Bahut hi shaandar update diya hai Unique star bhai....विक्रम को समझ नहीं आ रहा था कि ये सच है या कोई साजिश क्योंकि पिंडारियो के इलाके मे घुसना मलतब मौत को गले लगाने जैसा था! लेकिन सबसे बड़ी बात ये संदेश तो सलीम के नाम आया है जो पहले ही जब्बार के हाथो का मोहरा बना हुआ है तो उसे तो जब्बार जब चाहे कहीं भी मार सकता था तो फिर ये खेल क्यों खेलेगा !!
विक्रम बस ये जानना चाहता था कि शमा कहां है ताकि सचाई सामने आ सके तो वो जाबांज के संदेश का इंतजार कर रहा था कि सलमा उसे कोई संदेश भेज दे! विक्रम को ये भी साफ नही हो रहा था कि इस बूढ़े पिंडारी का क्या करू! मार देना चाहिए या अभी बचा कर रखना चाहिए तो काफी सोचकर विक्रम ने उसे जिंदा ही रखने का फैसला किया! विक्रम ने उसे अपने साथ लिया और बड़ी सी गुफा में बांध कर फेंक दिया और राज्य वापिस लौट आया!
रात का करीब एक बजा हुआ था और सलीम जब्बार से बहस कर रहा था! आज पहली बार ऐसा हो रहा था और सलीम बोला:"
" जब्बार शमा कहां चली गई है?
बताओ मुझे!
जब्बार:" अपने मामा के यहां गई है कुछ दिनों में आ जायेगी!
सलीम:" मेरा कितना ध्यान रखती थी वो मुझे उसकी बहुत याद आ रही हैं! कुछ भी करके कल तक उसे वापिस ले आओ नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!
जब्बार उसकी धमकी सुनकर गुस्से में आ गया और उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया तो सलीम दर्द से कराह उठा और जब्बार बोला:" मुझसे कभी तेज आवाज में बात मत करना नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!
सलीम:" हाथ छोड़ो मेरा दर्द हो रहा है मुझे!
जब्बार ने उसका हाथ छोड़ दिया तो सलीम गुस्से से बोला:"
" जब्बार हमारी रगों में शाही खून दौड़ता है! आज के बाद हमें छुआ भी तो तेरा अंजाम खुद सोच लेना समझे तुम! बोलो शमा कब तक वापिस आयेगी ?
जब्बार जानता था कि अभी सलीम इसके काफी काम आयेगा इसलिए थोड़ा शांत हो गया और बोला:" देखो शहजादे, एक दो दिन में आ जाएगी लेकिन आपको उसकी ऐसी क्या जरूरत पड़ गई हमे भी तो बताओ जरा आप ये बात?
सलीम:" ऐसे ही दो दिन से दिखी नही न, बस इसलिए पूछ रहा था!
ठीक हैं एक दो दिन मैं इंतजार कर लूंगा!
उसके बाद सलीम नशे में झूमते हुए महल में आ गया और जैसे ही सलमा के कक्ष के सामने से गुजरा तो लड़खड़ा कर गिर पड़ा तो आवाज सुनकर सलमा बाहर आ गई और उसे सहारा देनें लगी तो उसके मुंह से शराब की बदबू आई तो बोली:"
" भाई ये क्या बदतमीजी है आपने दारू पी हैं ?
सलीम ने गुस्से से सलमा को देखा और बोला:" तुम कौन होती हो मुझसे पूछताछ करने वाली! मैं होने वाला बादशाह हु!
सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" अम्मी को पता चल गया न तो तुम्हारी ऐसी हालत करेगी कि जिंदगी में कभी हाथ नही लगाओगे दारू को समझे !
सलीम ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और अपने कक्ष की तरफ बढ़ते हुए बोला:" जाओ अपने कक्ष में जाओ अम्मी की लाडली बेटी समझी!
सलमा उसे जाते हुए देखती रही और सलीम लड़खड़ाता हुआ जैसे तैसे अपने कक्ष में पहुंच गया लेकिन सलमा को जोर से गिरने की आवाज आई तो वो मदद के लिए गई और सलीम को बेड पर लिटा दिया और सलीम बडबडा रहा था कि शमा पता नहीं कब आयेगी! मुझे शमा चाहिए!
सलमा ने उसकी बकवास पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कक्ष में आ गई और सोने का प्रयास करने लगी लेकिन नींद नहीं आ रही थी और बिस्तर पर पड़ी हुई विक्रम के बारे ही सोचती रही! आखिर कार आधी रात के बाद उसे नींद आ गई!
अगले दिन सुबह विक्रम अजय से मिला और उसे खत दिखाया और बूढ़े पिंडारी से भी मिलवाया तो अजय भी हैरान हो गया कि ये अगर सच नही हैं तो बहुत बड़ी साजिश हो सकती हैं!
विक्रम:" लेकिन अगर सच है भी तो हमे क्या पिंडालगढ़ जाना चाहिए?
अजय:" बिलकुल जाना चाहिए क्योंकि इससे जो दोनो राज्यों के बीच गलतफहमी है वो दूर होगी और असली गुनाहगार सामने आ जायेंगे!
विक्रम उसकी बात सुनकर उसके कंधे को थपथपाते हुए बोला:" मुझे आपसे यही उम्मीद थी! मैं जाऊंगा ये तो मैने तय कर लिया था लेकिन आपके जवाब ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया है!
अजय:" हम शहजादे सलीम को अपने साथ ले सकते है इस काम के लिए!
विक्रम:" सलीम किसी काम के लायक नहीं है अभी! दारू और औरत की लत ने उसे इतना कमजोर कर दिया है कि तलवार भी नहीं उठा सकता!
अजय:" ऐसा कैसा हो सकता हैं लेकिन युवराज?
विक्रम:" ये सब जब्बार की साजिश है जिसे वो समझ नहीं पाया है लेकिन अभी उसके सामने सच्चाई आ जायेगी!
अजय:" ठीक हैं युवराज! हम आज शाम को निकल जायेंगे उन्हे बचाने के साथ साथ शमा को वापिस लेकर आएंगे!
विक्रम:" बस मुझे एक बार किसी तरह ये पता चल जाए कि क्या शमा सच में पिंडारियो के कब्जे में या जब्बार की कोई साजिश है!
अजय:" इसके लिए आप शहजादी की मदद ले सकते है!
दोनो बात ही कर रहे थे कि जाबांज उड़ता हुआ नजर आया और विक्रम के होंठो पर आ गई और उसने जाबांज को आवाज दी तो वो उड़ता हुआ उसके हाथ पर आकर बैठ गया और उसकी गर्दन में एक पेपर टंगा हुआ था जिसके साथ गुलाब का एक ताजा खिला हुआ खुशुबुदार फूल भी था! विक्रम ने फूल को निकाल कर प्यार से चूम लिया और खत को पढ़ने लगा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई थी!
" मेरे प्रियतम विक्रम "
"आप खैरियत से होंगे! मैं आपसे बेहद प्रेम करती हू! आपके बिना मन नही लग रहा है मेरा बिलकुल भी! दिल करता हैं कि उड़कर आपके पास पहुंच जाऊ और आपकी बांहों में समा जाऊं!
हो सके तो आज रात मुझसे मिलने के लिए आना! अगर आओ तो मुझे जाबांज के हाथो एक संदेश भेज देना!
आपकी महबूबा सलमा"
विक्रम ने खुशी खुशी खत को पढ़ा और फिर सलमा को सारी बातें खत के जरिए लिख कर भेज दी और उससे शमा के बारे में पता करने के लिए कहा ! सलमा ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू टपक गए और दिल भर आया! सलमा यकीन नहीं कर पा रही थी कि क्या सच मे उसने सही पढ़ा है तो उसने बार बार पढ़ा और फिर उसे यकीन आ गया! सलमा को रात की सलीम की बात याद आ गई कि रात सलीम बोल रहा था कि शमा को पता नहीं कहां भेज दिया है मुझे मेरी शमा चाहिए! उसने ये सब विक्रम को लिखकर भेज दिया और विक्रम को यकीन हो गया कि शमा सच में कैद में हैं!
विक्रम ने शमा को खत लिखा:"
" मैं आज रात अजय के साथ पिंडलगढ़ जाऊंगा। आप मेरे लिए दुआ करना!
सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई क्योंकि पिंडलगढ जाने का मतलब खुदकुशी करने जैसा था! सलमा को समझ नही आ रहा था कि क्या करे! वो विक्रम को रोकना चाहती थीं लेकिन दिल जाने सेना चाहता था! आखिरकार उसने विक्रम को लिखा:
" युवराज मेरे लिए आप अपनी जान जोखिम में मत डालिए! वहां जाना मौत को गले लगाने जैसा हैं मैं नही चाहती हू कि आप वहां जाकर किसी मुश्किल में पड़ जाय!
विक्रम ने खत पढ़ा तो उसे एहसास हुआ कि सलमा सच में उससे बेहद प्यार करती हैं लेकिन उसने सलमा को लिखा:"
" आप मेरी चिंता न करे शहजादी! मैने तो अपना संपूर्ण जीवन पहले ही आपको समर्पित कर दिया है! जिंदगी क्या मौत क्या सब आपके लिए हैं! पिंडलगढ गया तो शायद बचकर वापिस आ सकू लेकिन अगर नही गया तो जीते जी मर जाऊंगा! एक योद्धा के लिए रण क्षेत्र में अपनी जान बलिदान करना सौभाग्य की बात होती हैं! मैं जाऊंगा और हर हालत में आज ही शाम को जाऊंगा!
सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई और वो जानती थी कि विक्रम हर हालत में जाकर रहेगा तो उसने लिखा
" मन तो नही हैं आपकी जाने देने के लिए लेकिन मैं जानती हूं कि आप रुकोगे तो हो नहीं! इसलिए आप जाइए और मैं आपके लिए दुआ करूंगी! आप कल सुबह तक वापिस आए तो ठीक नही तो मैं भी खुद को खत्म कर लूंगी!
विक्रम ने उसका खत पढ़ा और उसकी आंखे भर आई और लिखा:"
" सलमा मैं आपके लिए मरकर भी वापिस आऊंगा! आपको मेरी कसम हैं जो मरने के बारे में सोचा भी तो समझी आप! आप मेरे लिए दुआ करना! काश जाने से पहले एक बार आपको देख लेता तो खुशी होती!
सलमा ने खत को पढ़ा तो आंखे भर आई और लिखा:"
" मैं आपके लिए दुआ करूंगी विक्रम! आप विजयी होकर वापिस आयेंगे! अभी तो मिल नही सकती क्योंकि जब्बार का सख्त पहरा हैं! आप आइए मैं पलके बिछाकर आपका इंतजार करूंगी ! अल्लाह आपको कामयाब करे! मैं आपकी सुरक्षा के लिए पवन को भेज रही हु! आप उसके ऊपर सवारी करके ही जाए ताकि दुश्मन आपको छु भी न सके!
विक्रम ने अजय के साथ मिलकर कुछ हथियार लिए और योजना बनाने लगे! वहीं दूसरी तरफ सलमा ने सारी बात सीमा को भी बताई तो सीमा की आंखे खुशी से उछल उठी लेकिन अगले ही पल उसे ध्यान आया कि युवराज विक्रम के साथ साथ अजय को भी पिंडारियो के इलाके मे जाना होगा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए और बोली:"
" लेकिन पिंडारियो के इलाके में जाना बेहद खतरनाक होगा और सबसे बड़ी बात कहीं ये कोई चाल तो नही हैं इसका पता होना चाहिए!
सलमा:" तुम्हे अपनी बहन राधिका से बात करनी चाहिए कि क्या शमा अपने घर पर हैं या नहीं क्योंकि मुझे पता चला हैं कि वो अक्सर उनके यहां जाती रहती है
सीमा:" हान ये ठीक रहेगा! लेकिन समय बहुत कम है तो मुझे जाना होगा अभी !
इतना कहकर सीमा अपने घर के लिए निकल गई और जैसे ही घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके कक्ष में उसकी अलमारी में राधिका तलाशी ले रही थी तो उसे बेहद बुरा लगा लेकिन संयम से काम लेते हुए बोली:"
" क्या हुआ राधिका ? मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?
राधिका के माथे पर पसीने की बंदे छलक आई और झूठ बोली:"
" वो मेरे कुछ कपड़े नही मिल रहे थे तो सोचा आपके कमरे मे देख लेती हु! बस इसलिए आ गई थी आपको बुरा तो नहीं लगा न?
सीमा:" लेकिन भला इसमें बुरा लगने की क्या बात है! तुम मेरी बहन हो कोई दुश्मन थोड़े ही हो!
राधिका उसके गले लग गई और बोली:" सच मे आप बेहद अच्छी हो दीदी! मेरी किस्मत हैं जो आप जैसी बहन मिली मुझे! लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गई सब ठीक तो हैं ना ?
सीमा:" हान हां सब ठीक हैं! लेकिन सज धज कर तुम कहां जा रही हो ?
राधिका:" वो मुझे बाहर कुछ काम हैं तो बस वही करने जा रही हूं! रात में थोड़ा लेट हो जाऊंगी! आप चिंता मत करना मेरी!
सीमा:" तुम आराम से अपना काम करना! और कोई दिक्कत हो तो मुझे बता देना!
राधिका:" ठीक हैं दीदी! मैं अब चलती हु!
इतना कहकर वो बाहर निकल गई और हल्का अंधेरा होते ही बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठ गई जो जब्बार ने उसके लिए भेजी थी और जैसे ही बग्गी चलने वाली थी तो सीमा एक पर्दे की ओट लेकर बैठ गई और राधिका को पता नहीं चला!
थोड़ी देर के बाद बग्गी जब्बार के घर में पहुंच गई और राधिका उतर कर अन्दर चली और जब्बार के गले लग गई! अपनी बहन का ये अनौखा रूप देखकर सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई सामने थी!
जब्बार के बेड पर पड़ी हुई सीमा बोली:" वो आजकल शमा नही दिख रही है! कहीं गई है क्या?
जब्बार:" तुम हमेशा कहती थी कि मैं तुमसे नही शमा से प्यार करता हु तो मैंने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया हैं! अब वो कभी नही आयेगी!
राधिका का मुंह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया और बोली:"
" क्या हुआ? क्या सच मे?
जब्बार ने उसे बांहों में भर लिया और उसके ऊपर लेटते हुए बोला:" अरे मारा नही है लेकिन वो ऐसी दुनिया में चली गई है जहां हर रोज मरेगी! अब बात नही मस्ती करो!
राधिका जब्बार से लिपट गई और सीमा की आंखे में उसके लिए गुस्सा आए नफरत साफ उभर आई थी लेकिन उसके लिए अभी सलमा तक ये खबर देना जरूरी था कि शमा सच में फंस गई है!
सीमा अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकली और सलमा को बताया कि शमा घर पर नहीं है! सीमा ने जान बूझकर सलमा को ये बात नहीं बताई कि राधिका और जब्बार के बीच में संबंध हैंक्योंकि इससे उसकी ही बेइज्जती होती! सलमा ने जाबांज के हाथो विक्रम तक संदेश भेज दिया!
विक्रम और अजय दोनो युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार होकर पिंडालगढ की तरफ चल पड़े! विक्रम ने बूढ़े पिंडारी का भेष बनाया हुआ था तो अजय ने भी अपने आपको एक पिंडारी ही बनाया हुआ था! सबसे बड़ी बात ये थी कि पिंडारी इंसानों की गंध बेहद दूर से ही पहचान लेते थे तो विक्रम और अजय ने बूढ़े पिंडारी के कपड़े लिए और अपने आपको बुरी तरह से बदबूदार बनाने की कोशिश करी और उसमे काफी हद तक कामयाब भी हुए!
अजय:" युवराज इतनी बुरी बदबू आ रही है आपसे कि सिर फटने को हो गया हैं मेरा!
विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गया और बोला:" बदबू तो मुझे भी आ रही हैं अजय लेकिन हमे ये सब बर्दाश्त करना ही होगा क्योंकि एक गलती हमे मौत के मुंह में धकेल देगी!
अजय ने उसकी बात का समर्थन किया और बोला:" आपकी बात से सहमत हु युवराज! लेकिन पता नहीं कैसे जिन्दा रहते हैं ये पिंडारी!
दोनो बाते करते हुए जा रहे थे और शमा ने जो नक्शा उन्हे दिया था वो युवराज ने अच्छे से देखा लिया था और युवराज यही सोच रहा था कि कुछ भी करके मुझे हर हालत में सीमा के साथ साथ उन्हे भी बचाना हैं!
सलमा और सीमा दोनो जागी हुई थी और बेहद परेशान थी क्योंकि वो जानती थी उनके दोनो के ही प्रेमी एक ऐसी जंग लड़ने जा रहे थे जहां मौत से बचना जीते ही स्वर्ग में जाने जैसा था! सलमा की आंखे भर आई और बोली:"
" अगर युवराज वापिस नही आए तो मैं अपनी जान दे दूंगी सीमा!
सीमा ने उसकी बात उसे अपने गले से लगा लिया और बोली:"
" आप घबराए मत शहजादी! भगवान पर भरोसा रखे वो सब ठीक कर देगा!
सलमा उसके गले लग कर सुबकते हुए बोली:" बस एक खुदा पर ही तो भरोसा हैं सीमा हमे! अजय और युवराज दोनो कामयाब होकर लौटे उसके लिए मैं सारी रात नमाज पढ़कर दुआ करूंगी अल्लाह से इबादत करूंगी!
सीमा:" मैं भी उनकी कामयाबी के लिए प्रार्थना करूंगी आपके साथ! आप इबादत कीजिए मैं भी पूजा करूंगी सारी रात!
सलमा उसकी बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"
" तुम भी अजय से बेहद प्यार करती हो ना सीमा!
सीमा:" हान शहजादी! मैं सच मे बेहद प्यार करती हू और उनके बिना जी नहीं पाऊंगी!
सलमा ने सीमा का माथा चूम लिया और फिर अलमारी से नमाज के लिए मुसल्ला निकाला और नमाज पढ़ने लगी तो सीमा भी दोनो हाथ जोड़कर मंत्रो का उच्चारण करते हुए पूजा मे लीन हो गई! सलमा का कक्ष आज किसी धार्मिक स्थल जैसा बना हुआ था, एक साथ इबादत और पूजा साबित कर रहे थे कि इंसान पर जब कोई विप्पति आती हैं तो उसके लिए सिर्फ दुआ, प्रार्थना महत्त्व रखती हैं चाहे तो किसी भी धर्म या किसी भी तरीके से की गई हो!
दूसरी तरफ अजय और विक्रम दोनो पिंडालगढ की सीमा में दाखिल होने वाले थे तो दोनो एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो की आंखे भर आई और विक्रम ने अजय को कसकर गले लगा लिया और बोला:"
" अजय आपने इस असंभव जंग में मेरा साथ देकर अपनी दोस्ती और कर्तव्य को अमर कर दिया हैं हमेशा के लिए!
अजय भी उससे कसकर लिपट गया और बोला:" युवराज मेरा तो कर्तव्य ही यही है कि उदयगढ़ के लिए जान भी चली जाए तो अफसोस नहीं होगा!
युवराज:" ऐसा नही बोलते भाई! हम दोनो जरूरी वापिस आयेंगे ये जंग जीतकर!
अजय:" हान युवराज हम जरूर वापिस आयेंगे! आप मेरे आस पास ही रहकर युद्ध करना! ज्यादा दूर किसी भी हालत में मत जाना क्योंकि मेरे हाथ में ये पुरखो की जादुई तलवार होगी!
विक्रम ने उसकी भावना को समझते हुए प्यार से उसका हाथ चूम लिया और बोला:"
" मैं कोशिश करूंगा अजय! लेकिन आप मेरी फिक्र न करके दुश्मनों का सफाया करना क्योंकि मेरी रगों में भी राजपूतानी खून दौड़ता हैं!
उसके बाद दोनो ने प्यार से एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे ही अलग हुए तो विक्रम ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोला:" अजय वापिस आने के बाद आप मुझे युवराज नही भाई कहकर बोलना!
अजय की आंखो से आंसू निकल आए और दोनो उसके बाद सावधानी से अंधेरे का फायदा उठाकर पिंडालगढ़ की सीमा में दाखिल हो गए! शहर में कहीं कहीं हल्की मशाल की रोशनी फैली थी! पिंडारी रात को अक्सर पहरा नही देते थे क्योंकि उनके राज्य में कोई घुसने की हिम्मत नही करता था!
युवराज और अजय दोनो सावधानी से इधर उधर देखते हुए जा रहे थे! तभी पीछे से किसी की जोर की आवाज आई तो दोनो ने उस दिशा में देखा तो एक पिंडारी उधर ही आ रहा था और बोला:"
" तुम दोनो इधर क्या कर रहे हो? महाराज का आदेश हैं कि सबको आज सामूहिक रूप से चुदाई देखनी होगी क्योंकि महाराज आज ये संभोग भवन में साबित करना चाहते हैं कि उनके बड़ा पुरुष कोई नही हैं!
वो आदमी ध्यान से दोनो को देखने लगा लेकिन उसे थोड़ी थोड़ी इंसानी गंध मिली तो उसके कान खड़े हो गए और युवराज उसकी बात सुनकर हैरान सा हुआ लेकिन धीरे से अंधेरे की तरफ जाते हुए बोला:"
" हम भी वही जा रहे थे बस! आपसे एक बात पूछनी थी!
बस यही गलती हो गई जिसने उस आदमी के शक को यकीन में बदल दिया क्योंकि दोनो अभी संभोग भवन की उल्टी दिशा में जा रहे थे! खतरे को भांप कर पिंडारी ने अपनी तलवार को निकाल लिया और उनके करीब जाते हुए बोला:" कौन हो तुम दोनो ? यहां कैसे घुस आए हो?
विक्रम थोड़ा गुस्से से बोला:" हम भी पिंडारी हैं!
लेकिन उस आदमी ने तलवार का भरपूर वार किया और विक्रम ने बिजली की गति से अपनी तलवार निकालकर उसे बचाया और अजय ने मौके का फायदा उठाकर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए उसकी गर्दन को काट दिया तो बेचारा चींख भी नही सका और गिर पड़ा!
उसके बाद दोनो महल की दिशा में बढ़ गए और जल्दी ही महल के बाहर पहुंच गए तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि महल लोगो से पूरी तरह से भरा हुआ था और बेहद गंदी बदबू फैली हुई थी! सामने ही एक बड़े मैदान में एक औरत नंगी थी जिसे चार लोगो ने पकड़ा हुआ था और वो औरत बुरी तरह से कांपती हुई रो रही थी! औरत के पास ही पिंडाला खड़ा हुआ था बिलकुल नंगा और अपने लंड को मसल रहा था मानो जंग की तैयारी कर रहा हो! विक्रम और अजय के शरीर से उठती हुई इंसानी गंध लोगो के दिमाग में जा रही थी लेकिन चूंकि सामने एक औरत भी थी तो किसी का ध्यान उस तरफ ज्यादा नही गया!
विक्रम और अजय दोनो की नजरे मिली और दोनो ने ही आगे बढ़ने का फैसला किया! विक्रम आगे बढ़ा और अजय उसके पीछे पीछे धीरे धीरे दोनो भीड़ के अंत में पहुंच गए और यहां से कभी भी बंदी ग्रह तक पहुंच सकते थे। लेकिन विक्रम ने अपनी अजय को वही रुकने का इशारा किया!
पिंडाला औरत( शमा) की तरफ बढ़ा तो शमा का बदन कांप उठा और पिंडाला ने अपने लंड को उसकी गांड़ के छेद पर रख दिया तो शमा के बदन का रोम रोम थर्रा उठा और उसकी आंखे भर आई! वो जानती थी कि अब क्या होगा इसलिए पूरी ताकत से छूटने कि कोशिश करने लगी लेकिन चाहकर हिल भी नहीं सकी तो लगभग रोते हुए बोली:"
" नही नही! मेरे साथ ऐसा मत करो मैं मर जाउंगी! आपको अल्लाह का वास्ता!
लेकिन पिंडाला एक राक्षस था और उसे भला कहां परवाह होती और हंसते हुए बोला:"
" देख अगर बच गई तो पूरे पिंडलगढ़ पर राज करेगी! रानी बना दूंगा तुझे!
उसने जोर से धक्का लगाया और लंड शमा की गांड़ के छेद के चिथड़े उड़ाते हुए अंदर दाखिल हो गया और शमा दर्द से तड़प कर बेहोश होती चली गई! अजय और विक्रम का दिल ये देख कर रो पड़ा लेकिन उनका मकसद अभी वो कैद आदमी और शमा को बचाना था( बेचारो को क्या मालूम था कि शमा की ही चुदाई वो देख रहे थे! विक्रम ने अजय को इशारा किया और दोनो धीरे से महल के दूसरे हिस्से में पहुंच गए और गेट पर करीब चार सुरक्षा कर्मी तैनात थे तो थोड़ी देर तक जमकर मुक़ाबला हुआ लेकिन अंततः जीत विक्रम की ही हुई और दोनो कमरे मे घुस गए!
विक्रम ने आदमी को देखा और बोला:" आप चिंता न करे हम आपको बचाने के लिए आए हैं!
लेकिन शमा कहां मिलेगी?
आदमी की आंखे भर आई और बोला: ये जो दर्द भरी चींखें हम सुन रहे हैं वो शमा की हैं!
इतना कहकर विक्रम ने अजय को इशारा किया तो अजय ने कमरे की खिड़की से रस्सी बांधी और आदमी को लेकर धीरे से बाहर निकल गया! विक्रम अपनी आंखो में गुस्से की आंधी लिए हुए संभोग भवन की तरफ चल पड़ा ताकि सलमा को बचा सके लेकिन जैसे ही वहां पहुंचा तो देखा कि शमा की दोनो टांगे खून से सनी हुई थी और पिंडाला किसी जानवर की तरह उसकी फटी हुई गांड़ में धक्के लगा रहा था और शमा के जिस्म मे कोई हरकत नहीं हो रही थी तो पिंडाला को गुस्सा आ गया और उसने शमा की दोनो टांगो को पकड़ा और एक झटके के साथ उसके पूरे जिस्म को दो टुकड़ों में बांट दिया और शमा हमेशा के लिए शांत हो गई!
विक्रम ने ऐसा जुल्म देखा तो उसकी आंखे भर आई लेकिन अब वहां आ निकलने मे ही उसने भलाई समझी और आराम से बाहर निकल गया! बाहर अजय उसका ही इंतजार कर रहा था और विक्रम ने उसे जल्दी से वहां से निकलने के लिए इशारा किया और दोनो आदमी को साथ लेकर निकल पड़े! जैसे ही बॉर्डर पर पहुंचे तो सामने से कुछ पिंडारी नजर आए और एक बार फिर से युद्ध छिड़ गया! देखते ही देखते टकवारे लहरा उठी और शमा की दुर्दशा देखने के बाद उसकी आंखो से आग बरस रही थी और उसने पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट दिया लेकिन विक्रम को हाथ में तलवार लगी और खून निकल आया था!
दोनो बॉर्डर से बाहर निकल आए और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए! सुबह के करीब चार बजे दोनो उदयगढ़ पहुंच गए! विक्रम ने अजय को बूढ़े कैद पिंडारी को मारने के लिए भेज दिया और खुद आदमी को लेकर वैद्य जी के यहां चला गया!
वैद्य जी ने दरवाजा खोला तो विक्रम अंदर घुस गया वैद्य जी बोले:"
" क्या हुआ युवराज ? इतनी सुबह सुबह आप और ये साथ में कौन हैं आपके ?
विक्रम:" वैद्य जी ये हमारे खास मेहमान है! कुछ दिन आप इनकी देखभाल करेंगे और ये आपके साथ ही रहेंगे! किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि आपके घर में कौन रहता है!
वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! आपके हाथ से भी खून निकल रहा है! रुको मैं आपकी औषधि दे देता हूं!
वैद्य जी औषधि लेने चले गए तो वो आदमी बोला:"
" बेटा आप कौन हो और मुझे क्यों बचाया आपने ?
विक्रम:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु! आपको बचाने के लिए मुझे शमा की चिट्ठी मिली थी लेकिन अफसोस मै उसे नही बचा पाया ! आप अभी आराम कीजिए!
आदमी कुछ नही बोला और गहरी सोच में डूब गया! वैद्य जी ने विक्रम की पट्टी करी और विक्रम उसके बाद वहां से निकल गया और महल पहुंचा तो अजय भी पिंडारी को मारकर आ गया था! विक्रम ने उसके हाथो को चूम लिया और बोला:"
" अजय मेरे भाई अब आप आराम कीजिए!
अजय:" लेकिन दिन में राज्य की कार्यवाही और राजमाता की मीटिंग में शामिल होना जरूरी होगा मेरे लिए युवराज!
विक्रम उसे अपने साथ ले गया और उसे अपने साथ ही बेड पर लेटने के लिए कहा तो अजय बोला:" नही युवराज! आप आराम कीजिए मैं बाद में सो जाऊंगा!
विक्रम:" बहुत बहाने बनाते हो यार आप भी!
इतना कहकर युवराज ने अजय का हाथ पकड़ कर ऊपर खींच लिया और उसके बाद दोनो लेते हुए थे! दोनो बस जाबांज का ही इंतजार कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ सलमा और सीमा दोनो पूरी रात इबादत करती रही और रो रोकर उनकी आंखे लाल मिर्च गई थीं और जैसे जैसे सुबह होती जा रही थी तो दोनो का दिल बैठता जा रहा था!
सुबह हुई और सलमा ने दुआ मांगी और उसके बाद कांपते हाथों से एक खत लिखा और जाबांज को पैगाम लेकर उड़ा दिया! उड़ता हुआ जाबांज जैसे ही खिड़की पर बैठा तो विक्रम और अजय दोनो के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम ने चिट्ठी को निकाल लिया और पढ़ने लगा
" मेरे प्रियतम विक्रम
" आप और अजय दोनो सुरक्षित लौट आए होंगे ऐसा मेरा दिल कहता है! मैने और सीमा ने सारी रात आपके लिए इबादत और पूजा की हैं और मुझे यकीन हैं कि खुदा मुझे निराश नहीं करेंगे! आपको कुछ हुआ तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी!
विक्रम ने चिट्ठी को पढ़ा और उसकी आंखे भर आई! विक्रम ने सलमा को एक खत लिखा और जाबांज को वापिस फिर से उड़ा दिया! जाबांज को देखकर सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और जैसे ही उसने विक्रम की चिट्ठी पढ़ी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई
" सलमा मेरी शहजादी
" आप और सीमा की दुआ रंग लाई हैं! मैं और अजय सुरक्षित वापिस आ गए हैं! उन्हे हम अपने साथ ले आए हैं लेकिन शमा को नही बचाया जा सका! मेरा ऐसा यकीन है कि आज जब्बार राज्य में नही रहेगा! आप मौका देखकर आइए आज उदयगढ़!
सलमा मानो खुशी से पागल हो गई और बार बार सीमा को चूम रही थी! सीमा भी बेहद खुश थी और दोनो ने अब उदयगढ़ जाने का प्लान बनाया और दोनो राजमाता के पास पहुंच गई तो उनकी खुशी देखकर रजिया बोली:"
" क्या बात है बेटी आज बेहद खुश नजर आ रही हैं?
सलमा ने अपनी मां को गले लगा लिया और उनका मुंह चूम कर बोली:" खुशी तो इतनी बड़ी हैं कि हम संभाल नहीं पा रहे हैं खुद को अम्मी! आप भी सुनेगी तो यकीन नहीं कर पाएगी!
रजिया:" अच्छा जरा हमे भी तो बताओ ऐसा क्या हो गया है?
सलमा: जरुर अम्मी! बस आप आज हमारे साथ घूमने चलिए न! वो भी बिना किसी सुरक्षा के!
रजिया:" लेकिन बिना किसी सुरक्षा के तो बेहद खतरा होगा बेटी ये तो समझो!
सलमा:" ओह अम्मी कोई खतरा नहीं होगा! आप हम पर यकीन कीजिए!
रजिया:" ठीक हैं पहले राज्य की कार्यवाही खत्म होने दो! उसके बाद योजना बनाते हैं!
दूसरी तरफ पिंडालगढ़ में मातम पसरा हुआ था क्योंकि घर में घुसकर पहली बार किसी ने उन पर हमला किया था और उनका कैदी भी छुड़ा लिया था तो पिण्डाला ने ये खबर जब्बार तक पहुंचा दी तो जब्बार जैसे पागल हो गया और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था और ऐसा कैसे हो सकता है! जब्बार को अपना सब कुछ खत्म होता नज़र आया और मन किया कि अपनी जान दे दे लेकिन जब्बार ने खुद को संभाला और डरते डरते राज्य की कार्यवाही में पहुंच गया!
उसके चेहरे पर मौत का खौफ सलमा को साफ नजर आ रहा था और सलमा का दिल कर रहा था कि उसके सीने में छुरा उतार दे लेकिन शांत रही!
रजिया:" पिछले कुछ दिनो से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी रही है! जब्बार आपने अच्छा काम किया है!
जब्बार के होंठो पर फीकी सी मुस्कान आई और धीरे से बोला:"
" मेरा काम ही है सुल्तानपुर की सेवा करना!
रजिया:" क्या हुआ जब्बार आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है?
जब्बार को लगा कि जैसे किसी ने उसकी इज्जत लूट ली हो और बोला:" जी राजमाता, थोड़ी दिक्कत है मुझे!
रजिया:" ठीक हैं आप आराम कीजिए कुछ दिन!
जब्बार:" जैसी आपकी आज्ञा!
उसके थोड़ी देर बाद कार्यवाही खत्म हुई और जब्बार मौका देखकर राज्य से निकल गया और सीमा ने जैसे ही ये जानकारी सलमा को दी थी उसने भी रजिया के साथ जाने का प्लान किया और शाम को करीब चार बजे तीनो भेष बदलकर गुप्त दरवाजे से निकल गए! जाने से पहले रजिया ने दासियों से कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है तो उन्हे परेशान न किया जाए!
जैसे ही वो सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकले तो अजय बग्गी लिए खड़ा मिला और उसके बाद वो उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए और जैसे ही घुसने वाले थे तो रजिया बोली:"
" सलमा ये तो उदयगढ़ हैं! यहां जाना हमारे लिए सुरक्षित नहीं है! ये तो हमारे दुश्मन है और आपके अब्बा के कातिल!
सलमा:" अम्मी सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई या बताई जाती है! आप मुझ पर यकीन राखिए आप पूरी तरह से सुरक्षित है यहां! मैं पहले भी कई बार आ चुकी हूं यहां!
रजिया उसकी बात सुनकर खामोश हो गई और थोड़ी ही देर में वो वैद्य जी के घर पहुंचे तो विक्रम ने दरवाजा खोला और जैसे ही सलमा और विक्रम की नजरे मिली तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए!
सलमा ने रजिया का हाथ पकड़ा और विक्रम के पीछे चल पड़ी और सलमा बोली:"
" अम्मी आपको आज ऐसी खुशी मिलेगी कि दिल धड़कना बंद कर देगा आपका! दिल संभाल लीजिए आप अपना!
जैसे ही सभी कमरे मे घुसे और रजिया की नजर बेड पर लेटे हुए आदमी पर पड़ी तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! उसे लगा मानो वो कोई सपना देख रही है और पागलों की तरह दौड़कर उससे लिपट गई और रोते हुए बोली:"
" सुलतान आप जिंदा है! या मेरे खुदा तेरा करिश्मा!
बेहतरीन ट्विस्ट। लगता है जब्बर के दिन ख़त्म हुएविक्रम को समझ नहीं आ रहा था कि ये सच है या कोई साजिश क्योंकि पिंडारियो के इलाके मे घुसना मलतब मौत को गले लगाने जैसा था! लेकिन सबसे बड़ी बात ये संदेश तो सलीम के नाम आया है जो पहले ही जब्बार के हाथो का मोहरा बना हुआ है तो उसे तो जब्बार जब चाहे कहीं भी मार सकता था तो फिर ये खेल क्यों खेलेगा !!
विक्रम बस ये जानना चाहता था कि शमा कहां है ताकि सचाई सामने आ सके तो वो जाबांज के संदेश का इंतजार कर रहा था कि सलमा उसे कोई संदेश भेज दे! विक्रम को ये भी साफ नही हो रहा था कि इस बूढ़े पिंडारी का क्या करू! मार देना चाहिए या अभी बचा कर रखना चाहिए तो काफी सोचकर विक्रम ने उसे जिंदा ही रखने का फैसला किया! विक्रम ने उसे अपने साथ लिया और बड़ी सी गुफा में बांध कर फेंक दिया और राज्य वापिस लौट आया!
रात का करीब एक बजा हुआ था और सलीम जब्बार से बहस कर रहा था! आज पहली बार ऐसा हो रहा था और सलीम बोला:"
" जब्बार शमा कहां चली गई है?
बताओ मुझे!
जब्बार:" अपने मामा के यहां गई है कुछ दिनों में आ जायेगी!
सलीम:" मेरा कितना ध्यान रखती थी वो मुझे उसकी बहुत याद आ रही हैं! कुछ भी करके कल तक उसे वापिस ले आओ नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!
जब्बार उसकी धमकी सुनकर गुस्से में आ गया और उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया तो सलीम दर्द से कराह उठा और जब्बार बोला:" मुझसे कभी तेज आवाज में बात मत करना नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!
सलीम:" हाथ छोड़ो मेरा दर्द हो रहा है मुझे!
जब्बार ने उसका हाथ छोड़ दिया तो सलीम गुस्से से बोला:"
" जब्बार हमारी रगों में शाही खून दौड़ता है! आज के बाद हमें छुआ भी तो तेरा अंजाम खुद सोच लेना समझे तुम! बोलो शमा कब तक वापिस आयेगी ?
जब्बार जानता था कि अभी सलीम इसके काफी काम आयेगा इसलिए थोड़ा शांत हो गया और बोला:" देखो शहजादे, एक दो दिन में आ जाएगी लेकिन आपको उसकी ऐसी क्या जरूरत पड़ गई हमे भी तो बताओ जरा आप ये बात?
सलीम:" ऐसे ही दो दिन से दिखी नही न, बस इसलिए पूछ रहा था!
ठीक हैं एक दो दिन मैं इंतजार कर लूंगा!
उसके बाद सलीम नशे में झूमते हुए महल में आ गया और जैसे ही सलमा के कक्ष के सामने से गुजरा तो लड़खड़ा कर गिर पड़ा तो आवाज सुनकर सलमा बाहर आ गई और उसे सहारा देनें लगी तो उसके मुंह से शराब की बदबू आई तो बोली:"
" भाई ये क्या बदतमीजी है आपने दारू पी हैं ?
सलीम ने गुस्से से सलमा को देखा और बोला:" तुम कौन होती हो मुझसे पूछताछ करने वाली! मैं होने वाला बादशाह हु!
सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" अम्मी को पता चल गया न तो तुम्हारी ऐसी हालत करेगी कि जिंदगी में कभी हाथ नही लगाओगे दारू को समझे !
सलीम ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और अपने कक्ष की तरफ बढ़ते हुए बोला:" जाओ अपने कक्ष में जाओ अम्मी की लाडली बेटी समझी!
सलमा उसे जाते हुए देखती रही और सलीम लड़खड़ाता हुआ जैसे तैसे अपने कक्ष में पहुंच गया लेकिन सलमा को जोर से गिरने की आवाज आई तो वो मदद के लिए गई और सलीम को बेड पर लिटा दिया और सलीम बडबडा रहा था कि शमा पता नहीं कब आयेगी! मुझे शमा चाहिए!
सलमा ने उसकी बकवास पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कक्ष में आ गई और सोने का प्रयास करने लगी लेकिन नींद नहीं आ रही थी और बिस्तर पर पड़ी हुई विक्रम के बारे ही सोचती रही! आखिर कार आधी रात के बाद उसे नींद आ गई!
अगले दिन सुबह विक्रम अजय से मिला और उसे खत दिखाया और बूढ़े पिंडारी से भी मिलवाया तो अजय भी हैरान हो गया कि ये अगर सच नही हैं तो बहुत बड़ी साजिश हो सकती हैं!
विक्रम:" लेकिन अगर सच है भी तो हमे क्या पिंडालगढ़ जाना चाहिए?
अजय:" बिलकुल जाना चाहिए क्योंकि इससे जो दोनो राज्यों के बीच गलतफहमी है वो दूर होगी और असली गुनाहगार सामने आ जायेंगे!
विक्रम उसकी बात सुनकर उसके कंधे को थपथपाते हुए बोला:" मुझे आपसे यही उम्मीद थी! मैं जाऊंगा ये तो मैने तय कर लिया था लेकिन आपके जवाब ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया है!
अजय:" हम शहजादे सलीम को अपने साथ ले सकते है इस काम के लिए!
विक्रम:" सलीम किसी काम के लायक नहीं है अभी! दारू और औरत की लत ने उसे इतना कमजोर कर दिया है कि तलवार भी नहीं उठा सकता!
अजय:" ऐसा कैसा हो सकता हैं लेकिन युवराज?
विक्रम:" ये सब जब्बार की साजिश है जिसे वो समझ नहीं पाया है लेकिन अभी उसके सामने सच्चाई आ जायेगी!
अजय:" ठीक हैं युवराज! हम आज शाम को निकल जायेंगे उन्हे बचाने के साथ साथ शमा को वापिस लेकर आएंगे!
विक्रम:" बस मुझे एक बार किसी तरह ये पता चल जाए कि क्या शमा सच में पिंडारियो के कब्जे में या जब्बार की कोई साजिश है!
अजय:" इसके लिए आप शहजादी की मदद ले सकते है!
दोनो बात ही कर रहे थे कि जाबांज उड़ता हुआ नजर आया और विक्रम के होंठो पर आ गई और उसने जाबांज को आवाज दी तो वो उड़ता हुआ उसके हाथ पर आकर बैठ गया और उसकी गर्दन में एक पेपर टंगा हुआ था जिसके साथ गुलाब का एक ताजा खिला हुआ खुशुबुदार फूल भी था! विक्रम ने फूल को निकाल कर प्यार से चूम लिया और खत को पढ़ने लगा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई थी!
" मेरे प्रियतम विक्रम "
"आप खैरियत से होंगे! मैं आपसे बेहद प्रेम करती हू! आपके बिना मन नही लग रहा है मेरा बिलकुल भी! दिल करता हैं कि उड़कर आपके पास पहुंच जाऊ और आपकी बांहों में समा जाऊं!
हो सके तो आज रात मुझसे मिलने के लिए आना! अगर आओ तो मुझे जाबांज के हाथो एक संदेश भेज देना!
आपकी महबूबा सलमा"
विक्रम ने खुशी खुशी खत को पढ़ा और फिर सलमा को सारी बातें खत के जरिए लिख कर भेज दी और उससे शमा के बारे में पता करने के लिए कहा ! सलमा ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू टपक गए और दिल भर आया! सलमा यकीन नहीं कर पा रही थी कि क्या सच मे उसने सही पढ़ा है तो उसने बार बार पढ़ा और फिर उसे यकीन आ गया! सलमा को रात की सलीम की बात याद आ गई कि रात सलीम बोल रहा था कि शमा को पता नहीं कहां भेज दिया है मुझे मेरी शमा चाहिए! उसने ये सब विक्रम को लिखकर भेज दिया और विक्रम को यकीन हो गया कि शमा सच में कैद में हैं!
विक्रम ने शमा को खत लिखा:"
" मैं आज रात अजय के साथ पिंडलगढ़ जाऊंगा। आप मेरे लिए दुआ करना!
सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई क्योंकि पिंडलगढ जाने का मतलब खुदकुशी करने जैसा था! सलमा को समझ नही आ रहा था कि क्या करे! वो विक्रम को रोकना चाहती थीं लेकिन दिल जाने सेना चाहता था! आखिरकार उसने विक्रम को लिखा:
" युवराज मेरे लिए आप अपनी जान जोखिम में मत डालिए! वहां जाना मौत को गले लगाने जैसा हैं मैं नही चाहती हू कि आप वहां जाकर किसी मुश्किल में पड़ जाय!
विक्रम ने खत पढ़ा तो उसे एहसास हुआ कि सलमा सच में उससे बेहद प्यार करती हैं लेकिन उसने सलमा को लिखा:"
" आप मेरी चिंता न करे शहजादी! मैने तो अपना संपूर्ण जीवन पहले ही आपको समर्पित कर दिया है! जिंदगी क्या मौत क्या सब आपके लिए हैं! पिंडलगढ गया तो शायद बचकर वापिस आ सकू लेकिन अगर नही गया तो जीते जी मर जाऊंगा! एक योद्धा के लिए रण क्षेत्र में अपनी जान बलिदान करना सौभाग्य की बात होती हैं! मैं जाऊंगा और हर हालत में आज ही शाम को जाऊंगा!
सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई और वो जानती थी कि विक्रम हर हालत में जाकर रहेगा तो उसने लिखा
" मन तो नही हैं आपकी जाने देने के लिए लेकिन मैं जानती हूं कि आप रुकोगे तो हो नहीं! इसलिए आप जाइए और मैं आपके लिए दुआ करूंगी! आप कल सुबह तक वापिस आए तो ठीक नही तो मैं भी खुद को खत्म कर लूंगी!
विक्रम ने उसका खत पढ़ा और उसकी आंखे भर आई और लिखा:"
" सलमा मैं आपके लिए मरकर भी वापिस आऊंगा! आपको मेरी कसम हैं जो मरने के बारे में सोचा भी तो समझी आप! आप मेरे लिए दुआ करना! काश जाने से पहले एक बार आपको देख लेता तो खुशी होती!
सलमा ने खत को पढ़ा तो आंखे भर आई और लिखा:"
" मैं आपके लिए दुआ करूंगी विक्रम! आप विजयी होकर वापिस आयेंगे! अभी तो मिल नही सकती क्योंकि जब्बार का सख्त पहरा हैं! आप आइए मैं पलके बिछाकर आपका इंतजार करूंगी ! अल्लाह आपको कामयाब करे! मैं आपकी सुरक्षा के लिए पवन को भेज रही हु! आप उसके ऊपर सवारी करके ही जाए ताकि दुश्मन आपको छु भी न सके!
विक्रम ने अजय के साथ मिलकर कुछ हथियार लिए और योजना बनाने लगे! वहीं दूसरी तरफ सलमा ने सारी बात सीमा को भी बताई तो सीमा की आंखे खुशी से उछल उठी लेकिन अगले ही पल उसे ध्यान आया कि युवराज विक्रम के साथ साथ अजय को भी पिंडारियो के इलाके मे जाना होगा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए और बोली:"
" लेकिन पिंडारियो के इलाके में जाना बेहद खतरनाक होगा और सबसे बड़ी बात कहीं ये कोई चाल तो नही हैं इसका पता होना चाहिए!
सलमा:" तुम्हे अपनी बहन राधिका से बात करनी चाहिए कि क्या शमा अपने घर पर हैं या नहीं क्योंकि मुझे पता चला हैं कि वो अक्सर उनके यहां जाती रहती है
सीमा:" हान ये ठीक रहेगा! लेकिन समय बहुत कम है तो मुझे जाना होगा अभी !
इतना कहकर सीमा अपने घर के लिए निकल गई और जैसे ही घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके कक्ष में उसकी अलमारी में राधिका तलाशी ले रही थी तो उसे बेहद बुरा लगा लेकिन संयम से काम लेते हुए बोली:"
" क्या हुआ राधिका ? मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?
राधिका के माथे पर पसीने की बंदे छलक आई और झूठ बोली:"
" वो मेरे कुछ कपड़े नही मिल रहे थे तो सोचा आपके कमरे मे देख लेती हु! बस इसलिए आ गई थी आपको बुरा तो नहीं लगा न?
सीमा:" लेकिन भला इसमें बुरा लगने की क्या बात है! तुम मेरी बहन हो कोई दुश्मन थोड़े ही हो!
राधिका उसके गले लग गई और बोली:" सच मे आप बेहद अच्छी हो दीदी! मेरी किस्मत हैं जो आप जैसी बहन मिली मुझे! लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गई सब ठीक तो हैं ना ?
सीमा:" हान हां सब ठीक हैं! लेकिन सज धज कर तुम कहां जा रही हो ?
राधिका:" वो मुझे बाहर कुछ काम हैं तो बस वही करने जा रही हूं! रात में थोड़ा लेट हो जाऊंगी! आप चिंता मत करना मेरी!
सीमा:" तुम आराम से अपना काम करना! और कोई दिक्कत हो तो मुझे बता देना!
राधिका:" ठीक हैं दीदी! मैं अब चलती हु!
इतना कहकर वो बाहर निकल गई और हल्का अंधेरा होते ही बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठ गई जो जब्बार ने उसके लिए भेजी थी और जैसे ही बग्गी चलने वाली थी तो सीमा एक पर्दे की ओट लेकर बैठ गई और राधिका को पता नहीं चला!
थोड़ी देर के बाद बग्गी जब्बार के घर में पहुंच गई और राधिका उतर कर अन्दर चली और जब्बार के गले लग गई! अपनी बहन का ये अनौखा रूप देखकर सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई सामने थी!
जब्बार के बेड पर पड़ी हुई सीमा बोली:" वो आजकल शमा नही दिख रही है! कहीं गई है क्या?
जब्बार:" तुम हमेशा कहती थी कि मैं तुमसे नही शमा से प्यार करता हु तो मैंने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया हैं! अब वो कभी नही आयेगी!
राधिका का मुंह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया और बोली:"
" क्या हुआ? क्या सच मे?
जब्बार ने उसे बांहों में भर लिया और उसके ऊपर लेटते हुए बोला:" अरे मारा नही है लेकिन वो ऐसी दुनिया में चली गई है जहां हर रोज मरेगी! अब बात नही मस्ती करो!
राधिका जब्बार से लिपट गई और सीमा की आंखे में उसके लिए गुस्सा आए नफरत साफ उभर आई थी लेकिन उसके लिए अभी सलमा तक ये खबर देना जरूरी था कि शमा सच में फंस गई है!
सीमा अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकली और सलमा को बताया कि शमा घर पर नहीं है! सीमा ने जान बूझकर सलमा को ये बात नहीं बताई कि राधिका और जब्बार के बीच में संबंध हैंक्योंकि इससे उसकी ही बेइज्जती होती! सलमा ने जाबांज के हाथो विक्रम तक संदेश भेज दिया!
विक्रम और अजय दोनो युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार होकर पिंडालगढ की तरफ चल पड़े! विक्रम ने बूढ़े पिंडारी का भेष बनाया हुआ था तो अजय ने भी अपने आपको एक पिंडारी ही बनाया हुआ था! सबसे बड़ी बात ये थी कि पिंडारी इंसानों की गंध बेहद दूर से ही पहचान लेते थे तो विक्रम और अजय ने बूढ़े पिंडारी के कपड़े लिए और अपने आपको बुरी तरह से बदबूदार बनाने की कोशिश करी और उसमे काफी हद तक कामयाब भी हुए!
अजय:" युवराज इतनी बुरी बदबू आ रही है आपसे कि सिर फटने को हो गया हैं मेरा!
विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गया और बोला:" बदबू तो मुझे भी आ रही हैं अजय लेकिन हमे ये सब बर्दाश्त करना ही होगा क्योंकि एक गलती हमे मौत के मुंह में धकेल देगी!
अजय ने उसकी बात का समर्थन किया और बोला:" आपकी बात से सहमत हु युवराज! लेकिन पता नहीं कैसे जिन्दा रहते हैं ये पिंडारी!
दोनो बाते करते हुए जा रहे थे और शमा ने जो नक्शा उन्हे दिया था वो युवराज ने अच्छे से देखा लिया था और युवराज यही सोच रहा था कि कुछ भी करके मुझे हर हालत में सीमा के साथ साथ उन्हे भी बचाना हैं!
सलमा और सीमा दोनो जागी हुई थी और बेहद परेशान थी क्योंकि वो जानती थी उनके दोनो के ही प्रेमी एक ऐसी जंग लड़ने जा रहे थे जहां मौत से बचना जीते ही स्वर्ग में जाने जैसा था! सलमा की आंखे भर आई और बोली:"
" अगर युवराज वापिस नही आए तो मैं अपनी जान दे दूंगी सीमा!
सीमा ने उसकी बात उसे अपने गले से लगा लिया और बोली:"
" आप घबराए मत शहजादी! भगवान पर भरोसा रखे वो सब ठीक कर देगा!
सलमा उसके गले लग कर सुबकते हुए बोली:" बस एक खुदा पर ही तो भरोसा हैं सीमा हमे! अजय और युवराज दोनो कामयाब होकर लौटे उसके लिए मैं सारी रात नमाज पढ़कर दुआ करूंगी अल्लाह से इबादत करूंगी!
सीमा:" मैं भी उनकी कामयाबी के लिए प्रार्थना करूंगी आपके साथ! आप इबादत कीजिए मैं भी पूजा करूंगी सारी रात!
सलमा उसकी बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"
" तुम भी अजय से बेहद प्यार करती हो ना सीमा!
सीमा:" हान शहजादी! मैं सच मे बेहद प्यार करती हू और उनके बिना जी नहीं पाऊंगी!
सलमा ने सीमा का माथा चूम लिया और फिर अलमारी से नमाज के लिए मुसल्ला निकाला और नमाज पढ़ने लगी तो सीमा भी दोनो हाथ जोड़कर मंत्रो का उच्चारण करते हुए पूजा मे लीन हो गई! सलमा का कक्ष आज किसी धार्मिक स्थल जैसा बना हुआ था, एक साथ इबादत और पूजा साबित कर रहे थे कि इंसान पर जब कोई विप्पति आती हैं तो उसके लिए सिर्फ दुआ, प्रार्थना महत्त्व रखती हैं चाहे तो किसी भी धर्म या किसी भी तरीके से की गई हो!
दूसरी तरफ अजय और विक्रम दोनो पिंडालगढ की सीमा में दाखिल होने वाले थे तो दोनो एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो की आंखे भर आई और विक्रम ने अजय को कसकर गले लगा लिया और बोला:"
" अजय आपने इस असंभव जंग में मेरा साथ देकर अपनी दोस्ती और कर्तव्य को अमर कर दिया हैं हमेशा के लिए!
अजय भी उससे कसकर लिपट गया और बोला:" युवराज मेरा तो कर्तव्य ही यही है कि उदयगढ़ के लिए जान भी चली जाए तो अफसोस नहीं होगा!
युवराज:" ऐसा नही बोलते भाई! हम दोनो जरूरी वापिस आयेंगे ये जंग जीतकर!
अजय:" हान युवराज हम जरूर वापिस आयेंगे! आप मेरे आस पास ही रहकर युद्ध करना! ज्यादा दूर किसी भी हालत में मत जाना क्योंकि मेरे हाथ में ये पुरखो की जादुई तलवार होगी!
विक्रम ने उसकी भावना को समझते हुए प्यार से उसका हाथ चूम लिया और बोला:"
" मैं कोशिश करूंगा अजय! लेकिन आप मेरी फिक्र न करके दुश्मनों का सफाया करना क्योंकि मेरी रगों में भी राजपूतानी खून दौड़ता हैं!
उसके बाद दोनो ने प्यार से एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे ही अलग हुए तो विक्रम ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोला:" अजय वापिस आने के बाद आप मुझे युवराज नही भाई कहकर बोलना!
अजय की आंखो से आंसू निकल आए और दोनो उसके बाद सावधानी से अंधेरे का फायदा उठाकर पिंडालगढ़ की सीमा में दाखिल हो गए! शहर में कहीं कहीं हल्की मशाल की रोशनी फैली थी! पिंडारी रात को अक्सर पहरा नही देते थे क्योंकि उनके राज्य में कोई घुसने की हिम्मत नही करता था!
युवराज और अजय दोनो सावधानी से इधर उधर देखते हुए जा रहे थे! तभी पीछे से किसी की जोर की आवाज आई तो दोनो ने उस दिशा में देखा तो एक पिंडारी उधर ही आ रहा था और बोला:"
" तुम दोनो इधर क्या कर रहे हो? महाराज का आदेश हैं कि सबको आज सामूहिक रूप से चुदाई देखनी होगी क्योंकि महाराज आज ये संभोग भवन में साबित करना चाहते हैं कि उनके बड़ा पुरुष कोई नही हैं!
वो आदमी ध्यान से दोनो को देखने लगा लेकिन उसे थोड़ी थोड़ी इंसानी गंध मिली तो उसके कान खड़े हो गए और युवराज उसकी बात सुनकर हैरान सा हुआ लेकिन धीरे से अंधेरे की तरफ जाते हुए बोला:"
" हम भी वही जा रहे थे बस! आपसे एक बात पूछनी थी!
बस यही गलती हो गई जिसने उस आदमी के शक को यकीन में बदल दिया क्योंकि दोनो अभी संभोग भवन की उल्टी दिशा में जा रहे थे! खतरे को भांप कर पिंडारी ने अपनी तलवार को निकाल लिया और उनके करीब जाते हुए बोला:" कौन हो तुम दोनो ? यहां कैसे घुस आए हो?
विक्रम थोड़ा गुस्से से बोला:" हम भी पिंडारी हैं!
लेकिन उस आदमी ने तलवार का भरपूर वार किया और विक्रम ने बिजली की गति से अपनी तलवार निकालकर उसे बचाया और अजय ने मौके का फायदा उठाकर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए उसकी गर्दन को काट दिया तो बेचारा चींख भी नही सका और गिर पड़ा!
उसके बाद दोनो महल की दिशा में बढ़ गए और जल्दी ही महल के बाहर पहुंच गए तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि महल लोगो से पूरी तरह से भरा हुआ था और बेहद गंदी बदबू फैली हुई थी! सामने ही एक बड़े मैदान में एक औरत नंगी थी जिसे चार लोगो ने पकड़ा हुआ था और वो औरत बुरी तरह से कांपती हुई रो रही थी! औरत के पास ही पिंडाला खड़ा हुआ था बिलकुल नंगा और अपने लंड को मसल रहा था मानो जंग की तैयारी कर रहा हो! विक्रम और अजय के शरीर से उठती हुई इंसानी गंध लोगो के दिमाग में जा रही थी लेकिन चूंकि सामने एक औरत भी थी तो किसी का ध्यान उस तरफ ज्यादा नही गया!
विक्रम और अजय दोनो की नजरे मिली और दोनो ने ही आगे बढ़ने का फैसला किया! विक्रम आगे बढ़ा और अजय उसके पीछे पीछे धीरे धीरे दोनो भीड़ के अंत में पहुंच गए और यहां से कभी भी बंदी ग्रह तक पहुंच सकते थे। लेकिन विक्रम ने अपनी अजय को वही रुकने का इशारा किया!
पिंडाला औरत( शमा) की तरफ बढ़ा तो शमा का बदन कांप उठा और पिंडाला ने अपने लंड को उसकी गांड़ के छेद पर रख दिया तो शमा के बदन का रोम रोम थर्रा उठा और उसकी आंखे भर आई! वो जानती थी कि अब क्या होगा इसलिए पूरी ताकत से छूटने कि कोशिश करने लगी लेकिन चाहकर हिल भी नहीं सकी तो लगभग रोते हुए बोली:"
" नही नही! मेरे साथ ऐसा मत करो मैं मर जाउंगी! आपको अल्लाह का वास्ता!
लेकिन पिंडाला एक राक्षस था और उसे भला कहां परवाह होती और हंसते हुए बोला:"
" देख अगर बच गई तो पूरे पिंडलगढ़ पर राज करेगी! रानी बना दूंगा तुझे!
उसने जोर से धक्का लगाया और लंड शमा की गांड़ के छेद के चिथड़े उड़ाते हुए अंदर दाखिल हो गया और शमा दर्द से तड़प कर बेहोश होती चली गई! अजय और विक्रम का दिल ये देख कर रो पड़ा लेकिन उनका मकसद अभी वो कैद आदमी और शमा को बचाना था( बेचारो को क्या मालूम था कि शमा की ही चुदाई वो देख रहे थे! विक्रम ने अजय को इशारा किया और दोनो धीरे से महल के दूसरे हिस्से में पहुंच गए और गेट पर करीब चार सुरक्षा कर्मी तैनात थे तो थोड़ी देर तक जमकर मुक़ाबला हुआ लेकिन अंततः जीत विक्रम की ही हुई और दोनो कमरे मे घुस गए!
विक्रम ने आदमी को देखा और बोला:" आप चिंता न करे हम आपको बचाने के लिए आए हैं!
लेकिन शमा कहां मिलेगी?
आदमी की आंखे भर आई और बोला: ये जो दर्द भरी चींखें हम सुन रहे हैं वो शमा की हैं!
इतना कहकर विक्रम ने अजय को इशारा किया तो अजय ने कमरे की खिड़की से रस्सी बांधी और आदमी को लेकर धीरे से बाहर निकल गया! विक्रम अपनी आंखो में गुस्से की आंधी लिए हुए संभोग भवन की तरफ चल पड़ा ताकि सलमा को बचा सके लेकिन जैसे ही वहां पहुंचा तो देखा कि शमा की दोनो टांगे खून से सनी हुई थी और पिंडाला किसी जानवर की तरह उसकी फटी हुई गांड़ में धक्के लगा रहा था और शमा के जिस्म मे कोई हरकत नहीं हो रही थी तो पिंडाला को गुस्सा आ गया और उसने शमा की दोनो टांगो को पकड़ा और एक झटके के साथ उसके पूरे जिस्म को दो टुकड़ों में बांट दिया और शमा हमेशा के लिए शांत हो गई!
विक्रम ने ऐसा जुल्म देखा तो उसकी आंखे भर आई लेकिन अब वहां आ निकलने मे ही उसने भलाई समझी और आराम से बाहर निकल गया! बाहर अजय उसका ही इंतजार कर रहा था और विक्रम ने उसे जल्दी से वहां से निकलने के लिए इशारा किया और दोनो आदमी को साथ लेकर निकल पड़े! जैसे ही बॉर्डर पर पहुंचे तो सामने से कुछ पिंडारी नजर आए और एक बार फिर से युद्ध छिड़ गया! देखते ही देखते टकवारे लहरा उठी और शमा की दुर्दशा देखने के बाद उसकी आंखो से आग बरस रही थी और उसने पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट दिया लेकिन विक्रम को हाथ में तलवार लगी और खून निकल आया था!
दोनो बॉर्डर से बाहर निकल आए और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए! सुबह के करीब चार बजे दोनो उदयगढ़ पहुंच गए! विक्रम ने अजय को बूढ़े कैद पिंडारी को मारने के लिए भेज दिया और खुद आदमी को लेकर वैद्य जी के यहां चला गया!
वैद्य जी ने दरवाजा खोला तो विक्रम अंदर घुस गया वैद्य जी बोले:"
" क्या हुआ युवराज ? इतनी सुबह सुबह आप और ये साथ में कौन हैं आपके ?
विक्रम:" वैद्य जी ये हमारे खास मेहमान है! कुछ दिन आप इनकी देखभाल करेंगे और ये आपके साथ ही रहेंगे! किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि आपके घर में कौन रहता है!
वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! आपके हाथ से भी खून निकल रहा है! रुको मैं आपकी औषधि दे देता हूं!
वैद्य जी औषधि लेने चले गए तो वो आदमी बोला:"
" बेटा आप कौन हो और मुझे क्यों बचाया आपने ?
विक्रम:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु! आपको बचाने के लिए मुझे शमा की चिट्ठी मिली थी लेकिन अफसोस मै उसे नही बचा पाया ! आप अभी आराम कीजिए!
आदमी कुछ नही बोला और गहरी सोच में डूब गया! वैद्य जी ने विक्रम की पट्टी करी और विक्रम उसके बाद वहां से निकल गया और महल पहुंचा तो अजय भी पिंडारी को मारकर आ गया था! विक्रम ने उसके हाथो को चूम लिया और बोला:"
" अजय मेरे भाई अब आप आराम कीजिए!
अजय:" लेकिन दिन में राज्य की कार्यवाही और राजमाता की मीटिंग में शामिल होना जरूरी होगा मेरे लिए युवराज!
विक्रम उसे अपने साथ ले गया और उसे अपने साथ ही बेड पर लेटने के लिए कहा तो अजय बोला:" नही युवराज! आप आराम कीजिए मैं बाद में सो जाऊंगा!
विक्रम:" बहुत बहाने बनाते हो यार आप भी!
इतना कहकर युवराज ने अजय का हाथ पकड़ कर ऊपर खींच लिया और उसके बाद दोनो लेते हुए थे! दोनो बस जाबांज का ही इंतजार कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ सलमा और सीमा दोनो पूरी रात इबादत करती रही और रो रोकर उनकी आंखे लाल मिर्च गई थीं और जैसे जैसे सुबह होती जा रही थी तो दोनो का दिल बैठता जा रहा था!
सुबह हुई और सलमा ने दुआ मांगी और उसके बाद कांपते हाथों से एक खत लिखा और जाबांज को पैगाम लेकर उड़ा दिया! उड़ता हुआ जाबांज जैसे ही खिड़की पर बैठा तो विक्रम और अजय दोनो के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम ने चिट्ठी को निकाल लिया और पढ़ने लगा
" मेरे प्रियतम विक्रम
" आप और अजय दोनो सुरक्षित लौट आए होंगे ऐसा मेरा दिल कहता है! मैने और सीमा ने सारी रात आपके लिए इबादत और पूजा की हैं और मुझे यकीन हैं कि खुदा मुझे निराश नहीं करेंगे! आपको कुछ हुआ तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी!
विक्रम ने चिट्ठी को पढ़ा और उसकी आंखे भर आई! विक्रम ने सलमा को एक खत लिखा और जाबांज को वापिस फिर से उड़ा दिया! जाबांज को देखकर सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और जैसे ही उसने विक्रम की चिट्ठी पढ़ी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई
" सलमा मेरी शहजादी
" आप और सीमा की दुआ रंग लाई हैं! मैं और अजय सुरक्षित वापिस आ गए हैं! उन्हे हम अपने साथ ले आए हैं लेकिन शमा को नही बचाया जा सका! मेरा ऐसा यकीन है कि आज जब्बार राज्य में नही रहेगा! आप मौका देखकर आइए आज उदयगढ़!
सलमा मानो खुशी से पागल हो गई और बार बार सीमा को चूम रही थी! सीमा भी बेहद खुश थी और दोनो ने अब उदयगढ़ जाने का प्लान बनाया और दोनो राजमाता के पास पहुंच गई तो उनकी खुशी देखकर रजिया बोली:"
" क्या बात है बेटी आज बेहद खुश नजर आ रही हैं?
सलमा ने अपनी मां को गले लगा लिया और उनका मुंह चूम कर बोली:" खुशी तो इतनी बड़ी हैं कि हम संभाल नहीं पा रहे हैं खुद को अम्मी! आप भी सुनेगी तो यकीन नहीं कर पाएगी!
रजिया:" अच्छा जरा हमे भी तो बताओ ऐसा क्या हो गया है?
सलमा: जरुर अम्मी! बस आप आज हमारे साथ घूमने चलिए न! वो भी बिना किसी सुरक्षा के!
रजिया:" लेकिन बिना किसी सुरक्षा के तो बेहद खतरा होगा बेटी ये तो समझो!
सलमा:" ओह अम्मी कोई खतरा नहीं होगा! आप हम पर यकीन कीजिए!
रजिया:" ठीक हैं पहले राज्य की कार्यवाही खत्म होने दो! उसके बाद योजना बनाते हैं!
दूसरी तरफ पिंडालगढ़ में मातम पसरा हुआ था क्योंकि घर में घुसकर पहली बार किसी ने उन पर हमला किया था और उनका कैदी भी छुड़ा लिया था तो पिण्डाला ने ये खबर जब्बार तक पहुंचा दी तो जब्बार जैसे पागल हो गया और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था और ऐसा कैसे हो सकता है! जब्बार को अपना सब कुछ खत्म होता नज़र आया और मन किया कि अपनी जान दे दे लेकिन जब्बार ने खुद को संभाला और डरते डरते राज्य की कार्यवाही में पहुंच गया!
उसके चेहरे पर मौत का खौफ सलमा को साफ नजर आ रहा था और सलमा का दिल कर रहा था कि उसके सीने में छुरा उतार दे लेकिन शांत रही!
रजिया:" पिछले कुछ दिनो से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी रही है! जब्बार आपने अच्छा काम किया है!
जब्बार के होंठो पर फीकी सी मुस्कान आई और धीरे से बोला:"
" मेरा काम ही है सुल्तानपुर की सेवा करना!
रजिया:" क्या हुआ जब्बार आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है?
जब्बार को लगा कि जैसे किसी ने उसकी इज्जत लूट ली हो और बोला:" जी राजमाता, थोड़ी दिक्कत है मुझे!
रजिया:" ठीक हैं आप आराम कीजिए कुछ दिन!
जब्बार:" जैसी आपकी आज्ञा!
उसके थोड़ी देर बाद कार्यवाही खत्म हुई और जब्बार मौका देखकर राज्य से निकल गया और सीमा ने जैसे ही ये जानकारी सलमा को दी थी उसने भी रजिया के साथ जाने का प्लान किया और शाम को करीब चार बजे तीनो भेष बदलकर गुप्त दरवाजे से निकल गए! जाने से पहले रजिया ने दासियों से कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है तो उन्हे परेशान न किया जाए!
जैसे ही वो सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकले तो अजय बग्गी लिए खड़ा मिला और उसके बाद वो उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए और जैसे ही घुसने वाले थे तो रजिया बोली:"
" सलमा ये तो उदयगढ़ हैं! यहां जाना हमारे लिए सुरक्षित नहीं है! ये तो हमारे दुश्मन है और आपके अब्बा के कातिल!
सलमा:" अम्मी सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई या बताई जाती है! आप मुझ पर यकीन राखिए आप पूरी तरह से सुरक्षित है यहां! मैं पहले भी कई बार आ चुकी हूं यहां!
रजिया उसकी बात सुनकर खामोश हो गई और थोड़ी ही देर में वो वैद्य जी के घर पहुंचे तो विक्रम ने दरवाजा खोला और जैसे ही सलमा और विक्रम की नजरे मिली तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए!
सलमा ने रजिया का हाथ पकड़ा और विक्रम के पीछे चल पड़ी और सलमा बोली:"
" अम्मी आपको आज ऐसी खुशी मिलेगी कि दिल धड़कना बंद कर देगा आपका! दिल संभाल लीजिए आप अपना!
जैसे ही सभी कमरे मे घुसे और रजिया की नजर बेड पर लेटे हुए आदमी पर पड़ी तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! उसे लगा मानो वो कोई सपना देख रही है और पागलों की तरह दौड़कर उससे लिपट गई और रोते हुए बोली:"
" सुलतान आप जिंदा है! या मेरे खुदा तेरा करिश्मा!
विक्रम को समझ नहीं आ रहा था कि ये सच है या कोई साजिश क्योंकि पिंडारियो के इलाके मे घुसना मलतब मौत को गले लगाने जैसा था! लेकिन सबसे बड़ी बात ये संदेश तो सलीम के नाम आया है जो पहले ही जब्बार के हाथो का मोहरा बना हुआ है तो उसे तो जब्बार जब चाहे कहीं भी मार सकता था तो फिर ये खेल क्यों खेलेगा !!
विक्रम बस ये जानना चाहता था कि शमा कहां है ताकि सचाई सामने आ सके तो वो जाबांज के संदेश का इंतजार कर रहा था कि सलमा उसे कोई संदेश भेज दे! विक्रम को ये भी साफ नही हो रहा था कि इस बूढ़े पिंडारी का क्या करू! मार देना चाहिए या अभी बचा कर रखना चाहिए तो काफी सोचकर विक्रम ने उसे जिंदा ही रखने का फैसला किया! विक्रम ने उसे अपने साथ लिया और बड़ी सी गुफा में बांध कर फेंक दिया और राज्य वापिस लौट आया!
रात का करीब एक बजा हुआ था और सलीम जब्बार से बहस कर रहा था! आज पहली बार ऐसा हो रहा था और सलीम बोला:"
" जब्बार शमा कहां चली गई है?
बताओ मुझे!
जब्बार:" अपने मामा के यहां गई है कुछ दिनों में आ जायेगी!
सलीम:" मेरा कितना ध्यान रखती थी वो मुझे उसकी बहुत याद आ रही हैं! कुछ भी करके कल तक उसे वापिस ले आओ नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!
जब्बार उसकी धमकी सुनकर गुस्से में आ गया और उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया तो सलीम दर्द से कराह उठा और जब्बार बोला:" मुझसे कभी तेज आवाज में बात मत करना नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!
सलीम:" हाथ छोड़ो मेरा दर्द हो रहा है मुझे!
जब्बार ने उसका हाथ छोड़ दिया तो सलीम गुस्से से बोला:"
" जब्बार हमारी रगों में शाही खून दौड़ता है! आज के बाद हमें छुआ भी तो तेरा अंजाम खुद सोच लेना समझे तुम! बोलो शमा कब तक वापिस आयेगी ?
जब्बार जानता था कि अभी सलीम इसके काफी काम आयेगा इसलिए थोड़ा शांत हो गया और बोला:" देखो शहजादे, एक दो दिन में आ जाएगी लेकिन आपको उसकी ऐसी क्या जरूरत पड़ गई हमे भी तो बताओ जरा आप ये बात?
सलीम:" ऐसे ही दो दिन से दिखी नही न, बस इसलिए पूछ रहा था!
ठीक हैं एक दो दिन मैं इंतजार कर लूंगा!
उसके बाद सलीम नशे में झूमते हुए महल में आ गया और जैसे ही सलमा के कक्ष के सामने से गुजरा तो लड़खड़ा कर गिर पड़ा तो आवाज सुनकर सलमा बाहर आ गई और उसे सहारा देनें लगी तो उसके मुंह से शराब की बदबू आई तो बोली:"
" भाई ये क्या बदतमीजी है आपने दारू पी हैं ?
सलीम ने गुस्से से सलमा को देखा और बोला:" तुम कौन होती हो मुझसे पूछताछ करने वाली! मैं होने वाला बादशाह हु!
सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" अम्मी को पता चल गया न तो तुम्हारी ऐसी हालत करेगी कि जिंदगी में कभी हाथ नही लगाओगे दारू को समझे !
सलीम ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और अपने कक्ष की तरफ बढ़ते हुए बोला:" जाओ अपने कक्ष में जाओ अम्मी की लाडली बेटी समझी!
सलमा उसे जाते हुए देखती रही और सलीम लड़खड़ाता हुआ जैसे तैसे अपने कक्ष में पहुंच गया लेकिन सलमा को जोर से गिरने की आवाज आई तो वो मदद के लिए गई और सलीम को बेड पर लिटा दिया और सलीम बडबडा रहा था कि शमा पता नहीं कब आयेगी! मुझे शमा चाहिए!
सलमा ने उसकी बकवास पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कक्ष में आ गई और सोने का प्रयास करने लगी लेकिन नींद नहीं आ रही थी और बिस्तर पर पड़ी हुई विक्रम के बारे ही सोचती रही! आखिर कार आधी रात के बाद उसे नींद आ गई!
अगले दिन सुबह विक्रम अजय से मिला और उसे खत दिखाया और बूढ़े पिंडारी से भी मिलवाया तो अजय भी हैरान हो गया कि ये अगर सच नही हैं तो बहुत बड़ी साजिश हो सकती हैं!
विक्रम:" लेकिन अगर सच है भी तो हमे क्या पिंडालगढ़ जाना चाहिए?
अजय:" बिलकुल जाना चाहिए क्योंकि इससे जो दोनो राज्यों के बीच गलतफहमी है वो दूर होगी और असली गुनाहगार सामने आ जायेंगे!
विक्रम उसकी बात सुनकर उसके कंधे को थपथपाते हुए बोला:" मुझे आपसे यही उम्मीद थी! मैं जाऊंगा ये तो मैने तय कर लिया था लेकिन आपके जवाब ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया है!
अजय:" हम शहजादे सलीम को अपने साथ ले सकते है इस काम के लिए!
विक्रम:" सलीम किसी काम के लायक नहीं है अभी! दारू और औरत की लत ने उसे इतना कमजोर कर दिया है कि तलवार भी नहीं उठा सकता!
अजय:" ऐसा कैसा हो सकता हैं लेकिन युवराज?
विक्रम:" ये सब जब्बार की साजिश है जिसे वो समझ नहीं पाया है लेकिन अभी उसके सामने सच्चाई आ जायेगी!
अजय:" ठीक हैं युवराज! हम आज शाम को निकल जायेंगे उन्हे बचाने के साथ साथ शमा को वापिस लेकर आएंगे!
विक्रम:" बस मुझे एक बार किसी तरह ये पता चल जाए कि क्या शमा सच में पिंडारियो के कब्जे में या जब्बार की कोई साजिश है!
अजय:" इसके लिए आप शहजादी की मदद ले सकते है!
दोनो बात ही कर रहे थे कि जाबांज उड़ता हुआ नजर आया और विक्रम के होंठो पर आ गई और उसने जाबांज को आवाज दी तो वो उड़ता हुआ उसके हाथ पर आकर बैठ गया और उसकी गर्दन में एक पेपर टंगा हुआ था जिसके साथ गुलाब का एक ताजा खिला हुआ खुशुबुदार फूल भी था! विक्रम ने फूल को निकाल कर प्यार से चूम लिया और खत को पढ़ने लगा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई थी!
" मेरे प्रियतम विक्रम "
"आप खैरियत से होंगे! मैं आपसे बेहद प्रेम करती हू! आपके बिना मन नही लग रहा है मेरा बिलकुल भी! दिल करता हैं कि उड़कर आपके पास पहुंच जाऊ और आपकी बांहों में समा जाऊं!
हो सके तो आज रात मुझसे मिलने के लिए आना! अगर आओ तो मुझे जाबांज के हाथो एक संदेश भेज देना!
आपकी महबूबा सलमा"
विक्रम ने खुशी खुशी खत को पढ़ा और फिर सलमा को सारी बातें खत के जरिए लिख कर भेज दी और उससे शमा के बारे में पता करने के लिए कहा ! सलमा ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू टपक गए और दिल भर आया! सलमा यकीन नहीं कर पा रही थी कि क्या सच मे उसने सही पढ़ा है तो उसने बार बार पढ़ा और फिर उसे यकीन आ गया! सलमा को रात की सलीम की बात याद आ गई कि रात सलीम बोल रहा था कि शमा को पता नहीं कहां भेज दिया है मुझे मेरी शमा चाहिए! उसने ये सब विक्रम को लिखकर भेज दिया और विक्रम को यकीन हो गया कि शमा सच में कैद में हैं!
विक्रम ने शमा को खत लिखा:"
" मैं आज रात अजय के साथ पिंडलगढ़ जाऊंगा। आप मेरे लिए दुआ करना!
सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई क्योंकि पिंडलगढ जाने का मतलब खुदकुशी करने जैसा था! सलमा को समझ नही आ रहा था कि क्या करे! वो विक्रम को रोकना चाहती थीं लेकिन दिल जाने सेना चाहता था! आखिरकार उसने विक्रम को लिखा:
" युवराज मेरे लिए आप अपनी जान जोखिम में मत डालिए! वहां जाना मौत को गले लगाने जैसा हैं मैं नही चाहती हू कि आप वहां जाकर किसी मुश्किल में पड़ जाय!
विक्रम ने खत पढ़ा तो उसे एहसास हुआ कि सलमा सच में उससे बेहद प्यार करती हैं लेकिन उसने सलमा को लिखा:"
" आप मेरी चिंता न करे शहजादी! मैने तो अपना संपूर्ण जीवन पहले ही आपको समर्पित कर दिया है! जिंदगी क्या मौत क्या सब आपके लिए हैं! पिंडलगढ गया तो शायद बचकर वापिस आ सकू लेकिन अगर नही गया तो जीते जी मर जाऊंगा! एक योद्धा के लिए रण क्षेत्र में अपनी जान बलिदान करना सौभाग्य की बात होती हैं! मैं जाऊंगा और हर हालत में आज ही शाम को जाऊंगा!
सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई और वो जानती थी कि विक्रम हर हालत में जाकर रहेगा तो उसने लिखा
" मन तो नही हैं आपकी जाने देने के लिए लेकिन मैं जानती हूं कि आप रुकोगे तो हो नहीं! इसलिए आप जाइए और मैं आपके लिए दुआ करूंगी! आप कल सुबह तक वापिस आए तो ठीक नही तो मैं भी खुद को खत्म कर लूंगी!
विक्रम ने उसका खत पढ़ा और उसकी आंखे भर आई और लिखा:"
" सलमा मैं आपके लिए मरकर भी वापिस आऊंगा! आपको मेरी कसम हैं जो मरने के बारे में सोचा भी तो समझी आप! आप मेरे लिए दुआ करना! काश जाने से पहले एक बार आपको देख लेता तो खुशी होती!
सलमा ने खत को पढ़ा तो आंखे भर आई और लिखा:"
" मैं आपके लिए दुआ करूंगी विक्रम! आप विजयी होकर वापिस आयेंगे! अभी तो मिल नही सकती क्योंकि जब्बार का सख्त पहरा हैं! आप आइए मैं पलके बिछाकर आपका इंतजार करूंगी ! अल्लाह आपको कामयाब करे! मैं आपकी सुरक्षा के लिए पवन को भेज रही हु! आप उसके ऊपर सवारी करके ही जाए ताकि दुश्मन आपको छु भी न सके!
विक्रम ने अजय के साथ मिलकर कुछ हथियार लिए और योजना बनाने लगे! वहीं दूसरी तरफ सलमा ने सारी बात सीमा को भी बताई तो सीमा की आंखे खुशी से उछल उठी लेकिन अगले ही पल उसे ध्यान आया कि युवराज विक्रम के साथ साथ अजय को भी पिंडारियो के इलाके मे जाना होगा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए और बोली:"
" लेकिन पिंडारियो के इलाके में जाना बेहद खतरनाक होगा और सबसे बड़ी बात कहीं ये कोई चाल तो नही हैं इसका पता होना चाहिए!
सलमा:" तुम्हे अपनी बहन राधिका से बात करनी चाहिए कि क्या शमा अपने घर पर हैं या नहीं क्योंकि मुझे पता चला हैं कि वो अक्सर उनके यहां जाती रहती है
सीमा:" हान ये ठीक रहेगा! लेकिन समय बहुत कम है तो मुझे जाना होगा अभी !
इतना कहकर सीमा अपने घर के लिए निकल गई और जैसे ही घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके कक्ष में उसकी अलमारी में राधिका तलाशी ले रही थी तो उसे बेहद बुरा लगा लेकिन संयम से काम लेते हुए बोली:"
" क्या हुआ राधिका ? मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?
राधिका के माथे पर पसीने की बंदे छलक आई और झूठ बोली:"
" वो मेरे कुछ कपड़े नही मिल रहे थे तो सोचा आपके कमरे मे देख लेती हु! बस इसलिए आ गई थी आपको बुरा तो नहीं लगा न?
सीमा:" लेकिन भला इसमें बुरा लगने की क्या बात है! तुम मेरी बहन हो कोई दुश्मन थोड़े ही हो!
राधिका उसके गले लग गई और बोली:" सच मे आप बेहद अच्छी हो दीदी! मेरी किस्मत हैं जो आप जैसी बहन मिली मुझे! लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गई सब ठीक तो हैं ना ?
सीमा:" हान हां सब ठीक हैं! लेकिन सज धज कर तुम कहां जा रही हो ?
राधिका:" वो मुझे बाहर कुछ काम हैं तो बस वही करने जा रही हूं! रात में थोड़ा लेट हो जाऊंगी! आप चिंता मत करना मेरी!
सीमा:" तुम आराम से अपना काम करना! और कोई दिक्कत हो तो मुझे बता देना!
राधिका:" ठीक हैं दीदी! मैं अब चलती हु!
इतना कहकर वो बाहर निकल गई और हल्का अंधेरा होते ही बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठ गई जो जब्बार ने उसके लिए भेजी थी और जैसे ही बग्गी चलने वाली थी तो सीमा एक पर्दे की ओट लेकर बैठ गई और राधिका को पता नहीं चला!
थोड़ी देर के बाद बग्गी जब्बार के घर में पहुंच गई और राधिका उतर कर अन्दर चली और जब्बार के गले लग गई! अपनी बहन का ये अनौखा रूप देखकर सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई सामने थी!
जब्बार के बेड पर पड़ी हुई सीमा बोली:" वो आजकल शमा नही दिख रही है! कहीं गई है क्या?
जब्बार:" तुम हमेशा कहती थी कि मैं तुमसे नही शमा से प्यार करता हु तो मैंने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया हैं! अब वो कभी नही आयेगी!
राधिका का मुंह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया और बोली:"
" क्या हुआ? क्या सच मे?
जब्बार ने उसे बांहों में भर लिया और उसके ऊपर लेटते हुए बोला:" अरे मारा नही है लेकिन वो ऐसी दुनिया में चली गई है जहां हर रोज मरेगी! अब बात नही मस्ती करो!
राधिका जब्बार से लिपट गई और सीमा की आंखे में उसके लिए गुस्सा आए नफरत साफ उभर आई थी लेकिन उसके लिए अभी सलमा तक ये खबर देना जरूरी था कि शमा सच में फंस गई है!
सीमा अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकली और सलमा को बताया कि शमा घर पर नहीं है! सीमा ने जान बूझकर सलमा को ये बात नहीं बताई कि राधिका और जब्बार के बीच में संबंध हैंक्योंकि इससे उसकी ही बेइज्जती होती! सलमा ने जाबांज के हाथो विक्रम तक संदेश भेज दिया!
विक्रम और अजय दोनो युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार होकर पिंडालगढ की तरफ चल पड़े! विक्रम ने बूढ़े पिंडारी का भेष बनाया हुआ था तो अजय ने भी अपने आपको एक पिंडारी ही बनाया हुआ था! सबसे बड़ी बात ये थी कि पिंडारी इंसानों की गंध बेहद दूर से ही पहचान लेते थे तो विक्रम और अजय ने बूढ़े पिंडारी के कपड़े लिए और अपने आपको बुरी तरह से बदबूदार बनाने की कोशिश करी और उसमे काफी हद तक कामयाब भी हुए!
अजय:" युवराज इतनी बुरी बदबू आ रही है आपसे कि सिर फटने को हो गया हैं मेरा!
विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गया और बोला:" बदबू तो मुझे भी आ रही हैं अजय लेकिन हमे ये सब बर्दाश्त करना ही होगा क्योंकि एक गलती हमे मौत के मुंह में धकेल देगी!
अजय ने उसकी बात का समर्थन किया और बोला:" आपकी बात से सहमत हु युवराज! लेकिन पता नहीं कैसे जिन्दा रहते हैं ये पिंडारी!
दोनो बाते करते हुए जा रहे थे और शमा ने जो नक्शा उन्हे दिया था वो युवराज ने अच्छे से देखा लिया था और युवराज यही सोच रहा था कि कुछ भी करके मुझे हर हालत में सीमा के साथ साथ उन्हे भी बचाना हैं!
सलमा और सीमा दोनो जागी हुई थी और बेहद परेशान थी क्योंकि वो जानती थी उनके दोनो के ही प्रेमी एक ऐसी जंग लड़ने जा रहे थे जहां मौत से बचना जीते ही स्वर्ग में जाने जैसा था! सलमा की आंखे भर आई और बोली:"
" अगर युवराज वापिस नही आए तो मैं अपनी जान दे दूंगी सीमा!
सीमा ने उसकी बात उसे अपने गले से लगा लिया और बोली:"
" आप घबराए मत शहजादी! भगवान पर भरोसा रखे वो सब ठीक कर देगा!
सलमा उसके गले लग कर सुबकते हुए बोली:" बस एक खुदा पर ही तो भरोसा हैं सीमा हमे! अजय और युवराज दोनो कामयाब होकर लौटे उसके लिए मैं सारी रात नमाज पढ़कर दुआ करूंगी अल्लाह से इबादत करूंगी!
सीमा:" मैं भी उनकी कामयाबी के लिए प्रार्थना करूंगी आपके साथ! आप इबादत कीजिए मैं भी पूजा करूंगी सारी रात!
सलमा उसकी बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"
" तुम भी अजय से बेहद प्यार करती हो ना सीमा!
सीमा:" हान शहजादी! मैं सच मे बेहद प्यार करती हू और उनके बिना जी नहीं पाऊंगी!
सलमा ने सीमा का माथा चूम लिया और फिर अलमारी से नमाज के लिए मुसल्ला निकाला और नमाज पढ़ने लगी तो सीमा भी दोनो हाथ जोड़कर मंत्रो का उच्चारण करते हुए पूजा मे लीन हो गई! सलमा का कक्ष आज किसी धार्मिक स्थल जैसा बना हुआ था, एक साथ इबादत और पूजा साबित कर रहे थे कि इंसान पर जब कोई विप्पति आती हैं तो उसके लिए सिर्फ दुआ, प्रार्थना महत्त्व रखती हैं चाहे तो किसी भी धर्म या किसी भी तरीके से की गई हो!
दूसरी तरफ अजय और विक्रम दोनो पिंडालगढ की सीमा में दाखिल होने वाले थे तो दोनो एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो की आंखे भर आई और विक्रम ने अजय को कसकर गले लगा लिया और बोला:"
" अजय आपने इस असंभव जंग में मेरा साथ देकर अपनी दोस्ती और कर्तव्य को अमर कर दिया हैं हमेशा के लिए!
अजय भी उससे कसकर लिपट गया और बोला:" युवराज मेरा तो कर्तव्य ही यही है कि उदयगढ़ के लिए जान भी चली जाए तो अफसोस नहीं होगा!
युवराज:" ऐसा नही बोलते भाई! हम दोनो जरूरी वापिस आयेंगे ये जंग जीतकर!
अजय:" हान युवराज हम जरूर वापिस आयेंगे! आप मेरे आस पास ही रहकर युद्ध करना! ज्यादा दूर किसी भी हालत में मत जाना क्योंकि मेरे हाथ में ये पुरखो की जादुई तलवार होगी!
विक्रम ने उसकी भावना को समझते हुए प्यार से उसका हाथ चूम लिया और बोला:"
" मैं कोशिश करूंगा अजय! लेकिन आप मेरी फिक्र न करके दुश्मनों का सफाया करना क्योंकि मेरी रगों में भी राजपूतानी खून दौड़ता हैं!
उसके बाद दोनो ने प्यार से एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे ही अलग हुए तो विक्रम ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोला:" अजय वापिस आने के बाद आप मुझे युवराज नही भाई कहकर बोलना!
अजय की आंखो से आंसू निकल आए और दोनो उसके बाद सावधानी से अंधेरे का फायदा उठाकर पिंडालगढ़ की सीमा में दाखिल हो गए! शहर में कहीं कहीं हल्की मशाल की रोशनी फैली थी! पिंडारी रात को अक्सर पहरा नही देते थे क्योंकि उनके राज्य में कोई घुसने की हिम्मत नही करता था!
युवराज और अजय दोनो सावधानी से इधर उधर देखते हुए जा रहे थे! तभी पीछे से किसी की जोर की आवाज आई तो दोनो ने उस दिशा में देखा तो एक पिंडारी उधर ही आ रहा था और बोला:"
" तुम दोनो इधर क्या कर रहे हो? महाराज का आदेश हैं कि सबको आज सामूहिक रूप से चुदाई देखनी होगी क्योंकि महाराज आज ये संभोग भवन में साबित करना चाहते हैं कि उनके बड़ा पुरुष कोई नही हैं!
वो आदमी ध्यान से दोनो को देखने लगा लेकिन उसे थोड़ी थोड़ी इंसानी गंध मिली तो उसके कान खड़े हो गए और युवराज उसकी बात सुनकर हैरान सा हुआ लेकिन धीरे से अंधेरे की तरफ जाते हुए बोला:"
" हम भी वही जा रहे थे बस! आपसे एक बात पूछनी थी!
बस यही गलती हो गई जिसने उस आदमी के शक को यकीन में बदल दिया क्योंकि दोनो अभी संभोग भवन की उल्टी दिशा में जा रहे थे! खतरे को भांप कर पिंडारी ने अपनी तलवार को निकाल लिया और उनके करीब जाते हुए बोला:" कौन हो तुम दोनो ? यहां कैसे घुस आए हो?
विक्रम थोड़ा गुस्से से बोला:" हम भी पिंडारी हैं!
लेकिन उस आदमी ने तलवार का भरपूर वार किया और विक्रम ने बिजली की गति से अपनी तलवार निकालकर उसे बचाया और अजय ने मौके का फायदा उठाकर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए उसकी गर्दन को काट दिया तो बेचारा चींख भी नही सका और गिर पड़ा!
उसके बाद दोनो महल की दिशा में बढ़ गए और जल्दी ही महल के बाहर पहुंच गए तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि महल लोगो से पूरी तरह से भरा हुआ था और बेहद गंदी बदबू फैली हुई थी! सामने ही एक बड़े मैदान में एक औरत नंगी थी जिसे चार लोगो ने पकड़ा हुआ था और वो औरत बुरी तरह से कांपती हुई रो रही थी! औरत के पास ही पिंडाला खड़ा हुआ था बिलकुल नंगा और अपने लंड को मसल रहा था मानो जंग की तैयारी कर रहा हो! विक्रम और अजय के शरीर से उठती हुई इंसानी गंध लोगो के दिमाग में जा रही थी लेकिन चूंकि सामने एक औरत भी थी तो किसी का ध्यान उस तरफ ज्यादा नही गया!
विक्रम और अजय दोनो की नजरे मिली और दोनो ने ही आगे बढ़ने का फैसला किया! विक्रम आगे बढ़ा और अजय उसके पीछे पीछे धीरे धीरे दोनो भीड़ के अंत में पहुंच गए और यहां से कभी भी बंदी ग्रह तक पहुंच सकते थे। लेकिन विक्रम ने अपनी अजय को वही रुकने का इशारा किया!
पिंडाला औरत( शमा) की तरफ बढ़ा तो शमा का बदन कांप उठा और पिंडाला ने अपने लंड को उसकी गांड़ के छेद पर रख दिया तो शमा के बदन का रोम रोम थर्रा उठा और उसकी आंखे भर आई! वो जानती थी कि अब क्या होगा इसलिए पूरी ताकत से छूटने कि कोशिश करने लगी लेकिन चाहकर हिल भी नहीं सकी तो लगभग रोते हुए बोली:"
" नही नही! मेरे साथ ऐसा मत करो मैं मर जाउंगी! आपको अल्लाह का वास्ता!
लेकिन पिंडाला एक राक्षस था और उसे भला कहां परवाह होती और हंसते हुए बोला:"
" देख अगर बच गई तो पूरे पिंडलगढ़ पर राज करेगी! रानी बना दूंगा तुझे!
उसने जोर से धक्का लगाया और लंड शमा की गांड़ के छेद के चिथड़े उड़ाते हुए अंदर दाखिल हो गया और शमा दर्द से तड़प कर बेहोश होती चली गई! अजय और विक्रम का दिल ये देख कर रो पड़ा लेकिन उनका मकसद अभी वो कैद आदमी और शमा को बचाना था( बेचारो को क्या मालूम था कि शमा की ही चुदाई वो देख रहे थे! विक्रम ने अजय को इशारा किया और दोनो धीरे से महल के दूसरे हिस्से में पहुंच गए और गेट पर करीब चार सुरक्षा कर्मी तैनात थे तो थोड़ी देर तक जमकर मुक़ाबला हुआ लेकिन अंततः जीत विक्रम की ही हुई और दोनो कमरे मे घुस गए!
विक्रम ने आदमी को देखा और बोला:" आप चिंता न करे हम आपको बचाने के लिए आए हैं!
लेकिन शमा कहां मिलेगी?
आदमी की आंखे भर आई और बोला: ये जो दर्द भरी चींखें हम सुन रहे हैं वो शमा की हैं!
इतना कहकर विक्रम ने अजय को इशारा किया तो अजय ने कमरे की खिड़की से रस्सी बांधी और आदमी को लेकर धीरे से बाहर निकल गया! विक्रम अपनी आंखो में गुस्से की आंधी लिए हुए संभोग भवन की तरफ चल पड़ा ताकि सलमा को बचा सके लेकिन जैसे ही वहां पहुंचा तो देखा कि शमा की दोनो टांगे खून से सनी हुई थी और पिंडाला किसी जानवर की तरह उसकी फटी हुई गांड़ में धक्के लगा रहा था और शमा के जिस्म मे कोई हरकत नहीं हो रही थी तो पिंडाला को गुस्सा आ गया और उसने शमा की दोनो टांगो को पकड़ा और एक झटके के साथ उसके पूरे जिस्म को दो टुकड़ों में बांट दिया और शमा हमेशा के लिए शांत हो गई!
विक्रम ने ऐसा जुल्म देखा तो उसकी आंखे भर आई लेकिन अब वहां आ निकलने मे ही उसने भलाई समझी और आराम से बाहर निकल गया! बाहर अजय उसका ही इंतजार कर रहा था और विक्रम ने उसे जल्दी से वहां से निकलने के लिए इशारा किया और दोनो आदमी को साथ लेकर निकल पड़े! जैसे ही बॉर्डर पर पहुंचे तो सामने से कुछ पिंडारी नजर आए और एक बार फिर से युद्ध छिड़ गया! देखते ही देखते टकवारे लहरा उठी और शमा की दुर्दशा देखने के बाद उसकी आंखो से आग बरस रही थी और उसने पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट दिया लेकिन विक्रम को हाथ में तलवार लगी और खून निकल आया था!
दोनो बॉर्डर से बाहर निकल आए और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए! सुबह के करीब चार बजे दोनो उदयगढ़ पहुंच गए! विक्रम ने अजय को बूढ़े कैद पिंडारी को मारने के लिए भेज दिया और खुद आदमी को लेकर वैद्य जी के यहां चला गया!
वैद्य जी ने दरवाजा खोला तो विक्रम अंदर घुस गया वैद्य जी बोले:"
" क्या हुआ युवराज ? इतनी सुबह सुबह आप और ये साथ में कौन हैं आपके ?
विक्रम:" वैद्य जी ये हमारे खास मेहमान है! कुछ दिन आप इनकी देखभाल करेंगे और ये आपके साथ ही रहेंगे! किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि आपके घर में कौन रहता है!
वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! आपके हाथ से भी खून निकल रहा है! रुको मैं आपकी औषधि दे देता हूं!
वैद्य जी औषधि लेने चले गए तो वो आदमी बोला:"
" बेटा आप कौन हो और मुझे क्यों बचाया आपने ?
विक्रम:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु! आपको बचाने के लिए मुझे शमा की चिट्ठी मिली थी लेकिन अफसोस मै उसे नही बचा पाया ! आप अभी आराम कीजिए!
आदमी कुछ नही बोला और गहरी सोच में डूब गया! वैद्य जी ने विक्रम की पट्टी करी और विक्रम उसके बाद वहां से निकल गया और महल पहुंचा तो अजय भी पिंडारी को मारकर आ गया था! विक्रम ने उसके हाथो को चूम लिया और बोला:"
" अजय मेरे भाई अब आप आराम कीजिए!
अजय:" लेकिन दिन में राज्य की कार्यवाही और राजमाता की मीटिंग में शामिल होना जरूरी होगा मेरे लिए युवराज!
विक्रम उसे अपने साथ ले गया और उसे अपने साथ ही बेड पर लेटने के लिए कहा तो अजय बोला:" नही युवराज! आप आराम कीजिए मैं बाद में सो जाऊंगा!
विक्रम:" बहुत बहाने बनाते हो यार आप भी!
इतना कहकर युवराज ने अजय का हाथ पकड़ कर ऊपर खींच लिया और उसके बाद दोनो लेते हुए थे! दोनो बस जाबांज का ही इंतजार कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ सलमा और सीमा दोनो पूरी रात इबादत करती रही और रो रोकर उनकी आंखे लाल मिर्च गई थीं और जैसे जैसे सुबह होती जा रही थी तो दोनो का दिल बैठता जा रहा था!
सुबह हुई और सलमा ने दुआ मांगी और उसके बाद कांपते हाथों से एक खत लिखा और जाबांज को पैगाम लेकर उड़ा दिया! उड़ता हुआ जाबांज जैसे ही खिड़की पर बैठा तो विक्रम और अजय दोनो के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम ने चिट्ठी को निकाल लिया और पढ़ने लगा
" मेरे प्रियतम विक्रम
" आप और अजय दोनो सुरक्षित लौट आए होंगे ऐसा मेरा दिल कहता है! मैने और सीमा ने सारी रात आपके लिए इबादत और पूजा की हैं और मुझे यकीन हैं कि खुदा मुझे निराश नहीं करेंगे! आपको कुछ हुआ तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी!
विक्रम ने चिट्ठी को पढ़ा और उसकी आंखे भर आई! विक्रम ने सलमा को एक खत लिखा और जाबांज को वापिस फिर से उड़ा दिया! जाबांज को देखकर सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और जैसे ही उसने विक्रम की चिट्ठी पढ़ी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई
" सलमा मेरी शहजादी
" आप और सीमा की दुआ रंग लाई हैं! मैं और अजय सुरक्षित वापिस आ गए हैं! उन्हे हम अपने साथ ले आए हैं लेकिन शमा को नही बचाया जा सका! मेरा ऐसा यकीन है कि आज जब्बार राज्य में नही रहेगा! आप मौका देखकर आइए आज उदयगढ़!
सलमा मानो खुशी से पागल हो गई और बार बार सीमा को चूम रही थी! सीमा भी बेहद खुश थी और दोनो ने अब उदयगढ़ जाने का प्लान बनाया और दोनो राजमाता के पास पहुंच गई तो उनकी खुशी देखकर रजिया बोली:"
" क्या बात है बेटी आज बेहद खुश नजर आ रही हैं?
सलमा ने अपनी मां को गले लगा लिया और उनका मुंह चूम कर बोली:" खुशी तो इतनी बड़ी हैं कि हम संभाल नहीं पा रहे हैं खुद को अम्मी! आप भी सुनेगी तो यकीन नहीं कर पाएगी!
रजिया:" अच्छा जरा हमे भी तो बताओ ऐसा क्या हो गया है?
सलमा: जरुर अम्मी! बस आप आज हमारे साथ घूमने चलिए न! वो भी बिना किसी सुरक्षा के!
रजिया:" लेकिन बिना किसी सुरक्षा के तो बेहद खतरा होगा बेटी ये तो समझो!
सलमा:" ओह अम्मी कोई खतरा नहीं होगा! आप हम पर यकीन कीजिए!
रजिया:" ठीक हैं पहले राज्य की कार्यवाही खत्म होने दो! उसके बाद योजना बनाते हैं!
दूसरी तरफ पिंडालगढ़ में मातम पसरा हुआ था क्योंकि घर में घुसकर पहली बार किसी ने उन पर हमला किया था और उनका कैदी भी छुड़ा लिया था तो पिण्डाला ने ये खबर जब्बार तक पहुंचा दी तो जब्बार जैसे पागल हो गया और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था और ऐसा कैसे हो सकता है! जब्बार को अपना सब कुछ खत्म होता नज़र आया और मन किया कि अपनी जान दे दे लेकिन जब्बार ने खुद को संभाला और डरते डरते राज्य की कार्यवाही में पहुंच गया!
उसके चेहरे पर मौत का खौफ सलमा को साफ नजर आ रहा था और सलमा का दिल कर रहा था कि उसके सीने में छुरा उतार दे लेकिन शांत रही!
रजिया:" पिछले कुछ दिनो से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी रही है! जब्बार आपने अच्छा काम किया है!
जब्बार के होंठो पर फीकी सी मुस्कान आई और धीरे से बोला:"
" मेरा काम ही है सुल्तानपुर की सेवा करना!
रजिया:" क्या हुआ जब्बार आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है?
जब्बार को लगा कि जैसे किसी ने उसकी इज्जत लूट ली हो और बोला:" जी राजमाता, थोड़ी दिक्कत है मुझे!
रजिया:" ठीक हैं आप आराम कीजिए कुछ दिन!
जब्बार:" जैसी आपकी आज्ञा!
उसके थोड़ी देर बाद कार्यवाही खत्म हुई और जब्बार मौका देखकर राज्य से निकल गया और सीमा ने जैसे ही ये जानकारी सलमा को दी थी उसने भी रजिया के साथ जाने का प्लान किया और शाम को करीब चार बजे तीनो भेष बदलकर गुप्त दरवाजे से निकल गए! जाने से पहले रजिया ने दासियों से कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है तो उन्हे परेशान न किया जाए!
जैसे ही वो सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकले तो अजय बग्गी लिए खड़ा मिला और उसके बाद वो उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए और जैसे ही घुसने वाले थे तो रजिया बोली:"
" सलमा ये तो उदयगढ़ हैं! यहां जाना हमारे लिए सुरक्षित नहीं है! ये तो हमारे दुश्मन है और आपके अब्बा के कातिल!
सलमा:" अम्मी सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई या बताई जाती है! आप मुझ पर यकीन राखिए आप पूरी तरह से सुरक्षित है यहां! मैं पहले भी कई बार आ चुकी हूं यहां!
रजिया उसकी बात सुनकर खामोश हो गई और थोड़ी ही देर में वो वैद्य जी के घर पहुंचे तो विक्रम ने दरवाजा खोला और जैसे ही सलमा और विक्रम की नजरे मिली तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए!
सलमा ने रजिया का हाथ पकड़ा और विक्रम के पीछे चल पड़ी और सलमा बोली:"
" अम्मी आपको आज ऐसी खुशी मिलेगी कि दिल धड़कना बंद कर देगा आपका! दिल संभाल लीजिए आप अपना!
जैसे ही सभी कमरे मे घुसे और रजिया की नजर बेड पर लेटे हुए आदमी पर पड़ी तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! उसे लगा मानो वो कोई सपना देख रही है और पागलों की तरह दौड़कर उससे लिपट गई और रोते हुए बोली:"
" सुलतान आप जिंदा है! या मेरे खुदा तेरा करिश्मा!