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Incest शहजादी सलमा

Rustam23

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ये बाजीराव-मस्तानी बाला story हैं,,
जाहां बाजीराव हिंदु , मस्तानी मुसलिम

सालमा फिलहाल बिक्रम के "uncut" लौड़ा अंदर लेने के लिये बेकरार हैं
 

Bittoo

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बहुत ग़ज़ब
ऐसा सुंदर विवरण
आपकी लेखनी को सलाम
सागर में गहरे पैठ कर आप मोती ले कर आते हैं
आपकी लेखनी में कलात्मकता है
कृपया लिखते रहें
 
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ये बाजीराव-मस्तानी बाला story हैं,,
जाहां बाजीराव हिंदु , मस्तानी मुसलिम

सालमा फिलहाल बिक्रम के "uncut" लौड़ा अंदर लेने के लिये बेकरार हैं
हिंदू मुस्लिम के चक्कर में पड़कर कहानी का मजा खराब न करे! साइट्स पर ऐसी बहुत सारी दूसरी कहानियां हैं आप वहां भी आनंद ले सकते हैं! कहानी का दूसरा पहलू राधिका और जब्बार भी हैं! साथ में बने रहिए और आनंद लीजिए
 

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शहजादी सलमा वापिस महल पहुंच गई और उसे देखते ही उसकी मां ने सुकून की सांस ली और बोली:"

" अच्छा हुआ बेटी आप आ गई, मुझे आपकी चिंता होने लगी थी!

सलमा बेहद खुश थी क्योंकि वो पहली बार अपनी ससुराल जो घूम कर आई थी और वो रजिया के गले लग गई और उसका मुंह चूम लिया और बोली:"

" हम बता नही सकते आज हम कितनी खुश हैं, सालो के बाद हमने आज खुलकर अपनी जिंदगी को जिया हैं अम्मी!

अनुभवी रजिया उसके द्वारा अपना गाल चूमे जाने से मुस्कुरा उठी और उसके कान खींचती हुई बोली:" लगता हैं मेरी शहजादी अब जवान हो गई है! कोई शहजादा देखना पड़ेगा आपके लिए!!

रजिया की बात सुनकर सलमा शर्म से लाल हो गई और अपने मुंह को हाथो से छुपा लिया और विक्रम के बारे मे सोचकर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" अम्मी आप भी ना बस मुझे परेशान करने लगी है! ऐसे कोई बोलता है क्या अपनी बेटी को!

रजिया प्यार से उसके सिर में हाथ फेरती हुई बोली:

" बेटी जवान और खूबसूरत हो तो समझाना पड़ता है सलमा! चलो अब जल्दी से खाना खा लो!

सलमा ने अपनी मां के साथ खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने कक्ष में जाने लगी और बोली:

" अम्मी कल तो मेला खत्म हो ही जायेगा! आपकी इजाजत हो तो कल फिर से मेला देख आऊ क्या सीमा को साथ लेकर!

राजिया ने मुस्कुरा कर सहमति दे दी और सलमा का दिल खुशी से झूम उठा और वो अपने कक्ष की तरफ बढ़ गई!

अगले दिन सुबह उदयगढ़ में बेहद खुशी का दिन था क्योंकि आज राजमाता ने अजय को तलवार देने के बाद उसे राज्य का सेनापति बनाने का उत्सव था!
चारो तरफ खुशी का माहौल था और पूरा उदयगढ़ दुल्हन की तरह सजा हुआ था! विक्रम भी बेहद खुश था और वो चाहता था कि किसी तरह सलमा भी आज के उत्सव का हिस्सा बने तो बहुत अच्छा रहेगा!

मेनका सोकर उठी और अपने आपको रेशमी साड़ी में लिपटी हुई देखकर उसकी आंखों के आगे रात की घटनाएं घूमने लगी और वो शर्म से गड़ी जा रही थी कि रात उसने उत्तेजना में क्या कर डाला! अब वो अजय से नजरे कैसे मिला पाएगी ये सब सोचकर वो बेहद परेशान हो रही थी जिस कारण आज उत्सव की खुशी में भी उसे सुकून नही मिल रहा था और मेनका नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और रोज की तरह उसने सफेद साड़ी को पहन लिया और तैयार होने लगी! अजय भी उठा गया और नहाकर तैयार होने लगा! मेनका ने उसके खाने के लिए कुछ ताजे फल और पराठे लिए और हॉल में टेबल पर रख दिए जहां अजय पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था और दोनो बिना कुछ बोले नाश्ता करने लगे और मेनका की नजरे शर्म से झुका हुई थी! अजय की नजरे बीच बीच में उसके चेहरे को देखती और अजय सोच रहा था कि उसकी मां के चेहरे पर कितनी मासूमियत और शराफत है! उसे यकीन नही हो पा रहा था कि रात वो काम वासना से उबलती हुई यही उसकी मां मेनका थी या कोई दूसरी औरत लेकिन वो सच्चाई से मुंह नही मोड़ सकता था!

अजय ने आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए कहा:" मम्मी आज तो आपके लिए बेहद खुशी का दिन हैं क्योंकि आपका बेटा सेनापति बनाने जा रहा है और आप ऐसे उदास बैठी हुई है!

उसकी बात सुनकर मेनका को थोड़ी हिम्मत मिली और नजरे नीचे किए हुए बोली:"

" हान बेटा मैं बहुत खुश हूं और ईश्वर से प्रार्थना है कि आपको खूब ताकत और हिम्मत दे ताकि आप अपना कर्तव्य निभा सके!

अजय खड़ा और मेनका की तरफ बढ़ा तो मेनका कांप उठी कि पता नहीं क्या होगा लेकिन अजय उसके कदमों में बैठ गया और उसके पैर छूकर बोला:"

" माता मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए बस! फिर आप देखना मैं कैसे उदयगढ़ की तरफ उठने वाली हर नजर को झुका दूंगा!

मेनका ने चैन की सांस ली और उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देती हुई बोली:"

" पुत्र मेरा आशीर्वाद आपके साथ है हमेशा! ईश्वर आपको शक्ति दे!

उसका बाद अजय वापिस अपनी शीट पर आ गया और नाश्ता करने के बाद अजय जाने लगा तो मेनका ने उसे पीछे से आवाज दी:" रुको पुत्र, ऐसे नही जाते हैं!


अजय रुक गया और थोड़ी ही देर में मेनका आरती की थाली लेकर आ गई और उसने अजय की आरती उतारी और बोली:"

" ईश्वर आपको हर जंग में विजयी बनाए अजय!

उसके बाद उसने अजय को एक हीरे की अंगूठी दी और उसकी उंगली में पहनाते हुए बोली:"

" आप आपके खास दिन पर आपके लिए मेरे तरफ से छोटा सा तोहफा पुत्र!

अजय गदगद हो उठा और बोला:" माता आज आपने मेरा जीवन सफल कर दिया! आपके जैसी माता मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं!

उसके बाद अजय वहां से निकल गया और उत्सव की तैयारी में लग गया! धीरे धीरे शाम होने लगी और उत्सव का शुभ मुहूर्त करीब ही था लेकिन युवराज विक्रम महल से गायब थे और गायत्री देवी को उनकी चिंता हो रही थी कि ऐसे वो बिना बताए कहां चला गया और युवराज तो मेले में इस उम्मीद में घूम रहा था कि सलमा आए तो उसे भी उत्सव में शामिल किया जा सके! सलमा कल की तरह फिर से सीमा के साथ निकली और मेले में पहुंच गई और सीमा के साथ घूमने लगी तो सीमा बोली:"

" क्या हुआ शहजादी? लगता हैं आप फिर से आज विक्रम को ढूंढ रही हैं मेले में! कल बोलकर आई थी क्या उन्हे?

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" बोलकर तो नही आई थी लेकिन क्या पता वो भी आए और हमे मिल ही जाए!

सीमा:"इतना ज्यादा प्यार करने लगी है आप कि बिना देखे सुकून नही मिल रहा है!

सलमा उसका हाथ पकड़कर बोली" सारा संसार एक तरफ और यार का दीदार एक तरफ !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" इतनी बेताबी और बेचैनी भी अच्छी नही होती शहजादी! कल ही तो आप मिलकर आई हो ना!

सलमा उसकी बात सुनकर आंखो में प्यार लिए हुए बोली:"

" इस बेताबी का भी अपना अलग ही मजा है सीमा! तुम क्या जानो अपने महबूब की मजबूत बांहों में जो सुकून आनंद मिलता है वो कहीं नहीं मिलता!

उसकी बात सुनकर सीमा हंस पड़ी तो सलमा को एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया है तो वो उसका मुंह लाल हो गया और सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:"

" ओहो तो ये बात है हमारी शहजादी विक्रम की बांहों में समाने में लिए तड़प रही है!

सलमा की नजरे शर्म से झुक गई और उसकी सांसे तेज होने लगी और बोली;" चल बेशर्म कुछ भी बोल देती हैं!

सीमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी सांसों के साथ कम्पन कर रही छातियों को देखते हुए बोली:" वैसे आप कब लग गई विक्रम के गले! थोड़ा बचकर ही रहना कहीं पकड़ कर मसल ना दे आपको अपनी मजबूत बांहों में!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और सोचने लगी कि तुम्हे क्या मालूम है कि मैं युवराज के साथ पूरी पूरी उसकी बांहों में रह चुकी हूं और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:" कल जब हम मिलने गए थे तो युवराज ने मुझे कस लिया था अपनी बांहों में!

सीमा:" अच्छा जी आप तो बड़ी तेज निकली शहजादी! अच्छा कैसा लगा था आपको!

सीमा की बात सुनकर सलमा ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका और बोली:

" कुछ मत पूछ सीमा! मर्द की बांहों में जो सुकून मिलता है वो कहीं नहीं मिलता!

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और उसके कंधो को पकड़ कर बोली:"

" सिर्फ बांहों में भरा ही था या और भी कुछ किया था शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और बोली:"

" कितनी बेशर्म हो गई आप ? युवराज ऐसे नही है सीमा! वो तो बेहद अच्छे और प्यारे है!

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और उसका हाथ पकड़ कर बोली:" मुझे पता है कि मर्द कैसे होते हैं, देखना अगली बार आपको कैसे रगड़ देंगे युवराज अपनी बांहों में भर कर!

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:" रुक जरा तुझे अभी तमीज सिखाती हूं!

इतना कहकर उसने सीमा का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचने लगी तो उसे एक आवाज सुनाई पड़ी

" क्यों बेचारी सीमा के पीछे पड़ी हो शहजादी! ऐसा क्या कर दिया इसने?

इस आवाज को सलमा नींद में भी पहचान सकती थी क्योंकि ये प्रियतम विक्रम की आवाज थी और सीमा बोली:

" देखो ना युवराज कैसे सलमा मुझ मासूम पर जुल्म करती है!


सलमा ने उसे जोर से अपनी तरफ खींचा और बोली:"

" मासूम और तुम! आज मैं तुझे छोड़ने वाली नही हु!

विक्रम:" जरा हम भी तो जाने कि इसने ऐसा क्या गुनाह कर दिया?

विक्रम की बात सुनकर सलमा शर्मा गई क्योंकि वो कैसे युवराज से बोलती कि सीमा का रही थी कि युवराज आपको अपनी मजबूत बांहों में भर कर रगड़ देंगे और ये सोचकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और सीमा उसका मजा लेती हुई बोली:"

" पूछिए ना युवराज इनसे?

विक्रम के कुछ बोलने से पहले ही सलमा ने उसका हाथ छोड़ और बोली:" घर जाकर तुझे सबक सिखा दूंगी ध्यान रखना! ।।

विक्रम उनकी बाते सुन कर हंस पड़ा और बोला:" अच्छा सुनो आज उदयगढ़ में उत्सव है क्योंकि मेरे प्यारे मित्र को सेनापति बनाया जा रहा हैं! मैं आपको ही ढूंढ रहा था आइए मेरे साथ इस उत्सव में चलिए!

सीमा और सलमा दोनो उसके साथ चल पड़ी और राज दरबार लगा हुआ था और हॉल भीड़ से खचाखच भरा हुआ था और युवराज को देखते ही प्रजा उसकी जय जयकार करने लगी तो विक्रम बोला:"

" मेरी नही बल्कि सेनापति अजय की जय जयकार कीजिए आप!

विक्रम आगे बढ़ कर कुर्सी पर बैठ गया और सीमा और सलमा के लिए विक्रम ने भीड़ के बीच ही कुर्सी की व्यवस्था कर दी थी और सलमा और विक्रम बीच बीच मे एक दूसरे को निहार रहे थे और सलमा मंद मंद मुस्कुरा रही थी!

दरबान:" आप सबकी उपस्थिति में महाबली अजय को उदयगढ़ का सेनापति बनाया जा रहा हैं और इसके लिए राजमाता गायत्री देवी उन्हे मुकुट पहना कर इस परंपरा का मुहूर्त करेगी!

गायत्री देवी ने अपनी सीट से खड़ी हुई तो विक्रम और सलमा की आंखे मिली मानो पूछ रही हो कि क्या यही हमारी माता हैं तो विक्रम ने इशारे से सहमति दे दी और सलमा खुश हो गई! अजय आगे बढ़ा और राजमाता ने एक मुकुट उसके सिर पर पहना दिया तो जनता अजय जी जय जयकार करने लगी और अजय ने झुककर राजमाता के पैर छुए तो बोला:" मैं अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटूंगा!

उसके बाद राजमाता ने उसे आशीर्वाद दिया और अजय ने अपनी माता मेनका के पैर छुए तो मेनका ने उसे आशीर्वाद दिया और थोड़ी देर के बाद उत्सव खाने पीने का दौर चल पड़ा और सीमा और सलमा दोनो को विक्रम ने अच्छे से खाना खिलाया और उसके बाद करीब रात के 10 बजे दोनो वापिस सुल्तानपुर की तरफ लौट पड़ी! विक्रम उन्हे छोड़ने के लिए सुल्तानपुर की सीमा तक आया और उसके बाद दोनो महल में आ गई तो सीमा बोली:"

" आपको कैसा लगा उत्सव शहजादी ?

सलमा:" अच्छा था और नए सेनापति को जिम्मेदारी देना बड़ी बात है क्योंकि उसकी आंखो उम्र अभी बेहद कम है!

सीमा:" उम्र कम हैं तो क्या हुआ लेकिन आप उसके इरादे देखिए कितने बुलंद हैं! मुझे तो अच्छा लगा बहुत, लोग बाते कर रहे थे कि अजय का परिवार राज परिवार का सबसे वफादार परिवार रहा है!

सलमा:" हान ये बात तो हैं! मैने भी उसके पूर्वजों के बारे मे सुना हैं और अच्छा लगा! जैसे उदयगढ़ में अजय का परिवार हैं तो वैसे ही यहां आप हो सीमा ! हमेशा मेरा साथ देती हो ठीक वैसे ही जैसे अजय युवराज का साथ देता हैं हर मुश्किल में!

सीमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान दी और बोली:"

" मुझे वफादार बोलने के लिए सच मे आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मेरा ये जीवन आपको समर्पित है और मेरी मृत्यु भी आपके लिए ही होगी!

सलमा:" ऐसी बाते नही बोलते! हम दोनो जिदंगी भर ऐसे ही अच्छे सहेलियां बनकर साथ रहेंगे और एक अच्छा सा लड़का देखकर तेरी शादी भी करवा दूंगी समझी कुछ!

सलमा की बात सुनकर सीमा की आंखो के आगे अजय का चेहरा आ गया और बोली:"

" जी शहजादी! अच्छा चलो अब आप आराम करो, रात बहुत हो गई है!

इतना कहकर सीमा इसके कक्ष से बाहर निकल गई और सलमा सोचने लगी कि कल वो कल्लू सुनार को से पता करेगी कि कौन है जो सीमा के खिलाफ साजिश कर रहा है!

दूसरी तरफ जब्बार और राधिका बिस्तर पर पड़े हुए थे और राधिका बोली:"

" सीमा को फसाने वाला प्लान काम नही आया! हमे कुछ दूसरा तरीका सोचना होगा!

जब्बार:" तुम चिंता मत करो, मेरे पास आदमी और तरीको की कमी नहीं है!

राधिका:" जब ऐसा हैं तो आप राज गद्दी पर क्यों नहीं बैठ जाते हो ? आपका विरोध करने वाला कोई नहीं है राज्य में अब!

जब्बार:" बात ठीक हैं लेकिन जो काम प्यार से हो जाए उसके लिए खून खराबा ठीक नहीं होगा, फिर अभी राज्य में कई ऐसे वफादार योद्धा हैं हो हमेशा राज परिवार के वफादार रहेंगे! हम उन्हे खोना नहीं चाहते क्योंकि आगे चलकर वही हमारे काम आयेंगे!

राधिका:" लेकिन आगे चलकर वही आपके खिलाफ हो गए तो फिर क्या होगा?

जब्बार: " कुछ नही होगा क्योंकि मेरे पास एक ऐसा मोहरा हैं जो वक्त आने पर इस्तेमाल करूंगा और उसके बाद राज परिवार खुद ही राजा राजपाठ मुझे दे देगा!

राधिका को उसकी बात सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" आप तो बड़े तेज हो, मतलब शतरंज के सारे मोहरे आपके इशारों पर काम कर रहे है! कौन है वो आपका मोहरा ?

जब्बार:" इतनी जल्दी ठीक नही होती, सही वक्त आने पर सबको पता चल जायेगा!

राधिका कुछ नही बोली और थोड़ी देर के बाद दोनो एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगे! वहीं सलीम रोज की तरह जब्बार की बीवी शमा के साथ था और शमा ने आज फिर से उसका लंड चूसकर उसे मजा दिया था और सलीम को पूरी तरह से अपने बस में किया हुआ था! सलीम इतना भोग विलासी बन गया था कि उससे शमा के अलावा कुछ नजर नही आता था जिसका फायदा जब्बार जमकर उठा रहा था और एक एक अपने विश्वास पात्रों को राज्य में महत्त्वपूर्ण पद दे रहा था ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी मदद से तख्ता पलट सके!
 
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