ऑफिस में, अभी फिलहाल अपनी और नेहा की जान की सलामती चाहते हो तो जो बोला वो करो।"


नेहा की बात सुन कर मैं थोड़ा शांत हुआ।


"अब जल्दी से वो काम करो।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं बहुत देर सोच में बैठा रहा, इसी बीच खाना भी आ गया था, जिसे मैने ऐसे ही टेबल पर रख दिया था।


काफी देर सोच कर मैने फिर समर को फोन लगा दिया।


"हेलो समर।"


"हां मनीष, क्या हुआ है?"


"भाई अभी मिलने आ सकता है क्या?"


"हां आता हूं, बस ड्यूटी खत्म करके घर ही जा रहा था। बस 10 मिनिट में पहुंच रहा हूं।"


दस मिनट के बाद वो मेरे घर पर था, ड्यूटी से वापस आ रहा था तो उसने अपनी वर्दी ही पहन रखी थी।


अंदर आते ही, "क्या हुआ है मनीष, तुम आवाज से कुछ परेशान लग रहे हो?" उसने पूछा।


"भाई, मेरी गाड़ी में एक लाश है।"


"क्या?" उसने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा। "सच में बोल रहे हो या कोई भ्रम हुआ है तुमको?"


"यार आज जब ऑफिस से वापस आया तो कुछ देर बाद याद आया कि ऑफिस का एक बैग डिक्की में ही रखा है, तो वही लेने चला गया, डिक्की खोली तो एक लाश पड़ी थी उसमें।" मैने बहाना बनाते हुए कहा।


"किसी जान पहचान वाले की है?"


"नहीं।" मैने सपाट लहजे में झूठ बोला।


"चलो, पहले देखते हैं उसको।" ये बोल कर वो चल दिया। मैं भी मरे कदमों से उसके पीछे चला गया। पार्किंग में पहुंच कर समर ने ही डिक्की खोली।



"आज कल ज्यादा पीने लगे ही या नींद कम ले रहे हो भाई?" समर ने पूछा।
Nice update...
 

Ajju Landwalia

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#अपडेट १८


अब तक आपने पढ़ा -



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।


मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"

जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर चीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"


और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....


अब आगे -


मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, पर बेहोश होने से पहले मेरी नजर नेहा पर गई, जो जमीन पर बेहोश पड़ी थी।


जब मेरी आंख खुली तो मैं खुद को अपनी ही कार की ड्राइविंग सीट पर पाया, वैसे ही पैंट में, और मेरी शर्ट पास में ही पड़ी थी। सर के पीछे तेज दर्द हो रहा था, हाथ लगा कर देखा तो खून निकल कर सूख चुका था।



कार जहां खड़ी की थी वहीं पर लगी हुई थी, यानी कि नेहा ने जिस घर में बुलाया था उसी के सामने। मेरा मोबाइल, घड़ी और कार की चाभी साथ वाली सीट पर पड़ी थी, टाइम देखा तो रात के 3 बजे थे, लगभग मैं 5 घंटे बेहोश रहा था। मैं शर्ट पहन कर कार से उतर कर उस घर की ओर गया, दरवाजा लगा हुआ था, मेरे धक्का देते ही वो खुल गया। अंदर गया तो सब कुछ सही था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यहां पर कोई हाथापाई हुई हो, बेडरूम भी साफ था। पीछे के ओर एक दरवाजा था जो अभी अंदर से बंद था, शायद जिसने मेरे और नेहा पर हमला किया वो उसी दरवाजे से आया होगा।


मैं उस घर से बाहर आ गया, और सबसे पहले मैने रिवॉल्वर अपनी कार में ढूंढनी शुरू की, मगर जहां उसे रखता था, वहां कुछ भी नहीं था। लेकिन एक कागज हाथ लगा मुझे वहां। उसे खोल कर देखा तो उस पर एक ही लाइन लिखी थी।


"नेहा हमारे कब्जे में है, और तब तक ही सुरक्षित है, जब तक तुम किसी को बताते नहीं इसके बारे में।"


ये पढ़ कर मैं डर गया, क्योंकि वो लोग नेहा को लेकर चले गए थे, उसपर से संजीव के हाथ में मेरी रिवॉल्वर भी थी। मैं समर को कॉल करके ये बताने ही जा रहा था कि फिर मुझे खयाल आया कि नेहा की सुरक्षा के लिए अभी किसी को इस बारे में बताना सही नहीं होगा। कार से मैने आस पास की जगह भी देखी, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे पता चले कि वो लोग कौन थे या किधर गए थे।


थक हार कर मैं वापस अपने फ्लैट पर आ गया। संडे था तो ऑफिस भी नहीं जाना था, मैं एक पेनकिलर खा कर सो गया। उस धमकी भरे नोट को पढ़ने के बाद अब मैं बस इंतजार ही कर सकता था किडनैपर संजीव के खुद कॉन्टेक्ट करने का, और भगवान से नेहा की सलामती की प्रार्थना करने का।


उस दिन फिर कुछ नहीं हुआ। अगले दिन मैं सामान्य दिन की तरह ऑफिस चला गया, और काम में लग गया। आज भी कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया किडनैपर ने। शाम को मैं एक बार फिर से उसी घर के बाहर खड़ा था, पर वहां भी सब कुछ वैसा ही था। अगला दिन भी वैसा ही गुजरा।


उसके अगले दिन भी सब कुछ सामान्य रहा, ऑफिस में आज एक दो मीटिंग थी, जिसमें मित्तल सर भी थे। शाम को जब मैं उनके केबिन में बैठ कर आज की मीटिंग पर डिसकस कर के निकल ही रहा था तभी


"मनीष, नेहा कहां है आजकल? ऑफिस में दिखती नहीं।"


"जी वो देहरादून गई है एक महीने की छुट्टी ले कर। उसका डाइवोर्स वाले केस की डेट आ गई थी, उसी कारण।"


"तो क्या हुआ उसमें, कुछ पता है तुम्हे?"


"जी लास्ट वीक उसने बोला कि केस फाइनल हो गया है, और अभी वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई है तो उसके बाद बात नहीं हुई।"


"अच्छा है जो केस फाइनल हुआ, अब उसके वापस आने पर मैं ही मनोहर भाई से बात करता हूं तुम दोनों की शादी की।"


"जी सर, अब मैं चलता हूं।"


"हां ठीक है। और वो जो नए सिस्टम डालने हैं वाल्ट में उनको जल्द से जल्द करवाओ।"


"ओक सर।" बोल कर मैं वहां से निकल गया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो एक दो और सवाल पूछते तो शायद मैं नेहा के किडनैप की बात बोल जाता।


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।



मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....

Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai,

Manish ke to bhayankar vale L lag gaye............

Pehle to hamla hua............fir neha aur sanjeev dono hi gayab ho gaye.............

Upar se kidnapper ka letter aur sath me sanjeev par revolver taane huye manish ko photo.........

Jo koi bhi he iske peeche uska sab pata tha manish aur neha sab movements par

Agli update ki pratiksha rahegi Bhai
 

Ajju Landwalia

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159
#अपडेट १९


अब तक आपने पढ़ा -


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।


मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....


अब आगे -


कांपते हाथों से मैने फोन उठाया। "ह ह हैलो?"


"मनीष, फोटो तो तुमने देख ही ली होगी, अब जरा अपनी कार की डिक्की भी एक बार देख लो।" एक घरघराती सी आवाज आई उधर से।


"हेलो कौन बोल रहा है, और क्या है ये सब?"


"पहले डिक्की चेक करो, फिर आगे बात करेंगे।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूं, फिर थोड़ी देर बाद हिम्मत करके नीचे उतर कर कार की तरफ चल दिया। मेरी कार बिल्डिंग के पीछे की ओर पार्क होती थी, साथ में बस एक और गाड़ी ही लगती थी उधर। मैं धड़कते दिल से कार की ओर गया, पूरी पार्किंग में सन्नाटा था।


मैने कार की डिक्की खोली, और घबरा कर पीछे लगभग गिर ही पड़ा। डिक्की में संजीव की लाश थी, जिसके आँखें खुली थी, और सीने पर गोली लगने का निशान था। कुछ देर मैं दिवाल का सहारा लिए उस लाश को निहारता ही रहा, मेरे विचार शून्य हो चुके थे उस समय।


कुछ देर बाद जैसे ही होश आया, मैने कार की डिक्की बंद की और भागते हुए अपने फ्लैट में आ गया। और दरवाजे के सारे लॉक लगा दिए। रस्ते भर मुझे यही अहसास होता रहा जैसे संजीव की लाश मेरे पीछे पीछे चली आ रही है। हल्की ठंड के बावजूद मेरा पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था।


घर आ कर जैसे ही मैं कुछ संयत हुआ। वैसे ही मेरा फोन फिर से बजा। फिर से उसी प्राइवेट नंबर से फोन था।


"क्या है ये सब?" मैने लगभग चिल्लाते हुए फोन पर कहा।


"आराम से जीएम साहब, वरना अभी जो भी अपने देखा उसके बारे।में और कोई भी सुन लेगा और आप बिना खून किए उसके इल्जाम में फंस जाओगे। और तुम्हारी फोटो भी है संजीव पर पिस्तौल तानते हुए। और खून भी तुम्हारी ही रिवॉल्वर से हुआ है।"


"तुम.. तुम क्या चाहते हो आखिर?"


"पहले तो तुम उस लाश को ठिकान लगाओ।"


"क्या?"


"हां, पहले उसे ठिकाने लगाओ, बाकी का बाद में बताता हूं।"


"बाद में क्या? जो कहना है अभी कहो।"


"जी एम साहब, आप मैनेजर होंगे अपने ऑफिस में, अभी फिलहाल अपनी और नेहा की जान की सलामती चाहते हो तो जो बोला वो करो।"


नेहा की बात सुन कर मैं थोड़ा शांत हुआ।


"अब जल्दी से वो काम करो।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं बहुत देर सोच में बैठा रहा, इसी बीच खाना भी आ गया था, जिसे मैने ऐसे ही टेबल पर रख दिया था।


काफी देर सोच कर मैने फिर समर को फोन लगा दिया।


"हेलो समर।"


"हां मनीष, क्या हुआ है?"


"भाई अभी मिलने आ सकता है क्या?"


"हां आता हूं, बस ड्यूटी खत्म करके घर ही जा रहा था। बस 10 मिनिट में पहुंच रहा हूं।"


दस मिनट के बाद वो मेरे घर पर था, ड्यूटी से वापस आ रहा था तो उसने अपनी वर्दी ही पहन रखी थी।


अंदर आते ही, "क्या हुआ है मनीष, तुम आवाज से कुछ परेशान लग रहे हो?" उसने पूछा।


"भाई, मेरी गाड़ी में एक लाश है।"


"क्या?" उसने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा। "सच में बोल रहे हो या कोई भ्रम हुआ है तुमको?"


"यार आज जब ऑफिस से वापस आया तो कुछ देर बाद याद आया कि ऑफिस का एक बैग डिक्की में ही रखा है, तो वही लेने चला गया, डिक्की खोली तो एक लाश पड़ी थी उसमें।" मैने बहाना बनाते हुए कहा।


"किसी जान पहचान वाले की है?"


"नहीं।" मैने सपाट लहजे में झूठ बोला।


"चलो, पहले देखते हैं उसको।" ये बोल कर वो चल दिया। मैं भी मरे कदमों से उसके पीछे चला गया। पार्किंग में पहुंच कर समर ने ही डिक्की खोली।



"आज कल ज्यादा पीने लगे ही या नींद कम ले रहे हो भाई?" समर ने पूछा।

Badi hi gazab ki update he Riky007 Bhai,

Pehle sanjeev ki so-called lash ka manish ki car ke boot me milna.........

Jab manish ne samar ko call karke bulaya to car se so-called lash gayab ho jana............

Ye jo koi bhi kar raha he vo manish ki ek ek harkat even phone calls par bhi nazar rakh raha he.............

May be possible sanjeev ka qatal hi na hua ho............

Agli update ka intezar rahega Bhai
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Aaaaaayyyyyeeeee
Ye kya tha Riky007 bhai
Kya such me Manish ne Sanjeev ki lash dekhi thi apni car me ya koi vehem hua tha use
.
Kafi heratanjeg raha update Riky007 bhai
अब उसने जो देखा वो लाश थी या नहीं ये तो।मुझे भी नहीं पता भाई।

धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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To ye envelope jisne bhi bheja tha wo bada hi ghaagh insaan hai🤔 per mujhe ab bhi lagta hai ki ye kiya-dhara manish ki so called mashuka ka hi hai :dazed: Lifafe se to yahi samajh me aaya ki kidnaper Manish ko fasana chahta hai , ya to us bande ka khoon kar diya hai, or chuki photo me manish pistol tane hue hai, to sabka shak usi pe jayega, great, chaka-cchaka-chak wala update :applause::applause:
घाघ तो होना ही उसे, लेकिन अभी फिलहाल तो मनीष उसकी चालों में फंसता ही दिख रहा है। कोई फौरी राहत नहीं दिखती मुझे उसके लिए।

धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Awesome update
Neha kidnaped ho gayi hai
Aur manish ke hath sirf ek note laga hai aur wo usi par amal kar raha hai kisi ko neha ki kidnaped hone ki bat nhi batata
Kya usne samar ki help nhi lekar sahi kiya
Wait karne ke bad ek envelope mila usme bhi uski hi pics hai gun ke sath Sanjeev par tane huye
Kya Sanjeev mara gaya hai
Awesome update
Jaisa lag rha tha Sanjeev ki lash mili manish ki car se , aur manish ko uske qatal ke liye blackmail kiya ja raha hai
Is bar manish ne akalmandi se kam liya aur samar ko bulakar bataya
Ab Sanjeev ki lash gayab hai
Koi khel khel rha hai manish ke sath
खेल तो खेला ही जा रहा है उसके साथ, पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि खेल कौन रहा है आखिर?

धन्यवाद रेखा जी 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Nice update...
Thankyou Bhai 🙏🏼
 

urc4me

Well-Known Member
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Bhai, Mittal jaisa ghagh hi aisi yojna bana sakta hai. Jisne Sanjiv ko raste se hata diya. Mittal Manish ko apna damad banane ko kuch bhi kar sakta hai. Shivik aur Priya do me se kisi ka bhi vyah Manish se hoga. Nisha ko Sanjiv ke khoon ke iljam me fansa kar dur kar dega.Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 
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