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Thriller शतरंज की चाल

Ajju Landwalia

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#अपडेट २३


अब तक आपने पढ़ा -


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।


मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....


अब आगे -


सामने समर बैठा था, और उसने मुझे अंदर आने को कहा। मैं चुपचाप उसके साथ बीच वाली रो में बैठ गया।


"अपना ही वाल्ट लूटवा रहे हो भाई?"


"क्या मतलब, और क्या अलार्म बजा है?" मैने आश्चर्य से पूछा।


"नहीं, अभी कोई अलार्म नहीं बजा, और सीसीटीवी फुटेज भी आनी बंद हो गई है थाने में।"


"फिर तुमको कैसे पता?"


"तुम क्या हम पुलिस वालों को बेवकूफ समझते हो? जब तुमने लाश वाली बात बताई थी तभी से मुझे शक हो गया था और इसीलिए तुम्हारा फोन तब से सर्विलांस पर लगा है। और हमें सब मालूम है कि तुमको ब्लैकमेल किया जा रहा है।"


"पर तुमने ही तो कहा था कि मुझे नींद के कारण हेल्यूसिनेशन हुआ होगा।"


"वो तुमको रिलैक्स करने के लिए कहा था, ताकि किडनैपर के शक की कोई गुंजाइश न हो।"

"पर तुमको कैसे पता कि मैने झूठ बोला?"

"अगर जो तुमको हेल्यूसिनेशन भी हुआ तो डिक्की से तो कोई सामान निकलने गए थे न, वो तो होना चाहिए था डिक्की में, और नहीं था तो भी तुमने कोई रिएक्ट नहीं किया। बस इसीलिए मुझे लगा मेरा दोस्त कुछ तो मुसीबत में है, पर इतनी बड़ी? मुझे बता नहीं सकता था?" वो कुछ गुस्से से बोला।


"सॉरी यार, वो नेहा की जान का खतरा था इसीलिए.." मैं शर्मिंदा होते हुए बोला।


"तुमको अभी भी नेहा की पड़ी है, तुम्हारी पूरी कंपनी, तुम्हारी खुद की इज्जत दांव पर लगी है। और मुझे तो लग रहा है कि नेहा खुद इनमें इंवॉल्व है और वो तुमको फंसा रही है इसमें।"


"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम?" मैं थोड़ा गुस्से से उसे देखते हुए कहा।


"अभी वो छोड़ो, पहले इस सिचुएशन से कैसे निकलोगे ये देखो? उन लोग ने वाल्ट का अलार्म, सीसीटीवी और जैमर सब बंद कर दिया लगता है। क्या करोगे अब?"


मैं सोच में पड़ गया, "मेरे पास एक ऐसा सिक्योरिटी अपडेट है जिससे वो लोग वहीं बंद हो जाएंगे जब तक मैं चाहूं।"


"सच कह रहे हो?"


"हां, ये अपडेट अभी ही डाला है मैने, किसी को भी नहीं पता मेरे अलावा। मैं कहीं से भी वाल्ट को पूरी तरह से लॉक कर सकता हूं।"


"ह्म्म्म पर उसके पहले इनका नेटवर्क बंद करना होगा। क्योंकि जो भी है, इनका मास्टरमाइंड पक्का बाहर ही होगा जो इनके टच में होगा। और उसे ये नहीं पता चलना चाहिए कि वो अंदर बंद हो गए हैं, इससे वो तुमको कॉल करेंगे, और अगर जो थोड़ी ज्यादा देर तक लाइन पर रहे तो पक्का हम लोकेशन इंटरसेप्ट कर लेंगे उनकी।" उसने कुछ सोचते हुए कहा।


"जी सर, मुझे बस 15 मिनिट चाहिए।" पीछे बैठ एक व्यक्ति बोल पड़ा, जिसने अपने कान में एक हेडफोन लगाया था और एक लैपटॉप ले कर बैठा था।


"तो ठीक है, तुम जा कर वाल्ट के ऊपर जैमर लगाओ।" समर ने मुझे एक पोर्टेबल जैमर देते हुए कहा।

"मेरा लैपटॉप मेरी कार से मंगवा लो।" मैने भी उसे अपने कार की चाभी देते हुए कहा।


लैपटॉप आते ही मैं उस जैमर को अपने बैग में छुपा कर गाड़ी से उतर गया, और वाल्ट की ओर चला गया। अंदर जा कर मैं सिक्योरिटी वालों से कुछ बात करके ऊपर से ही थोड़ा अंदर की ओर गया और मौका देख कर वो जैमर को ठीक वाल्ट के ऊपर रख कर ऑन कर दिया। और वापस से समर की गाड़ी में आ गया। आते ही मैने अपना लैपटॉप निकाल कर कुछ इंस्ट्रक्शन रन करके पूरे वाल्ट को लॉक कर दिया, अब कोई वहां से न बाहर निकल सकता था न ही अंदर आ सकता था जब तक मैं न चाहूं।


ये सब करते ही किडनैपर का फोन बजने लगा।


समर ने मुझे इशारे से फोन उठाने कहा।


"हेलो, काम हो गया क्या तुम्हारा?" मैने पूछा।


"क्या किया है तुमने? देखो ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो वरना पता है न मैं नेहा के साथ कुछ भी कर सकता हूं।"


अब तक पीछे बैठ हुआ व्यक्ति ड्राइवर के बगल में बैठ गया था, और मैं समर के साथ बीच में था। समर के कान में भी एक हेडफोन लगा था और वो भी मेरी बात सुन रहा था।


"जब ये बात मुझे पता ही है तो मैं क्या कर सकता हूं भला, ये बताओ?" मैने भी थोड़ी खीज के साथ बोला।


"फिर उधर नेटवर्क काम क्यों नहीं कर रहा?"


"जैमर लगा है वाल्ट में उसका नहीं पता क्या तुमको, जब इतनी जानकारी है तो ये भी पता होगा?" इस बार मैने ही उससे उल्टा सवाल पूछ लिया।


"पता है, मगर उसे हमारे आदमियों ने बंद कर दिया था। लेकिन फिर भी अभी मेरी बात नहीं हो पा रही है।"


"दो मिनिट लाइन पर रुको, मैं वहां पर सिक्योरिटी वालों को फोन लगाता हूं अपने दूसरे फोन से।" ये बोल कर मैने उसको कुछ देर होल्ड पर रखा। अब तक हमारी गाड़ी चल पड़ी थी, और वो लैपटॉप वाला ऑफिसर ड्राइवर को इशारे से इंस्ट्रक्शन दे रहा था। गाड़ी साउंडफ्रूफ थी, इसीलिए बाहर के ट्रैफिक की कोई आवाज अंदर नहीं आ रही थी।


कुछ समय मैने उसको होल्ड करवा कर कहा, "सिक्योरिटी में भी किसी का मोबाइल नहीं मिल रहा शायद वहां पर नेटवर्क की कोई प्रॉब्लम हुई हो।"


"ऐसा कैसे हो सकता है?"


"अब मुझे कैसे पता होगा, मैने तो अपने हर आदमी को वहां पर कॉल लगाने की कोशिश की, पर किसी का नहीं लगा। वैसे तुम लोग वाल्ट में कर क्या रहे हो? देखो पता है न कि वो वाल्ट में अलार्म भी है, कुछ भी गड़बड़ होने पर पुलिस आ जाएगी 5 मिनिट में ही।" मैने उसे बातों में उलझने की कोशिश की।



अब तक हमारी गाड़ी शहर के बाहरी इलाके में आ गई थी, और इधर कुछ फॉर्महाउस थे। आगे बैठे ऑफिसर के चेहरे पर एक मुस्कान आई, और उसने पीछे मुड़ कर समर को अंगूठे का इशारा करके बताया कि उसने एग्जैक्ट लोकेशन ट्रेस कर ली है। सामने एक फॉर्महाउस था....

Gazab ki update he Riky007 Bhai,

Samar to dropdi rupi manish ke chirharan se bachane ke liye murlidhar ke rup me aa gaya................

Ab to kidnappers ki exact location bhi pata chal chuki he...........

Dekhte he ki kidnappers pakad me aate bhi ya nahi...........

Keep rocking Bro
 

Napster

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#अपडेट १२


अब तक आपने पढ़ा -



रास्ते में ट्रैफिक बहुत ज्यादा नहीं था, मगर फिर भी ड्रिंक किए होने के कारण मैं आराम आराम से ड्राइव कर रहा था। क्लब से थोड़ा आगे जाने पर दूसरे साइड से आगे से एक कार आती दिखी। ये कार मित्तल हाउस की थी, और ज्यादातर उसे श्रेय ही चलता था। मैंने उस कार की ओर देखा तो ड्राइविंग सीट पर एक आदमी था, जिसका चेहरा मुझे नहीं दिख पाया, और पैसेंजर सीट पर एक लड़की थी। कार पास होते ही स्ट्रीट लाइट की रोशनी में मुझे लगा कि वो लड़की नेहा थी....


अब आगे -


वो देख मुझे एक झटका सा लगा, लेकिन फिर सोचा शायद मुझे वहम हुआ होगा, एक तो अंधेरा, ऊपर से मैं थोड़ा नशे में भी। फिर भी दिल नहीं माना, इसीलिए मैने गाड़ी मोड कर उसी दिशा की ओर चला दी, थोड़ी ज्यादा स्पीड में। कुछ ही देर में वो गाड़ी मुझे दिख गई, ट्रैफिक ज्यादा नहीं था इसीलिए मैं थोड़ा पीछे चल रहा था। थोड़ी आगे जा कर वो गाड़ी एक पतले रास्ते पर घूम गई, जिसे देख मैं समझ गया कि इस गाड़ी की मंजिल कहां है। वो रास्ता सीधा मित्तल मेंशन जाता था, इस सड़क पर और कोई घर नहीं था। एक बार मैने सोचा कि मैं भी चला जाऊं वहां, लेकिन वहां मित्तल सर थे नहीं, तो क्या बहाना लेकर जाता, और कोई जरूरी नहीं कि उस कार में जो आया वो मुझे दिख ही जाता।


फिर मैं वापस अपने फ्लैट की ओर चल दिया। पर फिर मुझे सीसीटीवी की याद आई, और मैने अपनी कार साइड में लगा कर अपने मोबाइल पर ही मित्तल मेंशन के सीसीटीवी फीड को खोल दिया। पार्किंग में वो कार लगी हुई थी, मतलब जो भी था उस कार में वो अंदर जा चुका था। सारे कॉरिडोर और सीढ़ियों पर कैमरा लगे थे, पर जिस हिस्से में सबके कमरे थे उधर कोई कैमरा नहीं था। मैं एक एक करके सारे कैमरा चेक किया, लेकिन किसी भी कैमरे में कोई ऐसा नहीं दिखा जो उस कार जैसी दिखे। बस मित्तल सर और महेश अंकल की पत्नियां लिविंग रूम में दिखी। और कोई नहीं था पूरे घर में, या था भी तो अपने कमरे में, जिसे मैं नहीं देख सकता था।


तभी मैने एक कैमरे में कुछ हलचल देखी, ये टेरेस पर वाला कैमरा था, उस को जूम करके देखा तो ऐसा लगा कोई उधर आया है, मगर टेरेस पर लाइट कम थी, और नाइट विजन कैमरा नहीं था। मगर फिर भी ऐसा लगा झूले के पास 2 लोग हैं जो साथ में खड़े हैं। फिर वो आपस में किसिंग करते दिखे मुझे। और धीरे धीरे वो अपनी इस आत्मीय क्रीड़ा में आगे बढ़ रहे थे। और देखते ही देखते वो काम क्रिया में भी लिप्त हो गए। मुझे देख कर अजीब लग रहा था कि ऐसे खुले में वो दोनों ऐसा कर रहे हैं, कोई आ गया तब, वैसे भी घर के हर व्यक्ति को पता है कि हर खुली जगह में कैमरा है तो वो ऐसा कैसे करेगा।


थोड़ी देर बाद दोनों का वो खेल खत्म हो गया और दोनों कुछ देर वहां बैठ कर वापस चल दिए। उन्होंने सीधे पार्किंग में जाने वाला रास्ता लिया और पार्किंग में आ गए। उनकी कार उसी रस्ते के बगल में लगी थी, और दोनों तुरंत ही गाड़ी में बैठ कर घर से निकल गए। पार्किंग में भी रोशनी कम थी इस कारण मुझे फिर से उनकी शक्ल सही से नहीं दिख पाई। मुझे बहुत टेंशन हो रही थी कि वो नेहा है या कोई और।


मैने प्रिया को एक बार फिर कॉल लगाई।


"हेलो प्रिया, कहां हो तुम?"


"मीटिंग से अभी निकली हूं, कोई काम था क्या मनीष?"


"नहीं बस ये पूछने के लिए किया कि सीसीटीवी चेक किया तुमने?"


"समय ही नहीं मिल पाया अभी तक, घर पहुंच कर चेक कर लूंगी।"


"ओके, कोई इश्यू हो तो बताना। गुड नाइट।" ये बोल कर मैने फोन रख दिया। ये प्रिया तो नहीं थी। फिर मैने नेहा को कॉल लगाया, मगर उसने उठाया नहीं।


फिर मैने ऑफिस में कॉल करके अपने ऑफिस की जानकारी ली ऐसे ही कैजुअली, तो पता चला कि श्रेय तो शाम में ही सूरत चला गया था, मित्तल सर का कॉल आने पर। फिर कौन था वो??


कहीं शिवानी अपने बॉयफ्रेंड को लेकर तो नहीं आई थी? मगर घर में वो भी खुले आसमान के नीचे ऐसी हरकत?


फिर मुझे लगा कि इससे अच्छी जगह क्या हो सकती है, एक तो घर में ही, बाहर से किसी के देख लेने का डर नहीं। ऊपर से इतनी रात में टेरेस पर कौन जाता है। कमरे में जाने के लिए तो फिर भी लिविंग रूम से होकर जाना पड़ता, जिससे उसकी मां और चाची को पता चल जाता।


मुझे ये लॉजिक सबसे सही लगा और मैने उस लड़की को शिवानी मान लिया। हालांकि मुझे ये भी नहीं पता था कि शिवानी का कोई बॉयफ्रेंड है भी या नहीं। पर फिर भी नेहा का फोन न उठाना मुझे कहीं न कहीं खटक रहा था।


मैं घर आ गया। मेरा मन बहुत विचलित था। मैने व्हिस्की को बोतल उठा कर पीने बैठ गया। बेचैनी में आज कुछ ज्यादा ही पी लिया मैने और वहीं सोफे पर सो गया।


सुबह मेरी नींद बेल की आवाज से खुली, जो लगातार बजी जा रही थी। मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था। मैने किसी तरह से दरवाजा खोला, सामने नेहा थी।


"कहां थे तुम रात से? कितनी काल लगाई नहीं उठाया, अभी पिछले 10 15 मिनिट से बेल बजा रही हूं।" वो गुस्से से बिगड़ती हुई बोली।


"तुमने कॉल किया? कब? बल्कि तुमने मेरा कॉल नहीं उठाया।" मैं थोड़ा गुस्से में बोला।


"हां तुम्हारा कॉल आया था, पर उस समय मैं अपनी मौसी एक साथ फिल्म देखने गई थी, और फोन साइलेंट पर था। पर वहां से लौट कर जब मैने देखा तो कॉल किया तुमको, पर उठाया नहीं तुमने भी, मुझे लगा सो गए होगे। सुबह मौसी वापस चली गई और तब से ही कॉल कर रही हूं, पर फोन नहीं उठने पर मैं खुद ही आ गई यहां। खुद इतने सारे कॉल नहीं उठाए तो कोई बात नहीं, और मेरी एक कॉल न उठने पर इतना गुस्सा?"


मैने उसकी बात का कुछ जवाब नहीं दिया। पर मेरे चेहरे में बहुत अनिश्चितता झलक रही थी।


"क्या हुआ है मनीष? मेरी किसी बात से गुस्सा हो तो बताओ, लेकिन ऐसे मत रहो प्लीज।" उसने मुझे उदास देख पूछा।


"नेहा, कल ऐसा लगा था जैसे तुम मुझे धोखा दे रही हो।"


"क्या मतलब?"


फिर मैने नेहा को कल जो देखा वो बता दिया।


"मैने तुमको बताया था न कि मेरी मौसी आ रही हैं कल, फिर ऐसा कैसे सोच लिया तुमने? मैं तुमको धोखा दे रही हूं ये सोच भी कैसे सकते हो तुम मनीष?" उसकी आंखे भर आई थी।


मैने उसे गले से लगा लिया, "नेहा मैं सच में बहुत डर गया था कि तुम और श्रेय.."


"मारूंगी अगर जो ऐसा सोचा भी।" उसने मेरे पीठ पर मुक्के मरते हुए कहा।


"वैसे भी श्रेय कल ही सूरत चला गया था। वहां पर कुछ बैंक में भी काम था तो उसने कुछ डिटेल ली थी मुझसे जाने से पहले।"


"हां पता चला मुझे।"


"फिर भी शक कर रहे हो?"


"अब नहीं।" ये बोल कर मैने उसके होंठ चूम लिए।


"यक! जाओ फ्रेश हो कर आओ पहले, मुंह से स्मेल आ रही है शराब की।" उसने अलग होते हुए कहा।


मैं बाथरूम में चला गया। कुछ देर बाद फ्रेश हो कर जब बाहर निकला तो पूरे फ्लैट की खिड़कियां बंद थी, और उन पर पर्दे पड़े थे मेरे बेडरूम में हल्की रोशनी थी, जिसमें मैने देखा नेहा एक पारदर्शी नाइटी पहन कर खड़ी थी, और बहुत ही सेडक्टिव नजरों से मुझे देख रही थी।


"सर ने कहा है न अभी इन सब से दूर रहने।" मैने थूक गटकते हुए कहा।


"ये तुम्हारी उस टेंशन का हर्जाना समझो।" ये बोल कर वो मेरे और करीब आ गई।



मैं जस समय बस एक तौलिया लपेट कर खड़ा था, उसने पास आते ही मेरी तौलिया खोल कर एक हाथ से मेरे लिंग, जो पहले ही नेहा को इस रूप में देख सर उठाने लगा था, को सहलाना शुरू कर दिया, और मेरे चेहरे को दूसरे हाथ से पकड़ कर चुंबनों की बौछार कर दी। मेरे हाथ भी अपने आप उसके स्तनों पर पहुंच चुके थे और मैं उनको धीरे धीरे मसलने लगा।


नेहा ने मेरे मुंह से मुंह लगा कर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैने भी उसको चूसते हुए नेहा के एक निप्पल के जोर से भींच दिया।


"सीई, आह। क्या करते हो मेरे भोले बलम।" बोलते हुए उसने छाती पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए।


मैने उसकी दोनों बाहों को जकड़ कर बेड की ओर ले गया और उसकी नाइटी को एक झटके में फाड़ते हुए उतर दिया। अब मेरा मुंह उसके स्तनों पर घूम रहा था और एक हाथ से मैं नेहा की योनि को सहला रहा था। उसका एक हाथ मेरे बालों में घूम रहा था और दूसरा अभी भी मेरे लिंग को पकड़े था।


धीरे धीरे मैं उसके पेट की ओर बढ़ने लगा और उसकी गहरी नाभि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगा, नेहा की आहें बढ़ती ही जा रही थी और उसके हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहे थे।


फिर नेहा ने मुझे उठा कर बेड पर लेटा दिया और अब वो मेरे ऊपर आ कर मेरे लिंग को अपने मुंह में भर की और अपनी योनि को मेरे मुंह पर थी और मैने जीभ से उसके भग्नासे को छेड़ने लगा। हमारा ये मुख मैथुन कुछ समय तक चला और फिर नेहा अपने घुटनों पर बेड पर आ गई और एक हाथ से मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि पर लगा दी। मैं पीछे से धक्के लगाने लगा और पूरा कमरा हमारी कामवासना की आवाज़ों से गूंजने लगा। कुछ देर के बाद हम दोनो ही स्खलित हो गए और बेड पर धराशाई हो गए। थोड़ा समय ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर लेट गए।


फिर नेहा ऐसे ही उठ कर रसोई से खाना ले कर आई, जो वो अपने साथ ही बन कर लाई थी। और हम दोनो ने एक दूसरे को ऐसे ही खाना खिलाया। दिन भर हम दोनो साथ ही घर पर रहे। शाम को उसने कहीं घूमने चलने को कहा, तो हम बीच पर निकल गए। अभी शाम ही थी, अंधेरा नहीं हुआ था। हम हाथ में हाथ डाले समुद्र की लहरों के साथ चलने लगे। ऐसे ही टहलते टहलते शाम ढल गई। हमने वापस लौटने का फैसला किया।


पार्किंग में गाड़ी के पास एक मोटरसाइकिल लगी थी, जिस पर एक आदमी टेक लगा कर खड़ा था। हम दोनो के पास पहुंचते ही वो अचानक से हमारी ओर बढ़ा। उसके हाथ में एक चाकू था, और उसने मेरे ऊपर वार किया।



इससे पहले वो चाकू मुझे लगता, नेहा बीच में आ गई, और वो चाकू उसको लगा.....
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

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#अपडेट १३


अब तक आपने पढ़ा -


पार्किंग में गाड़ी के पास एक मोटरसाइकिल लगी थी, जिस पर एक आदमी टेक लगा कर खड़ा था। हम दोनो के पास पहुंचते ही वो अचानक से हमारी ओर बढ़ा। उसके हाथ में एक चाकू था, और उसने मेरे ऊपर वार किया।


इससे पहले वो चाकू मुझे लगता, नेहा बीच में आ गई, और वो चाकू उसको लगा.....


अब आगे -



ये सब इतनी तेजी में हुआ कि कुछ समझ नहीं आया पहले, लेकिन नेहा को चाकू लगने से वो चीखी, जिससे मुझे भी कुछ समझ आया और मैंने नेहा को पकड़ कर उस आदमी की ओर देखा, वो वही था जिससे पब में मेरी हाथापाई हुई थी। इससे पहले वो फिर से हमला करता, पार्किंग का गार्ड और कुछ लोग हमारी ओर लपके, और वो अपनी मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग गया।


मैने नेहा को देख उसकी बांह पर एक बड़ा सा कट आया था और उससे बहुत तेजी से खून बह रहा था। और वो बेहोश सी हो गई। मैं फौरन उसे अपने गाड़ी में डाल कर हॉस्पिटल ले गया, उधर पार्किंग के गार्ड ने पुलिस को कॉल कर दिया था, वो मुझे जनता था तो मेरे हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ देर बाद ही मेरे फोन पर समर की कॉल आ गई।



"मनीष, क्या हुआ? कहां हो तुम, मैं अभी पहुंचता हूं।"


"मैं सिटी हॉस्पिटल में हूं समर, किसी ने मुझ पर हमला किया और नेहा को चाकू लग गया है। बहुत खून निकला है, अभी डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।" मैं भरी हुई आंखों से उसे पूरा हाल बताया।


कुछ ही देर में वो एक इंस्पेक्टर को लेकर हॉस्पिटल में था। और फॉर्मेलिटीज में लग गया था। थोड़ी देर में पूरा मित्तल परिवार भी हॉस्पिटल पहुंच चुका था। और सब मेरी खैरियत पूछ रहे थे।


समर भी हॉस्पिटल का काम करके आ चुका था।


"मनीष, अपना बयान देदो, और नेहा से भी कहो।" समर ने मुझसे कहा।


"हां चलो। और सर, अब आप लोग जाइए। सब ठीक ही है, समर भी आ गया है, और डॉक्टर ने भी कहा है कि नेहा भी ठीक है अब।" मैने मित्तल सर से कहा।


"तुम बयान दे कर आओ बेटा, फिर हम भी नेहा से मिल कर चले जायेगे। भगवान का शुक्र है कुछ बड़ा हादसा नहीं हुआ।"।मित्तल सर ने कहा।


"हां मनीष, चाचा सही कह रहे हैं, तुम बयान दे कर आओ।" श्रेय ने भी अपने चाचा की बात का समर्थन किया।


मैं समर के साथ नेहा के कमरे में चला गया और अपना और नेहा का बयान दिलवा दिया।


मेरे वापस आने पर मित्तल सर, अपनी पत्नी और महेश अंकल अपनी पत्नी के साथ नेहा से मिलने चले गए। श्रेय नहीं था। प्रिया और शिवानी मेरे पास आ कर मुझसे बात करने लगे। शिवानी आज मुझसे कुछ कटी कटी सी थी। कुछ देर बाद श्रेय मेरे और नेहा के लिए कॉफी लेकर आया, और मुझे दे कर नेहा को देने चला गया।


मित्तल सर और बाकी लोग बाहर आ गए, और बाकी लोग नेहा से मिलने चले गए।


"बेटा, कल तुम ऑफिस जाने के पहले घर आ कर मुझसे मिल लेना।" मित्तल सर ने जाते जाते मुझसे कहा।


मैने पैर छू कर उनको विदा किया, और नेहा के पास चला गया। डॉक्टर ने डिस्चार्ज करने को कहा, क्योंकि अब नेहा बिलकुल ठीक थी। मैं उसे उसके घर छोड़ कर अपने फ्लैट में चला गया।


सुबह ऑफिस जाने से पहले मैं मित्तल सर के घर गया। उन्होंने अपनी स्टडी में मुझे बुलाया जो उनके कमरे के साथ ही थी। वहां उनका एक छोटा सा ऑफिस जैसा बना था। वो अपनी चेयर पर बैठे थे और वहां श्रेय भी था।


मेरे बैठने के बाद मित्तल सर ने अपने पीछे लगी तिजोरी खोली और उसमें से एक रिवॉल्वर निकल कर मुझे दी।


"इसे रखो मनीष। तुम तो वैसे भी सिक्योरिटी नहीं रखते, लेकिन इसको अपने साथ रखा करो।"


"मगर..."


इससे पहले मैं आगे कुछ कहता, श्रेय बोला, "मनीष रख लो इसे, वैसे भी हम लोग के कई दुश्मन होते हैं। वापी में सिक्योरिटी न लो, पर इसको साथ रखा करो तुम। तुम्हारे ही नाम है ये।"


"हां बेटा, मैने घर के सारे लोगों के नाम पर एक एक रिवॉल्वर ली हुई है, पर सब मेरे पास ही हैं। लेकिन तुम बाहर रहते हो तो इसे अपने साथ रखो।"


मैने भी उनकी आंखों में चिंता देख ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और वो रिवॉल्वर अपने पास रख ली। रिवॉल्वर को मैने कार के ही ग्लव बॉक्स में हिफाजत से रख दिया। फिर मैं अपने ऑफिस आ गया।


नेहा आज अपने घर ही थी, इसीलिए काम जल्दी निपटा कर मैं उसके घर चला गया। कुछ देर उसके साथ रहा। फिर शाम को समर का कॉल आया और उसने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया मिलने के लिए।


"आओ मनीष, कितनी बातें मुझसे छिपाओगे?"


"क्या छिपाया? पब वाले बात तो बता ही दी थी कल मैने।"


"हां पब वाली बात तो बता दी, पर देहरादून में जो हाथापाई की वो कौन बताएगा?"


"तुमको कैसे पता?" मैने आश्चर्य से पूछा।


"SP नेगी याद हैं? वो मेरा ही दोस्त है। जिस आदमी ने तुम पर हमला किया शायद वो भी देहरादून का ही है। मोटरसाइकिल रेंट पर की थी, वहीं से उसका पता निकला। उसकी कुंडली निकलने के लिए नेगी को कॉल किया था, तब पता चला।"


"मुझे लगा ऐसी कोई बात ही नहीं, इसीलिए नहीं बताया तुमको।"


"अच्छा एक बात और पता है तुमको? तुम्हारी ये नेहा मैडम जेल में भी रह चुकी है 2 महीने के लिए?"


"क्या?" मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।


"हां, ये और इसका पति, संजीव दोनों जेल में थे। ये 2 महीने और वो 1 साल। किसी चिटफंड कंपनी का काम करते थे दोनो देहरादून में, उसी के सिलसिले में। हालांकि उसके असली मालिक का पता नहीं चला और इन दोनों को पुलिस ने छोड़ दिया। ऐसा लगता है कि जिस आदमी ने तुम पर हमला किया वो संजीव ने ही भेजा था।"


"मुझे कुछ भी नहीं पता इस बारे में। आज ही मैं नेहा से पूछता हूं इस बारे में।"


"हां पूछ लो, वैसे ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन उसे कम से कम बताना तो चाहिए था।"


मैं वहां से निकल कर वापस से नेहा के पास चला गया।


"नेहा क्या सच में तुम मुझसे प्यार करती हो?" पहुंचते ही मैने सीधा सवाल दाग दिया।


वो आश्चर्य से मुझे देखती हुई बोली, "हुआ क्या है मनीष?"


"आखिर आज तक तुमने मुझे पूरा सच क्यों नहीं बताया?"


"कैसा सच?"


"यही कि तुम जेल में भी रही थी।"


मेरे इतना कहते ही नेहा नाम आंखों से मुझे देखती रही कुछ देर तक, और मैं उसके जवाब का वेट कर रहा था।


"हां ये सच है।" उस भरे हुए गले से कहा।


"लेकिन इसमें मेरा कोई कसूर नहीं था मनीष, एक चिटफंड कंपनी थी, संजीव ने उसका काम लिया था, और मुझे भी ऑफिस मैनेजर के रूप में वहां लगवा दिया था। पर वो कंपनी लोगों का पैसा ले कर भाग गई, और लोग मुझे और संजीव को ही पुलिस से पकड़वा दिया। बाद में मेरी जमानत 2 महीने बाद हो गई, और संजीव की 1 साल बाद। यकीन करो, उस कांड में न मेरा और न ही संजीव का कोई कसूर था। हम तो बस उसका काम करके सैलरी लेते थे। इसीलिए पुलिस ने भी बाद में हमको छोड़ दिया था।"


"लेकिन मुझे क्यों नहीं बताया तुमने?"


"मुझे लगा ऐसी कोई जरूरी बात नहीं है ये, इसीलिए। वैसे भी हम दोनो का ही नाम अब उस केस में नहीं है।"


जो बातें मुझे समर ने बताई, नेहा ने भी वही बताई। फिर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। मुझे भी ये बात कोई बड़ी नहीं लगी। इसीलिए मैं भी आश्वस्त हो गया।


अगले कुछ दिनों में मैं वाल्ट के काम में लग गया। बैंक का सारा काम काज नेहा ने सम्हाल रखा था, और मनीष हम दोनो की ही मदद करता रहता था।


वाल्ट के काम में मैं हर समय लगा रहता था। मित्तल सर के सबसे बड़े ड्रीम में से वो एक था, इसीलिए कोई कोताही नहीं रखना चाहता था मैं उसमें। तो इधर कई दिनों से नेहा से मुलाकात नहीं हो पाई थी। हां फोन पर हम रोज जरूर बात करते थे।


कोई 2 महीने की मेहनत के बाद वाल्ट बन कर तैयार हो चुका था।
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

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#अपडेट १४


अब तक आपने पढ़ा -



वाल्ट के काम में मैं हर समय लगा रहता था। मित्तल सर के सबसे बड़े ड्रीम में से वो एक था, इसीलिए कोई कोताही नहीं रखना चाहता था मैं उसमें। तो इधर कई दिनों से नेहा से मुलाकात नहीं हो पाई थी। हां फोन पर हम रोज जरूर बात करते थे।


कोई 2 महीने की मेहनत के बाद वाल्ट बन कर तैयार हो चुका था।


अब आगे -


ये वाल्ट सरकारी और प्राइवेट दोनों के इस्तेमाल के लिए बनाया गया था। माडर्न सिक्योरिटी से भरपूर ये वाल्ट अपने समय का सबसे आधुनिक वाल्ट था।


जमीन से दो फ्लोर नीचे इसे बनाया गया था। ऊपर गेट पर गार्ड्स का एक रूम था, जहां बिना फिजिकल चेकिंग के कोई नहीं जा सकता था। हर जाने वाले के लिए हमेशा नया पास कोड दिया जाता था जो हर बार बैंक के हेडऑफिस, यानी कि मेरे ऑफिस से ही इश्यू होता था, और उसके ऑथोराइजेशन बस 3 लोग के पास थी, मेरे, मित्तल सर और महेश अंकल के पास। उसके बाद मेन वाल्ट के फ्लोर तक जाने के लिए लिफ्ट थी जो फिंगर सेंसर से चलती थी, जिसे ऑथोरिटी लेटर इश्यू करते समय ही रजिस्टर किया जाता था। जिसका एक बार रजिस्टर हो गया, वो दुबारा करने की जरूरत नहीं थी।


नीचे वाल्ट को दो हिस्सों में बांट गया था, एक ओर प्राइवेट वाल्ट थे, जो छोटी तिजोरी जैसे ही थे, और दूसरी ओर 5 बड़े कमरे, सरकार के लिए बनाए गए थे। दोनों की एंट्री एक ही गेट से होती थी और उसका लॉक भी फिंगर प्रिंट से खुलता था। उसके बाद हर वाल्ट का अलग अलग कोड था, और वो प्राइवेटली ही सेट किया जा सकता था, पर उसका रिकॉर्ड भी हेडऑफिस में मेंटेन होता था।


इनके अलावा पूरे परिसर में सीसीटीवी और मोशन सेंसर अलार्म लगे थे। मोशन सेंसर अलार्म दोनों वाल्ट में होने वाली गतिविधियों को मॉनिटर करते थे, और जब कोई प्राइवेट वाल्ट के इस्तेमाल की परमिशन लेकर जाएगा, उसे सरकारी वाल्ट में जाने की इजाजत नहीं होगी, और सरकारी वालों को प्राइवेट की तरफ जाने की। किसी के भी उधर जाते ही अलार्म ट्रिगर हो जाएगा, जो सीधा पास के थाने से जुड़ा था, और साथ साथ नीचे वाला गेट भी ऑटोमैटिक लॉक हो जात था, जिसे खोलने के लिए हेडऑफिस से ही पासवर्ड डाल कर खोला जा सकता था।


बिल्डिंग बनने और ये सारे सिस्टम अपग्रेड होते होते 2 महीने बीत गए थे। वाल्ट को हेडऑफिस के पास में ही बनाया गया था, जिससे कभी भी जरूरत पड़ने पर जल्दी से जल्दी वहां पहुंचा जा सके। इन दो महीनों में एक दिन का भी आराम मुझे नहीं मिला हां करण कई बार आ कर मुझे कुछ घंटों का रिलीफ दे देता था, मगर ये सारा काम मेरे ही देखरेख में हुआ था। इस दौरान मेरा नेहा से मिलना भी लगभग न के बराबर ही रहा।


जिस दिन ये सब बन कर तैयार हो गया, उसी दिन मैने पूरे सिस्टम को मित्तल सर को दिखाया और वो बहुत इंप्रेस हुए इससे।


"मनीष बहुत बढ़िया, मुझे लगता है ये मंत्री जी को पसंद आएगा, इसका कोई प्रेजेंटेशन बना लेना, जल्दी ही हमे दिल्ली चल कर मिलना होगा, और पूरा सिस्टम भी समझना होगा।"


"जी बिलकुल, मैं एक दो दिन में इसे तैयार कर देता हूं।"


" चलो एक पार्टी भी रख लेते हैं इसको सेलिब्रेट करने के लिए। आखिर तुमने जो मेहनत की है वो अपने ऑफिस में तो सबको पता चलनी चाहिए। कल शाम को ही एक पार्टी रख लेते हैं ऑफिस में।"


अगले दिन शाम को ऑफिस में एक बढ़िया सी पार्टी हुई, जिसमे सभी लोगों ने मेरे काम को बहुत सराहा। नेहा भी इतने दिनों के बाद मुझको मिली थी, तो पार्टी के बाद हम दोनो एक साथ ही निकल गए। और अपने फ्लैट में चले गए।


अगले दिन संडे था तो मैंने और नेहा ने पूरा दिन लगभग साथ में बिताया। शाम को जब हम घूमने निकले तो नेहा को थोड़ा डर सा लगा, क्योंकि जब आखिरी बार हम इस तरह से निकले थे तो हम पर हमला हुआ था। ये देख मैने उसे आश्वस्त करने के लिए गाड़ी में रखी रिवॉल्वर दिखा दी, जिसे देख वो थोड़ा तो निश्चिंत हुई लेकिन फिर भी उसके कहने पर इस बार हम एक माल में चले गए, जहां भीड़ भाड़ थी। फिर रात को अपने फ्लैट पर वापस आ कर मैं सो गया।


अगले दिन ऑफिस में बैठ कर मैं उसी प्रेजेंटेशन को बनाने में व्यस्त हो गया। दो दिन बाद मित्तल सर ने मुझसे उस प्रेजेंटेशन की जानकारी ली, जो लगभग तैयार था। मेरे हां कहने पर उन्होंने मंत्रालय में आपॉइंटम के लिए कॉन्टेक्ट किया, और शुक्रवार की आपॉइंटमेंट मिल गई उनको।


हम दोनो सुबह ही दिल्ली के लिए निकल गए, और दिन भर की मीटिंग के बाद हम फॉर्महाउस पहुंचे। वहां पर श्रेय भी आया हुआ था, अपने वर्टिकल के किसी काम से।


मित्तल सर ने अपना लैपटॉप मुझे दे कर कहा कि वो वाला प्रेजेंटेशन मैं उनके लैपटॉप में भी डाल दूं। मैं उनका लैपटॉप ले कर अपने कमरे में चला गया और फ्रेश हो कर उसमें प्रेजेंटेशन डालने बैठ गया।


कोई आधे घंटे बाद मैं लैपटॉप ले कर सर के कमरे में गया, पर वो अपने कमरे में नहीं थे, तो मैं लैपटॉप रख कर जाने लगा। तभी मुझे उनके स्टडी से कुछ आवाजें आई, सर शायद वहीं थे। मैं उस तरफ बढ़ने लगा, पर दरवाजे को खोलने से पहले ही मुझे ऐसा लगा वो किसी से बहस कर रहे हैं....
बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Raj_sharma

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कामदेव भाई मुझसे कुछ वर्ष छोटे है । :D
Fir to aap dev manus ho, matlab :pray: galti se bhi aap ko tum kahna paap hai, main to kahta hu paap ka bhi baap hai:yesss:
 

Raj_sharma

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#अपडेट २३


अब तक आपने पढ़ा -


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।


मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....


अब आगे -


सामने समर बैठा था, और उसने मुझे अंदर आने को कहा। मैं चुपचाप उसके साथ बीच वाली रो में बैठ गया।


"अपना ही वाल्ट लूटवा रहे हो भाई?"


"क्या मतलब, और क्या अलार्म बजा है?" मैने आश्चर्य से पूछा।


"नहीं, अभी कोई अलार्म नहीं बजा, और सीसीटीवी फुटेज भी आनी बंद हो गई है थाने में।"


"फिर तुमको कैसे पता?"


"तुम क्या हम पुलिस वालों को बेवकूफ समझते हो? जब तुमने लाश वाली बात बताई थी तभी से मुझे शक हो गया था और इसीलिए तुम्हारा फोन तब से सर्विलांस पर लगा है। और हमें सब मालूम है कि तुमको ब्लैकमेल किया जा रहा है।"


"पर तुमने ही तो कहा था कि मुझे नींद के कारण हेल्यूसिनेशन हुआ होगा।"


"वो तुमको रिलैक्स करने के लिए कहा था, ताकि किडनैपर के शक की कोई गुंजाइश न हो।"

"पर तुमको कैसे पता कि मैने झूठ बोला?"

"अगर जो तुमको हेल्यूसिनेशन भी हुआ तो डिक्की से तो कोई सामान निकलने गए थे न, वो तो होना चाहिए था डिक्की में, और नहीं था तो भी तुमने कोई रिएक्ट नहीं किया। बस इसीलिए मुझे लगा मेरा दोस्त कुछ तो मुसीबत में है, पर इतनी बड़ी? मुझे बता नहीं सकता था?" वो कुछ गुस्से से बोला।


"सॉरी यार, वो नेहा की जान का खतरा था इसीलिए.." मैं शर्मिंदा होते हुए बोला।


"तुमको अभी भी नेहा की पड़ी है, तुम्हारी पूरी कंपनी, तुम्हारी खुद की इज्जत दांव पर लगी है। और मुझे तो लग रहा है कि नेहा खुद इनमें इंवॉल्व है और वो तुमको फंसा रही है इसमें।"


"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम?" मैं थोड़ा गुस्से से उसे देखते हुए कहा।


"अभी वो छोड़ो, पहले इस सिचुएशन से कैसे निकलोगे ये देखो? उन लोग ने वाल्ट का अलार्म, सीसीटीवी और जैमर सब बंद कर दिया लगता है। क्या करोगे अब?"


मैं सोच में पड़ गया, "मेरे पास एक ऐसा सिक्योरिटी अपडेट है जिससे वो लोग वहीं बंद हो जाएंगे जब तक मैं चाहूं।"


"सच कह रहे हो?"


"हां, ये अपडेट अभी ही डाला है मैने, किसी को भी नहीं पता मेरे अलावा। मैं कहीं से भी वाल्ट को पूरी तरह से लॉक कर सकता हूं।"


"ह्म्म्म पर उसके पहले इनका नेटवर्क बंद करना होगा। क्योंकि जो भी है, इनका मास्टरमाइंड पक्का बाहर ही होगा जो इनके टच में होगा। और उसे ये नहीं पता चलना चाहिए कि वो अंदर बंद हो गए हैं, इससे वो तुमको कॉल करेंगे, और अगर जो थोड़ी ज्यादा देर तक लाइन पर रहे तो पक्का हम लोकेशन इंटरसेप्ट कर लेंगे उनकी।" उसने कुछ सोचते हुए कहा।


"जी सर, मुझे बस 15 मिनिट चाहिए।" पीछे बैठ एक व्यक्ति बोल पड़ा, जिसने अपने कान में एक हेडफोन लगाया था और एक लैपटॉप ले कर बैठा था।


"तो ठीक है, तुम जा कर वाल्ट के ऊपर जैमर लगाओ।" समर ने मुझे एक पोर्टेबल जैमर देते हुए कहा।

"मेरा लैपटॉप मेरी कार से मंगवा लो।" मैने भी उसे अपने कार की चाभी देते हुए कहा।


लैपटॉप आते ही मैं उस जैमर को अपने बैग में छुपा कर गाड़ी से उतर गया, और वाल्ट की ओर चला गया। अंदर जा कर मैं सिक्योरिटी वालों से कुछ बात करके ऊपर से ही थोड़ा अंदर की ओर गया और मौका देख कर वो जैमर को ठीक वाल्ट के ऊपर रख कर ऑन कर दिया। और वापस से समर की गाड़ी में आ गया। आते ही मैने अपना लैपटॉप निकाल कर कुछ इंस्ट्रक्शन रन करके पूरे वाल्ट को लॉक कर दिया, अब कोई वहां से न बाहर निकल सकता था न ही अंदर आ सकता था जब तक मैं न चाहूं।


ये सब करते ही किडनैपर का फोन बजने लगा।


समर ने मुझे इशारे से फोन उठाने कहा।


"हेलो, काम हो गया क्या तुम्हारा?" मैने पूछा।


"क्या किया है तुमने? देखो ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो वरना पता है न मैं नेहा के साथ कुछ भी कर सकता हूं।"


अब तक पीछे बैठ हुआ व्यक्ति ड्राइवर के बगल में बैठ गया था, और मैं समर के साथ बीच में था। समर के कान में भी एक हेडफोन लगा था और वो भी मेरी बात सुन रहा था।


"जब ये बात मुझे पता ही है तो मैं क्या कर सकता हूं भला, ये बताओ?" मैने भी थोड़ी खीज के साथ बोला।


"फिर उधर नेटवर्क काम क्यों नहीं कर रहा?"


"जैमर लगा है वाल्ट में उसका नहीं पता क्या तुमको, जब इतनी जानकारी है तो ये भी पता होगा?" इस बार मैने ही उससे उल्टा सवाल पूछ लिया।


"पता है, मगर उसे हमारे आदमियों ने बंद कर दिया था। लेकिन फिर भी अभी मेरी बात नहीं हो पा रही है।"


"दो मिनिट लाइन पर रुको, मैं वहां पर सिक्योरिटी वालों को फोन लगाता हूं अपने दूसरे फोन से।" ये बोल कर मैने उसको कुछ देर होल्ड पर रखा। अब तक हमारी गाड़ी चल पड़ी थी, और वो लैपटॉप वाला ऑफिसर ड्राइवर को इशारे से इंस्ट्रक्शन दे रहा था। गाड़ी साउंडफ्रूफ थी, इसीलिए बाहर के ट्रैफिक की कोई आवाज अंदर नहीं आ रही थी।


कुछ समय मैने उसको होल्ड करवा कर कहा, "सिक्योरिटी में भी किसी का मोबाइल नहीं मिल रहा शायद वहां पर नेटवर्क की कोई प्रॉब्लम हुई हो।"


"ऐसा कैसे हो सकता है?"


"अब मुझे कैसे पता होगा, मैने तो अपने हर आदमी को वहां पर कॉल लगाने की कोशिश की, पर किसी का नहीं लगा। वैसे तुम लोग वाल्ट में कर क्या रहे हो? देखो पता है न कि वो वाल्ट में अलार्म भी है, कुछ भी गड़बड़ होने पर पुलिस आ जाएगी 5 मिनिट में ही।" मैने उसे बातों में उलझने की कोशिश की।



अब तक हमारी गाड़ी शहर के बाहरी इलाके में आ गई थी, और इधर कुछ फॉर्महाउस थे। आगे बैठे ऑफिसर के चेहरे पर एक मुस्कान आई, और उसने पीछे मुड़ कर समर को अंगूठे का इशारा करके बताया कि उसने एग्जैक्ट लोकेशन ट्रेस कर ली है। सामने एक फॉर्महाउस था....
Ye hui na baat:yesss:Ye samar to kaam ka aadmi nikla riku bhaiya, iski entry hote hi, Manish ki exit ka raasta khul gaya :declare:Manish ne network jammer laga ke taboot me aakhri keel ka kaam bhi kar diya, 👌🏻 udhar ye log location tak bhi pagunch gaye hai, ab dekhna ye hai, ki wo suspect kon nikalta hai??
Mittal ka bhai, uska beta, ya unme se koi or hai? Per ho na ho jo bhi hai in ghar waalo me se hi koi ek hona chahiye,:hmm:Or jaisa ki samar ne bhi kaha hai, mujhe to neha per suru se hi shaq hai, ki wo manish ka chutiya kaat rahi hai:shhhh:, khair apne ko kya , awesome update Riky bhai 👌🏻 👌🏻👌🏻👌🏻
 

Raj_sharma

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#अपडेट १५


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कोई आधे घंटे बाद मैं लैपटॉप ले कर सर के कमरे में गया, पर वो अपने कमरे में नहीं थे, तो मैं लैपटॉप रख कर जाने लगा। तभी मुझे उनके स्टडी से कुछ आवाजें आई, सर शायद वहीं थे। मैं उस तरफ बढ़ने लगा, पर दरवाजे को खोलने से पहले ही मुझे ऐसा लगा वो किसी से बहस कर रहे हैं....


अब आगे -


ये श्रेय था। आज तक मैने कभी उसे मित्तल सर के साथ इतनी तेज आवाज में बात करते नहीं सुना था। मैं वहां से जाने लगा, पर तभी मुझे मेरा नाम सुनाई दिया। अब मैं कान लगा कर उनकी बहस सुनने की कोशिश करने लगा।


"चाचाजी, मनीष को मैं किसी भी सूरत में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल नहीं होने दूंगा।" श्रेय की आवाज आई।


"लेकिन क्यों? अच्छा लड़का है टैलेंटेड है, ऐसे लोगों की जरूरत है कंपनी को, वैसे भी मैं उसे अपना बेटा मानता हूं।"


"पर वो मानता है क्या? पहले मैं भी उसे अच्छा मानता था, पर उसने शिविका के साथ क्या किया?"


"श्रेय।" इस बार मित्तल सर की आवाज बहुत तेज थी। "उसमें उसकी क्या गलती थी? उसे तो पता भी नहीं कि हम उसकी शादी शिविका से करवाना चाहते थे, बतानि तो हमें ही थी ये बात, पर हम ही अपने स्वार्थ में पहले अपने सपने पूरे करवाने लगे उससे। और उसका दिल कहीं और लग गया, तो इसमें कोई क्या कर सकता है। और ऐसा नहीं है कि मैं बोलता तो वो शिविका से शादी नहीं करता, लेकिन ये सोचो फिर अपनी ही शिविका का जीवन कैसा हो जाता? क्या पता मनीष उसे वैसा प्यार दे पता या नहीं?"


"फिर भी चाचाजी, मैं नहीं चाहता कि वो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में आए।"


"तुम इस कंपनी में मेरी ऑथोरिटी को चैलेंज कर रहे हो श्रेय?"


"नहीं चाचाजी, वो मैं कभी नहीं कर सकता। मुझे अच्छी तरह से पता है कि ये कंपनी आपके बिना यहां तक नहीं पहुंचती, और इसीलिए पापा भी कभी आपकी कोई बात नहीं टालते, लेकिन फिर भी मैं आपकी इस बात के खिलाफ हूं।"


" तक फिर मनीष बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में आएगा, ये मेरा फैसला है।"


"फिर मैं भी पूरी कोशिश करूंगा कि वो न आए।" श्रेय ने भी ऊंची आवाज में बोला।


मुझे लगा कि वो बाहर आने वाला है, इसीलिए मैं वहां से अपने कमरे में चला आया। मेरे और शिविका के बारे में मित्तल सर ने ये सोचा था इसे।जान कर मुझे खुद में कुछ ग्लानि होने लगी, शायद यही कारण था कि अब शिविका मुझसे कटी कटी रहने लगी थी। लेकिन शायद सर भी सही थे, उनके कहने पर मैं आज भी नेहा को छोड़ दूं, पर वो प्यार किसी और को दे पाऊंगा? शायद कभी नहीं।


श्रेय उसी समय वापस वापी के लिए निकल गया था। हमें अभी 2 से 3 दिन और लगने थे। अगले दिन गृह मंत्रालय से बुलावा आया और हम लोग वहां मीटिंग के लिए चले गए। मीटिंग अच्छी रही थी। सरकार अपने खजाने का कुछ हिस्सा रखने को तैयार थी, बस उनकी एक जांच समिति आ कर वाल्ट की सुरक्षा जांच करने के बाद ही इसका अप्रूवल मिलता था। हम वापस वापी आ गए।


अगले हफ्ते पहले ही दिन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग बुला ली गई। फिलहाल इसमें 9 मेंबर हैं, मित्तल सर जो 15% होल्डिंग रखते हैं और फिलहाल मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, उनके अलावा महेश अंकल के पास 10%, दोनो की पत्नी और बच्चों के पास 5 5 % की होल्डिंग है। इनके अलावा 2 प्रमोटर है जो 5% की ही होल्डिंग रखते हैं। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में आने के लिए कम से कम 5% की होल्डिंग होना जरूरी था, और 1% से ऊपर की होल्डिंग बिना बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के अप्रूवल के नहीं मान्य थी। तो किसी को भी बोर्ड में शामिल होने के लिए इनकी अप्रूवल जरूरी थी।


हर मेंबर को एक वोट की ही वोटिंग राइट थी, लेकिन MD होने के नाते मित्तल सर की बात को कोई आज तक काटा नहीं था, तो वोटिंग को नौबत नहीं आई थी।


आज की मीटिंग में मुझे भी बुलाया गया था।


मीटिंग शुरू होते समय मुझे मित्तल सर के चेहरे पर कुछ टेंशन दिखी, जो मुझे बहुत चुभ रही थी। आज तक मैने उनको कभी इस प्रकार से तनाव में नहीं देखा था।


मीटिंग शुरू होने पर कुछ जनरल बाते डिसकस हुई, वाल्ट के लिए सरकार की ओर से लगभग मंजूरी मिलने की बात भी मित्तल सर ने बताई जिसे सुन सभी बहुत खुश हुए, और मुझे भी बधाई दी।


फिर मित्तल सर ने मुझे बोर्ड में शामिल होने का प्रपोजल दिया। जिसे पहले तो महेश अंकल ने एक्सेप्ट किया, लेकिन उसके फौरन बाद ही श्रेय ने उठ कर इस प्रस्ताव का विरोध कर दिया, और वोटिंग की बात कर दी। इसे सुन कर न सिर्फ मित्तल सर, बल्कि महेश अंकल भी टेंशन में आ गए।


वोटिंग के लिए चीफ अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी को कॉल किया गया, और उनके आने पर वोटिंग का प्रोसेस शुरू हुआ।


और पहले मोशन के विरोध में लोगों के वोट लिए गए, और उसके रिजल्ट देख सबसे बड़ा झटका मित्तल सर को लगा.....
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट १६


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वोटिंग के लिए चीफ अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी को कॉल किया गया, और उनके आने पर वोटिंग का प्रोसेस शुरू हुआ।


और पहले मोशन के विरोध में लोगों के वोट लिए गए, और उसके रिजल्ट देख सबसे बड़ा झटका मित्तल सर को लगा.....


अब आगे -


मोशन के खिलाफ वोट करने वालों में श्रेय और एक प्रमोटर के अलावा, प्रिया और मित्तल सर की पत्नी थीं। ये देख कर मित्तल सर का चेहरा तमतमा गया था। अब उस मोशन के पक्ष में चार लोग, महेश अंकल उनकी पत्नी, बेटी शिविका, और एक प्रमोटर था। जबकि खिलाफ में एक प्रमोटर, श्रेय, मित्तल सर की पत्नी और उनकी बेटी प्रिया।


खुद के ही परिवार को अपने खिलाफ देख कर उनका सर शर्म से झुक गया, चेहरा लाल हो गया। श्रेय के चेहरे पर एक मुस्कान थी, मित्तल सर के अपने परिवार को ही उनके खिलाफ करने की।


हालांकि अभी भी मित्तल सर का वोट उनके मोशन को अप्रूव कर सकता था। मगर वो भी उनकी ही हार होती।


वो अपना वोट करने ही वाले थे, कि मैंने खड़े हो कर कहा, "सर, आप मेरे सिर्फ पिता ही नहीं मेरे भगवान भी हैं और इतना समझ लीजिए कि चाहे कुछ भी हो जाय, मैं आपका साथ कभी नहीं छोडूंगा। लेकिन आपसे मेरी विनती है कि आप अपने इस प्रोपोजल को वापस ले लीजिए, मेरे लिए आपके नीचे काम करना मेरा सौभाग्य है और हमेशा रहेगा। चाहे वो मैं बोर्ड में रह कर करूं या बस एक अदना का कर्मचारी बन कर।"


"लेकिन मनीष.."


"सर, मैने कुछ आज तक आपसे मांगा नहीं है। इसे ही मेरी इक्षा समझ कर मान लीजिए।" मैन हाथ जोड़ते हुए कहा।


वो कुछ देर सोचने के बाद, "ठीक है मनीष, तुम्हारी मर्जी के कारण मैं ये प्रोपोजल वापस ले रहा हूं।"


इसी के साथ वो अपनी कुर्सी से उठ कर बाहर चले गए। आज उनकी चाल में वो रुतबा नहीं दिख रहा था। श्रेय ने जाते जाते मुझे एक कुटिल मुस्कान दी। प्रिया ने मेरी ओर देख भी नहीं। हां शिविका ने जरूर एक बार देखा, लेकिन उसकी आंखे सूनी सी थी।


सेंटर की टीम इंस्पेक्शन के लिए कुछ ही दिन आने वाली थी, तो मैं उसके तैयारियों में लग गया।


पूरा हफ्ता इसी में निकल गया। सेंटर की टीम संतुष्ट हो कर गई थी, और हमें उम्मीद थी कि सरकार अपना सोना रखने को तैयार हो जाएगी। इसी बीच नेहा भी देहरादून चली गई थी, क्योंकि उसके डाइवोर्स वाले केस की तारीख आने वाली थी, और उसने किसी तरह से पैसों का इंतजाम भी कर लिया था। मैने कई बार उसे पैसे लेने की कहा पर हर बार वो मुझे मना कर देती थी।


अगले हफ्ते इसकी मंजूरी भी आ गई, और इसी के उपलक्ष्य में एक बड़ी पार्टी रखी गई। ये पार्टी मित्तल मेंशन में थी, मुझे भी जाना था, पर अब मेरा मन नहीं करता था सर के परिवार के सामने पड़ने का। खैर जाना तो था ही, तो मैं भी वहां गया।


बहुत सी जानी मानी हस्तियां मौजूद थी उस पार्टी में। वहां मुझे समर भी दिखा।


"क्या भाई, तुम भी invited हो क्या?" मैने उससे पूछा।


"सरकारी नौकर हूं भाई, और मित्तल साहब की इतनी बड़ी पार्टी, सुरक्षा का भी तो खयाल रखना पड़ता है हम लोग को। ड्यूटी पर हूं।" उसने कहा।


"अरे भाई, मैने सोचा आज दोनो लोग साथ बैठते हैं।"


"चल किसी और दिन सही, आज तो मौका नहीं मिलना।" ये बोल कर समर अपनी ड्यूटी करने लगा और मैं पार्टी में चला गया। पार्टी अपने शबाब पर थी। खाना और पीना दोनों जोर शोर से चल रहे थे। मैं मित्तल सर के पास गया, और उन्होंने मेरा तारूफ कई बड़े बड़े लोगों से करवाया। फिर कुछ देर बाद उनकी इजाजत ले कर मैं एक पैग ले कर किनारे बैठ गया। तभी मुझे श्रेय दिखा, और उसने भी मुझे देखा। उसके साथ कई सारे लड़के लड़कियां थे उसके ही हमउम्र के।


मुझे देखते ही वो मेरे पास आया। "हेलो मनीष। कैसे हो भाई?" आवाज से पता लग रहा थी उसने पी रखी है


"बढ़िया हूं मैं, तुम बताओ।" मैने अनमने ढंग से उससे कहा।


उसने मेरे कंधे पर हाथ रखनकर कहा, "मनीष वो बोर्ड मीटिंग वाली बात, that was just business, nothing personal. बुरा मत मानना उसका भाई।"


"मैं उस बात को कबका भूल चुका हूं।" मैने उसी सपाट लहजे में कहा।


"बढ़िया है फिर।" ये बोल कर उसने मुझे गले लगा लिया।


"ठीक है भाई, enjoy the party. और ये है भी तुम्हारे ही कारण" बोल कर श्रेय चला गया। और मेरा मूड और खराब कर दिया उसने। मैं फौरन ही पार्टी से निकल गया।


घर पहुंच कर मैने और शराब पी और सोफे पर ही लुढ़क गया। आज नेहा भी नहीं थी कि मैं किसी के साथ वक्त बीतता।


धीरे धीरे ऐसे ही समय बीतने लगा, नेहा अभी भी नहीं आई थी। ऑफिस का काम भी सही तरीके आ चल रहा था। वाल्ट वाले डिवीजन में प्राइवेट लोग भी कई वाल्ट ले चुके थे। और सरकार ने भी अभी फिलहाल 10 टन सोना रखने की मंजूरी दे दी थी, जो 4 अलग अलग समय पर 6 महीने के अंदर आना था, और उसकी पहली खेप भी आ गई थी।


नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....
बहुत ही सुंदर और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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#अपडेट १७


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नेहा ने एक दिन कंफर्म किया कि उसका और संजीव का तलाक हो गया है, और वो जल्दी ही वापस आएगी। पर उसके बाद उसके फोन आने कम हो गए, और एक दिन जब उसका कॉल नहीं आया तो मेरे लगाने पर उसका फोन बंद आने लगा। ठीक उसी समय सरकार का सोना आ रहा था तो मैं उधर ज्यादा बिजी हो गया और एक हफ्ते तक रात को मैं रोज फोन लगाता था, पर वो बंद ही रहा। संडे को फ्री होकर मैं दिन भर उससे संपर्क करने की कोशिश करता रहा, लेकिन नतीजा वही....


अब आगे -


नेहा से संपर्क न होने से मुझे उसकी बहुत चिंता होने लगी, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था? उसके घर से किसी का भी कांटैक्ट नंबर नहीं था मेरे पास। एक दिन मैने उसकी अपॉइंटमेंट फाइल निकलवा कर देखी कि शायद कोई जरिए मिल जाय कॉन्टेक्ट का, लेकिन वहां भी उसका एक मात्र नंबर वही था जो वो खुद इस्तेमाल करती थी। एक बार मैने सोचा कि उसके देहरादून वाले एड्रेस पर ही कोई चिट्ठी भेज दूं ऑफिस की तरफ से। मगर फिर ये सोच कर नहीं भेजी क्योंकि वो एक महीने की छुट्टी का आवेदन देकर गई थी, और अभी बस 20 दिन ही हुए थे उसे गए। फिर ऐसे में ऑफिस से चिट्ठी भेजने का कोई औचित्य नहीं बनता।


इसी उधेड़बुन में 4 5 दिन और निकल गए। एक शाम मैं ऑफिस से निकल ही रहा था कि एक लोकल नंबर से मेरे पास एक फोन आया, पहले तो मैने उसे इग्नोर कर दिया, मुझे लगा कि वो कहीं किसी टेली कॉलर का न हो। लेकिन वो एक बार और बजा तो मैने उसे उठा लिया। ये नेहा थी।


"हेलो, मनीष?"


"हेलो... नेहा?


"हां मनीष। कैसे हो तुम?"


"मैं अच्छा हूं, तुम हो कहां आखिर? तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा है लगातार, और ये किसका नंबर है?"


"अरे अरे मेरे भोले बलम, एक एड्रेस दे रही हूं, वहां अभी आ जाओ। फिर सब बताती हूं आराम से।"


फिर उसने एक एड्रेस बताया, ये शिवपुरी का एड्रेस था जो थोड़ा आउटर एरिया में था, और अभी यहां ज्यादा आबादी नहीं थी। मैने ड्राइवर को घर भेज दिया और खुद ही कार ड्राइव करके उसके बताए हुए एड्रेस पर पहुंच गया।


ये घर थोड़ा अलग थलग बना हुआ था, आस पास दो तीन प्लॉट छोड़ कर ही घर थे। और ये थोड़ा बाहर की तरफ भी था। वैसे तो वापी बहुत ही शांत शहर है, पर फिर भी इतनी बाहर के घर में नेहा का होना मुझे थोड़ा अटपटा लगा।


मैं घर के बाहर पहुंच कर बेल बजाई, और कुछ देर के बाद नेहा ने दरवाजा खोला, वो अभी एक शॉल ओढ़ कर खड़ी थी, क्योंकि मौसम में हल्की ठंड थी। उसने मुझे अंदर आने बोला।


अंदर आते ही, "ये कौन सी जगह है, और तुम यहां क्या कर रही हो? और कहां थी इतने दिन तुम?"


"अरे पहले बैठो तो सही, आते ही सवालों के गोले बरसाने लगे। मुझे पता है कि तुम बहुत नाराज होगे मुझसे, पर पहले आराम से बैठो।" उसने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बैठा दिया। और सामने टेबल पर पड़े जग से पानी निकला कर दिया।


पानी पी कर, "हां अब बताओ।"


"ये मेरा ही घर है, मतलब रेंट का। वहां पर कुछ शादी का फंक्शन होना था मकान मालिक का तो खाली करना पड़ा। ये भी उन्होंने ही दिलवाया है, एक महीने की ही बात है, फिर वहां वापस चले जाना है।" उसने एक सांस में कहा, मैने भी चारों ओर देखा तो सारा सामान नेहा का ही था।


"केस फाइनल होने के बाद मैं मुंबई चली गई थी, मौसी के पास। पर वहां जाते ही मेरा फोन गिर गया था, इसीलिए मेरा फोन बंद आ रहा था इतने दिनों से। आज ही उसी नंबर का नया सिम लिया है, कल तक चालू हो जाएगा। अब फोन न होने से कोई नंबर था नहीं मेरे पास, तो जब यहां आई तो डायरी में से तुम्हारा नंबर निकल कर लगाया, उसी दुकान से जहां से सिम लिया है। और कल जब आई तो यहां शिफ्टिंग का बोल दिया मकान मालिक ने, तो उसमे बीजी हो गई थी। और कोई शिकायत मेरे भोले बलम?" ये बोलते हुए वो मेरी गोद में आ कर बैठ गई। और एक गहरा चुम्बन दिया मुझे।


मैं थोड़ा अलग होते हुए, "पर मेरी क्या हालत हुई, तुम्हे अंदाजा भी है?"


"पता है मनीष, मैं भी तुमसे दूर हो कर कोई अच्छे से नहीं थी, मगर मौसी को वादा किया था कुछ दिन उनके साथ रहने का, इसीलिए वहां चली गई। पर अब आ गई हूं न? और अभी मेरी छुट्टी 5 दिन की और है, तो मैं बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूं, तुम भी छुट्टी ले लो ना।" उसने थोड़ी शरारत से कहा।


"अभी तो आज और कल का पूरा दिन हूं ही साथ में न। बाद की बाद में देखेंगे।" ये बोल कर मैने उसे अपने से चिपका लिया।


"अच्छा दो मिनिट रुको जरा।" ये बोल कर वो अंदर कमरे में चली गई। कोइ दो मिनिट बाद उसने मुझे आवाज दी कमरे से।


मैं उठ कर कमरे में गया तो वो सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने खड़ी थी, और उसे देखते ही मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे बरसों से बाद उससे मिल रहा हूं हम दोनो इस कदर एक दूसरे चूम रहे थे जैसे दोबारा ये सुहाना वक्त न मिले। नेहा के हाथ सीधे मेरे लॅंड पर आए और मेरे उसके उन्नत स्तनों पर, दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे। नेहा के स्तन तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे हो, मैने नेहा के कपड़े खोल डाले

जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म मेरी की आँखो के सामने था ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है यौवन से लदा हुआ मादक शरीर निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर।



ऐसा लज्जतदार शरीर देख मेरे मुंह में पानी आ गया और मैंने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर नेहा के स्तनों पर रख दिया और उसे चूसने लगा। मेरी इस चुसाई ने नेहा के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया

वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी “ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ इन्हें”


मेरे मुंह से जैसे ही नेहा के सीने जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से निकलते और मैं उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता आज इतने वक्त के बाद नेहा का पूरा नंगा शरीर देख था जिसेमें वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो पहले से शादी शुदा हो इसे देख ऐसा लगता हो जैसे कच्ची कली जो आज फूल बनने जा रही हो। स्तनों को चुस्वाते हुए नेहा उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और मैं उसे लेकर चलता हुआ बेड तक आया और उसे बेड पर पटक दिया

और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैने अपने सारे कपड़े उतारे, नेहा ने झट से मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे सीने को चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे लिंग की ओर बढ़ने लगी, और फिर मेरे लिंग की मुंह में ले कर चूसने लगी, मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे हाथ उसके सर पर पहुंच गए और उसे अपने लिंग पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना लिंग उतार दिया वो बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी, पर आज मुझे इस छटपटाहट में भी मज़ा आ रहा था, उधर शायद नेहा को भी मजा आ रहा था और वो छटपटाहट के बीच भी मेरे अंडकोष को मसलकर मुझे और भी मजे दे रही थी।कुछ ही देर में मेरा लिंग अपनी पूरी लंबाई के साथ उसकी योनि की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था

मैंने नेहा को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी बीच में थी उसकी आलोकिक योनि,

जिसे देख मेरा मन उसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लिंग था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था, मैने लिंग को नेहा की योनि पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे उस रसीली गुफा के अंदर धकेल दिया, घप्प की आवाज़ के साथ वो नेहा की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया।


“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………” करते हुए नेहा ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मगर मैं अब रुकने वाला नही था, अभी तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था। काफ़ी दिनों बाद ये मौका मिला था मुझे, नेहा गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर संभोग में बड़ा आनंद आ रहा था।

नेहा भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही होगी, आज काफी दिनो के बाद मैं उसकी गहराई नाप रहा था।

वो उछलकर मेरे उपर आ गयी और लिंग को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से मेरी की सवारी करने लगी।


तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था

“आआआआहह अहह और ज़ोर से मनीष…..और तेज……..उम्म्म्मममम"


मैं भी अपनी पूरी ताकत से संभोग करने लगा। और कुछ समय की धक्का मुक्की के बाद मैं तेजी से झड़ने लगा नेहा के अन्दर जिसके एहसास से नेहा ने जोर से मुझको अपने गले से लगा लिया मैं भी अतिरेक में आ कर उसके सीने पर अपने दांतों से लव बाइट बना दी।


कुछ देर हम दोनो ऐसे ही बेड पर पड़े रहे और फिर उठ कर खुद को साफ किया। नेहा अपनी वही नाइटी डाल कर बाहर चली गई, ये बोल कर कि वो कुछ खाने का इंतजाम करेगी रसोई में। मैने भी अंडरवियर और पैंट डाल लिया।


नेहा के बाहर जाते ही उसकी एक जोर की चीख आई।


"तुम, यहां अंदर कैसे आए?"


उसकी आवाज सुन कर मैं भी कमरे के बाहर गया और देखा कि बाहर संजीव, नेहा का पूर्व पति हाथों में रिवॉल्वर लिए खड़ा था, जिसकी निशाना नेहा थी।


संजीव मुझे देखते ही, "तो ये है तेरा यार, तुम दोनों के कारण मैं जेल में बंद रहा, अब मैं तुम दोनों को मार कर अपना बदला लूंगा।"


मैं उसके और नेहा के बीच में आ गया, "देखो उस दिन पुलिस ने जो भी किया वो मेरे कहने पर किया, इसमें नेहा की कोई गलती नहीं।"


संजीव मुझे नशे में लगा, तो मुझे लगा कि मैं उस पर काबू पा सकता हूं।


संजीव, "ये रिवॉल्वर देख रहा है, तेरी ही है, अब मै इससे नेहा को मारूंगा और इल्ज़ाम तेरे सर आयेगा।"



मैने गौर से देख तो ये मित्तल सर की दी हुई रिवॉल्वर थी।

मैने थोड़ा सा उसका ध्यान बांटने की कोशिश की, "नेहा पुलिस को कॉल करो।"
जैसे ही मैने ये कहा, वैसे ही उसका ध्यान मेरे पीछे खड़ी नेहा पर गया, और मैने झपट कर उससे रिवॉल्वर छीन ली, और उसके ऊपर तान दी।पर जैसे ही मैने रिवॉल्वर संजीव पर तानी, वैसे ही नेहा, जो मेरे पीछे खड़ी थी, फिर से चीखी

"नहीं.. आह!!!"

और इससे पहले कि मैं पलट कर नेहा को देखता, मेरे सर पर एक जोर का वार हुआ और.....
बहुत ही शानदार और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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