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Thriller शतरंज की चाल

Napster

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#अपडेट १८


अब तक आपने पढ़ा -



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।


मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"

जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर चीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी


"नहीं.. आह!!!"


और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....


अब आगे -


मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, पर बेहोश होने से पहले मेरी नजर नेहा पर गई, जो जमीन पर बेहोश पड़ी थी।


जब मेरी आंख खुली तो मैं खुद को अपनी ही कार की ड्राइविंग सीट पर पाया, वैसे ही पैंट में, और मेरी शर्ट पास में ही पड़ी थी। सर के पीछे तेज दर्द हो रहा था, हाथ लगा कर देखा तो खून निकल कर सूख चुका था।


कार जहां खड़ी की थी वहीं पर लगी हुई थी, यानी कि नेहा ने जिस घर में बुलाया था उसी के सामने। मेरा मोबाइल, घड़ी और कार की चाभी साथ वाली सीट पर पड़ी थी, टाइम देखा तो रात के 3 बजे थे, लगभग मैं 5 घंटे बेहोश रहा था। मैं शर्ट पहन कर कार से उतर कर उस घर की ओर गया, दरवाजा लगा हुआ था, मेरे धक्का देते ही वो खुल गया। अंदर गया तो सब कुछ सही था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि यहां पर कोई हाथापाई हुई हो, बेडरूम भी साफ था। पीछे के ओर एक दरवाजा था जो अभी अंदर से बंद था, शायद जिसने मेरे और नेहा पर हमला किया वो उसी दरवाजे से आया होगा।


मैं उस घर से बाहर आ गया, और सबसे पहले मैने रिवॉल्वर अपनी कार में ढूंढनी शुरू की, मगर जहां उसे रखता था, वहां कुछ भी नहीं था। लेकिन एक कागज हाथ लगा मुझे वहां। उसे खोल कर देखा तो उस पर एक ही लाइन लिखी थी।


"नेहा हमारे कब्जे में है, और तब तक ही सुरक्षित है, जब तक तुम किसी को बताते नहीं इसके बारे में।"


ये पढ़ कर मैं डर गया, क्योंकि वो लोग नेहा को लेकर चले गए थे, उसपर से संजीव के हाथ में मेरी रिवॉल्वर भी थी। मैं समर को कॉल करके ये बताने ही जा रहा था कि फिर मुझे खयाल आया कि नेहा की सुरक्षा के लिए अभी किसी को इस बारे में बताना सही नहीं होगा। कार से मैने आस पास की जगह भी देखी, मगर ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे पता चले कि वो लोग कौन थे या किधर गए थे।


थक हार कर मैं वापस अपने फ्लैट पर आ गया। संडे था तो ऑफिस भी नहीं जाना था, मैं एक पेनकिलर खा कर सो गया। उस धमकी भरे नोट को पढ़ने के बाद अब मैं बस इंतजार ही कर सकता था किडनैपर संजीव के खुद कॉन्टेक्ट करने का, और भगवान से नेहा की सलामती की प्रार्थना करने का।


उस दिन फिर कुछ नहीं हुआ। अगले दिन मैं सामान्य दिन की तरह ऑफिस चला गया, और काम में लग गया। आज भी कोई कॉन्टेक्ट नहीं किया किडनैपर ने। शाम को मैं एक बार फिर से उसी घर के बाहर खड़ा था, पर वहां भी सब कुछ वैसा ही था। अगला दिन भी वैसा ही गुजरा।


उसके अगले दिन भी सब कुछ सामान्य रहा, ऑफिस में आज एक दो मीटिंग थी, जिसमें मित्तल सर भी थे। शाम को जब मैं उनके केबिन में बैठ कर आज की मीटिंग पर डिसकस कर के निकल ही रहा था तभी


"मनीष, नेहा कहां है आजकल? ऑफिस में दिखती नहीं।"


"जी वो देहरादून गई है एक महीने की छुट्टी ले कर। उसका डाइवोर्स वाले केस की डेट आ गई थी, उसी कारण।"


"तो क्या हुआ उसमें, कुछ पता है तुम्हे?"


"जी लास्ट वीक उसने बोला कि केस फाइनल हो गया है, और अभी वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई है तो उसके बाद बात नहीं हुई।"


"अच्छा है जो केस फाइनल हुआ, अब उसके वापस आने पर मैं ही मनोहर भाई से बात करता हूं तुम दोनों की शादी की।"


"जी सर, अब मैं चलता हूं।"


"हां ठीक है। और वो जो नए सिस्टम डालने हैं वाल्ट में उनको जल्द से जल्द करवाओ।"


"ओक सर।" बोल कर मैं वहां से निकल गया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो एक दो और सवाल पूछते तो शायद मैं नेहा के किडनैप की बात बोल जाता।


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।


मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट १९


अब तक आपने पढ़ा -


शाम को मैं फिर से उसी जगह होते हुए फ्लैट पर पहुंचा, और फ्रेश हो कर खाने का ऑर्डर दे दिया। 5 - 10 मिनिट बाद ही दरवाजे की घंटी बजी। अभी कौन हो सकता है, क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा लगता है। मैने दरवाजा खोला, कोई नहीं था। लेकिन दरवाजा बंद करते समय मेरी नजर नीचे पड़े हुए एक भूरे एनवेलप पर गई।


मैने उसे उठा कर वो लिफाफा खोला, और उसमें मेरी और संजीव की फोटो थी, जिसमें मैं उस पर रिवॉल्वर ताने खड़ा था। इसी के साथ मेरा फोन भी बजा, ये किसी प्राइवेट नंबर से कॉल था.....


अब आगे -


कांपते हाथों से मैने फोन उठाया। "ह ह हैलो?"


"मनीष, फोटो तो तुमने देख ही ली होगी, अब जरा अपनी कार की डिक्की भी एक बार देख लो।" एक घरघराती सी आवाज आई उधर से।


"हेलो कौन बोल रहा है, और क्या है ये सब?"


"पहले डिक्की चेक करो, फिर आगे बात करेंगे।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं सोच में पड़ गया कि क्या करूं, फिर थोड़ी देर बाद हिम्मत करके नीचे उतर कर कार की तरफ चल दिया। मेरी कार बिल्डिंग के पीछे की ओर पार्क होती थी, साथ में बस एक और गाड़ी ही लगती थी उधर। मैं धड़कते दिल से कार की ओर गया, पूरी पार्किंग में सन्नाटा था।


मैने कार की डिक्की खोली, और घबरा कर पीछे लगभग गिर ही पड़ा। डिक्की में संजीव की लाश थी, जिसके आँखें खुली थी, और सीने पर गोली लगने का निशान था। कुछ देर मैं दिवाल का सहारा लिए उस लाश को निहारता ही रहा, मेरे विचार शून्य हो चुके थे उस समय।


कुछ देर बाद जैसे ही होश आया, मैने कार की डिक्की बंद की और भागते हुए अपने फ्लैट में आ गया। और दरवाजे के सारे लॉक लगा दिए। रस्ते भर मुझे यही अहसास होता रहा जैसे संजीव की लाश मेरे पीछे पीछे चली आ रही है। हल्की ठंड के बावजूद मेरा पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था।


घर आ कर जैसे ही मैं कुछ संयत हुआ। वैसे ही मेरा फोन फिर से बजा। फिर से उसी प्राइवेट नंबर से फोन था।


"क्या है ये सब?" मैने लगभग चिल्लाते हुए फोन पर कहा।


"आराम से जीएम साहब, वरना अभी जो भी अपने देखा उसके बारे।में और कोई भी सुन लेगा और आप बिना खून किए उसके इल्जाम में फंस जाओगे। और तुम्हारी फोटो भी है संजीव पर पिस्तौल तानते हुए। और खून भी तुम्हारी ही रिवॉल्वर से हुआ है।"


"तुम.. तुम क्या चाहते हो आखिर?"


"पहले तो तुम उस लाश को ठिकान लगाओ।"


"क्या?"


"हां, पहले उसे ठिकाने लगाओ, बाकी का बाद में बताता हूं।"


"बाद में क्या? जो कहना है अभी कहो।"


"जी एम साहब, आप मैनेजर होंगे अपने ऑफिस में, अभी फिलहाल अपनी और नेहा की जान की सलामती चाहते हो तो जो बोला वो करो।"


नेहा की बात सुन कर मैं थोड़ा शांत हुआ।


"अब जल्दी से वो काम करो।" ये बोल कर फोन काट गया।


मैं बहुत देर सोच में बैठा रहा, इसी बीच खाना भी आ गया था, जिसे मैने ऐसे ही टेबल पर रख दिया था।


काफी देर सोच कर मैने फिर समर को फोन लगा दिया।


"हेलो समर।"


"हां मनीष, क्या हुआ है?"


"भाई अभी मिलने आ सकता है क्या?"


"हां आता हूं, बस ड्यूटी खत्म करके घर ही जा रहा था। बस 10 मिनिट में पहुंच रहा हूं।"


दस मिनट के बाद वो मेरे घर पर था, ड्यूटी से वापस आ रहा था तो उसने अपनी वर्दी ही पहन रखी थी।


अंदर आते ही, "क्या हुआ है मनीष, तुम आवाज से कुछ परेशान लग रहे हो?" उसने पूछा।


"भाई, मेरी गाड़ी में एक लाश है।"


"क्या?" उसने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा। "सच में बोल रहे हो या कोई भ्रम हुआ है तुमको?"


"यार आज जब ऑफिस से वापस आया तो कुछ देर बाद याद आया कि ऑफिस का एक बैग डिक्की में ही रखा है, तो वही लेने चला गया, डिक्की खोली तो एक लाश पड़ी थी उसमें।" मैने बहाना बनाते हुए कहा।


"किसी जान पहचान वाले की है?"


"नहीं।" मैने सपाट लहजे में झूठ बोला।


"चलो, पहले देखते हैं उसको।" ये बोल कर वो चल दिया। मैं भी मरे कदमों से उसके पीछे चला गया। पार्किंग में पहुंच कर समर ने ही डिक्की खोली।


"आज कल ज्यादा पीने लगे ही या नींद कम ले रहे हो भाई?" समर ने पूछा।
बडा ही मस्त और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट २०


अब तक आपने पढ़ा -


"चलो, पहले देखते हैं उसको।" ये बोल कर वो चल दिया। मैं भी मरे कदमों से उसके पीछे चला गया। पार्किंग में पहुंच कर समर ने ही डिक्की खोली।


"आज कल ज्यादा पीने लगे ही या नींद कम ले रहे हो भाई?" समर ने पूछा।


अब आगे -


"मतलब?"


"मतलब, इधर आ कर देखो।"


मैंने भी डिक्की में देखा, वहां कुछ नहीं था।


"ले लेकिन..."


"चलो घर जा कर आराम करो। और अच्छे से सो।"


"हां लगता तो ऐसा ही है। सॉरी भाई, बेकार में तुझे परेशान किया मैने।"


"कोई बात नहीं, अच्छे से आराम करो तुम।" ये बोल कर समर चला गया, और मैं वापस अपने फ्लैट में आ गया।


कुछ ही देर में फोन फिर से बजा।


"तो मना करने के बावजूद तुमने पुलिस को खबर कर ही दी।"


"नहीं नहीं, वो मेरा दोस्त है तो वैसे ही घर आ गया था।"


"तो फिर वो गाड़ी के पास क्यों गया था?"


"वो मैने लाश के बारे में बता दिया था उसे गलती से, लेकिन लाश है नहीं वहां।"


"और क्या बताया?" उसने कुछ जोर से पूछा।


"और कुछ नहीं, बल्कि लाश न मिलने पर उससे ये कह दिया कि शायद नींद न पूरी होने से गलतफहमी हो गई हो।"


"पक्का और कुछ नहीं बोला न, वरना नेहा को मारने में मुझे एक मिनिट भी नहीं लगेगा, और दोनो के कत्ल का इल्ज़ाम भी तुम पर ही आयेगा।"


"नहीं नहीं।" मैने लगभग रोते हुए कहा। "नेहा को कुछ मत करना, मैं उस लाश को ठिकाने लगा दूंगा।"


"अब जरूरत नहीं है उसकी, वो हम खुद कर लेंगे। तुम अभी कुछ दिन और इंतजार करो हमारे फोन का।" ये बोल कर फोन कट गया।


मैं नेहा की चिंता में आ गया और शराब निकल कर पीने लगा। आज भी पीते पीते ही सोफे पर सो गया। अगले कुछ दिन बिना किसी हलचल के गुजरे। इसी बीच सोने की एक खेप और आ चुकी थी, इस बार इसे मैने ही रखवाया। और सिक्योरिटी सिस्टम में कुछ अपडेट भी किए, लेकिन ये अपडेट की जानकारी बस मुझको ही थी, क्योंकि इनकी टेस्टिंग मैं मित्तल सर के सामने ही करना चाहता था, मगर वो अभी कुछ दिन के लिए विदेश गए हुए थे।



कोई 4 दिन के बाद शाम को वापस लौटने पर फिर वैसे ही कुछ देर बाद दरवाजे की बेल बजी और देखने पर वैसे ही एक एनवेलप पड़ा था। खोलने पर इस बार बस एक पेनड्राइव थी उसमें।


मैने पेनड्राइव को अपने टीवी से लगा कर चलाया और उसमें मेरी और नेहा की न्यूड फोटो थी और एक छोटा सा वीडियो, उसी रात की जिस रात वो घटना हुई थी। ये देख कर मैं सोच में पड़ गया कि आखिर नेहा उस घर में क्यों गई थी। तभी मेरा फोन बजा, उसी प्राइवेट नंबर से....

बहुत ही सुंदर और मस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट २०

अब तक आपने पढ़ा -


मैने पेनड्राइव को अपने टीवी से लगा कर चलाया और उसमें मेरी और नेहा की न्यूड फोटो थी और एक छोटा सा वीडियो, उसी रात की जिस रात वो घटना हुई थी। ये देख कर मैं सोच में पड़ गया कि आखिर नेहा उस घर में क्यों गई थी। तभी मेरा फोन बजा, उसी प्राइवेट नंबर से....

अब आगे -

"ह हैलो।"

"मनीष, जो ये कह रहे हैं वो कुछ मत करना मनीष। भले ही ये मुझे मात दें। बिल्कुल वैसा मत करना।" नेहा की रोटी हुई आवाज मेरे कानो आई।

"नेहा, नेहा कैसी हो तुम, कहां हो...." इससे पहले नेहा कुछ और बोलती एक घरघराती आवाज मेरे कानो में पड़ी।

"पेनड्राइव देख लिया मैनेजर साहब?"

"देखो तुमको जो चाहिए वो लेलो, लेकिन नेहा को छोड़ दो।"

"छोड़ तो देंगे ही, मगर वो पिक्चर वायरल करने के बाद। सोचो लोग क्या समझेंगे नेहा को, एक प्रॉस्टीट्यूट। पैसे ले कर किसी के साथ भी सोने वाली... हाहाहा।" भयानक सी हंसी मेरे कानों में गूंजी।

"क्या चाहिए तुमको, कितना पैसा चाहिए, बोलो?" मैं गुस्से से भरा बोला उसे।

"पैसा, हाहाहा। पैसे छोड़ो, हमें जो चाहिए वो तुमको अभी पता चल जाएगा।"

"क्या चाहिए?"

"पहले दरवाजा खोलो और देखो।"

मैने दरवाजा खोल कर बाहर देखा, वहां एक और एनवेलप पड़ा था।

"हेलो, यहां एक और एनवेलप है।"

"उठाओ उसे और अंदर आ कर खोलो उसको।"

मैने अंदर आ कर उसे खोला। उसमें एक और पेन ड्राइव था।

"ये एक पेन ड्राइव है।"

"हां उसमें एक आदमी की डिटेल है, उसके लिए पास चाहिए हमें वाल्ट का।"

"मगर किस काम के लिए? क्योंकि इसका तो वाल्ट है नहीं।"

"काम... इलेक्ट्रिक के काम के लिए, और साथ में 5 आदमी और जायेंगे।"

"मगर इसके फिंगर प्रिंट कहां से आएंगे?"

"तुम पेन ड्राइव तो खोलो, उसमें सब कुछ मिल जाएगा तुमको।"

मैने पेन ड्राइव अपने लैपटॉप में लगाई। उसमें सारी डिटेल थी, साथ ही साथ फिंगर प्रिंट भी उस फॉर्मेट में था जिसे हमारा सिस्टम चाहता था। खैर वो फॉर्मेट तो सभी फिंगरप्रिंट वाली मशीन बनती है तो इतना भी रॉकेट साइनस नहीं था इसमें। और किसी भी वाल्ट को खोलने के लिए उसका पासवर्ड चाहिए, जो सबके पर्सनल थे या सिस्टम में स्टोर थे, जिसकी जानकारी बस ऑफिस के सर्वर में ही थी। उनका एक्सेस में लिमिटेड लोग को था। जिसमें मैं, मित्तल सर, महेश अंकल, प्रिया, करण और श्रेयन को ही था। अब इनमें से तो कोई नहीं करेगा ये काम। वरना कंपनी की बहुत बदनामी हो जाती।

"इसमें तो सब है, तुमको कैसे पता कि यही सब चाहिए पास के लिए?"

" बहुत कॉमन चीजें है मैनेजर साहब, अब इतना तो आपको समझना चाहिए।"

वाकई ये तो बेसिक और कॉमन चीजें थी। वो आवाज जो इस बार थी फोन पर कुछ अलग थी, जैसे कोई और बात कर रहा है इस समय, और वो मुझे बहुत जानी पहचानी सी लग रही थी। मगर घरघराहट की वजह से समझ नहीं आ रहा था किसकी है।

"कब देना है इसे, और लोगे कैसे?"

" एक से दो दिन में बन जाना चाहिए, और कैसे लेना है वो हम ही बताएंगे। अब परसों शाम में बात होगी।" ये बोलते ही फोन कट गया।

"हेलो , हेलो..."

अब मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था कि मैं इसे करूं या नहीं। क्योंकि एक तरफ तो ये भी था कि अगर जो ये बात खुली तो कंपनी की बदनामी होगी, मगर अगर जो नहीं किया तो नेहा की बदनामी करने की धमकी दे रहा था वो। कंपनी की बदनामी तब होगी जब ये बात खुले कि गलत लोग घुसे हैं वाल्ट में, मगर फिर भी मुझे अपने सिक्योरिटी सिस्टम पर भरोसा था कि घुस भले जाएं, मगर बाहर निकलना नामुमकिन होगा। वैसे भी अंदर हथियार ले नहीं जा सकते, हां कुछ औजार जो मरम्मत के काम में लगेगा उसकी इजाजत थी, मगर हथियार की नहीं, और वहां हर समय एक छोटी फौज 8 10 लोग की रहती ही थी सिक्योरिटी के लिए। साथ में इसीलिए उनका बच कर जाना नामुमकिन है।

में ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रि

वॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट २२


अब तक आपने पढ़ा -



मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रिवॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....


अब आगे -


वो फोटो देखते ही मैने सारी संभावना लगाना छोड़ दिया और पास बनाने पर सोचने लगा।


अगले दिन मैं ऑफिस पहुंचा और रोजमर्रा के काम को देखते हुए पास बनाने का मौका ढूंढने लगा, आज मुझे महेश सर के साथ कुछ मीटिंग करनी थी, और मित्तल सर भी वापस लौटने वाले थे, जिनको मुझे ही रिसीव करना था। आज समय कम था मेरे पास।


मगर शाम को कुछ ज्यादा देर ऑफिस में बैठ कर मैने पास बना ही लिया, और चूंकि उतनी देर कोई रुकता नहीं ऑफिस में, तो उस पास के बनने की सारी जानकारी बस मेरे पास ही थी।


अब मुझे कल शाम तक इंतजार ही करना था क्योंकि किडनैपर से मैं खुद नहीं कॉन्टेक्ट कर सकता था।


अगला दिन भी ऐसे ही कट गया, और शाम होते ही मैं घर आ कर उसके फोन का वेट करने लगा।


कोई सात बजे के आस पास मेरा फोन बजा। ये किडनैपर ही था।


"मैने पास बना दिया है, उसे ले कर नेहा को छोड़ दो प्लीज।" मैने फोन उठते ही मिन्नतें करते हुए कहा।


"तो पास बना दिया मैनेजर साहब अपने।" वैसी ही खरखराती आवाज फिर एक बार मेरे कानों में पड़ी, इस बार वो आवाज सबसे पहले वाली थी, जिसका मतलब था कि इसमें कोई २ ३ लोग शामिल थे।


"हां जैसा बोला था, हरीश नाम के व्यक्ति का पास है और साथ में 5 और लोग जो इलेक्ट्रिसिटी के काम के लिए जाएंगे अंदर।"


"और औजारों का क्या?"


"बेसिक औजार, जैसे पेचकस, प्लास, हथौड़ी, Am meter, एक laptop अलाउड है। जिसे चेक करवा कर ही अंदर जाने दिया जाएगा।"


"गुड, तुम तो बहुत स्मार्ट हो।"


"पास ले लो और नेहा को छोड़ो।"


"नेहा को अभी कैसे छोड़ दे मैनेजर साहब, पहले पास का उपयोग भी तो कर ले हम, उसके बाद ही नेहा आपको मिलेगी। फिलहाल पास ले कर आप अपनी बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर जाएं, वहां कोने में एक ढाबा है, उस ढाबे के पास GJ 4 AB 2567 नंबर की एक मोटरसाइकिल खड़ी होगी। उसकी डिक्की में वो पास रख कर वापस आ जाइए। और हां, कोई चालाकी नहीं, अगर हमे पास नहीं मिला या नकली पास हुआ तो आपको पता है हम नेहा के साथ क्या करेंगे। और पास रख कर वापस आ जाना, रुक कर देखना नहीं वहां" इसी के साथ फोन कट गया।


मैं कुछ रुक कर घर से निकला, मैंने वो पास अपने जेब में रख लिया था और ऐसे चल रहा था जैसे वॉक करने निकला हूं। गेट से बाहर निकल कर मैं आराम से बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर आ गया। ये सड़क आगे जा कर खत्म हो जाती थी और फिर कुछ दूर खाली जमीन थी, जिन पर झाड़ियां उग आई थी, फिर उसके कुछ दूर पर और बिल्डिंग थीं। ढाबा भी सड़क के खत्म होने वाली जगह पर ही था। अभी वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहां ज्यादातर मेरी बिल्डिंग और आसपास में काम करने वाले गार्ड और अन्य लोग अपना खाना पीना करते थे। ढाबे के बगल में खड़ी वो बाइक मुझे दिख गई।


बाइक ऐसे खड़ी की गई थी कि ढाबे में से कोई उसे न देख पाए।


मैं बाइक के पास पहुंच कर उसकी टेक लगा कर खड़ा हो गया और और ऐसा दिखने लगा जैसे किसी का इंतजार कर रहा हूं। कुछ देर इधर उधर ध्यान देने के बाद मुझे लगा किसी का ध्यान मुझ पर नहीं है तो मैंने वो पास अपनी जेब से निकल कर उस बाइक की डिक्की में रख दिया, डिक्की में लॉक नहीं लगाया हुआ था। फिर मैं वापस चला आया।


अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया, और सबसे पहले मैने वाल्ट सिक्योरिटी स्टाफ को उस पास की जानकारी दे कर कहा कि जैसे ही वो पास इस्तेमाल में आए, मुझे इनफॉर्म किया जाय। अगले 2 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ, पर फिर भी मैं वाल्ट में आने जाने वालों की जानकारी लेता रहता था। कुछ प्राइवेट वाल्ट वाले लोगों ने एंट्री की थी, जिसमें मित्तल सर भी थे, जिनके साथ प्रिया और आंटी भी अंदर गई थी। कोई भी संदिग्ध सिचुएशन नहीं हुई।


अगले दिन संडे था, तो मैं आराम के मूड में था। पर सुबह 9 बजे ही सिक्योरिटी से कॉल आया कि उस पास से 6 लोग अंदर गए हैं। मैने पूछा कि चेकिंग सही से की है थी, तो उसने कहा कि उतना सामान ही अन्दर ले जाने दिया गया जितना पास में लिखा था। मुझे कुछ अजीब सा लगा रहा था जब से पास मेरे हाथ से निकला था। इसीलिए मैं फौरन तैयार हो कर निकल गया।


जैसे ही मैं वाल्ट वाली बिल्डिंग के पास पहुंचा मेरे फोन पर प्राइवेट नंबर से कॉल आई।


"मैनेजर साहब, हमने अपना काम शुरू कर दिया है। आपको तो खबर लग ही गई होगी, तो आप अब कुछ चालाकी मत करिएगा, वरना आपको तो पता ही है कि नेहा.." और कॉल कट गया।


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।


मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....
बहुत ही सुंदर लाजवाब और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट २३


अब तक आपने पढ़ा -


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।


मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....


अब आगे -


सामने समर बैठा था, और उसने मुझे अंदर आने को कहा। मैं चुपचाप उसके साथ बीच वाली रो में बैठ गया।


"अपना ही वाल्ट लूटवा रहे हो भाई?"


"क्या मतलब, और क्या अलार्म बजा है?" मैने आश्चर्य से पूछा।


"नहीं, अभी कोई अलार्म नहीं बजा, और सीसीटीवी फुटेज भी आनी बंद हो गई है थाने में।"


"फिर तुमको कैसे पता?"


"तुम क्या हम पुलिस वालों को बेवकूफ समझते हो? जब तुमने लाश वाली बात बताई थी तभी से मुझे शक हो गया था और इसीलिए तुम्हारा फोन तब से सर्विलांस पर लगा है। और हमें सब मालूम है कि तुमको ब्लैकमेल किया जा रहा है।"


"पर तुमने ही तो कहा था कि मुझे नींद के कारण हेल्यूसिनेशन हुआ होगा।"


"वो तुमको रिलैक्स करने के लिए कहा था, ताकि किडनैपर के शक की कोई गुंजाइश न हो।"

"पर तुमको कैसे पता कि मैने झूठ बोला?"

"अगर जो तुमको हेल्यूसिनेशन भी हुआ तो डिक्की से तो कोई सामान निकलने गए थे न, वो तो होना चाहिए था डिक्की में, और नहीं था तो भी तुमने कोई रिएक्ट नहीं किया। बस इसीलिए मुझे लगा मेरा दोस्त कुछ तो मुसीबत में है, पर इतनी बड़ी? मुझे बता नहीं सकता था?" वो कुछ गुस्से से बोला।


"सॉरी यार, वो नेहा की जान का खतरा था इसीलिए.." मैं शर्मिंदा होते हुए बोला।


"तुमको अभी भी नेहा की पड़ी है, तुम्हारी पूरी कंपनी, तुम्हारी खुद की इज्जत दांव पर लगी है। और मुझे तो लग रहा है कि नेहा खुद इनमें इंवॉल्व है और वो तुमको फंसा रही है इसमें।"


"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम?" मैं थोड़ा गुस्से से उसे देखते हुए कहा।


"अभी वो छोड़ो, पहले इस सिचुएशन से कैसे निकलोगे ये देखो? उन लोग ने वाल्ट का अलार्म, सीसीटीवी और जैमर सब बंद कर दिया लगता है। क्या करोगे अब?"


मैं सोच में पड़ गया, "मेरे पास एक ऐसा सिक्योरिटी अपडेट है जिससे वो लोग वहीं बंद हो जाएंगे जब तक मैं चाहूं।"


"सच कह रहे हो?"


"हां, ये अपडेट अभी ही डाला है मैने, किसी को भी नहीं पता मेरे अलावा। मैं कहीं से भी वाल्ट को पूरी तरह से लॉक कर सकता हूं।"


"ह्म्म्म पर उसके पहले इनका नेटवर्क बंद करना होगा। क्योंकि जो भी है, इनका मास्टरमाइंड पक्का बाहर ही होगा जो इनके टच में होगा। और उसे ये नहीं पता चलना चाहिए कि वो अंदर बंद हो गए हैं, इससे वो तुमको कॉल करेंगे, और अगर जो थोड़ी ज्यादा देर तक लाइन पर रहे तो पक्का हम लोकेशन इंटरसेप्ट कर लेंगे उनकी।" उसने कुछ सोचते हुए कहा।


"जी सर, मुझे बस 15 मिनिट चाहिए।" पीछे बैठ एक व्यक्ति बोल पड़ा, जिसने अपने कान में एक हेडफोन लगाया था और एक लैपटॉप ले कर बैठा था।


"तो ठीक है, तुम जा कर वाल्ट के ऊपर जैमर लगाओ।" समर ने मुझे एक पोर्टेबल जैमर देते हुए कहा।

"मेरा लैपटॉप मेरी कार से मंगवा लो।" मैने भी उसे अपने कार की चाभी देते हुए कहा।


लैपटॉप आते ही मैं उस जैमर को अपने बैग में छुपा कर गाड़ी से उतर गया, और वाल्ट की ओर चला गया। अंदर जा कर मैं सिक्योरिटी वालों से कुछ बात करके ऊपर से ही थोड़ा अंदर की ओर गया और मौका देख कर वो जैमर को ठीक वाल्ट के ऊपर रख कर ऑन कर दिया। और वापस से समर की गाड़ी में आ गया। आते ही मैने अपना लैपटॉप निकाल कर कुछ इंस्ट्रक्शन रन करके पूरे वाल्ट को लॉक कर दिया, अब कोई वहां से न बाहर निकल सकता था न ही अंदर आ सकता था जब तक मैं न चाहूं।


ये सब करते ही किडनैपर का फोन बजने लगा।


समर ने मुझे इशारे से फोन उठाने कहा।


"हेलो, काम हो गया क्या तुम्हारा?" मैने पूछा।


"क्या किया है तुमने? देखो ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो वरना पता है न मैं नेहा के साथ कुछ भी कर सकता हूं।"


अब तक पीछे बैठ हुआ व्यक्ति ड्राइवर के बगल में बैठ गया था, और मैं समर के साथ बीच में था। समर के कान में भी एक हेडफोन लगा था और वो भी मेरी बात सुन रहा था।


"जब ये बात मुझे पता ही है तो मैं क्या कर सकता हूं भला, ये बताओ?" मैने भी थोड़ी खीज के साथ बोला।


"फिर उधर नेटवर्क काम क्यों नहीं कर रहा?"


"जैमर लगा है वाल्ट में उसका नहीं पता क्या तुमको, जब इतनी जानकारी है तो ये भी पता होगा?" इस बार मैने ही उससे उल्टा सवाल पूछ लिया।


"पता है, मगर उसे हमारे आदमियों ने बंद कर दिया था। लेकिन फिर भी अभी मेरी बात नहीं हो पा रही है।"


"दो मिनिट लाइन पर रुको, मैं वहां पर सिक्योरिटी वालों को फोन लगाता हूं अपने दूसरे फोन से।" ये बोल कर मैने उसको कुछ देर होल्ड पर रखा। अब तक हमारी गाड़ी चल पड़ी थी, और वो लैपटॉप वाला ऑफिसर ड्राइवर को इशारे से इंस्ट्रक्शन दे रहा था। गाड़ी साउंडफ्रूफ थी, इसीलिए बाहर के ट्रैफिक की कोई आवाज अंदर नहीं आ रही थी।


कुछ समय मैने उसको होल्ड करवा कर कहा, "सिक्योरिटी में भी किसी का मोबाइल नहीं मिल रहा शायद वहां पर नेटवर्क की कोई प्रॉब्लम हुई हो।"


"ऐसा कैसे हो सकता है?"


"अब मुझे कैसे पता होगा, मैने तो अपने हर आदमी को वहां पर कॉल लगाने की कोशिश की, पर किसी का नहीं लगा। वैसे तुम लोग वाल्ट में कर क्या रहे हो? देखो पता है न कि वो वाल्ट में अलार्म भी है, कुछ भी गड़बड़ होने पर पुलिस आ जाएगी 5 मिनिट में ही।" मैने उसे बातों में उलझने की कोशिश की।


अब तक हमारी गाड़ी शहर के बाहरी इलाके में आ गई थी, और इधर कुछ फॉर्महाउस थे। आगे बैठे ऑफिसर के चेहरे पर एक मुस्कान आई, और उसने पीछे मुड़ कर समर को अंगूठे का इशारा करके बताया कि उसने एग्जैक्ट लोकेशन ट्रेस कर ली है। सामने एक फॉर्महाउस था....
बहुत ही मस्त लाजवाब और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Sare update complete kr liye, bahut hi mast story likhi hai. Thoda fast fast ja rahi hai pr maza aa raha hai. Waiting for next
Dil me dard hone laga coment padh kar, 💔 meri story to na padhi ju ne? :sigh: Aaj saabit ho gaya ki tum badal gai ho priye:declare:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Dil me dard hone laga coment padh kar, 💔 meri story to na padhi ju ne? :sigh: Aaj saabit ho gaya ki tum badal gai ho priye:declare:

Are chalu hi hai, per ye story start kri or achi lagi to ek sath sare episode read kr liye
राज भाई, प्रिया और मैं चाय फ्रेंड्स है। बाकी लोग बाद में आते हैं 😌
 
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