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Incest शहजादी सलमा

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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली

" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?

विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?

मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!

विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"

" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?

मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!

विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"

" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !

मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"

" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!

विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!

मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"

" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!

विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"

" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!

मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"

" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !

मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"

" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!

मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"

" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!

विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!

मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"

" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!

विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:

" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!

मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"

" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!

मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!

विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !

मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"

" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!

बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"

" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!

मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!

बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"

" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!

बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!

बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!

विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!

विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!

अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!

विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!

अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!

विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!

अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!

उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!

मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"

" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!

मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?

विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?

मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"

" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!

विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!

मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"

" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?

मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"

" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!

मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!

विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!

विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"

" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!

मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"

" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!

मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!

मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई

" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!

मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!

विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!

मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"

" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!

मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"

" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !

विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"

" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!

विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"

" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!

मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!

विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !

मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"

" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!

मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?

विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!

मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"

" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!

मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"

" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?

विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!

मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"

" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!

मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"

" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!

विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!

धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"

" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?

मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!

विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?

मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"

" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?

मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"

" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?

विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"

" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!

विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!

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विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!

मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"

" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!

मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला

" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!

इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"

" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!

विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !

विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"

" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!

मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"

" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?

मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"

" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?

विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं

इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"

" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!

विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"

" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!

मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"

" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!

विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!

विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"

" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?

मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"

" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"

" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?

मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"

" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!

विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!

मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"

" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?

विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"

" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"

" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!

विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"

" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!

रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"

" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!

विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!

मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली

:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"

विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"

" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?

विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"

" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?

मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"

" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!

मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"

" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!

दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!

विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"

" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!

मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"

" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!

विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"

" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!

लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!

मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!

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मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"

" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"

" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!

इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!



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विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली

" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!

विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"


" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?

विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"

" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!

अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!

इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!

" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!

विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!

इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली

" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!

विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"

" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!

मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!

विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"

" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!

मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी

" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!

विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"

" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!

मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया

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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली

"अह्ह्ह्ह पुत्र!

दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!

विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"

" क्या हुआ माता?

मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!

विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!

मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?

विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"

" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?

मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!

मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!

विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"

" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!

मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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मेनका पर किस्मत आखिरकार मेहरबान हुई । वह न केवल राज्य के राजमाता का दर्जा प्राप्त कर ली बल्कि अघोषित रूप से विक्रम की महारानी भी बन गई ।
इन दोनो का शारीरिक मिलन बस महज कुछ समय की बात है । इस नैतिक सम्बन्ध का अनैतिक सम्बन्ध की ओर अग्रसर होना अत्यंत ही इरोटिक था ।
लेकिन शहजादी सलमा ने किस वजह से रंग बदल लिया ? विक्रम के साथ इतने अंतरंग संबंध स्थापित करने के बाद अचानक से अपने कदम क्यों पीछे खिंच लिया ?
वगैर विक्रम की मदद के वह जब्बार का बाल भी बांका नही कर सकती ।
देखते हैं आगे कहानी क्या करवट लेती है !
आउटस्टैंडिंग एंड हाॅट अपडेट यूनिक स्टार भाई ।
 

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Milf lover.
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सीमा अजय की हत्या के बाद बेहद टूट गई थी और किसी भी तरह से वो उसकी मौत का बदला लेना चाहती थीं! राधिका उसकी छोटी बहन ने उसकी इस हालत पर जरा भी ध्यान नहीं दिया तो उसे बेहद बुरा लगा! वहीं राधिका का महंगे वस्त्र और आभूषण पहनना भी उसे अखर रहा था और उसे लग रहा था कि कहीं न कहीं जरूर उसकी बहन कुछ तो अमर्यादित कर्म कर रही है और परिवार की इज्जत के लिए मुझे इस पर ध्यान देना ही होगा! राधिका के हाव भाव और उसका घर में चोरी छिपे घुसना सीमा को अखर रहा था और उसने राधिका को अपने निशाने पर लिया और जैसे ही राधिका घर से बाहर निकल गई तो सीमा ने उसके कमरे में जाने का फैसला किया और सीमा उसके कमरे में घुस गई और देखने लगी कि उसके कमरे का तो नक्शा ही बदल हुआ था! कमरे में परदे के पीछे छुपी हुई काफी महंगी वस्तुएं, वस्त्र और आभूषण देखकर सीमा को हैरानी हुई और उसने राधिका की एक अलमारी को खोला तो उसमें से सुल्तानपुर के शाही परिवार के वस्त्र दिखाई दिए जो राधिका के हाथ कैसे लगे उसे समझ नही आ रहा था!

सीमा ने अलमारी को नीचे से खोला तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि ये तो विक्रम की अंगूठी थी और ये राधिका के पास कैसे आई उसे समझ नही आ रहा था!

जरूर राधिका ने इसे मेरे कमरे से चुरा लिया होगा ऐसा सोचकर सीमा ने खुद को तसल्ली दी और अपने कमरे में आ गई लेकिन अब राधिका उसके निशाने पर आ गई थी!

सीमा थोड़ी देर बाद सलमा से मिलने गई और बोली

" राधिका के पास शाही वस्त्र कहां से आए ये मेरे समझ में नही आ रहा है!

सलमा:" बीच में कुछ दिन वो मेरे आई थी काम के लिए तो गलती से ले गई होगी!

सीमा:" नही शहजादी ! सिर्फ आपके ही वस्त्र होते तो और बात थी! लेकिन उसके कमरे में तो और भी कई रंगीन और महंगे वस्त्र होने के साथ साथ कीमती आभूषण भी थे!

सलमा:" इसका मतलब साफ है कि या तो सीमा चोरी कर रही है और फिर किसी से उसके संबंध है जो उसे ये सब चीज दे रहा है!

सीमा:" बिलकुल सही आपने लेकिन जहां तक मैं उसे जानती हु वो चोरी नही कर सकती! फिर सवाल ये हैं कि आखिर कौन उसे इतने कीमती गहने और वस्त्र दे रहा है और क्यों ? सबसे बड़ी बात उसके पास युवराज विक्रम की अंगूठी कैसे आई ये समझ से बाहर हैं!

सलमा:" एक ही रास्ता है कि थोड़े दिन उस नजर रखो सब कुछ अपने आप साफ हो जाएगा!

सीमा:" हान मैंने भी यही सोचा हैं ताकि सच्चाई का पता किया जा सके कि आखिर कौन हैं उसके पीछे !

सलमा:" बिलकुल हमे जानना चाहिए क्योंकि आने वाले दिनों में आर पार की लड़ाई होने जा रही है तो हमे एक बात का ध्यान रखना ही पड़ेगा!

उसके बाद सीमा चली गई और सीमा के जाने के बाद रजिया और सलमा दोनो बैठी हुई थी और रजिया बोली:"


" सलमा हमे सबसे पहले राज वफादारों को एक साथ इकट्ठा करना होगा ताकि युद्ध में वो हमे अंदर से सहायता दे सके!

सलमा:" वही मैं भी सोच रही अम्मी क्योंकि वफादारों और गद्दारों की पहचान करना बेहद जरूरी है युद्ध से पहले ताकि हमें अपनी शक्ति का एहसास हो सके!

रजिया:" बेटा मेरी बात मानकर तूने जो विक्रम को अपने प्रेम जाल में फंसाया हैं उसका फायदा हमे आने वाले युद्ध में मिलेगा और हम उसके बलबूते अपना राज्य फिर से वापिस कर लेंगे!

सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कान आ गई और बोली:"

" मैं कोई भी चाल गलत नही चलती! लेकिन हमारे अब्बू सुलतान में उसको महल के उन गुप्त रास्तों के बारे मे बता दिया है जो हम भी नहीं जानते थे और ऐसा न हो कि आगे चलकर वो इनका फायदा उठा ले!

रजिया:" चिंता मत करो बेटी! एक बार जब्बार खत्म हो फिर तो सारे रास्ते ही बंद कर दिए जाएंगे!

सलमा:" हान ये भी ठीक रहेगा फिर हमे कोई खतरा नहीं होगा! मैं भी शस्त्र अभ्यास शुरू कर देती हु ताकि जरूरत पड़ने पर युद्ध में उतर सकू!

रजिया:" ठीक हैं मैं अहमद शाह को बोलकर सब व्यवस्था करा दूंगी! अच्छा अब मैं चलती हु मुझे कुछ काम होगा!

इतना कहकर रजिया चली गई तो सलमा अपनी योजना बनाने लगी! सलमा जानती थी कि कुछ भी करके सलीम को रास्ते पर लाना ही होगा ताकि वो भी युद्ध में हिस्सा ले सके और इसके लिए उसका एक बार सुलतान से मिलना जरूरी था ताकि उसे जब्बार की सच्चाई पता चल सके तो सलमा सलीम के कक्ष में गई तो देखा कि वो मदिरा का सेवन किए हुआ था और मात्र एक चादर आपने जिस्म पर लपेट कर बिस्तर में उल्टा पड़े हुए बेड में धक्के लगा रहा था मानो चुदाई कर रहा हो तो सलमा उसकी हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" कैसे हो मेरे प्यारे भाई जान आप ?

सलीम ने जैसे ही सलमा की आवाज सुनी तो वो डर के मारे एक झटके से पलट गया और चादर उसके जिस्म से हट गई जिससे सलीम नंगा हो गया और सलमा ने उसके लंड को देखने के बाद अपना मुंह फेर लिया और बोली:"

" हाय भाई आपको शर्म नही आती क्या ऐसे ?

सलीम का लंड एक अच्छे आकार का लंड था जो सामान्य लंड के मुकाबले थोड़ा बड़ा जरूर था लेकिन विक्रम के लंड के मुकाबले कुछ भी नही था ऐसा सलमा ने महसूस किया और सलीम सलमा को अपने सामने पाकर हैरान हो गया और चादर ठीक करते हुए बोला:"

" माफ कीजिए हमे उम्मीद थी कि हमारे कक्ष में कोई नही आयेगा बस इसलिए गलती हो गई हमसे! आप चाहे तो पलट सकती हैं क्योंकि हमने अपने कपड़े ठीक कर लिए हैं!

सलमा धीरे से पलट गई और बोली:" अब हमे समझा आ रहा है कि आप इतने कमजोर क्यो होते जा रहे हो क्योंकि बंद कमरे में अकेले इतनी मेहनत जो कर रहे हो भाई जान!

पहले से ही शराब के नशे में चूर सलीम को सलमा की बात बेहद बुरी लगी और बोला:"

" अकेले नही हो क्या आपके साथ मेहनत करू मेरी प्यारी आपी ?

सलमा उसकी बात सुनकर गुस्सा हो गई और बोली:" मर्यादा के दायरे में बात कीजिए हमसे! हम आपकी सही बड़ी बहन हैं!

सलीम भी गुस्सा हो गया और बोला:" ये तो आपको मेरे मजाक बनाने से पहले सोचना चाहिए था अब खुद की बारी आई तो मर्यादा बीच में आ गई?

सलमा:" तुमसे बहस करने के लिए नही हु! मेरा बोलने का मतलब था कि अम्मी को बोलकर आपकी शादी कारा देनी चाहिए ताकि आप अपनी बीवी के साथ मिलकर मेहनत कर सको!

सलीम ने सामना को गुस्से से देखा और बोला:" अपने काम से मतलब रखो , जिस काम के लिए आई हो वो बोलो आप !

सलमा:" हम आपको कुछ दिखाना चाहते हैं लेकिन उसके लिए आपको हमारे साथ चलना होगा कहीं बाहर!

सलीम:" आज तो मेरे पास समय नहीं है! कल हम जरूर चलेंगे!

सलमा:" सोच लो ऐसा कुछ है कि होश उड़ जायेंगे!

सलीम ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" क्या खबूसूरत लड़की दिखाने वाली हो क्या शादी के लिए ?

सलमा जानती थी कि सलीम लड़की के चक्कर में आसानी से उसके साथ चल देगा तो मुस्कुरा कर बोली:" वो तो देखने के बाद ही आपको पता चलेगा लेकिन अगर खुश ना हुए तो मेरे नाम सलमा नही !

सलीम:" ठीक हैं फिर! बताओ किस समय चलना होगा मैं चलने का प्रबंध कर देता हूं!

सलमा:" उसकी चिन्ता मत करो! हम बिना किसी को बताए चुपचाप जायेंगे! हम सब कुछ तैयारी कर ली हैं!

सलीम:" ठीक हैं फिर! किस समय चलना होगा?


सलमा:" रात के खाने के बाद हम दोनो साथ चलेंगे और आपको एक दूसरा रहस्य भी बताएंगे महल का हम! लेकिन ध्यान रहे कि हम दोनो कहीं जा रहे हैं ये बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए अन्यथा परिणाम बेहद जानलेवा साबित हो सकते हैं!

सलीम:" ये एक शहजादे का वादा हैं सलमा! हम इस बात को राज ही रखेंगे! आखिर हम भी तो जाने कि आखिर महल में ऐसा कौन सा रहस्य है जो हमे नही पता है!

उसके बाद सलमा अपने कक्ष में आ गई और विश्राम करने लगी! वहीं दूसरी तरफ राज कार्यों से मुक्त होने के बाद विक्रम बाजार की तरफ निकल गया और अपना भेष बदलकर उसने मेनका के लिए कुछ रंगीन वस्त्र और सच्चे मोतियों से बनी हुई एक नथ खरीदी जो बेहद कीमती और आकर्षक थी!

रात को खाने पर सलमा विक्रम और मेनका ने साथ में खाना खाया और दोनो ही बेहद खुश लग रहे थे!

मेनका:" महाराज ये बिंदिया भोजन बाद स्वादिष्ट तैयार करती हैं! मुझे लगता हैं कि हमे इसके वेतन मे बढ़ावा करना चाहिए!

विक्रम:" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता! आखिर महल के अंदर भोजन और वस्त्र के साथ आभूषण ये सब की देखभाल आपका कर्तव्य हैं!

बिंदिया:" राजमाता आपके आने से महल में खुशियां आ गई है, महाराज फिर से मुस्कुरा उठे हैं और जीना सीख गए हैं बस यही मेरे लिए बहुत हैं!

मेनका:" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे! आज से आपका वेतन दोगुना हो गया है और सिर्फ आपका ही नही बल्कि रसोई में काम करने वाले सभी लोगो का भी !

बिंदिया ने राजमाता के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" राजमाता की जय हो!

सभी रसोई के कर्मचारी जोर से बोले:" जय हो जय हो!

मेनका मुस्कुराते हुए उन्हे शांत होने का इशारा कर रही थी तो धीरे धीरे वो लोग शांत हुए और खाना खाने के बाद विक्रम भी मेनका के साथ ही चल पड़ा तो मेनका बोली:

" आजकल महल में कुछ काम नही हैं जो क्या मेरे आगे पीछे घूमते रहते हो पुत्र!

विक्रम:" काम तो बहुत हैं माता लेकिन आपका साथ मुझे बेहद अच्छा लगता हैं!

मेनका हल्की सी हंसती हुई बोली:" मेरे चक्कर में अपनी प्रजा और आपके कर्तव्य को मत भूलना महराज,!

विक्रम:" आपकी खुशी का ध्यान रखना और आपकी हर इच्छा पूरी करना भी तो महाराज होने के नाते हमारा कर्तव्य हैं! वैसे हम आपके लिए कुछ लेकर आए थे आज दिन में !

मेनका जानती थी कि विक्रम उसके लिए क्या लेकर आया हैं और बोली:" हम जानती है पुत्र कि आप हमारा लिए क्या लेकर आए है लेकिन हमे रंगीन वस्त्रों में अब कोई रुचि नहीं हैं!

विक्रम जानता था कि मेनका उससे मजाक कर रही है तो सोचते हुए बोला:"

" ठीक हैं फिर मैं एक काम करता हु किसी को दान में दे दूंगा

मेनका का दिल उत्तर गया ये बात सुनकर और जल्दी से बोली:" जब आप ले ही आए हैं तो अब रख दीजिए! लेकिन हम पहनने वाले नही हैं!

चलते चलते दोनो मेनका के कक्ष के सामने आ गए थे और विक्रम बोला:" हमने पहले ही आपके शयन कक्ष मे रख दिए हैं माता क्योंकि हम जानते हैं कि आप चाहकर भी खुद को रोक नहीं पायेगी!

मेनका ने उसकी बात सुनकर उसे आंखे दिखाई और बोली:"

" इतने ज्यादा भी कमजोर नही है हम कि अपने ऊपर काबू न रख सके पुत्र!

बाहर अंधेरा फैल गया था और मशालो की रोशनी में महल जगमगा रहा था! विक्रम ने अपनी जेब में हाथ डाला और सच्चे मोतियों वाली नथ निकाली और मेनका को दिखाते हुए बोला:

" ये देखिए राजमाता ये कैसी लग रही है! हमने किसी के लिए कुछ खरीदा है आज!

मेनका ने नथ को देखा और देखते ही मचल कर बोली:"

" सच में पुत्र ये तो बेहद खूबसूरत और कीमती लग रही है! एक बार हमे छूकर देखने दीजिए ना!

विक्रम ने अपनी हथेली में नथ को बंद कर लिया और बोले:"

" आपने देख तो लिया न राजमाता! वैसे भी ये किसी और के लिए हैं!

मेनका उसकी तरफ बढ़ी और उसका हाथ खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हमे और मत सताइए पुत्र! हमे छूकर देखने दीजिए ना!

विक्रम जानता था कि जिस जगह को खड़े हैं वहां किसी की भी नजर पड़ सकती है इसलिए थोड़ा पीछे हटकर दीवार की तरफ हो गया और मेनका को छेड़ते हुए कहा:"

" जिद मत कीजिए माता! देखने के बाद आप फिर पहनने के लिए जिद करोगी!

मेनका समझ गई कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है और उसकी मुट्ठी खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हान हम पहन भी सकते हैं क्योंकि राजमाता होने के नाते हमें अधिकार हैं पुत्र!

विक्रम ने मेनका को कंधे से पकड़ लिया और बोला:"

" लेकिन ये हम किसी और के लिए लाए हैं राजमाता! इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है!

मेनका जानती थी कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है तो उसने उसकी मुट्ठी छोड़कर अपने हाथो हाथ विक्रम के गले में डाल दिए और उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम को कक्ष से बाहर मेनका से ऐसी उम्मीद नहीं थी और विक्रम ने ध्यान से उधर उधर देखा और वो भी मेनका के होंठो को चूसने लगा! जैसे ही विक्रम के उसके होंठो को चूसना शुरु किया तो मेनका ने मस्त होते हुए अपने मुंह को खोल दिया और विक्रम की जीभ उसके मुंह में घुस गई और जैसे ही मेनका की लसलसी रसीली जीभ विक्रम की जीभ से टकराई तो विक्रम ने दोनो हाथों से मेनका को कस लिया और यहीं विक्रम से चूक हो गई क्यूंकि दोनो हाथों के खुलते ही नथ नीचे गिर पड़ी और मेनका एक झटके के साथ उसकी बांहों से निकली और नथ को उठाकर अपने कक्ष में घुस गई तो विक्रम को जैसे होश आया और बोला:"

" ये तो धोखा हुआ माता! वो नथ हमे वापिस दीजिए!

मेनका अपनी जीत पर खुश होते हुए बोली:" हम जानते थे कि आप हमारे लिए लाए हैं! आपने प्यार से नही दिया तो हमने अपने तरीके से हासिल किया!

विक्रम उसके कक्ष की तरफ बढ़ा तो मेनका ने दरवाजा बंद कर दिया तो विक्रम बोला:"

" हमे पहन कर दिखाए न राजमाता! हम देखना चाहते हैं कि मेरी माता इसमें कितनी प्यारी लगेगी?

मेनका:" सपने मत देखो पुत्र! आपने प्यार से दिया होता तो जरूर दिखाते! अब तो हमारी मर्जी है हम दिखाए या नहीं!

विक्रम:" हम जानते है कि आप जरूरी हमे दिखायेगी! मेरी एक विनती है राजमाता! रात में रंगीन वस्त्र धारण करना और अपना दरवाजा बंद मत करना! हम आपके आपकी नथ देखने के लिए आधी आज रात आपके शयन कक्ष में माता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और तन बदन में सिरहन सी दौड़ गई और बोली:"

" हम कोई रंगीन वस्त्र धारण नही करेंगे! आप आराम करना क्योंकि हमारा कक्ष आज बंद ही रहेगा पुत्र! जाओ अब अपने काम देखिए आप!

विक्रम राज्य में घूमने के लिए निकल गया और वहीं दूसरी तरफ सलमा सलीम को अपने साथ लेकर जैसी ही गुप्त रास्ते में घुसी तो सलीम की आंखे फटी की फटी रह गई और बोला:"

" आपी महल में ऐसे रहस्य भी है हमे आज पता चला है!

सलमा:" आगे इससे भी बड़े रहस्य आपको देखने के लिए मिलने वाले हैं आज!

सलमा और सलीम दोनो गुफा में चलते रहे और अंत में दोनो उदयगढ़ की सीमा में बाहर निकल आए तो सलीम बोला:"

" ये तो सुल्तानपुर की सीमा हैं शहजादी! क्या आप नही जानते कि वो शत्रु राज्य हैं! हमारे अब्बू के हत्यारे हैं वो!

सलमा:" सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई जाती है बल्कि हमे कुछ सच देखना पड़ता हैं! और आज तुम अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सच देखोगे!

सलीम:" जिंदा बच गया तो जरूर देखूंगा!

सलमा और सलीम दोनो चलते हुए राज्य के अंदर घुस गए क्योंकि दोनों ने अलग रूप धारण किया हुआ था तो कोई दिक्कत नहीं हुई और सलमा वैद्य जी यहां पहुंच गई और बोली:" सलीम तुम यहीं रुको मैं अभी आती हु!

सलीम वही रुक गया और सलमा अंदर चली गई! वैद्य जी ने उसे देखा और सलमा बोली:"

" हम अपने पिता से मिलना चाहते हैं!

वैद्य :" आपको उससे पहले महराज विक्रम से आज्ञा लेनी होगी!

सलमा:" आप कैसी बाते कर रहे हैं? हम पहले भी आ चुके हैं और आप सब जानते हैं!

वैद्य;" क्षमा कीजिए शहजादी लेकिन बिना राज आज्ञा के आप नही मिल सकती है!

सलमा:" तो ठीक हैं फिर! हमारा सन्देश अपने महाराज तक पहुंचा दीजिए!

वैद्य:" ठीक हैं! तब तक आप विश्राम कीजिए मैं आपके लिए जल पान की व्यवस्था करता हु!

थोड़ी ही देर बाद विक्रम वैद्य जी के यहां आ गए तो सलमा को देखकर बेहद खुश हुए सलीम की तरफ देखते हुए बोले:"

" आप शहजादे सलीम हो ना!

सलीम ने विक्रम की तरफ देखा और बोला:" हान लेकिन आप कौन हैं अपना परिचय दीजिए!

विक्रम:" हम उदयगढ़ के महराज विक्रम सिंह हैं!

सलीम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:"

" तो आप हैं महराज विक्रम सिंह! उस वंश के आखिरी चिराग जिसने हमारे अब्बू को हमसे छीन लिया था!

सलमा:" बिना सच्चाई जाने किसी पर इल्जाम मत लगाओ सलीम! आओ हम आपको सच्चाई दिखाते हैं!

इतना कहकर सलमा उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गई और सुलतान को जिंदा देखते ही सलीम खुशी के मारे चींख उठा और बोला:"

" अब्बू आप जिंदा हैं! मेरे खुदा तेरा करिश्मा! हम ये क्या जलवा देख रहे हैं!

इतना कहकर सलीम दौड़कर अपने बाप के गले लग गया और सुलतान बोला:"

" बेटा हम जिंदा है और इसके लिए आपको महराज विक्रम का शुक्रगुजार होना चाहिए जो मौत के मुंह से अपनी जान पर खेलकर हमे बचाकर लाए हैं!

सलीम ने इज्जत और प्यार के साथ विक्रम की तरफ देखा और सलमा बोली:"

" सच्चाई सामने आ ही गई है कि कौन बचाने वाला हैं और कौन मारने वाला! अब्बू सलीम को सब कुछ बताए आप जब तक आती हु!

इतना कहकर सलमा बाहर निकल और विक्रम से बोली:"

" क्षमा कीजिए मुझे प्रियतम मैं आपकी आज्ञा के बिना सलीम को यहां लेकर आई हु ताकि वो भी सच्चाई जानकर हम लोगो का साथ दे सके!

विक्रम:" क्षमा मत मांगिए! आखिर एक पुत्र को भी अपने पिता से मिलने का अधिकार हैं!

सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा और बोली:" महाराज ये वैद्य ही हमे हमारे अब्बू से मिलने से रोक रहे थे! इन्हे आदेश दीजिए कि आगे से उदयगढ़ की होने वाली महारानी की शान में ऐसी गुस्ताखी न करें!

विक्रम ने सलमा की तरफ देखा और उसे खुशी हुई कि सलमा वैद्य जी के सामने भी अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत रखती हैं और बोले:"

" आप निश्चित रहे! आगे से वैद्य जी आपको मना नही करेंगे!

सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा तो उन्होंने स्वीकृति में अपनी गर्दन को हिला दिया और उसके बाद सलमा विक्रम के साथ अंदर चली गई जहां अब तक सुलतान सलीम को सब समझा चुका था और उसे समझ आ गया था कि असली दुश्मन विक्रम नही बल्कि जब्बार हैं जो सारे राज्य पर कब्जा करके बैठा हुआ है!

उसके बाद सलमा सलीम को साथ लेकर वापिस अपने राज्य की तरफ लौट पड़ी और विक्रम भी जाने लगा तो वैद्य जी बोले:"

" महराज आपकी और शहजादी की बातो से हमे समझा आ गया है कि आप दोनो एक दूसरे के प्रेम में हो और शादी करना चाहते हो!

विक्रम:" आपने बिलकुल ठीक समझा वैद्य जी!

वैद्य:" मुझे आपसे ऐसी बाते करनी तो नही चाहिए लेकिन एक वैद्य होने के नाते मेरा धर्म हैं!

इतना कहकर वैद्य जी ने विक्रम को एक शीशी दी और बोले:"

" महाराज ये वो दवाई हैं जो सदियों पुरानी दुर्लभ जड़ी बूटियों से मेरे पूर्वजों ने बनाई थी! इसके सेवन का अधिकार सिर्फ राज परिवार और हमारे परिवार को होता है! ये शरीर में ऐसी अद्भुत शक्तियां भर देती है कि हम इतने वृद्ध होने के बाद भी अपनी जवान पुत्रवधु की चींखे निकलवा देते है! ये शीशी का सेवन करने के बाद आपका जिस्म फौलाद बन जायेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि बिस्तर पर उदयगढ़ सुल्तानपुर पर बहुत भारी पड़ेगा!

विक्रम वैद्य जी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए और बोले:"

" ये अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक शीशी हमे देने के लिए आपका धन्यवाद! लेकिन इसके सेवन की क्या विधि हैं ?

वैद्य जी:" आप एक बार में इसे पूरी पी लीजिए और कुछ घंटों बाद ही इसका असर होगा जो मरते तक आपके शरीर में बना रहेगा महाराज!

विक्रम ने शीशी को खोला और एक ही घूंट में खाली कर दिया और उसके बाद वो अपने महल की तरफ लौट चला!

रात के करीब 12 बजने वाले थे और मेनका विक्रम का इंतजार करती रही कि वो आए और दोनो साथ में शाही बगीचे मे घूमकर आए लेकिन विक्रम का को अता पता नहीं था! मेनका जानती थी कि विक्रम जरूर किसी काम में फंस गए होंगे नही तो कभी के आ गए होते! मेनका अब अपने शयन कक्ष में लेटी हुई थी और उसने लाल रंग की एक बेहद खूबसूरत साड़ी को धारण किया हुआ था और अच्छे से मेकअप करने के बाद वो आभूषणों से सजी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसकी नाक में सच्चे मोतियों की नथ उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी! मेनका ने जान बूझकर अपने दरवाजे को खुला हुआ छोड़ा था ताकि विक्रम आराम से अंदर आ सके! मेनका बिलकुल किसी दुल्हन की तरह सजी हुई थी और उसके रसीले होंठ आजकल लाल रंग रंग की लिपिस्टिक से बेहद आकर्षक और रसीले लग रहे थे! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में निहार रही थी और अपनी सुन्दरता पर मनमुग्ध हुई जा रही थी! मेनका कभी अपनी गहरी गोल गोल बड़ी बड़ी काली आंखो को देखती तो कभी अपने नाजुक कांपते हुए रसीले होंठों को निहारती हुई सोच रही थी कि कैसे मेरे पुत्र के आने से पहले की कांप रहे हैं! मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई अंगड़ाइयां ले रही थी! मेनका शीशे में देखते हुए किसी दुल्हन की तरह अपने पल्लू के घूंघट को धीरे धीरे सरकाती तो अपने बिस्तर पर अपनी मदमस्त उंगलियों को फेर रही थी! मेनका ने अपने हाथ को घुमाते हुए अपने चेहरे पर टिका दिया और अपने खूबसूरत गाल उसे बेहद गर्म महसूस हुए मानो वो उसके पुत्र के लिए जले जा रहे थे और मेनका के तन बदन में खुमारी बढ़ती ही जा रही थी!


मेनका ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के करीब 12:30 हो गए थे और उसका पुत्र अभी तक नहीं आया था तो मेनका को शक हुआ कि कहीं वो गलती से दरवाजा तो बंद नहीं करके आ गई है तो बेताबी में वो बेड से उठ खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ चल पड़ी! मेनका को उसकी चाल में आज अजब की मस्ती महसूस हो रही थी और मेनका ने दरवाजे को देखा तो वो खुला हुआ ही था ! बस हल्का सा बंद दरवाजा छूते ही खुल गया और मेनका ने उधर इधर देखा लेकिन विक्रम कहीं नजर नहीं आया तो उसका दिल उदास हो गया और वो फिर से वापिस अपने शयन कक्ष में आ गई! मेनका को अब यकीन हो गया था कि कल रात का थका हुआ विक्रम गहरी नींद में होने के कारण अब नहीं आएगा और वो सीधे अलमारी में से एक बॉटल निकाल लाई जिसे कल उसने विक्रम के साथ लिया था! मेनका ने तीन चार बड़े घूंट लिए और उसके बाद शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका की साडी का पल्लू सरक गया और उसने उसने ठीक करने की जरूरत नहीं समझी और मेनका शीशे में खड़ी होकर खुद को सिर से लेकर पांव तक निहारने लगी! मेनका की नजर अपनी चुचियों पर गई जिनके बीच की गहरी लकीर साबित कर रही थी मेनका के पास बेहद खूबसूरत गोल गोल मटोल पपीते के लिए की कसी हुई सख्त चूचियां हैं और सुंदर गोरा सपाट पेट गहरी कामुक नाभि के साथ बेहद कामुक लग रहा था! मेनका पलट गई और अपनी गांड़ पर उसकी नजर पड़ी तो उसका दिल जोरो से धड़क उठा और मेनका ने सम्मोहित सा होते हुए अपने दोनो हाथों को अपनी गांड़ पर रखकर हल्का सा दबाव दिया तो उसके मुंह से आह निकल पड़ी लेकिन वो मजा नही आया जो कल विक्रम के छूने के बाद उसे महसूस हुआ था! कांपती हुई मचलती हुई मेनका के पैर जवाब देने लगे तो वो बेड की तरफ चल पड़ी और बेड के गद्दे को देखते ही मदहोश मेनका को शरारत सूझी और पूरी ताकत से वो बिस्तर पर कूद पड़ी और देखते ही देखते मेनका का जिस्म ऊपर नीचे होने लगा मानो वो चुद रही हो,! मेनका की सांसे उखड़ गई थी और उसके हाथ उसकी चूचियों तक आ गए और हल्का हल्का सहलाने लगे थे जिससे मेनका के जिस्म पर कामवासना पूरी तरह से हावी होने लगी थी! मदहोश मेनका ने एक शीशे को हाथ में लिया और एक बार फिर से खुद को निहारने लगी! कभी वो अपने गर्म पिघलते हुए गाल को छू रही थीं तो कभी अपनी मोतियों से सज्जित नथ को देखते हुए मदहोश हुई जा रही थी!


मेनका की चुचियों में तनाव आना शुरू हो गया जिससे उसके सीने में मीठा मीठा दर्द हो रहा था! चुचियों की मासपेशियों में कम्पन गर्मी इस बात का सुबूत थी कि मेनका के सिर अब उत्तेजना चढ़कर बोल रही थी! मेनका ने धीरे से अपनी साड़ी को हटा लिया और सीना आगे से पूरी तरह से खुल गया! ब्लाउस में कसी हुई उसकी चुचियों गजब ढा रही थी और मेनका ने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए ब्लाउस को भी खोल दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से नंगी हो गई तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका बिस्तर पर उल्टी होकर लेट गई और अपनी चुचियों को जोर जोर से बिस्तर में रगड़ने लगी जिससे उसकी चूत में गीलापन बढ़ गया था और मेनका के बिस्तर पर हिलने से उसकी साड़ी उसकी पीठ पर से भी खुल गई और मेनका अब पूरी तरह से बिलकुल मादरजात नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई अपनी चुचियों को बिस्तर से रगड़ रही जिससे उसकी गांड़ उछल उछल पड़ रही थीं और बेहद कामुक लग रही थी!

विक्रम रात के एक बजे महल में आ गया और दवाई पीने के बाद उसके शरीर में अदभुत ताकत आ गई थी और लंड तो मानो किसी लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था! विक्रम जानता था कि मेनका रंगीन वस्त्र धारण किए हुए उसका इंतजार कर रही होगी तो वो दबे पांव इधर उधर देखते हुए गुप्त दरवाजे से सीधा मेनका के शयन कक्ष के बाहर निकला और जैसे ही उसने धीरे से दरवाजे को हल्का सा खोला तो वो बिना आवाज किए चुपचाप खुलता चला गया और धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम आगे बढ़ गया और मेनका की हल्की आवाज में गूंजती हुई मधुर आवाजे सुनकर विक्रम ने धीरे से पर्दो को हटाया और जैसे ही उसकी नजर नंगी लेटी हुई मेनका पर पड़ी तो विक्रम की आंखे फटी की फटी रह गई! मेनका की गुदाज मांसल मजबूत भरी हुई कमर और चौड़ी उभरी हुई गोल मटोल गांड़ के गोरे चिकने उभार देखकर न चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका ने जैसे ही विक्रम को अपने कक्ष में देखा तो वो शर्म से पानी पानी हो गई और एक लाल वस्त्र उठाते हुए भागकर पर्दे के पीछे छिप गई और अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन एक छोटा सा वस्त्र नाकाफी साबित हो रहा था!

विक्रम मेनका के करीब पहुंच गया और धीरे से बोला:

" हम तो आपकी नथ देखने आए थे माता लेकिन तो आप साक्षात स्वर्ग की मेनका बनी हुई है!

मेनका उसकी बात लंबी लंबी सांसे लेते हुए खामोश खड़ी रही जबकि उसकी चुचिया उछल उछल कर अपनी बेचैनी दिखा रही थीऔर विक्रम ने जैसे ही परदे को हटाना चाहा तो मेनका ने एक हाथ से परदे को थाम लिया और मचलते हुए बोली:"

" हाय पुत्र! मत देखिए हमे!

विक्रम पर्दे को जोर से हटाने की कोशिश करते हुए बोला

" हमारी नाथ हम नही देखेंगे तो भला और कौन देखेगा! हम जानते हैं कि आपने हमे दिखाने के ही पहनी है और अपना दरवाजा भी हमारे लिए ही खुला छोड़ा था!!

मेनका जानती थी कि विक्रम उसे छोड़ने वाला नही है तो बहाने बनाते हुए परदे को कसते हुए बोली,:"

" हाय पुत्र गलती से खुला ग्रह गया होगा!

विक्रम ने एक जोरदार झटके के साथ परदे को खींचा और मेनका ने अपनी तरफ खींचा नतीजा पर्दा फट गया और मेनका अब पूरी तरह से खुलकर विक्रम के सामने आ गई और शर्म के मारे उसकी आंखे बंद हो गई और हाथ हवा में उठते चले गए!
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विक्रम की आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी आंखो के आगे दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा था और विक्रम ने भरपूर नजर उसकी चुचियों पर डाली और आज उसे यकीन हो गया था कि उसकी माता की चुचियों से अच्छी दुनिया में किसी की भी चूचियां हो ही सकती! विक्रम को याद आया कि वो तो मेनका की नथ देखने आया था तो उसने एक नजर उसकी नथ पर डाली और उसकी छोटी सी सुंदर नाक में नथ बेहद आकर्षक लगी और विक्रम आगे बढ़ते हुए मेनका के बेहद करीब हो गया और उसकी नथ को चूम लिया तो मुंह बंद करके सिसक उठी! विक्रम ने उसकी नथ को उंगली से छूने के बाद उसके गर्म जलते हुए गाल को छुआ तो मेनका का बदन जल उठा और जैसे ही विक्रम की उंगलियां नीचे आती हुई उसके पिघलते हुए लाल सुर्ख होंठो से टकराई तो मेनका की चूचियां उछल पड़ी और विक्रम ने जान बूझकर उंगली को नीचे लाते हुए उसकी एक चूची पर ऊपर से नीचे तक पूरे आकार में घुमाया तो मेनका की चूत से रस टपक पड़ा और मेनका आंखे बंद किए हुए ही धीरे से बोली:"

" कैसी लगी पुत्र आपको ?

विक्रम मन ही मन मेनका की हिम्मत की दाद दे उठा और फिर से एक भरपूर नजर उसकी चुचियों पर मारते हुए बोला:"..

" कसी हुई गोल गोल गुम्बद जैसी पपीते के आकार की बिलकुल सख्त!

विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों की प्रशंसा सुनते ही मेनका की चूचियां जोर से उछल पड़ी और मेनका एक झटके के साथ पलटती ही बोली:

" निर्लज कहीं के! हम तो अपनी नथ के बारे में पूछ रहे थे! जाइए हम आपसे बात नहीं करती!

इतना कहकर मेनका पलट गई और जोर जोर से सांसे लेने लगी!

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मेनका के पलटने से जैसे कयामत आ गई और शरीर एक तरफ से आधे से ज्यादा खुल जिससे जिससे उसकी चाची आधी नजर आने लगी और उसके नंगे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के साथ आज मदिरा सेवन नही करोगी क्या माता!

मेनका ने नजरे खोलकर विक्रम को अपनी तरफ घूरते हुए पाया तो अपनी आधी चूची को पूरा ढकते हुए बोली:"

" नही पुत्र! बिलकुल नहीं क्योंकि मदिरा पीने के बाद आपको होश नहीं रहता और मैने पहले ही थोड़ा पी हुई है!

विक्रम ने उसके कंधे को सहला दिया और पीछे खड़े होकर बोला:" नथ की खुशी में मेरा साथ दीजिए ना माता!

मेनका अब इनकार नही कर सकी और मटकती बलखाती हुई अलमारी की तरफ बढ़ गई और विक्रम उसकी मटकती हुई गांड़ देखकर अपने लंड में पूरा तनाव महसूस कर रहा था! मेनका चलती हुई अलमारी के करीब पहुंच गई और बैठते हुए बॉटल और ग्लास निकालने लगी! जैसे ही मेनका आगे को झुकी तो वस्त्र उसके जिस्म पर से एक तरफ खिसक गया और मेनका की पूरी नंगी कमर विक्रम की आंखो के सामने आ गई और उसकी भरी हुई गुदाज कमर और कूल्हों की चौड़ाई और मजबूती देखकर विक्रम उसकी खूबसूरती पर झूम उठा!


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मेनका आगे झुकने के लिए हल्का सा ऊपर को उठी और एक पल के लिए उसकी गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई और विक्रम के मुंह से भी आह निकल गई! विक्रम ने अच्छा मौका देखते ही अपने वस्त्रों को ढीला किया ताकि थोड़ा सा कोशिश करने पर आराम से नीचे सरक जाए ! मेनका ने बॉटल को निकाला और विक्रम की तरफ पलट आई और दोनो बेड की तरफ बढ़ गए!

बेड पर आने के बाद मेनका ने कांपते हुए हाथो से दोनो ग्लास को भरा और एक विक्रम की तरफ बढ़ा दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए एक घूंट भरा और पहले से ही मदहोश मेनका भी एक बार फिर से पीने लगी! आधा ग्लास पीने के बाद मेनका ने जैसे ही ग्लास मुंह से लगाया तो वो उसके हाथ से छूट गया और मेनका के वस्त्र को पूरी तरह से भिगोता चला गया और मेनका अब शर्म के मारे जमीन में गड़ी जा रही थी क्योंकि गीले कपड़े का होना ना होना एक बराबर हो गया था और मेनका ने शर्म के मारे बेड पर एक हाथ टिकाते हुए अपनी आंखे बंद कर ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर कर विक्रम के सामने आ गई!


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विक्रम ने मेनका की चुचियों के आकार को अच्छे से देखा और उसके चुचियों के तने हुए निप्पल दर्शा रहे थे कि मेनका पूरी तरह से वासना में डूबी हुई है और विक्रम ने अपने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और बोला:"

" हाय मेरी माता! आपके गोल गोल पपीते पूरी तरह से पककर पेड़ से टपकने को तैयार हैं!

पहले से ही काम वासना में डूबी हुई मेनका ने जैसे जी विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों के लिए पपीते शब्द सुना तो उसकी चूत से रस बह चला और आंखे खोलते हुए विक्रम की आंखो में देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोली:"



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" डरो मत पुत्र! इतने कमजोर नही हैं मेरे पपीते जो इतनी आसानी से गिर जाएं!

इतना कहकर मेनका ने एक जोरदार सांस लेते हुए अपनी चुचियों को उभार दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए उसकी तरफ बॉटल को बढ़ा दिया और उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरी माता! गिरने दीजिए ना अपने पपीते मेरे ऊपर! हाय कितने ज्यादा रसीले लग रहे हैं आपके पपीते!

मेनका ने ग्लास को भरा और विक्रम के करीब आते हुए उसके ऊपर झुक गई और अपनी चुचियों को पूरी तरह से उभारते हुए उसके होठों से ग्लास लगाते हुए बोली:"

" पपीते छोड़िए ना महाराज! लीजिए आपकी माता के हाथो से मदिरा का सेवन कीजिए पुत्र!

विक्रम ने एक जोरदार घूंट भरी और मेनका की आंखो में देखा जो पूरी तरह से उसके ऊपर झुकी थी अपनी चुचियों से उसे रिझाती हुई उसकी आंखो में देख रही थी! चुचियों के तने हुए निप्पल कपड़े में से उभर आए थे और विक्रम बोला

:" उफ्फ मेरी मेनका ! ऐसे मस्त पपीते एक बार पकड़ने के बाद कोई क्यों छोड़ेगा!

मेनका की चूचियां विक्रम के हाथो में जाने के लिए मचल उठी! मेनका ने विक्रम की आंखो में देखते हुए जान बूझकर अपने हाथ को फिसला दिया!मेनका फिसल कर विक्रम की छाती पर गिर पड़ी और उसकी चूचियां विक्रम के सीने से टकरा गई तो मेनका मस्ती से कराह उठी

" अह्ह्ह्ह्ह क्षमा कीजिए मुझे हमारा हाथ फिसल गया था! आपके कपड़े गीले हो गए!


दारू का ग्लास विक्रम के उपर गिर पड़ा था तो उसने मौके का फायदा उठाते हुए अपने उपरी वस्त्रो को उतार फैंका और बोला:"

" हाय मेरी माता! गिरने ना आप बार बार गिरिए ना! आपके पपीते भींच तो नही गए ना ?

कामुक मेनका विक्रम की चौड़ी छाती देखकर उसके छूने का लालच कर बैठी और फिर से उसके ऊपर आई और उसके छाती पर एक हाथ टिकाते हुए कान खींचती हुई बोली:"

" बड़े बदमाश हो गए हो पुत्र आप!

विक्रम ने जवाब में उसकी नथ को चूम लिया तो मेनका जैसे ही उसकी छाती सहला कर उपर हुई तो उसके वस्त्र का एक हिस्सा विक्रम के नीचे दब गया और मेनका की एक चूची आधी से ज्यादा निप्पल सहित बाहर निकल आई और विक्रम ने पहली बार मेनका की नग्न चूची को देखा और मेनका के कंधे को सहलाते हुए कान में बोला:

" माता आपके पपीते बाहर आने को बेताब हो रहे हैं!

मेनका ने अपनी चूची की तरफ देखा तो उसकी चूत में चिंगारी ही उठ गई और उसने वस्त्र को एक तरफ खींच कर चूची को ढका तो उसकी दूसरी नंगी हो गई! मेनका का कपड़ा छोटा पड़ रहा था! एक चूची को ढकती तो दूसरी बाहर निकल पड़ती


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विक्रम मेनका की आधी नंगी चूचियों को देखकर को देखकर होश खो बैठा और उसके करीब होते हुए उसने आंखे बंद किए हुए कांप रही मेनका के वासनामय खूबसूरत चेहरे को देखा तो उसे मेनका के कांपते लरजते हुए रसीले होंठ दिखाई दिए और विक्रम ने आगे झुककर मेनका के कंधे को पकड़ते हुए एक बार फिर से उसकी नथ को चूम लिया और बोला:"

" मेनका मेरी माता आपकी नथ मुझे बहका रही है! उफ्फ देखो ना कैसे आपके रसीले होंठो को छू रही है !!

मेनका की सांसे पूरी से उखड़ गई थी और चूचियां उछल उछल पड़ रही थी जिससे मेनका का अंतिम वस्त्र जोर जोर से हिल रहा था और जैसे ही विक्रम के मेनका की नथ को चूमते हुए उसके होंठो को अपने होंठो से हल्का सा छुआ तो मेनका का पूरा बदन जोर से कांप उठा और वस्त्र मेनका की छाती के बीच में आ गया और उसकी दोनो चूचियां एक साथ पूरी नंगी हो गई जिसका आंखे बंद किए हुए मचल रही मेनका को जरा भी अंदाजा नही था!



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विक्रम ने मेनका की कसी हुई चुचियों को जी भरकर देखा और एहसास हुआ कि मेनका की चूचियां एक दम सख्त और कसी हुई है! आकार में इतनी बड़ी होने के बावजूद किसी पर्वत की चोटी की तरह उठी हुई और चुचियों के शिखर पर विराजमान चुचक अपनी अलग ही छटा बिखेर रहे थे! मेनका की तेज तेज सांसों के साथ उसकी उछलती हुई चुचियां विक्रम को अपनी तरफ उकसा रही थी और विक्रम का सब्र टूट गया और उसने मेनका के उपर आते हुए उसकी नथ को फिर से एक बार चूम लिया और अपनी मजबूत शक्तिशाली चौड़ी छाती को मेनका की नंगी चूचियों से रगड़ दिया तो मेनका मस्ती से सिसक उठी! मेनका को अपनी नंगी चुचियों का एहसास हुआ और विक्रम को एक जोरदार धक्का देते हुए कामुक तरीके से उसकी आंखो मे देखते हुए अपनी चुचियों को हाथ से ढक लिया !!






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विक्रम से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और और उसने आगे बढ़ कर मेनका के दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर से हटा दिया और उसके गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"

" जब आपके पपीते खुद ही बाहर आ रहे हैं तो उन्हें ढकना कैसा माता!


मेनका को एक झटके के साथ बेड पर गिरा दिया और उसके उपर चढ़ते हुए अपने हाथों में उसकी दोनो चूचियों को भर लिया तो मेनका जोर से सिसकते हुए बोली

" अह्ह्ह्ह पुत्र! ये क्या अनर्थ करते हो हम आपकी माता हैं!

विक्रम ने जोर से उसकी चुचियों को दबाया तो मेनका ने मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम उसके गाल चूमते हुए बोला:"

"वही जो आप चाहती हो मेरी कामुक माता मेनका!

मेनका को विक्रम का खड़ा लंड अपनी चूत पर महसूस हुआ तो मेनका जोर से सिसक उठी और अपनी चुचियों उसके हाथो में उभारते हुए बोली:

" आआआह्ह्ह हमे जाने दीजिए पुत्र! हमे तो बस रंगीन वस्त्र पहनने अच्छा लगता हैं!

विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का उसकी टांगों के बीच में जड़ दिया तो मेनका की आंखे खुली की खुली रह गई और विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए उसकी चुचियों को जोर से मसल कर बोला:"..

" और हमे रंगीन वस्त्र पहने हुई मेनका को प्यार करना अच्छा लगता हैं!


विक्रम ने बिना देर किए अपने होंठो को उसके होंठो से चिपका दिया और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलने लगा! मेनका की दर्द और मस्ती भरी सीत्कार विक्रम के मुंह में फूटने लगी! वस्त्र मेनका के ऊपर से पूरी तरह से हट गया था और वो अब पूरी नंगी थी और जोर जोर से सिसक रही थी! विक्रम ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए धीरे से अपने नीचे के वस्त्र भी खोल दिए और सिसकती हुई मेनका जोर जोर से उछल रही थी जिससे गद्दा बार बार ऊपर नीचे हो रहा था! जैसे ही विक्रम वस्त्र पूरी तरह से सरका तो विक्रम का नंगा लंड मेनका की टांगो में घुस गया और मेनका की आंखे खुलती चली गई और उसने ताकत से अपनी जांघो को कस लिया और विक्रम ने अब उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और जैसे ही जोर से चूसा तो मस्ती से मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी टांगे खुलती चली गई ! जैसे ही मेनका की टांगे खुली तो लंड उसकी चूत से छू गया और लंड की असली लंबाई मोटाई महसूस करके मेनका की आंखो के आगे तारे नाच उठे और जैसे ही विक्रम की गांड़ ऊपर उठी तो मेनका ने जोर से सिसक कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रख दिया और जैसे ही लंड नीचे आया तो एक जोरदार धक्का उसकी हथेली पर पड़ा और मेनका दर्द के कारण सिसक उठी

" आआआह्हह्ह्ह मार डाला मुझे पुत्र!

विक्रम मेनका की चूची चूसते हुए उसकी चूत में धक्के जड़े जा रहा था जिसे मेनका किसी तरह अपनी हथेली पर रोक रही थी और विक्रम ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसके दोनो हाथो को अपने हाथो में कस लिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो में फांसते हुए मेनका की आंखो में देखा तो मेनका इंकार में सिर हिला उठी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"


" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र आज नही!

विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो मेनका ने उसके लंड की समूची लंबाई और चौड़ाई का अंदाजा किया और उसकी चूत डर के मारे सिकुड़ गई और और मेनका बोली:"

" हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा विशाल और भयंकर हैं ये!

विक्रम अपने लंड की प्रशंसा सुनकर मेनका का मुंह चूम लिया और उसकी चुचियों को रगड़ते हुए बोला:"

" आप भी तो इतनी कमजोर नही हो माता! हमे पूरा यकीन है कि आप हमे झेल पाएगी!

मेनका ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी चूत पर सुपाड़ा रगड़ते हुए उसके कानो में बोली:"

" हमारे छेद से दोगुना आकार हैं पुत्र! हम अभी मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं!

विक्रम ने हल्की नाराजगी के साथ उसकी चूचियों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेनका दर्द से कराहने लगी और अपनी टांगो को पूरा कसते हुए अपने हाथों के नाखून विक्रम की कमर में चुभाने लगी तो विक्रम ने उसकी कसी हुई टांगो में लंड के धक्के लगाने शुरु कर दिए और मेनका दर्द से कराह उठी! मेनका ने पूरी ताकत से अपनी टांगो को बंद कर लिया और विक्रम उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी टांगो को चोदने लगा! मेनका दर्द से तड़प रही थी और उसे लंड उसकी जांघो पर चोट मार रहा था और मेनका ने हिम्मत करके विक्रम का सिर अपनी चूची पर झुका दिया तो विक्रम ने उसकी चूची ने दांत गडा दिए और मेनका फिर से दर्द से कराह उठी और उसकी चूत पानी पानी हुई जा रही थी!

" अअह्ह्ह्ह्ह नैइई हिईआ पुत्र! मर जाऊंगी अअह्ह्ह्

विक्रम ने मेनका के निप्पल को जोर से चूसा तो मेनका मस्ती से सिसक उठी और ऊपर उठते हुए विक्रम के माथे को चूम लिया तो विक्रम ने उसकी को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया जिससे मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया और विक्रम के धक्के अब तूफानी रफ्तार पकड़ चुके थे! मेनका मस्ती से अपनी उंगलियां थोड़ा सा खोल देती जिससे हर जोरदार धक्के पर लंड का सुपाड़ा चूत से टकराता और अंदर जाने की कोशिश करता लेकिन मेनका उसे रोक देती! विक्रम पिछले एक घंटे से मेनका को धक्के मार रहा था और उसकी गति पल पल बढ़ती जा रही थी! मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली और जिस्मपसीने पसीने हो गया था और बुरी तरह से सिसक रही थी!

विक्रम के लंड में उबाल आने आने लगा तो उसके धक्के की शक्ति इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मेनका ने अपनी उंगलियों को बंद कर लिया और कसकर अपनी जांघो को खींच लिया! मेनका की चूत में भी तेज सनसनाहट मच गई थी और उसने दोनो हाथों को विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम उसके होंठो को चूसते हुए पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और मेनका भी मस्ती में अपनी जांघों को बंद किए हुए ही अपनी गांड़ उछाल रही थी जिससे विक्रम पूरे जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए सिसका

" अह्ह्ह्ह मेरी मेनका! हम जानते है आप भी संभोग के लिए मचल रही है!

मेनका की चूत की दीवारें कांप उठी और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सब शर्म लिहाज छोड़कर जोर से उसके होंठो को चूसती हुई बोली:"

" सीईईईईई यूआई हान पुत्र! हम भी संभोग क्रिया करना चाहते हैं अपने महाराज के साथ!

विक्रम ने मेनका के मुंह से संभोग क्रिया सुनकर उसकी चुचियों के निप्पल को जोर से मसल दिया और लंड को उसकी जांघों से पूरा बाहर निकाल कर फिर से पूरी ताकत से घुसा दिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला

" अपने महराज पुत्र से संभोग को क्या आपका नाजुक जिस्म झेल पाएगा मेरी माता?

मेनका एक साथ दोहरे दर्द से कराह उठी और लेकिन विक्रम ने उसके नारित्त्व को ललकारा था तो अपने होंठो को काटते हुए दर्द सहन हुए सिसक उठी:"

" अह्ह्ह्ह यूईईईआई मां! हम सब झेल जायेंगे! इतने भी कमजोर नही है पुत्र जितना आप हमे सोचते हो!

विक्रम को लगा कि उसकी सारी शक्ति उसके लंड में आ गई है और उसने मेनका की एक चूची को मुंह में भर कर पूरी शक्ति समेटते हुए लंड का आखिरी जोरदार धक्का मेनका की जांघो के बीच लगाया और न चाहते हुए भी मेनका की मजबूत जांघें हल्की सी खुलती चली गई और लंड का आधा मोटा सुपाड़ा मेनका की चूत के मुंह में घुसकर उसकी चूत की दीवारों को खोलते हुए अंदर उतर गया और मेनका के मुंह से एक जोरदार दर्द भरी आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ दोनो एक दूसरे को कसते हुए अपने स्खलन को प्राप्त करने लगे!

विक्रम ने मेनका के होंठो को एक बार फिर से अपने मुंह में भर लिया और मेनका दर्द से कराहती हुई, सिसकती हुई उससे लिपटी रही और लंड चूत दोनो एक दुसरे को अपने रस से रंगीन करते रहे!

जैसे ही स्खलन खत्म हुआ तो विक्रम मेनका के ऊपर से उतर गया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला:"

" मेनका मेरी माता मेरी प्रियतमा हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं!

मेनका ने भी थोड़ा उचकते हुए विक्रम का गाल चूम लिया और उसकी छाती से लगते हुए बोली:"

" हम भी आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरे पुत्र मेरे महाराज!

विक्रम:" अब आप आराम कीजिए! रात का तीसरा पहर शुरू हो गया है!

इतना कहकर विक्रम बेड से उतरकर जाने लगा तो मेनका नंगी ही बेड से उतर गई और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी छाती से चिपक कर बोली:"

" हम आपकी बांहों में सोना चाहते हैं महराज! हमे छोड़कर मत जाइए!

विक्रम ने मेनका को गोद में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया! दोनो एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए!
Great update buddy
Really maja aagya
 

Ajju Landwalia

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सीमा अजय की हत्या के बाद बेहद टूट गई थी और किसी भी तरह से वो उसकी मौत का बदला लेना चाहती थीं! राधिका उसकी छोटी बहन ने उसकी इस हालत पर जरा भी ध्यान नहीं दिया तो उसे बेहद बुरा लगा! वहीं राधिका का महंगे वस्त्र और आभूषण पहनना भी उसे अखर रहा था और उसे लग रहा था कि कहीं न कहीं जरूर उसकी बहन कुछ तो अमर्यादित कर्म कर रही है और परिवार की इज्जत के लिए मुझे इस पर ध्यान देना ही होगा! राधिका के हाव भाव और उसका घर में चोरी छिपे घुसना सीमा को अखर रहा था और उसने राधिका को अपने निशाने पर लिया और जैसे ही राधिका घर से बाहर निकल गई तो सीमा ने उसके कमरे में जाने का फैसला किया और सीमा उसके कमरे में घुस गई और देखने लगी कि उसके कमरे का तो नक्शा ही बदल हुआ था! कमरे में परदे के पीछे छुपी हुई काफी महंगी वस्तुएं, वस्त्र और आभूषण देखकर सीमा को हैरानी हुई और उसने राधिका की एक अलमारी को खोला तो उसमें से सुल्तानपुर के शाही परिवार के वस्त्र दिखाई दिए जो राधिका के हाथ कैसे लगे उसे समझ नही आ रहा था!

सीमा ने अलमारी को नीचे से खोला तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि ये तो विक्रम की अंगूठी थी और ये राधिका के पास कैसे आई उसे समझ नही आ रहा था!

जरूर राधिका ने इसे मेरे कमरे से चुरा लिया होगा ऐसा सोचकर सीमा ने खुद को तसल्ली दी और अपने कमरे में आ गई लेकिन अब राधिका उसके निशाने पर आ गई थी!

सीमा थोड़ी देर बाद सलमा से मिलने गई और बोली

" राधिका के पास शाही वस्त्र कहां से आए ये मेरे समझ में नही आ रहा है!

सलमा:" बीच में कुछ दिन वो मेरे आई थी काम के लिए तो गलती से ले गई होगी!

सीमा:" नही शहजादी ! सिर्फ आपके ही वस्त्र होते तो और बात थी! लेकिन उसके कमरे में तो और भी कई रंगीन और महंगे वस्त्र होने के साथ साथ कीमती आभूषण भी थे!

सलमा:" इसका मतलब साफ है कि या तो सीमा चोरी कर रही है और फिर किसी से उसके संबंध है जो उसे ये सब चीज दे रहा है!

सीमा:" बिलकुल सही आपने लेकिन जहां तक मैं उसे जानती हु वो चोरी नही कर सकती! फिर सवाल ये हैं कि आखिर कौन उसे इतने कीमती गहने और वस्त्र दे रहा है और क्यों ? सबसे बड़ी बात उसके पास युवराज विक्रम की अंगूठी कैसे आई ये समझ से बाहर हैं!

सलमा:" एक ही रास्ता है कि थोड़े दिन उस नजर रखो सब कुछ अपने आप साफ हो जाएगा!

सीमा:" हान मैंने भी यही सोचा हैं ताकि सच्चाई का पता किया जा सके कि आखिर कौन हैं उसके पीछे !

सलमा:" बिलकुल हमे जानना चाहिए क्योंकि आने वाले दिनों में आर पार की लड़ाई होने जा रही है तो हमे एक बात का ध्यान रखना ही पड़ेगा!

उसके बाद सीमा चली गई और सीमा के जाने के बाद रजिया और सलमा दोनो बैठी हुई थी और रजिया बोली:"


" सलमा हमे सबसे पहले राज वफादारों को एक साथ इकट्ठा करना होगा ताकि युद्ध में वो हमे अंदर से सहायता दे सके!

सलमा:" वही मैं भी सोच रही अम्मी क्योंकि वफादारों और गद्दारों की पहचान करना बेहद जरूरी है युद्ध से पहले ताकि हमें अपनी शक्ति का एहसास हो सके!

रजिया:" बेटा मेरी बात मानकर तूने जो विक्रम को अपने प्रेम जाल में फंसाया हैं उसका फायदा हमे आने वाले युद्ध में मिलेगा और हम उसके बलबूते अपना राज्य फिर से वापिस कर लेंगे!

सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कान आ गई और बोली:"

" मैं कोई भी चाल गलत नही चलती! लेकिन हमारे अब्बू सुलतान में उसको महल के उन गुप्त रास्तों के बारे मे बता दिया है जो हम भी नहीं जानते थे और ऐसा न हो कि आगे चलकर वो इनका फायदा उठा ले!

रजिया:" चिंता मत करो बेटी! एक बार जब्बार खत्म हो फिर तो सारे रास्ते ही बंद कर दिए जाएंगे!

सलमा:" हान ये भी ठीक रहेगा फिर हमे कोई खतरा नहीं होगा! मैं भी शस्त्र अभ्यास शुरू कर देती हु ताकि जरूरत पड़ने पर युद्ध में उतर सकू!

रजिया:" ठीक हैं मैं अहमद शाह को बोलकर सब व्यवस्था करा दूंगी! अच्छा अब मैं चलती हु मुझे कुछ काम होगा!

इतना कहकर रजिया चली गई तो सलमा अपनी योजना बनाने लगी! सलमा जानती थी कि कुछ भी करके सलीम को रास्ते पर लाना ही होगा ताकि वो भी युद्ध में हिस्सा ले सके और इसके लिए उसका एक बार सुलतान से मिलना जरूरी था ताकि उसे जब्बार की सच्चाई पता चल सके तो सलमा सलीम के कक्ष में गई तो देखा कि वो मदिरा का सेवन किए हुआ था और मात्र एक चादर आपने जिस्म पर लपेट कर बिस्तर में उल्टा पड़े हुए बेड में धक्के लगा रहा था मानो चुदाई कर रहा हो तो सलमा उसकी हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" कैसे हो मेरे प्यारे भाई जान आप ?

सलीम ने जैसे ही सलमा की आवाज सुनी तो वो डर के मारे एक झटके से पलट गया और चादर उसके जिस्म से हट गई जिससे सलीम नंगा हो गया और सलमा ने उसके लंड को देखने के बाद अपना मुंह फेर लिया और बोली:"

" हाय भाई आपको शर्म नही आती क्या ऐसे ?

सलीम का लंड एक अच्छे आकार का लंड था जो सामान्य लंड के मुकाबले थोड़ा बड़ा जरूर था लेकिन विक्रम के लंड के मुकाबले कुछ भी नही था ऐसा सलमा ने महसूस किया और सलीम सलमा को अपने सामने पाकर हैरान हो गया और चादर ठीक करते हुए बोला:"

" माफ कीजिए हमे उम्मीद थी कि हमारे कक्ष में कोई नही आयेगा बस इसलिए गलती हो गई हमसे! आप चाहे तो पलट सकती हैं क्योंकि हमने अपने कपड़े ठीक कर लिए हैं!

सलमा धीरे से पलट गई और बोली:" अब हमे समझा आ रहा है कि आप इतने कमजोर क्यो होते जा रहे हो क्योंकि बंद कमरे में अकेले इतनी मेहनत जो कर रहे हो भाई जान!

पहले से ही शराब के नशे में चूर सलीम को सलमा की बात बेहद बुरी लगी और बोला:"

" अकेले नही हो क्या आपके साथ मेहनत करू मेरी प्यारी आपी ?

सलमा उसकी बात सुनकर गुस्सा हो गई और बोली:" मर्यादा के दायरे में बात कीजिए हमसे! हम आपकी सही बड़ी बहन हैं!

सलीम भी गुस्सा हो गया और बोला:" ये तो आपको मेरे मजाक बनाने से पहले सोचना चाहिए था अब खुद की बारी आई तो मर्यादा बीच में आ गई?

सलमा:" तुमसे बहस करने के लिए नही हु! मेरा बोलने का मतलब था कि अम्मी को बोलकर आपकी शादी कारा देनी चाहिए ताकि आप अपनी बीवी के साथ मिलकर मेहनत कर सको!

सलीम ने सामना को गुस्से से देखा और बोला:" अपने काम से मतलब रखो , जिस काम के लिए आई हो वो बोलो आप !

सलमा:" हम आपको कुछ दिखाना चाहते हैं लेकिन उसके लिए आपको हमारे साथ चलना होगा कहीं बाहर!

सलीम:" आज तो मेरे पास समय नहीं है! कल हम जरूर चलेंगे!

सलमा:" सोच लो ऐसा कुछ है कि होश उड़ जायेंगे!

सलीम ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" क्या खबूसूरत लड़की दिखाने वाली हो क्या शादी के लिए ?

सलमा जानती थी कि सलीम लड़की के चक्कर में आसानी से उसके साथ चल देगा तो मुस्कुरा कर बोली:" वो तो देखने के बाद ही आपको पता चलेगा लेकिन अगर खुश ना हुए तो मेरे नाम सलमा नही !

सलीम:" ठीक हैं फिर! बताओ किस समय चलना होगा मैं चलने का प्रबंध कर देता हूं!

सलमा:" उसकी चिन्ता मत करो! हम बिना किसी को बताए चुपचाप जायेंगे! हम सब कुछ तैयारी कर ली हैं!

सलीम:" ठीक हैं फिर! किस समय चलना होगा?


सलमा:" रात के खाने के बाद हम दोनो साथ चलेंगे और आपको एक दूसरा रहस्य भी बताएंगे महल का हम! लेकिन ध्यान रहे कि हम दोनो कहीं जा रहे हैं ये बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए अन्यथा परिणाम बेहद जानलेवा साबित हो सकते हैं!

सलीम:" ये एक शहजादे का वादा हैं सलमा! हम इस बात को राज ही रखेंगे! आखिर हम भी तो जाने कि आखिर महल में ऐसा कौन सा रहस्य है जो हमे नही पता है!

उसके बाद सलमा अपने कक्ष में आ गई और विश्राम करने लगी! वहीं दूसरी तरफ राज कार्यों से मुक्त होने के बाद विक्रम बाजार की तरफ निकल गया और अपना भेष बदलकर उसने मेनका के लिए कुछ रंगीन वस्त्र और सच्चे मोतियों से बनी हुई एक नथ खरीदी जो बेहद कीमती और आकर्षक थी!

रात को खाने पर सलमा विक्रम और मेनका ने साथ में खाना खाया और दोनो ही बेहद खुश लग रहे थे!

मेनका:" महाराज ये बिंदिया भोजन बाद स्वादिष्ट तैयार करती हैं! मुझे लगता हैं कि हमे इसके वेतन मे बढ़ावा करना चाहिए!

विक्रम:" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता! आखिर महल के अंदर भोजन और वस्त्र के साथ आभूषण ये सब की देखभाल आपका कर्तव्य हैं!

बिंदिया:" राजमाता आपके आने से महल में खुशियां आ गई है, महाराज फिर से मुस्कुरा उठे हैं और जीना सीख गए हैं बस यही मेरे लिए बहुत हैं!

मेनका:" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे! आज से आपका वेतन दोगुना हो गया है और सिर्फ आपका ही नही बल्कि रसोई में काम करने वाले सभी लोगो का भी !

बिंदिया ने राजमाता के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" राजमाता की जय हो!

सभी रसोई के कर्मचारी जोर से बोले:" जय हो जय हो!

मेनका मुस्कुराते हुए उन्हे शांत होने का इशारा कर रही थी तो धीरे धीरे वो लोग शांत हुए और खाना खाने के बाद विक्रम भी मेनका के साथ ही चल पड़ा तो मेनका बोली:

" आजकल महल में कुछ काम नही हैं जो क्या मेरे आगे पीछे घूमते रहते हो पुत्र!

विक्रम:" काम तो बहुत हैं माता लेकिन आपका साथ मुझे बेहद अच्छा लगता हैं!

मेनका हल्की सी हंसती हुई बोली:" मेरे चक्कर में अपनी प्रजा और आपके कर्तव्य को मत भूलना महराज,!

विक्रम:" आपकी खुशी का ध्यान रखना और आपकी हर इच्छा पूरी करना भी तो महाराज होने के नाते हमारा कर्तव्य हैं! वैसे हम आपके लिए कुछ लेकर आए थे आज दिन में !

मेनका जानती थी कि विक्रम उसके लिए क्या लेकर आया हैं और बोली:" हम जानती है पुत्र कि आप हमारा लिए क्या लेकर आए है लेकिन हमे रंगीन वस्त्रों में अब कोई रुचि नहीं हैं!

विक्रम जानता था कि मेनका उससे मजाक कर रही है तो सोचते हुए बोला:"

" ठीक हैं फिर मैं एक काम करता हु किसी को दान में दे दूंगा

मेनका का दिल उत्तर गया ये बात सुनकर और जल्दी से बोली:" जब आप ले ही आए हैं तो अब रख दीजिए! लेकिन हम पहनने वाले नही हैं!

चलते चलते दोनो मेनका के कक्ष के सामने आ गए थे और विक्रम बोला:" हमने पहले ही आपके शयन कक्ष मे रख दिए हैं माता क्योंकि हम जानते हैं कि आप चाहकर भी खुद को रोक नहीं पायेगी!

मेनका ने उसकी बात सुनकर उसे आंखे दिखाई और बोली:"

" इतने ज्यादा भी कमजोर नही है हम कि अपने ऊपर काबू न रख सके पुत्र!

बाहर अंधेरा फैल गया था और मशालो की रोशनी में महल जगमगा रहा था! विक्रम ने अपनी जेब में हाथ डाला और सच्चे मोतियों वाली नथ निकाली और मेनका को दिखाते हुए बोला:

" ये देखिए राजमाता ये कैसी लग रही है! हमने किसी के लिए कुछ खरीदा है आज!

मेनका ने नथ को देखा और देखते ही मचल कर बोली:"

" सच में पुत्र ये तो बेहद खूबसूरत और कीमती लग रही है! एक बार हमे छूकर देखने दीजिए ना!

विक्रम ने अपनी हथेली में नथ को बंद कर लिया और बोले:"

" आपने देख तो लिया न राजमाता! वैसे भी ये किसी और के लिए हैं!

मेनका उसकी तरफ बढ़ी और उसका हाथ खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हमे और मत सताइए पुत्र! हमे छूकर देखने दीजिए ना!

विक्रम जानता था कि जिस जगह को खड़े हैं वहां किसी की भी नजर पड़ सकती है इसलिए थोड़ा पीछे हटकर दीवार की तरफ हो गया और मेनका को छेड़ते हुए कहा:"

" जिद मत कीजिए माता! देखने के बाद आप फिर पहनने के लिए जिद करोगी!

मेनका समझ गई कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है और उसकी मुट्ठी खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हान हम पहन भी सकते हैं क्योंकि राजमाता होने के नाते हमें अधिकार हैं पुत्र!

विक्रम ने मेनका को कंधे से पकड़ लिया और बोला:"

" लेकिन ये हम किसी और के लिए लाए हैं राजमाता! इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है!

मेनका जानती थी कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है तो उसने उसकी मुट्ठी छोड़कर अपने हाथो हाथ विक्रम के गले में डाल दिए और उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम को कक्ष से बाहर मेनका से ऐसी उम्मीद नहीं थी और विक्रम ने ध्यान से उधर उधर देखा और वो भी मेनका के होंठो को चूसने लगा! जैसे ही विक्रम के उसके होंठो को चूसना शुरु किया तो मेनका ने मस्त होते हुए अपने मुंह को खोल दिया और विक्रम की जीभ उसके मुंह में घुस गई और जैसे ही मेनका की लसलसी रसीली जीभ विक्रम की जीभ से टकराई तो विक्रम ने दोनो हाथों से मेनका को कस लिया और यहीं विक्रम से चूक हो गई क्यूंकि दोनो हाथों के खुलते ही नथ नीचे गिर पड़ी और मेनका एक झटके के साथ उसकी बांहों से निकली और नथ को उठाकर अपने कक्ष में घुस गई तो विक्रम को जैसे होश आया और बोला:"

" ये तो धोखा हुआ माता! वो नथ हमे वापिस दीजिए!

मेनका अपनी जीत पर खुश होते हुए बोली:" हम जानते थे कि आप हमारे लिए लाए हैं! आपने प्यार से नही दिया तो हमने अपने तरीके से हासिल किया!

विक्रम उसके कक्ष की तरफ बढ़ा तो मेनका ने दरवाजा बंद कर दिया तो विक्रम बोला:"

" हमे पहन कर दिखाए न राजमाता! हम देखना चाहते हैं कि मेरी माता इसमें कितनी प्यारी लगेगी?

मेनका:" सपने मत देखो पुत्र! आपने प्यार से दिया होता तो जरूर दिखाते! अब तो हमारी मर्जी है हम दिखाए या नहीं!

विक्रम:" हम जानते है कि आप जरूरी हमे दिखायेगी! मेरी एक विनती है राजमाता! रात में रंगीन वस्त्र धारण करना और अपना दरवाजा बंद मत करना! हम आपके आपकी नथ देखने के लिए आधी आज रात आपके शयन कक्ष में माता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और तन बदन में सिरहन सी दौड़ गई और बोली:"

" हम कोई रंगीन वस्त्र धारण नही करेंगे! आप आराम करना क्योंकि हमारा कक्ष आज बंद ही रहेगा पुत्र! जाओ अब अपने काम देखिए आप!

विक्रम राज्य में घूमने के लिए निकल गया और वहीं दूसरी तरफ सलमा सलीम को अपने साथ लेकर जैसी ही गुप्त रास्ते में घुसी तो सलीम की आंखे फटी की फटी रह गई और बोला:"

" आपी महल में ऐसे रहस्य भी है हमे आज पता चला है!

सलमा:" आगे इससे भी बड़े रहस्य आपको देखने के लिए मिलने वाले हैं आज!

सलमा और सलीम दोनो गुफा में चलते रहे और अंत में दोनो उदयगढ़ की सीमा में बाहर निकल आए तो सलीम बोला:"

" ये तो सुल्तानपुर की सीमा हैं शहजादी! क्या आप नही जानते कि वो शत्रु राज्य हैं! हमारे अब्बू के हत्यारे हैं वो!

सलमा:" सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई जाती है बल्कि हमे कुछ सच देखना पड़ता हैं! और आज तुम अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सच देखोगे!

सलीम:" जिंदा बच गया तो जरूर देखूंगा!

सलमा और सलीम दोनो चलते हुए राज्य के अंदर घुस गए क्योंकि दोनों ने अलग रूप धारण किया हुआ था तो कोई दिक्कत नहीं हुई और सलमा वैद्य जी यहां पहुंच गई और बोली:" सलीम तुम यहीं रुको मैं अभी आती हु!

सलीम वही रुक गया और सलमा अंदर चली गई! वैद्य जी ने उसे देखा और सलमा बोली:"

" हम अपने पिता से मिलना चाहते हैं!

वैद्य :" आपको उससे पहले महराज विक्रम से आज्ञा लेनी होगी!

सलमा:" आप कैसी बाते कर रहे हैं? हम पहले भी आ चुके हैं और आप सब जानते हैं!

वैद्य;" क्षमा कीजिए शहजादी लेकिन बिना राज आज्ञा के आप नही मिल सकती है!

सलमा:" तो ठीक हैं फिर! हमारा सन्देश अपने महाराज तक पहुंचा दीजिए!

वैद्य:" ठीक हैं! तब तक आप विश्राम कीजिए मैं आपके लिए जल पान की व्यवस्था करता हु!

थोड़ी ही देर बाद विक्रम वैद्य जी के यहां आ गए तो सलमा को देखकर बेहद खुश हुए सलीम की तरफ देखते हुए बोले:"

" आप शहजादे सलीम हो ना!

सलीम ने विक्रम की तरफ देखा और बोला:" हान लेकिन आप कौन हैं अपना परिचय दीजिए!

विक्रम:" हम उदयगढ़ के महराज विक्रम सिंह हैं!

सलीम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:"

" तो आप हैं महराज विक्रम सिंह! उस वंश के आखिरी चिराग जिसने हमारे अब्बू को हमसे छीन लिया था!

सलमा:" बिना सच्चाई जाने किसी पर इल्जाम मत लगाओ सलीम! आओ हम आपको सच्चाई दिखाते हैं!

इतना कहकर सलमा उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गई और सुलतान को जिंदा देखते ही सलीम खुशी के मारे चींख उठा और बोला:"

" अब्बू आप जिंदा हैं! मेरे खुदा तेरा करिश्मा! हम ये क्या जलवा देख रहे हैं!

इतना कहकर सलीम दौड़कर अपने बाप के गले लग गया और सुलतान बोला:"

" बेटा हम जिंदा है और इसके लिए आपको महराज विक्रम का शुक्रगुजार होना चाहिए जो मौत के मुंह से अपनी जान पर खेलकर हमे बचाकर लाए हैं!

सलीम ने इज्जत और प्यार के साथ विक्रम की तरफ देखा और सलमा बोली:"

" सच्चाई सामने आ ही गई है कि कौन बचाने वाला हैं और कौन मारने वाला! अब्बू सलीम को सब कुछ बताए आप जब तक आती हु!

इतना कहकर सलमा बाहर निकल और विक्रम से बोली:"

" क्षमा कीजिए मुझे प्रियतम मैं आपकी आज्ञा के बिना सलीम को यहां लेकर आई हु ताकि वो भी सच्चाई जानकर हम लोगो का साथ दे सके!

विक्रम:" क्षमा मत मांगिए! आखिर एक पुत्र को भी अपने पिता से मिलने का अधिकार हैं!

सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा और बोली:" महाराज ये वैद्य ही हमे हमारे अब्बू से मिलने से रोक रहे थे! इन्हे आदेश दीजिए कि आगे से उदयगढ़ की होने वाली महारानी की शान में ऐसी गुस्ताखी न करें!

विक्रम ने सलमा की तरफ देखा और उसे खुशी हुई कि सलमा वैद्य जी के सामने भी अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत रखती हैं और बोले:"

" आप निश्चित रहे! आगे से वैद्य जी आपको मना नही करेंगे!

सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा तो उन्होंने स्वीकृति में अपनी गर्दन को हिला दिया और उसके बाद सलमा विक्रम के साथ अंदर चली गई जहां अब तक सुलतान सलीम को सब समझा चुका था और उसे समझ आ गया था कि असली दुश्मन विक्रम नही बल्कि जब्बार हैं जो सारे राज्य पर कब्जा करके बैठा हुआ है!

उसके बाद सलमा सलीम को साथ लेकर वापिस अपने राज्य की तरफ लौट पड़ी और विक्रम भी जाने लगा तो वैद्य जी बोले:"

" महराज आपकी और शहजादी की बातो से हमे समझा आ गया है कि आप दोनो एक दूसरे के प्रेम में हो और शादी करना चाहते हो!

विक्रम:" आपने बिलकुल ठीक समझा वैद्य जी!

वैद्य:" मुझे आपसे ऐसी बाते करनी तो नही चाहिए लेकिन एक वैद्य होने के नाते मेरा धर्म हैं!

इतना कहकर वैद्य जी ने विक्रम को एक शीशी दी और बोले:"

" महाराज ये वो दवाई हैं जो सदियों पुरानी दुर्लभ जड़ी बूटियों से मेरे पूर्वजों ने बनाई थी! इसके सेवन का अधिकार सिर्फ राज परिवार और हमारे परिवार को होता है! ये शरीर में ऐसी अद्भुत शक्तियां भर देती है कि हम इतने वृद्ध होने के बाद भी अपनी जवान पुत्रवधु की चींखे निकलवा देते है! ये शीशी का सेवन करने के बाद आपका जिस्म फौलाद बन जायेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि बिस्तर पर उदयगढ़ सुल्तानपुर पर बहुत भारी पड़ेगा!

विक्रम वैद्य जी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए और बोले:"

" ये अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक शीशी हमे देने के लिए आपका धन्यवाद! लेकिन इसके सेवन की क्या विधि हैं ?

वैद्य जी:" आप एक बार में इसे पूरी पी लीजिए और कुछ घंटों बाद ही इसका असर होगा जो मरते तक आपके शरीर में बना रहेगा महाराज!

विक्रम ने शीशी को खोला और एक ही घूंट में खाली कर दिया और उसके बाद वो अपने महल की तरफ लौट चला!

रात के करीब 12 बजने वाले थे और मेनका विक्रम का इंतजार करती रही कि वो आए और दोनो साथ में शाही बगीचे मे घूमकर आए लेकिन विक्रम का को अता पता नहीं था! मेनका जानती थी कि विक्रम जरूर किसी काम में फंस गए होंगे नही तो कभी के आ गए होते! मेनका अब अपने शयन कक्ष में लेटी हुई थी और उसने लाल रंग की एक बेहद खूबसूरत साड़ी को धारण किया हुआ था और अच्छे से मेकअप करने के बाद वो आभूषणों से सजी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसकी नाक में सच्चे मोतियों की नथ उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी! मेनका ने जान बूझकर अपने दरवाजे को खुला हुआ छोड़ा था ताकि विक्रम आराम से अंदर आ सके! मेनका बिलकुल किसी दुल्हन की तरह सजी हुई थी और उसके रसीले होंठ आजकल लाल रंग रंग की लिपिस्टिक से बेहद आकर्षक और रसीले लग रहे थे! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में निहार रही थी और अपनी सुन्दरता पर मनमुग्ध हुई जा रही थी! मेनका कभी अपनी गहरी गोल गोल बड़ी बड़ी काली आंखो को देखती तो कभी अपने नाजुक कांपते हुए रसीले होंठों को निहारती हुई सोच रही थी कि कैसे मेरे पुत्र के आने से पहले की कांप रहे हैं! मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई अंगड़ाइयां ले रही थी! मेनका शीशे में देखते हुए किसी दुल्हन की तरह अपने पल्लू के घूंघट को धीरे धीरे सरकाती तो अपने बिस्तर पर अपनी मदमस्त उंगलियों को फेर रही थी! मेनका ने अपने हाथ को घुमाते हुए अपने चेहरे पर टिका दिया और अपने खूबसूरत गाल उसे बेहद गर्म महसूस हुए मानो वो उसके पुत्र के लिए जले जा रहे थे और मेनका के तन बदन में खुमारी बढ़ती ही जा रही थी!


मेनका ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के करीब 12:30 हो गए थे और उसका पुत्र अभी तक नहीं आया था तो मेनका को शक हुआ कि कहीं वो गलती से दरवाजा तो बंद नहीं करके आ गई है तो बेताबी में वो बेड से उठ खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ चल पड़ी! मेनका को उसकी चाल में आज अजब की मस्ती महसूस हो रही थी और मेनका ने दरवाजे को देखा तो वो खुला हुआ ही था ! बस हल्का सा बंद दरवाजा छूते ही खुल गया और मेनका ने उधर इधर देखा लेकिन विक्रम कहीं नजर नहीं आया तो उसका दिल उदास हो गया और वो फिर से वापिस अपने शयन कक्ष में आ गई! मेनका को अब यकीन हो गया था कि कल रात का थका हुआ विक्रम गहरी नींद में होने के कारण अब नहीं आएगा और वो सीधे अलमारी में से एक बॉटल निकाल लाई जिसे कल उसने विक्रम के साथ लिया था! मेनका ने तीन चार बड़े घूंट लिए और उसके बाद शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका की साडी का पल्लू सरक गया और उसने उसने ठीक करने की जरूरत नहीं समझी और मेनका शीशे में खड़ी होकर खुद को सिर से लेकर पांव तक निहारने लगी! मेनका की नजर अपनी चुचियों पर गई जिनके बीच की गहरी लकीर साबित कर रही थी मेनका के पास बेहद खूबसूरत गोल गोल मटोल पपीते के लिए की कसी हुई सख्त चूचियां हैं और सुंदर गोरा सपाट पेट गहरी कामुक नाभि के साथ बेहद कामुक लग रहा था! मेनका पलट गई और अपनी गांड़ पर उसकी नजर पड़ी तो उसका दिल जोरो से धड़क उठा और मेनका ने सम्मोहित सा होते हुए अपने दोनो हाथों को अपनी गांड़ पर रखकर हल्का सा दबाव दिया तो उसके मुंह से आह निकल पड़ी लेकिन वो मजा नही आया जो कल विक्रम के छूने के बाद उसे महसूस हुआ था! कांपती हुई मचलती हुई मेनका के पैर जवाब देने लगे तो वो बेड की तरफ चल पड़ी और बेड के गद्दे को देखते ही मदहोश मेनका को शरारत सूझी और पूरी ताकत से वो बिस्तर पर कूद पड़ी और देखते ही देखते मेनका का जिस्म ऊपर नीचे होने लगा मानो वो चुद रही हो,! मेनका की सांसे उखड़ गई थी और उसके हाथ उसकी चूचियों तक आ गए और हल्का हल्का सहलाने लगे थे जिससे मेनका के जिस्म पर कामवासना पूरी तरह से हावी होने लगी थी! मदहोश मेनका ने एक शीशे को हाथ में लिया और एक बार फिर से खुद को निहारने लगी! कभी वो अपने गर्म पिघलते हुए गाल को छू रही थीं तो कभी अपनी मोतियों से सज्जित नथ को देखते हुए मदहोश हुई जा रही थी!


मेनका की चुचियों में तनाव आना शुरू हो गया जिससे उसके सीने में मीठा मीठा दर्द हो रहा था! चुचियों की मासपेशियों में कम्पन गर्मी इस बात का सुबूत थी कि मेनका के सिर अब उत्तेजना चढ़कर बोल रही थी! मेनका ने धीरे से अपनी साड़ी को हटा लिया और सीना आगे से पूरी तरह से खुल गया! ब्लाउस में कसी हुई उसकी चुचियों गजब ढा रही थी और मेनका ने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए ब्लाउस को भी खोल दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से नंगी हो गई तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका बिस्तर पर उल्टी होकर लेट गई और अपनी चुचियों को जोर जोर से बिस्तर में रगड़ने लगी जिससे उसकी चूत में गीलापन बढ़ गया था और मेनका के बिस्तर पर हिलने से उसकी साड़ी उसकी पीठ पर से भी खुल गई और मेनका अब पूरी तरह से बिलकुल मादरजात नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई अपनी चुचियों को बिस्तर से रगड़ रही जिससे उसकी गांड़ उछल उछल पड़ रही थीं और बेहद कामुक लग रही थी!

विक्रम रात के एक बजे महल में आ गया और दवाई पीने के बाद उसके शरीर में अदभुत ताकत आ गई थी और लंड तो मानो किसी लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था! विक्रम जानता था कि मेनका रंगीन वस्त्र धारण किए हुए उसका इंतजार कर रही होगी तो वो दबे पांव इधर उधर देखते हुए गुप्त दरवाजे से सीधा मेनका के शयन कक्ष के बाहर निकला और जैसे ही उसने धीरे से दरवाजे को हल्का सा खोला तो वो बिना आवाज किए चुपचाप खुलता चला गया और धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम आगे बढ़ गया और मेनका की हल्की आवाज में गूंजती हुई मधुर आवाजे सुनकर विक्रम ने धीरे से पर्दो को हटाया और जैसे ही उसकी नजर नंगी लेटी हुई मेनका पर पड़ी तो विक्रम की आंखे फटी की फटी रह गई! मेनका की गुदाज मांसल मजबूत भरी हुई कमर और चौड़ी उभरी हुई गोल मटोल गांड़ के गोरे चिकने उभार देखकर न चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका ने जैसे ही विक्रम को अपने कक्ष में देखा तो वो शर्म से पानी पानी हो गई और एक लाल वस्त्र उठाते हुए भागकर पर्दे के पीछे छिप गई और अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन एक छोटा सा वस्त्र नाकाफी साबित हो रहा था!

विक्रम मेनका के करीब पहुंच गया और धीरे से बोला:

" हम तो आपकी नथ देखने आए थे माता लेकिन तो आप साक्षात स्वर्ग की मेनका बनी हुई है!

मेनका उसकी बात लंबी लंबी सांसे लेते हुए खामोश खड़ी रही जबकि उसकी चुचिया उछल उछल कर अपनी बेचैनी दिखा रही थीऔर विक्रम ने जैसे ही परदे को हटाना चाहा तो मेनका ने एक हाथ से परदे को थाम लिया और मचलते हुए बोली:"

" हाय पुत्र! मत देखिए हमे!

विक्रम पर्दे को जोर से हटाने की कोशिश करते हुए बोला

" हमारी नाथ हम नही देखेंगे तो भला और कौन देखेगा! हम जानते हैं कि आपने हमे दिखाने के ही पहनी है और अपना दरवाजा भी हमारे लिए ही खुला छोड़ा था!!

मेनका जानती थी कि विक्रम उसे छोड़ने वाला नही है तो बहाने बनाते हुए परदे को कसते हुए बोली,:"

" हाय पुत्र गलती से खुला ग्रह गया होगा!

विक्रम ने एक जोरदार झटके के साथ परदे को खींचा और मेनका ने अपनी तरफ खींचा नतीजा पर्दा फट गया और मेनका अब पूरी तरह से खुलकर विक्रम के सामने आ गई और शर्म के मारे उसकी आंखे बंद हो गई और हाथ हवा में उठते चले गए!
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विक्रम की आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी आंखो के आगे दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा था और विक्रम ने भरपूर नजर उसकी चुचियों पर डाली और आज उसे यकीन हो गया था कि उसकी माता की चुचियों से अच्छी दुनिया में किसी की भी चूचियां हो ही सकती! विक्रम को याद आया कि वो तो मेनका की नथ देखने आया था तो उसने एक नजर उसकी नथ पर डाली और उसकी छोटी सी सुंदर नाक में नथ बेहद आकर्षक लगी और विक्रम आगे बढ़ते हुए मेनका के बेहद करीब हो गया और उसकी नथ को चूम लिया तो मुंह बंद करके सिसक उठी! विक्रम ने उसकी नथ को उंगली से छूने के बाद उसके गर्म जलते हुए गाल को छुआ तो मेनका का बदन जल उठा और जैसे ही विक्रम की उंगलियां नीचे आती हुई उसके पिघलते हुए लाल सुर्ख होंठो से टकराई तो मेनका की चूचियां उछल पड़ी और विक्रम ने जान बूझकर उंगली को नीचे लाते हुए उसकी एक चूची पर ऊपर से नीचे तक पूरे आकार में घुमाया तो मेनका की चूत से रस टपक पड़ा और मेनका आंखे बंद किए हुए ही धीरे से बोली:"

" कैसी लगी पुत्र आपको ?

विक्रम मन ही मन मेनका की हिम्मत की दाद दे उठा और फिर से एक भरपूर नजर उसकी चुचियों पर मारते हुए बोला:"..

" कसी हुई गोल गोल गुम्बद जैसी पपीते के आकार की बिलकुल सख्त!

विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों की प्रशंसा सुनते ही मेनका की चूचियां जोर से उछल पड़ी और मेनका एक झटके के साथ पलटती ही बोली:

" निर्लज कहीं के! हम तो अपनी नथ के बारे में पूछ रहे थे! जाइए हम आपसे बात नहीं करती!

इतना कहकर मेनका पलट गई और जोर जोर से सांसे लेने लगी!

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मेनका के पलटने से जैसे कयामत आ गई और शरीर एक तरफ से आधे से ज्यादा खुल जिससे जिससे उसकी चाची आधी नजर आने लगी और उसके नंगे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के साथ आज मदिरा सेवन नही करोगी क्या माता!

मेनका ने नजरे खोलकर विक्रम को अपनी तरफ घूरते हुए पाया तो अपनी आधी चूची को पूरा ढकते हुए बोली:"

" नही पुत्र! बिलकुल नहीं क्योंकि मदिरा पीने के बाद आपको होश नहीं रहता और मैने पहले ही थोड़ा पी हुई है!

विक्रम ने उसके कंधे को सहला दिया और पीछे खड़े होकर बोला:" नथ की खुशी में मेरा साथ दीजिए ना माता!

मेनका अब इनकार नही कर सकी और मटकती बलखाती हुई अलमारी की तरफ बढ़ गई और विक्रम उसकी मटकती हुई गांड़ देखकर अपने लंड में पूरा तनाव महसूस कर रहा था! मेनका चलती हुई अलमारी के करीब पहुंच गई और बैठते हुए बॉटल और ग्लास निकालने लगी! जैसे ही मेनका आगे को झुकी तो वस्त्र उसके जिस्म पर से एक तरफ खिसक गया और मेनका की पूरी नंगी कमर विक्रम की आंखो के सामने आ गई और उसकी भरी हुई गुदाज कमर और कूल्हों की चौड़ाई और मजबूती देखकर विक्रम उसकी खूबसूरती पर झूम उठा!


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मेनका आगे झुकने के लिए हल्का सा ऊपर को उठी और एक पल के लिए उसकी गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई और विक्रम के मुंह से भी आह निकल गई! विक्रम ने अच्छा मौका देखते ही अपने वस्त्रों को ढीला किया ताकि थोड़ा सा कोशिश करने पर आराम से नीचे सरक जाए ! मेनका ने बॉटल को निकाला और विक्रम की तरफ पलट आई और दोनो बेड की तरफ बढ़ गए!

बेड पर आने के बाद मेनका ने कांपते हुए हाथो से दोनो ग्लास को भरा और एक विक्रम की तरफ बढ़ा दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए एक घूंट भरा और पहले से ही मदहोश मेनका भी एक बार फिर से पीने लगी! आधा ग्लास पीने के बाद मेनका ने जैसे ही ग्लास मुंह से लगाया तो वो उसके हाथ से छूट गया और मेनका के वस्त्र को पूरी तरह से भिगोता चला गया और मेनका अब शर्म के मारे जमीन में गड़ी जा रही थी क्योंकि गीले कपड़े का होना ना होना एक बराबर हो गया था और मेनका ने शर्म के मारे बेड पर एक हाथ टिकाते हुए अपनी आंखे बंद कर ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर कर विक्रम के सामने आ गई!


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विक्रम ने मेनका की चुचियों के आकार को अच्छे से देखा और उसके चुचियों के तने हुए निप्पल दर्शा रहे थे कि मेनका पूरी तरह से वासना में डूबी हुई है और विक्रम ने अपने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और बोला:"

" हाय मेरी माता! आपके गोल गोल पपीते पूरी तरह से पककर पेड़ से टपकने को तैयार हैं!

पहले से ही काम वासना में डूबी हुई मेनका ने जैसे जी विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों के लिए पपीते शब्द सुना तो उसकी चूत से रस बह चला और आंखे खोलते हुए विक्रम की आंखो में देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोली:"



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" डरो मत पुत्र! इतने कमजोर नही हैं मेरे पपीते जो इतनी आसानी से गिर जाएं!

इतना कहकर मेनका ने एक जोरदार सांस लेते हुए अपनी चुचियों को उभार दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए उसकी तरफ बॉटल को बढ़ा दिया और उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरी माता! गिरने दीजिए ना अपने पपीते मेरे ऊपर! हाय कितने ज्यादा रसीले लग रहे हैं आपके पपीते!

मेनका ने ग्लास को भरा और विक्रम के करीब आते हुए उसके ऊपर झुक गई और अपनी चुचियों को पूरी तरह से उभारते हुए उसके होठों से ग्लास लगाते हुए बोली:"

" पपीते छोड़िए ना महाराज! लीजिए आपकी माता के हाथो से मदिरा का सेवन कीजिए पुत्र!

विक्रम ने एक जोरदार घूंट भरी और मेनका की आंखो में देखा जो पूरी तरह से उसके ऊपर झुकी थी अपनी चुचियों से उसे रिझाती हुई उसकी आंखो में देख रही थी! चुचियों के तने हुए निप्पल कपड़े में से उभर आए थे और विक्रम बोला

:" उफ्फ मेरी मेनका ! ऐसे मस्त पपीते एक बार पकड़ने के बाद कोई क्यों छोड़ेगा!

मेनका की चूचियां विक्रम के हाथो में जाने के लिए मचल उठी! मेनका ने विक्रम की आंखो में देखते हुए जान बूझकर अपने हाथ को फिसला दिया!मेनका फिसल कर विक्रम की छाती पर गिर पड़ी और उसकी चूचियां विक्रम के सीने से टकरा गई तो मेनका मस्ती से कराह उठी

" अह्ह्ह्ह्ह क्षमा कीजिए मुझे हमारा हाथ फिसल गया था! आपके कपड़े गीले हो गए!


दारू का ग्लास विक्रम के उपर गिर पड़ा था तो उसने मौके का फायदा उठाते हुए अपने उपरी वस्त्रो को उतार फैंका और बोला:"

" हाय मेरी माता! गिरने ना आप बार बार गिरिए ना! आपके पपीते भींच तो नही गए ना ?

कामुक मेनका विक्रम की चौड़ी छाती देखकर उसके छूने का लालच कर बैठी और फिर से उसके ऊपर आई और उसके छाती पर एक हाथ टिकाते हुए कान खींचती हुई बोली:"

" बड़े बदमाश हो गए हो पुत्र आप!

विक्रम ने जवाब में उसकी नथ को चूम लिया तो मेनका जैसे ही उसकी छाती सहला कर उपर हुई तो उसके वस्त्र का एक हिस्सा विक्रम के नीचे दब गया और मेनका की एक चूची आधी से ज्यादा निप्पल सहित बाहर निकल आई और विक्रम ने पहली बार मेनका की नग्न चूची को देखा और मेनका के कंधे को सहलाते हुए कान में बोला:

" माता आपके पपीते बाहर आने को बेताब हो रहे हैं!

मेनका ने अपनी चूची की तरफ देखा तो उसकी चूत में चिंगारी ही उठ गई और उसने वस्त्र को एक तरफ खींच कर चूची को ढका तो उसकी दूसरी नंगी हो गई! मेनका का कपड़ा छोटा पड़ रहा था! एक चूची को ढकती तो दूसरी बाहर निकल पड़ती


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विक्रम मेनका की आधी नंगी चूचियों को देखकर को देखकर होश खो बैठा और उसके करीब होते हुए उसने आंखे बंद किए हुए कांप रही मेनका के वासनामय खूबसूरत चेहरे को देखा तो उसे मेनका के कांपते लरजते हुए रसीले होंठ दिखाई दिए और विक्रम ने आगे झुककर मेनका के कंधे को पकड़ते हुए एक बार फिर से उसकी नथ को चूम लिया और बोला:"

" मेनका मेरी माता आपकी नथ मुझे बहका रही है! उफ्फ देखो ना कैसे आपके रसीले होंठो को छू रही है !!

मेनका की सांसे पूरी से उखड़ गई थी और चूचियां उछल उछल पड़ रही थी जिससे मेनका का अंतिम वस्त्र जोर जोर से हिल रहा था और जैसे ही विक्रम के मेनका की नथ को चूमते हुए उसके होंठो को अपने होंठो से हल्का सा छुआ तो मेनका का पूरा बदन जोर से कांप उठा और वस्त्र मेनका की छाती के बीच में आ गया और उसकी दोनो चूचियां एक साथ पूरी नंगी हो गई जिसका आंखे बंद किए हुए मचल रही मेनका को जरा भी अंदाजा नही था!



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विक्रम ने मेनका की कसी हुई चुचियों को जी भरकर देखा और एहसास हुआ कि मेनका की चूचियां एक दम सख्त और कसी हुई है! आकार में इतनी बड़ी होने के बावजूद किसी पर्वत की चोटी की तरह उठी हुई और चुचियों के शिखर पर विराजमान चुचक अपनी अलग ही छटा बिखेर रहे थे! मेनका की तेज तेज सांसों के साथ उसकी उछलती हुई चुचियां विक्रम को अपनी तरफ उकसा रही थी और विक्रम का सब्र टूट गया और उसने मेनका के उपर आते हुए उसकी नथ को फिर से एक बार चूम लिया और अपनी मजबूत शक्तिशाली चौड़ी छाती को मेनका की नंगी चूचियों से रगड़ दिया तो मेनका मस्ती से सिसक उठी! मेनका को अपनी नंगी चुचियों का एहसास हुआ और विक्रम को एक जोरदार धक्का देते हुए कामुक तरीके से उसकी आंखो मे देखते हुए अपनी चुचियों को हाथ से ढक लिया !!






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विक्रम से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और और उसने आगे बढ़ कर मेनका के दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर से हटा दिया और उसके गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"

" जब आपके पपीते खुद ही बाहर आ रहे हैं तो उन्हें ढकना कैसा माता!


मेनका को एक झटके के साथ बेड पर गिरा दिया और उसके उपर चढ़ते हुए अपने हाथों में उसकी दोनो चूचियों को भर लिया तो मेनका जोर से सिसकते हुए बोली

" अह्ह्ह्ह पुत्र! ये क्या अनर्थ करते हो हम आपकी माता हैं!

विक्रम ने जोर से उसकी चुचियों को दबाया तो मेनका ने मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम उसके गाल चूमते हुए बोला:"

"वही जो आप चाहती हो मेरी कामुक माता मेनका!

मेनका को विक्रम का खड़ा लंड अपनी चूत पर महसूस हुआ तो मेनका जोर से सिसक उठी और अपनी चुचियों उसके हाथो में उभारते हुए बोली:

" आआआह्ह्ह हमे जाने दीजिए पुत्र! हमे तो बस रंगीन वस्त्र पहनने अच्छा लगता हैं!

विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का उसकी टांगों के बीच में जड़ दिया तो मेनका की आंखे खुली की खुली रह गई और विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए उसकी चुचियों को जोर से मसल कर बोला:"..

" और हमे रंगीन वस्त्र पहने हुई मेनका को प्यार करना अच्छा लगता हैं!


विक्रम ने बिना देर किए अपने होंठो को उसके होंठो से चिपका दिया और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलने लगा! मेनका की दर्द और मस्ती भरी सीत्कार विक्रम के मुंह में फूटने लगी! वस्त्र मेनका के ऊपर से पूरी तरह से हट गया था और वो अब पूरी नंगी थी और जोर जोर से सिसक रही थी! विक्रम ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए धीरे से अपने नीचे के वस्त्र भी खोल दिए और सिसकती हुई मेनका जोर जोर से उछल रही थी जिससे गद्दा बार बार ऊपर नीचे हो रहा था! जैसे ही विक्रम वस्त्र पूरी तरह से सरका तो विक्रम का नंगा लंड मेनका की टांगो में घुस गया और मेनका की आंखे खुलती चली गई और उसने ताकत से अपनी जांघो को कस लिया और विक्रम ने अब उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और जैसे ही जोर से चूसा तो मस्ती से मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी टांगे खुलती चली गई ! जैसे ही मेनका की टांगे खुली तो लंड उसकी चूत से छू गया और लंड की असली लंबाई मोटाई महसूस करके मेनका की आंखो के आगे तारे नाच उठे और जैसे ही विक्रम की गांड़ ऊपर उठी तो मेनका ने जोर से सिसक कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रख दिया और जैसे ही लंड नीचे आया तो एक जोरदार धक्का उसकी हथेली पर पड़ा और मेनका दर्द के कारण सिसक उठी

" आआआह्हह्ह्ह मार डाला मुझे पुत्र!

विक्रम मेनका की चूची चूसते हुए उसकी चूत में धक्के जड़े जा रहा था जिसे मेनका किसी तरह अपनी हथेली पर रोक रही थी और विक्रम ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसके दोनो हाथो को अपने हाथो में कस लिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो में फांसते हुए मेनका की आंखो में देखा तो मेनका इंकार में सिर हिला उठी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"


" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र आज नही!

विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो मेनका ने उसके लंड की समूची लंबाई और चौड़ाई का अंदाजा किया और उसकी चूत डर के मारे सिकुड़ गई और और मेनका बोली:"

" हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा विशाल और भयंकर हैं ये!

विक्रम अपने लंड की प्रशंसा सुनकर मेनका का मुंह चूम लिया और उसकी चुचियों को रगड़ते हुए बोला:"

" आप भी तो इतनी कमजोर नही हो माता! हमे पूरा यकीन है कि आप हमे झेल पाएगी!

मेनका ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी चूत पर सुपाड़ा रगड़ते हुए उसके कानो में बोली:"

" हमारे छेद से दोगुना आकार हैं पुत्र! हम अभी मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं!

विक्रम ने हल्की नाराजगी के साथ उसकी चूचियों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेनका दर्द से कराहने लगी और अपनी टांगो को पूरा कसते हुए अपने हाथों के नाखून विक्रम की कमर में चुभाने लगी तो विक्रम ने उसकी कसी हुई टांगो में लंड के धक्के लगाने शुरु कर दिए और मेनका दर्द से कराह उठी! मेनका ने पूरी ताकत से अपनी टांगो को बंद कर लिया और विक्रम उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी टांगो को चोदने लगा! मेनका दर्द से तड़प रही थी और उसे लंड उसकी जांघो पर चोट मार रहा था और मेनका ने हिम्मत करके विक्रम का सिर अपनी चूची पर झुका दिया तो विक्रम ने उसकी चूची ने दांत गडा दिए और मेनका फिर से दर्द से कराह उठी और उसकी चूत पानी पानी हुई जा रही थी!

" अअह्ह्ह्ह्ह नैइई हिईआ पुत्र! मर जाऊंगी अअह्ह्ह्

विक्रम ने मेनका के निप्पल को जोर से चूसा तो मेनका मस्ती से सिसक उठी और ऊपर उठते हुए विक्रम के माथे को चूम लिया तो विक्रम ने उसकी को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया जिससे मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया और विक्रम के धक्के अब तूफानी रफ्तार पकड़ चुके थे! मेनका मस्ती से अपनी उंगलियां थोड़ा सा खोल देती जिससे हर जोरदार धक्के पर लंड का सुपाड़ा चूत से टकराता और अंदर जाने की कोशिश करता लेकिन मेनका उसे रोक देती! विक्रम पिछले एक घंटे से मेनका को धक्के मार रहा था और उसकी गति पल पल बढ़ती जा रही थी! मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली और जिस्मपसीने पसीने हो गया था और बुरी तरह से सिसक रही थी!

विक्रम के लंड में उबाल आने आने लगा तो उसके धक्के की शक्ति इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मेनका ने अपनी उंगलियों को बंद कर लिया और कसकर अपनी जांघो को खींच लिया! मेनका की चूत में भी तेज सनसनाहट मच गई थी और उसने दोनो हाथों को विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम उसके होंठो को चूसते हुए पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और मेनका भी मस्ती में अपनी जांघों को बंद किए हुए ही अपनी गांड़ उछाल रही थी जिससे विक्रम पूरे जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए सिसका

" अह्ह्ह्ह मेरी मेनका! हम जानते है आप भी संभोग के लिए मचल रही है!

मेनका की चूत की दीवारें कांप उठी और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सब शर्म लिहाज छोड़कर जोर से उसके होंठो को चूसती हुई बोली:"

" सीईईईईई यूआई हान पुत्र! हम भी संभोग क्रिया करना चाहते हैं अपने महाराज के साथ!

विक्रम ने मेनका के मुंह से संभोग क्रिया सुनकर उसकी चुचियों के निप्पल को जोर से मसल दिया और लंड को उसकी जांघों से पूरा बाहर निकाल कर फिर से पूरी ताकत से घुसा दिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला

" अपने महराज पुत्र से संभोग को क्या आपका नाजुक जिस्म झेल पाएगा मेरी माता?

मेनका एक साथ दोहरे दर्द से कराह उठी और लेकिन विक्रम ने उसके नारित्त्व को ललकारा था तो अपने होंठो को काटते हुए दर्द सहन हुए सिसक उठी:"

" अह्ह्ह्ह यूईईईआई मां! हम सब झेल जायेंगे! इतने भी कमजोर नही है पुत्र जितना आप हमे सोचते हो!

विक्रम को लगा कि उसकी सारी शक्ति उसके लंड में आ गई है और उसने मेनका की एक चूची को मुंह में भर कर पूरी शक्ति समेटते हुए लंड का आखिरी जोरदार धक्का मेनका की जांघो के बीच लगाया और न चाहते हुए भी मेनका की मजबूत जांघें हल्की सी खुलती चली गई और लंड का आधा मोटा सुपाड़ा मेनका की चूत के मुंह में घुसकर उसकी चूत की दीवारों को खोलते हुए अंदर उतर गया और मेनका के मुंह से एक जोरदार दर्द भरी आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ दोनो एक दूसरे को कसते हुए अपने स्खलन को प्राप्त करने लगे!

विक्रम ने मेनका के होंठो को एक बार फिर से अपने मुंह में भर लिया और मेनका दर्द से कराहती हुई, सिसकती हुई उससे लिपटी रही और लंड चूत दोनो एक दुसरे को अपने रस से रंगीन करते रहे!

जैसे ही स्खलन खत्म हुआ तो विक्रम मेनका के ऊपर से उतर गया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला:"

" मेनका मेरी माता मेरी प्रियतमा हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं!

मेनका ने भी थोड़ा उचकते हुए विक्रम का गाल चूम लिया और उसकी छाती से लगते हुए बोली:"

" हम भी आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरे पुत्र मेरे महाराज!

विक्रम:" अब आप आराम कीजिए! रात का तीसरा पहर शुरू हो गया है!

इतना कहकर विक्रम बेड से उतरकर जाने लगा तो मेनका नंगी ही बेड से उतर गई और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी छाती से चिपक कर बोली:"

" हम आपकी बांहों में सोना चाहते हैं महराज! हमे छोड़कर मत जाइए!

विक्रम ने मेनका को गोद में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया! दोनो एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए!

Wah Unique star Bhai Wah,

Kya mast update post ki he aapne, maja hi aa gaya Bhai,

Salma to vikram ka use kar rahi he.......use bas apna rrjpaath wapis chahiye......

Menka aur Vikram ki ab raate rangin hone wali he..........

Keep rocking Bro
 

devilneuron

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Mast update bhai
 

Napster

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सीमा अजय की हत्या के बाद बेहद टूट गई थी और किसी भी तरह से वो उसकी मौत का बदला लेना चाहती थीं! राधिका उसकी छोटी बहन ने उसकी इस हालत पर जरा भी ध्यान नहीं दिया तो उसे बेहद बुरा लगा! वहीं राधिका का महंगे वस्त्र और आभूषण पहनना भी उसे अखर रहा था और उसे लग रहा था कि कहीं न कहीं जरूर उसकी बहन कुछ तो अमर्यादित कर्म कर रही है और परिवार की इज्जत के लिए मुझे इस पर ध्यान देना ही होगा! राधिका के हाव भाव और उसका घर में चोरी छिपे घुसना सीमा को अखर रहा था और उसने राधिका को अपने निशाने पर लिया और जैसे ही राधिका घर से बाहर निकल गई तो सीमा ने उसके कमरे में जाने का फैसला किया और सीमा उसके कमरे में घुस गई और देखने लगी कि उसके कमरे का तो नक्शा ही बदल हुआ था! कमरे में परदे के पीछे छुपी हुई काफी महंगी वस्तुएं, वस्त्र और आभूषण देखकर सीमा को हैरानी हुई और उसने राधिका की एक अलमारी को खोला तो उसमें से सुल्तानपुर के शाही परिवार के वस्त्र दिखाई दिए जो राधिका के हाथ कैसे लगे उसे समझ नही आ रहा था!

सीमा ने अलमारी को नीचे से खोला तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि ये तो विक्रम की अंगूठी थी और ये राधिका के पास कैसे आई उसे समझ नही आ रहा था!

जरूर राधिका ने इसे मेरे कमरे से चुरा लिया होगा ऐसा सोचकर सीमा ने खुद को तसल्ली दी और अपने कमरे में आ गई लेकिन अब राधिका उसके निशाने पर आ गई थी!

सीमा थोड़ी देर बाद सलमा से मिलने गई और बोली

" राधिका के पास शाही वस्त्र कहां से आए ये मेरे समझ में नही आ रहा है!

सलमा:" बीच में कुछ दिन वो मेरे आई थी काम के लिए तो गलती से ले गई होगी!

सीमा:" नही शहजादी ! सिर्फ आपके ही वस्त्र होते तो और बात थी! लेकिन उसके कमरे में तो और भी कई रंगीन और महंगे वस्त्र होने के साथ साथ कीमती आभूषण भी थे!

सलमा:" इसका मतलब साफ है कि या तो सीमा चोरी कर रही है और फिर किसी से उसके संबंध है जो उसे ये सब चीज दे रहा है!

सीमा:" बिलकुल सही आपने लेकिन जहां तक मैं उसे जानती हु वो चोरी नही कर सकती! फिर सवाल ये हैं कि आखिर कौन उसे इतने कीमती गहने और वस्त्र दे रहा है और क्यों ? सबसे बड़ी बात उसके पास युवराज विक्रम की अंगूठी कैसे आई ये समझ से बाहर हैं!

सलमा:" एक ही रास्ता है कि थोड़े दिन उस नजर रखो सब कुछ अपने आप साफ हो जाएगा!

सीमा:" हान मैंने भी यही सोचा हैं ताकि सच्चाई का पता किया जा सके कि आखिर कौन हैं उसके पीछे !

सलमा:" बिलकुल हमे जानना चाहिए क्योंकि आने वाले दिनों में आर पार की लड़ाई होने जा रही है तो हमे एक बात का ध्यान रखना ही पड़ेगा!

उसके बाद सीमा चली गई और सीमा के जाने के बाद रजिया और सलमा दोनो बैठी हुई थी और रजिया बोली:"


" सलमा हमे सबसे पहले राज वफादारों को एक साथ इकट्ठा करना होगा ताकि युद्ध में वो हमे अंदर से सहायता दे सके!

सलमा:" वही मैं भी सोच रही अम्मी क्योंकि वफादारों और गद्दारों की पहचान करना बेहद जरूरी है युद्ध से पहले ताकि हमें अपनी शक्ति का एहसास हो सके!

रजिया:" बेटा मेरी बात मानकर तूने जो विक्रम को अपने प्रेम जाल में फंसाया हैं उसका फायदा हमे आने वाले युद्ध में मिलेगा और हम उसके बलबूते अपना राज्य फिर से वापिस कर लेंगे!

सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कान आ गई और बोली:"

" मैं कोई भी चाल गलत नही चलती! लेकिन हमारे अब्बू सुलतान में उसको महल के उन गुप्त रास्तों के बारे मे बता दिया है जो हम भी नहीं जानते थे और ऐसा न हो कि आगे चलकर वो इनका फायदा उठा ले!

रजिया:" चिंता मत करो बेटी! एक बार जब्बार खत्म हो फिर तो सारे रास्ते ही बंद कर दिए जाएंगे!

सलमा:" हान ये भी ठीक रहेगा फिर हमे कोई खतरा नहीं होगा! मैं भी शस्त्र अभ्यास शुरू कर देती हु ताकि जरूरत पड़ने पर युद्ध में उतर सकू!

रजिया:" ठीक हैं मैं अहमद शाह को बोलकर सब व्यवस्था करा दूंगी! अच्छा अब मैं चलती हु मुझे कुछ काम होगा!

इतना कहकर रजिया चली गई तो सलमा अपनी योजना बनाने लगी! सलमा जानती थी कि कुछ भी करके सलीम को रास्ते पर लाना ही होगा ताकि वो भी युद्ध में हिस्सा ले सके और इसके लिए उसका एक बार सुलतान से मिलना जरूरी था ताकि उसे जब्बार की सच्चाई पता चल सके तो सलमा सलीम के कक्ष में गई तो देखा कि वो मदिरा का सेवन किए हुआ था और मात्र एक चादर आपने जिस्म पर लपेट कर बिस्तर में उल्टा पड़े हुए बेड में धक्के लगा रहा था मानो चुदाई कर रहा हो तो सलमा उसकी हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" कैसे हो मेरे प्यारे भाई जान आप ?

सलीम ने जैसे ही सलमा की आवाज सुनी तो वो डर के मारे एक झटके से पलट गया और चादर उसके जिस्म से हट गई जिससे सलीम नंगा हो गया और सलमा ने उसके लंड को देखने के बाद अपना मुंह फेर लिया और बोली:"

" हाय भाई आपको शर्म नही आती क्या ऐसे ?

सलीम का लंड एक अच्छे आकार का लंड था जो सामान्य लंड के मुकाबले थोड़ा बड़ा जरूर था लेकिन विक्रम के लंड के मुकाबले कुछ भी नही था ऐसा सलमा ने महसूस किया और सलीम सलमा को अपने सामने पाकर हैरान हो गया और चादर ठीक करते हुए बोला:"

" माफ कीजिए हमे उम्मीद थी कि हमारे कक्ष में कोई नही आयेगा बस इसलिए गलती हो गई हमसे! आप चाहे तो पलट सकती हैं क्योंकि हमने अपने कपड़े ठीक कर लिए हैं!

सलमा धीरे से पलट गई और बोली:" अब हमे समझा आ रहा है कि आप इतने कमजोर क्यो होते जा रहे हो क्योंकि बंद कमरे में अकेले इतनी मेहनत जो कर रहे हो भाई जान!

पहले से ही शराब के नशे में चूर सलीम को सलमा की बात बेहद बुरी लगी और बोला:"

" अकेले नही हो क्या आपके साथ मेहनत करू मेरी प्यारी आपी ?

सलमा उसकी बात सुनकर गुस्सा हो गई और बोली:" मर्यादा के दायरे में बात कीजिए हमसे! हम आपकी सही बड़ी बहन हैं!

सलीम भी गुस्सा हो गया और बोला:" ये तो आपको मेरे मजाक बनाने से पहले सोचना चाहिए था अब खुद की बारी आई तो मर्यादा बीच में आ गई?

सलमा:" तुमसे बहस करने के लिए नही हु! मेरा बोलने का मतलब था कि अम्मी को बोलकर आपकी शादी कारा देनी चाहिए ताकि आप अपनी बीवी के साथ मिलकर मेहनत कर सको!

सलीम ने सामना को गुस्से से देखा और बोला:" अपने काम से मतलब रखो , जिस काम के लिए आई हो वो बोलो आप !

सलमा:" हम आपको कुछ दिखाना चाहते हैं लेकिन उसके लिए आपको हमारे साथ चलना होगा कहीं बाहर!

सलीम:" आज तो मेरे पास समय नहीं है! कल हम जरूर चलेंगे!

सलमा:" सोच लो ऐसा कुछ है कि होश उड़ जायेंगे!

सलीम ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" क्या खबूसूरत लड़की दिखाने वाली हो क्या शादी के लिए ?

सलमा जानती थी कि सलीम लड़की के चक्कर में आसानी से उसके साथ चल देगा तो मुस्कुरा कर बोली:" वो तो देखने के बाद ही आपको पता चलेगा लेकिन अगर खुश ना हुए तो मेरे नाम सलमा नही !

सलीम:" ठीक हैं फिर! बताओ किस समय चलना होगा मैं चलने का प्रबंध कर देता हूं!

सलमा:" उसकी चिन्ता मत करो! हम बिना किसी को बताए चुपचाप जायेंगे! हम सब कुछ तैयारी कर ली हैं!

सलीम:" ठीक हैं फिर! किस समय चलना होगा?


सलमा:" रात के खाने के बाद हम दोनो साथ चलेंगे और आपको एक दूसरा रहस्य भी बताएंगे महल का हम! लेकिन ध्यान रहे कि हम दोनो कहीं जा रहे हैं ये बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए अन्यथा परिणाम बेहद जानलेवा साबित हो सकते हैं!

सलीम:" ये एक शहजादे का वादा हैं सलमा! हम इस बात को राज ही रखेंगे! आखिर हम भी तो जाने कि आखिर महल में ऐसा कौन सा रहस्य है जो हमे नही पता है!

उसके बाद सलमा अपने कक्ष में आ गई और विश्राम करने लगी! वहीं दूसरी तरफ राज कार्यों से मुक्त होने के बाद विक्रम बाजार की तरफ निकल गया और अपना भेष बदलकर उसने मेनका के लिए कुछ रंगीन वस्त्र और सच्चे मोतियों से बनी हुई एक नथ खरीदी जो बेहद कीमती और आकर्षक थी!

रात को खाने पर सलमा विक्रम और मेनका ने साथ में खाना खाया और दोनो ही बेहद खुश लग रहे थे!

मेनका:" महाराज ये बिंदिया भोजन बाद स्वादिष्ट तैयार करती हैं! मुझे लगता हैं कि हमे इसके वेतन मे बढ़ावा करना चाहिए!

विक्रम:" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता! आखिर महल के अंदर भोजन और वस्त्र के साथ आभूषण ये सब की देखभाल आपका कर्तव्य हैं!

बिंदिया:" राजमाता आपके आने से महल में खुशियां आ गई है, महाराज फिर से मुस्कुरा उठे हैं और जीना सीख गए हैं बस यही मेरे लिए बहुत हैं!

मेनका:" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे! आज से आपका वेतन दोगुना हो गया है और सिर्फ आपका ही नही बल्कि रसोई में काम करने वाले सभी लोगो का भी !

बिंदिया ने राजमाता के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" राजमाता की जय हो!

सभी रसोई के कर्मचारी जोर से बोले:" जय हो जय हो!

मेनका मुस्कुराते हुए उन्हे शांत होने का इशारा कर रही थी तो धीरे धीरे वो लोग शांत हुए और खाना खाने के बाद विक्रम भी मेनका के साथ ही चल पड़ा तो मेनका बोली:

" आजकल महल में कुछ काम नही हैं जो क्या मेरे आगे पीछे घूमते रहते हो पुत्र!

विक्रम:" काम तो बहुत हैं माता लेकिन आपका साथ मुझे बेहद अच्छा लगता हैं!

मेनका हल्की सी हंसती हुई बोली:" मेरे चक्कर में अपनी प्रजा और आपके कर्तव्य को मत भूलना महराज,!

विक्रम:" आपकी खुशी का ध्यान रखना और आपकी हर इच्छा पूरी करना भी तो महाराज होने के नाते हमारा कर्तव्य हैं! वैसे हम आपके लिए कुछ लेकर आए थे आज दिन में !

मेनका जानती थी कि विक्रम उसके लिए क्या लेकर आया हैं और बोली:" हम जानती है पुत्र कि आप हमारा लिए क्या लेकर आए है लेकिन हमे रंगीन वस्त्रों में अब कोई रुचि नहीं हैं!

विक्रम जानता था कि मेनका उससे मजाक कर रही है तो सोचते हुए बोला:"

" ठीक हैं फिर मैं एक काम करता हु किसी को दान में दे दूंगा

मेनका का दिल उत्तर गया ये बात सुनकर और जल्दी से बोली:" जब आप ले ही आए हैं तो अब रख दीजिए! लेकिन हम पहनने वाले नही हैं!

चलते चलते दोनो मेनका के कक्ष के सामने आ गए थे और विक्रम बोला:" हमने पहले ही आपके शयन कक्ष मे रख दिए हैं माता क्योंकि हम जानते हैं कि आप चाहकर भी खुद को रोक नहीं पायेगी!

मेनका ने उसकी बात सुनकर उसे आंखे दिखाई और बोली:"

" इतने ज्यादा भी कमजोर नही है हम कि अपने ऊपर काबू न रख सके पुत्र!

बाहर अंधेरा फैल गया था और मशालो की रोशनी में महल जगमगा रहा था! विक्रम ने अपनी जेब में हाथ डाला और सच्चे मोतियों वाली नथ निकाली और मेनका को दिखाते हुए बोला:

" ये देखिए राजमाता ये कैसी लग रही है! हमने किसी के लिए कुछ खरीदा है आज!

मेनका ने नथ को देखा और देखते ही मचल कर बोली:"

" सच में पुत्र ये तो बेहद खूबसूरत और कीमती लग रही है! एक बार हमे छूकर देखने दीजिए ना!

विक्रम ने अपनी हथेली में नथ को बंद कर लिया और बोले:"

" आपने देख तो लिया न राजमाता! वैसे भी ये किसी और के लिए हैं!

मेनका उसकी तरफ बढ़ी और उसका हाथ खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हमे और मत सताइए पुत्र! हमे छूकर देखने दीजिए ना!

विक्रम जानता था कि जिस जगह को खड़े हैं वहां किसी की भी नजर पड़ सकती है इसलिए थोड़ा पीछे हटकर दीवार की तरफ हो गया और मेनका को छेड़ते हुए कहा:"

" जिद मत कीजिए माता! देखने के बाद आप फिर पहनने के लिए जिद करोगी!

मेनका समझ गई कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है और उसकी मुट्ठी खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हान हम पहन भी सकते हैं क्योंकि राजमाता होने के नाते हमें अधिकार हैं पुत्र!

विक्रम ने मेनका को कंधे से पकड़ लिया और बोला:"

" लेकिन ये हम किसी और के लिए लाए हैं राजमाता! इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है!

मेनका जानती थी कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है तो उसने उसकी मुट्ठी छोड़कर अपने हाथो हाथ विक्रम के गले में डाल दिए और उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम को कक्ष से बाहर मेनका से ऐसी उम्मीद नहीं थी और विक्रम ने ध्यान से उधर उधर देखा और वो भी मेनका के होंठो को चूसने लगा! जैसे ही विक्रम के उसके होंठो को चूसना शुरु किया तो मेनका ने मस्त होते हुए अपने मुंह को खोल दिया और विक्रम की जीभ उसके मुंह में घुस गई और जैसे ही मेनका की लसलसी रसीली जीभ विक्रम की जीभ से टकराई तो विक्रम ने दोनो हाथों से मेनका को कस लिया और यहीं विक्रम से चूक हो गई क्यूंकि दोनो हाथों के खुलते ही नथ नीचे गिर पड़ी और मेनका एक झटके के साथ उसकी बांहों से निकली और नथ को उठाकर अपने कक्ष में घुस गई तो विक्रम को जैसे होश आया और बोला:"

" ये तो धोखा हुआ माता! वो नथ हमे वापिस दीजिए!

मेनका अपनी जीत पर खुश होते हुए बोली:" हम जानते थे कि आप हमारे लिए लाए हैं! आपने प्यार से नही दिया तो हमने अपने तरीके से हासिल किया!

विक्रम उसके कक्ष की तरफ बढ़ा तो मेनका ने दरवाजा बंद कर दिया तो विक्रम बोला:"

" हमे पहन कर दिखाए न राजमाता! हम देखना चाहते हैं कि मेरी माता इसमें कितनी प्यारी लगेगी?

मेनका:" सपने मत देखो पुत्र! आपने प्यार से दिया होता तो जरूर दिखाते! अब तो हमारी मर्जी है हम दिखाए या नहीं!

विक्रम:" हम जानते है कि आप जरूरी हमे दिखायेगी! मेरी एक विनती है राजमाता! रात में रंगीन वस्त्र धारण करना और अपना दरवाजा बंद मत करना! हम आपके आपकी नथ देखने के लिए आधी आज रात आपके शयन कक्ष में माता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और तन बदन में सिरहन सी दौड़ गई और बोली:"

" हम कोई रंगीन वस्त्र धारण नही करेंगे! आप आराम करना क्योंकि हमारा कक्ष आज बंद ही रहेगा पुत्र! जाओ अब अपने काम देखिए आप!

विक्रम राज्य में घूमने के लिए निकल गया और वहीं दूसरी तरफ सलमा सलीम को अपने साथ लेकर जैसी ही गुप्त रास्ते में घुसी तो सलीम की आंखे फटी की फटी रह गई और बोला:"

" आपी महल में ऐसे रहस्य भी है हमे आज पता चला है!

सलमा:" आगे इससे भी बड़े रहस्य आपको देखने के लिए मिलने वाले हैं आज!

सलमा और सलीम दोनो गुफा में चलते रहे और अंत में दोनो उदयगढ़ की सीमा में बाहर निकल आए तो सलीम बोला:"

" ये तो सुल्तानपुर की सीमा हैं शहजादी! क्या आप नही जानते कि वो शत्रु राज्य हैं! हमारे अब्बू के हत्यारे हैं वो!

सलमा:" सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई जाती है बल्कि हमे कुछ सच देखना पड़ता हैं! और आज तुम अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सच देखोगे!

सलीम:" जिंदा बच गया तो जरूर देखूंगा!

सलमा और सलीम दोनो चलते हुए राज्य के अंदर घुस गए क्योंकि दोनों ने अलग रूप धारण किया हुआ था तो कोई दिक्कत नहीं हुई और सलमा वैद्य जी यहां पहुंच गई और बोली:" सलीम तुम यहीं रुको मैं अभी आती हु!

सलीम वही रुक गया और सलमा अंदर चली गई! वैद्य जी ने उसे देखा और सलमा बोली:"

" हम अपने पिता से मिलना चाहते हैं!

वैद्य :" आपको उससे पहले महराज विक्रम से आज्ञा लेनी होगी!

सलमा:" आप कैसी बाते कर रहे हैं? हम पहले भी आ चुके हैं और आप सब जानते हैं!

वैद्य;" क्षमा कीजिए शहजादी लेकिन बिना राज आज्ञा के आप नही मिल सकती है!

सलमा:" तो ठीक हैं फिर! हमारा सन्देश अपने महाराज तक पहुंचा दीजिए!

वैद्य:" ठीक हैं! तब तक आप विश्राम कीजिए मैं आपके लिए जल पान की व्यवस्था करता हु!

थोड़ी ही देर बाद विक्रम वैद्य जी के यहां आ गए तो सलमा को देखकर बेहद खुश हुए सलीम की तरफ देखते हुए बोले:"

" आप शहजादे सलीम हो ना!

सलीम ने विक्रम की तरफ देखा और बोला:" हान लेकिन आप कौन हैं अपना परिचय दीजिए!

विक्रम:" हम उदयगढ़ के महराज विक्रम सिंह हैं!

सलीम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:"

" तो आप हैं महराज विक्रम सिंह! उस वंश के आखिरी चिराग जिसने हमारे अब्बू को हमसे छीन लिया था!

सलमा:" बिना सच्चाई जाने किसी पर इल्जाम मत लगाओ सलीम! आओ हम आपको सच्चाई दिखाते हैं!

इतना कहकर सलमा उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गई और सुलतान को जिंदा देखते ही सलीम खुशी के मारे चींख उठा और बोला:"

" अब्बू आप जिंदा हैं! मेरे खुदा तेरा करिश्मा! हम ये क्या जलवा देख रहे हैं!

इतना कहकर सलीम दौड़कर अपने बाप के गले लग गया और सुलतान बोला:"

" बेटा हम जिंदा है और इसके लिए आपको महराज विक्रम का शुक्रगुजार होना चाहिए जो मौत के मुंह से अपनी जान पर खेलकर हमे बचाकर लाए हैं!

सलीम ने इज्जत और प्यार के साथ विक्रम की तरफ देखा और सलमा बोली:"

" सच्चाई सामने आ ही गई है कि कौन बचाने वाला हैं और कौन मारने वाला! अब्बू सलीम को सब कुछ बताए आप जब तक आती हु!

इतना कहकर सलमा बाहर निकल और विक्रम से बोली:"

" क्षमा कीजिए मुझे प्रियतम मैं आपकी आज्ञा के बिना सलीम को यहां लेकर आई हु ताकि वो भी सच्चाई जानकर हम लोगो का साथ दे सके!

विक्रम:" क्षमा मत मांगिए! आखिर एक पुत्र को भी अपने पिता से मिलने का अधिकार हैं!

सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा और बोली:" महाराज ये वैद्य ही हमे हमारे अब्बू से मिलने से रोक रहे थे! इन्हे आदेश दीजिए कि आगे से उदयगढ़ की होने वाली महारानी की शान में ऐसी गुस्ताखी न करें!

विक्रम ने सलमा की तरफ देखा और उसे खुशी हुई कि सलमा वैद्य जी के सामने भी अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत रखती हैं और बोले:"

" आप निश्चित रहे! आगे से वैद्य जी आपको मना नही करेंगे!

सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा तो उन्होंने स्वीकृति में अपनी गर्दन को हिला दिया और उसके बाद सलमा विक्रम के साथ अंदर चली गई जहां अब तक सुलतान सलीम को सब समझा चुका था और उसे समझ आ गया था कि असली दुश्मन विक्रम नही बल्कि जब्बार हैं जो सारे राज्य पर कब्जा करके बैठा हुआ है!

उसके बाद सलमा सलीम को साथ लेकर वापिस अपने राज्य की तरफ लौट पड़ी और विक्रम भी जाने लगा तो वैद्य जी बोले:"

" महराज आपकी और शहजादी की बातो से हमे समझा आ गया है कि आप दोनो एक दूसरे के प्रेम में हो और शादी करना चाहते हो!

विक्रम:" आपने बिलकुल ठीक समझा वैद्य जी!

वैद्य:" मुझे आपसे ऐसी बाते करनी तो नही चाहिए लेकिन एक वैद्य होने के नाते मेरा धर्म हैं!

इतना कहकर वैद्य जी ने विक्रम को एक शीशी दी और बोले:"

" महाराज ये वो दवाई हैं जो सदियों पुरानी दुर्लभ जड़ी बूटियों से मेरे पूर्वजों ने बनाई थी! इसके सेवन का अधिकार सिर्फ राज परिवार और हमारे परिवार को होता है! ये शरीर में ऐसी अद्भुत शक्तियां भर देती है कि हम इतने वृद्ध होने के बाद भी अपनी जवान पुत्रवधु की चींखे निकलवा देते है! ये शीशी का सेवन करने के बाद आपका जिस्म फौलाद बन जायेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि बिस्तर पर उदयगढ़ सुल्तानपुर पर बहुत भारी पड़ेगा!

विक्रम वैद्य जी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए और बोले:"

" ये अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक शीशी हमे देने के लिए आपका धन्यवाद! लेकिन इसके सेवन की क्या विधि हैं ?

वैद्य जी:" आप एक बार में इसे पूरी पी लीजिए और कुछ घंटों बाद ही इसका असर होगा जो मरते तक आपके शरीर में बना रहेगा महाराज!

विक्रम ने शीशी को खोला और एक ही घूंट में खाली कर दिया और उसके बाद वो अपने महल की तरफ लौट चला!

रात के करीब 12 बजने वाले थे और मेनका विक्रम का इंतजार करती रही कि वो आए और दोनो साथ में शाही बगीचे मे घूमकर आए लेकिन विक्रम का को अता पता नहीं था! मेनका जानती थी कि विक्रम जरूर किसी काम में फंस गए होंगे नही तो कभी के आ गए होते! मेनका अब अपने शयन कक्ष में लेटी हुई थी और उसने लाल रंग की एक बेहद खूबसूरत साड़ी को धारण किया हुआ था और अच्छे से मेकअप करने के बाद वो आभूषणों से सजी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसकी नाक में सच्चे मोतियों की नथ उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी! मेनका ने जान बूझकर अपने दरवाजे को खुला हुआ छोड़ा था ताकि विक्रम आराम से अंदर आ सके! मेनका बिलकुल किसी दुल्हन की तरह सजी हुई थी और उसके रसीले होंठ आजकल लाल रंग रंग की लिपिस्टिक से बेहद आकर्षक और रसीले लग रहे थे! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में निहार रही थी और अपनी सुन्दरता पर मनमुग्ध हुई जा रही थी! मेनका कभी अपनी गहरी गोल गोल बड़ी बड़ी काली आंखो को देखती तो कभी अपने नाजुक कांपते हुए रसीले होंठों को निहारती हुई सोच रही थी कि कैसे मेरे पुत्र के आने से पहले की कांप रहे हैं! मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई अंगड़ाइयां ले रही थी! मेनका शीशे में देखते हुए किसी दुल्हन की तरह अपने पल्लू के घूंघट को धीरे धीरे सरकाती तो अपने बिस्तर पर अपनी मदमस्त उंगलियों को फेर रही थी! मेनका ने अपने हाथ को घुमाते हुए अपने चेहरे पर टिका दिया और अपने खूबसूरत गाल उसे बेहद गर्म महसूस हुए मानो वो उसके पुत्र के लिए जले जा रहे थे और मेनका के तन बदन में खुमारी बढ़ती ही जा रही थी!


मेनका ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के करीब 12:30 हो गए थे और उसका पुत्र अभी तक नहीं आया था तो मेनका को शक हुआ कि कहीं वो गलती से दरवाजा तो बंद नहीं करके आ गई है तो बेताबी में वो बेड से उठ खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ चल पड़ी! मेनका को उसकी चाल में आज अजब की मस्ती महसूस हो रही थी और मेनका ने दरवाजे को देखा तो वो खुला हुआ ही था ! बस हल्का सा बंद दरवाजा छूते ही खुल गया और मेनका ने उधर इधर देखा लेकिन विक्रम कहीं नजर नहीं आया तो उसका दिल उदास हो गया और वो फिर से वापिस अपने शयन कक्ष में आ गई! मेनका को अब यकीन हो गया था कि कल रात का थका हुआ विक्रम गहरी नींद में होने के कारण अब नहीं आएगा और वो सीधे अलमारी में से एक बॉटल निकाल लाई जिसे कल उसने विक्रम के साथ लिया था! मेनका ने तीन चार बड़े घूंट लिए और उसके बाद शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका की साडी का पल्लू सरक गया और उसने उसने ठीक करने की जरूरत नहीं समझी और मेनका शीशे में खड़ी होकर खुद को सिर से लेकर पांव तक निहारने लगी! मेनका की नजर अपनी चुचियों पर गई जिनके बीच की गहरी लकीर साबित कर रही थी मेनका के पास बेहद खूबसूरत गोल गोल मटोल पपीते के लिए की कसी हुई सख्त चूचियां हैं और सुंदर गोरा सपाट पेट गहरी कामुक नाभि के साथ बेहद कामुक लग रहा था! मेनका पलट गई और अपनी गांड़ पर उसकी नजर पड़ी तो उसका दिल जोरो से धड़क उठा और मेनका ने सम्मोहित सा होते हुए अपने दोनो हाथों को अपनी गांड़ पर रखकर हल्का सा दबाव दिया तो उसके मुंह से आह निकल पड़ी लेकिन वो मजा नही आया जो कल विक्रम के छूने के बाद उसे महसूस हुआ था! कांपती हुई मचलती हुई मेनका के पैर जवाब देने लगे तो वो बेड की तरफ चल पड़ी और बेड के गद्दे को देखते ही मदहोश मेनका को शरारत सूझी और पूरी ताकत से वो बिस्तर पर कूद पड़ी और देखते ही देखते मेनका का जिस्म ऊपर नीचे होने लगा मानो वो चुद रही हो,! मेनका की सांसे उखड़ गई थी और उसके हाथ उसकी चूचियों तक आ गए और हल्का हल्का सहलाने लगे थे जिससे मेनका के जिस्म पर कामवासना पूरी तरह से हावी होने लगी थी! मदहोश मेनका ने एक शीशे को हाथ में लिया और एक बार फिर से खुद को निहारने लगी! कभी वो अपने गर्म पिघलते हुए गाल को छू रही थीं तो कभी अपनी मोतियों से सज्जित नथ को देखते हुए मदहोश हुई जा रही थी!


मेनका की चुचियों में तनाव आना शुरू हो गया जिससे उसके सीने में मीठा मीठा दर्द हो रहा था! चुचियों की मासपेशियों में कम्पन गर्मी इस बात का सुबूत थी कि मेनका के सिर अब उत्तेजना चढ़कर बोल रही थी! मेनका ने धीरे से अपनी साड़ी को हटा लिया और सीना आगे से पूरी तरह से खुल गया! ब्लाउस में कसी हुई उसकी चुचियों गजब ढा रही थी और मेनका ने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए ब्लाउस को भी खोल दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से नंगी हो गई तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका बिस्तर पर उल्टी होकर लेट गई और अपनी चुचियों को जोर जोर से बिस्तर में रगड़ने लगी जिससे उसकी चूत में गीलापन बढ़ गया था और मेनका के बिस्तर पर हिलने से उसकी साड़ी उसकी पीठ पर से भी खुल गई और मेनका अब पूरी तरह से बिलकुल मादरजात नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई अपनी चुचियों को बिस्तर से रगड़ रही जिससे उसकी गांड़ उछल उछल पड़ रही थीं और बेहद कामुक लग रही थी!

विक्रम रात के एक बजे महल में आ गया और दवाई पीने के बाद उसके शरीर में अदभुत ताकत आ गई थी और लंड तो मानो किसी लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था! विक्रम जानता था कि मेनका रंगीन वस्त्र धारण किए हुए उसका इंतजार कर रही होगी तो वो दबे पांव इधर उधर देखते हुए गुप्त दरवाजे से सीधा मेनका के शयन कक्ष के बाहर निकला और जैसे ही उसने धीरे से दरवाजे को हल्का सा खोला तो वो बिना आवाज किए चुपचाप खुलता चला गया और धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम आगे बढ़ गया और मेनका की हल्की आवाज में गूंजती हुई मधुर आवाजे सुनकर विक्रम ने धीरे से पर्दो को हटाया और जैसे ही उसकी नजर नंगी लेटी हुई मेनका पर पड़ी तो विक्रम की आंखे फटी की फटी रह गई! मेनका की गुदाज मांसल मजबूत भरी हुई कमर और चौड़ी उभरी हुई गोल मटोल गांड़ के गोरे चिकने उभार देखकर न चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका ने जैसे ही विक्रम को अपने कक्ष में देखा तो वो शर्म से पानी पानी हो गई और एक लाल वस्त्र उठाते हुए भागकर पर्दे के पीछे छिप गई और अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन एक छोटा सा वस्त्र नाकाफी साबित हो रहा था!

विक्रम मेनका के करीब पहुंच गया और धीरे से बोला:

" हम तो आपकी नथ देखने आए थे माता लेकिन तो आप साक्षात स्वर्ग की मेनका बनी हुई है!

मेनका उसकी बात लंबी लंबी सांसे लेते हुए खामोश खड़ी रही जबकि उसकी चुचिया उछल उछल कर अपनी बेचैनी दिखा रही थीऔर विक्रम ने जैसे ही परदे को हटाना चाहा तो मेनका ने एक हाथ से परदे को थाम लिया और मचलते हुए बोली:"

" हाय पुत्र! मत देखिए हमे!

विक्रम पर्दे को जोर से हटाने की कोशिश करते हुए बोला

" हमारी नाथ हम नही देखेंगे तो भला और कौन देखेगा! हम जानते हैं कि आपने हमे दिखाने के ही पहनी है और अपना दरवाजा भी हमारे लिए ही खुला छोड़ा था!!

मेनका जानती थी कि विक्रम उसे छोड़ने वाला नही है तो बहाने बनाते हुए परदे को कसते हुए बोली,:"

" हाय पुत्र गलती से खुला ग्रह गया होगा!

विक्रम ने एक जोरदार झटके के साथ परदे को खींचा और मेनका ने अपनी तरफ खींचा नतीजा पर्दा फट गया और मेनका अब पूरी तरह से खुलकर विक्रम के सामने आ गई और शर्म के मारे उसकी आंखे बंद हो गई और हाथ हवा में उठते चले गए!
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विक्रम की आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी आंखो के आगे दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा था और विक्रम ने भरपूर नजर उसकी चुचियों पर डाली और आज उसे यकीन हो गया था कि उसकी माता की चुचियों से अच्छी दुनिया में किसी की भी चूचियां हो ही सकती! विक्रम को याद आया कि वो तो मेनका की नथ देखने आया था तो उसने एक नजर उसकी नथ पर डाली और उसकी छोटी सी सुंदर नाक में नथ बेहद आकर्षक लगी और विक्रम आगे बढ़ते हुए मेनका के बेहद करीब हो गया और उसकी नथ को चूम लिया तो मुंह बंद करके सिसक उठी! विक्रम ने उसकी नथ को उंगली से छूने के बाद उसके गर्म जलते हुए गाल को छुआ तो मेनका का बदन जल उठा और जैसे ही विक्रम की उंगलियां नीचे आती हुई उसके पिघलते हुए लाल सुर्ख होंठो से टकराई तो मेनका की चूचियां उछल पड़ी और विक्रम ने जान बूझकर उंगली को नीचे लाते हुए उसकी एक चूची पर ऊपर से नीचे तक पूरे आकार में घुमाया तो मेनका की चूत से रस टपक पड़ा और मेनका आंखे बंद किए हुए ही धीरे से बोली:"

" कैसी लगी पुत्र आपको ?

विक्रम मन ही मन मेनका की हिम्मत की दाद दे उठा और फिर से एक भरपूर नजर उसकी चुचियों पर मारते हुए बोला:"..

" कसी हुई गोल गोल गुम्बद जैसी पपीते के आकार की बिलकुल सख्त!

विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों की प्रशंसा सुनते ही मेनका की चूचियां जोर से उछल पड़ी और मेनका एक झटके के साथ पलटती ही बोली:

" निर्लज कहीं के! हम तो अपनी नथ के बारे में पूछ रहे थे! जाइए हम आपसे बात नहीं करती!

इतना कहकर मेनका पलट गई और जोर जोर से सांसे लेने लगी!

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मेनका के पलटने से जैसे कयामत आ गई और शरीर एक तरफ से आधे से ज्यादा खुल जिससे जिससे उसकी चाची आधी नजर आने लगी और उसके नंगे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के साथ आज मदिरा सेवन नही करोगी क्या माता!

मेनका ने नजरे खोलकर विक्रम को अपनी तरफ घूरते हुए पाया तो अपनी आधी चूची को पूरा ढकते हुए बोली:"

" नही पुत्र! बिलकुल नहीं क्योंकि मदिरा पीने के बाद आपको होश नहीं रहता और मैने पहले ही थोड़ा पी हुई है!

विक्रम ने उसके कंधे को सहला दिया और पीछे खड़े होकर बोला:" नथ की खुशी में मेरा साथ दीजिए ना माता!

मेनका अब इनकार नही कर सकी और मटकती बलखाती हुई अलमारी की तरफ बढ़ गई और विक्रम उसकी मटकती हुई गांड़ देखकर अपने लंड में पूरा तनाव महसूस कर रहा था! मेनका चलती हुई अलमारी के करीब पहुंच गई और बैठते हुए बॉटल और ग्लास निकालने लगी! जैसे ही मेनका आगे को झुकी तो वस्त्र उसके जिस्म पर से एक तरफ खिसक गया और मेनका की पूरी नंगी कमर विक्रम की आंखो के सामने आ गई और उसकी भरी हुई गुदाज कमर और कूल्हों की चौड़ाई और मजबूती देखकर विक्रम उसकी खूबसूरती पर झूम उठा!


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मेनका आगे झुकने के लिए हल्का सा ऊपर को उठी और एक पल के लिए उसकी गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई और विक्रम के मुंह से भी आह निकल गई! विक्रम ने अच्छा मौका देखते ही अपने वस्त्रों को ढीला किया ताकि थोड़ा सा कोशिश करने पर आराम से नीचे सरक जाए ! मेनका ने बॉटल को निकाला और विक्रम की तरफ पलट आई और दोनो बेड की तरफ बढ़ गए!

बेड पर आने के बाद मेनका ने कांपते हुए हाथो से दोनो ग्लास को भरा और एक विक्रम की तरफ बढ़ा दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए एक घूंट भरा और पहले से ही मदहोश मेनका भी एक बार फिर से पीने लगी! आधा ग्लास पीने के बाद मेनका ने जैसे ही ग्लास मुंह से लगाया तो वो उसके हाथ से छूट गया और मेनका के वस्त्र को पूरी तरह से भिगोता चला गया और मेनका अब शर्म के मारे जमीन में गड़ी जा रही थी क्योंकि गीले कपड़े का होना ना होना एक बराबर हो गया था और मेनका ने शर्म के मारे बेड पर एक हाथ टिकाते हुए अपनी आंखे बंद कर ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर कर विक्रम के सामने आ गई!


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विक्रम ने मेनका की चुचियों के आकार को अच्छे से देखा और उसके चुचियों के तने हुए निप्पल दर्शा रहे थे कि मेनका पूरी तरह से वासना में डूबी हुई है और विक्रम ने अपने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और बोला:"

" हाय मेरी माता! आपके गोल गोल पपीते पूरी तरह से पककर पेड़ से टपकने को तैयार हैं!

पहले से ही काम वासना में डूबी हुई मेनका ने जैसे जी विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों के लिए पपीते शब्द सुना तो उसकी चूत से रस बह चला और आंखे खोलते हुए विक्रम की आंखो में देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोली:"



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" डरो मत पुत्र! इतने कमजोर नही हैं मेरे पपीते जो इतनी आसानी से गिर जाएं!

इतना कहकर मेनका ने एक जोरदार सांस लेते हुए अपनी चुचियों को उभार दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए उसकी तरफ बॉटल को बढ़ा दिया और उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरी माता! गिरने दीजिए ना अपने पपीते मेरे ऊपर! हाय कितने ज्यादा रसीले लग रहे हैं आपके पपीते!

मेनका ने ग्लास को भरा और विक्रम के करीब आते हुए उसके ऊपर झुक गई और अपनी चुचियों को पूरी तरह से उभारते हुए उसके होठों से ग्लास लगाते हुए बोली:"

" पपीते छोड़िए ना महाराज! लीजिए आपकी माता के हाथो से मदिरा का सेवन कीजिए पुत्र!

विक्रम ने एक जोरदार घूंट भरी और मेनका की आंखो में देखा जो पूरी तरह से उसके ऊपर झुकी थी अपनी चुचियों से उसे रिझाती हुई उसकी आंखो में देख रही थी! चुचियों के तने हुए निप्पल कपड़े में से उभर आए थे और विक्रम बोला

:" उफ्फ मेरी मेनका ! ऐसे मस्त पपीते एक बार पकड़ने के बाद कोई क्यों छोड़ेगा!

मेनका की चूचियां विक्रम के हाथो में जाने के लिए मचल उठी! मेनका ने विक्रम की आंखो में देखते हुए जान बूझकर अपने हाथ को फिसला दिया!मेनका फिसल कर विक्रम की छाती पर गिर पड़ी और उसकी चूचियां विक्रम के सीने से टकरा गई तो मेनका मस्ती से कराह उठी

" अह्ह्ह्ह्ह क्षमा कीजिए मुझे हमारा हाथ फिसल गया था! आपके कपड़े गीले हो गए!


दारू का ग्लास विक्रम के उपर गिर पड़ा था तो उसने मौके का फायदा उठाते हुए अपने उपरी वस्त्रो को उतार फैंका और बोला:"

" हाय मेरी माता! गिरने ना आप बार बार गिरिए ना! आपके पपीते भींच तो नही गए ना ?

कामुक मेनका विक्रम की चौड़ी छाती देखकर उसके छूने का लालच कर बैठी और फिर से उसके ऊपर आई और उसके छाती पर एक हाथ टिकाते हुए कान खींचती हुई बोली:"

" बड़े बदमाश हो गए हो पुत्र आप!

विक्रम ने जवाब में उसकी नथ को चूम लिया तो मेनका जैसे ही उसकी छाती सहला कर उपर हुई तो उसके वस्त्र का एक हिस्सा विक्रम के नीचे दब गया और मेनका की एक चूची आधी से ज्यादा निप्पल सहित बाहर निकल आई और विक्रम ने पहली बार मेनका की नग्न चूची को देखा और मेनका के कंधे को सहलाते हुए कान में बोला:

" माता आपके पपीते बाहर आने को बेताब हो रहे हैं!

मेनका ने अपनी चूची की तरफ देखा तो उसकी चूत में चिंगारी ही उठ गई और उसने वस्त्र को एक तरफ खींच कर चूची को ढका तो उसकी दूसरी नंगी हो गई! मेनका का कपड़ा छोटा पड़ रहा था! एक चूची को ढकती तो दूसरी बाहर निकल पड़ती


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विक्रम मेनका की आधी नंगी चूचियों को देखकर को देखकर होश खो बैठा और उसके करीब होते हुए उसने आंखे बंद किए हुए कांप रही मेनका के वासनामय खूबसूरत चेहरे को देखा तो उसे मेनका के कांपते लरजते हुए रसीले होंठ दिखाई दिए और विक्रम ने आगे झुककर मेनका के कंधे को पकड़ते हुए एक बार फिर से उसकी नथ को चूम लिया और बोला:"

" मेनका मेरी माता आपकी नथ मुझे बहका रही है! उफ्फ देखो ना कैसे आपके रसीले होंठो को छू रही है !!

मेनका की सांसे पूरी से उखड़ गई थी और चूचियां उछल उछल पड़ रही थी जिससे मेनका का अंतिम वस्त्र जोर जोर से हिल रहा था और जैसे ही विक्रम के मेनका की नथ को चूमते हुए उसके होंठो को अपने होंठो से हल्का सा छुआ तो मेनका का पूरा बदन जोर से कांप उठा और वस्त्र मेनका की छाती के बीच में आ गया और उसकी दोनो चूचियां एक साथ पूरी नंगी हो गई जिसका आंखे बंद किए हुए मचल रही मेनका को जरा भी अंदाजा नही था!



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विक्रम ने मेनका की कसी हुई चुचियों को जी भरकर देखा और एहसास हुआ कि मेनका की चूचियां एक दम सख्त और कसी हुई है! आकार में इतनी बड़ी होने के बावजूद किसी पर्वत की चोटी की तरह उठी हुई और चुचियों के शिखर पर विराजमान चुचक अपनी अलग ही छटा बिखेर रहे थे! मेनका की तेज तेज सांसों के साथ उसकी उछलती हुई चुचियां विक्रम को अपनी तरफ उकसा रही थी और विक्रम का सब्र टूट गया और उसने मेनका के उपर आते हुए उसकी नथ को फिर से एक बार चूम लिया और अपनी मजबूत शक्तिशाली चौड़ी छाती को मेनका की नंगी चूचियों से रगड़ दिया तो मेनका मस्ती से सिसक उठी! मेनका को अपनी नंगी चुचियों का एहसास हुआ और विक्रम को एक जोरदार धक्का देते हुए कामुक तरीके से उसकी आंखो मे देखते हुए अपनी चुचियों को हाथ से ढक लिया !!






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विक्रम से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और और उसने आगे बढ़ कर मेनका के दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर से हटा दिया और उसके गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"

" जब आपके पपीते खुद ही बाहर आ रहे हैं तो उन्हें ढकना कैसा माता!


मेनका को एक झटके के साथ बेड पर गिरा दिया और उसके उपर चढ़ते हुए अपने हाथों में उसकी दोनो चूचियों को भर लिया तो मेनका जोर से सिसकते हुए बोली

" अह्ह्ह्ह पुत्र! ये क्या अनर्थ करते हो हम आपकी माता हैं!

विक्रम ने जोर से उसकी चुचियों को दबाया तो मेनका ने मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम उसके गाल चूमते हुए बोला:"

"वही जो आप चाहती हो मेरी कामुक माता मेनका!

मेनका को विक्रम का खड़ा लंड अपनी चूत पर महसूस हुआ तो मेनका जोर से सिसक उठी और अपनी चुचियों उसके हाथो में उभारते हुए बोली:

" आआआह्ह्ह हमे जाने दीजिए पुत्र! हमे तो बस रंगीन वस्त्र पहनने अच्छा लगता हैं!

विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का उसकी टांगों के बीच में जड़ दिया तो मेनका की आंखे खुली की खुली रह गई और विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए उसकी चुचियों को जोर से मसल कर बोला:"..

" और हमे रंगीन वस्त्र पहने हुई मेनका को प्यार करना अच्छा लगता हैं!


विक्रम ने बिना देर किए अपने होंठो को उसके होंठो से चिपका दिया और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलने लगा! मेनका की दर्द और मस्ती भरी सीत्कार विक्रम के मुंह में फूटने लगी! वस्त्र मेनका के ऊपर से पूरी तरह से हट गया था और वो अब पूरी नंगी थी और जोर जोर से सिसक रही थी! विक्रम ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए धीरे से अपने नीचे के वस्त्र भी खोल दिए और सिसकती हुई मेनका जोर जोर से उछल रही थी जिससे गद्दा बार बार ऊपर नीचे हो रहा था! जैसे ही विक्रम वस्त्र पूरी तरह से सरका तो विक्रम का नंगा लंड मेनका की टांगो में घुस गया और मेनका की आंखे खुलती चली गई और उसने ताकत से अपनी जांघो को कस लिया और विक्रम ने अब उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और जैसे ही जोर से चूसा तो मस्ती से मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी टांगे खुलती चली गई ! जैसे ही मेनका की टांगे खुली तो लंड उसकी चूत से छू गया और लंड की असली लंबाई मोटाई महसूस करके मेनका की आंखो के आगे तारे नाच उठे और जैसे ही विक्रम की गांड़ ऊपर उठी तो मेनका ने जोर से सिसक कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रख दिया और जैसे ही लंड नीचे आया तो एक जोरदार धक्का उसकी हथेली पर पड़ा और मेनका दर्द के कारण सिसक उठी

" आआआह्हह्ह्ह मार डाला मुझे पुत्र!

विक्रम मेनका की चूची चूसते हुए उसकी चूत में धक्के जड़े जा रहा था जिसे मेनका किसी तरह अपनी हथेली पर रोक रही थी और विक्रम ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसके दोनो हाथो को अपने हाथो में कस लिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो में फांसते हुए मेनका की आंखो में देखा तो मेनका इंकार में सिर हिला उठी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"


" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र आज नही!

विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो मेनका ने उसके लंड की समूची लंबाई और चौड़ाई का अंदाजा किया और उसकी चूत डर के मारे सिकुड़ गई और और मेनका बोली:"

" हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा विशाल और भयंकर हैं ये!

विक्रम अपने लंड की प्रशंसा सुनकर मेनका का मुंह चूम लिया और उसकी चुचियों को रगड़ते हुए बोला:"

" आप भी तो इतनी कमजोर नही हो माता! हमे पूरा यकीन है कि आप हमे झेल पाएगी!

मेनका ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी चूत पर सुपाड़ा रगड़ते हुए उसके कानो में बोली:"

" हमारे छेद से दोगुना आकार हैं पुत्र! हम अभी मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं!

विक्रम ने हल्की नाराजगी के साथ उसकी चूचियों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेनका दर्द से कराहने लगी और अपनी टांगो को पूरा कसते हुए अपने हाथों के नाखून विक्रम की कमर में चुभाने लगी तो विक्रम ने उसकी कसी हुई टांगो में लंड के धक्के लगाने शुरु कर दिए और मेनका दर्द से कराह उठी! मेनका ने पूरी ताकत से अपनी टांगो को बंद कर लिया और विक्रम उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी टांगो को चोदने लगा! मेनका दर्द से तड़प रही थी और उसे लंड उसकी जांघो पर चोट मार रहा था और मेनका ने हिम्मत करके विक्रम का सिर अपनी चूची पर झुका दिया तो विक्रम ने उसकी चूची ने दांत गडा दिए और मेनका फिर से दर्द से कराह उठी और उसकी चूत पानी पानी हुई जा रही थी!

" अअह्ह्ह्ह्ह नैइई हिईआ पुत्र! मर जाऊंगी अअह्ह्ह्

विक्रम ने मेनका के निप्पल को जोर से चूसा तो मेनका मस्ती से सिसक उठी और ऊपर उठते हुए विक्रम के माथे को चूम लिया तो विक्रम ने उसकी को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया जिससे मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया और विक्रम के धक्के अब तूफानी रफ्तार पकड़ चुके थे! मेनका मस्ती से अपनी उंगलियां थोड़ा सा खोल देती जिससे हर जोरदार धक्के पर लंड का सुपाड़ा चूत से टकराता और अंदर जाने की कोशिश करता लेकिन मेनका उसे रोक देती! विक्रम पिछले एक घंटे से मेनका को धक्के मार रहा था और उसकी गति पल पल बढ़ती जा रही थी! मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली और जिस्मपसीने पसीने हो गया था और बुरी तरह से सिसक रही थी!

विक्रम के लंड में उबाल आने आने लगा तो उसके धक्के की शक्ति इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मेनका ने अपनी उंगलियों को बंद कर लिया और कसकर अपनी जांघो को खींच लिया! मेनका की चूत में भी तेज सनसनाहट मच गई थी और उसने दोनो हाथों को विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम उसके होंठो को चूसते हुए पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और मेनका भी मस्ती में अपनी जांघों को बंद किए हुए ही अपनी गांड़ उछाल रही थी जिससे विक्रम पूरे जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए सिसका

" अह्ह्ह्ह मेरी मेनका! हम जानते है आप भी संभोग के लिए मचल रही है!

मेनका की चूत की दीवारें कांप उठी और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सब शर्म लिहाज छोड़कर जोर से उसके होंठो को चूसती हुई बोली:"

" सीईईईईई यूआई हान पुत्र! हम भी संभोग क्रिया करना चाहते हैं अपने महाराज के साथ!

विक्रम ने मेनका के मुंह से संभोग क्रिया सुनकर उसकी चुचियों के निप्पल को जोर से मसल दिया और लंड को उसकी जांघों से पूरा बाहर निकाल कर फिर से पूरी ताकत से घुसा दिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला

" अपने महराज पुत्र से संभोग को क्या आपका नाजुक जिस्म झेल पाएगा मेरी माता?

मेनका एक साथ दोहरे दर्द से कराह उठी और लेकिन विक्रम ने उसके नारित्त्व को ललकारा था तो अपने होंठो को काटते हुए दर्द सहन हुए सिसक उठी:"

" अह्ह्ह्ह यूईईईआई मां! हम सब झेल जायेंगे! इतने भी कमजोर नही है पुत्र जितना आप हमे सोचते हो!

विक्रम को लगा कि उसकी सारी शक्ति उसके लंड में आ गई है और उसने मेनका की एक चूची को मुंह में भर कर पूरी शक्ति समेटते हुए लंड का आखिरी जोरदार धक्का मेनका की जांघो के बीच लगाया और न चाहते हुए भी मेनका की मजबूत जांघें हल्की सी खुलती चली गई और लंड का आधा मोटा सुपाड़ा मेनका की चूत के मुंह में घुसकर उसकी चूत की दीवारों को खोलते हुए अंदर उतर गया और मेनका के मुंह से एक जोरदार दर्द भरी आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ दोनो एक दूसरे को कसते हुए अपने स्खलन को प्राप्त करने लगे!

विक्रम ने मेनका के होंठो को एक बार फिर से अपने मुंह में भर लिया और मेनका दर्द से कराहती हुई, सिसकती हुई उससे लिपटी रही और लंड चूत दोनो एक दुसरे को अपने रस से रंगीन करते रहे!

जैसे ही स्खलन खत्म हुआ तो विक्रम मेनका के ऊपर से उतर गया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला:"

" मेनका मेरी माता मेरी प्रियतमा हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं!

मेनका ने भी थोड़ा उचकते हुए विक्रम का गाल चूम लिया और उसकी छाती से लगते हुए बोली:"

" हम भी आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरे पुत्र मेरे महाराज!

विक्रम:" अब आप आराम कीजिए! रात का तीसरा पहर शुरू हो गया है!

इतना कहकर विक्रम बेड से उतरकर जाने लगा तो मेनका नंगी ही बेड से उतर गई और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी छाती से चिपक कर बोली:"

" हम आपकी बांहों में सोना चाहते हैं महराज! हमे छोड़कर मत जाइए!

विक्रम ने मेनका को गोद में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया! दोनो एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
ये रजिया ने सलमा के साथ मिलकर विक्रम को किस मकसद के लिये फसाया और जब ये विक्रम को पता चलेगा तो उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी
सीमा को अपनी बहन राधिका पर शक हो गया तो क्या वो उसके बारें में पता लगा पायेगी
अपने पिता से मिलने के बाद सलिम में सुधार होगा
वैद्य के व्दारा दी गयी जडीबुटी वाली दवाई का क्या असर होगा विक्रम पर और ये माँ मेनका और बेटे विक्रम का मिलन कब होगा और वो क्या गुल खिलायेगा
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Reactions: Ajju Landwalia

Wish@2020

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Unique bhai apa to all time best writer ho....👍👏👌
 
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