" भागो भागो अपनी जान बचाओ"
इतना कहकर चिल्लाते हुए भीड़ अपनी जान बचाने के लिए सड़क पर से घरों की तरफ भागी और देखते ही देखते पूरी सड़क खाली होती जा रही थी! सबको अपनी जान प्यारी थी और आखिर हो भी क्यों नही क्योंकि एक पागल वहशी घोड़े के आगे कोई भी आना नही चाहता था और भी तब जब वो अपनी पूरी रफ्तार से हवा से बाते कर रहा था! उसके पैरो की टापो से उड़ती हुई मिट्टी अपनी पीछे धूल का तूफान सा खड़ा कर रही थी!
सुल्तानपुर राज्य में पता नहीं कहां से ये पागल घोड़ा घुस आया था जिसकी बेरहम कदमों के तले कई गरीब कुचले गए थे और हाहाकार मचा हुआ था! कुछ सैनिक उसे काबू करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन घोड़ा हवा की रफ्तार से दौड़ता हुआ पूरी तरह से उनके काबू से बाहर था! किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था कि तभी एक चार साल का मासूम बच्चा घोड़ा के सामने गिर पड़ा और उसकी मां डर के मारे जोर से चिल्ला पड़ी
" अरे कोई मेरे बेटे को बचाओ! है भगवान मेरी मदद कर!
घोड़े बिजली की गति से दौड़ता हुआ आगे बढ़ा और जैसे ही बच्चो को कुचलने वाला था कि बिजली की रफ्तार से एक लड़की आई और बच्चे को उठा लिया और उसकी मां को देते हुए घोड़े के पीछे दौड़ पड़ी! मां ने खुशी खुशी अपने बेटे को चूम लिया और उस लड़की का शुक्रिया करने लगी और बोली
" शहजादी सलमा अल्लाह तुझे खुश रखे!
औरत ने अपनी दुवाएं दी लेकिन सलमा तो पहले ही घोड़े के पीछे दौड़ पड़ी थी और अपने काले घोड़े पर सवार हुई और देखते ही देखते ही वो उस घोड़े के पास पहुंच गई जो लाल रंग का था और गलती से उसके राज्य में घुस आया था! सलमा ने घोड़े के बराबर में आकर एक छलांग मारी और दूसरे घोड़े पर सवार हो गई और घोड़े ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे नीचे फेंकना चाहा लेकिन सलमा की मजबूत पकड़ उसकी गर्दन में बनी रही और घोड़े की रफ्तार हवा से बातें करने लगी मानो वो सलमा को डराने का प्रयास कर रहा हो और सलमा बखूबी जानती थी कि ऐसे आदमखोरों को कैसे काबू किया जाता हैं और उसने घोड़े की लगाम को कसकर अपनी तरफ खीच लिया और घोड़े की रफ्तार में कुछ कमी आई और सलमा ने पूरी ताकत से उसके पीठ पर वार किया और घोड़े की रफ्तार धीमी हो गई और अब थोड़ी देर पहले तूफान बना हुआ घोड़ा अपनी औकात पर आ गया था और भीगी बिल्ली बना हुआ धीरे धीरे चल रहा था और सलमा उसकी पीठ को सहलाती हुई उसे पुचकारती हुई वापिस लौट चली और सभी लोग ये देखकर तालिया बजाकर उसका स्वागत कर रहे थे कि उनकी शहजादी सच में बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ ताकतवर भी हैं!
शहजादी इससे पहले कि महल में घुसती एक राजकुमार घोड़े पर आया और बोला:"
" माफ कीजिए शहजादी जी वो मेरा घोड़ा हैं जो गलती से आपके राज्य में आ गया है! मेरा घोड़ा मुझे वापिस कर दीजिए आप!
सलमा के मुंह पर नकाब लगा हुआ था और सलमा ने एक बार उसकी तरफ देखा और बोली:"
" ये घोड़ा अब हमे पसंद आ गया है तो आप तो इसे अब भूल ही जाए तो बेहतर!
राजकुमार जिसका नाम विक्रम चौहान था उसने गुस्से से सलमा की तरफ देखा और बोला:"
" हमारा नाम विक्रम चौहान हैं और हिंदुस्तान में किसी राजा में इतनी ताकत नही कि हमे इंकार कर सके! आपके और आपके राज्य के लिए बेहतर यही होगा कि आप मेरा घोड़ा वापिस कर दीजिये वरना...
इससे पहले कि वो आगे कुछ बोलते सलमा के मयान से तलवार निकली और उसकी गर्दन के ठीक सामने रुक गई और सलमा गुस्से से दहाड़ती हुई गरजी:"
" अगर हमारे राज्य के इतिहास में एक भी घटना घर आए मेहमान को मारने की होती तो खुदा कसम अब तक तुम्हारी लाश नीचे सड़क पर पड़ी होती, अपनी जान सलामत चाहते हो तो वापिस लौट जाओ वरना मेरे एक इशारे पर टुकड़ों में बांट दिए जाओगे!
विक्रम सिंह ने हाथ से उसकी तलवार को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और सलमा की आंखो में देखते हुए बोला:"
" मरने का खौफ उन्हे होता हैं जिन्हे जिंदगी से प्यार होता हैं! जान हथेली पर रखकर आपके राज्य में आया हु तो घोड़ा लिए बिना तो नही जाऊंगा मैं! आप खुशी से देगी तो लाशों का ढेर नही लगेगा आपके राज्य में!
इतना कहकर उसने पूरी ताकत से तलवार को आगे से मोड़ दिया और सलमा को यकीन हो गया कि ये आदमी सच में बेहद शक्तिशाली है और बोली:"
" बेशक बहादुर हो लेकिन मूर्ख हो जो एक घोड़े के लिए अपनी जान दांव पर लगाना चाहते हो!
विक्रम सिंह को अब तक चारो तरफ से सैनिकों ने घेर लिया था लेकिन उसके चेहरे पर कोई डर या चिंता नही बल्कि आत्म विश्वास था और वो मंद मंद मुस्काते हुए बोला:"
" शहजादी आखिरी बार आपसे निवेदन कर रहा हूं कि मेरा घोड़ा मुझे वापिस लौटा दीजिए क्योंकि मैं बेकार का खून खराबा नही चाहता!
सलमा ने घोड़े की पीठ पर हाथ मार कर उसे थपथपाते हुए बोली:" घोड़ा तो अब आप भूल जाइए राजकुमार! आज से मैं इसकी सवारी करूंगी!
विक्रम सिंह:" तो फिर ठीक हैं मैं भी खून खराबा नही चाहता तो बेहतर यही होगा कि आप घोड़े को छोड़ दीजिए जिसके पास ये जाएगा वही इसका असली मालिक होगा!
सलमा ने उसकी बात को स्वीकार कर लिया और वो घोड़े पर से उतर गई और अब खड़ा दोनो के बीच में खड़ा हुआ था और दोनो ही उसे अपनी तरफ बुला रहे थे और विक्रम जानता था कि उसका घोड़ा आसानी से उसकी तरफ आ जाएगा लेकिन ये उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हुई और घोड़ा शहजादी सलमा के पास पहुंच गया और शहजादी सलमा मुस्कुरा कर एक बार फिर से उसकी पीठ पर सवार हो गई और विक्रम से बोली:"
" उम्मीद है अब आप अपने राज्य वापिस लौट जाओगे!
विक्रम ने उदास नजरो से अपने घोड़े की तरफ देखा और फिर शहजादी को देखा और बोला:"
" ठीक हैं शहजादी आज से ये घोड़ा आपका हुआ लेकिन आप मुझे वचन दीजिए कि महीने में एक बार मैं इससे मिलने आ सकू क्योंकि ये घोड़ा मेरी जान हैं!
सलमा ने हाथ उठा कर उसकी बात मान ली और और बोली:" सैनिकों विक्रम साहब को हमारे राज्य की सीमा से सुरक्षित बाहर पहुंचा दो!!
इसके बाद सलमा घोड़े पर बैठ कर महल की तरफ चल पड़ी!!
उसके होंठो पर विजयी मुस्कान थी और विक्रम उदास मन से सैनिकों के साए में सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल रहा था और उसकी आंखो में आंसु थे क्योंकि उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि उसका घोड़ा उसे ऐसा धोखा भी दे सकता है! उसका मन तो कर रहा था कि अपने घोड़े को मार डाले लेकिन वो इंसान था और ऐसा कभी नहीं कर सकता था!!