विक्रम महल वापिस आ गया और राजमाता गायत्री के साथ बैठा हुआ खाना खा रहा था और बोला:"
" राजमाता आज आपने अजय को सुरक्षा प्रमुख बनाने के मेरे फैसले को एकदम से सहमति दी है मुझे बहुत अच्छा लगा!
गायत्री उसे देखकर मुस्कुराई और बोली:" बेटे हमने आपकी बात का मान रखा और फिर आपने बिलकुल सही फैसला किया हैं! आप शायद नही जानते हो कि अजय के पापा प्रमोद भी हमारे सुरक्षा प्रमुख थे और युद्ध में उन्होंने आखिरी सांस तक आपके पिता का साथ दिया था और फिर पिछली कुछ पीढ़ियों का इतिहास उठाकर देखिए तो सुरक्षा प्रमुख अजय के ही पूर्वज रहे हैं!
विक्रम:" फिर तो ये तो बहुत अच्छी बात हैं और अजय भी अपना काम ईमानदारी से करेगा और राज्य की सुरक्षा में कोई चूक नही होने देगा!
राजमाता:" लेकिन एक दिक्कत हैं कि अभी सुरक्षा प्रमुख के पद पर तैनात शक्ति सिंह को हटाना क्या सही होगा ?
विक्रम:" मुझे तो इसमें कोई दिक्कत नजर नही आती, फिर सबके मन में राज्य की सेवा का भाव होना चाहिए पद चाहे कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है
राजमाता:" बिलकुल सही कहा विक्रम आपने! राज्य की सेवा ही सबसे ऊपर होनी चाहिए! मैं कल भैरव बाबा के मंदिर जाऊंगी दर्शन के लिए, आप चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो!
विक्रम उसकी बात सुनकर मन ही मन खुशी से भर उठा और बोला:" देखता हू राजमाता, वैसे तो मुझे कल कुछ काम होंगे लेकिन अगर फ्री रहा तो आपके साथ जरूर चलूंगा!
अगले दिन सुबह राजमाता मंदिर जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अजय को दी और बोला:"
" अजय आप राजमाता की मंदिर यात्रा की सुरक्षा आपके हाथ में होगी और यही से आपकी कार्य कुशलता का भी पता चल जायेगा!
अजय:" आप निश्चित रहे युवराज! मैं किसी तरह की कोई कमी नही आने दूंगा!
थोड़ी देर बाद राजमाता मंदिर के लिए रवाना हो गई और अजय के पास अब सुनहरा मौका था सुल्तानपुर जाने का ताकि वो पवन को वापिस ला सके!
विक्रम पहली बार अनजाने में गया था लेकिन इस बार वो जान बूझकर जा रहा था तो उसने एक भिखारी का भेष बनाया और एक दूसरे घोड़े पर सवार होकर चल पड़ा! अपने घोड़े को उसने सुल्तानपुर की सीमा के बाहर ही छोड़ दिया और पैदल ही राज्य की सीमा में घुस गया और उस पर किसी का ध्यान भी नही गया और वो लोगो से भीख मांगने लगा और उसका पूरा ध्यान इस बात पर था कि कोई उस पर शक तो नही कर रहा है! राज्य के रास्तों से होता हुआ वो राज परिवार की जय जयकार करता हुआ आगे बढ़ रहा था और देख रहा था कि राज्य सच में बेहद खूबसूरत था और आम लोगो के आलीशान महल जैसे घर राज्य की संपन्नता की कहानी कह रहे थे! थोड़ी देर में ही उसे अच्छी खासी भीख भी मिल गई थी और वो मुस्कुरा उठा और दोपहर होने को आई लेकिन अभी तक उसे कोई मौका नहीं मिला था कि वो पवन को देख रहे या पता कर सके कि वो कहां पर रखा हुआ था!
एक दुकान पर उसने थोड़ा सा खाना खाने लगा और खाना देने वाले से बोला:"
" अरे भाई साहब आपका खाना तो बेहद लजीज और खुशबू से महक रहा है!
आदमी खुश हो गया और बोला:"
" अरे भिखारी ये सुल्तानपुर हैं और यहां का हर आदमी अमीर हैं और अपने आप में सुलतान हैं तो खाना तो अच्छा बनेगा ही! यहां पहली बार आए हो लगता हैं!
विक्रम:" हान जी सुलतान साहब! मेरे तो किस्मत खुल गई जो यहां भीख मांगने चला आया! इतना तो उदयगढ़ मे मुझे महीने मे नही मिला था जितना यहां आधे दिन में ही मिल गया!
आदमी अपने लिए सुलतान साहब सुनकर खुश हुआ औरजोर से हंसा और बोला:"
" अरे वो तो भिखारियों का राज्य हैं! भला उसकी और हमारी क्या बराबरी!
विक्रम मन ही मन हंसा और उसकी हान में हान मिलाते हुए बोला:" बिलकुल सही कहा आपने! अच्छा ये राज महल किधर हैं ?
आदमी:" अच्छा समझ गया तू जरूर शाही परिवार से भीख पाना चाहता हैं!
विक्रम:" मैं तो बस यहां की महारानी रजिया के दर्शन करना चाहता हूं! उनकी दरियादिली के बेहद किस्से सुने हैं मैंने!
आदमी:" क्यों घुमा फिरा कर बात करते हो? मतलब वो वही हैं ना! सुन ओए भिखारी के बच्चे तू मुझे 50 मोहरे देगा तो तुझे सब बता दूंगा कि कैसे मिल सकता हैं और वैसे भी तुझे भीख में इससे ज्यादा ही मिल गया होगा!
विक्रम ने तुरंत जेब से 50 मोहरे निकाली और उस आदमी को दी और वो बोला:"
" देख तीन बजे के आस पास राजमहल के अंदर जाने की कोशिश करना क्योंकि उस समय सेनापति जब्बार नही होता! अगर वो तुझे मिला तो समझ लेना कि तू जिंदा नही बचेगा!
विक्रम:" ऐसा क्यों भाई? क्या वो महारानी से भी बड़ा हैं ?
आदमी:" अरे धीरे बोल पागल आदमी! सारा राज्य ही उसके कब्जे मे हैं और मुझे तो ये भी सुनने में आया हैं कि वो शहजादी सलमा से शादी करके राजा बनना चाहता है!
विक्रम की आंखे हैरानी से फैली और बोला:" उसे कोई कुछ बोलता नही है क्या ? मैने सुना हैं कि शहजादा सलीम राज्य की देख रेख करते हैं!
आदमी:" अबे वो सिर्फ नाम का शहजादा है, उसे तो औरतों के अलग कुछ नजर नहीं आता, मदिरा पीकर इतना कमजोर हो गया है कि तलवार तक नहीं उठा सकता है अब वो!
विक्रम:" अरे भाई ये क्या कह रहे हो? क्या सच मे ऐसा ही हैं?
आदमी:" और नही तो क्या,जब राजा मरे तो बेचारे छोटे से सलीम को जब्बार की देख रेख़ में दिया गया और उसने सलीम को जान बूझकर ऐसा बना दिया!
विक्रम:" अच्छा ये राजा मीर जाफर की मौत कैसे हुई थी?
आदमी:" बेड़ा गर्क हो इन उदयगढ़ वालो का जिन्होंने सुलतान को धोखे से मारा, उनके जैसा नेक इंसान कोई नही था!
विक्रम को उस पर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन ये सुनकर कि मीर जाफर को उदयगढ़ वालो ने मारा है तो उसे बेहद हैरानी हुई और बोला:"
" लेकिन मैंने तो सुना हैं कि सुलतान को पिंडारियो ने मारा था!
आदमी:" अरे ये सब तो उदयगढ़ वालो की बेकार की कहानी हैं! सच बात तो ये है कि पिंडारी और उदयगढ़ एक दूसरे के साथ हैं! बेचारे मीर जाफर पर पहले पिंडारियो के साथ मिलकर हमला किया और बाद में उसे मार दिया!
तुम जाओ अब और भीख में कुछ अच्छा मिले तो मुझे भी हिस्सा देना! पकड़े गए तो खुदा के लिए मेरा नाम मत लेना!
विक्रम ने उसे वादा किया कि वो उसका नाम नही लेगा और राज महल की तरफ चल पड़ा!
विक्रम को कुछ समझ नही आ रहा था कि ये आदमी ऐसा क्यों बोल रहा है कि उदयगढ़ वालो ने राजा को मारा जबकि वैद्य जी ने तो उसे कुछ और ही बताया था और वैद्य जी झूठ नही बोल रहे थे इतना तो वो जानता था और ये भी उसने महसूस किया था कि ये दुकान वाला भी झूठ नही बोल रहा था! आखिर सच क्या हैं ये उसे अब पता लगाना ही था!
धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए विक्रम को सड़क के दोनो ओर बेहद आलीशान घर नजर आ रहे थे जो इस बात का सुबूत थे कि आगे जल्दी ही महल उसके सामने होगा! विक्रम को मुख्य दरवाजे से वैसे भी महल में जाना ही नही था और न राजमाता से मिलना था! उसे तो सिर्फ ये पता लगाना था कि पवन कहां पर हैं और उसे कैसे निकाल सकता था!
जल्दी ही उसकी नजरो के सामने एक बेहद खूबसूरत और आलीशान महल था जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! संगमरमर से बना हुआ बेहद खूबसूरत जितनी तारीफ की जाए उतनी कम! महल के ऊंचे गोल गोल गुम्बद उसकी भव्यता की कहानी अपने आप बयान कर रहे हैं और महल के दरवाजे के दोनो तरफ बने हुए सुनहरे हाथी महल की सुंदरता मे चार चांद लगा रहे थे! विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती की तारीफ करता रहा और तभी एक सैनिक उससे बोला:"
" ओय भिखारी भाग यहां से क्यों बिना मौत मरना चाहता हैं?
विक्रम बिना कुछ कहे दूसरी तरफ मुड़ गया और उसने देखा कि महल की छत पर चारो तरफ सैनिक तैनात थे और वो जानता था कि ये सब सुरक्षा जरूर जब्बार की लगाई हुई होगी और इसमें उसके काफी सारे आदमी होंगे! अब विक्रम के सामने चुनौती थी कि महल के अंदर कैसे घुसे!महल के पिछले हिस्से में दलदल थी जिस कारण उधर सुरक्षा कम थी क्योंकि वहां से किसी का आना असम्भव ही था! विक्रम ने चारो तरफ देखा और अपनी जेब से एक मजबूत रस्सी निकाली और उसका एक सिरा उसने लोहे के शिकंजे में बांधा और उसने एक पेड़ की तरफ पूरी ताकत से उछाल दिया और उसकी किस्मत अच्छी थी कि वो पहली ही बार में पेड़ पर फंस गया और विक्रम अब दलदल से होते हुए अपनी जान हथेली पर रखकर रस्सी के सहारे आगे बढ़ गया और उसने जैसे तैसे करके दलदल को पार कर लिया और उसने देखा एक बड़ा सा पेड़ था जो महल की दीवार से सटा हुआ था तो विक्रम धीरे से उस पेड़ पर चढ़ा और जैसे ही देखा कि पहरा देने वाला थोड़ा दूर गया है तो जल्दी से कूद कर महल की छत पर आ गया और एक बड़ी सी दीवार के पीछे छिप गया! जैसे ही वो पहरा देने वाला सैनिक उधर से आया तो विक्रम ने मौका देखकर उस पर हमला कर दिया और जल्दी ही उसे बेहोश करके नीचे फेंक दिया और उसकी जगह खुद पहरेदारी करने लगा और करीब दो चार चक्कर लगाने के बाद उसे एहसास हो गया कि करीब पूरी छत पर अभी 50 के आस पास सुरक्षा सैनिक थे!
विक्रम ने दूसरी छत पर पहरा दे रहे सैनिक को बाथरूम जाने का इशारा किया और महल में अंदर घुस गया और सावधानी से इधर उधर देखते ही रजिया के महल के सामने था और चोरी छिपे वो खिड़की पर पहुंच गया तो देखा कि अंदर दो औरते और एक आदमी मौजूद था! विक्रम को एक औरत जो करीब 47 साल की थी वो और लड़का जो करीब 22 साल का था दोनो नजर आ रहे थे जबकि एक दूसरी औरत का सिर्फ पीछे का हिस्सा नजर आ रहा था! विक्रम ने अनुमान लगाया कि ये जरूर रजिया और उसका राज परिवार हैं! रजिया बेहद खूबसूरत थी और सोने के आभूषणों से लदे होने के कारण इस उम्र में भी बेहद आकर्षक और कामुक नजर आ रही थी जबकि सलीम देखने में सुंदर जरूर था लेकिन बेहद कमजोर नजर आ रहा था मानो हफ्ते में सिर्फ एक ही बार खाना नसीब हो रहा था उसे!
रजिया:" बेटा सलीम अपनी सेहत का ध्यान रखा करो! आखिर क्यों दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे हो मुझे फिक्र होती हैं आपकी!
सलीम:" अम्मी सुलतान ये आपका प्यार हैं जिसके कारण हम आपको कमजोर नजर आते हैं नही तो हम तो पहले जैसे ही ताकतवर हैं!
सलमा:" भाई जान आपको एहसास नही हैं कि आप सच में बेहद कमजोर होते जा रहे हो! आखिर कब तक आप अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहोगे?
सलीम:" हमसे थोड़ा तहजीब से बात किया करो सलमा क्योंकि हम होने वाले सुलतान हैं! हम किसी से कमजोर नहीं है समझी आप!
सलमा ने गुस्से से हवा में अपना हाथ लहराया और बोली:"
" सुलतान हो तो सुलतान की तरह ताकतवर और जिम्मेदार बनो! अगर अपनी ताकत पर इतना ही भरोसा हैं तो हो जाए दो दो हाथ मेरे साथ!
सलमा का हाथ हवा में लहरा रहा था और यकीनन विक्रम ने पहली बार जिंदगी में इतना खूबसूरत और हसीन गोरा चिट्टा हाथ देखा था तो मन ही मन सलमा की खूबसूरती का कायल हो गया और उसकी हिम्मत तो वो उस दिन देख ही चुका था कि किस तरह से उसके उसके बिगड़ैल और जिद्दी घोड़े पवन को काबू में कर लिया था और आज तो उसने एक और बड़ा नमूना अपनी ताकत का पेश किया था विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती के साथ साथ उसकी बहादुरी का भी कायल हो गया!
सलीम ने अपना हाथ आगे नही बढ़ाया और बोला:"
" वो क्या हैं कि आज कल मेरी तबियत थोड़ी ठीक नही हैं, एक हफ्ते रुक जा फिर तेरी सारी गलतफहमी दूर कर दूंगा!
सलमा हंस पड़ी और बोली:"
" भाई कब तक बहाने बनाते रहोगे? मेरी बात मानो और अपनी अय्याशी बंद करके अपने खाने पीने का ध्यान रखो और जनता का ध्यान रखो!
सलीम:" जनता का ध्यान तो जब्बार अच्छे से रख ही रहा हैं! वो हमे सारी जानकारी दे ही रहा हैं और वैसे भी राज्य में सब ठीक ही चल रहा है! अच्छा सुना हैं तुमने दो दिन पहले कोई घोड़ा पकड़ा हैं!
सलमा:" अच्छा वो काला घोड़ा गलती से हमारे राज्य में घुस गया था तो हमने उसे काबू कर लिया और अब वो मेरे पास ही हैं! सच में वो बेहद कमाल का घोड़ा हैं ऐसी रफ्तार हमने आज तक नही देखी!
सलीम:" अच्छा फिर तो उसकी हमे भी सवारी करनी चाहिए!
सलमा:" उसे काबू करना बच्चो का काम नही हैं! जिस दिन मुझे हरा दोगे उस दिन आपको वो घोड़ा सवारी के लिए मिल जाएगा!!
इतना कहकर सलमा पलटी और पहली बार विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार किया और उसकी आंखे मानो फट सी गई क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इतना भी खबूसरत कैसे हो सकता है!!
काले रंग के हिजाब में लिपटी हुई शहजादी बेहद खूबसूरत लग रही थी! चांद सा खूबसूरत चेहरा, उसकी बड़ी बड़ी गोल आंखे बिलकुल झील की तरह गहरी और नशीली और चिकने लाल हल्की लालिमा लिए हुए मानो दूध में हल्का सा सिंदूर मिलाने पर जो रंग आए बिलकुल वही रंगत लिए हुए, पतले पतले मुलायम नरम रसीले होंठ जो लाल रंग की लिपिस्टिक में बेहद रसीले लग रहे थे और हल्के कसे हुए कपड़ो में सलमा का भरा पूरा बदन खिल कर निखर रहा था जो इस बात की गवाही दे रहा था कि वो सिर्फ नाम की ही नही बल्कि अपने जिस्म से भी शहजादी हैं!
सलमा:" अच्छा मैं चलती हु अब उस घोड़े की सवारी करने के लिए! आप खायो और ताकत बनाओ।
इतना कहकर सलमा बाहर की तरफ जाने लगी तो विक्रम थोड़ा सा साइड में हो गया और बाहर की तरफ निकल गया और जैसे ही सलमा बाहर आई तो उसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था और वो अब अस्तबल की तरफ बढ़ गई और विक्रम भी उसके पीछे पीछे पीछे सावधानी से चल रहा था और अस्तबल में पहुंची तो वहां मौजूद सैनिकों ने उसे झुककर सलाम किया और उसके बाद थोड़ी देर बाद ही वो घोड़े का लगाम पकड़कर बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकल कर मुख्य रास्ते पर आई तो विक्रम उसके पीछे पीछे बाहर आ गया और जैसे ही वो राजमहल से बाहर निकलने वाले रास्ते पर थी तो वो अदा के साथ घोड़े की पीठ पर सवार हो गई और उसे अपने सामने विक्रम खड़ा दिखाई दिया और बोली:"
" तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुम राजमहल में घुस आए ?
विक्रम:" शहजादी आपने ही तो मुझे इजाजत दी थी कि मैं अपने घोड़े से मिलने के लिए आ सकता हूं कभी कभी!
सलमा ने उसे घूर कर देखा और बोली:" लेकिन राजमहल के अंदर आने की इजाजत नही दी थी मैने! तुम्हे किसी ने रोका नही क्या ?
विक्रम:" आंधियों को रोक पाना किसी के बस की बात नही होती हैं वो तो आ आकर ही रहती हैं!
सलमा:" बड़ा गुरुर है आपको अपनी ताकत पर ?
विक्रम ने अपनी मूछों पर ताव दिया और बोला:"
" ताकत ही एक मर्द की पहचान होती हैं शहजादी और मेरी रगों में उबलता हुआ खून मेरी ताकत ही पहचान हैं!
सलमा:" वक्त आने पर हर किसी का गुरुर मिट्टी में मिल जाता हैं!
विक्रम:" जब आप चाहो जैसे चाहो मुझे आजमा लेना!
सलमा:" मैं चाहु तो अभी मेरे इशारे पर आपको जिंदगी भर के लिए बंदी बना लिया जायेगा!
विक्रम:" आज तक किसी मां ने वो लाल पैदा नही किया जो मेरी मर्जी के बिना मुझे छू भी सके!
सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"
" बाते तो बड़ी बड़ी करते हो लगता हैं अभी किसी से पाला नही पड़ा है आपका! मत भूलो कि आप अभी सुल्तानपुर के राजमहल में खड़े हो और मैं क्या कर सकती हू आप सोच भी नहीं सकते!
विक्रम बात को बढ़ाना नही चाहता था तो बोला:"
" मैने तो सुना था कि सुल्तानपुर में लोगो की जुबान की कीमत होती हैं और आप मुझे इजाजत देकर अब धमकी दे रही हो?
सलमा:" धमकी इसलिए क्योंकि हमने आपको राजमहल में घुसने की इजाजत नहीं थी सिर्फ राज्य में आकर अपने घोड़े से मिलने की इजाजत दी थी!
विक्रम:" मैं मानता हु कि मुझे राजमहल के अंदर नही घुसना चाहिए था लेकिन मुझे कैसे पता चलता कि पवन कहां पर हैं और मैं उससे कैसे मिल सकता था! महल में आकर मैंने जो गुस्ताखी करी है उसके लिए आपसे क्षमा चाहता हूं!
विक्रम की बात सुनकर सलमा थोड़ा नरम पड़ी और बोली:"
" ठीक हैं लेकिन आपको पहले ये बताना पड़ेगा कि आप राजमहल तक कैसे पहुंचे? अगर आप पहुंच सकते हो कोई दुश्मन भी पहुंच सकता हैं और क्या पता कल आप ही दुश्मन बन जाए !
विक्रम:"अगर सवाल आपकी सुरक्षा का हैं तो मैं जरूर बताऊंगा! लेकिन मेरा एक वादा हैं कि जिंदगी में आपका दुश्मन बनने से अच्छा अपनी जान देना पसंद करूंगा!
सलमा उसकी बात सुनकर घोड़े से नीचे उतर गई और बोली:"
" हम पर इस मेहरबानी की कोई खास वजह?
विक्रम पवन के पास पहुंच गया और उसकी पीठ पर हाथ फेरा तो घोड़े ने पूंछ हिलाकर अपना प्यार दिखाया और विक्रम सलमा की तरफ पलट कर बोला:"
" वजह तो एक ये भी है कि पवन अब आपका दोस्त बन गया है और फिर मेरा दोस्त तो वो है ही पहले से! दोस्त के दोस्त का दुश्मन कैसे बन सकता हु भला! वैसे पवन की सवारी आपको कैसी लगी?
सलमा:" पवन जैसा ताकतवर और मजबूत घोड़ा मैने आज तक नही देखा! दौड़ता है तो लगता हैं मानो हवा से बाते कर रहा है!
विक्रम:" ताकतवर तो होगा ही आखिर घोड़ा किसका है!
सलमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी हंस पड़ी और बोली:"
" चलो फिर किसी दिन आपकी ताकत भी देख ली जाएगी! अब पहले ये बताओ कि राज महल तक कैसे पहुंचे?
विक्रम ने उसे सब कुछ बता दिया और सलमा को मन ही मन हैरानी हुई कि इस आदमी ने 250 मीटर दूर तक लोहे के हुक वाली रस्सी को कैसे फेंक दिया यकीनन ये बेहद ताकतवर और बहादुर है! सलमा उससे बोली:"
" ये आपने हमे अच्छी बात बताई! हम जरूरी उस दिशा में अब सुरक्षा का इंतजाम करेंगे! हम आपके आभारी रहेंगे!
विक्रम:" आप चाहे तो ये आभार उतार भी सकती हैं!
सलमा;" वो कैसे भला?
विक्रम:" कभी दिनों से मैने पवन की सवारी नही करी है! अगर आप मुझे आज पवन की सवारी करने दे तो!
सलमा:" ठीक हैं लेकिन उसके लिए आप हमे राज्य के बाहर मिलिए नदी के किनारे वाले मैदान पर! लेकिन आप राज्य से बाहर निकलेंगे कैसे?
विक्रम:" वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए! मैं आपको आधे घंटे बाद वही मिलता हु!
इतना कहकर विक्रम सैनिक वेश भूषा में ही महल से बाहर निकल गया और बाहर निकलते ही उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और उस दुकान वाले के पास पहुंचा और बताया कि आज उसकी महारानी से मुलाकात नही हुई और बाद में कभी आएगा, साथ ही साथ विक्रम ने उस आदमी को जिसका नाम रहीम था 50 सोने की मोहरे दी और फिर सुल्तानपुर से बाहर निकल गया और फिर से भेष बदलकर नदी की तरफ चल पड़ा!
वही दूसरी तरफ उसके जाने के बाद शहजादी सलमा ने अपनी दो खास सहेलियों सीमा और सपना को साथ में लिया और नदी की तरफ चल पड़ी!