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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

arushi_dayal

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औरत को एक बार अगर बाहर के खाने का चस्का लग जाए तो फिर उसको घर का खाना पसंद नहीं आता।शराब से घातक नशा शादीशुदा औरत को पराए मर्द का होता है और यह नशा जब अपनी चरम पर पहुंचता है तब औरत अपनी सब मर्यादा को लांगकर चरम सुख की प्राप्ति के लिए पराए मर्द से संभोग करती है. एक बार ये दहलीज लांघ कर गैर मर्द के झटके खाने वाली पत्नी पति से कभी भी खुश नहीं हो सकती । एक बार अगर औरत को दूसरे मर्द का चस्का लग गया फिर वो बार बार बदल बदल के संभोग का आनंद लेना चाहती है. कुछ यही हाल अब शीला का हो गया है। मदन की अनुपस्थिति में उसने गैर मर्दो के साथ संबंध बनाए और अब मदन चाह कर भी शायद शीला को वो सुख नहीं दे पा रहा। शीला को अब नए-नए मर्द चाहिए उसकी आग को ठंडा करने के लिए
 

doodhVala

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औरत को एक बार अगर बाहर के खाने का चस्का लग जाए तो फिर उसको घर का खाना पसंद नहीं आता।शराब से घातक नशा शादीशुदा औरत को पराए मर्द का होता है और यह नशा जब अपनी चरम पर पहुंचता है तब औरत अपनी सब मर्यादा को लांगकर चरम सुख की प्राप्ति के लिए पराए मर्द से संभोग करती है. एक बार ये दहलीज लांघ कर गैर मर्द के झटके खाने वाली पत्नी पति से कभी भी खुश नहीं हो सकती । एक बार अगर औरत को दूसरे मर्द का चस्का लग गया फिर वो बार बार बदल बदल के संभोग का आनंद लेना चाहती है. कुछ यही हाल अब शीला का हो गया है। मदन की अनुपस्थिति में उसने गैर मर्दो के साथ संबंध बनाए और अब मदन चाह कर भी शायद शीला को वो सुख नहीं दे पा रहा। शीला को अब नए-नए मर्द चाहिए उसकी आग को ठंडा करने के लिए
bilkul sach kaha aapne
 

sunoanuj

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बहुत ही ग़ज़ब के अपडेट्स हैं ! सारे एक से बढ़ कर एक हैं!

सुपर कामुक कहानी है !
 

sunoanuj

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सब अपने अपने घर पहुँच गए.. मदन अब कोई नया बिजनेस ढूंढ रहा था.. और वैशाली अपना जीवनसाथी.. !!!

संजय के साथ जो कुछ भी हुआ उसके बाद, इंस्पेक्टर तपन के कहने पर मदन ने शहर के एक बड़े वकील के द्वारा वैशाली के तलाक का केस दाखिल करवा दिया था.. जब तक ये मामला शांति से निपट नहीं जाता तब तक मदन ने वैशाली को इंतज़ार करने की हिदायत दी हुई थी..

कविता के लौट जाने के बाद, वैशाली पीयूष की कंपनी बहोत मिस कर रही थी.. जब कविता नहीं थी तब दोनों ने साथ में बड़े मजे कीये थे.. पर अब कविता की हाज़री में वो पीयूष से दूर ही रहने लगी थी.. पीयूष को भी इस बात का अंदाजा लग चुका था इसलिए वो भी सब के सामने वैशाली से अंतर बनाकर रखता था

मौसम की शादी की तारीख तय हो चुकी थी.. दीपावली के पंद्रह दिन बाद का मुहूरत था.. सुबोधकान्त और रमिलाबहन शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गए थे.. कविता भी, जब मौका मिलता, अपनी बहन की शादी के लिए शॉपिंग करने निकल पड़ती.. और लड़कियों/औरतों को शॉपिंग पसंद भी इतना होती है.. भूख प्यास सब भूल जाते है.. अरे, मोहल्ले में कोई चूड़ी बेचने वाला भी आवाज लगाएं तो सब काम छोड़कर उसे मधूमक्खियों की तरह घेर लेती है.. रोज दोपहर को खाने के बाद, कविता वैशाली को लेकर शॉपिंग के लिए निकल जाती थी.. बहन की शादी थी इसलिए कविता का उत्साहित होना लाज़मी भी था..

पिछले हफ्ते जब कविता मायके में थी तब वो घंटों पिंटू के साथ बातें करती थी.. पर घर लौटने के बाद वो सब बंद हो गया था.. बहोत मिस कर रही थी वो पिंटू को.. पीयूष मौसम को मिस कर रहा था.. पति और पत्नी दोनों के दिलों में उदासी छाई हुई थी.. और उसका असर उनके सहजीवन पर भी पड़ रहा था.. रात को बिस्तर पर लेटकर न कविता सेक्स को याद करती और ना पीयूष याद दिलाता.. कविता को पीयूष का लंड पकड़ने का मन भी नहीं हो रहा था.. और पीयूष, मौसम के साथ गुजारें उन हसीन लम्हों को याद करते हुए कविता के बगल में ही सो जाता.. मौसम अब पराई हो गई थी ये सदमा पीयूष बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था.. अंदर ही अंदर वो तरुण के प्रति ईर्ष्या से जल रहा था..

एक दिन शीला और मदन घर के बाहर बरामदे में झूले पर बैठे हुए थे.. वैशाली अंदर मोबाइल पर चैट कर रही थी.. पिंटू के साथ.. पिंटू अब जैसे उसके जीवन का हिस्सा बन चुका था.. ऑफिस में तो खैर वो दोनों ज्यादा बातें नहीं करते थे.. पर घर पहुँचने के बाद दोनों मोबाइल पर भरपूर चैट करते थे.. चैट पर भी पिंटू ने कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया था.. और उसकी इस बात ने वैशाली को बेहद आकर्षित किया था.. अक्सर कविता उसके सामने पिंटू को बहोत तारीफ करती रहती थी.. और वैशाली ने खुद भी यह अनुभव किया था..

वैशाली ने शीला को भी यह बता दिया था की पिंटू के साथ उसकी अच्छी पटती थी.. शीला और मदन को इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी.. उल्टा शीला ने उसे हिदायत देते हुए कहा था की उसका जब भी पिंटू से मिलने का मन करें तब वो दोनों घर पर ही मिलें.. समाज की नज़रों में वैशाली अब भी संजय की पत्नी थी.. वो लोग बाहर कहीं मिलते तो लोग हजार बातें बनाते..

शीला और मदन आराम से झूले पर झूल रहे थे

शीला: "मदन, घर पर बैठे बैठे बोर हो गई मैं तो.. कहीं जाने का मन कर रहा है यार.. सिर्फ हम दोनों.. !!"

मदन समझ गया की शीला का भोसड़ा चुदने के लिए फड़फड़ा रहा था.. इसलिए बेचैन हो रही थी शीला.. लंड लेने के लिए तड़प रही थी.. कुछ करना पड़ेगा.. !! शीला चोदते वक्त इतनी आवाज़ें करती थी की वैशाली दूसरे कमरे में भी आराम से सुन पाती.. इसलिए काफी दिनों से चुदाई का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था

मदन: "सही कहा तूने.. राजेश से बात करते है.. साथ में दो तीन दिनों के लिए कहीं घूम आते है.. फ्रेश हो जाएंगे"

शीला: "पर घूमने जाएंगे तो वैशाली को भी साथ ले जाना पड़ेगा ना.. उसे छोड़कर नहीं जा सकते"

मदन: "फिर तो वही बात हो गई.. !! वैशाली साथ मे होंगी तो फिर क्या फायदा.. !!"

शीला: "हम्म कुछ करना पड़ेगा.. कोई ऐसी जगह ढूँढ़नी पड़ेगी जहां हम दोनों खुलकर मजे कर सकें"

मदन: "अरे शीला.. वो दूधवाले की बीवी हमारी कुछ मदद कर सकती है क्या? उसका घर मिल सकता है क्या?"

शीला: "हम्म.. बात तो तेरी सही है.. पर उससे कैसे कहूँ?? कुछ सेटिंग तो करना पड़ेगा यार.. मैं कुछ करती हूँ.. उसे एक बार घर मिलने बुलाती हूँ.. नहीं तो मैं ही उसके घर मिलने चली जाती हूँ" शीला और मदन दोनों की आँखों मे चमक आ गई.. रूखी के दूध भरे बबलों के बारे मे सोचते ही मदन की आँखों मे सांप लोटने लगे..

शीला: "मुझे पता ही की तुझे वो दूधवाले की बीवी क्यों याद आई.. पर उसके इतने बड़े बड़े है की तेरे हाथ मे भी नहीं आएंगे" मदन की जांघ पर चिमटी काटते हुए शीला ने शरारती अंदाज मे कहा

मदन: "अरे यार, ऐसा नहीं है.. तू किसी और जगह का जुगाड़ कर दे.. मुझे प्रॉब्लेम नहीं है" अपनी चोरी पकड़े जाने पर मदन ने सफाई दी "अरे हाँ शीला.. राजेश के घर पर हो सकता है क्या?"

शीला: "नहीं यार.. अभी अभी उनसे मित्रता हुई है.. ऐसी बातों के लिए उनसे घर मांगने मे झिझक होगी"

मदन: "तो फिर उस दूधवाले के घर के अलावा और कोई चारा नहीं है"

शीला: "देखती हूँ, क्या हो सकता है"

उस रात को, हवस हद से ज्यादा बढ़ जाने पर.. शीला और मदन ने अपनी आवाजों को रोककर चुदाई की.. बगल के कमरे मे वैशाली सो रही थी इसलिए दोनों को चुपचाप चोदना पड़ा.. बिलकुल मज़ा नहीं आया..!!

सुबह साढ़े पाँच बजे, रसिक की साइकिल की घंटी सुनकर, शीला की आँख खुल गई.. शीला उठकर बेडरूम से बाहर आई.. और बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया.. वो बाहर आई और मुख्य दरवाजा खोला.. रसिक सामने ही खड़ा था

रसिक: "पतीला नहीं लाई भाभी?? दूध कैसे लोगी?"

शीला: "रोज सिर्फ दूध ही देगा?? या और कुछ भी है तेरे पास देने के लिए??" शीला ने अपना गाउन ऊपर किया.. अंदर न ब्रा पहनी थी और ना ही पेन्टी.. अपना भोसड़ा दिखाते हुए वो बोली "इसमें दूध लेना है मुझे.. बोल, कब देगा?"

शीला के मदमस्त नंगे बबलों को दोनों हथेलियों से दबाते हुए रसिक ने कहा "मैं तो मार रहा हूँ देने के लिए भाभी.. आप कहो तो अभी घुसा दूँ"

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शीला: "मेरी बात ध्यान से सुन.. आज अभी साढ़े दस बजे मैं तेरे घर आऊँगी.. रूखी को कहीं भेज देना एक घंटे के लिए.. किसी को पता नहीं लगना चाहिए.. तेरे माँ बाप तो आगे के कमरे मे रहेंगे.. मैं पीछे के रास्ते अंदर आ जाऊँगी.. तेरा घर तो काफी बड़ा है.. पीछे के कमरे मे करेंगे"

रसिक: "ठीक है भाभी" जाते जाते उसने शीला की निप्पलों को बारी बारी मुँह मे भरकर चूस लिया.. और शीला के हाथ मे अपना लोडा भी पकड़ा दिया.. खूँटे जैसे लंड को पकड़कर शीला थरथराने लगी.. रसिक चला गया

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रोज पीयूष के साथ ऑफिस जाती वैशाली... आज पीयूष के चले जाने के बाद अकेले ही ऑफिस जाने निकली.. रास्ते मे उसने पिंटू को फोन किया.. ऑफिस मे तो सब की मौजूदगी के कारण खुलकर बात नहीं हो पाती थी.. काफी दिनों से कविता का भी फोन नहीं आया था इसलिए वैशाली से बातें करना पिंटू को बहोत अच्छा लगता था.. दोनों यहाँ वहाँ की बातें करते थे.. ऑफिस पहुँचने तक वैशाली पिंटू से बात करती रहती.. यह रोज का नित्याक्रम बन चुका था..

वैशाली के जाने के बाद साढ़े नौ बजे, मदन को बताकर, शीला रसिक के घर जाने के लिए तैयार हो गई.. मदन सोच रहा था की शीला घर का सेटिंग करने जा रही है.. हालांकि शीला तो खुद का सेटिंग करने निकली थी

मदन: "हाँ जाकर आ.. तू कहें तो मैं भी साथ चलूँ?"

शीला: "पागल है क्या?? तेरी मौजूदगी मे रूखी से ऐसी बात भला कैसे पूछूँ?"

मदन: "ठीक है.. तू अकेली ही चली जा.. बेस्ट ऑफ लक"

घर से बाहर निकलते निकलते शीला को हंसी आ रही थी.. अब मदन को क्या कहें?? बाहर चुदवाने जा रही बीवी को ये बेवकूफ "बेस्ट ऑफ लक" कह रहा था..

वो फटाफट चलते चलते रसिक के घर की ओर जाने लगी.. रास्ते मे उसने एक कॉल किया.. कॉल खतम करके वो मुसकुराते हुए चल पड़ी.. रसिक के घर पहुंचकर.. वो पीछे के रास्ते चुपके से चली गई.. और दरवाजा खटखटाने लगी.. रसिक ने दरवाजा खोला और शीला को हाथ से पकड़कर अंदर खींच लिया.. और दरवाजा बंद कर उसे दबोच लिया

रसिक की बाहों मे शीला का बदन हवस से तपने लगा... जानबूझकर आज वो बिना ब्रा पहने आई थी.. रसिक के हाथ और उसके बबलों के बीच कुछ नहीं आना चाहिए..

"सब सलामत है ना.. !! कोई आ तो नहीं जाएगा?" शीला ने कहा

"चिंता मत कीजिए.. पीछे के कमरे मे कोई नहीं आता" रसिक ने शीला के बबलों को रौंदना शुरू कर दिया

रसिक का हाथ स्तनों पर फिरते ही शीला की जवानी उछलने लगी..

"यार तू ऊपर सहला रहा है और नीचे से मेरा पानी छूटना शुरू हो गया.. आह रसिक" पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ते हुए शीला ने कहा "ये तो तैयार ही खड़ा है"


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"अरे भाभी, सुबह से.. जब से आपने घर आने का कहा.. तब से ये तैयार है.. !! पर आप एक मिनट रुकिए भाभी" शीला का हाथ अपने लंड से हटाते हुए रसिक खड़ा हो गया

"अब क्या है यार? सारी तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए तुझे.. इसलिए तो पहले से बताया था.. " चूत की खुजली से परेशान शीला ने कहा

रसिक छोटी से खिड़की को बंद कर रहा था.. पीछे से उसकी विशाल पीठ को देखकर शीला सोच रही थी की.. इसके पूर्वज जरूर असुर योनि से होंगे.. तभी ये इतना हट्टा-कट्टा राक्षस जैसा है.. साला जब ऊपर चढ़ता है तब पूरा जिस्म छील जाता है..

रसिक ने खटिया के सामने एक टेबल लगा दिया और उसपर नाश्ते की डिश सजा दी.. अगर कोई आ भी जाएँ तो दिखाने के लिए..

"अब सब ठीक है.. आप जैसे मर्जी करवा लीजिए.. कोई दिक्कत नहीं होगी"

रसिक की लंगोट मे हाथ डालकर उसके मूसल जैसे लंड को पकड़ते ही शीला के बदन मे सुरसुरी होने लगी.. मदन ने एक बार एक ब्लू फिल्म दिखाई थी जिसमे लड़कियां घोड़े के लंड से खेल रही थी.. घोड़े के चार पैरों के बीच बैठकर.. लड़किया उस विकराल तीन फुट लंबे लंड से विकृति पूर्वक खेल रही थी.. रसिक का लंड पकड़ते ही शीला को वो सीन की याद आ गई.. आँखें बंद कर वो रसिक के लंड को सहलाती रही..



"आह्ह भाभी, जल्दी कीजिए.. बाहर भी निकालिए इसे.. कब तक खेलती रहोगी" रसिक ने बेचैन होकर कहा

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शीला ने लंगोट से रसिक के लंड को बाहर निकाला.. आह्ह.. देखते ही शीला सिहर उठी.. विकराल अजगर जैसा रसिक का दमदार लंड.. टमाटर जितना बड़ा सुपाड़ा.. और लंड की फुली हुई नसें.. शीला की कलाई जितना मोटा था रसिक का लंड.. !! शीला की चूत ने रस और गंध छोड़ना शुरू कर दिया था.. जबरदस्त उत्तेजित हो गई थी वो.. उसके स्तन एकदम सख्त हो गए थे.. निप्पलें तनकर खड़ी हो गई थी..

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दोनों हाथों से लंड को जड़ से पकड़कर.. शीला ने अपने मुंह मे डाल दीया... आँखें बंद कर उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उस ब्लू फिल्म की हीरोइन की तरह वो भी घोड़े का लंड चूस रही है.. वो तब तक चूसती रही जब तक की उसका मुंह दर्द नहीं करने लगा.. रसिक के आँड़ भी अंडे की साइज़ के थे.. शीला उसके लंड और आँड पर टूट पड़ी थी.. कभी लंड को चूमती.. तो कभी आँड़ों को मुंह मे भरकर चूसती.. वैसे तो शीला को मदन का लंड चूसने मे भी मज़ा आता था.. पर रसिक के मूसल की बात ही निराली थी..

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शीला की चूत अब बगावत पर उतर आई थी.. इतनी तेज खुजली हो रही थी इस लंड को देखकर.. शीला ने ब्लाउस के हुक खोल दीये.. और अपने नारियल जैसे स्तनों को मुक्त कर दिया.. अत्यंत उत्तेजित होकर उसने अपने दोनों चुचे रसिक के लंड पर रगड़ दीये.. शीला के स्तनों से रगड़ खाकर रसिक का लंड लोहे के गरम सरिये जैसा हो गया था.. शीला ने अपने दोनों विराट स्तनों के बीच रसिक का लंड दबा दिया.. शीला की छातियों का नरम नरम स्पर्श मिलते ही रसिक का लोडा भी फुदकने लगा.. शीला के नखरे रसिक को पागल बना रहे थे..

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वो खड़े खड़े.. शीला के दूध जैसे गोरे बबलों को देख रहा था.. दीवार पर अपना सर टीकाकर बैठी शीला का घाघरा पूर्णतः ऊपर की तरफ उठ चुका था.. और शीला जितना हो सकें उतना पैर चौड़े कर.. अपनी भोस खुजाते हुए रसिक के लंड को प्यार करती रही.. उत्तेजित होकर जब रसिक बेकाबू हो जाता तब वो शीला के मुंह को ही चूत समझकर अपने लंड को बड़ी ही ताकत से अंदर धकेल देता.. पीछे दीवार और आगे लंड का आक्रामक हमला.. शीला की हवस संतुष्ट कर सकें उतना लंड उसके मुंह के अंदर दाखिल हो रहा था और रसिक के बड़े बड़े अंडकोश, शीला की ठुड्डी से टकरा रहे थे.. रसिक की धीरज अब जवाब दे रही थी..

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पागलों की तरह रसिक का लंड चूस रही शीला को रसिक ने झुककर कहा "बस भाभी.. आप ऐसे ही चूसती रही तो मेरा निकल जाएगा.. और अंदर डालने का मौका ही नहीं मिलेगा.. "

जैसे रसिक की बात सुनी ही न हो वैसे शीला लंड चूसती ही रही.. काफी देर तक चूसने के बाद जब उसका मन तृप्त हुआ तभी उसने मुंह से लंड निकाला.. और रसिक की जांघों के बीच से उठ खड़ी हुई..

शीला के बिखरे हुए बाल.. हवस टपकाती लाल लाल आँखें.. गाल पर चिपका हुआ रसिक का थोड़ा सा वीर्य..!! जबरदस्त लग रही थी शीला..!! रसिक अब शीला के मदमस्त उरोजों पर टूट पड़ा.. और उसके दोनों स्तनों को बेरहमी से मसल दिया.. एक के बाद एक दोनों स्तनों की निप्पलों को चूसते हुए रसिक ने शीला पर धाबा मोल दिया.. एक इंच लंबी निप्पल को काटते ही शीला की सिसकियाँ निकलने लगी.. रसिक शीला को जितना दर्द पहुंचाता उतना ही शीला और हिंसक हो रही थी.. रसिक के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर शीला निचोड़ने लगी.. शीला के मांसल गोलों को रसिक जितनी बेरहमी से दबाता.. शीला की उत्तेजना घटने के बजाए और भड़क जाती..

एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. जितना हो सकता था उतनी आक्रामकता से एक दूसरे से शरीर का घर्षण कर रहें थे दोनों.. शीला ने अपना घाघरा उठाकर रसिक के लंड को अपनी चिपचिपी बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया.. चूत की गर्मी का एहसास अपने लंड के सुपाड़े पर होते ही रसिक का लोडा शीला की मुठ्ठी मे ठुमकने लगा..

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शीला: "ओह्ह रसिक.. अब और नहीं रहा जाता.. जल्दी से मुझे खटिया पर पटककर चोद दें.. जरा भी रहम मत करना.. मर रही हूँ तेरे लंड से चुदने के लिए!! आज तो फाड़ ही डाल मेरी गुफा.. जल्दी जल्दी कर.. आह्ह.. !!"

रसिक: "हाँ भाभी... आपका बदन देखकर मेरा लोडा अब इतना तन चुका है की अब इसे बिना चोदे चैन नहीं मिलने वाला.. पर मैं दरवाजे की कुंडी ठीक से चेक कर लूँ.. कहीं रूखी बेवक्त न टपक पड़े"

रसिक दरवाजे की कुंडी चेक करने गया पर बेचारे नादान रसिक को कहाँ पता था की...

शीला ने रूखी को अपने घर भेजा था.. मदन के पास..!!! ताकि मदन उसके दूध भरे बबलों का लुत्फ उठा सकें.. और जब तक शीला का मिसकॉल नहीं जाता तब तक वो वापिस लौटने वाली नहीं थी.. वैसे शीला को मदन के साथ सेक्स करने मे उतनी दिक्कत नहीं थी.. रात को वैशाली की मौजूदगी के कारण कंट्रोल रखना पड़ता था.. पर दिन भर तो वैशाली ऑफिस रहती थी.. उस समय दोनों चाहें उतना चोद सकते थे.. लेकिन शीला चाहती ही थी की इसी बहाने रसिक के मूसल से ठुकवा सकें.. और मदन भी रूखी के दूध भरे स्तनों को देखकर होश खो बैठा था.. मदन की हवस को ही सीढ़ी बनाते हुए शीला रसिक के लंड तक पहुँच गई थी.. मदन उसी विश्वास में था की इतनी सुंदर, मॉडर्न और सम्पूर्ण संतुष्ट शीला, किसी मामूली से दूधवाले से थोड़े ही चुदवाएगी.. !! पर ऐसा गलत आत्मविश्वास कभी नहीं रखना चाहिए.. स्त्री कभी भी, कुछ भी कर सकती है

मदन बेचारे को कहाँ पता था की जब वो विदेश में मेरी के बबले चूस रहा था तब शीला रसिक के साथ रंगरेलियाँ मना रही थी.. !!

रसिक के सामने ही अपनी चूत खुजाते हुए शीला खटिया पर बैठ गई और अपने सारे वस्त्र उतार दीये.. कपड़े उसने संभालकर खटिया के बगल में इस तरह रखें की जरूरत पड़ने पर वो तुरंत उन्हें पहन सकें.. शीला के पीछे पीछे रसिक आया.. सामने से चलकर आ रहें रसिक की दोनों जांघों के बीच झूल रहें विकराल लोडे को देखकर.. किसी भी स्त्री की नियत बिगड़ सकती थी.. ऐसा मोटा और तगड़ा था उसका लंड.. शीला को नंगी बैठें देख.. रसिक उत्तेजित सांड की तरह बेकाबू हो गया.. और शीला के सामने अपनी बनियान उतार दी.. चौड़े कंधे.. काले घुँघराले बालों से भरी हुई छाती.. देहाती श्याम रंग.. अलमस्त काया.. और साढ़े छह फिट की ऊंचाई.. बड़ी बड़ी मूछें.. कान में चांदी की बाली.. कम से कम 90 किलो वज़न था रसिक का.. !!

शीला: "बाप रे, रसिक.. !! कितना बड़ा है ये तेरा.. !! किसी जवान लड़की के छेद में अगर तू ये तेरा लंड डालेगा तो उस बेचारी की वहीं जान निकल जाएगी.. "

रसिक को अपनी ओर आते देख.. शीला खटिया पर टांगें फैलाकर लेट गई.. उसने खुद ही अपने चूतड़ों के नीचे तकिया सटाकर रख दिया.. आज वो हफ्तों की भूख शांत करने आई थी..!!

धीरे धीरे रसिक शीला के करीब आया.. और खटिया के कोने पर बैठ गया.. शीला की मांसल गदराई जांघों पर हाथ फेरते हुए उसने कहा "कितनी चिकनी है आपकी जांघें, भाभी। इसपर तो मैं अपना लंड रगड़कर ही पानी गिरा सकता हूँ.. " कहते हुए शीला की भोस तक अपना हाथ ले गया.. शीला के पैर तो पहले से ही चौड़े थे.. इसलिए उसके भोसड़े तक पहुँचने में रसिक को जरा भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा

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खुरदरे हाथों का स्पर्श शीला को और उत्तेजित कर गया.. वो नीचे से अपने चूतड़ उठाकर गोल गोल घुमाने लगी.. "सहलाना बंद कर रसिक.. अंदर चीटीयां काट रही है मुझे.. डाल दे तेरा लंड अंदर.. आह्ह मर गई.. !!"

शीला रूखी के बारे में सोचने लगी.. कितनी किस्मत वाली है वोह.. रोज ऐसे तगड़े लंड से चुदना नसीब हो रहा था उसे.. फिर भी कमीनी जीवा के लंड के पीछे पागल थी.. मायके और ससुराल दोनों में उसके पास उत्कृष्ट कक्षा के तगड़े लंड उपलब्ध थे..

रसिक ने शीला की दोनों जांघों के बीच पोजीशन ले ली.. जिस तरह लड़ाकू विमान टेक-ऑफ के लिए तैयार होते है, बिल्कुल वैसे ही.. रसिक का लंड, शीला की भोसड़े की गंध सूंघकर हिलोरे लेने लगा था..


रसिक ने दोनों हाथों को शीला के घुटनों पर रख दिया.. और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया.. भोसड़े पर लंड टेककर अंदर डालने की कोशिश की.. पर उस तरह लंड अंदर घुस नहीं पा रहा था.. आखिर शीला ने अपने एक हाथ से स्तन मसलते हुए दूसरे हाथ से रसिक के लंड को हाथ में लिया और अपने गरम भांप छोड़ रहे सुराख पर रख दिया.. हल्के से गांड उचकते ही रसिक का सुपाड़ा अंदर घुस गया.. "अब मार धक्के.. जोर से.. फाड़ दे इसे.. आह्ह"

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अब रसिक भी कहाँ पीछे हटने वाला था.. !! उसने दबाकर एक जोरदार धक्का लगाया.. और शीला के भोसड़े को चीरते हुए उसका लंड बच्चेदानी के मुख पर जाकर टकराया..

"ऊईईई माँ... मर गई.. ओह्ह रसिक.. अपना लोडा बाहर निकाल और फिर से इसी तरह एक और धक्का लगा.. आह्ह मज़ा आ गया.. जरा जोर से.. !!" शीला की उत्तेजना बेकाबू हो रही थी.. "कौन जाने क्या खाकर तुझे तेरी माँ ने पैदा किया था.. कितना खूंखार लंड है रे तेरा... अब चोद डाल.. अपनी माँ की चूत समझ कर चोद दे मुझे.. !!"

रसिक ने शीला के पैरों को छोड़ दिया.. और शीला ने उसके कंधों पर दोनों पैरों से कुंडली मार दी.. रसिक ने शीला के दोनों बबलों को अपने हाथों से दबाते हुए.. अपनी अलमस्त काया का पूरा 90 किलो वजन एक साथ ही शीला के ऊपर थोप दिया.. नौ इंच का लंड और नब्बे किलो का वज़न.. बड़े आराम से झेल रही थी शीला.. !!

रसिक के वजनदार धक्कों को शीला ने बड़ी ही आसानी से झेल लिया.. पर खटिया के पैर इसे बर्दाश्त न कर पाएं.. कड़ाके की आवाज के साथ खटिया टूट गई.. "अरे अरे अरे... !!" कहते हुए रसिक शीला को संभालने गया.. पर आखिर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम की जीत हुई.. काबिल शीला ने इस स्थिति में भी रसिक का लंड बाहर निकलने नहीं दिया.. उसने अपने भोसड़े की मांसपेशियों के बीच रसिक के लोडे को ऐसा दबोच रखा था की उसके बाहर निकलने की कोई गुंजाइश नहीं थी..

टूटी हुई खटिया से उठने की कोशिश कर रहें रसिक को शीला ने अपनी बाहों में भरते हुए.. उसके पसीने से तर कंधों पर काटते हुए कहा "उठ मत.. चालू ही रख.. इसी स्थिति में धक्के लगाना शुरू कर दे.. मज़ा आ रहा है यार.. "

रसिक ने फिर आव देखा न ताव.. धनाधन धक्के लगाना शुरू कर दिया.. उसके प्रत्येक प्रहार से शीला की भूख और खुजली कुछ कुछ संतुष्ट हो रही थी.. रसिक के कूल्हों को अपने नाखूनों से कुरेदते हुए शीला उसे अपने जिस्म से और सख्ती से दबा रही थी.. रसिक बिना रुकें, शीला को पूरे जोश से चोद रहा था और शीला नीचे तृप्ति के महासागर में गोते लगा रही थी.. शीला भी पसीने से तरबतर हो गई थी जीवन के इस सर्वोच्च आनंद को महसूस करते हुए.. रसिक के पसीने की गंध शीला की हवस को ओर भड़का रही थी..


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टूटी हुई खटिया में चोदना असुविधाजनक तो था ही.. पर जब इच्छाशक्ति प्रबल हो तब कोई भी समस्या ज्यादा देर तक टिक नहीं पाती..

"आहहह रसिक.. लगा जोर से शॉट.. मार डाल मुझे.. ओह्ह आह्ह.. शाबाश.. और जोर से.. ऊईई माँ.. आह्ह अहह.. स्पीड बढ़ा.. मैं झड़ने वाली हूँ.. आ.. आ.. आ.. आ.. आ.... !!" शीला के स्खलन की अंतिम क्षणों में रसिक भी थककर चूर हो गया.. उसके विकराल लंड ने वीर्य की गरम गरम पिचकारी जब बुर के अंदर तक छोड़ी.. तब शीला ने अपने नाखून रसिक की पीठ पर गाड़ दीये.. रसिक की पीठ पर ऐसे निशान बन गए थे जैसे किसी खूंखार शेरनी ने अपना पंजा मार दिया हो.. !!

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शीला के बबले रसिक की छाती के बोझ तले दबकर चपटे हो गए थे.. बबलों की चर्बी का अतिरिक्त हिस्सा.. दोनों बगलों से बाहर झलक रहा था.. टूटी हुई खटिया में.. पैर फैलाकर लेटी शीला तभी शांत हुई जब उसका भोसड़ा पूर्णतः तृप्त हो गया.. रसिक को अपनी बाहों में भींचकर शीला तेजी से हांफने लगी.. बिखरे हुए बाल.. आँखों में तृप्ति के भाव के साथ शीला पड़ी रही.. और उसके ऊपर रसिक ऐसे गिरा हुआ था जैसे एनकाउंटर में मारे गए किसी गुंडे की लावारिस लाश हो..

थोड़ी देर तक दोनों उसी स्थिति में पड़े रहे.. शीला के तकियों जैसे स्तनों पर से उठने का भला कीसे मन होगा.. !! लेकिन रसिक उस स्थिति में भी समय को लेकर चौकन्ना था..

"अब आप मुझे छोड़िए तो मैं खड़ा हो सकूँ.. वैसे मज़ा आ गया आज तो भाभी.. ये रूखी पता नहीं अब तक क्यों नहीं लौटी?? अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था.. !! वैसे देखने जाएँ तो अच्छा ही हुआ की वो अब तक नहीं लौटी.. वरना हमारे रंग में भंग पड़ता.. !!"

शीला: "हाँ हाँ उठ जा.. और अपने लोडे को बाहर निकाल.. अंदर एकदम फिट हो गया है.. कुत्तों की तरह.. तू भी कपड़े पहन ले और मैं भी तैयार हो जाती.. फिर कोई आ जाएँ तो भी प्रॉब्लेम नहीं होगा.. "

दोनों ने उठकर कपड़े पहने

रसिक: "अब इस टूटी हुई खटिया का क्या करूँ? घर में ये एक ही खटिया है.. रूखी तो ये देखकर ही मेरी जान निकाल देगी.. शाम तक इसे ठीक कराना ही होगा.. बेकार में खर्चा हो गया मेरा.. !!"

शीला ने तुरंत अपने पर्स से सौ सौ की तीन नोट निकालकर रसिक को थमा दी.. थोड़े से संकोच के साथ, रसिक ने पैसे ले लिए..

रसिक: "शुक्रिया भाभी.. वैसे आज आपके साथ जो मज़ा आया.. ऐसा मज़ा मुझे रूखी के साथ कभी नहीं आता है.. समझ में नहीं आ रहा की रूखी कहाँ मर गई?? कमीनी किसी ओर के साथ तो खटिया नहीं तोड़ रही होगी??"

शीला खिलखिलाकर हंस पड़ी "सब तेरे जैसे थोड़े ही होते है.. चल अब मैं चलती हूँ.. ज्यादा देर बैठूँगी तो फिर से मन हो जाएगा"

रसिक: "अरे भाभी, थोड़ी देर बैठिए ना.. जी करता है की पूरा दिन आपके सामने बैठकर देखता ही रहूँ.. कितनी सुंदर हो आप"

शीला: "ज्यादा रोमेन्टीक मत बन.. ऐसा तो क्या देख लिया तूने मेरे अंदर?"

रसिक: "एक बात कहूँ.. ?? जब हम कर रहे थे.. तब आपने कहा था की अगर मैं अपना ये लंड किसी जवान खूबसूरत लड़की के अंदर घुसा दूँ तो वो मर जाएगी.. उसी से याद आया.. मेरा बहोत मन कर रहा है.. किसी फेशनेबल जवान लड़की को चोदने का.. आप मेरी कुछ मदद करो ना.. !!"

शीला: "साले, मुझे क्या दलाल समझ रखा है तूने?? और तेरा रूप-रंग तो देख.. !! तुझे नंगा देखकर लड़कियां वहीं बेहोश हो जाएगी.. !!"

रसिक: "क्या भाभी आप भी.. !!!"

शीला: "तेरे लिए तो रूखी की गुफा ही ठीक है.. कागज की कश्ती जैसी नाजुक चूतें, तेरा ये मूसल बर्दाश्त ही नहीं कर पाएगी"

शीला के बबलों को दबाते हुए रसिक ने फिर से विनती की.. "कुछ कीजिए ना भाभी, प्लीज"

शीला: "अरे यार.. तू तो मेरे गले ही पड़ गया.. मैं कहाँ से लाऊँ तेरे लिए जवान फेशनेबल लड़की?? और मिल भी जाएँ तो मैं क्या कहूँ उसे?? की जा इस दूधवाले से चुद जा.. !! नहीं भाई नहीं.. मुझसे ये नहीं होगा"

रसिक: "आप को कहीं ढूँढने नहीं जाना है भाभी... आपको तो सिर्फ मुझे मदद करनी है"

शीला: "अच्छा... तूने ढूंढ भी ली है.. !! बता.. कौन है वो अभागी लड़की??"

कमर पर हाथ रखकर जबरदस्त स्टाइल में खड़ी थी शीला.. जिसे देखकर अच्छे से अच्छे मर्दों को छक्के छूट जाएँ..

रसिक: "भाभी.. अगर आप मुझे सहयोग दें तो बगल के चिमन काका के घर ही मेरा काम हो सकता है"

शीला: "मतलब?? तू कविता की बात कर रहा है??" चोंक उठी वो..

कविता से शीला बराबर परिचित थी.. उतना ही नहीं.. वो रसिक और कविता दोनों के शारीरिक भूगोल से भी वाकिफ थी.. इन दोनों के उम्र से लेकर लंड-चूत के नाप तक.. किसी भी चीज में कोई समानता नहीं थी.. ये तो ऐसा हाल होता जैसे किसी कुत्तिया पर गधा चढ़ने की बात कर रहा हो.. शीला की आँखों के सामने.. फटी हुई चूत के साथ.. लहू-लुहान लेटी हुई बेहोश कविता का द्रश्य आ गया.. बाहर खड़ी हुई एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ी भी दिखाई देने लगी.. शीला ने अगर थोड़ी ओर कल्पना की होती तो उसे रसिक की गिरफ़्तारी समेत और कई द्रश्य भी नजर आ जाते

कांप उठी शीला.. क्योंकि वो अच्छे से जानती थी.. कविता की तितली जैसी शोख चंचल काया.. रसिक नाम का सांड.. एक ही पल में रौंद देगा.. रसिक की बात सुनकर.. शीला का दिमाग.. कंप्यूटर से भी तेज चलने लगा.. वो सोचने लगी.. जब मैं कलकत्ता गई थी तब तो कहीं रसिक ने कविता के ऊपर नजर नहीं डाली होगी.. !! अनुमौसी भी रसिक के लंड की दीवानी है.. कहीं अपना भोसड़ा मरवाने के चक्कर में.. मौसी ने कविता का सौदा तो नहीं कर दिया रसिक के साथ.. !! नहीं नहीं.. ऐसा तो नहीं हुआ होगा.. वरना रसिक मुझे ये सब क्यों बताता.. !! सीधा मौसी के साथ ही कविता का सेटिंग कर लेता..

"क्या सोच रही हो भाभी? मेरी बात का बुरा लगा क्या आपको??" चुपचाप बैठकर सोच रही शीला को देखकर रसिक ने पूछा

शीला: "ऐसा कुछ नहीं है रसिक.. कविता का सेटिंग तो मैं नहीं करवा सकती.. पर अगर कोई नए जमाने की मॉडर्न लड़की का कॉन्टेक्ट होगा तो तुझसे मिलवा दूँगी जरूर.. अभी तो ऐसा कोई मेरे ध्यान में नहीं है.. शहर की लड़कियों को मॉडर्न हेंडसम रोमियो टाइप लड़के पसंद होते है.. उन्हें देसी नारियल के पानी से ज्यादा कोक और पेप्सी पसंद होती है.. शुद्ध घी का हलवा खाने से उनका फिगर खराब हो जाता है पर पीत्ज़ा, बर्गर इत्यादि खाने में उन्हें कोई हर्ज नहीं होता.. सब औरतें या लड़कियां मेरे जैसी नहीं होती.. की जिन्हें असली मर्द की परख हो.. अगर तू भी क्लीनशेव होकर मॉडर्न कपड़े पहन ले तो वो लड़कियां तेरे पीछे भागेगी.. हट्टा-कट्टा तो तू है ही.. आजकल दंभ और दिखावे का ज़माना है.. तेरे पास फूटी कौड़ी भी न हो तो चलेगा पर तुझे दिखावा ऐसा करना होगा की जैसे तू करोड़पति हो.. आज कल तो जहर भी अच्छे पेकिंग में डालकर बेच सकते है.. केसर युक्त गुटखा की तरह.. !!"

रसिक: "अरे भाभी.. मैं ठहरा दूधवाला.. अब सूट-बूट पहनकर दूध बेचने निकलूँगा तो कौन खरीदेगा?? ये तो बस एक मेरी ख्वाहिश थी जो मैंने आप को बताई.. वरना मैं कौन सा यहाँ मरा जा रहा हूँ.. और आप तो हो ही मेरे पास.. आप भी मॉडर्न ही हो.. पर कविता का गन्ने जैसा पतला शरीर देखता हूँ तो मन में खयाल आता है की ऐसी लड़की को चोदने में कितना मज़ा आएगा.. !! लंड घुसाने पर कैसे छटपटाएगी.. !!!"

शीला: "मैं समझ सकती हूँ तेरी बात रसिक.. तेरे लोडे में इतनी ताकत है की कोई भी तेरा लेकर छटपटाएगी..!! पर जरा कविता की चूत के बारे में तो सोच.. तू अंदर डालेगा तो बेचारी की फट के फ्लावर बन जाएगी.. मुश्किल से पच्चीस की है कविता.. तेरे जैसा लंड उसने सपने भी देखा नहीं होगा.. उसकी उम्र या अनुभव अधिक होने दे.. वो खुद-ब-खुद चलकर तेरे पास आएगी.. उसके साथ अच्छे संबंध रख.. अभी तो नहीं पर भविष्य में जरूर कुछ होगा.. " आश्वासन देते हुए शीला ने कहा

"वैसे तूने कभी कविता से इस बारे में कुछ बात की है क्या?" शीला का नार्को टेस्ट शुरू हो गया

"नहीं भाभी.. ऐसा तो कुछ नहीं कहा मैंने"

शीला: "तो फिर कविता तेरे दिमाग में कैसे आ गई एकदम से??"

रसिक: "कविता दूध लेते वक्त काफी मज़ाक मस्ती करती है मेरे साथ.. इसलिए मुझे लगा की....!!"

शीला: "रसिक, कविता ऐसी नहीं है.. कोई भी लड़की या स्त्री ऐसी नहीं होती.. जब तक वह खुद असन्तुष्ट हो... मज़ाक करने का मतलब ये नहीं होता की लड़की कुछ भी करने को तैयार है"

रसिक: "वैसे देखने जाए तो पुरुष भी ऐसा सब हालात के मारे ही तो करता है.. मैं आप से जिद नहीं कर रहा भाभी.. पर कभी कविता सामने से खुद अगर ऐसी कोई बात छेड़ें.. तो आप मुझे जरूर याद करना.. !!"

शीला: "पागलों जैसी बातें मत कर.. कविता कभी इस बात के लिए राजी नहीं होगी... और अगर राजी हो भी गई तो तेरा ये गधे जैसा लंड लेने की उसकी क्षमता ही नहीं है.. दो-तीन धक्कों में तो उसकी चूत फट जाएगी.. और तू फंस जाएगा.. गलती से भी ऐसा कुछ मत करना.. किस्मत में होगा तो वो सामने से आएगी.. पर अगर तू जबरदस्ती करने गया और कुछ उंच-नीच हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे.. !! चल अब मैं चलती हूँ"


आखिरी बार सलाह देकर शीला खड़ी हो गई.. रसिक को एक किस करते हुए वो निकल गई.. घड़ी में देखा तो चालीस मिनट बीत चुके थे.. उतनी देर भी नहीं हुई थी.. वो तृप्त और खुश होते हुए घर पहुंची.. घर का दरवाजा बंद था.. और बाहर किसी की चप्पल पड़ी हुई थी.. शीला ने दरवाजा खटखटाया.. काफी देर के बाद मदन ने दरवाजा खोला.. मदन का हाल बेहाल था.. अस्त-व्यस्त बाल.. सिलवटों वाले कपड़े.. लाल चेहरा.. शीला बिना कुछ कहें घर के अंदर आ गई.. उसने अंदर जाकर बेडरूम में देखा तो बिस्तर पर रूखी बैठी हुई थी.. उसका रंग-रूप और हावभाव देखकर ये साफ प्रतीत हो रहा था की मदन के साथ गुलछर्रे उड़ा चुकी थी.. बिखरा हुआ बिस्तर इस बात की गँवाही दे रहा था..
बहुत ही जबरदस्त अपडेट था!
 

vakharia

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औरत को एक बार अगर बाहर के खाने का चस्का लग जाए तो फिर उसको घर का खाना पसंद नहीं आता।शराब से घातक नशा शादीशुदा औरत को पराए मर्द का होता है और यह नशा जब अपनी चरम पर पहुंचता है तब औरत अपनी सब मर्यादा को लांगकर चरम सुख की प्राप्ति के लिए पराए मर्द से संभोग करती है. एक बार ये दहलीज लांघ कर गैर मर्द के झटके खाने वाली पत्नी पति से कभी भी खुश नहीं हो सकती । एक बार अगर औरत को दूसरे मर्द का चस्का लग गया फिर वो बार बार बदल बदल के संभोग का आनंद लेना चाहती है. कुछ यही हाल अब शीला का हो गया है। मदन की अनुपस्थिति में उसने गैर मर्दो के साथ संबंध बनाए और अब मदन चाह कर भी शायद शीला को वो सुख नहीं दे पा रहा। शीला को अब नए-नए मर्द चाहिए उसकी आग को ठंडा करने के लिए
आपके द्वारा प्रस्तुत विचार एक विशिष्ट दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जो रिश्तों और मानवीय इच्छाओं के जटिल पहलुओं को समझने की कोशिश करता है... हालांकि यह एक सामान्यीकरण सा लग सकता है, लेकिन काफी हद तक यह उस मानसिकता को उजागर करता है, जो रिश्तों में संतुष्टि और बदलाव के बारे में, समाज में मौजूद है...

यह संदेश निहित है कि जब एक व्यक्ति, विशेषकर औरत, एक बार पराये पुरुष से संभोग करती है, तो उसकी मूल प्राथमिकताएँ और इच्छाएँ बदल जाती हैं... रुचि और पसंद मे परिवर्तन का आधार उस तथ्य पर भी आधारित होता है की व्यभिचार का उसका वह अनुभव कैसा रहा था.. अमूमन यह भी पाया गया है की भिन्न सहभागी के साथ संसर्ग अरुचिकर होने पर, औरत अपने निर्धारित पात्र के पास या तो वापिस लौट जाती है.. या तो फिर योग्य पात्र की तलाश जारी रखती है..

जब एक महिला अपने जीवनसाथी के साथ लंबे समय तक एक ही तरह की दिनचर्या और रिश्ते में बंधी रहती है, तो कभी-कभी उसे कुछ अलग, नयेपन और उत्तेजना की आवश्यकता महसूस हो सकती है... यह पूरी तरह से असंतुष्टि या प्यार की कमी का संकेत नहीं होता, बल्कि यह एक प्राकृतिक मानवीय प्रवृत्ति हो सकती है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन में नये अनुभव और रोमांच की खोज करता है... जब औरत को इस प्रकार के अनुभवों की संतुष्टि मिलती है, तो फिर उसे वही अनुभव, अपने पारंपरिक साथी से नहीं मिल पाता, क्योंकि मानसिक और शारीरिक बदलावों के कारण वह पहले जैसा आकर्षण महसूस नहीं करती...


इस प्रकार के बाहरी संबंध अक्सर एक साहस की तरह महसूस होते हैं, जो कुछ समय के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता और उत्तेजना का एहसास कराते हैं.. लंबी अवधि तक ऐसे संबंधों का क्या भविष्य होता है उसके विषय में मुझे सटीक जानकारी नहीं है.. इसलिए टिप्पणी करना अयोग्य होगा
 
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vakharia

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गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..

रेणुका गाड़ी होटल के अंदर ले ही रही थी तब शीला ने उसे रोक लिया

शीला: "यहाँ नहीं.. यहाँ पार्क करेंगे तो राजेश इस गाड़ी को पहचान लेगा.. "

रेणुका: "अरे हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा सोचा ही नहीं था"

शीला: "हम यहाँ से थोड़े दूर.. सड़क के किनारे गाड़ी पार्क कर देंगे.. पर उससे पहले मुझे एक बार होटल के अंदर जाकर देख लेने दे.. तू तब तक यहीं बैठ गाड़ी में "

रेणुका के उत्तर की प्रतीक्षा कीये बगैर ही शीला गाड़ी से उतर गई.. और चलते चलते रीसेप्शन पर गई.. काफी देर तक पूछताछ करते हुए रेणुका उसे देखती रही.. वो सोच रही थी की.. गजब की हिम्मत थी शीला मे..!! बिना किसी डर के बड़े ही स्वाभाविक अंदाज मे वो बातें कर रही थी.. पर इतनी देर तक क्या पूछ रही है वो.. !! रेणुका ने देखा की शीला सीढ़ी चढ़कर ऊपर गई.. बड़ी ही महंगी और वैभवशाली होटल थी..

थोड़ी देर बाद, शीला को अपनी ओर आता देख, रेणुका को चैन मिला..

कार में बैठते ही शीला ने रेणुका से कहा.. "गाड़ी को दायीं ओर उस सड़क पर ले जा.. एक किलोमीटर बाद, पे-एंड-पार्क की सुविधा है.. वहाँ गाड़ी पार्क कर देंगे.. फिर टेक्सी में वापीस आ जाएंगे.. मैंने हमारा कमरा भी बुक करवा दिया है.. ऐसा कमरा पसंद किया है की जिसकी खिड़की से.. आने जाने वाले सब लोगों पर हम नजर रख सकेंगे.. !!"

रेणुका: "तूने कमरा भी बुक करवा दिया?? बड़ी तेज है तू.. !!"

शीला: "अरे वो रीसेप्शन पर बैठा जवान.. मेरे जाते ही.. बूब्स को तांकने लगा.. बस उसी का फायदा उठाकर.. मैंने उससे सब से बेस्ट कमरा मांग लिया.. और भी बहोत सारी जानकारियाँ उगलवानी थी.. पर तू यहाँ बैठे बैठे बोर हो जाएगी, ये सोचकर वापिस आ गई.. चल, पहले गाड़ी पार्क कर देते है.. !!"

दोनों थोड़ी ही देर में पार्किंग एरिया में पहुँच गए.. कार पार कर चलते चलते सड़क की तरफ आ रहे थे तभी..!!!!

रेणुका ने चोंक कर कहा "ओह माय गॉड.. अभी सामने से राजेश की गाड़ी गई.. !!"

शीला: "मतलब, वो लोग यहाँ आ चुके है.. !!"

रेणुका: "हम्म.. तो यहाँ होने वाली है उनकी बेंगलोर की बिजनेस ट्रिप.. एक नंबर के चुदक्कड़ है हम दोनों के पति"

शीला ने आँख मारते हुए कहा "तो हम भी कहाँ कम है.. !! वो तो रात को मजे करेंगे.. हमने तो गाड़ी में ही पार्टी की शुरुआत कर दी थी"

रेणुका ने थोड़े डर के साथ कहा "यार, वो दोनों भी अभी कहीं बाहर निकले होंगे, और हमें देख लेंगे तो?? मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"

शीला: "एक बात समझ ले रेणुका.. चोरी छिपे वो दोनों आए है यहाँ.. फिर हम क्यों डरे भला?? डरना उनको चाहिए.. बेंगलोर का झूठा बहाना उन दोनों ने बनाया था.. तू इत्मीनान रख.. वो दोनों हमें मिल गयें तो वो लोग कुछ कहें उससे पहले ही, मैं उन दोनों की गांड फाड़ दूँगी.. तू बिंदास चल मेरे साथ.. डरने की जरूरत नहीं है.. आज तो कुछ ऐसा खेल करेंगे की पार्टी में उनकी नज़रों को सामने ही पराए लंड से चुदवाएंगे फिर भी उन्हें पता नहीं चलेगा"

दोनों ने बाहर सड़क पर आकर देखा.. गाड़ी होटल की तरफ जाने की बजाए दूसरी सड़क पर मुड़ गई..

शीला: "लगता है की वो किसी दूसरी होटल में रुके होंगे"

रेणुका: "हाँ, मुझे भी यही लगता है.. !!"

टेक्सी तो नहीं मिली.. ऑटो पकड़कर दोनों होटल पर पहुँच गई.. रीसेप्शन काउंटर पर एक जवान लड़का और लड़की बैठे थे.. लड़की ने चमकीला पतला टॉप पहना था जिसमें से उसके उरोज बाहर झलक रहे थे.. जान बूझकर कर टेबल पर झुककर वो अपने स्तन दिखा रही थी.. शीला ने अपना पल्लू हल्का सा सरकाया.. और टेबल की उस तरफ झुककर जैसे ही अपने विराट स्तनों को प्रदर्शन किया.. देखकर उस लड़की की आँखें फट गई.. और उसके साथ वाला लड़का अपना लंड एडजस्ट करने लगा..

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आँखें मटकाते हुए शीला ने अपने कमरे की चाबी मांगी.. पालतू कुत्ते की तरह उस लड़के ने लार टपकाते हुए चाबी निकाली.. और शीला तथा रेणुका को अपने साथ आने को कहा.. वैसे तो चाबी लेकर रूम तक ले जाना, वेटर का काम होता है..

सीढ़ियाँ चढ़कर तीनों पेसेज के अंत में बनी रूम के अंदर गए.. रूम का लोकेशन देखकर रेणुका खुश हो गई.. खिड़की से होटल का एंट्री गेट और रीसेप्शन नजर आ रहे थे.. दूसरी खिड़की से ऊपर के माले का पूरा पेसेज दिख रहा था.. शीला ने बड़ी ही चालाकी से यह रूम पसंद किया था ताकि वो दोनों बंद कमरे से राजेश और मदन पर नजर रख सकें..

शीला: "तुम्हारा नाम क्या है?'

लड़का: "मेरा नाम हेमंत है.. आप मुझे हेमू कह सकती है"

शीला : "ओके माय डीयर हेमू.. हम यहाँ इन्जॉय करने के लिए आए है.. क्या आप के पास कोई ऐसा एजेंट है जो चार्ज लेकर हमें दो मर्द साथी प्रोवाइड कर सकें?"

हेमंत: "मतलब???"

शीला: "नया है क्या?? समझता नहीं है.. सब कुछ साफ साफ बुलवाएगा..!! हम यहाँ मजे मारने आए है.. इसलिए कोई मर्द चाहिए जो पैसे लेकर हमें रात को खुश कर सकें.. कैसे कैसे अनाड़ी लोग रखे है इन होटल वालों ने.. !!"

सुनकर हेमंत का जबड़ा लटक गया..

हेमंत: "नहीं मैडम.. ऐसा तो कोई नहीं है.. अक्सर लोग यहाँ आकर लड़कियों की डिमांड करते है.. मर्द के लिए आज से पहले किसी ने नहीं पूछा... मगर आप जैसी खूबसूरत महिलाओं के लिए यह काम करने कोई भी खुशी खुशी तैयार हो जाएगा.. और पैसे भी नहीं लेगा..!!"

रेणुका: "तो क्या तू तैयार है इसके लिए?"

हेमंत: "जी.. मैं.. वो.. मैडम, क्यों मज़ाक कर रही हो?? कहाँ आप और कहाँ मैं.. !! और वैसे भी मैं ड्यूटी पर हूँ.. तो ऐसा कैसे कर सकता हूँ??"

तब तक तो शीला ने अपना पल्लू हटाकर.. उस लड़के का दिमाग भ्रष्ट कर दिया.. लड़का ज्यादा आनाकानी करता उससे पहले ही रेणुका ने उसे हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींचा.. "ओह्ह जानेमन.. ड्यूटी पर तो डिलीवरी तक हो जाती है.. तुम चुदाई भी नहीं कर सकते?"

"ओह मैडम.. प्लीज छोड़ दीजिए.. मेरी नौकरी का सवाल है" लड़की की गांड फट गई..

शीला उसके करीब आ गई.. लड़के के दोनों हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रखते हुए बोली "पसंद नहीं आए?? फिर दबा ना.. साले तेरी माँ से भी बड़े है ये.. " कहते हुए उसका लंड दबा दिया शीला ने

रेणुका: "देख हेमू.. हम यहाँ चुदवाने आए है.. और तुझे हमें चोदना होगा" जिस तरह बिन बजाकर मदारी सांप को खेल के लिए तैयार करता है उसी तरह रेणुका ने नंगा आमंत्रण देकर हेमंत की मर्दानगी को जगा दिया था

शीला ने हेमंत के लंड को पेंट की ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी मे दबा दिया और बोली "ये बता.. यहाँ कौन सा स्पेशल प्रोग्राम होने वाला है आज रात को?"

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सुनते ही हेमंत के पसीने छूट गए "प्लीज.. मैं उसके बारे में आपको कुछ नहीं बता सकता" शीला समझ गई की तीर निशाने पर लग चुका था.. अब बस, उस लड़के के ईमान को पिघलाने के लिए थोड़ी और आग लगाने की जरूरत थी

हेमंत को बाहों में जकड़कर उसके होंठों पर बड़ा ही रसीला चुंबन कर दिया शीला ने.. काफी देर तक उसके होंठों को चूसते रहने के बाद.. उसे महसूस हुआ की उस लड़के की झिझक कम हो रही थी और वो अपने आप को शीला के हवाले करता जा रहा था.. काफी देर तक चूमने चाटने के बाद शीला ने उसे अपने मोह-पाश से मुक्त किया..

शीला: "कितना हेंडसम है रे तू.. !! तुझे देखकर ही मेरी चूत पनियाने लगी है.. मैं तो तुझ से ही चुदवाऊँगी आज रात.. दिल आ गया है तुझ पर.. "

रेणुका: "तो फिर मैं क्या करूंगी? बैठे बैठे झुनझुना हिलाऊँ?"

शीला: "तू हम दोनों की चुदाई देखते हुए उंगली कर लेना.. मैं तो अपने इस बेटे को चुदाई के नए नए पाठ सिखाऊँगी आज"

हेमंत का लंड पेंट से बाहर निकाल चुकी थी शीला.. २३ साल के लड़के के जवान फुदकते लंड को देखकर शीला और रेणुका दोनों खुश हो गई.. कच्ची ककड़ी जैसा सख्त लंड देखकर.. दोनों चुदक्कड़ महिलाओं को मन में सांप लोटने लगे..

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शीला की कोमल अनुभवी हथेली ने एक ही बार में उस लंड का सारा ब्योरा ले लिया.. और धीमे से फुसफुसाई "मज़ा आएगा इसके साथ"

हेमंत: "मैडम, इफ यु डॉन्ट माइंड.. एक साथ दो दो औरतों के साथ सेक्स करने का मेरा भी बहोत मन है.. हम तीनों आज रात मेरे कमरे में एक ही बेड पर इन्जॉय करेंगे.. मैं आप दोनों को संतुष्ट करने का वादा करता हूँ.. मैं आपको सब को-ऑपरेशन दूंगा.. मेरा लंड एक रात में चार-पाँच बार खड़ा हो सकता है"

शीला अब भी तसल्ली करना चाहती थी की हेमंत पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ जाएँ.. अपने ब्लाउस के हुक खोलकर.. खरबूजों जैसे स्तनों को बाहर निकालकर.. हेमंत के चेहरे को उनके बीच दबाते हुए शीला ने कहा " ले, पहले अपनी माँ का दूध पी ले मेरे बेटे.. माँ को चोदने की ताकत आ जाएगी..!!" कहते हुए शीला ने रेणुका को इशारा किया..


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इशारा समझते ही रेणुका घुटनों के बल बैठ गई.. और हेमंत का लंड मुठ्ठी से पकड़कर चूसना शुरू कर दिया.. २३ साल का लड़का.. अपने से दोगुनी उम्र की औरतों के बीच सेंडविच बन चुका था..

रेणुका का गरम मुंह.. हेमंत के लंड को जैसे झुलसा रहा था.. और शीला के स्तनों की गर्माहट.. उसे अजीब सा सुकून दे रही थी.. किसी अलौकिक दुनिया की सफर पर निकल पड़ा वो.. शीला के मदमस्त उरोजों को बारी बारी पकड़कर दबाते हुए.. उसकी एक एक इंच लंबी निप्पल को बड़े ही चाव से चूस रहा था हेमंत..


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तीन-चार मिनट तक ये दौर चला.. और हेमंत के लंड ने रेणुका के मुंह में गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.. अब वो रेणुका की चुसाई का कमाल हो.. या शीला के बबलों का.. सिर्फ चार मिनट के अंदर.. हेमंत का हाल.. नर्वस नाइन्टी की बलि चढ़े हुए बेटसमेन जैसा हो गया..

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वो समझ गया की जोश में आकर.. उसने इन दोनों चुदासी राँडों को तृप्त करने का वादा तो कर दिया.. पर उसकी तो पाँच मिनट के अंदर ही हवा निकाल दी इन दोनो ने.. !! पता नहीं.. इनके साथ एक रात बिताने के बाद.. कहीं सुबह तक उसके प्राण ही न निकल जाए.. !!

शीला ने जैसे उसके मन के विचारों को पढ़ लिया था.. वो बोली "रेणुका.. यार पागलों की तरह चूसने लगी तू तो.. एकदम से टूट पड़ी.. झड़ गया बेचारा.. डॉन्ट वरी हेमंत.. चल बिस्तर पर चल.. तुझे फिर से तैयार करती हूँ"

हेमंत की फट के फ्लावर हो गई "नहीं नहीं मैडम.. मैं इस कमरे में बेड पर नहीं आऊँगा"

शीला और रेणुका ने चोंककर कहा "क्यों?"

हेमंत खामोश ही रहा.. और आँखें झुकाए खड़ा रहा

शीला की धीरज जवाब दे गई.. "अब बोलेगा भी या तेरी गांड में डंडा डालकर बुलवाऊँ..भेनचोद..!!"

हेमंत: "क्या बताऊँ मैडम.. ये हमारी होटल का टॉप सीक्रेट है.. प्लीज किसी को मत बताइएगा.. वहाँ जो टीवी के बगल में फूलदान है ना.. उसके अंदर एक केमेरा फिट किया हुआ है.. जिससे पूरे बेड का विडिओ सीसीटीवी केमेरा पर नजर आता है.. मालिक हमारे शौकीन है.. सुना ही की वो उन वीडियोज़ को बेचते भी है.. जो भी हो.. मैं तो रात को ये सब देखकर अपनी आँखें सेंक लेता हूँ.. "

रेणुका: "बाप रे.. !! पर ऐसे किसी की प्राइवेट मोमेंट्स का विडिओ बनाना तो गैर-कानूनी है.. !!"

शीला: "रेणुका यहाँ आने वाले लोग भी कौन से शरीफ होते है?? सब यहाँ ऐयाशी करने ही आते होंगे.. फिर ये लोग भी थोड़ा बहोत इन्जॉय कर लेते है.. मेरे हिसाब से तो इसमे कोई बुराई नहीं है" जानते हुए की ये गलत था.. शीला ने हेमंत की तरफदारी की.. क्योंकि उससे अभी और राज भी तो उगलवाने थे..

शीला: "अच्छा हेमू.. सब के वीडियोज़ देखकर, तुझे तो बड़ा मज़ा आता होगा.. हैं ना.. !! हर रोज नए नए माल देखने को मिलते होंगे.. नई नई लड़कियां.. नए नए बबले.. नई नई चूतें.. !!"

रेणुका के मुंह में वीर्यधार करके हेमंत काफी हल्का महसूस कर रहा था.. शीला की बेवाक बातों से वो खुल भी गया था

हेमंत: "अरे आप मानोगे नहीं.. लोग अपनी बेटी से भी कम उम्र की लड़कियों को लेकर यहाँ आते है.. कुछ तो ऐसे बूढ़े होते है.. जो लड़की ले आते है पर फिर कुछ कर ही नहीं पाते.. और फोकट में पैसे बर्बाद करते है.. लड़कियां बेचारी.. उनकी नज़रों के सामने मूठ मारकर अपने आप को ठंडा कर सो जाती है.. मुझे तो देखकर ही गुस्सा आता है.. जब लोड़े में ताकत न हो तो बेकार में क्यों जवान लड़कियों को लेकर आते होंगे?? हम यहाँ चूत की एक झलक को भी तरस जाते है.. !!"

रेणुका: "क्यों?? तुम्हें तो कोई न कोई मिल ही जाती होगी.. तुम्हारे पास तो पूरा कॉन्टेक्ट लिस्ट ही होगा ना इन बाजारू लड़कियों का.. !!"

हेमंत : "होता तो है.. पर मैं उन लड़कियों को मुंह नहीं लगाता.. फिर वो सब गले पड़ जाती है और ब्लैकमेल करती है.. कोई लड़की पट जाएँ और प्यार से दे दें.. तो बात अलग है.. मगर ऐसी रोमियोगिरी करने का टाइम ही नहीं मिलता इस नौकरी के चक्कर मे.. अब देखते है.. एक बूढ़ा है जो हरबार एक जवान लड़की को लेकर आता है.. वो लड़की मुझे लाइक करती है.. पर वो बूढ़ा उसे छोड़ ही नहीं रहा.. देखते है आगे क्या होता है"

शीला: "तुम्हें चुपके से अपना नंबर दे देना चाहिए उसे.. है कौन वो लड़की? वो बूढ़ा उसे लेकर आता है तो चोदता भी होगा.. और उसकी चुदाई तुमने देखी भी होगी"

हेमंत: "स्क्रीन पर चुदाई देख देखकर थक गया हूँ मैडम.. कई बार तो चुदाई चल रही होती है पर देखने का मन नहीं करता.. पर हाँ.. उस लड़की को मैं अक्सर देखता हूँ.. वो मुझे अच्छी लगती है इसलिए.. बाकी तो कुछ खास या अलग होता है तभी मैं देखता हूँ.. कई बार तो जब एक से ज्यादा जोड़ें यहाँ आते है तो उनकी बातों से पता चल जाता है की वो लोग पार्टनर चेंज करेंगे.. वो सब देखने मे मज़ा आता है.. कुछ लड़कियां तो अपने पति से एक साथ दो दो लंड से करवाने की डिमांड करती है"

शीला: "क्या सच मे??

हेमंत: "जी हाँ मैडम.. कोई बड़ा ग्रुप आया तो समझ लो की मजे ही मजे.. क्या क्या नहीं करते वो लोग.. !! आप सोच भी नहीं सकती"

शीला: "हेमू डार्लिंग.. मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए.. बदले मे.. मैं तुम्हारी लाइफ बना दूँगी.. तुमने सोचा भी नहीं होगा इतना मज़ा दूँगी तुझे.. बस तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा" शीला ने शतरंज पर चाल चलनी शुरू कर दी

रेणुका भी हेमंत के मुरझाए लंड को सहलाते हुए शीला की बात को बड़े गौर से सुन रही थी... वो सोच रही थी की शीला इस लड़के का उपयोग कर पार्टी में घुसेगी कैसे? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी को एंट्री नहीं दी जाती.. पर उसे यकीन था शीला की काबिलियत पर.. वो कोई न कोई तरीका ढूंढ ही निकालेगी.. अब वो देखना चाहती थी की शीला कौन सी तरकीब लगाती है.. !!

शीला: "हम आज रात की स्पेशल पार्टी का लाइव विडिओ देखना चाहते है.. क्या तुम हमें दिखा सकते हो??"

हेमू घबरा गया "क.. क.. कौन सी पार्टी? मुझे किसी स्पेशल पार्टी के बारे में नहीं पता.. " वो थरथर कांपने लगा.. वो वहाँ से भाग जाना चाहता था.. पर रेणुका ने उसका लंड कसकर पकड़ रखा था..

लंड को खींचकर अपनी बाहों मे जकड़ते हुए रेणुका ने हँसते हुए कहा "कहाँ भाग रहे हो बेटा.. अभी तो तुम्हारे इस लोडे के साथ पूरी रात पार्टी करने है हमें..!!" लंड पकड़कर रेणुका ने ऐसे खींचा की हेमंत की चीख निकल गई..

शीला: "देखो हेमू.. हम पहले भी यहाँ आ चुके है.. और ऐसी पार्टी मे शामिल हो चुके है.. इस बार हमें कोई मर्द पार्टनर नहीं मिला और रेजिस्ट्रैशन मे देरी हो गई इसलिए अलग से आना पड़ा.. तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.. हम तो सिर्फ पार्टी मे शामिल होने के लिए तुम्हारी हेल्प मांग रहें है.. अगर तुम हमारी हेल्प करोगे तो हम तुम्हें पैसे भी देंगे"

हेमू की जान मे जान आई.. अभी भी वो ठीक से बोल नहीं पा रहा था.. शीला ने उसके लंड पर किस करके उसके बचे-कूचे डर को भगा दिया.. अब हेमंत थोड़ा सा शांत हुआ.. बल्कि उसकी आँखों में एक विचित्र सी चमक भी आ गई.. शीला की निप्पल को प्यार से खींचते हुए वो बोला

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हेमंत: "मैडम, आपके बॉल बड़े ही जबरदस्त है.. इतने बड़े तो मैंने आज तक नहीं देखे.. बार बार दबाने का जी चाहता है.. आप को पार्टी जॉइन करनी हो तो मैं करवा सकता हूँ.. मैं आपका पार्टनर बनकर साथ घुस जाऊंगा.. पर यह मैडम का क्या करें?? एक पार्टनर आप को मेनेज करना पड़ेगा.. नहीं तो फिर इस मैडम को यहाँ कमरे मे ही बैठना पड़ेगा.. दूसरी बात यह की.. उस पार्टी मे कोई किसी को भी चोदने के लिए पसंद कर सकता है.. अब मैं तो आपको ही चोदना चाहता हूँ.. अगर किसी और ने पसंद कर लिया तो.. ?? हर कोई आपके पीछे पड़ जाएगा.. आप हो ही ऐसी.. रात भर लोग आपके पीछे पड़ जाएंगे.."

शीला: "ऐसा नहीं होगा.. उससे पहले हम ही एक दूसरे को सिलेक्ट कर लेंगे.. फिर क्या दिक्कत?"

हेमंत: "नहीं.. ऐसा नहीं होता.. रूल्स तो आपको पता ही होंगे ना.. !! की एक बार पार्टी शुरू होते ही सब लोग चेहरे पर मास्क लगा लेते है.. फिर टेबल पर चाबी रख दी जाती है.. फिर हर लड़की/महिला को चाबी उठाने को कहा जाता है.. जिस चाबी को आप उठायेंगे.. उस चाबी की गाड़ी का मालिक आप को ले जाएगा.. और पूरी रात बिताएगा.. !!"

रेणुका हेमंत की बात सुनकर रोमांचित हो गई.. शीला का पूरा बदन सिहरने लगा.. आत्मविश्वास से झूठ बोलते हुए शीला ने इतनी बात तो उगलवा ली.. और बात निकालने के लिए उसने एक और झूठ बोल दिया

"वो तो हम जानते है हेमू.. मगर लास्ट टाइम की पार्टी में नियम अलग थे.. उस वक्त हम जिस मर्द को पसंद करें उसके बगल मे जाकर खड़े हो जाते थे.. और अगर किसी एक मर्द के पास एक से ज्यादा लड़की खड़ी हो जाएँ तो फिर चाबी वाला सिस्टम होता था.. !!"

हेमंत: "अच्छा.. हम तो सीसीटीवी पर देखते है इसलिए शायद पता नहीं चला.. !!"

शीला: "कुछ भी कर हेमू.. एक और पार्टनर का बंदोबस्त कर दे.. कैसे भी"

हेमंत को एक और फायदा था.. रजिस्ट्रेशन के लिए अगर वो एक कपल लाता तो उसे कमीशन के तौर पर ४ हजार मिलते थे.. पर ऐसे मामलों मे खतरा ज्यादा रहता है इसलिए वो अधिक दिलचस्पी नहीं लेता था.. पर शीला के कातिल बदन ने हेमंत को मजबूर कर दिया था.. एक और पार्टनर मिल जाता तो शीला के संग मजे करने मिलता और साथ में तगड़ा कमीशन भी मिलता..

हेमंत: "मैडम, अगर आप आज रात को मुझे नहीं मिल पाई तो प्रोमिस कीजिए की एक बार मेरे साथ सेक्स जरूर करेगी.. तभी मैं आप के लिए पार्टनर का बंदोबस्त करने की कोशिश करूंगा"

शीला: "अरे मेरी जान.. अभी कर लेते है.. बाद में न जाने मौका मिले ना मिले.. !! आजा चल.. हमारी पार्टी अभी से शुरू.. !! तू हमारे लिए बस एक पार्टनर मेनेज कर, मैं अभी तुझे अपने हुस्न के जलवे दिखाती हूँ.. तू भी क्या याद करेगा.. !! कभी देखा न होगा ऐसा हुस्न.. !! ले देख.. हेमू बेटा.. " कहते हुए शीला ने बड़ी ही स्टाइल से अपनी साड़ी उतारी और उछालकर केमेरा लगे फूलदान पर डाल दी.. अब केमेरे से कुछ दिखने वाला नहीं था.. निश्चिंत होकर शीला हेमंत को बेड पर खींचकर ले गई.. और उसके सारे कपड़े उतार दीये.. हेमंत शीला के मस्त बदन से खेल रहा था तब शीला ने अपनी ब्रा और पेन्टी भी उतार दी.. हेमंत का लंड शीला को सलामी दे रहा था..

उस दौरान हेमंत ने अपने फोन से किसी को मिसकॉल किया.. सामने से तुरंत कॉल आया.. हेमंत ने एकदम संक्षिप्त में बात की "आप आ जाइए.. मेनेज हो जाएगा.. जोरदार है सर.. !!" बस इतना कहकर उसने फोन काट दिया..

शीला ने हेमंत को धक्का देकर बेड पर लेटा दिया.. और उसके ऊपर चढ़ बैठी.. उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ते हुए शीला ने अपने दोनों भव्य स्तनों के तले उसे दबा दिया.. शीला के भारी भरकम बबलों के नीचे दबकर हेमंत का दम घुटने लगा.. वो तड़पते हुए शीला की नंगी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था.. शीला अपनी चूचियाँ उसके चेहरे पर रगड़ते हुए.. अपनी चूत से उसके लंड पर हौले हौले मसाज कर रही थी..


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"हेमू बेटा... क्या हुआ फिर.. !! मेनेज हो जाएगा ना.. !!" चुदाई के बीच ही शीला ने वसूली चालू कर दी

"चिंता मत कीजिए मैडम.. मैंने एक बार बोल दिया की हो जाएगा.. मतलब हो जाएगा.. आज रात आप मेरे साथ पार्टी जॉइन करोगी.. ये मेरा वादा है.. फोन तो किया है मैडम.. उसने हाँ भी बोला है.. बहुत शौकीन है.. आप को उछाल उछालकर चोदेगा"

रेणुका: "फिर तो उसे मैं ही अपना पार्टनर बनाऊँगी"

हेमंत: "कोई बात नहीं मैडम.. आप उन साहब की बाहों में मजे लूटना.. मैं इस मैडम के साथ इन्जॉय करूंगा.. और आप मेरी कार की चाबी का कीचैन देखकर याद कर लीजिए.. आप इसे ही पसंद करना.. मैं आज रात, आप को मेरी ताकत दिखाना चाहता हूँ"

शीला के चरबीदार जिस्म तले दबे हुए हेमंत ने.. बिस्तर पर पड़ी अपनी पतलून के जेब से गाड़ी की चाबी निकालकर शीला को दिखाई.. चांदी के घोड़े वाला सुंदर कीचैन था.. अब शीला को उसे ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी.. सिर्फ घोड़े को याद रखना था.. फिर वो आसानी से लोड़े तक पहुँच जाएगी.. !!

शीला ने अपने चूतड़ उठायें.. और उल्टा घूम गई.. हेमंत के होंठों पर अपना भोसड़ा रखकर झुकते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया.. साथ ही दोनों अंडकोशों को अपनी हथेली से सहलाते हुए दबाने लगी.. शीला की जीभ हेमंत के आँड़ों पर ऐसे घूमने लगी.. हेमंत को लगा की उसके प्राण ही निकल जाएंगे.. शीला का ये पसंदीदा काम-आसन था.. शीला का बिना बालों वाला सफाचट भोसड़ा देखकर हेमंत का मुंह खुला का खुला रह गया..

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"चौड़ी करके अंदर जीभ डाल हेमू.. ये सिर्फ देखते रहने से ठंडी नहीं होगी.. " शीला अब अपने असली रंग में आने लगी थी.. उसके मदमस्त स्तन कठोर हो गए थे और वह आक्रामक होकर हेमंत के लंड पर प्रहार कर रही थी

हेमंत ने शीला के आदेश का पालन किया और उसके मस्त रसदार भोसड़े को उंगलियों से चौड़ा कर.. गहराई तक अपनी जीभ घुसेड़ दी..

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"आह्ह हेमू.. यार.. बिल्कुल सटीक निशाने पर जाकर लगी है तेरी जीभ.. ओह यस.. अब चाटना शुरू कर दे.. ऊपर से लेकर नीचे तक.. पूरी दरार को चाट.. !!" शीला के मुख से आनंद की किलकारीयां निकलने लगी.. हेमंत का आखिर जवान खून था.. भर भरकर ऊर्जा थी.. उत्तेजना उछल रही थी.. शीला के मुंह में उसका लंड इतना कठोर हो गया की शीला को भी ताज्जुब होने लगा.. कोई लंड इतना सख्त कैसे हो सकता है?? कहीं इसके लंड की नसें फट न जाएँ.. !!

हेमंत शीला की चूत को रिझाने के यथाशक्ति प्रयत्न कर रहा था.. पर शीला की चुसाई इतनी खतरनाक थी की वो बेचारा बार बार झड़ने की कगार पर आ जाता.. रेणुका बगल में खड़े खड़े शीला और हेमंत के जिस्मों का घमासान देखते हुए एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपना दाना रगड़ रही थी..

२३ साल के हेमंत के ऊपर.. ५५ साल की शीला की विराट काया तांडव कर रही थी.. !! और उस महाकाय जिस्म की छत्रछाया तले हेमंत अभिभूत होकर अपनी हवस शांत कर रहा था.. इतना वज़न अपने ऊपर होने के बावजूद वो उत्तेजित होकर नीचे से अपने शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था.. और शीला भी ऐसे ऊपर नीचे हो रही थी जैसे ऊंट-सवारी कर रही हो.. !!

बिना थके हेमंत शीला की भोस को बड़ी ही उत्तेजना पूर्वक चाट रहा था.. खेत में रोहित के लंड से संतोष पूर्वक झड़ नहीं पाई थी शीला, हेमंत के लंड से अपनी मंजिल को हासिल करने का भरसक प्रयत्न कर रही थी..

शीला अब हेमंत के ऊपर से उतर गई.. और अपनी मांसल जांघों को फैलाते हुए बिस्तर पर लेट गई.. फिर हेमंत को अपने ऊपर खींच लिया.. शीला के स्तनों को दोनों हाथों से दबाने के बाद, हेमंत ने अपने सुपाड़े को शीला के लसलसित भोसड़े के मुख पर रखकर एक जानदार धक्का लगाया.. शीला ने सिसककर उसका स्वीकार किया.. अद्भुत सख्ती थी उस जवान लंड की.. !! एक अरसा हो गया था जवान लंड को अंदर लिए हुए.. शीला को ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे लोहे का गरम सरिया अंदर घुस गया हो.. !! अपने भूखे भोसड़े को संतुष्ट करने के लिए शीला को ऐसे ही लंड की जरूरत थी..

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हेमंत का लंड.. इंजन के पिस्टन की तरह.. शीला के छेद के अंदर बाहर होने लगा.. हर धक्के के साथ शीला के स्तन आगे पीछे हो रहे थे.. हेमंत अपने जीवन के सब से यादगार अनुभव से गुजर रहा था.. फुल स्पीड में धक्के लगा रहे हेमंत के बगल में खड़ी रेणुका अपनी निप्पलों को खींचते हुए करीब आई.. और हेमंत के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. शीला की जवानी के साथ रेणुका के जोबन का मिश्रण होते ही हेमंत को धरती पर ही स्वर्ग नजर आने लगा.. अपनी सारी ताकत लगाकर हेमंत शीला को धनाधन चोद रहा था..

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देखते ही देखते शीला का पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया.. "आह्ह हेमू.. मज़ा आ रहा है यार.. और जोर से चोद.. चीर दे मेरी चूत.. कितना दम है रे.. !! जड़ तक हिला कर रख दिया.. मार जोर से.. रुकना मत, मेरे राजा.. !!"

शीला की बातें सुनकर रेणुका अपने आप पर काबू न रख पाई.. और आँखें बंद कर अपनी तीन उँगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी..
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शीला की परीक्षा में हेमंत फैल होना नहीं चाहता था.. अपना सारा जोश लगाकर वो शीला को इतना खुश करना चाहता था की वो उसकी गुलाम बन जाएँ.. शीला उसे इतनी पसंद आ गई थी.. !!


आधे घंटे की भीषण चुदाई के बाद शीला की चूत का फव्वारा छूट गया.. और उसी के साथ.. हेमंत के लंड ने भी वीर्य की जोरदार पिचकारी से शीला का गर्भाशय भर दिया.. रेणुका भी उँगलियाँ डालकर झड़ गई.. कामुक कराहों से जो पूरा कमरा गूंज रहा था.. वो अब शांत हो गया था.. !! तीनों अब आराम से बिस्तर पर लेटकर अपनी थकान उतारने लगे.. लेटे लेटे हेमंत, शीला की लंबी निप्पलों से खेल रहा था..

थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..
 

vakharia

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Rajizexy

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औरत को एक बार अगर बाहर के खाने का चस्का लग जाए तो फिर उसको घर का खाना पसंद नहीं आता।शराब से घातक नशा शादीशुदा औरत को पराए मर्द का होता है और यह नशा जब अपनी चरम पर पहुंचता है तब औरत अपनी सब मर्यादा को लांगकर चरम सुख की प्राप्ति के लिए पराए मर्द से संभोग करती है. एक बार ये दहलीज लांघ कर गैर मर्द के झटके खाने वाली पत्नी पति से कभी भी खुश नहीं हो सकती । एक बार अगर औरत को दूसरे मर्द का चस्का लग गया फिर वो बार बार बदल बदल के संभोग का आनंद लेना चाहती है. कुछ यही हाल अब शीला का हो गया है। मदन की अनुपस्थिति में उसने गैर मर्दो के साथ संबंध बनाए और अब मदन चाह कर भी शायद शीला को वो सुख नहीं दे पा रहा। शीला को अब नए-नए मर्द चाहिए उसकी आग को ठंडा करने के लिए
Very true sis,u r a genius
 
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