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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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:congrats: dear for 300 pages of the story
 

vakharia

Supreme
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डेस्टिनेशन वेडिंग के जलवे

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welneo

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Story updated

Napster Ajju Landwalia Rajizexy Smith_15 krish1152 Rocky9i crucer97 Gauravv liverpool244 urc4me SKYESH sunoanuj Sanjay dham normal_boy Raja1239 Haseena Khan CuriousOne sab ka pyra Raj dulara 8cool9 Dharmendra Kumar Patel surekha1986 CHAVDAKARUNA Delta101 rahul 23 SONU69@INDORE randibaaz chora Rahul Chauhan DEVIL MAXIMUM Pras3232 Baadshahkhan1111 pussylover1 Ek number Pk8566 Premkumar65 @Baribar Raja thakur Iron Man DINNA Rajpoot MS Hardwrick22 Raj3465 Rohitjony Dirty_mind Nikunjbaba @brij728 Rajesh Sarhadi ROB177A Raja1239 Tri2010 rhyme_boy Sanju@ Sauravb Bittoo raghw249 Coolraj839 Jassybabra rtnalkumar avi345 Nileshmckn kamdev99008 SANJU ( V. R. ) Neha tyagi Rishiii Aeron Boy Bhatakta Rahi 1234 kasi_babu Sutradhar dangerlund Arjun125 Gentleman Radha Shama nb836868 Monster Dick Rajgoa anitarani Jlodhi35 Raj_sharma Mukesh singh Pradeep paswan अंजुम Loveforyou Neelamptjoshi sandy1684 Royal boy034 mastmast123 Rajsingh Kahal Mr. Unique Vikas@170 DB Singh trick1w Vincenzo rahulg123 Lord haram Rishi_J flyingsara messyroy SKY is black Ayhina Pooja Vaishnav moms_bachha himansh Kamini sucksena Jay1990 rkv66 Ek number Hot&sexyboy Ben Tennyson Jay1990 sunitasbs 111ramjain Rocky9i krish1152 U.and.me archana sexy Gauravv vishali robby1611 Amisha2 Tiger 786 rahul198848 Sing is king 42 Tri2010 ellysperry Raja1239 macssm Slut Queen Anjali Ragini Ragini Karim Saheb rrpr Ayesha952 sameer26.shah26 rahuliscool smash001 rajeev13 Luv69 kingkhankar arushi_dayal rangeeladesi Mastmalang 695 Rumana001 rangeeladesi sushilk Rishiii satya18 Rowdy Pandu1990 small babe CHETANSONI sonukm Bulbul_Rani shameless26 Lover ❤️ NehaRani9 Random2022 officer Rashmi Hector_789
Very nice story update. U r really extremely good in writing. Please send sheela to some village for few days to attend marriage of daughter of her relative. There she will demand some good penis from mother of daughter getting marrried. And mother offers her hidden partner to sheela. Then sheela asks that hidden partner to do nice enjoyment in sugarcane field in night while others are attending marrriage.
 

welneo

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डेस्टिनेशन वेडिंग के जलवे

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Very nice and erotic photos. From where you get these or do you make themselves using AI.
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vakharia

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
वैशाली के बारें सुन कर उदास पियुष ऑफिस में आकर राजेश को उसकी हालत के बारें में बताया तो सभी हैरान हो गये और उसकी सलामती की प्रार्थना करने लगे
ऑफिस के बाद घर आये पियुष को वैशाली की सलामती के बारें पता चला तो उसने वैशाली से फोन पर बात करने अपनी उदासी को झटक दिया वैसे मदन और शीला वैशाली को कल लेकर आ रहें हैं
रात को शीला के घर पियुष और कविता सोने गये और मदन के लॅपटॉप में मदन और अंग्रेजन की चुदाई की विडीओ देखकर खुद भी उत्तेजित हो कर दमदार चुदाई कर डाली
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks a lot bhai ♥️
 

Random2022

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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..

फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..

फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं

अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..

थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..

फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..

हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..

फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..

ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..

एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..

चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..

उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई
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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!

मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!


शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..

शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..

वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया

मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!

मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..

शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..

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sheela agar ese hi uksati rahi to pani sir se upar chala jayega or rishto me khatas aa jayegi.
 

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मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई

दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..

रसिक: "शीला भाभी ने फोन कर मुझे बुलाया है.. कहाँ है भाभी?"

रसिक के कसे हुए मजबूत शरीर को पल भर के लिए रेणुका देखती ही रह गई.. !! काफी कोशिशों के बावजूद वह अपनी नजर को रसिक के लंड पर जाते हुए रोक नहीं पाई.. !!

रेणुका: "शीला तो घर पर नहीं है.. बाहर गई है"

तभी रसिक के पीछे से रूखी ने कहा "पर मदन भैया तो होंगे ना घर पर?"

मदन के सिखाए अनुसार रेणुका ने कहा "वो भी बाहर गए है.. शीला के साथ"

बेडरूम में बैठे बैठे अपने लंड को मसल रहे मदन ने जैसे ही रूखी की आवाज सुनी, वो दौड़कर बाहर ड्रॉइंग रूम में आ गया..

मदन: "अरे रसिक तुम?? आओ आओ.. और तुम बाहर क्यों खड़ी हो रूखी? अंदर आ जाओ.. "

रूखी अपने आँदामान निकोबार के केंद्रशासित प्रदेश जैसे बड़े बड़े स्तनों को पतली सी चुन्नी से ढँक कर घर के अंदर घुसी.. रसिक अभी भी बरामदे में खड़ा था..


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"अब अंदर आ भी जाओ.. तुम्हें अलग से न्योता दे क्या??" कतराते हुए रूखी ने रसिक से कहा

रसिक भी अंदर आ गया.. मदन की नजर अब रेणुका से हटकर रूखी पर चिपक गई थी.. तभी रेणुका की जांघों के बीच.. रसिक का राक्षस जैसा तगड़ा शरीर देखकर.. चुनचुनी होने लगी.. मन ही मन वो रसिक के गधे जैसे लंड की कल्पना करने लगी थी.. वो अब कैसे भी करके रसिक का रस लेना चाहती थी.. शीला ने रसिक की तारीफ के इतने पूल बाँधें थे.. रेणुका किसी भी तरह आज मिला चांस छोड़ना नहीं चाहती थी

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मदन को कंधे से खींचकर किचन में ले जाकर रेणुका ने कहा "मदन.. इस रसिक के साथ... न जाने कितनी रातें रंगीन की है शीला ने.. आज मुझे मौका मिला है.. हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. एक बार मुझे रसिक के साथ कर लेने दो.. फिर तुम जैसे चाहो वैसे मुझे रगड़ लेना.. !!"

रेणुका के दोनों स्तनों को अपने हाथों से मसलकर.. उसके होंठों की एक पप्पी लेकर मदन ने कहा "रेणु मेरी जान.. मैं भी रूखी के बदन का शहद चखने के लिए बेकरार हूँ.. एक काम करते है.. तू रूखी को मेरे लिए पटा.. मैं रसिक को तेरे लिए तैयार करता हूँ"

दोनों बाहर निकले.. रेणुका ने बाहर आते ही रसिक का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचकर शीला-मदन के बेडरूम में ले गई.. रूखी तो स्तब्ध होकर उसे देखती ही रही..

रेणुका ने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और रसिक से लिपट पड़ी.. और पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ लिया.. मोटी लौकी जैसा लंड हाथ में आते ही रेणुका पानी पानी हो गई

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रेणुका: "रसिक, तुझे शीला ने मेरे लिए ही यहाँ बुलाया है.. आज मुझे रगड़ दे.. तेरे मूसल जैसे लंड से चोदकर मेरे परखच्चे उड़ा दे.. ओह रसिक.. आज मुझे ऐसे खुश कर दे की एक महीने तक मैं चुदवाने के काबिल न रहूँ"

रसिक पहले तो झिझकता रहा.. पर जब खाना खुद चलकर सामने आया हो तो खाने वाले को क्या हर्ज होगा भला.. !! उसने रेणुका की पीठ पर अपना हाथ सहलाना शुरू कर दिया

"लेकिन रूखी.... !! उसे क्या कहूँगा मैं?"

तब तक तो रेणुका ने रसिक के पाजामे का नाड़ा खोलकर उसका पलंग-तोड़ लंड बाहर निकाल लिया था.. आहाहा.. देखकर रेणुका को धरती पर ही स्वर्ग नजर आ गया.. जैसा शीला ने वर्णन किया था बिल्कुल वैसा ही था.. बड़े टमाटर जैसा सुपाड़ा.. कलाई से भी मोटा.. और इतना लंबा.. उपर लगी काली काली नसें.. और टेनिस की गेंद जैसे दो अंडकोश.. !! मन ही मन वो शीला का आभार प्रकट करने लगी

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"रूखी अभी मदन भैया को दूध पीला रही होगी.. तू उसकी चिंता छोड़.. और ले.. मेरे बॉल दबा.. " कहते हुए रेणुका ने फटाफ़ट अपने ब्लाउज के सारे हुक खोलकर.. एक पल में ब्रा उतार दी.. दोनों मांसल स्तनों को हतप्रभ होकर देख रहे रसिक का चेहरा पकड़कर.. उसके स्तनों पर दबा दिया रेणुका ने.. छोटे बच्चे की तरह.. पच-पच आवाज़ें करते हुए रसिक उसकी निप्पल चूसने लगा.. !!

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शीला के घर में रेणुका और मदन..अलग अलग कमरों में.. भरी दोपहर में.. ३१ दिसंबर का आनंद ले रहे थे.. और वो भी अपने पसंदीदा पात्रों के साथ.. संयोग से ऐसा जबरदस्त सेटिंग हुआ था.. या फिर यूं कहिए की शीला ने सेटिंग किया था..

अभी एक घंटे पहले.. घर पर अकेले बैठे बैठे बोर हो रहे मदन ने.. रूखी को पूरी नंगी कर दिया था और बेड पर सुला दिया था.. पाँच-पाँच लीटर दूध भरे स्तनों की मालकिन रूखी.. लेटे लेटे मुस्कुरा रही थी.. उसके दोनों भारी स्तन दोनों तरफ ढल गए थे..

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मदन बस टूट पड़ा रूखी के दूध भरे मटके जैसे स्तनों पर.. !! उसे याद आ गया अमरीका में गुजारा वो वक्त.. जब वो मेरी के स्तनों को ऐसे ही चूसकर दूध पीता था.. !! तब से लेकर आज तक.. वैसा मौका नसीब ही नहीं हुआ था..

रूखी के मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों में.. जितना हो सकें भरकर मसलने की कोशिश कर रहा था... रूखी के तड़बुच जैसे स्तनों के सामने मदन ऐसे देख रहा था जैसे छोटा सा बच्चा हाथी को देखकर आश्चर्य चकित खड़ा हो.. !!

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"रूखी, इतने बड़े बड़े बबलों का वज़न नहीं लगता तुझे?" निप्पल को चूसते हुए मदन ने रूखी से पूछा

सुनकर रूखी हंस पड़ी.. मदन के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली "अपने ही शरीर का थोड़े ही वज़न लगता है कभी..?? कभी गधे को अपने लंड का वज़न लगता है क्या.. !!! आह्ह... जरा धीरे धीरे मसलिए साहब.. और थोड़ा नीचे भी रगड़िए मुझे.. बहुत दिन हो गए.. वो जीवा भी आजकल नजर नहीं आता"

मदन: "कौन जीवा?"

रूखी: "हैं एक दोस्त मेरा.. "

मदन: "तो क्या तुम उससे चुदवाती हो??"

मदन ने थोड़ा सा नीचे जाकर रूखी की चूत को चाटते ही.. रूखी ने अपने चूतड़ उठा लिए और बोली "अब आप जानकर क्या करेंगे साहब..आप जो कर रहे है वो करते रहिए.. !!"

मदन समझ गया.. रूखी जरूर कुछ छुपा रही थी.. इसलिए रूखी का मुंह खुलवाने के लिए उसने शीला के हथियार का इस्तेमाल किया

"मुझे सब पता है.. रघु और जीवा ने मेरे घर पर क्या क्या गुल खिलाए है.. सब जानता हूँ मैं.. तुझे न बताना हो तो मत बता"

रूखी: "ओह.. मतलब आप सबकुछ जानते हो साहब.. !! मैंने और शीला भाभी ने इस घर में बड़े मजे किए है.. शीला भाभी तो जीवा के लंड को छोड़ ही नहीं रही थी.. !! कमीने का लंड है ही ऐसा.. एक बार जो उसका स्वाद चख ले.. ज़िंदगी भर नहीं भूल सकता.. कितनी बार ठुकवाया भाभी ने.. फिर भी उनका तो मन ही नहीं भर रहा था.. !!"

"वैसे शीला ने मेरी गैर-मौजूदगी मैं कितनों के लंड लिए है??" हँसते हँसते मदन ने पूछा.. और फिर से रूखी की चूत के होंठों को उंगलियों से फैलाकर चाटने लगा

रूखी: "मेमसाब को कम मत समझना.. हाथ हिलाकर अपना घाघरा झटकाएगी तो अंदर से पचास लोडे निकलेंगे.. साहब.. अब आप वो सब बातें छोड़िए.. और मेरी भोस चाटिए.. जीवा की तरह.. चौड़ी कर के चाटिए.. आह्ह.. !!"

मदन को पता चल गया.. जब वो विदेश था तब उसने केवल मेरी के साथ ही संबंध बनाए थे.. पर यहाँ शीला ने तो लंडों के अंबार लगा दीये थे.. !! जीवा, रघु और रसिक के बारे में तो वो जान चुका था.. और भी न जाने कितने नाम होंगे.. !! अभी भी वो किसी पुराने आशिक से मिलने ही गई है.. बाप रे.. गुलछर्रे उड़ाने में शीला मर्दों से भी आगे निकल चुकी है.. !! पर उसका वो पुराना आशिक कौन होगा??

रूखी की चूत चाटते हुए.. मदन का दिमाग यह हिसाब लगा रहा था की आखिर शीला के भोसड़े को कितने लंडों ने पावन किया होगा.. !! उसने चाटते चाटते अपने हाथों से रूखी की निप्पलों को दबा दिया.. और दबाते ही दोनों निप्पलों से दूध की सफेद धार निकलकर रूखी के गदराए जिस्म को भिगोने लगी.. हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर उसने रूखी की चूत पर लगाया.. और फिर चाटने लगा



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"आह्ह आह्ह.. बस बस साहब.. बहुत हुआ.. अब मेरे ऊपर आ जाइए.. आज तो चटवाकर मज़ा आ गया.. कितने दिनों से रसिक को चाटने के लिए कह कहकर थक गई.. पर वो साला चाटता ही नहीं है.. " रूखी ने मदन को खींचकर अपने ऊपर ले लिया.. और मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर सेट करने के बाद.. नीचे से अपनी गांड उठाकर.. लंड की सौगात को अपनी गुफा के अंदर प्रवेश करा दिया.. !!

लंड पतला हो या मोटा.. चूत को उस जीवंत अवयव का स्पर्श होते ही मज़ा आने लगता है.. चूत के अंदर की गर्माहट का एहसास होते ही मदन का लंड भी ताव में आ गया.. और वो रूखी के जिस्म को रौंदने लगा.. रूखी को अपनी चूत मैं मदन के लंड के घर्षण से बेहद मज़ा आ रहा था..

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और तभी अचानक.. !!!

उनके बेडरूम का दरवाजा खुला.. और बिस्तर के पास.. रेणुका और रसिक.. मादरजात नग्न अवस्था में आकर खड़े हो गए.. !! अपने चेहरे के बिल्कुल सामने मदन को रेणुका का पूर्ण नग्न जिस्म और रसिक का गधे जैसा लंड नजर आ रहा था.. !! फटी आँखों से मदन रेणुका के जबरदस्त सेक्सी बदन के नग्न अंगों को ताड़ता रहा.. रूखी की जांघें फैलाकर धनाधन शॉट मारते हुए वो रेणुका को झुककर रसिक का लंड चूसते हुए देखता ही रहा.. !!


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और रसिक का लंड.. !!! बाप रे.. !! मदन ने इतना तगड़ा और लंबा लंड आज तक नीली फिल्मों में भी नहीं देखा था.. !!! रेणुका का पूरा मुंह भर जाता फिर भी आधे से ज्यादा लंड बाहर ही था.. रेणुका के मुख से लंड को अंदर बाहर होता देख.. मदन और उत्तेजित होकर रूखी को चोदने लगा.. रसिक के लंड को मोटाई और लंबाई को देखकर नापते हुए मदन सोच रहा था की शीला ने इस रसिक के साथ पूरे पूरे मजे कीये होंगे.. !! भेनचोद लंड है या पत्थर तोड़ने का हथोड़ा.. !! रेणुका बार बार रसिक के टमाटर जीतने बड़े सुपाड़े को बाहर निकालकर चाट रही थी और फिर मुंह में अंदर डाल रही थी..

मदन का मन कर रहा था की वो रेणुका के करीब जाकर उसे चूम ले.. पर फिलहाल.. उसका कनेक्शन.. नीचे रूखी की चूत के साथ हो चुका था और वो अब इस स्थिति में आगे बढ़कर रेणुका को चूम सके ऐसी संभावना नही थी.. वैसे भी.. रेणुका तो रसिक के लंड में खो चुकी थी.. !!

रसिक ने रेणुका से कहा "भाभी.. अगर एक और बार नीचे चूत में लेने का मन हो तो अभी ले लीजिए.. मेरा अब निकलने को है.. !!"

रेणुका: "नहीं रसिक, मुझे थोड़ी देर चूस लेने दे.. दूसरी बार नीचे लेने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही.. पहली बार डलवाया उसकी जलन अब तक हो रही है.. एक बार में ही फाड़ दी तूने तो.. दर्द हो रहा है मुझे"

रेणुका का अनुभव सुनकर मदन समझ गया की रसिक शीला का भी ऐसा ही हाल करता होगा.. !!

मदन: "रसिक, तेरा लंड तो वाकई जबरदस्त है.. देखकर ही मैं समझ गया की मेरी शीला की चूत का भोसड़ा कैसे बन गया.. !!"

रूखी: "अरे ये क्या भोसड़ा बनाएगा.. !! शीला भाभी के छेद की गुफा तो रघु और जीवा ने ही बनाई है.. जीवा का लंड तो इससे भी मोटा और लंबा है.. !!

रेणुका ने चूसते हुए कहा "क्या सच में?? इससे भी मोटा और बड़ा?? देखना पड़ेगा एक बार.. !!" रेणुका ने फिर से रसिक के सुपाड़े को मुंह में लेने की कोशिश की और तभी रसिक के लंड ने जोरदार पिचकारी मार कर रेणुका के शरीर, चेहरे और बालों पर सफेद रंगोली बना दी..

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इस तरफ मदन ने भी रूखी की तपतपाती चूत से लंड बाहर निकालकर उसके विशाल स्तनों पर वीर्य छोड़ दिया.. !! रूखी के दूध से भरे बबले वीर्य से सन गए.. और उसी के साथ चारों शांत हो गए..

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रसिक ने घड़ी के सामने देखकर कहा "अरे बाप रे.. !!! साढ़े तीन बज गए.. !! मुझे चार बजे खेत पर पहुंचना था.. !!" उसने फटाफट कपड़े पहने और रूखी को लेकर निकल गया..

अब बेडरूम में.. मदन और रेणुका ही बचे थे.. दोनों नंगे.. !! रेणुका मदन के बगल में बिस्तर पर लेट गई.. और उसके लंड से खेलते हुए बोली "अब इसे फिर से तैयार होने में कितना वक्त लगेगा?"

मदन: "वो तो थोड़ी देर में तैयार हो जाएगा.. पर मुझे तुमसे एक बात जाननी थी.. "

रेणुका: "यही ना.. की शीला अपने किस पुराने आशिक के साथ है.. !! वो तो मुझे भी नहीं पता.. जानना हो तो वहाँ जाकर ही देखना पड़ेगा"

मदन: "तो चलते है ना.. !! वहाँ जाकर सब साथ में इन्जॉय करेंगे"

रेणुका: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है अगर तुम राजी हो तो"

दोनों फटाफट तैयार होकर साढ़े चार बजे निकाल गए.. दो घंटे के सुपर-फास्ट ड्राइविंग के बाद दोनों शीला की बताई हुई जगह पर पहुँच गए


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Hot update. But yeh kya baat hui rasik or renuka ke bich ka scene gayab kr diya jiska intejar tha
 
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