#अपडेट २०
अब तक आपने पढ़ा -
मैने पेनड्राइव को अपने टीवी से लगा कर चलाया और उसमें मेरी और नेहा की न्यूड फोटो थी और एक छोटा सा वीडियो, उसी रात की जिस रात वो घटना हुई थी। ये देख कर मैं सोच में पड़ गया कि आखिर नेहा उस घर में क्यों गई थी। तभी मेरा फोन बजा, उसी प्राइवेट नंबर से....
अब आगे -
"ह हैलो।"
"मनीष, जो ये कह रहे हैं वो कुछ मत करना मनीष। भले ही ये मुझे मात दें। बिल्कुल वैसा मत करना।" नेहा की रोटी हुई आवाज मेरे कानो आई।
"नेहा, नेहा कैसी हो तुम, कहां हो...." इससे पहले नेहा कुछ और बोलती एक घरघराती आवाज मेरे कानो में पड़ी।
"पेनड्राइव देख लिया मैनेजर साहब?"
"देखो तुमको जो चाहिए वो लेलो, लेकिन नेहा को छोड़ दो।"
"छोड़ तो देंगे ही, मगर वो पिक्चर वायरल करने के बाद। सोचो लोग क्या समझेंगे नेहा को, एक प्रॉस्टीट्यूट। पैसे ले कर किसी के साथ भी सोने वाली... हाहाहा।" भयानक सी हंसी मेरे कानों में गूंजी।
"क्या चाहिए तुमको, कितना पैसा चाहिए, बोलो?" मैं गुस्से से भरा बोला उसे।
"पैसा, हाहाहा। पैसे छोड़ो, हमें जो चाहिए वो तुमको अभी पता चल जाएगा।"
"क्या चाहिए?"
"पहले दरवाजा खोलो और देखो।"
मैने दरवाजा खोल कर बाहर देखा, वहां एक और एनवेलप पड़ा था।
"हेलो, यहां एक और एनवेलप है।"
"उठाओ उसे और अंदर आ कर खोलो उसको।"
मैने अंदर आ कर उसे खोला। उसमें एक और पेन ड्राइव था।
"ये एक पेन ड्राइव है।"
"हां उसमें एक आदमी की डिटेल है, उसके लिए पास चाहिए हमें वाल्ट का।"
"मगर किस काम के लिए? क्योंकि इसका तो वाल्ट है नहीं।"
"काम... इलेक्ट्रिक के काम के लिए, और साथ में 5 आदमी और जायेंगे।"
"मगर इसके फिंगर प्रिंट कहां से आएंगे?"
"तुम पेन ड्राइव तो खोलो, उसमें सब कुछ मिल जाएगा तुमको।"
मैने पेन ड्राइव अपने लैपटॉप में लगाई। उसमें सारी डिटेल थी, साथ ही साथ फिंगर प्रिंट भी उस फॉर्मेट में था जिसे हमारा सिस्टम चाहता था। खैर वो फॉर्मेट तो सभी फिंगरप्रिंट वाली मशीन बनती है तो इतना भी रॉकेट साइनस नहीं था इसमें। और किसी भी वाल्ट को खोलने के लिए उसका पासवर्ड चाहिए, जो सबके पर्सनल थे या सिस्टम में स्टोर थे, जिसकी जानकारी बस ऑफिस के सर्वर में ही थी। उनका एक्सेस में लिमिटेड लोग को था। जिसमें मैं, मित्तल सर, महेश अंकल, प्रिया, करण और श्रेयन को ही था। अब इनमें से तो कोई नहीं करेगा ये काम। वरना कंपनी की बहुत बदनामी हो जाती।
"इसमें तो सब है, तुमको कैसे पता कि यही सब चाहिए पास के लिए?"
" बहुत कॉमन चीजें है मैनेजर साहब, अब इतना तो आपको समझना चाहिए।"
वाकई ये तो बेसिक और कॉमन चीजें थी। वो आवाज जो इस बार थी फोन पर कुछ अलग थी, जैसे कोई और बात कर रहा है इस समय, और वो मुझे बहुत जानी पहचानी सी लग रही थी। मगर घरघराहट की वजह से समझ नहीं आ रहा था किसकी है।
"कब देना है इसे, और लोगे कैसे?"
" एक से दो दिन में बन जाना चाहिए, और कैसे लेना है वो हम ही बताएंगे। अब परसों शाम में बात होगी।" ये बोलते ही फोन कट गया।
"हेलो , हेलो..."
अब मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था कि मैं इसे करूं या नहीं। क्योंकि एक तरफ तो ये भी था कि अगर जो ये बात खुली तो कंपनी की बदनामी होगी, मगर अगर जो नहीं किया तो नेहा की बदनामी करने की धमकी दे रहा था वो। कंपनी की बदनामी तब होगी जब ये बात खुले कि गलत लोग घुसे हैं वाल्ट में, मगर फिर भी मुझे अपने सिक्योरिटी सिस्टम पर भरोसा था कि घुस भले जाएं, मगर बाहर निकलना नामुमकिन होगा। वैसे भी अंदर हथियार ले नहीं जा सकते, हां कुछ औजार जो मरम्मत के काम में लगेगा उसकी इजाजत थी, मगर हथियार की नहीं, और वहां हर समय एक छोटी फौज 8 10 लोग की रहती ही थी सिक्योरिटी के लिए। साथ में इसीलिए उनका बच कर जाना नामुमकिन है।
में ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रि
वॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....