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अति सुन्दर प्रस्तुतिvakharia komaalrani Seema P Love
अपने बदन से कुचल दे जिस्म को मेरे
जरा तू अपनी पकड़ से निशान छोड़ दे
थोड़ा तो एहसास करा अपने वजन का
थोड़ा सा तो हलका सा मुझे दर्द और दे
ना गिरा मर्दानगी एक भी कतरा बाहर तू
पुरा अंदर तक तू आज सारा भर दे मुझे
जानती हूँ मेरी इज्जत है बड़ी तेरे दिल में
परआज इस बिस्तर पर बेइज्जत कर मुझे
सहला भी बहला भी और थोड़ा चीख कर
पहले सवार बाल मेरे फिर मार खींच कर
समझ के इसको कुदरत का करिश्मा
इस पल को तू जीता जा
मेरे जांघों के बीच जो बह रही है नदी
तू जीभ लगा के पानी पीता जा
नदी के नाज़ुक दो दरवाजों के बीच
तू पिस्ता जा तू पिस्ता जा
नदी में जड़ा है एक चिराग अनमोल
तू घिसता जा घिसता जा
बेशाक़ न निकले इस से कोई जिन्न
बस तू घिसता ही जा हे मेरे अलादीन
तू ऐसी अपनी आदत डाल दे मुझको
कि मैं रह ना पाऊ एक पल तेरे बिन
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाशीला और मदन अब सामान्य हो चुके थे.. और उनका निजी जीवन फिर से खिल उठा था.. जैसे जीवन मे फिर से बहार आ गई थी.. वैशाली का टेंशन दूर होते है.. शीला और रेणुका ने फिर से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था ..
रेणुका को रसिक के लँड से चुदवाने मे इतना मज़ा आता था की वो शीला को बार बार रीक्वेस्ट करती पर शीला ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया
एक दिन रेणुका ने शीला को अपने घर बुलाया.. जब शीला उसके घर पहुंची तब घर पर ताला था और बाहर चिठ्ठी रखी हुई थी जिसमे रेणुका ने लिखा था "राजेश का ध्यान रखना.. मैं मदन को संभाल लूँगी"
शीला समझ गई की रेणुका ने रसिक का लंड लेने के लिए ही यह दांव आजमाया था.. शीला को अब रसिक मे उतनी दिलचस्पी थी भी नहीं.. रसिक के लंड से वैसे भी वो रोज खेलती ही थी.. और अब तो मदन को भी इस बारे मे पता था.. !!
एक पूरा हफ्ता शीला राजेश के साथ और रेणुका मदन के साथ पति-पत्नी की तरह रहे.. शुक्रवार शाम को जब शीला ने मदन को फोन किया.. तब रेणुका और मदन एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे..
शीला: "हैलो मदन.. मैं शीला बोल रही हूँ... पहचाना मुझे??" शीला मदन के मजे ले रही थी
मदन जोर से हंस पड़ा और बोला "ओहोहों.. शीला जी.. आप को भला कौन नहीं जानता.. !!! आप वही है ना जो उस दूधवाले रसिक का लंड चूसती है??"
शीला भी कम नहीं थी, उसने कहा "सिर्फ रसिक ही नहीं.. मैं तो उसके दोस्त जीवा और रघु का भी लंड लेती हूँ.. और रसिक के साथ मेरा नाम मत जोड़िए.. वो तो आपकी बीवी रेणुका का आशिक हो चुका है अब.. !!"
मदन: "बताइए शीला जी, फोन क्यों किया?"
शीला: "मज़ाक छोड़ मदन.. वैशाली को गए हुए कल दस दिन हो गए.. बेचारी लड़की से हमे मिलने जाना चाहिए.. वो अकेली है वहाँ"
मदन: "हाँ यार.. सही कहा तूने.. बता, कब जाना है? राजेश से भी पूछ ले.. उससे चलना हो तो हम चारों साथ चलते है.. पीयूष वैसे भी मुझे बुला रहा है.. उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर को पूरा करने के लिए उसे मेरी जरूरत है.. दोनों काम हो जाएंगे"
रेणुका के सुंदर स्तनों को दबाते हुए मदन ने सब कुछ सेट कर दिया.. तो दूसरी तरफ शीला के भोसड़े को पेलते हुए राजेश ने भी हाँ कह दिया.. सब ने दूसरे दिन जाना तय कर लिया..
दूसरे दिन तैयार होकर मदन और रेणुका ऑटो मे राजेश के घर पहुँच गए.. राजेश ने गाड़ी निकाली और शीला उसके साथ आगे ही बढ़ गई.. मदन और रेणुका पीछे बैठे रहे
शनिवार शाम को पीयूष ऑफिस पर था और कविता घर के काम मे व्यस्त थी तब चारों सब से पहले पीयूष के घर गए.. डोरबेल बजाते ही कविता ने दरवाजा खोला और उन चारों को देखकर चकित हो गई.. !!
कविता की आँखों के आसपास बने डार्क सरकल्स देखकर शीला समझ गई की कविता को पीयूष की तरफ से समय समय पर ठीक से पोषण नहीं मिल रहा होगा.. !! शीला से लिपट कर कविता बहोत रोई.. !! बांधकर रखी हुई कितनी सारी भावनाएं एक साथ बहकर आंसुओं के संग बाहर निकलने लगी..
चाय नाश्ता निपटाकर मदन और राजेश पीयूष की ऑफिस जाने निकले.. कविता पीयूष को फोन कर बताना चाहती थी पर राजेश ने मना किया.. वो दोनों पीयूष को सप्राइज़ देना चाहते थे.. !!
मदन और राजेश दोनों चले गए..
अब शीला, रेणुका और कविता घर पर अकेले थे.. कविता अपनी दुख भरी दास्तान सुनाती उससे पहले ही शीला ने उसके जीवन मे रस भरना शुरू कर दिया.. कविता अपनी व्यथा सुनाने के लिए बेताब थी पर शीला वो डॉक्टर थी जिसे कविता के मर्ज के बारे मे पहले से ही पता था.. !! इसलिए उसे रोग के लक्षणों को सुने बगैर ही इलाज शुरू कर दिया.. !! एक के बाद एक.. विकृत और गंदी कामुक बातें कर.. शीला और रेणुका ने कविता की गीली कर दी.. नंगी बातों और गालियों से भरे किस्से सुनकर कविता की उदासी भांप बनकर उड़ गई...
जब शीला ने देखा की लोहा ठीक से गरम हो चुका है.. तब उसने कविता के ब्लाउस पर हाथ रखकर उसके स्तनों को दबा दिया..
कविता: "मेरा शरीर अब उस बंजर जमीन की तरह है जिसमे उसके किसान को कोई दिलचस्पी ही नहीं है.. जिस तरह वो बिजनेस मे डूब चुका है लगता भी नहीं है की इस जमीन पर कभी कोई हरियाली आ सकेगी"
नीचे झुककर शीला ने कविता के ब्लाउस के ऊपर से ही उसकी निप्पल को दांतों से काटते हुए कहा "कोई बात नहीं कविता.. मदन भी जब मुझे बंजर जमीन की तरह छोड़कर विदेश चला गया था तब मैंने ही इस जमीन को बंजर होने से बचा लिया था.. तुझे तो पता है ही.. सही और गलत के बीच मैं पिसती रही.. २०-२० महीनों तक.. पति के स्पर्श के बगैर शरीर को इच्छाओ का कत्ल कर दिया था मैंने.. फिर इस बंजर हो रही जमीन पर.. एक सुबह अचानक रसिक नाम का बादल बरस गया.. तब मुझे एहसास हुआ की अगर वो बारिश ना हुई होती तो मेरी ज़िंदगी को उझड़ने से कोई नहीं बचा पाता.. कविता, तू पीयूष को शांति से समझा.. अगर वो फिर भी न माने.. तो तेरे इस सुंदर शरीर को इस तरह मुरझाने मत देना.. कितने भँवरे तैयार होंगे तेरा रस चूसने के लिए.. कोई एक को ढूंढ ले.. और आराम से जवानी का लुत्फ उठा.. हाँ पर सावधानी जरूर रखना.."
शीला का यह प्रवचन खत्म होने तक कविता ऐसे तपने लगी थी थी जैसे उसे १०४ डिग्री का बुखार चढ़ा हो.. फरक सिर्फ इतना था की यह गर्मी हवस की थी.. जो शीला की जीभ और उंगलियों से चुटकी बजाते शांत हो जाने वाली थी..
रेणुका दूर सोफ़े पर बैठे बैठे शीला और कविता के इस काम-युद्ध को देख रही थी.. और अपने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर चूत को सहला भी रही थी..
पंद्रह बीस मिनट के भीषण काम-संग्राम के पश्चात.. कविता की चूत ठंडी कर दी शीला ने.. !! एक जबरदस्त झटके के साथ आह्ह-आह्ह कहते हुए कविता उछलकर शांत हो गई.. कविता के शांत और सुने घर मे शीला के आने से जैसे जान आ गई थी.. !!
स्खलित होकर शांत होने के बाद कविता ने शीला से कहा "भाभी, इसीलिए तो मैं आपको इतना मिस करती थी.. रात को अकेले बिस्तर पर करवटें लेकर सोचती की अगर मेरी शीला भाभी यहाँ होती तो कागज पर लंड का चित्र बनाकर भी मुझे संतुष्ट कर देती.. किसी न किसी से मेरा सेटिंग करवा ही देती.. पर यहाँ तो मुझ बेचारी के सामने कोई नजरें उठाकर देखने को भी तैयार नहीं है"
शीला: "कीसे पटाना चाहती है तू.. मुझे बस नाम बता.. बाकी मैं संभाल लूँगी"
कविता: "ऐसा तो कभी सोचा नहीं यही किसी एक व्यक्ति के बार मे.. "
रेणुका: "शीला, कविता की चूत अब भी कितनी टाइट है ना.. !!"
शीला: "अभी तो कविता जवान है.. और बच्चा भी नहीं हुआ है.. इसलिए.. !!"
रेणुका: "सोच, अगर रसिक इस पर चढ़ेगा तो कविता का क्या हाल होगा.. !!"
सुनकर चोंक उठी कविता.. रेणुका भी रसिक के लंड की दीवानी हो गई.. !!! साला वो रसिक शहर की सारी औरतों को चोदने का विश्वविक्रम बना लेगा एक दिन.. !!!
शीला: "कविता को भी रसिक का लंड लेने की बड़ी तीव्र इच्छा है रेणुका.. और रसिक तो पहले से ही कविता पर मरता है.. पर मैं कविता की चूत थोड़ी सी ढीली होने का इंतज़ार कर रही हूँ.. उसके बाद दोनों का सेटिंग करूंगी"
रेणुका: "तुझे क्या रसिक ने बताया की वो कविता का दीवाना है?"
शीला: "हाँ, उसी ने बताया.. शहर की फेशनेबल जवान और सुडौल लड़की को चोदने की रसिक को बहोत इच्छा है.. पर उस साले गंवार दूधवाले के साथ कौनसी जवान मॉडर्न लड़की चुदवाएगी?? अपनी चूत को जानबूझ कर कौन बर्बाद करना चाहेगा?? तेरी और मेरी बात अलग है.. हमें आदत हो गई है और रसिक का लेने के लिए हम किसी भी हद तक जा भी सकते है.. इसलिए उसके साथ है.. वरना जैसा वो दिखता है.. गनीमत है की रूखी उसे चोदने भी देती है.. !!"
रेणुका: "साली कमीनी.. मुझे क्यों बीच मे घसीट रही है?? तुझे ही बड़ा चस्का लग गया है रसिक का लंड लेने का.. !!"
शीला: "अच्छा.. बड़ी होशियारी दिखा रही है.. इसीलिए तो मुझे अपने पति के साथ भेजकर.. हफ्ता हफ्ता भर तू मदन के साथ पत्नी बनकर रहती है.. है ना.. !!" जोश जोश मे शीला ने वो कह दिया जो बोलना नहीं था
रेणुका जोर से चिल्लाई "चुप हो जा शीला.... !!" कविता के सामने इस बात का जिक्र होते ही रेणुका को पसीना आ गया.. पर एक बार शुरू होने के बाद शीला कहाँ रुकने वाली थी.. !!
शीला: "साली रेणुका रांड.. अब ज्यादा शरीफ मत बन.. मुझे सब पता है.. तू सिर्फ रसिक के खूँटे जैसे लंड से चुदवाने के लिए ही पति बदलने तैयार हुई थी.. एक साथ जब दो दो लंड साथ मिल रहे हो तो अपने पति की परवाह तू क्यों करेगी... !! वैसे रसिक का लंड है भी ऐसा.. जो एक बार देख ले.. उसका ग़ुलाम बन जाए.. "
यह सब सुनकर कविता तो अपनी सुधबुध गंवा बैठी थी.. रेणुका और शीला की बहस मे कविता के सामने उनके कई राज खुल गए.. !!
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मदन और राजेश जब पीयूष की ऑफिस पहुंचे तब वह उन्हें देख चोंक उठा.. बिजनेस के काम मे हमेशा उलझा रहता पीयूष उनके आने से खुश हो गया.. बड़े ही प्यार और सन्मान से उसने दोनों का स्वागत किया और अपनी कुर्सी से उठ खड़े होकर, राजेश को वहाँ बैठने के लिए कहा.. आखिर उसके पुराने बॉस थे राजेश सर.. !!
शाम के साढ़े सात बजे तक तीनों बातें करते रहे.. फिर पीयूष की महंगी गाड़ी मे तीनों घर पहुंचे.. आज उन्हें वैशाली और पिंटू के घर डिनर पर बुलाया गया था.. एक बाप के तौर पर मदन पहली बार वैशाली के इस नए ससुराल जा रहा था.. !! इसलिए वो पिंटू के घर के तमाम सदस्यों के लिए गिफ्ट लेकर आया था..
आज कविता के चेहरे पर गजब की रॉनक थी.. उसकी चमक को देखकर पीयूष को भी आश्चर्य हो रहा था.. कल तक मरे हुए मेंडक जैसी शक्ल वाली कविता.. आज अचानक से खिलकर गुलाब का फूल बन गई थी.. !!
शीला भाभी की चरबीदार गोरी कमर पर बनी लकीरें.. ब्लाउज मे कैद दोनों मिसाइलों जैसे उत्तुंग स्तनों को देखकर पीयूष का लंड उसके पेंट मे ही अनुलोम-विलोम करने लगा.. उसे थोड़ा सा अंदाजा तो लग ही चुका था की कविता के चेहरे की चमक के पीछे शीला भाभी का ही हाथ था.. !! किसी विवादित प्रॉपर्टी पर न्यायधीश के हुक्म से जैसे स्टे-ऑर्डर हट जाता है वैसे ही शीला भाभी के हुस्न को देखकर पीयूष का सारा स्ट्रेस हट गया..
सब फटाफट तैयार हो गए और वैशाली-पिंटू के घर पहुँच गए.. जीन्स और टी-शर्ट पहनकर अपना गदराया यौवन उछालते रहती वैशाली के जीवन मे अब काफी तबदीली आ चुकी थी.. वो फिलहाल अपने होने वाले नए ससुराल मे थी और अभी उसे अपना प्रभाव बनाना था.. इसलिए संस्कारी बहुओं की तरह उसने एक रिच लुक वाला पंजाबी ड्रेस पहन रखा था.. वैशाली को इस नए रूप मे देख, पीयूष और कविता के साथ साथ मदन और शीला भी चोंक गए थे..
वैशाली के खिले हुए चेहरे को देखकर लग रहा था की वो संजय की पुरानी कड़वी यादों को भूल चुकी थी.. पर साथ ही साथ.. वो गिलहरी जैसी चंचलता भी पीछे छोड़ आई थी.. एक विशिष्ट प्रकार की गंभीरता थी उसके चेहरे पर..
अपनी बेटी को ससुराल मे खुश देखकर.. किसी भी माँ-बाप के दिल मे कई मनोभावों का मनोहर सा इंद्रधनुष सर्जित हो जाता है.. शर्म और संकोच के साथ.. पराधीनता को सहते हुए.. अपने सगे माँ-बाप और अपने घर को छोड़कर.. किसी गैर के माँ-बाप को अपना बनाने का काम केवल एक औरत ही कर सकती है.. !! मर्दों के तो ये बस की ही नहीं है.. !! इसका कारण यह है की यह काम करने के लिए साहस की नहीं.. समर्पण की आवश्यकता होती है.. जो सब पुरुषों के स्वाभाव मे कुदरती तौर पर मौजूद नहीं होता..
शीला ने वैशाली के साथ ढेर सारी बातें की.. पीयूष की ओर देखकर वैशाली ने आँखों ही आँखों मे पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर ली.. और साथ ही साथ बड़े ही अदब के साथ राजेश सर की ओर पूर्ण नज़रों से देखकर.. माउंट आबू मे उन दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाने की हिदायत भी दे दी..
कविता और रेणुका के साथ वैशाली ने पिंटू के घर और लोगों के बारे मे ढेर सारी बातें की.. कविता बड़े ही ध्यान से इसलिए सुन रही थी क्योंकि एक समय पर उसका सपना था.. इस घर मे दुल्हन बनकर आने का.. !! अपने प्रेमी की शादी की तैयारी करना कितना कठिन होता होगा.. यह समझने के लिए, एक बार प्रेम करना आवश्यक है..
इस दूसरी बार की शादी से पहले वैशाली ऐसी कोई गलती करना नहीं चाहती थी की जिसके कारण पिंटू जैसा हीरा उसके हाथों से छूट जाए.. अपने आप को पूर्णतः समर्पित कर उसने पिंटू के घरवालों के दिल जीत लिए थे.. पिंटू और वैशाली के ट्यूनीनग को परखकर.. वैशाली के स्वभाव को अच्छी तरह जानकर.. पिंटू के पापा ने इस रिश्ते के लिए खुशी खुशी अपनी अनुमति जता दी साथ मे यह भी कहा की उनके घर वाले, वैशाली को उनकी बहु बनाकर घर लाने के लिए उतावले हो रहे थे
आज का दिन बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण था.. वैशाली, पिंटू, मदन और शीला के लिए.. और कविता के लिए भी.. हाँ, सब के कारण जरूर अलग अलग थे.. !!
खाना खाकर जब सब कविता के घर वापिस लौटने के लिए निकले.. तब वैशाली को भी बड़ा मन हुआ की वो उन सब के साथ कविता के घर जाए.. पर वो चाहकर भी नहीं बोल पाई.. अब यही उसका घर था.. सब को गाड़ी मे बैठता देख उदास हो रही वैशाली को देखकर पिंटू समझ गया.. उसने मदन से कहा की वो लोग वैशाली को भी एक दिन के लिए अपने साथ ले जाए..
एक साथ कितने सारे चेहरों ने बड़ी ही आशा भारी नज़रों से पिंटू के पापा की ओर देखा..
पिंटू के पापा ने कहा "बेटा.. वैशाली अब हमारे घर की होने वाली बहु है.. उसे मैं अकेली कहीं नहीं जाने दूंगा.. तू भी साथ चला जा.. वैसे भी कल रविवार है.. आराम से एक दिन सब साथ रहो.. !!"
इतना सुनते ही वैशाली पीयूष और कविता के साथ तुरंत कार मे बैठ गई.. मायके का माहोल मिलते ही वैशाली के शरीर मे एक नई ऊर्जा और आनंद का संचार होने लगा.. हंसी-मज़ाक करते हुए सब कविता-पीयूष के घर पहुंचे
घर पर सब साथ बैठकर बातें कर रहे थे..शीला, रेणुका, कविता और वैशाली अंदर के कमरे मे बातें करने गए तब पीयूष ने बताया की उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर के सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना पड़ेगा.. पहली बार विदेश जाने के विचार से पीयूष थोड़ा सा परेशान था
राजेश: "घबराने की कोई जरूरत नहीं है, पीयूष,. तू इत्मीनान से जा.. ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा.. !!
मदन: "हाँ सच कहा राजेश ने.. पर वहाँ जाकर हम सब को भूल मत जाना.. और ये याद रखना की वहाँ तुम सिर्फ काम के लिए जा रहे हो.. गोरी चमड़ी हम सब की बहोत बड़ी कमजोरी है.. ये तो तुझे पता ही होगा"
पीयूष: "मुझे इस एक्सपोर्ट बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है.. वैसे मैं इस ऑर्डर को लेकर ज्यादा होपफूल भी नहीं था.. कविता भी मना कर रही थी.. उसे जरा भी मन नहीं है मुझे विदेश भेजने का.. मदन भैया.. उसके दिमाग मे ये बात घर कर गई है की वहाँ जाकर लोग गोरी लड़कियों के जाल मे फंस जाते है और अपनी पत्नी को भूल जाते है.. !!"
मदन: "वैसे उसकी चिंता जायज भी है.. ऐसा सिर्फ फिल्मों मे ही नहीं होता.. !! पर हाँ, हर किसी के साथ ऐसा हो यह जरूरी भी नहीं है"
राजेश: "वैसे मैं भी हर दो चार महीनों मे विदेश यात्रा पर जाता हूँ.. मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ"
मदन: "वो तो हमें क्या मालूम की तू वहाँ हर दो चार महीनों मे क्यों जाता है!!!"
राजेश: "मतलब तुम कहना क्या चाहते हो?? मैं वहाँ जाकर गुलछर्रे उड़ाता हूँ??"
पीयूष: "आप लोग बात को कहाँ से कहाँ ले गए.. !!! मैं तो बिजनेस के बारे मे बात कर रहा था.. "
उनकी बातें सुनकर पिंटू भी हंसने लगा
मदन: "पीयूष, यह बातें भी बड़ी जरूरी है.. बिजनेस से भले ही उन सब का कोई लेना देना न हो.. पर जब ऐसी कोई घटना घटती है तो कई ज़िंदगियाँ तबाह हो जाती है"
पीयूष: "फिर तो मुझे जाना ही नहीं है"
राजेश: "अरे यार.. इतनी छोटी सी बात के लिए तू इतना बड़ा ऑर्डर छोड़ देगा.. !! बेवकूफी मत कर पीयूष"
मदन: "एक रास्ता है, राजेश.. तू अक्सर विदेश जाता रहता है और एक्सपोर्ट बिजनेस का तुझे काफी तजुर्बा भी है.. क्यों न तू ही पीयूष के साथ चला जाता.. !! एक बार वो वहाँ ठीक से सेट हो जाए फिर तुम वापिस आ जाना.. !!"
राजेश: "अरे यार.. ये सब इतना आसान थोड़ी न है.. !! मैं वहाँ जाऊंगा तो मेरा यहाँ का काम कौन देखेगा?? इससे अच्छा तू ही चला जा पीयूष के साथ... वैसे भी तू अभी फ्री ही है"
पिंटू: "हाँ अंकल.. सर की बात सही है" पिंटू को अभी मदन को पापा कहने की आदत नहीं हुई थी
मदन ने सोचते हुए कहा "वैसे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर... !!"
पीयूष: "मगर-बगर छोड़िए मदन भैया.. आप मेरे साथ चलिए.. हो सकता है आपको भी किसी नए बिजनेस की लाइन मिल जाए.. उसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जाएगा"
मदन: "मैं देखता हूँ पीयूष.. मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.. !!"
मदन ने इस बारे मे सोचने की बात तो कही.. पर उसके अंदाज से यह स्पष्ट था की वो आना चाहता था.. रात खत्म हो गई पर सब की बातें खत्म नहीं हो रही थी.. सुबह तक सब बातें करते रहे.. बहुत समय बाद पुराने पड़ोसी मिल रहे थे
कविता बाहर ड्रॉइंग रूम मे आई जहां सारे मर्द बैठे थे.. आकर उसने शिकायत की मदन से "मदन भैया.. आप पीयूष को थोड़ा समझाइए.. मेरी तरफ भी थोड़ा ध्यान दिया करे.. "
मदन और राजेश ने पीयूष को अपने हिसाब से थोड़ी हिदायत दी.. सुनकर पीयूष उठा और दूसरे कमरे मे गया जहां सारी औरतें बैठकर बातें कर रही थी.. खास कर तो वो शीला भाभी के दर्शन करने गया था.. और शीला की पारखी नजर यह बात समझ भी गई..
शीला उठकर किचन मे गई.. पानी पीने के बहाने.. और फिर पीयूष को आवाज लगाई
पीयूष: "क्या हुआ भाभी? रुकिए एक मिनट.. मैं अभी आया"
पीयूष ने किचन मे जाकर देखा.. शीला अपना एक स्तन ब्लाउस के बाहर निकालकर.. बाहें फैलाएं उसका इंतज़ार कर रही थी.. शीला को इस स्थिति मे देखकर.. पीयूष की गांड फटकर फ्लावर हो गई.. !! वो बेवकूफ की तरह शीला के सामने खड़ा होकर बस देखता ही रहा... शीला ने उसका गिरहबान पकड़कर अपने तरफ खींचा और उसे एक जोरदार किस कर दी.. और बोली "क्यों बे चोदू.. !! अपनी शीला भाभी को भूल गया.. !! चल दबा इसे फटाफट.. !!"
पीयूष ने डरते डरते शीला के खुले बबले को मसला और फिर निप्पल को मुंह मे लेकर चूसने लगा.. उसे उत्तेजना के साथ साथ जबरदस्त डर भी लग रहा था..
उतनी देर मे तो शीला ने पीयूष के लोडे को पेंट के ऊपर से ही मसल कर रख दिया और उसके कान मे बोली "ओह्ह पीयूष.. इसे अंदर लिए हुए कितना टाइम हो गया.. बहुत मन कर रहा है यार.. इसे एक बार फिर से मेरे अंदर लेने के लिए"
तभी पीयूष ने कविता के पायलों की झंकार सुनी.. और वो सावधान होकर शीला से अलग हो गया.. दूर खड़ा रहकर वो ग्लास मे पानी भरने लगा.. शीला ने भी आनन-फानन मे अपना स्तन ब्लाउज के अंदर डालकर पल्लू ढँक लिया..
कविता के आते ही शीला ने पीयूष से कहा "अब तू जा यहाँ से.. मुझे कविता से कुछ खास बात करनी है"
पीयूष चला गया और कविता शीला के करीब आकर खड़ी हो गई.. शीला ने फिर से अपना स्तन बाहर निकाला और कविता को दिखाते हुए बोली "ये देख.. कल तूने कितना जोर से काट लिया था.. अब भी दर्द कर रहा है मुझे.. !! अब कोई आ जाए इससे पहले इस जख्म को थोड़ा सा चाट ले ताकि मेरी जलन थोड़ी सी कम हो"
शर्म से पानी पानी होते हुए कविता ने शीला भाभी के स्तन पर जीभ फेरना शुरू कर दिया.. कविता को महसूस हुआ की शीला की निप्पल पहले से ही गीली थी.. पीयूष जो चूसकर गया था
कविता ने आश्चर्य से पूछा "भाभी, आपकी निप्पल गीली कैसे हो गई??"
शीला: "अरे यार.. पूरा स्तन दुख रहा था इसलिए मैंने थोड़ा सा पानी लगाया है.. ताकि थोड़ी सी ठंडक मिलें.. पर एक लोचा हो गया"
कविता: "क्या हुआ भाभी?"
शीला: "मैं पानी लगा रही थी तब शायद पीयूष ने देख लिया"
कविता: "उसमें कौन सी बड़ी बात है भाभी.. !! वैसे भी उस दिन सिनेमा हॉल मे आपने उसे दबाने दीये ही थे ना.. !!"
शीला: "अरे पगली.. उस दिन तो तेरी और पिंटू की हरकतें देख न ले इसलिए मजबूरन मुझे किराया चुकाना पड़ा था.. चल छोड़ वो सब.. ये बता.. अब जब पिंटू और वैशाली शादी करने वाले है.. तुझे दुख तो हो रहा होगा.. !!"
कविता शीला के खुले उरोज को देखते हुए बोली "दुख तो होगा ही ना भाभी.. पर अब मैंने स्वीकार कर लिया है की पिंटू मेरे नसीब मे कभी था ही नहीं.. मेरे साथ उसका भविष्य जब मुमकिन ही नहीं था तब वो किसी न किसी के साथ आगे बढ़ने वाला ही था.. यह तो मैं पहले से जानती थी.. !! अच्छा हुआ जो उसने वैशाली को ही अपना हमसफ़र बना लिया.. अब मुझे पिंटू की कोई फिक्र नहीं रहेगी.. !!"
शीला: "कविता.. तेरे भरोसे ही मैंने वैशाली को यहाँ भेजा है.. तू हमेशा उसका ध्यान रखना.. हम तो दूर रहते है.. पर उसके सब से करीब तू ही है.. हफ्ते-दस दिन मे एक बार उससे जरूर मिलते रहना.. उसी बहाने तुझे भी पिंटू को मिलने का मौका भी मिलता रहेगा.. शादी के बाद भी प्रेमी से मिलने का और बात करने का मौका मिलता रहे.. उससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा.. !!"
कविता: "हाँ भाभी, वो तो है.. और आप वैशाली की बिल्कुल चिंता मत करना.. हम हैं ना यहाँ उसके साथ.. !! भाभी, अब मुझे एक नई चिंता सताने लगी है.. !!"
शीला: "कौन सी चिंता??"
कविता: "पीयूष पर अब विदेश जाने का भूत सवार हो चुका है.. उस ऑर्डर के सिलसिले मे.. पर भाभी.. मदन भैया के जाने के बाद.. आपका जो हाल हुआ था वैसा कहीं मेरा भी न हो जाए उसकी चिंता मुझे खाए जा रही है.. वक्त तो उसे अभी भी नहीं मिलता मेरे लिए.. लेकिन पंद्रह दिन में एक बार तो मेरा नसीब खुल ही जाता है उसके साथ.. फिर तो वो भी नहीं होगा.. मदन भैया तो अनुभवी और काफी समझदार है.. उनकी तुलना मे पीयूष को अनुभव भी कम है और समझदारी भी है.. जवानी के जोश में वो वहाँ किसी के साथ उलझ गया तो मेरी तो ज़िंदगी तबाह हो जाएगी.. !! समझ मे नहीं आ रहा की उसे जाने दूँ या नहीं.. !! अभी मैं उनकी बातें सुन रही थी.. वो मदन भैया को अपने साथ वहाँ ले जाने की बात कर रहा था.. अगर भैया उसके साथ जाएँ तो मुझे उसे जाने देने मे कोई दिक्कत नहीं है.. भाभी, आप प्लीज मदन भैया को पीयूष के साथ जाने देना.. !!"
यह सुनते ही शीला के चेहरे का नूर उड़ गया.. !! दो साल के लिए मदन गया था तब उसकी ज़िंदगी जहर बन गई थी.. एक बार और वो आठ महीनों के लीये एक प्रोजेक्ट के लिए वहाँ जाकर आया था.. अब दोबारा मदन विदेश जाएगा?? बड़ी ही मुश्किलों के बाद वैशाली का प्रॉब्लेम आज सॉल्व हुआ तो ये नया टेंशन आ गया.. !!"
कविता: "क्या सोच रहे हो भाभी??" शीला के गाल पर हाथ रखते हुए कविता ने पूछा
शीला: "जिस मदन भैया को तू समझदार और ठहरा हुआ समझती है.. तुझे पता है, उसने विदेश जाकर क्या गुल खिलाए थे?? वहाँ जाकर उसने कोई झंडे नहीं गाड़े थे.. जिस घर मे वो रहता था उसकी मालकिन के साथ तेरे भैया का चक्कर था.. वो रोज उसका दूध पीते थे.. आदमी कितना भी अनुभवी और समझदार क्यों न हो.. उसका लंड आखिर अपना रंग दिखाकर ही रहता है.. और उससे न करने वाले काम भी करवाता है.. और आदमी का लंड जवान हो या बूढ़ा.. उसे तो चूत चाहिए ही चाहिए.. !!"
कविता: "तो आप भी यहाँ उस रसिक के साथ सेट हो ही गई थी ना.. !!"
शीला: "एक बात कहूँ कविता.. !! ये बाहर का खाना खाने का चस्का बड़ा ही खतरनाक होता है.. एक बार चख लो फिर रहा ही नहीं जाता.. और रोज रोज मन करता है.. जब पति साथ हो तब भी पराये लंड लेने की खुजली उठती रहती है"
कविता: "भाभी, एक बात पूछूँ? कल जो आप रेणुका के साथ पार्टनर बदलने की बातें कर रही थी.. वो सच है या मज़ाक?"
शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "अब तुझसे क्या छुपाना.. ये बात सच है.. एक बार रेणुका ने मुझे बताया था की राजेश का बड़ा मन है मेरे साथ सेक्स करने का.. उसी चक्कर मे ये सब हो गया"
कविता: "हाय भाभी.. !! आपको राजेश सर के साथ यह सब करने मे शर्म नहीं आई?"
शीला: "शर्म तो बहोत आई थी.. पर जब तेरे राजेश सर ही शर्म छोड़कर नंगे हो गए फिर मैं अपने आप को क्यों रोकती भला.. !! हाँ, एक बात जरूर कहूँगी.. राजेश के साथ मज़ा बहोत आता है.. बहोत हार्ड है उसका"
कविता शरमा गई.. "क्या भाभी?? कैसा कैसा बोलती हो आप तो.. !!" कविता ने अपनी जांघें दबा ली.. "रेणुका को भी मदन भैया के साथ मज़ा आया होगा.. हैं ना.. !!"
शीला: "वो मुझे क्या पता.. तू खुद ही पूछ ले उससे"
कविता: "कैसा लगता होगा ना भाभी.. किसी सहेली के पति के साथ.. पूरी रात भर..!!" कविता की आँखों मे एक अजीब सी आशा का संचार हुआ
शीला: "चल अब अंदर चलते है.. वरना सब पूछेंगे की सिर्फ पानी पीने मे इतनी देर कैसे हुई.. !!"
कविता: "हाँ भाभी चलते है.. आपके साथ बातें तो कभी खतम ही नहीं होगी"
दोनों वापिस सब के पास पहुँच गए..
शीला का दिमाग किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था.. रमिलबहन थक कर सो गई थी.. पर बाकी सब लड़कियों की बातें खतम ही नहीं हो रही थी.. जैसे फिर कभी बातें करने का मौका मिलने ही नहीं वाला हो.. रात के साढ़े तीन बज रहे थे
आखिर मदन थक कर उठा और औरतों के कमरे के दरवाजे पर खड़े रहकर बोला "अब सो भी जाते है.. ये कविता मन ही मन हम सब को गालियां दे रही होगी.. की हमारे चक्कर मे उसकी रात खराब हो गई..!!"
मदन दरवाजे पर खड़ा था तब रेणुका बाथरूम जाने के लिए उठी.. और मदन के करीब से.. अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए निकल गई.. यह बात और किसी के ध्यान मे नहीं आई.. मदन और शीला के सिवा.. !! लेकिन कविता ने यह देख लिया.. और देखते ही उसके शरीर मे बड़ी ही विचित्र प्रकार की उत्तेजना होने लगी.. आज से पहले उसने कभी ऐसी उत्तेजना महसूस नहीं की थी.. कविता ने शीला के सामने देखा.. दोनों की नजरें एक हुई.. शीला ने एक नटखट स्माइल दी और कविता ने शरमाकर आँखें झुका दी
शीला: "ठीक कह रहा है मदन.. अब सो जाते है.. !!" सब बातें करते करते जहां बैठे थे.. वहीं जगह बनाकर लेटने लगे.. और कुछ ही पलों मे सब गहरी नींद सो भी गए
सुबह जागकर.. फ्रेश होने के बाद.. पिंटू और वैशाली उनके घर चले गए.. रमिलाबहन भी अपने घर चली गई.. शीला-मदन और रेणुका-राजेश भी वापिस लौटने के लिए तैयार हुए
पीयूष ने एक बार फिर मदन को याद दिलाया "भैया.. मेरी ओफर के बारे मे सोचकर बताना"
तब तो शीला कुछ नहीं बोली पर गाड़ी जब हाइवे पर आ गई तब उसने पूछा "राजेश, कौन सी ओफर की बात कर रहा था पीयूष?" शीला पूछना तो मदन से चाहती थी.. पर अब शहर से बाहर निकलते ही.. वह चारों फिर अपनी औकात पर आ गए.. शीला राजेश के साथ बैठ गई और रेणुका मदन के साथ.. इसलिए उसने राजेश से पूछा
राजेश के बदले मदन ने ही रेणुका के कंधे पर हाथ रखकर शीला को जवाब दिया.. "उसे अमरीका की एक कंपनी का बड़ा ऑर्डर मिल रहा है.. उस सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना होगा.. पीयूष को विदेश के बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है इसलिए वो मुझे अपने साथ ले जाना चाहता है"
शीला: "हाँ.. यह तो सच कहा पीयूष ने.. !! तुझे बड़ा अच्छा अनुभव है विदेश का.. वहाँ जाकर उसे यह भी सीखा देना की अंग्रेज राँडों के थनों से दूध कैसे निकालते है.. !!"
मदन: "बकवास मत कर शीला.. !!"
रेणुका: "अरे... ये तो नया जानने को मिला.. कौन थी वो अंग्रेज रांड?? मुझे भी तो बताओ"
शीला ने विस्तार पूर्वक सब कुछ बताया.. मदन की बोलती बंद हो गई.. उसकी खामोशी मे ही उसकी गलती का इजहार था.. !!
शीला: "देख मदन.. साफ साफ बता रही हूँ.. इस बार मैं तुझे अकेले जाने नहीं दूँगी.. या तो हम दोनों साथ जाएंगे.. या तो फिर पीयूष को जिसे साथ लेकर जाना हो जाएँ.. अपनी बीवी को या अपनी माँ को.. मैं तुझे जाने नहीं दूँगी.. अगर मुझे छोड़कर तू अकेला गया.. तो देख लेना.. अब तक तो सिर्फ रसिक, जीवा और रघु को मैंने घर पर बुलाया था.. पर इस बार तो मैं खुद उनके घर चली जाऊँगी.. फिर तुझे यहाँ वापिस लौटकर आने की कोई जरूरत नहीं होगी.. तू वहीं खुश रहना.. और मैं यहाँ खुश रहूँगी.. ये क्या हर बार की झंझट.. !! मैं यहाँ उँगलियाँ डाल डालकर दिन काटती रहूँ और तू वहाँ विदेशी गायों का दूध चूसता रहें.. !! मुझे वो सब फिर से नहीं दोहराना.. !!"
मदन: "अरे यार.. पिछली बार तो मैं दो साल के लिए गया था इसलिए वो सब हो गया.. इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा.. और शायद राजेश भी हमारे साथ चलेगा.. फिर तुझे कैसी फिक्र??"
शीला: "तो एक काम कर.. रसिक, रघु और जीवा को भी अपने साथ ले जा अमरीका.. फिर मैं यहाँ मेरे भोसड़े पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दूँगी.. तू और राजेश दोनों चले जाएंगे फिर मैं और रेणुका यहाँ बैठकर क्या भजन करेंगे?? एक महीने के लिए जाना ही हो तो मेरे लिए तीस नए लंड का बंदोबस्त करके जाना.. नहीं तो कह देती हूँ तुझे... मैं चकले पर बैठकर अपना भोसड़ा फड़वा लूँगी.. !!"
शीला की बातें सुनकर, राजेश जोर जोर से हंसने लगा और उत्तेजित होकर उसे एक हाथ से अपनी ओर खींचकर चूम लिया.. और कहा "शाबाश मेरी रानी.. मदन, अब क्या करेगा तू?"
मदन परेशान होकर बोला "यार ये तो बड़ी मुसीबत हो गई"
शीला: "कोई मुसीबत नहीं हुई है.. अगर चाहो तो सब कुछ हो सकता है.. अगर बिजनेस के लिए ही जा रहे हो तो मुझे साथ ले जाने मे तुझे क्या दिक्कत है?? मुझे सब पता है.. बिजनेस के नाम पर तुम लोगों को वहाँ जाकर विदेशी चूतों को चाटना है.. यहाँ घर पर बैठे हम चिंता कर रही होती है की तुमने खाना खाया होगा या नहीं.. और तुम वहाँ गुलाबी चूतों के रस से अपना पेट भर रहे होंगे.. !! राँडों से सेंडविच मसाज करवा रहे होंगे.. !! सब पता है मुझे तुम सब के गोरख धंधे.. !!"
मदन: "ऐसा नहीं है यार.. !!"
शीला: "तू तो कुछ बोल ही मत.. मुझे समझाने की कोशिश भी मत करना.. सालों.. जब देखो तब अकेले अकेले निकल पड़ते हो.. हमें क्या सिर्फ चोदने और बच्चे पैदा करने के लिए ब्याह कर लाए थे.. !! घर आकर जब बीमार हो जाते हो तब कौन सी फिरंगी राँडें आती है तुम्हारा खयाल रखने.. तुम्हारे सर पर नवरत्न तेल लगाने के लिए.. वहाँ तो बड़े चाव से पैसे लेकर तुम्हारे लंड और आँड़ों पर मसाज करती है.. पर यहाँ तुम्हें टाइगर बाम लगाने कोई नहीं आएगी.. !!" गुस्से मे शीला ने मदन की गांड ही फाड़ दी
रेणुका: "राजेश, मुझे तो ऐसा सब पता ही नहीं था.. तू भी विदेश जाकर ये सब करता है?? अब से तय रहा.. तेरी हर फ़ॉरेन टूर मे, मैं तेरे साथ ही चलूँगी.. वरना खड्डे मे गया तेरा बिजनेस.. माल एक्स्पोर्ट करते करते पूरे के पूरा पति एक्स्पोर्ट हो जाए.. ऐसा बिजनेस हमें नहीं करना.. !! अच्छा हुआ जो शीला ने आज मेरी आँखें खोल दी.. वरना एक दिन तू मेरे हाथ से ही चला जाता"
अब राजेश मदन पर गुस्सा करने लगा "यार मदन.. ये क्या है?? तेरे चक्कर में यहाँ मेरे घर मे आग लग गई.. !!"
मदन: "मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा की अब मैं क्या करूँ?? पीयूष को किस तरह मना करूँ?? पहली बार उसने मुझसे कुछ मदद मांगी है"
शीला: "बोल दे उसे.. की हम दोनों साथ ही आ रहे है उसके साथ.. मैं बात करूँ फोन पर??" कार ड्राइव कर रहे मदन की गोद से फोन खींचकर शीला ने सीधे पीयूष को फोन लगाया
पीयूष: "हाँ मदन भैया.. कहाँ तक पहुंचे?"
शीला: "पीयूष, शीला बोल रही हूँ.. तुमने आज जो मदन को ओफर दिया है.. उसके लिए वो तैयार है.. तुम लोग अमरीका जाने की तैयारी करो.. " कहते हुए शीला ने फोन काट दिया..
मदन: "ये सब क्या हो रहा है शीला.. !! मुझे तो मना कर रही है और वहाँ पीयूष को हाँ बोल दिया"
शीला: "वो सब तुझे समझना है.. तुझे पीयूष को मना भी नहीं करना है और मैं दुखी न हो जाऊँ उसका ध्यान भी रखना है.. एक साथ दो दो औरतों को हेंडल करता है.. इतना तो कर ही सकता है तू"
मदन ने गाड़ी साइड पर रोकी और अपना सर पकड़कर बैठ गया.. "यार राजेश.. तू ही गाड़ी चला.. मेरा तो दिमाग काम नहीं कर रहा"
राजेश ड्राइविंग सीट पर आकर बैठा तो शीला भी पीछे की सीट से आगे आ गई.. "जा बैठ अपने चुदक्कड़ मर्द के साथ" कहते हुए शीला ने रेणुका को पीछे मदन के साथ भेज दिया
पीछे की सीट पर रेणुका ने मदन की जांघ पर हाथ रख दिया पर मदन को पता तक नहीं चला.. शीला ने उसे जड़ से हिला दिया था
आगे एक घंटे के सफर के दौरान किसी ने कुछ नहीं कहा.. राजेश ने मदन और शीला को उनके घर ड्रॉप किया.. जब शीला और मदन गाड़ी से उतरे तब रेणुका ने हंसकर कहा "कितने दिनों के बाद हम अपने असली पतियों के साथ जाएंगे"
शीला: "हाँ यार.. मैं तो भूल ही चुकी हूँ की मेरा असली पति कौन है.. !!" ठहाका मारकर शीला ने कहा
शीला और मदन अपने घर मे दाखिल हुए तब रेणुका और राजेश अपने घर की ओर रवाना हो गए
दो दिन सब ठीक-ठाक ही चलता रहा.. उस दौरान राजेश को यह विचार परेशान करने लगा था की अगर रेणुका ने भी साथ आने की जिद पकड़ी तो फिर क्या होगा.. !!
मदन की सहमति जानने के लिए पीयूष बार बार फोन कर रहा था.. पर मदन अब भी तय नहीं कर पा रहा था..
कुछ दिनों बाद.. शीला ने राजेश और रेणुका को एक रात के लिए उनके घर आने का न्योता दिया..
सब साथ बैठे थे तब दोबारा वही बात निकली
मदन: "यार राजेश, वो पीयूष रोज मुझे फोन करता है.. अब क्या जवाब दूँ उसे समझ नहीं आ रहा मुझे..!!"
राजेश: "साले तेरे चक्कर मे.. मेरा अकेले टूर पर जाना केन्सल हो गया उसका क्या.. !!"
रेणुका: "यार तुम दोनों मे से कोई ऐसा क्यों नहीं सोचता की अपनी बीवियों को साथ लेकर जाए... !! अकेले अकेले भटकने की आदत हो गई है तुम सब को.. वरना ऐसा तो कोई बिजनेस का काम नहीं होता जहां पत्नी को लेकर नहीं जा सकते.. "
मदन: "राजेश, अब तो ये नोबत आ गई है की हम वहाँ कुछ भी गलत नहीं करते ये साबित करने के लिए हमें इन दोनों को वहाँ ले जाना पड़ेगा"
राजेश: "मुझे एक बढ़िया विचार आ रहा है.. क्यों न हम सब काम के साथ साथ कपल टूर का भी प्लान करें?? इन दोनों के साथ साथ कविता को भी ले लेंगे.. वैसे भी वो पीयूष के बगैर बोर होती रहती है"
मदन: "पर क्या पीयूष कविता को साथ लेने के लिए राजी होगा?"
शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे मदन.. वैसे तू भी कहाँ मुझे साथ ले जाने के लिए राजी था.. मना लिया ना मैंने.. अगर औरत चाहें तो बीच बाजार मुजरा करवा सकती है अपने पति से.. !!"
रेणुका: "लेकिन यार.. उन दोनों की मौजूदगी में.. हम चारों को सब कुछ बंद कर देना पड़ेगा.. !!"
मदन: "क्या बंद करना पड़ेगा?"
शीला: "हमारी अदला-बदली का खेल बंद करना पड़ेगा"
मदन: "अरे यार.. अब तक हम गए कहाँ है.. अभी फिलहाल तो सबकुछ चल ही रहा है ना.." मदन ने रेणुका को आँख मारते हुए कहा.. और फिर बोला "चल रेणु डार्लिंग.. बेडरूम मे चलते है.. वहाँ जाने के बाद जो होगा देखा जाएगा"
रेणुका मदन के गले मे हाथ डालकर बोली "हाँ चलो चलते है.. मेरा भी कब से मन कर रहा है"
मदन और रेणुका ने वैशाली के बेडरूम मे.. तो दूसरी तरफ राजेश और शीला ने उनके बेडरूम मे पूरी रात भरपूर चुदाई का लुत्फ उठाया
Superb updateशीला और मदन अब सामान्य हो चुके थे.. और उनका निजी जीवन फिर से खिल उठा था.. जैसे जीवन मे फिर से बहार आ गई थी.. वैशाली का टेंशन दूर होते है.. शीला और रेणुका ने फिर से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था ..
रेणुका को रसिक के लँड से चुदवाने मे इतना मज़ा आता था की वो शीला को बार बार रीक्वेस्ट करती पर शीला ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया
एक दिन रेणुका ने शीला को अपने घर बुलाया.. जब शीला उसके घर पहुंची तब घर पर ताला था और बाहर चिठ्ठी रखी हुई थी जिसमे रेणुका ने लिखा था "राजेश का ध्यान रखना.. मैं मदन को संभाल लूँगी"
शीला समझ गई की रेणुका ने रसिक का लंड लेने के लिए ही यह दांव आजमाया था.. शीला को अब रसिक मे उतनी दिलचस्पी थी भी नहीं.. रसिक के लंड से वैसे भी वो रोज खेलती ही थी.. और अब तो मदन को भी इस बारे मे पता था.. !!
एक पूरा हफ्ता शीला राजेश के साथ और रेणुका मदन के साथ पति-पत्नी की तरह रहे.. शुक्रवार शाम को जब शीला ने मदन को फोन किया.. तब रेणुका और मदन एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे..
शीला: "हैलो मदन.. मैं शीला बोल रही हूँ... पहचाना मुझे??" शीला मदन के मजे ले रही थी
मदन जोर से हंस पड़ा और बोला "ओहोहों.. शीला जी.. आप को भला कौन नहीं जानता.. !!! आप वही है ना जो उस दूधवाले रसिक का लंड चूसती है??"
शीला भी कम नहीं थी, उसने कहा "सिर्फ रसिक ही नहीं.. मैं तो उसके दोस्त जीवा और रघु का भी लंड लेती हूँ.. और रसिक के साथ मेरा नाम मत जोड़िए.. वो तो आपकी बीवी रेणुका का आशिक हो चुका है अब.. !!"
मदन: "बताइए शीला जी, फोन क्यों किया?"
शीला: "मज़ाक छोड़ मदन.. वैशाली को गए हुए कल दस दिन हो गए.. बेचारी लड़की से हमे मिलने जाना चाहिए.. वो अकेली है वहाँ"
मदन: "हाँ यार.. सही कहा तूने.. बता, कब जाना है? राजेश से भी पूछ ले.. उससे चलना हो तो हम चारों साथ चलते है.. पीयूष वैसे भी मुझे बुला रहा है.. उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर को पूरा करने के लिए उसे मेरी जरूरत है.. दोनों काम हो जाएंगे"
रेणुका के सुंदर स्तनों को दबाते हुए मदन ने सब कुछ सेट कर दिया.. तो दूसरी तरफ शीला के भोसड़े को पेलते हुए राजेश ने भी हाँ कह दिया.. सब ने दूसरे दिन जाना तय कर लिया..
दूसरे दिन तैयार होकर मदन और रेणुका ऑटो मे राजेश के घर पहुँच गए.. राजेश ने गाड़ी निकाली और शीला उसके साथ आगे ही बढ़ गई.. मदन और रेणुका पीछे बैठे रहे
शनिवार शाम को पीयूष ऑफिस पर था और कविता घर के काम मे व्यस्त थी तब चारों सब से पहले पीयूष के घर गए.. डोरबेल बजाते ही कविता ने दरवाजा खोला और उन चारों को देखकर चकित हो गई.. !!
कविता की आँखों के आसपास बने डार्क सरकल्स देखकर शीला समझ गई की कविता को पीयूष की तरफ से समय समय पर ठीक से पोषण नहीं मिल रहा होगा.. !! शीला से लिपट कर कविता बहोत रोई.. !! बांधकर रखी हुई कितनी सारी भावनाएं एक साथ बहकर आंसुओं के संग बाहर निकलने लगी..
चाय नाश्ता निपटाकर मदन और राजेश पीयूष की ऑफिस जाने निकले.. कविता पीयूष को फोन कर बताना चाहती थी पर राजेश ने मना किया.. वो दोनों पीयूष को सप्राइज़ देना चाहते थे.. !!
मदन और राजेश दोनों चले गए..
अब शीला, रेणुका और कविता घर पर अकेले थे.. कविता अपनी दुख भरी दास्तान सुनाती उससे पहले ही शीला ने उसके जीवन मे रस भरना शुरू कर दिया.. कविता अपनी व्यथा सुनाने के लिए बेताब थी पर शीला वो डॉक्टर थी जिसे कविता के मर्ज के बारे मे पहले से ही पता था.. !! इसलिए उसे रोग के लक्षणों को सुने बगैर ही इलाज शुरू कर दिया.. !! एक के बाद एक.. विकृत और गंदी कामुक बातें कर.. शीला और रेणुका ने कविता की गीली कर दी.. नंगी बातों और गालियों से भरे किस्से सुनकर कविता की उदासी भांप बनकर उड़ गई...
जब शीला ने देखा की लोहा ठीक से गरम हो चुका है.. तब उसने कविता के ब्लाउस पर हाथ रखकर उसके स्तनों को दबा दिया..
कविता: "मेरा शरीर अब उस बंजर जमीन की तरह है जिसमे उसके किसान को कोई दिलचस्पी ही नहीं है.. जिस तरह वो बिजनेस मे डूब चुका है लगता भी नहीं है की इस जमीन पर कभी कोई हरियाली आ सकेगी"
नीचे झुककर शीला ने कविता के ब्लाउस के ऊपर से ही उसकी निप्पल को दांतों से काटते हुए कहा "कोई बात नहीं कविता.. मदन भी जब मुझे बंजर जमीन की तरह छोड़कर विदेश चला गया था तब मैंने ही इस जमीन को बंजर होने से बचा लिया था.. तुझे तो पता है ही.. सही और गलत के बीच मैं पिसती रही.. २०-२० महीनों तक.. पति के स्पर्श के बगैर शरीर को इच्छाओ का कत्ल कर दिया था मैंने.. फिर इस बंजर हो रही जमीन पर.. एक सुबह अचानक रसिक नाम का बादल बरस गया.. तब मुझे एहसास हुआ की अगर वो बारिश ना हुई होती तो मेरी ज़िंदगी को उझड़ने से कोई नहीं बचा पाता.. कविता, तू पीयूष को शांति से समझा.. अगर वो फिर भी न माने.. तो तेरे इस सुंदर शरीर को इस तरह मुरझाने मत देना.. कितने भँवरे तैयार होंगे तेरा रस चूसने के लिए.. कोई एक को ढूंढ ले.. और आराम से जवानी का लुत्फ उठा.. हाँ पर सावधानी जरूर रखना.."
शीला का यह प्रवचन खत्म होने तक कविता ऐसे तपने लगी थी थी जैसे उसे १०४ डिग्री का बुखार चढ़ा हो.. फरक सिर्फ इतना था की यह गर्मी हवस की थी.. जो शीला की जीभ और उंगलियों से चुटकी बजाते शांत हो जाने वाली थी..
रेणुका दूर सोफ़े पर बैठे बैठे शीला और कविता के इस काम-युद्ध को देख रही थी.. और अपने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर चूत को सहला भी रही थी..
पंद्रह बीस मिनट के भीषण काम-संग्राम के पश्चात.. कविता की चूत ठंडी कर दी शीला ने.. !! एक जबरदस्त झटके के साथ आह्ह-आह्ह कहते हुए कविता उछलकर शांत हो गई.. कविता के शांत और सुने घर मे शीला के आने से जैसे जान आ गई थी.. !!
स्खलित होकर शांत होने के बाद कविता ने शीला से कहा "भाभी, इसीलिए तो मैं आपको इतना मिस करती थी.. रात को अकेले बिस्तर पर करवटें लेकर सोचती की अगर मेरी शीला भाभी यहाँ होती तो कागज पर लंड का चित्र बनाकर भी मुझे संतुष्ट कर देती.. किसी न किसी से मेरा सेटिंग करवा ही देती.. पर यहाँ तो मुझ बेचारी के सामने कोई नजरें उठाकर देखने को भी तैयार नहीं है"
शीला: "कीसे पटाना चाहती है तू.. मुझे बस नाम बता.. बाकी मैं संभाल लूँगी"
कविता: "ऐसा तो कभी सोचा नहीं यही किसी एक व्यक्ति के बार मे.. "
रेणुका: "शीला, कविता की चूत अब भी कितनी टाइट है ना.. !!"
शीला: "अभी तो कविता जवान है.. और बच्चा भी नहीं हुआ है.. इसलिए.. !!"
रेणुका: "सोच, अगर रसिक इस पर चढ़ेगा तो कविता का क्या हाल होगा.. !!"
सुनकर चोंक उठी कविता.. रेणुका भी रसिक के लंड की दीवानी हो गई.. !!! साला वो रसिक शहर की सारी औरतों को चोदने का विश्वविक्रम बना लेगा एक दिन.. !!!
शीला: "कविता को भी रसिक का लंड लेने की बड़ी तीव्र इच्छा है रेणुका.. और रसिक तो पहले से ही कविता पर मरता है.. पर मैं कविता की चूत थोड़ी सी ढीली होने का इंतज़ार कर रही हूँ.. उसके बाद दोनों का सेटिंग करूंगी"
रेणुका: "तुझे क्या रसिक ने बताया की वो कविता का दीवाना है?"
शीला: "हाँ, उसी ने बताया.. शहर की फेशनेबल जवान और सुडौल लड़की को चोदने की रसिक को बहोत इच्छा है.. पर उस साले गंवार दूधवाले के साथ कौनसी जवान मॉडर्न लड़की चुदवाएगी?? अपनी चूत को जानबूझ कर कौन बर्बाद करना चाहेगा?? तेरी और मेरी बात अलग है.. हमें आदत हो गई है और रसिक का लेने के लिए हम किसी भी हद तक जा भी सकते है.. इसलिए उसके साथ है.. वरना जैसा वो दिखता है.. गनीमत है की रूखी उसे चोदने भी देती है.. !!"
रेणुका: "साली कमीनी.. मुझे क्यों बीच मे घसीट रही है?? तुझे ही बड़ा चस्का लग गया है रसिक का लंड लेने का.. !!"
शीला: "अच्छा.. बड़ी होशियारी दिखा रही है.. इसीलिए तो मुझे अपने पति के साथ भेजकर.. हफ्ता हफ्ता भर तू मदन के साथ पत्नी बनकर रहती है.. है ना.. !!" जोश जोश मे शीला ने वो कह दिया जो बोलना नहीं था
रेणुका जोर से चिल्लाई "चुप हो जा शीला.... !!" कविता के सामने इस बात का जिक्र होते ही रेणुका को पसीना आ गया.. पर एक बार शुरू होने के बाद शीला कहाँ रुकने वाली थी.. !!
शीला: "साली रेणुका रांड.. अब ज्यादा शरीफ मत बन.. मुझे सब पता है.. तू सिर्फ रसिक के खूँटे जैसे लंड से चुदवाने के लिए ही पति बदलने तैयार हुई थी.. एक साथ जब दो दो लंड साथ मिल रहे हो तो अपने पति की परवाह तू क्यों करेगी... !! वैसे रसिक का लंड है भी ऐसा.. जो एक बार देख ले.. उसका ग़ुलाम बन जाए.. "
यह सब सुनकर कविता तो अपनी सुधबुध गंवा बैठी थी.. रेणुका और शीला की बहस मे कविता के सामने उनके कई राज खुल गए.. !!
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मदन और राजेश जब पीयूष की ऑफिस पहुंचे तब वह उन्हें देख चोंक उठा.. बिजनेस के काम मे हमेशा उलझा रहता पीयूष उनके आने से खुश हो गया.. बड़े ही प्यार और सन्मान से उसने दोनों का स्वागत किया और अपनी कुर्सी से उठ खड़े होकर, राजेश को वहाँ बैठने के लिए कहा.. आखिर उसके पुराने बॉस थे राजेश सर.. !!
शाम के साढ़े सात बजे तक तीनों बातें करते रहे.. फिर पीयूष की महंगी गाड़ी मे तीनों घर पहुंचे.. आज उन्हें वैशाली और पिंटू के घर डिनर पर बुलाया गया था.. एक बाप के तौर पर मदन पहली बार वैशाली के इस नए ससुराल जा रहा था.. !! इसलिए वो पिंटू के घर के तमाम सदस्यों के लिए गिफ्ट लेकर आया था..
आज कविता के चेहरे पर गजब की रॉनक थी.. उसकी चमक को देखकर पीयूष को भी आश्चर्य हो रहा था.. कल तक मरे हुए मेंडक जैसी शक्ल वाली कविता.. आज अचानक से खिलकर गुलाब का फूल बन गई थी.. !!
शीला भाभी की चरबीदार गोरी कमर पर बनी लकीरें.. ब्लाउज मे कैद दोनों मिसाइलों जैसे उत्तुंग स्तनों को देखकर पीयूष का लंड उसके पेंट मे ही अनुलोम-विलोम करने लगा.. उसे थोड़ा सा अंदाजा तो लग ही चुका था की कविता के चेहरे की चमक के पीछे शीला भाभी का ही हाथ था.. !! किसी विवादित प्रॉपर्टी पर न्यायधीश के हुक्म से जैसे स्टे-ऑर्डर हट जाता है वैसे ही शीला भाभी के हुस्न को देखकर पीयूष का सारा स्ट्रेस हट गया..
सब फटाफट तैयार हो गए और वैशाली-पिंटू के घर पहुँच गए.. जीन्स और टी-शर्ट पहनकर अपना गदराया यौवन उछालते रहती वैशाली के जीवन मे अब काफी तबदीली आ चुकी थी.. वो फिलहाल अपने होने वाले नए ससुराल मे थी और अभी उसे अपना प्रभाव बनाना था.. इसलिए संस्कारी बहुओं की तरह उसने एक रिच लुक वाला पंजाबी ड्रेस पहन रखा था.. वैशाली को इस नए रूप मे देख, पीयूष और कविता के साथ साथ मदन और शीला भी चोंक गए थे..
वैशाली के खिले हुए चेहरे को देखकर लग रहा था की वो संजय की पुरानी कड़वी यादों को भूल चुकी थी.. पर साथ ही साथ.. वो गिलहरी जैसी चंचलता भी पीछे छोड़ आई थी.. एक विशिष्ट प्रकार की गंभीरता थी उसके चेहरे पर..
अपनी बेटी को ससुराल मे खुश देखकर.. किसी भी माँ-बाप के दिल मे कई मनोभावों का मनोहर सा इंद्रधनुष सर्जित हो जाता है.. शर्म और संकोच के साथ.. पराधीनता को सहते हुए.. अपने सगे माँ-बाप और अपने घर को छोड़कर.. किसी गैर के माँ-बाप को अपना बनाने का काम केवल एक औरत ही कर सकती है.. !! मर्दों के तो ये बस की ही नहीं है.. !! इसका कारण यह है की यह काम करने के लिए साहस की नहीं.. समर्पण की आवश्यकता होती है.. जो सब पुरुषों के स्वाभाव मे कुदरती तौर पर मौजूद नहीं होता..
शीला ने वैशाली के साथ ढेर सारी बातें की.. पीयूष की ओर देखकर वैशाली ने आँखों ही आँखों मे पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर ली.. और साथ ही साथ बड़े ही अदब के साथ राजेश सर की ओर पूर्ण नज़रों से देखकर.. माउंट आबू मे उन दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाने की हिदायत भी दे दी..
कविता और रेणुका के साथ वैशाली ने पिंटू के घर और लोगों के बारे मे ढेर सारी बातें की.. कविता बड़े ही ध्यान से इसलिए सुन रही थी क्योंकि एक समय पर उसका सपना था.. इस घर मे दुल्हन बनकर आने का.. !! अपने प्रेमी की शादी की तैयारी करना कितना कठिन होता होगा.. यह समझने के लिए, एक बार प्रेम करना आवश्यक है..
इस दूसरी बार की शादी से पहले वैशाली ऐसी कोई गलती करना नहीं चाहती थी की जिसके कारण पिंटू जैसा हीरा उसके हाथों से छूट जाए.. अपने आप को पूर्णतः समर्पित कर उसने पिंटू के घरवालों के दिल जीत लिए थे.. पिंटू और वैशाली के ट्यूनीनग को परखकर.. वैशाली के स्वभाव को अच्छी तरह जानकर.. पिंटू के पापा ने इस रिश्ते के लिए खुशी खुशी अपनी अनुमति जता दी साथ मे यह भी कहा की उनके घर वाले, वैशाली को उनकी बहु बनाकर घर लाने के लिए उतावले हो रहे थे
आज का दिन बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण था.. वैशाली, पिंटू, मदन और शीला के लिए.. और कविता के लिए भी.. हाँ, सब के कारण जरूर अलग अलग थे.. !!
खाना खाकर जब सब कविता के घर वापिस लौटने के लिए निकले.. तब वैशाली को भी बड़ा मन हुआ की वो उन सब के साथ कविता के घर जाए.. पर वो चाहकर भी नहीं बोल पाई.. अब यही उसका घर था.. सब को गाड़ी मे बैठता देख उदास हो रही वैशाली को देखकर पिंटू समझ गया.. उसने मदन से कहा की वो लोग वैशाली को भी एक दिन के लिए अपने साथ ले जाए..
एक साथ कितने सारे चेहरों ने बड़ी ही आशा भारी नज़रों से पिंटू के पापा की ओर देखा..
पिंटू के पापा ने कहा "बेटा.. वैशाली अब हमारे घर की होने वाली बहु है.. उसे मैं अकेली कहीं नहीं जाने दूंगा.. तू भी साथ चला जा.. वैसे भी कल रविवार है.. आराम से एक दिन सब साथ रहो.. !!"
इतना सुनते ही वैशाली पीयूष और कविता के साथ तुरंत कार मे बैठ गई.. मायके का माहोल मिलते ही वैशाली के शरीर मे एक नई ऊर्जा और आनंद का संचार होने लगा.. हंसी-मज़ाक करते हुए सब कविता-पीयूष के घर पहुंचे
घर पर सब साथ बैठकर बातें कर रहे थे..शीला, रेणुका, कविता और वैशाली अंदर के कमरे मे बातें करने गए तब पीयूष ने बताया की उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर के सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना पड़ेगा.. पहली बार विदेश जाने के विचार से पीयूष थोड़ा सा परेशान था
राजेश: "घबराने की कोई जरूरत नहीं है, पीयूष,. तू इत्मीनान से जा.. ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा.. !!
मदन: "हाँ सच कहा राजेश ने.. पर वहाँ जाकर हम सब को भूल मत जाना.. और ये याद रखना की वहाँ तुम सिर्फ काम के लिए जा रहे हो.. गोरी चमड़ी हम सब की बहोत बड़ी कमजोरी है.. ये तो तुझे पता ही होगा"
पीयूष: "मुझे इस एक्सपोर्ट बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है.. वैसे मैं इस ऑर्डर को लेकर ज्यादा होपफूल भी नहीं था.. कविता भी मना कर रही थी.. उसे जरा भी मन नहीं है मुझे विदेश भेजने का.. मदन भैया.. उसके दिमाग मे ये बात घर कर गई है की वहाँ जाकर लोग गोरी लड़कियों के जाल मे फंस जाते है और अपनी पत्नी को भूल जाते है.. !!"
मदन: "वैसे उसकी चिंता जायज भी है.. ऐसा सिर्फ फिल्मों मे ही नहीं होता.. !! पर हाँ, हर किसी के साथ ऐसा हो यह जरूरी भी नहीं है"
राजेश: "वैसे मैं भी हर दो चार महीनों मे विदेश यात्रा पर जाता हूँ.. मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ"
मदन: "वो तो हमें क्या मालूम की तू वहाँ हर दो चार महीनों मे क्यों जाता है!!!"
राजेश: "मतलब तुम कहना क्या चाहते हो?? मैं वहाँ जाकर गुलछर्रे उड़ाता हूँ??"
पीयूष: "आप लोग बात को कहाँ से कहाँ ले गए.. !!! मैं तो बिजनेस के बारे मे बात कर रहा था.. "
उनकी बातें सुनकर पिंटू भी हंसने लगा
मदन: "पीयूष, यह बातें भी बड़ी जरूरी है.. बिजनेस से भले ही उन सब का कोई लेना देना न हो.. पर जब ऐसी कोई घटना घटती है तो कई ज़िंदगियाँ तबाह हो जाती है"
पीयूष: "फिर तो मुझे जाना ही नहीं है"
राजेश: "अरे यार.. इतनी छोटी सी बात के लिए तू इतना बड़ा ऑर्डर छोड़ देगा.. !! बेवकूफी मत कर पीयूष"
मदन: "एक रास्ता है, राजेश.. तू अक्सर विदेश जाता रहता है और एक्सपोर्ट बिजनेस का तुझे काफी तजुर्बा भी है.. क्यों न तू ही पीयूष के साथ चला जाता.. !! एक बार वो वहाँ ठीक से सेट हो जाए फिर तुम वापिस आ जाना.. !!"
राजेश: "अरे यार.. ये सब इतना आसान थोड़ी न है.. !! मैं वहाँ जाऊंगा तो मेरा यहाँ का काम कौन देखेगा?? इससे अच्छा तू ही चला जा पीयूष के साथ... वैसे भी तू अभी फ्री ही है"
पिंटू: "हाँ अंकल.. सर की बात सही है" पिंटू को अभी मदन को पापा कहने की आदत नहीं हुई थी
मदन ने सोचते हुए कहा "वैसे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर... !!"
पीयूष: "मगर-बगर छोड़िए मदन भैया.. आप मेरे साथ चलिए.. हो सकता है आपको भी किसी नए बिजनेस की लाइन मिल जाए.. उसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जाएगा"
मदन: "मैं देखता हूँ पीयूष.. मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.. !!"
मदन ने इस बारे मे सोचने की बात तो कही.. पर उसके अंदाज से यह स्पष्ट था की वो आना चाहता था.. रात खत्म हो गई पर सब की बातें खत्म नहीं हो रही थी.. सुबह तक सब बातें करते रहे.. बहुत समय बाद पुराने पड़ोसी मिल रहे थे
कविता बाहर ड्रॉइंग रूम मे आई जहां सारे मर्द बैठे थे.. आकर उसने शिकायत की मदन से "मदन भैया.. आप पीयूष को थोड़ा समझाइए.. मेरी तरफ भी थोड़ा ध्यान दिया करे.. "
मदन और राजेश ने पीयूष को अपने हिसाब से थोड़ी हिदायत दी.. सुनकर पीयूष उठा और दूसरे कमरे मे गया जहां सारी औरतें बैठकर बातें कर रही थी.. खास कर तो वो शीला भाभी के दर्शन करने गया था.. और शीला की पारखी नजर यह बात समझ भी गई..
शीला उठकर किचन मे गई.. पानी पीने के बहाने.. और फिर पीयूष को आवाज लगाई
पीयूष: "क्या हुआ भाभी? रुकिए एक मिनट.. मैं अभी आया"
पीयूष ने किचन मे जाकर देखा.. शीला अपना एक स्तन ब्लाउस के बाहर निकालकर.. बाहें फैलाएं उसका इंतज़ार कर रही थी.. शीला को इस स्थिति मे देखकर.. पीयूष की गांड फटकर फ्लावर हो गई.. !! वो बेवकूफ की तरह शीला के सामने खड़ा होकर बस देखता ही रहा... शीला ने उसका गिरहबान पकड़कर अपने तरफ खींचा और उसे एक जोरदार किस कर दी.. और बोली "क्यों बे चोदू.. !! अपनी शीला भाभी को भूल गया.. !! चल दबा इसे फटाफट.. !!"
पीयूष ने डरते डरते शीला के खुले बबले को मसला और फिर निप्पल को मुंह मे लेकर चूसने लगा.. उसे उत्तेजना के साथ साथ जबरदस्त डर भी लग रहा था..
उतनी देर मे तो शीला ने पीयूष के लोडे को पेंट के ऊपर से ही मसल कर रख दिया और उसके कान मे बोली "ओह्ह पीयूष.. इसे अंदर लिए हुए कितना टाइम हो गया.. बहुत मन कर रहा है यार.. इसे एक बार फिर से मेरे अंदर लेने के लिए"
तभी पीयूष ने कविता के पायलों की झंकार सुनी.. और वो सावधान होकर शीला से अलग हो गया.. दूर खड़ा रहकर वो ग्लास मे पानी भरने लगा.. शीला ने भी आनन-फानन मे अपना स्तन ब्लाउज के अंदर डालकर पल्लू ढँक लिया..
कविता के आते ही शीला ने पीयूष से कहा "अब तू जा यहाँ से.. मुझे कविता से कुछ खास बात करनी है"
पीयूष चला गया और कविता शीला के करीब आकर खड़ी हो गई.. शीला ने फिर से अपना स्तन बाहर निकाला और कविता को दिखाते हुए बोली "ये देख.. कल तूने कितना जोर से काट लिया था.. अब भी दर्द कर रहा है मुझे.. !! अब कोई आ जाए इससे पहले इस जख्म को थोड़ा सा चाट ले ताकि मेरी जलन थोड़ी सी कम हो"
शर्म से पानी पानी होते हुए कविता ने शीला भाभी के स्तन पर जीभ फेरना शुरू कर दिया.. कविता को महसूस हुआ की शीला की निप्पल पहले से ही गीली थी.. पीयूष जो चूसकर गया था
कविता ने आश्चर्य से पूछा "भाभी, आपकी निप्पल गीली कैसे हो गई??"
शीला: "अरे यार.. पूरा स्तन दुख रहा था इसलिए मैंने थोड़ा सा पानी लगाया है.. ताकि थोड़ी सी ठंडक मिलें.. पर एक लोचा हो गया"
कविता: "क्या हुआ भाभी?"
शीला: "मैं पानी लगा रही थी तब शायद पीयूष ने देख लिया"
कविता: "उसमें कौन सी बड़ी बात है भाभी.. !! वैसे भी उस दिन सिनेमा हॉल मे आपने उसे दबाने दीये ही थे ना.. !!"
शीला: "अरे पगली.. उस दिन तो तेरी और पिंटू की हरकतें देख न ले इसलिए मजबूरन मुझे किराया चुकाना पड़ा था.. चल छोड़ वो सब.. ये बता.. अब जब पिंटू और वैशाली शादी करने वाले है.. तुझे दुख तो हो रहा होगा.. !!"
कविता शीला के खुले उरोज को देखते हुए बोली "दुख तो होगा ही ना भाभी.. पर अब मैंने स्वीकार कर लिया है की पिंटू मेरे नसीब मे कभी था ही नहीं.. मेरे साथ उसका भविष्य जब मुमकिन ही नहीं था तब वो किसी न किसी के साथ आगे बढ़ने वाला ही था.. यह तो मैं पहले से जानती थी.. !! अच्छा हुआ जो उसने वैशाली को ही अपना हमसफ़र बना लिया.. अब मुझे पिंटू की कोई फिक्र नहीं रहेगी.. !!"
शीला: "कविता.. तेरे भरोसे ही मैंने वैशाली को यहाँ भेजा है.. तू हमेशा उसका ध्यान रखना.. हम तो दूर रहते है.. पर उसके सब से करीब तू ही है.. हफ्ते-दस दिन मे एक बार उससे जरूर मिलते रहना.. उसी बहाने तुझे भी पिंटू को मिलने का मौका भी मिलता रहेगा.. शादी के बाद भी प्रेमी से मिलने का और बात करने का मौका मिलता रहे.. उससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा.. !!"
कविता: "हाँ भाभी, वो तो है.. और आप वैशाली की बिल्कुल चिंता मत करना.. हम हैं ना यहाँ उसके साथ.. !! भाभी, अब मुझे एक नई चिंता सताने लगी है.. !!"
शीला: "कौन सी चिंता??"
कविता: "पीयूष पर अब विदेश जाने का भूत सवार हो चुका है.. उस ऑर्डर के सिलसिले मे.. पर भाभी.. मदन भैया के जाने के बाद.. आपका जो हाल हुआ था वैसा कहीं मेरा भी न हो जाए उसकी चिंता मुझे खाए जा रही है.. वक्त तो उसे अभी भी नहीं मिलता मेरे लिए.. लेकिन पंद्रह दिन में एक बार तो मेरा नसीब खुल ही जाता है उसके साथ.. फिर तो वो भी नहीं होगा.. मदन भैया तो अनुभवी और काफी समझदार है.. उनकी तुलना मे पीयूष को अनुभव भी कम है और समझदारी भी है.. जवानी के जोश में वो वहाँ किसी के साथ उलझ गया तो मेरी तो ज़िंदगी तबाह हो जाएगी.. !! समझ मे नहीं आ रहा की उसे जाने दूँ या नहीं.. !! अभी मैं उनकी बातें सुन रही थी.. वो मदन भैया को अपने साथ वहाँ ले जाने की बात कर रहा था.. अगर भैया उसके साथ जाएँ तो मुझे उसे जाने देने मे कोई दिक्कत नहीं है.. भाभी, आप प्लीज मदन भैया को पीयूष के साथ जाने देना.. !!"
यह सुनते ही शीला के चेहरे का नूर उड़ गया.. !! दो साल के लिए मदन गया था तब उसकी ज़िंदगी जहर बन गई थी.. एक बार और वो आठ महीनों के लीये एक प्रोजेक्ट के लिए वहाँ जाकर आया था.. अब दोबारा मदन विदेश जाएगा?? बड़ी ही मुश्किलों के बाद वैशाली का प्रॉब्लेम आज सॉल्व हुआ तो ये नया टेंशन आ गया.. !!"
कविता: "क्या सोच रहे हो भाभी??" शीला के गाल पर हाथ रखते हुए कविता ने पूछा
शीला: "जिस मदन भैया को तू समझदार और ठहरा हुआ समझती है.. तुझे पता है, उसने विदेश जाकर क्या गुल खिलाए थे?? वहाँ जाकर उसने कोई झंडे नहीं गाड़े थे.. जिस घर मे वो रहता था उसकी मालकिन के साथ तेरे भैया का चक्कर था.. वो रोज उसका दूध पीते थे.. आदमी कितना भी अनुभवी और समझदार क्यों न हो.. उसका लंड आखिर अपना रंग दिखाकर ही रहता है.. और उससे न करने वाले काम भी करवाता है.. और आदमी का लंड जवान हो या बूढ़ा.. उसे तो चूत चाहिए ही चाहिए.. !!"
कविता: "तो आप भी यहाँ उस रसिक के साथ सेट हो ही गई थी ना.. !!"
शीला: "एक बात कहूँ कविता.. !! ये बाहर का खाना खाने का चस्का बड़ा ही खतरनाक होता है.. एक बार चख लो फिर रहा ही नहीं जाता.. और रोज रोज मन करता है.. जब पति साथ हो तब भी पराये लंड लेने की खुजली उठती रहती है"
कविता: "भाभी, एक बात पूछूँ? कल जो आप रेणुका के साथ पार्टनर बदलने की बातें कर रही थी.. वो सच है या मज़ाक?"
शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "अब तुझसे क्या छुपाना.. ये बात सच है.. एक बार रेणुका ने मुझे बताया था की राजेश का बड़ा मन है मेरे साथ सेक्स करने का.. उसी चक्कर मे ये सब हो गया"
कविता: "हाय भाभी.. !! आपको राजेश सर के साथ यह सब करने मे शर्म नहीं आई?"
शीला: "शर्म तो बहोत आई थी.. पर जब तेरे राजेश सर ही शर्म छोड़कर नंगे हो गए फिर मैं अपने आप को क्यों रोकती भला.. !! हाँ, एक बात जरूर कहूँगी.. राजेश के साथ मज़ा बहोत आता है.. बहोत हार्ड है उसका"
कविता शरमा गई.. "क्या भाभी?? कैसा कैसा बोलती हो आप तो.. !!" कविता ने अपनी जांघें दबा ली.. "रेणुका को भी मदन भैया के साथ मज़ा आया होगा.. हैं ना.. !!"
शीला: "वो मुझे क्या पता.. तू खुद ही पूछ ले उससे"
कविता: "कैसा लगता होगा ना भाभी.. किसी सहेली के पति के साथ.. पूरी रात भर..!!" कविता की आँखों मे एक अजीब सी आशा का संचार हुआ
शीला: "चल अब अंदर चलते है.. वरना सब पूछेंगे की सिर्फ पानी पीने मे इतनी देर कैसे हुई.. !!"
कविता: "हाँ भाभी चलते है.. आपके साथ बातें तो कभी खतम ही नहीं होगी"
दोनों वापिस सब के पास पहुँच गए..
शीला का दिमाग किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था.. रमिलबहन थक कर सो गई थी.. पर बाकी सब लड़कियों की बातें खतम ही नहीं हो रही थी.. जैसे फिर कभी बातें करने का मौका मिलने ही नहीं वाला हो.. रात के साढ़े तीन बज रहे थे
आखिर मदन थक कर उठा और औरतों के कमरे के दरवाजे पर खड़े रहकर बोला "अब सो भी जाते है.. ये कविता मन ही मन हम सब को गालियां दे रही होगी.. की हमारे चक्कर मे उसकी रात खराब हो गई..!!"
मदन दरवाजे पर खड़ा था तब रेणुका बाथरूम जाने के लिए उठी.. और मदन के करीब से.. अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए निकल गई.. यह बात और किसी के ध्यान मे नहीं आई.. मदन और शीला के सिवा.. !! लेकिन कविता ने यह देख लिया.. और देखते ही उसके शरीर मे बड़ी ही विचित्र प्रकार की उत्तेजना होने लगी.. आज से पहले उसने कभी ऐसी उत्तेजना महसूस नहीं की थी.. कविता ने शीला के सामने देखा.. दोनों की नजरें एक हुई.. शीला ने एक नटखट स्माइल दी और कविता ने शरमाकर आँखें झुका दी
शीला: "ठीक कह रहा है मदन.. अब सो जाते है.. !!" सब बातें करते करते जहां बैठे थे.. वहीं जगह बनाकर लेटने लगे.. और कुछ ही पलों मे सब गहरी नींद सो भी गए
सुबह जागकर.. फ्रेश होने के बाद.. पिंटू और वैशाली उनके घर चले गए.. रमिलाबहन भी अपने घर चली गई.. शीला-मदन और रेणुका-राजेश भी वापिस लौटने के लिए तैयार हुए
पीयूष ने एक बार फिर मदन को याद दिलाया "भैया.. मेरी ओफर के बारे मे सोचकर बताना"
तब तो शीला कुछ नहीं बोली पर गाड़ी जब हाइवे पर आ गई तब उसने पूछा "राजेश, कौन सी ओफर की बात कर रहा था पीयूष?" शीला पूछना तो मदन से चाहती थी.. पर अब शहर से बाहर निकलते ही.. वह चारों फिर अपनी औकात पर आ गए.. शीला राजेश के साथ बैठ गई और रेणुका मदन के साथ.. इसलिए उसने राजेश से पूछा
राजेश के बदले मदन ने ही रेणुका के कंधे पर हाथ रखकर शीला को जवाब दिया.. "उसे अमरीका की एक कंपनी का बड़ा ऑर्डर मिल रहा है.. उस सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना होगा.. पीयूष को विदेश के बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है इसलिए वो मुझे अपने साथ ले जाना चाहता है"
शीला: "हाँ.. यह तो सच कहा पीयूष ने.. !! तुझे बड़ा अच्छा अनुभव है विदेश का.. वहाँ जाकर उसे यह भी सीखा देना की अंग्रेज राँडों के थनों से दूध कैसे निकालते है.. !!"
मदन: "बकवास मत कर शीला.. !!"
रेणुका: "अरे... ये तो नया जानने को मिला.. कौन थी वो अंग्रेज रांड?? मुझे भी तो बताओ"
शीला ने विस्तार पूर्वक सब कुछ बताया.. मदन की बोलती बंद हो गई.. उसकी खामोशी मे ही उसकी गलती का इजहार था.. !!
शीला: "देख मदन.. साफ साफ बता रही हूँ.. इस बार मैं तुझे अकेले जाने नहीं दूँगी.. या तो हम दोनों साथ जाएंगे.. या तो फिर पीयूष को जिसे साथ लेकर जाना हो जाएँ.. अपनी बीवी को या अपनी माँ को.. मैं तुझे जाने नहीं दूँगी.. अगर मुझे छोड़कर तू अकेला गया.. तो देख लेना.. अब तक तो सिर्फ रसिक, जीवा और रघु को मैंने घर पर बुलाया था.. पर इस बार तो मैं खुद उनके घर चली जाऊँगी.. फिर तुझे यहाँ वापिस लौटकर आने की कोई जरूरत नहीं होगी.. तू वहीं खुश रहना.. और मैं यहाँ खुश रहूँगी.. ये क्या हर बार की झंझट.. !! मैं यहाँ उँगलियाँ डाल डालकर दिन काटती रहूँ और तू वहाँ विदेशी गायों का दूध चूसता रहें.. !! मुझे वो सब फिर से नहीं दोहराना.. !!"
मदन: "अरे यार.. पिछली बार तो मैं दो साल के लिए गया था इसलिए वो सब हो गया.. इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा.. और शायद राजेश भी हमारे साथ चलेगा.. फिर तुझे कैसी फिक्र??"
शीला: "तो एक काम कर.. रसिक, रघु और जीवा को भी अपने साथ ले जा अमरीका.. फिर मैं यहाँ मेरे भोसड़े पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दूँगी.. तू और राजेश दोनों चले जाएंगे फिर मैं और रेणुका यहाँ बैठकर क्या भजन करेंगे?? एक महीने के लिए जाना ही हो तो मेरे लिए तीस नए लंड का बंदोबस्त करके जाना.. नहीं तो कह देती हूँ तुझे... मैं चकले पर बैठकर अपना भोसड़ा फड़वा लूँगी.. !!"
शीला की बातें सुनकर, राजेश जोर जोर से हंसने लगा और उत्तेजित होकर उसे एक हाथ से अपनी ओर खींचकर चूम लिया.. और कहा "शाबाश मेरी रानी.. मदन, अब क्या करेगा तू?"
मदन परेशान होकर बोला "यार ये तो बड़ी मुसीबत हो गई"
शीला: "कोई मुसीबत नहीं हुई है.. अगर चाहो तो सब कुछ हो सकता है.. अगर बिजनेस के लिए ही जा रहे हो तो मुझे साथ ले जाने मे तुझे क्या दिक्कत है?? मुझे सब पता है.. बिजनेस के नाम पर तुम लोगों को वहाँ जाकर विदेशी चूतों को चाटना है.. यहाँ घर पर बैठे हम चिंता कर रही होती है की तुमने खाना खाया होगा या नहीं.. और तुम वहाँ गुलाबी चूतों के रस से अपना पेट भर रहे होंगे.. !! राँडों से सेंडविच मसाज करवा रहे होंगे.. !! सब पता है मुझे तुम सब के गोरख धंधे.. !!"
मदन: "ऐसा नहीं है यार.. !!"
शीला: "तू तो कुछ बोल ही मत.. मुझे समझाने की कोशिश भी मत करना.. सालों.. जब देखो तब अकेले अकेले निकल पड़ते हो.. हमें क्या सिर्फ चोदने और बच्चे पैदा करने के लिए ब्याह कर लाए थे.. !! घर आकर जब बीमार हो जाते हो तब कौन सी फिरंगी राँडें आती है तुम्हारा खयाल रखने.. तुम्हारे सर पर नवरत्न तेल लगाने के लिए.. वहाँ तो बड़े चाव से पैसे लेकर तुम्हारे लंड और आँड़ों पर मसाज करती है.. पर यहाँ तुम्हें टाइगर बाम लगाने कोई नहीं आएगी.. !!" गुस्से मे शीला ने मदन की गांड ही फाड़ दी
रेणुका: "राजेश, मुझे तो ऐसा सब पता ही नहीं था.. तू भी विदेश जाकर ये सब करता है?? अब से तय रहा.. तेरी हर फ़ॉरेन टूर मे, मैं तेरे साथ ही चलूँगी.. वरना खड्डे मे गया तेरा बिजनेस.. माल एक्स्पोर्ट करते करते पूरे के पूरा पति एक्स्पोर्ट हो जाए.. ऐसा बिजनेस हमें नहीं करना.. !! अच्छा हुआ जो शीला ने आज मेरी आँखें खोल दी.. वरना एक दिन तू मेरे हाथ से ही चला जाता"
अब राजेश मदन पर गुस्सा करने लगा "यार मदन.. ये क्या है?? तेरे चक्कर में यहाँ मेरे घर मे आग लग गई.. !!"
मदन: "मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा की अब मैं क्या करूँ?? पीयूष को किस तरह मना करूँ?? पहली बार उसने मुझसे कुछ मदद मांगी है"
शीला: "बोल दे उसे.. की हम दोनों साथ ही आ रहे है उसके साथ.. मैं बात करूँ फोन पर??" कार ड्राइव कर रहे मदन की गोद से फोन खींचकर शीला ने सीधे पीयूष को फोन लगाया
पीयूष: "हाँ मदन भैया.. कहाँ तक पहुंचे?"
शीला: "पीयूष, शीला बोल रही हूँ.. तुमने आज जो मदन को ओफर दिया है.. उसके लिए वो तैयार है.. तुम लोग अमरीका जाने की तैयारी करो.. " कहते हुए शीला ने फोन काट दिया..
मदन: "ये सब क्या हो रहा है शीला.. !! मुझे तो मना कर रही है और वहाँ पीयूष को हाँ बोल दिया"
शीला: "वो सब तुझे समझना है.. तुझे पीयूष को मना भी नहीं करना है और मैं दुखी न हो जाऊँ उसका ध्यान भी रखना है.. एक साथ दो दो औरतों को हेंडल करता है.. इतना तो कर ही सकता है तू"
मदन ने गाड़ी साइड पर रोकी और अपना सर पकड़कर बैठ गया.. "यार राजेश.. तू ही गाड़ी चला.. मेरा तो दिमाग काम नहीं कर रहा"
राजेश ड्राइविंग सीट पर आकर बैठा तो शीला भी पीछे की सीट से आगे आ गई.. "जा बैठ अपने चुदक्कड़ मर्द के साथ" कहते हुए शीला ने रेणुका को पीछे मदन के साथ भेज दिया
पीछे की सीट पर रेणुका ने मदन की जांघ पर हाथ रख दिया पर मदन को पता तक नहीं चला.. शीला ने उसे जड़ से हिला दिया था
आगे एक घंटे के सफर के दौरान किसी ने कुछ नहीं कहा.. राजेश ने मदन और शीला को उनके घर ड्रॉप किया.. जब शीला और मदन गाड़ी से उतरे तब रेणुका ने हंसकर कहा "कितने दिनों के बाद हम अपने असली पतियों के साथ जाएंगे"
शीला: "हाँ यार.. मैं तो भूल ही चुकी हूँ की मेरा असली पति कौन है.. !!" ठहाका मारकर शीला ने कहा
शीला और मदन अपने घर मे दाखिल हुए तब रेणुका और राजेश अपने घर की ओर रवाना हो गए
दो दिन सब ठीक-ठाक ही चलता रहा.. उस दौरान राजेश को यह विचार परेशान करने लगा था की अगर रेणुका ने भी साथ आने की जिद पकड़ी तो फिर क्या होगा.. !!
मदन की सहमति जानने के लिए पीयूष बार बार फोन कर रहा था.. पर मदन अब भी तय नहीं कर पा रहा था..
कुछ दिनों बाद.. शीला ने राजेश और रेणुका को एक रात के लिए उनके घर आने का न्योता दिया..
सब साथ बैठे थे तब दोबारा वही बात निकली
मदन: "यार राजेश, वो पीयूष रोज मुझे फोन करता है.. अब क्या जवाब दूँ उसे समझ नहीं आ रहा मुझे..!!"
राजेश: "साले तेरे चक्कर मे.. मेरा अकेले टूर पर जाना केन्सल हो गया उसका क्या.. !!"
रेणुका: "यार तुम दोनों मे से कोई ऐसा क्यों नहीं सोचता की अपनी बीवियों को साथ लेकर जाए... !! अकेले अकेले भटकने की आदत हो गई है तुम सब को.. वरना ऐसा तो कोई बिजनेस का काम नहीं होता जहां पत्नी को लेकर नहीं जा सकते.. "
मदन: "राजेश, अब तो ये नोबत आ गई है की हम वहाँ कुछ भी गलत नहीं करते ये साबित करने के लिए हमें इन दोनों को वहाँ ले जाना पड़ेगा"
राजेश: "मुझे एक बढ़िया विचार आ रहा है.. क्यों न हम सब काम के साथ साथ कपल टूर का भी प्लान करें?? इन दोनों के साथ साथ कविता को भी ले लेंगे.. वैसे भी वो पीयूष के बगैर बोर होती रहती है"
मदन: "पर क्या पीयूष कविता को साथ लेने के लिए राजी होगा?"
शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे मदन.. वैसे तू भी कहाँ मुझे साथ ले जाने के लिए राजी था.. मना लिया ना मैंने.. अगर औरत चाहें तो बीच बाजार मुजरा करवा सकती है अपने पति से.. !!"
रेणुका: "लेकिन यार.. उन दोनों की मौजूदगी में.. हम चारों को सब कुछ बंद कर देना पड़ेगा.. !!"
मदन: "क्या बंद करना पड़ेगा?"
शीला: "हमारी अदला-बदली का खेल बंद करना पड़ेगा"
मदन: "अरे यार.. अब तक हम गए कहाँ है.. अभी फिलहाल तो सबकुछ चल ही रहा है ना.." मदन ने रेणुका को आँख मारते हुए कहा.. और फिर बोला "चल रेणु डार्लिंग.. बेडरूम मे चलते है.. वहाँ जाने के बाद जो होगा देखा जाएगा"
रेणुका मदन के गले मे हाथ डालकर बोली "हाँ चलो चलते है.. मेरा भी कब से मन कर रहा है"
मदन और रेणुका ने वैशाली के बेडरूम मे.. तो दूसरी तरफ राजेश और शीला ने उनके बेडरूम मे पूरी रात भरपूर चुदाई का लुत्फ उठाया
Superb gazab update dear vakharia sirशीला और मदन अब सामान्य हो चुके थे.. और उनका निजी जीवन फिर से खिल उठा था.. जैसे जीवन मे फिर से बहार आ गई थी.. वैशाली का टेंशन दूर होते है.. शीला और रेणुका ने फिर से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था ..
रेणुका को रसिक के लँड से चुदवाने मे इतना मज़ा आता था की वो शीला को बार बार रीक्वेस्ट करती पर शीला ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया
एक दिन रेणुका ने शीला को अपने घर बुलाया.. जब शीला उसके घर पहुंची तब घर पर ताला था और बाहर चिठ्ठी रखी हुई थी जिसमे रेणुका ने लिखा था "राजेश का ध्यान रखना.. मैं मदन को संभाल लूँगी"
शीला समझ गई की रेणुका ने रसिक का लंड लेने के लिए ही यह दांव आजमाया था.. शीला को अब रसिक मे उतनी दिलचस्पी थी भी नहीं.. रसिक के लंड से वैसे भी वो रोज खेलती ही थी.. और अब तो मदन को भी इस बारे मे पता था.. !!
एक पूरा हफ्ता शीला राजेश के साथ और रेणुका मदन के साथ पति-पत्नी की तरह रहे.. शुक्रवार शाम को जब शीला ने मदन को फोन किया.. तब रेणुका और मदन एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे..
शीला: "हैलो मदन.. मैं शीला बोल रही हूँ... पहचाना मुझे??" शीला मदन के मजे ले रही थी
मदन जोर से हंस पड़ा और बोला "ओहोहों.. शीला जी.. आप को भला कौन नहीं जानता.. !!! आप वही है ना जो उस दूधवाले रसिक का लंड चूसती है??"
शीला भी कम नहीं थी, उसने कहा "सिर्फ रसिक ही नहीं.. मैं तो उसके दोस्त जीवा और रघु का भी लंड लेती हूँ.. और रसिक के साथ मेरा नाम मत जोड़िए.. वो तो आपकी बीवी रेणुका का आशिक हो चुका है अब.. !!"
मदन: "बताइए शीला जी, फोन क्यों किया?"
शीला: "मज़ाक छोड़ मदन.. वैशाली को गए हुए कल दस दिन हो गए.. बेचारी लड़की से हमे मिलने जाना चाहिए.. वो अकेली है वहाँ"
मदन: "हाँ यार.. सही कहा तूने.. बता, कब जाना है? राजेश से भी पूछ ले.. उससे चलना हो तो हम चारों साथ चलते है.. पीयूष वैसे भी मुझे बुला रहा है.. उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर को पूरा करने के लिए उसे मेरी जरूरत है.. दोनों काम हो जाएंगे"
रेणुका के सुंदर स्तनों को दबाते हुए मदन ने सब कुछ सेट कर दिया.. तो दूसरी तरफ शीला के भोसड़े को पेलते हुए राजेश ने भी हाँ कह दिया.. सब ने दूसरे दिन जाना तय कर लिया..
दूसरे दिन तैयार होकर मदन और रेणुका ऑटो मे राजेश के घर पहुँच गए.. राजेश ने गाड़ी निकाली और शीला उसके साथ आगे ही बढ़ गई.. मदन और रेणुका पीछे बैठे रहे
शनिवार शाम को पीयूष ऑफिस पर था और कविता घर के काम मे व्यस्त थी तब चारों सब से पहले पीयूष के घर गए.. डोरबेल बजाते ही कविता ने दरवाजा खोला और उन चारों को देखकर चकित हो गई.. !!
कविता की आँखों के आसपास बने डार्क सरकल्स देखकर शीला समझ गई की कविता को पीयूष की तरफ से समय समय पर ठीक से पोषण नहीं मिल रहा होगा.. !! शीला से लिपट कर कविता बहोत रोई.. !! बांधकर रखी हुई कितनी सारी भावनाएं एक साथ बहकर आंसुओं के संग बाहर निकलने लगी..
चाय नाश्ता निपटाकर मदन और राजेश पीयूष की ऑफिस जाने निकले.. कविता पीयूष को फोन कर बताना चाहती थी पर राजेश ने मना किया.. वो दोनों पीयूष को सप्राइज़ देना चाहते थे.. !!
मदन और राजेश दोनों चले गए..
अब शीला, रेणुका और कविता घर पर अकेले थे.. कविता अपनी दुख भरी दास्तान सुनाती उससे पहले ही शीला ने उसके जीवन मे रस भरना शुरू कर दिया.. कविता अपनी व्यथा सुनाने के लिए बेताब थी पर शीला वो डॉक्टर थी जिसे कविता के मर्ज के बारे मे पहले से ही पता था.. !! इसलिए उसे रोग के लक्षणों को सुने बगैर ही इलाज शुरू कर दिया.. !! एक के बाद एक.. विकृत और गंदी कामुक बातें कर.. शीला और रेणुका ने कविता की गीली कर दी.. नंगी बातों और गालियों से भरे किस्से सुनकर कविता की उदासी भांप बनकर उड़ गई...
जब शीला ने देखा की लोहा ठीक से गरम हो चुका है.. तब उसने कविता के ब्लाउस पर हाथ रखकर उसके स्तनों को दबा दिया..
कविता: "मेरा शरीर अब उस बंजर जमीन की तरह है जिसमे उसके किसान को कोई दिलचस्पी ही नहीं है.. जिस तरह वो बिजनेस मे डूब चुका है लगता भी नहीं है की इस जमीन पर कभी कोई हरियाली आ सकेगी"
नीचे झुककर शीला ने कविता के ब्लाउस के ऊपर से ही उसकी निप्पल को दांतों से काटते हुए कहा "कोई बात नहीं कविता.. मदन भी जब मुझे बंजर जमीन की तरह छोड़कर विदेश चला गया था तब मैंने ही इस जमीन को बंजर होने से बचा लिया था.. तुझे तो पता है ही.. सही और गलत के बीच मैं पिसती रही.. २०-२० महीनों तक.. पति के स्पर्श के बगैर शरीर को इच्छाओ का कत्ल कर दिया था मैंने.. फिर इस बंजर हो रही जमीन पर.. एक सुबह अचानक रसिक नाम का बादल बरस गया.. तब मुझे एहसास हुआ की अगर वो बारिश ना हुई होती तो मेरी ज़िंदगी को उझड़ने से कोई नहीं बचा पाता.. कविता, तू पीयूष को शांति से समझा.. अगर वो फिर भी न माने.. तो तेरे इस सुंदर शरीर को इस तरह मुरझाने मत देना.. कितने भँवरे तैयार होंगे तेरा रस चूसने के लिए.. कोई एक को ढूंढ ले.. और आराम से जवानी का लुत्फ उठा.. हाँ पर सावधानी जरूर रखना.."
शीला का यह प्रवचन खत्म होने तक कविता ऐसे तपने लगी थी थी जैसे उसे १०४ डिग्री का बुखार चढ़ा हो.. फरक सिर्फ इतना था की यह गर्मी हवस की थी.. जो शीला की जीभ और उंगलियों से चुटकी बजाते शांत हो जाने वाली थी..
रेणुका दूर सोफ़े पर बैठे बैठे शीला और कविता के इस काम-युद्ध को देख रही थी.. और अपने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर चूत को सहला भी रही थी..
पंद्रह बीस मिनट के भीषण काम-संग्राम के पश्चात.. कविता की चूत ठंडी कर दी शीला ने.. !! एक जबरदस्त झटके के साथ आह्ह-आह्ह कहते हुए कविता उछलकर शांत हो गई.. कविता के शांत और सुने घर मे शीला के आने से जैसे जान आ गई थी.. !!
स्खलित होकर शांत होने के बाद कविता ने शीला से कहा "भाभी, इसीलिए तो मैं आपको इतना मिस करती थी.. रात को अकेले बिस्तर पर करवटें लेकर सोचती की अगर मेरी शीला भाभी यहाँ होती तो कागज पर लंड का चित्र बनाकर भी मुझे संतुष्ट कर देती.. किसी न किसी से मेरा सेटिंग करवा ही देती.. पर यहाँ तो मुझ बेचारी के सामने कोई नजरें उठाकर देखने को भी तैयार नहीं है"
शीला: "कीसे पटाना चाहती है तू.. मुझे बस नाम बता.. बाकी मैं संभाल लूँगी"
कविता: "ऐसा तो कभी सोचा नहीं यही किसी एक व्यक्ति के बार मे.. "
रेणुका: "शीला, कविता की चूत अब भी कितनी टाइट है ना.. !!"
शीला: "अभी तो कविता जवान है.. और बच्चा भी नहीं हुआ है.. इसलिए.. !!"
रेणुका: "सोच, अगर रसिक इस पर चढ़ेगा तो कविता का क्या हाल होगा.. !!"
सुनकर चोंक उठी कविता.. रेणुका भी रसिक के लंड की दीवानी हो गई.. !!! साला वो रसिक शहर की सारी औरतों को चोदने का विश्वविक्रम बना लेगा एक दिन.. !!!
शीला: "कविता को भी रसिक का लंड लेने की बड़ी तीव्र इच्छा है रेणुका.. और रसिक तो पहले से ही कविता पर मरता है.. पर मैं कविता की चूत थोड़ी सी ढीली होने का इंतज़ार कर रही हूँ.. उसके बाद दोनों का सेटिंग करूंगी"
रेणुका: "तुझे क्या रसिक ने बताया की वो कविता का दीवाना है?"
शीला: "हाँ, उसी ने बताया.. शहर की फेशनेबल जवान और सुडौल लड़की को चोदने की रसिक को बहोत इच्छा है.. पर उस साले गंवार दूधवाले के साथ कौनसी जवान मॉडर्न लड़की चुदवाएगी?? अपनी चूत को जानबूझ कर कौन बर्बाद करना चाहेगा?? तेरी और मेरी बात अलग है.. हमें आदत हो गई है और रसिक का लेने के लिए हम किसी भी हद तक जा भी सकते है.. इसलिए उसके साथ है.. वरना जैसा वो दिखता है.. गनीमत है की रूखी उसे चोदने भी देती है.. !!"
रेणुका: "साली कमीनी.. मुझे क्यों बीच मे घसीट रही है?? तुझे ही बड़ा चस्का लग गया है रसिक का लंड लेने का.. !!"
शीला: "अच्छा.. बड़ी होशियारी दिखा रही है.. इसीलिए तो मुझे अपने पति के साथ भेजकर.. हफ्ता हफ्ता भर तू मदन के साथ पत्नी बनकर रहती है.. है ना.. !!" जोश जोश मे शीला ने वो कह दिया जो बोलना नहीं था
रेणुका जोर से चिल्लाई "चुप हो जा शीला.... !!" कविता के सामने इस बात का जिक्र होते ही रेणुका को पसीना आ गया.. पर एक बार शुरू होने के बाद शीला कहाँ रुकने वाली थी.. !!
शीला: "साली रेणुका रांड.. अब ज्यादा शरीफ मत बन.. मुझे सब पता है.. तू सिर्फ रसिक के खूँटे जैसे लंड से चुदवाने के लिए ही पति बदलने तैयार हुई थी.. एक साथ जब दो दो लंड साथ मिल रहे हो तो अपने पति की परवाह तू क्यों करेगी... !! वैसे रसिक का लंड है भी ऐसा.. जो एक बार देख ले.. उसका ग़ुलाम बन जाए.. "
यह सब सुनकर कविता तो अपनी सुधबुध गंवा बैठी थी.. रेणुका और शीला की बहस मे कविता के सामने उनके कई राज खुल गए.. !!
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मदन और राजेश जब पीयूष की ऑफिस पहुंचे तब वह उन्हें देख चोंक उठा.. बिजनेस के काम मे हमेशा उलझा रहता पीयूष उनके आने से खुश हो गया.. बड़े ही प्यार और सन्मान से उसने दोनों का स्वागत किया और अपनी कुर्सी से उठ खड़े होकर, राजेश को वहाँ बैठने के लिए कहा.. आखिर उसके पुराने बॉस थे राजेश सर.. !!
शाम के साढ़े सात बजे तक तीनों बातें करते रहे.. फिर पीयूष की महंगी गाड़ी मे तीनों घर पहुंचे.. आज उन्हें वैशाली और पिंटू के घर डिनर पर बुलाया गया था.. एक बाप के तौर पर मदन पहली बार वैशाली के इस नए ससुराल जा रहा था.. !! इसलिए वो पिंटू के घर के तमाम सदस्यों के लिए गिफ्ट लेकर आया था..
आज कविता के चेहरे पर गजब की रॉनक थी.. उसकी चमक को देखकर पीयूष को भी आश्चर्य हो रहा था.. कल तक मरे हुए मेंडक जैसी शक्ल वाली कविता.. आज अचानक से खिलकर गुलाब का फूल बन गई थी.. !!
शीला भाभी की चरबीदार गोरी कमर पर बनी लकीरें.. ब्लाउज मे कैद दोनों मिसाइलों जैसे उत्तुंग स्तनों को देखकर पीयूष का लंड उसके पेंट मे ही अनुलोम-विलोम करने लगा.. उसे थोड़ा सा अंदाजा तो लग ही चुका था की कविता के चेहरे की चमक के पीछे शीला भाभी का ही हाथ था.. !! किसी विवादित प्रॉपर्टी पर न्यायधीश के हुक्म से जैसे स्टे-ऑर्डर हट जाता है वैसे ही शीला भाभी के हुस्न को देखकर पीयूष का सारा स्ट्रेस हट गया..
सब फटाफट तैयार हो गए और वैशाली-पिंटू के घर पहुँच गए.. जीन्स और टी-शर्ट पहनकर अपना गदराया यौवन उछालते रहती वैशाली के जीवन मे अब काफी तबदीली आ चुकी थी.. वो फिलहाल अपने होने वाले नए ससुराल मे थी और अभी उसे अपना प्रभाव बनाना था.. इसलिए संस्कारी बहुओं की तरह उसने एक रिच लुक वाला पंजाबी ड्रेस पहन रखा था.. वैशाली को इस नए रूप मे देख, पीयूष और कविता के साथ साथ मदन और शीला भी चोंक गए थे..
वैशाली के खिले हुए चेहरे को देखकर लग रहा था की वो संजय की पुरानी कड़वी यादों को भूल चुकी थी.. पर साथ ही साथ.. वो गिलहरी जैसी चंचलता भी पीछे छोड़ आई थी.. एक विशिष्ट प्रकार की गंभीरता थी उसके चेहरे पर..
अपनी बेटी को ससुराल मे खुश देखकर.. किसी भी माँ-बाप के दिल मे कई मनोभावों का मनोहर सा इंद्रधनुष सर्जित हो जाता है.. शर्म और संकोच के साथ.. पराधीनता को सहते हुए.. अपने सगे माँ-बाप और अपने घर को छोड़कर.. किसी गैर के माँ-बाप को अपना बनाने का काम केवल एक औरत ही कर सकती है.. !! मर्दों के तो ये बस की ही नहीं है.. !! इसका कारण यह है की यह काम करने के लिए साहस की नहीं.. समर्पण की आवश्यकता होती है.. जो सब पुरुषों के स्वाभाव मे कुदरती तौर पर मौजूद नहीं होता..
शीला ने वैशाली के साथ ढेर सारी बातें की.. पीयूष की ओर देखकर वैशाली ने आँखों ही आँखों मे पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर ली.. और साथ ही साथ बड़े ही अदब के साथ राजेश सर की ओर पूर्ण नज़रों से देखकर.. माउंट आबू मे उन दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाने की हिदायत भी दे दी..
कविता और रेणुका के साथ वैशाली ने पिंटू के घर और लोगों के बारे मे ढेर सारी बातें की.. कविता बड़े ही ध्यान से इसलिए सुन रही थी क्योंकि एक समय पर उसका सपना था.. इस घर मे दुल्हन बनकर आने का.. !! अपने प्रेमी की शादी की तैयारी करना कितना कठिन होता होगा.. यह समझने के लिए, एक बार प्रेम करना आवश्यक है..
इस दूसरी बार की शादी से पहले वैशाली ऐसी कोई गलती करना नहीं चाहती थी की जिसके कारण पिंटू जैसा हीरा उसके हाथों से छूट जाए.. अपने आप को पूर्णतः समर्पित कर उसने पिंटू के घरवालों के दिल जीत लिए थे.. पिंटू और वैशाली के ट्यूनीनग को परखकर.. वैशाली के स्वभाव को अच्छी तरह जानकर.. पिंटू के पापा ने इस रिश्ते के लिए खुशी खुशी अपनी अनुमति जता दी साथ मे यह भी कहा की उनके घर वाले, वैशाली को उनकी बहु बनाकर घर लाने के लिए उतावले हो रहे थे
आज का दिन बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण था.. वैशाली, पिंटू, मदन और शीला के लिए.. और कविता के लिए भी.. हाँ, सब के कारण जरूर अलग अलग थे.. !!
खाना खाकर जब सब कविता के घर वापिस लौटने के लिए निकले.. तब वैशाली को भी बड़ा मन हुआ की वो उन सब के साथ कविता के घर जाए.. पर वो चाहकर भी नहीं बोल पाई.. अब यही उसका घर था.. सब को गाड़ी मे बैठता देख उदास हो रही वैशाली को देखकर पिंटू समझ गया.. उसने मदन से कहा की वो लोग वैशाली को भी एक दिन के लिए अपने साथ ले जाए..
एक साथ कितने सारे चेहरों ने बड़ी ही आशा भारी नज़रों से पिंटू के पापा की ओर देखा..
पिंटू के पापा ने कहा "बेटा.. वैशाली अब हमारे घर की होने वाली बहु है.. उसे मैं अकेली कहीं नहीं जाने दूंगा.. तू भी साथ चला जा.. वैसे भी कल रविवार है.. आराम से एक दिन सब साथ रहो.. !!"
इतना सुनते ही वैशाली पीयूष और कविता के साथ तुरंत कार मे बैठ गई.. मायके का माहोल मिलते ही वैशाली के शरीर मे एक नई ऊर्जा और आनंद का संचार होने लगा.. हंसी-मज़ाक करते हुए सब कविता-पीयूष के घर पहुंचे
घर पर सब साथ बैठकर बातें कर रहे थे..शीला, रेणुका, कविता और वैशाली अंदर के कमरे मे बातें करने गए तब पीयूष ने बताया की उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर के सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना पड़ेगा.. पहली बार विदेश जाने के विचार से पीयूष थोड़ा सा परेशान था
राजेश: "घबराने की कोई जरूरत नहीं है, पीयूष,. तू इत्मीनान से जा.. ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा.. !!
मदन: "हाँ सच कहा राजेश ने.. पर वहाँ जाकर हम सब को भूल मत जाना.. और ये याद रखना की वहाँ तुम सिर्फ काम के लिए जा रहे हो.. गोरी चमड़ी हम सब की बहोत बड़ी कमजोरी है.. ये तो तुझे पता ही होगा"
पीयूष: "मुझे इस एक्सपोर्ट बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है.. वैसे मैं इस ऑर्डर को लेकर ज्यादा होपफूल भी नहीं था.. कविता भी मना कर रही थी.. उसे जरा भी मन नहीं है मुझे विदेश भेजने का.. मदन भैया.. उसके दिमाग मे ये बात घर कर गई है की वहाँ जाकर लोग गोरी लड़कियों के जाल मे फंस जाते है और अपनी पत्नी को भूल जाते है.. !!"
मदन: "वैसे उसकी चिंता जायज भी है.. ऐसा सिर्फ फिल्मों मे ही नहीं होता.. !! पर हाँ, हर किसी के साथ ऐसा हो यह जरूरी भी नहीं है"
राजेश: "वैसे मैं भी हर दो चार महीनों मे विदेश यात्रा पर जाता हूँ.. मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ"
मदन: "वो तो हमें क्या मालूम की तू वहाँ हर दो चार महीनों मे क्यों जाता है!!!"
राजेश: "मतलब तुम कहना क्या चाहते हो?? मैं वहाँ जाकर गुलछर्रे उड़ाता हूँ??"
पीयूष: "आप लोग बात को कहाँ से कहाँ ले गए.. !!! मैं तो बिजनेस के बारे मे बात कर रहा था.. "
उनकी बातें सुनकर पिंटू भी हंसने लगा
मदन: "पीयूष, यह बातें भी बड़ी जरूरी है.. बिजनेस से भले ही उन सब का कोई लेना देना न हो.. पर जब ऐसी कोई घटना घटती है तो कई ज़िंदगियाँ तबाह हो जाती है"
पीयूष: "फिर तो मुझे जाना ही नहीं है"
राजेश: "अरे यार.. इतनी छोटी सी बात के लिए तू इतना बड़ा ऑर्डर छोड़ देगा.. !! बेवकूफी मत कर पीयूष"
मदन: "एक रास्ता है, राजेश.. तू अक्सर विदेश जाता रहता है और एक्सपोर्ट बिजनेस का तुझे काफी तजुर्बा भी है.. क्यों न तू ही पीयूष के साथ चला जाता.. !! एक बार वो वहाँ ठीक से सेट हो जाए फिर तुम वापिस आ जाना.. !!"
राजेश: "अरे यार.. ये सब इतना आसान थोड़ी न है.. !! मैं वहाँ जाऊंगा तो मेरा यहाँ का काम कौन देखेगा?? इससे अच्छा तू ही चला जा पीयूष के साथ... वैसे भी तू अभी फ्री ही है"
पिंटू: "हाँ अंकल.. सर की बात सही है" पिंटू को अभी मदन को पापा कहने की आदत नहीं हुई थी
मदन ने सोचते हुए कहा "वैसे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर... !!"
पीयूष: "मगर-बगर छोड़िए मदन भैया.. आप मेरे साथ चलिए.. हो सकता है आपको भी किसी नए बिजनेस की लाइन मिल जाए.. उसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जाएगा"
मदन: "मैं देखता हूँ पीयूष.. मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.. !!"
मदन ने इस बारे मे सोचने की बात तो कही.. पर उसके अंदाज से यह स्पष्ट था की वो आना चाहता था.. रात खत्म हो गई पर सब की बातें खत्म नहीं हो रही थी.. सुबह तक सब बातें करते रहे.. बहुत समय बाद पुराने पड़ोसी मिल रहे थे
कविता बाहर ड्रॉइंग रूम मे आई जहां सारे मर्द बैठे थे.. आकर उसने शिकायत की मदन से "मदन भैया.. आप पीयूष को थोड़ा समझाइए.. मेरी तरफ भी थोड़ा ध्यान दिया करे.. "
मदन और राजेश ने पीयूष को अपने हिसाब से थोड़ी हिदायत दी.. सुनकर पीयूष उठा और दूसरे कमरे मे गया जहां सारी औरतें बैठकर बातें कर रही थी.. खास कर तो वो शीला भाभी के दर्शन करने गया था.. और शीला की पारखी नजर यह बात समझ भी गई..
शीला उठकर किचन मे गई.. पानी पीने के बहाने.. और फिर पीयूष को आवाज लगाई
पीयूष: "क्या हुआ भाभी? रुकिए एक मिनट.. मैं अभी आया"
पीयूष ने किचन मे जाकर देखा.. शीला अपना एक स्तन ब्लाउस के बाहर निकालकर.. बाहें फैलाएं उसका इंतज़ार कर रही थी.. शीला को इस स्थिति मे देखकर.. पीयूष की गांड फटकर फ्लावर हो गई.. !! वो बेवकूफ की तरह शीला के सामने खड़ा होकर बस देखता ही रहा... शीला ने उसका गिरहबान पकड़कर अपने तरफ खींचा और उसे एक जोरदार किस कर दी.. और बोली "क्यों बे चोदू.. !! अपनी शीला भाभी को भूल गया.. !! चल दबा इसे फटाफट.. !!"
पीयूष ने डरते डरते शीला के खुले बबले को मसला और फिर निप्पल को मुंह मे लेकर चूसने लगा.. उसे उत्तेजना के साथ साथ जबरदस्त डर भी लग रहा था..
उतनी देर मे तो शीला ने पीयूष के लोडे को पेंट के ऊपर से ही मसल कर रख दिया और उसके कान मे बोली "ओह्ह पीयूष.. इसे अंदर लिए हुए कितना टाइम हो गया.. बहुत मन कर रहा है यार.. इसे एक बार फिर से मेरे अंदर लेने के लिए"
तभी पीयूष ने कविता के पायलों की झंकार सुनी.. और वो सावधान होकर शीला से अलग हो गया.. दूर खड़ा रहकर वो ग्लास मे पानी भरने लगा.. शीला ने भी आनन-फानन मे अपना स्तन ब्लाउज के अंदर डालकर पल्लू ढँक लिया..
कविता के आते ही शीला ने पीयूष से कहा "अब तू जा यहाँ से.. मुझे कविता से कुछ खास बात करनी है"
पीयूष चला गया और कविता शीला के करीब आकर खड़ी हो गई.. शीला ने फिर से अपना स्तन बाहर निकाला और कविता को दिखाते हुए बोली "ये देख.. कल तूने कितना जोर से काट लिया था.. अब भी दर्द कर रहा है मुझे.. !! अब कोई आ जाए इससे पहले इस जख्म को थोड़ा सा चाट ले ताकि मेरी जलन थोड़ी सी कम हो"
शर्म से पानी पानी होते हुए कविता ने शीला भाभी के स्तन पर जीभ फेरना शुरू कर दिया.. कविता को महसूस हुआ की शीला की निप्पल पहले से ही गीली थी.. पीयूष जो चूसकर गया था
कविता ने आश्चर्य से पूछा "भाभी, आपकी निप्पल गीली कैसे हो गई??"
शीला: "अरे यार.. पूरा स्तन दुख रहा था इसलिए मैंने थोड़ा सा पानी लगाया है.. ताकि थोड़ी सी ठंडक मिलें.. पर एक लोचा हो गया"
कविता: "क्या हुआ भाभी?"
शीला: "मैं पानी लगा रही थी तब शायद पीयूष ने देख लिया"
कविता: "उसमें कौन सी बड़ी बात है भाभी.. !! वैसे भी उस दिन सिनेमा हॉल मे आपने उसे दबाने दीये ही थे ना.. !!"
शीला: "अरे पगली.. उस दिन तो तेरी और पिंटू की हरकतें देख न ले इसलिए मजबूरन मुझे किराया चुकाना पड़ा था.. चल छोड़ वो सब.. ये बता.. अब जब पिंटू और वैशाली शादी करने वाले है.. तुझे दुख तो हो रहा होगा.. !!"
कविता शीला के खुले उरोज को देखते हुए बोली "दुख तो होगा ही ना भाभी.. पर अब मैंने स्वीकार कर लिया है की पिंटू मेरे नसीब मे कभी था ही नहीं.. मेरे साथ उसका भविष्य जब मुमकिन ही नहीं था तब वो किसी न किसी के साथ आगे बढ़ने वाला ही था.. यह तो मैं पहले से जानती थी.. !! अच्छा हुआ जो उसने वैशाली को ही अपना हमसफ़र बना लिया.. अब मुझे पिंटू की कोई फिक्र नहीं रहेगी.. !!"
शीला: "कविता.. तेरे भरोसे ही मैंने वैशाली को यहाँ भेजा है.. तू हमेशा उसका ध्यान रखना.. हम तो दूर रहते है.. पर उसके सब से करीब तू ही है.. हफ्ते-दस दिन मे एक बार उससे जरूर मिलते रहना.. उसी बहाने तुझे भी पिंटू को मिलने का मौका भी मिलता रहेगा.. शादी के बाद भी प्रेमी से मिलने का और बात करने का मौका मिलता रहे.. उससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा.. !!"
कविता: "हाँ भाभी, वो तो है.. और आप वैशाली की बिल्कुल चिंता मत करना.. हम हैं ना यहाँ उसके साथ.. !! भाभी, अब मुझे एक नई चिंता सताने लगी है.. !!"
शीला: "कौन सी चिंता??"
कविता: "पीयूष पर अब विदेश जाने का भूत सवार हो चुका है.. उस ऑर्डर के सिलसिले मे.. पर भाभी.. मदन भैया के जाने के बाद.. आपका जो हाल हुआ था वैसा कहीं मेरा भी न हो जाए उसकी चिंता मुझे खाए जा रही है.. वक्त तो उसे अभी भी नहीं मिलता मेरे लिए.. लेकिन पंद्रह दिन में एक बार तो मेरा नसीब खुल ही जाता है उसके साथ.. फिर तो वो भी नहीं होगा.. मदन भैया तो अनुभवी और काफी समझदार है.. उनकी तुलना मे पीयूष को अनुभव भी कम है और समझदारी भी है.. जवानी के जोश में वो वहाँ किसी के साथ उलझ गया तो मेरी तो ज़िंदगी तबाह हो जाएगी.. !! समझ मे नहीं आ रहा की उसे जाने दूँ या नहीं.. !! अभी मैं उनकी बातें सुन रही थी.. वो मदन भैया को अपने साथ वहाँ ले जाने की बात कर रहा था.. अगर भैया उसके साथ जाएँ तो मुझे उसे जाने देने मे कोई दिक्कत नहीं है.. भाभी, आप प्लीज मदन भैया को पीयूष के साथ जाने देना.. !!"
यह सुनते ही शीला के चेहरे का नूर उड़ गया.. !! दो साल के लिए मदन गया था तब उसकी ज़िंदगी जहर बन गई थी.. एक बार और वो आठ महीनों के लीये एक प्रोजेक्ट के लिए वहाँ जाकर आया था.. अब दोबारा मदन विदेश जाएगा?? बड़ी ही मुश्किलों के बाद वैशाली का प्रॉब्लेम आज सॉल्व हुआ तो ये नया टेंशन आ गया.. !!"
कविता: "क्या सोच रहे हो भाभी??" शीला के गाल पर हाथ रखते हुए कविता ने पूछा
शीला: "जिस मदन भैया को तू समझदार और ठहरा हुआ समझती है.. तुझे पता है, उसने विदेश जाकर क्या गुल खिलाए थे?? वहाँ जाकर उसने कोई झंडे नहीं गाड़े थे.. जिस घर मे वो रहता था उसकी मालकिन के साथ तेरे भैया का चक्कर था.. वो रोज उसका दूध पीते थे.. आदमी कितना भी अनुभवी और समझदार क्यों न हो.. उसका लंड आखिर अपना रंग दिखाकर ही रहता है.. और उससे न करने वाले काम भी करवाता है.. और आदमी का लंड जवान हो या बूढ़ा.. उसे तो चूत चाहिए ही चाहिए.. !!"
कविता: "तो आप भी यहाँ उस रसिक के साथ सेट हो ही गई थी ना.. !!"
शीला: "एक बात कहूँ कविता.. !! ये बाहर का खाना खाने का चस्का बड़ा ही खतरनाक होता है.. एक बार चख लो फिर रहा ही नहीं जाता.. और रोज रोज मन करता है.. जब पति साथ हो तब भी पराये लंड लेने की खुजली उठती रहती है"
कविता: "भाभी, एक बात पूछूँ? कल जो आप रेणुका के साथ पार्टनर बदलने की बातें कर रही थी.. वो सच है या मज़ाक?"
शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "अब तुझसे क्या छुपाना.. ये बात सच है.. एक बार रेणुका ने मुझे बताया था की राजेश का बड़ा मन है मेरे साथ सेक्स करने का.. उसी चक्कर मे ये सब हो गया"
कविता: "हाय भाभी.. !! आपको राजेश सर के साथ यह सब करने मे शर्म नहीं आई?"
शीला: "शर्म तो बहोत आई थी.. पर जब तेरे राजेश सर ही शर्म छोड़कर नंगे हो गए फिर मैं अपने आप को क्यों रोकती भला.. !! हाँ, एक बात जरूर कहूँगी.. राजेश के साथ मज़ा बहोत आता है.. बहोत हार्ड है उसका"
कविता शरमा गई.. "क्या भाभी?? कैसा कैसा बोलती हो आप तो.. !!" कविता ने अपनी जांघें दबा ली.. "रेणुका को भी मदन भैया के साथ मज़ा आया होगा.. हैं ना.. !!"
शीला: "वो मुझे क्या पता.. तू खुद ही पूछ ले उससे"
कविता: "कैसा लगता होगा ना भाभी.. किसी सहेली के पति के साथ.. पूरी रात भर..!!" कविता की आँखों मे एक अजीब सी आशा का संचार हुआ
शीला: "चल अब अंदर चलते है.. वरना सब पूछेंगे की सिर्फ पानी पीने मे इतनी देर कैसे हुई.. !!"
कविता: "हाँ भाभी चलते है.. आपके साथ बातें तो कभी खतम ही नहीं होगी"
दोनों वापिस सब के पास पहुँच गए..
शीला का दिमाग किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था.. रमिलबहन थक कर सो गई थी.. पर बाकी सब लड़कियों की बातें खतम ही नहीं हो रही थी.. जैसे फिर कभी बातें करने का मौका मिलने ही नहीं वाला हो.. रात के साढ़े तीन बज रहे थे
आखिर मदन थक कर उठा और औरतों के कमरे के दरवाजे पर खड़े रहकर बोला "अब सो भी जाते है.. ये कविता मन ही मन हम सब को गालियां दे रही होगी.. की हमारे चक्कर मे उसकी रात खराब हो गई..!!"
मदन दरवाजे पर खड़ा था तब रेणुका बाथरूम जाने के लिए उठी.. और मदन के करीब से.. अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए निकल गई.. यह बात और किसी के ध्यान मे नहीं आई.. मदन और शीला के सिवा.. !! लेकिन कविता ने यह देख लिया.. और देखते ही उसके शरीर मे बड़ी ही विचित्र प्रकार की उत्तेजना होने लगी.. आज से पहले उसने कभी ऐसी उत्तेजना महसूस नहीं की थी.. कविता ने शीला के सामने देखा.. दोनों की नजरें एक हुई.. शीला ने एक नटखट स्माइल दी और कविता ने शरमाकर आँखें झुका दी
शीला: "ठीक कह रहा है मदन.. अब सो जाते है.. !!" सब बातें करते करते जहां बैठे थे.. वहीं जगह बनाकर लेटने लगे.. और कुछ ही पलों मे सब गहरी नींद सो भी गए
सुबह जागकर.. फ्रेश होने के बाद.. पिंटू और वैशाली उनके घर चले गए.. रमिलाबहन भी अपने घर चली गई.. शीला-मदन और रेणुका-राजेश भी वापिस लौटने के लिए तैयार हुए
पीयूष ने एक बार फिर मदन को याद दिलाया "भैया.. मेरी ओफर के बारे मे सोचकर बताना"
तब तो शीला कुछ नहीं बोली पर गाड़ी जब हाइवे पर आ गई तब उसने पूछा "राजेश, कौन सी ओफर की बात कर रहा था पीयूष?" शीला पूछना तो मदन से चाहती थी.. पर अब शहर से बाहर निकलते ही.. वह चारों फिर अपनी औकात पर आ गए.. शीला राजेश के साथ बैठ गई और रेणुका मदन के साथ.. इसलिए उसने राजेश से पूछा
राजेश के बदले मदन ने ही रेणुका के कंधे पर हाथ रखकर शीला को जवाब दिया.. "उसे अमरीका की एक कंपनी का बड़ा ऑर्डर मिल रहा है.. उस सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना होगा.. पीयूष को विदेश के बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है इसलिए वो मुझे अपने साथ ले जाना चाहता है"
शीला: "हाँ.. यह तो सच कहा पीयूष ने.. !! तुझे बड़ा अच्छा अनुभव है विदेश का.. वहाँ जाकर उसे यह भी सीखा देना की अंग्रेज राँडों के थनों से दूध कैसे निकालते है.. !!"
मदन: "बकवास मत कर शीला.. !!"
रेणुका: "अरे... ये तो नया जानने को मिला.. कौन थी वो अंग्रेज रांड?? मुझे भी तो बताओ"
शीला ने विस्तार पूर्वक सब कुछ बताया.. मदन की बोलती बंद हो गई.. उसकी खामोशी मे ही उसकी गलती का इजहार था.. !!
शीला: "देख मदन.. साफ साफ बता रही हूँ.. इस बार मैं तुझे अकेले जाने नहीं दूँगी.. या तो हम दोनों साथ जाएंगे.. या तो फिर पीयूष को जिसे साथ लेकर जाना हो जाएँ.. अपनी बीवी को या अपनी माँ को.. मैं तुझे जाने नहीं दूँगी.. अगर मुझे छोड़कर तू अकेला गया.. तो देख लेना.. अब तक तो सिर्फ रसिक, जीवा और रघु को मैंने घर पर बुलाया था.. पर इस बार तो मैं खुद उनके घर चली जाऊँगी.. फिर तुझे यहाँ वापिस लौटकर आने की कोई जरूरत नहीं होगी.. तू वहीं खुश रहना.. और मैं यहाँ खुश रहूँगी.. ये क्या हर बार की झंझट.. !! मैं यहाँ उँगलियाँ डाल डालकर दिन काटती रहूँ और तू वहाँ विदेशी गायों का दूध चूसता रहें.. !! मुझे वो सब फिर से नहीं दोहराना.. !!"
मदन: "अरे यार.. पिछली बार तो मैं दो साल के लिए गया था इसलिए वो सब हो गया.. इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा.. और शायद राजेश भी हमारे साथ चलेगा.. फिर तुझे कैसी फिक्र??"
शीला: "तो एक काम कर.. रसिक, रघु और जीवा को भी अपने साथ ले जा अमरीका.. फिर मैं यहाँ मेरे भोसड़े पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दूँगी.. तू और राजेश दोनों चले जाएंगे फिर मैं और रेणुका यहाँ बैठकर क्या भजन करेंगे?? एक महीने के लिए जाना ही हो तो मेरे लिए तीस नए लंड का बंदोबस्त करके जाना.. नहीं तो कह देती हूँ तुझे... मैं चकले पर बैठकर अपना भोसड़ा फड़वा लूँगी.. !!"
शीला की बातें सुनकर, राजेश जोर जोर से हंसने लगा और उत्तेजित होकर उसे एक हाथ से अपनी ओर खींचकर चूम लिया.. और कहा "शाबाश मेरी रानी.. मदन, अब क्या करेगा तू?"
मदन परेशान होकर बोला "यार ये तो बड़ी मुसीबत हो गई"
शीला: "कोई मुसीबत नहीं हुई है.. अगर चाहो तो सब कुछ हो सकता है.. अगर बिजनेस के लिए ही जा रहे हो तो मुझे साथ ले जाने मे तुझे क्या दिक्कत है?? मुझे सब पता है.. बिजनेस के नाम पर तुम लोगों को वहाँ जाकर विदेशी चूतों को चाटना है.. यहाँ घर पर बैठे हम चिंता कर रही होती है की तुमने खाना खाया होगा या नहीं.. और तुम वहाँ गुलाबी चूतों के रस से अपना पेट भर रहे होंगे.. !! राँडों से सेंडविच मसाज करवा रहे होंगे.. !! सब पता है मुझे तुम सब के गोरख धंधे.. !!"
मदन: "ऐसा नहीं है यार.. !!"
शीला: "तू तो कुछ बोल ही मत.. मुझे समझाने की कोशिश भी मत करना.. सालों.. जब देखो तब अकेले अकेले निकल पड़ते हो.. हमें क्या सिर्फ चोदने और बच्चे पैदा करने के लिए ब्याह कर लाए थे.. !! घर आकर जब बीमार हो जाते हो तब कौन सी फिरंगी राँडें आती है तुम्हारा खयाल रखने.. तुम्हारे सर पर नवरत्न तेल लगाने के लिए.. वहाँ तो बड़े चाव से पैसे लेकर तुम्हारे लंड और आँड़ों पर मसाज करती है.. पर यहाँ तुम्हें टाइगर बाम लगाने कोई नहीं आएगी.. !!" गुस्से मे शीला ने मदन की गांड ही फाड़ दी
रेणुका: "राजेश, मुझे तो ऐसा सब पता ही नहीं था.. तू भी विदेश जाकर ये सब करता है?? अब से तय रहा.. तेरी हर फ़ॉरेन टूर मे, मैं तेरे साथ ही चलूँगी.. वरना खड्डे मे गया तेरा बिजनेस.. माल एक्स्पोर्ट करते करते पूरे के पूरा पति एक्स्पोर्ट हो जाए.. ऐसा बिजनेस हमें नहीं करना.. !! अच्छा हुआ जो शीला ने आज मेरी आँखें खोल दी.. वरना एक दिन तू मेरे हाथ से ही चला जाता"
अब राजेश मदन पर गुस्सा करने लगा "यार मदन.. ये क्या है?? तेरे चक्कर में यहाँ मेरे घर मे आग लग गई.. !!"
मदन: "मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा की अब मैं क्या करूँ?? पीयूष को किस तरह मना करूँ?? पहली बार उसने मुझसे कुछ मदद मांगी है"
शीला: "बोल दे उसे.. की हम दोनों साथ ही आ रहे है उसके साथ.. मैं बात करूँ फोन पर??" कार ड्राइव कर रहे मदन की गोद से फोन खींचकर शीला ने सीधे पीयूष को फोन लगाया
पीयूष: "हाँ मदन भैया.. कहाँ तक पहुंचे?"
शीला: "पीयूष, शीला बोल रही हूँ.. तुमने आज जो मदन को ओफर दिया है.. उसके लिए वो तैयार है.. तुम लोग अमरीका जाने की तैयारी करो.. " कहते हुए शीला ने फोन काट दिया..
मदन: "ये सब क्या हो रहा है शीला.. !! मुझे तो मना कर रही है और वहाँ पीयूष को हाँ बोल दिया"
शीला: "वो सब तुझे समझना है.. तुझे पीयूष को मना भी नहीं करना है और मैं दुखी न हो जाऊँ उसका ध्यान भी रखना है.. एक साथ दो दो औरतों को हेंडल करता है.. इतना तो कर ही सकता है तू"
मदन ने गाड़ी साइड पर रोकी और अपना सर पकड़कर बैठ गया.. "यार राजेश.. तू ही गाड़ी चला.. मेरा तो दिमाग काम नहीं कर रहा"
राजेश ड्राइविंग सीट पर आकर बैठा तो शीला भी पीछे की सीट से आगे आ गई.. "जा बैठ अपने चुदक्कड़ मर्द के साथ" कहते हुए शीला ने रेणुका को पीछे मदन के साथ भेज दिया
पीछे की सीट पर रेणुका ने मदन की जांघ पर हाथ रख दिया पर मदन को पता तक नहीं चला.. शीला ने उसे जड़ से हिला दिया था
आगे एक घंटे के सफर के दौरान किसी ने कुछ नहीं कहा.. राजेश ने मदन और शीला को उनके घर ड्रॉप किया.. जब शीला और मदन गाड़ी से उतरे तब रेणुका ने हंसकर कहा "कितने दिनों के बाद हम अपने असली पतियों के साथ जाएंगे"
शीला: "हाँ यार.. मैं तो भूल ही चुकी हूँ की मेरा असली पति कौन है.. !!" ठहाका मारकर शीला ने कहा
शीला और मदन अपने घर मे दाखिल हुए तब रेणुका और राजेश अपने घर की ओर रवाना हो गए
दो दिन सब ठीक-ठाक ही चलता रहा.. उस दौरान राजेश को यह विचार परेशान करने लगा था की अगर रेणुका ने भी साथ आने की जिद पकड़ी तो फिर क्या होगा.. !!
मदन की सहमति जानने के लिए पीयूष बार बार फोन कर रहा था.. पर मदन अब भी तय नहीं कर पा रहा था..
कुछ दिनों बाद.. शीला ने राजेश और रेणुका को एक रात के लिए उनके घर आने का न्योता दिया..
सब साथ बैठे थे तब दोबारा वही बात निकली
मदन: "यार राजेश, वो पीयूष रोज मुझे फोन करता है.. अब क्या जवाब दूँ उसे समझ नहीं आ रहा मुझे..!!"
राजेश: "साले तेरे चक्कर मे.. मेरा अकेले टूर पर जाना केन्सल हो गया उसका क्या.. !!"
रेणुका: "यार तुम दोनों मे से कोई ऐसा क्यों नहीं सोचता की अपनी बीवियों को साथ लेकर जाए... !! अकेले अकेले भटकने की आदत हो गई है तुम सब को.. वरना ऐसा तो कोई बिजनेस का काम नहीं होता जहां पत्नी को लेकर नहीं जा सकते.. "
मदन: "राजेश, अब तो ये नोबत आ गई है की हम वहाँ कुछ भी गलत नहीं करते ये साबित करने के लिए हमें इन दोनों को वहाँ ले जाना पड़ेगा"
राजेश: "मुझे एक बढ़िया विचार आ रहा है.. क्यों न हम सब काम के साथ साथ कपल टूर का भी प्लान करें?? इन दोनों के साथ साथ कविता को भी ले लेंगे.. वैसे भी वो पीयूष के बगैर बोर होती रहती है"
मदन: "पर क्या पीयूष कविता को साथ लेने के लिए राजी होगा?"
शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे मदन.. वैसे तू भी कहाँ मुझे साथ ले जाने के लिए राजी था.. मना लिया ना मैंने.. अगर औरत चाहें तो बीच बाजार मुजरा करवा सकती है अपने पति से.. !!"
रेणुका: "लेकिन यार.. उन दोनों की मौजूदगी में.. हम चारों को सब कुछ बंद कर देना पड़ेगा.. !!"
मदन: "क्या बंद करना पड़ेगा?"
शीला: "हमारी अदला-बदली का खेल बंद करना पड़ेगा"
मदन: "अरे यार.. अब तक हम गए कहाँ है.. अभी फिलहाल तो सबकुछ चल ही रहा है ना.." मदन ने रेणुका को आँख मारते हुए कहा.. और फिर बोला "चल रेणु डार्लिंग.. बेडरूम मे चलते है.. वहाँ जाने के बाद जो होगा देखा जाएगा"
रेणुका मदन के गले मे हाथ डालकर बोली "हाँ चलो चलते है.. मेरा भी कब से मन कर रहा है"
मदन और रेणुका ने वैशाली के बेडरूम मे.. तो दूसरी तरफ राजेश और शीला ने उनके बेडरूम मे पूरी रात भरपूर चुदाई का लुत्फ उठाया
Nice updateशीला और मदन अब सामान्य हो चुके थे.. और उनका निजी जीवन फिर से खिल उठा था.. जैसे जीवन मे फिर से बहार आ गई थी.. वैशाली का टेंशन दूर होते है.. शीला और रेणुका ने फिर से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था ..
रेणुका को रसिक के लँड से चुदवाने मे इतना मज़ा आता था की वो शीला को बार बार रीक्वेस्ट करती पर शीला ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया
एक दिन रेणुका ने शीला को अपने घर बुलाया.. जब शीला उसके घर पहुंची तब घर पर ताला था और बाहर चिठ्ठी रखी हुई थी जिसमे रेणुका ने लिखा था "राजेश का ध्यान रखना.. मैं मदन को संभाल लूँगी"
शीला समझ गई की रेणुका ने रसिक का लंड लेने के लिए ही यह दांव आजमाया था.. शीला को अब रसिक मे उतनी दिलचस्पी थी भी नहीं.. रसिक के लंड से वैसे भी वो रोज खेलती ही थी.. और अब तो मदन को भी इस बारे मे पता था.. !!
एक पूरा हफ्ता शीला राजेश के साथ और रेणुका मदन के साथ पति-पत्नी की तरह रहे.. शुक्रवार शाम को जब शीला ने मदन को फोन किया.. तब रेणुका और मदन एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे..
शीला: "हैलो मदन.. मैं शीला बोल रही हूँ... पहचाना मुझे??" शीला मदन के मजे ले रही थी
मदन जोर से हंस पड़ा और बोला "ओहोहों.. शीला जी.. आप को भला कौन नहीं जानता.. !!! आप वही है ना जो उस दूधवाले रसिक का लंड चूसती है??"
शीला भी कम नहीं थी, उसने कहा "सिर्फ रसिक ही नहीं.. मैं तो उसके दोस्त जीवा और रघु का भी लंड लेती हूँ.. और रसिक के साथ मेरा नाम मत जोड़िए.. वो तो आपकी बीवी रेणुका का आशिक हो चुका है अब.. !!"
मदन: "बताइए शीला जी, फोन क्यों किया?"
शीला: "मज़ाक छोड़ मदन.. वैशाली को गए हुए कल दस दिन हो गए.. बेचारी लड़की से हमे मिलने जाना चाहिए.. वो अकेली है वहाँ"
मदन: "हाँ यार.. सही कहा तूने.. बता, कब जाना है? राजेश से भी पूछ ले.. उससे चलना हो तो हम चारों साथ चलते है.. पीयूष वैसे भी मुझे बुला रहा है.. उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर को पूरा करने के लिए उसे मेरी जरूरत है.. दोनों काम हो जाएंगे"
रेणुका के सुंदर स्तनों को दबाते हुए मदन ने सब कुछ सेट कर दिया.. तो दूसरी तरफ शीला के भोसड़े को पेलते हुए राजेश ने भी हाँ कह दिया.. सब ने दूसरे दिन जाना तय कर लिया..
दूसरे दिन तैयार होकर मदन और रेणुका ऑटो मे राजेश के घर पहुँच गए.. राजेश ने गाड़ी निकाली और शीला उसके साथ आगे ही बढ़ गई.. मदन और रेणुका पीछे बैठे रहे
शनिवार शाम को पीयूष ऑफिस पर था और कविता घर के काम मे व्यस्त थी तब चारों सब से पहले पीयूष के घर गए.. डोरबेल बजाते ही कविता ने दरवाजा खोला और उन चारों को देखकर चकित हो गई.. !!
कविता की आँखों के आसपास बने डार्क सरकल्स देखकर शीला समझ गई की कविता को पीयूष की तरफ से समय समय पर ठीक से पोषण नहीं मिल रहा होगा.. !! शीला से लिपट कर कविता बहोत रोई.. !! बांधकर रखी हुई कितनी सारी भावनाएं एक साथ बहकर आंसुओं के संग बाहर निकलने लगी..
चाय नाश्ता निपटाकर मदन और राजेश पीयूष की ऑफिस जाने निकले.. कविता पीयूष को फोन कर बताना चाहती थी पर राजेश ने मना किया.. वो दोनों पीयूष को सप्राइज़ देना चाहते थे.. !!
मदन और राजेश दोनों चले गए..
अब शीला, रेणुका और कविता घर पर अकेले थे.. कविता अपनी दुख भरी दास्तान सुनाती उससे पहले ही शीला ने उसके जीवन मे रस भरना शुरू कर दिया.. कविता अपनी व्यथा सुनाने के लिए बेताब थी पर शीला वो डॉक्टर थी जिसे कविता के मर्ज के बारे मे पहले से ही पता था.. !! इसलिए उसे रोग के लक्षणों को सुने बगैर ही इलाज शुरू कर दिया.. !! एक के बाद एक.. विकृत और गंदी कामुक बातें कर.. शीला और रेणुका ने कविता की गीली कर दी.. नंगी बातों और गालियों से भरे किस्से सुनकर कविता की उदासी भांप बनकर उड़ गई...
जब शीला ने देखा की लोहा ठीक से गरम हो चुका है.. तब उसने कविता के ब्लाउस पर हाथ रखकर उसके स्तनों को दबा दिया..
कविता: "मेरा शरीर अब उस बंजर जमीन की तरह है जिसमे उसके किसान को कोई दिलचस्पी ही नहीं है.. जिस तरह वो बिजनेस मे डूब चुका है लगता भी नहीं है की इस जमीन पर कभी कोई हरियाली आ सकेगी"
नीचे झुककर शीला ने कविता के ब्लाउस के ऊपर से ही उसकी निप्पल को दांतों से काटते हुए कहा "कोई बात नहीं कविता.. मदन भी जब मुझे बंजर जमीन की तरह छोड़कर विदेश चला गया था तब मैंने ही इस जमीन को बंजर होने से बचा लिया था.. तुझे तो पता है ही.. सही और गलत के बीच मैं पिसती रही.. २०-२० महीनों तक.. पति के स्पर्श के बगैर शरीर को इच्छाओ का कत्ल कर दिया था मैंने.. फिर इस बंजर हो रही जमीन पर.. एक सुबह अचानक रसिक नाम का बादल बरस गया.. तब मुझे एहसास हुआ की अगर वो बारिश ना हुई होती तो मेरी ज़िंदगी को उझड़ने से कोई नहीं बचा पाता.. कविता, तू पीयूष को शांति से समझा.. अगर वो फिर भी न माने.. तो तेरे इस सुंदर शरीर को इस तरह मुरझाने मत देना.. कितने भँवरे तैयार होंगे तेरा रस चूसने के लिए.. कोई एक को ढूंढ ले.. और आराम से जवानी का लुत्फ उठा.. हाँ पर सावधानी जरूर रखना.."
शीला का यह प्रवचन खत्म होने तक कविता ऐसे तपने लगी थी थी जैसे उसे १०४ डिग्री का बुखार चढ़ा हो.. फरक सिर्फ इतना था की यह गर्मी हवस की थी.. जो शीला की जीभ और उंगलियों से चुटकी बजाते शांत हो जाने वाली थी..
रेणुका दूर सोफ़े पर बैठे बैठे शीला और कविता के इस काम-युद्ध को देख रही थी.. और अपने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर चूत को सहला भी रही थी..
पंद्रह बीस मिनट के भीषण काम-संग्राम के पश्चात.. कविता की चूत ठंडी कर दी शीला ने.. !! एक जबरदस्त झटके के साथ आह्ह-आह्ह कहते हुए कविता उछलकर शांत हो गई.. कविता के शांत और सुने घर मे शीला के आने से जैसे जान आ गई थी.. !!
स्खलित होकर शांत होने के बाद कविता ने शीला से कहा "भाभी, इसीलिए तो मैं आपको इतना मिस करती थी.. रात को अकेले बिस्तर पर करवटें लेकर सोचती की अगर मेरी शीला भाभी यहाँ होती तो कागज पर लंड का चित्र बनाकर भी मुझे संतुष्ट कर देती.. किसी न किसी से मेरा सेटिंग करवा ही देती.. पर यहाँ तो मुझ बेचारी के सामने कोई नजरें उठाकर देखने को भी तैयार नहीं है"
शीला: "कीसे पटाना चाहती है तू.. मुझे बस नाम बता.. बाकी मैं संभाल लूँगी"
कविता: "ऐसा तो कभी सोचा नहीं यही किसी एक व्यक्ति के बार मे.. "
रेणुका: "शीला, कविता की चूत अब भी कितनी टाइट है ना.. !!"
शीला: "अभी तो कविता जवान है.. और बच्चा भी नहीं हुआ है.. इसलिए.. !!"
रेणुका: "सोच, अगर रसिक इस पर चढ़ेगा तो कविता का क्या हाल होगा.. !!"
सुनकर चोंक उठी कविता.. रेणुका भी रसिक के लंड की दीवानी हो गई.. !!! साला वो रसिक शहर की सारी औरतों को चोदने का विश्वविक्रम बना लेगा एक दिन.. !!!
शीला: "कविता को भी रसिक का लंड लेने की बड़ी तीव्र इच्छा है रेणुका.. और रसिक तो पहले से ही कविता पर मरता है.. पर मैं कविता की चूत थोड़ी सी ढीली होने का इंतज़ार कर रही हूँ.. उसके बाद दोनों का सेटिंग करूंगी"
रेणुका: "तुझे क्या रसिक ने बताया की वो कविता का दीवाना है?"
शीला: "हाँ, उसी ने बताया.. शहर की फेशनेबल जवान और सुडौल लड़की को चोदने की रसिक को बहोत इच्छा है.. पर उस साले गंवार दूधवाले के साथ कौनसी जवान मॉडर्न लड़की चुदवाएगी?? अपनी चूत को जानबूझ कर कौन बर्बाद करना चाहेगा?? तेरी और मेरी बात अलग है.. हमें आदत हो गई है और रसिक का लेने के लिए हम किसी भी हद तक जा भी सकते है.. इसलिए उसके साथ है.. वरना जैसा वो दिखता है.. गनीमत है की रूखी उसे चोदने भी देती है.. !!"
रेणुका: "साली कमीनी.. मुझे क्यों बीच मे घसीट रही है?? तुझे ही बड़ा चस्का लग गया है रसिक का लंड लेने का.. !!"
शीला: "अच्छा.. बड़ी होशियारी दिखा रही है.. इसीलिए तो मुझे अपने पति के साथ भेजकर.. हफ्ता हफ्ता भर तू मदन के साथ पत्नी बनकर रहती है.. है ना.. !!" जोश जोश मे शीला ने वो कह दिया जो बोलना नहीं था
रेणुका जोर से चिल्लाई "चुप हो जा शीला.... !!" कविता के सामने इस बात का जिक्र होते ही रेणुका को पसीना आ गया.. पर एक बार शुरू होने के बाद शीला कहाँ रुकने वाली थी.. !!
शीला: "साली रेणुका रांड.. अब ज्यादा शरीफ मत बन.. मुझे सब पता है.. तू सिर्फ रसिक के खूँटे जैसे लंड से चुदवाने के लिए ही पति बदलने तैयार हुई थी.. एक साथ जब दो दो लंड साथ मिल रहे हो तो अपने पति की परवाह तू क्यों करेगी... !! वैसे रसिक का लंड है भी ऐसा.. जो एक बार देख ले.. उसका ग़ुलाम बन जाए.. "
यह सब सुनकर कविता तो अपनी सुधबुध गंवा बैठी थी.. रेणुका और शीला की बहस मे कविता के सामने उनके कई राज खुल गए.. !!
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मदन और राजेश जब पीयूष की ऑफिस पहुंचे तब वह उन्हें देख चोंक उठा.. बिजनेस के काम मे हमेशा उलझा रहता पीयूष उनके आने से खुश हो गया.. बड़े ही प्यार और सन्मान से उसने दोनों का स्वागत किया और अपनी कुर्सी से उठ खड़े होकर, राजेश को वहाँ बैठने के लिए कहा.. आखिर उसके पुराने बॉस थे राजेश सर.. !!
शाम के साढ़े सात बजे तक तीनों बातें करते रहे.. फिर पीयूष की महंगी गाड़ी मे तीनों घर पहुंचे.. आज उन्हें वैशाली और पिंटू के घर डिनर पर बुलाया गया था.. एक बाप के तौर पर मदन पहली बार वैशाली के इस नए ससुराल जा रहा था.. !! इसलिए वो पिंटू के घर के तमाम सदस्यों के लिए गिफ्ट लेकर आया था..
आज कविता के चेहरे पर गजब की रॉनक थी.. उसकी चमक को देखकर पीयूष को भी आश्चर्य हो रहा था.. कल तक मरे हुए मेंडक जैसी शक्ल वाली कविता.. आज अचानक से खिलकर गुलाब का फूल बन गई थी.. !!
शीला भाभी की चरबीदार गोरी कमर पर बनी लकीरें.. ब्लाउज मे कैद दोनों मिसाइलों जैसे उत्तुंग स्तनों को देखकर पीयूष का लंड उसके पेंट मे ही अनुलोम-विलोम करने लगा.. उसे थोड़ा सा अंदाजा तो लग ही चुका था की कविता के चेहरे की चमक के पीछे शीला भाभी का ही हाथ था.. !! किसी विवादित प्रॉपर्टी पर न्यायधीश के हुक्म से जैसे स्टे-ऑर्डर हट जाता है वैसे ही शीला भाभी के हुस्न को देखकर पीयूष का सारा स्ट्रेस हट गया..
सब फटाफट तैयार हो गए और वैशाली-पिंटू के घर पहुँच गए.. जीन्स और टी-शर्ट पहनकर अपना गदराया यौवन उछालते रहती वैशाली के जीवन मे अब काफी तबदीली आ चुकी थी.. वो फिलहाल अपने होने वाले नए ससुराल मे थी और अभी उसे अपना प्रभाव बनाना था.. इसलिए संस्कारी बहुओं की तरह उसने एक रिच लुक वाला पंजाबी ड्रेस पहन रखा था.. वैशाली को इस नए रूप मे देख, पीयूष और कविता के साथ साथ मदन और शीला भी चोंक गए थे..
वैशाली के खिले हुए चेहरे को देखकर लग रहा था की वो संजय की पुरानी कड़वी यादों को भूल चुकी थी.. पर साथ ही साथ.. वो गिलहरी जैसी चंचलता भी पीछे छोड़ आई थी.. एक विशिष्ट प्रकार की गंभीरता थी उसके चेहरे पर..
अपनी बेटी को ससुराल मे खुश देखकर.. किसी भी माँ-बाप के दिल मे कई मनोभावों का मनोहर सा इंद्रधनुष सर्जित हो जाता है.. शर्म और संकोच के साथ.. पराधीनता को सहते हुए.. अपने सगे माँ-बाप और अपने घर को छोड़कर.. किसी गैर के माँ-बाप को अपना बनाने का काम केवल एक औरत ही कर सकती है.. !! मर्दों के तो ये बस की ही नहीं है.. !! इसका कारण यह है की यह काम करने के लिए साहस की नहीं.. समर्पण की आवश्यकता होती है.. जो सब पुरुषों के स्वाभाव मे कुदरती तौर पर मौजूद नहीं होता..
शीला ने वैशाली के साथ ढेर सारी बातें की.. पीयूष की ओर देखकर वैशाली ने आँखों ही आँखों मे पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर ली.. और साथ ही साथ बड़े ही अदब के साथ राजेश सर की ओर पूर्ण नज़रों से देखकर.. माउंट आबू मे उन दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाने की हिदायत भी दे दी..
कविता और रेणुका के साथ वैशाली ने पिंटू के घर और लोगों के बारे मे ढेर सारी बातें की.. कविता बड़े ही ध्यान से इसलिए सुन रही थी क्योंकि एक समय पर उसका सपना था.. इस घर मे दुल्हन बनकर आने का.. !! अपने प्रेमी की शादी की तैयारी करना कितना कठिन होता होगा.. यह समझने के लिए, एक बार प्रेम करना आवश्यक है..
इस दूसरी बार की शादी से पहले वैशाली ऐसी कोई गलती करना नहीं चाहती थी की जिसके कारण पिंटू जैसा हीरा उसके हाथों से छूट जाए.. अपने आप को पूर्णतः समर्पित कर उसने पिंटू के घरवालों के दिल जीत लिए थे.. पिंटू और वैशाली के ट्यूनीनग को परखकर.. वैशाली के स्वभाव को अच्छी तरह जानकर.. पिंटू के पापा ने इस रिश्ते के लिए खुशी खुशी अपनी अनुमति जता दी साथ मे यह भी कहा की उनके घर वाले, वैशाली को उनकी बहु बनाकर घर लाने के लिए उतावले हो रहे थे
आज का दिन बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण था.. वैशाली, पिंटू, मदन और शीला के लिए.. और कविता के लिए भी.. हाँ, सब के कारण जरूर अलग अलग थे.. !!
खाना खाकर जब सब कविता के घर वापिस लौटने के लिए निकले.. तब वैशाली को भी बड़ा मन हुआ की वो उन सब के साथ कविता के घर जाए.. पर वो चाहकर भी नहीं बोल पाई.. अब यही उसका घर था.. सब को गाड़ी मे बैठता देख उदास हो रही वैशाली को देखकर पिंटू समझ गया.. उसने मदन से कहा की वो लोग वैशाली को भी एक दिन के लिए अपने साथ ले जाए..
एक साथ कितने सारे चेहरों ने बड़ी ही आशा भारी नज़रों से पिंटू के पापा की ओर देखा..
पिंटू के पापा ने कहा "बेटा.. वैशाली अब हमारे घर की होने वाली बहु है.. उसे मैं अकेली कहीं नहीं जाने दूंगा.. तू भी साथ चला जा.. वैसे भी कल रविवार है.. आराम से एक दिन सब साथ रहो.. !!"
इतना सुनते ही वैशाली पीयूष और कविता के साथ तुरंत कार मे बैठ गई.. मायके का माहोल मिलते ही वैशाली के शरीर मे एक नई ऊर्जा और आनंद का संचार होने लगा.. हंसी-मज़ाक करते हुए सब कविता-पीयूष के घर पहुंचे
घर पर सब साथ बैठकर बातें कर रहे थे..शीला, रेणुका, कविता और वैशाली अंदर के कमरे मे बातें करने गए तब पीयूष ने बताया की उस अमरीकन कंपनी के ऑर्डर के सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना पड़ेगा.. पहली बार विदेश जाने के विचार से पीयूष थोड़ा सा परेशान था
राजेश: "घबराने की कोई जरूरत नहीं है, पीयूष,. तू इत्मीनान से जा.. ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा.. !!
मदन: "हाँ सच कहा राजेश ने.. पर वहाँ जाकर हम सब को भूल मत जाना.. और ये याद रखना की वहाँ तुम सिर्फ काम के लिए जा रहे हो.. गोरी चमड़ी हम सब की बहोत बड़ी कमजोरी है.. ये तो तुझे पता ही होगा"
पीयूष: "मुझे इस एक्सपोर्ट बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है.. वैसे मैं इस ऑर्डर को लेकर ज्यादा होपफूल भी नहीं था.. कविता भी मना कर रही थी.. उसे जरा भी मन नहीं है मुझे विदेश भेजने का.. मदन भैया.. उसके दिमाग मे ये बात घर कर गई है की वहाँ जाकर लोग गोरी लड़कियों के जाल मे फंस जाते है और अपनी पत्नी को भूल जाते है.. !!"
मदन: "वैसे उसकी चिंता जायज भी है.. ऐसा सिर्फ फिल्मों मे ही नहीं होता.. !! पर हाँ, हर किसी के साथ ऐसा हो यह जरूरी भी नहीं है"
राजेश: "वैसे मैं भी हर दो चार महीनों मे विदेश यात्रा पर जाता हूँ.. मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ"
मदन: "वो तो हमें क्या मालूम की तू वहाँ हर दो चार महीनों मे क्यों जाता है!!!"
राजेश: "मतलब तुम कहना क्या चाहते हो?? मैं वहाँ जाकर गुलछर्रे उड़ाता हूँ??"
पीयूष: "आप लोग बात को कहाँ से कहाँ ले गए.. !!! मैं तो बिजनेस के बारे मे बात कर रहा था.. "
उनकी बातें सुनकर पिंटू भी हंसने लगा
मदन: "पीयूष, यह बातें भी बड़ी जरूरी है.. बिजनेस से भले ही उन सब का कोई लेना देना न हो.. पर जब ऐसी कोई घटना घटती है तो कई ज़िंदगियाँ तबाह हो जाती है"
पीयूष: "फिर तो मुझे जाना ही नहीं है"
राजेश: "अरे यार.. इतनी छोटी सी बात के लिए तू इतना बड़ा ऑर्डर छोड़ देगा.. !! बेवकूफी मत कर पीयूष"
मदन: "एक रास्ता है, राजेश.. तू अक्सर विदेश जाता रहता है और एक्सपोर्ट बिजनेस का तुझे काफी तजुर्बा भी है.. क्यों न तू ही पीयूष के साथ चला जाता.. !! एक बार वो वहाँ ठीक से सेट हो जाए फिर तुम वापिस आ जाना.. !!"
राजेश: "अरे यार.. ये सब इतना आसान थोड़ी न है.. !! मैं वहाँ जाऊंगा तो मेरा यहाँ का काम कौन देखेगा?? इससे अच्छा तू ही चला जा पीयूष के साथ... वैसे भी तू अभी फ्री ही है"
पिंटू: "हाँ अंकल.. सर की बात सही है" पिंटू को अभी मदन को पापा कहने की आदत नहीं हुई थी
मदन ने सोचते हुए कहा "वैसे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर... !!"
पीयूष: "मगर-बगर छोड़िए मदन भैया.. आप मेरे साथ चलिए.. हो सकता है आपको भी किसी नए बिजनेस की लाइन मिल जाए.. उसी बहाने थोड़ा घूमना भी हो जाएगा"
मदन: "मैं देखता हूँ पीयूष.. मुझे सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.. !!"
मदन ने इस बारे मे सोचने की बात तो कही.. पर उसके अंदाज से यह स्पष्ट था की वो आना चाहता था.. रात खत्म हो गई पर सब की बातें खत्म नहीं हो रही थी.. सुबह तक सब बातें करते रहे.. बहुत समय बाद पुराने पड़ोसी मिल रहे थे
कविता बाहर ड्रॉइंग रूम मे आई जहां सारे मर्द बैठे थे.. आकर उसने शिकायत की मदन से "मदन भैया.. आप पीयूष को थोड़ा समझाइए.. मेरी तरफ भी थोड़ा ध्यान दिया करे.. "
मदन और राजेश ने पीयूष को अपने हिसाब से थोड़ी हिदायत दी.. सुनकर पीयूष उठा और दूसरे कमरे मे गया जहां सारी औरतें बैठकर बातें कर रही थी.. खास कर तो वो शीला भाभी के दर्शन करने गया था.. और शीला की पारखी नजर यह बात समझ भी गई..
शीला उठकर किचन मे गई.. पानी पीने के बहाने.. और फिर पीयूष को आवाज लगाई
पीयूष: "क्या हुआ भाभी? रुकिए एक मिनट.. मैं अभी आया"
पीयूष ने किचन मे जाकर देखा.. शीला अपना एक स्तन ब्लाउस के बाहर निकालकर.. बाहें फैलाएं उसका इंतज़ार कर रही थी.. शीला को इस स्थिति मे देखकर.. पीयूष की गांड फटकर फ्लावर हो गई.. !! वो बेवकूफ की तरह शीला के सामने खड़ा होकर बस देखता ही रहा... शीला ने उसका गिरहबान पकड़कर अपने तरफ खींचा और उसे एक जोरदार किस कर दी.. और बोली "क्यों बे चोदू.. !! अपनी शीला भाभी को भूल गया.. !! चल दबा इसे फटाफट.. !!"
पीयूष ने डरते डरते शीला के खुले बबले को मसला और फिर निप्पल को मुंह मे लेकर चूसने लगा.. उसे उत्तेजना के साथ साथ जबरदस्त डर भी लग रहा था..
उतनी देर मे तो शीला ने पीयूष के लोडे को पेंट के ऊपर से ही मसल कर रख दिया और उसके कान मे बोली "ओह्ह पीयूष.. इसे अंदर लिए हुए कितना टाइम हो गया.. बहुत मन कर रहा है यार.. इसे एक बार फिर से मेरे अंदर लेने के लिए"
तभी पीयूष ने कविता के पायलों की झंकार सुनी.. और वो सावधान होकर शीला से अलग हो गया.. दूर खड़ा रहकर वो ग्लास मे पानी भरने लगा.. शीला ने भी आनन-फानन मे अपना स्तन ब्लाउज के अंदर डालकर पल्लू ढँक लिया..
कविता के आते ही शीला ने पीयूष से कहा "अब तू जा यहाँ से.. मुझे कविता से कुछ खास बात करनी है"
पीयूष चला गया और कविता शीला के करीब आकर खड़ी हो गई.. शीला ने फिर से अपना स्तन बाहर निकाला और कविता को दिखाते हुए बोली "ये देख.. कल तूने कितना जोर से काट लिया था.. अब भी दर्द कर रहा है मुझे.. !! अब कोई आ जाए इससे पहले इस जख्म को थोड़ा सा चाट ले ताकि मेरी जलन थोड़ी सी कम हो"
शर्म से पानी पानी होते हुए कविता ने शीला भाभी के स्तन पर जीभ फेरना शुरू कर दिया.. कविता को महसूस हुआ की शीला की निप्पल पहले से ही गीली थी.. पीयूष जो चूसकर गया था
कविता ने आश्चर्य से पूछा "भाभी, आपकी निप्पल गीली कैसे हो गई??"
शीला: "अरे यार.. पूरा स्तन दुख रहा था इसलिए मैंने थोड़ा सा पानी लगाया है.. ताकि थोड़ी सी ठंडक मिलें.. पर एक लोचा हो गया"
कविता: "क्या हुआ भाभी?"
शीला: "मैं पानी लगा रही थी तब शायद पीयूष ने देख लिया"
कविता: "उसमें कौन सी बड़ी बात है भाभी.. !! वैसे भी उस दिन सिनेमा हॉल मे आपने उसे दबाने दीये ही थे ना.. !!"
शीला: "अरे पगली.. उस दिन तो तेरी और पिंटू की हरकतें देख न ले इसलिए मजबूरन मुझे किराया चुकाना पड़ा था.. चल छोड़ वो सब.. ये बता.. अब जब पिंटू और वैशाली शादी करने वाले है.. तुझे दुख तो हो रहा होगा.. !!"
कविता शीला के खुले उरोज को देखते हुए बोली "दुख तो होगा ही ना भाभी.. पर अब मैंने स्वीकार कर लिया है की पिंटू मेरे नसीब मे कभी था ही नहीं.. मेरे साथ उसका भविष्य जब मुमकिन ही नहीं था तब वो किसी न किसी के साथ आगे बढ़ने वाला ही था.. यह तो मैं पहले से जानती थी.. !! अच्छा हुआ जो उसने वैशाली को ही अपना हमसफ़र बना लिया.. अब मुझे पिंटू की कोई फिक्र नहीं रहेगी.. !!"
शीला: "कविता.. तेरे भरोसे ही मैंने वैशाली को यहाँ भेजा है.. तू हमेशा उसका ध्यान रखना.. हम तो दूर रहते है.. पर उसके सब से करीब तू ही है.. हफ्ते-दस दिन मे एक बार उससे जरूर मिलते रहना.. उसी बहाने तुझे भी पिंटू को मिलने का मौका भी मिलता रहेगा.. शादी के बाद भी प्रेमी से मिलने का और बात करने का मौका मिलता रहे.. उससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा.. !!"
कविता: "हाँ भाभी, वो तो है.. और आप वैशाली की बिल्कुल चिंता मत करना.. हम हैं ना यहाँ उसके साथ.. !! भाभी, अब मुझे एक नई चिंता सताने लगी है.. !!"
शीला: "कौन सी चिंता??"
कविता: "पीयूष पर अब विदेश जाने का भूत सवार हो चुका है.. उस ऑर्डर के सिलसिले मे.. पर भाभी.. मदन भैया के जाने के बाद.. आपका जो हाल हुआ था वैसा कहीं मेरा भी न हो जाए उसकी चिंता मुझे खाए जा रही है.. वक्त तो उसे अभी भी नहीं मिलता मेरे लिए.. लेकिन पंद्रह दिन में एक बार तो मेरा नसीब खुल ही जाता है उसके साथ.. फिर तो वो भी नहीं होगा.. मदन भैया तो अनुभवी और काफी समझदार है.. उनकी तुलना मे पीयूष को अनुभव भी कम है और समझदारी भी है.. जवानी के जोश में वो वहाँ किसी के साथ उलझ गया तो मेरी तो ज़िंदगी तबाह हो जाएगी.. !! समझ मे नहीं आ रहा की उसे जाने दूँ या नहीं.. !! अभी मैं उनकी बातें सुन रही थी.. वो मदन भैया को अपने साथ वहाँ ले जाने की बात कर रहा था.. अगर भैया उसके साथ जाएँ तो मुझे उसे जाने देने मे कोई दिक्कत नहीं है.. भाभी, आप प्लीज मदन भैया को पीयूष के साथ जाने देना.. !!"
यह सुनते ही शीला के चेहरे का नूर उड़ गया.. !! दो साल के लिए मदन गया था तब उसकी ज़िंदगी जहर बन गई थी.. एक बार और वो आठ महीनों के लीये एक प्रोजेक्ट के लिए वहाँ जाकर आया था.. अब दोबारा मदन विदेश जाएगा?? बड़ी ही मुश्किलों के बाद वैशाली का प्रॉब्लेम आज सॉल्व हुआ तो ये नया टेंशन आ गया.. !!"
कविता: "क्या सोच रहे हो भाभी??" शीला के गाल पर हाथ रखते हुए कविता ने पूछा
शीला: "जिस मदन भैया को तू समझदार और ठहरा हुआ समझती है.. तुझे पता है, उसने विदेश जाकर क्या गुल खिलाए थे?? वहाँ जाकर उसने कोई झंडे नहीं गाड़े थे.. जिस घर मे वो रहता था उसकी मालकिन के साथ तेरे भैया का चक्कर था.. वो रोज उसका दूध पीते थे.. आदमी कितना भी अनुभवी और समझदार क्यों न हो.. उसका लंड आखिर अपना रंग दिखाकर ही रहता है.. और उससे न करने वाले काम भी करवाता है.. और आदमी का लंड जवान हो या बूढ़ा.. उसे तो चूत चाहिए ही चाहिए.. !!"
कविता: "तो आप भी यहाँ उस रसिक के साथ सेट हो ही गई थी ना.. !!"
शीला: "एक बात कहूँ कविता.. !! ये बाहर का खाना खाने का चस्का बड़ा ही खतरनाक होता है.. एक बार चख लो फिर रहा ही नहीं जाता.. और रोज रोज मन करता है.. जब पति साथ हो तब भी पराये लंड लेने की खुजली उठती रहती है"
कविता: "भाभी, एक बात पूछूँ? कल जो आप रेणुका के साथ पार्टनर बदलने की बातें कर रही थी.. वो सच है या मज़ाक?"
शीला ने एक गहरी सांस लेकर कहा "अब तुझसे क्या छुपाना.. ये बात सच है.. एक बार रेणुका ने मुझे बताया था की राजेश का बड़ा मन है मेरे साथ सेक्स करने का.. उसी चक्कर मे ये सब हो गया"
कविता: "हाय भाभी.. !! आपको राजेश सर के साथ यह सब करने मे शर्म नहीं आई?"
शीला: "शर्म तो बहोत आई थी.. पर जब तेरे राजेश सर ही शर्म छोड़कर नंगे हो गए फिर मैं अपने आप को क्यों रोकती भला.. !! हाँ, एक बात जरूर कहूँगी.. राजेश के साथ मज़ा बहोत आता है.. बहोत हार्ड है उसका"
कविता शरमा गई.. "क्या भाभी?? कैसा कैसा बोलती हो आप तो.. !!" कविता ने अपनी जांघें दबा ली.. "रेणुका को भी मदन भैया के साथ मज़ा आया होगा.. हैं ना.. !!"
शीला: "वो मुझे क्या पता.. तू खुद ही पूछ ले उससे"
कविता: "कैसा लगता होगा ना भाभी.. किसी सहेली के पति के साथ.. पूरी रात भर..!!" कविता की आँखों मे एक अजीब सी आशा का संचार हुआ
शीला: "चल अब अंदर चलते है.. वरना सब पूछेंगे की सिर्फ पानी पीने मे इतनी देर कैसे हुई.. !!"
कविता: "हाँ भाभी चलते है.. आपके साथ बातें तो कभी खतम ही नहीं होगी"
दोनों वापिस सब के पास पहुँच गए..
शीला का दिमाग किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था.. रमिलबहन थक कर सो गई थी.. पर बाकी सब लड़कियों की बातें खतम ही नहीं हो रही थी.. जैसे फिर कभी बातें करने का मौका मिलने ही नहीं वाला हो.. रात के साढ़े तीन बज रहे थे
आखिर मदन थक कर उठा और औरतों के कमरे के दरवाजे पर खड़े रहकर बोला "अब सो भी जाते है.. ये कविता मन ही मन हम सब को गालियां दे रही होगी.. की हमारे चक्कर मे उसकी रात खराब हो गई..!!"
मदन दरवाजे पर खड़ा था तब रेणुका बाथरूम जाने के लिए उठी.. और मदन के करीब से.. अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए निकल गई.. यह बात और किसी के ध्यान मे नहीं आई.. मदन और शीला के सिवा.. !! लेकिन कविता ने यह देख लिया.. और देखते ही उसके शरीर मे बड़ी ही विचित्र प्रकार की उत्तेजना होने लगी.. आज से पहले उसने कभी ऐसी उत्तेजना महसूस नहीं की थी.. कविता ने शीला के सामने देखा.. दोनों की नजरें एक हुई.. शीला ने एक नटखट स्माइल दी और कविता ने शरमाकर आँखें झुका दी
शीला: "ठीक कह रहा है मदन.. अब सो जाते है.. !!" सब बातें करते करते जहां बैठे थे.. वहीं जगह बनाकर लेटने लगे.. और कुछ ही पलों मे सब गहरी नींद सो भी गए
सुबह जागकर.. फ्रेश होने के बाद.. पिंटू और वैशाली उनके घर चले गए.. रमिलाबहन भी अपने घर चली गई.. शीला-मदन और रेणुका-राजेश भी वापिस लौटने के लिए तैयार हुए
पीयूष ने एक बार फिर मदन को याद दिलाया "भैया.. मेरी ओफर के बारे मे सोचकर बताना"
तब तो शीला कुछ नहीं बोली पर गाड़ी जब हाइवे पर आ गई तब उसने पूछा "राजेश, कौन सी ओफर की बात कर रहा था पीयूष?" शीला पूछना तो मदन से चाहती थी.. पर अब शहर से बाहर निकलते ही.. वह चारों फिर अपनी औकात पर आ गए.. शीला राजेश के साथ बैठ गई और रेणुका मदन के साथ.. इसलिए उसने राजेश से पूछा
राजेश के बदले मदन ने ही रेणुका के कंधे पर हाथ रखकर शीला को जवाब दिया.. "उसे अमरीका की एक कंपनी का बड़ा ऑर्डर मिल रहा है.. उस सिलसिले मे उसे एक महीने के लिए वहाँ जाना होगा.. पीयूष को विदेश के बिजनेस का कोई अनुभव नहीं है इसलिए वो मुझे अपने साथ ले जाना चाहता है"
शीला: "हाँ.. यह तो सच कहा पीयूष ने.. !! तुझे बड़ा अच्छा अनुभव है विदेश का.. वहाँ जाकर उसे यह भी सीखा देना की अंग्रेज राँडों के थनों से दूध कैसे निकालते है.. !!"
मदन: "बकवास मत कर शीला.. !!"
रेणुका: "अरे... ये तो नया जानने को मिला.. कौन थी वो अंग्रेज रांड?? मुझे भी तो बताओ"
शीला ने विस्तार पूर्वक सब कुछ बताया.. मदन की बोलती बंद हो गई.. उसकी खामोशी मे ही उसकी गलती का इजहार था.. !!
शीला: "देख मदन.. साफ साफ बता रही हूँ.. इस बार मैं तुझे अकेले जाने नहीं दूँगी.. या तो हम दोनों साथ जाएंगे.. या तो फिर पीयूष को जिसे साथ लेकर जाना हो जाएँ.. अपनी बीवी को या अपनी माँ को.. मैं तुझे जाने नहीं दूँगी.. अगर मुझे छोड़कर तू अकेला गया.. तो देख लेना.. अब तक तो सिर्फ रसिक, जीवा और रघु को मैंने घर पर बुलाया था.. पर इस बार तो मैं खुद उनके घर चली जाऊँगी.. फिर तुझे यहाँ वापिस लौटकर आने की कोई जरूरत नहीं होगी.. तू वहीं खुश रहना.. और मैं यहाँ खुश रहूँगी.. ये क्या हर बार की झंझट.. !! मैं यहाँ उँगलियाँ डाल डालकर दिन काटती रहूँ और तू वहाँ विदेशी गायों का दूध चूसता रहें.. !! मुझे वो सब फिर से नहीं दोहराना.. !!"
मदन: "अरे यार.. पिछली बार तो मैं दो साल के लिए गया था इसलिए वो सब हो गया.. इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा.. और शायद राजेश भी हमारे साथ चलेगा.. फिर तुझे कैसी फिक्र??"
शीला: "तो एक काम कर.. रसिक, रघु और जीवा को भी अपने साथ ले जा अमरीका.. फिर मैं यहाँ मेरे भोसड़े पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दूँगी.. तू और राजेश दोनों चले जाएंगे फिर मैं और रेणुका यहाँ बैठकर क्या भजन करेंगे?? एक महीने के लिए जाना ही हो तो मेरे लिए तीस नए लंड का बंदोबस्त करके जाना.. नहीं तो कह देती हूँ तुझे... मैं चकले पर बैठकर अपना भोसड़ा फड़वा लूँगी.. !!"
शीला की बातें सुनकर, राजेश जोर जोर से हंसने लगा और उत्तेजित होकर उसे एक हाथ से अपनी ओर खींचकर चूम लिया.. और कहा "शाबाश मेरी रानी.. मदन, अब क्या करेगा तू?"
मदन परेशान होकर बोला "यार ये तो बड़ी मुसीबत हो गई"
शीला: "कोई मुसीबत नहीं हुई है.. अगर चाहो तो सब कुछ हो सकता है.. अगर बिजनेस के लिए ही जा रहे हो तो मुझे साथ ले जाने मे तुझे क्या दिक्कत है?? मुझे सब पता है.. बिजनेस के नाम पर तुम लोगों को वहाँ जाकर विदेशी चूतों को चाटना है.. यहाँ घर पर बैठे हम चिंता कर रही होती है की तुमने खाना खाया होगा या नहीं.. और तुम वहाँ गुलाबी चूतों के रस से अपना पेट भर रहे होंगे.. !! राँडों से सेंडविच मसाज करवा रहे होंगे.. !! सब पता है मुझे तुम सब के गोरख धंधे.. !!"
मदन: "ऐसा नहीं है यार.. !!"
शीला: "तू तो कुछ बोल ही मत.. मुझे समझाने की कोशिश भी मत करना.. सालों.. जब देखो तब अकेले अकेले निकल पड़ते हो.. हमें क्या सिर्फ चोदने और बच्चे पैदा करने के लिए ब्याह कर लाए थे.. !! घर आकर जब बीमार हो जाते हो तब कौन सी फिरंगी राँडें आती है तुम्हारा खयाल रखने.. तुम्हारे सर पर नवरत्न तेल लगाने के लिए.. वहाँ तो बड़े चाव से पैसे लेकर तुम्हारे लंड और आँड़ों पर मसाज करती है.. पर यहाँ तुम्हें टाइगर बाम लगाने कोई नहीं आएगी.. !!" गुस्से मे शीला ने मदन की गांड ही फाड़ दी
रेणुका: "राजेश, मुझे तो ऐसा सब पता ही नहीं था.. तू भी विदेश जाकर ये सब करता है?? अब से तय रहा.. तेरी हर फ़ॉरेन टूर मे, मैं तेरे साथ ही चलूँगी.. वरना खड्डे मे गया तेरा बिजनेस.. माल एक्स्पोर्ट करते करते पूरे के पूरा पति एक्स्पोर्ट हो जाए.. ऐसा बिजनेस हमें नहीं करना.. !! अच्छा हुआ जो शीला ने आज मेरी आँखें खोल दी.. वरना एक दिन तू मेरे हाथ से ही चला जाता"
अब राजेश मदन पर गुस्सा करने लगा "यार मदन.. ये क्या है?? तेरे चक्कर में यहाँ मेरे घर मे आग लग गई.. !!"
मदन: "मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा की अब मैं क्या करूँ?? पीयूष को किस तरह मना करूँ?? पहली बार उसने मुझसे कुछ मदद मांगी है"
शीला: "बोल दे उसे.. की हम दोनों साथ ही आ रहे है उसके साथ.. मैं बात करूँ फोन पर??" कार ड्राइव कर रहे मदन की गोद से फोन खींचकर शीला ने सीधे पीयूष को फोन लगाया
पीयूष: "हाँ मदन भैया.. कहाँ तक पहुंचे?"
शीला: "पीयूष, शीला बोल रही हूँ.. तुमने आज जो मदन को ओफर दिया है.. उसके लिए वो तैयार है.. तुम लोग अमरीका जाने की तैयारी करो.. " कहते हुए शीला ने फोन काट दिया..
मदन: "ये सब क्या हो रहा है शीला.. !! मुझे तो मना कर रही है और वहाँ पीयूष को हाँ बोल दिया"
शीला: "वो सब तुझे समझना है.. तुझे पीयूष को मना भी नहीं करना है और मैं दुखी न हो जाऊँ उसका ध्यान भी रखना है.. एक साथ दो दो औरतों को हेंडल करता है.. इतना तो कर ही सकता है तू"
मदन ने गाड़ी साइड पर रोकी और अपना सर पकड़कर बैठ गया.. "यार राजेश.. तू ही गाड़ी चला.. मेरा तो दिमाग काम नहीं कर रहा"
राजेश ड्राइविंग सीट पर आकर बैठा तो शीला भी पीछे की सीट से आगे आ गई.. "जा बैठ अपने चुदक्कड़ मर्द के साथ" कहते हुए शीला ने रेणुका को पीछे मदन के साथ भेज दिया
पीछे की सीट पर रेणुका ने मदन की जांघ पर हाथ रख दिया पर मदन को पता तक नहीं चला.. शीला ने उसे जड़ से हिला दिया था
आगे एक घंटे के सफर के दौरान किसी ने कुछ नहीं कहा.. राजेश ने मदन और शीला को उनके घर ड्रॉप किया.. जब शीला और मदन गाड़ी से उतरे तब रेणुका ने हंसकर कहा "कितने दिनों के बाद हम अपने असली पतियों के साथ जाएंगे"
शीला: "हाँ यार.. मैं तो भूल ही चुकी हूँ की मेरा असली पति कौन है.. !!" ठहाका मारकर शीला ने कहा
शीला और मदन अपने घर मे दाखिल हुए तब रेणुका और राजेश अपने घर की ओर रवाना हो गए
दो दिन सब ठीक-ठाक ही चलता रहा.. उस दौरान राजेश को यह विचार परेशान करने लगा था की अगर रेणुका ने भी साथ आने की जिद पकड़ी तो फिर क्या होगा.. !!
मदन की सहमति जानने के लिए पीयूष बार बार फोन कर रहा था.. पर मदन अब भी तय नहीं कर पा रहा था..
कुछ दिनों बाद.. शीला ने राजेश और रेणुका को एक रात के लिए उनके घर आने का न्योता दिया..
सब साथ बैठे थे तब दोबारा वही बात निकली
मदन: "यार राजेश, वो पीयूष रोज मुझे फोन करता है.. अब क्या जवाब दूँ उसे समझ नहीं आ रहा मुझे..!!"
राजेश: "साले तेरे चक्कर मे.. मेरा अकेले टूर पर जाना केन्सल हो गया उसका क्या.. !!"
रेणुका: "यार तुम दोनों मे से कोई ऐसा क्यों नहीं सोचता की अपनी बीवियों को साथ लेकर जाए... !! अकेले अकेले भटकने की आदत हो गई है तुम सब को.. वरना ऐसा तो कोई बिजनेस का काम नहीं होता जहां पत्नी को लेकर नहीं जा सकते.. "
मदन: "राजेश, अब तो ये नोबत आ गई है की हम वहाँ कुछ भी गलत नहीं करते ये साबित करने के लिए हमें इन दोनों को वहाँ ले जाना पड़ेगा"
राजेश: "मुझे एक बढ़िया विचार आ रहा है.. क्यों न हम सब काम के साथ साथ कपल टूर का भी प्लान करें?? इन दोनों के साथ साथ कविता को भी ले लेंगे.. वैसे भी वो पीयूष के बगैर बोर होती रहती है"
मदन: "पर क्या पीयूष कविता को साथ लेने के लिए राजी होगा?"
शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे मदन.. वैसे तू भी कहाँ मुझे साथ ले जाने के लिए राजी था.. मना लिया ना मैंने.. अगर औरत चाहें तो बीच बाजार मुजरा करवा सकती है अपने पति से.. !!"
रेणुका: "लेकिन यार.. उन दोनों की मौजूदगी में.. हम चारों को सब कुछ बंद कर देना पड़ेगा.. !!"
मदन: "क्या बंद करना पड़ेगा?"
शीला: "हमारी अदला-बदली का खेल बंद करना पड़ेगा"
मदन: "अरे यार.. अब तक हम गए कहाँ है.. अभी फिलहाल तो सबकुछ चल ही रहा है ना.." मदन ने रेणुका को आँख मारते हुए कहा.. और फिर बोला "चल रेणु डार्लिंग.. बेडरूम मे चलते है.. वहाँ जाने के बाद जो होगा देखा जाएगा"
रेणुका मदन के गले मे हाथ डालकर बोली "हाँ चलो चलते है.. मेरा भी कब से मन कर रहा है"
मदन और रेणुका ने वैशाली के बेडरूम मे.. तो दूसरी तरफ राजेश और शीला ने उनके बेडरूम मे पूरी रात भरपूर चुदाई का लुत्फ उठाया