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Incest शहजादी सलमा

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विक्रम अपने राज्य उदयगढ़ वापिस लौट आया और उसे उदास देखकर उसके दोस्त अजय ने पूछा:"

" क्या हुआ राजकुमार ? बड़े उदास लग रहे हो ?

विक्रम ने उसकी तरफ निराशा से देखा और बोला:"

" मत पूछो मेरे मित्र! सच कहूं तो किसी के कहने के काबिल नही बचा कुछ !

अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" ऐसा न कहो मेरे मित्र, मेरे भाई ! कोई समस्या हो तो आप मुझसे कहिए ? कुछ न कुछ उपाय करेंगे!

विक्रम:" भाई आज मेरा घोड़ा पवन गलती से सुल्तानपुर की सीमा में चला गया और वहां की शहजादी ने पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात घोड़ा मेरे पास आने की बजाय उसके साथ ही चला गया! बस यही मेरे लिए का विषय हैं मेरे भाई!

उसकी बात सुनकर अजय को मानो सांप सा सूंघ गया और बोला:" क्या आप सच कह रहे हो राजकुमार ? मुझे यकीन नही हो रहा है! आप सुल्तानपुर गए थे क्या?

विक्रम:" हान भाई गया था मैं अपने घोड़े के लिए! लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाया! लेकिन शहजादी ने मुझे वचन दिया हैं कि मैं जब मन करे घोड़े से मिलने आ सकता हु !

अजय ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" आप बाहर ही पले बढे और कुछ दिन पहले ही वापिस आए हैं! क्या आपको पता हैं कि सुल्तानपुर से हमारे रिश्ते कैसे हैं ?

विक्रम ने आंखो में हैरानी लिए उसकी तरफ देखा और बोला:"

" हमारे रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है अजय और फिर किसकी इतनी हिम्मत हैं कि उदयगढ़ के भावी राजा के सामने आंख उठा सके !!

अजय:" राजकुमार आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप आज के बाद सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम थोड़ा गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला:"क्यों नहीं जायेंगे हमारा पवन हैं वहां ! जब तक वो वापिस नहीं आएगा हम चैन से नहीं बैठ सकते!

अजय ने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए और बोला:"

" राजुकमार आपको मेरी दोस्ती की कसम कि आज के बाद आप सुल्तानपुर नही जायेंगे! पवन को किसी भी कीमत पर मैं वापिस लेकर आऊंगा!

विक्रम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:" ये हमें किस बंधन में बांध रहे हो मित्र? आखिर वहां जाने में दिक्कत क्या हैं क्योंकि शहजादी ने हमे खुद वचन दिया हैं!! कोई बात है तो हम बताए आप

अजय ने उसके सामने दोनों हाथों को जोड़ दिया और बोला

" मैं विवश हु राजकुमार! चाह कर भी आपको कुछ नही बता सकता! बस मेरा यकीन कीजिए कि वहां जाना आपके लिए ठीक नहीं होगा!

विक्रम ने जोर से एक मुक्का बराबर में खड़े पेड़ पर गुस्से से मारा और वो मजबूत पेड़ बीच से टूट गया और विक्रम जोर से भड़का:"

" तुम्हे मेरे कसम है अजय! या तो हमे बताओ नही तो हमे सुल्तानपुर जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक पाएगी!

अजय:" नही राजकुमार हमे धर्म संकट में मत डालिए आप! हमने राजमाता को वचन दिया हैं कि मर जायेंगे लेकिन हमारी जुबान नही खुलेगी!

विक्रम गुस्से से लगभग दहाड़ा और बोला:"

" अगर आप हमारी कसम नही मानते तो दुनिया की कोई ताकत हमें सुल्तानपुर जाने से नही रोक पाएगी और आपकी कसम भी नहीं अजय!!

इतना कहकर विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में लहराया मानो अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो और अजय उसके कदमों में गिर पड़ा और बोला:"

" राजकुमार आपको सुल्तानपुर जाने के लिए मेरी लाश पर से गुजरना पड़ेगा!!

विक्रम को मानो उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अजय तुम होश में तो हो ? आपको पता है कि क्या आप क्या कह रहे हो?

अजय ने हाथ से विक्रम की तलवार पकड़ी और अपनी गर्दन पर टिका दी और बोला:"

" जब तक मेरे जिस्म में आखिरी सांस होगी आप सुलतानपुर नही जा पाएंगे! आप मेरी गर्दन काटकर ही जा सकते हैं!!

विक्रम ने अपनी तलवार को वापिस म्यान में रख लिया और तभी किसी के आने की आहट हुई तो दोनो चुप हो गए और अजय ने देखा कि राजमाता गायत्री देवी उधर की आ रही है तो उसने इशारे से विक्रम की मना किया कि राजमाता से कोई सवाल न करे! राजमाता उनके पास आ गई और बोली:"

" क्या बाते कर रहे थे दोनो जो मुझे देखते ही चुप हो गए?

विक्रम:" कुछ भी नही राजमाता! बस अजय बता रहा था कि हमे अपने राज्य की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि सर्दी आने वाली है!


राजमाता:" बिलकुल सही बात हैं! सर्दी में कभी कभी चोर डाकू अंदर घुस आते हैं और लूटपाट का खतरा हो सकता है!

विक्रम:" जी राजमाता फिर मेरे विचार से आपको पूरे राज्य की सुरक्षा अजय के हाथ में ही से देनी चाहिए!

राजमाता:" सोच तो मैं भी यही रही हु बस इस बार जब मंत्री दल की बैठक होगी तो ये घोषणा भी कर दी जाएगी! क्यों अजय तुम्हे कोई दिक्कत तो नही!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता, अपने खून की आखिरी बूंद तक उदयगढ़ की रक्षा करूंगा!

राजमाता:" शाबाश, तुम जैसे युवा नौजवान ही उदयगढ़ को ऊंचाई पर लेकर जाएंगे! आपकी मम्मी कैसी हैं अभी ?

अजय थोड़ा उदास हो गया और बोला:" बस पहले से थोड़ी अच्छी हैं, पिताजी की याद में अक्सर रोती रहती है! आप ही उन्हें एक दिन अच्छे से समझा दीजिए ना!

राजमाता:" मुझसे बेहतर भला पति को खोने का दर्द कौन समझ सकता है, ठीक है मैं बात करूंगी! और कोई जरूरत हो तो बताना मुझे!

अजय:" जी राजमाता!

राजमाता:" अच्छा मैं अब चलती हु, वैसे भी अब मेरी पूजा का समय हो गया है!

इतना कहकर राजमाता चली गई और अजय भी विक्रम से इजाजत लेकर अपने घर की तरफ लौट चला और विक्रम के दिमाग में सवालों का तूफान मचा हुआ था कि उसे सुल्तानपुर क्यों नहीं जाना चाहिए! आखिर ऐसी क्या बात है जो उससे छुपाई गई हैं ! जरूर कुछ तो हैं जिसका मुझे पता करना हो होगा!

विक्रम जानता था कि उसे ये सब कहां से पता चल सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ गया और अब वो राज वैद्य शक्ति सिंह के घर के सामने खड़ा हुआ था और वो जानता था कि शक्ति सिंह उसके सामने हर हाल में अपना मुंह खोल देगा क्योंकि अभी तीन पहले भी उसने शक्ति सिंह को उसके बेटे की बहु मीनू के साथ संभोग करते देख लिया था जब वो उसके घर आया था! शक्ति सिंह ने राजकुमार से माफी मांगी थी और जीवन भर उसका वफादार बनने का वादा किया था! विक्रम को अपने घर देखकर शक्ति सिंह हैरान हुआ और बोला:"

" युवराज आपने क्यों आने का कष्ट किया मुझे महल बुला लिया होता आपने!

विक्रम:" हम एक मुश्किल में फंस गए हैं वैद्य जी और आप ही हमारी मदद कर सकते हैं!

वैद्य:" मेरी किस्मत होगी! आज्ञा दीजिए आप!


विक्रम:" सुल्तानपुर और उदयगढ़ की क्या कहानी है!

ये सुनते ही वैद्य जी के चेहरे का रंग उतर गया और हकलाते हुए बोले:"

" मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता राजकुमार!

विक्रम:" फिर आपकी जुबान लड़खड़ा क्यों रही है वैद्य जी? बेहतर होगा कि मेरे सवालों का जवाब दो!

वैद्य:" मेरी आजकल तबियत ठीक नहीं रहती वो शायद इसलिए ऐसा हो गया और मेरी उम्र भी तो हो गई हैं!!

विक्रम ने अपनी गुस्से से लाल आंखो से उसे घूरा और बोला:"

" अच्छा तो ये बात हैं! खैर छोड़िए एक बात बताओ मीनू नही दिख रही है? कहीं गई हैं क्या वो आज ?

वैद्य के चेहरे पर कई रंग आए और गए और वो विक्रम के आगे हाथ जोड़कर बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज! मैं मजबूर हू आपको चाह कर भी कुछ नहीं बता सकता!

विक्रम ने उसे अच्छे से देखा और मुस्कुरा कर हुए बोला:"

" कोई बात नही वैद्य जी लेकिन याद रखिए कि मैं मजबूर नही हु आपकी तरह से! अच्छा मैं अब चलता हु!

विक्रम चलने लगा तो वैद्य जी ने उसके पैर पकड़ लिए और बोले:"

" युवराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं सब इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी! मैं आपको सब बताने के लिए तैयार हु!

युवराज विक्रम वही बेड पर बैठ गया और वैद्य जी ने बोलना शुरू किया:"

" अब से 10 साल पहले दोनो राज्य बेहद सम्पन्न थे और आपस मे आज की तरह कोई दुश्मनी नहीं थी! फिर एक दिन सुलतान पुर पर पिंडारियो ने हमला कर दिया और पड़ोसी होने के नाते आपके पिता महेंद्र सिंह मदद के लिए गए लेकिन आज तक कभी वापिस नही आए और लोग कहते हैं कि सुल्तानपुर के लोगो ने पिंडारियो से समझौता कर लिया था और आपके पिताजी को पिंडारियों ने मार दिया था और उनकी लाश हमे सुल्तानपुर के जंगल से मिली थी! उसके दिन के बाद से हम सुल्तानपुर के लोगो पर यकीन नहीं करते!

विक्रम को अपने कानो पर मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोला:"

" लेकिन राजमाता तो बताती है कि शिकार पर घायल शेरनी के हमले से पिताजी की मौत हुई थी तो क्या ये सच नहीं हैं ?

वैद्य:" बिलकुल भी सच नही हैं! आपसे सब सच्चाई छुपाई गई है ताकि आप भी इस दुश्मनी का हिस्सा न बन सके!

विक्रम गुस्से से भर उठा और उसकी आंखो से लाल चिंगारिया सी निकलने लगी और बोला:"

" वो कौन है वैद्य जी जिसने मेरे पिताजी को धोखा दिया ? उसके इतने टुकड़े करूंगा कि पूरा सुल्तानपुर नही गिन पायेगा!

वैद्य:" बेटा तो सुल्तानपुर के राजा मीर जाफर थे लेकिन जिंदगी ने उसे भी उसकी औकात दिखा दी और वो भी पिंडारियो के हाथो मारा गया था!

विक्रम के चेहरे पर ये सुनकर एक अजीब सा सुकून मिला तो आंखो मे निराशा भी दिखी और बोला:"

" काश मैं उसे अपने हाथो से मार पाता तो मुझे कितनी खुशी होती! अभी वैसे सुल्तानपुर का राजा कौन हैं ?

वैद्य:" युवराज कहने के लिए तो सुलतान का बेटा राज्य संभालता हैं लेकिन वो मानसिक रूप से बीमार हैं और सबसे बड़ी बात वो लड़की और शराब से बाहर नही निकल पाता है! राज्य की देखभाल पूरी तरह से सेनापति जब्बार खान के हाथ में हैं जो एक बेहद क्रूर और निर्दयी इंसान हैं!


विक्रम:" तो क्या राजा के परिवार में और कोई नही हैं क्या जो राज्य को संभाल सके ?

वैद्य:" राजा की बेटी शहजादी सलमा बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ एक बहादुर और तेज दिमाग वाली लड़की हैं लेकिन उसकी एक नही चल पाती क्योंकि वो हमेशा सेनापति के खिलाफ होती हैं!

विक्रम को सलमा के नाम से याद आया कि उसका घोड़ा पवन तो सुल्तानपुर में ही छूट गया है और बोला:"

" जब सलमा शहजादी हैं तो वो अपनी ताकत का इस्तेमाल क्यों नही करती हैं?

वैद्य:" राज नियमो के अनुसार जब तक बेटा जिंदा हो तो बेटी को गद्दी नही मिलती हैं! राजा के बेटे सलीम को जब्बार ने अंधेरे में रखा हुआ है कि राज्य में सब ठीक चल रहा है जबकि सच्चाई वो नही जानता हैं! बेटे की जिद के आगे सलमा की अम्मी रजिया भी मजबूर हैं और चाह कर भी कुछ नही कर पाती!

विक्रम:" मतलब राज्य पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर नाच रहा है और सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा है!

वैद्य:" आप बिलकुल ठीक समझे युवराज! लेकिन ये बात कभी राजमाता को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैने आपको ये सब बताया है!

विक्रम ने वैद्य जी का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और बोले:"

" आप चिंता मुक्त रहिए! मैं आपको वचन देता हूं!

उसके बाद विक्रम राजमहल की तरफ चल पड़ा और अब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती किसी भी हाल में पवन को वापिस लाना था क्योंकि जो कुछ उसे वैद्य ने बताया था वो सब जानने के बाद वो किसी भी कीमत पर अपने घोड़े को नही छोड़ सकता था!!
 
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विक्रम अपने राज्य उदयगढ़ वापिस लौट आया और उसे उदास देखकर उसके दोस्त अजय ने पूछा:"

" क्या हुआ राजकुमार ? बड़े उदास लग रहे हो ?

विक्रम ने उसकी तरफ निराशा से देखा और बोला:"

" मत पूछो मेरे मित्र! सच कहूं तो किसी के कहने के काबिल नही बचा कुछ !

अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" ऐसा न कहो मेरे मित्र, मेरे भाई ! कोई समस्या हो तो आप मुझसे कहिए ? कुछ न कुछ उपाय करेंगे!

विक्रम:" भाई आज मेरा घोड़ा पवन गलती से सुल्तानपुर की सीमा में चला गया और वहां की शहजादी ने पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात घोड़ा मेरे पास आने की बजाय उसके साथ ही चला गया! बस यही मेरे लिए का विषय हैं मेरे भाई!

उसकी बात सुनकर अजय को मानो सांप सा सूंघ गया और बोला:" क्या आप सच कह रहे हो राजकुमार ? मुझे यकीन नही हो रहा है! आप सुल्तानपुर गए थे क्या?

विक्रम:" हान भाई गया था मैं अपने घोड़े के लिए! लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाया! लेकिन शहजादी ने मुझे वचन दिया हैं कि मैं जब मन करे घोड़े से मिलने आ सकता हु !

अजय ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" आप बाहर ही पले बढे और कुछ दिन पहले ही वापिस आए हैं! क्या आपको पता हैं कि सुल्तानपुर से हमारे रिश्ते कैसे हैं ?

विक्रम ने आंखो में हैरानी लिए उसकी तरफ देखा और बोला:"

" हमारे रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है अजय और फिर किसकी इतनी हिम्मत हैं कि उदयगढ़ के भावी राजा के सामने आंख उठा सके !!

अजय:" राजकुमार आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप आज के बाद सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम थोड़ा गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला:"क्यों नहीं जायेंगे हमारा पवन हैं वहां ! जब तक वो वापिस नहीं आएगा हम चैन से नहीं बैठ सकते!

अजय ने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए और बोला:"

" राजुकमार आपको मेरी दोस्ती की कसम कि आज के बाद आप सुल्तानपुर नही जायेंगे! पवन को किसी भी कीमत पर मैं वापिस लेकर आऊंगा!

विक्रम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:" ये हमें किस बंधन में बांध रहे हो मित्र? आखिर वहां जाने में दिक्कत क्या हैं क्योंकि शहजादी ने हमे खुद वचन दिया हैं!! कोई बात है तो हम बताए आप

अजय ने उसके सामने दोनों हाथों को जोड़ दिया और बोला

" मैं विवश हु राजकुमार! चाह कर भी आपको कुछ नही बता सकता! बस मेरा यकीन कीजिए कि वहां जाना आपके लिए ठीक नहीं होगा!

विक्रम ने जोर से एक मुक्का बराबर में खड़े पेड़ पर गुस्से से मारा और वो मजबूत पेड़ बीच से टूट गया और विक्रम जोर से भड़का:"

" तुम्हे मेरे कसम है अजय! या तो हमे बताओ नही तो हमे सुल्तानपुर जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक पाएगी!

अजय:" नही राजकुमार हमे धर्म संकट में मत डालिए आप! हमने राजमाता को वचन दिया हैं कि मर जायेंगे लेकिन हमारी जुबान नही खुलेगी!

विक्रम गुस्से से लगभग दहाड़ा और बोला:"

" अगर आप हमारी कसम नही मानते तो दुनिया की कोई ताकत हमें सुल्तानपुर जाने से नही रोक पाएगी और आपकी कसम भी नहीं अजय!!

इतना कहकर विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में लहराया मानो अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो और अजय उसके कदमों में गिर पड़ा और बोला:"

" राजकुमार आपको सुल्तानपुर जाने के लिए मेरी लाश पर से गुजरना पड़ेगा!!

विक्रम को मानो उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अजय तुम होश में तो हो ? आपको पता है कि क्या आप क्या कह रहे हो?

अजय ने हाथ से विक्रम की तलवार पकड़ी और अपनी गर्दन पर टिका दी और बोला:"

" जब तक मेरे जिस्म में आखिरी सांस होगी आप सुलतानपुर नही जा पाएंगे! आप मेरी गर्दन काटकर ही जा सकते हैं!!

विक्रम ने अपनी तलवार को वापिस म्यान में रख लिया और तभी किसी के आने की आहट हुई तो दोनो चुप हो गए और अजय ने देखा कि राजमाता गायत्री देवी उधर की आ रही है तो उसने इशारे से विक्रम की मना किया कि राजमाता से कोई सवाल न करे! राजमाता उनके पास आ गई और बोली:"

" क्या बाते कर रहे थे दोनो जो मुझे देखते ही चुप हो गए?

विक्रम:" कुछ भी नही राजमाता! बस अजय बता रहा था कि हमे अपने राज्य की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि सर्दी आने वाली है!


राजमाता:" बिलकुल सही बात हैं! सर्दी में कभी कभी चोर डाकू अंदर घुस आते हैं और लूटपाट का खतरा हो सकता है!

विक्रम:" जी राजमाता फिर मेरे विचार से आपको पूरे राज्य की सुरक्षा अजय के हाथ में ही से देनी चाहिए!

राजमाता:" सोच तो मैं भी यही रही हु बस इस बार जब मंत्री दल की बैठक होगी तो ये घोषणा भी कर दी जाएगी! क्यों अजय तुम्हे कोई दिक्कत तो नही!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता, अपने खून की आखिरी बूंद तक उदयगढ़ की रक्षा करूंगा!

राजमाता:" शाबाश, तुम जैसे युवा नौजवान ही उदयगढ़ को ऊंचाई पर लेकर जाएंगे! आपकी मम्मी कैसी हैं अभी ?

अजय थोड़ा उदास हो गया और बोला:" बस पहले से थोड़ी अच्छी हैं, पिताजी की याद में अक्सर रोती रहती है! आप ही उन्हें एक दिन अच्छे से समझा दीजिए ना!

राजमाता:" मुझसे बेहतर भला पति को खोने का दर्द कौन समझ सकता है, ठीक है मैं बात करूंगी! और कोई जरूरत हो तो बताना मुझे!

अजय:" जी राजमाता!

राजमाता:" अच्छा मैं अब चलती हु, वैसे भी अब मेरी पूजा का समय हो गया है!

इतना कहकर राजमाता चली गई और अजय भी विक्रम से इजाजत लेकर अपने घर की तरफ लौट चला और विक्रम के दिमाग में सवालों का तूफान मचा हुआ था कि उसे सुल्तानपुर क्यों नहीं जाना चाहिए! आखिर ऐसी क्या बात है जो उससे छुपाई गई हैं ! जरूर कुछ तो हैं जिसका मुझे पता करना हो होगा!

विक्रम जानता था कि उसे ये सब कहां से पता चल सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ गया और अब वो राज वैद्य शक्ति सिंह के घर के सामने खड़ा हुआ था और वो जानता था कि शक्ति सिंह उसके सामने हर हाल में अपना मुंह खोल देगा क्योंकि अभी तीन पहले भी उसने शक्ति सिंह को उसके बेटे की बहु मीनू के साथ संभोग करते देख लिया था जब वो उसके घर आया था! शक्ति सिंह ने राजकुमार से माफी मांगी थी और जीवन भर उसका वफादार बनने का वादा किया था! विक्रम को अपने घर देखकर शक्ति सिंह हैरान हुआ और बोला:"

" युवराज आपने क्यों आने का कष्ट किया मुझे महल बुला लिया होता आपने!

विक्रम:" हम एक मुश्किल में फंस गए हैं वैद्य जी और आप ही हमारी मदद कर सकते हैं!

वैद्य:" मेरी किस्मत होगी! आज्ञा दीजिए आप!


विक्रम:" सुल्तानपुर और उदयगढ़ की क्या कहानी है!

ये सुनते ही वैद्य जी के चेहरे का रंग उतर गया और हकलाते हुए बोले:"

" मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता राजकुमार!

विक्रम:" फिर आपकी जुबान लड़खड़ा क्यों रही है वैद्य जी? बेहतर होगा कि मेरे सवालों का जवाब दो!

वैद्य:" मेरी आजकल तबियत ठीक नहीं रहती वो शायद इसलिए ऐसा हो गया और मेरी उम्र भी तो हो गई हैं!!

विक्रम ने अपनी गुस्से से लाल आंखो से उसे घूरा और बोला:"

" अच्छा तो ये बात हैं! खैर छोड़िए एक बात बताओ मीनू नही दिख रही है? कहीं गई हैं क्या वो आज ?

वैद्य के चेहरे पर कई रंग आए और गए और वो विक्रम के आगे हाथ जोड़कर बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज! मैं मजबूर हू आपको चाह कर भी कुछ नहीं बता सकता!

विक्रम ने उसे अच्छे से देखा और मुस्कुरा कर हुए बोला:"

" कोई बात नही वैद्य जी लेकिन याद रखिए कि मैं मजबूर नही हु आपकी तरह से! अच्छा मैं अब चलता हु!

विक्रम चलने लगा तो वैद्य जी ने उसके पैर पकड़ लिए और बोले:"

" युवराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं सब इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी! मैं आपको सब बताने के लिए तैयार हु!

युवराज विक्रम वही बेड पर बैठ गया और वैद्य जी ने बोलना शुरू किया:"

" अब से 10 साल पहले दोनो राज्य बेहद सम्पन्न थे और आपस मे आज की तरह कोई दुश्मनी नहीं थी! फिर एक दिन सुलतान पुर पर पिंडारियो ने हमला कर दिया और पड़ोसी होने के नाते आपके पिता महेंद्र सिंह मदद के लिए गए लेकिन आज तक कभी वापिस नही आए और लोग कहते हैं कि सुल्तानपुर के लोगो ने पिंडारियो से समझौता कर लिया था और आपके पिताजी को पिंडारियों ने मार दिया था और उनकी लाश हमे सुल्तानपुर के जंगल से मिली थी! उसके दिन के बाद से हम सुल्तानपुर के लोगो पर यकीन नहीं करते!

विक्रम को अपने कानो पर मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोला:"

" लेकिन राजमाता तो बताती है कि शिकार पर घायल शेरनी के हमले से पिताजी की मौत हुई थी तो क्या ये सच नहीं हैं ?

वैद्य:" बिलकुल भी सच नही हैं! आपसे सब सच्चाई छुपाई गई है ताकि आप भी इस दुश्मनी का हिस्सा न बन सके!

विक्रम गुस्से से भर उठा और उसकी आंखो से लाल चिंगारिया सी निकलने लगी और बोला:"

" वो कौन है वैद्य जी जिसने मेरे पिताजी को धोखा दिया ? उसके इतने टुकड़े करूंगा कि पूरा सुल्तानपुर नही गिन पायेगा!

वैद्य:" बेटा तो सुल्तानपुर के राजा मीर जाफर थे लेकिन जिंदगी ने उसे भी उसकी औकात दिखा दी और वो भी पिंडारियो के हाथो मारा गया था!

विक्रम के चेहरे पर ये सुनकर एक अजीब सा सुकून मिला तो आंखो मे निराशा भी दिखी और बोला:"

" काश मैं उसे अपने हाथो से मार पाता तो मुझे कितनी खुशी होती! अभी वैसे सुल्तानपुर का राजा कौन हैं ?

वैद्य:" युवराज कहने के लिए तो सुलतान का बेटा राज्य संभालता हैं लेकिन वो मानसिक रूप से बीमार हैं और सबसे बड़ी बात वो लड़की और शराब से बाहर नही निकल पाता है! राज्य की देखभाल पूरी तरह से सेनापति जब्बार खान के हाथ में हैं जो एक बेहद क्रूर और निर्दयी इंसान हैं!


विक्रम:" तो क्या राजा के परिवार में और कोई नही हैं क्या जो राज्य को संभाल सके ?

वैद्य:" राजा की बेटी शहजादी सलमा बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ एक बहादुर और तेज दिमाग वाली लड़की हैं लेकिन उसकी एक नही चल पाती क्योंकि वो हमेशा सेनापति के खिलाफ होती हैं!

विक्रम को सलमा के नाम से याद आया कि उसका घोड़ा पवन तो सुल्तानपुर में ही छूट गया है और बोला:"

" जब सलमा शहजादी हैं तो वो अपनी ताकत का इस्तेमाल क्यों नही करती हैं?

वैद्य:" राज नियमो के अनुसार जब तक बेटा जिंदा हो तो बेटी को गद्दी नही मिलती हैं! राजा के बेटे सलीम को जब्बार ने अंधेरे में रखा हुआ है कि राज्य में सब ठीक चल रहा है जबकि सच्चाई वो नही जानता हैं! बेटे की जिद के आगे सलमा की अम्मी रजिया भी मजबूर हैं और चाह कर भी कुछ नही कर पाती!

विक्रम:" मतलब राज्य पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर नाच रहा है और सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा है!

वैद्य:" आप बिलकुल ठीक समझे युवराज! लेकिन ये बात कभी राजमाता को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैने आपको ये सब बताया है!

विक्रम ने वैद्य जी का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और बोले:"

" आप चिंता मुक्त रहिए! मैं आपको वचन देता हूं!

उसके बाद विक्रम राजमहल की तरफ चल पड़ा और अब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती किसी भी हाल में पवन को वापिस लाना था क्योंकि जो कुछ उसे वैद्य ने बताया था वो सब जानने के बाद वो किसी भी कीमत पर अपने घोड़े को नही छोड़ सकता था!!
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विक्रम अपने राज्य उदयगढ़ वापिस लौट आया और उसे उदास देखकर उसके दोस्त अजय ने पूछा:"

" क्या हुआ राजकुमार ? बड़े उदास लग रहे हो ?

विक्रम ने उसकी तरफ निराशा से देखा और बोला:"

" मत पूछो मेरे मित्र! सच कहूं तो किसी के कहने के काबिल नही बचा कुछ !

अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" ऐसा न कहो मेरे मित्र, मेरे भाई ! कोई समस्या हो तो आप मुझसे कहिए ? कुछ न कुछ उपाय करेंगे!

विक्रम:" भाई आज मेरा घोड़ा पवन गलती से सुल्तानपुर की सीमा में चला गया और वहां की शहजादी ने पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात घोड़ा मेरे पास आने की बजाय उसके साथ ही चला गया! बस यही मेरे लिए का विषय हैं मेरे भाई!

उसकी बात सुनकर अजय को मानो सांप सा सूंघ गया और बोला:" क्या आप सच कह रहे हो राजकुमार ? मुझे यकीन नही हो रहा है! आप सुल्तानपुर गए थे क्या?

विक्रम:" हान भाई गया था मैं अपने घोड़े के लिए! लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाया! लेकिन शहजादी ने मुझे वचन दिया हैं कि मैं जब मन करे घोड़े से मिलने आ सकता हु !

अजय ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" आप बाहर ही पले बढे और कुछ दिन पहले ही वापिस आए हैं! क्या आपको पता हैं कि सुल्तानपुर से हमारे रिश्ते कैसे हैं ?

विक्रम ने आंखो में हैरानी लिए उसकी तरफ देखा और बोला:"

" हमारे रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है अजय और फिर किसकी इतनी हिम्मत हैं कि उदयगढ़ के भावी राजा के सामने आंख उठा सके !!

अजय:" राजकुमार आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप आज के बाद सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम थोड़ा गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला:"क्यों नहीं जायेंगे हमारा पवन हैं वहां ! जब तक वो वापिस नहीं आएगा हम चैन से नहीं बैठ सकते!

अजय ने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए और बोला:"

" राजुकमार आपको मेरी दोस्ती की कसम कि आज के बाद आप सुल्तानपुर नही जायेंगे! पवन को किसी भी कीमत पर मैं वापिस लेकर आऊंगा!

विक्रम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:" ये हमें किस बंधन में बांध रहे हो मित्र? आखिर वहां जाने में दिक्कत क्या हैं क्योंकि शहजादी ने हमे खुद वचन दिया हैं!! कोई बात है तो हम बताए आप

अजय ने उसके सामने दोनों हाथों को जोड़ दिया और बोला

" मैं विवश हु राजकुमार! चाह कर भी आपको कुछ नही बता सकता! बस मेरा यकीन कीजिए कि वहां जाना आपके लिए ठीक नहीं होगा!

विक्रम ने जोर से एक मुक्का बराबर में खड़े पेड़ पर गुस्से से मारा और वो मजबूत पेड़ बीच से टूट गया और विक्रम जोर से भड़का:"

" तुम्हे मेरे कसम है अजय! या तो हमे बताओ नही तो हमे सुल्तानपुर जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक पाएगी!

अजय:" नही राजकुमार हमे धर्म संकट में मत डालिए आप! हमने राजमाता को वचन दिया हैं कि मर जायेंगे लेकिन हमारी जुबान नही खुलेगी!

विक्रम गुस्से से लगभग दहाड़ा और बोला:"

" अगर आप हमारी कसम नही मानते तो दुनिया की कोई ताकत हमें सुल्तानपुर जाने से नही रोक पाएगी और आपकी कसम भी नहीं अजय!!

इतना कहकर विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में लहराया मानो अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो और अजय उसके कदमों में गिर पड़ा और बोला:"

" राजकुमार आपको सुल्तानपुर जाने के लिए मेरी लाश पर से गुजरना पड़ेगा!!

विक्रम को मानो उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अजय तुम होश में तो हो ? आपको पता है कि क्या आप क्या कह रहे हो?

अजय ने हाथ से विक्रम की तलवार पकड़ी और अपनी गर्दन पर टिका दी और बोला:"

" जब तक मेरे जिस्म में आखिरी सांस होगी आप सुलतानपुर नही जा पाएंगे! आप मेरी गर्दन काटकर ही जा सकते हैं!!

विक्रम ने अपनी तलवार को वापिस म्यान में रख लिया और तभी किसी के आने की आहट हुई तो दोनो चुप हो गए और अजय ने देखा कि राजमाता गायत्री देवी उधर की आ रही है तो उसने इशारे से विक्रम की मना किया कि राजमाता से कोई सवाल न करे! राजमाता उनके पास आ गई और बोली:"

" क्या बाते कर रहे थे दोनो जो मुझे देखते ही चुप हो गए?

विक्रम:" कुछ भी नही राजमाता! बस अजय बता रहा था कि हमे अपने राज्य की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि सर्दी आने वाली है!


राजमाता:" बिलकुल सही बात हैं! सर्दी में कभी कभी चोर डाकू अंदर घुस आते हैं और लूटपाट का खतरा हो सकता है!

विक्रम:" जी राजमाता फिर मेरे विचार से आपको पूरे राज्य की सुरक्षा अजय के हाथ में ही से देनी चाहिए!

राजमाता:" सोच तो मैं भी यही रही हु बस इस बार जब मंत्री दल की बैठक होगी तो ये घोषणा भी कर दी जाएगी! क्यों अजय तुम्हे कोई दिक्कत तो नही!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता, अपने खून की आखिरी बूंद तक उदयगढ़ की रक्षा करूंगा!

राजमाता:" शाबाश, तुम जैसे युवा नौजवान ही उदयगढ़ को ऊंचाई पर लेकर जाएंगे! आपकी मम्मी कैसी हैं अभी ?

अजय थोड़ा उदास हो गया और बोला:" बस पहले से थोड़ी अच्छी हैं, पिताजी की याद में अक्सर रोती रहती है! आप ही उन्हें एक दिन अच्छे से समझा दीजिए ना!

राजमाता:" मुझसे बेहतर भला पति को खोने का दर्द कौन समझ सकता है, ठीक है मैं बात करूंगी! और कोई जरूरत हो तो बताना मुझे!

अजय:" जी राजमाता!

राजमाता:" अच्छा मैं अब चलती हु, वैसे भी अब मेरी पूजा का समय हो गया है!

इतना कहकर राजमाता चली गई और अजय भी विक्रम से इजाजत लेकर अपने घर की तरफ लौट चला और विक्रम के दिमाग में सवालों का तूफान मचा हुआ था कि उसे सुल्तानपुर क्यों नहीं जाना चाहिए! आखिर ऐसी क्या बात है जो उससे छुपाई गई हैं ! जरूर कुछ तो हैं जिसका मुझे पता करना हो होगा!

विक्रम जानता था कि उसे ये सब कहां से पता चल सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ गया और अब वो राज वैद्य शक्ति सिंह के घर के सामने खड़ा हुआ था और वो जानता था कि शक्ति सिंह उसके सामने हर हाल में अपना मुंह खोल देगा क्योंकि अभी तीन पहले भी उसने शक्ति सिंह को उसके बेटे की बहु मीनू के साथ संभोग करते देख लिया था जब वो उसके घर आया था! शक्ति सिंह ने राजकुमार से माफी मांगी थी और जीवन भर उसका वफादार बनने का वादा किया था! विक्रम को अपने घर देखकर शक्ति सिंह हैरान हुआ और बोला:"

" युवराज आपने क्यों आने का कष्ट किया मुझे महल बुला लिया होता आपने!

विक्रम:" हम एक मुश्किल में फंस गए हैं वैद्य जी और आप ही हमारी मदद कर सकते हैं!

वैद्य:" मेरी किस्मत होगी! आज्ञा दीजिए आप!


विक्रम:" सुल्तानपुर और उदयगढ़ की क्या कहानी है!

ये सुनते ही वैद्य जी के चेहरे का रंग उतर गया और हकलाते हुए बोले:"

" मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता राजकुमार!

विक्रम:" फिर आपकी जुबान लड़खड़ा क्यों रही है वैद्य जी? बेहतर होगा कि मेरे सवालों का जवाब दो!

वैद्य:" मेरी आजकल तबियत ठीक नहीं रहती वो शायद इसलिए ऐसा हो गया और मेरी उम्र भी तो हो गई हैं!!

विक्रम ने अपनी गुस्से से लाल आंखो से उसे घूरा और बोला:"

" अच्छा तो ये बात हैं! खैर छोड़िए एक बात बताओ मीनू नही दिख रही है? कहीं गई हैं क्या वो आज ?

वैद्य के चेहरे पर कई रंग आए और गए और वो विक्रम के आगे हाथ जोड़कर बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज! मैं मजबूर हू आपको चाह कर भी कुछ नहीं बता सकता!

विक्रम ने उसे अच्छे से देखा और मुस्कुरा कर हुए बोला:"

" कोई बात नही वैद्य जी लेकिन याद रखिए कि मैं मजबूर नही हु आपकी तरह से! अच्छा मैं अब चलता हु!

विक्रम चलने लगा तो वैद्य जी ने उसके पैर पकड़ लिए और बोले:"

" युवराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं सब इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी! मैं आपको सब बताने के लिए तैयार हु!

युवराज विक्रम वही बेड पर बैठ गया और वैद्य जी ने बोलना शुरू किया:"

" अब से 10 साल पहले दोनो राज्य बेहद सम्पन्न थे और आपस मे आज की तरह कोई दुश्मनी नहीं थी! फिर एक दिन सुलतान पुर पर पिंडारियो ने हमला कर दिया और पड़ोसी होने के नाते आपके पिता महेंद्र सिंह मदद के लिए गए लेकिन आज तक कभी वापिस नही आए और लोग कहते हैं कि सुल्तानपुर के लोगो ने पिंडारियो से समझौता कर लिया था और आपके पिताजी को पिंडारियों ने मार दिया था और उनकी लाश हमे सुल्तानपुर के जंगल से मिली थी! उसके दिन के बाद से हम सुल्तानपुर के लोगो पर यकीन नहीं करते!

विक्रम को अपने कानो पर मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोला:"

" लेकिन राजमाता तो बताती है कि शिकार पर घायल शेरनी के हमले से पिताजी की मौत हुई थी तो क्या ये सच नहीं हैं ?

वैद्य:" बिलकुल भी सच नही हैं! आपसे सब सच्चाई छुपाई गई है ताकि आप भी इस दुश्मनी का हिस्सा न बन सके!

विक्रम गुस्से से भर उठा और उसकी आंखो से लाल चिंगारिया सी निकलने लगी और बोला:"

" वो कौन है वैद्य जी जिसने मेरे पिताजी को धोखा दिया ? उसके इतने टुकड़े करूंगा कि पूरा सुल्तानपुर नही गिन पायेगा!

वैद्य:" बेटा तो सुल्तानपुर के राजा मीर जाफर थे लेकिन जिंदगी ने उसे भी उसकी औकात दिखा दी और वो भी पिंडारियो के हाथो मारा गया था!

विक्रम के चेहरे पर ये सुनकर एक अजीब सा सुकून मिला तो आंखो मे निराशा भी दिखी और बोला:"

" काश मैं उसे अपने हाथो से मार पाता तो मुझे कितनी खुशी होती! अभी वैसे सुल्तानपुर का राजा कौन हैं ?

वैद्य:" युवराज कहने के लिए तो सुलतान का बेटा राज्य संभालता हैं लेकिन वो मानसिक रूप से बीमार हैं और सबसे बड़ी बात वो लड़की और शराब से बाहर नही निकल पाता है! राज्य की देखभाल पूरी तरह से सेनापति जब्बार खान के हाथ में हैं जो एक बेहद क्रूर और निर्दयी इंसान हैं!


विक्रम:" तो क्या राजा के परिवार में और कोई नही हैं क्या जो राज्य को संभाल सके ?

वैद्य:" राजा की बेटी शहजादी सलमा बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ एक बहादुर और तेज दिमाग वाली लड़की हैं लेकिन उसकी एक नही चल पाती क्योंकि वो हमेशा सेनापति के खिलाफ होती हैं!

विक्रम को सलमा के नाम से याद आया कि उसका घोड़ा पवन तो सुल्तानपुर में ही छूट गया है और बोला:"

" जब सलमा शहजादी हैं तो वो अपनी ताकत का इस्तेमाल क्यों नही करती हैं?

वैद्य:" राज नियमो के अनुसार जब तक बेटा जिंदा हो तो बेटी को गद्दी नही मिलती हैं! राजा के बेटे सलीम को जब्बार ने अंधेरे में रखा हुआ है कि राज्य में सब ठीक चल रहा है जबकि सच्चाई वो नही जानता हैं! बेटे की जिद के आगे सलमा की अम्मी रजिया भी मजबूर हैं और चाह कर भी कुछ नही कर पाती!

विक्रम:" मतलब राज्य पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर नाच रहा है और सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा है!

वैद्य:" आप बिलकुल ठीक समझे युवराज! लेकिन ये बात कभी राजमाता को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैने आपको ये सब बताया है!

विक्रम ने वैद्य जी का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और बोले:"

" आप चिंता मुक्त रहिए! मैं आपको वचन देता हूं!

उसके बाद विक्रम राजमहल की तरफ चल पड़ा और अब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती किसी भी हाल में पवन को वापिस लाना था क्योंकि जो कुछ उसे वैद्य ने बताया था वो सब जानने के बाद वो किसी भी कीमत पर अपने घोड़े को नही छोड़ सकता था!!
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parkas

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विक्रम अपने राज्य उदयगढ़ वापिस लौट आया और उसे उदास देखकर उसके दोस्त अजय ने पूछा:"

" क्या हुआ राजकुमार ? बड़े उदास लग रहे हो ?

विक्रम ने उसकी तरफ निराशा से देखा और बोला:"

" मत पूछो मेरे मित्र! सच कहूं तो किसी के कहने के काबिल नही बचा कुछ !

अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" ऐसा न कहो मेरे मित्र, मेरे भाई ! कोई समस्या हो तो आप मुझसे कहिए ? कुछ न कुछ उपाय करेंगे!

विक्रम:" भाई आज मेरा घोड़ा पवन गलती से सुल्तानपुर की सीमा में चला गया और वहां की शहजादी ने पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात घोड़ा मेरे पास आने की बजाय उसके साथ ही चला गया! बस यही मेरे लिए का विषय हैं मेरे भाई!

उसकी बात सुनकर अजय को मानो सांप सा सूंघ गया और बोला:" क्या आप सच कह रहे हो राजकुमार ? मुझे यकीन नही हो रहा है! आप सुल्तानपुर गए थे क्या?

विक्रम:" हान भाई गया था मैं अपने घोड़े के लिए! लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाया! लेकिन शहजादी ने मुझे वचन दिया हैं कि मैं जब मन करे घोड़े से मिलने आ सकता हु !

अजय ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" आप बाहर ही पले बढे और कुछ दिन पहले ही वापिस आए हैं! क्या आपको पता हैं कि सुल्तानपुर से हमारे रिश्ते कैसे हैं ?

विक्रम ने आंखो में हैरानी लिए उसकी तरफ देखा और बोला:"

" हमारे रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है अजय और फिर किसकी इतनी हिम्मत हैं कि उदयगढ़ के भावी राजा के सामने आंख उठा सके !!

अजय:" राजकुमार आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप आज के बाद सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम थोड़ा गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला:"क्यों नहीं जायेंगे हमारा पवन हैं वहां ! जब तक वो वापिस नहीं आएगा हम चैन से नहीं बैठ सकते!

अजय ने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए और बोला:"

" राजुकमार आपको मेरी दोस्ती की कसम कि आज के बाद आप सुल्तानपुर नही जायेंगे! पवन को किसी भी कीमत पर मैं वापिस लेकर आऊंगा!

विक्रम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:" ये हमें किस बंधन में बांध रहे हो मित्र? आखिर वहां जाने में दिक्कत क्या हैं क्योंकि शहजादी ने हमे खुद वचन दिया हैं!! कोई बात है तो हम बताए आप

अजय ने उसके सामने दोनों हाथों को जोड़ दिया और बोला

" मैं विवश हु राजकुमार! चाह कर भी आपको कुछ नही बता सकता! बस मेरा यकीन कीजिए कि वहां जाना आपके लिए ठीक नहीं होगा!

विक्रम ने जोर से एक मुक्का बराबर में खड़े पेड़ पर गुस्से से मारा और वो मजबूत पेड़ बीच से टूट गया और विक्रम जोर से भड़का:"

" तुम्हे मेरे कसम है अजय! या तो हमे बताओ नही तो हमे सुल्तानपुर जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक पाएगी!

अजय:" नही राजकुमार हमे धर्म संकट में मत डालिए आप! हमने राजमाता को वचन दिया हैं कि मर जायेंगे लेकिन हमारी जुबान नही खुलेगी!

विक्रम गुस्से से लगभग दहाड़ा और बोला:"

" अगर आप हमारी कसम नही मानते तो दुनिया की कोई ताकत हमें सुल्तानपुर जाने से नही रोक पाएगी और आपकी कसम भी नहीं अजय!!

इतना कहकर विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में लहराया मानो अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो और अजय उसके कदमों में गिर पड़ा और बोला:"

" राजकुमार आपको सुल्तानपुर जाने के लिए मेरी लाश पर से गुजरना पड़ेगा!!

विक्रम को मानो उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अजय तुम होश में तो हो ? आपको पता है कि क्या आप क्या कह रहे हो?

अजय ने हाथ से विक्रम की तलवार पकड़ी और अपनी गर्दन पर टिका दी और बोला:"

" जब तक मेरे जिस्म में आखिरी सांस होगी आप सुलतानपुर नही जा पाएंगे! आप मेरी गर्दन काटकर ही जा सकते हैं!!

विक्रम ने अपनी तलवार को वापिस म्यान में रख लिया और तभी किसी के आने की आहट हुई तो दोनो चुप हो गए और अजय ने देखा कि राजमाता गायत्री देवी उधर की आ रही है तो उसने इशारे से विक्रम की मना किया कि राजमाता से कोई सवाल न करे! राजमाता उनके पास आ गई और बोली:"

" क्या बाते कर रहे थे दोनो जो मुझे देखते ही चुप हो गए?

विक्रम:" कुछ भी नही राजमाता! बस अजय बता रहा था कि हमे अपने राज्य की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि सर्दी आने वाली है!


राजमाता:" बिलकुल सही बात हैं! सर्दी में कभी कभी चोर डाकू अंदर घुस आते हैं और लूटपाट का खतरा हो सकता है!

विक्रम:" जी राजमाता फिर मेरे विचार से आपको पूरे राज्य की सुरक्षा अजय के हाथ में ही से देनी चाहिए!

राजमाता:" सोच तो मैं भी यही रही हु बस इस बार जब मंत्री दल की बैठक होगी तो ये घोषणा भी कर दी जाएगी! क्यों अजय तुम्हे कोई दिक्कत तो नही!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता, अपने खून की आखिरी बूंद तक उदयगढ़ की रक्षा करूंगा!

राजमाता:" शाबाश, तुम जैसे युवा नौजवान ही उदयगढ़ को ऊंचाई पर लेकर जाएंगे! आपकी मम्मी कैसी हैं अभी ?

अजय थोड़ा उदास हो गया और बोला:" बस पहले से थोड़ी अच्छी हैं, पिताजी की याद में अक्सर रोती रहती है! आप ही उन्हें एक दिन अच्छे से समझा दीजिए ना!

राजमाता:" मुझसे बेहतर भला पति को खोने का दर्द कौन समझ सकता है, ठीक है मैं बात करूंगी! और कोई जरूरत हो तो बताना मुझे!

अजय:" जी राजमाता!

राजमाता:" अच्छा मैं अब चलती हु, वैसे भी अब मेरी पूजा का समय हो गया है!

इतना कहकर राजमाता चली गई और अजय भी विक्रम से इजाजत लेकर अपने घर की तरफ लौट चला और विक्रम के दिमाग में सवालों का तूफान मचा हुआ था कि उसे सुल्तानपुर क्यों नहीं जाना चाहिए! आखिर ऐसी क्या बात है जो उससे छुपाई गई हैं ! जरूर कुछ तो हैं जिसका मुझे पता करना हो होगा!

विक्रम जानता था कि उसे ये सब कहां से पता चल सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ गया और अब वो राज वैद्य शक्ति सिंह के घर के सामने खड़ा हुआ था और वो जानता था कि शक्ति सिंह उसके सामने हर हाल में अपना मुंह खोल देगा क्योंकि अभी तीन पहले भी उसने शक्ति सिंह को उसके बेटे की बहु मीनू के साथ संभोग करते देख लिया था जब वो उसके घर आया था! शक्ति सिंह ने राजकुमार से माफी मांगी थी और जीवन भर उसका वफादार बनने का वादा किया था! विक्रम को अपने घर देखकर शक्ति सिंह हैरान हुआ और बोला:"

" युवराज आपने क्यों आने का कष्ट किया मुझे महल बुला लिया होता आपने!

विक्रम:" हम एक मुश्किल में फंस गए हैं वैद्य जी और आप ही हमारी मदद कर सकते हैं!

वैद्य:" मेरी किस्मत होगी! आज्ञा दीजिए आप!


विक्रम:" सुल्तानपुर और उदयगढ़ की क्या कहानी है!

ये सुनते ही वैद्य जी के चेहरे का रंग उतर गया और हकलाते हुए बोले:"

" मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता राजकुमार!

विक्रम:" फिर आपकी जुबान लड़खड़ा क्यों रही है वैद्य जी? बेहतर होगा कि मेरे सवालों का जवाब दो!

वैद्य:" मेरी आजकल तबियत ठीक नहीं रहती वो शायद इसलिए ऐसा हो गया और मेरी उम्र भी तो हो गई हैं!!

विक्रम ने अपनी गुस्से से लाल आंखो से उसे घूरा और बोला:"

" अच्छा तो ये बात हैं! खैर छोड़िए एक बात बताओ मीनू नही दिख रही है? कहीं गई हैं क्या वो आज ?

वैद्य के चेहरे पर कई रंग आए और गए और वो विक्रम के आगे हाथ जोड़कर बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज! मैं मजबूर हू आपको चाह कर भी कुछ नहीं बता सकता!

विक्रम ने उसे अच्छे से देखा और मुस्कुरा कर हुए बोला:"

" कोई बात नही वैद्य जी लेकिन याद रखिए कि मैं मजबूर नही हु आपकी तरह से! अच्छा मैं अब चलता हु!

विक्रम चलने लगा तो वैद्य जी ने उसके पैर पकड़ लिए और बोले:"

" युवराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं सब इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी! मैं आपको सब बताने के लिए तैयार हु!

युवराज विक्रम वही बेड पर बैठ गया और वैद्य जी ने बोलना शुरू किया:"

" अब से 10 साल पहले दोनो राज्य बेहद सम्पन्न थे और आपस मे आज की तरह कोई दुश्मनी नहीं थी! फिर एक दिन सुलतान पुर पर पिंडारियो ने हमला कर दिया और पड़ोसी होने के नाते आपके पिता महेंद्र सिंह मदद के लिए गए लेकिन आज तक कभी वापिस नही आए और लोग कहते हैं कि सुल्तानपुर के लोगो ने पिंडारियो से समझौता कर लिया था और आपके पिताजी को पिंडारियों ने मार दिया था और उनकी लाश हमे सुल्तानपुर के जंगल से मिली थी! उसके दिन के बाद से हम सुल्तानपुर के लोगो पर यकीन नहीं करते!

विक्रम को अपने कानो पर मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोला:"

" लेकिन राजमाता तो बताती है कि शिकार पर घायल शेरनी के हमले से पिताजी की मौत हुई थी तो क्या ये सच नहीं हैं ?

वैद्य:" बिलकुल भी सच नही हैं! आपसे सब सच्चाई छुपाई गई है ताकि आप भी इस दुश्मनी का हिस्सा न बन सके!

विक्रम गुस्से से भर उठा और उसकी आंखो से लाल चिंगारिया सी निकलने लगी और बोला:"

" वो कौन है वैद्य जी जिसने मेरे पिताजी को धोखा दिया ? उसके इतने टुकड़े करूंगा कि पूरा सुल्तानपुर नही गिन पायेगा!

वैद्य:" बेटा तो सुल्तानपुर के राजा मीर जाफर थे लेकिन जिंदगी ने उसे भी उसकी औकात दिखा दी और वो भी पिंडारियो के हाथो मारा गया था!

विक्रम के चेहरे पर ये सुनकर एक अजीब सा सुकून मिला तो आंखो मे निराशा भी दिखी और बोला:"

" काश मैं उसे अपने हाथो से मार पाता तो मुझे कितनी खुशी होती! अभी वैसे सुल्तानपुर का राजा कौन हैं ?

वैद्य:" युवराज कहने के लिए तो सुलतान का बेटा राज्य संभालता हैं लेकिन वो मानसिक रूप से बीमार हैं और सबसे बड़ी बात वो लड़की और शराब से बाहर नही निकल पाता है! राज्य की देखभाल पूरी तरह से सेनापति जब्बार खान के हाथ में हैं जो एक बेहद क्रूर और निर्दयी इंसान हैं!


विक्रम:" तो क्या राजा के परिवार में और कोई नही हैं क्या जो राज्य को संभाल सके ?

वैद्य:" राजा की बेटी शहजादी सलमा बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ एक बहादुर और तेज दिमाग वाली लड़की हैं लेकिन उसकी एक नही चल पाती क्योंकि वो हमेशा सेनापति के खिलाफ होती हैं!

विक्रम को सलमा के नाम से याद आया कि उसका घोड़ा पवन तो सुल्तानपुर में ही छूट गया है और बोला:"

" जब सलमा शहजादी हैं तो वो अपनी ताकत का इस्तेमाल क्यों नही करती हैं?

वैद्य:" राज नियमो के अनुसार जब तक बेटा जिंदा हो तो बेटी को गद्दी नही मिलती हैं! राजा के बेटे सलीम को जब्बार ने अंधेरे में रखा हुआ है कि राज्य में सब ठीक चल रहा है जबकि सच्चाई वो नही जानता हैं! बेटे की जिद के आगे सलमा की अम्मी रजिया भी मजबूर हैं और चाह कर भी कुछ नही कर पाती!

विक्रम:" मतलब राज्य पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर नाच रहा है और सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा है!

वैद्य:" आप बिलकुल ठीक समझे युवराज! लेकिन ये बात कभी राजमाता को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैने आपको ये सब बताया है!

विक्रम ने वैद्य जी का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और बोले:"

" आप चिंता मुक्त रहिए! मैं आपको वचन देता हूं!

उसके बाद विक्रम राजमहल की तरफ चल पड़ा और अब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती किसी भी हाल में पवन को वापिस लाना था क्योंकि जो कुछ उसे वैद्य ने बताया था वो सब जानने के बाद वो किसी भी कीमत पर अपने घोड़े को नही छोड़ सकता था!!
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....
Nice and beautiful update.....
 
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