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Incest शहजादी सलमा

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आज शनिवार था और सलमा के मन में सुबह से ही लड्डू फूट रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि आज उसका प्रेमी विक्रम उससे मिलने के लिए जरूर आएगा और उसने शाम को करीब आठ बजे सीमा से कहा:"

" सीमा मेरे लिए एक चमेली का गजरा लेती आना!

सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:" क्यों आज फिर से युवराज विक्रम से मिलना हैं क्या शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" ऐसा कुछ नहीं है सीमा, बस ऐसे ही मन कर रहा है आज गजरा पहनने का मेरा!

सीमा उसकी तरफ कामुक अंदाज में स्माइल करते हुए बोली:"

" हान जानती हूं क्यों मन कर रहा है आपका और पिछली बार आपका गजरा मसला हुआ मिला था मुझे आपके बेड के नीचे मानो फूलो का सारा रस कोई निचोड़ कर पी गया हो!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और उसका मुंह नीचे झुक गया तो सीमा उसका मुंह उपर उठा कर उसकी आंखो में देखते हुए बोली :

" शर्माती क्यों हो शहजादी! फूल तो मसले जाने के लिए ही होते हैं

इतना कहकर सीमा ने सलमा की चुचियों की तरफ इशारा किया तो सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और बोली:"

" जा भाग जा यहां से !! बेशर्म कहीं की !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और जाते हुए बोली:

" अब सच बात भी आपको कड़वी लगती है तो इसमें मेरी क्या गलती! लेकिन देखना विक्रम ने आपके फूलो को मसल मसल कर इनका रस न निकाल दिया तो कहना आप!

इतना कहकर सीमा उसे स्माइल देती हुई बाहर निकल गई और सलमा नहाने के लिए चली गई! सीमा थोड़ी देर ही एक गजरा लेकर आ गई और बोली:"

" लो शहजादी ले आई आपके लिए गजरा! लेकिन इस बार बेचारे को बेड के नीचे मत फेंका देना जोश जोश में आप!

सलमा उसकी बात सुनकर लजा गई और बोली:" मैने नही फेंका था, मैं भला क्यों नीचे फेंकने लगी

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" अच्छा जी आपने नही फेंका था तो किसने फेंका था गजरा!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था और बोली:"

" किसी ने नहीं फेंका था अपने आप ही गिर गया होगा!

सीमा शहजादी के पीछे आई और उसे कसकर पकड़ कर बोली:"

" और कितना झूठ बोलोगी शहजादी! मैने विक्रम को आपके कक्ष में देखा था परदे के पीछे छिपे हुए ! समझी आप!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और धीरे से बोली:" सपने में देखा होगा सीमा!
चलो जल्दी से गजरा लगाओ!

सीमा समझ गई कि सलमा उससे शर्म के मारे बताना नही चाहती है तो सीमा ने उसे छेड़ना ठीक नहीं समझा और गजरा उसके बालो में लगा दिया और थोड़ी देर बाद सलमा ने खाना खाया और उसके बाद करीब दस बजे सीमा चली गई तो सलमा बेचैनी से खुद को आईने में निहारती हुई देखने लगी!

वहीं दूसरी तरफ अजय ने बड़ा सा शीशा घर में लगा दिया और बोला:" मां हमे दोनो को राजमहल बुलाया हैं! हो सकता है कि कुछ जरूरी काम हो!

दोनो बेटे राजमहल गए और राजमाता बोली:"

" अजय बेटे आप विक्रम के साथ मिलकर हथियारों का मुयावना कर लो एक बार और दूसरे कुछ जरूरी हथियार भी आपको लेने होंगे आज पड़ोसी राज्य से!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता, मैं आज ही युवराज के साथ ये सब काम कर दूंगा!

इतना कहकर अजय विक्रम के साथ निकल गया! दोनो घोड़ों पर बैठे हुए जा रहे थे और विक्रम जानता था कि अगर वो पड़ोसी राज्य गया तो पूरी रात वही लग जायेगी और सलमा से मिल नही पायेगा तो उसने एक बहाना बनाया और बोला:"

" अरे अजय मैं तो भूल ही गया कि पड़ोसी राज्य तो आज रात अपनी आजादी के जश्न में डूबा होगा! हमे कल जाना पड़ेगा!

अजय:" ऐसा हैं तो फिर हमे राज्य वापिस जाना चाहिए क्योंकि जाने का कोई फायदा नहीं होगा!

उसके बाद दोनो वापिस राज्य की तरफ लौट पड़े और दूसरी तरफ मेनका थोड़ी देर बाद ही अपने घर आ गई और आज खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नही पद रहे थे क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसे आज ये सुनहरा मौका मिला था! अजय के घर पर नहीं होने से वो पूरी तरह से आजाद थी और वो अच्छे से नहाई और उसके बाद साड़ी और चूड़ियां लेकर नीचे कक्ष की और चल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ राज्य में घुसकर अजय अपने घर की तरफ चल पड़ा और मौका मिलते ही विक्रम ने अपना घोड़ा सुल्तानपुर की तरफ दौड़ा दिया और घोड़े को बाहर ही छिपाकर गेट पर पहुंचा और बोला:"

" हमे अंदर आने की इजाजत दीजिए! मुझे अपने दोस्त रहीम से मिलने जाना है!

सैनिक:" ओए भिखारी तुम फिर आ गए! जब्बार का साफ हुक्म है कि किसी को भी अंदर नही आने दिया जाएगा समझे! जाओ अपने घर वापस भाग जाओ!

विक्रम ने अपनी जेब से एक हीरे की अंगूठी निकाली और बोला:"

" आप ये रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए!

सैनिक बाद तेज था उसने विक्रम के हाथ से अंगूठी ले ली और एक झटके के साथ खिड़की को बंद करते हुए बोला:"

" भाग जाओ यहां से और कभी मत आना नही तो मार दिए जाओगे समझे!

खिड़की के बंद होते ही विक्रम निराशा में डूब गया और वापिस अपने राज्य की तरफ लौट चला क्योंकि वो जानता था कि अब उसका अंदर जाना संभव नहीं है! सलमा उसका इंतजार कर रही होगी लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था!

दूसरी तरफ अजय रात के करीब 11 बजे अपने घर पहुंच गया और धड़कते दिल के साथ उसने अपनी मां के कक्ष में धीरे से झांका तो उसकी उम्मीद के मुताबिक वो उसे नही मिली और अजय की सांसे तेज हो गई और धीरे से नीचे कक्ष तक की तरफ चल पड़ा क्योंकि वो जानता था कि उसकी मां नीचे शीशे में खुद को निहार रही होगी!

अजय ने घर के सब खिड़की दरवाजे अच्छे से बंद किए और सावधानी से नीचे पहुंच गया और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी मां मेनका आज साक्षात मेनका ही नजर आ रही थी और अजय को आज यकीन हो रहा था कि उसकी मां का नाम मेनका सच ही रखा है! मेनका लाल रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं और सबसे बड़ी बात उसने साड़ी को विशेष अंदाज में बांधा हुआ था जिससे उसकी कमर पूरी नंगी ही थी बस ब्लाउस की पतली सी तनिया उसे नाम मात्र के लिए ढके हुए थी और मेनका पूरी तरह से मदहोश होकर

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अपने खुले बालो के साथ शीशे में देखते हुए नाचती खुद को अश्लील इशारे कर रही थी!

अजय ने पहली बार किसी औरत का ऐसा कामुक अंदाज देखा था और यकीन हो गया कि उसकी मां के अंदर तूफान मचल रहा है और ये सब सोचकर अजय के लंड में तनाव आना शुरू हो गया और वो सावधानी से अपनी मां को देखने लगा जो पूरी तरह से पागल होकर नच रही थी और अपनी गांड़ को बेहद कामुक अंदाज में मटका रही थी! जोर जोर से नाचती हुई मेनका कमर को हिलाते हुए अजय पर कहर बरपा रही थी और उसके दोनो हाथ उसके चेहरे के सामने आ गए और वो अपनी कांच की चूड़ियां एक दूसरे से टकराने लगी और खन खन खन की मधुर आवाज कमरे मे गूंज उठी! अजय चूड़ियों की खनक सुनकर मस्ती से बेहाल हो गया और मेनका मस्त होकर फिर से नाचने लगी!

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उसके बाद मेनका के पैर थक गए तो मेनका ने मदहोशी से अपनी चुचियों की तरफ देखा जो आधी ब्लाउस से झांक रही थी और मदहोश होकर शीशे के बिलकुल सामने पहुंच गई और अपने होंठो को शीशे से चिपका दिया और अपने जीभ निकालकर चूसने का प्रयास करने लगी और उसकी जीभ से रस बहकर शीशे पर फैल गया


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मेनका धीरे से बेड पर चढ़ गई और अजय ने देखा कि बेड पर गुलाब के फूल भी पड़े हुए थे जो मस्ती में आकर मेनका ने ही बिछाए थे और मेनका ने मदहोशी से अपनी आंखे बंद कर ली और अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ने लगी और उसके मुंह पर कामुक भाव उभर आए थे और अजय का बुरा हाल हो गया था और उसका लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया था!

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मेनका की सांसे बेहद तेज गति से चलने के कारण उसकी चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर गड़ी हुई थी ! मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई बिस्तर पर अपने जिस्म को पटक रही थी और उसके दोनो हाथ उसकी चूचियों पर आ गई और मेनका ने अपनी साड़ी का पल्लू एक तरफ सरका दिया और उसकी गोल गोल चूचियां ब्लाउस में खिल उठी तो मेनका ने उन्हें अपने हाथो में भर लिया और सहलाने लगी! मेनका के मुंह से अब हल्की हल्की मधुर सिसकियां निकल रही थी और उसकी जांघो के बीच उसकी चूत में रस भर गया था! मेनका अपने ब्लाउस की तनियो को जोर जोर से पकड़कर खींचते हुए अपनी चुचियों को आजाद करने की कोशिश कर रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर निकल रही थी और उसकी चुचियों के निप्पल भी पूरी तरह से तनकर बाहर आने को मचल रहे थे और मेनका की उत्तेजना अब अपने चरम पर थी!

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अजय अपनी माता की चुचियों को देखकर आपे से बाहर हो रहा था और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर अपनी मां की सारी तड़प शांत कर दे लेकिन वो आज अपनी मा का आनंद खराब नही करना चाहता था इसलिए खड़ा हुआ अपनी माता की कामुक हरकते देख रहा था और मेनका अब अपनी चुचियों को मसलती हुई अपने जिस्म को बिस्तर पर पटक रही थी और कुछ भी करके आज अपने अंदर उठते हुए इस तूफान को शांत कर देना चाहती थीं! मेनका के हाथ उसकी चूचियों को छोड़कर उसके पेट पर आ गए और सहलाते हुए नीचे उसकी चूत की तरफ बढ़ गए मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी
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मेनका ने मदहोश होकर शीशे में खुद को देखा और उसकी जीभ एक बार फिर से बाहर निकल गई और सूखे होंठो को गीला करने लगी! अजय का लंड एक झटके के साथ उछल पड़ा और अजय ने हाथ से जोर से सहला दिया और पर्दा हिल गया और तभी उसकी नज़र हिलते हुए परदे पर पड़ी और अजय को देखते जी मेनका को मानो लकवा सा मार गया और शर्म के मारे बिस्तर पर उल्टी लेटकर लंबी लंबी सांसे लेने लगी! अजय को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था तो वो दबे पांव अपने खड़े लंड के साथ उपर की तरफ चल पड़ा! मेनका ने उसके जाते ही राहत की सांस ली और अपनी साड़ी को ठीक करके उपर की तरफ बढ़ गई लेकिन उसके कदम कांप रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि जरूर अजय गैलरी में उसका इंतजार कर रहा होगा और उसने कल की तरह मेरा हाथ पकड़ लिया तो क्या होगा ये सोचकर न चाहते भी चूचियां अकड़ गई, निप्पल सख्त होकर तन गए और चूत के होंठो से मधुर रस बह चला! मेनका के नीचे वाले होंठ बिलकुल गीले रसीले हो गए थे जबकि उपर वाले सूख गए थे और मदहोशी से चूर मेनका उपर की तरफ चल पड़ी! जैसे ही वो गैलरी में पहुंची तो उसे बिलकुल अंधेरा नजर आया और मेनका जैसे ही आगे बढ़ी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो मेनका कांप उठी और पूरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ गई और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन अजय ने कसकर उसका हाथ पकड़े रखा और एक झटके के साथ अपनी तरफ खींचा तो दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय उसके कंधो पर हाथ रखकर बोला:"

" क्षमा कीजिए माता! मेरी वजह से आप पूरा आनंद नही ले पाई!

जलती मचलती हुई मेनका उसके मर्दाने स्पर्श से पिघल सी गई और धीरे से बोली:" मेरा हाथ छोड़ दीजिए पुत्र! मुझे जाने दीजिए!

मेनका की तेज रफ्तार से चलती ही सांसों के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां अजय के सीने में घुसी जा रही थी अजय का लंड उसकी जांघो में घुसा हुआ था जिससे मेनका पूरी तरह से तड़प रही थी और अजय ने उसके चेहरे को अपने हाथो में भर लिया और उसके कांपते होंठो पर अपनी उंगली फेरते हुए धीरे से मदहोशी से बोला:"

" माता आप बेहद आकर्षक और खुशबूदार हो!


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इतना कहकर उसने अपने दोनो हाथों को उसकी नंगी कमर में लपेट दिया और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहलाने लगा तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी बांहों में कसमसाती हुई एक झटके के साथ छूटने की कोशिश करती हुई पलट गई और अजय ने उसे जोर से कस लिया तो मेनका को उसकी मर्दाना ताकत का एहसास हुआ और अजय का लंड अब उसकी गांड़ पर आ लगा तो मेनका पिघल सी और धीरे से फुसफुसाई:

" अह्ह्हा पुत्र, जाने दीजिए मुझे! रात बहुत हो गई है!

अजय ने अपने दोनो हाथों को उसके सीने पर बांधते हुए अपने होंठो से उसके एक गाल को मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो मेनका की चूत रस बाहर टपक पड़ा और वो खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ते हुए सिसकी:"

" अअह्ह्ह्हह पुत्र, कोई देख लेगा मत करो हाय ये सब!

मेनका का जिस्म उसके शब्दो का साथ नही दे रहा था और अजय ये बखूबी समझ गया था और अजय ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी चुचियों को ब्लाउस से ही हल्की सी सहलाते हुए बोला:"

" कोई नही देखेगा मेरी सुंदर माता! उफ्फ आपकी सांसे इतनी तेज क्यों चल रही है माता!!

इतना कहकर अजय ने अपने लंड का दबाव उसकी गांड़ पर दिया तो मेनका थोड़ा सा आगे को हुई जिससे उसकी चूचियां अजय के हाथो में और ज्यादा समा गई और उसने हल्का सा मसल दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से कराह कर बोली:"

" अह्ह्ह् मुझे नही पता पुत्र क्यों इतनी ज्यादा तेज चल रही है! अह्ह्ह्ह्ह मुझे जाने दीजिए ना प्लीज आप!

इतना कहकर मेनका आगे जाने को हुई तो उसकी टांगे खुल गई और अजय का लंड उसकी दोनो टांगो के बीच घुस गया और मेनका मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत में चिंगारी सी जल उठी और अजय ने अब उसकी दोनो चूचियों को थोड़ा जोर से सहलाना शुरू कर दिया और मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म को पूरी तरह से अजय की बांहों में छोड़ दिया और उसकी बांहों में झूल सी गई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच लंड को रगड़ना शुरु कर दिया और मेनका उसके लंड की सख्ती महसूस करके l पागल सी हो गई और अपने पैरो को अजय के पैरो से रगड़ने लगी तो अजय ने जोर से उसकी गर्दन को चूम लिया और उसकी दोनो चूचियों को अब सख्ती से मसलने लगा और दोनो मां बेटे अब खुलकर एक दूसरे के मजे लूट रहे थे! मेनका की चूत पानी पानी हुई जा रही थी और लंड की रगड़ उसे बहकाए जा रही थी और मेनका झड़ने के करीब आ गई तो उसकी सांसे बुलेट ट्रेन की गति से चलने लगी और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल पड़ी और एक चूची ब्लाउस से बाहर निकल गई तो अजय ने उसे अपनी चौड़ी हथेली में कस लिया जोर से मसल दिया तो मेनका मीठे मीठे दर्द से दोहरी होती चली गई और मेनका का रहा सहा धैर्य भी जवाब दे दिया! मेनका ने अजय के हाथ को अपने ब्लाउस में घुसा दिया और अजय ने उसकी दूसरी चूची को भी पकड़कर बाहर निकाल लिया और दोनो को एक साथ मसल दिया तो मेनका जोर जोर से सिसक उठी:"

" अअह्ह्ह्ह पुत्र! मेरा वीर पुत्र!

अजय ने जिस्म में भी उत्तेजना चरम पर थी और मेनका की सिसकियां आग में घी का काम कर रही थी जिससे उसके लंड मे उबाल आना शुरू हो गया और मेनका के टांगो के बीच लंड सटासट घुसने लगा और दोनो ने अपने हाथो हाथो को अजय के हाथो पर टिका दिया और दबाने लगी तो अजय ने इशारा समझकर उसकी चुचियों को पूरी सख्ती से मसलना शुरू कर दिया और मेनका भी अब अपनी चूत को पूरी ताकत से लंड पर रगड़ रही थी और अजय उसकी गर्दन चाटते हुए उसे पूरी तरह से बेकाबू किए हुए था! अजय के लंड में उबाल आ गया और उसके धक्के पर मेनका सा जिस्म थिरक उठा और मेनका की चूत में बिजली सी दौड़ गई और एक तेज झटके के साथ मेनका लंड को अपनी जांघो में कसने और उसकी चूत से रस की धार बह चली और मुंह से मादक सिसकियां निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह् पुत्र! अह्ह्हा क्या कर दिया मुझे! अह्ह्ह्ह्ह मेरे वीर पुत्र!

इतना कहकर वो अपनी गर्दन उचकाकर अजय का मुंह चूमते लगी और अजय ने अपने लंड को ताकत से बाहर खींचा और पूरी ताकत से मेनका की टांगो के बीच घुसा दिया और मेनका दर्द से कराह उठी और अजय के लंड ने उसकी चूत के मुंह पर अपने वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी और जोर से उसकी चूचियां मसल डाली और सिसक उठा

" अह्ह्ह्ह्ह मेनका!!!! मेरी मेनका आह्ह्ह्ह मेरी माता !

दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए रस छोड़ते रहे और जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो मेनका बेजान सी होकर गिरने लगी तो अजय ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कक्ष की तरफ बढ़ गया और मेनका को उसने बेड पर लिटा दिया तो मेनका ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अजय मेनका के जिस्म पर पूरी तरह से छा गया और मेनका धीरे से उसके कान में फुसफुसायी

" अह्ह्ह्हह अजय मेरे पुत्र! मैं आज बहुत खुश हूं! मुझे आप मिल गए सब मिल गया!

अजय मेनका की बाते सुन कर समझ गया कि मेनका उसे प्रेमी स्वीकार कर चुकी है तो उसके माथे को चूम कर बोला:"

" ओह्ह्ह मेनका मेरी माता!

उसके बाद दोनो ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस लिया और अजय उसके उपर से उतरकर अपने कक्ष में जाने लगा तो मेनका ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और बोली:"

" आज से आप मेरे कक्ष में ही सोया करेंगे अजय पुत्र!

अजय मेनका की बांहों में लेट गया और उससे कसकर लिपट गया और दोनो एक दूसरे की बांहों में सो गए!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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सलमा बेचैनी से विक्रम का इंतजार कर रही थीं और बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी लेकिन 11:30 तक भी विक्रम नही आया था उसका दिल टूट गया क्योंकि वो जानती थी कि आज दिन में जब्बार सुरक्षा बढ़ाने की बात कर रहा था तो इसीलिए ही विक्रम नही आ पाया और अब आयेगा भी नहीं ये सोचकर सलमा की आंखो मे आंसू आ गए और वो अपने बिस्तर से उठी और कक्ष में टहलने लगी! नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी क्योंकि थोड़ी देर पहले ही वो मधुर मिलन के सपने संजोए हुई थी और सीमा की छेड़छाड़ ने उसके जिस्म को महका दिया था लेकिन अब क्या ही कर सकती थी!

उदास सलमा की आंखे भर आई और आंसू छलक पड़े तो सलमा ने अपने मुंह को साफ किया और बिस्तर पर फिर से लेट गई लेकिन नींद नहीं आ रही थी तो वो विक्रम के बारे में ही सोचने लगी!

दूसरी तरफ गेट न खुलने से निराश विक्रम उदास मन से बैठ गया और सोचने लगा कि अंदर सलमा उसका इंतजार कर रही होगी और पता नहीं उसका क्या हाल होगा तो ये सोचकर विक्रम बेचैन हो गया और सोचने लगा कि मुझे कुछ न कुछ उपाय करना ही होगा और उसके दिमाग में एक विचार आया और तेजी से अपने घोड़े को दौड़ाते में महल की तरफ आया और एक मौलवी का भेष बनाकर कुछ मिठाई लेकर चल पड़ा! विक्रम जैसे ही गेट पर पहुंचा तो सैनिकों ने एक मौलवी को अपने सामने देखा तो विक्रम बोला:"

" अस्सलाम वालेकुम कैसे हो आप दोनो!

सैनिक हैरानी से उसे देखते हुए बोले:" वालेकुम अस्सलाम मौलवी साहब, माफ कीजिए आपको पहचाना नहीं!

विक्रम:" अरे कैसी बाते कर रहे हों मियां! हम तो रजिया बेगम के रिश्ते में चाचा लगते हैं उन्हे पता चला कि आपने हमे गेट पर रोक रखा है तो आपकी खाल उतरवा लेंगी!

सैनिक:" माफ कीजिए लेकिन राज्य की सुरक्षा के कारण रात को कोई भी अंदर नही आ सकता ऐसा राज आदेश मिला है!

विक्रम थोड़ा शांत होने का दिखावा करते हुए बोला:" ये तो अच्छी बात है! रात में तो दुश्मन भी अंदर घुस सकता है!

सैनिक:" बस इसलिए तो हम मजबूर हू!

विक्रम:" कोई बात नहीं मै आपकी मजबूरी समझ रहा हूं! एक काम करना आप ये मिठाई उन तक पहुंचा देना ये सलीम को बेहद पसंद है!

सैनिक ने मिठाई का डिब्बा लिया और बोला:" बड़ी अच्छी खुशबू आ रही हैं कहां से लाए हैं आप ये मिठाई ?

विक्रम:" ये ईरान की शाही मिठाई हैं जो सिर्फ राज परिवार के लोगो को ही नसीब होती है! आप दोनो चाहो तो खा लो थोड़ी थोड़ी लेकिन किसी के सामने बोलना मत नही तो मुसीबत आ जायेगी!

दोनो सैनिकों ने मिठाई खाई और बोले:" मिठाई तो बहुत अच्छी हैं सच में मज़ा आ गया!

विक्रम:" अच्छी तो होगी ही आखिर शाही मिठाई हैं!

सैनिक:" सच मे शाही मिठाई पहली बार खाई है तो बेहद अच्छी लगी! मैं कल सुबह ये मिठाई राजमहल तक पहुंचा दूंगा

विक्रम:" अल्लाह तुम दोनो को सलामत रखे! अच्छा मुझे कुछ एक बात बतानी थी आपको!

विक्रम जान बूझकर सैनिकों को कुछ देर के लिए बातो में उलझा रहा था और सैनिक उसकी चाल नही समझ पाए और बोला:"

" क्या खबर है बताओ जल्दी?

विक्रम:"लेकिन वादा करो कि किसी को बताओगे नही तुम!

सैनिक;" वादा किया अब बताओ क्या बात है जल्दी से ?

विक्रम:" ऐसे भी कौन वादा करता है, खुदा कसम खाओ तो यकीन आए आखिर इतनी बात राज की बात है!

सैनिक:" अच्छा ठीक है खुदा कसम, बस अब बताए आप!

विक्रम ने देखा कि दोनो सैनिक नशे में झूम रहे थे और खिड़की के करीब आते हुए बोला:"

" वो बात है कि सलीम...

इससे पहले कि वो आगे बोलता सैनिक बेहोश हो कर गिरने लगा और विक्रम ने खिड़की से हाथ आगे बढ़ा कर उसे थाम लिया और उसकी जेब से चाबी निकाली और सैनिक बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा! विक्रम ने हाथ आगे बढ़ा कर ताला खोल दिया और गेट को धीरे धीरे खोलने लगा और गेट खुलते ही वो अंदर घुस गया और ताले को वापिस लगाकर। चाभी को सैनिक के पास फेंक कर अंदर राज्य में घुस गया और विक्रम अब बेहद खुश था क्योंकि थोड़ी सी देर में वो अपनी प्यारी सलमा से मिलने वाला था! सावधानी से छुपाते छिपते हुए वो महल के पीछे तक पहुंच गया और इधर उधर देखते हुए वो गुफा के अंदर घुस गया और सावधानी से चलते हुए महल के अंदर घुस गया! करीब 12 बज गए थे और विक्रम धीरे धीरे चलता हुआ शहजादी के कक्ष के सामने पहुंचा तो देखा कि कक्ष खुला हुआ है अंदर घुस गया लेकिन शहजादी उसे दिखाई नही दी तो वो उदास हो गया और पूरे कक्ष में अच्छे से देखा लेकिन नही उसे शहजादी नही मिली तो विक्रम का दिल उदास हो गया और वो इधर उधर सलमा को ढूढने लगा और गैलरी से निकलकर बाहर आया तो उसे सामने ही एक शाही बगीचा नजर आया और उसके दिल में उम्मीद जगी कि सलमा शायद बगीचे मे टहल रही होगी और ये सोचते हुए वो धीरे से अंदर घुस आया और देखा कि खूबसूरत फूलो की गंध से बगीचा महक रहा था और विक्रम आगे बढ़ता जा रहा था और जैसे ही आगे मुड़ा तो उसकी आंखे खुली की खुली रह क्योंकि क्योंकि सलमा एक खूबसूरत लाल रंग की नाइटी में सजी हुई बगीचे में घूमती हुई मधुर गीत गुनगुना रही थी!


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लाल रंग की छोटी सी नाइटी में सलमा के दोनो कंधे बिलकुल नंगे हो थे बस नाम मात्र के लिए डोरिया बंधी हुई थी! उसके काले घने बाल हवा में लहरा कर उसके खूबसूरत गोल मटोल चेहरे को और भी सुंदर बना रहे थे और ऐसा लग रहा था मानो चांद बादलों के बीच से झांक रहा हो! सलमा की मोटी मोटी गोल मटोल गुम्बद के आकार की चूचियां आधी से ज्यादा बाहर झांक रही थी और चलने के उछल उछल पड़ रही थीं! सलमा इतनी आकर्षक भी हो सकती है इसका अंदाजा विक्रम को आज हुआ और विक्रम खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था क्योंकि एक जीती जागती कयामत हुस्न की मल्लिका सलमा सिर्फ उससे प्यार करती थी! सलमा मस्ती से झूमती हुई आगे बढ़ रही थी और एक फूल उसके चेहरे से टकराया तो सलमा ने उसे प्यार से देखा और नजाकत के साथ तोड़कर अपने दोनो हाथो में लेकर मसलने लगी और उसे सीमा की बात याद आ गई कि आपके फूल भी मसले जायेंगे तो उसने कामुक नजरो से अपनी चुचियों की तरफ देखा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!


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विक्रम उसकी इस अदा पर मस्ती से झूम उठा और सलमा चलती हुई फूलो की खुशबू महसूस करती हुई इधर उधर झूम रही थी और बलखाती कमर के साथ मटकती हुई उसकी गांड़ विक्रम के दिल पर छुरियां चला रही थी और चलते चलते सलमा एक पुल पर चढ़ गई और इधर उधर देखने लगी और तभी उसकी नज़र विक्रम पर पड़ी तो उसके होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन उसे मानो अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था और उसने अपने बालो को पीछे झटका और फिर से विक्रम को देखा तो उसे यकीन आ गया कि सामने उसका महबूब उसका आशिक विक्रम ही हैं तो सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम को मुस्कान देती हुई एक नजर खुद पर डाली तो शर्मा गई और पीछे की तरफ भाग गई !

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विक्रम मुस्कुराता उसे पीछे पीछे आगे बढ़ गया और सलमा अदा के साथ मटकती हुई एक एक बड़ी सी झाड़ी के पीछे छिप गई और विक्रम ने उसे देख लिया और उसके करीब जाकर झाड़ी के दूसरी तरफ खड़ा हो गया और सलमा झाड़ी के बीच से देखती हुई उसे मंद मंद मुस्कान दे रही थी और विक्रम बोला:"

" माशा अल्लाह बेहद खूबसूरत लग रही हो शहजादी इस लाल रंग की नाइटी में आप!

सलमा के होठों पर उसकी बात सुनकर मुस्कान थिरक उठी और शरमाते हुए बोली:"

" हाय मेरे रब्बा! ऐसा न कहो विक्रम हमे लाज आती है ऐसे कपड़ो में आपके सामने!

विक्रम उसकी अदाएं देखकर तड़प उठा और बोला:"

" कपड़ो का क्या हैं शहजादी कैसे भी आखिर में उतर ही जाते हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और नजरे नीचे करते हुई बोली:"

" कुछ तो शर्म कीजिए आप युवराज! पूरा बिगड़ गए हो आप!

विक्रम:" सब आपकी खूबसूरती की नतीजा हैं शहजादी, जिसकी इतनी सुंदर महबूबा होगी तो भी वो बेचैन होगा ही न प्यार करने के लिए!

सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:" इतनी देर से क्यों आए आप ? पता हैं मैं कितनी परेशान थी आपके लिए ?

विक्रम ने उसे सारी बात बताई तो सलमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और बोली:" हाय अल्लाह अब कल फिर से सभा में हंगामा होगा और सुरक्षा फिर बढ़ा दी जायेगी तो हम अगली बार कैसे मिल पाएंगे युवराज!!

सलमा इतना कहकर झाड़ी से बाहर आ गई और विक्रम की बांहों में समा गई तो विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया और दोनो एक दूसरे को चूमने लगे और सहलाने लगे!

विक्रम उसका माथा चूमता हुआ बोला:" ओह मेरी शहजादी, कल की छोड़ो ना बस अब ये प्यार के लम्हे हैं तो प्यार करो!

सलमा उसके गले में अपनी बांहे डालकर पूरी ताकत से लिपट गई और उसका गाल चूम लिया तो विक्रम ने अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और दोनो बेताबी से एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! विक्रम ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया तो सलमा ने मुंह खोल कर उसकी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं और विक्रम ने दोनो हाथों को उसकी गांड़ पर रखकर उसकी गांड़ को मसलना शुरू कर दिया तो सलमा बेकाबू उसकी जीभ को चूसने लगी और विक्रम ने एक झटके के साथ उसकी नाइट को उपर चढ़ा कर उसकी बिलकुल कोरी नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया तो सलमा को एक तेज झटका सा लगा और वो एक झटके के साथ उसकी पकड़ से निकल गई और एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गई तो विक्रम तेजी से आगे बढ़ा और सलमा को फिर से अपनी बांहों में कस लिया तो सलमा कसमसा उठी और बोली

" आआआह्हह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! हमे नीचे कुछ नही पहना हुआ है!

विक्रम ने उसे पूरी ताकत से कस लिया और उसकी दोनो चूचियों को हाथो में भर कर सहलाने लगा और जोर जोर से मसलते हुए बोला:" अअह्ह्ह्हह मेरी शहजादी, क्या नही पहना है आप नीचे!!

सलमा अपनी चुचियों को दबाए जाने से मस्ती से झूम उठी और मीठा मीठा दर्द उसकी चुचियों से होता हुआ सीधे उसकी चूत पर असर कर रहा था और सलमा धीरे से उसके गाल पर अपने दांत गडा कर बोली:"

" अह्ह्ह्ह मुझे नही पता बेशर्म युवराज!! अह्ह्ह्ह् छोड़ दीजिए ना विक्रम मुझे!

विक्रम ने सलमा की दोनो चुचियों को अब नाइटी के उपर से ही जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके कान की लौ को दांतो से हल्के हल्के काटते हुए बोला

" बताओ ना मेरी जान शहजादी! क्या नही पहना ने मेरी सलमा ने नीचे आज!!

इतना कहकर विक्रम ने अपने खड़े लंड को उसकी गांड़ की गोलाईयों में घुसा दिया तो सलमा मस्ती से भर उठी और उसके बांहों में मचलती हुई बोली:

" अह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई पे..पे...पेंटी नही पहनी आपकी शहजादी ने मेरे युवराज!!

इतना कहकर सलमा पलटी और कसकर विक्रम से लिपट गई! अब विक्रम ने फिर से सलमा की गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और जोर जोर से उसकी गर्दन चूसते हुए मसलने लगा तो सलमा के मुंह से सिसकियां निकलने लगी और विक्रम ने एक बार फिर से उसकी उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और सलमा के मुंह में अपनी जीभ घुसा कर उसकी जीभ से मिला दी और दोनो की जीभ एक दूसरे से टकराने लगी! विक्रम ने धीरे से उसकी नाइटी को उसकी कमर तक उठा दिया और सलमा की नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर प्यार सहलाने लगा और सलमा ने जोश में आकर उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और विक्रम धीरे सलमा की मजबूत मोटी चौड़ी उभरी हुई गांड़ की गोलाईयों के बीच अपनी उंगली चलाने लगा तो सलमा के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई और विक्रम के सीने में अपनी चुचियों को घुसाने लगी और किस तोड़ते हुए सिसकी

" अह्ह्ह्ह मेरे युवराज आईईईईसी ईईईईईआई विक्रम! अह्ह्ह्ह्ह हाय मत कीजिए ना!


सलमा ने खुद को उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसे गोद में उठा कर वही एक झाड़ी के पीछे लिटा लिया और सलमा लंबी लंबी सांसे लेती हुई उसकी तरफ देखने लगी और शर्म के मारे दोनो हाथों से अपना मुंह ढक लिया और विक्रम उसके ऊपर चढ़ गया तो सलमा सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह मेरे युवराज मेरे सरताज! कोई देख लेगा!

विक्रम उसकी बात को समझते हुए उसके ऊपर से उतर गया और सलमा खड़ी थी और धीरे धीरे अपने कक्ष की तरफ चलने लगी और फिर रुक गई और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" मैं नही जाती अंदर! आप मुझे परेशान करोगे!

विक्रम उसकी इस अदा पर मर मिटा और धीरे से बोला:"

" मेरी शहजादी को प्यार करूंगा!
ढेर सारा प्यार!

सलमा उसकी आंखो मे देखते हुए अपना सीमा उसकी तरफ तानकर बोली:"

" मैं खूब समझती हु आपका प्यार युवराज! मेरी मसल मसलकर क्या हालत कर देते हो बस मैं ही जानती हु!

विक्रम ने एक हाथ बढ़ाकर उसकी चूची को मसल दिया और बोला:"हाय मेरी शहजादी आपको मसलने में बहुत मज़ा आता हैं!


सलमा मस्ती और दर्द से कराह उठी और नखरे दिखाती हुई बोली:"हाय मैं नही जाने वाली आज अंदर!

विक्रम ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" चलती हो अपनी मर्जी से या गोद में उठा कर के जाऊ अपनी सलमा को!

सलमा उसकी बांहों में मचलती हुई कांपती हुई बोली:" हाय युवराज छोड़ दीजिए ना कोई देख लेगा तो मैं फंस जाऊंगी!

विक्रम ने उसकी गांड़ के नीचे हाथ लगाकर उसे जोर से पकड़ लिया और उसके कान में धीरे से बोला:" बहुत नखरे कर रही थी आप अंदर जाते हुए,अब देखना अंदर ले जाकर सारे नखरे उतर दूंगा आपके मेरी शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और कुछ नही बोली! विक्रम गोद में लिए हुए उसके कक्ष में आ गया और सलमा उसकी गोद से उतरकर दरवाजे की तरफ दौड़ी और विक्रम हैरानी से उसे देखता रहा और सलमा ने दरवाजे को बंद कर दिया और आगे बढ़ कर विक्रम के गले लग गई और विक्रम ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होंठो को चूसने लगा और सलमा की नाइटी को उपर चढ़ा कर उसकी नंगी गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर मसल दिया तो सलमा कराह उठी और बोली;

" आह्ह् क्या गजब करते हो युवराज!

विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और सलमा ने सिसकियां लेते हुए उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया तो विक्रम ने अपनी उंगली को उसकी गांड़ की गोलाईयों में घुसा दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज मत कीजिए! उफ्फ नही !! मुझे शर्म आती हैं!

विक्रम:" आज आपकी शर्म दूर कर ही देता हूं शहजादी!

विक्रम ने एक पल के लिए उसे खुद से अलग किया और अगले ही पल जैसे कयामत हो गई क्योंकि विक्रम ने एक झटके के साथ सलमा की नाइटी को पकड़कर उपर किया और सलमा को मादरजात नंगी कर दिया और सलमा शर्म दोनो को से अपना मुंह छुपा कर सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह ये क्या गजब कर दिया युवराज! हम मर जायेंगे

युवराज विक्रम ने अपनी शर्ट और पैंट को भी उतार दिया सिर्फ अंडर वियर में आ गया और उसकी चुचियों को देखा और फिर उसकी जांघो के बीच नजर दौड़ाई जहां से उसकी गुलाबी चूत का हल्का सा उभार नजर आ रहा था और धीरे से उसके कान में बोला:"

" हाय मेरी शहजादी आपकी चूंचियां बड़ी खूबसूरत हैं!

विक्रम की बात सुनकर सलमा शर्म से मरी जा रही थी और कसकर उससे लिपट गई और बोली:" कितने गंदे हो आप जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!

विक्रम ने उसकी नंगी गांड़ को फिर से अपनी हथेलियों में भर लिया और जोर से मसल दिया तो सलमा उससे कसकर लिपट गई और विक्रम ने उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया तो सलमा को उसके नंगे होने का एहसास हुआ और सलमा मस्ती से भर गई और उसके होंठो को चूसने लगीं तो विक्रम ने उसकी चुचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और कस कर मसल दिया तो मीठे मीठे दर्द से सलमा सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह विक्रम धीरे मेरे युवराज!!!

विक्रम ने उसकी चुचियों को फिर से जोर से मसल दिया और उसके कान में बोला:"

" जोर से नही मसलूंगा तो सीमा को अच्छा नहीं लगेगा! वो तो चाहती है कि मैं आपको खूब अच्छे से मसल डालू शहजादी!

विक्रम की बात सुनकर सलमा बहक गई और अपनी चुचियों को उभारती हुई सिसकी

" आह्ह्ह्ह्ह विक्रम मसल डालो अपनी सलमा को आज जी भरकर! सीमा को पता चलना चाहिए कि युवराज ने शहजादी का हाल बेहाल कर दिया है!

विक्रम कस कस कर उसकी चुचियों को मसल रहा था और सलमा की चूत से रस बहना शुरू हो गया था और विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो सलमा सिसक उठी और अपनी टांगो को खोलते हुए विक्रम की गांड़ पर अपने हाथ रख कर मसलने लगी! सलमा की टांगे खुलते ही विक्रम का लंड अंडर वियर के अंदर से ही उसकी नंगी चूत से छू गया और सलमा जैसे पागल सी हो गई और विक्रम की गांड़ को जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और विक्रम ने जोश में आकर उसकी चूची पर अपने दांत गडा दिए तो सलमा दर्द और मस्ती से कराह उठी और चूची उसके मुंह से बाहर निकल गई

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज इतने जालिम न बनो मेरे प्रियतम!

विक्रम ने अपनी गर्दन उचकाकर फिर से उसकी चूची की तरफ मुंह बढ़ाया तो सलमा ने खुद ही अपनी चुचियों को उसके मुंह पर रख दिया और विक्रम फिर से बेकाबू होकर बारी बारी उसकी दोनो चूचियों को चूसने लगा और सलमा ने मस्ती से सिसक सिसक कर अपनी दोनो टांगो को पूरा खोलते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया मानो चुदने के लिए अपनी सहमति दे रही हो और विक्रम ने नीचे आते हुए उसके पेट को चूम लिया और जैसे ही उसके होंठ नीचे की तरफ बढ़े तो सलमा का समूचा वजूद कांप उठा और जैसे ही विक्रम ने उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ बढ़ाए तो सलमा सिसकी हुई एक झटके के साथ पलट गई और विक्रम के उपर आ गई और उसके होंठो को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी गांड़ पर रख दिया और सहलाने लगा और उंगली से उसकी गांड़ के छेद को मसल रहा तो सलमा को एक तेज झटका लगा और उछलकर पेट के बल बिस्तर पर लेट गई और लंबी लंबी सांसे लेती हुई विक्रम को देखने लगी! विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए आगे बढ़ा और जांघो के बीच बैठकर उसकी कमर को चूमने लगा तो सलमा का जिस्म मस्ती से उछलने लगा और विक्रम उसकी उसकी कमर चूमते हुए बोला:

" अअह्ह्ह्हह मेरी शहजादी! आपकी कमर कितनी चिकनी और खूबसूरत हैं!

सलमा अपनी कमर पर उसकी गर्म जीभ का स्पर्श पाकर मचल उठी और अपनी चुचियों को बेडशीट पर रगड़ते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरे युवराज, आपके लिए हैं मेरी कमर! अअह्ह्ह्हह हाय मेरे प्रियतम!

विक्रम उसकी कमर चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ गया और उसकी गांड़ के उभार पर अपनी जीभ को फिराया तो सलमा जोर से उछल पड़ी और सिसकी

" हाय अअह्ह्ह्ह युवराज उफ्फ क्या गजब करते हो! अअह्ह्ह्हह इतने गंदे मत बनो!

विक्रम ने उसके दोनो हाथो को मोड़ते हुए कसकर पकड़ लिया और उसकी जांघो पर बैठते हुए सलमा को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया और उसकी गांड़ के उभार को जीभ से सहला दिया तो चाटने लगा तो सलमा मस्ती से सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह मत कीजिए विक्रम! अह्ह्ह्ह् ये जुल्म मत कीजिए मुझ पर!

विक्रम ने उसकी गांड़ के उभार को जी भर कर चाटना शुरु कर दिया और सलमा की चूत रस से भर गई थी जिससे सलमा अपनी चुचियों को बेडशीट पर रगड़ते हुए जोर जोर से सिसक रही थी और विक्रम ने उसके हाथो को अपने हाथो में भरते हुए उसकी चुचियों पर रख दिया और मसलने लगा तो सलमा बेकाबू होकर खुद ही अपनी चुचियों को मसलने लगी और विक्रम ने दोनो हाथों से उसकी गांड़ के दोनो पटो को फैला दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह युवराज! उफ्फ मत करो खुदा के लिए! हाय अम्मी बचे ले मुझे!

विक्रम ने उसकी गांड़ के बीच में झांका और उसे सलमा का गांड़ का छोटा सा बेहद कसा हुआ भूरे हल्के गुलाबी रंग का छेद नजर आया जिसे सलमा शर्म से कसमसा कर अंदर बाहर की तरफ सिकोड़ रही थी!


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विक्रम उसकी गांड़ के गुलाबी छेद को देखकर जोश में आ गया अपने अंडर वियर को नीचे करते हुए लंड को आजाद कर दिया और उंगली से उसकी गांड़ का छेद मसल दिया तो सलमा होकर जोर से सिसक उठी और अपनी गांड़ को कसने का प्रयास करने लगी लेकिन विक्रम के आगे उसकी एक न चली और विक्रम ने बेकाबू होकर अपनी होंठो को उसकी गांड़ के छेद की तरफ बढ़ाया तो सलमा उत्तेजना के मारे पूरी जोर से उछल पड़ी और विक्रम के होंठ उसकी रसीली चूत से जा लगे और विक्रम ने एक झटके के साथ उसकी चूत को मुंह में भर लिया और जोर से चूस लिया तो सलमा के मुंह से जोरदार मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी

" अअह्ह्ह्हह युवराज मार डाला मुझे! यूईईईईईईई सीईईईई

सलमा ने अपनी पूरी ताकत समेत कर एक जोरदार झटका खाया और बेड पर गिर पड़ी और विक्रम उसके ऊपर चढ़ गया और नंगा लंड उसकी नंगी चूत से छुआ तो सलमा ने बेकाबू होकर विक्रम के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और जैसे ही उसे अपनी चूत के रस का एहसास हुआ तो शर्म के मारे वो होंठ पीछे करने लगी लेकिन विक्रम उसके सिर को पकड़े हुए उसके होंठो को चूसता रहा और लंड को उसकी गीली चूत पर रगड़ दिया तो सलमा तड़प उठी और उसके होंठ खुल गए और सारी शर्म लिहाज छोड़कर विक्रम के होंठो और जीभ को चूसने लगी! सलमा को अपनी चूत का रस बेहद पसंद आ रहा था और विक्रम के होंठो को जोर जोर से चूस रही थी और विक्रम उसकी चूत पर लंड रगड़े जा रहा था और सलमा खुद अपनी चूत लंड पर उछाल रही थी और विक्रम ने उसकी टांगो को पूरा खोलते हुए लंड को उसकी चूत के छेद पर टिका कर और सलमा की आंखो मे देखा और एक धक्का लगाया तो सलमा ने कसमसा कर अपनी जांघो को बंद कर दिया और लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत के होंठो पर जोरदार ठोकर मारी और सलमा दर्द और मस्ती से कराह उठी

" अअह्ह्ह्ह मेरे युवराज! अअह्ह्ह्ह्ह दर्द होता हैं आपकी सलमा को!

विक्रम उसकी आह सुनकर जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा और सलमा भी लंड के धक्के अपनी चूत के मुंह पर खाती रही और दोनो पसीना पसीना हो गए थे और दोनो ही एक दूसरे से ज्यादा ताकत लगा रहे थे तो विक्रम ने जोश में लंड के सुपाड़े को फिर से चूत के मुंह पर रख दिया और सलमा की आंखो में देखा तो सलमा ने कसमसा कर अपनी जांघो को बंद लिया और विक्रम ने उसकी भावना का सम्मान करते हुए उसकी चूत पर लंड को रगड़ना शुरू कर दिया तो बेकाबू होकर सलमा अपनी चूत लंड से चिपकाकर उसे धक्के मारने के लिए उकसाने लगी और दोनो ने एक साथ धक्के मारने शुरू कर दिए और सलमा की चूत के होंठ लंड की मार से लाल हो गए थे लेकिन सलमा पीछे नहीं हट रही थी और ज्यादा जोर लगा रही थी और यही हाल विक्रम का भी था! विक्रम और सलमा दोनो के ही मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल रही थी और दोनो ही एक दूसरे को चूमते हुए सहलाते हुए धक्के लगा रहे थे और सलमा की चूत में सनसनाहट होने लगी तो उसने पूरी ताकत से विक्रम को कस लिया और सिसक उठी

" अअह्ह्ह्हह युवराज! मुझे कुछ हो रहा है! अअह्ह्ह्हह मारो विक्रम और जोर से मारो मुझे!

विक्रम भी झड़ने के करीब आ गया तो उसके लंड मे भी गजब की तेजी आ गई और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलते हुए पूरी ताकत से धक्के मारते हुए बोला

" अह्ह्ह्ह्ह् मेरी शहजादी! मेरी जान सलमा लो और जोर से लो आह्ह्ह्ह् कितनी मीठी हो!

सलमा मस्ती से उछली जा रही रही थी और उसकी चूत की नशे फड़क उठी और उसे लगा कि उसकी जान उसकी चूत से निकलने वाली है तो वो विक्रम को पूरी ताकत से कसते हुए उसका मुंह चूम लिया और सिसकी

" अअह्ह्ह्ह्ह विक्रम! सीईईईईईईईईईई, रीईईईईईईई यूईईईईई मर गई मैं!!

विक्रम ने भी अपने लंड का आखिरी जोरदार धक्का उसकी चूत पर मारा और झड़ने के कारण सलमा की टांगे खुली होने के कारण लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत पर दबाव बनाया और सलमा को अपनी जांघो में दर्द का एहसास हुआ तो उसने अपनी जांघो को कस लिया लेकिन तब तक लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया था और तेज दर्द से कराहती हुई सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सिसक उठी

" अह्ह्ह्ह्ह! मर गई मैं तो! अअह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईई रीईईईईईई यूईईईई मार डाला मुझे युवराज!

विक्रम के लंड ने वीर्य की जोरदार पिचकारी उसकी चूत में मारनी शुरू कर दी और झड़ती हुई सलमा दर्द से कराहती हुई सलमा विक्रम का मुंह चुमती रही! दोनो एक दूसरे से कसकर लिपटे हुए झड़ते रहे और लंबी लंबी सांसे लेते रहे!

आखिर में दोनो के अंगों ने आखिरी सांस ली और विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला: आप ठीक तो हो ना शहजादी! ज्यादा दर्द तो नही हुआ आपको!

सलमा उसका प्यार देखकर पिघल गई और उसके कान खींचती हुई बोली:"

" पहले जान निकाल देते हो और फिर पूछते हो कि ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ! सुधर जाओ युवराज आप समझे!


एक झटके के साथ लंड का आधा सुपाड़ा उसकी चूत से बाहर निकल गया और सलमा के मुंह पर दर्द भरी लकीर खींच गई तो विक्रम ने उसका मुंह फिर से चूम लिया तो सलमा बोली:"

" हमे कितना दर्द हुआ है आपको कुछ एहसास भी है! हम अभी इसके लिए तैयार नहीं थे!

विक्रम ने उसके गाल को चूम लिया और बोला:" माफ कीजिए शहजादी लेकिन गलती से हुआ है आप चाहे तो हमे सजा दीजिए!

सलमा ने उसका मुंह चूम लिया और बोली:" आप मेरे युवराज हैं मेरे सरताज! सब कुछ आपके लिए हैं ही बस थोड़ा सा सब्र करो!

विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और उसके कंधे को सहलाते हुए बोला:"

" मेरी शहजादी मुझे कोई जल्दी हैं बस आपकी ही टांगे खुल गई थी जिससे आपको दर्द हुआ!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और धीरे से उसके कान में बोली:" वो उस समय हम अपने काबू में नहीं थे न इसलिए खुल गई टांगे!

विक्रम उसका माथा चूम कर उसकी चूचियों को देखते हुए बोला:" वैसे आप बिना कपड़ो के ज्यादा खूबसूरत लगती हो! हमसे अब बर्दाश्त नहीं होता है!

सलमा ने उसकी बात सुन कर चादर को दोनो के जिस्म पर खींच लिया और बोली:

" सब समझती हूं आपके इरादे! मेरा क्या हाल कर दिया है बस मैं ही जानती हूं!

विक्रम उसकी चुचियों को अपनी छाती से रगड़ते हुए बोला:" सीमा देखेगी तो खुश हो जायेगी!

सलमा शर्म से दोहरी हो गई और बोली;" वैसे एक बात कहूं ये सीमा अजय को बेहद पसंद करती हैं!

विक्रम ने खुशी से उसका मुंह चूम लिया और बोला:" क्या सच मे! ये तो बेहद अच्छी बात है! दोनो को मिलवाकर इनका प्रेम शुरू करवा देते है!

सलमा:" हान लेकिन कैसे?

विक्रम:" वो सब मुझ पर छोड़ दो बस कल आप शहजादी के साथ नदी किनारे आ जाना!

सलमा:" ठीक हैं अब जल्दी से उठो सीमा आने वाली होगी! जाओगे कैसे आप?

विक्रम:" दिन होने पर आराम से निकल जाऊंगा! आप चिंता मत करिए शहजादी!

उसके बाद विक्रम सलमा के उपर से हट गया और कपड़े पहन कर सलमा का मुंह चूमकर बाहर निकल आया और सलमा बेड शीट को ठीक करके नहाने के लिए घुस गई!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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अगले दिन जैसे ही पहरा दे रहे सैनिक बेहोश पड़े हुए मिले तो सुल्तानपुर में हड़कंप मच गया और राज दरबार लगा हुआ था!

रजिया:" आखिर चल क्या रहा है जब्बार ? ऐसी ढीली सुरक्षा व्यवथा मैने आज तक नही देखी!

जब्बार भरे दरबार में जलील हो रहा था और उसका मुंह गुस्से और अपमान से लाल हुआ पड़ा था और बोला:" आप फिक्र न करें क्योंकि आज से सारी सुरक्षा में अपने हाथ में लूंगा और कोई परिंदा भी पर नही मर सकता!

रजिया:" लेकिन जो अभी तक हुआ है उसके पीछे किसी दुश्मन का क्या मकसद हो सकता हैं वो पता करना ही होगा साथ ही साथ अभी तक कल्लू सुनार का कुछ भी पता नहीं चला है!

जब्बार:" कल्लू सुनार को ढूंढने के लिए सैनिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं! जरूरी वो कहीं छिपा हुआ होगा नही तो अब तक मिल जाता!

रजिया:" ठीक हैं लेकिन जब्बार आगे से कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए सुरक्षा से जुड़ी हुई! सैनिकों को होश में आते ही उनसे सब कुछ पता करो और हमें बताओ सब कुछ!

जब्बार:" जैसा आपका हुक्म!

उसके बाद सभा समाप्त हो गई और सलमा चिंता में पड़ गई कि जब्बार जैसे राक्षस के होते हुए विक्रम राज्य में कैसे घुस पायेगा और दोनो का मिलना अब बिल्कुल भी आसान नहीं होगा!

वहीं दूसरी तरफ उदयगढ़ में सुबह अजय अपनी मां मेनका के बिस्तर पर सोया हुआ था और मेनका घर के कुछ काम देख रही थी! अजय की आंख खुली और देखा कि वो अपनी माता के कक्ष में सोया हैं तो उसकी आंखो के आगे रात हुई घटना याद आ गई और उसे यकीन नही हो पा रहा था कि रात जो हुआ वो सपना था या हकीकत! अजय उठा और नहा धोकर तैयार हो गया और मेनका के साथ नाश्ता करने कर बाद राज महल की तरफ बढ़ गया! अजय और मेनका दोनो ने ही एक दूसरे के साथ बिलकुल सामान्य व्यवहार किया मानो रात कुछ हुआ ही नहीं था!

राज महल पहुंच कर अजय ने गायत्री देवी के पैर छुए तो गायत्री ने उसे आशीर्वाद दिया और बोली:" विजयी भव ! ईश्वर तुम्हे अपने कर्तव्य को पूरा करने की शक्ति प्रदान करे!

अजय:" जब तक आपका आशीर्वाद मेरे साथ हैं मैं अपने कर्तव्य को पूरा करूंगा!

राजमाता:" मैं तो हमेशा आप दोनो के साथ हु अजय! अच्छा आज एक काम करना नदी के किनारे जो मंदिर हैं मुझे पूजा के लिए जाना होगा! आप जाने की तैयारी कीजिए!

अजय:" जो आज्ञा राजमाता! युवराज नही दिख रहे हैं?

गायत्री:" आजकल युवराज राज्य के कामों में रुचि कम ले रहे हैं और देर तक सोते हैं! हमे भी पता करके बताओ जरा क्या कहानी है आखिर इसके पीछे ?

अजय:" आप चिंता न करें राजमाता! मैं युवराज से बात करके आपको बता दूंगा!

अजय राजमाता से मिलने के बाद विक्रम अजय से मिलने के लिए उसके कक्ष में गया तो देखा कि विक्रम 11 बजे भी सोया हुआ है तो वो उसके कक्ष से बाहर आ गया और सैनिकों से मिलने के लिए चला गया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और करीब एक बजे वापिस आया तो युवराज खाना खाकर बैठे ही थे कि अजय को देखते ही बोले:"

" आओ अजय थोड़ा भोजन ग्रहण कर लो आप भी!

अजय:" नही युवराज, मुझे अभी भूख नही है! आप कैसे हो?

विक्रम:" मैं तो अच्छा हु अजय! लेकिन क्या हुआ जो ऐसे पूछ रहे हो आप!

अजय:" नही बस ऐसे ही आजकल आप राज सभा में नही आते और लेट तक सोते हैं तो बस इसलिए पूछा आपसे कि कहीं कोई बीमारी ने तो नही घेर लिया आपको?

विक्रम उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया और बोला:" बीमारी हान बीमारी ही तो हैं सच मे एक बेहद हसीन बीमारी जिसकी वजह से हम रात भर नींद नहीं आती !

अजय उसकी बात सुनकर हैरान हो गया और बोला:" ऐसे पहेलियां ना बुझाए युवराज! हम आपके जैसे समझदार नही है!

विक्रम:" बात ऐसी है कि अजय हमने आपके लिए भाभी ढूंढ ली!

अजय उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठा और बोला:" अच्छा जी तो ये बात है हमारे युवराज किसी के प्रेम जाल में पड़ गए हैं

विक्रम:" हान मित्र भाई ऐसा समझ लो कि उसके बिना कुछ अच्छा नही लगता! मन करता है कि वो हर पल मेरी नजरो के सामने मेरी बांहों में रहे!

अजय:" युवराज आप तो सच में प्रेम दीवाने हो गए हैं! आखिर कौन है वो जिसने युवराज को अपना दीवाना बना लिया है!

विक्रम ने अपने दिल पर हाथ रखकर आह भरी और बोला:

" वो तो लाखो में एक हैं हंसती है तो फूल झड़ते हैं और बात करती है तो दिल जीत लेती है! उसकी एक मुस्कुराहट पर जीवन बलिदान करने को जी चाहता है!

अजय:" ऐसा तो सिर्फ स्वप्न से सुंदरी के लिए ही होता है युवराज!

विक्रम ने आंखे बंद करी और उसकी आंखो के आगे सलमा की तस्वीर नजर आई और बोला:"

" सच में अजय स्वप्न सुंदरी से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और हसीन!

अजय:" अच्छा फिर हमें आखिर बताए तो सही कि वो है कौन?

विक्रम ने अजय का हाथ पकड़ लिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोला:" सुल्तानपुर की शहजादी सलमा!

अजय का मुंह हैरानी से खुला और खुला का खुला ही रह गया और उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था कि वो सच सुन रहा है और बोला:"

" क्या युवराज सुल्तानपुर की शहजादी सलमा? मैं सच सुन पा रहा हूं ना ?

विक्रम के चेहरे पर मुस्कान आ गई और बोला:" सही सही सुन रहे हो आप अजय! हम और सलमा एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते हैं!

अजय:" लेकिन युवराज वो तो हमारे राज्य के दुश्मन है आप उनसे कैसे रिश्ता जोड़ सकते हो जबकि आप जानते हो कि वो आपके पिता के कातिल परिवार से हैं!

विक्रम:" सलमा से हमारी कैसी दुश्मनी उसके तो एक मासूम सा प्यार भरा दिल हैं अजय! फिर उसने भी तो अपना पिता खोया है उस लड़ाई में और वो हमे दुश्मन समझती थी लेकिन बड़ी मुश्किल से हम उसकी गलतफहमी दूर कर पाए हैं! डर असल हमे तो लगता हैं कि इस सारे फसाद की जड़ कोई और ही हैं!

अजय ध्यान से उसकी बाते सुनता रहा और विक्रम ने उसे जब्बार की बात बताई तो अजय समझ गया कि सलमा बेकसूर हैं और सच में उसे युवराज की जरूरत है तो बोला:"

" लेकिन युवराज आप उनसे मिलने के लिए सुल्तानपुर जाने की भूल मत करना! कहीं वो आपको फंसा न दे या फिर आप किसी खतरे में ना पड़ जाए!

विक्रम:" हम तो कल पूरी रात सुल्तानपुर में ही थे शहजादी के पास अजय! वो हमें एक खरोच नही आने देगी क्योंकि उसके लिए अब सब कुछ हम ही हैं! अच्छा सुनो आज शहजादी शाम को नदी पर हमसे मिलने के लिए आएंगी! आप हमारे साथ चलना! आप मिल लेना अपनी भाभी से!

अजय चौंक कर बोला:" लेकिन युवराज आज तो शाम को राजमाता पूजा के लिए जायेंगी नदी पर!

युवराज:" कोई बात नही ये तो और खुशी की बात हैं! वो भी अपनी होने बहु से मिल लेंगी!

अजय:" नही युवराज ये इतना आसान नहीं हैं! आप अभी किसी को मत बताना और एक वादा करो कि मुझे बिना बताए आप अब सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम:" आप हमारी चिंता न करे अजय! हम बिना सुरक्षा के कहीं नही जाते है!

अजय:" बात वो नही है युवराज! हमे आप पर भरोसा है लेकिन हमारी भी आपके लिए कुछ जिम्मेदारी हैं! आज के बाद आप जब भी सुल्तानपुर जायेंगे तो हम आपके साथ में जाएंगे!

विक्रम:" अच्छा ठीक हैं जैसे तुम्हे ठीक लगे! अच्छा सुनो उसकी एक सहेली हैं सीमा बेचारी बड़ी अच्छी लड़की हैं और उसने मेरी और सलमा की बड़ी मदद करी हैं और मैने तो उसे बहन बना लिया हैं! सलाम कह रही थी कि वो तुम्हारे बारे में बात करती हैं!

विक्रम की बात सुनकर अजय का दिल धड़क उठा क्योंकि आखिरकार वो भी एक जवान मर्द था और उसकी भी इच्छा थी कि उसकी कोई प्रेमिका हो तो अजय बोला:" आपने जिसे बहन बनाया हैं यकीनन वो अच्छी ही होगी और आप अपनी बहन के दिल की बात हमे बता रहे हैं तो मतलब आप हम पर बेहद यकीन करते हैं! आप भरोसा रखिए युवराज मैं आपके इस भरोसे पर खरा उतरूंगा! अच्छा मैं अब शाम की तैयारी करता हूं!

शाम को करीब पांच बजे अजय राजमाता को लेकर नदी के किनारे पहुंच गया और राजमाता मंदिर में पूजा करने लगी तो अजय बाहर आ गया और सामने से उसे एक बेहद सजी हुई बग्गी गुजरती नजर आई और समझ गया कि ये जरूर शहजादी सलमा की बग्गी होगी तो क्या इसमें सीमा भी आई होगी और वो सलमा को भी देखना चाहता था कि आखिर ऐसा हैं रूप सौंदर्य हैं उसका जिसने युवराज को अपने ऊपर मोहित कर लिया हैं!

एक बड़े पेड़ के नीचे जाकर बग्गी रुक गई और हिजाब लगाए एक बेहद खूबसूरत शहजादी बाहर निकली और उसने वही पेड़ के नीचे तंबू लगाने का आदेश सैनिकों को दिया और थोड़ी ही देर में वहा तंबू लग गया और सैनिक थोड़ी दूर जाकर पहरा देने लगे और तभी अजय को पेड़ की टहनियां हिलती हुई नजर आई और उसकी आंखे हैरानी से फैल गई जब उसने युवराज विक्रम को पेड़ से उतरकर तंबू के अंदर उतरते हुए देखा! अजय सावधान हो गया कि कहीं कोई खतरा तो नही है लेकिन सैनिक अपनी मौज मस्ती में लगे हुए थे और उन्हें सपने में भी अंदाजा नहीं था कि कोई पेड़ से भी आ सकता हैं!

करीब पांच मिनट के बाद हरे रंग का सूट सलवार पहने हुए एक सुंदर लड़की तंबू से बाहर आई और इधर उधर देखते हुए नदी की तरफ चल पड़ी! अजय सावधानी से उसे ही देख रहा था कि ये लड़की कौन है कहीं यही सीमा तो नही है ये सोचते हुए उसका दिल तेजी से धड़क उठा उठा और वो लड़की हाथ में पानी का कैन लिए नदी के किनारे आई! सैनिक अब उसे नही देख सकते थे और अजय को देखते ही उसने पहचान लिया और बोली:"

" आप अजय सिंह हैं न जो उदयगढ़ के सेनापति हैं!

अजय उसकी बात सुनकर हैरान हुआ कि आखिर ये लड़की मुझे कैसे जानती है और बोला:

" मैं अजय ही हु लेकिन क्षमा चाहता हूं आपको पहचान नही पाया!

सीमा:" मैं शहजादी की सहेली सीमा हु! शहजादी और युवराज विक्रम ने आपको अंदर बुलाया हैं

अजय ने उसे बेहद गौर से देखा और अजय को वो बेहद प्यारी और दिलकश लगी और अजय बोला:" आप हमे जानती हैं इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद! लेकिन इतने सैनिकों के होते हुए हम अंदर कैसे जा पाएंगे?

सीमा:" आप उसकी चिंता न करे! हमारे पास एक उपाय हैं!

इतना कहकर सीमा ने बुर्का निकाला और अजय की तरफ बढ़ा दी तो अजय हैरान होते हुए बोला:" तो क्या हम अब बुर्का भी पहनना पड़ेगा?

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी और बोली:" बस सिर्फ तंबू तक जाने के लिए!

अजय ने सावधानी से बुर्का पहन लिया और चलने लगा और जल्दी ही तंबू में पहुंच गया तो उसे बुर्के में देखते ही विक्रम और सलमा दोनो एक साथ मुस्करा उठे और विक्रम बोला:"

" कमाल के सुंदर लग रहे हो अजय आप बुर्के में! ये हैं आपकी भाभी शहजादी सलमा!

अजय भी हंस दिया और उसने ध्यान से सलमा को देखा और पाया कि सलमा सच में बेहद खूबसूरत हैं बिलकुल किसी स्वर्ग की अप्सरा के जैसी! सच में सलमा और विक्रम दोनो की जोड़ी बेहद खूबसूरत हैं! अजय ने दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:"

" भाभी जी सलाम! आप सच में बेहद खूबसूरत हैं और युवराज आपके लिए दीवाने हैं!

अजय की बात सुनकर सलमा शर्मा गई तो सीमा बोली:"

" हमारी शहजादी लाखो में एक हैं और आपके युवराज से बहुत प्यार करती है!

अजय:" हान वो तो है! भाभी आप कोई चिंता मत करना, आपका ये देवर आप दोनो के प्रेम को जरूर पूरा करेगा!

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" शहजादी के बहादुर देवर जी दो प्रेमी मिले हैं तो उन्हें बहुत सारी बाते करनी होगी तो उन्हे अकेला छोड़ दो!


अजय हड़बड़ा सा गया और बाहर निकलते हुए बोला:"

" ओह मैं तो ये बात भूल ही गया था अच्छा मैं चलता हु!

अजय जैसे ही बाहर गया तो विक्रम ने आगे बढ़कर सलमा को सीमा के सामने ही अपनी बांहों में भर लिया तो सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और कसमसा कर छूटने की कोशिश करने लगी तो उसकी हालत देखकर सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"

" अरे इतनी बेताबी भी ठीक नहीं है युवराज! मैने तो आपको बात करने के लिए अकेला छोड़ने के लिए कहा था और आप तो कुछ और ही करने लगे हो! लगता हैं मुझे शर्म करनी पड़ेगी!

इतना कहकर सीमा बाहर की तरफ चल पड़ी और विक्रम ने सलमा के गालों को चूम लिया तो पुच्छ की किस की आवाज सुनकर सीमा का मन आनंदित हो गया और अपने होंठो पर मुस्कान लिए बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकली तो कक्ष के बाहर ही उसे अजय मिल गया और अजय उसे स्माइल करते हुए देखकर बोला:"

" ऐसा क्या मिल गया जो इतनी हंसती हुई आ रही हो अंदर से?

सीमा उसकी बात सुनकर ऐसे चुप हो गई मानो सांप सूंघ गया हो और अंदर से अभी तक पुच्छ पुच्छ की आवाजे आ रही क्योंकि अभी सलमा भी विक्रम के चुंबन का जवाब पूरे जोश से दे रही थी और कपड़े से बने इस तंबू में आवाज बाहर तक जा रही होगी इसका उन्हे अंदाजा नही था!

सीमा शर्म से अपनी गर्दन झुकाकर खड़ी हो गई क्योंकि अजय को सामने पाकर उसकी धड़कने तेज हो गई थी और मुंह शर्म से लाल हो गया था और ऊपर से सलमा और विक्रम के किस की मधुर आवाज उसे अंदर ही अंदर बेचैन कर रही थी!

अजय और सीमा दोनो बिलकुल शांत खड़े हुए थे बस अजय सीमा के शर्म से झुके हुए चेहरे को देख रहा था और सीमा शर्म के मारे खुद में ही सिमटी हुई जा रही थी और अंदर कुछ नही बोली तो अजय हिम्मत करके उसके थोड़ा करीब आ गया और बोला:"

" आपने बताया नही सीमा कि शहजादी और विक्रम क्या बाते कर रहे हैं अंदर !

सीमा ने अपने दोनो हाथो की अंगुलियों को एक दूसरे में फंसा लिया और शर्म से पानी पानी हुई जमीन ताकने लगी तभी अंदर से सलमा की मस्ती भरी आह सुनाई पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह युवराज थोड़ा आराम से मेरे प्रियतम!

सीमा सलमा की मधुर सिसकी सुनकर बेचैन हो उठी और उसकी सांसे अब तेजी से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां हिल रही थी और अजय अब उसके ठीक सामने आ गया और हिम्मत करके उसका हाथ पकड़कर कर धीरे से बोला:"

" बताओ ना सीमा क्या बाते कर रहे हैं शहजादी और युवराज अंदर दोनो बिलकुल अकेले!

अजय ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा तो सीमा का पूरा बदन कांप उठा और लड़खड़ाती हुई मदहोश आवाज में धीरे से बोली:"

" मुझे नही पता अजय! मेरा हाथ छोड़ दीजिए ना आप! यूं किसी को तंग करना अच्छी बात नहीं होती अजय!

अजय उसकी बात सुनकर धीरे से बोला:" सीमा आप हमे किसी में समझती हैं क्या ? हमे तो युवराज ने बताया था कि सलमा को आपने कहा था कि आप हमे पसंद करती हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और कुछ बोलती उससे पहले ही अंदर से सलमा की मस्ती भरी सीत्कार निकल गई क्योंकि विक्रम ने हाथ नीचे बढ़ाकर उसकी गांड़ को बिलकुल नंगी पकड़ लिया गया था

" अह्ह्ह्ह सीईईईईआई ईईईईईइ यूईईईईईइ मेरे युवराज! आह्ह्ह्ह्ह मार डालोगे क्या अपनी शहजादी को आज!

सीमा ने सलमा की मादक सिसकियां सुनकर एक बार अजय की तरफ देखा और अपना हाथ उसके हाथ में ढीला छोड़ दिया तो अजय ने उसे हाथ से अपनी तरफ खींचा तो सीमा किसी नाजुक डोर की तरह खींची चली आई और अजय ने उसे अपनी बांहों में भर कर उसका मुंह चूम लिया और धीरे से उसके कान में बोला:"

" मैं आपसे बेहद प्रेम करता हूं सीमा!

सीमा भी उससे कसकर लिपट गई और अपनी बांहों का हार उसके गले में पहना दिया तो अजय ने उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और सीमा के होंठो को चूसने लगा तो सीमा भी पिघल गई और देखते ही देखते दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे!


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विक्रम और सलमा की मधुर सिसकियां उन्हे और जोश दिला रही थी! करीब दो मिनट तक दोनो का किस चला और उसके बाद जैसे ही दोनो सांस लेने के लिए रुके और एक दूसरे की आंखो में देखा तो दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए और सीमा शर्म से लाल हो गई!

अजय ने फिर से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और सीमा की गांड़ को मसलने लगा तो सीमा मस्ती से उससे लिपटी जा रही थी! अजय ने उसके होंठो को अच्छे से चूसा और बोला:"

" सीमा मुझे जाना होगा क्योंकि राजमाता ने पूजा कर ली होगी और वैसे भी एक अकेली हैं तो कहीं कोई दिक्कत न हो जाए!

सीमा ने उसका गाल चूम लिया और बोली:" फिर कब मिलोगे अजय मुझसे ?

अजय ने उसके मुंह को चूम लिया और बोला:" बहुत जल्दी सीमा! युवराज शहजादी से मिलने के लिए जब भी आयेंगे तो मैं साथ में जरूर आऊंगा!

सीमा ने उसकी आंखो में देखा और बोली:" मैं आपका इंतजार करूंगी युवराज!

अजय उसके बाद जोर से ही बाहर से बोला:"

" युवराज मुझे जाना होगा क्योंकि राजमाता की पूजा खत्म होने वाली हैं! अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं चला जाऊ क्या ?

सलमा को अपनी बांहों में समेटे हुए विक्रम उसके गुलाबी गाल चूम कर बोला:

" आप चले जाए अजय! मैं भी निकलने ही वाला हु क्योंकि अंधेरा होना लगा हैं!

उसके बाद अजय ने फिर से बुर्का पहना और सीमा के साथ बाहर निकल गया और नदी के किनारे जाकर देखा कि राजमाता की पूजा खत्म हो गई थी और उसे देखते ही बोली:"

" अच्छा हुआ आप आ गए! हम आपकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे!

अजय:" मैं तो बस बाहर ही आपका इंतजार कर रहा था! अभी मेरे लिए क्या आदेश हैं राजमाता ?

गायत्री:" अंधेरा होना शुरू हो गया हैं तो अब हमें महल की तरफ प्रस्थान करना चाहिए!

उसके बाद अजय ने अपनी बग्गी को निकाला और राजमाता को लेकर महल की तरफ चल पड़ा और सीमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही! वहीं दूसरी तरफ सलमा विक्रम से बोली:"

" युवराज अब आप चले जायेंगे और मेरा दिल उदास रहेगा क्योंकि अब पता नही कब अगली मुलाकात होगी!

विक्रम चादर पर बैठा हुआ था और सलमा उसकी गोद में बैठी हुई थीं और विक्रम धीरे से उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:"

" आप फिक्र न करे शहजादी! हम जल्दी ही फिर से मिलेंगे!

सलमा उससे लिपटती हुई उदास मन से बोली:"

" इतना आसान नही होगा क्योंकि आज सुबह राज्य में बहुत हंगामा हुआ जब बेहोश पड़े हुए सैनिक मिले! जब्बार आज से खुद पहरे पर रहेगा! आप कोई खतरा मोल मत लेना!

विक्रम:" आप फिक्र न करो शहाजदी! आपसे मिलने के लिए मैं कोई न कोई तरीका ढूंढ ही लूंगा क्योंकि आपकी खूबसूरती मुझे मजबूर कर देगी आपके पास आने के लिए मेरी शहजादी!

इतना कहकर उसने सलमा को जोर से कस लिया तो सलमा कसमसाते हुए बोली:"

" मिलने से ज्यादा आप सुरक्षित रहो वो मेरे लिए ज्यादा जरूरी हैं! बस इस बात की फिक्र रहती हैं कि आप कैसे होंगे! कम से कम मिला न जाए लेकिन आपकी खबर तो मिलती रहे हमे!

विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसके होंठ चूमते हुए बोला:"

" मुझे भी आपकी चिंता होती हैं शहजादी और उसके लिए मैने एक उपाय ढूंढ लिया है! रुकिए आपको दिखाता हु!

विक्रम ने तंबू की छत पर से एक पिंजरा उतारा और उसमे एक बेहद खूबसूरत ताकतवर बाज था जिसे देखकर शहजादी खुश हो गई और विक्रम ने पिंजरा खोल दिया तो वो बाज अपने पंख फड़फड़ाते हुए बाहर आ गया और विक्रम बोला:"

" ये लीजिए शहजादी इसका नाम जांबाज हैं और मुझे आपका संदेश देने के साथ साथ आपकी हिफाजत भी करेगा क्योंकि ये पालतू होने के साथ साथ शिकारी भी हैं!

सलमा ने बाज को इशारा किया तो बाज उसके हाथ पर आ बैठा और अपने पंखों को फड़फड़ाने लगा तो सलमा खुश हो गई!


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सलमा विक्रम से कस कर लिपट गई और उसका मुंह चूमते हुए बोली:" सच में आपने मेरा दिल एक बार फिर से जीत लिया युवराज! अब मैं जब चाहे आपको संदेश भेज सकती हू!

विक्रम:" बिलकुल शहजादी इसलिए ही तो मैने इसे ईरान से आपके लिए मंगवाया हैं! और हां आज से पवन भी आपके साथ ही जायेगा! आपको बाहर भी मैदान में घूमता हुआ मिला जायेगा!

सलमा ने विक्रम को वही गद्दे पर गिरा दिया और उसके होंठो चूसते हुए बोली:" सच में आपके प्यार के बिना मैं बहुत अधूरी थी युवराज! मुझसे शादी कर लीजिए ना आप!

विक्रम ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" बिलकुल मेरी जान आपको अपनी महारानी बनाऊंगा मैं! बस अब राजमाता को मना लू एक बार और आप भी अपनी अम्मी से मौका देखकर बात कीजिए!

सलमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:" अम्मी तो मान ही जायेगी लेकिन जब्बार दिक्कत पैदा करेगा!

विक्रम:" जब्बार को मैं देख लूंगा बस आप अम्मी से बात कीजिए! और आपके भाई को भी जब्बार से दूर रखिए!

सलमा:" मैं तो कोशिश कर चुकी हैं लेकिन वो समझता ही नहीं है! पता नही क्या जादू कर दिया है जब्बार ने उसके उपर!

विक्रम:" आप फिक्र न करो! मैं पता करता हु और शहजादे को जब्बार से दूर कर दूंगा!

सलमा:" ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा होगा युवराज क्योंकि सुल्तानपुर को उसका असली महाराज मिल जाएगा!

विक्रम:" आप चिंता न करे! मैने आपको वचन दिया हैं तो पूरा करूंगा मेरी जान! अच्छा अब अंधेरा पूरा हो गया है तो आप जाने की तैयारी कीजिए!

सलमा उससे कसकर लिपट गई और बोली:" मन तो नही करता हैं युवराज लेकिन जाना तो पड़ेगा!

दोनो ने एक दूसरे को सिद्दत से चूम लिया और उसके बाद विक्रम वापिस तंबू की छत से बाहर निकल आया और सलमा सीमा के साथ अपने राज्य वापिस लौट पड़ी!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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शमा बेहोशी से जागी तो उसका बदन दर्द से टूटा जा रहा था क्योंकि पिंडाला ने उसे बड़ी बेरहमी से चोदा था और उसके पुरे बदन में सुइयां सी चुभ रही थी क्योंकि उसे इतनी बेदर्दी से रगड़ा, मसला गया था मानो दुनिया में आखिरी औरत बची हुई हो! शमा ने अपनी जांघो को थोड़ा सा फैलाने की कोशिश करी तो उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी क्योंकि उसकी जांघो से खून निकल आया था और चूत तो मानो फटकर किसी भैंस की चूत जैसी हो गई थी! अपनी दुर्दशा देखकर शमा की आंखो में आंसू आ गए और बड़ी मुश्किल से खड़ी होने की कोशिश करने लगी तो उसके पैर जवाब दे गए और गिर पड़ी!

चारो तरफ अंधेरा था और शमा को अपने बचने की यही एक उम्मीद जगी और बड़ी मुश्किल से दर्द सहती हुई खड़ी हो गई और हल्के अंधेरे में आस पास देखते हुए बाहर निकलने का कोई रास्ता तलाशने लगी लेकिन सब तरह उसे पहरा दे रहे पिंडारी ही नजर आ रहे थे तो शमा निराश हो गई और महल में नीचे की तरफ आ गई और देखा कि एक बेहद पतला सा रास्ता गया था जिस पर करीब 50 पिंडारी पहरा दे रहे थे और शमा हैरान हो गई कि आखिर यहां ऐसा क्या कीमती खज़ाना छुपा हुआ हैं जो इतने आदमी को निगरानी के लिए रखा गया है तो उसने पता करने का निर्णय लिया! शमा को यकीन था कि अंदर जरूर पिण्डाला सोया होगा और वो मारकर अपने दर्द और बेइज्जती का बदला लेना चाहती थी! हालाकि वो जानती थी कि उसके बाद उसी मौत तय होगी लेकिन अभी कौन सा वो। जिंदा हैं ये सोचकर उसने होंठो पर जहरीली मुस्कान आ गई!

शमा ने आस पास ध्यान से देखा तो उसे पता चला कि यहां आ अंदर जाना संभव ही नहीं है तो उसने छत पर से जाने का फैसला किया और धीरे धीरे दर्द से कराह कर छत पर पहुंच गई और नीचे उतरने का कोई रास्ता देखने लगी लेकिन कुछ हाथ नही लगा तो वो निराश हो गई! सहसा उसे याद आया कि उसे रस्सी से बांधा गया था तो जैसे तैसे करके रस्सी ले आई! शमा जानती थी कि ये उसके लिए लगभग असम्भव सा हैं लेकिन जिसे मौत से डर न हो उसे जिंदगी से कोई प्यार नही होता और शमा रस्सी को एक पिलर से बांध कर नीचे लटक गई तो दीवार से जा टकराई और जोर से तड़प उठी और आंखो से आंसू निकल पड़े लेकिन उसके मुंह से आह तक नही निकली! शमा ने रस्सी से लटके हुए ही बड़ी मुश्किल से खिड़की को धीरे से खोला और हल्के अंधेरे में उसे कोई अंदर नज़र आया तो शमा अपनी सारी ताकत समेट कर खिड़की से अंदर उत्तर गई और अपने साथ लाई तेज धारदार छुरे को बाहर निकाल लिया और जैसे ही वार करने वाली थी तो उसे एहसास हुआ कि पिंडाला तो मोटा तगड़ा राक्षस जैसा हैं और ये आदमी तो देखने में बेहद दुबला पतला और कमजोर लग रहा था मानो हाड़ मांस का पुतला हो बस! शमा रुक गई और उसे करीब से देखने की कोशिश करने लगी तो उसे एहसास हो गया कि ये आदमी पिंडारी नही हैं तो उसने धीरे से देखा तो उसे यकीन हो गया कि जरूर वो इस आदमी को जानती हैं और कहीं देखा हैं लेकिन उसे समझ नही आ रहा था! शमा ने अपने दिमाग पर बहुत जोर डाला लेकिन कुछ याद नही आया तो उसने धीरे से आदमी को उठाया तो डरते हुए उठ गया और कुछ बोलता उससे पहले ही शमा ने अपने हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया और आदमी एक औरत को अपने पास पाकर सुकून की सांस ली और इशारे से अपने मुंह से हाथ हटाने के लिए कहा तो शमा ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए मुंह से हाथ हटा दिया और बोली:"

" आप कौन हैं और यहां किसने आपने कैद किया हैं!

उस आदमी ने शमा को अपनी कहानी बताई और शमा की आंखे फटी की फटी रह गई! उसे अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था कि क्या वो सच सुन रही हैं और उसकी आंखे कोई सपना तो नहीं देख रही हैं! शमा उसका हाथ पकड़कर बोली:"

" आप मेरा विश्वास कीजिए मैं जरूर आपको इस कैद से आजाद करने में मदद करूंगी!

आदमी:" लेकिन ये इतना आसान नही होगा क्योंकि यहां चाह कर भी कोई आदमी नही आ सकता क्योंकि आज तक यहां आने के बाद कोई भी जिंदा वापिस नही गया हैं क्योंकि पिंडारी इंसान नही भूखे भेड़िए है!

शमा:" आप मेरा यकीन कीजिए मैं अपनी तरफ से पूरा प्रयास करूंगी! बस आप हिम्मत मत हारना अपनी!

आदमी:" ठीक हैं, अब आप जाओ कहीं किसी ने देख लिया तो मुसीबत जा जायेगी!

शमा ने रस्सी पकड़ी और उसके सहारे बाहर निकलने लगी लेकिन निकल नही पाई तो उस आदमी ने उसकी मदद करी और भले ही उसके बाजू कमजोर हो गए थे लेकिन अभी भी ताकत काफी बची हुई थी!

शमा बड़ी मुश्किल से अपनी जगह पर वापिस पहुंच गई और सोचने लगी कि यहां से खुद कैसे निकला जाए और आदमी को कैसे बचाया जाए! शमा जानती थी कि चाह कर भी वो यहां से भाग नही सकती तो इसके लिए मुझे अपना संदेश ही बाहर भेजना होगा लेकिन कैसे ये सवाल उसके दिमाग में घूम रहा था और फिर शमा ने एक चाल चलने का मन किया! हालाकि ये बेहद मुश्किल था और उसकी जान भी जा सकती थी लेकिन दूसरा कोई उपाय नहीं था!

दूसरी तरफ आज शाम को अजय और मेनका दोनो को राजमाता ने महल बुलवा लिया क्योंकि आज राजमाता गायत्री देवी का का जन्मदिन था तो दोनो पूरी रात वही महल मे रहे और अजय और विक्रम दोनो एक दूसरे से अपनी अपनी प्रेमिका को कहानी सुनाते रहे!

वहीं दूसरी तरफ शमा सुबह सोकर उठी तो बूढ़े पिंडारी उसे नहाने के लिए ले गया तो शमा उससे बोली:"

"बाबा आपकी इतनी उम्र हो गई हैं और आप अभी भी काम करते हो ?

बूढ़ा ने उसे खा जाने वाली नजरो से देखा और बोला:" चुपचाप नहाओ और मुझे मेरा काम करने दो समझी कुछ!

शमा उसके साथ चलती हुई तालाब तक गई और नहाने के लिए उसमे उतर गई और अपनी चुचियों को उसके सामने ही मल मल कर साफ करने लगी जिन पर पिंडाला के मुंह से निकली हुई बदबूदार लार लगी हुई थी जिसके हटते ही उसकी चूचियां निखर कर सामने आ गई! बुरी तरह से मसले जाने से लाल सुर्ख हो चुकी उसकी चुचियों में अलग ही रंगत आ गई थी और बूढ़ा उसे वासना भरी नजरो से देख रहा था तो शमा उसे मुस्कान देती हुई बोली:" ऐसे क्या देख रही हो कभी औरत नही देखी क्या ?

बूढ़ा:" देखी है लेकिन तेरे मस्तानी नही देखी! सच में कमाल की हु तुम!

शमा समझ गई कि उसका तीर सही निशाने पर लगा हैं तो उसकी तरफ अपनी पूरी चूचियां उभारते हुए बोली:"

" क्यों कभी किसी औरत को नही भोगा क्या अच्छे से ?

बूढ़े ने एक ठंडी आह भरी और बोला:" मेरी ऐसी किस्मत कहां! लूटी गई औरतों में से एक दो बार बूढ़ी और कमजोर औरत मिली थी तो मजा कहां आता मुझे!

शमा ने अपनी चुचियों के निप्पल को कस कर मसल दिया और मादक सिसकी लेती हुई बोली:"

" और अगर मिल जाएं तो कोई मेरे जैसी?

बूढ़े के चेहरे पर खुशी एक पल के लिए आई और चली गई और बोला:" मेरी ऐसी किस्मत कहां जो अब इस उम्र में ऐसा मजा नसीब हो !

शमा थोड़ा सा उसके करीब आई और पानी में ही अपनी एक टांग को उपर उठा उठाकर अपनी चूत को उसे दिखाते हुए साफ करने लगी तो बूढ़ा का मुंह वासना से लाल हो गया और शमा की चूत को देखने लगा तो शमा समझ गई कि उसका तीर सही निशाने पर लगा हैं बस इसे ठीक से इस्तेमाल करने की जरूरत है!

नहाने के बाद शमा बाहर आ गई और बूढ़े के अंदर कमरे की तरफ चल पड़ी! अभी करीब छह ही बजे थे और कोई दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा था तो शमा ने बूढ़े का हाथ पकड़ लिया तो बूढ़ा बोला:"

" किसी ने देख लिया तो मुझे मौत मिलेगी! ऐसा मत करो!

शमा ने उसके लंड के उभार को सहला दिया और बोली:"

" इतना डरोगे तो मस्ती कैसे करोगे मेरे साथ !!!

शमा ने अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी और बूढ़े के साथ साथ कमरे में आ गई और बूढ़ा थोड़ी देर के लिए बाहर गया और करीब पांच मिनट बाद वापिस आया और शमा को गोद में उठा लिया तो शमा इठलाते हुए बोली:"

" कहां गए थे ?

बूढ़ा ने उसकी चुचियों को जोर से मसल दिया और सच में पहली बार उसने इतनी सख्त और तनी हुई चुचियों को मसला था तो उसे बहुत मजा आया और फिर से उसकी चूचियां दबाकर बोला:"

" देखने गया था कि पिंडाला कहां है और क्या कर रही है!

शमा चूचियां मसले जाने से दर्द से तड़प उठी लेकिन उसके लंड को सहलाती हुई बोली:"

" फिर क्या देखा?

बूढ़ा ने उसकी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया और उसकी चूत मसलते हुए बोला:"

" महल में नही है कभी बाहर गया हुआ है वो! अभी नही आने वाला!

शमा ने उसकी धोती को खोलकर उसके लंड को नंगा कर दिया तो उसे हैरानी हुई क्यूंकि बूढ़े का लंड अभी भी काफी सख्त था और सलमा उसे रगड़ती हुई बोली:"

" उफ्फ आप तो अभी पूरे जवान हो ! लगता हैं मेरी फाड़ ही डालोगे! अच्छा एक बात बताओ अगर पिंडाला आ गया तो क्या होगा ?

बूढ़ा अब जोश में आ गया और उसने एक उंगली को उसकी चूत में घुसा दिया और बोला:"

" आह्ह्ह्ह कितनी सख्त हो तुम! पिंडाला अपनी गांड़ मराए अब तो मैं तुझे छोड़ने वाला नही हु!

यही तो शमा चाहती थी कि बूढ़ा उसके इशारों पर नाचे और वही हो रहा था तो शमा उसकी टांगो के बीच में बैठ गई और तो बूढ़े को कुछ समझ नही आया और शमा की तरफ देखा तो शमा ने उसके लंड पर अपनी जीभ फिराई तो बूढ़ा मस्ती से कांप उठा


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the bird smileys
।शमा ने अपने मुंह को पूरा खोलते हुए गोलाकार किया और लंड के मोटे सुपाड़े को अपने मुंह में भर लिया तो बूढ़ा की आंखे आनंद से बंद हो गई! बूढ़े को पता ही नही था कि लंड को ऐसे भी चूसा जाता हैं तो बूढ़ा आज सातवे आसमान पर था और शमा ने उसके लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया तो बूढ़े ने उसकी तरफ देखा तो शमा खड़ी हो गई और बूढ़ा इसे नीचे लंड पर झुकाने लगा तो शमा अपनी चल चलते हुए बोली:"

" सब कुछ करूंगी लेकिन मेरा एक काम कारण होगा!

बूढ़ा ने उसके मुंह को अपने लंड पर टिका दिया और बोला:"

" सब कर दूंगा! बस फिर से मुंह में ले लो अपने!

शमा समझ गई कि बूढ़ा अब पागल हो गया है तो शमा ने उसके लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं तो बूढ़ा मजे से पागल हो गया और शमा के सिर को लंड पर धकेलने लगा! शमा को इतना बाद लंड चूसने में दिक्कत हो रही थी लेकिन वो जानती थी कि उसे ये सब करना ही पड़ेगा ! बूढ़ा मस्ती से पागल हो गया तो शमा ने अब लंड को मुंह से निकाल दिया और घोड़ी बन कर बेड से सट गई तो बूढ़ा उसकी उभरी हुई चूत देखकर पागल सा हो गया और समझ नही आया कि क्या करना है क्योंकि उसे तो बस इतना पता था कि औरत के उपर चढकर ही सेक्स किया जाता हैं!

शमा ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया और उसके लंड को अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया तो बूढ़ा समझ गया कि उसे क्या करना है और उसने धक्का लगाया तो लंड आधा अंदर चला गया और शमा दर्द से कराह उठी और बूढ़े ने इतनी कसी हुई चूत में लंड जाने से मदहोश होकर पूरा तगड़ा धक्का लगाया और लंड पूरा घुस गया और शमा आगे के गिर पड़ी लेकिन फिर से झुक गई और बूढ़े ने धक्के मारने शुरू कर दिए और उसे इतना मजा कभी नहीं आया था तो शमा से बोला:"

" आह्ह्ह्ह मेरी रानी, तूने तो मुझे जन्नत दिखा दी! अब तो रोज मजे करूंगा ऐसे ही छुप छुप कर !

शमा ने अपनी चूत को कसते हुए लंड को पूरी तरह से जकड़ लिया और बोली:"

" ये तो शुरुवात है इससे कहीं ज्यादा मजा आएगा लेकिन पहले मेरा एक काम करना होगा!

बूढ़ा लंड जकड़े जाने से मस्ती से सिसक उठा और बोला:"

" करूंगा सब करूंगा तुम बोलो बस मुझे क्या करना हैं अह्ह्ह्हह ढीली करो ना अपनी!

शमा ने अपनी चूत को थोडा ढीला छोड़ दिया तो बूढ़ा धक्के लगाने लगा और दर्द से कराह कर शमा बोली:"

" सुल्तानपुर जाना होगा और मेरे आशिक शहजादे सलीम तक उनकी ये अंगूठी पहुंचा देना!

बूढ़ा की आंखे चौड़ी हो गई कि ये क्या बकवास कर रही है लेकिन मजे के चलते बोला:"

" चला जाऊंगा लेकिन सिर्फ एक ही बार जाऊंगा और यहां किसी को पता नही चलना चाहिए!

बूढ़े की बात से खुश होकर शमा ने उसकी उंगली को अपनी गांड़ के छेद पर रख दिया और घुसाने का इशारा किया तो बूढ़े ने हैरान होते हुए उंगली को अंदर घुसा दिया तो शमा दर्द से तड़प उठी और बोली:"

" इसमें तेरा लंड घुसा लूंगी मैं तेरे वापिस आने के बाद!

बूढ़ा गांड़ की कसावट महसूस करके जोश मे आ गया और उसकी चूत में तेजी से धक्के मारने लगा और थोड़ी देर के बाद दोनो झड़ गए और बूढ़ा झड़ने के बाद निकल गया!



धीरे धीरे शाम होने लगी और पिंडाला आया और भूखे भेड़िए की तरह शमा पर टूट पडा! शाम दर्द से तड़प रही थी लेकिन वो उसे बुरी तरह झिंझोड़ रहा था और पटक पटक कर चोद रहा था जिससे शमा की दर्द भरी चींखें गूंज रही थी और पिंडाला बोला:"

" साली अभी तक दर्द होता हैं क्या! इतना मत चींख! परसो तुझे पिंडारी पर्व पर सामूहिक चोदना हैं! मैं तेरी चुदाई करूंगा और सारे पिंडारी देखेंगे!

शमा दर्द से कराहती रही लेकिन वो राक्षस उसे चोदता रहा और अंत में उसे चोदकर चला गया तो दर्द से तड़पती हुई शमा ने अपनी अंगूठी के साथ छोटा सा पेपर भी चिपका कर बूढ़े को दिया और बूढ़ा अंधेरे का फायदा उठाकर सुल्तानपुर की तरफ बढ़ गया!

रात के करीब दस 11 बजे वो सुल्तानपुर की सीमा के आस पास पहुंच गया और दूसरी तरफ विक्रम भी वही सीमा की याद में नदी किनारे आया हुआ था और पिंडारी की बदबू को सूंघते ही वो सावधान हो गया और बूढ़ा जैसे ही पास से गुजरा तो उस पास हमला कर दिया और देखते ही देखते बूढ़े और विक्रम के बीच युद्ध छिड़ गया और बूढ़ा भी उसका तगड़ा मुकाबला कर रहा था लेकिन युवराज ने उसे अपने काबू में कर लिया और उसकी गर्दन को उल्टी तरफ मोड़ते हुए बोला:"

" बोल इतनी रात को यहां कर रहा था बूढ़े ?

बूढ़ा दर्द से कराह कर बोला:"

" आह मुझे मत मारो मैं तो बस ये अंगूठी देने आया हु!

इतना कहकर उसने अंगूठी को विक्रम की तरफ बढ़ा दिया तो विक्रम ने उसके साथ लगे पेपर को भी खोल लिया और पढ़ने लगा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसे यकीन नही हो रहा था कि क्या वो सपना देख रहा है या सच हैं!
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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विक्रम को समझ नहीं आ रहा था कि ये सच है या कोई साजिश क्योंकि पिंडारियो के इलाके मे घुसना मलतब मौत को गले लगाने जैसा था! लेकिन सबसे बड़ी बात ये संदेश तो सलीम के नाम आया है जो पहले ही जब्बार के हाथो का मोहरा बना हुआ है तो उसे तो जब्बार जब चाहे कहीं भी मार सकता था तो फिर ये खेल क्यों खेलेगा !!

विक्रम बस ये जानना चाहता था कि शमा कहां है ताकि सचाई सामने आ सके तो वो जाबांज के संदेश का इंतजार कर रहा था कि सलमा उसे कोई संदेश भेज दे! विक्रम को ये भी साफ नही हो रहा था कि इस बूढ़े पिंडारी का क्या करू! मार देना चाहिए या अभी बचा कर रखना चाहिए तो काफी सोचकर विक्रम ने उसे जिंदा ही रखने का फैसला किया! विक्रम ने उसे अपने साथ लिया और बड़ी सी गुफा में बांध कर फेंक दिया और राज्य वापिस लौट आया!

रात का करीब एक बजा हुआ था और सलीम जब्बार से बहस कर रहा था! आज पहली बार ऐसा हो रहा था और सलीम बोला:"

" जब्बार शमा कहां चली गई है?
बताओ मुझे!

जब्बार:" अपने मामा के यहां गई है कुछ दिनों में आ जायेगी!

सलीम:" मेरा कितना ध्यान रखती थी वो मुझे उसकी बहुत याद आ रही हैं! कुछ भी करके कल तक उसे वापिस ले आओ नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!

जब्बार उसकी धमकी सुनकर गुस्से में आ गया और उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया तो सलीम दर्द से कराह उठा और जब्बार बोला:" मुझसे कभी तेज आवाज में बात मत करना नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा!

सलीम:" हाथ छोड़ो मेरा दर्द हो रहा है मुझे!

जब्बार ने उसका हाथ छोड़ दिया तो सलीम गुस्से से बोला:"

" जब्बार हमारी रगों में शाही खून दौड़ता है! आज के बाद हमें छुआ भी तो तेरा अंजाम खुद सोच लेना समझे तुम! बोलो शमा कब तक वापिस आयेगी ?

जब्बार जानता था कि अभी सलीम इसके काफी काम आयेगा इसलिए थोड़ा शांत हो गया और बोला:" देखो शहजादे, एक दो दिन में आ जाएगी लेकिन आपको उसकी ऐसी क्या जरूरत पड़ गई हमे भी तो बताओ जरा आप ये बात?

सलीम:" ऐसे ही दो दिन से दिखी नही न, बस इसलिए पूछ रहा था!
ठीक हैं एक दो दिन मैं इंतजार कर लूंगा!

उसके बाद सलीम नशे में झूमते हुए महल में आ गया और जैसे ही सलमा के कक्ष के सामने से गुजरा तो लड़खड़ा कर गिर पड़ा तो आवाज सुनकर सलमा बाहर आ गई और उसे सहारा देनें लगी तो उसके मुंह से शराब की बदबू आई तो बोली:"

" भाई ये क्या बदतमीजी है आपने दारू पी हैं ?

सलीम ने गुस्से से सलमा को देखा और बोला:" तुम कौन होती हो मुझसे पूछताछ करने वाली! मैं होने वाला बादशाह हु!

सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" अम्मी को पता चल गया न तो तुम्हारी ऐसी हालत करेगी कि जिंदगी में कभी हाथ नही लगाओगे दारू को समझे !

सलीम ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और अपने कक्ष की तरफ बढ़ते हुए बोला:" जाओ अपने कक्ष में जाओ अम्मी की लाडली बेटी समझी!

सलमा उसे जाते हुए देखती रही और सलीम लड़खड़ाता हुआ जैसे तैसे अपने कक्ष में पहुंच गया लेकिन सलमा को जोर से गिरने की आवाज आई तो वो मदद के लिए गई और सलीम को बेड पर लिटा दिया और सलीम बडबडा रहा था कि शमा पता नहीं कब आयेगी! मुझे शमा चाहिए!

सलमा ने उसकी बकवास पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कक्ष में आ गई और सोने का प्रयास करने लगी लेकिन नींद नहीं आ रही थी और बिस्तर पर पड़ी हुई विक्रम के बारे ही सोचती रही! आखिर कार आधी रात के बाद उसे नींद आ गई!

अगले दिन सुबह विक्रम अजय से मिला और उसे खत दिखाया और बूढ़े पिंडारी से भी मिलवाया तो अजय भी हैरान हो गया कि ये अगर सच नही हैं तो बहुत बड़ी साजिश हो सकती हैं!

विक्रम:" लेकिन अगर सच है भी तो हमे क्या पिंडालगढ़ जाना चाहिए?

अजय:" बिलकुल जाना चाहिए क्योंकि इससे जो दोनो राज्यों के बीच गलतफहमी है वो दूर होगी और असली गुनाहगार सामने आ जायेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर उसके कंधे को थपथपाते हुए बोला:" मुझे आपसे यही उम्मीद थी! मैं जाऊंगा ये तो मैने तय कर लिया था लेकिन आपके जवाब ने मेरी हिम्मत को बढ़ा दिया है!

अजय:" हम शहजादे सलीम को अपने साथ ले सकते है इस काम के लिए!

विक्रम:" सलीम किसी काम के लायक नहीं है अभी! दारू और औरत की लत ने उसे इतना कमजोर कर दिया है कि तलवार भी नहीं उठा सकता!

अजय:" ऐसा कैसा हो सकता हैं लेकिन युवराज?

विक्रम:" ये सब जब्बार की साजिश है जिसे वो समझ नहीं पाया है लेकिन अभी उसके सामने सच्चाई आ जायेगी!

अजय:" ठीक हैं युवराज! हम आज शाम को निकल जायेंगे उन्हे बचाने के साथ साथ शमा को वापिस लेकर आएंगे!

विक्रम:" बस मुझे एक बार किसी तरह ये पता चल जाए कि क्या शमा सच में पिंडारियो के कब्जे में या जब्बार की कोई साजिश है!

अजय:" इसके लिए आप शहजादी की मदद ले सकते है!

दोनो बात ही कर रहे थे कि जाबांज उड़ता हुआ नजर आया और विक्रम के होंठो पर आ गई और उसने जाबांज को आवाज दी तो वो उड़ता हुआ उसके हाथ पर आकर बैठ गया और उसकी गर्दन में एक पेपर टंगा हुआ था जिसके साथ गुलाब का एक ताजा खिला हुआ खुशुबुदार फूल भी था! विक्रम ने फूल को निकाल कर प्यार से चूम लिया और खत को पढ़ने लगा और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई थी!

" मेरे प्रियतम विक्रम "

"आप खैरियत से होंगे! मैं आपसे बेहद प्रेम करती हू! आपके बिना मन नही लग रहा है मेरा बिलकुल भी! दिल करता हैं कि उड़कर आपके पास पहुंच जाऊ और आपकी बांहों में समा जाऊं!

हो सके तो आज रात मुझसे मिलने के लिए आना! अगर आओ तो मुझे जाबांज के हाथो एक संदेश भेज देना!

आपकी महबूबा सलमा"

विक्रम ने खुशी खुशी खत को पढ़ा और फिर सलमा को सारी बातें खत के जरिए लिख कर भेज दी और उससे शमा के बारे में पता करने के लिए कहा ! सलमा ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू टपक गए और दिल भर आया! सलमा यकीन नहीं कर पा रही थी कि क्या सच मे उसने सही पढ़ा है तो उसने बार बार पढ़ा और फिर उसे यकीन आ गया! सलमा को रात की सलीम की बात याद आ गई कि रात सलीम बोल रहा था कि शमा को पता नहीं कहां भेज दिया है मुझे मेरी शमा चाहिए! उसने ये सब विक्रम को लिखकर भेज दिया और विक्रम को यकीन हो गया कि शमा सच में कैद में हैं!

विक्रम ने शमा को खत लिखा:"

" मैं आज रात अजय के साथ पिंडलगढ़ जाऊंगा। आप मेरे लिए दुआ करना!

सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई क्योंकि पिंडलगढ जाने का मतलब खुदकुशी करने जैसा था! सलमा को समझ नही आ रहा था कि क्या करे! वो विक्रम को रोकना चाहती थीं लेकिन दिल जाने सेना चाहता था! आखिरकार उसने विक्रम को लिखा:

" युवराज मेरे लिए आप अपनी जान जोखिम में मत डालिए! वहां जाना मौत को गले लगाने जैसा हैं मैं नही चाहती हू कि आप वहां जाकर किसी मुश्किल में पड़ जाय!

विक्रम ने खत पढ़ा तो उसे एहसास हुआ कि सलमा सच में उससे बेहद प्यार करती हैं लेकिन उसने सलमा को लिखा:"

" आप मेरी चिंता न करे शहजादी! मैने तो अपना संपूर्ण जीवन पहले ही आपको समर्पित कर दिया है! जिंदगी क्या मौत क्या सब आपके लिए हैं! पिंडलगढ गया तो शायद बचकर वापिस आ सकू लेकिन अगर नही गया तो जीते जी मर जाऊंगा! एक योद्धा के लिए रण क्षेत्र में अपनी जान बलिदान करना सौभाग्य की बात होती हैं! मैं जाऊंगा और हर हालत में आज ही शाम को जाऊंगा!

सलमा ने खत पढ़ा तो उसकी आंखे भर आई और वो जानती थी कि विक्रम हर हालत में जाकर रहेगा तो उसने लिखा

" मन तो नही हैं आपकी जाने देने के लिए लेकिन मैं जानती हूं कि आप रुकोगे तो हो नहीं! इसलिए आप जाइए और मैं आपके लिए दुआ करूंगी! आप कल सुबह तक वापिस आए तो ठीक नही तो मैं भी खुद को खत्म कर लूंगी!

विक्रम ने उसका खत पढ़ा और उसकी आंखे भर आई और लिखा:"

" सलमा मैं आपके लिए मरकर भी वापिस आऊंगा! आपको मेरी कसम हैं जो मरने के बारे में सोचा भी तो समझी आप! आप मेरे लिए दुआ करना! काश जाने से पहले एक बार आपको देख लेता तो खुशी होती!

सलमा ने खत को पढ़ा तो आंखे भर आई और लिखा:"

" मैं आपके लिए दुआ करूंगी विक्रम! आप विजयी होकर वापिस आयेंगे! अभी तो मिल नही सकती क्योंकि जब्बार का सख्त पहरा हैं! आप आइए मैं पलके बिछाकर आपका इंतजार करूंगी ! अल्लाह आपको कामयाब करे! मैं आपकी सुरक्षा के लिए पवन को भेज रही हु! आप उसके ऊपर सवारी करके ही जाए ताकि दुश्मन आपको छु भी न सके!

विक्रम ने अजय के साथ मिलकर कुछ हथियार लिए और योजना बनाने लगे! वहीं दूसरी तरफ सलमा ने सारी बात सीमा को भी बताई तो सीमा की आंखे खुशी से उछल उठी लेकिन अगले ही पल उसे ध्यान आया कि युवराज विक्रम के साथ साथ अजय को भी पिंडारियो के इलाके मे जाना होगा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए और बोली:"

" लेकिन पिंडारियो के इलाके में जाना बेहद खतरनाक होगा और सबसे बड़ी बात कहीं ये कोई चाल तो नही हैं इसका पता होना चाहिए!

सलमा:" तुम्हे अपनी बहन राधिका से बात करनी चाहिए कि क्या शमा अपने घर पर हैं या नहीं क्योंकि मुझे पता चला हैं कि वो अक्सर उनके यहां जाती रहती है

सीमा:" हान ये ठीक रहेगा! लेकिन समय बहुत कम है तो मुझे जाना होगा अभी !

इतना कहकर सीमा अपने घर के लिए निकल गई और जैसे ही घर पहुंची तो उसने देखा कि उसके कक्ष में उसकी अलमारी में राधिका तलाशी ले रही थी तो उसे बेहद बुरा लगा लेकिन संयम से काम लेते हुए बोली:"

" क्या हुआ राधिका ? मेरे कमरे में क्या कर रही हो ?

राधिका के माथे पर पसीने की बंदे छलक आई और झूठ बोली:"

" वो मेरे कुछ कपड़े नही मिल रहे थे तो सोचा आपके कमरे मे देख लेती हु! बस इसलिए आ गई थी आपको बुरा तो नहीं लगा न?

सीमा:" लेकिन भला इसमें बुरा लगने की क्या बात है! तुम मेरी बहन हो कोई दुश्मन थोड़े ही हो!

राधिका उसके गले लग गई और बोली:" सच मे आप बेहद अच्छी हो दीदी! मेरी किस्मत हैं जो आप जैसी बहन मिली मुझे! लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गई सब ठीक तो हैं ना ?

सीमा:" हान हां सब ठीक हैं! लेकिन सज धज कर तुम कहां जा रही हो ?

राधिका:" वो मुझे बाहर कुछ काम हैं तो बस वही करने जा रही हूं! रात में थोड़ा लेट हो जाऊंगी! आप चिंता मत करना मेरी!

सीमा:" तुम आराम से अपना काम करना! और कोई दिक्कत हो तो मुझे बता देना!

राधिका:" ठीक हैं दीदी! मैं अब चलती हु!

इतना कहकर वो बाहर निकल गई और हल्का अंधेरा होते ही बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठ गई जो जब्बार ने उसके लिए भेजी थी और जैसे ही बग्गी चलने वाली थी तो सीमा एक पर्दे की ओट लेकर बैठ गई और राधिका को पता नहीं चला!

थोड़ी देर के बाद बग्गी जब्बार के घर में पहुंच गई और राधिका उतर कर अन्दर चली और जब्बार के गले लग गई! अपनी बहन का ये अनौखा रूप देखकर सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई सामने थी!

जब्बार के बेड पर पड़ी हुई सीमा बोली:" वो आजकल शमा नही दिख रही है! कहीं गई है क्या?

जब्बार:" तुम हमेशा कहती थी कि मैं तुमसे नही शमा से प्यार करता हु तो मैंने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया हैं! अब वो कभी नही आयेगी!

राधिका का मुंह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया और बोली:"

" क्या हुआ? क्या सच मे?

जब्बार ने उसे बांहों में भर लिया और उसके ऊपर लेटते हुए बोला:" अरे मारा नही है लेकिन वो ऐसी दुनिया में चली गई है जहां हर रोज मरेगी! अब बात नही मस्ती करो!

राधिका जब्बार से लिपट गई और सीमा की आंखे में उसके लिए गुस्सा आए नफरत साफ उभर आई थी लेकिन उसके लिए अभी सलमा तक ये खबर देना जरूरी था कि शमा सच में फंस गई है!

सीमा अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकली और सलमा को बताया कि शमा घर पर नहीं है! सीमा ने जान बूझकर सलमा को ये बात नहीं बताई कि राधिका और जब्बार के बीच में संबंध हैंक्योंकि इससे उसकी ही बेइज्जती होती! सलमा ने जाबांज के हाथो विक्रम तक संदेश भेज दिया!

विक्रम और अजय दोनो युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार होकर पिंडालगढ की तरफ चल पड़े! विक्रम ने बूढ़े पिंडारी का भेष बनाया हुआ था तो अजय ने भी अपने आपको एक पिंडारी ही बनाया हुआ था! सबसे बड़ी बात ये थी कि पिंडारी इंसानों की गंध बेहद दूर से ही पहचान लेते थे तो विक्रम और अजय ने बूढ़े पिंडारी के कपड़े लिए और अपने आपको बुरी तरह से बदबूदार बनाने की कोशिश करी और उसमे काफी हद तक कामयाब भी हुए!

अजय:" युवराज इतनी बुरी बदबू आ रही है आपसे कि सिर फटने को हो गया हैं मेरा!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गया और बोला:" बदबू तो मुझे भी आ रही हैं अजय लेकिन हमे ये सब बर्दाश्त करना ही होगा क्योंकि एक गलती हमे मौत के मुंह में धकेल देगी!

अजय ने उसकी बात का समर्थन किया और बोला:" आपकी बात से सहमत हु युवराज! लेकिन पता नहीं कैसे जिन्दा रहते हैं ये पिंडारी!

दोनो बाते करते हुए जा रहे थे और शमा ने जो नक्शा उन्हे दिया था वो युवराज ने अच्छे से देखा लिया था और युवराज यही सोच रहा था कि कुछ भी करके मुझे हर हालत में सीमा के साथ साथ उन्हे भी बचाना हैं!

सलमा और सीमा दोनो जागी हुई थी और बेहद परेशान थी क्योंकि वो जानती थी उनके दोनो के ही प्रेमी एक ऐसी जंग लड़ने जा रहे थे जहां मौत से बचना जीते ही स्वर्ग में जाने जैसा था! सलमा की आंखे भर आई और बोली:"

" अगर युवराज वापिस नही आए तो मैं अपनी जान दे दूंगी सीमा!


सीमा ने उसकी बात उसे अपने गले से लगा लिया और बोली:"

" आप घबराए मत शहजादी! भगवान पर भरोसा रखे वो सब ठीक कर देगा!



दूसरी तरफ अजय और विक्रम दोनो पिंडालगढ की सीमा में दाखिल होने वाले थे तो दोनो एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो की आंखे भर आई और विक्रम ने अजय को कसकर गले लगा लिया और बोला:"

" अजय आपने इस असंभव जंग में मेरा साथ देकर अपनी दोस्ती और कर्तव्य को अमर कर दिया हैं हमेशा के लिए!

अजय भी उससे कसकर लिपट गया और बोला:" युवराज मेरा तो कर्तव्य ही यही है कि उदयगढ़ के लिए जान भी चली जाए तो अफसोस नहीं होगा!

युवराज:" ऐसा नही बोलते भाई! हम दोनो जरूरी वापिस आयेंगे ये जंग जीतकर!

अजय:" हान युवराज हम जरूर वापिस आयेंगे! आप मेरे आस पास ही रहकर युद्ध करना! ज्यादा दूर किसी भी हालत में मत जाना क्योंकि मेरे हाथ में ये पुरखो की जादुई तलवार होगी!

विक्रम ने उसकी भावना को समझते हुए प्यार से उसका हाथ चूम लिया और बोला:"

" मैं कोशिश करूंगा अजय! लेकिन आप मेरी फिक्र न करके दुश्मनों का सफाया करना क्योंकि मेरी रगों में भी राजपूतानी खून दौड़ता हैं!

उसके बाद दोनो ने प्यार से एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे ही अलग हुए तो विक्रम ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोला:" अजय वापिस आने के बाद आप मुझे युवराज नही भाई कहकर बोलना!

अजय की आंखो से आंसू निकल आए और दोनो उसके बाद सावधानी से अंधेरे का फायदा उठाकर पिंडालगढ़ की सीमा में दाखिल हो गए! शहर में कहीं कहीं हल्की मशाल की रोशनी फैली थी! पिंडारी रात को अक्सर पहरा नही देते थे क्योंकि उनके राज्य में कोई घुसने की हिम्मत नही करता था!

युवराज और अजय दोनो सावधानी से इधर उधर देखते हुए जा रहे थे! तभी पीछे से किसी की जोर की आवाज आई तो दोनो ने उस दिशा में देखा तो एक पिंडारी उधर ही आ रहा था और बोला:"

" तुम दोनो इधर क्या कर रहे हो? महाराज का आदेश हैं कि सबको आज सामूहिक रूप से चुदाई देखनी होगी क्योंकि महाराज आज ये संभोग भवन में साबित करना चाहते हैं कि उनके बड़ा पुरुष कोई नही हैं!

वो आदमी ध्यान से दोनो को देखने लगा लेकिन उसे थोड़ी थोड़ी इंसानी गंध मिली तो उसके कान खड़े हो गए और युवराज उसकी बात सुनकर हैरान सा हुआ लेकिन धीरे से अंधेरे की तरफ जाते हुए बोला:"

" हम भी वही जा रहे थे बस! आपसे एक बात पूछनी थी!

बस यही गलती हो गई जिसने उस आदमी के शक को यकीन में बदल दिया क्योंकि दोनो अभी संभोग भवन की उल्टी दिशा में जा रहे थे! खतरे को भांप कर पिंडारी ने अपनी तलवार को निकाल लिया और उनके करीब जाते हुए बोला:" कौन हो तुम दोनो ? यहां कैसे घुस आए हो?

विक्रम थोड़ा गुस्से से बोला:" हम भी पिंडारी हैं!

लेकिन उस आदमी ने तलवार का भरपूर वार किया और विक्रम ने बिजली की गति से अपनी तलवार निकालकर उसे बचाया और अजय ने मौके का फायदा उठाकर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए उसकी गर्दन को काट दिया तो बेचारा चींख भी नही सका और गिर पड़ा!

उसके बाद दोनो महल की दिशा में बढ़ गए और जल्दी ही महल के बाहर पहुंच गए तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि महल लोगो से पूरी तरह से भरा हुआ था और बेहद गंदी बदबू फैली हुई थी! सामने ही एक बड़े मैदान में एक औरत नंगी थी जिसे चार लोगो ने पकड़ा हुआ था और वो औरत बुरी तरह से कांपती हुई रो रही थी! औरत के पास ही पिंडाला खड़ा हुआ था बिलकुल नंगा और अपने लंड को मसल रहा था मानो जंग की तैयारी कर रहा हो! विक्रम और अजय के शरीर से उठती हुई इंसानी गंध लोगो के दिमाग में जा रही थी लेकिन चूंकि सामने एक औरत भी थी तो किसी का ध्यान उस तरफ ज्यादा नही गया!

विक्रम और अजय दोनो की नजरे मिली और दोनो ने ही आगे बढ़ने का फैसला किया! विक्रम आगे बढ़ा और अजय उसके पीछे पीछे धीरे धीरे दोनो भीड़ के अंत में पहुंच गए और यहां से कभी भी बंदी ग्रह तक पहुंच सकते थे। लेकिन विक्रम ने अपनी अजय को वही रुकने का इशारा किया!

पिंडाला औरत( शमा) की तरफ बढ़ा तो शमा का बदन कांप उठा और पिंडाला ने अपने लंड को उसकी गांड़ के छेद पर रख दिया तो शमा के बदन का रोम रोम थर्रा उठा और उसकी आंखे भर आई! वो जानती थी कि अब क्या होगा इसलिए पूरी ताकत से छूटने कि कोशिश करने लगी लेकिन चाहकर हिल भी नहीं सकी तो लगभग रोते हुए बोली:"

" नही नही! मेरे साथ ऐसा मत करो मैं मर जाउंगी!

लेकिन पिंडाला एक राक्षस था और उसे भला कहां परवाह होती और हंसते हुए बोला:"

" देख अगर बच गई तो पूरे पिंडलगढ़ पर राज करेगी! रानी बना दूंगा तुझे!

उसने जोर से धक्का लगाया और लंड शमा की गांड़ के छेद के चिथड़े उड़ाते हुए अंदर दाखिल हो गया और शमा दर्द से तड़प कर बेहोश होती चली गई! अजय और विक्रम का दिल ये देख कर रो पड़ा लेकिन उनका मकसद अभी वो कैद आदमी और शमा को बचाना था( बेचारो को क्या मालूम था कि शमा की ही चुदाई वो देख रहे थे! विक्रम ने अजय को इशारा किया और दोनो धीरे से महल के दूसरे हिस्से में पहुंच गए और गेट पर करीब चार सुरक्षा कर्मी तैनात थे तो थोड़ी देर तक जमकर मुक़ाबला हुआ लेकिन अंततः जीत विक्रम की ही हुई और दोनो कमरे मे घुस गए!

विक्रम ने आदमी को देखा और बोला:" आप चिंता न करे हम आपको बचाने के लिए आए हैं!
लेकिन शमा कहां मिलेगी?

आदमी की आंखे भर आई और बोला: ये जो दर्द भरी चींखें हम सुन रहे हैं वो शमा की हैं!

इतना कहकर विक्रम ने अजय को इशारा किया तो अजय ने कमरे की खिड़की से रस्सी बांधी और आदमी को लेकर धीरे से बाहर निकल गया! विक्रम अपनी आंखो में गुस्से की आंधी लिए हुए संभोग भवन की तरफ चल पड़ा ताकि सलमा को बचा सके लेकिन जैसे ही वहां पहुंचा तो देखा कि शमा की दोनो टांगे खून से सनी हुई थी और पिंडाला किसी जानवर की तरह उसकी फटी हुई गांड़ में धक्के लगा रहा था और शमा के जिस्म मे कोई हरकत नहीं हो रही थी तो पिंडाला को गुस्सा आ गया और उसने शमा की दोनो टांगो को पकड़ा और एक झटके के साथ उसके पूरे जिस्म को दो टुकड़ों में बांट दिया और शमा हमेशा के लिए शांत हो गई!

विक्रम ने ऐसा जुल्म देखा तो उसकी आंखे भर आई लेकिन अब वहां आ निकलने मे ही उसने भलाई समझी और आराम से बाहर निकल गया! बाहर अजय उसका ही इंतजार कर रहा था और विक्रम ने उसे जल्दी से वहां से निकलने के लिए इशारा किया और दोनो आदमी को साथ लेकर निकल पड़े! जैसे ही बॉर्डर पर पहुंचे तो सामने से कुछ पिंडारी नजर आए और एक बार फिर से युद्ध छिड़ गया! देखते ही देखते तलवारे लहरा उठी और शमा की दुर्दशा देखने के बाद उसकी आंखो से आग बरस रही थी और उसने पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट दिया लेकिन विक्रम को हाथ में तलवार लगी और खून निकल आया था!

दोनो बॉर्डर से बाहर निकल आए और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए! सुबह के करीब चार बजे दोनो उदयगढ़ पहुंच गए! विक्रम ने अजय को बूढ़े कैद पिंडारी को मारने के लिए भेज दिया और खुद आदमी को लेकर वैद्य जी के यहां चला गया!

वैद्य जी ने दरवाजा खोला तो विक्रम अंदर घुस गया वैद्य जी बोले:"

" क्या हुआ युवराज ? इतनी सुबह सुबह आप और ये साथ में कौन हैं आपके ?

विक्रम:" वैद्य जी ये हमारे खास मेहमान है! कुछ दिन आप इनकी देखभाल करेंगे और ये आपके साथ ही रहेंगे! किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि आपके घर में कौन रहता है!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! आपके हाथ से भी खून निकल रहा है! रुको मैं आपकी औषधि दे देता हूं!

वैद्य जी औषधि लेने चले गए तो वो आदमी बोला:"

" बेटा आप कौन हो और मुझे क्यों बचाया आपने ?

विक्रम:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु! आपको बचाने के लिए मुझे शमा की चिट्ठी मिली थी लेकिन अफसोस मै उसे नही बचा पाया ! आप अभी आराम कीजिए!

आदमी कुछ नही बोला और गहरी सोच में डूब गया! वैद्य जी ने विक्रम की पट्टी करी और विक्रम उसके बाद वहां से निकल गया और महल पहुंचा तो अजय भी पिंडारी को मारकर आ गया था! विक्रम ने उसके हाथो को चूम लिया और बोला:"

" अजय मेरे भाई अब आप आराम कीजिए!

अजय:" लेकिन दिन में राज्य की कार्यवाही और राजमाता की मीटिंग में शामिल होना जरूरी होगा मेरे लिए युवराज!

विक्रम उसे अपने साथ ले गया और उसे अपने साथ ही बेड पर लेटने के लिए कहा तो अजय बोला:" नही युवराज! आप आराम कीजिए मैं बाद में सो जाऊंगा!

विक्रम:" बहुत बहाने बनाते हो यार आप भी!

इतना कहकर युवराज ने अजय का हाथ पकड़ कर ऊपर खींच लिया और उसके बाद दोनो लेते हुए थे! दोनो बस जाबांज का ही इंतजार कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ सलमा और सीमा दोनो पूरी रात इबादत करती रही और रो रोकर उनकी आंखे लाल मिर्च गई थीं और जैसे जैसे सुबह होती जा रही थी तो दोनो का दिल बैठता जा रहा था!

सुबह हुई और सलमा ने दुआ मांगी और उसके बाद कांपते हाथों से एक खत लिखा और जाबांज को पैगाम लेकर उड़ा दिया! उड़ता हुआ जाबांज जैसे ही खिड़की पर बैठा तो विक्रम और अजय दोनो के होंठो पर मुस्कान आ गई और विक्रम ने चिट्ठी को निकाल लिया और पढ़ने लगा

" मेरे प्रियतम विक्रम

" आप और अजय दोनो सुरक्षित लौट आए होंगे ऐसा मेरा दिल कहता है! मैने और सीमा ने सारी रात आपके लिए इबादत और पूजा की हैं और मुझे यकीन हैं कि खुदा मुझे निराश नहीं करेंगे! आपको कुछ हुआ तो मैं भी जिंदा नही रहूंगी!

विक्रम ने चिट्ठी को पढ़ा और उसकी आंखे भर आई! विक्रम ने सलमा को एक खत लिखा और जाबांज को वापिस फिर से उड़ा दिया! जाबांज को देखकर सलमा का दिल जोर से धड़क उठा और जैसे ही उसने विक्रम की चिट्ठी पढ़ी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई

" सलमा मेरी शहजादी

" आप और सीमा की दुआ रंग लाई हैं! मैं और अजय सुरक्षित वापिस आ गए हैं! उन्हे हम अपने साथ ले आए हैं लेकिन शमा को नही बचाया जा सका! मेरा ऐसा यकीन है कि आज जब्बार राज्य में नही रहेगा! आप मौका देखकर आइए आज उदयगढ़!

सलमा मानो खुशी से पागल हो गई और बार बार सीमा को चूम रही थी! सीमा भी बेहद खुश थी और दोनो ने अब उदयगढ़ जाने का प्लान बनाया और दोनो राजमाता के पास पहुंच गई तो उनकी खुशी देखकर रजिया बोली:"

" क्या बात है बेटी आज बेहद खुश नजर आ रही हैं?

सलमा ने अपनी मां को गले लगा लिया और उनका मुंह चूम कर बोली:" खुशी तो इतनी बड़ी हैं कि हम संभाल नहीं पा रहे हैं खुद को अम्मी! आप भी सुनेगी तो यकीन नहीं कर पाएगी!

रजिया:" अच्छा जरा हमे भी तो बताओ ऐसा क्या हो गया है?

सलमा: जरुर अम्मी! बस आप आज हमारे साथ घूमने चलिए न! वो भी बिना किसी सुरक्षा के!

रजिया:" लेकिन बिना किसी सुरक्षा के तो बेहद खतरा होगा बेटी ये तो समझो!

सलमा:" ओह अम्मी कोई खतरा नहीं होगा! आप हम पर यकीन कीजिए!

रजिया:" ठीक हैं पहले राज्य की कार्यवाही खत्म होने दो! उसके बाद योजना बनाते हैं!

दूसरी तरफ पिंडालगढ़ में मातम पसरा हुआ था क्योंकि घर में घुसकर पहली बार किसी ने उन पर हमला किया था और उनका कैदी भी छुड़ा लिया था तो पिण्डाला ने ये खबर जब्बार तक पहुंचा दी तो जब्बार जैसे पागल हो गया और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था और ऐसा कैसे हो सकता है! जब्बार को अपना सब कुछ खत्म होता नज़र आया और मन किया कि अपनी जान दे दे लेकिन जब्बार ने खुद को संभाला और डरते डरते राज्य की कार्यवाही में पहुंच गया!

उसके चेहरे पर मौत का खौफ सलमा को साफ नजर आ रहा था और सलमा का दिल कर रहा था कि उसके सीने में छुरा उतार दे लेकिन शांत रही!

रजिया:" पिछले कुछ दिनो से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था अच्छी रही है! जब्बार आपने अच्छा काम किया है!

जब्बार के होंठो पर फीकी सी मुस्कान आई और धीरे से बोला:"

" मेरा काम ही है सुल्तानपुर की सेवा करना!

रजिया:" क्या हुआ जब्बार आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है?

जब्बार को लगा कि जैसे किसी ने उसकी इज्जत लूट ली हो और बोला:" जी राजमाता, थोड़ी दिक्कत है मुझे!

रजिया:" ठीक हैं आप आराम कीजिए कुछ दिन!

जब्बार:" जैसी आपकी आज्ञा!

उसके थोड़ी देर बाद कार्यवाही खत्म हुई और जब्बार मौका देखकर राज्य से निकल गया और सीमा ने जैसे ही ये जानकारी सलमा को दी थी उसने भी रजिया के साथ जाने का प्लान किया और शाम को करीब चार बजे तीनो भेष बदलकर गुप्त दरवाजे से निकल गए! जाने से पहले रजिया ने दासियों से कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है तो उन्हे परेशान न किया जाए!

जैसे ही वो सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकले तो अजय बग्गी लिए खड़ा मिला और उसके बाद वो उदयगढ़ की तरफ बढ़ गए और जैसे ही घुसने वाले थे तो रजिया बोली:"

" सलमा ये तो उदयगढ़ हैं! यहां जाना हमारे लिए सुरक्षित नहीं है! ये तो हमारे दुश्मन है और आपके अब्बा के कातिल!

सलमा:" अम्मी सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई या बताई जाती है! आप मुझ पर यकीन राखिए आप पूरी तरह से सुरक्षित है यहां! मैं पहले भी कई बार आ चुकी हूं यहां!

रजिया उसकी बात सुनकर खामोश हो गई और थोड़ी ही देर में वो वैद्य जी के घर पहुंचे तो विक्रम ने दरवाजा खोला और जैसे ही सलमा और विक्रम की नजरे मिली तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए!

सलमा ने रजिया का हाथ पकड़ा और विक्रम के पीछे चल पड़ी और सलमा बोली:"

" अम्मी आपको आज ऐसी खुशी मिलेगी कि दिल धड़कना बंद कर देगा आपका! दिल संभाल लीजिए आप अपना!

जैसे ही सभी कमरे मे घुसे और रजिया की नजर बेड पर लेटे हुए आदमी पर पड़ी तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! उसे लगा मानो वो कोई सपना देख रही है और पागलों की तरह दौड़कर उससे लिपट गई और रोते हुए बोली:"

" सुलतान आप जिंदा है! या मेरे खुदा तेरा करिश्मा!
बहुत ही शानदार और रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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रजिया दौड़ती हुई सुलतान के गले लग गई और सुबक सुबक कर रो पड़ी! सुलतान भी 12 साल के बाद अपनी बीवी को देखकर भावुक हो गया और उसे कसकर अपने गले लगा लिया! सलमा की आंखो से भी आंसू छलक रहे थे और वो हल्की सी मुस्कान के साथ कभी अपनी अम्मी अब्बू को गले मिलते देख रही थी तो कभी विक्रम की तरफ देखती!

रजिया ने सुलतान का चेहरा अपने हाथों हाथो में भर लिया और चूमते हुए बोली:

" खुदा का लाख लाख शुक्र है कि आप जिंदा हैं सुलतान!

सुलतान ने प्यार से उसका माथा चूम लिया और बोला:" बस अल्लाह का ही शुक्र है!

रजिया ने सुलतान से कहा:" देखो हमारे साथ कौन आई है?

इतना कहकर उसने सलमा की तरफ इशारा किया तो सुलतान उसे गौर से देखने के बाद बोला:"

" ये तो सलमा हैं बेगम हमारी लाड़ली बेटी!

सलमा बदहवास सी आगे बढ़ी और सुलतान के लिए लग गई और बोली:" अब्बा हुजूर हम बता नही सकते आज हम कितने खुश हैं! सारी दुनिया की खुशी एक तरफ और आप एक तरफ!

सुलतान ने उसका माथा चूम लिया और बोला;" सलमा मेरी शहजादी बेटी कितनी बड़ी और खूबसूरत हो गई है! अल्लाह तुम्हे बुरी नजर से बचाए! बेगम इनसे मिलिए ये उदयगढ़ के युवराज विक्रम हैं और उन्होंने ही हमें कैद से आजाद कराया है!


रजिया ने विक्रम की तरफ देखा और उसके पा जाकर उसके दोनो हाथो को चूम लिया और बोली:"

" हम आपका ये एहसान कभी नही भूल पाएंगे बेटा!

विक्रम:" बेटा भी कहती है आप और फिर एहसान की बात भी करती हैं! वैसे भी ये तो मेरा फर्ज था क्योंकि एक दाग जो मेरे पिता के ऊपर लगा हुआ था वो भी हट गया अब!

रजिया:" हान बेटा सबकी तरह मैं भी यही मानती थीं कि आपके पिता ने ही मेरे शौहर की हत्या करी थी! लेकिन आज एहसास हुआ कि सच्चाई कुछ भी हैं और आप तो जान बचाने वाले हो लेने वाले नही बेटा!

इतना कहकर रजिया ने उसके माथे को चूम लिया और सलमा ये सब देख मन भी मन मुस्कुरा रही थी! सुलतान रजिया से बोला:"

" बेगम उस रात पिंडारियो ने हमला किया था और युवराज के पिता के बुलावे पर हम साथ आए थे लेकिन धोखा हमें जब्बार ने दिया था! जब्बार की गद्दारी की वजह से इनके पिता और अजय के पिता के मौत हुई थी और अजय के पिता का कातिल जब्बार हैं! जबकि महराज को पिंडाला ने मारा था! हम चाह कर भी कुछ नही कर पाए थे क्योंकि हम कैद कर लिया गया था!

रजिया:" इसका मतलब जब्बार की इस सारे फसाद की असली जड़ हैं! लेकिन आप सुरक्षित कैसे बच पाए ?

विक्रम:" जब्बार की बीवी शमा पिंडारियों की कैद में थी! उसने ही सुलतान को वहां देखा और शहजादे सलीम को खत लिखा कि उसे और सुलतान को बचा ले लेकिन वो खत मुझे मिल गया और मैं बचाने के लिए गया! लेकिन शमा को नही बचा पाया!

रजिया:" हम सुल्तानपुर जाते ही जब्बार को फांसी पर टांग देंगे!

सुलतान:" बिलकुल बेगम! उसके हर एक जुल्म का जवाब दिया जाएगा!

विक्रम:" ऐसे गलती करने की जल्दबाजी मत कीजिए आप क्योंकि आपके राज्य पर अभी पूरी तरह से जब्बार का कब्जा है! जब्बार आपको ढूंढने के लिए दिन रात एक कर देगा! आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप अभी कुछ दिन यही आराम कीजिए और बेहतर मौका देखकर मैं खुद आपके साथ सुल्तानपुर जाऊंगा और जब्बार को उसके कर्मो की सजा मिलेगी!

सलमा:" यही ठीक रहेगा! अभी जब्बार के हाथ में सारी सेना है और वहां आपकी जान को खतरा होगा!

अजय:" आप अभी यहीं आराम कीजिए और फिर हम सब आपके साथ है! जैसे आप चाहोगे वैसे जब्बार से बदला लिया जायेगा! मैं कसम खाता हूं कि जब्बार से मैं अपने पिता के खून का बदला ज़रूर लूंगा!

रजिया: ठीक हैं हम आप दोनो की बात से पूरी तरह से सहमत हैं

विक्रम:" भूलकर भी किसी को ये बात बता नही लगनी चाहिए कि आप सुलतान से मिले हो खासतौर से शहजादे सलीम से छिपा कर रखना क्योंकि वो जब्बार के हाथो की कठपुतली बना हुआ है!

रजिया:" आप बेफिक्र रहो युवराज! मैं सुलतान को फिर से खोना नहीं चाहती! अच्छा मुझे अब वापिस जाना होगा क्योंकि जब्बार को खबर हो गई तो दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप निश्चित रहे क्यूंकि जब्बार आज राज्य में नही बल्कि पिंडाल गढ़ गया होगा!

अजय:" बिलकुल आप आज यही रुकिए! हमे भी मेहमान नवाजी का मौका मिलेगा!

सुलतान:" ठीक हैं बेगम आप हमारे साथ ही रुक जाए!

सीमा:" अगर आपकी इजाजत हो तो मैं और शहजादी उदयगढ़ घूम लेते हैं! थोड़ा मन भी बहल जाएगा!

रजिया:" ठीक हैं बेटी! आप दोनो घूम आओ! अजय और विक्रम के होते हमे कोई दिक्कत नहीं है!

विक्रम;" ठीक हैं मैं वैद्य जी को बोलकर आप सभी के यही रुकने की व्यवस्था करा देता हूं!

विक्रम बाहर गया और वैद्य जी के साथ अंदर आ गया और बोला:"

" वैद्य जी हमारे कुछ मेहमान भी आज आपके घर पर रुकेंगे! इनके रुकने और खाने की व्यवस्था कीजिए!

वैद्य:" ये तो मेरी किस्मत हैं युवराज कि आपके काम आ रहा हूं! आप निश्चित रहे मैं कोई शिकायत का मौका नही दूंगा आपको!

विक्रम:" हमे आप पर पूरा विश्वास है वैद्य जी! अच्छा मैं अब चलता हु! बाद में आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम और अजय जाने लगे तो सलमा बोली:

" आप दोनो भी बात कीजिए! तब तक मैं भी उदयगढ़ देखकर आती हु!

सुलतान;" ठीक हैं बेटी! अपना ध्यान रखना!

सलमा हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:" आप मेरी चिंता मत कीजिए युवराज हैं न मेरा ध्यान रखने के लिए!

इतना कहकर सलमा सबके साथ बाहर निकल गई! रजिया सुल्तान से बाते करती रही और सुलतान उसे पिंडारियो के जुल्म के बारे में बताता रहा कि किस तरह उन्हे सताया गया और जब्बार के बारे में भी सब कुछ बताया!

दूसरी तरफ विक्रम सीमा और सलमा को साथ लेकर महल में आ गया तो सलमा अजय से बोली:"

" आप सीमा को महल घुमा दो बेचारी का बड़ा मन हैं महल देखने के लिए!

उसकी बात सुनकर सीमा शरमा गई और बोली:" सब समझती हूं मैं कि क्यों मुझे बहाने से भेज रही हो आप !

अब सलमा का चेहरा गुलाबी हो गया और अजय सीमा को साथ लेकर बाहर निकल गया और उसके जाते ही सलमा विक्रम के गले लग गई और उसके चेहरे को चुम्बनो से भर दिया! विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में कस लिया और दोनो एक दूसरे से लिपट गए! सलमा उसके गाल को चूमते हुए बोली:"

" हम बता नही सकते कि आज हम कितने खुश हैं युवराज! आज आपने हमे वो तोहफा दिया हैं आप मेरी जान भी मांगो तो हंसकर कुर्बान कर दूंगी!

विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे को हाथो में भर लिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोला:"

" शहजादी मुझे बस आपका प्यार चाहिए और कुछ नही!

सलमा ने उसके होंठो को हल्का सा चूमा और उसकी गर्दन में अपनी बांहों का हार पहनाते हुए बोली:" करो ना प्यार हमे विक्रम! जितना मन करे उतना प्यार करो जैसे मन करे वैसे प्यार करो!

सलमा ने उसे अपनी तरफ से पूरी छूट दे दी तो विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसके पास लेटते हुए बोला:"

" आप हमे गलत समझ रही हो शहजादी! हमें वैसा प्यार नही चाहिए! बस आप हमारे साथ हो इतना काफी हैं मेरे लिए!

विक्रम की बात ने सलमा के दिल पर गहरा असर किया और बोली:" मैं तो हमेशा से आपकी ही हू युवराज! बस अब पूरी तरह से आपकी हो जाना चाहती हू!

विक्रम ने उसके बालो को सहलाया और प्यार से उसके माथे को चूम कर बोला:"

" आप मेरी ही हो सलमा हमेशा के लिए! सुलतान को मैने बचाया तो वो मेरा फर्ज था क्योंकि आपके अब्बा मेरे लिए भी तो पिता ही हुए ना! आप इसे एहसान न समझे और न ही इसकी कीमत चुकाने की बात करे!!

सलमा को अपनी गलती का एहसास हुआ तो बोली:"

" बात एहसान की नही हैं युवराज! दर असल हम खुशी में पागल हो गए हैं तो जो मन किया वो बोल दिया!

विक्रम:" मैं समझ सकता हु शहजादी क्योंकि पिता का प्यार एक बेटी के लिए बेहद अहम मायने रखता है!

सलमा:" आप सच में बेहद अच्छे हो युवराज! मैंने तो आज ही मन से आपको अपना शौहर मान लिया! मेरे तन मन पर पूरी तरह से आपका अधिकार हैं! आप मुझे मेरे शौहर के रूप में कुबूल हो कुबूल हो कुबूल हो!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और उसके होंठ चूम कर बोला:" आप भी मुझे मेरी बेगम के रूप में कुबूल हो कुबूल हो कुबूल हो! बस अब खुश!

सलमा ने अपने होंठो को उसके होंठो से जोड़ दिया और उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम भी उसका साथ देने लगा और सलमा ने मदहोशी में अपना मुंह खोल दिया और अपनी रसीली जीभ को उसके मुंह में सरका दिया और विक्रम उसकी जीभ को चूसने लगा!एक लंबे किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए और विक्रम बोला:"

" अच्छा शहजादी अब हमे चलना चाहिए ताकि आप अपने पिता के साथ रह सको!

सलमा उससे और ज्यादा जोर से लिपट गई और बोली:"

" हम आज रात आपके साथ रहना हैं युवराज आपकी बांहों में!

विक्रम ने प्यार से उसके गाल को चूस लिया और बोला:"

" मेरे साथ तो आपको पूरी जिंदगी गुजारनी हैं शहजादी! आज आपको सुलतान के साथ ही रहना चाहिए!

सलमा उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर खुशी से झूम उठी क्योंकि ऐसे ही समझदार प्रेमी की कल्पना हर औरत करती हैं! सलमा बोली:"

" ठीक हैं फिर तो मुझे जाना होगा! सीमा को भी ले चलती हु अपने साथ ही!

विक्रम:" अरे सीमा को आज अजय के पास ही रहने दो ना! बेचारे नए नए प्रेमी हैं दोनो!

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" तभी तो कर रही हु कि कहीं जोश जोश मे कुछ कर बैठे दोनो तो गजब हो जायेगा!

विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और बोला:"

" होने दो ना आप क्यों घबरा रही हो शहजादी! सीमा भी कोई छोटी बच्ची नही हैं! जवान हो गई है!

सलमा:" वो जाने उनका काम! मैं अब चलती हु अपने अब्बा के पास!

विक्रम सलमा को साथ लेकर वैद्य जी के घर की तरफ चल दिया! सलमा बेहद खुशी थी कि आज कल लोग इतने मतलबी हैं कि बिना बात के औरत को अपने नीचे लाने के लिए पागल रहते हैं और एक विक्रम हैं जो उससे सच्चा प्यार करता है!

वैद्य जी के घर जाकर सलमा अपनी अम्मी अब्बू से बात करने लगी और विक्रम भी उनके साथ ही बैठा हुआ था! वैद्य जी ने खाना तैयार करा दिया था तो सबने साथ में खाना खाया और उसके बाद विक्रम सबसे विदा लेकर राजमहल में आ गया!

तीनों बैठे हुए बाते कर रहे थे और
सुलतान बोले:" बेटी लेकिन आपको मेरे यहां होने का कैसा पता चला?

सलमा:" वो मैं युवराज को पहले से ही जानती हूं! उनका घोड़ा मैने पकड़ लिया था तो तब से हम एक दूसरे को जानते हैं!

सुलतान:" सच मे उदयगढ़ का राजघराना अपनी इम्मादारी और अच्छाई के लिए जाना जाता हैं! इसके पिता भी मेरे बेहद अच्छे दोस्त थे! हमे जल्दी ही अपने राज्य वापिस जाकर सब कुछ ठीक करना होगा!

सलमा:" आप जल्दी न कीजिए क्योंकि वहां अभी सब कुछ जब्बार के हाथ में ही हैं! हमे युवराज के अनुसार चलना चाहिए क्योंकि वही हमे सही राह बता सकते हैं इस स्थिति में!

रजिया:" मैं आपकी बात से सहमत हु बेटी! जिसने आपके पिता को पिंडरियो से बचाया वो यकीनन काफी कुछ जानता होगा!

सुलतान:" ठीक हैं जैसे आप सबको ठीक लगे क्योंकि मुझे तो अभी राज्य के बारे में कुछ भी नही पता हैं! लेकिन देखना जब्बार की मौत मेरे हाथो होगी!

उसके बाद तीनों बाते करते रहे और उसके बाद नींद के आगोश में चले गए! दूसरी तरफ जब्बार शाम होते ही पिंडालगढ़ पहुंच गया और जैसे ही उसने वहां पिंडारियो की लाशे देखी तो उसे समझ आया कि हुआ क्या हैं!

जब्बार:" वो सुना हैं कि सुलतान को कैद से आजाद हो गया है!

पिंडाला की आंखो से चिंगारी सी निकल रही थी और जब्बार से बोला:" जब्बार सुलतान अपनी मां चुदाए! हमारे इतने साथी मारे गए हम आग लगा देंगे! सब कुछ जला कर राख कर देंगे!

जब्बार:" लेकिन ये सब हुआ कैसे हैं? क्या वो खुद ही भागा या फिर कोई उसे बचाकर ले गया ?

पिंडाला:" कोई बचा कर ले गया उसे! रस्सी बंधी हुई मिली हैं हमे वहां! साला कौन ऐसा पैदा हो गया जो हमारे राज्य में घुस कर हमारे ही आदमियों को मारे!

जब्बार:" आप बेफिक्र रहिए ! मैं पता करता हु! अगर सुलतान को सुल्तानपुर से किसी ने बचाया होता तो अब तक मेरे उपर मुसीबत आ जाती लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ हैं तो जरूर किसी और का काम हो सकता हैं!

पिंडाला:" पता करो! जिसने भी ये सब किया हैं उसे ऐसी सजा मिलेगी कि लाश भी कांप उठेगी!

जब्बार:" आप बेफिक्र रहे! शमा के क्या हाल हैं?

पिंडाला हंस पड़ा और बोला:"

" शमा कमजोर साबित हुई और मर गई साली! लंड नही झेल पाई मेरा वो!

एक पल के लिए जब्बार के चेहरे पर निराशा आई लेकिन कुछ नही बोला तो पिंडाला बोला:"

" छोड़ ना शमा को! तुझे हम राजा बना देंगे! फिर जी भरकर मजे करना! बस ये पता कर कि किसने ये सब किया हैं!

जब्बार:" ठीक हैं मैं आपको जल्दी ही सब बता दूंगा!


वहीं दूसरी तरफ राधिका आज पूरी तरह से फ्री थी और उसे आज कोई चिंता नहीं थी क्योंकि रात के 11 बजे तक भी सीमा नही आई तो वो समझ गई कि अब वो नही आयेगी और उसके कमरे में घुसकर तलाशी लेने लगी! सब कपड़े और सामान देखा नही कुछ हाथ नही लगा! वो उदास होकर जाने ही वाली थी कि उसकी नजर मेज पर पड़ी और उसने एक बैग देखा जो साइड से लटक रहा था! राधिका ने बैग को खोला और ढूढने लगी तो उसे हीरे जड़ी एक कीमती अंगूठी मिल गई! राधिका की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि ये वही अंगूठी थी जो युवराज विक्रम ने उसे बतौर गिफ्ट दी थी!

सीमा के पास ये कीमती मर्दानी अंगूठी क्या कर रही है! जरूर कोई न कोई बात तो जरूर हैं!

ये सब सोचकर उसने सब कुछ पहले जैसा किया और अंगूठी को लेकर अपने रूम में आ गई! दूसरी तरफ सीमा पूरी रात अपने प्रेमी अजय की बांहों में रही और अगली सब सलमा और रजिया के साथ वापिस लौट आई!
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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अगले पूरे दिन अजय और विक्रम राज्य के कामों में लगे रहे और थोड़ा भी आराम नही मिला! उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि सुलतान को कैसे सुरक्षित रखा जाए क्योंकि दोनो जानते थे कि अब तो पिंडलगढ़ में हंगामा हो गया होगा और जब्बार सुलतान को ढूंढने के ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगा!

करीब दो दिन अजय अपने घर पहुंचा तो उसकी माता मेनका ने मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया और बोली:"

" कैसे हो पुत्र ?

अजय अपनी मां की मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए बोला:"

" अच्छा हु मैं! आप कैसी हो ?

मेनका:" ठीक हु मैं भी! बस थोड़ा मन नही लग रहा था लेकिन अब तुम आ गए हो तो दिक्कत नहीं होगी मुझे! वैसे आप कहां गायब थे इतने दिन से ?

अजय ने मेनका को सारी बातें बताई तो मेनका अपने बेटे की बहादुरी से बड़ी खुश हुई और बोली:" पुत्र आपने तो सच मे कमाल कर दिया, पिंडालगढ से जीवित आने वाले आप पहले इंसान हो! मुझे पूरा यकीन है कि आप पिंडाला को मारकर अपने पिता की मौत का बदला ज़रूर लोगे!

अजय के चेहरे पर बदले की भावना साफ दिखाई दी और सख्त लहजे में बोला

" मेरे जीते जी पिंडाला जिंदा नही रहेगा, मुझे आपके दूध की सौगंध हैं माता आपके सुहाग उजाड़ने वाले की मैं दुनिया उजाड़ दूंगा! बस आप मुझे आशीर्वाद दीजिए!

इतना कहकर अजय ने अपने माता के पैर छुए तो मेनका ने उसे गले लगा लिया और कसकर उससे लिपट गई! अजय के मजबूत बाजू भी अपनी माता के बदन पर कस गए और दोनो थोड़े देर बिलकुल शांत खड़े हुए एक दूसरे की धड़कने सुनते रहे! अजय धीरे से अपनी माता के कान में बोला

" आपके लिए लाल रंग की रेशमी साड़ी और चूड़ियां लेकर आया हूं! मुझे आशा हैं कि आपको पसंद आयेगी!

अजय की बात सुनकर मेनका का दिल धड़क उठा और उसके चेहरे पर लालिमा छा गई और बोली:"

" धत तेरी बेशर्म हो गए हो आप पुत्रदेव!

अजय ने उसकी कमर को अपनी हथेली से हल्का सा मसल दिया और बोला:" अपनी माता को खुश रहना बेशर्मी कब से हो गई भला!

मेनका उसकी बांहों में मचल उठी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे, चलो छोड़ो मुझे घर के काम तो निपटा लू पहले!!

अजय ने अपनी बांहों की गिरफ्त को थोड़ा सा ढीला किया और धीरे से बोला:" और काम निपटाने के बाद मेरी माता??

मेनका का पूरा बदन अपने बेटे की बात सुनकर कांप उठा क्योंकि वो जानती थी कि आज रात जरूर कुछ न कुछ तो होगा इसलिए कसमसाते हुए अपने बेटे की गिरफ्त से बाहर निकली और छूटकर रसोई की तरफ भागती हुई गई!

वही दूसरी सुल्तानपुर में जब्बार वापिस आ गया था और राधिका ने जैसे ही उसे अंगूठी दिखाई तो जब्बार को हैरानी हुई और बोला

" राधिका ये अंगूठी आपके पास कहां से आई ?

राधिका:" ये मुझे सीमा के कपड़ो से मिली हैं काफी कीमती लगती हैं मुझे ये!

जब्बार:" ये उदयगढ़ के राजघराने की अंगूठी हैं! उसके पास ये कीमती अंगूठी कैसे हो सकती हैं जरूर कोई न कोई राज है! वो तो शहजादी सलमा के साथ रहती है न राधिका?

राधिका:" हान रहती तो वो शहजादी के साथ ही है!

जब्बार:" सीमा का किसी से कोई चक्कर तो नही चल रहा हैं न ऐसा कोई जो उदयगढ़ से हो जिसने अंगूठी चुराई हो और ये भी हो सकता है कि उदयगढ़ राजघराने का ही हो!

राधिका थोड़ा सा सोच मे पड़ते हुए बोली:" शहजादी और सीमा दोनो गुमसुम रहती है मानो किसी के प्यार में पड़ी हुई हो! दासियों में भी मैने कुछ कानाफूसी सुनी तो हैं लेकिन पक्का कुछ नही!

जब्बार की आंखे में चमक आई और बोला:" तो तुमने ये बात मुझे आज तक क्यों नहीं बताई राधिका ? क्या कानाफूसी सुनी हैं बताओ तो जरा हमे भी?

राधिका चुप रही तो जब्बार बोला:" क्या हुआ जल्दी बोलो? चुप क्यों हो ?

राधिका डर सी गई और कांपते हुए बोली:" राज महल के बारे में कुछ भी बोलते हुए डर लगता हैं मुझे! कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो मारी जाऊंगी!

जब्बार ने उसके दोनो कंधे पर अपने हाथो को रखा और उसे अपनापन दिखाते हुए बोला:"

" डरो मत राधिका, अब तो ये मानकर चलो कि सुल्तानपुर का सुलतान मैं ही हु! सब कुछ मेरी मर्जी से ही होगा और मुझसे तुम्हे डरने की कोई जरूरत नहीं है!

राधिका के अंदर थोड़ा आत्म विश्वास आया और बोली:" वो सुना हैं कि मेले में शहजादी किसी युवराज से मिलने गई थी ऐसा मुझे मेरी सहेली ने बताया हैं जो एक सैनिक की प्रेमिका हैं जो शहजादी की सुरक्षा में था!

जब्बार:" क्या नाम हैं उस सैनिक का ?

राधिका ने डरते हुए उसका नाम बताया:" आबिद!!

जब्बार:" ठीक है! जब तक हम न कहे ये बाते किसी के सामने खुलनी नही चाहिए!

राधिका ने अपनी गर्दन को हान में हिलाया और थोड़ी देर बाद ही उसके सामने आबिद नाम का सैनिक खड़े हुए थर थर कांप रहा था और बोला:"

" हमसे क्या खता हो गई जो हमे आपके हुजूर में पेश होना पड़ा ?

जब्बार:" उधर आप हमारे पास बैठो! कुछ बाते करनी हैं! कितने साल से काम कर रहे हो ?

आबिद:" मेरी इतनी औकात नही जो आपके पास बैठ सकू! जी मुझे 12 साल हो गए!

जब्बार ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठा लिया और बोला:" अरे डरो मत भाई! सबसे पहले तो खुश खबरी सुनो कि आज के बाद तुम पांच गांवों के मालिक रहोगे और तुम्हे सैनिक से बढ़ाकर नायब की पदवी दी जायेगी!

आबिद ने दोनो हाथो को जोड़ दिया और बोले:" माफ कीजिए लेकिन मैं इस इस काबिल नही हु

जब्बार:" तुम इसके काबिल हो आबिद और ध्यान से मेरी बात सुनो! मैं को पुछु उसका सच सच जवाब देना नही तो गर्दन कटते भी देर नहीं लगेगी!

आबिद कांप उठा और बोला:" गर्दन आप काट देना और अगर झूठ बोलूं तो !!

जब्बार:" शहजादी सलमा और सीमा मेले मे किससे मिलने गई थी? कौन उनसे मिलने के लिए आया था वहां?

आबिद का मुंह डर के मारे लाल हो गया और गला सूख गया और चुप रहा तो जब्बार ने सख्ती से बोला:" बोलते हो या मैं अपनी तलवार निकालू ?

आबिद के बदन से पसीना निकल गया और बोला:" वो मुझे साफ तो नही पता लेकिन इतना जरूर है कि देखने से एक युवराज और दूसरा उसका सारथी लग रहा था!

जब्बार: कहां के थे वो दोनो ?

आबिद:" ये तो नही कह सकता लेकिन इतना जरूर हैं कि मेले के पास ही मंदिर था और मंदिर में उदयगढ़ की राजमाता आई हुई थी! वो पूरा यकीन हैं कि तो उदयगढ़ का युवराज ही होगा!

जब्बार:" इतनी बड़ी बात हमसे कोई नही बताई ?

आबिद:" गलती हो गई हमसे, अब ना होगी! हर एक जानकारी आपको दूंगा बस मेरी जान की रक्षा कीजिए!

जब्बार:" तुम फिक्र मत करो! सब कुछ राज्य में मेरे हाथ में ही हैं और मैं जल्दी ही तुझे बहुत बड़ी गद्दी दूंगा लेकिन शहजादी से जुड़ी हर खबर मुझे चाहिए और ये बात भूले से भी किसी के सामने नही जानी चाहिए कि मुझे ये सब पता है! आखिरकार राज परिवार की रक्षा करना मेरा फर्ज होना चाहिए!

आबिद:" आप फिक्र न करे! मैं शहजादी के बारे में आपको सब कुछ बता दूंगा!


करीब एक घंटे एक मीटिंग हुए जिसमे जब्बार के साथ पिंडाला। और उदयगढ़ का गद्दार सेनापति शक्ति सिंह बैठे हुए थे!

जब्बार:" मुझे किसी भी कीमत पर युवराज विक्रम और अजय की लाश चाहिए आज!

शक्ति सिंह:" लेकिन ये काम इतना आसान नही होगा क्योंकि अजय के पास उसके पूर्वजों की दी हुई तलवार हैं और उसे कोई नही हरा सकता!

पिंडाला:" तुम उसकी फिक्र मत करो और जैसा कहा गया है वैसा ही करो! इतना तो कर ही सकते हो ना तुम!

शक्ति:" आप बेफिक्र रहे! मैं आज ही रात में ये काम कर दूंगा! आपकी योजना का दूसरा हिस्सा आपको पूरा करना होगा क्योंकि अगर युवराज और अजय बच गए तो मेरी मौत तय है!

जब्बार:" तुम चिंता मत करो! हमसे आज तक कोई नही बच पाया हैं तो ये नए बच्चे क्या ही कर लेंगे!! जाओ अपना काम करो हमारी विजय निश्चित हैं क्योंकि हमारे साथ महाबली पिंडाला है!!

शक्ति:" ठीक हैं लेकिन अपना वादा याद रखना कि मुझे उदयगढ़ का राज सिंहासन चाहिए!

जब्बार:" जब्बार का वादा पत्थर की लकीर होता हैं उदयगढ़ के होने वाले महाराज शक्ति सिंह!!

शक्ति सिंह खुश हो गया और चल पड़ा अपनी पहली योजना को अंजाम देने के लिए जिसके तहत आज की रात अजय और विक्रम को मौत के घाट उतारना था!
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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रात के करीब 9 बजे तक मेनका ने खाना तैयार कर दिया और उसके बदन में अजीब सी गुदगुदी हो रही थीं क्योंकि जबसे उसने वो लाल सुर्ख रंग की साड़ी और कांच की चूड़ियां देखी थी उसका मन मयूर नाच रहा था कि इनमे मे कितनी सुंदर लगूंगी!

अजय भी राज्य के सभी जरूरी काम निपटा कर और सुलतान की सुरक्षा व्यवस्था की सारी तैयारी देखने के बाद अपने घर की तरफ रवाना हो गया! अजय भी आज घर जाते हुए काफी खुश रहा था क्योंकि वो जानता था कि आज की रात उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात होगी!

मेनका ने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अजय का स्वागत किया और बोली:"

" बड़ी देर लगा दी आपने ! कहां थे पुत्र ?

अजय ने भी अपनी मां की मुस्कान का जवाब मुस्कान के साथ दिया और बोला:"

" बस राज्य के कामों में ही लगा हुआ था और सुलतान की सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहा था क्योंकि उन की सुरक्षा अभी सर्वोपरी हैं!

मेनका ने खाना टेबल पर लगा दिया था और बोली:" सुलतान के चक्कर मे अपनी माता को मत भूल जाना मेरे पुत्र!

अजय भी अपनी मां के पास बैठ गया और दोनो ने खाना खाना शुरू किया और बीच बीच में दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे और मेनका के मुख मंडल पर शर्म की लाली छाई हुई थी!

खाना खाने के बाद मेनका ने बर्तन उठाए और धोने के लिए किचन में जाने लगी तो अजय भी उसके साथ ही कुछ बर्तन उठाकर किचन में आ गई तो मेनका हल्की सी हंसते हुए बोली

" योद्धाओं के हाथ में बर्तन नही तलवार शोभा देती हैं!

अजय भी मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए बोला:"सहमत हु माताश्री लेकिन एक सुंदर माता की घर के कार्यों में सहायता करना भी तो पुत्र का परम कर्त्तव्य होता हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर अपने रूप सौंदर्य पर अभिमान करते हुए बोली:" चलो मान भी लिया मैं सुंदर लेकिन आपकी माताश्री हू पुत्र फिर आपका मेरे रूप सौंदर्य की ऐसी प्रशंसा करना अनुचित हो सकता है!

अजय मेनका के रूप सौंदर्य को निगाहे जमाकर देखते हुए बोला:"आप ईश्वर की बनाई हुई अदभुत अकल्पनीय सुंदरता की काम देवी हो माता! अब ऐसी सुंदरता की प्रसंशा न करना तो नियति के विरुद्ध होगा!

बर्तन धूल गए थे और मेनका उसकी बात सुनकर हल्की सी शर्मा गई और उसके गाल पकड़ कर खींचती हुई बोली:"

" लगता है आप कुछ ज्यादा ही शरारती हो गए हो! आपके लिए एक सुंदर कन्या देखनी पड़ेगी!

इतना कहकर मेनका किचन से बाहर की तरफ आई तो अजय भी उसका हाथ पकड़कर साथ में धीरे चलने लगा और बोला:"

" लेकिन मुझे बिल्कुल आपके जैसी रूप सौंदर्य वाली कन्या ही चाहिए! बिलकुल आपके जैसी कामदेव की रति!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और आंखे चुराते हुए चलती हुई रुक सी गई और बोली:" बस पुत्र बस, एक माता की सुंदरता की ऐसी प्रसंशा करना पुत्र को शोभा नहीं देता! ये अनैतिक और मर्यादा के खिलाफ हैं!

अजय:" मेरे लिए तो आप सुंदरता की अद्वितीय मूर्ति हो माता! कितना ही रोकू लेकिन जब आप रंगीन वस्त्र धारण करके श्रंगार करती हो तो मर्यादा की लकीरें तार तार करने को मन करता है!

इतना कहकर अजय ने आज पहली बार हिम्मत करके उसके गाल को चूम लिया तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा और अपने आप में सिमटती चली गई और बोली:"

" अपने मन को वश में रखने का प्रयत्न कीजिए ना! किसी ने देख लिया तो कहीं मुंह दिखाने के काबिल नही रहूंगी मैं!

पहले से ही काम वासना से विह्ल हो रहे अजय पर मेनका की किसी ने देख लिया वाली बात ने उसकी काम वासना को और प्रचंड कर दिया क्योंकि वो समझ गया कि अगर सुरक्षित रूप से मिलन हो तो मेनका ज्यादा विरोध नही करेंगी और अजय ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर पर पूरी ताकत से कसते हुए उसकी गर्दन पर अपनी जीभ हल्की सी फेरते हुए धीरे से बुदबुदाया:"

" और अगर कोई न देखे तो फिर क्या होगा !!

मेनका अजय की इस हरकत से तड़प उठी और अजय से अपना हाथ छुड़ा कर तेजी से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी तो अजय ने फुर्ती से उसे पीछे से अपनी बांहों में कस लिया और उसका तना मजबूत लंड मेनका के चौड़े मजबूत पिछवाड़े के बीच में घुस गया तो मेनका के मुंह से आह निकल गई और बोली

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र छोड़ दीजिए मुझे!

मेनका के मुंह से निकली कामुक आह से अजय समझ गया कि आज की रात मेनका को आपत्ति नही हैं बस नखरे कर रही है तो उसके पेट पर एक हाथ रखकर उसे जोर से अपनी तरफ खींच लिया और उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:" बताए ना मेरी अद्भुत कामुक माताश्री कोई ना देखे तो क्या होगी!

मेनका अब पूरी तरह से सुलग उठी थी और उसकी बांहों में कसमसाते हुए सिसकी:"

" अह्ह्ह्ह पुत्र! ऐसी कोई जगह नही जहां कोई न देखे!

अजय ने अपनी जीभ से उसकी गर्दन पर चाट लिया और एक हाथ को उसकी कम्पन कर रही छातियों पर रख दिया और अपने लंड का जोर उसकी गांड़ की गोलाईयों पर देते हुए कामुक अंदाज में फुसफुसाया:"

" हमारे तहखाने में कोई नही देखेगा! अब बताए ना क्या होगा अगर कोई न देखे तो !

इतना कहकर उसने मेनका की छातियों को हल्का सा मसल दिया और मेनका एक झटके के साथ पलटी और उसके होंठ चूमकर अपने कक्ष में में घुस गई जीभ चिढ़ा कर बोली:"

" मुझे नही पता क्या होगा आज रात तहखाने में!

इतना कहकर उसने दरवाजा बंद कर लिया और अजय तड़पते जोर से हुए बोला:"

" आज रात तहखाने में अपनी माता की अद्भुत रूप सौंदर्य का पूर्ण नंग दीदार करूंगा, जी भरकर प्यार करूंगा!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और कुछ नही बोली और अजय बेचैनी से उधर उधर घूमता रहा और करीब आधे घंटे के बाद मेनका बाहर निकली तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई किसी दुल्हन की तरह लग रही थी और अजय ने आगे बढ़कर उसे बिना कुछ बोले अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उसकी छाती में मुक्के बरसाती हुई कसमसाई:"

" अह्ह्ह्ह क्या करते हो पुत्र!नीचे उतारिए हमे!

अजय ने उसके रसीले होंठों क्या हल्का सा चुम्बन लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" नीचे ही तो उतारूंगा पूरी रात आपको लेकिन जमीन पर नही अपने मजबूत बदन के नीचे मेरी जान मेनका!

उसकी बात सुनकर मेनका शर्म के मारे उसकी गर्दन में अपनी दोनो बांहे डालकर उससे लिपट गई और अजय ने जैसे ही तहखाने का दरवाजा खोला तो मेनका की चूत के होंठ फड़फड़ा उठे और कसकर अजय से लिपट गई! अजय ने मेनका को बेड के करीब अपनी गोद से उतार दिया तो और उसकी आंखो में देखा तो मेनका शर्म से लाल हो गई और अजय ने आगे बढ़कर उसके होंठो पर अपने होंठो को रखा दिया और दोनो मदहोश होकर एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! अजय का एक हाथ उसके कंधे पर आया और जैसे ही मेनका की साड़ी की स्ट्रिप खुली तो मेनका की साड़ी खुलती चली गई और अब वो कांपती हुई ब्लाउस में उससे कसकर लिपट गई और अजय ने बेताबी दिखाते हुए उसकी उसकी साड़ी को पूरा खोल दिया तो मेनका की साड़ी उसके बदन से पूरी तरह से अलग हो गई और मेनका ने काम वासना से पागल होते अपनी जीभ को अजय के मुंह में सरका दिया और अजय मस्ती से उसकी जीभ को चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस को खोल दिया और मेनका की पीठ अन्दर ब्रा ना होने के कारण पूरी नंगी होती चली गई! मेनका के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और अजय ने जैसे ही उसकी नंगी कमर को छुआ तो मेनका मछली की तरह फुदकती हुई उसकी बांहों में पलट गई और जैसे कमरे मे आग लग गई क्योंकि मेनका के पलटते ही उसकी गोल मटोल गद्देदार पपीते के आकार की बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियां अजय के हाथ में आ गई और दोनो की आंखे एक साथ मस्ती से बंद हो गई और तभी एक एक जोरदार आवाज से दोनो की आंखे खुली तो आंखे फटी की फटी रह गई

" वाह अजय वाह तो ये हैं आपका और आपकी माता का असली चरित्र!

सामने युवराज विक्रम सिंह को देखकर दोनो मां बेटे की आंखे शर्म से झुक गई और अजय ने साड़ी को उठाकर मेनका के जिस्म पर ढक दिया और दोनो एक साथ विक्रम के पैरो में गिर पड़े और बोले:"

" हमे माफ कर दीजिए युवराज! अगर किसी को ये बात पता चली तो हम जी नही पायेंगे!

युवराज बिना कुछ बोले गुस्से से वापिस जाने लगा तो अजय उसके पैर पकड़ कर बोला:"

" हमे माफ कर दीजिए युवराज! सच में हमने न क्षमा करने वाला अपराध किया हैं! लेकिन इसमें सिर्फ मेरी गलती हैं मेरी माता निर्दोष हैं!

युवराज गुस्से से:" मैने आपको पूरे राज्य और महल की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी और आप वो सब भूलकर यहां अपनी माता के साथ राते रंगीन कर रहे हो!

अजय की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोला:" मुझसे अपराध हुआ हैं युवराज! आप चाहे तो सजा दीजिए मुझे स्वीकार होगी!

युवराज दोनो के आंसुओं को देखकर हलका सा पिघला और बोला:" आपकी इस लापरवाही की वजह से राजमाता नही मिल रही है! शायद उन्हें कोई उसके कक्ष से उठाके ले गया हैं!

अजय एक झटके के साथ खड़ा हुआ और बोला:" ऐसा न कहे युवराज! जिसने भी ऐसी हरकत करी है उसकी गर्दन उसके सिर से उड़ा दूंगा मैं!

युवराज:" नही अजय! मुझे अब तुम्हारी कोई जरूरत नहीं! मेरी लड़ाई मुझे खुद लड़नी पड़ेगी!

मेनका पहली बार हिम्मत करके बोली:" युवराज आप हमे हमारे कर्मो की जो चाहे सजा देना लेकिन अजय को उसका कर्तव्य निभाने से मत रोकिए! इतना कहकर मेनका ने उसके सामने हाथ जोड़ दिए और मेनका को युवराज ने ध्यान से देखा तो विषम परिस्थितियों में भी मन ही मन उसके सजे धजे रूप सौंदर्य की प्रशंसा किए बिना न रह सका और बोला:"

" ठीक हैं आपके परिवार के बलिदान और त्याग को देखते हुए अजय को ये मौका देता हू लेकिन ये मत समझना कि मैने आप दोनो को माफ कर दिया है!

इतना कहकर युवराज बाहर निकला तो अजय भी उसके साथ साथ निकल गया और दोनो की आंखो से अब गुस्से की चिंगारिया निकल रही थी!!
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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उदयगढ़ में आपातकालीन सभा लगा हुई थी और राज्य के सभी छोटे बड़े अधिकारी मौजूद थे!

विक्रम:" राजमाता का राज्य से अचानक गायब हो जाना किसी बड़े खतरे का संकेत है! हमे किसी भी हालत में उन्हे ढूंढकर वापिस लाना ही होगा! मुख्य द्वार के पहरे पर कौन होता हैं ?

एक सिपाही आगे आता हैं और सिर झुकाकर बोला:" महाराज मैं ही था लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ तो संदेह वाला हो!

विक्रम ने उसे घूरकर देखा और जाने का इशारा किया और सभी से बोला:" जाइए और पूरा राज्य ढूंढ निकालिए! आधे घण्टे के अंदर हमे राजमाता वापिस चाहिए!

अजय सावधानी से इधर उधर देख रहा था और उसके दिमाग में एक विचार आया और सभी लोग जा रहे थे तो अजय ने धीरे से विक्रम को कहा:"

" युवराज सारे मंत्री और अधिकारी यहां हैं लेकिन शक्ति सिंह नही हैं!

अजय की बात सुनकर विक्रम ने नजर उठाकर देखा और उसे भी शक्ति सिंह कहीं नजर नहीं आया तो उसने उस सिपाही को वापिस बुलाया और पूछा:"

" कल जब तुम पहरे पर थे क्या शक्ति सिंह वहां से गया था ?

सिपाही:" हान महाराज गया था और देर रात तक भी वापिस नही लौटा था!

विक्रम:" क्या तुमने उसके बग्गी को चेक किया था?

सिपाही की नजरे शर्म से झुक गई और इधर उधर देखते हुए थूक गटकने लगा तो विक्रम ने एक थप्पड़ उसे जड़ दिया तो सिपाही चींखता हुआ दूर गिरा और उसके मुंह से खून आने लगा!

विक्रम ने अपना सिर पकड़ लिया क्योंकि वो समझ गया था कि राजमाता किसी बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गई है!अजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला:" आप फिक्र न करें युवराज सब ठीक होगा! राजमाता भी कुशलता पूर्वक वापिस आयेगी और शक्ति सिंह को उसकी गद्दारी की सजा भी मिलेगी!

विक्रम की आंखे सुलग रही थी और जबड़े भींचते चले गए और बोला:" हम शक्ति सिंह को जिंदा नही छोड़ेंगे !! जाओ सभी और ढूंढो उस गद्दार को!

सभी लोग सारे राज्य, जंगल और उसके आस पास के इलाके मे ढूंढते रहे लेकिन कोई सुराग नही मिला पाया तो किसी तरह रात कटी और अगले दिन सुबह फिर से ढूंढ मच गई लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात!

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था युवराज का दिल बैठता जा रहा था! तभी एक सैनिक दौड़ते हुए आया जिसके हाथ में एक लिफाफा था और बोला:"

" युवराज एक अजनबी घुड़सवार आपके लिए छोड़ कर भाग गया!

विक्रम ने बेताबी से उसे फाड़ा और पढ़ने लगा:"

" राजमाता हमारे कब्जे में है और और उनकी जिंदगी चाहते हो तो चुप चाप काली पहाड़ी पर बने पुराने किले पर अजय के साथ आ जाओ रात 9 बजे!

विक्रम ने गुस्से से खत को बंद किया तो अजय जो कि पत्र पढ़ चुका था कठोर लहजे में बोला:"

" आप फिक्र नहीं करे युवराज! चलने की तैयारी कीजिए! हम दोनो जी पूरी सेना पर भारी है!

दोनो ने अपने आपको हथियारों से सुसज्जित किया और उसके बाद बिना देर किए दोनो घोड़ों पर सवार होकर काली पहाड़ी की तरफ निकल गए! अजय पूरी तरह से आश्वस्त था कि वो आराम से राजमाता को बचाकर वापिस ले आयेंगे क्योंकि जब तक उसके पास वो खानदानी तलवार हैं दुनिया में को उसका कुछ बिगाड़ सकता!

करीब 9 बजे दोनो काली पहाड़ी पर पहुंच गए और देखते ही देखते दोनो की चारो से हथियार बंद सैनिकों ने घेर लिया और सामने ही राजमाता किले की दीवार पर बंधी नजर आई और नजर आया शक्ति सिंह जो कुटिल मुस्कान के साथ बोला:"

" आओ युवराज आओ! सच में आपकी मूर्खता की दाद देनी पड़ेगी जो दोनो यहां मरने के लिए चले आए!

अजय:" किसकी मौत आई है ये तो तुझे थोड़ी देर बाद पता चल ही जाएगा गद्दार! लेकिन तेरी अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई जो तू राजमाता को उठा लाया!

तभी दीवार के पीछे से जब्बार और पिंडाला निकाल आए और देखते ही देखते करीब 100 से ज्यादा पिंडारियो ने उन्हे घेर लिया और जब्बार बोला:"

"आओ युवराज और अजय तुम दोनो का मौत के मुंह में स्वागत है आज!

युवराज ने अपनी तलवार को बाहर निकाला और बोला:"

" किसकी मौत आयेगी ये तो तेरी गर्दन कटने के बाद ही तुझे समझ आएगा जब्बार!!

राजमाता सामने दीवार पर बंधी हुई थी और उसके मुंह में कपड़े ठूंसा हुआ था जिस कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी! विक्रम और अजय दोनो राजमाता की ये दुर्दशा देखकर गुस्से से दुश्मनों पर टूट पड़े और देखते ही देखते जंग का मैदान बन गई काली पहाड़ी! तलवारों के टकराने की आवाजे गूंज रही थी और मरते हुए सैनिक चींख रहे थे! लेकिन अजय मानो आज सारी दुनिया की ताकत अपने अंदर समेटे हुए था और उसकी तलवार बिजली की तरह चमक रही थी और पिंडारियो को गाजर मूली की तरह काट रही थी! ये देखकर जब्बार बौखला गया और बोला:"

" जल्दी से अपनी योजना को अंजाम दो नही तो हम सबकी लाशे पड़ी होगी यहां!

पिंडाला ने भी खतरे को महसूस किया और देखते ही देखते पिंडाला, शक्ति सिंह और जब्बार तीनों ने एक साथ विक्रम पर वार करना शुरू कर दिया और विक्रम बेहद बहादुरी से सबका मुकाबला कर रहा था! अजय ने एक नजर युवराज को देखा जो चारो तरफ से घिरा हुआ था और उसने लड़ते हुए युवराज की तरफ बढ़ना शुरू किया ! युवराज लगातार चारो तरफ से हो रहे हमलों का जवाब देते हुए थोड़ा पीछे हटता गया और जब्बार की आंखो में चमक आने लगी! अजय पूरी ताकत से अपनी तलवार चला रहा था और दुश्मनों के सिर कटकर गिर रहे थे लेकिन युवराज अभी भी उससे बहुत दूर था!

पिंडाला ने तेजी से तलवार के वार किए और विक्रम बचाव करते हुए जैसे ही पीछे हटा तो पहले से बनाए हुए गड्ढे में उसका पैर आया और जैसे ही वो लड़खड़ाया तो जब्बार के एक शक्तिशाली वार पीछे से किया और युवराज के हाथ से तलवार छूट कर गिर पड़ी और शक्ति सिंह ने बिना देर किए अगला वार किया और युवराज के कंधे से खून निकल आया! पिंडाला ने अगला वार किया और युवराज ने उसकी तलवार को पकड़ लिया और दोनो एक दूसरे से उलझ पड़े! इसी बीच अजय जो सैनिकों से घिरा हुआ था चाहकर भी कुछ मदद नही कर पा रहा था और शक्ति सिंह और जब्बार कभी युवराज के पैर पर तो कभी उसके हाथो पर वार कर रहे थे और युवराज उनकी चाल को समझ गया था कि वो क्यों उसे मार नही रहे तो वो दर्द से कराहते हुए चिल्लाया:"

" अजय अपनी तलवार मत छोड़ना, ये मुझे नही मार सकते!

लेकिन युद्ध में टकराती हुई तलवारों के शोर के आगे उसकी आवाज सब सी गई और युवराज के जिस्म से बहते खून को देखकर अजय अंधे की तरह तलवार चलाते हुए उसकी तरफ बढ़ा और अब अपने जीवन की भी कोई परवाह नही थी क्योंकि युवराज का जीवन ही उसके लिए सर्वोपरि था!

देखते ही कई घाव अजय के जिस्म पर हो गए थे लेकिन वो पीछे हटने के बजाय आगे ही बढ़ता जा रहा था और तभी शक्ति सिंह ने अपनी तलवार से पूरी फुर्ती से युवराज विक्रम की गर्दन पर वार किया और यही अजय से चूक हो गई क्योंकि उसने अपनी तलवार से निशाना बनाते हुए शक्ति सिंह के हाथ पर वार करते हुए अपनी तलवार को हवा मे फेंक दिया और तलवार शक्ति के हाथ पर लगी और उसका हाथ कटकर दूर जा गिरा और अगले ही कई सारी तलवार निहत्थे अजय पर टूट पड़ी और अजय का जिस्म कई जगह से कट गया और अजय तड़पते हुए आगे बढ़ा और पिंडारी को गले से पकड़ लिया और देखते ही देखते उस पिंडारी का दम घुटने लगा और पीछे से एक के बाद एक ताबड़तोड़ वार अजय पर होने लगे लेकिन उसकी पकड़ ढीली नही हुई और अंत में दोनो एक साथ जमीन पर गिर पड़े!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम ये सब देखकर पागल सा हो गया और एक तेज झटका हवा में खाते हुए गड्ढे से बाहर निकल कर अजय की तरफ लपका लेकिन तब तक अजय विक्रम की तरफ देखते हुए दम तोड चुका था!

अजय की मौत से विक्रम अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और विक्रम ने अब बिना खौफ के पिंडारियो पर हमला कर दिया और इसी बीच कई घाव विक्रम के जिस्म पर हुए और काफी खून बहने लगा!

पीछे से पिंडाला ने एक वार उसकी कमर पर किया और दर्द से तड़प कर युवराज जमीन पर गिर पड़ा और उसे चारो और से घेर लिया! जब्बार ने उसे एक जोरदार लात मारी और बोला:"

" आखिरकार तुम हमारे जाल ही फंस ही गए युवराज!

पिंडाला हंसते हुए बोला:" फंसता कैसे बाजी नही क्योंकि हमने इसी चाल के दम पर तो इन दोनो के पिता को खत्म किया था!

जब्बार:" बस हमें उस जादुई तलवार से खतरा था तो अजय के मरने के बाद उस उसकी की भी कहानी खत्म!

विक्रम दर्द से कराह रहा था और चारो और से उसके ऊपर लात घूंसे बरस रहे थे और विक्रम दर्द से बेहाल होकर बोला:"

" राजमाता को आजाद कर दो जब्बार, चाहे तो मेरी जान ले लो!

पिंडाला जोर जोर से हंसने लगा और बोला:" राजमाता तो कब की आजाद हो गई है युवराज लेकिन हमारी कैद से नही बल्कि जिंदगी की कैद से मुक्त हो गई है वो!

विक्रम को लगा मानो उसके जिस्म से जान निकल गई हो और उसने खड़े होने की कोशिश करी तो पिंडाला ने उसे एक जोरदार धक्का दिया और विक्रम दूर जाकर गिरा और जब्बार अपने सैनिकों से बोला:"

" खत्म कर दो इसे भी जाओ! मेरा मुंह क्या देखते हो !!

सभी सैनिक एक सात आगे बढ़े और विक्रम ने मदद के लिए उधर इधर देखा लेकिन कोई मौजूद नही था! तभी उसकी नजर एक तलवार पर पड़ी लेकिन अगले ही पल उसकी आंखो में निराशा छा गई क्योंकि ये तो अजय की वही खानदानी तलवार थी जिसे सिर्फ उसके परिवार के लोग ही उठा सकते थे और बाकी कोई उठाए तो हाथ लगाते ही मौत निश्चित थी! एक सैनिक ने विक्रम पर तलवार का वार किया और मरता क्या न करता वाली बात विक्रम पर पर लागू हुई और उसने तेजी से हाथ आगे बढाया और अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और अगले ही तलवार चली और सैनिक की गर्दन दूर जा गिरी! विक्रम को यकीन नही हो रहा था कि उसके हाथ में अजय की खानदानी तलवार हैं लेकिन ये समय यकीन करने का नही बल्कि युद्ध करने का था और वही विक्रम ने किया और देखते ही देखते सैनिकों के सिर कट कर जमीन पर गिरने लगे और काली पहाड़ी पर आतंक मच गया क्योंकि सैनिकों के पांव उखड़ने लगा! विक्रम को छूना तो दूर की बात कोई उस पर वार भी नही कर रहा था और देखते ही देखते सैनिक जान बचाकर भाग खड़े और पिंडाला, जब्बार और शक्ति सिंह हैरानी से ये सब देख रहे थे मानो उन्हे अपनी आंखो पर यकीन नही हो रहा था!

जब्बार थोड़ा घबराते हुए बोला:" भागो अगर अपनी जान बचानी हैं तो यहां से!

इतना कहकर जब्बार भाग खड़ा हुआ और उसके पीछे ही देखते देखते पिंडाला भी भाग खड़ा हुआ और शक्ति सिंह भी भागने लगा लेकिन उसकी गति घायल होने के कारण उतनी नही थी और विक्रम ने शेर की तरह उछलते हुए उसे पकड़ लिया और शक्ति सिंह विक्रम के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगने लगा

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज!

विक्रम ने शक्ति सिंह के दूसरे हाथ को भी काट दिया और उसके बाद विक्रम ने अजय और राजमाता के शव उठाए और शक्ति सिंह को घोड़े के पीछे पैरो से बांध कर खींचते हुए राज्य की तरफ बढ़ गया!

विक्रम के दिमाग में तूफान मचा हुआ था और उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे! उसने सपने में भी नही सोचा था कि अजय उसे ऐसे छोड़कर जायेगा! विक्रम उनकी सारी चाल समझ गया था और उसने अजय को समझाया भी लेकिन अजय ने उसकी जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी ये सब सोच सोच विक्रम का दिल रो रहा था और साथ ही साथ उसे एक बात और हैरान कर रही थीं कि वो अजय के परिवार की जादुई तलवार कैसे उठा सकता हैं जबकि वो परिवार तो सिर्फ उसके ही परिवार के लोग उठा सकते हैं! उनके अलावा कोई और छुए तो मौत निश्चित हैं! इन्ही सब दुविधाओ में घिरा हुआ वो उदयगढ़ की सीमा में घुस गया और थोड़ी ही देर में पूरे राज्य में राजमाता गायत्री देवी और अजय की मौत की खबर फैल गई और जनता बाहर महल के चारो तरफ इकट्ठा हो गई और सभी गायत्री देवी और अजय की मौत का शोक मानने लगे और जनता बार बार चिल्लाकर चिल्ला कर शक्ति सिंह को उसके हवाले करने की बात कर रही थी!

मेनका के जैसे ही अजय के शहीद होने की खबर मिली तो वो बेहोश हो गई और काफी कोशिश के बाद उसे होश आया तो दहाड़े मार मार कर रोने लगी और विक्रम उसे बार बार दिलाशा देता रहा लेकिन मां की ममता भला कैसे अपने आपको रोक पाती और मेनका बार बार बेहोश होती रही! अगले दिन सुबह तक ये बात आस पास के राज्य में पहुंच गई और जैसे ही सीमा और सलमा को पता चला तो दोनो रो पड़ी और जैसे तैसे करके सलमा ने सीमा को संभाला और सीमा के लिए उदयगढ़ जाने का प्रबंध किया! सलमा का भी बड़ा मन था लेकिन जब्बार के पहले और बंदिशों के चलते वो मजबूर थी लेकिन सीमा उदयगढ़ पहुंच गई थी! करीब 11 बजे के आस पास अजय और गायत्री देवी की लाश को अग्नि दी गई और अग्नि से ज्यादा लोगो की आंखे गुस्से से जल रही थी और उनमें से ही दो आंखे सीमा की भी थी जिनके आंसू अब सूख गए थे और उनमें से सुर्ख चिंगारी निकल रही थी! उसने कसम खाई कि जब तक वो अजय के हत्यारों को मौत की नींद नही सुला देगी चैन से नहीं बैठेगी!!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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राजमाता और अजय की मौत के दुख में उदयगढ़ में चूल्हे नही चढ़े और प्रजा गुस्से से भरी हुई थी और शक्ति सिंह को नगर के बीचों बीच फांसी देने की मांग कर रही थी और विक्रम ने उनकी मांग को पूरा किया और अगले ही दिन शक्ति सिंह को नगर के बीच चौराहे पर फांसी दे दी गई! शक्ति सिंह की विधवा बीवी और बच्चो ने उसका शव लेने से मना कर दिया और उसकी लाश को पहाड़ी पर से लावारिश की तरह ही फेंक दिया गया!

करीब एक हफ्ते तक राजकीय शोक चलता रहा और आखिर में उदयगढ़ के सलाहकार ने विक्रम को सलाह दी :"

" युवराज क्षमा करना लेकिन ये शोक का समय नही हैं! राजमाता और अजय की मौत का सारे राज्य की बेहद दुख हैं लेकिन हमे हर हाल में खुद को संभाल कर उनकी मौत का बदला लेना ही होगा!

विक्रम ने अपने आंसू साफ किए और बोला:" मैने तो अपना सब कुछ ही खो दिया है और मुझे अब मौत की कोई परवाह नही है! जब तक मैं राजमाता और अजय की मौत का बदला नही लूंगा चैन से नही बैठने वाला!

सलाहकार:" ठीक हैं महाराज! आप कल से राज्य सभा और मंत्री दल की बैठक में सारी योजना बनायेगें!

इतना कहकर सलाहकार चला गया और विक्रम ने अजय के घर जाने का फैसला किया ताकि वो उसकी माता मेनका को हिम्मत दे सके! विक्रम मेनका के घर पर पहुंचा तो घर का दरवाजा खुला हुआ मिला और मेनका वही पास में ही फर्श पर पड़ी हुई मिली जिसकी आंखे आंसुओं से भीगी हुई थी! विक्रम के कदमों की आहत सुनकर वो खड़ी हो गई और उसकी आंखो से आंसू बहते रहे तो विक्रम को उस पर दया आई और बोला:"

" देखिए मैं आपका दुख समझ सकता हु लेकिन आपको फख्र होना चाहिए कि आप एक वीर और बहादुर बेटे की मां हो जिस पर पूरा राज्य अभिमान कर रहा हैं!

मेनका की रुलाई फुट गई और दोनो हाथों से अपना चेहरा ढककर रोने लगी तो विक्रम ने हिम्मत करके उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और बोला:"

" एक वीर योद्धा की माता की आंखो में आंसू शोभा नही देते! हमने भी तो अपनी माता गायत्री देवी को खोया हैं लेकिन हमारी आंखों में आंसू नहीं बल्कि दिल में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही है और ये ज्वाला उसी दिन ठंडी शांत जब हम अजय की हत्या का बदला ले लेंगे! आप एक वीरांगना हैं और वीरांगना के हाथो में तलवार होती हैं आंखो में आंसू तो बिलकुल भी नहीं !

विक्रम की बात सुनकर मेनका को याद आया कि उसने भी तो अपनी मां को खो दिया है तो उसके दिल में सहानुभूति उमड़ आई और अपने आंसू साफ करते हुए बोली:" हम आपका दुख समझ सकते हैं युवराज क्योंकि आप और मैं दोनो एक जैसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं! लेकिन मुझे एक बात समझ नही आ रही है कि तलवार होने के बाद भी अजय को कैसे मार दिया गया ?

विक्रम ने लंबी आह भरी और दुखी स्वर के साथ बोला:" हम लोग एक षडयंत्र का शिकार हुए! राजमाता बचाने के लिए हम लड़े और जान बूझकर जब्बार और पिंडारियो ने मुझ पर हमला किया और पहले से ही बनाए गए गड्डे में मेरा पैरा फंसा और मेरे हाथ से तलवार गिर पड़ी तो मैं ढाल से लड़ता रहा और उनकी सारी चाल समझ गया और अजय को बताए कि तलवार अपने हाथ मे रखे लेकिन मुझे मुश्किल में जानकर अजय मेरी तरफ मुझे बचाने के लिए बढ़ा और अंत मे उसने मेरी मौत निश्चित जानकर मेरी तरफ तलवार का वार करने वाले को अपनी तलवार फेंक कर मार डाला और उसके बाद सब ने निहत्थे अजय पर वार किया और मैं लाख कोशिश करने के बाद भी उसे नही बचा सका!

इतना कहकर विक्रम की आंखो में आंसू आ गए और मेनका भी रुंधे गले के साथ बोली:"

" मेरे बेटे ने भी अपने अपने पिता की तरह अपने राज धर्म का पालन करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया!

थोड़ी देर चुप्पी छाई रही और दोनो ही अपने अपने आंसू रोकने का प्रयास करते रहे और मेरी विक्रम बोला:"

" मैने तो मान ही लिया था कि आज मेरी भी मृत्यु निश्चित हैं और मेरा शरीर जख्मी हो गया था लेकिन फिर जो हुआ वो अविश्वसनीय था!

मेनका ने उसकी तरफ देखा और बोली:" ऐसा क्या हुआ युवराज?

विक्रम:" मृत्यु को निश्चित जानकर मैने अपने पास पड़ी हुई अजय की तलवार को हाथ में उठा लिया और सब दुश्मनों पर टूट पड़ा!

मेनका का मुंह खुला का खुला रह गया और उसकी आंखे आश्चर्य से फैल गई और बोली:" असंभव, ऐसा होना नामुकिन हैं क्योंकि हाथ लगाते ही मौत निश्चित है!

विक्रम ने अपने हाथ को अपनी कमर के पीछे किया और अब उसके हाथ में वही अजय की जादुई तलवार थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" ये देखिए आप! यही वो आपकी तलवार हैं और मुझे खुद यकीन नही हो रहा है कि मैं इसे कैसे उठा सकता हूं ?

मेनका ने उसकी हाथ में थमी हुई तलवार को देखा और उसकी आंखो में सारी दुनिया का आश्चर्य था और ध्यान से तलवार को देखती हुई बोली:"

" सचमुच ये तो हमारी ही तलवार हैं लेकिन आपके हाथ मे कैसे आ सकती हैं मुझे खुद समझ नही आ रहा है!

विक्रम ने तलवार को चूम लिया और बोला:" आज इसी तलवार की वजह से मैं जिंदा हु क्योंकि अगर ये तलवार नही होती तो मेरी मृत्यु निश्चित थी!

" ईश्वर का धन्यवाद जो आप जिंदा है नही तो प्रजा बेचारी अनाथ हो जाती! ईश्वर आपको हमेशा खुश रखे!

मेनका के स्वर में अब थोड़ी बैचैनी आ गई थी और उसे पता नही क्यों विक्रम बिलकुल अपने जैसा ही लग रहा था और उसके दिल से उसके लिए करोड़ों दुआएं निकल रही थी!

विक्रम:" आप अपना ध्यान रखिए और किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बताएगा!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप अपना सिर हिला दिया तो विक्रम बोला:"

" अच्छा ये अपनी अमानत आप रख लीजिए!

इतना कहकर विक्रम ने तलवार को मेनका की तरफ बढ़ाया तो मेनका ने तलवार को हाथ में लिया और फिर से उसे वापिस विक्रम को देती हुई हुई:"

" आज से आप ही इसके वारिस हैं युवराज! आपका कर्तव्य होगा कि आप पूरे राज्य और नागरिकों की रक्षा करे!

इतना कहकर पता नहीं किस भवावेश में आकर मेनका ने विक्रम का माथा चूम लिया और विक्रम ने तलवार को हाथ में लिया और बोला:"

" आपकी सौगंध खाता हु बहुत जल्दी ही जब्बार और पिंडाला की लाशे आपके कदमों में पड़ी हुई मिलेगी या फिर मेरी लाश!

विक्रम की बात सुनकर मेनका का दिल भर आया और उसके होंठो पर हाथ रखकर बोली:

" ऐसे अशुभ बाते मुंह से नही निकालते युवराज! ईश्वर आपको मेरी भी उम्र प्रदान करे!

विक्रम के दिल में भी मेनका के लिए हमदर्दी आ गई थी और बोला:" अच्छा मैं अब चलता हु मुझे कुछ दूसरे काम भी पूरे करने हैं! मैं बीच बीच में आता रहूंगा! किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप निसंकोच मुझे कहिएगा!

इतना कहकर विक्रम चला गया और मेनका उसे जाते हुए देखती रही! मेनका को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि विक्रम उनकी तलवार को कैसे उठा सकता था! क्या ये कोई करिश्मा है या कुछ ऐसी घटना जो उससे छुपाई गई हो! मेनका ने सोच लिया था कि वो जरूर इस सच्चाई का पता लगाकर रहेगी!

दूसरी तरफ मेनका से मिलने के बाद विक्रम सुलतान के हाल चाल पूछने उनके पास गया और जैसे ही अजय और राजमाता की मौत की खबर मिली तो उन्हे बेहक अफसोस हुआ और बोले:"

" ये सब शायद मेरी वजह से हुआ है विक्रम! ना आप मुझे बचाकर लाते और ना ही वो आपसे बदला लेने के लिए ऐसा करते!

विक्रम ने सुलतान का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" आप इसके खुद को दोष मत दीजिए! ईश्वर की इच्छा के आगे किसी की नही चलती! एक पूरी खबर है कि पूरी तरह से सुल्तानपुर पर जब्बार का कब्जा हो गया है!

सुलतान थोड़ा चिंतित दिखाए दिए और बोले:" जब्बार को तो मैं ऐसी मौत मारूंगा कि उसकी रूह भी कांप उठेगी बस एक बार मैं पूरी तरह से ठीक हो जाऊ!

विक्रम की आंखे हो गई और गुस्से से बोला:" आप मुझे वचन दीजिए कि आप जब्बार को नही मारेंगे! वो अब मेरा शिकार हैं !

सुलतान ने सहमति में सिर हिलाया और बोला:" सल्तनत मे अभी भी मेरे कई सारे वफादार है और मेरे जिंदा होने की खबर से ही सारी प्रजा मेरे साथ आ जायेगी! किसी तरह हम सलीम को सही दिशा में लाना होगा!

विक्रम: आप फिक्र मत कीजिए! मैं जल्दी ही खुद सुल्तानपुर जाऊंगा और एक फिर हालात का अच्छे से जायजा लूंगा और आपको सब बाते बताऊंगा! तब तक आप आराम कीजिए और अपना ख्याल रखिएगा! मैं फिर से आऊंगा!

इतना कहकर विक्रम बाहर निकल आया और वैद्य जी से मिला और बोला:"

" वैद्य जी सुलतान आपके घर में हैं ये बात आप और मैं जानते हैं! किसी तीसरे आदमी को पता चला तो आप इसका परिणाम खुद सोच लेना!

वैद्य:" आप निश्चित रहे युवराज! मरने के बाद भी मेरी जुबान बंद ही रहेगी!

विक्रम ने वैद्य का कंधा थपथपाया और फिर बाहर निकल गया और महल में पहुंच कर देखा कि कबूतर शहजादी सलमा का खत लिए हुए था और युवराज ने उसे पढ़ा"

" मेरे प्रियतम विक्रम"

अजय और राजमाता की मौत ने मुझे बुरी तरह से अंदर से झकझोर दिया है और मैं अंदाजा लगा सकती हू कि आप पर इस समय क्या बीत रही होगी! यहां सुल्तानपुर में भी हालत बेहद खराब हैं और जब्बार ने पूरी तरह से मेरे और अम्मी के बाहर निकलने पर रोक लगा दी है तो मैं चाह कर भी आपसे नही मिल पा रही हूं! आप इस मुश्किल समय में खुद को संभालिए! मेरे अब्बा सुलतान का भी ख्याल रखिएगा!

मैं कल से रोज रात में 12 बजे गुप्त द्वार के अंतिम छोर पर 5 मिनट आपकी प्रतीक्षा किया करूंगी! आशा है आप जल्दी ही मौका देखकर मुझसे मिलने आयेंगे!

" आपकी शहजादी सलमा"

खत पढ़कर विक्रम को एहसास हुआ कि पिछले कुछ दिनो में वो शहजादी को तो पूरी तरह से भूल ही गया था! विक्रम ने मन ही मन फैसला किया कि वो जल्दी ही अच्छा देखकर एक बार सुलतानपुर जायेगा!


वहीं दूसरी तरफ पिंडाला और जब्बार दोनो बैठे हुए थे और जब्बार बोला:"

" हमारी सारी बनी बनाई योजना पर पानी फिर गया! साला एक बात समझ नही आई कि अजय के परिवार की तलवार विक्रम ने कैसे उठा ली?

पिंडाला उसे घूरते हुए बोला:" तुम चुप ही रहो! सब तुम्हारी योजना थी और मेरे कई आदमी मारे गए उसका क्या!

जब्बार:" मुझे भी बेहद अफसोस हैं और सबसे बड़ी बात हमारा सबसे बड़ा मोहरा शक्ति सिंह भी मारा गया!

पिंडाला:" उसकी मौत तो वैसे भी निश्चित थी क्योंकि वो बच भी जाता तो मेरे हाथ मारा जाता क्योंकि गद्दार कभी विश्वास के लायक नही होते!

जब्बार:" ये बात भी ठीक है क्योंकि हमने उसे राजा बनाने का सिर्फ लालच दिया था कोई सच में थोड़े ही बनाने वाले थे! लेकिन मुझे वही बात हैरान कर रही है कि विक्रम ने तलवार कैसे उठा ली नही तो उस दिन ही सब काम एक साथ खत्म हो जाते!

पिंडाला:" अबे सीधी सी बात है कि जरूर उसका अजय के परिवार से कोई रिश्ता रहा होगा! ये बात अगर सच है तो खतरा निश्चित रूप से बड़ा रूप लेगा!

जब्बार:" मैं भी वही सोच रहा हूं और जल्दी ही हमे इससे मुक्ति पानी होगी क्योंकि सुलतान कभी भी सामने आ सकता है और उसे देखकर प्रजा बगावत कर सकती हैं जो हमारे लिए ठीक नहीं होगा!


पिंडाला:" चल वो सब बाद में देखेंगे! रात के लिए लड़की का इंतजाम कब तक होगा! मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है!

जब्बार:" सैनिक गए हुए हैं और आने ही वाले होंगे!

दोनो की बाते चलती रही और करीब 15 मिनट बाद पिंडाला के कमरे में एक लड़की को भेज दिया और पिंडाला ने बड़ी बेदर्दी से उसे पूरी रात जानवर की तरह रौंदा और बेचारी मासूम लड़की ने तड़प तड़प कर दम तोड दिया!
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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