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Incest शहजादी सलमा

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विक्रम नदी के किनारे सलमा का इंतजार कर रहा था और वही सलमा भी घोड़े पर सवार होकर निकल गई थी और उसके साथ सीमा और सपना दोनो थी! सीमा सलमा से बोली:"

" शहजादी क्या इस तरह से बिना सुरक्षा के हमारा घूमना सही हैं ?

सलमा:" मत भूलो कि तुम सलमा के साथ हो और फिर ये हमारा राज्य हैं जहां किसी की हिम्मत नहीं है कि आंख उठा कर हमे देख सके!

सपना:" लेकिन फिर भी अचानक से आप बिना सुरक्षा के ऐसे शाम के समय आ गई जरूर कोई तो बात जरूर होगी!

सलमा:" बात तो जरूर हैं सपना, दरअसल इस घोड़े का असली मालिक एक बार इससे मिलना चाहता हैं और उसकी सवारी करना चाहता है तो हमने भी उसे वादा कर दिया था! बस ये बात है

सीमा:" अच्छा अगर इतनी सी ही बात हैं तो फिर तो ठीक हैं शहजादी साहिबा!

विक्रम बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और थोड़ी ही देर बाद उसे घोड़ों की टापो की गूंज सुनाई पड़ी और और अगले ही उसकी आंखो के आगे पवन पर बैठी हुई सलमा नजर आई जिसके साथ सीमा और सपना दोनो थी और विक्रम के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और सलमा ने घोड़े की लगाम को धीरे धीरे खींच दिया और ठीक विक्रम के सामने आ गई और घोड़े से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच गई! सीमा और सपना ने अपना घोड़ा थोड़ा पीछे ही रोक दिया और आपस में बातें करने लगी ! सलमा ने हमेशा की तरह अपने मुंह पर नकाब लगाया हुआ था और ये नकाब सोने की लड़ियों से बना हुआ था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी और सबसे बड़ी बात नकाब की लड़ियों के उधर इधर हिलने से उसका चेहरा भी थोड़ा थोड़ा नजर आ रहा था जिसे विक्रम नजर भर कर देख रहा था!

सलमा ने घोड़े की लगाम को पकड़ा और विक्रम के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली:"


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" लीजिए विक्रम ये रहा आपका घोड़ा, जैसे चाहे सवारी कीजिए!

विक्रम ने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:"

" आपकी इस दरियादिली के लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे!

सलमा:" ठीक हैं बाते ही करते रहेंगे या इसकी सवारी भी करेंगे आप?

विक्रम घोड़े की पीठ पर सवार हो गया और बोला:"

" ठीक हैं आप रुकिए तब मैं थोड़ा आगे से घूम कर आता हु!

इतना कहकर विक्रम ने घोड़े को चलने का इशारा दिया और देखते ही देखते घोड़ा हवा से बाते करने लगा और सीमा और सपना अब सलमा के पास आ गई और बोली

" शहजादी ये विक्रम साहब हैं कौन? क्या आप इन्हे जानती है?

सलमा:" नही ये तो मैने कभी सोचा ही नहीं, बस इतना ही जानती हूं कि उसका घोड़ा मैने पकड़ लिया था और आज ये अपने घोड़े से मिलने के लिए आया हैं!

सपना:" अच्छा ही किया शहजादी! वैसे ही ज्यादा जान पहचान अच्छी नही होती खासतौर से जवान मर्दों के साथ!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कुराई और बोली:"

" तुम भी ना बस सपना, जब देखो उल्टी सीधी बात करती रहती हो!

सीमा:" सपना तुम्हे कितनी बार कहा है कि शहजादी को मत परेशान किया करो!

सपना:" लो जी कर लो बात, अब भला इसमें मैने क्या गलत कह दिया! शहजादी के भले के लिए हो तो कहा हैं!

उनकी बाते चल ही रही थी कि तभी उत्तर दिशा से अचानक कुछ घुड़सवार तेजी से आए और देखते ही देखते उन्हे घेर लिया! सलमा समझ गई कि वो खतरे में पड़ गई हैं और उसने सीमा और सपना को इशारा किया और देखते ही देखते उनके हाथो मे तलवार नजर आई और नदी का खाली पड़ा हुआ मैदान युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया! सलमा ने अपनी तलवार को मयान से बाहर निकाला और दुश्मनों पर टूट पड़ी!


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सलमा और उसकी सहेलियां बेहद बहादुरी से लड़ रही थी लेकिन देखते ही देखते दुश्मनों की संख्या बढ़ गई और और सपना और सीमा दोनो घायल हो गई और आखिर सलमा को पकड़ लिया गया और कुछ आदमी उसे घसीटते हुए एक घोड़ा बग्गी की तरफ ले चले जिसमे उनका सरदार बैठा हुआ था! युद्ध करते हुए सलमा का नकाब खुल गया था और उसकी खूबसूरती अपने शबाब पर थी और उसे देखते ही सरदार बोला:"

" क्या अद्भुत सुंदर राजकुमारी हाथ लगी हैं! सच में लगता हैं जैसे कोई हूर जन्नत से उतर आई है इसके रूप में! उठा लो इन्हे और डाल तो रथ में पीछे हाथ पैर बांधकर इनके!

सलमा जानती थी कि अगर वो और उसकी सहेली इन काबिलाई लोगो के हाथ लग गई तो जिंदगी मौत से बदतर हो जायेगी! वो मदद के लिए इधर उधर देख रही थी लेकिन दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था! तभी तीन चार आदमी उसे उठाने के लिए आगे बढ़े और तभी एक सर्रर के आवाज के साथ तीर आया और रथ पर बैठे हुए सरदार की छाती में घुस गया और उसके मुंह से दर्द भरी चींख निकली और जमीन पर गिर पड़ा! सलमा ने देखा कि सामने घोड़े पर सवार विक्रम तेजी से उधर ही आ रहा था जिसके हाथ में तीर कमान था!


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देखते ही देखते उसने कुछ तीर और चलाए और कुछ और दुश्मन मौत के घाट उतर गए! मौके की नजाकत को देखते हुए सलमा ने अपने पास पड़ी हुई एक तलवार को उठा लिया और दुश्मनों पर टूट पड़ी! विक्रम और सलमा के साथ साथ अब सपना और सीमा भी मैदान में कूद पड़ी और देखते ही देखते दुश्मनों की लाश के ढेर लगने लगे! विक्रम पूरी ताकत और बहादुरी से लड़ रहा था और सलमा लड़ते लड़ते भी उस पर ध्यान रख रही थी! तभी विक्रम पर एक आदमी ने वार किया और विक्रम ने अपनी डाल पर उसे रोक लिया और उसकी तलवार बिजली की गति से लहराई और उस दुश्मन की गर्दन जमीन पर गिर पड़ी! विक्रम की तलवार अब जादुई रफ्तार से चल रही थी और एक के बाद एक दुश्मन हलाक होते चले जा रहे थे!

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विक्रम का ऐसा रौद्र रुप देखकर बचे हुए दुश्मन भाग खड़े हुए और सलमा ने सुकून की सांस ली! वो विक्रम की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी विक्रम के पास पड़े हुए एक सैनिक ने तलवार का वार विक्रम पर किया और उसके पैर से खून की धार बह निकली और सलमा ने तेजी से तलवार का वार किया और उस सैनिक की गर्दन उड़ा दी! विक्रम दर्द के मारे नीचे जमीन पर बैठ गया और सलमा बोली:"

" सपना सीमा जल्दी से पानी लेकर आओ!

दोनो नदी की तरफ दौड़ गई और सलमा ने अपने दुपट्टे को फाड़कर उसके पैर पर लपेट दिया और उसका जख्मी पैर देखकर बोली:"

" मेरे लिए खुद को खतरे में डालने की जरूरत क्या थी?

विक्रम बेशक दर्द से कराह रहा था लेकिन उसके माथे पर दर्द की एक लकीर तक नहीं थी और बोला:"

" शहजादी आप मेरे बुलावे पर यहां आई थी और आपकी हिफाजत करना मेरा फर्ज था!

ना चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोली:"

" मेरी वजह से आपका ये हाल हो गया है! मुझे माफ कर दीजिए आप खुदा के लिए!

इतना कहकर उसने उसने अपने दोनो हाथो को अपने मुंह पर रख लिया और रो पड़ी!


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सलमा के आंसू देखकर विक्रम बोला:" शहजादी सलमा आप रोते हुए बेहद बुरी लगती हैं, आप जैसी हसीना की आंखो में आंसू अच्छे नहीं लगते!

विक्रम की बात सुनकर सुनकर सलमा को अपने बेनकाब होने का एहसास हुआ और वो अपना हिजाब ठीक करने लगी तो विक्रम में उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" हम और और जुल्म मत कीजिए शहजादी! आपका ये खूबसूरत चेहरा देखकर मुझे दर्द में भी सुकून मिल रहा है!

किसी जवान मर्द ने पहली और उसकी तारीफ करी थी और शहजादी सलमा अपनी नाजुक कलाई पर विक्रम के कठोर उंगलियों का एहसास महसूस करके बेचैन हो उठी और और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हमारा हाथ छोड़िए विक्रम! ये ठीक नहीं है!

विक्रम ने उसका हाथ हाथ नही छोड़ा और उसकी तरफ देखता रहा तो शहजादी कसमसा उठी और बोली:"

" हम पर ऐसा जुल्म मत कीजिए विक्रम! कोई देख लेगा तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नही रहेंगे!

इतना कहकर सलमा पूरी ताकत से अपना हाथ पीछे खींचने लगी लेकिन विक्रम की ताकत के आगे उसकी एक न चली और और विक्रम बोला:"

" हमे यूं न तड़पाए सलमा! कोई नही देखा रहा और वैसे भी आपके बदनाम होने से पहले हम मौत को गले लगाना पसंद करेंगे!

उसकी बात सुनकर सलमा ने अपने दूसरे हाथ की उंगली को उसके होंठो पर रख दिया मानो उसकी बात से नाराज हो और कुछ नही बोली! तभी दूर से उसे सपना और सीमा आती हुई दिखाई दी तो सलमा कांप उठी और बोली:"

" खुदा के लिए अब रहम कीजिए! वो दोनो आ रही हैं अगर हमें देख लिया तो गजब हो जायेगा!

विक्रम:" ठीक हैं छोड़ दूंगा लेकिन वादा कीजिए आप कल हमसे यही फिर मिलने आएंगी!

सलमा उसकी तरफ देखकर कसमसा उठी और आंखे दिखाते हुए बोली:"

" आप पहले आराम कीजिए एक हफ्ता! आज ही के दिन मै आपका इंतजार करूंगी यही तब तक आपके जख्म भी ठीक हो जाएंगे!

विक्रम:" हमे ऐसे न तड़पाए! एक हफ्ता हम आपके बिना नहीं जी पायेंगे! आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम राजमहल में ही आपसे मिलने आयेंगे!

सलमा:" ऐसा गजब मत करना! पकड़े गए तो मारे जाओगे! महल में हर बार घुसना आसान नही होगा !

विक्रम:" उसकी बात आप चिंता मत करो! मैं खुद जा जाऊंगा!

सलमा:" मैं आज के ही दिन शाम को सात बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी और वहां कोई सैनिक भी नही होगा!

विक्रम:" ये तो बहुत अच्छी बात हैं! मैं जरूर आऊंगा शहजादी!

तभी सपना और सीमा पास आने वाली थी तो सलमा बोली:"

" ठीक है मैं इंतजार करूंगी! लेकिन खुदा के लिए अभी मेरा हाथ छोड़ दीजिए! उन्होंने देख दिया तो गजब जायेगा!

विक्रम थोड़ा सा आगे को झुका और सलमा का हाथ चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसका हाथ छोड़ दिया और सलमा अपना नकाब ठीक करते हुए उसे गुस्से से देख रही थी और तभी सीमा और सपना आ गई और सलमा ने विक्रम के जख्म को पानी से धो दिया और उसके बाद पट्टी करी और बोली:"

" विक्रम अब हमे इजाजत दीजिए! राजमहल में हम नही पहुंचे तो दिक्कत हो जाएगी!

इतना कहकर सलमा खड़ी हुई और घोड़े पर सवार होने लगी तो सीमा और सपना विक्रम से बोली:"

" हमारी जान बचाने के लिए आपका शुक्रिया! आप बेहद ताकतवर और बहादुर है!

उसके बाद सपना और सीमा भी अपने घोड़े पर सवार होने लगी और उन दोनों की बात सुनकर सलमा को उन पर गुस्सा आ रहा था लेकिन कुछ नही बोली और देखते ही देखते सीमा और सपना अपने घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ गई और सलमा वही खड़ी हुई अब भी विक्रम को देख रही थी! मुंह पर नकाब लगाए हुए अपनी मदभरी मस्तानी आंखो से लगातार विक्रम को देख रही थी, सलमा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और उसकी बड़ी बड़ी काली गोल आंखे मानो विक्रम पर कयामत बनकर टूट रही थी!


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विक्रम भी बिना पलके झुकाए उसे ही देख रहा था और धीरे से बोला:"

" जाना जरूरी है क्या शहजादी?

सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" मेरी मजबूरी है विक्रम!

विक्रम:" आप मेरी जान लेकर रहोगी शहजादी! अच्छा जाने से पहले एक बार अपना अपना खूबसूरत चांद सा चेहरा मुंह दिखा दीजिए! आपको मेरी कसम हैं शहजादी!

सलमा अपना हाथ अपने नकाब पर ले गई और उसे खोल दिया जिससे एक बार फिर से उसका खूबसूरत चांद सा रोशन चेहरा पूरी तरह से बेपर्दा हो गया


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नकाब के हटते ही ऐसा लगा जैसे चांद बादलों के बीच से निकल आया हो और विक्रम अपने होश खो बैठा और बोला:"

" अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय रूप से सुंदर हो आप सलमा!

सलमा ने फिर से अपना नकाब लगाया और विक्रम की आंखे में देखते हुए अपने घोड़े को आगे बढ़ा दिया और देखते ही देखते विक्रम की आंखो से ओझल होती चली गई! विक्रम उसे तक तक देखता रहा जब तक वो दिखती रही और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर अपने राज्य वापिस लौट गया और सीधे वैद्य के पास गया और वैद्य उसका जख्म देखकर परेशान हुए और बोले:"

" अपना ध्यान रखा कीजिए आप युवराज! मैने इलाज कर दिया है तो तीन चार दिन के अंदर आपका जख्म पूरी तरह से भर जायेगा!

विक्रम:" आपका बहुत बहुत धन्यवाद वैद्य जी! लेकिन ध्यान रखना इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मुझे चोट लगी हुई हैं!

वैद्य ने उससे वादा किया और विक्रम महल की तरफ लौट आया और उसकी आंखो के आगे अभी भी सलमा का खूबसूरत चेहरा घूम रहा था!

वहीं दूसरी तरफ सलमा सीमा और सपना के पास पहुंच गई और बोली:"

" आज जो हुआ उसका महल में किसी को पता नहीं चलना चाहिए नही तो दिक्कत होगी!

सीमा:" आप फिकर ना करे राजकुमारी लेकिन वो तो भला हो उस बेचारे राजकुमार का नही तो पता नहीं क्या गजब हो जाता!

सपना:" सच में उसने जी आज हम सबको बचाया है! जितना बहादुर है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत हैं! ऐसे राजुकमार पर तो कोई भी सुंदरी मर मिटे!

सलमा उनकी बाते सुन कर मन ही मन खुश हो रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो राज के अंदर घुस गए और दोनो अपने घर लौट गई और सलमा राजमहल में चली गई जहां उसकी अम्मी रजिया उसके लिए परेशान हो रही थी और सलमा को देखकर उन्होंने चैन की सांस ली और बोली:"

" कहां चली गई थी आप बिना बताए ? आपको एहसास है कि मुझे आपकी कितनी चिंता हो रही थी?

सलमा:" हम बस थोड़ा घूमने के लिए निकल गए थे! हमे माफ कर दीजिए अम्मी आगे से ऐसी गलती नहीं होगी!

रजिया ने उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली

" कहीं भी जाओ बस बता कर जाया करो! चलो जल्दी से नहाकर आ जाओ फिर भी खाना खायेंगे!

सलमा बहाने के बाद खाने kr दस्तर खान पर बैठ गई लेकिन उसका मन तो कहीं और ही लगा हुआ था और अनमने ढंग से थोड़ा कुछ खाया तो रजिया उससे बोली:

"क्या हुआ शहजादी, आपकी तबियत तो ठीक है ना ?

सलमा:" हां अम्मी, बस आज ज्यादा भूख नही है, अच्छा हम सोने के लिए चलते हैं!

इतना कहकर वो अपने कक्ष की और चल पड़ी और बेड पर लेट गई और विक्रम के बारे में ही सोचने लगी कि सच में वो कितना अच्छा इंसान हैं और कितना प्यारा भी! सलमा को लगा कि उसे उसके बारे में ज्यादा नही सोचना चाहिए क्योंकि ये गलत है! लेकिन जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो कैसे मेरा रोम रोम कांप उठा और उसका हाथ कितना ज्यादा कठोर था! ये सब सोचकर सलमा ने अपनी आंखे बंद ली और तभी उसे एक पल का एहसास हुआ जब विक्रम ने उसके हाथ को चूमा था तो सलमा की सांसे तेज हो गई और उसने उसने अपने हाथ को वही पर चूम लिया जहां विक्रम के होंठो ने उसे छुआ था और ऐसा करते ही सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी " आह्ह्ह विक्रम!!

सलमा को महसूस हो रहा था कि विक्रम के गर्म दहकते हुए होंठो पर का एहसास उसे अभी भी अपने हाथ पर हो रहा था और उत्तेजना में सलमा की नाजुक नर्म, गर्म पतली रसीली जीभ बाहर निकली और उस जगह को चूसने लगीं और जोर से अपनी जांघो को एक दूसरे से कस लिया और उसकी चूचियां इस कदर उछल रही थी मानो बाहर निकल आने के लिए लिए फड़फड़ा रही थी! सलमा ने बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाया और जैसे तैसे करके सोने की कोशिश करने लगी!!

वही दूसरी तरफ विक्रम की हालत भी सलमा से कुछ जुदा नहीं थी! बड़ी मुश्किल से थोड़ा सा खाना खाया और अपने कक्ष में आराम करने लगा और वो एक पल के लिए भी सलमा को नही भूल पा रहा था!

वही दूसरी तरफ राजमाता ने अजय को बताया था कि जल्दी ही एक शुभ अवसर पर राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके हवाले कर दी जाएगी! आज वो जाकर अपनी मां को ये बात बताए ताकि उसकी मां उसे इस प्रथा और जिम्मेदारी के लिए बता सके! अजय राजमाता के पैर छूकर अपने घर की तरफ चल पड़ा जहां उसकी माता मेनका उसका इंतजार कर रही थी!
 
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Motaland2468

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विक्रम नदी के किनारे सलमा का इंतजार कर रहा था और वही सलमा भी घोड़े पर सवार होकर निकल गई थी और उसके साथ सीमा और सपना दोनो थी! सीमा सलमा से बोली:"

" शहजादी क्या इस तरह से बिना सुरक्षा के हमारा घूमना सही हैं ?

सलमा:" मत भूलो कि तुम सलमा के साथ हो और फिर ये हमारा राज्य हैं जहां किसी की हिम्मत नहीं है कि आंख उठा कर हमे देख सके!

सपना:" लेकिन फिर भी अचानक से आप बिना सुरक्षा के ऐसे शाम के समय आ गई जरूर कोई तो बात जरूर होगी!

सलमा:" बात तो जरूर हैं सपना, दरअसल इस घोड़े का असली मालिक एक बार इससे मिलना चाहता हैं और उसकी सवारी करना चाहता है तो हमने भी उसे वादा कर दिया था! बस ये बात है

सीमा:" अच्छा अगर इतनी सी ही बात हैं तो फिर तो ठीक हैं शहजादी साहिबा!

विक्रम बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और थोड़ी ही देर बाद उसे घोड़ों की टापो की गूंज सुनाई पड़ी और और अगले ही उसकी आंखो के आगे पवन पर बैठी हुई सलमा नजर आई जिसके साथ सीमा और सपना दोनो थी और विक्रम के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और सलमा ने घोड़े की लगाम को धीरे धीरे खींच दिया और ठीक विक्रम के सामने आ गई और घोड़े से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच गई! सीमा और सपना ने अपना घोड़ा थोड़ा पीछे ही रोक दिया और आपस में बातें करने लगी ! सलमा ने हमेशा की तरह अपने मुंह पर नकाब लगाया हुआ था और ये नकाब सोने की लड़ियों से बना हुआ था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी और सबसे बड़ी बात नकाब की लड़ियों के उधर इधर हिलने से उसका चेहरा भी थोड़ा थोड़ा नजर आ रहा था जिसे विक्रम नजर भर कर देख रहा था!

सलमा ने घोड़े की लगाम को पकड़ा और विक्रम के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली:"


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" लीजिए विक्रम ये रहा आपका घोड़ा, जैसे चाहे सवारी कीजिए!

विक्रम ने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:"

" आपकी इस दरियादिली के लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे!

सलमा:" ठीक हैं बाते ही करते रहेंगे या इसकी सवारी भी करेंगे आप?

विक्रम घोड़े की पीठ पर सवार हो गया और बोला:"

" ठीक हैं आप रुकिए तब मैं थोड़ा आगे से घूम कर आता हु!

इतना कहकर विक्रम ने घोड़े को चलने का इशारा दिया और देखते ही देखते घोड़ा हवा से बाते करने लगा और सीमा और सपना अब सलमा के पास आ गई और बोली

" शहजादी ये विक्रम साहब हैं कौन? क्या आप इन्हे जानती है?

सलमा:" नही ये तो मैने कभी सोचा ही नहीं, बस इतना ही जानती हूं कि उसका घोड़ा मैने पकड़ लिया था और आज ये अपने घोड़े से मिलने के लिए आया हैं!

सपना:" अच्छा ही किया शहजादी! वैसे ही ज्यादा जान पहचान अच्छी नही होती खासतौर से जवान मर्दों के साथ!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कुराई और बोली:"

" तुम भी ना बस सपना, जब देखो उल्टी सीधी बात करती रहती हो!

सीमा:" सपना तुम्हे कितनी बार कहा है कि शहजादी को मत परेशान किया करो!

सपना:" लो जी कर लो बात, अब भला इसमें मैने क्या गलत कह दिया! शहजादी के भले के लिए हो तो कहा हैं!

उनकी बाते चल ही रही थी कि तभी उत्तर दिशा से अचानक कुछ घुड़सवार तेजी से आए और देखते ही देखते उन्हे घेर लिया! सलमा समझ गई कि वो खतरे में पड़ गई हैं और उसने सीमा और सपना को इशारा किया और देखते ही देखते उनके हाथो मे तलवार नजर आई और नदी का खाली पड़ा हुआ मैदान युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया! सलमा ने अपनी तलवार को मयान से बाहर निकाला और दुश्मनों पर टूट पड़ी!


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सलमा और उसकी सहेलियां बेहद बहादुरी से लड़ रही थी लेकिन देखते ही देखते दुश्मनों की संख्या बढ़ गई और और सपना और सीमा दोनो घायल हो गई और आखिर सलमा को पकड़ लिया गया और कुछ आदमी उसे घसीटते हुए एक घोड़ा बग्गी की तरफ ले चले जिसमे उनका सरदार बैठा हुआ था! युद्ध करते हुए सलमा का नकाब खुल गया था और उसकी खूबसूरती अपने शबाब पर थी और उसे देखते ही सरदार बोला:"

" क्या अद्भुत सुंदर राजकुमारी हाथ लगी हैं! सच में लगता हैं जैसे कोई हूर जन्नत से उतर आई है इसके रूप में! उठा लो इन्हे और डाल तो रथ में पीछे हाथ पैर बांधकर इनके!

सलमा जानती थी कि अगर वो और उसकी सहेली इन काबिलाई लोगो के हाथ लग गई तो जिंदगी मौत से बदतर हो जायेगी! वो मदद के लिए इधर उधर देख रही थी लेकिन दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था! तभी तीन चार आदमी उसे उठाने के लिए आगे बढ़े और तभी एक सर्रर के आवाज के साथ तीर आया और रथ पर बैठे हुए सरदार की छाती में घुस गया और उसके मुंह से दर्द भरी चींख निकली और जमीन पर गिर पड़ा! सलमा ने देखा कि सामने घोड़े पर सवार विक्रम तेजी से उधर ही आ रहा था जिसके हाथ में तीर कमान था!


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देखते ही देखते उसने कुछ तीर और चलाए और कुछ और दुश्मन मौत के घाट उतर गए! मौके की नजाकत को देखते हुए सलमा ने अपने पास पड़ी हुई एक तलवार को उठा लिया और दुश्मनों पर टूट पड़ी! विक्रम और सलमा के साथ साथ अब सपना और सीमा भी मैदान में कूद पड़ी और देखते ही देखते दुश्मनों की लाश के ढेर लगने लगे! विक्रम पूरी ताकत और बहादुरी से लड़ रहा था और सलमा लड़ते लड़ते भी उस पर ध्यान रख रही थी! तभी विक्रम पर एक आदमी ने वार किया और विक्रम ने अपनी डाल पर उसे रोक लिया और उसकी तलवार बिजली की गति से लहराई और उस दुश्मन की गर्दन जमीन पर गिर पड़ी! विक्रम की तलवार अब जादुई रफ्तार से चल रही थी और एक के बाद एक दुश्मन हलाक होते चले जा रहे थे!

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विक्रम का ऐसा रौद्र रुप देखकर बचे हुए दुश्मन भाग खड़े हुए और सलमा ने सुकून की सांस ली! वो विक्रम की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी विक्रम के पास पड़े हुए एक सैनिक ने तलवार का वार विक्रम पर किया और उसके पैर से खून की धार बह निकली और सलमा ने तेजी से तलवार का वार किया और उस सैनिक की गर्दन उड़ा दी! विक्रम दर्द के मारे नीचे जमीन पर बैठ गया और सलमा बोली:"

" सपना सीमा जल्दी से पानी लेकर आओ!

दोनो नदी की तरफ दौड़ गई और सलमा ने अपने दुपट्टे को फाड़कर उसके पैर पर लपेट दिया और उसका जख्मी पैर देखकर बोली:"

" मेरे लिए खुद को खतरे में डालने की जरूरत क्या थी?

विक्रम बेशक दर्द से कराह रहा था लेकिन उसके माथे पर दर्द की एक लकीर तक नहीं थी और बोला:"

" शहजादी आप मेरे बुलावे पर यहां आई थी और आपकी हिफाजत करना मेरा फर्ज था!

ना चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोली:"

" मेरी वजह से आपका ये हाल हो गया है! मुझे माफ कर दीजिए आप खुदा के लिए!

इतना कहकर उसने उसने अपने दोनो हाथो को अपने मुंह पर रख लिया और रो पड़ी!


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सलमा के आंसू देखकर विक्रम बोला:" शहजादी सलमा आप रोते हुए बेहद बुरी लगती हैं, आप जैसी हसीना की आंखो में आंसू अच्छे नहीं लगते!

विक्रम की बात सुनकर सुनकर सलमा को अपने बेनकाब होने का एहसास हुआ और वो अपना हिजाब ठीक करने लगी तो विक्रम में उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" हम और और जुल्म मत कीजिए शहजादी! आपका ये खूबसूरत चेहरा देखकर मुझे दर्द में भी सुकून मिल रहा है!

किसी जवान मर्द ने पहली और उसकी तारीफ करी थी और शहजादी सलमा अपनी नाजुक कलाई पर विक्रम के कठोर उंगलियों का एहसास महसूस करके बेचैन हो उठी और और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हमारा हाथ छोड़िए विक्रम! ये ठीक नहीं है!

विक्रम ने उसका हाथ हाथ नही छोड़ा और उसकी तरफ देखता रहा तो शहजादी कसमसा उठी और बोली:"

" हम पर ऐसा जुल्म मत कीजिए विक्रम! कोई देख लेगा तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नही रहेंगे!

इतना कहकर सलमा पूरी ताकत से अपना हाथ पीछे खींचने लगी लेकिन विक्रम की ताकत के आगे उसकी एक न चली और और विक्रम बोला:"

" हमे यूं न तड़पाए सलमा! कोई नही देखा रहा और वैसे भी आपके बदनाम होने से पहले हम मौत को गले लगाना पसंद करेंगे!

उसकी बात सुनकर सलमा ने अपने दूसरे हाथ की उंगली को उसके होंठो पर रख दिया मानो उसकी बात से नाराज हो और कुछ नही बोली! तभी दूर से उसे सपना और सीमा आती हुई दिखाई दी तो सलमा कांप उठी और बोली:"

" खुदा के लिए अब रहम कीजिए! वो दोनो आ रही हैं अगर हमें देख लिया तो गजब हो जायेगा!

विक्रम:" ठीक हैं छोड़ दूंगा लेकिन वादा कीजिए आप कल हमसे यही फिर मिलने आएंगी!

सलमा उसकी तरफ देखकर कसमसा उठी और आंखे दिखाते हुए बोली:"

" आप पहले आराम कीजिए एक हफ्ता! आज ही के दिन मै आपका इंतजार करूंगी यही तब तक आपके जख्म भी ठीक हो जाएंगे!

विक्रम:" हमे ऐसे न तड़पाए! एक हफ्ता हम आपके बिना नहीं जी पायेंगे! आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम राजमहल में ही आपसे मिलने आयेंगे!

सलमा:" ऐसा गजब मत करना! पकड़े गए तो मारे जाओगे! महल में हर बार घुसना आसान नही होगा !

विक्रम:" उसकी बात आप चिंता मत करो! मैं खुद जा जाऊंगा!

सलमा:" मैं आज के ही दिन शाम को सात बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी और वहां कोई सैनिक भी नही होगा!

विक्रम:" ये तो बहुत अच्छी बात हैं! मैं जरूर आऊंगा शहजादी!

तभी सपना और सीमा पास आने वाली थी तो सलमा बोली:"

" ठीक है मैं इंतजार करूंगी! लेकिन खुदा के लिए अभी मेरा हाथ छोड़ दीजिए! उन्होंने देख दिया तो गजब जायेगा!

विक्रम थोड़ा सा आगे को झुका और सलमा का हाथ चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसका हाथ छोड़ दिया और सलमा अपना नकाब ठीक करते हुए उसे गुस्से से देख रही थी और तभी सीमा और सपना आ गई और सलमा ने विक्रम के जख्म को पानी से धो दिया और उसके बाद पट्टी करी और बोली:"

" विक्रम अब हमे इजाजत दीजिए! राजमहल में हम नही पहुंचे तो दिक्कत हो जाएगी!

इतना कहकर सलमा खड़ी हुई और घोड़े पर सवार होने लगी तो सीमा और सपना विक्रम से बोली:"

" हमारी जान बचाने के लिए आपका शुक्रिया! आप बेहद ताकतवर और बहादुर है!

उसके बाद सपना और सीमा भी अपने घोड़े पर सवार होने लगी और उन दोनों की बात सुनकर सलमा को उन पर गुस्सा आ रहा था लेकिन कुछ नही बोली और देखते ही देखते सीमा और सपना अपने घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ गई और सलमा वही खड़ी हुई अब भी विक्रम को देख रही थी! मुंह पर नकाब लगाए हुए अपनी मदभरी मस्तानी आंखो से लगातार विक्रम को देख रही थी, सलमा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और उसकी बड़ी बड़ी काली गोल आंखे मानो विक्रम पर कयामत बनकर टूट रही थी!


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विक्रम भी बिना पलके झुकाए उसे ही देख रहा था और धीरे से बोला:"

" जाना जरूरी है क्या शहजादी?

सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" मेरी मजबूरी है विक्रम!

विक्रम:" आप मेरी जान लेकर रहोगी शहजादी! अच्छा जाने से पहले एक बार अपना अपना खूबसूरत चांद सा चेहरा मुंह दिखा दीजिए! आपको मेरी कसम हैं शहजादी!

सलमा अपना हाथ अपने नकाब पर ले गई और उसे खोल दिया जिससे एक बार फिर से उसका खूबसूरत चांद सा रोशन चेहरा पूरी तरह से बेपर्दा हो गया


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नकाब के हटते ही ऐसा लगा जैसे चांद बादलों के बीच से निकल आया हो और विक्रम अपने होश खो बैठा और बोला:"

" अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय रूप से सुंदर हो आप सलमा!

सलमा ने फिर से अपना नकाब लगाया और विक्रम की आंखे में देखते हुए अपने घोड़े को आगे बढ़ा दिया और देखते ही देखते विक्रम की आंखो से ओझल होती चली गई! विक्रम उसे तक तक देखता रहा जब तक वो दिखती रही और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर अपने राज्य वापिस लौट गया और सीधे वैद्य के पास गया और वैद्य उसका जख्म देखकर परेशान हुए और बोले:"

" अपना ध्यान रखा कीजिए आप युवराज! मैने इलाज कर दिया है तो तीन चार दिन के अंदर आपका जख्म पूरी तरह से भर जायेगा!

विक्रम:" आपका बहुत बहुत धन्यवाद वैद्य जी! लेकिन ध्यान रखना इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मुझे चोट लगी हुई हैं!

वैद्य ने उससे वादा किया और विक्रम महल की तरफ लौट आया और उसकी आंखो के आगे अभी भी सलमा का खूबसूरत चेहरा घूम रहा था!

वहीं दूसरी तरफ सलमा सीमा और सपना के पास पहुंच गई और बोली:"

" आज जो हुआ उसका महल में किसी को पता नहीं चलना चाहिए नही तो दिक्कत होगी!

सीमा:" आप फिकर ना करे राजकुमारी लेकिन वो तो भला हो उस बेचारे राजकुमार का नही तो पता नहीं क्या गजब हो जाता!

सपना:" सच में उसने जी आज हम सबको बचाया है! जितना बहादुर है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत हैं! ऐसे राजुकमार पर तो कोई भी सुंदरी मर मिटे!

सलमा उनकी बाते सुन कर मन ही मन खुश हो रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो राज के अंदर घुस गए और दोनो अपने घर लौट गई और सलमा राजमहल में चली गई जहां उसकी अम्मी रजिया उसके लिए परेशान हो रही थी और सलमा को देखकर उन्होंने चैन की सांस ली और बोली:"

" कहां चली गई थी आप बिना बताए ? आपको एहसास है कि मुझे आपकी कितनी चिंता हो रही थी?

सलमा:" हम बस थोड़ा घूमने के लिए निकल गए थे! हमे माफ कर दीजिए अम्मी आगे से ऐसी गलती नहीं होगी!

रजिया ने उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली

" कहीं भी जाओ बस बता कर जाया करो! चलो जल्दी से नहाकर आ जाओ फिर भी खाना खायेंगे!

सलमा बहाने के बाद खाने kr दस्तर खान पर बैठ गई लेकिन उसका मन तो कहीं और ही लगा हुआ था और अनमने ढंग से थोड़ा कुछ खाया तो रजिया उससे बोली:

"क्या हुआ शहजादी, आपकी तबियत तो ठीक है ना ?

सलमा:" हां अम्मी, बस आज ज्यादा भूख नही है, अच्छा हम सोने के लिए चलते हैं!

इतना कहकर वो अपने कक्ष की और चल पड़ी और बेड पर लेट गई और विक्रम के बारे में ही सोचने लगी कि सच में वो कितना अच्छा इंसान हैं और कितना प्यारा भी! सलमा को लगा कि उसे उसके बारे में ज्यादा नही सोचना चाहिए क्योंकि ये गलत है! लेकिन जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो कैसे मेरा रोम रोम कांप उठा और उसका हाथ कितना ज्यादा कठोर था! ये सब सोचकर सलमा ने अपनी आंखे बंद ली और तभी उसे एक पल का एहसास हुआ जब विक्रम ने उसके हाथ को चूमा था तो सलमा की सांसे तेज हो गई और उसने उसने अपने हाथ को वही पर चूम लिया जहां विक्रम के होंठो ने उसे छुआ था और ऐसा करते ही सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी " आह्ह्ह विक्रम!!

सलमा को महसूस हो रहा था कि विक्रम के गर्म दहकते हुए होंठो पर का एहसास उसे अभी भी अपने हाथ पर हो रहा था और उत्तेजना में सलमा की नाजुक नर्म, गर्म पतली रसीली जीभ बाहर निकली और उस जगह को चूसने लगीं और जोर से अपनी जांघो को एक दूसरे से कस लिया और उसकी चूचियां इस कदर उछल रही थी मानो बाहर निकल आने के लिए लिए फड़फड़ा रही थी! सलमा ने बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाया और जैसे तैसे करके सोने की कोशिश करने लगी!!

वही दूसरी तरफ विक्रम की हालत भी सलमा से कुछ जुदा नहीं थी! बड़ी मुश्किल से थोड़ा सा खाना खाया और अपने कक्ष में आराम करने लगा और वो एक पल के लिए भी सलमा को नही भूल पा रहा था!

वही दूसरी तरफ राजमाता ने अजय को बताया था कि जल्दी ही एक शुभ अवसर पर राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके हवाले कर दी जाएगी! आज वो जाकर अपनी मां को ये बात बताए ताकि उसकी मां उसे इस प्रथा और जिम्मेदारी के लिए बता सके! अजय राजमाता के पैर छूकर अपने घर की तरफ चल पड़ा जहां उसकी माता मेनका उसका इंतजार कर रही थी!
Gajab update unique star bhai
 

भूरेलाल

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Likhte rahiye janab, padhkar maja aata h
भाई इस कहानी में अजय को बाईसेक्सुअल बनाना जो राजकुमार विक्रम का लन्ड भी चूसता हो और राजमाता की चुदाई भी करता हो और सेनापति जब्बार भी बीच बीच में सलमा को रगड़ता रहे और उसकी अम्मी और सहेलियों को जबरदस्ती चोदे सलमा को तड़पाने के लिए, सलमा ऐसे तो अच्छी हो लेकिन मौका पड़ने पर अपने भाई के लन्ड से भी खेलना जानती हो राज्य पर पकड़ बनाने के लिए, राजमाता का चरित्र भी रंगीन किस्सो से भरा रहे
 
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सुल्तानपुर और उदयपुर की बीच चल रही दुश्मनी के बारे मे जो कुछ युवराज विक्रम के दोस्त अजय ने कहा और जो कुछ उदयपुर के वैद्य शक्ति सिंह ने बताया , वह काफी विरोधाभास लगता है।
कौन सच कह रहा है और कौन झूठ , यह किसी को नही पता लेकिन इस राजसी कहानी मे कुछ षडयंत्र तो अवश्य ही है।
देखते हैं , यह क्या चक्कर है !
( वैसे यूनिक स्टार भाई , आप की थ्रिलर स्टोरी पर अपडेट नही आ रहे है । आपने उसे ठंडे बस्ते मे क्यों डाल दिया ?)

इस कहानी मे बहुत ही पोटेंशियल है । आपकी यह कहानी राजघराने पर आधारित एक बेहतरीन इन्सेस्ट और थ्रिलर स्टोरी बन सकती है । इस पर जरा खास ध्यान दीजिए।
अपडेट हमेशा की तरह बहुत ही खूबसूरत था , आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग वाला।

कहानी में आगे चलकर काफी सारे खुलासे होंगे और सच्चाई सभी के सामने आयेगी! साथ बने रहिए और अपने कीमती समय देने के लिए धन्यवाद
 

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भाई इस कहानी में अजय को बाईसेक्सुअल बनाना जो राजकुमार विक्रम का लन्ड भी चूसता हो और राजमाता की चुदाई भी करता हो और सेनापति जब्बार भी बीच बीच में सलमा को रगड़ता रहे और उसकी अम्मी और सहेलियों को जबरदस्ती चोदे सलमा को तड़पाने के लिए, सलमा ऐसे तो अच्छी हो लेकिन मौका पड़ने पर अपने भाई के लन्ड से भी खेलना जानती हो राज्य पर पकड़ बनाने के लिए, राजमाता का चरित्र भी रंगीन किस्सो से भरा रहे

आपके कीमती सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! अपनी तरफ से इस कहानी को अच्छी बनाने की पूरी कोशिश करूंगा
 
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