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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

vakharia

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Sanju@

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उस रात.. खरीदी हुई ब्रा ट्राय करते वक्त वैशाली ने पीयूष को बहोत याद किया.. काफी सारे हॉट मेसेज भेजें चैट पर.. सुबह जल्दी उठना था इसलिए दोनों ने एक दूसरे को गुड नाइट विश किया और सो गए..

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सुबह के साढ़े नौ बजे वो सब निकल गए.. रास्ते से पिंटू को भी ले लिया.. मदन अब शीला और वैशाली के साथ पीछे बैठ गया और पिंटू पीयूष के साथ.. ड्राइव करते हुए पीयूष पिंटू के साथ बातें कर रहा था.. पीछे बैठी वैशाली भी उनकी बातों में जुड़ रही थी.. अब वैशाली पिंटू के साथ काफी साहजीक हो चुकी थी..

रास्ते में एक बढ़िया से होटल में लंच लेने के बाद तीनों दोपहर के ढाई बजे मौसम के घर पहुंचे..

घर में प्रवेश करने से पहले.. ऊपर के मजले की बालकनी से मौसम ने पीयूष की तरफ देखा.. पीयूष और मौसम की आँखें चार हुई.. यादों के.. ख्वाबों के.. वादों के.. अनगिनत विचारों से दोनों के मन और दिल तरबतर थे.. कल मौसम की सगाई थी..

शीला के आते ही पूरा घर जैसे खुशी से जगमगा उठा था.. सुबोधकांत तैयारिओ में व्यस्त थे.. अब तक पीयूष इस घर का इकलौता दामाद होने का लुत्फ उठा रहा था लेकिन अब उसका ये एकाधिकार खत्म होने वाला था..

पिंटू तो गाड़ी से उतरकर अपने घर चला गया.. क्योंकि वो तो इसी शहर में रहता था.. हालांकि एक बार वैशाली ने उसे रुकने के लिए आग्रह जरूर किया पर पिंटू ने बड़ी ही नम्रता से इनकार करते हुए कहा की वो कल सगाई के वक्त पहुँच जाएगा

वैशाली दौड़कर ऊपर के कमरे में गई.. जहां मौसम और फाल्गुनी तैयारी में जुटे हुए थे.. वैशाली को देखकर दोनों की खुशी का ठिकाना न रहा.. दोनों को देखकर वैशाली भी भावुक हो गई.. तीनों एक दूसरे से गले मिलें..

फाल्गुनी: "वैशाली.. माउंट आबू की तरह आज रात को भी हम तीनों साथ ही सो जाएंगे.. "

मौसम: "वैसे भी आज महंदी की रात है.. देर तक जागना पड़ेगा.. और हम तीनों के सोने का इंतेजाम मेरे कमरे में ही किया गया है"

तीनों बातों में मशरूफ़ थी तभी मौसम के मोबाइल की रिंग बजी.. पीयूष का फोन था.. मौसम ने वैशाली और फाल्गुनी के सामने ही नॉर्मल-फॉर्मल बातचीत करके फोन रख दिया.. पर वैशाली के ध्यान में ये बात आई की फोन रखने के बाद मौसम एकदम से गंभीर हो गई थी

फाल्गुनी हर थोड़ी देर के बाद पानी या नाश्ता लाने के बहाने नीचे जाती और सुबोधकांत को अपना सुंदर सा मुखड़ा दिखाकर.. प्यार का एग्रीमेंट रीन्यू कर आती..

साढ़े आठ बजे सब ने डिनर खतम किया.. नौ बजे तक बातें करने के बाद सब सोने की तैयारी करने लगे.. शीला के भरे भरे पयोधरों ने मौसम के घर को जीवंत बना दिया था.. जैसे परवाने ने पूरे गुलशन को जवान कर दिया हो.. शीला को पता था की सुबोधकांत की नजर उस पर ही टिकी हुई थी.. और उसे अच्छा भी लग रहा था.. पिछली बार जब वो यहाँ आई थी तब जिस तरह सुबोधकांत ने उसे घोड़ी बनाकर गराज में चोद दिया था.. वो याद आ गया उसे..!!

पीयूष और सुबोधकान्त ऊपर के मजले में बने दूसरे बेडरूम में सोने वाले थे.. बगल वाले कमरे में फाल्गुनी, वैशाली और मौसम थे.. साथ में तीसरा कमरा जहां पर मदन और शीला की व्यवस्था की गई थी.. कविता अपनी मम्मी के साथ नीचे के कमरे में सोने वाली थी.. जानबूझकर कविता ने ऐसा सेटिंग किया था क्योंकी उसे पता था की मम्मी तो दस मिनट में सो जाएगी.. फिर वो आराम से बाहर झूले पर बैठे बैठे पिंटू से बात कर सकेगी..

महंदी लगाने वाली लड़की ग्यारह बजे आने वाली थी.. उसका इंतज़ार करते करते वैशाली, मौसम और फाल्गुनी बातें कर रहे थे.. कविता नीचे किचन का काम निपटा रही थी..

फाल्गुनी: "मौसम, तू आज अचानक इतनी सिरियस क्यों हो गई है?? कल तो तेरी सगाई है.. वहाँ भी ऐसा उतरा हुआ मुंह लेकर जाएगी तो तरुण को लगेगा की तू उससे खुश नहीं है"

मौसम: "नहीं यार.. ऐसा कुछ नहीं है.. "

वैशाली: "वो नहीं बताएगी फाल्गुनी.. शायद तरुण ने उसे बूब्स पर काट लिया है इसलिए दर्द के कारण वो अपसेट है.. !!"

मौसम: "अरे यार ऐसा कुछ भी नहीं है.. उस बेचारे ने तो देखें तक नहीं है..काटने की तो बात ही दूर है.."

फाल्गुनी ने मज़ाक करते हुए कहा "अच्छा तो इसलिए अपसेट है की अब तक वो देख नहीं पाया??"

इस मज़ाक मस्ती भारी बातचीत के बीच.. वैशाली नहाने के लिए बाथरूम में चली गई..

मौसम अब फाल्गुनी के एकदम करीब आकर बैठ गई और एकदम धीमी आवाज में बोली "फाल्गुनी, मुझे तुझसे कुछ बात करनी है.. एकदम टॉप सीक्रेट है.. वैशाली को भी नहीं पता चलना चाहिए"

फाल्गुनी: "अच्छा.. तो तू इसलिए टेंशन में लग रही थी.. !! क्या बात है मौसम.. ?? मैं किसी को नहीं बताऊँगी.. "

मौसम ने गला साफ किया.. मुश्किल बात की शुरुआत करने का ये एक तरीका है.. बात करने से पहले गला साफ करना.. बात का महत्व और बात करने वाले की हिम्मत/डर दर्शाता है

फाल्गुनी बेसब्री से मौसम की बात कहने का इंतज़ार कर रही थी.. उसे इतना तो पता चल गया की वो जो कुछ भी कहने वाली थी वो बड़ा ही स्फोटक था.. कहीं मौसम को उसके और अंकल के संबंध के बारे में तो पता नहीं चल गया?? सोचकर ही फाल्गुनी मौसम से भी ज्यादा गंभीर हो गई.. उसका दिल बड़ी जोरों से धड़कने लगा..

मौसम: "अब तुझे कैसे बताऊँ.. !! यार तू किसी को बताना मत.. वरना बहोत सारी ज़िंदगीयां बर्बाद हो जाएगी.. "

फाल्गुनी: "अब तू कुछ बता तो मुझे पता चलें"

मौसम: "बात दरअसल ऐसी है की.. (फाल्गुनी की हथेली अपने हाथ में लेकर दबाते हुए).. मैं पीयूष जीजू को लाइक करती हूँ.. हम जब माउंट आबू गए थे.. तब राजेश सर ने मुझे और जीजू को गिफ्ट लेने भेजा था.. तब जीजू ने मुझे प्रपोज किया था.. घर से दूर आजाद माहोल में.. मैं भी अपने होश गंवा बैठी और उन्हें रोका नहीं.. उन्हों ने मुझे किस किया था और मेरे दबाए भी थे.. "

फाल्गुनी: "ओ बाप रे.. फिर क्या हुआ?"

मौसम: "यार जीजू मेरे पीछे पागल हो गए है.. और सच कहूँ तो मैं भी उन्हें बहोत पसंद करती हूँ.. मैंने अपने आप को समझाने की और रोकने की बहोत कोशिश की पर.. जीजू के साथ एक बार सेक्स करने की मुझे बहोत इच्छा है पर चांस नहीं मिलता"

फाल्गुनी: 'उसमें मैं कैसे तेरी मदद करूँ?" मौसम, आई एम सॉरी पर तेरे गलत कामों में.. अगर मैंने तेरा साथ दिया तो कविता दीदी के साथ कितना बड़ा धोखा होगा.. !!"

मौसम: "मुझे पता है यार.. पर मैं जीजू को प्रोमिस कर चुकी हूँ की सगाई से पहले मैं उनके साथ एक बार सेक्स करूंगी.. तब मुझे कहाँ पता था की इतनी जल्दी सगाई हो जाएगी.. !! और सगाई के बाद मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहती जिससे तरुण की नज़रों में गिर जाऊँ.. तू मेरी सहेली है इसलिए तेरी मदद चाहती हूँ.. तू महंदी वाली उस लड़की के घर लेने जाने के बहाने वैशाली को साथ ले जा.. पापा तेरे साथ आएंगे कार लेकर.. उस लड़की का घर तूने देखा ही है.. पर उलटे सीधे रास्ते ले जाकर ऐसा कुछ कर की तुम लोगों को लौटने में एक घंटा लग जाए.. तब तक मैं अपना काम निपटा लूँगी"

फाल्गुनी: "यार मैं तेरी मदद करना तो चाहती हूँ.. पर तूने एक पल के लिए भी कविता दीदी के बारे में नहीं सोचा??"

फाल्गुनी की बातें सुनकर मौसम को अब गुस्सा आ रहा था.. बड़ी सती-सावित्री बन रही थी.. !!

मौसम: "फाल्गुनी तू मेरी मदद नहीं कर सकती तो कोई बात नहीं.. पर मुझे रोकने की कोशिश बिल्कुल मत करना.. मैं कितना तड़प रही हूँ.. तुझे क्या पता.. !! जीजू का स्पर्श मुझे रोज याद आकर सताता है.. "

फाल्गुनी: "तो तू मास्टरबेट कर ले ना..!! वैसे भी आज रात को हम तीनों साथ ही सोने वाले है.. तब जितना मर्जी मजे कर लेना.. सारी आग बुझा लेंगे हम तीनों.. पर कविता दीदी से ऐसा धोखा करने के लिए मेरा मन तो नहीं मान रहा"

अब मौसम अपना आपा खो बैठी

मौसम: "तेरे मुंह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती, फाल्गुनी.. मेरे बाप के साथ सेंकड़ों बार चुदवाते वक्त तुझे मेरी मम्मी का कभी विचार नहीं आया था??"

स्तब्ध हो गई फाल्गुनी.. !! उसका चेहरा एकदम सफेद पड़ गया..

फाल्गुनी: "ये तू क्या बक रही है?? तुझे शर्म भी नहीं आती ऐसा आरोप लगाते हुए.. !!"

मौसम: "बहोत हुआ तेरा नाटक, फाल्गुनी.. मुझे सब पता है.. मैंने अपनी इन सगी आँखों से तुझे और वैशाली को पापा के साथ चुदाई करते.. उनकी ऑफिस में देखा है!!"

फाल्गुनी के पैरों तले से धरती खिसक गई.. भांडा फूट चुका था.. वो मौसम से नजरें नहीं मिला पा रही थी.. झूठ बोलने वाले का जब भंडाफोड़ होता है तब उनका चेहरा देखने लायक होता है.. वो आँखें झुकाकर सुनती रही.. और फिर इतना ही बोली "मौसम, तेरे पास एक घंटे का समय है.. हो जाएगा एक घंटे में सब?"

मौसम: "जैसा मैंने कहा.. तू वैशाली और पापा को लेकर गाड़ी में जाएगी.. फिर तू रास्ता भूल जाने का नाटक करना.. आधा घंटा गाड़ी में दोनों को यहाँ वहाँ घुमाना.. फिर महंदी वाली के घर उसे लेने पहुँच जाना.. जब तक मैं कॉल न करूँ.. तू उन लोगों के लेकर वापिस मत आना.. तेरा नाम सुनते ही पापा आने से मना नहीं करेंगे.. उसी बहाने तुझे और वैशाली को पापा का लंड चूसने का मौका भी मिल जाएगा" चेहरे पर घिन और थोड़ी सी नफरत के भाव के साथ मौसम ने कहा

मौसम के मुंह से अपने पापा के बारे में ऐसी बात सुनकर फाल्गुनी अंदर से हिल गई.. वो जवाब देने की स्थिति में नहीं थी..

काफी देर तक चुप्पी साधे रखने के बाद फाल्गुनी ने मौसम से पूछा "जब तुझे पहले से ही सब कुछ पता था तो इतने दिनों तक खामोश क्यों रही?"

मौसम: "वो सब बातें करने का अभी वक्त नहीं है.. वैसे मुझे अभी भी तुझसे कई सवालों के जवाब लेने है.. पर अभी नहीं.. अभी तो मुझे अपना प्रोमिस पूरा करना है.. तू अब जा फटाफट.. आज अगर ये मौका चूक गई तो फिर जीवन भर पछतावा रहेगा मुझे.. तू कुछ भी कर.. अपना दिमाग लगा.. और कम से कम एक घंटे के लिए मुझे प्रायवसी देना.. और हाँ.. वैशाली को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए.. वो कविता दीदी की सहेली है.. कहीं दीदी को बता देगी तो मुझसे कभी बात नहीं करेगी.. "

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला.. अंदर से वैशाली बाहर निकली.. कमर के ऊपर सम्पूर्ण टॉप-लेस वैशाली ने केवल कमर पर तौलिया बांध रखा था.. उसके विशाल स्तन झूल रहे थे..

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देखकर ही पता चलता था की उन्हें आज तक कई लोगों ने रगड़ा होगा.. माउंट आबू की उस रात को तीनों ने जो लेस्बियन हनीमून का आनंद लिया था.. उसके बाद तीनों के बीच शर्म की सारी दीवारें ढह चुकी थी.. बिना ब्रा पहने ही वैशाली ने टीशर्ट चढ़ा दिया और अपने स्तनों के लाइव-शो पर पर्दा डाल दिया.. पर टीशर्ट में ढंके हुए मदमस्त बबले और भी खतरनाक लग रहे थे..

मौसम वैशाली के करीब गई और उसको कमर से पकड़कर बोली "बड़ी हॉट लग रही है तू.. !!"

वैशाली: "हॉट तो मैं पहले से हूँ.. जरूरत तो मुझे ठंडा होने की है.. जब नीचे आग लगती है तब हाहाकार मच जाता है.. तुझे भी जल्द ही इस बारे में पता लग जाएगा.. वैसे तुम दोनों कब से क्या खुसुर-पुसुर कर रही थी??"

मौसम: "अरे यार.. वो महंदी वाली लड़की को फोन किया था.. उसका स्कूटर खराब हो गया है.. और इतनी रात को वो ऑटो से आने में डर रही है.. फाल्गुनी ने उसका घर देखा हुआ है.. तो मैंने सोचा पापा को साथ ले जाकर, तुम और फाल्गुनी उसे घर से ले आओ.. फाल्गुनी ने उसका घर देखा हुआ है"

वैशाली: "ये बढ़िया काम किया.. जब घर में गाड़ी हो तब किसी बात के लिए क्यों झिझकना? फाल्गुनी तू अंकल को बता दे.. हम लोग अभी निकल जाते है.. " वैशाली ने मौसम का काम आसान कर दिया.. फाल्गुनी सुबोधकांत को बुलाने चली गई

ऐसा सुनहरा मौका मिलते ही, सुबोधकांत तुरंत तैयार हो गए.. वैशाली और फाल्गुनी उनकी गाड़ी में चले गए

मौसम ने तुरंत पीयूष को अपने कमरे में बुला लिया.. जैसे ही पीयूष अंदर आया.. मौसम ने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया और पीयूष से लिपट पड़ी.. एक जबरदस्त लीप किस करते हुए दोनों एकाकार हो गए.. आवेश से गले लगने के कारण.. मौसम के बिना ब्रा के स्तन पीयूष की छाती से दबकर चपटे हो गए.. वह नरम और गद्देदार स्पर्श तो पीयूष की कमजोरी थी.. जबरदस्त उत्तेजना के बीच जरा सा भी समय बर्बाद किए बगैर.. पीयूष ने मौसम की शॉर्ट्स में हाथ डाल दिया और उसकी कुंवारी कमसिन चूत को सहलाने लगा..

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अब तक मौसम यही समझती थी की उत्तेजना को शांत करने के लिए किस और सहलाने से काम बन जाता होगा.. उसे कहाँ पता था की यह आग बुझाने के लिए तो गुप्तांगों को रगड़ रगड़कर तहस-नहस कर देना पड़ता है तब जाकर ये उत्तेजना शांत होती है..

"ओहह जीजू.. मुझे कुछ हो रहा है" मौसम ने पीयूष के कान में कहा

"मेरी जान.. उसे ही तो प्यार कहते है.. कुछ कुछ होने में ही बहोत कुछ होता है.. आह्ह मौसम.. तेरे ये बूब्स कितने कडक है यार.. !! तुझे तो पता ही है की मुझे ये कितने पसंद है.. !! मेरे इन पसंदीदा दोनों यारों के लिए मैं गिफ्ट लाया हूँ.. ये देख" कहते हुए पीयूष ने अपनी जेब से स्टाइलिश ब्रा निकाली जो उसने पिछले दिन खरीदी थी.. १२५० रुपये का चुना लगवाकर..

"वाऊ जीजू.. कितनी मस्त है.. !! वैसे तो मुझे व्हाइट रंग की ज्यादा पसंद है.. पर कोई बात नहीं.. ये लाल रंग तरुण का फेवरिट है.. उसे पसंद आएगा.. !! मौसम ने नादानी में कही बात.. पीयूष को कितनी तकलीफ पहुंचाएगी ये उसे पता नहीं था.. ऐसी स्थिति में तरुण का नाम सुनकर पीयूष को एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके खड़े लंड पर तेजाब डाल दिया हो.. !!

तरुण के विचारों को दिमाग से हटाकर पीयूष ने वह ब्रा मौसम को पहना दी.. एकदम परफेक्ट फिट आ गई मौसम के स्तनों की गोलाइयों पर..

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दोनों ब्रा के कप को हाथों से दबाते हुए पीयूष ने कहा "यार, तेरे बूब्स तो मुझे पागल बना रहे है.. !!"

"आज की रात के लिए यह दोनों आपके ही है जीजू.. कल से ये तरुण के होकर रह जाएंगे.. " फिर से तरुण का नाम सुनकर पीयूष का मुंह कड़वा हो गया.. पर आज वो बेकार के विचारों मे समय गंवाना नहीं चाहता था.. ये हुस्न का जाम अब उसके लबों के बिल्कुल करीब था.. किसी भी प्रकार की गलती की गुंजाइश नहीं थी..

मौसम के गुलाबी अधरों को जीभ से चाटते हुए एकदम रोमेन्टीक अंदाज में पीयूष ने कहा "कितने वक्त के बाद जाकर तू आखिर मिली है तू.. तुझे याद कर रहे इस लंड को मैं रोज समझाता था.. देख तो जरा.. तेरी चूत की जुदाई में बेचारा कैसे आँसू बहा रहा है.. !!" अपनी शॉर्ट्स से लंड बाहर निकालकर.. सुपाड़े की नोक पर लगी उत्तेजना की बूंदों को दिखाते हुए मौसम के हाथ में थमा दिया..

"ओह्ह जीजू.. पहले मुझे जी भरकर किस तो कर लेने दीजिए.. मैं आपकी किस को बहोत मिस कर रही थी.. " कहते हुए मौसम ने पीयूष के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. प्यार का इजहार करने का सब से पुराना तरीका है ये..

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मौसम के मदमस्त कुँवारे संतरों को हाथों से मसलते हुए पीयूष ने काफी देर तक उसके होंठों को चूसा.. उस दौरान.. अपने पैरों के बीच गरम गरम लंड का स्पर्श होते ही मौसम के कुँवारे बदन में अजीब सी सिहरन उठने लगी.. आँखें बंद हो गई उसकी.. मौसम के उरोज पहले से भी ज्यादा सख्त हो गए.. उसने आँख बंद की.. तो उसे वो सीन याद आ गया.. जब फाल्गुनी उसके पापा का लंड चूस रही थी.. कितनी मस्ती से चूस रही थी.. कैसा लगता होगा लंड चूसने में.. ?? मुझे भी चूसना है.. पर जीजू से कैसे कहूँ.. माउंट आबू में वैशाली ने कहा था की जब हम लंड चूसते है तब हमारे पार्टनर को बहोत मज़ा आता है..

अनगिनत सवालों के बीच घिरी हुई मौसम की विचारधारा तब टूटी जब उसकी ब्रा की कटोरी ऊपर करके पीयूष उसके स्तन को चूसने लगा.. निप्पल पर लार की ठंडक और जीभ की गर्मी.. दोनों का एक साथ एहसास होने लगा..

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मौसम ने उत्तेजित होकर पीयूष का लोडा पकड़ लिया..

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मौसम के स्तनों को चूसते हुए पीयूष ने एक झटके में उसकी चड्डी उतारकर कमर से नीचे नंगा कर दिया.. और अपनी दो उंगली जैसे ही उसकी रिस रही बुर में डाली.. मौसम ऐसे मचलने लगी जैसे मदारी के बिन बजाते ही नागिन नाच रही हो.. !! सख्त लंड को चूसने के लिए मौसम बेकरार हो रही थी.. पर उसे बोलने में शर्म आ रही थी...

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आखिर उसने तय किया की जीजू सामने से कहेंगे तो ही मुंह में लूँगी.. पर शादी से पहले ये अनुभव करने का ये आखिरी मौका था.. और आज वो अपनी ज़िंदगी पूरी तरह जी लेना चाहती थी.. वो अब भी पीयूष के लाल सुपाड़े को तांक रही थी..

"मौसम, मेरी एक रीक्वेस्ट है.. अगर तुझे ऐतराज ना हो तो.. !!" पीयूष ने कहा

"आज किसी चीज का कोई बंधन मत रखना जीजू.. आपकी सारी रीक्वेस्ट मैं आज पूरी कर दूँगी.. आप सिर्फ कहिए एक बार.. हो जाएगा"

"तुझे ऑरल सेक्स के बारे में पता है?"

मौसम समझ गई की जीजू भी उसके मुंह में लंड देना चाहते है पर झिझक रहे है..

मौसम: "ओह जीजू.. वो सब तो मुझे नहीं पता.. पर आपकी जो इच्छा हो मैं पूरा करूंगी"

पीयूष: "पर मुझे लगता है की सुनकर तू नाराज हो जाएगी"

मौसम सोच रही थी.. की जीजू को कैसे समझाऊँ?? की आपका लंड चूसने के लिए तो मैं मर रही हूँ.. पर बोल नहीं पा रही

बहोत मन होने के बावजूद पीयूष ने कहा नहीं.. उसे डर था की लंड चुसवाने के चक्कर में कहीं कुंवारी चूत की चुदाई का मौका हाथ से ना निकल जाए.. !!

कुंवारी लड़की के संग चुदाई.. ये जरा पेचीदा मामला है.. सेक्स के अलावा भी उसमे बहोत कुछ होता है.. एक लड़की.. यौवन के द्वार तक पहुँचने तक.. अपनी इज्जत को जान की तरह संभालती है.. छाती से दुपट्टा सरक जाए तो भी शर्म से पानी पानी हो जाने वाली मुग्धा जब पहली बार अपने प्रेमी के सामने नंगी होती है.. तब बहोत कुछ होता है.. वो क्षण होती है विश्वास की.. समर्पण की.. प्रेम की.. पराकाष्ठा की.. जीवन में प्रथम बार किसी पुरुष के सामने नग्न हुई मौसम के सौन्दर्य में.. कौमार्य की खुमारी छलक रही थी.. उसके स्तनों का वैभव और कुँवारे बदन का जादू पीयूष को पागल कर रहा था..


2021


मौसम की चूत में उंगली अंदर बाहर करते हुए पीयूष उसके स्तनों को मसलता जा रहा था.. मौसम पीयूष के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर हिलाते हुए इतनी बेकाबू हो गई की सिसकते हुए बोली "ओह्ह जीजू.. अब मैं और सह नहीं पाऊँगी.. जल्दी कुछ करो.. आह्ह.. !! नीचे कुछ कुछ हो रहा है "

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पीयूष और तेजी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा और उसके साथ ही मौसम ऑन ध स्पॉट झड़ गई.. ठंडी हो गई वो.. उसकी सांसें अब नियंत्रित होते देख पीयूष समझ गया.. की ठंडी होने के बाद मौसम फिर से शरीफ बन जाएगी.. जब चूत में खुजली उठी हो तब समय, स्थान दिन या रात न देखकर, गांड उछाल उछालकर चुदवाने वाली स्त्री.. खुजली शांत होते ही एकदम शालीन और संस्कारी बन जाती है..

थोड़ी ही देर में मौसम नॉर्मल हो गई.. उसके हाथ में जो पीयूष का लंड था वो और कडक हो गया पर मौसम की पकड़ ढीली हो गई.. वह एकदम धीमी आवाज में बोली "जीजू.. अब जो करना है जल्दी जल्दी करो... ताकि मेरा प्रोमिस पूरा हो जाएँ और टेंशन खतम हो"

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पीयूष ने मौसम को बेड पर लिटा दिया और उसकी दोनों जांघों के बीच पोजीशन ले ली.. जंघाओं को चौड़ी करके.. कामरस से लथबथ चूत के वर्टिकल होंठों क ओ उंगलियों से अलग किया.. अंदर का लाल लसलसित हिस्सा देखकर पीयूष से रहा नहीं गया और उसने झुककर मौसम की चूत को चूम लिया.. और उसके साथ ही मौसम का शरीर फिरसे तपने लगा.. वो ऐसे कांपने लगी जैसे उसे बुखार चढ़ गया हो.. लंड के कडक सुपाड़े को चूत पर रगड़कर.. मौसम को लंड के आक्रामक प्रहारों के लिए तैयार कर रहा था पीयूष

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"आई लव यू, मौसम" कहते ही पीयूष ने कसकर धक्का लगाया और मौसम की चूत में आधा लंड उतार दिया.. फिंगरिंग से स्निग्ध हो रखी चूत को ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ.. पर वो प्रहार उसकी अपेक्षा से अधिक तीव्र था इसलिए मौसम दर्द और डर से सिसक पड़ी.. "ऊई माँ.. जीजू.. जरा आराम से.. और थोड़ा जल्दी करना.. कहीं कोई आ न जाएँ"

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पीयूष अब अपना आपा खो चुका था.. कुंवारी लड़की की चूत में आधा लंड घुसेड़कर भला कौन अपने आप पर काबू रख पाएगा.. !! पीयूष ने मौसम की चूत का उद्धार कर दिया.. ज़िंदगी का पहला पुरुष सहवास.. मौसम को ऐसा लग रहा था.. जैसे पहली बरसात.. !! उसकी चूत से उत्तेजना और सुख का झरना सा बहने लगा था.. जैसे जैसे पीयूष उसकी चूत में लंड अंदर बाहर करता गया वैसे वैसे मौसम, कली से खिलकर फूल बनती गई.. पीयूष को मौसम के स्तन खास तौर पर पसंद थे.. इसलिए इस सम्पूर्ण संभोग के दरमियान उसने एक बार भी अपने हाथ मौसम के स्तनों से नहीं हटाए.. वो इतनी सख्ती से मौसम के कडक संतरों को मसल रहा था की मौसम को दर्द होने लगा.. मौसम की अब स्त्री-जीवन की शुरुआत हो चुकी थी.. इसलिए संभोग का दर्द सहना अब आवश्यक था.. और इसी दर्द में ही बेइंतहाँ आनंद मिलने वाला था.. !!

मौसम के ऊपर हुमच हुमच कर कूद रहा पीयूष.. बार बार नीचे झुककर मौसम की छोटी सी निप्पलों को चूस लेता.. तब मौसम को पहली बार एहसास हुआ की.. क्यों वैशाली और फाल्गुनी.. उसके पापा के साथ ये सब करने के लिए इतने उत्सुक रहते थे.. !! कितना मज़ा आ रहा था.. !! उसने आज ये साहस न किया होता तो वह भी इस अलौकिक आनंद से वंचित रह जाती.. !!


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पीयूष अपनी मंजिल के आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया था और उसकी धक्के लगाने की स्पीड चार गुना बढ़ चुकी थी.. मौसम को पता नहीं चल पा रहा था की अचानक पीयूष के हाव भाव.. धक्कों की गति.. बदल क्यों गई.. !! उसके लिए यह सब नया नया था.. यह पहली बार था की कोई पुरुष उसके ऊपर चढ़कर.. चूत में लंड डालकर.. धक्के लगाते हुए झड़ने की कगार पर था.. जो कुछ भी चल रहा था उसमें उसे बहोत मज़ा आ रहा था.. उसकी चूत ने अब तक ढेर सारा रस छोड़ दिया था.. बार बार उसकी चूत ने स्खलित होकर कुल्ले कर दीये थे.. आखिर थक कर वो सुस्त हो गई.. तब पीयूष ने चूत से लंड को बाहर खींच निकाला और मौसम के पेट पर.. वीर्य की जोरदार पिचकारी मार दी.. मौसम के ये द्रश्य अभिभूत कर गया.. !! गाढ़े वीर्य की गरमागरम पिचकारी जिस्म को छूते ही मौसम सिहर उठी..

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"ओह्ह जीजू.. आई लव यू.. " आज पहली बार मौसम ने खुलकर पीयूष को "लव यू" कहा था.. कडक लोड़े को वीर्य की बौछार करते देखने का पहला अनुभव मौसम के लिए बेहद उत्तेजक रहा था.. लंड की रचना से एक तो वो अनजान थी.. नरम लंड कैसे सख्त हो जाता है.. और सख्त होकर फिर से नरम क्यों हो जाता है.. ये सब जिज्ञासा संतुष्ट होना अभी बाकी था.. ऐसी सूरत में.. वीर्या का फव्वारा उसके स्तन तक उड़ता देख वो इतनी खुश हो गई की उसने पीयूष को खींचकर अपने गले लगा लिया..

थोड़ी देर तक उसी स्थिति में रहने के बाद दोनों पूर्ववत होने लगे.. उठकर दोनों ने कपड़े पहने.. और नॉर्मल होकर बेड पर बैठ गए..

मौसम ने फाल्गुनी को मेसेज किया "और कितनी देर लगेगी? मुझे तो नींद आ रही है.. !!"

जब फाल्गुनी ने ये मेसेज अपने मोबाइल पर पढ़ा तब वैशाली आगे की सीट पर बैठे बैठे झुककर सुबोधकांत का लंड चूस रही थी..

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और फाल्गुनी पीछे बैठे बैठे सुबोधकांत की छाती के घुँघराले बालों में हाथ फेर रही थी.. फाल्गुनी ने मेसेज पर रिप्लाय दिया "हम महंदी वाली के घर बस पहुँचने ही वाले है.. फिर घर आने में दस मिनट ही लगेंगे" परोक्ष तरीके से उसने मौसम को बता दिया की उसके पास सिर्फ उतना ही समय था..

नीचे के कमरे में.. रमिलाबहन के सो जाते ही.. कविता सरककर किचन से सटे स्टोररूम का दरवाजा अंदर से बंद कर.. पिंटू से बातें करने में व्यस्त थी.. उसे कहाँ अंदाजा था की ऊपर के मजले पर उसका पति पीयूष.. उसकी कुंवारी बहन को सेक्स के पाठ पढ़ा चुका था.. उसे तो ये भी पता नहीं था की उसके पापा, वैशाली और फाल्गुनी बाहर गए हुए थे.. वो तो यही सोच रही थी की पीयूष उसके पापा के साथ एक कमरे में है.. और दूसरे कमरे में मौसम के साथ वैशाली और फाल्गुनी बैठे है.. !!


जैसे ही सुबोधकांत की गाड़ी घर पहुंची.. गाड़ी की आवाज सुनकर पीयूष खड़ा हुआ और चुपचाप दूसरे कमरे में जाकर लेट गया.. मौसम ने अपने कपड़े ठीक किए और बेड के चादर की सिलवटें भी साफ कर दी.. चुदाई के सारे सबूत मिटा दीये उसने..
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है मौसम ने अपना वादा पूरा कर दिया वह अपने जीजू से चुद गई साथ ही फाल्गुनी को भी एक शोक दे दिया मौसम ने बता दिया कि उसके पापा और उसके बीच जो संबंध है उसके बारे में उसे पता है
 

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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है शीला और रेणुका नए शिकार की तलाश में है
 

Sanju@

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प्रिय वाचक मित्रों..

पेश है आज का मेगा अपडेट... धमाकेदार लेस्बियन थ्रीसम के साथ.. !! आनंद लीजिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिए..




नीचे के कमरे में.. रमिलाबहन के सो जाते ही.. कविता सरककर किचन से सटे स्टोररूम का दरवाजा अंदर से बंद कर.. पिंटू से बातें करने में व्यस्त थी.. उसे कहाँ अंदाजा था की ऊपर के मजले पर उसका पति पीयूष.. उसकी कुंवारी बहन को सेक्स के पाठ पढ़ा चुका था.. उसे तो ये भी पता नहीं था की उसके पापा, वैशाली और फाल्गुनी बाहर गए हुए थे.. वो तो यही सोच रही थी की पीयूष उसके पापा के साथ एक कमरे में है.. और दूसरे कमरे में मौसम के साथ वैशाली और फाल्गुनी बैठे है.. !!

जैसे ही सुबोधकांत की गाड़ी घर पहुंची.. गाड़ी की आवाज सुनकर पीयूष खड़ा हुआ और चुपचाप दूसरे कमरे में जाकर लेट गया.. मौसम ने अपने कपड़े ठीक किए और बेड के चादर की सिलवटें भी साफ कर दी.. चुदाई के सारे सबूत मिटा दीये उसने..

महंदी वाली लड़की ने मौसम के हाथों पर अपना काम शुरू कर दिया और वैशाली उन दोनों को मदद कर रही थी.. तब फाल्गुनी धीरे से सरककर बाहर आई और लॉबी में सुबोधकान्त के साथ रोमांस करने लगी.. थोड़ी देर के बाद मौसम ने फाल्गुनी को न देखकर वैशाली से पूछा "फाल्गुनी कहाँ गई??" तब वैशाली ने आँखें मटकाते हुए कहा "वो किसी खास काम से गई है"..

मौसम समझ गई की वो खास काम क्या था.. !! वैशाली की बात सुनकर उसके रोंगटे खड़े हो गए.. वैशाली भी कुछ कम नहीं थी.. "मैं अभी आती हूँ" कहकर.. मौसम को महंदी वाली लड़की के साथ छोड़.. वो भी कमरे से बाहर निकल गई.. लॉबी में खड़े फाल्गुनी और सुबोधकांत की नज़रों के सामने ही.. वैशाली पीयूष के कमरे में घुस गई.. !!

अपने दामाद के कमरे मे जा रही वैशाली को देखकर सुबोधकांत का लंड जबरदस्त कडक हो गया.. लॉबी में घनघोर अंधेरा था.. और उसी अंधेरे का फायदा उठाते हुए फाल्गुनी घुटनों के बल बैठ गई और अपनी हवस को मिटाने के प्रयास में लग गई.. जितना कुछ उसने सुबोधकांत से सीखा था.. आज सब कुछ आजमा लिया उसने.. अब तो उसे मौसम का भी कोई डर नहीं था.. अब तक तो वो मौसम को धोखा देने के अपराधभाव से पीड़ित थी.. पर मौसम ने भी अपने जीजू के साथ सेक्स किया था जिसका उसे पता था इसलिए अब "तेरी भी चुप.. मेरी भी चुप" वाला मामला था.. अब पीयूष या मौसम उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकते थे..

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चारों तरफ नीरव शांति के बीच सेक्स का मज़ा लेने का फाल्गुनी का प्रथम अनुभव था.. महंदी लगा रही लड़की.. इन सारी बातों से बेखबर.. मौसम के हाथों पर महीन डिजाइन बनाने में व्यस्त थी.. मौसम को ये तो पता था की फाल्गुनी क्या करने गई थी.. पर वह ये जानना चाहती थी की वैशाली आखिर कहाँ चली गई.. !! वह चाहती थी की खड़ी होकर चेक करें.. पर महंदी अधूरी छोड़कर वो खड़ी नहीं हो सकती थी..

थोड़ी देर में ही महंदी लगाने का काम पूरा हो गया.. वो लड़की मौसम से पूछा "दीदी, मुझे घर कौन छोड़ने आएगा??"

मौसम: "मेरे पापा तुझे छोड़ देंगे.. रुक, मैं पापा को बोलती हूँ"

मौसम के कमरे से बातचीत की आवाज़ें आते ही.. सुबोधकांत सीढ़ियाँ उतरकर नीचे चले गए.. वैशाली पीयूष के कमरे से बाहर निकलकर फाल्गुनी के साथ खड़ी हो गई..

मौसम ने बाहर निकलकर देखा.. वैशाली और फाल्गुनी साथ खड़े थे..

मौसम के पूछने से पहले ही फाल्गुनी ने कहा "हम दोनों यहाँ बातें कर रहे थे.. हो गया महंदी लगाने का काम पूरा.. ??"

मौसम: "हाँ महंदी तो लग चुकी है.. अब इसे ड्रॉप करने जाना है.. पापा कहाँ है? सो गए क्या?"

सुबोधकांत: "मैं यहीं हूँ बेटा.. मुझे भला नींद कहाँ आएगी!!" सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आते आते उन्हों ने कहा "मैं इस लड़की को घर छोड़ आता हूँ" तब तक पीयूष आँखें मलते हुए कमरे से बाहर निकला.. "मुझे भी नींद नहीं आ रही.. मैं भी साथ चलता हूँ" फाल्गुनी और सुबोधकांत का चेहरा उतर गया.. पर वो मना भी कैसे करते.. !! तीनों साथ में उस लड़की को छोड़ने गए..

वैशाली और मौसम उसके कमरे में अकेले बैठे थे.. मौसम के हाथ पर लगी महंदी को देखते हुए वैशाली ने कहा "मौसम.. कल से तो तू तरुण की मंगेतर बन जाएगी.. अब तुझे फ्लर्ट करना बंद करना होगा.. और पीयूष की बनकर ही रहना होगा" सुनकर मौसम शरमा गई

मौसम: "वैशाली.. कुछ लोग तो शादी-शुदा होने के बावजूद भी गुलछर्रे उड़ाते है.. फिर मेरी तो अभी सिर्फ सगाई ही तो हो रही है..!!"

वैशाली: "हम्म.. तेरी बात तो सही है.. पर वो सब तेरी हिम्मत और साहस पर निर्भर करेगा.. जितना ज्यादा साहस करेगी.. उतना ही ज्यादा मज़ा मिलेगा.. "

मौसम: "हाँ.. मुझे भी तेरी तरह साहस करना सीखना ही होगा"

"मतलब??" चोंक उठी वैशाली

"कुछ नहीं.. मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी" मौसम ने बात को वहीं रोक दिया

वैशाली सोच में पड़ गई.. मौसम ने ऐसा क्यों कहा.. !! उसका इशारा उसके पापा के संबंधों के ओर नहीं हो सकता.. क्योंकी उस बारे में तो वो पहले से ही जानती थी.. दोनों साथ ही तो गए थे सुबोधकांत की ऑफिस पर साथ में रैड मारने.. और फिर फाल्गुनी के साथ वो भी शामिल हो गई थी.. दोनों साथ में सुबोधकांत से चुदी थी.. और इस बात का मौसम को पहले से ही पता था.. फिर आज उसने ये बात किस संदर्भ में कही होगी?? कहीं उसे उसके और पीयूष के संबंधों के बारे में तो नहीं पता चल गया.. !!

वैशाली उठकर मौसम के बगल में बैठ गई.. उसकी महंदी खराब न हो इस तरह उसने मौसम के टीशर्ट में हाथ डाला और उसके दोनों संतरों के साथ खेलने लगी.. "आह्ह वैशाली.. ये तू.. !!" मौसम कराह उठी.. अभी कुछ देर पहले ही पीयूष ने मसल मसलकर उसकी चूचियों की हालत खराब कर दी थी.. वैशाली के छुते ही फिर से थोड़ा सा दर्द होने लगा.. पर वह स्पर्श अच्छा भी लगा..

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"जरा सोच मौसम.. अगर मेरे पास अभी लंड होता तो तेरी क्या हालत की होती मैंने??" मौसम की निप्पल को मरोड़ते हुए वैशाली ने कहा.. वैशाली की बातें सुनकर मौसम को बहोत मज़ा आ रहा था

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वैशाली: "फाल्गुनी को आने दे.. फिर हम साथ में शुरू करते है.. वरना हम दोनों ठंडी हो गई तो वो दिमाग खराब कर देगी"

मौसम: "ठीक कहा वैशाली.. वैसे अगर पीयूष जीजू साथ नहीं गए होते.. तो फाल्गुनी खुद ही ठंडी होकर आती.. !!"

वैशाली मौसम की जांघों पर सर रखकर लेट गई.. मौसम का टीशर्ट हटाकर उसके दोनों स्तनों को खोल दीये वैशाली ने.. निप्पल और उसके करीब के हिस्सों पर पीयूष के काटने के निशान साफ नजर आने लगे.. !! वैशाली के स्तन दबाते ही मौसम के मुंह से दर्द भरी कराह निकल गई.. वैशाली के विशाल स्तनों को अपनी कुहनी से दबाते हुए मौसम ने कहा "पापा और उसके बीच २५ वर्ष का अंतर है.. पता नहीं कैसे एड़जस्ट किया होगा उसने.. "

वैशाली: "तेरे पापा की पर्सनलिटी इतनी गजब की है की उम्र का फ़र्क मायने ही नहीं रखता.. बहोत ही हॉट और एक्टिव है तेरे पापा.. !!"

मौसम: "हाँ अब तुझे तो पता ही होगा कितने एक्टिव है वो.. और कहाँ पर"

वैशाली: "देख मौसम.. अब तुझसे कुछ छिपा हुआ तो है नहीं.. तू सब कुछ जानती है.. उस दिन जब हमने फाल्गुनी को तेरे पापा के साथ सेक्स करते हुए देखा तब मुझसे रहा नहीं गया.. कितना मस्त लंड है उनका यार.. !! और हाँ.. तुझे ये भी बता दूँ.. की जब तू अपने जीजू के साथ ज़िंदगी के पहले संभोग के मजे लूट रही थी.. तब तेरे पापा मेरे बॉल चूस रहे थे.. और जिस वक्त तूने फाल्गुनी को मेसेज किया तब मैं उनका लंड चूस रही थी.. उफ्फ़.. क्या गजब का लंड है यार.. मेरे तो नीचे खुजली होनी शुरू हो गई"

मौसम का पेपर भी लीक हो गया..!!!! मौसम इतनी हतप्रभ हो गई थी की कुछ बोल ही नहीं पाई.. !! उसे डर था की वैशाली कहीं उसकी दीदी को ये सब बता न दें..

वैशाली ने मौसम की निप्पल चूसते हुए कहा "तू जरा भी चिंता मत कर मौसम.. तेरा राज मेरे दिल में सुरक्षित रहेगा.. और पीयूष तो मुझे भी बहोत पसंद है.. मैं भी उसके लंड का स्वाद चख चुकी हूँ.. मेरे बूब्स पर तेरे जीजू फिदा है.. उसे इनकी साइज़ बहोत पसंद है"

मौसम को इस सदमे से उभरने में थोड़ा सा वक्त लगा.. पर जल्द ही उसके मन ने सारी सच्चाई स्वीकार ली.. अब तो वो भी दूध से धुली हुई नहीं थी.. राज तो उसके भी थे..

मौसम ने तकिये के नीचे छुपाई हुई ब्रा बाहर निकाली "ये देख.. जीजू ने मुझे फर्स्ट सेक्स की गिफ्ट दी है"

वैशाली ने ब्रा देखी और मुसकुराते हुए बोली "एक नंबर का मादरचोद है तेरा जीजू.. !!"

मौसम: "क्यों?? क्या हुआ.. ??"

वैशाली: "कल मैं अपने लिए ब्रा लेने गई तब पीयूष मेरे साथ ही था.. मैंने अपने लिए और कविता के लिए ब्रा खरीदी फिर भी उसने मुझे भनक तक नहीं लगने दी की कब उसने तेरे लिए ये ब्रा खरीद ली.. !! मुझे आश्चर्य हो रहा है.. मैं पूरा वक्त उसके साथ ही थी.. तो उसने ये ब्रा खरीदी कब?? लगता है जब मैं ट्रायल रूम में गई तब उसने खरीदी होगी.. साला बड़ा ही शातिर है.. !!"

मौसम: "तू जीजू के साथ ऑफिस काम करने जाती है या ये सब करने?? जीजू को अपने साथ ब्रा लेने ले गई?? कमाल है तू.. !!"

वैशाली: "अरे सुन तो सही.. तेरे घर आना था इसलिए मुझे अपने लिए खरीदनी थी.. शाम को ऑफिस से घर लौटते वक्त मैंने उसे दुकान के बाहर खड़े रहने को कहा.. पर किसी मर्द के बाहर खड़े रहने से उस दुकान वाले का धंधा खराब हो रहा था.. कोई भी लड़की या औरत ऐसी जगह ब्रा-पेन्टी खरीदने नहीं जाएगी जहां बाहर कोई मर्द खड़ा होकर आती जाती लड़कियों को ताड़ रहा हो.. इसलिए उस दुकान वाले ने तेरे जीजू को अंदर भेज दिया.. फिर मैं क्या करती?? पता है.. मैंने आज तेरे जीजू के पसंद की ब्रा ही पहनी हुई है.. "

मौसम: "वाऊ.. तब तो हम दोनों की पसंद एक जैसी ही निकली वैशाली.. एक बात बता.. संजय के अलावा तू कितनों के संग चूद चुकी है? और सब से ज्यादा मज़ा किसके साथ आया था??" वैशाली की कामुक बातें सुनकर मौसम की चूत नए सिरे से गीली होने लगी थी..

वैशाली मौसम की गोद से खड़ी हुई.. उसने मौसम के हाथों और सर से सरकाते हुए उसका टीशर्ट उतार दिया.. अब महंदी सुख चुकी थी इसलिए उतारने में कोई परेशानी नहीं हुई.. उसके मस्त कडक संतरें जैसे स्तनों को सहलाते हुए वैशाली देखती रही.. अपने स्तनों को ऐसे घूर रही वैशाली को मौसम ने कहा "क्या देख रही है वैशाली? मेरे मुकाबले तो तेरे कई गुना ज्यादा बड़े है"

वैशाली: "बड़ा होना ही सब कुछ नहीं होता मौसम.. मर्दों को स्तनों की सख्ती और कड़ापन बहोत पसंद होता है.. शादी से पहले मेरे बूब्स भी ऐसे टाइट ही थे.. शादी के बाद लचक गए.. तेरे बूब्स देखकर सोच रही हूँ.. कितने बढ़िया शैप में है ये.. !! पर जैसे ही तरुण का हाथ लगेगा.. वो इन्हें मसल मसलकर ढीले कर देगा.. !!"

मौसम: "वैशाली.. मेरी शॉर्ट्स भी निकाल दे यार.. और नीचे जरा खुजा दे यार.. बहोत जोरों की खुजली हो रही है नीचे.. ये महंदी जब तक पूरी सूख नहीं जाती तब तक तुझे ही मदद करनी पड़ेगी.. फाल्गुनी भी जल्दी आ जाएँ तो अच्छा है.. "

वैशाली ने मौसम को खड़ा किया और एक झटके में उसकी शॉर्ट्स और पेन्टी साथ उतार दी.. बिल्कुल निर्वस्त्र अवस्था में .. महंदी लगे दोनों हाथों को सीधा रखकर.. अपनी टांगें खोलकर मौसम बिस्तर पर बैठ गई.. वैशाली ने भी आनन-फानन में अपनी टीशर्ट और ब्रा उतारी.. और मौसम के शरीर के ऊपर छा गई.. दोनों के स्तन एकाकार हो गए.. अद्भुत लेस्बियन सेक्स की शुरुआत होने वाली थी..


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मौसम सिसकते हुए बोली "आह्ह वैशाली.. नीचे.. नीचे छेद पर.. जल्दी कुछ कर यार.. मैं मर जाऊँगी इस खुजली से.. अगर मेरा हाथ वहाँ चला गया तो सारी महंदी खराब हो जाएगी"

वैशाली ने मौसम को ओर बोलने ही नहीं दिया.. और उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगी.. मौसम उस किस का जवाब देते हुए वैशाली की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोली "वैशाली.. तू भी अपनी शॉर्ट्स उतार दे.. मज़ा आएगा"

"ओह मेरी जान.. तुझे जो चीज चाहिए.. वो शॉर्ट्स के अंदर है नहीं.. उसके लिए तो तुझे अपने जीजू को ही अपने ऊपर चढ़ाना पड़ेगा.. और सारे कपड़े अभी उतार दीये.. तो नीचे दरवाजा खोलने कौंन जाएगा?? यूं नंगी तो नहीं जा सकती ना.. १!"

"हाँ यार.. वो बात भी सही है तेरी.. "

तभी कार का हॉर्न बजा.. वैशाली ने तुरंत अपनी टीशर्ट पहन ली.. और मौसम को चादर से लपेट दिया.. तब तक तो सुबोधकांत ने अपनी चाबी से दरवाजा खोल दिया था और तीनों ऊपर आ चुके थे.. फाल्गुनी ने दरवाजे पर दस्तक दी और वैशाली ने दरवाजा खोला.. फाल्गुनी के साथ साथ पीयूष भी अंदर आ गया.. !! चादर के नीचे नंगी बैठी मौसम कांप उठी.. कहीं जीजू ने चादर खींच ली तो?? वैशाली भी थोड़ी सी झिझक के साथ खड़ी रही.. ये पीयूष बे-वक्त क्यों टपक पड़ा यहाँ??

मौसम बेहद संकोच महसूस कर रही थी..

"अरे वाह.. बहोत ही बढ़िया महंदी लगाई है" पीयूष ने कहा

मौसम: "थेंकस जीजू.. अच्छा हुआ जो आप उस लड़की को छोड़ आए.. वरना इतनी रात गए उस बेचारी को यही सो जाना पड़ता.. !!"

वैशाली: "वैसे वो महंदी वाली थी बड़ी हॉट.. !!"

पीयूष मौसम के बगल में बैठा था और उसकी टांग मौसम की जांघ को छु रही थी.. इतने से स्पर्श से भी मौसम अपने जिस्म मे गर्माहट महसूस कर रही थी.. थोड़ी देर पहले ही मौसम ने पीयूष के संग जवानी का पहला लंड-चूत घर्षण का अनुभव किया था.. ऊपर से वैशाली के संग लेस्बियन हरकतें करते हुए उसका पूरा बदन सिहर रहा था.. अब पीयूष का स्पर्श मिलते ही वो अपना आपा खो रही थी..

मौसम की निप्पल इस उत्तेजना के कारण एकदम कडक हो गई.. और चादर के पतले कपड़े से उभरकर अपना आकर दिखाने लगी थी.. जाहीर सी बात थी की पीयूष की नजर हर थोड़ी देर में मौसम के स्तनों पर चली जाती थी.. मौसम के सख्त उरोजों की गोलाई चादर के नीचे से भी अपना खुमार दिखा रही थी..


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"हम सब यहाँ अब बातें करेंगे.. तुझे बड़ी नींद आ रही है.. पर मैं तुझे सोने नहीं दूँगी" कहते हुए फाल्गुनी ने मौसम की चादर खींच ली.. चोंक गई मौसम इस अचानक हमले से.. अपनी महंदी की परवाह किए बगैर ही उसने अपनी हथेलियों से दोनों स्तन ढँक दीये..

"ये क्या किया तूने फाल्गुनी.. मादरचो.... ???"

मौसम को नंगी देखकर पीयूष को इतना ताज्जुब नहीं हुआ जितना उसके मुंह से गाली सुनकर हुआ..

बेचारी फाल्गुनी को कहाँ पता था की मौसम चादर के नीचे बिल्कुल नंगी बैठी थी.. खींची हुई चादर उसने फिर से मौसम को ओढा दी.. पर तब तक पीयूष और वैशाली दोनों ने मौसम की नग्नता का पूरा लुत्फ उठा लिया था..

वैशाली: "अब अपने जीजू से क्यों शर्मा रही है मौसम.. ?? अभी थोड़ी देर पहले तो गांड उछाल उछालकर उनके लंड से अपनी चूत की खुजली शांत कर रही थी.. हाँ.. अगर हमारी मौजूदगी के कारण तुझे शर्म आ रही हो तो हम चले जाते है.. तेरे पापा के रूम में.. और तू पीयूष के साथ अपना हनीमून मना ले.. सगाई से पहले ही.. !!"

"बोलने में थोड़ा ध्यान रख वैशाली.. !! और जीजू आप क्यों अब भी यहाँ बैठे हो बेशरमों की तरह.. !!! जाइए अपने कमरे में.. प्लीज.." मौसम की शक्ल रोने जैसी हो गई

पीयूष: "अरे यार.. साली तो आधी घरवाली होती है.. अब तुझे भला मुझसे शर्माने की क्या जरूरत है.. !!"

वैशाली: "पीयूष, तुझे मौसम के कौनसे हिस्से में ज्यादा दिलचस्पी है?? कमर के ऊपर वाले या नीचे वाले?? बाकी का हिस्सा मैं ढँक देती हूँ ताकि मौसम को शर्म न आए.. !!"

फाल्गुनी को पीयूष और मौसम के संबंधों के बारे में तो पहले से ही पता था.. पर वैशाली को यूं खुल्लमखुला पीयूष से बातें करते हुए देख वो सोच में पड़ गई.. जरूर इन दोनों के बीच भी काफी कुछ हो रखा है..

मौसम गुस्सा हो गई "अब तू चुप बैठ वैशाली.. जल्दी से मुझे ठीक से ढँक दे.. और आधी घरवाली बनने का बहोत शौक हो तो तू ही चली जा जीजू के साथ.. आधी क्या.. पूरी घरवाली बन जा.. वैसे भी जीजू के साथ ब्रा खरीदने जाने में तो तुझे कोई झिझक नहीं होती"

फाल्गुनी ये सुनकर चोंक गई "बाप रे.. क्या बात कर रही है मौसम.. !! वैशाली जीजू के साथ ब्रा खरीदने गई थी??"

गरमागरम बातों के बीच पीयूष मौसम के पैरों के गोरे गोरे तलवों को सहला रहा था.. इस बात से बाकी दोनों लड़कियां बेखबर थी.. मौसम जीजू के इस स्पर्श को महसूस करते हुए जोर जोर से सांसें ले रही थी.. उसके स्तन हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.. हाथ से ढंके होने के बावजूद स्तन का चालीस प्रतिशत हिस्सा बाहर दिख ही रहा था.. मौसम ने अपनी जांघों को सख्ती से भींच रखा था.. पर जिसके पूरे शरीर में ही सेक्स, खून बनकर दौड़ रहा हो.. ऐसी २४ वर्ष की यौवना.. सिर्फ दो हथेलियों से अपने रूप का ताजमहल कैसे और कितना ढँक पाएगी.. !!

मज़ाक मस्ती अपनी पराकाष्ठा पर थी.. साथ में नग्नता का मिश्रण भी हो रखा था.. पीयूष कमरे से बाहर जाने के लिए मान नहीं रहा था.. मौसम के संगेमरमरी बदन को देखकर सोच रहा था.. ओह्ह यह रूप का महासागर अभी एक घंटे पहले मेरी बाहों में था.. !!

फाल्गुनी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी.. और वैशाली तो सब के मजे ले रही थी.. आखिर मौसम ने हिम्मत की और खड़ी होकर पीयूष को धक्के मारकर कमरे से बाहर कर दिया.. पीयूष नग्न मौसम के हिलोरे लेते जवान स्तनों को छूने गया.. पर मौसम ने झट से दरवाजा बंद कर दिया.. और पीयूष के उस प्रयास को निष्फल बना दिया.. जीजू गए या नहीं.. ये देखने के लिए मौसम ने हल्का सा दरवाजा खोला.. और पीयूष ने झपटकर हाथ डालकर मौसम के स्तनों को दबा लिया.. मौसम ने दरवाजा बंद करने की बहोत कोशिश की पर बीच में पीयूष का हाथ फंसा हुआ था और पीयूष भी उस तरफ से दरवाजे को धक्का दे रहा था..

वैशाली: "अरे.. बेचारे जीजू को थोड़ी देर दबाने देती.. !!"

पीयूष का हाथ धकेलकर दरवाजा बंद किया और बेड पर आकर बैठ गई

मौसम: "अब चुप भी कर.. अगर जीजू की इतनी दया आ रही हो तो अपने खोलकर दे दें उनको दबाने के लिए.. मुझ से तो तेरे काफी बड़े है.. मज़ा आएगा जीजू को.. और तुझे भी"

वैशाली: "आय हाय.. मैं तो कब से हूँ रेडी तैयार..पटा लें सैयाँ मिस-कॉल से.. !!" करीना की तरह कमर मटकाते हुए अपने बड़े बड़े स्तन दिखाकर वैशाली ने कहा

मौसम: "हम तेरा ही इंतज़ार कर रहे थे फाल्गुनी.. ताकि हम अपना खेल शुरू कर सकें.. जीजू ने आकर सारा प्लान चौपट कर दिया.. चलो वैशाली.. शुरू करते है.. तू हमारी सीनियर है.. इसलिए शुरुआत भी तुझे ही करनी होगी"

फाल्गुनी: "हाँ और हम सब से ज्यादा अनुभवी भी है.. वैसे तो हम तीनों को अनुभव है.. पर वैशाली का सब से ज्यादा है"

फाल्गुनी के कूल्हें पर चपत लगाते हुए वैशाली ने कहा "मादरचोद तूने इतनी बार तो अंकल का टांगें फैलाकर लिया है.. दिन रात चुदवाती है.. तू तो कुंवारी दुल्हन है अंकल की.. वैसे उस रिश्ते से तो तू मौसम की मम्मी हुई.. मौसम, अब से तू फाल्गुनी को मम्मी कहकर ही बुलाना.. तुम दोनों को नया रिश्ता मुबारक हो" हँसते हँसते वैशाली ने कहा

फाल्गुनी: "आह्ह.. ले बेटा.. मम्मी के बॉल दबा" मौसम की तरफ देखकर फाल्गुनी ने मसखरे अंदाज में कहा.. मौसम के हाथों पर महंदी लगी हुई थी इसलिए वो कर नहीं सकती थी

मौसम: 'मैं क्या करूँ.. !! जैसे पुलिस के हाथ कानून से बंधे होते है वैसे ही मेरे हाथ आज महंदी से बंधे हुए है"

फाल्गुनी और वैशाली मौसम के करीब आए.. और दोनों ने मौसम का एक-एक स्तन आपस में बाँट लिया.. और चूसना शुरू कर दिया..

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चूसते चूसते वैशाली ने मौसम की निप्पल एक पल के लिए बाहर निकाली और कहा "घोर कलियुग है.. !!"

मौसम: "क्यों, क्या हुआ??"

वैशाली: "आज तक बेटी को माँ की निप्पल चूसते देखा था.. आज पहली बार देखा की माँ ही बेटी की निप्पल चूस रही है.. उलटी गंगा बह रही है"

फाल्गुनी ने वैशाली के लटकते हुए विशाल चर्बी के गोलों को दबाते हुए कहा "मौसम बेटा.. तेरे इतने बड़े क्यों नहीं है?"

मौसम: "ओह्ह मम्मी.. अब क्या कहूँ.. !! मैं तो अभी कुंवारी हूँ ना.. !! कोई दबाने वाला होता तो ये भी इस तरह बड़े हो जाते.. मम्मी, तुम मेरे लिए कोई लंबे लंड वाला लड़का ढूंढ दो.. फिर मैं भी दबवा दबवाकर बड़े करवा लूँगी"

गरमागरम उत्तेजक बातों के बीच कमरे का महोल रंगीन हो चुका था.. धीरे धीरे उत्तेजना से भरी सिसकियों कमरा गूंजने लगा..

फाल्गुनी के होंठ चूसते हुए वैशाली ने कहा "फाल्गुनी, ये तेरी बेटी पूछना चाहती है की इतनी जवान होने के बावजूद, बूढ़े अंकल के प्यार में कैसे पड़ी? चाहती तो एक से एक जवान लंड मिल जाते तुझे.. !!"

मौसम की चूत पर हाथ सहलाते हुए फाल्गुनी ने कहा "सब कुछ अचानक हो गया.. शुरू शुरू में तो मुझे भी पसंद नहीं था.. तुझे याद है मौसम.. बीच में मैंने तेरे घर पर आना काफी कम कर दिया था.. !! वो इसी कारण.. एक दिन मैं तेरे घर आई.. तेरी मम्मी सब्जी लेने मार्केट गई थी.. और तू भी घर पर नहीं थी.. तब अंकल ने मुझे पकड़ लिया.. मैं तो बहोत डर गई थी.. "

एक दूसरे के जिस्म से खेलते हुए वैशाली फाल्गुनी का नार्को-टेस्ट ले रही थी.. अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिए इन दोनों पर निर्भर मौसम.. चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी.. उसे भी जानना था की पापा और फाल्गुनी के बीच सब कुछ कैसे शुरू हुआ.. !!

वैशाली ने स्वाभाविक प्रश्न पूछा "तो फिर तू चिल्लाई क्यों नहीं??"

"पता नहीं यार.. शायद मेरी हिम्मत नहीं हुई या चिल्लाना ठीक नहीं लगा" फाल्गुनी ने किसी राजनीतिज्ञ की तरह जवाब दिया..

वैशाली: तू इसलिए नहीं चिल्लाई थी क्योंकि तुझे मज़ा आने लगा था..और तू सामने से चलकर ही उनके पास गई थी.. चूत चटाने के लिए.. क्यों सही कहा ना मैंने.. !!"

वैशाली की गरमागरम बातें और फाल्गुनी की खामोशी.. सब बेहद उत्तेजक था.. मौसम की चूत में अब जबरदस्त खुजली हो रही थी..

"प्लीज वैशाली.. मुझे कुछ कर यार.. अंदर चींटियाँ रेंग रही है.. " वैशाली के गदराए उरोजों से अपने चेहरे को रगड़ते हुए मौसम ने कहा..

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पर वैशाली और फाल्गुनी.. दोनों में से किसी का भी ध्यान मौसम की तरफ नहीं था..

फाल्गुनी ने वैशाली की टी-शर्ट उतारकर उसके स्तन-युग्मों को नंगा कर दिया.. वैशाली ने भी फाल्गुनी की शॉर्ट्स उतार दी.. फाल्गुनी की चूत पर हाथ फेरते हुए वैशाली को चिपचिपाहट का एहसास हुआ..

उस चिपचिपे रस लगे हाथ को नाक के पास ले जाकर सूंघते हुए वैशाली ने कहा "अंकल के क्रीम की गंध आ रही है नालायक.. चुदवाने के बाद पोंछ तो लेती.. !!"

मौसम ने नजरें ऊपर कर देखा.. वैशाली के शब्द सुनकर उसके पूरे जिस्म में झनझनाहट सी होने लगी.. वैशाली ने अपना हाथ मौसम को सूंघा दिया और बोली "तेरी चूत में.. तेरे जीजू का क्रीम है.. और फाल्गुनी की चूत में अंकल का.. !!"

फाल्गुनी ने वैशाली की बुर की फांक पर उंगली फेरते हुए कहा "हरामजादी तेरी चूत में तो उन दोनों का क्रीम है..!!"

वैशाली ने फाल्गुनी को बाहों में मजबूती से दबा दिया और कहा "चल आजा.. उन दोनों के क्रीम की ताकत तुझे दिखाती हूँ" कहते हुए उसने फाल्गुनी के पूरे शरीर को मसलकर रख दिया

फाल्गुनी को दबाए रखकर वैशाली ने पूछा "ये बता.. अंकल का इतना मोटा पहली बार लिया था तब तुझे दर्द नहीं हुआ था क्या? खून भी निकला होगा.. !!"

"आह्ह.. ईशशशश..!!" अपने पापा के लंड का जिक्र सुनकर मौसम सिहर उठी

"अरे यार.. चार पाँच दिनों तक तो ठीक से चल भी नहीं पाई थी.. पर अपना दुखड़ा किसको बताती??" फाल्गुनी ने कहा

मौसम के कूल्हों को सहलाते हुए फाल्गुनी ने कहा "बेटा.. सच में.. तेरे पापा का बहोत मोटा है"

यह सुनकर तो अब मौसम मदहोशी के आलम में पहुँच गई

वैशाली: "मौसम, तूने जीजू का लिया तब ब्लीडिंग हुआ था क्या?"

मौसम: "नहीं यार.. पहली बार अंदर घुसा तब दर्द तो बहोत हुआ पर खून नहीं निकला था"

फाल्गुनी: "वैशाली, तू ने तो दोनों के देख रखे है.. किसका ज्यादा अच्छा है?"

वैशाली: 'ऑफकोर्स अंकल का.." बिना किसी झिझक के वैशाली ने सुबोधकांत के लंड को अवॉर्ड दे दिया

फाल्गुनी ने मौसम की तरफ देखा "मौसम, तेरे जीजू का कैसा है? और हाँ.. अगर तुझे अंकल का देखना हो तो.. मेरे मोबाइल में बहोत सारे फ़ोटोज़ है.. कुछ विडिओ भी है.. देखना है तुझे??"

"ओह्ह फाल्गुनी प्लीज.. " बिस्तर के सिरहाने अपनी चूत रगड़ने लगी मौसम.. क्यों की दोनों में से कोई भी उसकी आग बुझाने में मदद नहीं कर रही थी.. उल्टा उस आग को और भड़का रही थी.. तंग आकर मौसम ने पास पड़े गोल तकिये का सहारा लिया.. उस पर सवारी करते हुए वो अपनी मुनिया को रगड़कर शांत करने की कोशिश करने लगी.. तकिये पर कूदने के कारण उसके स्तन मस्त उछल रहे थे.. इस स्थिति में अब उसे फाल्गुनी और वैशाली की उत्तेजक बातें सुनने में ओर मज़ा आने लगा

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फाल्गुनी ने मौसम की ओर इशारा करते हुए वैशाली से कहा "अरे वाह देख तो.. मेरी बेटी कैसे घुड़सवारी कर रही है.. !! लंड लेने की इसकी भूख तो देख जरा.. अभी एक बार ही लिया है जीजू का लंड.. एक ही बार मैं ऐसा हाल हो गया.. बांवरी हो गई ये तो.. !!"

वैशाली: "फाल्गुनी, तू ब्लूटूथ से सारे फ़ोटोज़ और क्लिप भेज दे मुझे.. रात को उंगली करने में काम आएंगे मुझे"

फाल्गुनी: "अरे एक से बढ़कर एक तस्वीरें और विडिओ है.. पूरी रात उंगली करती रहेगी तो भी सब खतम नहीं होगा.. "

मन तो मौसम का भी कर रहा था की वो फाल्गुनी से कहें.. की उसके मोबाइल पर भी भेज दें.. पर हिम्मत नहीं हुई.. पर वो बेहद उत्तेजित और रोमांचित हो गई थी.. विडिओ क्लिप.. वो भी फाल्गुनी और पापा की चुदाई की..!! मौसम के स्तनों में गजब का कसाव आ गया.. तकिये पर अपनी पुच्ची रगड़ते हुए और इन दोनों की बातें सुनते ही वो बहोत ज्यादा गरम हो चुकी थी.. वो कैसे भी करके एक बार वो क्लिप देखना चाहती थी.. पर वो किस मुंह से फाल्गुनी से कहती?? वो एक बार अपने पापा का लंड ज़ूम करके देखना चाहती थी.. मौसम की नादानी अब हवा बनकर उड़ चुकी थी

रात के दो बज चुके थे पर तीनों में से एक की भी आँखों में नींद नहीं थी.. थी तो सिर्फ सेक्स की लालसा.. सेक्स का खुमार.. ज़िंदगी को पूरा जी लेने की तमन्ना.. !!

फाल्गुनी ने अपने मोबाइल में.. सुबोधकांत के लंड की फ़ोटो खोली.. और मोबाइल वैशाली को दिया.. मौसम के सामने ही अपनी चूत खुजाते हुए वैशाली ने कहा "यार.. कितना मस्त मोटा है.. !! देखकर ही नीचे चूल उठने लगी.. कम से कम तेरी कलाई जितना मोटा है मौसम.. उस दिन जब हम ऑफिस में छुपकर देख रहे थे तब उनका ये मूसल लंड देखकर मेरे मुंह और चूत दोनों में एक साथ पानी आ गया था.. "

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फाल्गुनी: "वैशाली.. मैंने पहली बार जब अंकल का देखा तो बहोत डर गई थी.. एक महीने तक तो सिर्फ उसे पकड़ती और खेलती रहती.. कभी बहोत मन करें तो अपनी चूत पर रगड़ लेटी.. फिर एक बार अंकल के कहने पर हिम्मत की.. और आगे का गोल लाल हिस्सा अंदर डालने की कोशिश की तब इतना दर्द हुआ की बाहर निकाल लेना पड़ा था"

वैशाली: "अच्छा.. !! पर अभी तो बड़े आराम से दलवा लेती है पूरा.. !!"

फाल्गुनी: "फिर अंकल ने मुझे समझाया.. की पहली बार तो दर्द होगा ही होगा.. जान निकल जाएगी.. पर एक बार अंदर ले लिया.. फिर मजे ही मजे होंगे.. और सच में.. पहले दो तीन बार तो ऐसा ही लगा जैसे अंकल मेरे साथ जबरदस्ती कर रहे है.. मैं रो पड़ती.. चिढ़ जाती.. गुस्सा करती.. पर फिर धीरे धीरे ऐसी आदत लग गई.. की अब तो रोज लेने का मन करता है मुझे.. अब क्या कहूँ तुझे वैशाली.. कहने में भी शर्म आती है.. पिरियड्स के दिनों में तो इतना मन करता है की एक बार तो मैंने सामने से अंकल को फोन किया था.. की अंकल प्लीज, कुछ सेटिंग कीजिए.. बहोत मन कर रहा है"

"साली रंडी मम्मी.. !!" मौसम ने सिर्फ उतना ही कहा.. दोनों का ध्यान अब मौसम की तरफ गया

फाल्गुनी: "बेटा.. तू तकिये से अपनी मुनिया रगड़ना जारी रख.. फिलहाल तुझे लोडा लेने की इजाजत नहीं है.. हाँ फ़ोटो देखनी हो तो देख ले.. ये ले देख.. इसी से तो तू पैदा हुई थी" कहते हुए फाल्गुनी ने वैशाली के हाथ से मोबाइल लेकर मौसम के सामने फेंका.. मौसम का दिल बड़े जोर से धकधक करने लगा.. स्क्रीन पर लंबा तगड़ा लंड देखने की अपेक्षा थी.. पर हाय रे किस्मत.. !! मोबाइल बेड पर उलटे मुंह पड़ा..

बेहद उत्तेजना और उत्कंठा से मौसम उलटे पड़े मोबाइल के सामने देखती रही.. पर निराशा के सिवा कुछ हाथ न लगा..

ये देखकर फाल्गुनी हंसी और मौसम के करीब आकर उसके होंठ चूसकर संतरें दबा दीये.. मौसम का हाथ ऊपर कर उसकी काँख को चाटते हुए फाल्गुनी ने कहा "मौसम बेटा.. मुझे पता है.. तू अपने पापा का लंड देखने के लिए आतुर है.. ले देख ले अपने बाप का लंड.. कैसा है.. !!" कहते हुए फाल्गुनी वैशाली के पास जाकर बैठ गई..

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कांपते हाथों से मौसम ने मोबाइल उठाया और स्क्रीन ऑन कर दी.. काफी देर तक वो स्क्रीन पर दिख रहे सुबोधकांत के लंड को देखती ही रही.. जैसे उसने खुद अपने बाप का लंड हाथ में पकड़ रखा हो..

थोड़ी देर देखकर वो बोली "फ़ोटो में तो जबरदस्त लग रहा है.. जीजू से भी लंबा और मोटा है.. " मौसम की चूत में ४४० वॉल्ट के झटके लगने शुरू ह ओ गए थे..

वैशाली: "लंबा और मोटा तो है ही.. साथ ही उनका स्टेमीना भी गजब का है"

मौसम ने उन दोनों की तरफ देखा.. फाल्गुनी और वैशाली पैर चौड़े कर बेड पर एक साथ लेट गए थे.. एक हाथ से एक दूसरे के स्तन दबा रहे थे.. जब की दूसरे हाथ की उंगली एक दूसरे की चूत में अंदर बाहर हो रही थी..

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एक दूजे के अंगों से खेलते हुए वैशाली फाल्गुनी से और जानकारी प्राप्त करने में जुट गई..

वैशाली: "फाल्गुनी, तो फिर जब हमारे बीच लंड की बातें हो रही थी तब तू इतना डरती क्यों थी? तेरे शरीर को पहली बार जब मैंने छु लिया था तब भी तू घबरा गई थी.."

फाल्गुनी ने एक दीर्घ सांस लेकर बात की शुरुआत की.. पर उससे पहले उसने वैशाली का हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया.. वैशाली समझ गई की फाल्गुनी की चूत इन बातों से उत्तेजित हो जाने वाली है.. इसलिए उसने पहले से ही इंतेजाम कर लिया.. वैशाली ने अपनी दो उँगलियाँ फाल्गुनी की मुनिया के अंदर तक उतार दी..

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एक गहरी सिसकी लेते हुए फाल्गुनी ने कहा "यार एक दिन.. शाम के पाँच बजे.. मैं मौसम के घर गई.. मौसम नोट्स की फोटोकॉपी करवाने गई थी.. और घर पर सिर्फ रमिला आंटी ही थे.. आंटी ने मुझे एक कपड़ों से भरा बेग देते हुए कहा.. की मैं इसे अंकल की ऑफिस पर देकर आऊँ.. अंकल को अर्जेंट शहर से बाहर जाना था इसलिए.. मैं तैयार हो गई.. और बेग लेकर अंकल की ऑफिस पहुँच गई.. मुझे देखकर अंकल ने कहा "अरे फाल्गुनी.. तू क्यों देने आई? मौसम आने वाली थी".. मैंने जवाब दिया की "हाँ अंकल.. पर आपको अर्जेंट जाना था.. और मौसम कहीं बाहर थी.. इसलिए आंटी ने मुझे कहा इसे आप तक पहुंचाने को.. आप कहीं शहर से बाहर जा रहे है?"

फिर उन्हों ने कहा की.. हाँ.. एक अर्जेंट मीटिंग निकल आई है.. " कहते हुए वो मुझे अपनी चेम्बर में ले गए.. और चपरासी को कॉफी लाने के लिए कहा.. उस पल तक मेरे मन में अंकल के लिए मेरे पापा जितनी इज्जत थी.. मैं निःसंकोच उनके साथ कैबिन में अकेले बैठी थी.. जरा भी डर नहीं था.. पर कॉफी पीते पीते उन्हों ने मुझे फँसाने की हरकतें शुरू कर दी.. मुझे लगा.. मैं तो उनकी बेटी जैसी हूँ.. भला मुझसे ऐसी बातें क्यों कर रहे होंगे अंकल.. !!"

मौसम: "मतलब किस तरह की बातें कर रहे थे पापा??"

फाल्गुनी: "अब क्या कहूँ यार.. थोड़ी डबल मीनिंग वाली बातें कर रहे थे.. घुमाया फिराकर.. पर मतलब वही था "

वैशाली: "मतलब किस तरह की बातें?"

फाल्गुनी: "हम्म.. जैसे की.. फाल्गुनी.. अब तू जवान हो गई है.. तेरे पापा से बात करके लड़का ढूँढना पड़ेगा तेरे लिए.. जवानी की इच्छाएं बड़ी ही प्रबल होती है.. देखना कहीं पैर फिसल न जाएँ तेरा.. ये सब कहते हुए मेरे पीछे खड़े हो गए और कंधों पर हाथ रख दिया.. फिर भी मुझे कुछ भी अटपटा सा या विचित्र नहीं लगा"

मौसम: "फिर क्या हुआ??"

फाल्गुनी: "फिर उन्हों ने मुझसे पूछा.. तुझे कोई लड़का पसंद है क्या? या तेरा किसी के साथ कोई चक्कर है?? मैंने मना किया.. "

मौसम और वैशाली एकटक फाल्गुनी की तरफ नजरें जमाए थी..

फाल्गुनी: "तो मैंने कह दिया की नहीं अंकल.. ऐसा कुछ भी नहीं है.. तो उन्हों ने कहा की तू झूठ बोल रही है.. आज कल की जवान लड़कियों को लड़कों के लिए आकर्षण होना आम बात है.. और ऐसा पोसीबल ही नहीं है की तू किसी लड़के के साथ नहीं होगी.. तेरे शरीर का विकास देखकर मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की तूने किसी न किसी के साथ जरूर इन्जॉय किया होगा.. मौसम.. वो पहली बार था की तेरे पापा की बातों से मैं गरम होने लगी.. खास कर जब उन्हों ने "शरीर के विकास" वाली बात कही तब.. मैंने भोली बनकर कहा.. इन्जॉय मतलब?? मैं समझी नहीं अंकल.. तब उन्हों ने बम फोड़ दिया और कहा.. बेटा तुझे सेक्स करने का तो मन करता होगा ना.. !!! मैं इतना शर्मा गई.. मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. अंकल ने बोलना जारी रखा.. तुझे भी मन करता होगा किसी पुरुष के साथ कमर में हाथ डालकर दूर तक वॉक पर जाना.. बारिश में किसी हेंडसम पुरुष के साथ एक छाते में भीगते हुए जाना.. अंकल ने शुरू शुरू में तो प्रेम और रोमांस की बात की.. फिर धीरे धीरे फ्लर्ट करते हुए सेक्स तक बात पहुँच गई.. पहले तो सेक्स की बातें मेरे पल्ले नहीं पड़ी.. पर उनकी बातें मुझे इतनी अच्छी लग रही थी की मन कर रहा था.. वो बातें करते रहें और मैं सुनती रहूँ.. मौसम.. क्या तुझे पता है की तेरे पापा सिगरेट पीते है??"

मौसम: "नहीं.. मैंने तो उन्हें कभी स्मोक करते हुए नहीं देखा है"

फाल्गुनी: "उस दिन मुझसे बातें करते हुए उन्हों ने सिगरेट जलाई और कहा.. फाल्गुनी तू यंग है और मैं अनुभवी हूँ.. तुझे अपनी इच्छाओं को काबू में रखने में परेशानी होती होगी.. और तेरी आंटी से मैं जरा भी खुश नहीं हूँ.. यूं ही समझ की शारीरिक रूप से वो रिटायर्ड हो चुकी है.. तो क्या हम दोनों अच्छे दोस्त बन सकते है.. ??"

वैशाली: "अरे दिमाग से पैदल लड़की.. जब उन्हों ने साफ साफ कह दिया की आंटी शारीरिक रूप से रिटायर्ड हो चुकी है.. तो जाहीर से बात है की वो तुझसे शारीरिक सपोर्ट की उम्मीद लगाएं बैठे थे.."

फाल्गुनी: "अरे यार.. मुझे उस वक्त कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. उस दिन तो उन्हों ने मुझे बिना कोई छेड़छाड़ कीये जाने दिया.. पर उस रात को डेढ़ बजे उन्हों ने मुझे व्हाट्सप्प पर नॉन-वेज जोक भेजा.. जो मैंने सुबह पढ़ा.. पढ़कर ही मैं इतना शर्मा गई की क्या बताऊँ"

मौसम ने उत्सुकतापूर्वक पूछा "कौन सा जोक था?"

फाल्गुनी: "अब वो तो मुझे कुछ याद नहीं है.. पर उस जोक में लंड और चूत जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया था.. इतनी सुबह अंकल को कॉल करना मुझे ठीक नहीं लगा.. इसलिए जब मम्मी और पापा दोनों ऑफिस चले गए तब तक मैं इंतज़ार किया.. बार बार मैं उस मेसेज को पढ़ती रहती.. लंड और चूत जैसे शब्द पढ़कर मुझे नीचे कुछ कुछ हो रहा था.. अनजाने में ही मेरा हाथ नीचे चला गया.. मैंने वो मेसेज पढ़ते पढ़ते उंगली फेरना शुरू कर दिया.. इतना मज़ा आया था यार.. पहली बार अंदर से पानी भी निकला था.. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया पर मज़ा बहोत आया था.. मेरा पानी निकला और तभी अंकल का कॉल आया.. मैंने नाराजगी से उन्हें उस मेसेज के बारे में कहा तो अंकल ने सॉरी कहा और बोले की आज के बाद ऐसे मेसेज नहीं भेजेंगे.. मैंने फोन रख दिया.. पर उस दिन के बाद अंकल के तरफ देखने का मेरा नजरिया बदल गया.. मैं तेरे घर आती तो उन्हें देखते ही मेरी धड़कनें तेज हो जाती.. पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो जाता"

फाल्गुनी नॉन-स्टॉप बोलें जा रही थी.. वैशाली और मौसम एक दूसरे के स्तनों को छेड़ते हुए बड़े ही इन्टरेस्ट से उसकी बातें सुन रहे थे

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फाल्गुनी: "फिर काफी दिनों तक कुछ नहीं हुआ.. एक दिन तेरे घर आई तब अंकल घर पर अकेले बैठे थे.. उन्हों ने मुझे कहा की मुझसे एक बात करनी है पर मैं प्रोमिस करूँ की किसीको बताऊँगी नहीं.. मैंने प्रोमिस किया पर मुझे अंदाजा तो लग ही चुका था की अंकल क्या कहने वाले थे.. मेरे बूब्स को देखते हुए अंकल ने कहा की.. फाल्गुनी.. तू मौसम की हमउम्र है पर बहोत ही सुंदर है.. उस दिन तेरे साथ ऑफिस में कॉफी पीने के बाद तू मेरे दिल और दिमाग पर छा गई है.. मुझे ऐसा कहना तो नहीं चाहिए पर अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूँ.. मैंने कहा.. अंकल मुझे जाना चाहिए.. मैं बाद में आऊँगी.. उन्हों ने मुझे रोका नहीं.. और कहा की ठीक है.. रात को तुझे एक-दो मेसेज भेजूँगा.. पढ़कर डिलीट कर देना.. और प्लीज मेरी बात का बुरा मानकर यहाँ आना बंद मत कर देना.. मैं तो तुझे सिर्फ देखकर भी खुश हो जाऊंगा.. ये खुश मुझसे छीन मत लेना.. !!!"

फाल्गुनी सांस लेने के लिए एक सेकंड रुकी और फिर बात आगे बढ़ाई

फाल्गुनी: "मैं भागकर घर पहुंची.. मेरा दिन ज़ोरों से धकधक कर रहा था.. ताज्जुब की बात तो यह थी की मैं पूरी रात अंकल के मेसेज का इंतज़ार करती रही पर उन्हों ने मेसेज ही नहीं किया.. !! फिर मुझे अपने ही पागलपन पर हंसी आने लगी.. की मैं क्यों भला उनके मेसेज का वैट कर रही थी.. पर मुझे उस सवाल का जवाब नहीं मिला.. दूसरे दिन जब तेरे घर आई तब अंकल ने मुझे आँख मारी.. मेरा दिल कर रहा था की उनसे पूछूँ.. रात को मेसेज क्यों नहीं किया?? पर तब तेरी और आंटी की मौजूदगी के कारण मैं पूछ नहीं पाई.. दिन-ब-दिन अंकल की शरारतें बढ़ती गई.. तब तक तो मैं भी उनके साथ सिर्फ फ्लर्ट कर रही थी.. "

मौसम: "साली रांड.. तुझे फ्लर्ट करने के लिए मेरा ही बाप मिला.. !! अपने बाप के साथ कर लेती फ्लर्ट.. !!"

फाल्गुनी हंस पड़ी और बोली: "अबे साली.. मेरा बाप अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों को आँख नहीं मारता.. और ना ही उन्हें आधी रात को गंदे जोक्स भेजता है.. क्या कभी मेरे पापा ने तेरे बूब्स को घूर घूर कर देखा है?? नहीं ना.. !! सारी चूल तेरे बाप के लंड में है.. मेरे पापा तो एकदम जेन्टलमेन है.. समझी.. !! और सुन.. मैंने अंकल को खुद से दूर रखने की बहोत कोशिश की.. अभी मेरी पूरी बात तू सुन..तो पता चलेंगे तेरे बाप के कारनामे.. फिर तुझे जो बोलना हो बोल लेना.. !!"

वैशाली: "अरे यार मौसम, तू बीच में टोंक मत.. हम्म आगे बता फाल्गुनी"

फाल्गुनी: "जिस दिन उन्हों ने मुझे आँख मारी थी.. उस दिन जब मैं कॉलेज से घर पहुंची तब उनका फोन आया.. ना हैलो कहा और न और कुछ.. सिर्फ इतना बोलें की मुझे तेरी बहोत याद आ रही है यार.. अकेला बैठा हूँ.. तू आ जा.. इतना कहकर उन्हों ने फोन रख दिया.. मुझे एक पल के लिए तो समझ में नहीं आया.. मैंने सामने से फोन करके पूछा की अंकल आपने मुझे फोन किया था?? उन्हों ने जवाब दिया की.. ओह तुझे फोन लग गया था.. मैंने तो किसी ओर को लगाया था.. खैर.. अगर तू फ्री है तो ऑफिस आजा.. साथ बैठकर कॉफी पियेंगे और गप्पे मारेंगे.. ईमानदारी से कहूँ तो उस दिन मुझे अंकल को मना कर देना था.. पर मना नहीं कर पाई.. पता नहीं क्यों.. !! और उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ वो आज तक जारी है.. अब मैं उनके बगैर जी नहीं सकती.. !!"

सुनकर एक पल के लिए मौसम चोंक गई और बोली "मतलब??? तू पापा से प्यार करती है??"

वैशाली: "अरे वो सब छोड़.. ये बता.. फिर तू जब उनकी ऑफिस गई.. तब उन्हों ने तुझे चोद दिया था?"

फाल्गुनी: "नहीं बाबा नहीं.. उन्हों ने बड़ी ही होशियारी से मुझे ऐसे उत्तेजित किया की मैं ही अपना कंट्रोल खो बैठी.. क्या कहूँ यार.. बहोत ही लंबी कहानी है.. जाने भी दो.. जो बीत गई सो बात गई.. !!"

गहरी सांस लेकर फाल्गुनी ने आगे बोलना शुरू किया

फाल्गुनी: "मैं उनका निमंत्रण ठुकरा नहीं सकी.. और मैंने कहा की.. हाँ अंकल.. मैं आपकी ऑफिस आती हूँ.. वैसे भी बोर हो रही थी.. मौसम भी मेरे कॉल का जवाब नहीं दे रही है"

मौसम: "साली रंडी.. बाप की रखैल.. मैंने कब तेरा फोन नहीं उठाया??"

फाल्गुनी: "अरे यार मैंने झूठ-मुट बोल दिया था.. बल्कि उस दिन तो तूने मुझे सेंकड़ों बार फोन किया था पर मैंने ही नहीं उठाया था.. !! और फिर मैंने बहाना बनाया था की फोन घर भूल गई थी.. असल में मैं अंकल के साथ थी.. इसलिए तेरा फोन नहीं उठा रही थी.. !!"

मौसम: "अच्छा तो ये बात थी.. मैं इसे कितनी भोली समझती थी वैशाली.. पर एक नंबर की छिनार निकली"

फाल्गुनी: "अब सुन भी ले आगे की कहानी"

मौसम: "हाँ.. बक.. !!"

फाल्गुनी: "उस दिन मैं स्किन-टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहनकर गई उनके ऑफिस.. मुझे देखते ही अंकल घायल हो गया ऐसा मुझे लगा.. टाइट टी-शर्ट से उनकी नजर आरपार होते मैं महसूस कर पा रही थी.. इतनी खतरनाक नजर से वो मेरे बूब्स को देख रहे थे.. ऐसा लग रहा था कि जैसे वहीं टेबल पर लिटाकर मुझे कच्चा चबा जाएंगे.. मैं ऑफिस पहुंची तब सारा स्टाफ जा चुका था.. उनकी कैबिन में ले जाकर अंकल ने मुझे वहाँ सोफ़े पर बिठाया.. और वो भी पास बैठ गए.. उन्हों ने मेरा हाथ छोड़ा ही नहीं.. फिर धीरे से उनका हाथ मेरे कंधों पर रख दिया.. मैं इतनी रोमांचित हो गई की क्या बताऊँ.. !!"

मौसम और वैशाली स्तब्ध होकर फाल्गुनी के कौमार्यभंग की काम-काथा सुन रहे थे.. कैसे एक कुंवारी शर्मीली लड़की सामने से चलकर अपने शरीर को.. खुद से दोगुनी उम्र के मर्द के हाथों में सौंप दिया..

फाल्गुनी: "चार दीवारों के बीच जब मर्द और लड़की अकेले होते है.. तब उम्र मायने नहीं रखती.. एकांत बड़ा ही भड़काने वाला होता है ये मुझे उस दिन पता चला.. अंकल का हाथ मेरे कंधे पर पड़ते ही मेरी चूत में आग सी लग गई.. "

मौसम: "मेरे समझ में ये नहीं आ रहा की तुम दोनों ऑफिस में अकेले कैसे मिले? वो चपरासी राजू तो हमेशा ऑफिस रहता है.. और वही तो ऑफिस बंद करता है"

फाल्गुनी: "मेरे वहाँ पहुंचते ही.. अंकल ने उसे कुछ लाने के लिए मार्केट भेज दिया था.. और मेरी प्यारी बेटी मौसम.. अब तक तो तुझे पता चल ही गया होगा की पुरुष के साथ एकांत में बैठने में कितना मज़ा आता है.. !! अब तो तूने भी अच्छे से सारे अनुभव कर लिए है"

मौसम: "हाँ मम्मी.. अंदर कुछ कुछ होने लगता है.. और वहीं तो सारे फसाद की जड़ है.. !!"

वैशाली: "ये कमाल पुरुष की मौजूदगी के कारण नहीं.. पर लंड और चूत के करीब आने से होता है"

फाल्गुनी: "सही कहा तूने वैशाली.. अंकल ने मुझे यहाँ वहाँ छूकर बहोत ही एक्साइट कर दिया.. आह्ह.. उनकी बातें सुनकर तो मैं पानी पानी हो रही थी.. !!"

तकिये से अपनी चूत घिसते हुए मौसम ने कहा "बताओ ना मम्मी.. क्या क्या बातें की थी पापा ने??"

अब वैशाली भी अपनी उंगलियों से फाल्गुनी की चूत छेड़ने लगी.. जैसे उसके सुराख में कुछ ढूंढ रही हो.. !! तीनों लड़कियां बेहद उत्तेजित हो गई थी.. सिर्फ एक मस्त लंड की कमी थी.. उस कमी को वो तीनों बातों से पूरा करने की भरसक कोशिशें कर रही थी..

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वैशाली की निप्पल को दबाते हुए फाल्गुनी ने सवाल किया "वैशाली.. क्या ऐसा कभी हो सकता है.. की दूर बैठ कोई व्यक्ति.. बिना कुछ कहें.. बिना हाथ लगाएं.. सिर्फ अपने हाव भाव और हरकतों से ही ऑर्गजम दे सकें?"

वैशाली: "बहोत मुश्किल है.. हाँ फोन पर सेक्स चैट करते हुए ये हो सकता है.. पर बिना कुछ कहें ये हो पाना संभव नहीं है"

मौसम: "हाँ यार.. ऐसा तो कैसे मुमकिन हो सकता है??"

फाल्गुनी: "मुमकिन हुआ था.. तेरे पापा ने कर दिखाया था उस दिन.. जब उन्हों ने मेरे बूब्स की तारीफ की.. मेरी जांघों की तारीफ की.. तब मुझे इतना अच्छा लग रहा था.. मैंने पूछा की आपको और क्या क्या अच्छा लगता है मेरे शरीर में?? वैसे वो मुझे बातों से उत्तेजित करते गए.. उस दिन मुझे पता चला की मर्दों को हमारा शरीर इतना पसंद होता है.. !!"

मौसम: "मम्मी, ये बात तो सच कही.. मर्द हमें अपनी बातों से बड़ा एक्साइट कर देते है.. जीजू ने भी अपनी बातों के जादू से ही माउंट आबू में मुझे मोह लिया था.. उन लोगों को हमारे शरीर के हर अंग में दिलचस्पी होती है"

वैशाली: "हाँ यार.. संजय को मेरे पैर बहोत पसंद थे.. वो पहले तो मेरे पैरों से अपना लंड रगड़ता रहता.. कई बार तो वो बीच चुदाई में चूत से लंड बाहर निकालता.. मेरे दोनों पैरों को जोड़कर चूत का आकर बनाकर अंदर पेल देता..

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और मेरे पैरों को उसने कितनी बार चाटा होगा.. हजारों बार मेरे पैरों पर वीर्य डिस्चार्ज किया है.. मुझे ताज्जुब होता था.. मर्दों को स्तन, चूत और गांड के लिए पागल होता देख समझ में आता है.. पर पैरों को कौन चोदता है यार.. !! पहली बार तो मैं चकित रह गई थी.. और उनकी दूसरी जानलेवा हरकत होती है उनकी किस.. आहाहाहा.. इतना मज़ा आता है जब वो किस करते है तब.. !!"

फाल्गुनी: "एक बात जरूर कहूँगी.. अंकल ने कभी भी मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की.. पर उन्हों ने पूरा माहोल ही ऐसा बना दिया जहां हम एक के बाद एक कदम आगे बढ़ते गए और आखिर मुझे उनसे प्यार हो गया.. "

मौसम: "हम्म.. मतलब बातचीत कैसे शुरू हुई ये तो पता चल गया.. अब आगे कैसे बढ़ें वो भी बता दे"

वैशाली अब फाल्गुनी की चूत में उंगली करते हुए इतनी उत्तेजित हो गई की उसके शरीर के ऊपर पुरुष की तरह चढ़ गई.. और उसकी चूत से चूत रगड़ते हुए.. अपने बबलों को फाल्गुनी के संतरों पर घिसने लगी..


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इस सुंदर नज़ारे को देखकर फाल्गुनी ने दोनों हाथों से वैशाली के नारियल जैसे स्तनों को थाम लिया और अपना चेहरा ऊपर कर वैशाली को किस करने के लिए आमंत्रित करने लगी.. बड़ी ही जबरदस्त कामुकता के साथ वैशाली ने अपने होंठ फाल्गुनी को सौंप दीये.. फाल्गुनी उसके होंठों को चूमने और चाटने लगी..

वैशाली को अपनी मनमानी करने दे रही थी फाल्गुनी.. उसी अवस्था में उसने बात आगे बढ़ाई..

फाल्गुनी: "अब मैं अंकल के साथ काफी खुल चुकी थी.. उनकी आँखों में आँखें डालकर कुछ भी बोल देने में मुझे शर्म नहीं आती थी.. अंकल ने मुझसे प्रोमिस ले लिया था की हमारी मीटिंग के बारे में मैं किसी को न बताऊँ.. यह बात तुझसे छुपाने का आज तक अफसोस है मुझे मौसम.. पर मैं चाहकर भी ये बात तुझे बता नहीं पाई.. !! फिर उस दिन अंकल ने मुझे बहोत सारे नॉन-वेज जोक्स कहे.. और मेरी बची कूची शर्म को निकाल दिया.. पर अभी भी वो मेरे सामने लंड और चूत जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं कर रहे थे.. बात बात में मैंने कहा की अंकल एक बार मैंने आप को फोन पर किसी को गाली देते हुए सुना था.. तो क्या आप को गाली बोलने में शर्म नहीं आई?? तो उन्हों ने कहा.. अरे.. चूतिया भी कोई गाली होती है.. फिर वो मेरे सामने ही भेनचोद और मादरचोद बोले.. और कहा की गालियों से शर्माने की कोई जरूरत नहीं है"

वैशाली: "अरे बाप रे.. !!"

मौसम: "हाँ ये बात तो सही है मम्मी.. मेरे पापा को फोन पर गालियां देते हुए तो मैंने भी बहोत बार सुना है.. कई बार तो गुस्से में मेरी मम्मी को भी गाली दे देते है.. "

वैशाली: "चोदते वक्त संजय भी बहोत गाली-गलोच करता था यार.. इतनी गंदी गंदी गालियां.. सुनकर ही घिन आ जाए.. खास कर मेरी मम्मी को लेकर इतना गंदा गंदा बोलता था वो.. !!"

फाल्गुनी: "मतलब? क्या बोलता था वो?"

वैशाली: "मेरे बूब्स दबाते हुए वो मेरी मम्मी के बूब्स की तारीफ करता था.. और जब मैं उसका लंड चुस्ती थी तब बोलता था की तेरी मम्मी भी पापा का लंड ऐसे ही चूसती होगी.. पर उस वक्त मैं इतनी गरम हो चुकी होती थी की उसकी बातों से मुझे कोई फरक न पड़ता.. !!"

मौसम: "मतलब संजय तेरी मम्मी को गालियां देता और तुझे कोई ऐतराज नहीं होता था, ये कहना चाहती है तू?? कमाल है यार.. कोई हमारी माँ को गाली दे और तब भी आपको सुनकर बुरा न लगे.. मानने में नहीं आ रहा"

वैशाली: "यार उस वक्त तो नीचे ऐसी चुनचुनी मची होती है की मन करता है.. उसे जो बोलना हो बोलें.. बस नीचे लंड डालता रहें.. एक बात बता.. जब अंकल के मुंह से पहली बार गाली सुनी थी.. तब तेरी चूत में भी कुछ कुछ हुआ था ना.. !!"

फाल्गुनी: "हाँ यार.. उन्हों ने तो फिर मेरे मुंह से भी गालियां बुलवाई.. फिर उन्हों ने कहा.. फाल्गुनी, अब हम दोनों दोस्त है.. तो एक दोस्त होने के नाते तू मुझे क्या क्या करने देगी.. ये बता दे ताकि मैं अपनी लिमिट क्रॉस न करूँ.. तो मैंने कहा.. अंकल ये सब में मुझे कुछ पता नहीं चलता.. मुझे किसी भी प्रकार की बातचीत से ऐतराज नहीं है.. इन्जॉय तो मैं भी करना चाहती हूँ.. बाकी आप इतने अनुभवी और समझदार हो.. मुझे यकीन है की आप ऐसा कोई काम नहीं करोगे जिससे मुझे या आपको कोई नुकसान हो.. अंकल ने मेरी बात मान ली और कहा की.. मेरे बॉल बहुत ही मस्त कडक है.. मेरी साइज़ पूछी उन्हों ने.. कैबिन के अंदर रूम फ्रेशनर और सिगरेट के धुएं की मिश्र गंध मुझे पागल बना रही थी.. मुझे उनके पूछने से बहोत मज़ा आ रहा था.. एक पल के लिए तो मन किया की वहीं अंकल से लिपट जाऊँ.. बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोका.. फिर अंकल ने मुझ से पूछा.. बेटा, तेरी निप्पल का रंग कैसा है??"

फाल्गुनी की गरमागरम बातें सुनकर मौसम के मुंह से उत्तेजना भरी कराह निकल गई.. ऊँहहहहह.. !!

वैशाली और फाल्गुनी ने मौसम की तरफ देखा.. वो बेकाबू होकर अपनी चूत को तकिये से पागलों की तरह रगड़े जा रही थी.. बेहद उत्तेजना का खुमार उसके सुंदर चेहरे को ओर निखार रहा था.. उसके उरोजों की गोलाई जबरदस्त दिख रही थी.. पसीने से तरबतर मौसम की निप्पल से पसीने की बूंदें टपक रही थी.. उसने आँखें बंद कर सिसकते हुए कहा "जल्दी बोल.. फिर पापा ने आगे क्या कहा.. ??" मौसम ने गहरी आवाज में पूछा

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फाल्गुनी: "वही की.. फाल्गुनी बेटा.. तेरा बदन मुझे जबरदस्त आकर्षित कर रहा है.. और तुझे देखते ही मेरे सारे शरीर में उत्तेजना फैल जाती है.. और मैं तुम्हारे जिस्म को नजदीक से देखना चाहता हो अगर तेरी इजाजत हो तो.. उनकी ये बात सुनकर मैं एकदम स्तब्ध हो गई.. थोड़ा डर भी लगा.. मैंने कहा.. अंकल मुझे ऐसा करने में डर लग रहा है.. हमने तय किया था की हम सिर्फ बातों से मजे लेंगे.. मैं शर्मा भी रही थी.. अंकल ने कहा.. मैंने सिर्फ देखने की बात कही है.. मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाऊँगा.. अगर बिना छूए हम एक दूसरे को सिर्फ देखकर संतुष्ट कर सकते है तो उसमें बुराई क्या है??"

मौसम हांफते हुए बोली "यार मुझे तो पता नहीं चल रहा है की तूने मेरे बाप को फँसाया था या मेरे बाप ने तुझे.. !!"

वैशाली: "तू चुप बैठ.. और तकिये को गीला करना चालू रख.. हाँ फाल्गुनी, आगे क्या हुआ?"

फाल्गुनी: "और क्या होना था.. !! मुझे भी मज़ा आ रहा था इसलिए थोड़ी सी आनाकानी के बाद मैं मान गई.. पर ये कहकर की मैं लिमिट क्रॉस नहीं करूंगी"

मौसम: "बहोत सही कहा.. तू ठहरी सति-सावित्री.. तू भला कैसे लिमिट क्रॉस कर सकती है.. !!" उत्तेजना से चूत रगड़ते हुए भी मौसम ने ताना मारने का मौका नहीं छोड़ा

फाल्गुनी: "फिर मैंने अंकल से कहा.. आप क्या देखना चाहते हो.. और मैं कैसे दिखाऊँ?? मुझे कुछ पता नहीं चलता.. आप ही बताइए.. फिर अंकल ने मुझे झुककर अपने बूब्स के बीच की क्लीवेज दिखाने को कहा.. सच कहूँ तो मुझे वो दिखाने में ज्यादा हर्ज नहीं हुआ.. जाने अनजाने में हम दिन भर वैसे भी सब को दिखाते रहते है.. पर रोजमर्रा की हरकत और आज के दिन में फरक तो था.. वो मुझे अंकल की सिसकियाँ सुनकर पता चला.. मुझे बहोत शर्म आई.. वी-नेक टीशर्ट में से मैंने अपने बूब्स का ऊपरी हिस्सा झुककर अंकल को दिखाया.. देखकर थोड़ी देर तक वो कुछ नहीं बोलें.. फिर उन्होंने कहा.. भेनचोद, क्या बवाल बबले है तेरे.. !! मेरा लंड तो इन्हें देखते ही खड़ा हो गया.. अगर तूने मुझे करने की छूट दे दी होती तो मैं आज तुझे नोच कर खा ही जाता.. आह.. !! यार वैशाली, उस वक्त अंकल के चेहरे के भाव देखकर मैं तो डर ही गई.. मेरी सांसें तेज चलने लगी और साँसों के साथ मेरे बूब्स भी ऊपर नीचे होने लगे.. अंकल ने पेंट के ऊपर से ही अपने लंड का उभार मसलना शुरू कर दिया और मेरे सामने आकर खड़े हो गए.. उस उभरे हिस्से को दिखाते हुए कहा.. फाल्गुनी, तुझे पता है ना इसके अंदर क्या है? और इसका ऐसा हाल तेरे दोनों बूब्स के बीच की लकीर को देखकर हुआ है.. मैंने कहा.. मुझे पता है अंकल.. इसके अंदर आपका पेनीस है.. अंकल ने कहा.. पेनीस नहीं बेटा.. उसे लंड कहते है.. फाल्गुनी, तूने आज से पहले कभी लंड देखा है?? मैंने कहा.. नहीं देखा.. अंकल ने कहा.. तुझे देखना है?? मैंने भी कह दिया की मुझे नहीं देखना.. और मैं घर जाना चाहती हूँ.. मैं समझ गई थी की अब मैं अगर नहीं रुकी तो अंकल मुझे छोड़ेंगे नहीं.. अंकल ने कहा.. तू बेकार घबरा रही है.. ये थोड़ी बाहर निकलकर तुझे काटेगा.. !! तुझे देखना हो तो बोल.. अभी दिखाता हूँ.. वरना मैं चैन बंद कर दूंगा और ये मौका तेरे हाथ से निकल जाएगा.. !! सच कहूँ तो मेरा इतना मन था की हाँ कह दूँ.. पर शर्म के मारे बोल नहीं पाई.. !!"

वैशाली: "तेरी जगह अगर मैं होती ना.. तो अंकल को इतना तड़पने नहीं देती.. " फाल्गुनी की चूत पर जीभ फेरते हुए वैशाली ने कहा..

ये देखकर मौसम चिल्लाई "कोई मेरी चूत भी तो चाट लो.. मुझे तो एकदम अकेली कर दिया है तुम दोनों ने.. कब से आपस में ही लगी हो"

नाराज मौसम को देखकर वैशाली हँसते हँसते उसके करीब गई और मौसम के सुंदर स्तनों की निप्पल को मुंह में लेकर चूसते हुए दूसरे हाथ से दूसरा स्तन सहलाने लगी.. और बोली "अरे मेरी जान.. मेरी तो इच्छा है की तुझे एक बार रेणुका मैडम के लंड से चोदने की.. "

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मौसम: "रेणुका जी का लंड??? मतलब तू राजेश सर की बात कर रही है?? माय गॉड.. तूने उनका लंड भी चख रखा है??"

फाल्गुनी की कहानी की लिंक टूट गई.. और बात दूसरी और मुड़ गई..

वैशाली ने मौसम को बालों से पकड़ कर उसका मुंह अपनी चूत पर रख दिया.. मौसम चुपचाप वैशाली की मुनिया का रस चाटने लगी..

वैशाली: "ओह्ह यस.. आह्ह यार.. चूत चटवाने का मज़ा ही कुछ ओर है.. आह्ह जोर से चाट मेरी.. ऊई माँ.. हाँ मौसम.. हाँ वहीं पर.. अंदर तक डाल अपनी जीभ.. हाय मैं मर गई.. !! दो-तीन उँगलियाँ साथ में अंदर बाहर कर.. तो मेरा जल्दी निपट जाए.. आह्ह अब रहा नहीं जाता.. !!!"

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मौसम ने सिर्फ दो मिनट में वैशाली की चूत रस की टंकी खाली कर दी.. पर उन दो मिनटों के दौरान जो युद्ध हुआ था वो बड़ा ही खतरनाक था.. फाल्गुनी फटी आँखों से देखते हुए अपनी पुच्ची सहला रही थी और मौसम तथा वैशाली के इस गजबनाक चूत चटाई के द्रश्य को देख रही थी.. ठंडी होते ही वैशाली एक तरफ ढल गई.. फाल्गुनी तुरंत मौसम के पास आई और जांघें चौड़ी कर अपनी चूत पेश कर दी.. मौसम ने वैशाली की चूत को छोड़कर फाल्गुनी के गुलाबी पंखुड़ीनुमा चूत के होंठों को चूसना शुरू कर दिया.. चाटते हुए उसने अपने दोनों होंठों के बीच फाल्गुनी का छोटा गुलाबी दाना (क्लिटोरिस) को दबा दिया

"मर गई.. मर गई मैं तो.. हाय ये क्या कर दिया मौसम तूने.. !! उफ्फ़फफ.. क्या गजब का चूसती है रे तू.. मन करता है की पूरी ज़िंदगी तुझे अपनी चूत से चिपकाकर रखू.. आह्ह.. " अपनी निप्पलों को उंगलियों से मरोड़ते हुए फाल्गुनी सिसक रही थी..

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फाल्गुनी ने बेशर्म होकर कहा "यार, मन तो कर रहा है की बगल के कमरे से अंकल को बुला लूँ और तसल्ली से चूदवाऊँ.. आह्ह.. अब तो लंड लिए बगैर चैन नहीं मिलेगा मुझे.. !!"

चूत चाटते चाटते मौसम रुक गई और बोली "तूने कहानी अधूरी ही छोड़ दी.. ये तो बता.. की आखिर तूने पापा का लंड कब और कैसे देखा?"

फाल्गुनी: "उसके बाद की कहानी तो बड़ी उत्तेजक है मौसम.. मेरे मना करने के बावजूद अंकल समझ गए थे की मैं देखना तो चाहती थी.. उन्हों ने खोलकर तभी दिखा दिया.. सिर्फ 2 फुट दूर खड़े थे अंकल.. क्या बताऊँ यार.. !! मेरी जो हालत हुई थी उनका देखकर.. !! विकराल डरावना आकार और उत्तेजना से ऊपर नीचे हलचल कर रहे उनके लंड को देखकर मेरा तो मुंह सूख गया.. और नीचे सब गीला हो गया.. ये मेरी पुच्ची के रस की गंध पूरी ऑफिस में फैल गई थी.. लाइफ में पहली बार मैंने सख्त वयस्क लंड को देखा था.. और मेरी चूत में ऐसी खलबली मैच गई थी की अंकल के सामने ही मैंने अपनी चूत खुजाना शुरू कर दिया.. मुझे लगा की एक बार खुजाने से खुजाल शांत हो जाएगी.. मगर ये तो और बढ़ गई.. मुझसे तो बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था वैशाली.. ऐसा लग रहा था की अगर अभी कुछ नहीं किया तो मेरी रूह जिस्म से निकल जाएगी"

फाल्गुनी की चूत चाटना भूलकर मौसम एकटक अपने पापा के लंड की कहानी सुन रही थी..

फाल्गुनी: "अरे यार.. तूने चाटना क्यों बंद कर दिया?? सारा मज़ा किरकिरा हो गया.. !!"

वैशाली: "तू भी अपनी बात चालू रख.. बीच बीच में रुक जाती है तो हमारा मज़ा भी किरकिरा हो जाता है"

फाल्गुनी: "अंकल के सामने ही मैंने चूत खुजाना शुरू कर दिया ये देखकर अंकल ने कहा.. बेटा अब मुझे भी तू अपना एक बॉल खोलकर दिखा दे.. जरा सा टीशर्ट ऊपर कर दे तो आराम से दिख जाएगा.. पहली बार उन्हों ने नरमी छोड़कर.. आदेश के सुर में कहा.. मैं चूत की खुजली और उत्तेजना के कारण इतनी बेबस हो चुकी थी की मैंने चुपचाप अपना टीशर्ट ऊपर किया और ब्रा में कैद दोनों स्तनों को दिखा दिया.. उन्हों ने कहा.. ऐसे नहीं बेटा.. मैं ठीक से देख नहीं पा रहा हूँ.. बीच में ब्रा आ रही है.. सब कुछ दिखाओ.. मैं भी तो देखूँ.. फाल्गुनी की चोली के पीछे क्या है!! मौसम.. तेरे पापा का एक एक शब्द जैसे मुझे अपना ग़ुलाम बना रहा था.. चाहकर भी मैं उन्हें किसी बात के लिए मना नहीं कर पा रही थी.. मैंने ब्रा ऊपर कर दी और जीवन में पहली बार किसी को अपनी नंगी चूचियाँ दिखाई.. !!"

वैशाली: "तेरे ये कडक अमरूद देखकर अंकल के लंड की तो हालत खराब हो गई होगी.. !!

फाल्गुनी: "उनके लंड को छोड़.. हालत तो मेरी चूत की खराब हो गई.. वैशाली.. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की नीचे छेद में इतनी तेज खुजली क्यों हो रही है.. और क्यों खुजाने पर भी शांत नहीं हो रही है.. !! मैं जितना उसे सहलाती उतना ही और भड़कती.. आखिर मुझे अंकल से कहना पड़ा.. अंकल.. मुझे नीचे कुछ हो रहा है.. और मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. उन्हों ने मुझसे कहा.. बेटा तू अपनी पेन्टी उतार दे.. और अपनी बीच वाली उंगली को छेद के अंदर तेजी से अंदर बाहर कर.. उस दौरान अपनी चूचियों को भी दबाते रहना.. तेरी खुजली शांत हो जाएगी.. !!"

वैशाली: "अच्छा.. !! मतलब तुझे चोदने से पहले अंकल तुझे मास्टरबेट करते हुए देखना चाहते थे.. !!"

फाल्गुनी: "हाँ वैशाली.. खुजली से परेशान होकर मैंने तुरंत अपनी चड्डी उतार फेंकी और सोफ़े पर बैठकर फिंगरिंग शुरू कर दिया.. जो मज़ा आया था.. उतना मज़ा की बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है.. "

मौसम: "फिर?? पापा के डंडे का क्या हुआ?"

वैशाली: "इसे तो बस अपने पापा के लंड में ही दिलचस्पी है.. !!"

फाल्गुनी: "मुझे उंगली करते देख.. उन्हों ने भी अपना लंड हिलाना शुरू किया.. और थोड़ी देर हिलाने पर उनकी पिचकारी निकल गई.. मेरे पैरों के पास बूंदें आकर गिरी.. और वो हांफते हुए कुर्सी पर बैठ गए.. मेरा भी पानी निकल गया.. और उनका भी.. !!"

फाल्गुनी ने कहानी के एक अध्याय का समापन किया तभी वैशाली को कुछ याद आया

वैशाली: "अरे यार.. मेरे पास एक गजब की आइटम आई है" फाल्गुनी और मौसम को लंड लेने के लिए फुदकते देख वैशाली ने आखिर बता दिया

फाल्गुनी: "कौनसी आइटम?"

वैशाली ने फाल्गुनी की कलाई पकड़कर मोटाई दिखाते हुए कहा "इससे भी मोटा रबर का डिल्डो.. कहाँ से लाई ये मत पूछना"

मौसम: "डिल्डो? वो क्या होता है?"

वैशाली: "अभी तूने जो जीजू को अंदर लिया था न.. बस वही होता है डिल्डो.. दिखने में सैम टू सैम.. पर रबर का बना होता है.. देख.. अभी हम तीनों मजे तो कर रहे है पर बिना लंड के हमारे छेदों को तृप्त करना मुमकिन नहीं है, यह तो हम सब भी जानते है.. ये डिल्डो में बेल्ट लगा हुआ है.. उसे पेन्टी की तरह पहनते है.. पहनते ही लंड तैयार.. मोटा तगड़ा.. इतना जबरदस्त है यार.. !!"

मौसम: "ओह्ह अच्छा.. याद आया.. और कहाँ मिलता है ये भी मुझे पता है" मौसम को माउंट आबू की सेक्स-शॉप की मुलाकात याद आ गई

फाल्गुनी: "अब तुझे ये सब कैसे पता? तू भी कम नहीं है मौसम.. !!"

मौसम: "तुझे तो जब चाहे असली लंड मिल जाता है इसलिए तुझे जरूरत नहीं पड़ती.. पर मुझे तो ऐसे जुगाड़ से ही काम चलाना पड़ता है"

वैशाली: "मौसम, अब तो तेरे पास दो-दो असली लंड है.. इसलिए तुझे भला रबर के लंड की क्या जरूरत? जरूरत तो मुझे है.. अड्रेस बता.. मैं लेकर आऊँगी.. नया वाला"

मौसम: "तू मेरी चूत चाट.. तभी अड्रेस बताऊँगी"

वैशाली: "हरामखोर, रबर के लंड के लिए ब्लैकमेल कर रही है.. अगर असली लंड शेर करना होता तो पता नहीं और क्या क्या मांग लेती मुझसे.. !!"

फाल्गुनी: "असली लंड के बदले में, मौसम तुझसे अपनी गांड चटवाएगी.. !!"

वैशाली: "अगर असली लोडा मिलने वाला हो तो मैं वो करने के लिए भी तैयार हूँ"

वैशाली ने मौसम पर तरस खाकर उसे बेड पर लिटा दिया और उसके पैर खोलकर चूत को चाटना शुरू कर दिया.. पिछले एक घंटे से तड़प रही मौसम की चूत को थोड़ा चैन मिला.. गांड ऊंचक्कर उसने अपनी चूत वैशाली के चेहरे से दबा दी.. और चूत पर वैशाली की जीभ की गर्मी महसूस करने लगी.. फाल्गुनी भी मौसम के बगल में लेट गई.. और उसके एक स्तन को पकड़कर निप्पल चूसने लगी..

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"ओह माय गॉड.. फाल्गुनी, तू तो बिल्कुल जीजू की तरह चूसती है.. आह्ह.. जरा निप्पल पर बाइट कर.. और जोर से दबा.. मसल दे यार.. ओह्ह"

फाल्गुनी मौसम के स्तन पर और वैशाली उसकी चूत पर जबरदस्त प्रहार कर रहें थे.. दो-तरफा आनंद से उत्तेजित होकर वो स्खलन की ओर बड़ी ही जल्दी से पहुँच गई..

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"ओह्ह यस.. फाल्गुनी.. चूस यार मेरी निप्पल.. काट ले उसे.. ऊई माँ.. वैशाली और अंदर डाल अपनी जीभ.. मेरे दाने को चबा जा.. ऊँह.. आह्ह.. जल्दी.. जल्दी.. दो उँगलियाँ डाल.. एकदम फास्ट अंदर बाहर कर यार.. ओह्ह आह्ह.. मज़ा आ रहा है" हवस अब मौसम के सर चढ़ कर बोल रही थी.. वैशाली उसकी क्लिटोरिस को खुरदरी जीभ से कुरेदते हुए अपनी दो उँगलियाँ तेजी से अंदर बाहर कर रही थी.. आँखें बंद कर मौसम अपने जीजू के साथ किए हुए सेक्स को याद करते हुए.. फाल्गुनी के हाथ को अपने स्तन पर मजबूती से दबाकर.. थरथराते हुए झड गई.. !!!!

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हल्की सी खुली हुई खिड़की से सुबोधकांत.. इन तीनों सुंदरियों की शारीरिक छटपटाहट अपनी आँखों से भोग रहे थे.. मौसम को नंगी देखकर उनके जिस्म में एक विचित्र सा रोमांच हो रहा था.. उनका हाथ अपने लंड पर पहुँच गया.. तीन अलग अलग साइज़ और आकार के स्तनों के बीच.. रूप के समंदर को निहारते हुए सुबोधकांत जैसे रंगीन मिजाज इंसान के मन में जो होना चाहिए वो सब हो रहा था..

अचानक मौसम की नजर, हल्की सी खुली हुई खिड़की पर पड़ी.. खिड़की के उस तरफ एक साया नजर आ रहा था.. जो लगातार किसी कारणवश हिल रहा था.. मौसम को समझने में देर नहीं लगी की कोई उनकी काम-लीला को देख चुका था और अंधेरे में लंड हिला रहा था.. मौसम को लगा की वो पक्का पीयूष जीजू ही होंगे..

मौसम के ऊपर चढ़कर उसके स्तन चूस रही वैशाली को धीरे से उसने कहा "वैशाली.. वहाँ खिड़की के पीछे से कोई हमें देखकर हिला रहा है.. मुझे लगता है की जीजू ही होंगे"

वैशाली ने चुपके से कनखियों से देखकर कहा "हाँ यार.. कोई तो खड़ा है वहाँ..!!" फिर उसने तसल्ली से खिड़की की तरफ देखा और कहा "मौसम, वो तेरे जीजू नहीं बल्कि तेरे पापा है"

"क्या.. !!!!! क्या बात कर रही है यार?? पापा ने मुझे ऐसे देख लिया.. !!" तुरंत चादर खींचकर अपना नंगा जिस्म छिपा लिया मौसम ने.. तब तक तो सुबोधकांत ने अपनी बेटी के नग्न सौन्दर्य को देखते हुए पिचकारी भी मार दी थी.. और अब वो वहाँ ज्यादा देर रुकना नहीं चाहते थे.. अपने झड़ चुके लंड को फिर से पैक करके वो वहाँ से निकल गए और अपने कमरे में जाकर सो गए

मौसम की चूत, सगाई की अगली रात ही दो बार झड़ कर शांत हो चुकी थी.. फाल्गुनी और वैशाली भी एक एक बार झड़ गए थे.. थोड़ा सा नॉर्मल होने के बाद फाल्गुनी ने वैशाली को उस रबर के लंड के बारे में पूछा.. वैशाली ने अनुभवी शिक्षिका की तरह उसको सारे जवाब दीये..

जब फाल्गुनी और वैशाली ने बार बार मौसम से पूछा तब मौसम ने बताया की तब उसने बताया की रेणुका के लिए गिफ्ट लेने गए थे तब उसने और जीजू ने सेक्स शॉप में ये सब देखा था..


तीनों लड़कियां शांत होकर.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर सो गई..
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है मौसम फाल्गुनी और वैशाली तीनों के राज एक दूसरे के सामने खुल गए हैं तीनों ने एक दूसरे को शांत कर लिया है बेचारे पीयूष को भी शामिल कर लेते तो पीयूष को फाल्गुनी भी मिल जाती
 

Ajju Landwalia

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गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..

रेणुका गाड़ी होटल के अंदर ले ही रही थी तब शीला ने उसे रोक लिया

शीला: "यहाँ नहीं.. यहाँ पार्क करेंगे तो राजेश इस गाड़ी को पहचान लेगा.. "

रेणुका: "अरे हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा सोचा ही नहीं था"

शीला: "हम यहाँ से थोड़े दूर.. सड़क के किनारे गाड़ी पार्क कर देंगे.. पर उससे पहले मुझे एक बार होटल के अंदर जाकर देख लेने दे.. तू तब तक यहीं बैठ गाड़ी में "

रेणुका के उत्तर की प्रतीक्षा कीये बगैर ही शीला गाड़ी से उतर गई.. और चलते चलते रीसेप्शन पर गई.. काफी देर तक पूछताछ करते हुए रेणुका उसे देखती रही.. वो सोच रही थी की.. गजब की हिम्मत थी शीला मे..!! बिना किसी डर के बड़े ही स्वाभाविक अंदाज मे वो बातें कर रही थी.. पर इतनी देर तक क्या पूछ रही है वो.. !! रेणुका ने देखा की शीला सीढ़ी चढ़कर ऊपर गई.. बड़ी ही महंगी और वैभवशाली होटल थी..

थोड़ी देर बाद, शीला को अपनी ओर आता देख, रेणुका को चैन मिला..

कार में बैठते ही शीला ने रेणुका से कहा.. "गाड़ी को दायीं ओर उस सड़क पर ले जा.. एक किलोमीटर बाद, पे-एंड-पार्क की सुविधा है.. वहाँ गाड़ी पार्क कर देंगे.. फिर टेक्सी में वापीस आ जाएंगे.. मैंने हमारा कमरा भी बुक करवा दिया है.. ऐसा कमरा पसंद किया है की जिसकी खिड़की से.. आने जाने वाले सब लोगों पर हम नजर रख सकेंगे.. !!"

रेणुका: "तूने कमरा भी बुक करवा दिया?? बड़ी तेज है तू.. !!"

शीला: "अरे वो रीसेप्शन पर बैठा जवान.. मेरे जाते ही.. बूब्स को तांकने लगा.. बस उसी का फायदा उठाकर.. मैंने उससे सब से बेस्ट कमरा मांग लिया.. और भी बहोत सारी जानकारियाँ उगलवानी थी.. पर तू यहाँ बैठे बैठे बोर हो जाएगी, ये सोचकर वापिस आ गई.. चल, पहले गाड़ी पार्क कर देते है.. !!"

दोनों थोड़ी ही देर में पार्किंग एरिया में पहुँच गए.. कार पार कर चलते चलते सड़क की तरफ आ रहे थे तभी..!!!!

रेणुका ने चोंक कर कहा "ओह माय गॉड.. अभी सामने से राजेश की गाड़ी गई.. !!"

शीला: "मतलब, वो लोग यहाँ आ चुके है.. !!"

रेणुका: "हम्म.. तो यहाँ होने वाली है उनकी बेंगलोर की बिजनेस ट्रिप.. एक नंबर के चुदक्कड़ है हम दोनों के पति"

शीला ने आँख मारते हुए कहा "तो हम भी कहाँ कम है.. !! वो तो रात को मजे करेंगे.. हमने तो गाड़ी में ही पार्टी की शुरुआत कर दी थी"

रेणुका ने थोड़े डर के साथ कहा "यार, वो दोनों भी अभी कहीं बाहर निकले होंगे, और हमें देख लेंगे तो?? मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"

शीला: "एक बात समझ ले रेणुका.. चोरी छिपे वो दोनों आए है यहाँ.. फिर हम क्यों डरे भला?? डरना उनको चाहिए.. बेंगलोर का झूठा बहाना उन दोनों ने बनाया था.. तू इत्मीनान रख.. वो दोनों हमें मिल गयें तो वो लोग कुछ कहें उससे पहले ही, मैं उन दोनों की गांड फाड़ दूँगी.. तू बिंदास चल मेरे साथ.. डरने की जरूरत नहीं है.. आज तो कुछ ऐसा खेल करेंगे की पार्टी में उनकी नज़रों को सामने ही पराए लंड से चुदवाएंगे फिर भी उन्हें पता नहीं चलेगा"

दोनों ने बाहर सड़क पर आकर देखा.. गाड़ी होटल की तरफ जाने की बजाए दूसरी सड़क पर मुड़ गई..

शीला: "लगता है की वो किसी दूसरी होटल में रुके होंगे"

रेणुका: "हाँ, मुझे भी यही लगता है.. !!"

टेक्सी तो नहीं मिली.. ऑटो पकड़कर दोनों होटल पर पहुँच गई.. रीसेप्शन काउंटर पर एक जवान लड़का और लड़की बैठे थे.. लड़की ने चमकीला पतला टॉप पहना था जिसमें से उसके उरोज बाहर झलक रहे थे.. जान बूझकर कर टेबल पर झुककर वो अपने स्तन दिखा रही थी.. शीला ने अपना पल्लू हल्का सा सरकाया.. और टेबल की उस तरफ झुककर जैसे ही अपने विराट स्तनों को प्रदर्शन किया.. देखकर उस लड़की की आँखें फट गई.. और उसके साथ वाला लड़का अपना लंड एडजस्ट करने लगा..

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आँखें मटकाते हुए शीला ने अपने कमरे की चाबी मांगी.. पालतू कुत्ते की तरह उस लड़के ने लार टपकाते हुए चाबी निकाली.. और शीला तथा रेणुका को अपने साथ आने को कहा.. वैसे तो चाबी लेकर रूम तक ले जाना, वेटर का काम होता है..

सीढ़ियाँ चढ़कर तीनों पेसेज के अंत में बनी रूम के अंदर गए.. रूम का लोकेशन देखकर रेणुका खुश हो गई.. खिड़की से होटल का एंट्री गेट और रीसेप्शन नजर आ रहे थे.. दूसरी खिड़की से ऊपर के माले का पूरा पेसेज दिख रहा था.. शीला ने बड़ी ही चालाकी से यह रूम पसंद किया था ताकि वो दोनों बंद कमरे से राजेश और मदन पर नजर रख सकें..

शीला: "तुम्हारा नाम क्या है?'

लड़का: "मेरा नाम हेमंत है.. आप मुझे हेमू कह सकती है"

शीला : "ओके माय डीयर हेमू.. हम यहाँ इन्जॉय करने के लिए आए है.. क्या आप के पास कोई ऐसा एजेंट है जो चार्ज लेकर हमें दो मर्द साथी प्रोवाइड कर सकें?"

हेमंत: "मतलब???"

शीला: "नया है क्या?? समझता नहीं है.. सब कुछ साफ साफ बुलवाएगा..!! हम यहाँ मजे मारने आए है.. इसलिए कोई मर्द चाहिए जो पैसे लेकर हमें रात को खुश कर सकें.. कैसे कैसे अनाड़ी लोग रखे है इन होटल वालों ने.. !!"

सुनकर हेमंत का जबड़ा लटक गया..

हेमंत: "नहीं मैडम.. ऐसा तो कोई नहीं है.. अक्सर लोग यहाँ आकर लड़कियों की डिमांड करते है.. मर्द के लिए आज से पहले किसी ने नहीं पूछा... मगर आप जैसी खूबसूरत महिलाओं के लिए यह काम करने कोई भी खुशी खुशी तैयार हो जाएगा.. और पैसे भी नहीं लेगा..!!"

रेणुका: "तो क्या तू तैयार है इसके लिए?"

हेमंत: "जी.. मैं.. वो.. मैडम, क्यों मज़ाक कर रही हो?? कहाँ आप और कहाँ मैं.. !! और वैसे भी मैं ड्यूटी पर हूँ.. तो ऐसा कैसे कर सकता हूँ??"

तब तक तो शीला ने अपना पल्लू हटाकर.. उस लड़के का दिमाग भ्रष्ट कर दिया.. लड़का ज्यादा आनाकानी करता उससे पहले ही रेणुका ने उसे हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींचा.. "ओह्ह जानेमन.. ड्यूटी पर तो डिलीवरी तक हो जाती है.. तुम चुदाई भी नहीं कर सकते?"

"ओह मैडम.. प्लीज छोड़ दीजिए.. मेरी नौकरी का सवाल है" लड़की की गांड फट गई..

शीला उसके करीब आ गई.. लड़के के दोनों हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रखते हुए बोली "पसंद नहीं आए?? फिर दबा ना.. साले तेरी माँ से भी बड़े है ये.. " कहते हुए उसका लंड दबा दिया शीला ने

रेणुका: "देख हेमू.. हम यहाँ चुदवाने आए है.. और तुझे हमें चोदना होगा" जिस तरह बिन बजाकर मदारी सांप को खेल के लिए तैयार करता है उसी तरह रेणुका ने नंगा आमंत्रण देकर हेमंत की मर्दानगी को जगा दिया था

शीला ने हेमंत के लंड को पेंट की ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी मे दबा दिया और बोली "ये बता.. यहाँ कौन सा स्पेशल प्रोग्राम होने वाला है आज रात को?"

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सुनते ही हेमंत के पसीने छूट गए "प्लीज.. मैं उसके बारे में आपको कुछ नहीं बता सकता" शीला समझ गई की तीर निशाने पर लग चुका था.. अब बस, उस लड़के के ईमान को पिघलाने के लिए थोड़ी और आग लगाने की जरूरत थी

हेमंत को बाहों में जकड़कर उसके होंठों पर बड़ा ही रसीला चुंबन कर दिया शीला ने.. काफी देर तक उसके होंठों को चूसते रहने के बाद.. उसे महसूस हुआ की उस लड़के की झिझक कम हो रही थी और वो अपने आप को शीला के हवाले करता जा रहा था.. काफी देर तक चूमने चाटने के बाद शीला ने उसे अपने मोह-पाश से मुक्त किया..

शीला: "कितना हेंडसम है रे तू.. !! तुझे देखकर ही मेरी चूत पनियाने लगी है.. मैं तो तुझ से ही चुदवाऊँगी आज रात.. दिल आ गया है तुझ पर.. "

रेणुका: "तो फिर मैं क्या करूंगी? बैठे बैठे झुनझुना हिलाऊँ?"

शीला: "तू हम दोनों की चुदाई देखते हुए उंगली कर लेना.. मैं तो अपने इस बेटे को चुदाई के नए नए पाठ सिखाऊँगी आज"

हेमंत का लंड पेंट से बाहर निकाल चुकी थी शीला.. २३ साल के लड़के के जवान फुदकते लंड को देखकर शीला और रेणुका दोनों खुश हो गई.. कच्ची ककड़ी जैसा सख्त लंड देखकर.. दोनों चुदक्कड़ महिलाओं को मन में सांप लोटने लगे..

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शीला की कोमल अनुभवी हथेली ने एक ही बार में उस लंड का सारा ब्योरा ले लिया.. और धीमे से फुसफुसाई "मज़ा आएगा इसके साथ"

हेमंत: "मैडम, इफ यु डॉन्ट माइंड.. एक साथ दो दो औरतों के साथ सेक्स करने का मेरा भी बहोत मन है.. हम तीनों आज रात मेरे कमरे में एक ही बेड पर इन्जॉय करेंगे.. मैं आप दोनों को संतुष्ट करने का वादा करता हूँ.. मैं आपको सब को-ऑपरेशन दूंगा.. मेरा लंड एक रात में चार-पाँच बार खड़ा हो सकता है"

शीला अब भी तसल्ली करना चाहती थी की हेमंत पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ जाएँ.. अपने ब्लाउस के हुक खोलकर.. खरबूजों जैसे स्तनों को बाहर निकालकर.. हेमंत के चेहरे को उनके बीच दबाते हुए शीला ने कहा " ले, पहले अपनी माँ का दूध पी ले मेरे बेटे.. माँ को चोदने की ताकत आ जाएगी..!!" कहते हुए शीला ने रेणुका को इशारा किया..


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इशारा समझते ही रेणुका घुटनों के बल बैठ गई.. और हेमंत का लंड मुठ्ठी से पकड़कर चूसना शुरू कर दिया.. २३ साल का लड़का.. अपने से दोगुनी उम्र की औरतों के बीच सेंडविच बन चुका था..

रेणुका का गरम मुंह.. हेमंत के लंड को जैसे झुलसा रहा था.. और शीला के स्तनों की गर्माहट.. उसे अजीब सा सुकून दे रही थी.. किसी अलौकिक दुनिया की सफर पर निकल पड़ा वो.. शीला के मदमस्त उरोजों को बारी बारी पकड़कर दबाते हुए.. उसकी एक एक इंच लंबी निप्पल को बड़े ही चाव से चूस रहा था हेमंत..


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तीन-चार मिनट तक ये दौर चला.. और हेमंत के लंड ने रेणुका के मुंह में गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.. अब वो रेणुका की चुसाई का कमाल हो.. या शीला के बबलों का.. सिर्फ चार मिनट के अंदर.. हेमंत का हाल.. नर्वस नाइन्टी की बलि चढ़े हुए बेटसमेन जैसा हो गया..

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वो समझ गया की जोश में आकर.. उसने इन दोनों चुदासी राँडों को तृप्त करने का वादा तो कर दिया.. पर उसकी तो पाँच मिनट के अंदर ही हवा निकाल दी इन दोनो ने.. !! पता नहीं.. इनके साथ एक रात बिताने के बाद.. कहीं सुबह तक उसके प्राण ही न निकल जाए.. !!

शीला ने जैसे उसके मन के विचारों को पढ़ लिया था.. वो बोली "रेणुका.. यार पागलों की तरह चूसने लगी तू तो.. एकदम से टूट पड़ी.. झड़ गया बेचारा.. डॉन्ट वरी हेमंत.. चल बिस्तर पर चल.. तुझे फिर से तैयार करती हूँ"

हेमंत की फट के फ्लावर हो गई "नहीं नहीं मैडम.. मैं इस कमरे में बेड पर नहीं आऊँगा"

शीला और रेणुका ने चोंककर कहा "क्यों?"

हेमंत खामोश ही रहा.. और आँखें झुकाए खड़ा रहा

शीला की धीरज जवाब दे गई.. "अब बोलेगा भी या तेरी गांड में डंडा डालकर बुलवाऊँ..भेनचोद..!!"

हेमंत: "क्या बताऊँ मैडम.. ये हमारी होटल का टॉप सीक्रेट है.. प्लीज किसी को मत बताइएगा.. वहाँ जो टीवी के बगल में फूलदान है ना.. उसके अंदर एक केमेरा फिट किया हुआ है.. जिससे पूरे बेड का विडिओ सीसीटीवी केमेरा पर नजर आता है.. मालिक हमारे शौकीन है.. सुना ही की वो उन वीडियोज़ को बेचते भी है.. जो भी हो.. मैं तो रात को ये सब देखकर अपनी आँखें सेंक लेता हूँ.. "

रेणुका: "बाप रे.. !! पर ऐसे किसी की प्राइवेट मोमेंट्स का विडिओ बनाना तो गैर-कानूनी है.. !!"

शीला: "रेणुका यहाँ आने वाले लोग भी कौन से शरीफ होते है?? सब यहाँ ऐयाशी करने ही आते होंगे.. फिर ये लोग भी थोड़ा बहोत इन्जॉय कर लेते है.. मेरे हिसाब से तो इसमे कोई बुराई नहीं है" जानते हुए की ये गलत था.. शीला ने हेमंत की तरफदारी की.. क्योंकि उससे अभी और राज भी तो उगलवाने थे..

शीला: "अच्छा हेमू.. सब के वीडियोज़ देखकर, तुझे तो बड़ा मज़ा आता होगा.. हैं ना.. !! हर रोज नए नए माल देखने को मिलते होंगे.. नई नई लड़कियां.. नए नए बबले.. नई नई चूतें.. !!"

रेणुका के मुंह में वीर्यधार करके हेमंत काफी हल्का महसूस कर रहा था.. शीला की बेवाक बातों से वो खुल भी गया था

हेमंत: "अरे आप मानोगे नहीं.. लोग अपनी बेटी से भी कम उम्र की लड़कियों को लेकर यहाँ आते है.. कुछ तो ऐसे बूढ़े होते है.. जो लड़की ले आते है पर फिर कुछ कर ही नहीं पाते.. और फोकट में पैसे बर्बाद करते है.. लड़कियां बेचारी.. उनकी नज़रों के सामने मूठ मारकर अपने आप को ठंडा कर सो जाती है.. मुझे तो देखकर ही गुस्सा आता है.. जब लोड़े में ताकत न हो तो बेकार में क्यों जवान लड़कियों को लेकर आते होंगे?? हम यहाँ चूत की एक झलक को भी तरस जाते है.. !!"

रेणुका: "क्यों?? तुम्हें तो कोई न कोई मिल ही जाती होगी.. तुम्हारे पास तो पूरा कॉन्टेक्ट लिस्ट ही होगा ना इन बाजारू लड़कियों का.. !!"

हेमंत : "होता तो है.. पर मैं उन लड़कियों को मुंह नहीं लगाता.. फिर वो सब गले पड़ जाती है और ब्लैकमेल करती है.. कोई लड़की पट जाएँ और प्यार से दे दें.. तो बात अलग है.. मगर ऐसी रोमियोगिरी करने का टाइम ही नहीं मिलता इस नौकरी के चक्कर मे.. अब देखते है.. एक बूढ़ा है जो हरबार एक जवान लड़की को लेकर आता है.. वो लड़की मुझे लाइक करती है.. पर वो बूढ़ा उसे छोड़ ही नहीं रहा.. देखते है आगे क्या होता है"

शीला: "तुम्हें चुपके से अपना नंबर दे देना चाहिए उसे.. है कौन वो लड़की? वो बूढ़ा उसे लेकर आता है तो चोदता भी होगा.. और उसकी चुदाई तुमने देखी भी होगी"

हेमंत: "स्क्रीन पर चुदाई देख देखकर थक गया हूँ मैडम.. कई बार तो चुदाई चल रही होती है पर देखने का मन नहीं करता.. पर हाँ.. उस लड़की को मैं अक्सर देखता हूँ.. वो मुझे अच्छी लगती है इसलिए.. बाकी तो कुछ खास या अलग होता है तभी मैं देखता हूँ.. कई बार तो जब एक से ज्यादा जोड़ें यहाँ आते है तो उनकी बातों से पता चल जाता है की वो लोग पार्टनर चेंज करेंगे.. वो सब देखने मे मज़ा आता है.. कुछ लड़कियां तो अपने पति से एक साथ दो दो लंड से करवाने की डिमांड करती है"

शीला: "क्या सच मे??

हेमंत: "जी हाँ मैडम.. कोई बड़ा ग्रुप आया तो समझ लो की मजे ही मजे.. क्या क्या नहीं करते वो लोग.. !! आप सोच भी नहीं सकती"

शीला: "हेमू डार्लिंग.. मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए.. बदले मे.. मैं तुम्हारी लाइफ बना दूँगी.. तुमने सोचा भी नहीं होगा इतना मज़ा दूँगी तुझे.. बस तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा" शीला ने शतरंज पर चाल चलनी शुरू कर दी

रेणुका भी हेमंत के मुरझाए लंड को सहलाते हुए शीला की बात को बड़े गौर से सुन रही थी... वो सोच रही थी की शीला इस लड़के का उपयोग कर पार्टी में घुसेगी कैसे? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी को एंट्री नहीं दी जाती.. पर उसे यकीन था शीला की काबिलियत पर.. वो कोई न कोई तरीका ढूंढ ही निकालेगी.. अब वो देखना चाहती थी की शीला कौन सी तरकीब लगाती है.. !!

शीला: "हम आज रात की स्पेशल पार्टी का लाइव विडिओ देखना चाहते है.. क्या तुम हमें दिखा सकते हो??"

हेमू घबरा गया "क.. क.. कौन सी पार्टी? मुझे किसी स्पेशल पार्टी के बारे में नहीं पता.. " वो थरथर कांपने लगा.. वो वहाँ से भाग जाना चाहता था.. पर रेणुका ने उसका लंड कसकर पकड़ रखा था..

लंड को खींचकर अपनी बाहों मे जकड़ते हुए रेणुका ने हँसते हुए कहा "कहाँ भाग रहे हो बेटा.. अभी तो तुम्हारे इस लोडे के साथ पूरी रात पार्टी करने है हमें..!!" लंड पकड़कर रेणुका ने ऐसे खींचा की हेमंत की चीख निकल गई..

शीला: "देखो हेमू.. हम पहले भी यहाँ आ चुके है.. और ऐसी पार्टी मे शामिल हो चुके है.. इस बार हमें कोई मर्द पार्टनर नहीं मिला और रेजिस्ट्रैशन मे देरी हो गई इसलिए अलग से आना पड़ा.. तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.. हम तो सिर्फ पार्टी मे शामिल होने के लिए तुम्हारी हेल्प मांग रहें है.. अगर तुम हमारी हेल्प करोगे तो हम तुम्हें पैसे भी देंगे"

हेमू की जान मे जान आई.. अभी भी वो ठीक से बोल नहीं पा रहा था.. शीला ने उसके लंड पर किस करके उसके बचे-कूचे डर को भगा दिया.. अब हेमंत थोड़ा सा शांत हुआ.. बल्कि उसकी आँखों में एक विचित्र सी चमक भी आ गई.. शीला की निप्पल को प्यार से खींचते हुए वो बोला

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हेमंत: "मैडम, आपके बॉल बड़े ही जबरदस्त है.. इतने बड़े तो मैंने आज तक नहीं देखे.. बार बार दबाने का जी चाहता है.. आप को पार्टी जॉइन करनी हो तो मैं करवा सकता हूँ.. मैं आपका पार्टनर बनकर साथ घुस जाऊंगा.. पर यह मैडम का क्या करें?? एक पार्टनर आप को मेनेज करना पड़ेगा.. नहीं तो फिर इस मैडम को यहाँ कमरे मे ही बैठना पड़ेगा.. दूसरी बात यह की.. उस पार्टी मे कोई किसी को भी चोदने के लिए पसंद कर सकता है.. अब मैं तो आपको ही चोदना चाहता हूँ.. अगर किसी और ने पसंद कर लिया तो.. ?? हर कोई आपके पीछे पड़ जाएगा.. आप हो ही ऐसी.. रात भर लोग आपके पीछे पड़ जाएंगे.."

शीला: "ऐसा नहीं होगा.. उससे पहले हम ही एक दूसरे को सिलेक्ट कर लेंगे.. फिर क्या दिक्कत?"

हेमंत: "नहीं.. ऐसा नहीं होता.. रूल्स तो आपको पता ही होंगे ना.. !! की एक बार पार्टी शुरू होते ही सब लोग चेहरे पर मास्क लगा लेते है.. फिर टेबल पर चाबी रख दी जाती है.. फिर हर लड़की/महिला को चाबी उठाने को कहा जाता है.. जिस चाबी को आप उठायेंगे.. उस चाबी की गाड़ी का मालिक आप को ले जाएगा.. और पूरी रात बिताएगा.. !!"

रेणुका हेमंत की बात सुनकर रोमांचित हो गई.. शीला का पूरा बदन सिहरने लगा.. आत्मविश्वास से झूठ बोलते हुए शीला ने इतनी बात तो उगलवा ली.. और बात निकालने के लिए उसने एक और झूठ बोल दिया

"वो तो हम जानते है हेमू.. मगर लास्ट टाइम की पार्टी में नियम अलग थे.. उस वक्त हम जिस मर्द को पसंद करें उसके बगल मे जाकर खड़े हो जाते थे.. और अगर किसी एक मर्द के पास एक से ज्यादा लड़की खड़ी हो जाएँ तो फिर चाबी वाला सिस्टम होता था.. !!"

हेमंत: "अच्छा.. हम तो सीसीटीवी पर देखते है इसलिए शायद पता नहीं चला.. !!"

शीला: "कुछ भी कर हेमू.. एक और पार्टनर का बंदोबस्त कर दे.. कैसे भी"

हेमंत को एक और फायदा था.. रजिस्ट्रेशन के लिए अगर वो एक कपल लाता तो उसे कमीशन के तौर पर ४ हजार मिलते थे.. पर ऐसे मामलों मे खतरा ज्यादा रहता है इसलिए वो अधिक दिलचस्पी नहीं लेता था.. पर शीला के कातिल बदन ने हेमंत को मजबूर कर दिया था.. एक और पार्टनर मिल जाता तो शीला के संग मजे करने मिलता और साथ में तगड़ा कमीशन भी मिलता..

हेमंत: "मैडम, अगर आप आज रात को मुझे नहीं मिल पाई तो प्रोमिस कीजिए की एक बार मेरे साथ सेक्स जरूर करेगी.. तभी मैं आप के लिए पार्टनर का बंदोबस्त करने की कोशिश करूंगा"

शीला: "अरे मेरी जान.. अभी कर लेते है.. बाद में न जाने मौका मिले ना मिले.. !! आजा चल.. हमारी पार्टी अभी से शुरू.. !! तू हमारे लिए बस एक पार्टनर मेनेज कर, मैं अभी तुझे अपने हुस्न के जलवे दिखाती हूँ.. तू भी क्या याद करेगा.. !! कभी देखा न होगा ऐसा हुस्न.. !! ले देख.. हेमू बेटा.. " कहते हुए शीला ने बड़ी ही स्टाइल से अपनी साड़ी उतारी और उछालकर केमेरा लगे फूलदान पर डाल दी.. अब केमेरे से कुछ दिखने वाला नहीं था.. निश्चिंत होकर शीला हेमंत को बेड पर खींचकर ले गई.. और उसके सारे कपड़े उतार दीये.. हेमंत शीला के मस्त बदन से खेल रहा था तब शीला ने अपनी ब्रा और पेन्टी भी उतार दी.. हेमंत का लंड शीला को सलामी दे रहा था..

उस दौरान हेमंत ने अपने फोन से किसी को मिसकॉल किया.. सामने से तुरंत कॉल आया.. हेमंत ने एकदम संक्षिप्त में बात की "आप आ जाइए.. मेनेज हो जाएगा.. जोरदार है सर.. !!" बस इतना कहकर उसने फोन काट दिया..

शीला ने हेमंत को धक्का देकर बेड पर लेटा दिया.. और उसके ऊपर चढ़ बैठी.. उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ते हुए शीला ने अपने दोनों भव्य स्तनों के तले उसे दबा दिया.. शीला के भारी भरकम बबलों के नीचे दबकर हेमंत का दम घुटने लगा.. वो तड़पते हुए शीला की नंगी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था.. शीला अपनी चूचियाँ उसके चेहरे पर रगड़ते हुए.. अपनी चूत से उसके लंड पर हौले हौले मसाज कर रही थी..


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"हेमू बेटा... क्या हुआ फिर.. !! मेनेज हो जाएगा ना.. !!" चुदाई के बीच ही शीला ने वसूली चालू कर दी

"चिंता मत कीजिए मैडम.. मैंने एक बार बोल दिया की हो जाएगा.. मतलब हो जाएगा.. आज रात आप मेरे साथ पार्टी जॉइन करोगी.. ये मेरा वादा है.. फोन तो किया है मैडम.. उसने हाँ भी बोला है.. बहुत शौकीन है.. आप को उछाल उछालकर चोदेगा"

रेणुका: "फिर तो उसे मैं ही अपना पार्टनर बनाऊँगी"

हेमंत: "कोई बात नहीं मैडम.. आप उन साहब की बाहों में मजे लूटना.. मैं इस मैडम के साथ इन्जॉय करूंगा.. और आप मेरी कार की चाबी का कीचैन देखकर याद कर लीजिए.. आप इसे ही पसंद करना.. मैं आज रात, आप को मेरी ताकत दिखाना चाहता हूँ"

शीला के चरबीदार जिस्म तले दबे हुए हेमंत ने.. बिस्तर पर पड़ी अपनी पतलून के जेब से गाड़ी की चाबी निकालकर शीला को दिखाई.. चांदी के घोड़े वाला सुंदर कीचैन था.. अब शीला को उसे ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी.. सिर्फ घोड़े को याद रखना था.. फिर वो आसानी से लोड़े तक पहुँच जाएगी.. !!

शीला ने अपने चूतड़ उठायें.. और उल्टा घूम गई.. हेमंत के होंठों पर अपना भोसड़ा रखकर झुकते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया.. साथ ही दोनों अंडकोशों को अपनी हथेली से सहलाते हुए दबाने लगी.. शीला की जीभ हेमंत के आँड़ों पर ऐसे घूमने लगी.. हेमंत को लगा की उसके प्राण ही निकल जाएंगे.. शीला का ये पसंदीदा काम-आसन था.. शीला का बिना बालों वाला सफाचट भोसड़ा देखकर हेमंत का मुंह खुला का खुला रह गया..

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"चौड़ी करके अंदर जीभ डाल हेमू.. ये सिर्फ देखते रहने से ठंडी नहीं होगी.. " शीला अब अपने असली रंग में आने लगी थी.. उसके मदमस्त स्तन कठोर हो गए थे और वह आक्रामक होकर हेमंत के लंड पर प्रहार कर रही थी

हेमंत ने शीला के आदेश का पालन किया और उसके मस्त रसदार भोसड़े को उंगलियों से चौड़ा कर.. गहराई तक अपनी जीभ घुसेड़ दी..

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"आह्ह हेमू.. यार.. बिल्कुल सटीक निशाने पर जाकर लगी है तेरी जीभ.. ओह यस.. अब चाटना शुरू कर दे.. ऊपर से लेकर नीचे तक.. पूरी दरार को चाट.. !!" शीला के मुख से आनंद की किलकारीयां निकलने लगी.. हेमंत का आखिर जवान खून था.. भर भरकर ऊर्जा थी.. उत्तेजना उछल रही थी.. शीला के मुंह में उसका लंड इतना कठोर हो गया की शीला को भी ताज्जुब होने लगा.. कोई लंड इतना सख्त कैसे हो सकता है?? कहीं इसके लंड की नसें फट न जाएँ.. !!

हेमंत शीला की चूत को रिझाने के यथाशक्ति प्रयत्न कर रहा था.. पर शीला की चुसाई इतनी खतरनाक थी की वो बेचारा बार बार झड़ने की कगार पर आ जाता.. रेणुका बगल में खड़े खड़े शीला और हेमंत के जिस्मों का घमासान देखते हुए एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपना दाना रगड़ रही थी..

२३ साल के हेमंत के ऊपर.. ५५ साल की शीला की विराट काया तांडव कर रही थी.. !! और उस महाकाय जिस्म की छत्रछाया तले हेमंत अभिभूत होकर अपनी हवस शांत कर रहा था.. इतना वज़न अपने ऊपर होने के बावजूद वो उत्तेजित होकर नीचे से अपने शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था.. और शीला भी ऐसे ऊपर नीचे हो रही थी जैसे ऊंट-सवारी कर रही हो.. !!

बिना थके हेमंत शीला की भोस को बड़ी ही उत्तेजना पूर्वक चाट रहा था.. खेत में रोहित के लंड से संतोष पूर्वक झड़ नहीं पाई थी शीला, हेमंत के लंड से अपनी मंजिल को हासिल करने का भरसक प्रयत्न कर रही थी..

शीला अब हेमंत के ऊपर से उतर गई.. और अपनी मांसल जांघों को फैलाते हुए बिस्तर पर लेट गई.. फिर हेमंत को अपने ऊपर खींच लिया.. शीला के स्तनों को दोनों हाथों से दबाने के बाद, हेमंत ने अपने सुपाड़े को शीला के लसलसित भोसड़े के मुख पर रखकर एक जानदार धक्का लगाया.. शीला ने सिसककर उसका स्वीकार किया.. अद्भुत सख्ती थी उस जवान लंड की.. !! एक अरसा हो गया था जवान लंड को अंदर लिए हुए.. शीला को ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे लोहे का गरम सरिया अंदर घुस गया हो.. !! अपने भूखे भोसड़े को संतुष्ट करने के लिए शीला को ऐसे ही लंड की जरूरत थी..

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हेमंत का लंड.. इंजन के पिस्टन की तरह.. शीला के छेद के अंदर बाहर होने लगा.. हर धक्के के साथ शीला के स्तन आगे पीछे हो रहे थे.. हेमंत अपने जीवन के सब से यादगार अनुभव से गुजर रहा था.. फुल स्पीड में धक्के लगा रहे हेमंत के बगल में खड़ी रेणुका अपनी निप्पलों को खींचते हुए करीब आई.. और हेमंत के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. शीला की जवानी के साथ रेणुका के जोबन का मिश्रण होते ही हेमंत को धरती पर ही स्वर्ग नजर आने लगा.. अपनी सारी ताकत लगाकर हेमंत शीला को धनाधन चोद रहा था..

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देखते ही देखते शीला का पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया.. "आह्ह हेमू.. मज़ा आ रहा है यार.. और जोर से चोद.. चीर दे मेरी चूत.. कितना दम है रे.. !! जड़ तक हिला कर रख दिया.. मार जोर से.. रुकना मत, मेरे राजा.. !!"

शीला की बातें सुनकर रेणुका अपने आप पर काबू न रख पाई.. और आँखें बंद कर अपनी तीन उँगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी..

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शीला की परीक्षा में हेमंत फैल होना नहीं चाहता था.. अपना सारा जोश लगाकर वो शीला को इतना खुश करना चाहता था की वो उसकी गुलाम बन जाएँ.. शीला उसे इतनी पसंद आ गई थी.. !!

आधे घंटे की भीषण चुदाई के बाद शीला की चूत का फव्वारा छूट गया.. और उसी के साथ.. हेमंत के लंड ने भी वीर्य की जोरदार पिचकारी से शीला का गर्भाशय भर दिया.. रेणुका भी उँगलियाँ डालकर झड़ गई.. कामुक कराहों से जो पूरा कमरा गूंज रहा था.. वो अब शांत हो गया था.. !! तीनों अब आराम से बिस्तर पर लेटकर अपनी थकान उतारने लगे.. लेटे लेटे हेमंत, शीला की लंबी निप्पलों से खेल रहा था..

थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

Bahut hi jabardast update he vakharia Bhai,

Sheela aur Renuka ne Hemu ke rup me ek pyada mil gaya he jo unko hotel ki sabhi jankari de raha he.......

Ek baar to sheela ne usase chudwa bhi liya aur raat ki party me entry ke sath sath renuka ke liye bhi jugaad bhi kar liya...........

Keep posting Bro
 

Ajju Landwalia

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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..

Behad shandar update he vakharia Bhai

Uttejna aur kamukta ki prakastha he is update me.........

Maja aa gaya Bhai.........

Keep posting Bro
 

arushi_dayal

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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
शीला की हिम्मत की तो सच में दाद देनी ही पड़ेगी। हर गुजरते दिन के साथ वह और अधिक साहसी होती जा रही है और नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। मुझे लगता है कि विदेश में महिला के साथ मदन के रिश्ते को जानने के बाद अब उसे कोई डर नहीं है। और फिर रूखी को भी अपने आँखों के सामने मदन से चुदवा कर उसने भी निशित कर लिया है कि कभी वो भी मदन के सामने एक अंजान व्यक्ति से चुदवा सकती है और आज इस क्लब में शायद वही होने जा रहा है।
 
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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
बेहतरीन अपडेट vakhariya भाई.....
ऐसे ही कामुक अपडेट दिजीये.....
 
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sushilk

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Twist ke ho sake to ek shemale add kijiye sabse bada aur lamba land ke sath....
Jo sheela ya vaishali ko chodkar pagal bana de jiva ki tarah
 
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