रात के करीब 10 बज गए थे और मेनका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी! नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी और उसकी नजरे बीच बीच मे अपने गले में पड़े हुए मंगल सूत्र पर जा रही थी जो मेनका को इस बात का एहसास दिला रहा था कि वो शादी शुदा हैं! मेनका चाहकर भी अपना मंगल सूत्र नही उतार सकती थी क्योंकि ये अपशकुन समझा जाता और इससे अजय की जिंदगी पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता! मेनका की आंखो के आगे बार बार वही अपना दुल्हन वाला रूप घूम रहा था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी! दुनिया की हर औरत खूबसूरत दिखना चाहती हैं और मेनका इसका अपवाद नहीं थी!
मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्योंकि इसका दिल एक बार फिर से खुद को दुल्हन के लिबास में देखने के लिए तड़प रहा था! काफी सोच समझ कर उसने फैसला किया कि वो फिर से आज साड़ी पहनेगी और घर के नीचे बने तहखाने में उसे कोई देख भी नही पाएगा! आखिरकार मेनका अपने बेड से उठी और धीरे धीरे चलती हुई अजय के कक्ष तक पहुंच गई क्योंकि वो ये निश्चित करना चाहती थी कि अजय सोया हैं या नहीं और उसने देखा कि अजय सो गया था तो वो फिर से अपने कमरे में आई और अलमारी तक पहुंची और एक बेहद खूबसूरत साड़ी उठा ली और तभी उसके मन में एक विचार आया तो उसने कांपते हाथों से अपनी गुलाबी रंग की ब्रा पेंटी को भी उठा लिया बाहर निकल गई! मेनका धीरे धीरे चलती हुई तहखाने तक पहुंच गई और उसने फिर से खुद को शीशे में देखते हुए साड़ी पहनना शुरू कर दिया! कल मेनका के साड़ी पहनने और आज पहनने में जमीन आसमान का अंतर था क्योंकि कल उसने अपने पूर्वजों की परंपरा के तौर पर पहनी थी और आज अपनी खुशी के लिए पहन रही थी! मेनका ने एक बार खुद को शीशे में देखा और जैसे ही खुद से उसकी नजरे मिली तो बरबस ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई !
मेनका ने अपने जिस्म पर से सफेद रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ को हटा दिया तो तो वो ऊपर से नंगी हो गई और उसने अपनी गोल गोल चुचियों को देखा तो उसकी आंखो मे चमक आ गई क्योंकि मेनका का वजन थोडा सा बढ़ गया था जिससे उसकी चुचियों अब पहले के मुकाबले और ज्यादा भर गई थी! मेनका ने बदन में सिरहन सी दौड़ गई और उसके बाद उसने अपने लहंगे को उतार दिया तो मेनका पूरी तरह से नंगी हो गई और खुद को शीशे में निहारने लगी! सच में उसका बदन किसी अजंता की मूरत की तरह तराशा हुआ था और मेनका की नजर अपनी टांगो के बीच में गई तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई क्योंकि उसकी चूत बिल्कुल चिकनी चमेली की तरह बिलकुल साफ थी! मेनका को याद आया कि कल उसने सुहागन बनने के लिए किस तरह से अपनी चूत को साफ़ किया था वरना उसकी चूत के आस पास बालो का एक पूरा जंगल उगा था जिसमे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था! मेनका अपने जिस्म को लेकर कितनी लापरवाह हो गई थी इसका अंदाजा इसी बात से उसे हुआ था कि उसकी झांटे उसकी पेंटी से निकलकर उसकी जांघो तक आ गई थी! मेनका ने गुलाबी रंग की अपनी ब्रा को को उठाया और शीशे में देखते हुए अपने अमृत कलशो को बंद कर लिया और उसके बाद उसने पैंटी को हाथ में लिया और जैसे ही एक टांग को थोड़ा ऊपर उठाया तो उसकी चूत के होंठ हल्के से खुले और मेनका का समूचा वजूद कांप उठा! मेनका ने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघो को बंद किया और उसके बाद पेंटी को पहन लिया और एक सुकून की सांस ली!
मेनका ने लहंगे को पहन लिया और उसके बाद अपनी रेशमी साड़ी को पहनने लगी और
देखते ही देखते वो फिर से एक बार दुल्हन के लिबास में आ गई और बेहद आकर्षक लग रही थी! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में देख रही थी और आनंदित महसूस कर रही थी! लेकिन कल के मुकाबले उसे आज कुछ कमी महसूस हुई और वो थी मेक अप की कमी तो उसने फिर से वही पुरानी मेक अप किट निकालने का फैसला किया!
वहीं दूसरी तरफ अजय अपने कमरे में लेटा हुआ था और युवराज विक्रम के बारे में ही सोच रहा था कि आज वो दिन भर कितने परेशान थे जरूर कोई तो बात हैं जिसका मुझे पता लगाना पड़ेगा! अजय ने अपनी तलवार की तरफ देखा जो बेड पर रखी हुई थी और उसे बेहद खुशी हुई! अजय उठा और तलवार को अपने माथे से लगाकर चूमते हुए म्यान में रख दिया और उसके बाद उसे दीवार पर टांग दिया! अजय को नींद नहीं आ रही थी तो उसने थोड़ा छत पर टहलने का सोचा और छत की तरफ चल पड़ा! उसने देखा कि उसके मां के कक्ष में एक भी दीया नही जल रहा है तो उसे बड़ी हैरानी हुई और वो उसके कक्ष में घुस गया लेकिन कक्ष में मेनका पाकर वो हैरान हो गया और उसे अपनी माता की चिंता हुई तो वो तेजी से छत पर गया लेकिन छत पर भी उसे मेनका नही मिली तो उसका दिल घबरा गया और तभी उसके मन में विचार आया कि एक बार उसे नीचे तहखाने में देखना चाहिए लेकिन उसे उम्मीद कम थी क्योंकि रात के करीब 12 बजे उसकी माता तहखाने में क्यों जायेगी लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है और उसने नीचे जाने का फैसला किया! वो अपनी मां के कक्ष में घुसा और दीये को जलाया तो उसे उसकी मां की अलमारी खुली नज़र आई और अजय सावधानी से तहखाने में उतरने लगा!
अजय नीचे उतर गया तो उसे अंदर प्रकाश नजर आया तो उसके अंदर उत्सुकता जाग उठी कि उसकी माता इतनी रात को यहां कर रही है तो वो धीरे से आगे बढ़ा और जैसे ही उसने अंदर झांका तो उसे मेनका नजर आई जो आज फिर से दुल्हन बनी हुई थी और आज कल के मुकाबले कहीं ज्यादा खूबसूरत लग रही थी क्योंकि आज वो अपनी मर्जी से और अपने तरीके से तैयार हुई थी! मेनका अपने होंठो को गोलाकार किए हुए थी और उन पर लिपिस्टिक लगा रही थी और ये सब देख कर अजय की आंखे फटी की फटी रह गई! उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी विधवा मां ये सब क्यों कर रही है आज फिर से!
लिपिस्टिक लगाकर मेनका मुस्कुरा उठी और अजय ने एक नजर सिर से लेकर पैर तक अपनी माता मेनका पर डाली! मेनका के दूध से गोरे खूबसूरत पैर और पैरो की छोटी छोटी मन मोहक उंगलियां, मेनका के पैरो में बंधी हुई पतली सी पायल, हरे रंग की बेहद आकर्षक रेशमी साड़ी और उसके हाथो में साड़ी से मिलती हुई हरे रंग की सुंदर कांच की चूड़ियां बेहद हसीन लग रही थी! मेनका का चेहरा बेहद खूबसूरत लग रहा था और उसके होंठो पर मंद मंद मुस्कान फैली थी! उसके काले घने रेशमी बाल उसके गले में स्टाइल के साथ पड़े हुए थे और उसकी सोने की चैन को ढकने का प्रयास कर रहे थे! मेनका के लाल सुर्ख होंठ उसके मुस्कुराने की वजह से और ज्यादा लरज रहे थे जिससे मेनका की खूबसूरती जानलेवा साबित हो रही थी!
अजय बिना पलके झुकाए वो अदभुत सुंदरता को निहारता रहा और फिर मेनका खड़ी हो गईं और शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका के खड़े होने से उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया था जिससे उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ रहा था और मेनका अपने बालो से खेलती हुई खुद को शीशे में निहार रही थी और एक हल्की सी बेहद कामुक मुस्कान उसके होंठो पर फैली हुई थी! मेनका कभी अपनी आवारा लटो को संभालती तो कभी पलट कर अपने पीछे के हिस्से को देखती और खुद पर ही मोहित होती जा रही थी!
भले ही मेनका उसकी मां थी लेकिन अजय को उसके रूप में साक्षात स्वर्गलोक की मेनका नजर आ रही थी जिससे वो कभी का भूल गया था कि सामने खड़ी हुई खुद से अठखेलियां कर रही औरत उसकी सगी मां है और नारी स्वभाव और सुंदरता से अपरिचित अजय अब उसकी कामुक अदाओं को देखकर आनंदित महसूस कर रहा था! दूसरी तरफ मेनका तो मानो आज आसमान में उड़ रही थी क्योंकि वो जिंदगी में पहली बार खुलकर अपनी खूबसूरती को निहार रही थी और मस्त हुई जा रही थी! कभी वो अपने होंठो को गोलाकार करती तो कभी खोल देती और कभी कामुक अंदाज में सिकोड़ सा लेती मानो सीटी बजाना चाहती हो!
मेनका ने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बालो को पूरा खोल दिया और उसके बालो ने उसके खूबसूरत चेहरे को पूरा ढक लिया और मेनका ने एक झटके के साथ अपने बालो को पीछे को झटक दिया तो अजय को आज एहसास हुआ कि वास्तव में चांद बदली से कैसे निकलता है और अजय ने अपने दांतो तले उंगली दबा ली! मेनका की सांसे अब तेज हो गई थी जिससे उसका बदन मचल रहा था और उसकी छातियों में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका आज खुद पर ही मोहित हो गई थी और शीशे में देखते हुए उसने अपने बदन को हिलाना शुरु कर दिया तो मेनका को अद्भुत सुख मिला और वो अपने दोनो कंधो को एक एक करके उचकाने लगी जिससे उसकी चूचियां एक दूसरे को चिढ़ाती हुई उपर नीचे होना शुरू हो गई! मेनका अपने दोनो हाथो में अपने बालो को भरती और फिर से उन्हे खुला छोड़ते हुए अपने चेहरे पर फैला देती! मेनका की सांसे अब उखड़ गई थी और उसकी छातियों में तेज गति से कम्पन होना शुरू हो गया था!
मेनका अब पूरी तरह से मदहोश हो गई थी और उसके पैर जवाब देने लगे तो वो हिरनी की तरह लहराती हुई बेड की तरफ चल पड़ी जिससे उसका बड़ा भारी भरकम पिछवाड़ा अजय के सामने करतब करने लगा और अजय बिना पलके झुकाए अपनी मां के इस अदभुत अवतार का नयन सुख ले रहा था! मेनका बेड पर चढ़ गई और अपने जिस्म से खेलने लगी! कभी वो अपनी टांगो को फैला देती तो कभी उन्हे पूरा सिकोड़ लेती और मेनका ने अपनी एक उंगली को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं और बेताबी से अपनी जांघो को एक दूसरे से रगड़ रही थी! मेनका की आंखे वासना से लाल सुर्ख होकर दहक रही है और उसका एक हाथ धीरे धीरे उसकी दोनो चूचियों को सहला रहा था! मेनका अपने जिस्म को बिस्तर पर मस्ती से बिस्तर पर पटक रही थी और काम वासना से भरी हुई मेनका ने एक करवट ली और अब उसकी गांड़ उभर आई और अपनी दोनो चुचियों को वो बेड शीट पर जोर जोर से रगड़ती हुई बेड शीट को हाथो से मरोड़ रही थी और उसकी साड़ी उसकी जांघो तक आ गई थी जिससे उसकी गोरी चिकनी जांघें साफ नजर आ रही थी और अजय पागल सा हुआ देखे जा रहा था कि उसकी माता कितनी कामुक हैं!
मेनका ने जोर जोर से अपने जिस्म को बिस्तर पर पटकना शुरू कर दिया और उसकी जीभ खुद ही बेकाबू होकर उसके होंठो को चूसने लगी तो अजय बेचैन हो गया और अच्छे से देखने के लिए अपनी जगह से थोड़ा सा हिला और यही उससे चूक हो गई! अजय के हिलने से उसकी परछाई का प्रतिबिम्ब शीशे पर पड़ा और मेनका को एहसास हो गया कि कमरे में कोई हैं जो उसे देख रहा है और वो जानती थी कि ये अजय के सिवा कोई और नहीं हो सकता क्योंकि तहखाने को सिर्फ वही जानता था! मेरा बेटा मेरी हरकतों को देख रहा है ये सब सोचकर मेनका शर्म से पानी पानी पानी हो गई और उसकी उंगली उसके मुंह से बाहर निकल आई और मेनका सीधी बिस्तर पर लेट गई मानो सोने का प्रयास कर रही हो! अजय को समझ नही आया कि अचानक से उसकी माता की क्या हुआ, कहीं उन्हे पता तो नही चल गया कि मैं उन्हें देख रहा हूं ! ये सोचकर अजय की नजर सामने शीशे पर पड़ी और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब तो तीर कमान से निकल गया था!
अजय जानता था कि अब कुछ नहीं होगा इसलिए वो वो उपर आ गया और मेनका समझ गई कि अजय चला गया है तो वो थोड़ी देर लेटी रही और अपने अपनी उत्तेजना को काबू करने का प्रयास करती रही
लेकिन उसका जिस्म अब उसके काबू में नहीं रहा था और उसकी चूचियां कड़ी हो गई थी जिससे मेनका चाहकर भी अपनी सांसे संयत नही कर पा रही थी,
लेकिन यहां कब लेटी रहूंगी मुझे अपने कमरे मे जाना ही होगा ये सोचकर वो धीरे धीरे उठी और उसी सुहागन के रूप में तहखाने से बाहर आ गई! चलते हुए उसके पैर कांप रहे थे और वो मन ही मन दुआ कर रही थी कि उसका बेटा उसके सामने न आए इसलिए मेनका धीरे धीरे संभल कर चल रही थी और अजय तो जैसे उसके लिए ही खड़ा हुआ था ! रात के करीब दो बज गए थे और घर में काफी अंधेरा था जिससे मेनका थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने कक्ष की ओर जा रही थी कि उसे अजय की आवाज सुनाई पड़ी:"
" माता आप इतनी रात जाग रही है आपकी तबियत तो ठीक है?
मेनका उसकी आवाज सुनकर कांप उठी और उसका मन किया कि जल्दी से अन्दर घुस जाए लेकिन आवाज की दिशा में देखा और बोली:"
" हान बस नींद नही आ रही थी कि तो इसलिए तहखाने में चली गई थी!
अजय थोड़ा सा आगे बढ़ा और अब अजय और मेनका दोनो एक दूसरे के सामने आ गए थे और अंधेरे के कारण एक दूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे तो अजय बोला:"
" ऐसे रात रात भर जागेगी तो आपकी तबियत खराब हो जायेगी!
मेनका उसकी बात सुनकर उसका मतलब समझ गई और उसकी सांसे फिर से तेज होना शुरू हो गई और अंधेरे का फायदा उठाकर अपने कामुक खड़ी चुचियों को शांत करने के लिए उन पर हाथ रख कर बोली:"
" नही पुत्र, आज पहली बार ऐसा हुआ है कि इतनी रात को नींद नहीं आई मुझे!
अजय जानता था कि उसकी माता कभी झूठ नहीं बोलती ओर अजय उसके थोड़ा सा और करीब हुआ और बोला:"
" ऐसा किसलिए हुआ है माता कि आपकी नींद उड़ गई है! क्या कोई कष्ट हैं आपको?
मेनका उसकी बात सुनकर कांप उठी और दूसरा उसकी चूचियां शांत होने के बजाय ज्यादा उछल पड़ी और मेनका सोचने लगी कि कष्ट इसे कैसे बता सकती हू और बोली:"
" नही पुत्र कष्ट तो कुछ नही है, बस कभी कभी इंसान पर उसके अतीत की यादें भारी पड़ जाती हैं तो ऐसा हो जाता हैं!
दोनो एक दूसरे को नही देख पा रहे थे जिससे उन्हें काफी हिम्मत मिल रही थी और शर्म कम आ रही थी! मेनका की तेज गति से चलती हुई सांसों को अजय साफ महसूस कर रहा था और उसके थोड़ा और करीब हो गया जिससे दोनो अब बिल्कुल एक दूसरे से सामने खड़े खड़े हुए थे और अजय ने हिम्मत करके अपने हाथ को उसके कंधे पर रख दिया और बोला:".
" मुझे नीचे तहखाने में नही जाना चाहिए था माता! मेरी वजह से आपको परेशानी हुई!
अपने कंधे पर अपने बेटे का हाथ महसूस करके मेनका के बदन में एक तेज सिरहन सी दौड़ गई और खामोश रही तो अजय उसके थोड़ा और करीब हो गया और मेनका की तेज सांसों के साथ उठती गिरती हुई चूचियां हल्की सी उससे टकरा रही थी और मेनका का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था और अजय ने अपने दूसरे हाथ को भी उसके कंधे पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:"
" आप इतना कांप क्यों रही हैं माता ! आपकी सांसे भी तेज हो गई है !!
पल्लू सरक जाने से मेनका के दोनो कंधे नंगे हो गए थे और अपने बेटे के सख्त हाथो की छूवन महसूस करके मेनका जिस्म मचल उठा और उसके होंठ अब बुरी तरह से थरथरा रहे थे! मेनका ने कसकर अपनी जांघो को भींच लिया उसकी चूत से सालो के बाद न चाहते हुए भी काम रस की एक बूंद टपक पड़ी तो उसके मुंह से आह निकल गई और मदहोशी में उसके पैर जवाब दे गए तो मेनका उसकी बांहों में झूल सी गई और अजय ने उसे कसकर अपनी बांहों में भर लिया और जैसे ही उसकी छातियां अजय के चौड़े मजबूत सीने से टकराई तो मेनका का धैर्य और शर्म सब टूट गया और वो भी किसी प्यासी अमरबेल की तरह अजय से लिपट गई! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से कसने का प्रयास कर रहे थे और मेनका ने मदहोशी में अपनी दोनो आंखे बंद किए उसके गले में अपनी संगमरमरी बांहों का हार पहना दिया!
दोनो ही एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे मानो एक ही जिस्म हो और अजय के गर्म दहकते होंठ कभी कभी उसकी खूबसूरत पतली गर्दन को चूम रहे थे तो कभी उसकी कान की लौ को सहला रहे थे जिससे मेनका अपने होशो हवास खोती जा रही थी और अजय के हाथ अब उसकी कमर से लिपट कर उसकी चिकनी नंगी कमर को सहला रहे थे और मेनका मस्ती से अपनी चुचियों का वार उसके सीने में कर रही थी और उसने अपने गर्म दहकते अंगारों जैसे होंठो को अजय के गाल पर रखा और चूम लिया तो अजय उसके होंठो की तपिश महसूस करके जोश में आ गया और उसने दोनो हाथों से उसका चांद सा खूबसूरत चेहरा अपने हाथो मे भर लिया और दोनो की सांसे एक दूसरे से टकराने लगी और अजय ने होंठ उसके गालों को चूमते हुए उसके होंठो की तरफ बढ़ने लगे!
जैसे ही दोनो के होंठ आपस में टकराए तो मेनका के जिस्म में बिजली सी दौड़ गई और वो एक झटके के साथ अजय से अलग हुई और तेजी से चलती हुई अपने कक्ष में जाने लगी और उसकी चूड़ियों और पायल की छन छन छन खन खन खन करती हुई आवाज गूंज उठी और मेनका अपने कक्ष में आकर लेट गई और सोचने लगी कि उससे बड़ी भारी गलती हो गई है आज!
मेनका अपनी सांसों के संयत करते हुए सोने की कोशिश करने लगी वहीं दूसरी तरफ अजय भी समझ नही पा रहा था कि जो हुआ क्या वो सच था! अजय अपने कक्ष में आ गया और सोने का प्रयास करने लगा लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी!