सीमा अजय की हत्या के बाद बेहद टूट गई थी और किसी भी तरह से वो उसकी मौत का बदला लेना चाहती थीं! राधिका उसकी छोटी बहन ने उसकी इस हालत पर जरा भी ध्यान नहीं दिया तो उसे बेहद बुरा लगा! वहीं राधिका का महंगे वस्त्र और आभूषण पहनना भी उसे अखर रहा था और उसे लग रहा था कि कहीं न कहीं जरूर उसकी बहन कुछ तो अमर्यादित कर्म कर रही है और परिवार की इज्जत के लिए मुझे इस पर ध्यान देना ही होगा! राधिका के हाव भाव और उसका घर में चोरी छिपे घुसना सीमा को अखर रहा था और उसने राधिका को अपने निशाने पर लिया और जैसे ही राधिका घर से बाहर निकल गई तो सीमा ने उसके कमरे में जाने का फैसला किया और सीमा उसके कमरे में घुस गई और देखने लगी कि उसके कमरे का तो नक्शा ही बदल हुआ था! कमरे में परदे के पीछे छुपी हुई काफी महंगी वस्तुएं, वस्त्र और आभूषण देखकर सीमा को हैरानी हुई और उसने राधिका की एक अलमारी को खोला तो उसमें से सुल्तानपुर के शाही परिवार के वस्त्र दिखाई दिए जो राधिका के हाथ कैसे लगे उसे समझ नही आ रहा था!
सीमा ने अलमारी को नीचे से खोला तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि ये तो विक्रम की अंगूठी थी और ये राधिका के पास कैसे आई उसे समझ नही आ रहा था!
जरूर राधिका ने इसे मेरे कमरे से चुरा लिया होगा ऐसा सोचकर सीमा ने खुद को तसल्ली दी और अपने कमरे में आ गई लेकिन अब राधिका उसके निशाने पर आ गई थी!
सीमा थोड़ी देर बाद सलमा से मिलने गई और बोली
" राधिका के पास शाही वस्त्र कहां से आए ये मेरे समझ में नही आ रहा है!
सलमा:" बीच में कुछ दिन वो मेरे आई थी काम के लिए तो गलती से ले गई होगी!
सीमा:" नही शहजादी ! सिर्फ आपके ही वस्त्र होते तो और बात थी! लेकिन उसके कमरे में तो और भी कई रंगीन और महंगे वस्त्र होने के साथ साथ कीमती आभूषण भी थे!
सलमा:" इसका मतलब साफ है कि या तो सीमा चोरी कर रही है और फिर किसी से उसके संबंध है जो उसे ये सब चीज दे रहा है!
सीमा:" बिलकुल सही आपने लेकिन जहां तक मैं उसे जानती हु वो चोरी नही कर सकती! फिर सवाल ये हैं कि आखिर कौन उसे इतने कीमती गहने और वस्त्र दे रहा है और क्यों ? सबसे बड़ी बात उसके पास युवराज विक्रम की अंगूठी कैसे आई ये समझ से बाहर हैं!
सलमा:" एक ही रास्ता है कि थोड़े दिन उस नजर रखो सब कुछ अपने आप साफ हो जाएगा!
सीमा:" हान मैंने भी यही सोचा हैं ताकि सच्चाई का पता किया जा सके कि आखिर कौन हैं उसके पीछे !
सलमा:" बिलकुल हमे जानना चाहिए क्योंकि आने वाले दिनों में आर पार की लड़ाई होने जा रही है तो हमे एक बात का ध्यान रखना ही पड़ेगा!
उसके बाद सीमा चली गई और सीमा के जाने के बाद रजिया और सलमा दोनो बैठी हुई थी और रजिया बोली:"
" सलमा हमे सबसे पहले राज वफादारों को एक साथ इकट्ठा करना होगा ताकि युद्ध में वो हमे अंदर से सहायता दे सके!
सलमा:" वही मैं भी सोच रही अम्मी क्योंकि वफादारों और गद्दारों की पहचान करना बेहद जरूरी है युद्ध से पहले ताकि हमें अपनी शक्ति का एहसास हो सके!
रजिया:" बेटा मेरी बात मानकर तूने जो विक्रम को अपने प्रेम जाल में फंसाया हैं उसका फायदा हमे आने वाले युद्ध में मिलेगा और हम उसके बलबूते अपना राज्य फिर से वापिस कर लेंगे!
सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कान आ गई और बोली:"
" मैं कोई भी चाल गलत नही चलती! लेकिन हमारे अब्बू सुलतान में उसको महल के उन गुप्त रास्तों के बारे मे बता दिया है जो हम भी नहीं जानते थे और ऐसा न हो कि आगे चलकर वो इनका फायदा उठा ले!
रजिया:" चिंता मत करो बेटी! एक बार जब्बार खत्म हो फिर तो सारे रास्ते ही बंद कर दिए जाएंगे!
सलमा:" हान ये भी ठीक रहेगा फिर हमे कोई खतरा नहीं होगा! मैं भी शस्त्र अभ्यास शुरू कर देती हु ताकि जरूरत पड़ने पर युद्ध में उतर सकू!
रजिया:" ठीक हैं मैं अहमद शाह को बोलकर सब व्यवस्था करा दूंगी! अच्छा अब मैं चलती हु मुझे कुछ काम होगा!
इतना कहकर रजिया चली गई तो सलमा अपनी योजना बनाने लगी! सलमा जानती थी कि कुछ भी करके सलीम को रास्ते पर लाना ही होगा ताकि वो भी युद्ध में हिस्सा ले सके और इसके लिए उसका एक बार सुलतान से मिलना जरूरी था ताकि उसे जब्बार की सच्चाई पता चल सके तो सलमा सलीम के कक्ष में गई तो देखा कि वो मदिरा का सेवन किए हुआ था और मात्र एक चादर आपने जिस्म पर लपेट कर बिस्तर में उल्टा पड़े हुए बेड में धक्के लगा रहा था मानो चुदाई कर रहा हो तो सलमा उसकी हालत देखकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"
" कैसे हो मेरे प्यारे भाई जान आप ?
सलीम ने जैसे ही सलमा की आवाज सुनी तो वो डर के मारे एक झटके से पलट गया और चादर उसके जिस्म से हट गई जिससे सलीम नंगा हो गया और सलमा ने उसके लंड को देखने के बाद अपना मुंह फेर लिया और बोली:"
" हाय भाई आपको शर्म नही आती क्या ऐसे ?
सलीम का लंड एक अच्छे आकार का लंड था जो सामान्य लंड के मुकाबले थोड़ा बड़ा जरूर था लेकिन विक्रम के लंड के मुकाबले कुछ भी नही था ऐसा सलमा ने महसूस किया और सलीम सलमा को अपने सामने पाकर हैरान हो गया और चादर ठीक करते हुए बोला:"
" माफ कीजिए हमे उम्मीद थी कि हमारे कक्ष में कोई नही आयेगा बस इसलिए गलती हो गई हमसे! आप चाहे तो पलट सकती हैं क्योंकि हमने अपने कपड़े ठीक कर लिए हैं!
सलमा धीरे से पलट गई और बोली:" अब हमे समझा आ रहा है कि आप इतने कमजोर क्यो होते जा रहे हो क्योंकि बंद कमरे में अकेले इतनी मेहनत जो कर रहे हो भाई जान!
पहले से ही शराब के नशे में चूर सलीम को सलमा की बात बेहद बुरी लगी और बोला:"
" अकेले नही हो क्या आपके साथ मेहनत करू मेरी प्यारी आपी ?
सलमा उसकी बात सुनकर गुस्सा हो गई और बोली:" मर्यादा के दायरे में बात कीजिए हमसे! हम आपकी सही बड़ी बहन हैं!
सलीम भी गुस्सा हो गया और बोला:" ये तो आपको मेरे मजाक बनाने से पहले सोचना चाहिए था अब खुद की बारी आई तो मर्यादा बीच में आ गई?
सलमा:" तुमसे बहस करने के लिए नही हु! मेरा बोलने का मतलब था कि अम्मी को बोलकर आपकी शादी कारा देनी चाहिए ताकि आप अपनी बीवी के साथ मिलकर मेहनत कर सको!
सलीम ने सामना को गुस्से से देखा और बोला:" अपने काम से मतलब रखो , जिस काम के लिए आई हो वो बोलो आप !
सलमा:" हम आपको कुछ दिखाना चाहते हैं लेकिन उसके लिए आपको हमारे साथ चलना होगा कहीं बाहर!
सलीम:" आज तो मेरे पास समय नहीं है! कल हम जरूर चलेंगे!
सलमा:" सोच लो ऐसा कुछ है कि होश उड़ जायेंगे!
सलीम ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" क्या खबूसूरत लड़की दिखाने वाली हो क्या शादी के लिए ?
सलमा जानती थी कि सलीम लड़की के चक्कर में आसानी से उसके साथ चल देगा तो मुस्कुरा कर बोली:" वो तो देखने के बाद ही आपको पता चलेगा लेकिन अगर खुश ना हुए तो मेरे नाम सलमा नही !
सलीम:" ठीक हैं फिर! बताओ किस समय चलना होगा मैं चलने का प्रबंध कर देता हूं!
सलमा:" उसकी चिन्ता मत करो! हम बिना किसी को बताए चुपचाप जायेंगे! हम सब कुछ तैयारी कर ली हैं!
सलीम:" ठीक हैं फिर! किस समय चलना होगा?
सलमा:" रात के खाने के बाद हम दोनो साथ चलेंगे और आपको एक दूसरा रहस्य भी बताएंगे महल का हम! लेकिन ध्यान रहे कि हम दोनो कहीं जा रहे हैं ये बात किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए अन्यथा परिणाम बेहद जानलेवा साबित हो सकते हैं!
सलीम:" ये एक शहजादे का वादा हैं सलमा! हम इस बात को राज ही रखेंगे! आखिर हम भी तो जाने कि आखिर महल में ऐसा कौन सा रहस्य है जो हमे नही पता है!
उसके बाद सलमा अपने कक्ष में आ गई और विश्राम करने लगी! वहीं दूसरी तरफ राज कार्यों से मुक्त होने के बाद विक्रम बाजार की तरफ निकल गया और अपना भेष बदलकर उसने मेनका के लिए कुछ रंगीन वस्त्र और सच्चे मोतियों से बनी हुई एक नथ खरीदी जो बेहद कीमती और आकर्षक थी!
रात को खाने पर सलमा विक्रम और मेनका ने साथ में खाना खाया और दोनो ही बेहद खुश लग रहे थे!
मेनका:" महाराज ये बिंदिया भोजन बाद स्वादिष्ट तैयार करती हैं! मुझे लगता हैं कि हमे इसके वेतन मे बढ़ावा करना चाहिए!
विक्रम:" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता! आखिर महल के अंदर भोजन और वस्त्र के साथ आभूषण ये सब की देखभाल आपका कर्तव्य हैं!
बिंदिया:" राजमाता आपके आने से महल में खुशियां आ गई है, महाराज फिर से मुस्कुरा उठे हैं और जीना सीख गए हैं बस यही मेरे लिए बहुत हैं!
मेनका:" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे! आज से आपका वेतन दोगुना हो गया है और सिर्फ आपका ही नही बल्कि रसोई में काम करने वाले सभी लोगो का भी !
बिंदिया ने राजमाता के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" राजमाता की जय हो!
सभी रसोई के कर्मचारी जोर से बोले:" जय हो जय हो!
मेनका मुस्कुराते हुए उन्हे शांत होने का इशारा कर रही थी तो धीरे धीरे वो लोग शांत हुए और खाना खाने के बाद विक्रम भी मेनका के साथ ही चल पड़ा तो मेनका बोली:
" आजकल महल में कुछ काम नही हैं जो क्या मेरे आगे पीछे घूमते रहते हो पुत्र!
विक्रम:" काम तो बहुत हैं माता लेकिन आपका साथ मुझे बेहद अच्छा लगता हैं!
मेनका हल्की सी हंसती हुई बोली:" मेरे चक्कर में अपनी प्रजा और आपके कर्तव्य को मत भूलना महराज,!
विक्रम:" आपकी खुशी का ध्यान रखना और आपकी हर इच्छा पूरी करना भी तो महाराज होने के नाते हमारा कर्तव्य हैं! वैसे हम आपके लिए कुछ लेकर आए थे आज दिन में !
मेनका जानती थी कि विक्रम उसके लिए क्या लेकर आया हैं और बोली:" हम जानती है पुत्र कि आप हमारा लिए क्या लेकर आए है लेकिन हमे रंगीन वस्त्रों में अब कोई रुचि नहीं हैं!
विक्रम जानता था कि मेनका उससे मजाक कर रही है तो सोचते हुए बोला:"
" ठीक हैं फिर मैं एक काम करता हु किसी को दान में दे दूंगा
मेनका का दिल उत्तर गया ये बात सुनकर और जल्दी से बोली:" जब आप ले ही आए हैं तो अब रख दीजिए! लेकिन हम पहनने वाले नही हैं!
चलते चलते दोनो मेनका के कक्ष के सामने आ गए थे और विक्रम बोला:" हमने पहले ही आपके शयन कक्ष मे रख दिए हैं माता क्योंकि हम जानते हैं कि आप चाहकर भी खुद को रोक नहीं पायेगी!
मेनका ने उसकी बात सुनकर उसे आंखे दिखाई और बोली:"
" इतने ज्यादा भी कमजोर नही है हम कि अपने ऊपर काबू न रख सके पुत्र!
बाहर अंधेरा फैल गया था और मशालो की रोशनी में महल जगमगा रहा था! विक्रम ने अपनी जेब में हाथ डाला और सच्चे मोतियों वाली नथ निकाली और मेनका को दिखाते हुए बोला:
" ये देखिए राजमाता ये कैसी लग रही है! हमने किसी के लिए कुछ खरीदा है आज!
मेनका ने नथ को देखा और देखते ही मचल कर बोली:"
" सच में पुत्र ये तो बेहद खूबसूरत और कीमती लग रही है! एक बार हमे छूकर देखने दीजिए ना!
विक्रम ने अपनी हथेली में नथ को बंद कर लिया और बोले:"
" आपने देख तो लिया न राजमाता! वैसे भी ये किसी और के लिए हैं!
मेनका उसकी तरफ बढ़ी और उसका हाथ खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"
" हमे और मत सताइए पुत्र! हमे छूकर देखने दीजिए ना!
विक्रम जानता था कि जिस जगह को खड़े हैं वहां किसी की भी नजर पड़ सकती है इसलिए थोड़ा पीछे हटकर दीवार की तरफ हो गया और मेनका को छेड़ते हुए कहा:"
" जिद मत कीजिए माता! देखने के बाद आप फिर पहनने के लिए जिद करोगी!
मेनका समझ गई कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है और उसकी मुट्ठी खोलने की कोशिश करते हुए बोली:"
" हान हम पहन भी सकते हैं क्योंकि राजमाता होने के नाते हमें अधिकार हैं पुत्र!
विक्रम ने मेनका को कंधे से पकड़ लिया और बोला:"
" लेकिन ये हम किसी और के लिए लाए हैं राजमाता! इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है!
मेनका जानती थी कि विक्रम उसे जान बूझकर परेशान कर रहा है तो उसने उसकी मुट्ठी छोड़कर अपने हाथो हाथ विक्रम के गले में डाल दिए और उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम को कक्ष से बाहर मेनका से ऐसी उम्मीद नहीं थी और विक्रम ने ध्यान से उधर उधर देखा और वो भी मेनका के होंठो को चूसने लगा! जैसे ही विक्रम के उसके होंठो को चूसना शुरु किया तो मेनका ने मस्त होते हुए अपने मुंह को खोल दिया और विक्रम की जीभ उसके मुंह में घुस गई और जैसे ही मेनका की लसलसी रसीली जीभ विक्रम की जीभ से टकराई तो विक्रम ने दोनो हाथों से मेनका को कस लिया और यहीं विक्रम से चूक हो गई क्यूंकि दोनो हाथों के खुलते ही नथ नीचे गिर पड़ी और मेनका एक झटके के साथ उसकी बांहों से निकली और नथ को उठाकर अपने कक्ष में घुस गई तो विक्रम को जैसे होश आया और बोला:"
" ये तो धोखा हुआ माता! वो नथ हमे वापिस दीजिए!
मेनका अपनी जीत पर खुश होते हुए बोली:" हम जानते थे कि आप हमारे लिए लाए हैं! आपने प्यार से नही दिया तो हमने अपने तरीके से हासिल किया!
विक्रम उसके कक्ष की तरफ बढ़ा तो मेनका ने दरवाजा बंद कर दिया तो विक्रम बोला:"
" हमे पहन कर दिखाए न राजमाता! हम देखना चाहते हैं कि मेरी माता इसमें कितनी प्यारी लगेगी?
मेनका:" सपने मत देखो पुत्र! आपने प्यार से दिया होता तो जरूर दिखाते! अब तो हमारी मर्जी है हम दिखाए या नहीं!
विक्रम:" हम जानते है कि आप जरूरी हमे दिखायेगी! मेरी एक विनती है राजमाता! रात में रंगीन वस्त्र धारण करना और अपना दरवाजा बंद मत करना! हम आपके आपकी नथ देखने के लिए आधी आज रात आपके शयन कक्ष में माता!
मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और तन बदन में सिरहन सी दौड़ गई और बोली:"
" हम कोई रंगीन वस्त्र धारण नही करेंगे! आप आराम करना क्योंकि हमारा कक्ष आज बंद ही रहेगा पुत्र! जाओ अब अपने काम देखिए आप!
विक्रम राज्य में घूमने के लिए निकल गया और वहीं दूसरी तरफ सलमा सलीम को अपने साथ लेकर जैसी ही गुप्त रास्ते में घुसी तो सलीम की आंखे फटी की फटी रह गई और बोला:"
" आपी महल में ऐसे रहस्य भी है हमे आज पता चला है!
सलमा:" आगे इससे भी बड़े रहस्य आपको देखने के लिए मिलने वाले हैं आज!
सलमा और सलीम दोनो गुफा में चलते रहे और अंत में दोनो उदयगढ़ की सीमा में बाहर निकल आए तो सलीम बोला:"
" ये तो सुल्तानपुर की सीमा हैं शहजादी! क्या आप नही जानते कि वो शत्रु राज्य हैं! हमारे अब्बू के हत्यारे हैं वो!
सलमा:" सच्चाई वो नही होती जो हमे दिखाई जाती है बल्कि हमे कुछ सच देखना पड़ता हैं! और आज तुम अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सच देखोगे!
सलीम:" जिंदा बच गया तो जरूर देखूंगा!
सलमा और सलीम दोनो चलते हुए राज्य के अंदर घुस गए क्योंकि दोनों ने अलग रूप धारण किया हुआ था तो कोई दिक्कत नहीं हुई और सलमा वैद्य जी यहां पहुंच गई और बोली:" सलीम तुम यहीं रुको मैं अभी आती हु!
सलीम वही रुक गया और सलमा अंदर चली गई! वैद्य जी ने उसे देखा और सलमा बोली:"
" हम अपने पिता से मिलना चाहते हैं!
वैद्य :" आपको उससे पहले महराज विक्रम से आज्ञा लेनी होगी!
सलमा:" आप कैसी बाते कर रहे हैं? हम पहले भी आ चुके हैं और आप सब जानते हैं!
वैद्य;" क्षमा कीजिए शहजादी लेकिन बिना राज आज्ञा के आप नही मिल सकती है!
सलमा:" तो ठीक हैं फिर! हमारा सन्देश अपने महाराज तक पहुंचा दीजिए!
वैद्य:" ठीक हैं! तब तक आप विश्राम कीजिए मैं आपके लिए जल पान की व्यवस्था करता हु!
थोड़ी ही देर बाद विक्रम वैद्य जी के यहां आ गए तो सलमा को देखकर बेहद खुश हुए सलीम की तरफ देखते हुए बोले:"
" आप शहजादे सलीम हो ना!
सलीम ने विक्रम की तरफ देखा और बोला:" हान लेकिन आप कौन हैं अपना परिचय दीजिए!
विक्रम:" हम उदयगढ़ के महराज विक्रम सिंह हैं!
सलीम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:"
" तो आप हैं महराज विक्रम सिंह! उस वंश के आखिरी चिराग जिसने हमारे अब्बू को हमसे छीन लिया था!
सलमा:" बिना सच्चाई जाने किसी पर इल्जाम मत लगाओ सलीम! आओ हम आपको सच्चाई दिखाते हैं!
इतना कहकर सलमा उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गई और सुलतान को जिंदा देखते ही सलीम खुशी के मारे चींख उठा और बोला:"
" अब्बू आप जिंदा हैं! मेरे खुदा तेरा करिश्मा! हम ये क्या जलवा देख रहे हैं!
इतना कहकर सलीम दौड़कर अपने बाप के गले लग गया और सुलतान बोला:"
" बेटा हम जिंदा है और इसके लिए आपको महराज विक्रम का शुक्रगुजार होना चाहिए जो मौत के मुंह से अपनी जान पर खेलकर हमे बचाकर लाए हैं!
सलीम ने इज्जत और प्यार के साथ विक्रम की तरफ देखा और सलमा बोली:"
" सच्चाई सामने आ ही गई है कि कौन बचाने वाला हैं और कौन मारने वाला! अब्बू सलीम को सब कुछ बताए आप जब तक आती हु!
इतना कहकर सलमा बाहर निकल और विक्रम से बोली:"
" क्षमा कीजिए मुझे प्रियतम मैं आपकी आज्ञा के बिना सलीम को यहां लेकर आई हु ताकि वो भी सच्चाई जानकर हम लोगो का साथ दे सके!
विक्रम:" क्षमा मत मांगिए! आखिर एक पुत्र को भी अपने पिता से मिलने का अधिकार हैं!
सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा और बोली:" महाराज ये वैद्य ही हमे हमारे अब्बू से मिलने से रोक रहे थे! इन्हे आदेश दीजिए कि आगे से उदयगढ़ की होने वाली महारानी की शान में ऐसी गुस्ताखी न करें!
विक्रम ने सलमा की तरफ देखा और उसे खुशी हुई कि सलमा वैद्य जी के सामने भी अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत रखती हैं और बोले:"
" आप निश्चित रहे! आगे से वैद्य जी आपको मना नही करेंगे!
सलमा ने वैद्य जी की तरफ देखा तो उन्होंने स्वीकृति में अपनी गर्दन को हिला दिया और उसके बाद सलमा विक्रम के साथ अंदर चली गई जहां अब तक सुलतान सलीम को सब समझा चुका था और उसे समझ आ गया था कि असली दुश्मन विक्रम नही बल्कि जब्बार हैं जो सारे राज्य पर कब्जा करके बैठा हुआ है!
उसके बाद सलमा सलीम को साथ लेकर वापिस अपने राज्य की तरफ लौट पड़ी और विक्रम भी जाने लगा तो वैद्य जी बोले:"
" महराज आपकी और शहजादी की बातो से हमे समझा आ गया है कि आप दोनो एक दूसरे के प्रेम में हो और शादी करना चाहते हो!
विक्रम:" आपने बिलकुल ठीक समझा वैद्य जी!
वैद्य:" मुझे आपसे ऐसी बाते करनी तो नही चाहिए लेकिन एक वैद्य होने के नाते मेरा धर्म हैं!
इतना कहकर वैद्य जी ने विक्रम को एक शीशी दी और बोले:"
" महाराज ये वो दवाई हैं जो सदियों पुरानी दुर्लभ जड़ी बूटियों से मेरे पूर्वजों ने बनाई थी! इसके सेवन का अधिकार सिर्फ राज परिवार और हमारे परिवार को होता है! ये शरीर में ऐसी अद्भुत शक्तियां भर देती है कि हम इतने वृद्ध होने के बाद भी अपनी जवान पुत्रवधु की चींखे निकलवा देते है! ये शीशी का सेवन करने के बाद आपका जिस्म फौलाद बन जायेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि बिस्तर पर उदयगढ़ सुल्तानपुर पर बहुत भारी पड़ेगा!
विक्रम वैद्य जी की बात सुनकर मुस्कुरा दिए और बोले:"
" ये अद्भुत स्वास्थ्यवर्धक शीशी हमे देने के लिए आपका धन्यवाद! लेकिन इसके सेवन की क्या विधि हैं ?
वैद्य जी:" आप एक बार में इसे पूरी पी लीजिए और कुछ घंटों बाद ही इसका असर होगा जो मरते तक आपके शरीर में बना रहेगा महाराज!
विक्रम ने शीशी को खोला और एक ही घूंट में खाली कर दिया और उसके बाद वो अपने महल की तरफ लौट चला!
रात के करीब 12 बजने वाले थे और मेनका विक्रम का इंतजार करती रही कि वो आए और दोनो साथ में शाही बगीचे मे घूमकर आए लेकिन विक्रम का को अता पता नहीं था! मेनका जानती थी कि विक्रम जरूर किसी काम में फंस गए होंगे नही तो कभी के आ गए होते! मेनका अब अपने शयन कक्ष में लेटी हुई थी और उसने लाल रंग की एक बेहद खूबसूरत साड़ी को धारण किया हुआ था और अच्छे से मेकअप करने के बाद वो आभूषणों से सजी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी और उसकी नाक में सच्चे मोतियों की नथ उसकी सुंदरता को और बढ़ा रही थी! मेनका ने जान बूझकर अपने दरवाजे को खुला हुआ छोड़ा था ताकि विक्रम आराम से अंदर आ सके! मेनका बिलकुल किसी दुल्हन की तरह सजी हुई थी और उसके रसीले होंठ आजकल लाल रंग रंग की लिपिस्टिक से बेहद आकर्षक और रसीले लग रहे थे! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में निहार रही थी और अपनी सुन्दरता पर मनमुग्ध हुई जा रही थी! मेनका कभी अपनी गहरी गोल गोल बड़ी बड़ी काली आंखो को देखती तो कभी अपने नाजुक कांपते हुए रसीले होंठों को निहारती हुई सोच रही थी कि कैसे मेरे पुत्र के आने से पहले की कांप रहे हैं! मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई अंगड़ाइयां ले रही थी! मेनका शीशे में देखते हुए किसी दुल्हन की तरह अपने पल्लू के घूंघट को धीरे धीरे सरकाती तो अपने बिस्तर पर अपनी मदमस्त उंगलियों को फेर रही थी! मेनका ने अपने हाथ को घुमाते हुए अपने चेहरे पर टिका दिया और अपने खूबसूरत गाल उसे बेहद गर्म महसूस हुए मानो वो उसके पुत्र के लिए जले जा रहे थे और मेनका के तन बदन में खुमारी बढ़ती ही जा रही थी!
मेनका ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो पाया कि रात के करीब 12:30 हो गए थे और उसका पुत्र अभी तक नहीं आया था तो मेनका को शक हुआ कि कहीं वो गलती से दरवाजा तो बंद नहीं करके आ गई है तो बेताबी में वो बेड से उठ खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ चल पड़ी! मेनका को उसकी चाल में आज अजब की मस्ती महसूस हो रही थी और मेनका ने दरवाजे को देखा तो वो खुला हुआ ही था ! बस हल्का सा बंद दरवाजा छूते ही खुल गया और मेनका ने उधर इधर देखा लेकिन विक्रम कहीं नजर नहीं आया तो उसका दिल उदास हो गया और वो फिर से वापिस अपने शयन कक्ष में आ गई! मेनका को अब यकीन हो गया था कि कल रात का थका हुआ विक्रम गहरी नींद में होने के कारण अब नहीं आएगा और वो सीधे अलमारी में से एक बॉटल निकाल लाई जिसे कल उसने विक्रम के साथ लिया था! मेनका ने तीन चार बड़े घूंट लिए और उसके बाद शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका की साडी का पल्लू सरक गया और उसने उसने ठीक करने की जरूरत नहीं समझी और मेनका शीशे में खड़ी होकर खुद को सिर से लेकर पांव तक निहारने लगी! मेनका की नजर अपनी चुचियों पर गई जिनके बीच की गहरी लकीर साबित कर रही थी मेनका के पास बेहद खूबसूरत गोल गोल मटोल पपीते के लिए की कसी हुई सख्त चूचियां हैं और सुंदर गोरा सपाट पेट गहरी कामुक नाभि के साथ बेहद कामुक लग रहा था! मेनका पलट गई और अपनी गांड़ पर उसकी नजर पड़ी तो उसका दिल जोरो से धड़क उठा और मेनका ने सम्मोहित सा होते हुए अपने दोनो हाथों को अपनी गांड़ पर रखकर हल्का सा दबाव दिया तो उसके मुंह से आह निकल पड़ी लेकिन वो मजा नही आया जो कल विक्रम के छूने के बाद उसे महसूस हुआ था! कांपती हुई मचलती हुई मेनका के पैर जवाब देने लगे तो वो बेड की तरफ चल पड़ी और बेड के गद्दे को देखते ही मदहोश मेनका को शरारत सूझी और पूरी ताकत से वो बिस्तर पर कूद पड़ी और देखते ही देखते मेनका का जिस्म ऊपर नीचे होने लगा मानो वो चुद रही हो,! मेनका की सांसे उखड़ गई थी और उसके हाथ उसकी चूचियों तक आ गए और हल्का हल्का सहलाने लगे थे जिससे मेनका के जिस्म पर कामवासना पूरी तरह से हावी होने लगी थी! मदहोश मेनका ने एक शीशे को हाथ में लिया और एक बार फिर से खुद को निहारने लगी! कभी वो अपने गर्म पिघलते हुए गाल को छू रही थीं तो कभी अपनी मोतियों से सज्जित नथ को देखते हुए मदहोश हुई जा रही थी!
मेनका की चुचियों में तनाव आना शुरू हो गया जिससे उसके सीने में मीठा मीठा दर्द हो रहा था! चुचियों की मासपेशियों में कम्पन गर्मी इस बात का सुबूत थी कि मेनका के सिर अब उत्तेजना चढ़कर बोल रही थी! मेनका ने धीरे से अपनी साड़ी को हटा लिया और सीना आगे से पूरी तरह से खुल गया! ब्लाउस में कसी हुई उसकी चुचियों गजब ढा रही थी और मेनका ने अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए ब्लाउस को भी खोल दिया और उसकी चूचियां पूरी तरह से नंगी हो गई तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका बिस्तर पर उल्टी होकर लेट गई और अपनी चुचियों को जोर जोर से बिस्तर में रगड़ने लगी जिससे उसकी चूत में गीलापन बढ़ गया था और मेनका के बिस्तर पर हिलने से उसकी साड़ी उसकी पीठ पर से भी खुल गई और मेनका अब पूरी तरह से बिलकुल मादरजात नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई अपनी चुचियों को बिस्तर से रगड़ रही जिससे उसकी गांड़ उछल उछल पड़ रही थीं और बेहद कामुक लग रही थी!
विक्रम रात के एक बजे महल में आ गया और दवाई पीने के बाद उसके शरीर में अदभुत ताकत आ गई थी और लंड तो मानो किसी लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था! विक्रम जानता था कि मेनका रंगीन वस्त्र धारण किए हुए उसका इंतजार कर रही होगी तो वो दबे पांव इधर उधर देखते हुए गुप्त दरवाजे से सीधा मेनका के शयन कक्ष के बाहर निकला और जैसे ही उसने धीरे से दरवाजे को हल्का सा खोला तो वो बिना आवाज किए चुपचाप खुलता चला गया और धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम आगे बढ़ गया और मेनका की हल्की आवाज में गूंजती हुई मधुर आवाजे सुनकर विक्रम ने धीरे से पर्दो को हटाया और जैसे ही उसकी नजर नंगी लेटी हुई मेनका पर पड़ी तो विक्रम की आंखे फटी की फटी रह गई! मेनका की गुदाज मांसल मजबूत भरी हुई कमर और चौड़ी उभरी हुई गोल मटोल गांड़ के गोरे चिकने उभार देखकर न चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से आह निकल पड़ी और मेनका ने जैसे ही विक्रम को अपने कक्ष में देखा तो वो शर्म से पानी पानी हो गई और एक लाल वस्त्र उठाते हुए भागकर पर्दे के पीछे छिप गई और अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश करने लगी लेकिन एक छोटा सा वस्त्र नाकाफी साबित हो रहा था!
विक्रम मेनका के करीब पहुंच गया और धीरे से बोला:
" हम तो आपकी नथ देखने आए थे माता लेकिन तो आप साक्षात स्वर्ग की मेनका बनी हुई है!
मेनका उसकी बात लंबी लंबी सांसे लेते हुए खामोश खड़ी रही जबकि उसकी चुचिया उछल उछल कर अपनी बेचैनी दिखा रही थीऔर विक्रम ने जैसे ही परदे को हटाना चाहा तो मेनका ने एक हाथ से परदे को थाम लिया और मचलते हुए बोली:"
" हाय पुत्र! मत देखिए हमे!
विक्रम पर्दे को जोर से हटाने की कोशिश करते हुए बोला
" हमारी नाथ हम नही देखेंगे तो भला और कौन देखेगा! हम जानते हैं कि आपने हमे दिखाने के ही पहनी है और अपना दरवाजा भी हमारे लिए ही खुला छोड़ा था!!
मेनका जानती थी कि विक्रम उसे छोड़ने वाला नही है तो बहाने बनाते हुए परदे को कसते हुए बोली,:"
" हाय पुत्र गलती से खुला ग्रह गया होगा!
विक्रम ने एक जोरदार झटके के साथ परदे को खींचा और मेनका ने अपनी तरफ खींचा नतीजा पर्दा फट गया और मेनका अब पूरी तरह से खुलकर विक्रम के सामने आ गई और शर्म के मारे उसकी आंखे बंद हो गई और हाथ हवा में उठते चले गए!
विक्रम की आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि उसकी आंखो के आगे दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा था और विक्रम ने भरपूर नजर उसकी चुचियों पर डाली और आज उसे यकीन हो गया था कि उसकी माता की चुचियों से अच्छी दुनिया में किसी की भी चूचियां हो ही सकती! विक्रम को याद आया कि वो तो मेनका की नथ देखने आया था तो उसने एक नजर उसकी नथ पर डाली और उसकी छोटी सी सुंदर नाक में नथ बेहद आकर्षक लगी और विक्रम आगे बढ़ते हुए मेनका के बेहद करीब हो गया और उसकी नथ को चूम लिया तो मुंह बंद करके सिसक उठी! विक्रम ने उसकी नथ को उंगली से छूने के बाद उसके गर्म जलते हुए गाल को छुआ तो मेनका का बदन जल उठा और जैसे ही विक्रम की उंगलियां नीचे आती हुई उसके पिघलते हुए लाल सुर्ख होंठो से टकराई तो मेनका की चूचियां उछल पड़ी और विक्रम ने जान बूझकर उंगली को नीचे लाते हुए उसकी एक चूची पर ऊपर से नीचे तक पूरे आकार में घुमाया तो मेनका की चूत से रस टपक पड़ा और मेनका आंखे बंद किए हुए ही धीरे से बोली:"
" कैसी लगी पुत्र आपको ?
विक्रम मन ही मन मेनका की हिम्मत की दाद दे उठा और फिर से एक भरपूर नजर उसकी चुचियों पर मारते हुए बोला:"..
" कसी हुई गोल गोल गुम्बद जैसी पपीते के आकार की बिलकुल सख्त!
विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों की प्रशंसा सुनते ही मेनका की चूचियां जोर से उछल पड़ी और मेनका एक झटके के साथ पलटती ही बोली:
" निर्लज कहीं के! हम तो अपनी नथ के बारे में पूछ रहे थे! जाइए हम आपसे बात नहीं करती!
इतना कहकर मेनका पलट गई और जोर जोर से सांसे लेने लगी!
मेनका के पलटने से जैसे कयामत आ गई और शरीर एक तरफ से आधे से ज्यादा खुल जिससे जिससे उसकी चाची आधी नजर आने लगी और उसके नंगे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला:"
" अपने पुत्र के साथ आज मदिरा सेवन नही करोगी क्या माता!
मेनका ने नजरे खोलकर विक्रम को अपनी तरफ घूरते हुए पाया तो अपनी आधी चूची को पूरा ढकते हुए बोली:"
" नही पुत्र! बिलकुल नहीं क्योंकि मदिरा पीने के बाद आपको होश नहीं रहता और मैने पहले ही थोड़ा पी हुई है!
विक्रम ने उसके कंधे को सहला दिया और पीछे खड़े होकर बोला:" नथ की खुशी में मेरा साथ दीजिए ना माता!
मेनका अब इनकार नही कर सकी और मटकती बलखाती हुई अलमारी की तरफ बढ़ गई और विक्रम उसकी मटकती हुई गांड़ देखकर अपने लंड में पूरा तनाव महसूस कर रहा था! मेनका चलती हुई अलमारी के करीब पहुंच गई और बैठते हुए बॉटल और ग्लास निकालने लगी! जैसे ही मेनका आगे को झुकी तो वस्त्र उसके जिस्म पर से एक तरफ खिसक गया और मेनका की पूरी नंगी कमर विक्रम की आंखो के सामने आ गई और उसकी भरी हुई गुदाज कमर और कूल्हों की चौड़ाई और मजबूती देखकर विक्रम उसकी खूबसूरती पर झूम उठा!
मेनका आगे झुकने के लिए हल्का सा ऊपर को उठी और एक पल के लिए उसकी गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई और विक्रम के मुंह से भी आह निकल गई! विक्रम ने अच्छा मौका देखते ही अपने वस्त्रों को ढीला किया ताकि थोड़ा सा कोशिश करने पर आराम से नीचे सरक जाए ! मेनका ने बॉटल को निकाला और विक्रम की तरफ पलट आई और दोनो बेड की तरफ बढ़ गए!
बेड पर आने के बाद मेनका ने कांपते हुए हाथो से दोनो ग्लास को भरा और एक विक्रम की तरफ बढ़ा दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए एक घूंट भरा और पहले से ही मदहोश मेनका भी एक बार फिर से पीने लगी! आधा ग्लास पीने के बाद मेनका ने जैसे ही ग्लास मुंह से लगाया तो वो उसके हाथ से छूट गया और मेनका के वस्त्र को पूरी तरह से भिगोता चला गया और मेनका अब शर्म के मारे जमीन में गड़ी जा रही थी क्योंकि गीले कपड़े का होना ना होना एक बराबर हो गया था और मेनका ने शर्म के मारे बेड पर एक हाथ टिकाते हुए अपनी आंखे बंद कर ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर कर विक्रम के सामने आ गई!
विक्रम ने मेनका की चुचियों के आकार को अच्छे से देखा और उसके चुचियों के तने हुए निप्पल दर्शा रहे थे कि मेनका पूरी तरह से वासना में डूबी हुई है और विक्रम ने अपने ग्लास को एक झटके में खाली कर दिया और बोला:"
" हाय मेरी माता! आपके गोल गोल पपीते पूरी तरह से पककर पेड़ से टपकने को तैयार हैं!
पहले से ही काम वासना में डूबी हुई मेनका ने जैसे जी विक्रम के मुंह से अपनी चुचियों के लिए पपीते शब्द सुना तो उसकी चूत से रस बह चला और आंखे खोलते हुए विक्रम की आंखो में देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए बोली:"
st patrick center
" डरो मत पुत्र! इतने कमजोर नही हैं मेरे पपीते जो इतनी आसानी से गिर जाएं!
इतना कहकर मेनका ने एक जोरदार सांस लेते हुए अपनी चुचियों को उभार दिया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए उसकी तरफ बॉटल को बढ़ा दिया और उसकी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला:"
" अह्ह्ह्ह्ह मेरी माता! गिरने दीजिए ना अपने पपीते मेरे ऊपर! हाय कितने ज्यादा रसीले लग रहे हैं आपके पपीते!
मेनका ने ग्लास को भरा और विक्रम के करीब आते हुए उसके ऊपर झुक गई और अपनी चुचियों को पूरी तरह से उभारते हुए उसके होठों से ग्लास लगाते हुए बोली:"
" पपीते छोड़िए ना महाराज! लीजिए आपकी माता के हाथो से मदिरा का सेवन कीजिए पुत्र!
विक्रम ने एक जोरदार घूंट भरी और मेनका की आंखो में देखा जो पूरी तरह से उसके ऊपर झुकी थी अपनी चुचियों से उसे रिझाती हुई उसकी आंखो में देख रही थी! चुचियों के तने हुए निप्पल कपड़े में से उभर आए थे और विक्रम बोला
:" उफ्फ मेरी मेनका ! ऐसे मस्त पपीते एक बार पकड़ने के बाद कोई क्यों छोड़ेगा!
मेनका की चूचियां विक्रम के हाथो में जाने के लिए मचल उठी! मेनका ने विक्रम की आंखो में देखते हुए जान बूझकर अपने हाथ को फिसला दिया!मेनका फिसल कर विक्रम की छाती पर गिर पड़ी और उसकी चूचियां विक्रम के सीने से टकरा गई तो मेनका मस्ती से कराह उठी
" अह्ह्ह्ह्ह क्षमा कीजिए मुझे हमारा हाथ फिसल गया था! आपके कपड़े गीले हो गए!
दारू का ग्लास विक्रम के उपर गिर पड़ा था तो उसने मौके का फायदा उठाते हुए अपने उपरी वस्त्रो को उतार फैंका और बोला:"
" हाय मेरी माता! गिरने ना आप बार बार गिरिए ना! आपके पपीते भींच तो नही गए ना ?
कामुक मेनका विक्रम की चौड़ी छाती देखकर उसके छूने का लालच कर बैठी और फिर से उसके ऊपर आई और उसके छाती पर एक हाथ टिकाते हुए कान खींचती हुई बोली:"
" बड़े बदमाश हो गए हो पुत्र आप!
विक्रम ने जवाब में उसकी नथ को चूम लिया तो मेनका जैसे ही उसकी छाती सहला कर उपर हुई तो उसके वस्त्र का एक हिस्सा विक्रम के नीचे दब गया और मेनका की एक चूची आधी से ज्यादा निप्पल सहित बाहर निकल आई और विक्रम ने पहली बार मेनका की नग्न चूची को देखा और मेनका के कंधे को सहलाते हुए कान में बोला:
" माता आपके पपीते बाहर आने को बेताब हो रहे हैं!
मेनका ने अपनी चूची की तरफ देखा तो उसकी चूत में चिंगारी ही उठ गई और उसने वस्त्र को एक तरफ खींच कर चूची को ढका तो उसकी दूसरी नंगी हो गई! मेनका का कपड़ा छोटा पड़ रहा था! एक चूची को ढकती तो दूसरी बाहर निकल पड़ती
विक्रम मेनका की आधी नंगी चूचियों को देखकर को देखकर होश खो बैठा और उसके करीब होते हुए उसने आंखे बंद किए हुए कांप रही मेनका के वासनामय खूबसूरत चेहरे को देखा तो उसे मेनका के कांपते लरजते हुए रसीले होंठ दिखाई दिए और विक्रम ने आगे झुककर मेनका के कंधे को पकड़ते हुए एक बार फिर से उसकी नथ को चूम लिया और बोला:"
" मेनका मेरी माता आपकी नथ मुझे बहका रही है! उफ्फ देखो ना कैसे आपके रसीले होंठो को छू रही है !!
मेनका की सांसे पूरी से उखड़ गई थी और चूचियां उछल उछल पड़ रही थी जिससे मेनका का अंतिम वस्त्र जोर जोर से हिल रहा था और जैसे ही विक्रम के मेनका की नथ को चूमते हुए उसके होंठो को अपने होंठो से हल्का सा छुआ तो मेनका का पूरा बदन जोर से कांप उठा और वस्त्र मेनका की छाती के बीच में आ गया और उसकी दोनो चूचियां एक साथ पूरी नंगी हो गई जिसका आंखे बंद किए हुए मचल रही मेनका को जरा भी अंदाजा नही था!
विक्रम ने मेनका की कसी हुई चुचियों को जी भरकर देखा और एहसास हुआ कि मेनका की चूचियां एक दम सख्त और कसी हुई है! आकार में इतनी बड़ी होने के बावजूद किसी पर्वत की चोटी की तरह उठी हुई और चुचियों के शिखर पर विराजमान चुचक अपनी अलग ही छटा बिखेर रहे थे! मेनका की तेज तेज सांसों के साथ उसकी उछलती हुई चुचियां विक्रम को अपनी तरफ उकसा रही थी और विक्रम का सब्र टूट गया और उसने मेनका के उपर आते हुए उसकी नथ को फिर से एक बार चूम लिया और अपनी मजबूत शक्तिशाली चौड़ी छाती को मेनका की नंगी चूचियों से रगड़ दिया तो मेनका मस्ती से सिसक उठी! मेनका को अपनी नंगी चुचियों का एहसास हुआ और विक्रम को एक जोरदार धक्का देते हुए कामुक तरीके से उसकी आंखो मे देखते हुए अपनी चुचियों को हाथ से ढक लिया !!
विक्रम से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और और उसने आगे बढ़ कर मेनका के दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर से हटा दिया और उसके गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"
" जब आपके पपीते खुद ही बाहर आ रहे हैं तो उन्हें ढकना कैसा माता!
मेनका को एक झटके के साथ बेड पर गिरा दिया और उसके उपर चढ़ते हुए अपने हाथों में उसकी दोनो चूचियों को भर लिया तो मेनका जोर से सिसकते हुए बोली
" अह्ह्ह्ह पुत्र! ये क्या अनर्थ करते हो हम आपकी माता हैं!
विक्रम ने जोर से उसकी चुचियों को दबाया तो मेनका ने मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम उसके गाल चूमते हुए बोला:"
"वही जो आप चाहती हो मेरी कामुक माता मेनका!
मेनका को विक्रम का खड़ा लंड अपनी चूत पर महसूस हुआ तो मेनका जोर से सिसक उठी और अपनी चुचियों उसके हाथो में उभारते हुए बोली:
" आआआह्ह्ह हमे जाने दीजिए पुत्र! हमे तो बस रंगीन वस्त्र पहनने अच्छा लगता हैं!
विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का उसकी टांगों के बीच में जड़ दिया तो मेनका की आंखे खुली की खुली रह गई और विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए उसकी चुचियों को जोर से मसल कर बोला:"..
" और हमे रंगीन वस्त्र पहने हुई मेनका को प्यार करना अच्छा लगता हैं!
विक्रम ने बिना देर किए अपने होंठो को उसके होंठो से चिपका दिया और जोर जोर से उसकी चूचियां मसलने लगा! मेनका की दर्द और मस्ती भरी सीत्कार विक्रम के मुंह में फूटने लगी! वस्त्र मेनका के ऊपर से पूरी तरह से हट गया था और वो अब पूरी नंगी थी और जोर जोर से सिसक रही थी! विक्रम ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए धीरे से अपने नीचे के वस्त्र भी खोल दिए और सिसकती हुई मेनका जोर जोर से उछल रही थी जिससे गद्दा बार बार ऊपर नीचे हो रहा था! जैसे ही विक्रम वस्त्र पूरी तरह से सरका तो विक्रम का नंगा लंड मेनका की टांगो में घुस गया और मेनका की आंखे खुलती चली गई और उसने ताकत से अपनी जांघो को कस लिया और विक्रम ने अब उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और जैसे ही जोर से चूसा तो मस्ती से मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी टांगे खुलती चली गई ! जैसे ही मेनका की टांगे खुली तो लंड उसकी चूत से छू गया और लंड की असली लंबाई मोटाई महसूस करके मेनका की आंखो के आगे तारे नाच उठे और जैसे ही विक्रम की गांड़ ऊपर उठी तो मेनका ने जोर से सिसक कर अपने एक हाथ को अपनी चूत पर रख दिया और जैसे ही लंड नीचे आया तो एक जोरदार धक्का उसकी हथेली पर पड़ा और मेनका दर्द के कारण सिसक उठी
" आआआह्हह्ह्ह मार डाला मुझे पुत्र!
विक्रम मेनका की चूची चूसते हुए उसकी चूत में धक्के जड़े जा रहा था जिसे मेनका किसी तरह अपनी हथेली पर रोक रही थी और विक्रम ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसके दोनो हाथो को अपने हाथो में कस लिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो में फांसते हुए मेनका की आंखो में देखा तो मेनका इंकार में सिर हिला उठी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"
" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र आज नही!
विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो मेनका ने उसके लंड की समूची लंबाई और चौड़ाई का अंदाजा किया और उसकी चूत डर के मारे सिकुड़ गई और और मेनका बोली:"
" हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा विशाल और भयंकर हैं ये!
विक्रम अपने लंड की प्रशंसा सुनकर मेनका का मुंह चूम लिया और उसकी चुचियों को रगड़ते हुए बोला:"
" आप भी तो इतनी कमजोर नही हो माता! हमे पूरा यकीन है कि आप हमे झेल पाएगी!
मेनका ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी चूत पर सुपाड़ा रगड़ते हुए उसके कानो में बोली:"
" हमारे छेद से दोगुना आकार हैं पुत्र! हम अभी मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं!
विक्रम ने हल्की नाराजगी के साथ उसकी चूचियों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेनका दर्द से कराहने लगी और अपनी टांगो को पूरा कसते हुए अपने हाथों के नाखून विक्रम की कमर में चुभाने लगी तो विक्रम ने उसकी कसी हुई टांगो में लंड के धक्के लगाने शुरु कर दिए और मेनका दर्द से कराह उठी! मेनका ने पूरी ताकत से अपनी टांगो को बंद कर लिया और विक्रम उसकी चुचियों को मसलते हुए उसकी टांगो को चोदने लगा! मेनका दर्द से तड़प रही थी और उसे लंड उसकी जांघो पर चोट मार रहा था और मेनका ने हिम्मत करके विक्रम का सिर अपनी चूची पर झुका दिया तो विक्रम ने उसकी चूची ने दांत गडा दिए और मेनका फिर से दर्द से कराह उठी और उसकी चूत पानी पानी हुई जा रही थी!
" अअह्ह्ह्ह्ह नैइई हिईआ पुत्र! मर जाऊंगी अअह्ह्ह्
विक्रम ने मेनका के निप्पल को जोर से चूसा तो मेनका मस्ती से सिसक उठी और ऊपर उठते हुए विक्रम के माथे को चूम लिया तो विक्रम ने उसकी को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया जिससे मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया और विक्रम के धक्के अब तूफानी रफ्तार पकड़ चुके थे! मेनका मस्ती से अपनी उंगलियां थोड़ा सा खोल देती जिससे हर जोरदार धक्के पर लंड का सुपाड़ा चूत से टकराता और अंदर जाने की कोशिश करता लेकिन मेनका उसे रोक देती! विक्रम पिछले एक घंटे से मेनका को धक्के मार रहा था और उसकी गति पल पल बढ़ती जा रही थी! मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली और जिस्मपसीने पसीने हो गया था और बुरी तरह से सिसक रही थी!
विक्रम के लंड में उबाल आने आने लगा तो उसके धक्के की शक्ति इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मेनका ने अपनी उंगलियों को बंद कर लिया और कसकर अपनी जांघो को खींच लिया! मेनका की चूत में भी तेज सनसनाहट मच गई थी और उसने दोनो हाथों को विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम उसके होंठो को चूसते हुए पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था और मेनका भी मस्ती में अपनी जांघों को बंद किए हुए ही अपनी गांड़ उछाल रही थी जिससे विक्रम पूरे जोश में आ गया और उसकी चुचियों को मसलते हुए सिसका
" अह्ह्ह्ह मेरी मेनका! हम जानते है आप भी संभोग के लिए मचल रही है!
मेनका की चूत की दीवारें कांप उठी और उसने विक्रम को पूरी ताकत से कस लिया और सब शर्म लिहाज छोड़कर जोर से उसके होंठो को चूसती हुई बोली:"
" सीईईईईई यूआई हान पुत्र! हम भी संभोग क्रिया करना चाहते हैं अपने महाराज के साथ!
विक्रम ने मेनका के मुंह से संभोग क्रिया सुनकर उसकी चुचियों के निप्पल को जोर से मसल दिया और लंड को उसकी जांघों से पूरा बाहर निकाल कर फिर से पूरी ताकत से घुसा दिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला
" अपने महराज पुत्र से संभोग को क्या आपका नाजुक जिस्म झेल पाएगा मेरी माता?
मेनका एक साथ दोहरे दर्द से कराह उठी और लेकिन विक्रम ने उसके नारित्त्व को ललकारा था तो अपने होंठो को काटते हुए दर्द सहन हुए सिसक उठी:"
" अह्ह्ह्ह यूईईईआई मां! हम सब झेल जायेंगे! इतने भी कमजोर नही है पुत्र जितना आप हमे सोचते हो!
विक्रम को लगा कि उसकी सारी शक्ति उसके लंड में आ गई है और उसने मेनका की एक चूची को मुंह में भर कर पूरी शक्ति समेटते हुए लंड का आखिरी जोरदार धक्का मेनका की जांघो के बीच लगाया और न चाहते हुए भी मेनका की मजबूत जांघें हल्की सी खुलती चली गई और लंड का आधा मोटा सुपाड़ा मेनका की चूत के मुंह में घुसकर उसकी चूत की दीवारों को खोलते हुए अंदर उतर गया और मेनका के मुंह से एक जोरदार दर्द भरी आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ दोनो एक दूसरे को कसते हुए अपने स्खलन को प्राप्त करने लगे!
विक्रम ने मेनका के होंठो को एक बार फिर से अपने मुंह में भर लिया और मेनका दर्द से कराहती हुई, सिसकती हुई उससे लिपटी रही और लंड चूत दोनो एक दुसरे को अपने रस से रंगीन करते रहे!
जैसे ही स्खलन खत्म हुआ तो विक्रम मेनका के ऊपर से उतर गया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला:"
" मेनका मेरी माता मेरी प्रियतमा हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं!
मेनका ने भी थोड़ा उचकते हुए विक्रम का गाल चूम लिया और उसकी छाती से लगते हुए बोली:"
" हम भी आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरे पुत्र मेरे महाराज!
विक्रम:" अब आप आराम कीजिए! रात का तीसरा पहर शुरू हो गया है!
इतना कहकर विक्रम बेड से उतरकर जाने लगा तो मेनका नंगी ही बेड से उतर गई और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी छाती से चिपक कर बोली:"
" हम आपकी बांहों में सोना चाहते हैं महराज! हमे छोड़कर मत जाइए!
विक्रम ने मेनका को गोद में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया! दोनो एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए!