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मदन: "रेणुका, शीला अभी गई.. हम भी उसके पीछे चलें?"
तमन्ना: "सर, आगे बड़े ग्राउंड पर बहोत सारे स्टॉल लगाए गए है.. शॉपिंग के लिए.. पूरी रात वहाँ आस-पास के टुरिस्ट आते है.. आप भी एक बार जाइए.. शायद कुछ पसंद आ जाए.. यहाँ ऐसी ऐसी चीजें मिलती है जो ओपन मार्केट में आपको कहीं नहीं मिलेगी"
रेणुका: "चल मदन हम भी चलते है.. मुझे पक्का यकीन है की शीला वहीं पर होगी.. "
मदन: "हाँ चल.. मुझे भी उस मादरचोद का चेहरा देखना है जो मेरी बीवी को खुलेआम घोड़ी बनाकर चोद रहा था" रेणुका का हाथ पकड़कर मदन ने अपने साथ लिया और दोनों उस ग्राउन्ड की तरह चल दीये..
रेणुका के स्तन उस पतले टॉप के अंदर, बिना ब्रा के सहारे.. झूल रहे थे.. मदन की कमर में हाथ डालकर दोनों ग्राउन्ड की तरफ जाने लगे..
रास्ते के मोड के पास.. एक बड़ा सा प्लॉट था.. जहां लाइन से स्टॉल लगे हुए थे.. और बड़ी बड़ी फ़्लड लाइट की रोशनी में.. ढेर सारे कपल्स..शॉपिंग का आनंद ले रहे थे.. तो कहीं कहीं जोड़े एक दूसरे के जिस्मों के साथ विकृत हरकतें भी कर रहे थे.. हाथ में बियर के टीन लिए.. शराब के ग्लास लिए.. सब मजे कर रहे थे.. एक स्टॉल पर हुक्का-बार था.. और वहाँ सब मिलकर धुआँ उड़ाते हुए ३१ दिसंबर को अलविदा कहने के लिए आतुर थे.. !! कहीं कोई शराब पी रहा था तो कोई गांजे के कश लगाकर झूम रहा था..
रेणुका के हाथ में सिगरेट थी और मदन के हाथ में बियर की बोतल.. मदन की कमर पर हाथ लपेटे हुए रेणुका आराम से घूम रही थी.. कभी वो खुद सिगरेट का दम लगाती तो कभी मदन के होंठों पर रखकर उसे कश लगाने देती..
दोनों उस छोटे से बाजार में घूमने लगे.. दो सौ के करीब लोग होंगे.. ठंड के बावजूद.. लड़कियां और औरतें न्यूनतम कपड़े पहनकर अपने जिस्म की नुमाइश कर आजादी का आनंद उठा रही थी..
आखिर दोनों ने शीला को पीछे से देखा.. शीला के भारी भरकम चूतड़ों से ही मदन ने उसे पहचाल लीया.. पर वो अकेली क्यों खड़ी थी?? उसका वो आशिक कहाँ गया??
रेणुका: "मदन डार्लिंग, चल हम वहाँ चलते है.. शीला वहाँ है तो उसका वो लंड भी यही कहीं लटक रहा होगा"
मदन: "हाँ, चल वहीं चलते है"
दोनों भीड़ मे छुपते-छुपाते धीरे धीरे उस स्टॉल के करीब जाकर खड़े हो गए जहां शीला खड़ी थी.. मदन की नजर बेसब्री से शीला के आशिक को तलाश रही थी.. उस चक्कर में.. आसपास की अर्ध-नग्न सुंदरियों के जिस्म का आनंद लेने का भी उसे मन नहीं हो रहा था..
"राज डार्लिंग.. !!" शीला ने आवाज लगाई
रेणुका और मदन को वह स्पष्ट सुनाई दिया.. और तभी एक दुकान के पास से आवाज आई "यस डार्लिंग.. आया.. मैं हल्का होकर अभी आया"
"ओके डीयर.. " शीला ने जवाब दिया..
उस पुरुष की आवाज और बोलने के लहजे ने मदन और रेणुका की 90% जिज्ञासा को वहीं खतम कर दिया.. दोनों ने ताज्जुब से एक दूसरे की तरफ देखा.. दोनों की नजरें आपस मे टकराई.. रेणुका मुस्कुराई.. मदन के सवाल का वह जवाब ही था.. पर मदन अब भी थोड़ा सा व्याकुल था..
वो थोड़ा आगे बढ़ा.. और एक पेड़ के तने के पीछे छुपकर मर्दों के टॉइलेट की तरफ देखने लगा.. डब्बे जैसे अस्थायी टॉइलेट से निकले शख्स की शक्ल देखकर दंग रह गया मदन.. वो राजेश ही था..!!!! रेणुका का पति और मदन का दोस्त.. !!!
कुछ पल तक स्तब्ध रहने के बाद.. जैसे ही मदन सोचता गया.. उतना ही रोमांचित होता गया.. थोड़ी देर पहले का जो गुस्सा और ईर्ष्या के भाव थे.. वो अब ओजल हो चुके थे.. और अपनी पार्टनर बदलने की विकृत इच्छा को परोक्ष रूप से पूर्ण होता देख, वह एक अकथित सा आनंद महसूस कर रहा था..
मदन चलते हुए रेणुका के पास आया.. और उसके कंधों पर हाथ रखकर अपनी ओर ऐसे खींच लिया जैसे वो उसकी आधिकारिक पत्नी हो.. और उसी तरह वो राजेश-शीला के सामने पेश आना चाहते थे.. रेणुका को कोई हर्ज नहीं था क्योंकि उसका खुद का पति ही परस्त्री के साथ रंगरेलियाँ मना रहा था..
रात के साढ़े ग्यारह बज गए थे और ३१ दिसंबर खत्म होने को थी.. सारा माहोल अपने सुरूर पर था.. लोग नशे मे चूर होकर डी.जे. के ताल पर झूम रहे थे.. लड़कियां अपने अंग उछलते हुए ऐसे नाच रही थी जैसे बारह बजे दुनिया का नाश हो जाने वाला हो.. और यह उनकी आखिरी पार्टी हो.. !!!
शराब की बौछारों और सिगरेट की धुएं के बीच जवानी मदहोश होकर नाच रही थी.. पर इन तमाम लोगों मे दो जोड़ें ऐसे थे जिनके लिए आज की रात कुछ ज्यादा ही खास थी.. !! उन्हें कुछ ऐसा हासिल हुआ था जो अक्सर लोग चाहकर भी नहीं पा सकते...
पार्टनर स्वेपिंग... यौन-साथी/पति या पत्नी की दो जोड़ों के बीच अदलाबदली... !!!
विकृत पर बेहद उत्तेजना प्रदान करने वाला साहस.. !! जिसे करने के लिए.. सामाजिक बंधनों को तोड़ने की हिम्मत चाहिए.. और साथ ही साथ अपने साथी को गैर की बाहों मे देख पाने की ताकत भी होनी चाहिए.. वही लोग इस साहस को अंजाम दे पाते है.. !!
दोनों जोड़ें अपने नए अंदाज मे.. एक दूसरे के सामने प्रकट होने वाले थे..!! रेणुका ने मदन के कान मे कुछ कहा और वह सुनकर मदन ने हंसकर रेणुका के गालों पर हल्की सी पप्पी दे दी.. बियर का घूंट मारते हुए मदन सीधे वहाँ जाकर खड़ा हुआ जहां राजेश और शीला खड़े खड़े शॉपिंग कर रहे थे.. !!!
बोलते वक्त लहराती और चलते वक्त ठोकरे खा रही शीला को देखकर ही मदन समझ गया की आज उसकी पत्नी सारी सीमाएं पार कर चुकी थी.. भयंकर मात्रा मे शराब पी रखी थी शीला ने जो देखकर ही प्रतीत हो रहा था
रेणुका और मदन, शीला-राजेश के एकदम बगल मे ही खड़े थे पर अब भी शीला या राजेश का ध्यान उन दोनों पर नहीं गया था
रेणुका: "डार्लिंग, मुझे वो बेल्ट पसंद आ गया.. मेरे लिए खरीद लोगे, प्लीज??"
रेणुका की आवाज सुनते ही, चोंककर शीला और राजेश ने रेणुका की ओर देखा.. पर रेणुका ने शीला या राजेश की तरफ देखा ही नहीं.. और मदन को अपनी तरफ खींचकर उससे चिपकते हुए.. स्टॉल मे लगे कपड़े दिखाती रही
मदन: "अरे मेरी जान.. तेरे पास कितने सारे बेल्ट है फिर भी तुझे नया बेल्ट चाहिए.. !! ओके, ले लेता हूँ.. अब खुश.. !!"
रेणुका: "ओह.. यू आर सच ए स्वीटहार्ट.. आई लव यू डार्लिंग"
मदन: "आई लव यू टू, जानेमन.. !!"
शीला और राजेश स्तब्ध होकर उन दोनों को देखते रहे.. !! और वही तो यह दोनों चाहते थे.. उन्हें झटका देना.. !!! नशे मे धूत शीला को पता ही नहीं था की उसने फोन पर इस रिसॉर्ट का नाम रेणुका को बता दिया था.. !!! वो तो ईसी असमंजस में थी की रेणुका और मदन आखिर यहाँ पहुंचे कैसे??
अब राजेश और शीला ने एक दूसरे के सामने देखा.. और मन ही मन समझ गए.. की कोई किसी को कुछ भी कहने की परिस्थिति मे नहीं था.. इस हमाम मे सब नंगे थे.. इसलिए शीला ने भी रेणुका और मदन के सामने बगैर देखे बातें करना जारी रखा
शीला: "राज डार्लिंग.. आज तो मज़ा आ गया.. ज़िंदगी मे ऐसा मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया.. तूने आज इतने जबरदस्त स्ट्रोक्स लगाए की अब तक उसका नशा नीचे मेरे छेद पर छाया हुआ है.. सचमुच.. तुम वाकई एक जानदार मर्द हो.. आज से मैं तुम्हारी ग़ुलाम हो गई..!!"
रेणुका: "मदन.. जानु, चलो यहाँ से.. शायद कुछ बाजारू रंडियाँ पार्टी मे आ गई है.. कहीं तुम्हें चुरा न ले.. तुम्हें सतर्क रहना चाहिए.. देखो, वो शॉप है वहाँ चलते है.. और वहाँ एक रेस्टोरेंट भी है.. भूख भी लगी है.. चलो कुछ खाते है"
मदन: "ओह स्योर डार्लिंग.. चलो.. वैसे तुमने आज मुझे इतना थका दिया है की मुझे भी ज़ोरों की भूख लगी है"
रेणुका: "हाँ.. आज रोज के मुकाबले कुछ ज्यादा ही खा लेना क्योंकि आज तो मैं तुम्हारी छुट्टी कर देने वाली हूँ.. बहोत काम बाकी है अभी"
दोनों चलते चलते उस रेस्टोरेंट मे घुसे और एक टेबल पर जा बैठें.. राजेश और शीला भी उनके पीछे पीछे आ गए और बगल वाले टेबल पर बैठ गए.. अब भी दोनों जोड़ें आपस मे बात नहीं कर रहे थे.. रेस्टोरेंट मे काफी अंधेरा था.. मदन ने तीरछी नज़रों से देखा.. शीला राजेश की शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसके लंड से खेल रही थी.. और राजेश खुलेआम शीला के बबले दबा रहा था..
यह देखकर रेणुका ने अपना टॉप उठाकर एक स्तन को बाहर निकाला और मदन को चूसने के लिए कहा..
रेणुका: "आह्ह यार.. बड़े टाइट हो गए है.. जरा चूस कर उन्हें ढीला कर दो.. कितने दिन हो गए किसी ने दबाए ही नहीं ठीक से इन्हें"
मदन: "क्यों, तेरा हसबंड नहीं दबाता तेरा??"
रेणुका: "वो दबाता तो तुम से क्यों दबवाने पड़ते मुझे.. !! अब उस निकम्मे को याद कर मेरा मूड मत खराब करो.. और चूसना शुरू करो"
मदन: "ओके डार्लिंग.. तुम समोसे खाओ.. तब तक मैं तुम्हारा दूध चूसकर तरोताजा हो जाता हूँ"
राजेश की नज़रों के सामने ही मदन रेणुका का स्तन पकड़कर चूसने लगा.. उन्हें दिखाने के लिए.. शीला अब टेबल से नीचे झुकी और राजेश का लंड शॉर्ट्स के बाहर निकालकर चूसने लगी.. दोनों कपल्स आपसी नोंक-झोंक का मज़ा ले रहे थे.. !!
अचानक पूरे रिसॉर्ट मे अंधेरा छा गया.. डीजे की तेज आवाज बंद हो गई.. घनघोर जंगल के बीच बना यह प्राइवेट रिसॉर्ट कुछ समय के लिए सन्नाटे से भर गया.. फिर लोगों की घबराहट भरी अफरातफरी की आवाज़ें आने लगी.. लोग अपने साथियों को ढूँढने के लिए आवाज लगाने लगे.. एकदम से क्या हो गया?? लगता है पावर-कट हुआ था..
फिर से अचानक लाइट आ गई.. लेसर की लाइटें आसमान मे अपना जलवा बिखेरने लगी.. और आतशबाजी के धमाकों से सारे माहोल गूंजने लगा.. तब पता चला की १२ बज चुके थे और नए साल के स्वागत के लिए लाइट बंद की गई थी.. फिर से डीजे की कान फाड़ देने वाली ध्वनि से माहोल थिरकने लगा.. लोग नाचने लगे.. मस्ती से चिल्लाने लगे.. कही शेंपेईन की बोतलें खुली तो कही लोग कपल डांस करने लगे..
अब शीला राजेश के साथ और मदन रेणुका के साथ ठुमकने लगा.. एक दूसरे को जलाने की जैसे होड सी लग चुकी थी दोनों जोड़े मे.. राजेश शीला के बबलों पर आफ़रीन था तो रेणुका मदन के लोड़े की आशिक थी.. डांस के दौरान उनकी बेशर्म हरकतों को अब आसपास के लोग भी देख रहे थे.. और सारे लोग चिल्लाकर शीला को अपने बबले खोलने के लिए उकसा रहे थे.. नशे मे नाच रही शीला अपने शरीर को भी ठीक से संतुलित नहीं रख पा रही थी.. मदहोश होकर.. चिल्ला रहे लोगों की एक के बाद एक फरमाइशें पूरी करती जा रही थी..
अब डांस-फ्लोर पर कई लोग शीला के आसपास नाचते हुए पहुँच गए.. और टोली बनाकर वो सब शीला के जिस्म को नोच रहे थे.. कुछ नटखट लोगों ने शीला के बूब्स पर ही शेंपेईन और बियर गिराना शुरू कर दिया था.. शीला अब शराब से पूरी तरह भीग चुकी थी.. और थिरकते हुए नाचे जा रही थी..
गीले वस्त्रों वाली स्त्री वैसे भी बेहद कामुक लगती है.. ऊपर से उसमे शीला के गदराए मांसल शरीर का नशा भी जुड़ चुका था.. शराब और शबाब दोनों आपस मे मिल चुके थे.. शराब से भीगकर शीला के कपड़े उसके जिस्म पर चिपक गए थे.. नाचते नाचते जिसका जहां मन चाहता वहाँ शीला को छू रहा था.. लगभग तमाम लोग शीला के बदन को सारी गलत जगहों पर छु चुके थे.. मदन के सामने ही लोग उसकी पत्नी के बारे मे गंदी गंदी कमेंट्स कर रहे थे.. लेकिन मदन बेबस था.. क्योंकि फिलहाल शीला राजेश की पार्टनर थी..
राजेश बेफिक्र होकर शीला के इस मुक्त-व्यापार का मज़ा लेते हुए बियर पी रहा था.. यहाँ पब्लिक पर शीला के जिस्म का नशा चढ़ चुका था.. तमाम लोग शीला के बदन को दबाने और नोचने के लिए बेकरार थे.. शीला किसी को रोक नहीं रही थी और आराम से नशे मे धूत होकर म्यूज़िक के ताल पर नाचे जा रही थी..
यह सिलसिला एक घंटे तक चला.. एक बज चुका था.. डीजे का संगीत बंद हुआ.. और एक के बाद एक लोग लौटने लगे.. शराब का नशा इतना भारी हो गया था की शीला-राजेश और रेणुका-मदन भी लड़खड़ाते हुए अपने कॉटेज पर चले गए और सो गए
सुबह पाँच बजे राजेश और शीला चुपके से निकल गए.. !!
साढ़े पाँच बजे रेणुका की आँख खुली.. उसने जागकर देखा तो वह नंगे बदन मदन के बगल मे पड़ी हुई थी.. पिछली रात की बातें याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई.. उसकी नजर सो रहे मदन के लंड पर गई.. जो बेचारा रात के ओवर-टाइम के बाद लाश बनकर पड़ा हुआ था..
रेणुका ने बैठे बैठे अपने बालों को जोड़े मे बांधा.. और मदन के लोड़े को हल्के से सहलाया.. फिर झुककर उसे चूम लिया.. मन ही मन वह मदन के लंड का आभार प्रकट कर रही थी.. जीतने ऑर्गैज़म मदन के लंड ने दीये थे वो आज से पहले, एक रात मे, उसे कभी नहीं मिले थे..
हाथों की गर्मी और होंठों के स्पर्श से मदन और उसका का लंड अंगड़ाई लेकर जागने लगा..
मदन: "गुड मॉर्निंग हनी.. !!" कहते हुए मदन ने नंगी रेणुका की गोद मे अपना सर रख दिया.. रेणुका मदन की बालों भरी छाती मे अपनी उँगलियाँ फेरने लगी.. अपना चेहरा मदन के होंठों पर दबाते हुए उसने कहा "गुड मॉर्निंग.. मदन.. !! ३१ दिसंबर खत्म हो गई.. मुझे लगता है की अब हमें चलना चाहिए.. "
रेणुका के स्तनों के नरम स्पर्श से मदन का लंड नींद से जाग रहे सांप की तरह उठ चुका था.. पर अभी उसके फुँकारने पर ध्यान देने का समय नहीं था रेणुका के पास.. वह जल्दी से जल्दी घर पहुँच जाना चाहती थी
आधे घंटे मे मदन और रेणुका तैयार होकर निकल गए.. रास्ते मे शीला और राजेश के बारे मे बातें करते हुए दोनों कुछ घंटों मे अपने शहर पहुँच गए.. रेणुका ने मदन के घर से थोड़े दूर गाड़ी रोकी और मदन उतर गया
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअब दोनों मर्द बड़ी कुर्सी पर बैठे थे.. रेणुका उनके सामने खड़ी थी और तमन्ना उनके बगल मे..
मदन: "तमन्ना.. बेटा तुम मेरे सामने आ जाओ.. "
यह सुनते ही रेणुका सामने से हटकर अमित के बगल में चली गई और अपने दोनों भारी स्तन उसने अमित के सिर पर रख दीये.. आह्ह.. अमित के मुंह से आनंद सूचक आवाज निकल पड़ी.. वह नरम मांसल स्पर्श उसके लंड को कडक कर गया..
अमित ने रेणुका की ओर देखकर कहा "आंटी, आप भी मेरा बाहर निकालिए ना.. !!"
रेणुका: "मैं नहीं.. तुम्हारा लंड तो तमन्ना ही बाहर निकालेगी.. क्यों तमन्ना.. !! अपने भैया का लंड पेंट से निकालेगी ना.. !!"
तमन्ना की लगभग सपाट छाती पर लगी छोटी सी निप्पलों को मदन चाट रहा था.. इसके कारण तमन्ना सिहर रही थी.. उसने रेणुका की बात का जवाब नहीं दिया तब मदन ने उसे चाटना बंद किया.. तब जाकर वो सपनों की दुनिया से वास्तविकता की धरती पर लौटी
रेणुका: "तमन्ना, ये अमित भैया कुछ कह रहे है तुम से.. पूछो उसे की क्या काम है?"
तमन्ना: "हाँ भैया.. तुम कुछ कह रहे थे?"
अमित: "हाँ तमन्ना.. तुम मेरा लंड पेंट से बाहर निकालो"
तमन्ना ने एक गहरी सास ली और मदन के शरीर के ऊपर झुककर अमित तक पहुंची.. उसके पेंट की चैन खोलकर लंड बाहर निकाला.. एकदम कडक सीधा खड़ा हो गया अमित का लंड.. अमूमन जवान लड़कों का जैसे होता है, बिल्कुल वैसे ही.. !! उसके लंड को बाहर निकालकर, तमन्ना कभी उसका लंड देखती तो कभी मदन का.. मन ही मन तुलना करने लगी
मदन: "तमन्ना बेटा.. तुम्हारी चूत अभी सिर्फ अमित का लंड ही झेल पाएगी.. अब तुम दोनों आपस में इन्जॉय करो.. और हाँ.. रेग्युलर अमित से मसाज करवाती रहना.. फिर तुम्हारे बूब्स भी आंटी की तरह बड़े हो जाएंगे.. और अमित.. मेरे लंड को देखकर ताज्जुब करने की कोई जरूरत नहीं है.. जब मैं तुम्हारी उम्र का था तब मेरा भी ऐसा ही था.. हाँ, अगर तमन्ना नियमित रूप से इसे सहलाएगी.. चुसेगी.. तो ये शायद तेजी से बढ़ जाएगा"
बड़ी ही चालाकी से मदन और रेणुका ने तमन्ना और अमित की जोड़ी बना दी.. अब तमन्ना ने अमित को लंड को पकड़कर चूम लिया और उसके बगल में बैठकर चूसने लगी.. अमित को गुदगुदी सी हो रही थी और वो खिखियाने लगा.. रेणुका भी अब तमन्ना की बगल मे खड़ी हो गई और उसे चूसने की ट्रैनिंग देने लगी "अरे ऐसे नहीं.. देखो, लंड को नीचे से पकड़ो और फिर चूसो.. सुपाड़ा गले तक जाना चाहिए.. ऐसे ऊपर ऊपर से नहीं.. जड़ तक अंदर ले लो.. चलो ठीक से चूसो अब"
रेणुका ने तमन्ना को चूसना सीखा दिया.. तमन्ना ने जैसे ही रेणुका के मार्गदर्शन के अनुसार चूसा.. अमित के सब्र के सारे बांध टूट गए और वो आह-आह कहते हुए तमन्ना के मुंह मे झड़ गया.. !! मुंह मे विचित्र स्वाद वाली पिचकारी का गरम एहसास होते ही तमन्ना ने लंड छोड़ दिया और अपने मुंह पर हथेली रखकर खाँसने लगी
मदन: "घबराओ मत बेटी.. ऑरल सेक्स का तुम्हारा यह पहला अनुभव है.. थोड़ा सा अटपटा जरूर लगेगा पर आदत हो जाएगी.. याद रहे.. लंड की पिचकारी से जो सफेद क्रीम निकलता है उसे भूलकर भी अपनी चूत में मत जाने देना.. वरना प्रेग्नन्ट हो जाओगी.. देखो अब आगे तुम्हें क्या करना है यह भी देख लो"
मदन ने कुर्सी से उठकर रेणुका को बीठा दिया और उसकी चूत के सुराख पर अपने लंड का टोपा सेट कर दिया.. धीरे से धक्का लगाते ही उसका पूरा लंड अंतर्ध्यान हो गया.. अब वो हल्के हल्के धक्के लगाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे कर रेणुका को चोदने लगा
लंड और चूत के इस अद्भुत मिलन को अमित और तमन्ना स्तब्ध होकर बस देखते ही रहे..!!!! यह पहली बार था की वह दोनों किसी को संभोग करते हुए रूबरू देख रहे थे.. रेणुका की गीली पुच्ची मे.. पुचूक पुचूक की आवाज करते हुए अंदर बाहर हो रहे लंड का द्रश्य बड़ा ही मनोहर था.. तमन्ना को पहली बार ऐसा एहसास हुआ की उसके नीचे के छेद में गिलेपन के साथ कुछ विचित्र सा महसूस हो रहा था.. उसका खून गरम हो गया था.. चेहरा लाल हो चला था और ठंडे माहोल में भी उसे पसीने आने लगे थे
तमन्ना: "आंटी, मुझे भी अपने अंदर ये डलवाना है" तमन्ना का साहस खुल गया.. यह सुनते ही मदन के लोड़े ने रेणुका की चूत में आरंगेत्रम करना शुरू कर दिया..
रेणुका: "नहीं तमन्ना.. अभी तुम छोटी हो... थोड़ी बड़ी हो जाओ तब लेना.. ओके.. !! अभी तुम्हारी मुनिया इतनी छोटी है की तुम इतने मोटे लंड को झेल नहीं पाओगी.. हाँ अगर लेना चाहो तो अमित का पतला लंड ले सकती हो.. जब तक तुम्हारी शादी न हो जाए तब तक तुम्हें मोटा लंड अंदर नहीं लेना चाहिए वरना शादी की पहली ही रात उसे पता चल जाएगा की तुम पहले सेक्स कर चुकी हो.. इसलिए एक बार तुम्हारी शादी हो जाए और पति से ठीक से एडजस्ट कर लो उसके बाद तो समझो की तुम्हें लाइसेंस मिल गया।। फिर चाहे जितना मोटा और लंबा लेना चाहो, लेती रहना.. ठीक है.. !!"
तमन्ना: "ओके आंटी.. लेकिन अंकल का ये देखने मे इतना अच्छा है की मुझे कम से कम एक बार यहाँ रगड़ने दीजिए, प्लीज.. !! और आप ही तो कह रही थी की ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा मुझे"
मदन ने २५-३० धक्के लगाने के बाद, रेणुका की चूत से लंड बाहर निकाला.. चूत के रस से लथबथ गीला चमकीला कडक लंड देखकर तमन्ना के मुंह से उफ्फ़ निकल गई.. !! वह बोली "कितना मस्त है ना अमित भैया??"
अब अमित की शर्म भी छूट गई "हाँ यार तमन्ना.. जबरदस्त है अंकल का.. !!"
मदन ने अब रेणुका को कुर्सी से खड़ा कर दिया और तमन्ना को बीठा दिया.. रेणुका कुर्सी के पीछे जाकर खड़ी हो गई.. मदन ने तमन्ना की पतली टांगों को उठाकर उसके स्तनों तक ऊपर कर लिया.. ऐसा करने से तमन्ना की कमसिन कुंवारी चूत, उभर कर बाहर निकल आई.. चूत के दोनों होंठ खुल गए.. एक विशिष्ट से गंध मदन के नाक तक पहुंची.. और वो मदहोश हो गया.. उस नाजुक चूत का सौन्दर्य देखकर मदन से रहा नहीं गया.. नीचे झुककर पहले तो बुर की फाँकों को मन भरकर चाट लिया.. छोटे छोटे कोमल झांटों वाली चूत के सुराख को चाट चाटकर गीला कर दिया.. आखिर मदन ने उसकी छोटी सी क्लिटोरिस को अपने दोनों होंठों के बीच दबाया तब तमन्ना को ऐसा लगा जैसे चूत के रास्ते उसकी रूह निकल जाएगी.. !!
"ऊईईई माँ... !!! मर गई अंकल.. आह्ह.. आंटी, प्लीज अंकल से कहो ना.. की एक बार अंदर घुसाये.. प्लीज.. आह्ह.. !!!" तमन्ना बदहवास हो रही थी
रेणुका ने तमन्ना की दोनों टांगें कसकर पकड़कर रखी हुई थी.. अपनी चूत की खाज मिटाने के लिए अपनी गांड को कुर्सी से रगड़ने लगी तमन्ना.. उस जवान लड़की के लिए यह सारे अनुभव नए थे.. उसे पता ही नहीं चल रहा था की उसके शरीर में ये कैसे कैसे नए एहसास हो रहे थे.. !!
मदन ने अपने हाथ पर ढेर सारा थूक लिया और अपने लँड के टोपे पर मल दिया.. फिर खड़े होकर उसने उस नन्ही सी चूत के छेद पर अपना मजबूत लंड लगा दिया.. सुपाड़े को गुलाबी चूत पर रगड़ते ही.. तमन्ना अपने होशो-हवास खोने लगी.. रेणुका के पकड़ने के बावजूद.. मदन के शरीर के वजन तले दबे होने के बावजूद.. वो कुर्सी पर उछलने लगी.. तमन्ना की दोनों छोटी सी निप्पल तनकर खड़ी हो गई.. रेणुका आगे बढ़ी और तमन्ना के ऊपर से ही मदन को चूमने लगी.. रेणुका के भारी स्तन तले तमन्ना का सिर दब गया.. और वो सिर उठाकर स्तनों के निचले हिस्से को पागलों की तरह चाटने लगी.. रेणुका के चुंबन का जवाब देने के लिए मदन थोड़ा सा झुका.. और झुकने के कारण.. उसका सुपाड़ा.. तमन्ना की संकरी चूत में घुस गया.. !! परिणाम स्वरूप.. तमन्ना की अब तक बंद रही चूत ने लचीली होकर लंड के लिए रास्ता बनाते हुए.. अपने मुंह का काफी हद तक विस्तार किया.. और मदन का सुपाड़ा अंदर समा गया.. !!
"ओ बाप रे.. ऊई... ओह ओह.. नहीं.. प्लीज बाहर निकालिए अंकल.. मर गई.. बहुत दर्द कर रहा है.. हाय दइयाँ.. बाहर निकालो प्लीज.. हाथ जोड़ती हूँ.. " तमन्ना छटपटाने लगी.. और उसकी यह प्रतिक्रिया देखकर मदन ने तुरंत लंड बाहर निकाल दिया.. इस बार सिसकने की बारी मदन की थी.. तमन्ना की चूत इतनी टाइट थी की सुपाड़े को बाहर खींचने के लिए भी उसे जोर लगाना पड़ा.. अपने सुपाड़े पर हाथ फेरकर वह तसल्ली करने लगा की कहीं उसका टोपा टूटकर चूत के अंदर तो नहीं रह गया... !!!
"मैंने कहा था ना बेटा.. की तुम नहीं सह पाओगी.. !!" तमन्ना के गाल पर हाथ फेरते हुए मदन ने बड़े प्यार से कहा
ठंडे खुले वातावरण में भी तमन्ना के पसीने छूट गए थे.. हालांकि लंड बाहर निकल जाने के बाद वह तुरंत ही सामान्य हो गई थी.. जब हवस का खुमार सर पर सवार हो तब औरत कितना भी दर्द सह लेती है.. संभोग के दौरान अस्सी किलो का पति ऊपर चढ़कर शॉट लगाए फिर भी वजन नहीं लगता उसे.. और सामान्य स्थति मे हल्का सा वज़न भी बर्दाश्त नहीं कर पाती..
"अंकल, दर्द तो बहोत हुआ.. पर अच्छा भी लगा.. अब एक बार फिर से डालिए ना.. प्लीज.. पता नहीं क्यों पर अंदर अजीब सी खुजली हो रही है मुझे.. आज से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ"
रेणुका: "तमन्ना.. एक बार में तेरी जान हलक मे अटक गई थी.. दोबारा कैसे बर्दाश्त करेगी??" तमन्ना की सपाट छाती को सहलाते हुए उसने कहा
"आंटी, इस दर्द मे एक गजब का सुकून भी था.. जब अंकल ने बाहर निकाला तब मुझे एहसास हुआ.. हाँ, तब जरूर जान निकल गए थी मेरी.. पर अब फिर से दिल कर रहा है.. डालिए ना अंकल फिर से, प्लीज.. !!"
मदन रेणुका की तरफ देखने लगा.. रेणुका ने बिना कुछ कहें फिर से मदन के होंठों पर एक उत्तेजक किस कर दी.. और मदन को इक्साइट कर दिया.. मदन ने संभालकर फिर से अपना सुपाड़ा तमन्ना के छेद के अंदर डालकर दबाया तब वो ऐसे चीखीं की मदन की गांड फट गई.. कहीं किसी ने सुन लिया तो.. !!
तुरंत लंड बाहर खींच लिया मदन ने..
तमन्ना: "उफ्फ़ आंटी.. मुझे तो समझ में नहीं आ रहा की आप कैसे इतने आराम से इसे ले पा रही थी.. !!" इस बार तो तमन्ना की आँखों में पानी आ गया था
रेणुका ने हँसते हँसते जवाब दिया "मैं भी ऐसे ही चीखती थी जब तुम्हारी उम्र की थी.. हर लड़की को एक बार तो यह दर्द सहना ही पड़ता है.. फिर धीरे धीरे दर्द कम हो जाता है और जब मज़ा आने का सिलसिला शुरू होता है.. आह्ह.. जीवन भर चुदाई की भूख खतम नहीं होती"
तमन्ना: "अंकल, आप से बस एक आखिरी रीक्वेस्ट है.. एक बार मे ही पूरा डाल दीजिए अंदर... चाहे फिर मैं मर ही क्यों न जाऊँ.. !!" तमन्ना ने बड़ी ही घातक तमन्ना व्यक्त की
मदन: "नहीं बेटा... ये सब करने के लिए तेरे पास अभी बहुत लंबी ज़िंदगी पड़ी है.. तुम अमित के छोटे लंड से..ऊपर ऊपर से कर लो.. यह दर्द तुम अपने होने वाले पति के साथ ही सहना.. वही अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए"
जब तमन्ना जोर से चीखी थी.. उसकी एक मिनट बाद... शीला के कॉटेज का दरवाजा हल्का सा खुला.. और अंदर से शीला की आवाज सुनाई दी.. नशे मे धुत शीला बोली "अरे क्या हुआ?? कोई गधा घुस आया क्या अंदर?? ऐसा है तो अंदर भेज दो मेरे पास साले को.. !!"
मदन ने आवाज पहचान ली और वो रेणुका के सामने देखकर मुस्कुराया और धीरे से रेणुका को बोला "साली की गर्मी तो देखो.. !! इसके पीछे तो किसी गधे को वियाग्रा खिलाकर छोड़ देना चाहिए.. !!"
तमन्ना ने तुरंत जवाब दिया "अरे कुछ नहीं हुआ मैडम.. ये तो मुझे कुछ सांप जैसा नजर आया इसलिए चिल्लाई थी.. पर वो रस्सी निकली"
अब दरवाजा पूरी तरह खुल गया.. और शीला बिना कपड़ों के ही.. नशे में झूलते झूलते बाहर निकली.. उसके पीछे एक मर्द खड़ा हुआ था.. जो शीला की दोनों काँखों मे से हाथ डालकर उसके बबलों को मसल रहा था.. मदन वाली कॉटेज मे अंधेरा होने के कारण दोनों को वहाँ का कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.. ऊपर से दोनों जबरदस्त नशे मे भी थे..
शीला को इस हाल मे देखकर.. मदन जलकर राख हो गया.. कौन है ये मादरचोद?? मेरी नज़रों के सामने.. मेरी बीवी के बबले मसल रहा है..!!
शीला आगे खड़ी थी इसलिए उस मर्द का चेहरा तो नजर नहीं आ रहा था.. बस उसके हाथ दिख रहे थे जो शीला की एक इंच लंबी निप्पलों से अटखेलियाँ कर रहे थे..
रेणुका मदन का गुस्सा भांप गई.. और उसका ध्यान भटकाने के लिए.. चेहरे को खींचकर चूमने लगी..
यह देखकर तमन्ना फिर से गरमा गई "अंकल.. एक बार और ट्राय कीजिए ना.. शायद इस बार अंदर चला जाए"
मदन: "नहीं तमन्ना.. अब नहीं.. तेरी चूत इतनी टाइट है की मेरा लंड दर्द करने लग गया है" कहते हुए मदन वहाँ से उठकर जाने लगा की तभी तमन्ना ने मदन का लंड पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ दिया और बोली "ओके अंकल.. पर ऊपर ऊपर से तो रगड़ने दीजिए.. !! हाय माँ.. कितना गरम है.. ओह्ह अंकल बहुत मज़ा आता है.. काश, मैं इसे आज पूरा अंदर ले पाती.. आह्ह.. आह.. आह.." लंड को चूत पर रगड़ने से तमन्ना की हवस अब चरमसीमा पर पहुँच चुकी थी.. उस घर्षण का अप्रतिम आनंद लेते हुए मदन के लंड ने एक जबरदस्त पिचकारी मार दी.. जो तमन्ना की गर्दन तक जा गिरी..
"आह्ह रेणुका.. इतना मज़ा तो चूत के अंदर डालकर भी नहीं आया.. ओह तमन्ना मेरी जान.. अंकल को खलास कर दिया तुमने.. और वो भी बिना चूदवाए..!! सच मे.. कुंवारी कलियों की बात ही निराली होती है.. " मदन हांफ रहा था और उसका लंड अभी भी झटके खा रहा था.. तमन्ना की नजर मदन के वीर्य थूकते लंड पर चिपक गई थी.. उसके नादान मन में कई सवाल उठ रहे थे.. पर उन सारे सवालों से बड़ा सवाल मदन के दिमाग में घूम रहा था.. आखिर वो भड़वा था कौन जो शीला को यहाँ लाकर धड़ल्ले से चोद रहा था.. !!
रेणुका: "अमित और रेणुका.. तुम दोनों को हमने सब कुछ सीखा दिया है.. अब तुम दोनों जाओ और आपस में मजे करो और हमें भी करने दो"
तमन्ना: "जाने से पहले एक और इच्छा थी मेरी.. !!"
मदन: "अब क्या बाकी रह गया?? गांड मे भी लेना है क्या?? भूलकर भी ऐसी गलती मत करना.. !!"
तमन्ना: "वो नहीं अंकल.. पर अभी आप ने आंटी को जैसे किस किया वैसे मुझे भी कीजिए ना.. !!"
मदन: "कैसी किस?"
रेणुका ने अमित को बाहों में भरकर उसके होंठ चूसते हुए कहा "ऐसी वाली किस की बात कर रही है वो, मदन" इतना कहते ही रेणुका ने मदन के पतले पर एकदम कडक लंड को पकड़कर मुंह में ले लिया.. छोटा पतला लंड चूसने में उसे कुछ खास मज़ा तो नहीं आ रहा था.. पर एक नवीन अनुभव के खातिर वो यह कर रही थी.. चूसते हुए वो सोच रही थी.. की कितने अलग अलग प्रकार के लंड होते है.. एक वो रसिक का है.. गधे से भी मोटा.. और एक ये अमित का है.. जो लिखने वाली पेन के बराबर था..
पतला लंड चूसते हुए अचानक रेणुका के दिमाग मे विचार आया..
रेणुका: "मदन, यार इसका लंड पीछे लेने के लिए एकदम परफेक्ट है.. आज तक जितनी भी बार राजेश के साथ ट्राय किया है तब इतना दर्द होता था की बाहर निकाल लेना पड़ता था.. "
मदन: "हाँ डलवा ले.. वैसे भी तेरी चूत में इसे डालकर कोई फायदा नहीं है.. तेरी गुफा में इसकी नून्नी नजर भी नहीं आएगी.. उससे अच्छा तू पीछे से मरवा ले.. हा हा हा.. अमित बेटे, तेरी तो किस्मत चमक गई.. मर्दों को ज़िंदगी भर नहीं मिल पाता.. वो तुम्हें पहली बार में ही आसानी से मिलने जा रहा है.. तैयार हो जाओ बेटे.. आज की रात तुम्हें ज़िंदगी भर याद रहेगी"
इस नवीन चुदाई की तरीके से बेखबर.. वह लड़का, रेणुका के पीछे जाकर खड़ा हो गया.. रेणुका ने अपने थूक से उसके छोटे से सुपाड़े को गीला किया.. और झुककर खड़ी हो गई.. अमित ने अपने लंड को रेणुका की गांड के सुराख पर रखा.. और अपनी कमर ठेलने लगा.. रेणुका ने पीछे की ओर धक्का लगाया.. और धीरे से उसका लंड अपनी गांड मे ले लिया..
आगे पीछे करती हुई रेणुका बोली "ओह्ह मदन.. बहुत मज़ा आ रहा है यार.. पर इसे ठीक से धक्के मारना ही नहीं आता.. वरना.. आह्ह.. !!"
तमन्ना को मदन ने बगल में दबा रखा था.. और वो मदन की बालों वाली छाती पर हाथ फेरते हुए.. उसके लटक रहे लंड को हिलाने लगी.. सेमी-हार्ड लंड को बड़े ही मजे से सहला रही थी.. मदन भी उसकी गर्दन चाट रहा था..
तमन्ना ने एक बार फिर कहा "एक बार वो आंटी जैसे किस कीजिए ना.. !!"
मदन ने तमन्ना की बात पर खास ध्यान नहीं दिया.. उसकी नजर तो रेणुका की गांड में आगे पीछे हो रहे अमित के लंड पर ही थी.. रेणुका को अमित के धक्कों से मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए मदन अमित को पीछे से दबाकर धक्कों की तीव्रता को बढ़ाने मे सहयोग दे रहा था..
अब उसने तमन्ना पर अपना ध्यान केंद्रित किया.. पतली ककड़ी जैसी तमन्ना को अपनी बाहों में भरकर दबाते हुए मदन को रूखी के गदराए जिस्म की याद आ गई..!! दोनों के बीच कोई तुलना ही नहीं थी.. एक रॉयल एनफील्ड बुलेट थी तो दूसरी फाइबर बॉडी वाली स्कूटी.. !! केवल उन्नीस-बीस साल की नाजुक, नादान और नासमझ लड़की के अल्पविकसित शरीर से अपने जिस्म को रगड़ते हुए मदन रोमांचित हो गया.. तमन्ना ने अब खुद ही अपने होंठों को मदन को होंठ पर रख दिया और उसके जीभ की गर्मी को अनुभवित करने लगी.. मदन काफी देर तक तमन्ना को नए नए तरीकों से चूमता गया.. और साथ ही साथ उसका ध्यान सामने वाले कॉटेज के दरवाजे पर भी था.. जहां उसकी धर्म-पत्नी दरवाजे के हेंडल को पकड़कर डॉगी स्टाइल में चूद रही थी.. मदन ने शीला को पीछे से चोद रहे उस आदमी की शक्ल देखने की बड़ी कोशिश की.. पर अंधेरे के कारण, कुछ नजर नहीं आ रहा था..
तमन्ना के अकड़ रहे शरीर को देखते ही मदन समझ गया की यह नादान लड़की केवल चुंबनों से ही संतुष्ट हो चुकी थी.. अब उसने रेणुका की तरफ देखा.. जहां अमित अब किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह गुदा-मैथुन का आनंद ले रहा था.. कुदरती क्रम के अनुसार अमित के नौसिखिये लंड ने रेणुका की गांड में अपना गरम गरम लावारस छोड़ दिया.. और रेणुका चिहुँक पड़ी "आह आह अमित.. बहोत गरम गरम लग रहा है पीछे, बेटा.. आह मज़ा आ गया"
करीब दस मिनट और गुजरी.. उस दौरान, शीला और उसका पार्टनर, चुदाई खतम कर.. अपने कपड़े पहन कर बाहर निकले.. मदन उन्हें देख रहा था.. रिलेक्स होकर अमित और तमन्ना ने अपने कपड़े पहन लिए थे और अपने निर्धारित स्थानों पर खड़े होकर ड्यूटी कर रहे थे.. पर अब उन दोनों के संबंध बदल चुके थे.. तमन्ना को अमित मे भैया के बदले सैयाँ नजर आने लगा था.. रेणुका ने भी अपनी शॉर्ट्स और पतला सा टॉप पहन लिया था.. मदन को तो कहाँ कुछ खास पहनना ही था.. !! उसने अपने बरमूडा ऊपर चढ़ा लिया.. और बेफिक्र होकर सिगरेट के कश लगाने लगा.. तभी अमित उसके लिए बियर लेकर आया
मदन: "रेणुका, शीला अभी गई.. हम भी उसके पीछे चलें?"
तमन्ना: "सर, आगे बड़े ग्राउंड पर बहोत सारे स्टॉल लगाए गए है.. शॉपिंग के लिए.. पूरी रात वहाँ आस-पास के टुरिस्ट आते है.. आप भी एक बार जाइए.. शायद कुछ पसंद आ जाए.. यहाँ ऐसी ऐसी चीजें मिलती है जो ओपन मार्केट में आपको कहीं नहीं मिलेगी"
रेणुका: "चल मदन हम भी चलते है.. मुझे पक्का यकीन है की शीला वहीं पर होगी.. "
मदन: "हाँ चल.. मुझे भी उस मादरचोद का चेहरा देखना है जो मेरी बीवी को खुलेआम घोड़ी बनाकर चोद रहा था" रेणुका का हाथ पकड़कर मदन ने अपने साथ लिया और दोनों उस ग्राउन्ड की तरह चल दीये..
रेणुका के स्तन उस पतले टॉप के अंदर, बिना ब्रा के सहारे.. झूल रहे थे.. मदन की कमर में हाथ डालकर दोनों ग्राउन्ड की तरफ जाने लगे..
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Jabardast update. Renuka aur sheela dono maje le rahi hain life ke.मदन: "रेणुका, शीला अभी गई.. हम भी उसके पीछे चलें?"
तमन्ना: "सर, आगे बड़े ग्राउंड पर बहोत सारे स्टॉल लगाए गए है.. शॉपिंग के लिए.. पूरी रात वहाँ आस-पास के टुरिस्ट आते है.. आप भी एक बार जाइए.. शायद कुछ पसंद आ जाए.. यहाँ ऐसी ऐसी चीजें मिलती है जो ओपन मार्केट में आपको कहीं नहीं मिलेगी"
रेणुका: "चल मदन हम भी चलते है.. मुझे पक्का यकीन है की शीला वहीं पर होगी.. "
मदन: "हाँ चल.. मुझे भी उस मादरचोद का चेहरा देखना है जो मेरी बीवी को खुलेआम घोड़ी बनाकर चोद रहा था" रेणुका का हाथ पकड़कर मदन ने अपने साथ लिया और दोनों उस ग्राउन्ड की तरह चल दीये..
रेणुका के स्तन उस पतले टॉप के अंदर, बिना ब्रा के सहारे.. झूल रहे थे.. मदन की कमर में हाथ डालकर दोनों ग्राउन्ड की तरफ जाने लगे..
रास्ते के मोड के पास.. एक बड़ा सा प्लॉट था.. जहां लाइन से स्टॉल लगे हुए थे.. और बड़ी बड़ी फ़्लड लाइट की रोशनी में.. ढेर सारे कपल्स..शॉपिंग का आनंद ले रहे थे.. तो कहीं कहीं जोड़े एक दूसरे के जिस्मों के साथ विकृत हरकतें भी कर रहे थे.. हाथ में बियर के टीन लिए.. शराब के ग्लास लिए.. सब मजे कर रहे थे.. एक स्टॉल पर हुक्का-बार था.. और वहाँ सब मिलकर धुआँ उड़ाते हुए ३१ दिसंबर को अलविदा कहने के लिए आतुर थे.. !! कहीं कोई शराब पी रहा था तो कोई गांजे के कश लगाकर झूम रहा था..
रेणुका के हाथ में सिगरेट थी और मदन के हाथ में बियर की बोतल.. मदन की कमर पर हाथ लपेटे हुए रेणुका आराम से घूम रही थी.. कभी वो खुद सिगरेट का दम लगाती तो कभी मदन के होंठों पर रखकर उसे कश लगाने देती..
दोनों उस छोटे से बाजार में घूमने लगे.. दो सौ के करीब लोग होंगे.. ठंड के बावजूद.. लड़कियां और औरतें न्यूनतम कपड़े पहनकर अपने जिस्म की नुमाइश कर आजादी का आनंद उठा रही थी..
आखिर दोनों ने शीला को पीछे से देखा.. शीला के भारी भरकम चूतड़ों से ही मदन ने उसे पहचाल लीया.. पर वो अकेली क्यों खड़ी थी?? उसका वो आशिक कहाँ गया??
रेणुका: "मदन डार्लिंग, चल हम वहाँ चलते है.. शीला वहाँ है तो उसका वो लंड भी यही कहीं लटक रहा होगा"
मदन: "हाँ, चल वहीं चलते है"
दोनों भीड़ मे छुपते-छुपाते धीरे धीरे उस स्टॉल के करीब जाकर खड़े हो गए जहां शीला खड़ी थी.. मदन की नजर बेसब्री से शीला के आशिक को तलाश रही थी.. उस चक्कर में.. आसपास की अर्ध-नग्न सुंदरियों के जिस्म का आनंद लेने का भी उसे मन नहीं हो रहा था..
"राज डार्लिंग.. !!" शीला ने आवाज लगाई
रेणुका और मदन को वह स्पष्ट सुनाई दिया.. और तभी एक दुकान के पास से आवाज आई "यस डार्लिंग.. आया.. मैं हल्का होकर अभी आया"
"ओके डीयर.. " शीला ने जवाब दिया..
उस पुरुष की आवाज और बोलने के लहजे ने मदन और रेणुका की 90% जिज्ञासा को वहीं खतम कर दिया.. दोनों ने ताज्जुब से एक दूसरे की तरफ देखा.. दोनों की नजरें आपस मे टकराई.. रेणुका मुस्कुराई.. मदन के सवाल का वह जवाब ही था.. पर मदन अब भी थोड़ा सा व्याकुल था..
वो थोड़ा आगे बढ़ा.. और एक पेड़ के तने के पीछे छुपकर मर्दों के टॉइलेट की तरफ देखने लगा.. डब्बे जैसे अस्थायी टॉइलेट से निकले शख्स की शक्ल देखकर दंग रह गया मदन.. वो राजेश ही था..!!!! रेणुका का पति और मदन का दोस्त.. !!!
कुछ पल तक स्तब्ध रहने के बाद.. जैसे ही मदन सोचता गया.. उतना ही रोमांचित होता गया.. थोड़ी देर पहले का जो गुस्सा और ईर्ष्या के भाव थे.. वो अब ओजल हो चुके थे.. और अपनी पार्टनर बदलने की विकृत इच्छा को परोक्ष रूप से पूर्ण होता देख, वह एक अकथित सा आनंद महसूस कर रहा था..
मदन चलते हुए रेणुका के पास आया.. और उसके कंधों पर हाथ रखकर अपनी ओर ऐसे खींच लिया जैसे वो उसकी आधिकारिक पत्नी हो.. और उसी तरह वो राजेश-शीला के सामने पेश आना चाहते थे.. रेणुका को कोई हर्ज नहीं था क्योंकि उसका खुद का पति ही परस्त्री के साथ रंगरेलियाँ मना रहा था..
रात के साढ़े ग्यारह बज गए थे और ३१ दिसंबर खत्म होने को थी.. सारा माहोल अपने सुरूर पर था.. लोग नशे मे चूर होकर डी.जे. के ताल पर झूम रहे थे.. लड़कियां अपने अंग उछलते हुए ऐसे नाच रही थी जैसे बारह बजे दुनिया का नाश हो जाने वाला हो.. और यह उनकी आखिरी पार्टी हो.. !!!
शराब की बौछारों और सिगरेट की धुएं के बीच जवानी मदहोश होकर नाच रही थी.. पर इन तमाम लोगों मे दो जोड़ें ऐसे थे जिनके लिए आज की रात कुछ ज्यादा ही खास थी.. !! उन्हें कुछ ऐसा हासिल हुआ था जो अक्सर लोग चाहकर भी नहीं पा सकते...
पार्टनर स्वेपिंग... यौन-साथी/पति या पत्नी की दो जोड़ों के बीच अदलाबदली... !!!
विकृत पर बेहद उत्तेजना प्रदान करने वाला साहस.. !! जिसे करने के लिए.. सामाजिक बंधनों को तोड़ने की हिम्मत चाहिए.. और साथ ही साथ अपने साथी को गैर की बाहों मे देख पाने की ताकत भी होनी चाहिए.. वही लोग इस साहस को अंजाम दे पाते है.. !!
दोनों जोड़ें अपने नए अंदाज मे.. एक दूसरे के सामने प्रकट होने वाले थे..!! रेणुका ने मदन के कान मे कुछ कहा और वह सुनकर मदन ने हंसकर रेणुका के गालों पर हल्की सी पप्पी दे दी.. बियर का घूंट मारते हुए मदन सीधे वहाँ जाकर खड़ा हुआ जहां राजेश और शीला खड़े खड़े शॉपिंग कर रहे थे.. !!!
बोलते वक्त लहराती और चलते वक्त ठोकरे खा रही शीला को देखकर ही मदन समझ गया की आज उसकी पत्नी सारी सीमाएं पार कर चुकी थी.. भयंकर मात्रा मे शराब पी रखी थी शीला ने जो देखकर ही प्रतीत हो रहा था
रेणुका और मदन, शीला-राजेश के एकदम बगल मे ही खड़े थे पर अब भी शीला या राजेश का ध्यान उन दोनों पर नहीं गया था
रेणुका: "डार्लिंग, मुझे वो बेल्ट पसंद आ गया.. मेरे लिए खरीद लोगे, प्लीज??"
रेणुका की आवाज सुनते ही, चोंककर शीला और राजेश ने रेणुका की ओर देखा.. पर रेणुका ने शीला या राजेश की तरफ देखा ही नहीं.. और मदन को अपनी तरफ खींचकर उससे चिपकते हुए.. स्टॉल मे लगे कपड़े दिखाती रही
मदन: "अरे मेरी जान.. तेरे पास कितने सारे बेल्ट है फिर भी तुझे नया बेल्ट चाहिए.. !! ओके, ले लेता हूँ.. अब खुश.. !!"
रेणुका: "ओह.. यू आर सच ए स्वीटहार्ट.. आई लव यू डार्लिंग"
मदन: "आई लव यू टू, जानेमन.. !!"
शीला और राजेश स्तब्ध होकर उन दोनों को देखते रहे.. !! और वही तो यह दोनों चाहते थे.. उन्हें झटका देना.. !!! नशे मे धूत शीला को पता ही नहीं था की उसने फोन पर इस रिसॉर्ट का नाम रेणुका को बता दिया था.. !!! वो तो ईसी असमंजस में थी की रेणुका और मदन आखिर यहाँ पहुंचे कैसे??
अब राजेश और शीला ने एक दूसरे के सामने देखा.. और मन ही मन समझ गए.. की कोई किसी को कुछ भी कहने की परिस्थिति मे नहीं था.. इस हमाम मे सब नंगे थे.. इसलिए शीला ने भी रेणुका और मदन के सामने बगैर देखे बातें करना जारी रखा
शीला: "राज डार्लिंग.. आज तो मज़ा आ गया.. ज़िंदगी मे ऐसा मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया.. तूने आज इतने जबरदस्त स्ट्रोक्स लगाए की अब तक उसका नशा नीचे मेरे छेद पर छाया हुआ है.. सचमुच.. तुम वाकई एक जानदार मर्द हो.. आज से मैं तुम्हारी ग़ुलाम हो गई..!!"
रेणुका: "मदन.. जानु, चलो यहाँ से.. शायद कुछ बाजारू रंडियाँ पार्टी मे आ गई है.. कहीं तुम्हें चुरा न ले.. तुम्हें सतर्क रहना चाहिए.. देखो, वो शॉप है वहाँ चलते है.. और वहाँ एक रेस्टोरेंट भी है.. भूख भी लगी है.. चलो कुछ खाते है"
मदन: "ओह स्योर डार्लिंग.. चलो.. वैसे तुमने आज मुझे इतना थका दिया है की मुझे भी ज़ोरों की भूख लगी है"
रेणुका: "हाँ.. आज रोज के मुकाबले कुछ ज्यादा ही खा लेना क्योंकि आज तो मैं तुम्हारी छुट्टी कर देने वाली हूँ.. बहोत काम बाकी है अभी"
दोनों चलते चलते उस रेस्टोरेंट मे घुसे और एक टेबल पर जा बैठें.. राजेश और शीला भी उनके पीछे पीछे आ गए और बगल वाले टेबल पर बैठ गए.. अब भी दोनों जोड़ें आपस मे बात नहीं कर रहे थे.. रेस्टोरेंट मे काफी अंधेरा था.. मदन ने तीरछी नज़रों से देखा.. शीला राजेश की शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसके लंड से खेल रही थी.. और राजेश खुलेआम शीला के बबले दबा रहा था..
यह देखकर रेणुका ने अपना टॉप उठाकर एक स्तन को बाहर निकाला और मदन को चूसने के लिए कहा..
रेणुका: "आह्ह यार.. बड़े टाइट हो गए है.. जरा चूस कर उन्हें ढीला कर दो.. कितने दिन हो गए किसी ने दबाए ही नहीं ठीक से इन्हें"
मदन: "क्यों, तेरा हसबंड नहीं दबाता तेरा??"
रेणुका: "वो दबाता तो तुम से क्यों दबवाने पड़ते मुझे.. !! अब उस निकम्मे को याद कर मेरा मूड मत खराब करो.. और चूसना शुरू करो"
मदन: "ओके डार्लिंग.. तुम समोसे खाओ.. तब तक मैं तुम्हारा दूध चूसकर तरोताजा हो जाता हूँ"
राजेश की नज़रों के सामने ही मदन रेणुका का स्तन पकड़कर चूसने लगा.. उन्हें दिखाने के लिए.. शीला अब टेबल से नीचे झुकी और राजेश का लंड शॉर्ट्स के बाहर निकालकर चूसने लगी.. दोनों कपल्स आपसी नोंक-झोंक का मज़ा ले रहे थे.. !!
अचानक पूरे रिसॉर्ट मे अंधेरा छा गया.. डीजे की तेज आवाज बंद हो गई.. घनघोर जंगल के बीच बना यह प्राइवेट रिसॉर्ट कुछ समय के लिए सन्नाटे से भर गया.. फिर लोगों की घबराहट भरी अफरातफरी की आवाज़ें आने लगी.. लोग अपने साथियों को ढूँढने के लिए आवाज लगाने लगे.. एकदम से क्या हो गया?? लगता है पावर-कट हुआ था..
फिर से अचानक लाइट आ गई.. लेसर की लाइटें आसमान मे अपना जलवा बिखेरने लगी.. और आतशबाजी के धमाकों से सारे माहोल गूंजने लगा.. तब पता चला की १२ बज चुके थे और नए साल के स्वागत के लिए लाइट बंद की गई थी.. फिर से डीजे की कान फाड़ देने वाली ध्वनि से माहोल थिरकने लगा.. लोग नाचने लगे.. मस्ती से चिल्लाने लगे.. कही शेंपेईन की बोतलें खुली तो कही लोग कपल डांस करने लगे..
अब शीला राजेश के साथ और मदन रेणुका के साथ ठुमकने लगा.. एक दूसरे को जलाने की जैसे होड सी लग चुकी थी दोनों जोड़े मे.. राजेश शीला के बबलों पर आफ़रीन था तो रेणुका मदन के लोड़े की आशिक थी.. डांस के दौरान उनकी बेशर्म हरकतों को अब आसपास के लोग भी देख रहे थे.. और सारे लोग चिल्लाकर शीला को अपने बबले खोलने के लिए उकसा रहे थे.. नशे मे नाच रही शीला अपने शरीर को भी ठीक से संतुलित नहीं रख पा रही थी.. मदहोश होकर.. चिल्ला रहे लोगों की एक के बाद एक फरमाइशें पूरी करती जा रही थी..
अब डांस-फ्लोर पर कई लोग शीला के आसपास नाचते हुए पहुँच गए.. और टोली बनाकर वो सब शीला के जिस्म को नोच रहे थे.. कुछ नटखट लोगों ने शीला के बूब्स पर ही शेंपेईन और बियर गिराना शुरू कर दिया था.. शीला अब शराब से पूरी तरह भीग चुकी थी.. और थिरकते हुए नाचे जा रही थी..
गीले वस्त्रों वाली स्त्री वैसे भी बेहद कामुक लगती है.. ऊपर से उसमे शीला के गदराए मांसल शरीर का नशा भी जुड़ चुका था.. शराब और शबाब दोनों आपस मे मिल चुके थे.. शराब से भीगकर शीला के कपड़े उसके जिस्म पर चिपक गए थे.. नाचते नाचते जिसका जहां मन चाहता वहाँ शीला को छू रहा था.. लगभग तमाम लोग शीला के बदन को सारी गलत जगहों पर छु चुके थे.. मदन के सामने ही लोग उसकी पत्नी के बारे मे गंदी गंदी कमेंट्स कर रहे थे.. लेकिन मदन बेबस था.. क्योंकि फिलहाल शीला राजेश की पार्टनर थी..
राजेश बेफिक्र होकर शीला के इस मुक्त-व्यापार का मज़ा लेते हुए बियर पी रहा था.. यहाँ पब्लिक पर शीला के जिस्म का नशा चढ़ चुका था.. तमाम लोग शीला के बदन को दबाने और नोचने के लिए बेकरार थे.. शीला किसी को रोक नहीं रही थी और आराम से नशे मे धूत होकर म्यूज़िक के ताल पर नाचे जा रही थी..
यह सिलसिला एक घंटे तक चला.. एक बज चुका था.. डीजे का संगीत बंद हुआ.. और एक के बाद एक लोग लौटने लगे.. शराब का नशा इतना भारी हो गया था की शीला-राजेश और रेणुका-मदन भी लड़खड़ाते हुए अपने कॉटेज पर चले गए और सो गए
सुबह पाँच बजे राजेश और शीला चुपके से निकल गए.. !!
साढ़े पाँच बजे रेणुका की आँख खुली.. उसने जागकर देखा तो वह नंगे बदन मदन के बगल मे पड़ी हुई थी.. पिछली रात की बातें याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई.. उसकी नजर सो रहे मदन के लंड पर गई.. जो बेचारा रात के ओवर-टाइम के बाद लाश बनकर पड़ा हुआ था..
रेणुका ने बैठे बैठे अपने बालों को जोड़े मे बांधा.. और मदन के लोड़े को हल्के से सहलाया.. फिर झुककर उसे चूम लिया.. मन ही मन वह मदन के लंड का आभार प्रकट कर रही थी.. जीतने ऑर्गैज़म मदन के लंड ने दीये थे वो आज से पहले, एक रात मे, उसे कभी नहीं मिले थे..
हाथों की गर्मी और होंठों के स्पर्श से मदन और उसका का लंड अंगड़ाई लेकर जागने लगा..
मदन: "गुड मॉर्निंग हनी.. !!" कहते हुए मदन ने नंगी रेणुका की गोद मे अपना सर रख दिया.. रेणुका मदन की बालों भरी छाती मे अपनी उँगलियाँ फेरने लगी.. अपना चेहरा मदन के होंठों पर दबाते हुए उसने कहा "गुड मॉर्निंग.. मदन.. !! ३१ दिसंबर खत्म हो गई.. मुझे लगता है की अब हमें चलना चाहिए.. "
रेणुका के स्तनों के नरम स्पर्श से मदन का लंड नींद से जाग रहे सांप की तरह उठ चुका था.. पर अभी उसके फुँकारने पर ध्यान देने का समय नहीं था रेणुका के पास.. वह जल्दी से जल्दी घर पहुँच जाना चाहती थी
आधे घंटे मे मदन और रेणुका तैयार होकर निकल गए.. रास्ते मे शीला और राजेश के बारे मे बातें करते हुए दोनों कुछ घंटों मे अपने शहर पहुँच गए.. रेणुका ने मदन के घर से थोड़े दूर गाड़ी रोकी और मदन उतर गया
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयामदन: "रेणुका, शीला अभी गई.. हम भी उसके पीछे चलें?"
तमन्ना: "सर, आगे बड़े ग्राउंड पर बहोत सारे स्टॉल लगाए गए है.. शॉपिंग के लिए.. पूरी रात वहाँ आस-पास के टुरिस्ट आते है.. आप भी एक बार जाइए.. शायद कुछ पसंद आ जाए.. यहाँ ऐसी ऐसी चीजें मिलती है जो ओपन मार्केट में आपको कहीं नहीं मिलेगी"
रेणुका: "चल मदन हम भी चलते है.. मुझे पक्का यकीन है की शीला वहीं पर होगी.. "
मदन: "हाँ चल.. मुझे भी उस मादरचोद का चेहरा देखना है जो मेरी बीवी को खुलेआम घोड़ी बनाकर चोद रहा था" रेणुका का हाथ पकड़कर मदन ने अपने साथ लिया और दोनों उस ग्राउन्ड की तरह चल दीये..
रेणुका के स्तन उस पतले टॉप के अंदर, बिना ब्रा के सहारे.. झूल रहे थे.. मदन की कमर में हाथ डालकर दोनों ग्राउन्ड की तरफ जाने लगे..
रास्ते के मोड के पास.. एक बड़ा सा प्लॉट था.. जहां लाइन से स्टॉल लगे हुए थे.. और बड़ी बड़ी फ़्लड लाइट की रोशनी में.. ढेर सारे कपल्स..शॉपिंग का आनंद ले रहे थे.. तो कहीं कहीं जोड़े एक दूसरे के जिस्मों के साथ विकृत हरकतें भी कर रहे थे.. हाथ में बियर के टीन लिए.. शराब के ग्लास लिए.. सब मजे कर रहे थे.. एक स्टॉल पर हुक्का-बार था.. और वहाँ सब मिलकर धुआँ उड़ाते हुए ३१ दिसंबर को अलविदा कहने के लिए आतुर थे.. !! कहीं कोई शराब पी रहा था तो कोई गांजे के कश लगाकर झूम रहा था..
रेणुका के हाथ में सिगरेट थी और मदन के हाथ में बियर की बोतल.. मदन की कमर पर हाथ लपेटे हुए रेणुका आराम से घूम रही थी.. कभी वो खुद सिगरेट का दम लगाती तो कभी मदन के होंठों पर रखकर उसे कश लगाने देती..
दोनों उस छोटे से बाजार में घूमने लगे.. दो सौ के करीब लोग होंगे.. ठंड के बावजूद.. लड़कियां और औरतें न्यूनतम कपड़े पहनकर अपने जिस्म की नुमाइश कर आजादी का आनंद उठा रही थी..
आखिर दोनों ने शीला को पीछे से देखा.. शीला के भारी भरकम चूतड़ों से ही मदन ने उसे पहचाल लीया.. पर वो अकेली क्यों खड़ी थी?? उसका वो आशिक कहाँ गया??
रेणुका: "मदन डार्लिंग, चल हम वहाँ चलते है.. शीला वहाँ है तो उसका वो लंड भी यही कहीं लटक रहा होगा"
मदन: "हाँ, चल वहीं चलते है"
दोनों भीड़ मे छुपते-छुपाते धीरे धीरे उस स्टॉल के करीब जाकर खड़े हो गए जहां शीला खड़ी थी.. मदन की नजर बेसब्री से शीला के आशिक को तलाश रही थी.. उस चक्कर में.. आसपास की अर्ध-नग्न सुंदरियों के जिस्म का आनंद लेने का भी उसे मन नहीं हो रहा था..
"राज डार्लिंग.. !!" शीला ने आवाज लगाई
रेणुका और मदन को वह स्पष्ट सुनाई दिया.. और तभी एक दुकान के पास से आवाज आई "यस डार्लिंग.. आया.. मैं हल्का होकर अभी आया"
"ओके डीयर.. " शीला ने जवाब दिया..
उस पुरुष की आवाज और बोलने के लहजे ने मदन और रेणुका की 90% जिज्ञासा को वहीं खतम कर दिया.. दोनों ने ताज्जुब से एक दूसरे की तरफ देखा.. दोनों की नजरें आपस मे टकराई.. रेणुका मुस्कुराई.. मदन के सवाल का वह जवाब ही था.. पर मदन अब भी थोड़ा सा व्याकुल था..
वो थोड़ा आगे बढ़ा.. और एक पेड़ के तने के पीछे छुपकर मर्दों के टॉइलेट की तरफ देखने लगा.. डब्बे जैसे अस्थायी टॉइलेट से निकले शख्स की शक्ल देखकर दंग रह गया मदन.. वो राजेश ही था..!!!! रेणुका का पति और मदन का दोस्त.. !!!
कुछ पल तक स्तब्ध रहने के बाद.. जैसे ही मदन सोचता गया.. उतना ही रोमांचित होता गया.. थोड़ी देर पहले का जो गुस्सा और ईर्ष्या के भाव थे.. वो अब ओजल हो चुके थे.. और अपनी पार्टनर बदलने की विकृत इच्छा को परोक्ष रूप से पूर्ण होता देख, वह एक अकथित सा आनंद महसूस कर रहा था..
मदन चलते हुए रेणुका के पास आया.. और उसके कंधों पर हाथ रखकर अपनी ओर ऐसे खींच लिया जैसे वो उसकी आधिकारिक पत्नी हो.. और उसी तरह वो राजेश-शीला के सामने पेश आना चाहते थे.. रेणुका को कोई हर्ज नहीं था क्योंकि उसका खुद का पति ही परस्त्री के साथ रंगरेलियाँ मना रहा था..
रात के साढ़े ग्यारह बज गए थे और ३१ दिसंबर खत्म होने को थी.. सारा माहोल अपने सुरूर पर था.. लोग नशे मे चूर होकर डी.जे. के ताल पर झूम रहे थे.. लड़कियां अपने अंग उछलते हुए ऐसे नाच रही थी जैसे बारह बजे दुनिया का नाश हो जाने वाला हो.. और यह उनकी आखिरी पार्टी हो.. !!!
शराब की बौछारों और सिगरेट की धुएं के बीच जवानी मदहोश होकर नाच रही थी.. पर इन तमाम लोगों मे दो जोड़ें ऐसे थे जिनके लिए आज की रात कुछ ज्यादा ही खास थी.. !! उन्हें कुछ ऐसा हासिल हुआ था जो अक्सर लोग चाहकर भी नहीं पा सकते...
पार्टनर स्वेपिंग... यौन-साथी/पति या पत्नी की दो जोड़ों के बीच अदलाबदली... !!!
विकृत पर बेहद उत्तेजना प्रदान करने वाला साहस.. !! जिसे करने के लिए.. सामाजिक बंधनों को तोड़ने की हिम्मत चाहिए.. और साथ ही साथ अपने साथी को गैर की बाहों मे देख पाने की ताकत भी होनी चाहिए.. वही लोग इस साहस को अंजाम दे पाते है.. !!
दोनों जोड़ें अपने नए अंदाज मे.. एक दूसरे के सामने प्रकट होने वाले थे..!! रेणुका ने मदन के कान मे कुछ कहा और वह सुनकर मदन ने हंसकर रेणुका के गालों पर हल्की सी पप्पी दे दी.. बियर का घूंट मारते हुए मदन सीधे वहाँ जाकर खड़ा हुआ जहां राजेश और शीला खड़े खड़े शॉपिंग कर रहे थे.. !!!
बोलते वक्त लहराती और चलते वक्त ठोकरे खा रही शीला को देखकर ही मदन समझ गया की आज उसकी पत्नी सारी सीमाएं पार कर चुकी थी.. भयंकर मात्रा मे शराब पी रखी थी शीला ने जो देखकर ही प्रतीत हो रहा था
रेणुका और मदन, शीला-राजेश के एकदम बगल मे ही खड़े थे पर अब भी शीला या राजेश का ध्यान उन दोनों पर नहीं गया था
रेणुका: "डार्लिंग, मुझे वो बेल्ट पसंद आ गया.. मेरे लिए खरीद लोगे, प्लीज??"
रेणुका की आवाज सुनते ही, चोंककर शीला और राजेश ने रेणुका की ओर देखा.. पर रेणुका ने शीला या राजेश की तरफ देखा ही नहीं.. और मदन को अपनी तरफ खींचकर उससे चिपकते हुए.. स्टॉल मे लगे कपड़े दिखाती रही
मदन: "अरे मेरी जान.. तेरे पास कितने सारे बेल्ट है फिर भी तुझे नया बेल्ट चाहिए.. !! ओके, ले लेता हूँ.. अब खुश.. !!"
रेणुका: "ओह.. यू आर सच ए स्वीटहार्ट.. आई लव यू डार्लिंग"
मदन: "आई लव यू टू, जानेमन.. !!"
शीला और राजेश स्तब्ध होकर उन दोनों को देखते रहे.. !! और वही तो यह दोनों चाहते थे.. उन्हें झटका देना.. !!! नशे मे धूत शीला को पता ही नहीं था की उसने फोन पर इस रिसॉर्ट का नाम रेणुका को बता दिया था.. !!! वो तो ईसी असमंजस में थी की रेणुका और मदन आखिर यहाँ पहुंचे कैसे??
अब राजेश और शीला ने एक दूसरे के सामने देखा.. और मन ही मन समझ गए.. की कोई किसी को कुछ भी कहने की परिस्थिति मे नहीं था.. इस हमाम मे सब नंगे थे.. इसलिए शीला ने भी रेणुका और मदन के सामने बगैर देखे बातें करना जारी रखा
शीला: "राज डार्लिंग.. आज तो मज़ा आ गया.. ज़िंदगी मे ऐसा मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया.. तूने आज इतने जबरदस्त स्ट्रोक्स लगाए की अब तक उसका नशा नीचे मेरे छेद पर छाया हुआ है.. सचमुच.. तुम वाकई एक जानदार मर्द हो.. आज से मैं तुम्हारी ग़ुलाम हो गई..!!"
रेणुका: "मदन.. जानु, चलो यहाँ से.. शायद कुछ बाजारू रंडियाँ पार्टी मे आ गई है.. कहीं तुम्हें चुरा न ले.. तुम्हें सतर्क रहना चाहिए.. देखो, वो शॉप है वहाँ चलते है.. और वहाँ एक रेस्टोरेंट भी है.. भूख भी लगी है.. चलो कुछ खाते है"
मदन: "ओह स्योर डार्लिंग.. चलो.. वैसे तुमने आज मुझे इतना थका दिया है की मुझे भी ज़ोरों की भूख लगी है"
रेणुका: "हाँ.. आज रोज के मुकाबले कुछ ज्यादा ही खा लेना क्योंकि आज तो मैं तुम्हारी छुट्टी कर देने वाली हूँ.. बहोत काम बाकी है अभी"
दोनों चलते चलते उस रेस्टोरेंट मे घुसे और एक टेबल पर जा बैठें.. राजेश और शीला भी उनके पीछे पीछे आ गए और बगल वाले टेबल पर बैठ गए.. अब भी दोनों जोड़ें आपस मे बात नहीं कर रहे थे.. रेस्टोरेंट मे काफी अंधेरा था.. मदन ने तीरछी नज़रों से देखा.. शीला राजेश की शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसके लंड से खेल रही थी.. और राजेश खुलेआम शीला के बबले दबा रहा था..
यह देखकर रेणुका ने अपना टॉप उठाकर एक स्तन को बाहर निकाला और मदन को चूसने के लिए कहा..
रेणुका: "आह्ह यार.. बड़े टाइट हो गए है.. जरा चूस कर उन्हें ढीला कर दो.. कितने दिन हो गए किसी ने दबाए ही नहीं ठीक से इन्हें"
मदन: "क्यों, तेरा हसबंड नहीं दबाता तेरा??"
रेणुका: "वो दबाता तो तुम से क्यों दबवाने पड़ते मुझे.. !! अब उस निकम्मे को याद कर मेरा मूड मत खराब करो.. और चूसना शुरू करो"
मदन: "ओके डार्लिंग.. तुम समोसे खाओ.. तब तक मैं तुम्हारा दूध चूसकर तरोताजा हो जाता हूँ"
राजेश की नज़रों के सामने ही मदन रेणुका का स्तन पकड़कर चूसने लगा.. उन्हें दिखाने के लिए.. शीला अब टेबल से नीचे झुकी और राजेश का लंड शॉर्ट्स के बाहर निकालकर चूसने लगी.. दोनों कपल्स आपसी नोंक-झोंक का मज़ा ले रहे थे.. !!
अचानक पूरे रिसॉर्ट मे अंधेरा छा गया.. डीजे की तेज आवाज बंद हो गई.. घनघोर जंगल के बीच बना यह प्राइवेट रिसॉर्ट कुछ समय के लिए सन्नाटे से भर गया.. फिर लोगों की घबराहट भरी अफरातफरी की आवाज़ें आने लगी.. लोग अपने साथियों को ढूँढने के लिए आवाज लगाने लगे.. एकदम से क्या हो गया?? लगता है पावर-कट हुआ था..
फिर से अचानक लाइट आ गई.. लेसर की लाइटें आसमान मे अपना जलवा बिखेरने लगी.. और आतशबाजी के धमाकों से सारे माहोल गूंजने लगा.. तब पता चला की १२ बज चुके थे और नए साल के स्वागत के लिए लाइट बंद की गई थी.. फिर से डीजे की कान फाड़ देने वाली ध्वनि से माहोल थिरकने लगा.. लोग नाचने लगे.. मस्ती से चिल्लाने लगे.. कही शेंपेईन की बोतलें खुली तो कही लोग कपल डांस करने लगे..
अब शीला राजेश के साथ और मदन रेणुका के साथ ठुमकने लगा.. एक दूसरे को जलाने की जैसे होड सी लग चुकी थी दोनों जोड़े मे.. राजेश शीला के बबलों पर आफ़रीन था तो रेणुका मदन के लोड़े की आशिक थी.. डांस के दौरान उनकी बेशर्म हरकतों को अब आसपास के लोग भी देख रहे थे.. और सारे लोग चिल्लाकर शीला को अपने बबले खोलने के लिए उकसा रहे थे.. नशे मे नाच रही शीला अपने शरीर को भी ठीक से संतुलित नहीं रख पा रही थी.. मदहोश होकर.. चिल्ला रहे लोगों की एक के बाद एक फरमाइशें पूरी करती जा रही थी..
अब डांस-फ्लोर पर कई लोग शीला के आसपास नाचते हुए पहुँच गए.. और टोली बनाकर वो सब शीला के जिस्म को नोच रहे थे.. कुछ नटखट लोगों ने शीला के बूब्स पर ही शेंपेईन और बियर गिराना शुरू कर दिया था.. शीला अब शराब से पूरी तरह भीग चुकी थी.. और थिरकते हुए नाचे जा रही थी..
गीले वस्त्रों वाली स्त्री वैसे भी बेहद कामुक लगती है.. ऊपर से उसमे शीला के गदराए मांसल शरीर का नशा भी जुड़ चुका था.. शराब और शबाब दोनों आपस मे मिल चुके थे.. शराब से भीगकर शीला के कपड़े उसके जिस्म पर चिपक गए थे.. नाचते नाचते जिसका जहां मन चाहता वहाँ शीला को छू रहा था.. लगभग तमाम लोग शीला के बदन को सारी गलत जगहों पर छु चुके थे.. मदन के सामने ही लोग उसकी पत्नी के बारे मे गंदी गंदी कमेंट्स कर रहे थे.. लेकिन मदन बेबस था.. क्योंकि फिलहाल शीला राजेश की पार्टनर थी..
राजेश बेफिक्र होकर शीला के इस मुक्त-व्यापार का मज़ा लेते हुए बियर पी रहा था.. यहाँ पब्लिक पर शीला के जिस्म का नशा चढ़ चुका था.. तमाम लोग शीला के बदन को दबाने और नोचने के लिए बेकरार थे.. शीला किसी को रोक नहीं रही थी और आराम से नशे मे धूत होकर म्यूज़िक के ताल पर नाचे जा रही थी..
यह सिलसिला एक घंटे तक चला.. एक बज चुका था.. डीजे का संगीत बंद हुआ.. और एक के बाद एक लोग लौटने लगे.. शराब का नशा इतना भारी हो गया था की शीला-राजेश और रेणुका-मदन भी लड़खड़ाते हुए अपने कॉटेज पर चले गए और सो गए
सुबह पाँच बजे राजेश और शीला चुपके से निकल गए.. !!
साढ़े पाँच बजे रेणुका की आँख खुली.. उसने जागकर देखा तो वह नंगे बदन मदन के बगल मे पड़ी हुई थी.. पिछली रात की बातें याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई.. उसकी नजर सो रहे मदन के लंड पर गई.. जो बेचारा रात के ओवर-टाइम के बाद लाश बनकर पड़ा हुआ था..
रेणुका ने बैठे बैठे अपने बालों को जोड़े मे बांधा.. और मदन के लोड़े को हल्के से सहलाया.. फिर झुककर उसे चूम लिया.. मन ही मन वह मदन के लंड का आभार प्रकट कर रही थी.. जीतने ऑर्गैज़म मदन के लंड ने दीये थे वो आज से पहले, एक रात मे, उसे कभी नहीं मिले थे..
हाथों की गर्मी और होंठों के स्पर्श से मदन और उसका का लंड अंगड़ाई लेकर जागने लगा..
मदन: "गुड मॉर्निंग हनी.. !!" कहते हुए मदन ने नंगी रेणुका की गोद मे अपना सर रख दिया.. रेणुका मदन की बालों भरी छाती मे अपनी उँगलियाँ फेरने लगी.. अपना चेहरा मदन के होंठों पर दबाते हुए उसने कहा "गुड मॉर्निंग.. मदन.. !! ३१ दिसंबर खत्म हो गई.. मुझे लगता है की अब हमें चलना चाहिए.. "
रेणुका के स्तनों के नरम स्पर्श से मदन का लंड नींद से जाग रहे सांप की तरह उठ चुका था.. पर अभी उसके फुँकारने पर ध्यान देने का समय नहीं था रेणुका के पास.. वह जल्दी से जल्दी घर पहुँच जाना चाहती थी
आधे घंटे मे मदन और रेणुका तैयार होकर निकल गए.. रास्ते मे शीला और राजेश के बारे मे बातें करते हुए दोनों कुछ घंटों मे अपने शहर पहुँच गए.. रेणुका ने मदन के घर से थोड़े दूर गाड़ी रोकी और मदन उतर गया
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