शीला तैयार होकर, अपना पर्स लेकर निकाल पड़ी, रेणुका के घर जाने के लिए..
रेणुका के घर दोनों ने काफी बातें की.. राजेश के दूसरे फोन पर रेणुका ने जो बात की.. जिसके बारे में बताने के लिए ही उसने शीला को खास यहाँ बुलाया था
रेणुका: "याद है उस दिन हमारी बात हुई थी.. वो पार्टनर एक्सचेंज क्लब वाली?? क्लब वालों का फोन आया था.. राजेश ने एक अलग से नंबर ले रखा है उनके लिए.. आज राजेश वो फोन घर पर ही भूल गया था.. और आज ही रिंग बजी.. क्या किस्मत है यार.. !!"
शीला: "अच्छा ये बात है.. !! वो नंबर दे तो मुझे जरा"
रेणुका ने शीला को नंबर दिया.. जो शीला ने अपने फोन में सेव कर लिया.. और रेणुका से कहा "कभी जब हम दोनों के पति शहर से बाहर हो तब हम भी मजे करेंगे"
रेणुका: "नही यार.. ऐसा पोसीबल नहीं है.. ये लोग सिर्फ कपल को ही एंट्री देते है.. और कहीं हमारे पतिओं को पता चल गया तो.. !!"
शीला: "अरे डर मत यार.. कुछ नहीं होगा.. देख अभी मैं क्या करती हूँ"
शीला ने अपने फोन से उस नंबर पर फोन लगाया.. काफी रिंग बजने पर भी किसी ने फोन रिसीव नहीं किया.. उसने फिर से कॉल लगाया.. अब भी नो-रिप्लाय गया.. आखिर त्रस्त होकर उसने कहा "फोन ही नहीं उठा रहा.. अब कहीं ऐसा न हो की तब फोन आए जब मदन मेरे साथ हो"
रेणुका: "देखा.. !!! एक फोन करने में ही मुसीबत हो गई.. अब सामने से कभी भी कॉल आ सकता है.. तेरा नंबर जो चला गया उनके पास.. ध्यान रखना यार.. !!"
शीला: "एक काम करते है.. राजेश के ये दूसरे नंबर से फोन करते है.. शायद फोन उठा ले वो लोग"
रेणुका: "लेकिन राजेश पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी की क्यों फोन किया.. !!"
शीला: "अरे पागल.. राजेश को बताने की जरूरत ही क्या है.. !! और वो तो आराम से मदन के साथ घूम रहा होगा.. हम लोग कॉल करने के बाद.. कॉल लॉग को डिलीट कर देंगे.. फिर क्या घंटा पता चलेगा उसे.. !!"
रेणुका: "यार शीला.. बहोत डेरिंग है तुझ में तो.. !!"
शीला: "रेणुका.. मदन जब विदेश था तब दो साल, जो मैं तड़पी हूँ.. तब मुझे ये ज्ञान हुआ.. की अगर चूत की खुजली मिटानी हो तो डेरिंग करनी ही पड़ती है.. जब से मैंने हिम्मत करना शुरू किया तब से मेरे जिस्म और जीवन में नई बहार सी आ गई.. !!"
रेणुका: "वो सब तो ठीक है यार.. पर फिर भी.. मुझे डर लग रहा है"
शीला: "तू मुझे फोन दे.. मैं बात करती हूँ.. लगा फोन और दे मुझे"
रेणुका ने झिझकते हुए फोन लगाया.. सामने से किसी महिला ने फोन उठाया
शीला ने फोन लेकर बात शुरू की "हैलो.. आप कौन बोल रहे है जान सकती हूँ?"
"मेरा नाम रोमा है.. !!"
"नाइस नेम.. मेरा नाम शीला है"
"आप ने फोन क्यों किया ये बताइए.. !!" सामने से जवाब आया.. उसकी आवाज में बेफिक्री थी.. जैसे कुछ पड़ी न हो
शीला: "आप से क्लब के बारे में बात करनी थी"
रोमा: "ओके.. कहिए, क्या सेवा कर सकती हूँ.. वैसे आज आखिरी दिन है.. लास्ट मोमेंट पर आप ग्रुप जॉइन नहीं कर सकतें.. सॉरी.. हाँ आप अगर चाहें तो हमारे अगले सेमीनार के बारे में बात कर सकते है.. जो एक महीने बाद होगा"
शीला: "लास्ट मोमेंट?? आखिरी दिन?? मतलब?? रोमा जी, हमने तो आप की क्लब में एक साल पहले बुकिंग करवाया था.. और आपने हमें इन्फॉर्म भी नहीं किया?? ऐसी कैसी सर्विस है आपकी?" शीला ने अंधेरे में तीर मार दिया
रोमा: "ऐसा नहीं हो सकता.. आप होल्ड कीजिए.. मैं चेक करके बताती हूँ"
थोड़ी देर अपने लैपटॉप पर चेक करके रोमा ने बताया
रोमा: "मैडम, आप को इस नंबर पर एक हफ्ते पहले ही इन्फॉर्म कर दिया गया है.. और कल रात आप के पार्टनर ने कनफर्म भी कर दिया है की वो जॉइन हो रहे है.. शायद आपको सप्राइज़ देना चाहते होंगे.. आप थोड़ा वैट कीजिए.. पार्टी आज रात को दस बजे शुरू होगी.. अभी काफी वक्त है.. और कुछ सेवा कर सकती हूँ मैं आपकी??"
शीला: "नहीं नहीं.. ठीक है.. थेंक यू.. !! और हाँ.. अभी इससे पहले मैंने आपको दूसरे नंबर से फोन किया था.. वो नंबर हमारा ही है.. सेव कर लीजिएगा और आगे से मैं फोन करूँ तो उठाइएगा.. !!"
रोमा: "ठीक है मैडम.. मैं सेव कर लेती हूँ आपका वो नंबर.. बाय मैडम.. हेव फन विथ डिफ्रन्ट टाइप्स ऑफ कॉक्स एंड टिटस"
शीला हंस पड़ी और उसने फोन रख दिया.. रेणुका सोच में डूब गई..
शीला: "तुझे कुछ समझ आया, रेणुका??"
रेणुका: "मुझे तो लगता है की राजेश और मदन हमें छोड़कर उस प्रोग्राम में जाने वाले है"
शीला: "जाने वाले है नहीं.. जा चुके है.. "
रेणुका: "लेकिन राजेश तो बता रहा था की वहाँ सिर्फ कपल को ही एंट्री मिलती है.. तो वो दोनों अकेले कैसे जाएंगे?"
शीला: "अरे मेरी जान.. बाजार में पैसे देने से एक नहीं, हजार रंडियाँ मिल जाती है.. दो रांड ले गए होंगे अपनी पत्नियाँ बनाकर.. !!"
रेणुका: "साले, कमीने कहीं के.. !!"
शीला के दिमाग का प्रोसेसर डबल स्पीड से काम करने लगा.. वो गहरी सोच में डूबी हुई थी..
शीला: "कोई बात नहीं... हमें एक चाल और चलनी होगी.. पर थोड़ी देर के बाद.. "
रेणुका को पता नहीं चला और वो चुप ही रही.. सोचने का काम उसने शीला को सौंप दिया था क्योंकि उसका दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था
कुछ देर की खामोशी के बाद शीला ने उस नंबर पर वापिस कॉल किया.. पर इस बार अपने फोन से
रोमा: "जी बताइए शीला जी, बताइए.. आप की आवाज बहोत स्वीट है.. हमारे यहाँ रीसेप्शनिस्ट बन जाइए.. सारे कस्टमर्स आप की ही डिमांड करेंगे"
शीला: "थैंक्स डीयर.. मेरा तो सबकुछ स्वीट है.. बस एक बार मैं आप को चख लूँ उसके बाद मैं भी बता पाऊँगी की आप कितनी स्वीट हो"
रोमा: "ओह्ह माय गॉड.. आप तो बड़ी फास्ट निकली.. वैसे तो मैंने भी आप को कहाँ टेस्ट किया है?"
शीला: "वही तो.. बिना टेस्ट कीये आपने कैसे सोच लिया की मैं स्वीट हूँ?"
रोमा: "आप की आवाज से अंदाज लगाया.. कहिए, क्या सेवा कर सकती हूँ मैं?"
शीला: "आप की बात सच निकली.. मेरे पति का अभी अभी फोन आया.. उन्हों ने मुझे सीधे वहाँ पहुँचने के लिए कहा है.. वो मुझे एड्रेस बता ही रहे थे की फोन कट हो गया.. अब उनका फोन नहीं लग रहा.. तो मैंने सोचा आप से ही एड्रेस ले लूँ"
रोमा: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. आप एड्रेस लिख लीजिए.. और हाँ.. अब ये नंबर स्विच ऑफ हो जाएगा.. आप को अगर कुछ इमरजेंसी हो तो हमारे दूसरे नंबर पर कॉल कर सकते है.. यह कॉल कट होते ही आप को वो दूसरा नंबर मेसेज पर मिल जाएगा"
शीला: "ओके रोमा जी.. थेंक यू.. !!"
रेणुका स्तब्ध होकर शीला को आत्मविश्वास से बात करते हुए देखती रही
रेणुका: "शीला, ये जो एड्रेस है.. ये जगह तो यहाँ से सौ किलोमीटर दूर है.. हमें वहाँ पहुंचना हो तो अभी निकलना पड़ेगा..!!"
शीला: "मुझे वो चिंता नहीं है.. मैं यह सोच रही थी की हमारे पास रेजिस्ट्रैशन की कोई डिटेल्स तो हैं नहीं.. फिर वहाँ एंट्री कैसे करेंगे?" गहन सोच में डूबी थी शीला..
रेणुका शीला के दमदार स्तनों को एकटक देख रही थी.. वैशाली भी बिल्कुल शीला पर गई थी.. उसके स्तन भी शीला जैसे ही थे.. और वो भी शीला जैसी ही गोरी-चीट्टी थी.. साड़ी के नीचे दोनों स्तन जहां एक होते थे.. वहाँ दो इंच की लकीर इतनी उत्तेजक लग रही थी.. !!
रेणुका: "हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं.. दूसरी बात यह भी है की राजेश तो उसके रेजिस्ट्रैशन पर घुस जाएगा.. लेकिन मदन को वो कैसे ले जाएगा?? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी नए मेम्बर को एंट्री नहीं दी जाएगी"
शीला: "ऐसा सब बोलते है... पैसे दो तो वो लोग एंट्री भी देंगे.. और पार्टनर भी.. !!!"
रेणुका: "हाँ वो बात तो तेरी सच है.. आखिर ये सब पैसों का ही तो खेल है.. !!"
शीला: "रेणुका, तुझे कुछ याद है की रेजिस्ट्रैशन करवाते वक्त राजेश ने कितने पैसे जमा कीये थे?"
रेणुका: "हाँ मुझे पता है.. एक कपल के दस हजार.. और दो हजार एक्स्ट्रा भी लेते थे.. नेक्स्ट प्रोग्राम मे अगर शामिल न होना हो तो वो दो हजार रिफन्ड मिलेगा.. प्रोग्राम के दौरान अगर पुलिस का कोई चक्कर हुआ तो वो लोग उसी दो हजार का इस्तेमाल कर सब रफा-दफा करने में सहायता करेंगे.. उनका सारा प्लानिंग बड़ा सटीक होता है.. इसी कारण मुझे और राजेश को विश्वास हुआ"
शीला: "ऐसे कामों के लिए प्लानिंग तो ठीक होना ही चाहिए.. अब बस यही सोचना है की हम अंदर घुसेंगे कैसे.. !!"
रेणुका: "शीला, कुछ भी कर यार.. एक बार तो अंदर जाना ही है.. राजेश और मदन को भी तो पता चलें की हम भी कुछ कम नहीं है"
शीला: "कुछ न कुछ रास्ता निकल आएगा.. तू चिंता मत कर.. और गाड़ी निकाल.. !!"
रेणुका: "अरे पर वहाँ जाकर करेंगे क्या?"
शीला: "तू टेंशन मत ले.. ऐसा जबरदस्त मौका हाथ से जाने दूँ उतनी मूर्ख नहीं हूँ मैं.. तू गाड़ी निकाल.. और सोचने का सारा काम मुझ पर छोड़ दे"
रेणुका: "अरे पर.. वैशाली को क्या बताएंगे?? वो आती ही होगी"
शीला: "इसीलिए तो कह रही हूँ.. वैशाली के आने से पहले निकल जाते है.. तू जल्दी कर.. मैं रास्ते में उसे फोन करके कुछ बहाना बना दूँगी"
रेणुका: "पर कपड़े तो बदलने दे यार!!"
शीला: "मेरी प्यारी रांड... कपड़े तो वहाँ जाकर उतर ही जाने वाले है.. और हम हमारे रेग्युलर कपड़े नहीं पहनेंगे.. रास्ते से कुछ खरीद लेते है.. अब तू बोलना बंद कर और निकलने की तैयारी कर.. !!"
रेणुका ने तुरंत गाड़ी निकाली और दोनों निकल गए..
शीला ने रास्ते में वैशाली को फोन कर कह दिया की रेणुका की एक सहेली अमरीका से आ रही थी और वो दोनों उसे रिसीव करने एयरपोर्ट जा रहे है.. रात की तीन बजे की फ्लाइट है और आते आते काफी देर हो जाएगी.. इसलिए वो रेणुका के घर ही सो जाए
वैशाली यह सुनकर ही खुश हो गई.. वो इसलिए खुश थी की पिंटू को मिलने बुलाने की उत्तम जगह मिल गई थी.. रेणुका के घर पर.. काफी दिनों से वो पिंटू के साथ अकेले वक्त गुजारना चाहती थी.. पर जगह और मौका मिल नहीं रहे थे.. आज बढ़िया चांस मिल गया था
शीला के कहने पर रेणुका ने गाड़ी एक बड़ी दुकान पर रोक दी.. दोनों ने एक एक मॉडर्न ड्रेस खरीद लिया.. एक एक काले गॉगल्स भी ले लिए.. पेट्रोल पंप पर जाकर टंकी फूल करवा दी.. पंप पर ही पास खड़े भिखारी को शीला ने पाँच सौ का नोट दिया.. और सामने की दुकान से सिगरेट का एक पैकेट लाने भेजा.. वो तुरंत भागकर ले आया.. बाकी बचे पैसे उसने उस भिखारी को देकर खुश कर दिया..
ड्राइव करते हुए दोनों शहर से बाहर हाइवे पर पहुँच गए.. शीला ने एक सिगरेट सुलगाई और एक गहरा कश खींचा.. रेणुका भी अपने लिए एक सिगरेट निकालने गई पर शीला ने उसे रोक दिया
शीला: "आज हम दोनों एक ही सिगरेट मिलकर पियेंगे.. सब कुछ मिल बांटकर करेंगे.. फिर वो सिगरेट हो या...... !!" कहते हुए हंसकर शीला ने सिगरेट रेणुका को थमा दी
एक दम लगाकर रेणुका ने कहा "पार्टी का माहोल तो यहीं पर बन गया है.. ऊपर के होंठों को सिगरेट मिल गई.. अब नीचे के छेद को भी एक चमड़े से बनी मस्त सिगार मिल जाएँ तो मज़ा आ जाए यार.. !!"
शीला: "उसका भी बंदोबस्त करती हूँ.. एक मिनट गाड़ी रोक.. और रिवर्स ले"
रेणुका: "पर क्यों?"
शीला: "अरे मैंने जितना कहा उतना कर.. गाड़ी रिवर्स ले.. !!"
रेणुका ने गाड़ी थोड़ी सी रिवर्स ली.. रोड के किनारे एक बांका नौजवान लिफ्ट मांग रहा था.. शीला ने खिड़की का कांच उतारा और अपना पल्लू सरकाकर.. बड़े बड़े स्तनों की खाई दिखाते हुए उस नौजवान को पता पूछने लगी.. उस बेचारे की हालत तो ऐसी हो गई की वो खुद अपना पता भूल गया.. शीला के हावभाव और अदाओं से घायल हो गया बेचारा..
उस नौजवान ने शीला से कहा "आपको अगर दिक्कत न हो तो मुझे लिफ्ट देंगे? मैं उसी तरफ जा रहा था और आखिरी बस छूट गई मेरी..!!"
शीला को भी वही तो चाहिए था "हाँ बैठ जाइए पीछे.. !!"
रेणुका ने धीरे से शीला को कहा "अरे यार.. ऐसे किसी अनजान मर्द को लिफ्ट नहीं देनी चाहिए.. क्या पता कौन हो??"
शीला: "डरना हमें नहीं.. उसे चाहिए.. हम दों है और वो अकेला.. गाड़ी भी हमारी है और स्टियरिंग भी हमारे हाथ में है.. फिर डरने की क्या जरूरत!!"
शीला के इस जबरदस्त आत्मविश्वास को देखकर रेणुका खामोश हो गई.. उसके आश्चर्य के बीच.. शीला बाहर उतरी और उस अनजान शख्स के साथ पीछे बैठ गई.. बैठकर उसने सिगरेट सुलगाई.. और रेणुका ने गाड़ी फूल स्पीड पर दौड़ा दी
वह आदमी अचंभित होकर शीला को सिगरेट फूंकते हुए देखता ही रहा.. पूरी गाड़ी सिगरेट की धुएं से भर गई क्योंकि एसी की वजह से खिड़कियों के कांच बंद थे..
"कहाँ जाओगे आप?" बड़ी ही बेफिक्री से धुआँ उड़ाते हुए शीला ने उस शख्स से पूछा
"जी, मुझे खेरदा तक जाना है" सहमते हुए उस शख्स ने कहा..
"हमें जहां जाना है उससे पहले आएगा या बाद में?" शीला ने पूछा
"जी, पहले आएगा.. उसके करीब 20 किलोमीटर बाद आपको जहां जाना है वो जगह आएगी"
शीला समय बिगाड़ना नहीं चाहती थी.. पर ये आदमी कौन था.. उसकी पसंद-नापसंद जाने बगैर शुरुआत कैसे करती.. !! वो आदमी भी जरूरत से ज्यादा कुछ बोल नहीं रहा था इसलिए कुछ पता भी नहीं चल पा रहा था
शीला: "नाम क्या है आपका? मेरा नाम मालती है.. और ये है मेरी सहेली शीतल.."
उस आदमी ने कहा "मेरा नाम रोहित है.. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.. दो महीनों से मेरी पत्नी मायके गई है.. उसे लेने जा रहा हूँ"
शीला ने नशीले अंदाज में कहा "हम्म.. मतलब आज बीवी के साथ मजे करोगे.. अच्छा है.. वो भी बेचारी दो महीनों से तड़प रही होगी" हँसते हुए शीला ने कहा
शीला की शरारती हंसी इतनी कातिल थी की अगर सामने वाला आदमी रसिक हो तो उसका हास्य सुनकर ही उत्तेजित हो जाता.. हँसते वक्त आगे की तरफ दिखती उसकी दंत-पंक्तियाँ.. पुराने जमाने की मशहूर अभिनेत्री मौसमी चटर्जी और नीतूसिंह की याद दिलाती थी..
रोहित: "जी सच कहा आपने.. मेरी पत्नी मुझे बहोत चाहती है.. मैं भी उसके बगैर रह नहीं पाता.. !!"
फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद उसने कहा "माफ करना.. मैं आपको एक पर्सनल सवाल पूछ रहा हूँ.. आप दोनों अकेली ही है? आपके पति नहीं है साथ में?"
शीला: "देखिए मिस्टर रोहित.. आप हमारे लिए बिल्कुल अनजान है.. इसलिए मैं बिना छुपाये आपको सब बताती हूँ.. हम दोनों एकदम खास सहेलियाँ है.. हमारे दोनों के पति फ़ॉरेन ट्रिप पर बिजनेस के काम से गए हुए है.. इसलिए हम दोनों थोड़ी मौज-मस्ती करने बाहर निकली है.. अगर आपको एतराज न हो तो आपका स्टेशन आने तक.. हम थोड़ी मस्ती कर सकते है" इतना कहते ही शीला ने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया.. और हाथ आगे सरकाते हुए उसके लंड तक ले गई.. रोहित सीट से सटकर बैठ गया और उसने अपनी आँखें बंद कर दी.. साफ था की दो महीनों से पत्नी की जुदाई के कारण उसका शरीर भी किसी स्त्री के स्पर्श को तरस रहा था..
कब से दोनों की बातें सुन रही रेणुका ने अपना हाथ पीछे ले जाकर रोहित के चेहरे को सहला दिया.. उसके साथ ही रोहित की बची-कूची शर्म भी नीलाम हो गई.. शीला के स्तनों पर हाथ रखते हुए दबाकर उसने कहा
रोहित: "बहन जी, आपका फिगर गजब का हॉट है.. एकदम जबरदस्त"
शीला हंसकर बोली "बूब्स दबाते हुए मुझे बहन कह रहे हो.. !! मैं तुम्हारा लंड चूसते चूसते, तुम्हें भैया कहकर पुकारूँगी तो तुम्हें कैसा लगेगा??"
एक स्त्री के मुंह से लंड और चुसाई जैसे शब्द सुनकर बेचारे रोहित की तो सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई.. और बिना कुछ कहें.. शीला के चेहरे के करीब जाकर.. उसके मदमस्त होंठों को चूमने लगा.. कुछ ही पलों में शीला ने उसका लंड पेंट से बाहर निकाल दिया.. और उसकी गोद में झुककर चूस भी लिया..
बिल्कुल अनजान आदमी को सिर्फ पंद्रह-बीस मिनटों में सेक्स के लिए तैयार करना असंभव सा है.. और आजकल तो वाकिए भी ऐसे होते है.. जिन्हें सोचकर रोहित बेचारा मन ही मन घबरा रहा था.. पर अब वो कुछ नहीं कर सकता था.. शीला ने उसके मन और तन पर कब्जा जमा लिया था.. ये ट्रिप उसके जीवन की सब से यादगार ट्रिप साबित होने वाली थी या फिर सब से दुर्भाग्यपूर्ण.. वैसे, लंड और किस्मत, कब जाग जाएँ.. और कब मुरझा जाएँ.. ये कोई कह नहीं सकता.. ये दोनों अकेली औरतें उसके साथ क्या करेगी.. ये चाहकर भी वो सोच नहीं पा रहा था..
अपनी किस्मत को ऊपरवाले के भरोसे छोड़कर.. रोहित ने अपना जिस्म, शीला के हवाले कर दिया.. जो फिलहाल उसका लँड, बड़े ही चाव से चूस रही थी.. कार में ये सब करना मतलब.. सोते सोते हारमोनियम बजाने जितना कठिन काम था.. पर जो मिला वो नसीब.. ये सोचकर शीला बड़ी ही मस्ती से रोहित का लंड चूस रही थी..
रेणुका: "अरे मालती.. मुझे भी तो जरा मौका दे.. सब कुछ तू ही हड़प लेगी क्या.. !!"
शीला: "अरे, पहले मुझे तो चूसने दे.. !!"
रोहित के लिए यह शब्द.. स्वर्ग की अनुभूति के बराबर थे.. कोई स्त्री उसका लंड चूस रही हो.. और दूसरी औरत वेटिंग में चूसने के लिए बेकरार हो.. ऐसा तो सिर्फ सपने में ही हो सकता था..!!
रेणुका: "कैसा है रोहित का लंड, मालती?" गाड़ी ड्राइव कर रही रेणुका को ठीक से दिख नहीं रहा था पीछे
शीला: "मस्त है.. थोड़ा पतला है.. पर अच्छा है.. तुझे भी चूसना है? पर कैसे होगा? मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती.. क्या करेंगे"
रेणुका: "ऐसा करती हूँ.. कोई अच्छी जगह देखकर गाड़ी रोक देती हूँ.. और फिर पीछे आ जाती हूँ"
सुनकर ही रोहित की गांड फट गई, उसने कहा "नहीं नहीं.. इस सड़क पर ट्राफिक पुलिस घूमती रहती है.. उन्हों ने पकड़ लिया तो आफत आ जाएगी"
रेणुका: "पर मुझे तो चूसना ही है.. मुंह तक आया निवाला, मैं ऐसे ही नहीं जाने दूँगी"
आसपास नजर डालते हुए, रेणुका किसी अच्छा जगह को ढूंढ रही थी.. गाड़ी रोकने के लिए.. एक सुमसान जगह देखकर उसने गाड़ी सड़क के किनारे पार्क कर दी.. पास ही घनी झाड़ियाँ थी.. रेणुका उतरकर वहाँ खड़ी हो गई और बोली "यहाँ आ जा रोहित"
शीला के मुंह से अपना लंड छुड़ाकर रोहित ने पेंट की चैन बंद कर दी.. गाड़ी से उतरकर उसने देखा की रेणुका झाड़ियों के पीछे चली गई थी.. सड़क से झाड़ियों के पीछे का द्रश्य दिखाई नहीं दे रहा था.. वो चुपके से झाड़ियों को पार करते हुए आगे गया तो उसने देखा की एक बबुल के तने को पकड़े हुए.. रेणुका खड़ी थी.. उसने अपनी पेन्टी उतार दी थी.. और पैर फैलाकर अपनी चूत सहला रही थी.. यह द्रश्य देखकर ही रोहित के पसीने छूट गए..
रेणुका: "रोहित, मुझे चूसना नहीं है.. तू नीचे बैठ जा.. और मेरी चाट दे.. जल्दी आ.. " सुलग रही चूत को ठंडा करना चाहती थी रेणुका.. हवस उसकी बर्दाश्त से बाहर हो चुकी थी
रोहित रेणुका के दोनों पैरों के बीच, जमीन पर बैठ गया.. और रेणुका की चूत चाटने लगा.. अत्यंत उत्तेजित होकर रेणुका ने अपनी दोनों हथेलियों से रोहित के सर के बालों को सहलाना शुरू किया.. और जोर जोर से सिसकने लगी.. वो बार बार अपने चूत के होंठों को चौड़ा कर ऐसे दबाती थी की रोहित की जीभ अंदर तक उसके अंदरूनी हिस्सों पर रगड़ने लगी.. रोहित की चटाई ने रेणुका की चूत की भूख को शांत करना शुरू कर दिया था.. जीभ के साथ साथ रोहित ने रेणुका की क्लिटोरिस को भी छेड़ना शुरू कर दिया था.. थोड़ी मिनटों में रेणुका की चूत ने ऑर्गजम की डकार मार दी..
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रेणुका: "बस अब चाटना बहोत हुआ.. रोहित, अब झटपट अंदर डाल दे" कहते हुए रेणुका घूम गई... और चूतड़ उठाकर.. पैरों को उस तरह चौड़ा किया की उसकी रस झरती बुर की फांक पीछे से नजर आने लगी..
उसके गोरे नितंबों को दोनों हाथों से चौड़ा कर.. रोहित ने पक्ककक से उसका लोडा रेणुका की चूत में उतार दिया... जंगल में मंगल शुरू हो गया..
शीला गाड़ी के पास चौकीदारी कर रही थी.. फिर थककर वो गाड़ी में बैठ गई.. और घाघरे के नीचे हाथ डालकर अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदते हुए, रेणुका और रोहित का इंतज़ार करने लगी..
रोहित हुमच हुमचकर रेणुका की बुर में अपना लंड पेल रहा था.. करीब दो मिनटों तक धक्कों का दौर चला होगा..
रोहित: "आह्ह.. शीतल जी, मेरा अब निकलने वाला है... ओह्ह.. !!"
रेणुका: "मत निकालना अभी.. रुक, मैं मालती को भेजती हूँ.. उसका अभी बाकी है.. तो उसकी चूत में ही झड़ना.. !!"
रेणुका ने पेन्टी पहनकर.. अपना पेटीकोट ठीक किया.. और अस्तव्यस्त साड़ी को नीचे करके गाड़ी की तरफ आई.. पीछे की सीट पर टांगें फैलाकर अपने भोसड़े में अंधाधुन उँगलियाँ पेलकर ठंडा होने की कोशिश कर रही शीला को उसने उंगलियों से इशारा किया.. शीला गाड़ी से उतरकर झाड़ियों के पीछे गई.. और वहाँ, पेंट घुटनों तक उतारकर खड़े रोहित का चमकता हुआ लंड देखा.. !! रोहित के लंड, रेणुका की चूत के रस से सराबोर था..
देखते ही शीला घुटनों के बल बैठ गई.. और लंड पकड़कर.. उस पर लगा रेणुका के चूत का सारा अमृत चाट लिया..
और फिर वो खड़ी हो गई.. दोनों हाथों से साड़ी और पेटीकोट को एक साथ उठाते हुए.. अपनी पेन्टी को घुटनों तक सरकाकर.. उसने अपने नितंब के बीच की भोसड़े की लकीर.. रोहित के सामने पेश कर दी.. रोहित तैयार ही था.. एक धक्के में उसने शीला के चिपचिपे भोसड़े में अपना लंड ठूंस दिया.. जबरदस्त स्पीड से धक्के मारते हुए उसने शीला की चूत को शांत करने की भरसक कोशिशें शुरू कर दी..
दो दो चूतों को ठोककर.. रोहित के लंड ने शीला की चूत में आखिरी सांस ली.. दो-तीन तेज पिचकारियों से उसने शीला की चूत में अपने वीर्य का अभिषेक किया.. शीला ने अपनी चूत की मांसपेशियों से रोहित के लंड को दबोचकर, वीर्य आखिरी बूंद तक निचोड़ लिया..रोहित ने हांफते हुए लंड बाहर निकाला.. उसके लंड की दशा ऐसी थी.. जैसे रस निकला हुआ गन्ना, कोल्हू से निकला हो..
अपने भोसड़े पर हाथ फेरकर.. अंदर से टपक रहे वीर्य को हथेली से पूरी चूत पर मलकर.. शीला ने पेन्टी पहन ली और साड़ी-पेटीकोट नीचे गिरा दिया.. घूमकर उसने रोहित को एक जानदार किस कर दी.. और धीरे से उसके कानों में फुसफुसाई "अगर मुझे तसल्ली से चोदना चाहते हो.. तो जगह का बंदोबस्त करके मुझे बुला लेना.. मैं आ जाऊँगी.. तेरा नंबर मुझे दे दे.. " रोहित के दोनों हाथों को अपने विशाल स्तनों पर रखते हुए शीला ने बड़े कामुक अंदाज में रोहित का नंबर लिया.. और उसे अपना नंबर भी दिया
दोनों चलकर गाड़ी की तरफ आए.. रोहित अब रेणुका के साथ आगे की सीट पर बैठ गया.. रेणुका ने उसका एक हाथ, अपने ब्लाउस में आवृत्त स्तन पर रख दिया..
सर्दी का समय था.. शाम होते ही अंधेरा जल्दी हो जाता था.. लगभग रात वाला माहोल बन चुका था.. गाड़ी अपनी गति पर दौड़ रही थी.. और रोहित रेणुका के स्तनों को दबाता जा रहा था.. उत्तेजित रेणुका ने अपने ब्लाउस के तीन हुक खोलकर.. दोनों स्तनों को खोल रखा था.. सामने से आती ट्रकों की हेडलाइट के फोकस में.. रेणुका के स्तन चमक रहे थे.. रोहित बड़ी ही मस्तीपूर्वक दोनों स्तनों को बराबर दबा रहा था.. और रेणुका उसके लंड को नापते हुए मध्यम गति से गाड़ी ड्राइव कर रही थी..
पीछे बैठी शीला को इस बात की खुशी थी की रेणुका ने झाड़ियों के पीछे रोहित को झड़ने नहीं दिया और उसके बारे में सोचा.. रेणुका के लिए उसके दिल में इज्जत और बढ़ गई थी.. पर रेणुका ने जल्दी जल्दी चूदवाकर शीला को बुला लिया था.. और खुले खेत में खतरे के बीच चुदवाने में शीला भी तसल्ली से झड़ी नहीं थी.. यह बात तो रेणुका को भी पता थी की शीला ऐसे जल्दबाजी में चुदकर संतुष्ट नहीं होती.. पर जो भी मिला उसे मिल-बांटकर खाया था दोनों ने.. थोड़ा तो थोड़ा.. चूत को लंड के घर्षण का आनंद तो मिला.. !! पेट भर खाना भले ही नसीब नहीं हुआ था.. पर नाश्ते करने में भी काफी मज़ा आया था दोनों को..
झड़कर सुस्त हो चुके रोहित के लंड को हिलाकर, रेणुका उसे होश में लाने की बार बार कोशिश कर रही थी.. और लंड भी अर्ध जागृत अवस्था में.. दो चूतों की यात्रा की थकान उतारकर जागे रहने की कोशिश कर रहा था..
करीब बीस मिनट तक इन छेड़खानियों को बाद रोहित ने कहा "मेरा स्टैन्ड अब आने को है.. मेरा साला मुझे लेने आने वाला है.. आप दोनों के साथ वो मुझे देख लेगा तो आफत आ जाएगी.. आप मुझे यहीं उतार दीजिए.. "
रेणुका ने कार रोक दी और इशारे से रोहित को उतरने के लिए कहा.. जाते जाते रोहित ने रेणुका के गाल पर.. और पीछे बैठी शीला के होंठों पर एक किस दी.. फिर शीला के स्तनों को एक आखिरी बार दबाकर वो चला गया.. शीला आगे आकर बैठ गई.. और रेणुका ने गाड़ी दौड़ा दी..
शीला: "तेरा पानी झड़ गया था क्या वहाँ खेत में??"
रेणुका: "चाहती तो आराम से झड़ सकती थी.. पर वो पिचकारी मारने की कगार पर था.. मैं अगर मेरा काम करने रहती तो तू भूखी मर जाती.. वैसे तुझे तो मज़ा आया होगा.. !!! आखरी पिचकारी तो उसने तेरे अंदर ही मारी थी.. इसलिए तेरा तंदूर तो जरूर ठंडा हो गया होगा.. !!"
शीला: "यार, केवल पिचकारी से काम नहीं बनता ना.. उससे पहले दमदार धक्के भी लगने चाहिए.. वो भी थोड़े बहोत नहीं.. चूत की खाज मिटा दे ऐसे जबरदस्त धक्के लगने चाहिए.. और फिर जब आखिर में पिचकारी छूटें तब कही जाकर मेरी फुलझड़ी शांत होती है.. पर उस बेचारे की उतनी औकात नहीं थी.. हम दोनों को देखकर ही वो आधा झड़ चुका था.."
रेणुका: "हम्म.. मतलब तेरा भी ठीक से नहीं हुआ"
शीला: "यार, तुझे तो पता है.. जल्दबाजी में चुदवाने में मुझे मज़ा नहीं आता.. वो भी उस पेड़ की टहनी पकड़कर.. खुले खेत में.. खतरे के बीच.. मुझे तो आराम से बिस्तर पर मस्त जांघें फैलाकर चूदवाने में ही मज़ा आता है.. पर जो भी था.. कुछ नहीं से थोड़ा बहोत.. हमेशा बेहतर होता है"
रेणुका: "हम थोड़ी देर में पहुँच जाएंगे शीला... अब ये सोच के अंदर एंट्री कैसे लेंगे? होटल में तो शायद रूम मिल जाएगा.. पर उनके प्रोग्राम में शामिल कैसे होंगे?"
शीला: "वो तो मैं भी अभी सोच रही हूँ.. एक बार होटल पहुँच जाते है.. रूम बुक कर लेते है.. फिर आगे की देखी जाएगी.. मान ले अगर उनके प्रोग्राम में एंट्री नहीं मिली.. तो हमारे कमरे में किसी को बुलाकर.. पूरी रात चुदवाएंगे.."
रेणुका: "क्या पागलों जैसी बात कर रही है.. !! ऐसे कैसे किसी को भी बुला लेंगे??"
शीला: "अरे मेरी जान.. यहाँ बीच सड़क पर जुगाड़ कर लिया.. तो होटल में कुछ न कुछ हो ही जाएगा.. कितने सारे वेटर होते है वहाँ.. किसी हट्टे कट्टे जवान को पटाने में देर नहीं लगेगी मुझे.. !!"
रेणुका: "छी.. वेटर से चुदवाएगी तू?? साली रंडी.. !!"
शीला: "जब चूत में खाज उठती है ना.. तब वो मर्द का लेवल नहीं देखती.. अभी भले ही तू मना कर रही है.. रात को जब कुछ नहीं मिलेगा तब तू ही चूतड़ उठा उठाकर वेटर से चुदवाएगी.. देख ना.. !!"
रेणुका: "मुझे इन सब बातों में कुछ समझ में नहीं आता.. तू जो भी करेगी, मैं तेरे साथ हूँ.. ठीक है.. !!"
शीला: "ओके.. " आखिरी कश खींचकर शीला ने सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक दी..
गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..