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Thanksbahut bahut enjoyable,umda aur mast update hai yah,ekdun jhakkas writings aur excellent narrations!
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bahut hi shandaar aur behad hi mast update!
मैंने पापा की परछाई की और देखा तो पाया की पापा बड़े ही इत्मीनान से सामने गधे और नीचे अपनी बेटी की चूत में उँगलियों से रगड़ाई देख रहे थे.
मैंने पाया की पापा का हाथ उनके ट्रेक सूट के पजामे के अंदर था और वो भी इतना गर्म हो गए थे कि अपने लण्ड को मसल रहे थे.
पापा को यकीन था की मैं उन्हें नहीं देख सकती तो वो आराम से अपना लण्ड सेहला रहे थे.
मैंने पापा को और मजा देने और पटाने के इरादे से सोचा और अपनी सलवार के नाड़े को खोल दिया और सलवार को अपने घुटनो तक नीचे कर दिया.
अब में कमर से नीचे नंगी थी, मेरी अपनी चूत में हुई हुई दो उंगलिया अब पापा को साफ़ दिखाई दे रही थी. पापा तो आज जन्नत का नजारा कर रहे थे.
सामने गधा गधी की चुदाई चल रही थी और नीचे उनकी बेटी नंगी बैठी हुई अपनी चूत में उँगलियाँ कर रही थी,
पापा इतना गर्म हो गए थे कि उन्होंने भी अपने पजामे को नीचे खिसका दिया और खुल कर मुठ मारना शुरू कर दिया.
पापा को यो यह था कि उनको मुठ मारते हुए कोई नहीं देख सकता तो वो आराम से अपने लण्ड को नंगा करके मुठ मार रहे थे.
मेरी भी जन्नत हो गयी थी, मैं पहले भी चाहे पापा को मुठ मारता देख चुकी थे पर आज तो वो मेरी नंगी चूत को देख कर मुठ मार रहे थे. इस से मेरा मजा हजारों गुणा बढ़ गया और अपने आप मेरी उँगलियों की स्पीड बढ़ गयी.
अब हम दोनों बाप बेटी सामने गधे गधी की चुदाई और हम बाप बेटी की मुठ मारने को देख कर आनंद ले रहे थे.
पापा का ध्यान सामने गधी पर कम और नीचे अपनी चूत की रगड़ाई कर रही बेटी पर ज्यादा था.
पापा को मेरी नंगी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं भी जान भूझ कर इस पोज़ में लेट कर अपनी चूत में उंगलिया फेर रही थी जिस पोज़ में पापा को मेरी चूत बिलकुल ठीक से दिखाई दे. ताकि पापा को ज्यादा मजा आये.
पापा की मुठ मारने की स्पीड भी तेज हो गयी थी.
मुझे सामने मकान की खिड़की के कांच से पापा का लण्ड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रहा था.
तभी मैंने सोचा की क्यों न पापा को पटाने के लिए उन्हें कुछ और ज्यादा मजा दिया जाये.
यह सोच कर मैंने अपनी चूत से अपनी उंगलिया बाहर निकली और सलवार को ऊपर कमर पर कर के खड़ी हो गयी. पापा को समझ नहीं आया की अचानक मेरा मुठ मारने का प्रोग्राम क्यों बदल गया. मैं उठ कर अंदर किचन में गयी और एक मोटा सा खीरा ले कर वापिस आ गयी।
पापा ने मेरे हाथ में खीरा देखा तो उन्हें थोड़ा थोड़ा समझ आया की आज उनकी प्यारी बेटी क्या करने जा रही है,
पापा को लगा की शायद मैं गधे गधी की चुदाई देख कर इतनी उत्तेजित हो गयी हूँ की अब उँगलियों से मेरा काम नहीं चलने वाला और मैं एक खीरे से मजा लेना चाहती हूँ.
मैंने खीरा भी जान भूझ कर काफी लम्बा और मोटा लिया था.
उसका आकार बिलकुल पापा के लौड़े के जैसा था. पापा शायद सोच रहे थे कि क्या मैं इतना मोटा खीरा ले भी पाऊँगी या नहीं. पर मैंने जान भूझ कर ऐसा खीरा चुना था।, ताकि पापा को इतना पता लग जाये की उनकी बेटी उनके लौड़े के आकार का खीरा ले सकती है तो समय आने पर उनके लण्ड को भी झेल लेगी.
मैंने ऐसा इसलिए सोचा था ताकि यदि जब भी कभी हम बाप बेटी को चुदाई का असली मौका आये तो पापा कहीं डर कर कि उनका लण्ड तो बहुत बड़ा है , मुझे चोदने से मना न कर दें.
मैं पापा को बता देना चाहती थी की उनकी बेटी जरूरत पड़ने पर उनका पूरा लौड़ा ले सकती है,
मैंने दुबारा से अपनी सलवार खोल कर पूरी ही टांगो से बाहर निकाल दी और अब पूरी तरह से नंगी हो कर जमीन पर लेट गयी.
मेरे लेट जाने से ऊपर के कमरे की छत पर खड़े पापा को मेरी नंगी चूत बिलकुल क्लियर दिखाई दे रही थी.
मेरी चूत पर थोड़े छोटे छोटे से बाल हैं, पर भगवन की दया से मैंने आज ही अपनी चूत की सफाई करी थी.
पापा मेरी नंगी चूत को देखते हुए अपनी मुठ मार रहे थे.
मैंने खीरे को अपने मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया, असल में तो मैं खीरे को गीला कर रही थी पर मैं उसे गीला इस ढंग से कर रही थी कि जैसे मैं कोई लौड़ा चूस रही होऊं.
मैं खीरे को ४-५ इंच तक मुंह के अंदर ले लेती और उसे चूसते हुए बाहर निकालती , पापा शायद यही तसवुर कर रहे थे की काश मेरे मुंह में खीरा नहीं बल्कि उनका लौड़ा होता.
खैर मैंने खीरे को अच्छी तरह चूसने और गीला करने के बाद, उसकी नोक को अपनी चूत के मुंह पर रखा और एक झटके से लगभग आधा खीरा अंदर घुसेड़ लिया.
मुझे थोड़ा दर्द तो हुआ और मेरे मुंह से एक जोर की आह की आवाज निकल गयी.
फिर मैंने खीरे को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. जैसे मैं खीरे से चुदवा रही होऊं.
धीरे धीरे मेरी हाथ की स्पीड बढ़ती गयी. अब मैं तेज तेज खीरा अंदर बाहर कर रही थी. मैंने जान भूझ कर अपनी आँखें बंद कर ली थी, ताकि पापा को लगे की मैं मजे के कारण आँखें बंद करे खीरे से चुदवा रही हूँ, पर असल में मैंने आँखें थोड़ी खुली रखी थी ताकि मैं सामने गधे को चुदाई करते और इधर अपने पापा को मुठ मारते आराम से देख सकूँ.
पापा भी यह समझते हुए की मेरी आँखें तो मजे की अधिकता के कारण बंद हैं, आराम से अब खुल कर मुझे खीरा लेते हुए देख रहे थे.
अब हम चारोँ यानि गधा, गधी, पापा और मैं सेक्स का आनंद ले रहे थे.
मैंने खीरे से तो न जाने कितनी बार मजा लिया था पर आज पापा के सामने खीरा लेते हुए इतना आनंद आ रहा था की बता नहीं सकती. शायद यह रिश्तों की दीवार को लांघते हुए मजा लेने के कारण था.
अब मेरा और उधर पापा का काम पूरा होने ही वाला था.
इधर गधे ने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी थी. गधे ने अपनी आगे वाली दोनों टांगे जो उसने गधी की कमर के दोनों ओर रखी थी, से गधी को कस के पकड़ लिया और जोर जोर से अपना लौड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। गधि ने – गधे का लम्बा लंड पूरा अपनी चूत में ले लिया था.गधा हांफ रहा था ..
शायद उसका माल निकलने वाला था .
फिर गधे ने अपना लण्ड जोर से एक झटके से गधी के अंदर जड़ तक घुसेड़ दिया और एक बार जोर से हुआँ हुआँ की आवाज़ निकली और वो जोर से उछला पूरा लंड घुसा दिया इसबार गधी ने कोई शोर नहीं किया शांति से खड़ी रही । गधा शांत हो गया और उसके लण्ड से उसका वीर्य गधी की चूत में निकलना शुरू हो गया.
गधे का काम होते ही वो अब बिलकुल शांत खड़ा था और गढ़ी के अंदर अपना माल छोड़ रहा था.
अब गधे ने अपना लंड बाहर निकल लिया .
अभी भी उसके लंड से माल टपक रहा था.
गधा पचीसी पूरी हो गई. गधा-गधी शांत हो गये
में और पापा सारा नजारा देख रहे थे.
गधे का माल छूट ते ही मैंने भी अपनी स्पीड एकदम तेज की और मेरे मुंह से भी एक जोर की आह की आवाज़ निकली और मेरी चूत ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया.
आज पापा मेरे को खीरे से मजा लेते देख रहे थे
तो शायद इसी लिए मेरा ओर्गास्म इतना जबरदस्त था की मेरे मुंह से जोर की ओह ओह और आह आह की अव्वाज़ निकली। मेरी चूत से बहुत पानी निकला जिस से मेरी झांगे और सारी चूत गीली हो गयी.
मैंने खीरा अपनी चूत से बाहर खींच लिया. खीरा मेरी चूत के पानी से चमक रहा था।
इधर पापा का भी काम होने ही वाला था. पर उधर गधे का वीर्यपात और इधर अपनी नंगी बेटी की छूटना देख कर पापा से भी अपना आप संभाला नहीं गया.
पापा ने २-३ बार जोर से अपने लौड़े को हिलाया और जोर से आह की.
उनके मुंह से आवाज़ निकलते ही मैं समझ गयी की पापा का काम तमाम हो रहा है. मैंने अपनी सेक्स के मजे से बंद आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा तो पापा के लौड़े से उनके वीर्य की एक तेज और बहुत बड़ी सी धार एक पिचकारी जैसे छूटी जैसे बन्दूक से गोली छूट ती है,
पापा की पहली पिचकारी इतनी मोती और तेज थी कि वो कमरे की रेलिंग को पार करके नीचे नंगी लेटी मेरे पेट पर गिरी.
पापा का वीर्य इतना गाढ़ा और गर्म था की मेरी तो मजे से आँखें ही बंद हो गयी।
पापा एक बार तो डर गए की उनका वीर्य मेरे पेट पर गिर गया है, पर मैं जान भूझ कर ऐसे लेटी रही की जैसे कुछ नहीं हुआ.
पापा भी थोड़ा मुत्मइन हो गए.
मैंने एक हरकत ऐसी की जिस से पापा के लौड़े से पिचकारियां फिर से निकल पड़ी.
मैंने अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपने पानी से गीली ऊँगली मुंह में डाल ली (ऐसा मैंने इसलिए किया की पापा को शक न हो ) और फिर अपनी ऊँगली से अपने पेट पर गिरा पापा का वीर्य उठा कर अपने मुंह में डाल लिया।
असल में मैं पापा के वीर्य का स्वाद चखना चाहती थी, और यह तो भगवन के द्वारा दिया हुआ सुनहरी मौका था. जो पापा का वीर्य अपने आप मेरे पेट पर गिर गया था.
पापा ने जब मुझे उनका वीर्य चाट ते देखा तो उनके लण्ड ने फिर से वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. पर अब उस में वो तेजी न थी कि वो मुझ तक आ पाता।
पापा का वीर्य बहुत ही स्वादिष्ट था. मुझे तो अमृत जैसा स्वाद आ गया.
पापा मुझे अपना वीर्य चाटते देखते रहे. और अपना लण्ड धीरे धीरे सहलाते रहे.
उधर गधा गधी भी चले गए थे.
मैं भी कांपते और लड़खड़ाते हुए कदमो से उठी और अपने कमरे के अंदर चल दी.
मुझे आज बहुत ही आनंद आया था.
लग रहा था की मैं एक न एक दिन पापा से चुदवाने में सफल हो ही जाउंगी।
देखो भगवान् को क्या मंजूर था.