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इसी तरह रात निकल गयी। सुबह उठ कर मैंने खाना बनाया और फिर खाना खाने के बाद पापा अपने कमरे में चले गए और मैं अपने कमरे में चली गई।
मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं करीब 11 बजे बाथरूम में गई तो देखा पापा के कमरे में से हलकी रोशनी आ रही थी। मैंने चाबी वाले छेद से देखा तो पापा बिस्तर पर नंगे बैठे थे और अपने लंड को सहला रहे थे।
मैं समझ गयी कि पापा को माँ की याद आ रही है। पापा अपने लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे कर रहे थे।
मुझे पापा पे बहुत तरस आ रहा था कि कैसे वो अपने लंड को खुद ऊपर कर रहे थे मेरा मन कर रहा था कि मैं भाग के जाऊं और उसके लंड को मुंह में ले कर चूसने लगू लेकिन मेरी तो टांग ही हिल नहीं पा रही थी .
फिर मैंने देखा कि पापा के लंड ने पानी छोड़ दिया है और वो बिस्तर से नीचे उतरने लगे तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई।
सारा दिन मैंने बेड पर करवटे बदलते हुए निकाल दीया , बस ये सोचते हुए कि क्या मुझे मेरे पापा का लंड मिल सकता है?
लेकिन कैसे ये ही समज मैं नहीं आ रहा था।
मैं चाहती थी कि किसी तरह मैं अपने पापा को पटा लूं और उनसे चुदाई करवाऊं लेकिन कोई प्लान नहीं बना रहा था।
सुबह उठते ही मैंने सोच की मैं पापा और खुद के लिए चाय बना लूं और खुद भी पेशाब कर लूं। चाय पीने के बाद मैं सफाई करने लगी.
मैं सोच रही थी की मुझे पापा को सेड्यूस करने के लिए खुद ही पहल करनी पड़ेगी. तो जब मैं पापा के कमरे में सफाई करने के लिए गई तो मैंने मां की नाइटी पहन ली थी। और तब मैंने जान बुझ कर अपनी ब्रा भी निकाल दी. माँ की नाइटी मेरे घुटनो तक ही आ रही थी, पहले तो मैंने सोच की अपनी पैंटी भी निकल देती हूँ. पर फिर सोचा के अभी तो शुरुआत ही है, तो अभी एकदम इतना नहीं करुँगी. तो पैंटी पहने ही मैं पापा के कमरे में सफाई करने चली गयी.
तब मेरे स्तन हाथ में आने लायक हो गए थे और बहुत अच्छे से मसले जा सकते थे। माँ की नाइटी की वजह से जब मैं झुकती थी तो उसका गला बड़ा होने की वजह से मेरे स्तन साफ नजर आ जाते थे। ऊपर से मैंने अपनी ब्रा भी नहीं पहनी थी.
पापा बिस्तर पर बैठे हुए थे उनका पायजामा और बनियान पहननी हुई थी। मैं जान बुज कर पापा की तरफ मुंह करके झुक रही थी ताकी पापा मेरे स्तन एक बार देख लें लेकिन वो तो टीवी देखें मैं मस्त था इसके लिए मैंने झुके झुके ही बिना पापा की तरफ देखे कहा कि पापा आज क्या खाना चाहते हैं?
मैंने चोर नजर से देखा कि इस बार पहली बार पापा ने मेरी तरफ देखा और उनकी नजर मेरे स्तनों पर चली गई, जो की निप्पल तक नाइटी के खुले गले से दिखाई पड़ रहे थे. पापा ने पहली बार आज मेरे मम्मे देखे थे तो अनहोनी झट से दूसरी तरफ मुंह कर लिया, लेकिन अब वो बार बार चोर नजर से मेरे नंगे स्तनों को निहारने लगे।
मैं सीधी हुई तो देखा कि वो पैजामे मैं अपने तने हुए लंड को दबाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरे स्तन देख कर उबका लंड अकडने लगा है। मैं फिर से झुक कर उन्हें अपने स्तन दिखाने लगी और पोछा लगाने लगी।
थोड़ी देर इसी तरह मैं पापा के सामने खड़ी खड़ी झाड़ू लगाती रही और झुक कर काम करते हुए पापा को अपने मम्मे दिखती रही.
मैंने पापा की तरफ नहीं देखा ताकि पापा को लगे की मुझे अपने दिखाई दे रहे मम्मों का कुछ भी पता नहीं है, और वो इसी तरह चोर नजरों से मेरी छातिओं को देखते रहे. पापा का लण्ड खड़ा हो गया था और वो उसे दबा दबा कर पजामे में सेट कर रहे थे. में चोर नजरों से पापा की हालत देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी पर प्रगट में में ऐसा दिखावा कर रही थी की जैसे मुझे कुछ भी पता नहीं है.
खैर थोड़ी देर में कमरे की सफाई हो गयी तो मैं पानी ले कर पोंछा लगाने लगी.
मैं बैठ कर पोंछा लगा रही थी तो अब पापा को मेरे मुम्मे दिखाई नहीं दे रहे थे.
मैंने पापा की तरफ चोर नजरों से देखा कि पापा मेरी नाइटी के गले से मेरे मुम्मों को देखने की कोशिश कर रहे थे पर मुम्मे दिखाई न देने से उन के चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही थी. वो परेशां से लग रहे थे।
मैं मन ही मन मुस्कुरा दी. और फिर बैठ कर पोंछा लगाते हुए अपने घुटने अपनी छाती के नीचे रख लिए जिस से मेरे मुम्मे दब जाने के कारण ऊपर को उभर गए और पापा को अब मेरे मुम्मे ठीक से दिखाई दे रहे थे.
पापा के चेहरे पर अब मुझे एक संतुष्टि का भाव दिखाई दे रहा था. वो टीवी देखने का नाटक करते करते मेरे मुम्मे ही देख रहे थे.
मुझे लग रहा था की मेरा तीर सही निशाने पर लग रहा है,
फिर मैंनेक कुछ सोचा और कमरे में सोफे के साइड में रखे एक छोटे टेबल के नीचे पोंछा लगाने का नाटक करना शुरू किया. अब मेरी पीठ पापा की तरफ थी. मैंने बुड़बुड़ाना शुरू किया की सोफे के नीचे बिलकुल भी साफ़ नहीं है और बहुत मिट्टी पड़ी है, यह बोल कर मैंने झुक कर सोफे के नीचे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करने लगी,
मेरे ऐसे करने से मैंने अपना पिछवाड़ा (गांड ) ऊपर उठा लिया ताकि मैं दूर अंदर तक पोंछा लगा सकूँ.
मेरे ऐसा करने से मेरी छोटी सी नाइटी मेरी कमर तक ऊपर उठ गयी. पापा की जन्नत ही हो गयी. अब पापा को मेरी झांगे दिखाई दे रही थी,
चाहे मेरी पीठ पापा की ओर थी पर टीवी स्क्रीन में मुझे पापा का अक्स दिखाई दे रहा था. पापा को मालूम नहीं था की मैं पापा की हरकतें देख सकती थी,
उन्हें तो लगा की उनकी ओर मेरी पीठ है तो वे अब टीवी से नजर हटा कर सीधे मेरे चूतड़ ही देख रहे थे.
मैंने झूकते हुए आगे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करते हुए अपनी चूतड़ और ऊपर उठा दी.
अब तो जैसे पापा का कलेजा ही मुंह को आने वाला हो गया.
अब पापा को मेरी पैंटी और उस में कसी हुई मेरी गांड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी,
पापा का लौड़ा अब स्टील की रॉड बन चूका था और पापा उसे बेशर्मों की तरह मसल रहे थे. उन्हें मेरे द्वारा देखे जाने का कोई डर जो नहीं था क्योंकि मेरी तो उनकी तरफ पीठ थी. हालाँकि मैं टीवी के शीशे में उनकी सारी हरकतें देख रही थी,
अब पापा अपने लण्ड को तेज तेज मसल रहे थे.
पापा टीवी देखते हुए सोफे पर लेट गए। वो ऐसे शो कर रहे थे जैसे बैठे बैठे वे थक गए हो और आराम से लेट कर टीवी देख सकें, पर असल में वो लेट इसलिए गए थे ताकि और नीचे से अच्छी तरह अपनी प्यारी बेटी की गांड देख सकें. मैं कुछ देर इसी तरह अपनी कमर उठा कर पोंछा लगाती रही।
और पापा अपना लण्ड तेज तेज सहलाते रहे.
जल्दी ही पापा के हाथ के रफ़्तार तेज हो गयी। मैं समझ सकती थी की पापा का स्खलन नजदीक ही है.
पापा भी भगवन से शायद प्रार्थना कर रहे थे की मैं थोड़ी देर और काम करती रहूं, ताकि यह न हो की मेरे अचानक उठ जाने से उनकी पोल ही खुल जाये.
भगवान ने तो पता नहीं उनकी प्रार्थना सुनी या नहीं पर मैंने जरूर सुन ली ,और उसी पोज में गांड ऊपर उठाये ही पोंछा लगाती रही।
जल्दी ही पापा के साँसे तेज चलने लगी और उनके अपने लण्ड को मसलने की स्पीड भी बढ़ गयी.
पापा के मुँह से एक जोर की आह निकली (जो मैंने सुन तो ली पर टीवी की आवाज़ में न सुनने का नाटक किया) और पापा ने जोर से अपना लौड़ा पजामे के ऊपर से ही कस के पकड़ लिया और पापा तेज तेज साँसे लेते हुए झड़ने लगे. उन्होंने डर के मेरी तरफ देखा की कहीं मुझे पता तो नहीं लग गया पर मैं अनजान होने का नाटक करते हुए पोंछा ही लगाती रही,
धीरे धीरे पापा का वीर्यपात ख़तम हो गया। मैंने टीवी के शीशे में देखा की पापा के पजामे का आगे का सारा हिस्सा उनके लण्ड रस से भीग कर गीला हो गया था. उसे छुपाने के लिए पापा ने एक तकिया उठा कर अपनी कमर में रख लिया और अपने गीले पजामे को छुपा लिया.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, मुझे लग रहा था की मेरी मन की इच्छा पूरी हो सकती है और मुझे घर में ही एक दमदार और मोटा लण्ड चुदाई के लिए मिल सकता है,
आज का मिशन पूरा करने के बाद मैं काम ख़तम होने का नाटक करते हुए उठी और किचन की ओर चल दी,
पापा झट से उठ कर बाथरूम में घुस गए, मैं समझ गयी की अपनी गन्दी हो चुकी पजामे को बदलने गए है , पर मैं उसी तरह अनजान बनी रही,
मैं भी भाग कर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि इतना कुछ हो जाने से मेरी भी चूत गीली हो गयी थी। मैंने जाते ही फटाफट अपनी पैंटी उतर कर तुरंत अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू किया.
मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की आधे मिनट में ही मैं झड़ गयी।
मेरा स्खलन भी बहुत तेज और जोरदार था.
मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं करीब 11 बजे बाथरूम में गई तो देखा पापा के कमरे में से हलकी रोशनी आ रही थी। मैंने चाबी वाले छेद से देखा तो पापा बिस्तर पर नंगे बैठे थे और अपने लंड को सहला रहे थे।
मैं समझ गयी कि पापा को माँ की याद आ रही है। पापा अपने लंड को अपने हाथों से ऊपर नीचे कर रहे थे।
मुझे पापा पे बहुत तरस आ रहा था कि कैसे वो अपने लंड को खुद ऊपर कर रहे थे मेरा मन कर रहा था कि मैं भाग के जाऊं और उसके लंड को मुंह में ले कर चूसने लगू लेकिन मेरी तो टांग ही हिल नहीं पा रही थी .
फिर मैंने देखा कि पापा के लंड ने पानी छोड़ दिया है और वो बिस्तर से नीचे उतरने लगे तो मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गई।
सारा दिन मैंने बेड पर करवटे बदलते हुए निकाल दीया , बस ये सोचते हुए कि क्या मुझे मेरे पापा का लंड मिल सकता है?
लेकिन कैसे ये ही समज मैं नहीं आ रहा था।
मैं चाहती थी कि किसी तरह मैं अपने पापा को पटा लूं और उनसे चुदाई करवाऊं लेकिन कोई प्लान नहीं बना रहा था।
सुबह उठते ही मैंने सोच की मैं पापा और खुद के लिए चाय बना लूं और खुद भी पेशाब कर लूं। चाय पीने के बाद मैं सफाई करने लगी.
मैं सोच रही थी की मुझे पापा को सेड्यूस करने के लिए खुद ही पहल करनी पड़ेगी. तो जब मैं पापा के कमरे में सफाई करने के लिए गई तो मैंने मां की नाइटी पहन ली थी। और तब मैंने जान बुझ कर अपनी ब्रा भी निकाल दी. माँ की नाइटी मेरे घुटनो तक ही आ रही थी, पहले तो मैंने सोच की अपनी पैंटी भी निकल देती हूँ. पर फिर सोचा के अभी तो शुरुआत ही है, तो अभी एकदम इतना नहीं करुँगी. तो पैंटी पहने ही मैं पापा के कमरे में सफाई करने चली गयी.
तब मेरे स्तन हाथ में आने लायक हो गए थे और बहुत अच्छे से मसले जा सकते थे। माँ की नाइटी की वजह से जब मैं झुकती थी तो उसका गला बड़ा होने की वजह से मेरे स्तन साफ नजर आ जाते थे। ऊपर से मैंने अपनी ब्रा भी नहीं पहनी थी.
पापा बिस्तर पर बैठे हुए थे उनका पायजामा और बनियान पहननी हुई थी। मैं जान बुज कर पापा की तरफ मुंह करके झुक रही थी ताकी पापा मेरे स्तन एक बार देख लें लेकिन वो तो टीवी देखें मैं मस्त था इसके लिए मैंने झुके झुके ही बिना पापा की तरफ देखे कहा कि पापा आज क्या खाना चाहते हैं?
मैंने चोर नजर से देखा कि इस बार पहली बार पापा ने मेरी तरफ देखा और उनकी नजर मेरे स्तनों पर चली गई, जो की निप्पल तक नाइटी के खुले गले से दिखाई पड़ रहे थे. पापा ने पहली बार आज मेरे मम्मे देखे थे तो अनहोनी झट से दूसरी तरफ मुंह कर लिया, लेकिन अब वो बार बार चोर नजर से मेरे नंगे स्तनों को निहारने लगे।
मैं सीधी हुई तो देखा कि वो पैजामे मैं अपने तने हुए लंड को दबाने की कोशिश कर रहे थे। मैं समझ गई कि मेरे स्तन देख कर उबका लंड अकडने लगा है। मैं फिर से झुक कर उन्हें अपने स्तन दिखाने लगी और पोछा लगाने लगी।
थोड़ी देर इसी तरह मैं पापा के सामने खड़ी खड़ी झाड़ू लगाती रही और झुक कर काम करते हुए पापा को अपने मम्मे दिखती रही.
मैंने पापा की तरफ नहीं देखा ताकि पापा को लगे की मुझे अपने दिखाई दे रहे मम्मों का कुछ भी पता नहीं है, और वो इसी तरह चोर नजरों से मेरी छातिओं को देखते रहे. पापा का लण्ड खड़ा हो गया था और वो उसे दबा दबा कर पजामे में सेट कर रहे थे. में चोर नजरों से पापा की हालत देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी पर प्रगट में में ऐसा दिखावा कर रही थी की जैसे मुझे कुछ भी पता नहीं है.
खैर थोड़ी देर में कमरे की सफाई हो गयी तो मैं पानी ले कर पोंछा लगाने लगी.
मैं बैठ कर पोंछा लगा रही थी तो अब पापा को मेरे मुम्मे दिखाई नहीं दे रहे थे.
मैंने पापा की तरफ चोर नजरों से देखा कि पापा मेरी नाइटी के गले से मेरे मुम्मों को देखने की कोशिश कर रहे थे पर मुम्मे दिखाई न देने से उन के चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही थी. वो परेशां से लग रहे थे।
मैं मन ही मन मुस्कुरा दी. और फिर बैठ कर पोंछा लगाते हुए अपने घुटने अपनी छाती के नीचे रख लिए जिस से मेरे मुम्मे दब जाने के कारण ऊपर को उभर गए और पापा को अब मेरे मुम्मे ठीक से दिखाई दे रहे थे.
पापा के चेहरे पर अब मुझे एक संतुष्टि का भाव दिखाई दे रहा था. वो टीवी देखने का नाटक करते करते मेरे मुम्मे ही देख रहे थे.
मुझे लग रहा था की मेरा तीर सही निशाने पर लग रहा है,
फिर मैंनेक कुछ सोचा और कमरे में सोफे के साइड में रखे एक छोटे टेबल के नीचे पोंछा लगाने का नाटक करना शुरू किया. अब मेरी पीठ पापा की तरफ थी. मैंने बुड़बुड़ाना शुरू किया की सोफे के नीचे बिलकुल भी साफ़ नहीं है और बहुत मिट्टी पड़ी है, यह बोल कर मैंने झुक कर सोफे के नीचे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करने लगी,
मेरे ऐसे करने से मैंने अपना पिछवाड़ा (गांड ) ऊपर उठा लिया ताकि मैं दूर अंदर तक पोंछा लगा सकूँ.
मेरे ऐसा करने से मेरी छोटी सी नाइटी मेरी कमर तक ऊपर उठ गयी. पापा की जन्नत ही हो गयी. अब पापा को मेरी झांगे दिखाई दे रही थी,
चाहे मेरी पीठ पापा की ओर थी पर टीवी स्क्रीन में मुझे पापा का अक्स दिखाई दे रहा था. पापा को मालूम नहीं था की मैं पापा की हरकतें देख सकती थी,
उन्हें तो लगा की उनकी ओर मेरी पीठ है तो वे अब टीवी से नजर हटा कर सीधे मेरे चूतड़ ही देख रहे थे.
मैंने झूकते हुए आगे दूर तक पोंछा लगाने का नाटक करते हुए अपनी चूतड़ और ऊपर उठा दी.
अब तो जैसे पापा का कलेजा ही मुंह को आने वाला हो गया.
अब पापा को मेरी पैंटी और उस में कसी हुई मेरी गांड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी,
पापा का लौड़ा अब स्टील की रॉड बन चूका था और पापा उसे बेशर्मों की तरह मसल रहे थे. उन्हें मेरे द्वारा देखे जाने का कोई डर जो नहीं था क्योंकि मेरी तो उनकी तरफ पीठ थी. हालाँकि मैं टीवी के शीशे में उनकी सारी हरकतें देख रही थी,
अब पापा अपने लण्ड को तेज तेज मसल रहे थे.
पापा टीवी देखते हुए सोफे पर लेट गए। वो ऐसे शो कर रहे थे जैसे बैठे बैठे वे थक गए हो और आराम से लेट कर टीवी देख सकें, पर असल में वो लेट इसलिए गए थे ताकि और नीचे से अच्छी तरह अपनी प्यारी बेटी की गांड देख सकें. मैं कुछ देर इसी तरह अपनी कमर उठा कर पोंछा लगाती रही।
और पापा अपना लण्ड तेज तेज सहलाते रहे.
जल्दी ही पापा के हाथ के रफ़्तार तेज हो गयी। मैं समझ सकती थी की पापा का स्खलन नजदीक ही है.
पापा भी भगवन से शायद प्रार्थना कर रहे थे की मैं थोड़ी देर और काम करती रहूं, ताकि यह न हो की मेरे अचानक उठ जाने से उनकी पोल ही खुल जाये.
भगवान ने तो पता नहीं उनकी प्रार्थना सुनी या नहीं पर मैंने जरूर सुन ली ,और उसी पोज में गांड ऊपर उठाये ही पोंछा लगाती रही।
जल्दी ही पापा के साँसे तेज चलने लगी और उनके अपने लण्ड को मसलने की स्पीड भी बढ़ गयी.
पापा के मुँह से एक जोर की आह निकली (जो मैंने सुन तो ली पर टीवी की आवाज़ में न सुनने का नाटक किया) और पापा ने जोर से अपना लौड़ा पजामे के ऊपर से ही कस के पकड़ लिया और पापा तेज तेज साँसे लेते हुए झड़ने लगे. उन्होंने डर के मेरी तरफ देखा की कहीं मुझे पता तो नहीं लग गया पर मैं अनजान होने का नाटक करते हुए पोंछा ही लगाती रही,
धीरे धीरे पापा का वीर्यपात ख़तम हो गया। मैंने टीवी के शीशे में देखा की पापा के पजामे का आगे का सारा हिस्सा उनके लण्ड रस से भीग कर गीला हो गया था. उसे छुपाने के लिए पापा ने एक तकिया उठा कर अपनी कमर में रख लिया और अपने गीले पजामे को छुपा लिया.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, मुझे लग रहा था की मेरी मन की इच्छा पूरी हो सकती है और मुझे घर में ही एक दमदार और मोटा लण्ड चुदाई के लिए मिल सकता है,
आज का मिशन पूरा करने के बाद मैं काम ख़तम होने का नाटक करते हुए उठी और किचन की ओर चल दी,
पापा झट से उठ कर बाथरूम में घुस गए, मैं समझ गयी की अपनी गन्दी हो चुकी पजामे को बदलने गए है , पर मैं उसी तरह अनजान बनी रही,
मैं भी भाग कर अपने कमरे में चली गयी क्योंकि इतना कुछ हो जाने से मेरी भी चूत गीली हो गयी थी। मैंने जाते ही फटाफट अपनी पैंटी उतर कर तुरंत अपनी दो उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज तेज अंदर बाहर करना शुरू किया.
मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की आधे मिनट में ही मैं झड़ गयी।
मेरा स्खलन भी बहुत तेज और जोरदार था.