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Incest शहजादी सलमा

karthik90

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सीमा सुल्तानपुर की सीमा में घुसने के बाद राजमहल पहुंच गई जहां बड़ी बेताबी से दिल थामकर सलमा उसका इंतजार कर रही थी और सीमा के चेहरे की चमक देखते ही वो उसके होंठो पर मुस्कान फैल गई और बोली:"

" क्या हुआ सीमा? बताओ मुझे

सीमा खुश होती हुई बोली:" आपकी बीमारी का इलाज हो गया है शहजादी सलमा, युवराज विक्रम आए थे और मैने उन तक आपका पैगाम पहुंचा दिया है!

सलमा खुशी से उछल पड़ी और सीमा को गले लगाकर उसका मुंह चूमते हुए बोली:"

" तुम सच कह रही हो ना सीमा? मैं बता नहीं सकती मुझे कितनी खुशी हो रही है!

सीमा उसकी बेचैनी देखकर हंस पड़ी और बोली:" मैं भला झूठ क्यों बोलने लगी आपसे ! और आप अपना ये प्यार अपने महबूब के लिए बचाकर रखिए!

सीमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और और बोली:"

" चुप बेशर्म, जो मन में आए बोल देती है! अच्छा ये बता युवराज ने क्या कहा ?

सीमा:" युवराज ने कहा है कि शहजादी को जाकर कहना कि मुझे उनका पैगाम कुबूल हैं!

सलमा ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोली:" अच्छा और क्या क्या बाते हुई?

सीमा:" वो तो बस आपके जी बारे मे पूछ रहे थे, इतने सारे सवाल कर दिए कि जवाब देना मुश्किल हो रहा था! और उन्होंने मुझे अपनी बहन भी बना लिया हैं और अपनी तरफ से मुझे ये तोहफा भी दिया हैं!

सीमा ने मोतियों की माला उसे दिखाई तो सलमा बेहद खुश हुई और बोली:"

" अच्छा ये बता तुम्हे युवराज कैसे लगे ?

सीमा:" मुझे तो बेहद अच्छे लगे, जितने खूबसूरत और जवान हैं उससे कहीं ज्यादा ताकतवर हैं! दिल के बहुत अच्छे हैं जानती हो मुझे वो सुल्तानपुर की सीमा तक वापिस छोड़कर गए हैं!

सलमा:" ये तो बहुत अच्छी हैं आखिर अब आप उनकी बहन बन गई हो तो भाई को ध्यान तो रखना ही पड़ेगा! चलो अब एक काम करो मुझे बेहद तेज भूख लगी हैं जल्दी से कुछ खाने के लिए लेकर आओ!

सीमा:" ये हुई न बात! देखो मैं बोलती थी न कि दिल की बेकरारी तो महबूब की चाहत से हो दूर होती हैं! मैं अभी आती हु!

इतना कहकर सीमा चली गई और सलमा शीशे के सामने एक बार खुद को निहारने लगी ! अपने प्रियतम से उसकी आज पहली मुलाकात थी और दुनिया की हर औरत ऐसे मौके पर सबसे सुंदर दिखना चाहती है ! थोड़ी देर बाद सीमा खाना लेकर आ गई और सलमा ने दो दिन के बाद आज अच्छे से खाना खाया! उसके बाद सीमा बोली:"

" मेरे लिए अब क्या हुक्म है शहजादी?

सलमा:" कुछ नही आप जाओ और आराम करना! कल बात करेंगे आराम से!

सीमा उसके कक्ष से बाहर चली गई और सलमा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसका प्रियतम जो आ रहा था! सलमा ने अपने लिए अपना पसंदीदा सूट सलवार निकाला और उसे पहन लिया! वो काले रंग का सूट उसके गोरे चिट्टे बदन पर बेहद खूबसूरत लग रहा था! उसके बाद सलमा ने अच्छे से अपना मेकअप किया और वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी! उसकी काली बडी बडी आंखे गहरा काला काजल लगाने से बेहद आकर्षक लग रही थी और सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक से सजे उसके होंठ बेहद रसीले हो गए थे! सलमा ने एक बेहद मादक परफ्यूम लगाया और उसके बदन से मीठी मीठी खुशबू आ रही थी!


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सलमा ने खुद को शीशे में निहारा और अपने ही आप से शर्मा गई और फिर उसने हिजाब पहना और मुंह पर नकाब लगाकर धड़कते दिल के साथ घड़ी को देखने लगी! अभी 10 बजने में 30 मिनट बाकी थी और सलमा से इंतजार के ये पल काटे नही कट रहे थे! बार बार उसका बदन कांप रहा था और पूरे जिस्म में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी! सलमा ने अपनी मां ररजिया के कमरे को देखा तो पाया कि उसके कमरे की लाइट बंद थी तो उसने अंदाजा लगा लिया कि रजिया सो गई है और वो जानती थी रोज की तरह सलीम महल में नही होगा तो उसे उसकी कोई फिक्र ही नही थी! सलमा ने अपने हिजाब को अपने मुंह पर लगाया और महल की छत पर घूमने के लिए जाने लगी तो रास्ते में खड़े पहरा दे रहे सैनिकों ने सिर झुकाकर उसका अभिवादन किया और सलमा बोली:"

" आप सब दूसरी तरफ पहरा दीजिए! थोड़ी देर हम चांद को निहारना चाहते हैं!

सलमा के हुक्म देते ही वो सभी सैनिक छत पर से दूसरी तरफ चले गए और अब छत पर सिर्फ सलमा खड़ी थी जो बेचैनी से विक्रम का इंतजार कर रही थी!

विक्रम ने भी अपने आपको अच्छे से तैयार किया और आठ बजे के पहले ही महल से निकल गया और जैसे ही सुल्तानपुर की सीमा में घुसा तो उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और सुल्तानपुर के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गया तो सैनिक उससे बोला:"

" अरे कौन हो तुम? क्यों राज्य में घुसना चाहते हो?

विक्रम:" मंत्री जी वो एक मेरा दोस्त हैं आपके राज्य में रहीम जो खाने की दुकान चलाता हैं! बस उससे ही मिलने के लिए आया हु!

सैनिक:" ठीक हैं लेकिन बिना हमे खुश किए तुम अंदर नही जा सकते हो!

विक्रम ने अपने जेब से कुछ चांदी की मुद्रा निकाली और उस सैनिक के हवाले कर दी और उसके बाद राज्य में घुस गया तो उसकी खुशी का ठिकाना नही था! अब उसका और सलमा का मिलन होने से कोई नही रोक सकता था!

विक्रम सावधानी से इधर उधर देखते हुए रहीम की दुकान के सामने से निकला और उसका हाल चाल पूछने के बाद आगे बढ़ गया और अब वो महल के उत्तरी हिस्से में आ गया था जहां से वो उस दिन महल में घुसा था! विक्रम जैसे ही उस दलदल के पास पहुंचा तो उसने रस्सी निकाली और इससे पहले कि वो रस्सी फेंकता उसे छत पर सलमा दिखाई पड़ा और जैसे ही दोनो ने एक दूसरे को देखा तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए और सलमा ने विक्रम को रस्सी फेंकने से मना किया और थोड़ा पीछे जाने का इशारा किया तो विक्रम थोड़ा पीछे गया जहां पर कुछ बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे! सलमा ने उसे पत्थर हटाने का इशारा किया और पत्थर हटते ही विक्रम हैरान हो गया क्योंकि उसे एक गुफा नजर आई और सलमा ने उसे अंदर घुसने का इशारा किया तो विक्रम गुफा के अंदर घुस गया और उसने देखा कि गुफा के अंदर थोड़ी थोड़ी दूरी पर कुछ दीपक जल रहे थे तो विक्रम समझ गया कि जरूर सलमा ने जलाए होंगे ताकि मुझे अंदर आने में कोई दिक्कत न हो! विक्रम जैसे ही गुफा के अंतिम छोर पर पहुंचा तो उसे सामने सलमा खड़ी हुई नजर आई और दोनो की आंखे एक दूसरे से टकराई और दोनो बस एक दूसरे को देखते रहे! कुछ पल ऐसे ही बीत गए और दोनो को कोई होश ही नहीं था बस मदहोश होकर एक दूसरे को देख रहे थे! विक्रम के होठों पर मुस्कान आ गई और बोला:"

" शहजादी आपने हमे बुलाया और हम चले आए!

सलमा के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आई और उसके आंखे शर्म से झुक गई तो विक्रम उसके करीब पहुंचा और बोला:"

" क्या आपको अभी भी हिजाब मुझसे पर्दा करने की जरूरत है शहजादी? क्या मुझे मेरा चांद देखने का हक नहीं है?

सलमा ने कुछ जवाब नहीं दिया और बस हल्की सी मुस्कान दी तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसके नक़ाब को पीछे से खोल दिया तो सलमा का नूरानी चेहरा विक्रम की आंखे के सामने आ गया और विक्रम उसकी तारीफ करते हुए बोला:"

" अदभुत अकल्पनीय रूप सौंदर्य हैं आपका शहजादी! लगता हैं जैसे खुदा ने गलती से जन्नत से किसी हूर को मेरे लिए जमीन पर भेज दिया है !

अपनी ऐसी तारीफ सुनकर सलमा शर्म से लाल हो गई और नजरे नीची किए खड़ी रही तो विक्रम ने अपना हाथ आगे बढाकर उसके खूबसूरत चेहरे को ऊपर की तरफ उठाया और बोला:"

" मेरी तरफ देखिए ना शहजादी! आप खुश नहीं है क्या मेरे आने से


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दोनो की आंखे टकराई और सलमा सलमा ने शर्म से फिर से अपनी नजरो को झुका लिया और विक्रम का हाथ पकड़ कर बोली:"

" ऐसा न कहे युवराज! आपके आने से मुझे सारे जमाने की खुशी मिल गई है!

सलमा की पहल से विक्रम ने भी उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा अपने आप किसी चुंबक की तरह खींची चली आई और विक्रम को अपनी बांहों में भर लिया! दोनो ने एक दूसरे को कसकर गले लगा लिया और खुशी खुशी में दोनो के आंसू निकल गए और सलमा ने अपनी बांहों को पूरी ताकत से उसकी पीठ पर कस दिया!।।


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सलमा खुशी से सिसकती हुई बोली:" युवराज हम आपके बिना जी नहीं पाएंगे! आज के बाद मेरा सब कुछ आप हो!

विक्रम की आंखे भी भर आई थी और उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला:" मैं भी आपके बिना जी नहीं पाऊंगा मेरी शहजादी सलमा!

दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में खड़े और एक दूसरे से आंसू साफ करते रहे! सलमा को होश आया कि वहां वो सुरक्षित नही हैं और कोई भी आ सकता है तो वो धीरे से विक्रम की बांहों से निकली! सलमा ने गुफा का दरवाजा बंद किया और विक्रम का हाथ पकड़ कर चल पड़ी!

सलमा सावधानी से इधर उधर देखती हुई आगे बढ़ती रही और जल्दी ही वो अपने कक्ष में पहुंच गई तो जोर से पलट कर फिर से विक्रम को अपनी बांहों में भर लिया और उससे किसी अमरबेल की तरह लिपट गई और विक्रम ने भी उसे अपने मजूबत बहुपाश में बांध लिया! खिड़की से आती चांद की रोशनी कमरे मे पड़ रही थी और माहौल को और ज्यादा कामुक बना रही थी! दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और शहजादी के बदन में अब सिरहन सी दौड़ना शुरू हो गई थी क्योंकि अब उसकी सांसे तेज होने लगी थी!

विक्रम उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला:" क्या हुआ शहजादी आप ऐसे क्यों कांप रही हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और उसकी एक जोरदार कंपकपी छूट गई और बोली:"

" हमसे कुछ न पूछिए विक्रम! बस ऐसे ही अपने सीने में छुपाए रखिए हमें!

विक्रम ने उसे अपनी बाहों मे कसे रखा और अब शहजादी सलमा की सांसे इतनी ज्यादा उखड़ गई थी कि उसके सीने के भारी भरकम गोल गोल गुम्बद विक्रम के सीने पर अपना दबाव डाल रहे थे और शहनाज मदहोशी में उससे हर पल और ज्यादा जोर से लिपटने की कोशिश कर रही थी मानो उसके जिस्म के अंदर घुसना चाहती हो! विक्रम ने धीरे से उसके कान में फुसफुसाया:"

" शहजादी आप मेरी बांहों में तो मौत भी आ जाए तो कोई गम नही होगा!

सलमा ने उसके होंठो पर अपनी उंगली रख दी तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह् विक्रम!!

सलमा शर्म के मारे उससे अलग हो गई और बोली:"

" आइए न बैठिए युवराज! सुलतानपुर की शहजादी के कक्ष में आपका स्वागत है! आइए मेरे शाही बेड पर बैठिए!

उसकी बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा पड़ा और बोला:"

" जरूर बैठेंगे लेकिन मेरी भी एक शर्त है शहजादी!

शहजादी ने उसकी तरफ देखा और बोली:" हमे आपकी हर शर्त खुशी खुशी मंजूर है युवराज! बस ऐसा कुछ मत मांग लेना जो मेरी मान मर्यादा के खिलाफ हो!

विक्रम का दिल तड़प उठा और बोला:" आपका ऐसा सोचना भी मेरे प्यार का अपमान है शहजादी!

शहजादी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो फौरन उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" मेरी बात से आपको ठेस पहुंची हो तो माफ कीजिए मुझे! बताए ना क्या शर्त है आपकी?

विक्रम ने उसे एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसके चेहरे को ऊपर उठाकर अपने सामने करके उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" जो मैं मांगूंगा आप दे पाएंगी क्या शहजादी?

सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" आप जान मांग देख लीजिए युवराज!

विक्रम ने उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा कर फिर से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" ठीक हैं फिर जब तक मैं यहां हु आप मेरी गोद में बैठी रखेगी शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर जोर से कांप उठी और उसकी पकड़ से आजाद होकर बोली:"

" बेशर्म कहीं के ! आप इतने शैतान होंगे देखकर लगता तो न था मुझे!

विक्रम:" सब आपकी खूबसूरती का कमाल है शहजादी! मैं चाहकर भी खुद को आपसे दूर नही रख पा रहा हूं!

इतना कहकर उसने सलमा को आगे बढ़कर फिर से बांहों में भर लिया और गोद में उठाकर बेड की तरफ ले चला तो सलमा ने भी खुशी खुशी उसके गले में अपनी बांहों का हार पहना दिया और जैसे ही युवराज उसे लेकर बेड पर चढ़ा तो गद्दा करीब एक फीट अन्दर घुस गया और फिर अपने एक झटके के साथ उपर आ गया और ये देखकर विक्रम मुस्कुराते हुए बोला:"

" कमाल का बेड हैं आपका शहजादी! बिलकुल नर्म मुलायम और गद्देदार!

अब सलमा बेड के बीचों बीच उसकी गोद में बैठी हुई थीं और बोली:" ये सुल्तानपुर का बेड हैं युवराज तो कमाल तो होगा ही!

विक्रम की छाती अब शहजादी की कमर से लगी हुई थी और विक्रम बोला:" वैसे मानना पड़ेगा सुल्तानपुर को, सच में यहां की हर एक चीज बेहद कमाल की हैं शहजादी सलमा!

इतना कहकर उसने जोर से शहजादी का हाथ दबा दिया तो सलमा उसकी बात का मतलब समझते ही मुस्कुरा उठी और बोली:" विक्रम मैने कभी नही सोचा था कि मुझे इतना ज्यादा हो जायेगा आपसे! आप मेरी जिंदगी बन गए हो! मैं इतना तड़प रही थी आपके लिए कि इंतजार नही पाई और सीमा को भेज दिया!

विक्रम:" आप ही मेरा सब कुछ हो सलमा! अच्छा ही किया आपने जो सीमा को भेज दिया वरना हम दोनो ऐसे ही तड़पते रहते!

सलमा;" हान विक्रम! आपको पता है मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था आपके बिना! न ठीक से खा रही थी और न ही सो पा रही थी विक्रम!

विक्रम ने अपने एक हाथ की उंगलियों में सलमा की उंगलियों को फंसा लिया और बोला:"

" मेरा भी यही हाल था शहजादी! इतना समझ लीजिए कि जिंदा नही था बस सांसे चल रही थी! वैसे अभी कैसा लग रहा है आपको?

सलमा उसकी बात सुनकर झूम उठी और अपनी उंगलियों का दबाव उसकी उंगलियों पर देते हुए बोली:"

" लग रहा है जैसे सब कुछ मिल गया है मुझे! आपकी गोद में बेहद सुकून मिल रहा है मुझे!

विक्रम ने शहजादी के बालो से उठती हुई खुशबू को सूंघा और बोला :" आपके बाल बेहद घने और खूबसूरत हैं बिलकुल रेशम जैसे शहजादी इनसे उठती हुई खुशबू मुझे मदहोश कर रही है!

इतना कहकर उसने अपना मुंह उसके रेशमी बालों में घुसा दिया तो सलमा मचल उठी और बोली:"

" आप काबू अपने दिल पर नही रख पा रहे हैं और इल्जाम मेरे बालो पर लगा रहे हैं! बहाने बनाना से कोई आपसे सीखे!

विक्रम अपने दूसरे हाथ को उसके सिर पर ले गया और उसके बालो के जूडे को पकड़ते हुए बोला:"

" आपके बाल खुल दू क्या शहजादी? खुले बालो में आप रात को बेहद हसीन लगोगी!

सलमा उसकी बाते सुनकर मचल रही थी और उसके दिल में अरमान थे कि उसका प्रेमी उसके बालो को सहलाए, उनसे खेले तो सलमा ने अपनी गर्दन हिला कर उसे सहमति दे दी और विक्रम ने उसके बालो को खोल दिया जिससे बाल उसके खूबसूरत चेहरे के चारो ओर फैल गए और बोला:"

" आपको मेरी नजर न लगे राजकुमारी! लगता हैं आप मेरी जान लेकर ही रहोगी आज!

सलमा का खूबसूरत चेहरा बालो से घिर गया और सलमा उसकी मस्तानी बातो से धीरे धीरे पिघल रही थी और उसने फिर से अपनी उंगली को विक्रम के होठों पर रख दिया तो विक्रम ने इस बार अपने मुंह को खोला और उसकी ऊंगली को मुंह में भर लिया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" हाय विक्रम!! उफ्फ क्या गजब करते हो! ये जुल्म मत कीजिए

विक्रम ने दूसरे हाथ को सलमा के पेट पर बांध कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी उंगली को अपनी गर्म तपती हुई जीभ से चूसने लगा तो सलमा मस्ती से बेहाल हो गई और उसकी बांहों में पिघलती चली गई! अब तक सलमा ने अपनी उंगली को उसके मुंह से निकालने की कोई कोशिश नही करी थी और विक्रम मजे से उसकी उंगली को किसी कुल्फी की तरह चूस रहा था और सलमा का पूरा बदन अब जोर जोर से कांप रहा था और विक्रम ने उत्तेजना से मदहोश होकर उसकी उंगली में दांत गडा दिए तो सलमा मीठे मीठे दर्द से कराह उठी और विक्रम ने उसकी ऊंगली को छोड़ दिया और उसकी गर्दन पर अपनी गर्म तपती हुई सांसे छोड़ते हुए बोला:"

" आप बेहद रसीली हो मेरी जान सलमा! मैं तो धन्य हो गया!

सलमा उसकी गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस करके और ज्यादा मदहोश हो गई और सिसकते हुए बोली:"

" बस कीजिए मेरी जान, मेरे प्रियतम, हम बहक जायेंगे!

विक्रम ने उसकी सिसकी सुनकर अपने हाथ का दबाव उसके पेट पर बढ़ा दिया और उसके बालो गर्दन के बिलकुल पास अपनी गर्म तपती सांसे छोड़ते हुए धीरे से बेहद कामुक अंदाज में बुदबुदाया

" तो बहक जाइए न मेरी शहजादी सलमा! मैं हूं ना आपको संभालने के लिए!

सलमा पूरी तरह मदहोश हो गई थी और उसने अपने सिर को पीछे करते हुए उसके कंधे पर टिका दिया तो विक्रम का हौसला बढ़ गया और उसने अपनी गर्म जीभ को शहजादी सलमा की गर्दन पर लहरा दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम के हाथ को जोर से कस लिया तो विक्रम ने अब अपना मुंह खोलते हुए शहजादी की गर्दन को अपने दांतों में दबोच लिया और हल्का हल्का काटने लगा तो सलमा उत्तेजना से कांपती हुई जोर से थरथरा उठी और विक्रम ने जोर से उसकी गर्दन को चूस लिया!

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सलमा मस्ती से सिसक उठी विक्रम धीरे से उसके कान में फुसफुसाया"

:"आप एक काम कीजिए ना मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठिए न मेरी जान सलमा!

इतना कहकर विक्रम ने उसे हल्का सा उठाया और सलमा किसी रिमोट से चलने वाली मशीन की तरह उसकी गोद में बैठ गई और दोनो की आंखे टकरा गई तो विक्रम ने देखा कि सलमा का चेहरा पूरी तरह से शर्म और उत्तेजना से लाल हुआ था और उसकी आंखे थोड़ी सी फैल गई थी जिसमे लाल रंग के कामुक डोरे साफ नजर आ रहे थे ! विक्रम ने उसे अपने करीब कर लिया और विक्रमउसकी आंखो मे देखते हुए बोला:"

" सलमा आपको कुछ बुरा तो नही लग रहा है न मेरी जान!

प्रियतम की गोद में बैठी मचलती हुई सलमा को भला क्या बुरा लग सकता था तो सलमा उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" विक्रम आप बहुत प्यारे हो मेरी जान! मुझे कसकर समेट लीजिए अपनी बांहों में !!

विक्रम ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथो को लपेट दिया और उसे पूरी तरह से अपने सीने में घुसा सा लिया और बोला

" अगर आपकी इजाजत हो तो आपका बुर्का निकाल दू क्या शहजादी सलमा!

सलमा पर मदहोशी का ऐसा सुरूर चढ़ा था कि उसने कुछ भी कहना जरूरी नहीं समझा और अपनी टांगो को फैला कर विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम ने अपने हाथो को उसकी गर्दन पर ले जाकर बुर्के की चैन को खोल दिया और सलमा का उपरी हिस्सा अब सिर्फ एक बेहद कसे हुए सूट विक्रम की आंखो के आगे आ गया और विक्रम को अब सलमा की गोल गोल गुम्बद की गोलाई और मोटाई का सही एहसास हुआ और उसने सलमा को जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो बेकरार सलमा ने आपको ढीला छोड़ दिया तो एक झटके के साथ दोनो बेड पर लुढ़क गए और अब सलमा के उपर विक्रम पूरी तरह से चढ़ा हुआ था और मदहोश सलमा उसकी कमर में अपनी बांहों को लपेटे हुए पड़ी थी! कमाल की जोड़ी थी दोनो की लंबाई चौड़ाई बिलकुल बराबर थी एकदम सिर से लेकर पांव तक! सलमा की जोर जोर से चलती हुई सांसों के कारण विक्रम को अपने सीने में उसकी गोलाईयों का सख्त एहसा हो रहा था और विक्रम ने अब उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया तो सलमा जोर जोर से कांपने लगी जिससे उसका पूरा बदन हिलने लगा तो विक्रम ने उसकी टांगो को अब अपनी टांगो में जोर से कस लिया और पूरी लंबाई में अपनी जीभ निकाल कर सलमा की पतली सुराहीदार गर्दन को चूसने लगा तो सलमा मछली की तरह मचलती हुई उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा दी और विक्रम ने उसकी गर्दन को अपने दांतों में भरकर हल्का हल्का काटना शुरू हो दिया और सलमा से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और सिसकते हुए बोली:"

" आआआह्हह मत कीजिए मेरे प्रियतम! आज मर जाऊंगी मैं!

विक्रम ने अपने जलते हुए होठों को अब उसके गाल पर रख दिया और चूमकर मदहोशी से बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह् मत रोकिए मुझे शहजादी! आह्ह मेरी सलमा आपके गाल कितने ज्यादा मीठे और नर्म मुलायम हैं!

इतना कहकर विक्रम ने फिर से उसके एक गाल को इस बार मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो सलमा का जिस्म उत्तेजना के मारे झटके खाने लगा और गद्देदार बिस्तर के कारण दोनो का जिस्म उपर नीचे होने लगा मानो चुदाई हो रही हो और ये सोचते ही सलमा के गोल गोल गुम्बद पूरी तरह से तनकर अकड़ गए और उसकी चूत में गीलापन आ गया तो सलमा ने तड़पते हुए दोनो हाथों से विक्रम के चेहरे को पकड़ा और उसके एक गाल को चूम लिया तो विक्रम ने बेकाबू होकर अपने जलते हुए होठों को सीधे सलमा के नर्म मुलायम नाजुक रसीले होंठों से जोड़ दिया और दोनो ही बेकाबू होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे! विक्रम कभी उपर वाले होंठ को चूसता कभी कभी नीचे वाले होंठ को! सलमा भी मदहोशी से आंखे बंद किए अपने होंठ चुसवा रही थी और देखते ही देखते सलमा ने मदहोश होकर अपना मुंह खोल दिया और विक्रम की जीभ उसकी जीभ से मिल गई और विक्रम ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और सलमा ने मस्ती से अपनी रसीली लसलसी जीभ को बाहर निकाल दिया और विक्रम उसकी जीभ को चूसने लगा और सलमा के मजे की कोई सीमा नही थी!।।



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।विक्रम उसकी जीभ को कभी होंठो से चूसता तो कभी अपनी जीभ से उसका रस चूसता! सलमा के होंठो और जीभ से बेहद रसीला और मादक रस निकल रहा था और विक्रम किसी प्यासे भंवरे की तरह उसका रस चूस रहा था! दोनो की सांसे बुरी तरह से फूल गई थी लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था और खासतौर से विक्रम क्योंकि सलमा के होंठ और जीभ उसके मुंह में स्पंजी रसगुल्ले की तरह घुल रहे थे! आखिरकार करीब पांच मिनट के बाद दोनो की किस टूट ही गई और सलमा शर्म ने आंखे बंद किए पड़ी रही और विक्रम ने फिर से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और शहजादी सलमा भी कहां पीछे रहने वाली थी और फिर से दोनो की जीभ एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगी और विक्रम अपने पैर की उंगलियों से उसके पैर की उंगलियों को सहला रहा था और दोनो किस कर ही रहे थे कि शहजादी के कक्ष पर उसकी एक नौकरानी ने दस्तक दी और बोली:"

" आपके उठने का समय हो गया है शहजादी ! आपके नहाने का गर्म पानी शाही हमाम में पहुंचा दिया गया है!

आवाज सुनकर दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और किस फिर से टूट गई और सलमा ने देखा कि घड़ी मे सुबह के पांच गए थे तो उसे हैरानी हुई कि इतनी जल्दी पूरी रात कैसे निकल गई उसे पता ही नही चला!

सलमा:" मुझे नहाने जाना होगा विक्रम! आप यहीं रुकिए मैं आती हु थोड़ी देर बाद!

विक्रम:" मुझे जाने दीजिए शहजादी नही तो देर हो जायेगी बहुत!!

सलमा:" आप ऐसे दिन में उस रास्ते से नही निकल सकते युवराज! मैं आती हूं उसके बाद बात करते हैं!

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने गले लगाते हुए बोला:"

" मैं भी चलू क्या आपके साथ नहाने के लिए शहजादी?

सलमा ने उसका गाल चूम लिया और फिर उसे बेड पर धक्का देते हुए बोली:" बहुत शैतान हो गए हो आप एक ही रात में! चलो बेड पर आराम करो!

इतना कहकर वो मुस्कुराती हुई बाहर निकल गई और विक्रम बेड पर लेटकर उसके आने का इंतजार करने लगा!

थोड़ी देर बाद सलमा के कक्ष का दरवाजा खुला और सलमा एक खूबसूरत राजसी गाउन में नजर आई और नहाने के बाद वो बेहद आकर्षक लग रही थी बिलकुल खिले हुए गुलाब की तरह! वो चलती हुई विक्रम के पास आई और विक्रम आंखे फाड़कर बस उसे ही देखता रहा!


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विक्रम ने सलमा को पहली बार बुर्के के बिना देखा था और आज पहली बार उसे सलमा के शरीर की सही बनावट का अंदाजा हुआ और वो उसकी खूबसूरती में खोया हुआ था वो सलमा उसके ठीक सामने खड़ी हो गई और बोली:"

" कहां खो गए युवराज?

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" बस देख रहा था कि शहजादी सलमा बुर्के के बिना ज्यादा खूबसूरत लगती हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसके गले लगाकर बोली:" आप न अपनी छेड़छाड़ से बाज नहीं आते विक्रम!

विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट दिया और इस बार उसे सलमा के बदन के स्पर्श का बेहद अच्छे से एहसास हो रहा था और विक्रम ने सलमा का एक गाल चूम लिया और बोला:"

" सलमा आप मेरे सामने ऐसे ही अब बिना बुर्के के आया करना जब भी मैं आपसे मिलने के लिए आऊं!

सलमा उसके बालो को सहलाते हुए बोली:" सब समझती हूं मैं आपकी बाते क्यों आप ऐसा बोल रहे हों मुझे!

विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे को दोनो हाथों में भर लिया और बोला:" अच्छा जी जरा हमे भी तो बताओ क्या समझ में आया आपको शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:"

" जाइए मैं आपसे बात नही करती विक्रम!

विक्रम ने एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके खुले बालो को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठा दिया और अपने होंठो को फिर से उसके होंठो से चिपका दिया और सलमा मदहोश होकर उससे लिपट पड़ी और विक्रम ने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनो की जीभ फिर से गुत्थम गुत्था हो गई और विक्रम के हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए हुए नीचे की तरफ बढ़ गए तो सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो पूरी कसकर युवराज से लिपट गई और मस्ती से उसकी जीभ को चूसने लगीं तो विक्रम ने अपनी जीभ को सलमा के मुंह के अंदर डाल दिया और सलमा ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और विक्रम के हाथ उसके चौड़े, गुदाज और ठोस पिछवाड़े की गोलाई पर आ गए और जैसे ही विक्रम ने उसके नितंबों को सहलाया तो सलमा ने अपने आपको उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया और उसकी जीभ को पूरी बेशर्मी दिखाते हुए चूसने लगी और विक्रम ने अब खड़े खड़े ही सलमा को गोद में उठा लिया और सलमा की गांड़ के उभारों को जोर से मसल दिया तो सलमा ने पूरी तरह से बेकाबू होकर अपनी टांगो को उसकी कमर में लपेट दिया जिससे उसका गाउन उसकी गांड़ पर से हट गया और विक्रम ने जैसे ही उसकी नंगी गांड़ को अपने हाथों में भरा तो सलमा का बचा हुआ धैर्य भी जवाब दे गया और उसने विक्रम की जीभ को अपने दांतों में दबा लिया और दोनो के मुंह से एक साथ मस्ती भरी आह निकल पड़ी और सलमा एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी! उसकी उठती गिरती हुई चूचियां अपने पूरे शबाब पर थी और विक्रम उसकी तरफ बढ़ा तो फिर से दरवाजे पर दस्तक हुई तो सलमा विक्रम की आंखो में देखते हुए बोली:"

" क्या हुआ?

महिला सैनिक:" आपका नाश्ता तैयार हो गया है! इजाजत हो तो मैं खाने की मेज पर लगा दू क्या?

सलमा ने आगे बढ़कर विक्रम का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" आज मैं अपने कक्ष में ही नाश्ता करूंगी! लाओ मुझे यही दे दो!

इतना कहकर सलमा ने विक्रम को एक पर्दे के पीछे किया और बाहर जाकर नाश्ता लेकर अंदर आ गई और फिर विक्रम को अपने हाथों से खिलाया और उसके बाद विक्रम बोला:"

" अब हमे इजाजत दीजिए शहजादी!

सलमा:" आपका ऐसे जाना सही नही होगा युवराज! हम खुद आपको अपने साथ लेकर जाएंगे!

विक्रम:" अच्छा जी भला वो कैसे शहजादी?

सलमा ने जोर से ताली को बजाया और बाहर से आवाज आई:" हुक्म करो शहजादी?

सलमा:" हम थोड़ी देर बाद नदी के किनारे घूमने जायेंगे! हमारे लिए एक घोड़ा बग्गी का इंतजाम किया जाए!

उसके बाद सलमा विक्रम से बोली:"आप पहली बार हमसे मिलने आए हैं विक्रम तो हमारे साथ शान से बग्गी में जायेंगे!

इतना कहकर सलमा अपना बुर्का पहनने लगी और जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में कस लिया और उसके बाद सलमा सावधानी से विक्रम को अपने साथ लेकर अस्तबल की तरफ चल पड़ी और विक्रम को वहां खड़ी घोड़ा बग्गी में छुपा दिया और थोड़ी देर बाद ही सैनिक और सीमा भी आ गई और शहजादी बग्गी के अंदर बैठ गई और विक्रम ने बिना मौका गंवाए उसे अपनी बांहों में समेट लिया और सलमा भी उससे लिपटती चली गई और विक्रम अब प्यार से कभी उसके हाथ को चूमता तो कभी उसके बालो को संवारता! वही सलमा भी कभी उसके गाल को चूम लेती तो कभी उसके माथे को चूम रही थी! बग्गी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और आगे पीछे सैनिक घोड़े पर सवार होकर चल रहे थे! जल्दी ही बग्गी सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल गई और नदी का किनारा आने ही वाला था तो सलमा की आंखे भर आई और बोली:

" जाना जरूरी है क्या युवराज?

विक्रम ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और बोला:"

" मन तो मेरा भी नही कर रहा शहजादी लेकिन मैं जल्दी ही फिर आऊंगा!

सलमा उसकी आंखो मे देखते हुए बोली:" मैं इंतजार करूंगी आपका धड़कते दिल के साथ विक्रम!

विक्रम ने उसके एक गाल को मुंह में भर कर चूस लिया और बोला:"

" ज्यादा दिल मत धड़काना शहजादी अपना नही तो बहुत कुछ धड़क जायेगा!


उसकी बात का मतलब समझकर शहजादी सलमा मुस्कुरा उठी और उसका गाल चूमते हुए बोली:" या अल्लाह क्या करू आपका!! मैं परसो महल के पीछे बने हुए शाही पार्क में आप का फिर से इंतजार करूंगी विक्रम!

विक्रम:" मैं आऊंगा शहजादी लेकिन एक वादा करो कि मुझे बिना बुर्के के मिलोगी!!


सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम से कसकर लिपट गई और बोली:"

" ज्यादा छेड़छाड़ तो नही करोगे ना मेरे साथ!

विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और बोला:" मेरी इतनी हिम्मत कहां जो शहजादी सलमा के साथ छेड़ छाड़ कर सकू!

दोनो बात कर ही रहे थे कि बग्गी नदी किनारे रुक गई और सलमा बोली:" मैं अब नदी की तरफ जाऊंगी और सब सैनिक मेरे साथ जाएंगे! आप आराम से पीछे से चले जाना युवराज!

विक्रम ने उसे प्यार से उसका मुंह चूम लिया और बोला:"

" सलमा आपका साथ गुजारी ये रात मुझे मरते दम तक याद रहेगी!

सलमा ने उसकी बात सुनकर उसके होंठो पर उंगली को रख दिया तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूस लिया और सलमा बोली:"

" भूलना मत विक्रम! मैं परसो रात 11 बजे आपका इंतजार करूंगी!

इतना कहकर वो विक्रम का हाथ चूमकर बग्गी से बाहर निकल गई और सारे सैनिक उसके पीछे चल पड़े और विक्रम बग्गी से उतरा और उदयगढ़ की तरस चल पड़ा!
Romantic update
 

Dharmendra Kumar Patel

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बहुत ही शानदार रोमांचक अपडेट ऐसी कहानी बहुत कम पढ़ने को मिलती
 
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Ajju Landwalia

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सीमा सुल्तानपुर की सीमा में घुसने के बाद राजमहल पहुंच गई जहां बड़ी बेताबी से दिल थामकर सलमा उसका इंतजार कर रही थी और सीमा के चेहरे की चमक देखते ही वो उसके होंठो पर मुस्कान फैल गई और बोली:"

" क्या हुआ सीमा? बताओ मुझे

सीमा खुश होती हुई बोली:" आपकी बीमारी का इलाज हो गया है शहजादी सलमा, युवराज विक्रम आए थे और मैने उन तक आपका पैगाम पहुंचा दिया है!

सलमा खुशी से उछल पड़ी और सीमा को गले लगाकर उसका मुंह चूमते हुए बोली:"

" तुम सच कह रही हो ना सीमा? मैं बता नहीं सकती मुझे कितनी खुशी हो रही है!

सीमा उसकी बेचैनी देखकर हंस पड़ी और बोली:" मैं भला झूठ क्यों बोलने लगी आपसे ! और आप अपना ये प्यार अपने महबूब के लिए बचाकर रखिए!

सीमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और और बोली:"

" चुप बेशर्म, जो मन में आए बोल देती है! अच्छा ये बता युवराज ने क्या कहा ?

सीमा:" युवराज ने कहा है कि शहजादी को जाकर कहना कि मुझे उनका पैगाम कुबूल हैं!

सलमा ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोली:" अच्छा और क्या क्या बाते हुई?

सीमा:" वो तो बस आपके जी बारे मे पूछ रहे थे, इतने सारे सवाल कर दिए कि जवाब देना मुश्किल हो रहा था! और उन्होंने मुझे अपनी बहन भी बना लिया हैं और अपनी तरफ से मुझे ये तोहफा भी दिया हैं!

सीमा ने मोतियों की माला उसे दिखाई तो सलमा बेहद खुश हुई और बोली:"

" अच्छा ये बता तुम्हे युवराज कैसे लगे ?

सीमा:" मुझे तो बेहद अच्छे लगे, जितने खूबसूरत और जवान हैं उससे कहीं ज्यादा ताकतवर हैं! दिल के बहुत अच्छे हैं जानती हो मुझे वो सुल्तानपुर की सीमा तक वापिस छोड़कर गए हैं!

सलमा:" ये तो बहुत अच्छी हैं आखिर अब आप उनकी बहन बन गई हो तो भाई को ध्यान तो रखना ही पड़ेगा! चलो अब एक काम करो मुझे बेहद तेज भूख लगी हैं जल्दी से कुछ खाने के लिए लेकर आओ!

सीमा:" ये हुई न बात! देखो मैं बोलती थी न कि दिल की बेकरारी तो महबूब की चाहत से हो दूर होती हैं! मैं अभी आती हु!

इतना कहकर सीमा चली गई और सलमा शीशे के सामने एक बार खुद को निहारने लगी ! अपने प्रियतम से उसकी आज पहली मुलाकात थी और दुनिया की हर औरत ऐसे मौके पर सबसे सुंदर दिखना चाहती है ! थोड़ी देर बाद सीमा खाना लेकर आ गई और सलमा ने दो दिन के बाद आज अच्छे से खाना खाया! उसके बाद सीमा बोली:"

" मेरे लिए अब क्या हुक्म है शहजादी?

सलमा:" कुछ नही आप जाओ और आराम करना! कल बात करेंगे आराम से!

सीमा उसके कक्ष से बाहर चली गई और सलमा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसका प्रियतम जो आ रहा था! सलमा ने अपने लिए अपना पसंदीदा सूट सलवार निकाला और उसे पहन लिया! वो काले रंग का सूट उसके गोरे चिट्टे बदन पर बेहद खूबसूरत लग रहा था! उसके बाद सलमा ने अच्छे से अपना मेकअप किया और वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी! उसकी काली बडी बडी आंखे गहरा काला काजल लगाने से बेहद आकर्षक लग रही थी और सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक से सजे उसके होंठ बेहद रसीले हो गए थे! सलमा ने एक बेहद मादक परफ्यूम लगाया और उसके बदन से मीठी मीठी खुशबू आ रही थी!


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सलमा ने खुद को शीशे में निहारा और अपने ही आप से शर्मा गई और फिर उसने हिजाब पहना और मुंह पर नकाब लगाकर धड़कते दिल के साथ घड़ी को देखने लगी! अभी 10 बजने में 30 मिनट बाकी थी और सलमा से इंतजार के ये पल काटे नही कट रहे थे! बार बार उसका बदन कांप रहा था और पूरे जिस्म में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी! सलमा ने अपनी मां ररजिया के कमरे को देखा तो पाया कि उसके कमरे की लाइट बंद थी तो उसने अंदाजा लगा लिया कि रजिया सो गई है और वो जानती थी रोज की तरह सलीम महल में नही होगा तो उसे उसकी कोई फिक्र ही नही थी! सलमा ने अपने हिजाब को अपने मुंह पर लगाया और महल की छत पर घूमने के लिए जाने लगी तो रास्ते में खड़े पहरा दे रहे सैनिकों ने सिर झुकाकर उसका अभिवादन किया और सलमा बोली:"

" आप सब दूसरी तरफ पहरा दीजिए! थोड़ी देर हम चांद को निहारना चाहते हैं!

सलमा के हुक्म देते ही वो सभी सैनिक छत पर से दूसरी तरफ चले गए और अब छत पर सिर्फ सलमा खड़ी थी जो बेचैनी से विक्रम का इंतजार कर रही थी!

विक्रम ने भी अपने आपको अच्छे से तैयार किया और आठ बजे के पहले ही महल से निकल गया और जैसे ही सुल्तानपुर की सीमा में घुसा तो उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और सुल्तानपुर के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गया तो सैनिक उससे बोला:"

" अरे कौन हो तुम? क्यों राज्य में घुसना चाहते हो?

विक्रम:" मंत्री जी वो एक मेरा दोस्त हैं आपके राज्य में रहीम जो खाने की दुकान चलाता हैं! बस उससे ही मिलने के लिए आया हु!

सैनिक:" ठीक हैं लेकिन बिना हमे खुश किए तुम अंदर नही जा सकते हो!

विक्रम ने अपने जेब से कुछ चांदी की मुद्रा निकाली और उस सैनिक के हवाले कर दी और उसके बाद राज्य में घुस गया तो उसकी खुशी का ठिकाना नही था! अब उसका और सलमा का मिलन होने से कोई नही रोक सकता था!

विक्रम सावधानी से इधर उधर देखते हुए रहीम की दुकान के सामने से निकला और उसका हाल चाल पूछने के बाद आगे बढ़ गया और अब वो महल के उत्तरी हिस्से में आ गया था जहां से वो उस दिन महल में घुसा था! विक्रम जैसे ही उस दलदल के पास पहुंचा तो उसने रस्सी निकाली और इससे पहले कि वो रस्सी फेंकता उसे छत पर सलमा दिखाई पड़ा और जैसे ही दोनो ने एक दूसरे को देखा तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए और सलमा ने विक्रम को रस्सी फेंकने से मना किया और थोड़ा पीछे जाने का इशारा किया तो विक्रम थोड़ा पीछे गया जहां पर कुछ बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे! सलमा ने उसे पत्थर हटाने का इशारा किया और पत्थर हटते ही विक्रम हैरान हो गया क्योंकि उसे एक गुफा नजर आई और सलमा ने उसे अंदर घुसने का इशारा किया तो विक्रम गुफा के अंदर घुस गया और उसने देखा कि गुफा के अंदर थोड़ी थोड़ी दूरी पर कुछ दीपक जल रहे थे तो विक्रम समझ गया कि जरूर सलमा ने जलाए होंगे ताकि मुझे अंदर आने में कोई दिक्कत न हो! विक्रम जैसे ही गुफा के अंतिम छोर पर पहुंचा तो उसे सामने सलमा खड़ी हुई नजर आई और दोनो की आंखे एक दूसरे से टकराई और दोनो बस एक दूसरे को देखते रहे! कुछ पल ऐसे ही बीत गए और दोनो को कोई होश ही नहीं था बस मदहोश होकर एक दूसरे को देख रहे थे! विक्रम के होठों पर मुस्कान आ गई और बोला:"

" शहजादी आपने हमे बुलाया और हम चले आए!

सलमा के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आई और उसके आंखे शर्म से झुक गई तो विक्रम उसके करीब पहुंचा और बोला:"

" क्या आपको अभी भी हिजाब मुझसे पर्दा करने की जरूरत है शहजादी? क्या मुझे मेरा चांद देखने का हक नहीं है?

सलमा ने कुछ जवाब नहीं दिया और बस हल्की सी मुस्कान दी तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसके नक़ाब को पीछे से खोल दिया तो सलमा का नूरानी चेहरा विक्रम की आंखे के सामने आ गया और विक्रम उसकी तारीफ करते हुए बोला:"

" अदभुत अकल्पनीय रूप सौंदर्य हैं आपका शहजादी! लगता हैं जैसे खुदा ने गलती से जन्नत से किसी हूर को मेरे लिए जमीन पर भेज दिया है !

अपनी ऐसी तारीफ सुनकर सलमा शर्म से लाल हो गई और नजरे नीची किए खड़ी रही तो विक्रम ने अपना हाथ आगे बढाकर उसके खूबसूरत चेहरे को ऊपर की तरफ उठाया और बोला:"

" मेरी तरफ देखिए ना शहजादी! आप खुश नहीं है क्या मेरे आने से


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दोनो की आंखे टकराई और सलमा सलमा ने शर्म से फिर से अपनी नजरो को झुका लिया और विक्रम का हाथ पकड़ कर बोली:"

" ऐसा न कहे युवराज! आपके आने से मुझे सारे जमाने की खुशी मिल गई है!

सलमा की पहल से विक्रम ने भी उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा अपने आप किसी चुंबक की तरह खींची चली आई और विक्रम को अपनी बांहों में भर लिया! दोनो ने एक दूसरे को कसकर गले लगा लिया और खुशी खुशी में दोनो के आंसू निकल गए और सलमा ने अपनी बांहों को पूरी ताकत से उसकी पीठ पर कस दिया!।।


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सलमा खुशी से सिसकती हुई बोली:" युवराज हम आपके बिना जी नहीं पाएंगे! आज के बाद मेरा सब कुछ आप हो!

विक्रम की आंखे भी भर आई थी और उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला:" मैं भी आपके बिना जी नहीं पाऊंगा मेरी शहजादी सलमा!

दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में खड़े और एक दूसरे से आंसू साफ करते रहे! सलमा को होश आया कि वहां वो सुरक्षित नही हैं और कोई भी आ सकता है तो वो धीरे से विक्रम की बांहों से निकली! सलमा ने गुफा का दरवाजा बंद किया और विक्रम का हाथ पकड़ कर चल पड़ी!

सलमा सावधानी से इधर उधर देखती हुई आगे बढ़ती रही और जल्दी ही वो अपने कक्ष में पहुंच गई तो जोर से पलट कर फिर से विक्रम को अपनी बांहों में भर लिया और उससे किसी अमरबेल की तरह लिपट गई और विक्रम ने भी उसे अपने मजूबत बहुपाश में बांध लिया! खिड़की से आती चांद की रोशनी कमरे मे पड़ रही थी और माहौल को और ज्यादा कामुक बना रही थी! दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और शहजादी के बदन में अब सिरहन सी दौड़ना शुरू हो गई थी क्योंकि अब उसकी सांसे तेज होने लगी थी!

विक्रम उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला:" क्या हुआ शहजादी आप ऐसे क्यों कांप रही हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और उसकी एक जोरदार कंपकपी छूट गई और बोली:"

" हमसे कुछ न पूछिए विक्रम! बस ऐसे ही अपने सीने में छुपाए रखिए हमें!

विक्रम ने उसे अपनी बाहों मे कसे रखा और अब शहजादी सलमा की सांसे इतनी ज्यादा उखड़ गई थी कि उसके सीने के भारी भरकम गोल गोल गुम्बद विक्रम के सीने पर अपना दबाव डाल रहे थे और शहनाज मदहोशी में उससे हर पल और ज्यादा जोर से लिपटने की कोशिश कर रही थी मानो उसके जिस्म के अंदर घुसना चाहती हो! विक्रम ने धीरे से उसके कान में फुसफुसाया:"

" शहजादी आप मेरी बांहों में तो मौत भी आ जाए तो कोई गम नही होगा!

सलमा ने उसके होंठो पर अपनी उंगली रख दी तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह् विक्रम!!

सलमा शर्म के मारे उससे अलग हो गई और बोली:"

" आइए न बैठिए युवराज! सुलतानपुर की शहजादी के कक्ष में आपका स्वागत है! आइए मेरे शाही बेड पर बैठिए!

उसकी बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा पड़ा और बोला:"

" जरूर बैठेंगे लेकिन मेरी भी एक शर्त है शहजादी!

शहजादी ने उसकी तरफ देखा और बोली:" हमे आपकी हर शर्त खुशी खुशी मंजूर है युवराज! बस ऐसा कुछ मत मांग लेना जो मेरी मान मर्यादा के खिलाफ हो!

विक्रम का दिल तड़प उठा और बोला:" आपका ऐसा सोचना भी मेरे प्यार का अपमान है शहजादी!

शहजादी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो फौरन उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" मेरी बात से आपको ठेस पहुंची हो तो माफ कीजिए मुझे! बताए ना क्या शर्त है आपकी?

विक्रम ने उसे एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसके चेहरे को ऊपर उठाकर अपने सामने करके उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" जो मैं मांगूंगा आप दे पाएंगी क्या शहजादी?

सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" आप जान मांग देख लीजिए युवराज!

विक्रम ने उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा कर फिर से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" ठीक हैं फिर जब तक मैं यहां हु आप मेरी गोद में बैठी रखेगी शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर जोर से कांप उठी और उसकी पकड़ से आजाद होकर बोली:"

" बेशर्म कहीं के ! आप इतने शैतान होंगे देखकर लगता तो न था मुझे!

विक्रम:" सब आपकी खूबसूरती का कमाल है शहजादी! मैं चाहकर भी खुद को आपसे दूर नही रख पा रहा हूं!

इतना कहकर उसने सलमा को आगे बढ़कर फिर से बांहों में भर लिया और गोद में उठाकर बेड की तरफ ले चला तो सलमा ने भी खुशी खुशी उसके गले में अपनी बांहों का हार पहना दिया और जैसे ही युवराज उसे लेकर बेड पर चढ़ा तो गद्दा करीब एक फीट अन्दर घुस गया और फिर अपने एक झटके के साथ उपर आ गया और ये देखकर विक्रम मुस्कुराते हुए बोला:"

" कमाल का बेड हैं आपका शहजादी! बिलकुल नर्म मुलायम और गद्देदार!

अब सलमा बेड के बीचों बीच उसकी गोद में बैठी हुई थीं और बोली:" ये सुल्तानपुर का बेड हैं युवराज तो कमाल तो होगा ही!

विक्रम की छाती अब शहजादी की कमर से लगी हुई थी और विक्रम बोला:" वैसे मानना पड़ेगा सुल्तानपुर को, सच में यहां की हर एक चीज बेहद कमाल की हैं शहजादी सलमा!

इतना कहकर उसने जोर से शहजादी का हाथ दबा दिया तो सलमा उसकी बात का मतलब समझते ही मुस्कुरा उठी और बोली:" विक्रम मैने कभी नही सोचा था कि मुझे इतना ज्यादा हो जायेगा आपसे! आप मेरी जिंदगी बन गए हो! मैं इतना तड़प रही थी आपके लिए कि इंतजार नही पाई और सीमा को भेज दिया!

विक्रम:" आप ही मेरा सब कुछ हो सलमा! अच्छा ही किया आपने जो सीमा को भेज दिया वरना हम दोनो ऐसे ही तड़पते रहते!

सलमा;" हान विक्रम! आपको पता है मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था आपके बिना! न ठीक से खा रही थी और न ही सो पा रही थी विक्रम!

विक्रम ने अपने एक हाथ की उंगलियों में सलमा की उंगलियों को फंसा लिया और बोला:"

" मेरा भी यही हाल था शहजादी! इतना समझ लीजिए कि जिंदा नही था बस सांसे चल रही थी! वैसे अभी कैसा लग रहा है आपको?

सलमा उसकी बात सुनकर झूम उठी और अपनी उंगलियों का दबाव उसकी उंगलियों पर देते हुए बोली:"

" लग रहा है जैसे सब कुछ मिल गया है मुझे! आपकी गोद में बेहद सुकून मिल रहा है मुझे!

विक्रम ने शहजादी के बालो से उठती हुई खुशबू को सूंघा और बोला :" आपके बाल बेहद घने और खूबसूरत हैं बिलकुल रेशम जैसे शहजादी इनसे उठती हुई खुशबू मुझे मदहोश कर रही है!

इतना कहकर उसने अपना मुंह उसके रेशमी बालों में घुसा दिया तो सलमा मचल उठी और बोली:"

" आप काबू अपने दिल पर नही रख पा रहे हैं और इल्जाम मेरे बालो पर लगा रहे हैं! बहाने बनाना से कोई आपसे सीखे!

विक्रम अपने दूसरे हाथ को उसके सिर पर ले गया और उसके बालो के जूडे को पकड़ते हुए बोला:"

" आपके बाल खुल दू क्या शहजादी? खुले बालो में आप रात को बेहद हसीन लगोगी!

सलमा उसकी बाते सुनकर मचल रही थी और उसके दिल में अरमान थे कि उसका प्रेमी उसके बालो को सहलाए, उनसे खेले तो सलमा ने अपनी गर्दन हिला कर उसे सहमति दे दी और विक्रम ने उसके बालो को खोल दिया जिससे बाल उसके खूबसूरत चेहरे के चारो ओर फैल गए और बोला:"

" आपको मेरी नजर न लगे राजकुमारी! लगता हैं आप मेरी जान लेकर ही रहोगी आज!

सलमा का खूबसूरत चेहरा बालो से घिर गया और सलमा उसकी मस्तानी बातो से धीरे धीरे पिघल रही थी और उसने फिर से अपनी उंगली को विक्रम के होठों पर रख दिया तो विक्रम ने इस बार अपने मुंह को खोला और उसकी ऊंगली को मुंह में भर लिया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" हाय विक्रम!! उफ्फ क्या गजब करते हो! ये जुल्म मत कीजिए

विक्रम ने दूसरे हाथ को सलमा के पेट पर बांध कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी उंगली को अपनी गर्म तपती हुई जीभ से चूसने लगा तो सलमा मस्ती से बेहाल हो गई और उसकी बांहों में पिघलती चली गई! अब तक सलमा ने अपनी उंगली को उसके मुंह से निकालने की कोई कोशिश नही करी थी और विक्रम मजे से उसकी उंगली को किसी कुल्फी की तरह चूस रहा था और सलमा का पूरा बदन अब जोर जोर से कांप रहा था और विक्रम ने उत्तेजना से मदहोश होकर उसकी उंगली में दांत गडा दिए तो सलमा मीठे मीठे दर्द से कराह उठी और विक्रम ने उसकी ऊंगली को छोड़ दिया और उसकी गर्दन पर अपनी गर्म तपती हुई सांसे छोड़ते हुए बोला:"

" आप बेहद रसीली हो मेरी जान सलमा! मैं तो धन्य हो गया!

सलमा उसकी गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस करके और ज्यादा मदहोश हो गई और सिसकते हुए बोली:"

" बस कीजिए मेरी जान, मेरे प्रियतम, हम बहक जायेंगे!

विक्रम ने उसकी सिसकी सुनकर अपने हाथ का दबाव उसके पेट पर बढ़ा दिया और उसके बालो गर्दन के बिलकुल पास अपनी गर्म तपती सांसे छोड़ते हुए धीरे से बेहद कामुक अंदाज में बुदबुदाया

" तो बहक जाइए न मेरी शहजादी सलमा! मैं हूं ना आपको संभालने के लिए!

सलमा पूरी तरह मदहोश हो गई थी और उसने अपने सिर को पीछे करते हुए उसके कंधे पर टिका दिया तो विक्रम का हौसला बढ़ गया और उसने अपनी गर्म जीभ को शहजादी सलमा की गर्दन पर लहरा दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम के हाथ को जोर से कस लिया तो विक्रम ने अब अपना मुंह खोलते हुए शहजादी की गर्दन को अपने दांतों में दबोच लिया और हल्का हल्का काटने लगा तो सलमा उत्तेजना से कांपती हुई जोर से थरथरा उठी और विक्रम ने जोर से उसकी गर्दन को चूस लिया!

JxFmy


सलमा मस्ती से सिसक उठी विक्रम धीरे से उसके कान में फुसफुसाया"

:"आप एक काम कीजिए ना मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठिए न मेरी जान सलमा!

इतना कहकर विक्रम ने उसे हल्का सा उठाया और सलमा किसी रिमोट से चलने वाली मशीन की तरह उसकी गोद में बैठ गई और दोनो की आंखे टकरा गई तो विक्रम ने देखा कि सलमा का चेहरा पूरी तरह से शर्म और उत्तेजना से लाल हुआ था और उसकी आंखे थोड़ी सी फैल गई थी जिसमे लाल रंग के कामुक डोरे साफ नजर आ रहे थे ! विक्रम ने उसे अपने करीब कर लिया और विक्रमउसकी आंखो मे देखते हुए बोला:"

" सलमा आपको कुछ बुरा तो नही लग रहा है न मेरी जान!

प्रियतम की गोद में बैठी मचलती हुई सलमा को भला क्या बुरा लग सकता था तो सलमा उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" विक्रम आप बहुत प्यारे हो मेरी जान! मुझे कसकर समेट लीजिए अपनी बांहों में !!

विक्रम ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथो को लपेट दिया और उसे पूरी तरह से अपने सीने में घुसा सा लिया और बोला

" अगर आपकी इजाजत हो तो आपका बुर्का निकाल दू क्या शहजादी सलमा!

सलमा पर मदहोशी का ऐसा सुरूर चढ़ा था कि उसने कुछ भी कहना जरूरी नहीं समझा और अपनी टांगो को फैला कर विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम ने अपने हाथो को उसकी गर्दन पर ले जाकर बुर्के की चैन को खोल दिया और सलमा का उपरी हिस्सा अब सिर्फ एक बेहद कसे हुए सूट विक्रम की आंखो के आगे आ गया और विक्रम को अब सलमा की गोल गोल गुम्बद की गोलाई और मोटाई का सही एहसास हुआ और उसने सलमा को जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो बेकरार सलमा ने आपको ढीला छोड़ दिया तो एक झटके के साथ दोनो बेड पर लुढ़क गए और अब सलमा के उपर विक्रम पूरी तरह से चढ़ा हुआ था और मदहोश सलमा उसकी कमर में अपनी बांहों को लपेटे हुए पड़ी थी! कमाल की जोड़ी थी दोनो की लंबाई चौड़ाई बिलकुल बराबर थी एकदम सिर से लेकर पांव तक! सलमा की जोर जोर से चलती हुई सांसों के कारण विक्रम को अपने सीने में उसकी गोलाईयों का सख्त एहसा हो रहा था और विक्रम ने अब उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया तो सलमा जोर जोर से कांपने लगी जिससे उसका पूरा बदन हिलने लगा तो विक्रम ने उसकी टांगो को अब अपनी टांगो में जोर से कस लिया और पूरी लंबाई में अपनी जीभ निकाल कर सलमा की पतली सुराहीदार गर्दन को चूसने लगा तो सलमा मछली की तरह मचलती हुई उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा दी और विक्रम ने उसकी गर्दन को अपने दांतों में भरकर हल्का हल्का काटना शुरू हो दिया और सलमा से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और सिसकते हुए बोली:"

" आआआह्हह मत कीजिए मेरे प्रियतम! आज मर जाऊंगी मैं!

विक्रम ने अपने जलते हुए होठों को अब उसके गाल पर रख दिया और चूमकर मदहोशी से बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह् मत रोकिए मुझे शहजादी! आह्ह मेरी सलमा आपके गाल कितने ज्यादा मीठे और नर्म मुलायम हैं!

इतना कहकर विक्रम ने फिर से उसके एक गाल को इस बार मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो सलमा का जिस्म उत्तेजना के मारे झटके खाने लगा और गद्देदार बिस्तर के कारण दोनो का जिस्म उपर नीचे होने लगा मानो चुदाई हो रही हो और ये सोचते ही सलमा के गोल गोल गुम्बद पूरी तरह से तनकर अकड़ गए और उसकी चूत में गीलापन आ गया तो सलमा ने तड़पते हुए दोनो हाथों से विक्रम के चेहरे को पकड़ा और उसके एक गाल को चूम लिया तो विक्रम ने बेकाबू होकर अपने जलते हुए होठों को सीधे सलमा के नर्म मुलायम नाजुक रसीले होंठों से जोड़ दिया और दोनो ही बेकाबू होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे! विक्रम कभी उपर वाले होंठ को चूसता कभी कभी नीचे वाले होंठ को! सलमा भी मदहोशी से आंखे बंद किए अपने होंठ चुसवा रही थी और देखते ही देखते सलमा ने मदहोश होकर अपना मुंह खोल दिया और विक्रम की जीभ उसकी जीभ से मिल गई और विक्रम ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और सलमा ने मस्ती से अपनी रसीली लसलसी जीभ को बाहर निकाल दिया और विक्रम उसकी जीभ को चूसने लगा और सलमा के मजे की कोई सीमा नही थी!।।



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।विक्रम उसकी जीभ को कभी होंठो से चूसता तो कभी अपनी जीभ से उसका रस चूसता! सलमा के होंठो और जीभ से बेहद रसीला और मादक रस निकल रहा था और विक्रम किसी प्यासे भंवरे की तरह उसका रस चूस रहा था! दोनो की सांसे बुरी तरह से फूल गई थी लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था और खासतौर से विक्रम क्योंकि सलमा के होंठ और जीभ उसके मुंह में स्पंजी रसगुल्ले की तरह घुल रहे थे! आखिरकार करीब पांच मिनट के बाद दोनो की किस टूट ही गई और सलमा शर्म ने आंखे बंद किए पड़ी रही और विक्रम ने फिर से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और शहजादी सलमा भी कहां पीछे रहने वाली थी और फिर से दोनो की जीभ एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगी और विक्रम अपने पैर की उंगलियों से उसके पैर की उंगलियों को सहला रहा था और दोनो किस कर ही रहे थे कि शहजादी के कक्ष पर उसकी एक नौकरानी ने दस्तक दी और बोली:"

" आपके उठने का समय हो गया है शहजादी ! आपके नहाने का गर्म पानी शाही हमाम में पहुंचा दिया गया है!

आवाज सुनकर दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और किस फिर से टूट गई और सलमा ने देखा कि घड़ी मे सुबह के पांच गए थे तो उसे हैरानी हुई कि इतनी जल्दी पूरी रात कैसे निकल गई उसे पता ही नही चला!

सलमा:" मुझे नहाने जाना होगा विक्रम! आप यहीं रुकिए मैं आती हु थोड़ी देर बाद!

विक्रम:" मुझे जाने दीजिए शहजादी नही तो देर हो जायेगी बहुत!!

सलमा:" आप ऐसे दिन में उस रास्ते से नही निकल सकते युवराज! मैं आती हूं उसके बाद बात करते हैं!

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने गले लगाते हुए बोला:"

" मैं भी चलू क्या आपके साथ नहाने के लिए शहजादी?

सलमा ने उसका गाल चूम लिया और फिर उसे बेड पर धक्का देते हुए बोली:" बहुत शैतान हो गए हो आप एक ही रात में! चलो बेड पर आराम करो!

इतना कहकर वो मुस्कुराती हुई बाहर निकल गई और विक्रम बेड पर लेटकर उसके आने का इंतजार करने लगा!

थोड़ी देर बाद सलमा के कक्ष का दरवाजा खुला और सलमा एक खूबसूरत राजसी गाउन में नजर आई और नहाने के बाद वो बेहद आकर्षक लग रही थी बिलकुल खिले हुए गुलाब की तरह! वो चलती हुई विक्रम के पास आई और विक्रम आंखे फाड़कर बस उसे ही देखता रहा!


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विक्रम ने सलमा को पहली बार बुर्के के बिना देखा था और आज पहली बार उसे सलमा के शरीर की सही बनावट का अंदाजा हुआ और वो उसकी खूबसूरती में खोया हुआ था वो सलमा उसके ठीक सामने खड़ी हो गई और बोली:"

" कहां खो गए युवराज?

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" बस देख रहा था कि शहजादी सलमा बुर्के के बिना ज्यादा खूबसूरत लगती हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसके गले लगाकर बोली:" आप न अपनी छेड़छाड़ से बाज नहीं आते विक्रम!

विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट दिया और इस बार उसे सलमा के बदन के स्पर्श का बेहद अच्छे से एहसास हो रहा था और विक्रम ने सलमा का एक गाल चूम लिया और बोला:"

" सलमा आप मेरे सामने ऐसे ही अब बिना बुर्के के आया करना जब भी मैं आपसे मिलने के लिए आऊं!

सलमा उसके बालो को सहलाते हुए बोली:" सब समझती हूं मैं आपकी बाते क्यों आप ऐसा बोल रहे हों मुझे!

विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे को दोनो हाथों में भर लिया और बोला:" अच्छा जी जरा हमे भी तो बताओ क्या समझ में आया आपको शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:"

" जाइए मैं आपसे बात नही करती विक्रम!

विक्रम ने एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके खुले बालो को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठा दिया और अपने होंठो को फिर से उसके होंठो से चिपका दिया और सलमा मदहोश होकर उससे लिपट पड़ी और विक्रम ने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनो की जीभ फिर से गुत्थम गुत्था हो गई और विक्रम के हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए हुए नीचे की तरफ बढ़ गए तो सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो पूरी कसकर युवराज से लिपट गई और मस्ती से उसकी जीभ को चूसने लगीं तो विक्रम ने अपनी जीभ को सलमा के मुंह के अंदर डाल दिया और सलमा ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और विक्रम के हाथ उसके चौड़े, गुदाज और ठोस पिछवाड़े की गोलाई पर आ गए और जैसे ही विक्रम ने उसके नितंबों को सहलाया तो सलमा ने अपने आपको उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया और उसकी जीभ को पूरी बेशर्मी दिखाते हुए चूसने लगी और विक्रम ने अब खड़े खड़े ही सलमा को गोद में उठा लिया और सलमा की गांड़ के उभारों को जोर से मसल दिया तो सलमा ने पूरी तरह से बेकाबू होकर अपनी टांगो को उसकी कमर में लपेट दिया जिससे उसका गाउन उसकी गांड़ पर से हट गया और विक्रम ने जैसे ही उसकी नंगी गांड़ को अपने हाथों में भरा तो सलमा का बचा हुआ धैर्य भी जवाब दे गया और उसने विक्रम की जीभ को अपने दांतों में दबा लिया और दोनो के मुंह से एक साथ मस्ती भरी आह निकल पड़ी और सलमा एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी! उसकी उठती गिरती हुई चूचियां अपने पूरे शबाब पर थी और विक्रम उसकी तरफ बढ़ा तो फिर से दरवाजे पर दस्तक हुई तो सलमा विक्रम की आंखो में देखते हुए बोली:"

" क्या हुआ?

महिला सैनिक:" आपका नाश्ता तैयार हो गया है! इजाजत हो तो मैं खाने की मेज पर लगा दू क्या?

सलमा ने आगे बढ़कर विक्रम का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" आज मैं अपने कक्ष में ही नाश्ता करूंगी! लाओ मुझे यही दे दो!

इतना कहकर सलमा ने विक्रम को एक पर्दे के पीछे किया और बाहर जाकर नाश्ता लेकर अंदर आ गई और फिर विक्रम को अपने हाथों से खिलाया और उसके बाद विक्रम बोला:"

" अब हमे इजाजत दीजिए शहजादी!

सलमा:" आपका ऐसे जाना सही नही होगा युवराज! हम खुद आपको अपने साथ लेकर जाएंगे!

विक्रम:" अच्छा जी भला वो कैसे शहजादी?

सलमा ने जोर से ताली को बजाया और बाहर से आवाज आई:" हुक्म करो शहजादी?

सलमा:" हम थोड़ी देर बाद नदी के किनारे घूमने जायेंगे! हमारे लिए एक घोड़ा बग्गी का इंतजाम किया जाए!

उसके बाद सलमा विक्रम से बोली:"आप पहली बार हमसे मिलने आए हैं विक्रम तो हमारे साथ शान से बग्गी में जायेंगे!

इतना कहकर सलमा अपना बुर्का पहनने लगी और जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में कस लिया और उसके बाद सलमा सावधानी से विक्रम को अपने साथ लेकर अस्तबल की तरफ चल पड़ी और विक्रम को वहां खड़ी घोड़ा बग्गी में छुपा दिया और थोड़ी देर बाद ही सैनिक और सीमा भी आ गई और शहजादी बग्गी के अंदर बैठ गई और विक्रम ने बिना मौका गंवाए उसे अपनी बांहों में समेट लिया और सलमा भी उससे लिपटती चली गई और विक्रम अब प्यार से कभी उसके हाथ को चूमता तो कभी उसके बालो को संवारता! वही सलमा भी कभी उसके गाल को चूम लेती तो कभी उसके माथे को चूम रही थी! बग्गी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और आगे पीछे सैनिक घोड़े पर सवार होकर चल रहे थे! जल्दी ही बग्गी सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल गई और नदी का किनारा आने ही वाला था तो सलमा की आंखे भर आई और बोली:

" जाना जरूरी है क्या युवराज?

विक्रम ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और बोला:"

" मन तो मेरा भी नही कर रहा शहजादी लेकिन मैं जल्दी ही फिर आऊंगा!

सलमा उसकी आंखो मे देखते हुए बोली:" मैं इंतजार करूंगी आपका धड़कते दिल के साथ विक्रम!

विक्रम ने उसके एक गाल को मुंह में भर कर चूस लिया और बोला:"

" ज्यादा दिल मत धड़काना शहजादी अपना नही तो बहुत कुछ धड़क जायेगा!


उसकी बात का मतलब समझकर शहजादी सलमा मुस्कुरा उठी और उसका गाल चूमते हुए बोली:" या अल्लाह क्या करू आपका!! मैं परसो महल के पीछे बने हुए शाही पार्क में आप का फिर से इंतजार करूंगी विक्रम!

विक्रम:" मैं आऊंगा शहजादी लेकिन एक वादा करो कि मुझे बिना बुर्के के मिलोगी!!


सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम से कसकर लिपट गई और बोली:"

" ज्यादा छेड़छाड़ तो नही करोगे ना मेरे साथ!

विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और बोला:" मेरी इतनी हिम्मत कहां जो शहजादी सलमा के साथ छेड़ छाड़ कर सकू!

दोनो बात कर ही रहे थे कि बग्गी नदी किनारे रुक गई और सलमा बोली:" मैं अब नदी की तरफ जाऊंगी और सब सैनिक मेरे साथ जाएंगे! आप आराम से पीछे से चले जाना युवराज!

विक्रम ने उसे प्यार से उसका मुंह चूम लिया और बोला:"

" सलमा आपका साथ गुजारी ये रात मुझे मरते दम तक याद रहेगी!

सलमा ने उसकी बात सुनकर उसके होंठो पर उंगली को रख दिया तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूस लिया और सलमा बोली:"

" भूलना मत विक्रम! मैं परसो रात 11 बजे आपका इंतजार करूंगी!

इतना कहकर वो विक्रम का हाथ चूमकर बग्गी से बाहर निकल गई और सारे सैनिक उसके पीछे चल पड़े और विक्रम बग्गी से उतरा और उदयगढ़ की तरस चल पड़ा!

Behad shandar aur romantic update diya he Unique star Bhai,

Rajmata ne Ajay ko pure rajya ki suraksha jimma to de diya he lekin senapati shakti singh ko ye baat achchi nahi lagi..............aane wale samay me ye shakti singh jarur koi na koi bawal karega...........

Ajay ko uski maa menka ke sath ek kriya karni he............shayad yahi se in dono ka rishta badal jaye..........

Jabbar behad shatir aur kamina aadmi he.......ek taraf salim ko apni biwi se fansa raha he aur use maharani ke sapne dikha raha he.......aur dusri taraf radhika ko bhi maharani banane ka vada kar raha he....................lekin jaha tak mujhe lagta he wo sirf in dono ko use kar raha he.............asli maksad to uska salma ko paa kar pure rajya par adhikar karna he........

Keep posting Bhai

Salma aur Vikra ek dusre ke pyar me ab pagal ho chuke he........... ab in dono ka ek dusre me bina rehna na-mumkin ho gaya he...........
 

Sanju@

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विक्रम अपने राज्य उदयगढ़ वापिस लौट आया और उसे उदास देखकर उसके दोस्त अजय ने पूछा:"

" क्या हुआ राजकुमार ? बड़े उदास लग रहे हो ?

विक्रम ने उसकी तरफ निराशा से देखा और बोला:"

" मत पूछो मेरे मित्र! सच कहूं तो किसी के कहने के काबिल नही बचा कुछ !

अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" ऐसा न कहो मेरे मित्र, मेरे भाई ! कोई समस्या हो तो आप मुझसे कहिए ? कुछ न कुछ उपाय करेंगे!

विक्रम:" भाई आज मेरा घोड़ा पवन गलती से सुल्तानपुर की सीमा में चला गया और वहां की शहजादी ने पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात घोड़ा मेरे पास आने की बजाय उसके साथ ही चला गया! बस यही मेरे लिए का विषय हैं मेरे भाई!

उसकी बात सुनकर अजय को मानो सांप सा सूंघ गया और बोला:" क्या आप सच कह रहे हो राजकुमार ? मुझे यकीन नही हो रहा है! आप सुल्तानपुर गए थे क्या?

विक्रम:" हान भाई गया था मैं अपने घोड़े के लिए! लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाया! लेकिन शहजादी ने मुझे वचन दिया हैं कि मैं जब मन करे घोड़े से मिलने आ सकता हु !

अजय ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" आप बाहर ही पले बढे और कुछ दिन पहले ही वापिस आए हैं! क्या आपको पता हैं कि सुल्तानपुर से हमारे रिश्ते कैसे हैं ?

विक्रम ने आंखो में हैरानी लिए उसकी तरफ देखा और बोला:"

" हमारे रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है अजय और फिर किसकी इतनी हिम्मत हैं कि उदयगढ़ के भावी राजा के सामने आंख उठा सके !!

अजय:" राजकुमार आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप आज के बाद सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम थोड़ा गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला:"क्यों नहीं जायेंगे हमारा पवन हैं वहां ! जब तक वो वापिस नहीं आएगा हम चैन से नहीं बैठ सकते!

अजय ने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए और बोला:"

" राजुकमार आपको मेरी दोस्ती की कसम कि आज के बाद आप सुल्तानपुर नही जायेंगे! पवन को किसी भी कीमत पर मैं वापिस लेकर आऊंगा!

विक्रम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:" ये हमें किस बंधन में बांध रहे हो मित्र? आखिर वहां जाने में दिक्कत क्या हैं क्योंकि शहजादी ने हमे खुद वचन दिया हैं!! कोई बात है तो हम बताए आप

अजय ने उसके सामने दोनों हाथों को जोड़ दिया और बोला

" मैं विवश हु राजकुमार! चाह कर भी आपको कुछ नही बता सकता! बस मेरा यकीन कीजिए कि वहां जाना आपके लिए ठीक नहीं होगा!

विक्रम ने जोर से एक मुक्का बराबर में खड़े पेड़ पर गुस्से से मारा और वो मजबूत पेड़ बीच से टूट गया और विक्रम जोर से भड़का:"

" तुम्हे मेरे कसम है अजय! या तो हमे बताओ नही तो हमे सुल्तानपुर जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक पाएगी!

अजय:" नही राजकुमार हमे धर्म संकट में मत डालिए आप! हमने राजमाता को वचन दिया हैं कि मर जायेंगे लेकिन हमारी जुबान नही खुलेगी!

विक्रम गुस्से से लगभग दहाड़ा और बोला:"

" अगर आप हमारी कसम नही मानते तो दुनिया की कोई ताकत हमें सुल्तानपुर जाने से नही रोक पाएगी और आपकी कसम भी नहीं अजय!!

इतना कहकर विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में लहराया मानो अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो और अजय उसके कदमों में गिर पड़ा और बोला:"

" राजकुमार आपको सुल्तानपुर जाने के लिए मेरी लाश पर से गुजरना पड़ेगा!!

विक्रम को मानो उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अजय तुम होश में तो हो ? आपको पता है कि क्या आप क्या कह रहे हो?

अजय ने हाथ से विक्रम की तलवार पकड़ी और अपनी गर्दन पर टिका दी और बोला:"

" जब तक मेरे जिस्म में आखिरी सांस होगी आप सुलतानपुर नही जा पाएंगे! आप मेरी गर्दन काटकर ही जा सकते हैं!!

विक्रम ने अपनी तलवार को वापिस म्यान में रख लिया और तभी किसी के आने की आहट हुई तो दोनो चुप हो गए और अजय ने देखा कि राजमाता गायत्री देवी उधर की आ रही है तो उसने इशारे से विक्रम की मना किया कि राजमाता से कोई सवाल न करे! राजमाता उनके पास आ गई और बोली:"

" क्या बाते कर रहे थे दोनो जो मुझे देखते ही चुप हो गए?

विक्रम:" कुछ भी नही राजमाता! बस अजय बता रहा था कि हमे अपने राज्य की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि सर्दी आने वाली है!


राजमाता:" बिलकुल सही बात हैं! सर्दी में कभी कभी चोर डाकू अंदर घुस आते हैं और लूटपाट का खतरा हो सकता है!

विक्रम:" जी राजमाता फिर मेरे विचार से आपको पूरे राज्य की सुरक्षा अजय के हाथ में ही से देनी चाहिए!

राजमाता:" सोच तो मैं भी यही रही हु बस इस बार जब मंत्री दल की बैठक होगी तो ये घोषणा भी कर दी जाएगी! क्यों अजय तुम्हे कोई दिक्कत तो नही!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता, अपने खून की आखिरी बूंद तक उदयगढ़ की रक्षा करूंगा!

राजमाता:" शाबाश, तुम जैसे युवा नौजवान ही उदयगढ़ को ऊंचाई पर लेकर जाएंगे! आपकी मम्मी कैसी हैं अभी ?

अजय थोड़ा उदास हो गया और बोला:" बस पहले से थोड़ी अच्छी हैं, पिताजी की याद में अक्सर रोती रहती है! आप ही उन्हें एक दिन अच्छे से समझा दीजिए ना!

राजमाता:" मुझसे बेहतर भला पति को खोने का दर्द कौन समझ सकता है, ठीक है मैं बात करूंगी! और कोई जरूरत हो तो बताना मुझे!

अजय:" जी राजमाता!

राजमाता:" अच्छा मैं अब चलती हु, वैसे भी अब मेरी पूजा का समय हो गया है!

इतना कहकर राजमाता चली गई और अजय भी विक्रम से इजाजत लेकर अपने घर की तरफ लौट चला और विक्रम के दिमाग में सवालों का तूफान मचा हुआ था कि उसे सुल्तानपुर क्यों नहीं जाना चाहिए! आखिर ऐसी क्या बात है जो उससे छुपाई गई हैं ! जरूर कुछ तो हैं जिसका मुझे पता करना हो होगा!

विक्रम जानता था कि उसे ये सब कहां से पता चल सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ गया और अब वो राज वैद्य शक्ति सिंह के घर के सामने खड़ा हुआ था और वो जानता था कि शक्ति सिंह उसके सामने हर हाल में अपना मुंह खोल देगा क्योंकि अभी तीन पहले भी उसने शक्ति सिंह को उसके बेटे की बहु मीनू के साथ संभोग करते देख लिया था जब वो उसके घर आया था! शक्ति सिंह ने राजकुमार से माफी मांगी थी और जीवन भर उसका वफादार बनने का वादा किया था! विक्रम को अपने घर देखकर शक्ति सिंह हैरान हुआ और बोला:"

" युवराज आपने क्यों आने का कष्ट किया मुझे महल बुला लिया होता आपने!

विक्रम:" हम एक मुश्किल में फंस गए हैं वैद्य जी और आप ही हमारी मदद कर सकते हैं!

वैद्य:" मेरी किस्मत होगी! आज्ञा दीजिए आप!


विक्रम:" सुल्तानपुर और उदयगढ़ की क्या कहानी है!

ये सुनते ही वैद्य जी के चेहरे का रंग उतर गया और हकलाते हुए बोले:"

" मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता राजकुमार!

विक्रम:" फिर आपकी जुबान लड़खड़ा क्यों रही है वैद्य जी? बेहतर होगा कि मेरे सवालों का जवाब दो!

वैद्य:" मेरी आजकल तबियत ठीक नहीं रहती वो शायद इसलिए ऐसा हो गया और मेरी उम्र भी तो हो गई हैं!!

विक्रम ने अपनी गुस्से से लाल आंखो से उसे घूरा और बोला:"

" अच्छा तो ये बात हैं! खैर छोड़िए एक बात बताओ मीनू नही दिख रही है? कहीं गई हैं क्या वो आज ?

वैद्य के चेहरे पर कई रंग आए और गए और वो विक्रम के आगे हाथ जोड़कर बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज! मैं मजबूर हू आपको चाह कर भी कुछ नहीं बता सकता!

विक्रम ने उसे अच्छे से देखा और मुस्कुरा कर हुए बोला:"

" कोई बात नही वैद्य जी लेकिन याद रखिए कि मैं मजबूर नही हु आपकी तरह से! अच्छा मैं अब चलता हु!

विक्रम चलने लगा तो वैद्य जी ने उसके पैर पकड़ लिए और बोले:"

" युवराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं सब इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी! मैं आपको सब बताने के लिए तैयार हु!

युवराज विक्रम वही बेड पर बैठ गया और वैद्य जी ने बोलना शुरू किया:"

" अब से 10 साल पहले दोनो राज्य बेहद सम्पन्न थे और आपस मे आज की तरह कोई दुश्मनी नहीं थी! फिर एक दिन सुलतान पुर पर पिंडारियो ने हमला कर दिया और पड़ोसी होने के नाते आपके पिता महेंद्र सिंह मदद के लिए गए लेकिन आज तक कभी वापिस नही आए और लोग कहते हैं कि सुल्तानपुर के लोगो ने पिंडारियो से समझौता कर लिया था और आपके पिताजी को पिंडारियों ने मार दिया था और उनकी लाश हमे सुल्तानपुर के जंगल से मिली थी! उसके दिन के बाद से हम सुल्तानपुर के लोगो पर यकीन नहीं करते!

विक्रम को अपने कानो पर मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोला:"

" लेकिन राजमाता तो बताती है कि शिकार पर घायल शेरनी के हमले से पिताजी की मौत हुई थी तो क्या ये सच नहीं हैं ?

वैद्य:" बिलकुल भी सच नही हैं! आपसे सब सच्चाई छुपाई गई है ताकि आप भी इस दुश्मनी का हिस्सा न बन सके!

विक्रम गुस्से से भर उठा और उसकी आंखो से लाल चिंगारिया सी निकलने लगी और बोला:"

" वो कौन है वैद्य जी जिसने मेरे पिताजी को धोखा दिया ? उसके इतने टुकड़े करूंगा कि पूरा सुल्तानपुर नही गिन पायेगा!

वैद्य:" बेटा तो सुल्तानपुर के राजा मीर जाफर थे लेकिन जिंदगी ने उसे भी उसकी औकात दिखा दी और वो भी पिंडारियो के हाथो मारा गया था!

विक्रम के चेहरे पर ये सुनकर एक अजीब सा सुकून मिला तो आंखो मे निराशा भी दिखी और बोला:"

" काश मैं उसे अपने हाथो से मार पाता तो मुझे कितनी खुशी होती! अभी वैसे सुल्तानपुर का राजा कौन हैं ?

वैद्य:" युवराज कहने के लिए तो सुलतान का बेटा राज्य संभालता हैं लेकिन वो मानसिक रूप से बीमार हैं और सबसे बड़ी बात वो लड़की और शराब से बाहर नही निकल पाता है! राज्य की देखभाल पूरी तरह से सेनापति जब्बार खान के हाथ में हैं जो एक बेहद क्रूर और निर्दयी इंसान हैं!


विक्रम:" तो क्या राजा के परिवार में और कोई नही हैं क्या जो राज्य को संभाल सके ?

वैद्य:" राजा की बेटी शहजादी सलमा बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ एक बहादुर और तेज दिमाग वाली लड़की हैं लेकिन उसकी एक नही चल पाती क्योंकि वो हमेशा सेनापति के खिलाफ होती हैं!

विक्रम को सलमा के नाम से याद आया कि उसका घोड़ा पवन तो सुल्तानपुर में ही छूट गया है और बोला:"

" जब सलमा शहजादी हैं तो वो अपनी ताकत का इस्तेमाल क्यों नही करती हैं?

वैद्य:" राज नियमो के अनुसार जब तक बेटा जिंदा हो तो बेटी को गद्दी नही मिलती हैं! राजा के बेटे सलीम को जब्बार ने अंधेरे में रखा हुआ है कि राज्य में सब ठीक चल रहा है जबकि सच्चाई वो नही जानता हैं! बेटे की जिद के आगे सलमा की अम्मी रजिया भी मजबूर हैं और चाह कर भी कुछ नही कर पाती!

विक्रम:" मतलब राज्य पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर नाच रहा है और सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा है!

वैद्य:" आप बिलकुल ठीक समझे युवराज! लेकिन ये बात कभी राजमाता को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैने आपको ये सब बताया है!

विक्रम ने वैद्य जी का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और बोले:"

" आप चिंता मुक्त रहिए! मैं आपको वचन देता हूं!

उसके बाद विक्रम राजमहल की तरफ चल पड़ा और अब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती किसी भी हाल में पवन को वापिस लाना था क्योंकि जो कुछ उसे वैद्य ने बताया था वो सब जानने के बाद वो किसी भी कीमत पर अपने घोड़े को नही छोड़ सकता था!!
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
राजा विक्रम को सुल्तानपुर के बारे में थोड़ा कुछ पता चला है
 

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विक्रम उदयगढ़ पहुंचा तो उसे देखते ही राजमाता गायत्री देवी ने चैन की सांस ली क्योंकि रात से सभी लोगो की यही चिंता सताए जा रही थी कि युवराज कहां गायब हो गए हैं!

राजमाता:" पुत्र मैं बता नहीं सकती आपको देखकर मुझे कितनी खुशी हुई हैं! बिना बताए कहां चले गए थे आप ?

विक्रम किस मुंह से बताता कि रात वो अपनी शहजादी सलमा के पास था तो बात को घुमाते हुए बोला:" राज्य में ही था राजमाता, बस देख रहा था कि सब ठीक तो चल रहा है न!

राजमाता:" हमने आपको हर जगह ढूढने की कोशिश करी लेकिन आप कहीं नहीं मिले! आगे से आप प्रतिज्ञा कीजिए कि हमे बिना बताए कहीं नही जायेंगे!

विक्रम:" राजमाता हम कहीं नहीं गए थे बस नदी के किनारे घूमने गए थे! आपको तो पता हैं कि हमे नदी के किनारे घूमना कितना पसंद हैं!

राजमाता:" कोई बात नही बेटा! बस आगे से जाओ तो हमे बता देना ताकि आपकी सुरक्षा के लिए सैनिकों को भेजा जा सके!

विक्रम ने उनकी हां में सिर हिलाया और फिर अपने कक्ष में चला गया और नहाने के बाद थोड़ा कुछ खाकर नींद के आगोश में चला गया! शाम को करीब चार बजे उठा और पता चला कि आज नदी के किनारे हर साल लगने वाला मेला लगा हुआ हैं तो उसने अजय से कहा:"

" अजय ये मेला अच्छा लगता हैं न ? मैने सुना है कि सभी राज्यों के लोग यहां आते हैं !

अजय:" बिलकुल युवराज नदी के किनारे बसे सभी राज्य इस मेले में शामिल होते हैं क्योंकि नदी के पानी से ही सभी राज्यों में खेती होती हैं ! वैसे युवराज अगर आपकी आज्ञा हो तो एक बात पूछना चाहता हूं!

विक्रम:" कहो अजय ?

अजय:" आपने राजमाता को तो बता दिया कि रात आप नदी के किनारे आए थे लेकिन मैं खुद आपको कम से कम 5 बार नदी के किनारे देखने आया था लेकिन आप नही थे यहां!

विक्रम ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोला:"

" हमारी बात का यकीन करो अजय! हम झूठ क्यों बोलने लगे भला आपसे?

अजय:" माफी चाहता हूं युवराज लेकिन एक मां के ममतामई दिल को आप ऐसा बोल के तसल्ली दे सकते हो लेकिन मुझे नही!

विक्रम ने कुछ नही कहा और थोड़ी देर चुप रहा! अजय ने भी अपनी तरफ से कुछ नही बोला और विक्रम बोला:"

" अजय हमारे साथ शाम को मेला देखने चलोगे न?

अजय:" बिलकुल युवराज! आपका हुक्म सिर आंखों पर!

उसके बाद करीब शाम को छह बजे दोनो घोड़ों पर सवार होकर मेला देखने के लिए पहुंच गए! मेला काफी दौर दूर तक लगा हुआ था और काफी सारी मिठाई और चाट की दुकान के साथ साथ झूले भी लगे हुए थे! अजय विक्रम के साथ उसके साए की तरह उसकी सुरक्षा में था,वैसे तो मेले में कोई लड़ाई नही होती थी लेकिन फिर भी कभी कभी कोई दुश्मनी निकालने के लिए कुछ भी कर सकता था!

विक्रम की नजरे सलमा को तलाश रही थी कि कहीं वो भी तो मेला देखने के लिए नही आई हुई है और उसे निराशा ही हाथ लग रही थी! रात के करीब 10 बज गए थे और विक्रम कुश्ती के अखाड़े में पहुंच गया और देखा कि एक बेहद काला मोटा तगड़ा राक्षस जैसा दिखने वाला पहलवान जिसका नाम सगोला था और सभी पहलवानों को हरा दिया था और अभी एक पहलवान को खिलौने की तरह पटक रहा था! विक्रम सगोला की ताकत से काफी प्रभावित हुआ और बोला :"

" अजय क्यों न इसे अपनी सेना में भर्ती किया जाए!

अजय:" नामुमकिन है युवराज! सच तो हैं कि ये पिंडारी समुदाय से हैं और बेहद ताकत होने के साथ साथ खूंखार भी हैं! ये अब तक अखाड़े में उदयगढ़ के करीब 12 पहलवानों की रीढ की हड्डी तोड़ चुका हैं!

विक्रम:" इसकी इतनी हिम्मत! हम इसे अभी धूल चटा देंगे!

अजय:" नही युवराज, अभी सही समय नही आया हैं! इससे जरूर बदला लिया जायेगा!

विक्रम ने उसकी बात सुनकर कुछ नही कहा और खामोशी से इधर उधर देखने लगा और तभी एक बड़ी सी बग्गी आकर रूकी और विक्रम ने जैसे ही उसमे सीमा को देखा तो उसकी आंखे खुशी से चमक उठी और उसे यकीन हो गया कि शहजादी भी आज मेला देखने के लिए आई हुई है! वही सागोला ने एक दूसरे पहलवान को भी पटक दिया था और सब लोग सगोला की जय कर रहे थे और सलमा जैसे ही पहलवान को देखने के लिए बाहर झांकी तो उसकी एक झलक मिलते ही विक्रम का दिल खुशी से उछल पड़ा ! सीमा की नजर विक्रम पर पड़ी तो उसने शहजादी को विक्रम के बारे में बताया तो शहजादी ने भी विक्रम को तरफ देखा और जैसे ही दोनो को नजरे मिली तो शहजादी ने उसे बेहद प्यारी मुस्कान दी !




दोनो की नजरे बार बार आपस में टकरा रही थी और एक दूसरे से इशारों ही इशारों में काफी बाते हो रही थी! सागोला की जय जयकार के नारे शहजादी को बिलकुल भी अच्छे नही लग रहे थे क्योंकि दुनिया की हर औरत चाहती हैं कि उसका पति दुनिया का सबसे खूबसूरत और ताकतवर इंसान हो और फिर शहजादी खुद जीती जागती कयामत थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने विक्रम को सगोला से कुश्ती लड़ने का इशारा किया !!


विक्रम ने अजय से कहा:"

" अजय मैं आज इस सगोला को सबक सिखा कर ही रहूंगा! मेरे होते हुए इसकी जय जयकार मेरे कानो को पीड़ा दे रही है!

अजय:" युवराज अगर ऐसी बात है तो ठीक हैं फिर मैं इससे कुश्ती करता हु!

विक्रम:" नही अजय, एक युवराज होने के नाते हमारा फर्ज बनता है कि हम कुश्ती लड़े और इसके अपराधो की सजा इसे दे!

अजय:" मेरे होते हुए आपको इसकी जरूरत नहीं है युवराज! आप फिक्र मत कीजिए इसे मैं सजा दूंगा!

विक्रम ने अब गुस्से से अजय के देखा और कहा:" अजय क्या आपको ऐसा लगता हैं कि हम इससे कमजोर हैं ?

अजय:" माफ कीजिए युवराज मैं ऐसा नहीं सोच रहा बस मेरे होते हुए आपको कष्ट न हो बस इसलिए कह रहा था!

विक्रम:" हम इससे कुश्ती करेंगे और ये आपके युवराज का हुक्म हैं पालन किया जाए!

अजय ने हैरानी से अब विक्रम की तरफ देखा और बोला:" जैसी आपकी आज्ञा युवराज! मैं सब प्रबंध करता हूं!

थोड़ी ही देर बाद विक्रम अखाड़े में सागोला के सामने खड़ा हुआ था और सागोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा था मानो उसे बेहद आसान शिकार मिल गया हो क्योंकि युवराज देखने में बेहद खूबसूरत था!

सलमा बग्गी से टकटकी लगाए सांसे थामे विक्रम को देख रही थी और सागोला ने विक्रम पर दांव लगाया और विक्रम ने उसका दांव बचा लिया और फिर तेजी से एक झटका सागोला को दिया जिससे वो जमीन पर गिर पड़ा और शहजादी के होंठो पर मुस्कान आ गई वहीं अजय दिल थामे इस मुकाबले को देख रहा था!

किसी जंगली भैंसे की तरह गुस्से से सागोला खड़ा और सीधे विक्रम की छाती पर हमला किया जिससे उसके सीने पर पड़ी हुई कमीज फट गई और उसका चौड़ा ताकतवर सीना पूरी तरह से नंगा हो गया क्या जिस पर हल्के से सागोला के नाखूनों के निशान भी पड़ गए थे! सागोला ने फिर से विक्रम पर हमला किया और झटके के साथ विक्रम को पटक दिया और उसके ऊपर सवार हो गया और उसके दोनो कंधो को जमीन से मिलाने की कोशिश करने लगा लेकिन विक्रम भी अब अपनी पूरी ताकत लगा रहा था जिससे उसकी भुजाए मछली की तरह फूल गई थी और उसके हाथ की नसे खून भर जाने के कारण पूरी तरह से अकड़ कर तन गई थी! सागोला दांत भींचे पूरी ताकत लगा रहा था और विक्रम ने एक नजर सलमा की तरफ देखा और फिर पूरी ताकत से सागोला को पकड़ लिया और उसकी भुजाए इतनी ज्यादा फूल गई थी कि उसकी भुजा पर बंधी हुई मोतियों की माला टूट का बिखर गई और विक्रम ने अपनी बाजुओं में भरी हुई ताकत का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए सागोला को दूर उछाल फेंका और उसके बाद सागोला खड़ा नही हो सका और भीड़ अब विक्रम की जय जयकार कर रही थी और सलमा के चेहरे पर मानो सारी दुनिया की खुशी उमड़ आई थी और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर विक्रम से लिपट जाए लेकिन मर्यादा के चलते मजबूर थी! अजय भी बेहद खुश था और विक्रम अखाड़े से निकल आया तो अजय ने उसे बधाई और विक्रम बोला:"

" मित्र हमारे लिए थोड़े पानी का प्रबंध तो कीजिए!

अजय पानी लेने के लिए गया और विक्रम तेजी से सीमा की तरफ बढ़ गया और उसे पीछे आने का इशारा किया तो सीमा मौका देखकर आ गई और उसे देखते ही हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"

" आपने कमाल कर दिया युवराज!

विक्रम उतावला सा होते हुए बोला:" सीमा सलमा से बोलो कि मैं उससे मिलना चाहता हूं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके बोली:"लेकिन ये मुश्किल होगा युवराज क्योंकि उसके साथ में सैनिक और कुछ और लोग भी हैं युवराज!

विक्रम:" किसी तरह शहजादी को संदेश दीजिए कि मैं उनसे मिलना चाहता हूं! मैं यही इस झूले के पीछे उनका इंतजार करूंगा!

सीमा:" मैं कोशिश करूंगी युवराज, लेकिन ये काम काफी मुश्किल भरा होगा!

विक्रम:" आप बस सलमा तक मेरा पैगाम पहुंचा दीजिए! वो मुश्किल को खुद आसान कर लेगी सीमा!

सीमा चली गई और विक्रम झूले के पीछे की तरफ चला गया जहां हल्का अंधेरा था ! सीमा सलमा के पास बग्गी में पहुंच गई और ये बात सलमा को बताई और सलमा विक्रम की झलक पाने के लिए तड़प उठी और बोली:"

" सीमा हम जरूरी जायेंगे! तुम एक काम करो जल्दी से हमारा ये हिजाब पहन लो और अपना सूट हमे दो!

सीमा उसकी सब योजना समझ गई और बोली:" लेकिन शहजादी ये काम बहुत सावधानी से करना! फंस गए तो बहुत दिक्कत हो जाएगी!

सलमा:" आप फिक्र न करें सीमा! हम बस युवराज की एक झलक देखकर वापिस आ जायेंगे!

सीमा उसका हाथ पकड़कर बोली:"अगर झलक ही देखनी है तो वो तो आप बग्गी से भी देख ही ली है शहजादी!

सलमा:" मुझे ज्यादा ज्ञान मत दो! इतने अंधेरे में दूर से भला कैसे अच्छे से देख पाऊंगी!

सीमा ने अपना सूट उतारकर उसे दे दिया और उसके कपड़े पहन लिए! सलमा ने उसका सूट पहना तो उसके जिस्म पर फंस गया क्योंकि सीमा उसके मुकाबले थोड़ी सी दुबली थी! सूट पूरी तरह से सलमा के जिस्म पर कस गया था और उसके जिस्म के शानदार कटाव उतार चढ़ाव साफ नजर आ रहे थे! सलमा ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेटी और बग्गी झूले की तरफ चल पड़ी तो सीमा बोली:"

" सिर्फ देखना ही शहजादी युवराज को! ये मर्द बड़े तेज होते हैं कहीं आपको युवराज पकड़कर गले से न लगा ले अपने!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और बोली:" चुप बेशर्म, कुछ भी बोल देती हैं जो मुंह में आता है तेरे सीमा! विक्रम ऐसे नही है

सीमा:" अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात हुई भला और मैं जानती हु सारे मर्द एक जैसे होते हैं! देखना अगर मौका मिला तो तुझे गले लगाए बिना आने नही देंगे वो!

सीमा की बाते सुन कर सलमा को रोमांच मेहसूस हो रहा था और सलमा बोलो:" थोड़ी सी शर्म कर सीमा! इतनी बेहयाई अच्छी नही होती!

तभी बग्गी झूले के सामने आ गई और सलमा मौका देखकर खुले से उतर गई और ध्यान पूर्वक उधर इधर देखते ही भीड़ में गुम हो गई! सलमा लोगो की भीड़ में विक्रम को तलाश कर रही थी और थोड़ी ही देर बाद वो झूले के पीछे के हिस्से में पहुंच गई जहां विक्रम खड़ा हुआ था! विक्रम को देखते ही उसके दिल को बड़ा सुकून मिला और उसके पास चली गई तो विक्रम ने जैसे ही उसे पहचाना तो एक झटके के साथ उसका हाथ पकड़ा और बिलकुल झूले के टेंट के पीछे पहुंच गया जहां किसी के आने की संभावना बेहद कम थी! चोरी छिपे मिलने में सलमा को भी अजीब सा रोमांच मेहसूस हो रहा था और विक्रम ने अपनी बांहे फैलाई तो सलमा उसके सीने से लग गई और दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट पड़े मानो सैकड़ों सालों के बाद मिल रहे हो! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से अपने अंदर समेटने का प्रयास कर रहे थे और विक्रम ने सलमा के चेहरे को दोनो हाथों में भरा और उसके गाल को चूमने लगा तो सलमा ने उसके हाथ को चूमा और उसकी कमीज हटाकर उसकी छाती पर हाथ फेर कर देखा और बोली:

" आपको चोट तो नही आई न युवराज!

विक्रम उसकी नाजुक कोमल नर्म उंगलियों का एहसास अपनी छाती पर महसूस करके रोमांच से भर गया और बोला:"

" बहुत ज्यादा चोट आई है शहजादी! थोड़ा सहला दीजिए ना आप अच्छा लगेगा मुझे!

सलमा उसकी छाती पर प्यार से उंगलियां फेरती हुई बोली:"

" जब उसने आपको पटका तो मैं तो डर ही गई थी युवराज एक पल के लिए!

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" क्यों आपको मेरी ताकत पर भरोसा नहीं था क्या सलमा?

सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और फिर बोली:" भरोसा न होता तो लड़ने के लिए क्यों बोलती आपको! अच्छा मैं चलती हूं युवराज किसी ने देख लिया तो गजब हो जायेगा!

विक्रम ने फिर से उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा का दुपट्टा उसके हाथ में आ गया और सलमा पहली बार उसके सामने बिना दुपट्टे के आ गई और विक्रम की अपनी नजरे उसके गोल गोल गुंबदों की गहराई नापने लगी तो सलमा ने अपने दोनो हाथों को अपनी गहराई पर रख दिया और शर्म के मारे पलट गई! विक्रम आगे बढ़ा और सलमा को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और अपने पेट पर बंधे विक्रम के हाथो को अपने हाथो से ढक दिया तो विक्रम ने अपनी पूरी जीभ को लंबाई में उसकी चिकनी खूबसूरत गर्दन पर फिराया तो शहजादी की सांसे उखड़ गई और विक्रम से छूटने की कोशिश करते हुए बोली:"

" अअह्ह्ह विक्रम! खुदा के लिए मुझे जाने दीजिए! किसी ने देख लिया तो मैं फंस जाऊंगी!

विक्रम ने अपनी उंगलियों में सूट के ऊपर से ही उसके चिकने मुलायम सपाट पेट को सहला दिया और बोला:

" पहले वादा करो कि कल जब मैं मिलने आऊंगा तो बुर्का नही पहनोंगी!

सलमा अपने पेट पर उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूस करके मचल उठी और तड़प कर बोली:" " आप बहुत बिगड़ते जा रहे हो युवराज! मैं नही मिलूंगी आपसे कल!

विक्रम ने उसके पेट को नाजुक मखमली त्वचा को अपनी हथेलियों में भर लिया और हल्का हल्का मसलते हुए उसकी कान की लौ सहला कर बोला:"

" फिर तो मैं आपको जाने ही नहीं दूंगा सलमा! आज ही जी भरकर आपको प्यार करूंगा!

सलमा उसकी हरकते से पिघल रही थी और तड़पते हुए बोली:"

" ऐसा जुल्म मत कीजिए युवराज! हमारी मजबूरी समझिए! हमे जाने दीजिए ना

विक्रम ने एक झटके के साथ उसे पलट दिया और दोनो हाथों को सीधे उसकी भारी भरकम उभरी हुई गांड़ पर रखकर उसके गाल चूम कर बोला:"

" पहले वादा करो कल सूट पहन कर मिलने आओगी!

इतना कहकर विक्रम ने बिना उसके कुछ बोलने से पहले ही उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा! शहजादी सलमा भी अपने महबूब की मजबूत बांहों में पिघल गई और उसके होठों को चूसने लगी! तभी झूले के पीछे किसी के कदमों की आहत हुई तो सलमा एक झटके से किस खत्म करी और धीरे से बोली:"

" बस कीजिए युवराज! जाने दीजिए हमे, कोई आ रहा है शायद इधर ही!

विक्रम:" पहले आप वादा कीजिए, जब तक वादा नही करेगी तो मैं आपको ऐसे ही प्यार करता रहूंगा!

विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को थोडा सख्ती से मसल दिया तो शहजादी के मुंह से आह निकलते निकलते बची और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो विक्रम ने थोड़ा सा झुकते हुए उसके गोल गोल गुम्बद के बीच की गहराई को चूम लिया तो सलमा बेचैन हो गई और बोली:"

" अच्छा ठीक है अब तो जाने दीजिए ना मुझे!

कदमों की आहत बिलकुल पास आ गई थी तो विक्रम ने जल्दी से उसका गाल चूम कर हाथ छोड़ दिया और सलमा तेजी से लगभग दौड़ती हुई निकल गई,!!

सलमा बग्गी में पहुंच गई और फिर वापिस सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ी! वही अजय पानी लेकर आ गया था और विक्रम ने पानी पिया और उसके बाद वापिस उदयगढ़ लौट पड़ा!

रात को अजय ने खाना खाया और सोने के लिए अपने कक्ष में आ गया लेकिन उसे नींद नही आ रही थी तो वो थोड़ा टहलने के लिए छत पर गया तो उसने देखा कि उसकी मां पहले से ही छत पर मौजूद थी और चांद को निहार रही थी!

अजय उसके पास पहुंच गया और बोला:" क्या हुआ माता ? आपकी तबियत तो ठीक है जो इतनी रात को छत पर टहल रही हो आप ?

मेनका;" हान ठीक हु मैं तो! बस नींद नही आ रही थी तो छत पर घूमने आ गई! आपको भी नींद नही आ रही हैं क्या अजय ?

अजय:" हान माता बस नींद नही आ रही थी तो थोड़ा घूमने आया तो आपको देखा यहां!

छत पर काफी चांदनी फैली हुई थी और मेनका अपनी विधवा वाली सफेद रंग की साड़ी में भी बेहद आकर्षक लग रही थी क्योंकि वो अद्वितीय सुंदरी थी और उसके रूप सौंदर्य में अजीब सा आकर्षण था जिसकी तरफ मर्द खींचे चले आते थे! अजय ने आज तक कभी अपनी मां को नजर भर कर भी देखा था क्योंकि उसकी मां उसके लिए वो देवी थी जिसने उसे कभी पिता की कमी भी महसूस नही होने दी और फिर अजय एक बेहद संस्कारी लड़का था जिसने आज तक किसी भी लड़की को गलत नजर से नही देखा था और फिर मेनका एक उसकी माता थी!

मेनका:" बस यही देखने आई थी कि चांद अभी कितना पूरा होना बाकी हैं क्योंकि फिर मैं आपको वो जादुई तलवार देना चाहती हू जिसके आप हकदार हो !

अजय: मैने भी जबसे उसके बारे में सुना हैं तो मैं खुद उसे ग्रहण करने के लिए उत्सुक हु!

मेनका:" बस बेटा आज की बात और हैं! कल मैं आपको विधि पूर्वक ही तलवार दूंगी! अच्छा बेटा एक बात बताओ आपको खुशी तो हो रही हैं इस तलवार के बारे में सोचकर ?

अजय:* माता सच कहूं तो मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है! मैं तड़प रहा हूं अपने पूर्वजों की निशानी को ग्रहण करने के लिए!

मेनका ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" आप एक बहादुर पुत्र हो! मैं आपको पुत्र के रूप में पाकर धन्य हो गई अजय!

अजय भी अपनी मां के आगोश में लिपट गया और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि पता नही कितने सालों के बाद वो ऐसे अपनी मां के आंचल में आया था! मेनका वही छत पर पड़े हुए एक बेड पर बैठ गई और अजय उसकी गोद में सिर रखकर लेट गया तो मेनका उसके बालो में उंगली फेरते हुए बोली:"

" पुत्र आपको कोई दिक्कत तो नही हो रही हैं न ?

अजय अपनी आखें बंद किए हुए ही बोला:" आज आपने पता नही कितने सालों के बाद मुझ पर अपनी ममता लुटाई हैं! सच में आपको माता के रूप में पकड़ मैं धन्य हो गया!

इतना कहकर अजय ने आंखे खोली और मेनका की तरफ देखा और मेनका बोली:"

" बेटा आपको नींद आ रही होगी, नीचे चलते हैं क्योंकि रात भी बहुत ज्यादा हो गई है!

अजय अपनी मां की गोद से उठने लगा और जैसे ही उसकी नजरे नीचे आई तो उसकी नजरे पहली बार अपने आप उसकी सीने की गोलाईयों के बीच चली गई जहां काफी गहरी लकीर बनी हुई थी! अजय की नजरे जितनी गति से अपनी मां के सीने पर पड़ी उससे कहीं ज्यादा गति से हट गई और अजय अपनी मां की गोद से उठ गया और फिर दोनो मा बेटे अपने कक्ष में आकर नींद के आगोश में चले गए!


अगले दिन शाम को करीब 7 बजे शहजादी सलमा ने देखा कि सीमा के साथ सपना नही कोई दूसरी लड़की आई है जिसकी शक्ल थोड़ी सीमा से मिल रही थी तो उसने पूछा:"

" सपना नही आई क्या आज और ये आपके साथ कौन है?

सीमा:" शहजादी सपना अपनी मां के साथ कहीं बाहर गई है और कुछ दिन बाद आयेगी! तब तक आपकी देखभाल मैं और मेरी बहन राधिका मिलकर करेंगे!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"

" अच्छा ये आपकी बहन हैं, तभी तो मैं सोचु कि इसकी शक्ल आपसे इतनी क्यों मिल रही हैं!

राधिका आगे आती हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:"

" वो हम दोनो सगी बहनें हैं न बिल्कुल एक ही मां बाप की औलाद इसलिए शक्ल मिल गई!

उसकी बात सुनकर सभी हंस पड़े और सीमा बोली:"

" बहुत जुबान चलती है तेरी, जा जाके शहजादी के लिए नहाने का पानी गर्म कर दे! शाम के समय शहजादी हल्के गुनगुने पानी से नहाती है!

राधिका वहां से चली गई तो सीमा बोली:" ये बहुत नटखट और चंचल है शहजादी! उसकी बातो का आप बुरा मत मानना!

सलमा:" कोई बात नहीं थोड़ा चंचल तो होना भी चाहिए,! वैसे एक बात बताओ इसे कुछ बताया तो नही न मेरे बारे में?

सीमा:" ऐसी गलती तो मैं कभी नही कर सकती! ये तो सबसे बड़ी ढोल हैं शहजादी! कोई भी बात इसके पेट में नही पचती और इसके सपने तो आसमान को छूते हैं! कहती हैं कि किसी राजकुमार से ही शादी करूंगी!

सलमा:" अच्छा फिर तो उससे बचकर ही रहना होगा! अच्छा किया तुमने बता दिया मुझे!

सीमा:" वैसे बुरा न मान तो एक बात पूछूं?

शहजादी:" हान बोलो ना सीमा?

सीमा:" उस दिन आप मेरे में जब विक्रम से मिली तो कैसा लगा था आपको?

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" चल बेशर्म कहीं की, ये सब बातें भी बताने की होती हैं क्या!

सीमा उसकी शर्म हया देखकर समझ गई कि सलमा को ये सब अच्छा लग रहा है और वैसे भी अपने आशिक के बारे में बात करके किसी अच्छा नही लगता हैं! सीमा ने सलमा का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" चलिए मत बताते आप लेकिन आपके शर्मो हया और गालों की लाली पता रहीं हैं कि आपको कितना अच्छा लगा होगा!

सलमा ने उसकी तरफ आंखे निकाली और बोली:"

" तुझे ज्यादा मजा आता है क्या मुझसे छेड़छाड़ करने में?

सीमा:" मुझे तो इतना नही आता जितना विक्रम को आया होगा आपसे छेड़छाड़ करने में!

सलमा उसकी बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:"

" चल पागल, कुछ भी बोल देती हैं युवराज ने मेरे साथ कोई छेड़छाड़ नही करी! वो तो मुझसे बेहद प्रेम करते हैं!

सीमा:" अच्छा तो फिर प्रेम ही किया होगा आपको अपनी बांहों में समेट कर शहजादी क्योंकि आपकी सुंदरता ने उन्हें बहका दिया होगा!

सलमा अपनी तारीफ सुनकर खुश हुई और उसे भी सीमा की बाते अच्छी लग रही थी जिस कारण उसकी सांसे काफी तेज हो गई थी और बोली;"

" तुम न अब मार खाओगी मुझसे सलमा!

सीमा:" फिर आपकी सांसे क्यों बढ़ गई है शहजादी, क्यों झूठा गुस्सा दिखा रही हो! बोल दो ना कि युवराज की बांहों में मजा आया था आपको!

सलमा उसकी बात सुनकर अब छिड़ते हुए बोली:"

" हान आया था मजा मुझे, तुझे भी युवराज के गले लगना था क्या सीमा की बच्ची?

सीमा:" हाय मेरी कहां ऐसी किस्मत, मुझे तो विक्रम ने बहन बना लिया नही तो इतने सुंदर ताकतवर राजकुमार पर अपनी जान लूटा देती! आप सच में बेहद खुश नसीब हो शहजादी!

सलमा को अब उसकी बातो में पूरा आनंद आ रहा था और सलमा भी उसके रंग में रंगते हुई बोली:" अच्छा जी ऐसा क्या खास है आपके युवराज में ?

सीमा सलमा के हाथ को सहलाती हुई बोली:" जीता जागता युगपुरुष हैं वो शहजादी! सुंदर इतना और उसके चौड़े मजबूत कंधे औरचौड़ी बलशाली भुजाए उफ्फ जिनमे वो अकसर किसी को कस लें तो छूट नही पाए! आपको कैसा लगा था शहजादी उसकी मजबूत भुजाओं में कसकर ?

सलमा अब पूरी तरह से उसकी बातो से मदहोश हो गई थी और उसके गले लगती हुई बोली:"

" अअह्ह्ह्ह सीमा पूछ मत कितना अच्छा लगा था!

सीमा उसकी हरकत से जोश में आ गई और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली:"

" सच में शहजादी आपका ये मदहोश खूबसूरत बदन विक्रम की बांहों के लिए ही बना है! उसकी शेर के जैसी चौड़ी छाती उसकी मर्दानगी की जीती जागती मिसाल है शहजादी!

सलमा ने अब जोश में आकर सीमा का गाल चूम लिया और तभी राधिका की आवाज आई:"

" सीमा दीदी आपको बेगम साहिबा बुला रही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर धीरे से सलमा के कान में बोली:"

" मुझे चूमने से ज्यादा मजा आपको विक्रम को चूमने में आयेगा! अपना ये प्यार उनके लिए बचाकर रखिए! आज रात के मेले में आपको फिर से युवराज से मिलवा दूंगी!

इतना कहकर वो चली गई और राधिका अंदर आती हुई बोली:"

" शहजादी आपका पानी गर्म हो गया है! आइए आप नहा लीजिए!


सलमा ने राधिका को जाने का इशारा किया और और तेज तेज सांसे लेती हुई देखते ही देखते एक बेहद खूबसूरत बड़े बाथ टब मे बैठ गई और अपने जिस्म से सारे कपड़ों को उतार कर सिर्फ एक चादर को अपने नंगे जिस्म पर लपेट लिया और बाथटब में लेट गई तो पानी से उसके जिस्म पर लिपटा कपड़ा भीग गया और उसकी चूचियां काफी हद तक साफ नजर आ रही थी! सलमा का ध्यान राधिका की तरफ नही था और राधिका धीरे धीरे चलती हुई उसके पीछे आ गई और उसकी चुचियों को देखने लगी और मन ही मन उसे शहजादी से बेहद जलन हुई क्योंकि उसकी चूचियां शहजादी के मुकाबले आधी भी नहीं थी और सबसे बड़ी बात कि शहजादी की चूचियां बिलकुल गोल गोल गुम्बद के जैसी और ठोस थी! निप्पल बिलकुल तने हुए मानो उन्हे अपनी अभिमान हो रहा हो कि हम दुनिया की सबसे सख्त और गद्देदार चुचियों के शिखर पर विराजमान हैं!

शहजादी कोई मधुर गीत गुनगुनाते हुए नहा रही थी और राधिका का मन शहजादी को छुने के लिए मचल रहा था क्योंकि उसे जब्बार की बात याद थी कि शहजादी की वासना को हवा देनी है तो राधिका थोड़ा पीछे चली गई और बोली:"

" शहजादी साहिबा मेरी कोई जरूरत हो तो बताएगा आप,!

सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली,:"

" भला नहाने में आपकी क्या जरूरत पड़ेगी, मैं तो रोज खुद ही तो नहा लेती हूं!

राधिका:" शहजादी आप कमर के हिस्से को अच्छे से साफ नही कर पाती होंगी और वैसे भी मैं मालिश अच्छा कर लेती हु!

सलमा उसकी बात सुनकर बोली:" ये बात तो सच कही राधिका कि कमर तक हाथ ठीक से नही जा पाता है! चल अच्छा एक काम कर आजा मेरे पास!

राधिका अपनी चाल में कामयाब हुई और सलमा के पास आ गई और उसके बराबर में बैठते हुए बोली:"

" हाय मैं सदके जावा आप पर शहजादी! आपको मेरी जी नजर न लग जाए! आप जितनी ज्यादा सुंदर हो उससे कहीं ज्यादा आपका बदन सुंदर है!

शहजादी पहले से ही थोड़ी तेज तेज सांसे ले रही थी क्योंकि सीमा ने विक्रम की बाते करके उसे मचलने पर मजबूर कर दिया था और अब ये राधिका तो उससे भी आगे बढ़ रही थी! सलमा ने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली

" अच्छा बड़ी जानकारी हैं तुझे औरत के जिस्म की ! चल इधर आकर मेरी कमर साफ कर!

इतना कहकर शहजादी ने उसकी तरफ करवट ली और राधिका ने अपने हाथ को उसकी कमर पर टिका दिया और कमर साफ करने के बहाने उसकी कमर को सहलाने लगी तो सलमा को बेहद अच्छा लगने लगा और राधिका बोली:"

" शहजादी आपकी कमर बेहद चिकनी ओर मुलायम हैं! क्या लगाती है आप ?

सलमा उसकी बातो से अब पूरा आनंद ले रही थी और उसकी तरफ अपनी कमर को पूरी तरह से उभार दिया और बोली:"

" कुछ भी नहीं लगाती! क्या सच मे मेरी कमर अच्छी हैं राधिका!


कमर के साथ ही साथ सलमा की गांड़ भी पीछे को उभर आई और राधिका की आंखे फटी की फटी रह गई और बोली:"

" शहजादी आप की कमर बेहद जानलेवा है! बुरा न माने तो एक बात कहूं आपको ?

इतना कहकर राधिका ने उसकी कमर को अच्छे से अपनी उंगलियों में भर लिया और सहलाने लगी! सलमा को उसकी उंगलियां बेहद मजा दे रही थी और सलमा बोली:"

" आपकी सिर्फ कमर ही नही बल्कि आपका पूरा जिस्म ही लाजवाब है शहजादी!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसे अपने ऊपर अभिमान हुआ क्योंकि एक औरत होने के बाद भी राधिका जिस तरह से उसकी तारीफ कर रही थी वो उसके नारीत्व के लिए बेहद गर्व की बात थी! सलमा उसकी बातो में डूब गई और बोली:"

" अच्छा राधिका, वो कैसे भला?

राधिका ने अब अपने हाथ का दायरा थोड़ा सा बढ़ाया और उसकी उंगलियां सलमा की चुचियों की गोलाई के आस पास छूने लगी और राधिका बोली:"

" आपका पतली कमर पर आपका उठा हुआ तनी हुई मदमस्त जवानी और मछली की तरह कटावदार आपकी चिकनी कमर जो नीचे आती हुई आपके नितम्बो के पास एकदम से इतनी चौड़ी होकर उभर गई है यकीन नहीं होता कि आपकी पतली सी कमर आपके भारी भरकम नितम्बो का भार उठा सकती हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर पूरी तरह से मचल उठी और उसके बदन मे कंपकपी सी छूट गई और हल्का सा राधिका की तरफ पलटते हुए बोली:"

" तुम सच कह रही हो ना राधिका? क्या सच मे मेरा जिस्म ऐसा ही हैं!

सलमा के पलटने से उसकी चूचियां राधिका की उंगलियों के और करीब हो गई और राधिका ने अब अपनी उंगलियों को उसकी चुचियों तक पहुंचा दिया और हल्का सा सहलाते हुए बोली:"

" सच शहजादी, मां की कसम! आपके जैसी हसीन शहजादी के लिए दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द होना चाहिए!

राधिका की बात सुनकर सलमा की आंखे बंद हो गई और उसकी आंखो के आगे विक्रम का चेहरा आ गया और सलमा के होंठो पर मधुर मुस्कान आ गई और राधिका की उंगलियां अब उसकी चुचियों की आधी गोलाई तक सहलाने लगी और राधिका बोली:"

" लगता हैं शहजादी कल्पना कर रही है कि दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द कैसा दिखता होगा!

उसकी बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा उठी और तभी सीमा के आने की आहत हुई तो राधिका पीछे हट गई और शहजादी ने सुकून की सांस ली ! जिस तरह से राधिका उसके बदन को छू रही थी उससे सलमा के अंग अंग में मीठी मीठी गुदगुदी हो रही थी और वो अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ती हुई पानी में पड़ी हुई मचल रही थी!

करीब आधे घंटे के बाद शहजादी बाहर निकल आई और अपने कपड़ो को पहन लिया! सीमा के साथ उसने थोडा सा खाना खाया और फिर सीमा के साथ साथ राधिका भी उसके कक्ष से बाहर चली गई! रात के करीब 10 बज गए थे और शहजादी बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी क्योंकि उसे अपने प्रियतम के आने का इंतजार था और आज उसकी सांसे कल के मुकाबले ज्यादा महक रही थी!

सलमा बेड से उठी और अपने आपको शीशे में देखने लगी और फिर उसने गहरा काला काजल निकाला और अपनी बड़ी बड़ी गोल गोल नशीली आंखों को और कामुक बनाने लगी!


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काजल लगाने के बाद वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी मानो उसकी सुंदरता मे चार चांद लग गए थे! सलमा ने हल्का सा मेक अप किया और फिर अपने होंठो पर लगाने के लिए लिपिस्टिक उठाई और उसके मन में कुछ आया और वो मुस्कुरा उठी और लिपिटिक को एक तरफ रख दिया और अलमारी से उसने खोलकर एक लाल सुर्ख कश्मीरी निकाली और अपने होंठो पर फेरने लगी और उसके बाद उसे मुंह में भर कर चूस लिया!

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सलमा के होंठ अब बेहद कामुक होकर रसीले हो गए थे और सलमा ने हल्का सा बेरी को दांतो से काटा तो उसका रस उसके होंठो पर पूरी तरह से आ गया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी! सलमा को उसका बदन बेहद हल्का और हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ और उसके घुटने कमजोर पड़ने लगे तो सलमा बेड पर चढ़ गई और तेज तेज सांसे लेने लगी क्योंकि वो जानती थी कुछ ही मिनटों बाद वो विक्रम की मजबूत बांहों में होगी और ये सोचकर सलमा के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और उसकी छातियां अब उसकी सांसों के साथ ताल से ताल मिला रही थी!


2021-04-06-1

दूसरी तरफ विक्रम भी सलमा से मिलने के लिए बेहद बेताब था और मेला होने के कारण सुल्तानपुर की सीमा पूरी रात के लिए खुली हुई थी तो कोई खतरा भी नही था! रात के करीब 10:30 बजे विक्रम आराम से मौका देखकर राजमहल के गुप्त रास्ते से बाहर निकल गया और घोड़े पर सवार होकर सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा,!
 
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