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Incest शरीफ बाप और उसकी शैतान बेटी

Motaland2468

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हमारा घर डबल स्टोरी था. नीचे एक रूम में माँ और पापा सोते थे और उनके साथ वाला रूम मेरा था।

माँ पापा के कमरे का बाथरूम मेरे कमरे से अटैच था।

मेरे माँ और पापा एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं मैंने उन्हें कभी झगड़ते हुए नहीं देखा।

बात शुक्रवार की है रात की है करीब 11 बजे मेरी आंख खुली और मैं बाथरूम करने के लिए उठी। मैं जब बाथरूम में गई तो मैंने पापा के कमरे में से कुछ आवाज आती हुई सुनी तो बिना कोई आहट किया दरवाजे से कान लगा के उनकी बातें सुनने लगी।
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पापा मम्मी से कह रहे थे कि तुम्हारे भाई का फोन आया था वो तुम्हे लेने के लिए आ रहा है कल. तुम एक हफ्ते के लिए मुझसे दूर चली जाओगी मैं कैसे रहूंगा तुम्हारे बिना तुम्हें पता है कि मैं जब तक एक बार तुम्हें चोद ना लूं मुझे नींद नहीं आती है। उनकी ये बातें सुनकर मैं सन रह गई थी।

माँ - एक हफ्ते की ही तो बात है फ़िर मैं आपके पास ही हूँ मैं फिर कहाँ जाना है मुझे। आज मुझे जी भर के चोद लो , पूरे हफ्ते की कसर निकाल लो लेकिन पहले ये देख लो कि आपकी लाडली बेटी सुमन सो गई है कि अभी जाग रही है।

पापा- मैं अभी तो देख कर आया हूं उसके कमरे में कि वो सो रही है।

माँ – फिर भी एक बार देख लीजिये नहीं तो मैं भी सोने लगी हूँ।

पापा – ठीक है बाबा देखता हूं और पापा बिस्तर से नीचे उतरने लगे तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई और सोने का नाटक करने लगी।
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अब मुझे नींद कहाँ आनी थी क्योंकि अब तो मुझे पापा ने माँ को चोदते हुए देखना था । पापा के जाने के बाद मैं फिर से उठी और बाथरूम में आ गई और दरवाजे के की होल में नजरें लगा दी। कमरे में हल्की रोशनी थी.

अंदर का नजारा देख कर मैं दंग रह गई अंदर पापा और मां बिल्कुल नंगे बैठे हुए बिस्तर पर। पापा माँ के स्तनों को चूस रहे थे और माँ पापा के लंड को जो 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा होगा पकड़ कर हाथ से सहला रही थी।
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पापा का लण्ड देख कर तो मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गयी. अरे लौड़ा इतना बड़ा और इतना मोटा भी होता है क्या. मैंने तो सिर्फ अपने बॉयफ्रेंड रचित का ही लण्ड देखा था, पर पापा का लौड़ा तो रचित से बहुत बड़ा और बहुत मोटा था. इतना बड़ा लौड़ा तो मैंने सिर्फ ब्लू फिल्मो में ही देखा था.
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फिर पापा ने माँ को बिस्तर पर लिटा लिया और उनकी चिकनी चूत को चाटने लगे और माँ के मुँह से ओह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह.. की सिसकियाँ निकलने लगी। पापा उस में आपनी पूरी जीभ घुसा रहे थे।
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ये सब देख कर मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा हाथ मेरी चूत पे चला गया और उँगलियों का उपयोग शुरू हो गया। मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी। फ़िर माँ ने पापा के लंड को मुँह में ले लिया और लगी लॉलीपॉप की तरह चूसने।

फिर पापा और माँ 69 के पेज पर मैं आ गई

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और फिर 5 मिनट बाद पापा ने अपना मोटा लंड माँ की चूत पर रखा और एक ही झटके में अंदर घुस दिया।

पापा पूरे ज़ोर से धक्के मार रहे थे और माँ जोर जोर से उछल उछल कर पापा का इतना बड़ा लौड़ा अपने अंदर ले रही थी. और जोरदार चुदाई हो रही थी आह मेरी जान ओह्ह मेरी जान या ज़ोर से लो अपनी रानी की आह ओह्ह और ज़ोर से बहुत मजा आ रहा है मर गई और तेज मारो और फिर कोई 15 मिनट बाद दोनों शांत हो गए यानी फारिग हो गए.
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(मुझे बहुत फरक लगा. रचित तो साला नशेड़ी था जो २ मिनट में ही फारिग हो जाता था, पर पापा ने तो लौड़ा मम्मी की अंदर घुसेड़ने के बाद १५ मिनट से भी ज्यादा तो सिर्फ धक्के ही मारे थे. क्या स्टैमिना जोश और ताकत थी पापा में. पापा पूरे मर्द थे. )
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Ting ting

Ting Ting
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मैंने उस रात में अपने माँ बाप की चुदाई का नजारा देखा जिसे देख कर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैं माँ बाप की चुदाई देखने के बाद अपने कमरे में आ गयी और अपनी चूत में दो उँगलियाँ डाल कर तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं उँगलियों की जगह पापा का मोटा लण्ड याद कर रही थी. १ मिनट भी नहीं बीता था की मेरी चूत से मेरा पानी निकल गया. आज पहली बार अपनी उंगिलयों से इतना मजा आया की मेरे से उठा नहीं जा रहा था क्योंकि मेरी टांगों से जैसी जान ही निकल गई थी।
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मैं जैसे तैसे उठी और बाथरूम से पेशाब करके वापिस आ कर लेट गई। मेरी आंखों के सामने पापा का तना हुआ लंड आ जाता था।

मेरी चूत थी कि पूरी गरम हो चुकी थी मुझे नहीं पता था कि उसे कैसे शांत करना है बस मैं उसे चुदवाना चाहती थी।

मैं बस इतना ही चाहती थी कि मेरी किसी तरह से एक मोटे और लम्बे से लौड़े से जबरदस्त चुदाई हो जाए।

फिर मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई।

अगले दिन शनिवार को जब मैं उठी तो 12 बजने वाले थे और बाहर आ कर देखा तो मामा जी आ गये थे। माँ दीदी और छोटे भाई ने साथ जाने के लिए अपना सामान पकड़ लिया था। बड़े भाई को 2 दिन का टूर था तो उन्हें कह दिया था कि वो सीधे वहीं पहुंच जाएंगे।

करीब 2 बजे मामा जी उनको ले कर चले गए। पापा भी जल्दी आ गए सैटरडे की वजह से। मैंने उन्हें चाय दी, फिर उन्हें मामा जी या माँ सब के लिए रिक्शा मंगवा लिया और वो चले गए। अब घर मैं सिर्फ मैं और पापा ही रह गए।

फिर मैं भी अपने कमरे में चली गई और पापा अपने कमरे में चले गए क्यों कि सारी रात मैं भी सोई नहीं थी, इसके लिए मुझे भी नींद आ रही थी।

मैंने जैसी ही आंखें बंद की मेरी आंखों के सामने पापा का तना हुआ लंड घुमने लगा जैसे तैसे करके मुझे नींद आ गई
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और मैंने एक सपना देखा कि मैं बिस्तर पर नंगी लेती हूं और पापा मेरी चुत चाट रहे हैं ,मुझे बहुत मजा आ रहा है. फिर पापा अपना लौड़ा मुझे चूसने को बोलै और मैंने भी मजे ले ले कर उसे चूसा. और फिर पापा ने एक तकिया मेरी गांड के नीचे रख दिया और मेरी टांगे अपने कंधे पर रख कर मेरी जबरदस्त चुदाई की जैसी की पापा ने माँ की चुदाई की थी.
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इतने में मेरी आँख खुल गयी। मैंने देखा की बिस्तर पर मैं अकेली ही पड़ी हूँ और मेरी चूत से मेरा काम रस बह रहा है.

मैं सोचने लगी की आखिर पापा भी तो एक मर्द हैं और उनके पास तो इतना बड़ा लण्ड है, यदि किसी तरह मुझे पापा से चुदवाने का मौका मिल जाये तो फिर तो मजा ही आ जायेगा.

पर यह तो संभव नहीं था. क्योंकि वो आखिर मेरे पापा थे. कोई बाहरी आदमी नहीं, बाप बेटी के बीच ऐसा सेक्स का सम्बन्ध नहीं हो सकता है.

फिर मैं सोचने लगी की यदि मैं पापा को किसी तरह पटा लूँ और किसी तरह मुझे पापा से चुदाई का मौका मिल जाये तो इसमें न तो मेरे पुराने बॉयफ्रेंड की तरह कोई मूवी बनाने और ब्लैकमैल करने का रिस्क रहेगा और न ही छुप छुप कर जगह ढूंढने का कोई पन्गा. क्योंकि पापा तो घर में ही है और यदि पापा मुझे चाहें तो कभी भी चोद सकेंगे.

ऊपर से पापा का लौड़ा तो इतना बड़ा और मोटा है की जिंदगी का मजा ही आ जायेगा.
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यह सब सोच में कितना ही देर पापा के लण्ड को याद करती और भगवान से प्रार्थना करती रही कि हे भगवन बस किसी तरह मेरा मेरे पापा से टंका फिट करवा दो मेरी चुदाई मेरे पापा से करवा दो.

पापा से हो सकने वाली चुदाई के बारे में सोच सोच कर मैं मंद मंद मुस्कुरा रही थी. मैं सोच रही थी कि क्या मैं इतनी सुंदर हूँ कि पापा को पटा सकूँ।

मैं बिल्कुल नंगी थी मैंने अपनी चूत के बालों को साफ किया हुआ था। स्तन जो बड़े बड़े थे बिल्कुल सीधे तन्ने हुए थे। हल्के भूरे रंग का उसके ऊपर छोटा सा निप्पल उनकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था।

मैं उठ कर दिवार मैं लगे शीशे के पास चली गयी।

मैंने खुद को मिरर में पीछे से देख अपनी उबरी हुई गांड, जो दूध सी सफेद थी, जिनको कोई एक बार देख ले पागल हो जाए। बड़े-बड़े उबरे हुए नितमब .
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मैं अपने हुस्न को देख मुस्कुराने लगती हूँ ।मेरा जिस्म अब इतना खिल गया था जिसे देख मैं खुद पर गर्व महसूस करती थी।

मैं खुद को आईने में देख सोचने लगी।

(अपनी सुंदर शरीर को देख कर मैं खुद ही बड़बड़ाने लगी। .... पापा देख रहे हो मुझे, क्या हाल हो गया है मेरा चुदाई के बिना! मेरे पापा! तुम्हारी सुमन की जवानी केसे बर्बाद हो रही है लण्ड के बिना। तुम ही बताओ मैं क्या करू। मेरी तड़प बढ़ती जा रही है। मेरा) जिस्म अब तपने लगा है। क्या करूं अब और बर्दाश्त नहीं होता पापा )

ये कहते कहते मैं फिर से अपनी चूत को रगड़ने लगती हूँ जेसे ही मैं अपनी चूत पर हाथ रखती हूँ मेरे हवस की चिंगारी मेरी खुली हुई चूत में भड़क जाती है। मेरी आह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है।

एक हाथ से मैं अपने स्तन की मसाज करने लगती हूँ । फिर एक उंगली अपनी चूत में डाल देती हूँ । ऊँगली चूत में जाते ही मुझे एहसास हुआ की मेरी चूत अंदर से कितनी गर्म है. मैं अपनी गर्मी को निकालने के लिए अपनी चूत को रगड़ने लगती हूँ। अपनी मस्ती में मस्त होकर अपनी चूत में उंगली करने लगती हूँ.
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मेरी सांस तेजी से चलने लगती है । मेरे से खड़ा भी नहीं रहा गया मैं वहीँ दीवार का सहारा लेकर नीचे बैठ जाती हूँ और जोर जोर से चूत को रगड़ने लगती हूँ.

जब मेरी हवस अपने चरम पर पहुँचीमेरी आँख बंद हो चुकी थी और मैं बस अह्ह्ह्हह सस्शह आआम्म्म्म अपने होठों को दबा कर अपनी आवाज रोकती हूँ । कि कहीं मेरी आवाज कमरे से बाहर ना निकल जाए।

आआहहह अम्ममाआआ मम पापा आअहह हाँ मेरी जान आआआहह हाआआ इइस्स्स्स हाँ आआहहहह.. ऐसे ही ममम उउउन्नाआआ हाँ मेरे प्यारे पापा हाय आपका लौड़ा। ... , अचानक ही मेरे मुँह से निकल गया। मैं आज इतनी ज्यादा गरम थी थोड़ी देर ही चूत को रगड़ा था के वो झड़ने के करीब पहुंच गई और फिर मैं झटके खाते हुए झड़ने लगी।

15 से 20 सेकंड मेरी चूत झटके खाती रही और मेरी चूत से पानी निकलता रहा। काफ़ी दिनों बाद मैं ऐसे झड़ी थी। में इतना थक चुकी थी की मेरे में उठ कर अपने बेड तक जाने की भी ताकत नहीं थी. मैं दीवार के पास ही निढाल होकर पड़ी रही। मुझे होश भी नहीं था. और मैं लंबी लंबी सांस लेती रही.

आज पापा को और उनके लण्ड की याद में मैंने जो चूत रगड़ी थी उसमे इतना मजा आया था की आज तक कभी नहीं आया था.

पता नहीं यह पापा के लण्ड का ही असर था या कुछ और.

अभी भी मेरी चूत से पानी लगातार बह रहा था। फिर से उंगली से चूत रगड़ने से मेरा थोड़ा बच्चा हुआ पानी भी निकल गया। और मैं लंबी लंबी सांस लेती रही .
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थोड़ी देर मैं ऐसे ही पड़ी रही. फिर मुझे याद आया केसे मैं अपने पापा का नाम ले रही थी झड़ते हुए, ये सोच कर एक बार तो खुद पर गुस्सा आया लेकिन अगले ही पल एक प्यारी सी मुस्कान मेरे के चेहरे पर फ़ैल गयी ।

(हे भगवान कितना पागल बना दिया है मुझे इस आग ने। मैं अपने ही बाप को याद करके ये सब कर गई। मुझे माफ करना भगवान। मैं अपने हवस में भूल गई मैं क्या कर रही हूं। मुझे माफ करना)

थोड़ी देर बाद जब मैं खड़ी हुयी तो मेरी नज़र अपनी चूत से निकले पानी पर जाती है। आज इतना पानी निकला था जिसे मैंने पेशाब कर दिया हो। अपनी चूत से निकले पानी को देख कर एक बार तो मैं सोच में पड़ गयी कि कहीं मैंने सच में पेशाब तो नहीं कर दिया। पर जब मैंने अपने पानी को अपनी उंगली पर लगाकर अपनी नाक के पास लाकर सूंघा तब मुझको अहसास हुआ के ये पेशाब नहीं है बल्कि अपनी चूत से निकला चूत का अमृत है।
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मुझे अपना शरीर काफी हल्का सा महसूस हुआ मैं बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और कमरे में फ़ैल गए चूत से निकले पानी को भी साफ किया। और फिर अपने बेड पर जा कर लेट गयी।

मैं दो बार चूत का पानी निकल जाने से इतनी थक गयी थी की फिर से मेरी आँख बंद हो गयी और मैं सो गयी।
 

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मैंने उस रात में अपने माँ बाप की चुदाई का नजारा देखा जिसे देख कर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैं माँ बाप की चुदाई देखने के बाद अपने कमरे में आ गयी और अपनी चूत में दो उँगलियाँ डाल कर तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं उँगलियों की जगह पापा का मोटा लण्ड याद कर रही थी. १ मिनट भी नहीं बीता था की मेरी चूत से मेरा पानी निकल गया. आज पहली बार अपनी उंगिलयों से इतना मजा आया की मेरे से उठा नहीं जा रहा था क्योंकि मेरी टांगों से जैसी जान ही निकल गई थी।
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मैं जैसे तैसे उठी और बाथरूम से पेशाब करके वापिस आ कर लेट गई। मेरी आंखों के सामने पापा का तना हुआ लंड आ जाता था।

मेरी चूत थी कि पूरी गरम हो चुकी थी मुझे नहीं पता था कि उसे कैसे शांत करना है बस मैं उसे चुदवाना चाहती थी।

मैं बस इतना ही चाहती थी कि मेरी किसी तरह से एक मोटे और लम्बे से लौड़े से जबरदस्त चुदाई हो जाए।

फिर मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई।

अगले दिन शनिवार को जब मैं उठी तो 12 बजने वाले थे और बाहर आ कर देखा तो मामा जी आ गये थे। माँ दीदी और छोटे भाई ने साथ जाने के लिए अपना सामान पकड़ लिया था। बड़े भाई को 2 दिन का टूर था तो उन्हें कह दिया था कि वो सीधे वहीं पहुंच जाएंगे।

करीब 2 बजे मामा जी उनको ले कर चले गए। पापा भी जल्दी आ गए सैटरडे की वजह से। मैंने उन्हें चाय दी, फिर उन्हें मामा जी या माँ सब के लिए रिक्शा मंगवा लिया और वो चले गए। अब घर मैं सिर्फ मैं और पापा ही रह गए।

फिर मैं भी अपने कमरे में चली गई और पापा अपने कमरे में चले गए क्यों कि सारी रात मैं भी सोई नहीं थी, इसके लिए मुझे भी नींद आ रही थी।

मैंने जैसी ही आंखें बंद की मेरी आंखों के सामने पापा का तना हुआ लंड घुमने लगा जैसे तैसे करके मुझे नींद आ गई
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और मैंने एक सपना देखा कि मैं बिस्तर पर नंगी लेती हूं और पापा मेरी चुत चाट रहे हैं ,मुझे बहुत मजा आ रहा है. फिर पापा अपना लौड़ा मुझे चूसने को बोलै और मैंने भी मजे ले ले कर उसे चूसा. और फिर पापा ने एक तकिया मेरी गांड के नीचे रख दिया और मेरी टांगे अपने कंधे पर रख कर मेरी जबरदस्त चुदाई की जैसी की पापा ने माँ की चुदाई की थी.
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इतने में मेरी आँख खुल गयी। मैंने देखा की बिस्तर पर मैं अकेली ही पड़ी हूँ और मेरी चूत से मेरा काम रस बह रहा है.

मैं सोचने लगी की आखिर पापा भी तो एक मर्द हैं और उनके पास तो इतना बड़ा लण्ड है, यदि किसी तरह मुझे पापा से चुदवाने का मौका मिल जाये तो फिर तो मजा ही आ जायेगा.

पर यह तो संभव नहीं था. क्योंकि वो आखिर मेरे पापा थे. कोई बाहरी आदमी नहीं, बाप बेटी के बीच ऐसा सेक्स का सम्बन्ध नहीं हो सकता है.

फिर मैं सोचने लगी की यदि मैं पापा को किसी तरह पटा लूँ और किसी तरह मुझे पापा से चुदाई का मौका मिल जाये तो इसमें न तो मेरे पुराने बॉयफ्रेंड की तरह कोई मूवी बनाने और ब्लैकमैल करने का रिस्क रहेगा और न ही छुप छुप कर जगह ढूंढने का कोई पन्गा. क्योंकि पापा तो घर में ही है और यदि पापा मुझे चाहें तो कभी भी चोद सकेंगे.

ऊपर से पापा का लौड़ा तो इतना बड़ा और मोटा है की जिंदगी का मजा ही आ जायेगा.
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यह सब सोच में कितना ही देर पापा के लण्ड को याद करती और भगवान से प्रार्थना करती रही कि हे भगवन बस किसी तरह मेरा मेरे पापा से टंका फिट करवा दो मेरी चुदाई मेरे पापा से करवा दो.

पापा से हो सकने वाली चुदाई के बारे में सोच सोच कर मैं मंद मंद मुस्कुरा रही थी. मैं सोच रही थी कि क्या मैं इतनी सुंदर हूँ कि पापा को पटा सकूँ।

मैं बिल्कुल नंगी थी मैंने अपनी चूत के बालों को साफ किया हुआ था। स्तन जो बड़े बड़े थे बिल्कुल सीधे तन्ने हुए थे। हल्के भूरे रंग का उसके ऊपर छोटा सा निप्पल उनकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था।

मैं उठ कर दिवार मैं लगे शीशे के पास चली गयी।

मैंने खुद को मिरर में पीछे से देख अपनी उबरी हुई गांड, जो दूध सी सफेद थी, जिनको कोई एक बार देख ले पागल हो जाए। बड़े-बड़े उबरे हुए नितमब .
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मैं अपने हुस्न को देख मुस्कुराने लगती हूँ ।मेरा जिस्म अब इतना खिल गया था जिसे देख मैं खुद पर गर्व महसूस करती थी।

मैं खुद को आईने में देख सोचने लगी।

(अपनी सुंदर शरीर को देख कर मैं खुद ही बड़बड़ाने लगी। .... पापा देख रहे हो मुझे, क्या हाल हो गया है मेरा चुदाई के बिना! मेरे पापा! तुम्हारी सुमन की जवानी केसे बर्बाद हो रही है लण्ड के बिना। तुम ही बताओ मैं क्या करू। मेरी तड़प बढ़ती जा रही है। मेरा) जिस्म अब तपने लगा है। क्या करूं अब और बर्दाश्त नहीं होता पापा )

ये कहते कहते मैं फिर से अपनी चूत को रगड़ने लगती हूँ जेसे ही मैं अपनी चूत पर हाथ रखती हूँ मेरे हवस की चिंगारी मेरी खुली हुई चूत में भड़क जाती है। मेरी आह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है।

एक हाथ से मैं अपने स्तन की मसाज करने लगती हूँ । फिर एक उंगली अपनी चूत में डाल देती हूँ । ऊँगली चूत में जाते ही मुझे एहसास हुआ की मेरी चूत अंदर से कितनी गर्म है. मैं अपनी गर्मी को निकालने के लिए अपनी चूत को रगड़ने लगती हूँ। अपनी मस्ती में मस्त होकर अपनी चूत में उंगली करने लगती हूँ.
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मेरी सांस तेजी से चलने लगती है । मेरे से खड़ा भी नहीं रहा गया मैं वहीँ दीवार का सहारा लेकर नीचे बैठ जाती हूँ और जोर जोर से चूत को रगड़ने लगती हूँ.

जब मेरी हवस अपने चरम पर पहुँचीमेरी आँख बंद हो चुकी थी और मैं बस अह्ह्ह्हह सस्शह आआम्म्म्म अपने होठों को दबा कर अपनी आवाज रोकती हूँ । कि कहीं मेरी आवाज कमरे से बाहर ना निकल जाए।

आआहहह अम्ममाआआ मम पापा आअहह हाँ मेरी जान आआआहह हाआआ इइस्स्स्स हाँ आआहहहह.. ऐसे ही ममम उउउन्नाआआ हाँ मेरे प्यारे पापा हाय आपका लौड़ा। ... , अचानक ही मेरे मुँह से निकल गया। मैं आज इतनी ज्यादा गरम थी थोड़ी देर ही चूत को रगड़ा था के वो झड़ने के करीब पहुंच गई और फिर मैं झटके खाते हुए झड़ने लगी।

15 से 20 सेकंड मेरी चूत झटके खाती रही और मेरी चूत से पानी निकलता रहा। काफ़ी दिनों बाद मैं ऐसे झड़ी थी। में इतना थक चुकी थी की मेरे में उठ कर अपने बेड तक जाने की भी ताकत नहीं थी. मैं दीवार के पास ही निढाल होकर पड़ी रही। मुझे होश भी नहीं था. और मैं लंबी लंबी सांस लेती रही.

आज पापा को और उनके लण्ड की याद में मैंने जो चूत रगड़ी थी उसमे इतना मजा आया था की आज तक कभी नहीं आया था.

पता नहीं यह पापा के लण्ड का ही असर था या कुछ और.

अभी भी मेरी चूत से पानी लगातार बह रहा था। फिर से उंगली से चूत रगड़ने से मेरा थोड़ा बच्चा हुआ पानी भी निकल गया। और मैं लंबी लंबी सांस लेती रही .
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थोड़ी देर मैं ऐसे ही पड़ी रही. फिर मुझे याद आया केसे मैं अपने पापा का नाम ले रही थी झड़ते हुए, ये सोच कर एक बार तो खुद पर गुस्सा आया लेकिन अगले ही पल एक प्यारी सी मुस्कान मेरे के चेहरे पर फ़ैल गयी ।

(हे भगवान कितना पागल बना दिया है मुझे इस आग ने। मैं अपने ही बाप को याद करके ये सब कर गई। मुझे माफ करना भगवान। मैं अपने हवस में भूल गई मैं क्या कर रही हूं। मुझे माफ करना)

थोड़ी देर बाद जब मैं खड़ी हुयी तो मेरी नज़र अपनी चूत से निकले पानी पर जाती है। आज इतना पानी निकला था जिसे मैंने पेशाब कर दिया हो। अपनी चूत से निकले पानी को देख कर एक बार तो मैं सोच में पड़ गयी कि कहीं मैंने सच में पेशाब तो नहीं कर दिया। पर जब मैंने अपने पानी को अपनी उंगली पर लगाकर अपनी नाक के पास लाकर सूंघा तब मुझको अहसास हुआ के ये पेशाब नहीं है बल्कि अपनी चूत से निकला चूत का अमृत है।
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मुझे अपना शरीर काफी हल्का सा महसूस हुआ मैं बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और कमरे में फ़ैल गए चूत से निकले पानी को भी साफ किया। और फिर अपने बेड पर जा कर लेट गयी।


मैं दो बार चूत का पानी निकल जाने से इतनी थक गयी थी की फिर से मेरी आँख बंद हो गयी और मैं सो गयी।
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