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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

krish1152

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गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..

रेणुका गाड़ी होटल के अंदर ले ही रही थी तब शीला ने उसे रोक लिया

शीला: "यहाँ नहीं.. यहाँ पार्क करेंगे तो राजेश इस गाड़ी को पहचान लेगा.. "

रेणुका: "अरे हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा सोचा ही नहीं था"

शीला: "हम यहाँ से थोड़े दूर.. सड़क के किनारे गाड़ी पार्क कर देंगे.. पर उससे पहले मुझे एक बार होटल के अंदर जाकर देख लेने दे.. तू तब तक यहीं बैठ गाड़ी में "

रेणुका के उत्तर की प्रतीक्षा कीये बगैर ही शीला गाड़ी से उतर गई.. और चलते चलते रीसेप्शन पर गई.. काफी देर तक पूछताछ करते हुए रेणुका उसे देखती रही.. वो सोच रही थी की.. गजब की हिम्मत थी शीला मे..!! बिना किसी डर के बड़े ही स्वाभाविक अंदाज मे वो बातें कर रही थी.. पर इतनी देर तक क्या पूछ रही है वो.. !! रेणुका ने देखा की शीला सीढ़ी चढ़कर ऊपर गई.. बड़ी ही महंगी और वैभवशाली होटल थी..

थोड़ी देर बाद, शीला को अपनी ओर आता देख, रेणुका को चैन मिला..

कार में बैठते ही शीला ने रेणुका से कहा.. "गाड़ी को दायीं ओर उस सड़क पर ले जा.. एक किलोमीटर बाद, पे-एंड-पार्क की सुविधा है.. वहाँ गाड़ी पार्क कर देंगे.. फिर टेक्सी में वापीस आ जाएंगे.. मैंने हमारा कमरा भी बुक करवा दिया है.. ऐसा कमरा पसंद किया है की जिसकी खिड़की से.. आने जाने वाले सब लोगों पर हम नजर रख सकेंगे.. !!"

रेणुका: "तूने कमरा भी बुक करवा दिया?? बड़ी तेज है तू.. !!"

शीला: "अरे वो रीसेप्शन पर बैठा जवान.. मेरे जाते ही.. बूब्स को तांकने लगा.. बस उसी का फायदा उठाकर.. मैंने उससे सब से बेस्ट कमरा मांग लिया.. और भी बहोत सारी जानकारियाँ उगलवानी थी.. पर तू यहाँ बैठे बैठे बोर हो जाएगी, ये सोचकर वापिस आ गई.. चल, पहले गाड़ी पार्क कर देते है.. !!"

दोनों थोड़ी ही देर में पार्किंग एरिया में पहुँच गए.. कार पार कर चलते चलते सड़क की तरफ आ रहे थे तभी..!!!!

रेणुका ने चोंक कर कहा "ओह माय गॉड.. अभी सामने से राजेश की गाड़ी गई.. !!"

शीला: "मतलब, वो लोग यहाँ आ चुके है.. !!"

रेणुका: "हम्म.. तो यहाँ होने वाली है उनकी बेंगलोर की बिजनेस ट्रिप.. एक नंबर के चुदक्कड़ है हम दोनों के पति"

शीला ने आँख मारते हुए कहा "तो हम भी कहाँ कम है.. !! वो तो रात को मजे करेंगे.. हमने तो गाड़ी में ही पार्टी की शुरुआत कर दी थी"

रेणुका ने थोड़े डर के साथ कहा "यार, वो दोनों भी अभी कहीं बाहर निकले होंगे, और हमें देख लेंगे तो?? मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"

शीला: "एक बात समझ ले रेणुका.. चोरी छिपे वो दोनों आए है यहाँ.. फिर हम क्यों डरे भला?? डरना उनको चाहिए.. बेंगलोर का झूठा बहाना उन दोनों ने बनाया था.. तू इत्मीनान रख.. वो दोनों हमें मिल गयें तो वो लोग कुछ कहें उससे पहले ही, मैं उन दोनों की गांड फाड़ दूँगी.. तू बिंदास चल मेरे साथ.. डरने की जरूरत नहीं है.. आज तो कुछ ऐसा खेल करेंगे की पार्टी में उनकी नज़रों को सामने ही पराए लंड से चुदवाएंगे फिर भी उन्हें पता नहीं चलेगा"

दोनों ने बाहर सड़क पर आकर देखा.. गाड़ी होटल की तरफ जाने की बजाए दूसरी सड़क पर मुड़ गई..

शीला: "लगता है की वो किसी दूसरी होटल में रुके होंगे"

रेणुका: "हाँ, मुझे भी यही लगता है.. !!"

टेक्सी तो नहीं मिली.. ऑटो पकड़कर दोनों होटल पर पहुँच गई.. रीसेप्शन काउंटर पर एक जवान लड़का और लड़की बैठे थे.. लड़की ने चमकीला पतला टॉप पहना था जिसमें से उसके उरोज बाहर झलक रहे थे.. जान बूझकर कर टेबल पर झुककर वो अपने स्तन दिखा रही थी.. शीला ने अपना पल्लू हल्का सा सरकाया.. और टेबल की उस तरफ झुककर जैसे ही अपने विराट स्तनों को प्रदर्शन किया.. देखकर उस लड़की की आँखें फट गई.. और उसके साथ वाला लड़का अपना लंड एडजस्ट करने लगा..

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आँखें मटकाते हुए शीला ने अपने कमरे की चाबी मांगी.. पालतू कुत्ते की तरह उस लड़के ने लार टपकाते हुए चाबी निकाली.. और शीला तथा रेणुका को अपने साथ आने को कहा.. वैसे तो चाबी लेकर रूम तक ले जाना, वेटर का काम होता है..

सीढ़ियाँ चढ़कर तीनों पेसेज के अंत में बनी रूम के अंदर गए.. रूम का लोकेशन देखकर रेणुका खुश हो गई.. खिड़की से होटल का एंट्री गेट और रीसेप्शन नजर आ रहे थे.. दूसरी खिड़की से ऊपर के माले का पूरा पेसेज दिख रहा था.. शीला ने बड़ी ही चालाकी से यह रूम पसंद किया था ताकि वो दोनों बंद कमरे से राजेश और मदन पर नजर रख सकें..

शीला: "तुम्हारा नाम क्या है?'

लड़का: "मेरा नाम हेमंत है.. आप मुझे हेमू कह सकती है"

शीला : "ओके माय डीयर हेमू.. हम यहाँ इन्जॉय करने के लिए आए है.. क्या आप के पास कोई ऐसा एजेंट है जो चार्ज लेकर हमें दो मर्द साथी प्रोवाइड कर सकें?"

हेमंत: "मतलब???"

शीला: "नया है क्या?? समझता नहीं है.. सब कुछ साफ साफ बुलवाएगा..!! हम यहाँ मजे मारने आए है.. इसलिए कोई मर्द चाहिए जो पैसे लेकर हमें रात को खुश कर सकें.. कैसे कैसे अनाड़ी लोग रखे है इन होटल वालों ने.. !!"

सुनकर हेमंत का जबड़ा लटक गया..

हेमंत: "नहीं मैडम.. ऐसा तो कोई नहीं है.. अक्सर लोग यहाँ आकर लड़कियों की डिमांड करते है.. मर्द के लिए आज से पहले किसी ने नहीं पूछा... मगर आप जैसी खूबसूरत महिलाओं के लिए यह काम करने कोई भी खुशी खुशी तैयार हो जाएगा.. और पैसे भी नहीं लेगा..!!"

रेणुका: "तो क्या तू तैयार है इसके लिए?"

हेमंत: "जी.. मैं.. वो.. मैडम, क्यों मज़ाक कर रही हो?? कहाँ आप और कहाँ मैं.. !! और वैसे भी मैं ड्यूटी पर हूँ.. तो ऐसा कैसे कर सकता हूँ??"

तब तक तो शीला ने अपना पल्लू हटाकर.. उस लड़के का दिमाग भ्रष्ट कर दिया.. लड़का ज्यादा आनाकानी करता उससे पहले ही रेणुका ने उसे हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींचा.. "ओह्ह जानेमन.. ड्यूटी पर तो डिलीवरी तक हो जाती है.. तुम चुदाई भी नहीं कर सकते?"

"ओह मैडम.. प्लीज छोड़ दीजिए.. मेरी नौकरी का सवाल है" लड़की की गांड फट गई..

शीला उसके करीब आ गई.. लड़के के दोनों हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रखते हुए बोली "पसंद नहीं आए?? फिर दबा ना.. साले तेरी माँ से भी बड़े है ये.. " कहते हुए उसका लंड दबा दिया शीला ने

रेणुका: "देख हेमू.. हम यहाँ चुदवाने आए है.. और तुझे हमें चोदना होगा" जिस तरह बिन बजाकर मदारी सांप को खेल के लिए तैयार करता है उसी तरह रेणुका ने नंगा आमंत्रण देकर हेमंत की मर्दानगी को जगा दिया था

शीला ने हेमंत के लंड को पेंट की ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी मे दबा दिया और बोली "ये बता.. यहाँ कौन सा स्पेशल प्रोग्राम होने वाला है आज रात को?"

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सुनते ही हेमंत के पसीने छूट गए "प्लीज.. मैं उसके बारे में आपको कुछ नहीं बता सकता" शीला समझ गई की तीर निशाने पर लग चुका था.. अब बस, उस लड़के के ईमान को पिघलाने के लिए थोड़ी और आग लगाने की जरूरत थी

हेमंत को बाहों में जकड़कर उसके होंठों पर बड़ा ही रसीला चुंबन कर दिया शीला ने.. काफी देर तक उसके होंठों को चूसते रहने के बाद.. उसे महसूस हुआ की उस लड़के की झिझक कम हो रही थी और वो अपने आप को शीला के हवाले करता जा रहा था.. काफी देर तक चूमने चाटने के बाद शीला ने उसे अपने मोह-पाश से मुक्त किया..

शीला: "कितना हेंडसम है रे तू.. !! तुझे देखकर ही मेरी चूत पनियाने लगी है.. मैं तो तुझ से ही चुदवाऊँगी आज रात.. दिल आ गया है तुझ पर.. "

रेणुका: "तो फिर मैं क्या करूंगी? बैठे बैठे झुनझुना हिलाऊँ?"

शीला: "तू हम दोनों की चुदाई देखते हुए उंगली कर लेना.. मैं तो अपने इस बेटे को चुदाई के नए नए पाठ सिखाऊँगी आज"

हेमंत का लंड पेंट से बाहर निकाल चुकी थी शीला.. २३ साल के लड़के के जवान फुदकते लंड को देखकर शीला और रेणुका दोनों खुश हो गई.. कच्ची ककड़ी जैसा सख्त लंड देखकर.. दोनों चुदक्कड़ महिलाओं को मन में सांप लोटने लगे..

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शीला की कोमल अनुभवी हथेली ने एक ही बार में उस लंड का सारा ब्योरा ले लिया.. और धीमे से फुसफुसाई "मज़ा आएगा इसके साथ"

हेमंत: "मैडम, इफ यु डॉन्ट माइंड.. एक साथ दो दो औरतों के साथ सेक्स करने का मेरा भी बहोत मन है.. हम तीनों आज रात मेरे कमरे में एक ही बेड पर इन्जॉय करेंगे.. मैं आप दोनों को संतुष्ट करने का वादा करता हूँ.. मैं आपको सब को-ऑपरेशन दूंगा.. मेरा लंड एक रात में चार-पाँच बार खड़ा हो सकता है"

शीला अब भी तसल्ली करना चाहती थी की हेमंत पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ जाएँ.. अपने ब्लाउस के हुक खोलकर.. खरबूजों जैसे स्तनों को बाहर निकालकर.. हेमंत के चेहरे को उनके बीच दबाते हुए शीला ने कहा " ले, पहले अपनी माँ का दूध पी ले मेरे बेटे.. माँ को चोदने की ताकत आ जाएगी..!!" कहते हुए शीला ने रेणुका को इशारा किया..


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इशारा समझते ही रेणुका घुटनों के बल बैठ गई.. और हेमंत का लंड मुठ्ठी से पकड़कर चूसना शुरू कर दिया.. २३ साल का लड़का.. अपने से दोगुनी उम्र की औरतों के बीच सेंडविच बन चुका था..

रेणुका का गरम मुंह.. हेमंत के लंड को जैसे झुलसा रहा था.. और शीला के स्तनों की गर्माहट.. उसे अजीब सा सुकून दे रही थी.. किसी अलौकिक दुनिया की सफर पर निकल पड़ा वो.. शीला के मदमस्त उरोजों को बारी बारी पकड़कर दबाते हुए.. उसकी एक एक इंच लंबी निप्पल को बड़े ही चाव से चूस रहा था हेमंत..


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तीन-चार मिनट तक ये दौर चला.. और हेमंत के लंड ने रेणुका के मुंह में गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.. अब वो रेणुका की चुसाई का कमाल हो.. या शीला के बबलों का.. सिर्फ चार मिनट के अंदर.. हेमंत का हाल.. नर्वस नाइन्टी की बलि चढ़े हुए बेटसमेन जैसा हो गया..

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वो समझ गया की जोश में आकर.. उसने इन दोनों चुदासी राँडों को तृप्त करने का वादा तो कर दिया.. पर उसकी तो पाँच मिनट के अंदर ही हवा निकाल दी इन दोनो ने.. !! पता नहीं.. इनके साथ एक रात बिताने के बाद.. कहीं सुबह तक उसके प्राण ही न निकल जाए.. !!

शीला ने जैसे उसके मन के विचारों को पढ़ लिया था.. वो बोली "रेणुका.. यार पागलों की तरह चूसने लगी तू तो.. एकदम से टूट पड़ी.. झड़ गया बेचारा.. डॉन्ट वरी हेमंत.. चल बिस्तर पर चल.. तुझे फिर से तैयार करती हूँ"

हेमंत की फट के फ्लावर हो गई "नहीं नहीं मैडम.. मैं इस कमरे में बेड पर नहीं आऊँगा"

शीला और रेणुका ने चोंककर कहा "क्यों?"

हेमंत खामोश ही रहा.. और आँखें झुकाए खड़ा रहा

शीला की धीरज जवाब दे गई.. "अब बोलेगा भी या तेरी गांड में डंडा डालकर बुलवाऊँ..भेनचोद..!!"

हेमंत: "क्या बताऊँ मैडम.. ये हमारी होटल का टॉप सीक्रेट है.. प्लीज किसी को मत बताइएगा.. वहाँ जो टीवी के बगल में फूलदान है ना.. उसके अंदर एक केमेरा फिट किया हुआ है.. जिससे पूरे बेड का विडिओ सीसीटीवी केमेरा पर नजर आता है.. मालिक हमारे शौकीन है.. सुना ही की वो उन वीडियोज़ को बेचते भी है.. जो भी हो.. मैं तो रात को ये सब देखकर अपनी आँखें सेंक लेता हूँ.. "

रेणुका: "बाप रे.. !! पर ऐसे किसी की प्राइवेट मोमेंट्स का विडिओ बनाना तो गैर-कानूनी है.. !!"

शीला: "रेणुका यहाँ आने वाले लोग भी कौन से शरीफ होते है?? सब यहाँ ऐयाशी करने ही आते होंगे.. फिर ये लोग भी थोड़ा बहोत इन्जॉय कर लेते है.. मेरे हिसाब से तो इसमे कोई बुराई नहीं है" जानते हुए की ये गलत था.. शीला ने हेमंत की तरफदारी की.. क्योंकि उससे अभी और राज भी तो उगलवाने थे..

शीला: "अच्छा हेमू.. सब के वीडियोज़ देखकर, तुझे तो बड़ा मज़ा आता होगा.. हैं ना.. !! हर रोज नए नए माल देखने को मिलते होंगे.. नई नई लड़कियां.. नए नए बबले.. नई नई चूतें.. !!"

रेणुका के मुंह में वीर्यधार करके हेमंत काफी हल्का महसूस कर रहा था.. शीला की बेवाक बातों से वो खुल भी गया था

हेमंत: "अरे आप मानोगे नहीं.. लोग अपनी बेटी से भी कम उम्र की लड़कियों को लेकर यहाँ आते है.. कुछ तो ऐसे बूढ़े होते है.. जो लड़की ले आते है पर फिर कुछ कर ही नहीं पाते.. और फोकट में पैसे बर्बाद करते है.. लड़कियां बेचारी.. उनकी नज़रों के सामने मूठ मारकर अपने आप को ठंडा कर सो जाती है.. मुझे तो देखकर ही गुस्सा आता है.. जब लोड़े में ताकत न हो तो बेकार में क्यों जवान लड़कियों को लेकर आते होंगे?? हम यहाँ चूत की एक झलक को भी तरस जाते है.. !!"

रेणुका: "क्यों?? तुम्हें तो कोई न कोई मिल ही जाती होगी.. तुम्हारे पास तो पूरा कॉन्टेक्ट लिस्ट ही होगा ना इन बाजारू लड़कियों का.. !!"

हेमंत : "होता तो है.. पर मैं उन लड़कियों को मुंह नहीं लगाता.. फिर वो सब गले पड़ जाती है और ब्लैकमेल करती है.. कोई लड़की पट जाएँ और प्यार से दे दें.. तो बात अलग है.. मगर ऐसी रोमियोगिरी करने का टाइम ही नहीं मिलता इस नौकरी के चक्कर मे.. अब देखते है.. एक बूढ़ा है जो हरबार एक जवान लड़की को लेकर आता है.. वो लड़की मुझे लाइक करती है.. पर वो बूढ़ा उसे छोड़ ही नहीं रहा.. देखते है आगे क्या होता है"

शीला: "तुम्हें चुपके से अपना नंबर दे देना चाहिए उसे.. है कौन वो लड़की? वो बूढ़ा उसे लेकर आता है तो चोदता भी होगा.. और उसकी चुदाई तुमने देखी भी होगी"

हेमंत: "स्क्रीन पर चुदाई देख देखकर थक गया हूँ मैडम.. कई बार तो चुदाई चल रही होती है पर देखने का मन नहीं करता.. पर हाँ.. उस लड़की को मैं अक्सर देखता हूँ.. वो मुझे अच्छी लगती है इसलिए.. बाकी तो कुछ खास या अलग होता है तभी मैं देखता हूँ.. कई बार तो जब एक से ज्यादा जोड़ें यहाँ आते है तो उनकी बातों से पता चल जाता है की वो लोग पार्टनर चेंज करेंगे.. वो सब देखने मे मज़ा आता है.. कुछ लड़कियां तो अपने पति से एक साथ दो दो लंड से करवाने की डिमांड करती है"

शीला: "क्या सच मे??

हेमंत: "जी हाँ मैडम.. कोई बड़ा ग्रुप आया तो समझ लो की मजे ही मजे.. क्या क्या नहीं करते वो लोग.. !! आप सोच भी नहीं सकती"

शीला: "हेमू डार्लिंग.. मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए.. बदले मे.. मैं तुम्हारी लाइफ बना दूँगी.. तुमने सोचा भी नहीं होगा इतना मज़ा दूँगी तुझे.. बस तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा" शीला ने शतरंज पर चाल चलनी शुरू कर दी

रेणुका भी हेमंत के मुरझाए लंड को सहलाते हुए शीला की बात को बड़े गौर से सुन रही थी... वो सोच रही थी की शीला इस लड़के का उपयोग कर पार्टी में घुसेगी कैसे? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी को एंट्री नहीं दी जाती.. पर उसे यकीन था शीला की काबिलियत पर.. वो कोई न कोई तरीका ढूंढ ही निकालेगी.. अब वो देखना चाहती थी की शीला कौन सी तरकीब लगाती है.. !!

शीला: "हम आज रात की स्पेशल पार्टी का लाइव विडिओ देखना चाहते है.. क्या तुम हमें दिखा सकते हो??"

हेमू घबरा गया "क.. क.. कौन सी पार्टी? मुझे किसी स्पेशल पार्टी के बारे में नहीं पता.. " वो थरथर कांपने लगा.. वो वहाँ से भाग जाना चाहता था.. पर रेणुका ने उसका लंड कसकर पकड़ रखा था..

लंड को खींचकर अपनी बाहों मे जकड़ते हुए रेणुका ने हँसते हुए कहा "कहाँ भाग रहे हो बेटा.. अभी तो तुम्हारे इस लोडे के साथ पूरी रात पार्टी करने है हमें..!!" लंड पकड़कर रेणुका ने ऐसे खींचा की हेमंत की चीख निकल गई..

शीला: "देखो हेमू.. हम पहले भी यहाँ आ चुके है.. और ऐसी पार्टी मे शामिल हो चुके है.. इस बार हमें कोई मर्द पार्टनर नहीं मिला और रेजिस्ट्रैशन मे देरी हो गई इसलिए अलग से आना पड़ा.. तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.. हम तो सिर्फ पार्टी मे शामिल होने के लिए तुम्हारी हेल्प मांग रहें है.. अगर तुम हमारी हेल्प करोगे तो हम तुम्हें पैसे भी देंगे"

हेमू की जान मे जान आई.. अभी भी वो ठीक से बोल नहीं पा रहा था.. शीला ने उसके लंड पर किस करके उसके बचे-कूचे डर को भगा दिया.. अब हेमंत थोड़ा सा शांत हुआ.. बल्कि उसकी आँखों में एक विचित्र सी चमक भी आ गई.. शीला की निप्पल को प्यार से खींचते हुए वो बोला

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हेमंत: "मैडम, आपके बॉल बड़े ही जबरदस्त है.. इतने बड़े तो मैंने आज तक नहीं देखे.. बार बार दबाने का जी चाहता है.. आप को पार्टी जॉइन करनी हो तो मैं करवा सकता हूँ.. मैं आपका पार्टनर बनकर साथ घुस जाऊंगा.. पर यह मैडम का क्या करें?? एक पार्टनर आप को मेनेज करना पड़ेगा.. नहीं तो फिर इस मैडम को यहाँ कमरे मे ही बैठना पड़ेगा.. दूसरी बात यह की.. उस पार्टी मे कोई किसी को भी चोदने के लिए पसंद कर सकता है.. अब मैं तो आपको ही चोदना चाहता हूँ.. अगर किसी और ने पसंद कर लिया तो.. ?? हर कोई आपके पीछे पड़ जाएगा.. आप हो ही ऐसी.. रात भर लोग आपके पीछे पड़ जाएंगे.."

शीला: "ऐसा नहीं होगा.. उससे पहले हम ही एक दूसरे को सिलेक्ट कर लेंगे.. फिर क्या दिक्कत?"

हेमंत: "नहीं.. ऐसा नहीं होता.. रूल्स तो आपको पता ही होंगे ना.. !! की एक बार पार्टी शुरू होते ही सब लोग चेहरे पर मास्क लगा लेते है.. फिर टेबल पर चाबी रख दी जाती है.. फिर हर लड़की/महिला को चाबी उठाने को कहा जाता है.. जिस चाबी को आप उठायेंगे.. उस चाबी की गाड़ी का मालिक आप को ले जाएगा.. और पूरी रात बिताएगा.. !!"

रेणुका हेमंत की बात सुनकर रोमांचित हो गई.. शीला का पूरा बदन सिहरने लगा.. आत्मविश्वास से झूठ बोलते हुए शीला ने इतनी बात तो उगलवा ली.. और बात निकालने के लिए उसने एक और झूठ बोल दिया

"वो तो हम जानते है हेमू.. मगर लास्ट टाइम की पार्टी में नियम अलग थे.. उस वक्त हम जिस मर्द को पसंद करें उसके बगल मे जाकर खड़े हो जाते थे.. और अगर किसी एक मर्द के पास एक से ज्यादा लड़की खड़ी हो जाएँ तो फिर चाबी वाला सिस्टम होता था.. !!"

हेमंत: "अच्छा.. हम तो सीसीटीवी पर देखते है इसलिए शायद पता नहीं चला.. !!"

शीला: "कुछ भी कर हेमू.. एक और पार्टनर का बंदोबस्त कर दे.. कैसे भी"

हेमंत को एक और फायदा था.. रजिस्ट्रेशन के लिए अगर वो एक कपल लाता तो उसे कमीशन के तौर पर ४ हजार मिलते थे.. पर ऐसे मामलों मे खतरा ज्यादा रहता है इसलिए वो अधिक दिलचस्पी नहीं लेता था.. पर शीला के कातिल बदन ने हेमंत को मजबूर कर दिया था.. एक और पार्टनर मिल जाता तो शीला के संग मजे करने मिलता और साथ में तगड़ा कमीशन भी मिलता..

हेमंत: "मैडम, अगर आप आज रात को मुझे नहीं मिल पाई तो प्रोमिस कीजिए की एक बार मेरे साथ सेक्स जरूर करेगी.. तभी मैं आप के लिए पार्टनर का बंदोबस्त करने की कोशिश करूंगा"

शीला: "अरे मेरी जान.. अभी कर लेते है.. बाद में न जाने मौका मिले ना मिले.. !! आजा चल.. हमारी पार्टी अभी से शुरू.. !! तू हमारे लिए बस एक पार्टनर मेनेज कर, मैं अभी तुझे अपने हुस्न के जलवे दिखाती हूँ.. तू भी क्या याद करेगा.. !! कभी देखा न होगा ऐसा हुस्न.. !! ले देख.. हेमू बेटा.. " कहते हुए शीला ने बड़ी ही स्टाइल से अपनी साड़ी उतारी और उछालकर केमेरा लगे फूलदान पर डाल दी.. अब केमेरे से कुछ दिखने वाला नहीं था.. निश्चिंत होकर शीला हेमंत को बेड पर खींचकर ले गई.. और उसके सारे कपड़े उतार दीये.. हेमंत शीला के मस्त बदन से खेल रहा था तब शीला ने अपनी ब्रा और पेन्टी भी उतार दी.. हेमंत का लंड शीला को सलामी दे रहा था..

उस दौरान हेमंत ने अपने फोन से किसी को मिसकॉल किया.. सामने से तुरंत कॉल आया.. हेमंत ने एकदम संक्षिप्त में बात की "आप आ जाइए.. मेनेज हो जाएगा.. जोरदार है सर.. !!" बस इतना कहकर उसने फोन काट दिया..

शीला ने हेमंत को धक्का देकर बेड पर लेटा दिया.. और उसके ऊपर चढ़ बैठी.. उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ते हुए शीला ने अपने दोनों भव्य स्तनों के तले उसे दबा दिया.. शीला के भारी भरकम बबलों के नीचे दबकर हेमंत का दम घुटने लगा.. वो तड़पते हुए शीला की नंगी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था.. शीला अपनी चूचियाँ उसके चेहरे पर रगड़ते हुए.. अपनी चूत से उसके लंड पर हौले हौले मसाज कर रही थी..


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"हेमू बेटा... क्या हुआ फिर.. !! मेनेज हो जाएगा ना.. !!" चुदाई के बीच ही शीला ने वसूली चालू कर दी

"चिंता मत कीजिए मैडम.. मैंने एक बार बोल दिया की हो जाएगा.. मतलब हो जाएगा.. आज रात आप मेरे साथ पार्टी जॉइन करोगी.. ये मेरा वादा है.. फोन तो किया है मैडम.. उसने हाँ भी बोला है.. बहुत शौकीन है.. आप को उछाल उछालकर चोदेगा"

रेणुका: "फिर तो उसे मैं ही अपना पार्टनर बनाऊँगी"

हेमंत: "कोई बात नहीं मैडम.. आप उन साहब की बाहों में मजे लूटना.. मैं इस मैडम के साथ इन्जॉय करूंगा.. और आप मेरी कार की चाबी का कीचैन देखकर याद कर लीजिए.. आप इसे ही पसंद करना.. मैं आज रात, आप को मेरी ताकत दिखाना चाहता हूँ"

शीला के चरबीदार जिस्म तले दबे हुए हेमंत ने.. बिस्तर पर पड़ी अपनी पतलून के जेब से गाड़ी की चाबी निकालकर शीला को दिखाई.. चांदी के घोड़े वाला सुंदर कीचैन था.. अब शीला को उसे ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी.. सिर्फ घोड़े को याद रखना था.. फिर वो आसानी से लोड़े तक पहुँच जाएगी.. !!

शीला ने अपने चूतड़ उठायें.. और उल्टा घूम गई.. हेमंत के होंठों पर अपना भोसड़ा रखकर झुकते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया.. साथ ही दोनों अंडकोशों को अपनी हथेली से सहलाते हुए दबाने लगी.. शीला की जीभ हेमंत के आँड़ों पर ऐसे घूमने लगी.. हेमंत को लगा की उसके प्राण ही निकल जाएंगे.. शीला का ये पसंदीदा काम-आसन था.. शीला का बिना बालों वाला सफाचट भोसड़ा देखकर हेमंत का मुंह खुला का खुला रह गया..

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"चौड़ी करके अंदर जीभ डाल हेमू.. ये सिर्फ देखते रहने से ठंडी नहीं होगी.. " शीला अब अपने असली रंग में आने लगी थी.. उसके मदमस्त स्तन कठोर हो गए थे और वह आक्रामक होकर हेमंत के लंड पर प्रहार कर रही थी

हेमंत ने शीला के आदेश का पालन किया और उसके मस्त रसदार भोसड़े को उंगलियों से चौड़ा कर.. गहराई तक अपनी जीभ घुसेड़ दी..

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"आह्ह हेमू.. यार.. बिल्कुल सटीक निशाने पर जाकर लगी है तेरी जीभ.. ओह यस.. अब चाटना शुरू कर दे.. ऊपर से लेकर नीचे तक.. पूरी दरार को चाट.. !!" शीला के मुख से आनंद की किलकारीयां निकलने लगी.. हेमंत का आखिर जवान खून था.. भर भरकर ऊर्जा थी.. उत्तेजना उछल रही थी.. शीला के मुंह में उसका लंड इतना कठोर हो गया की शीला को भी ताज्जुब होने लगा.. कोई लंड इतना सख्त कैसे हो सकता है?? कहीं इसके लंड की नसें फट न जाएँ.. !!

हेमंत शीला की चूत को रिझाने के यथाशक्ति प्रयत्न कर रहा था.. पर शीला की चुसाई इतनी खतरनाक थी की वो बेचारा बार बार झड़ने की कगार पर आ जाता.. रेणुका बगल में खड़े खड़े शीला और हेमंत के जिस्मों का घमासान देखते हुए एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपना दाना रगड़ रही थी..

२३ साल के हेमंत के ऊपर.. ५५ साल की शीला की विराट काया तांडव कर रही थी.. !! और उस महाकाय जिस्म की छत्रछाया तले हेमंत अभिभूत होकर अपनी हवस शांत कर रहा था.. इतना वज़न अपने ऊपर होने के बावजूद वो उत्तेजित होकर नीचे से अपने शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था.. और शीला भी ऐसे ऊपर नीचे हो रही थी जैसे ऊंट-सवारी कर रही हो.. !!

बिना थके हेमंत शीला की भोस को बड़ी ही उत्तेजना पूर्वक चाट रहा था.. खेत में रोहित के लंड से संतोष पूर्वक झड़ नहीं पाई थी शीला, हेमंत के लंड से अपनी मंजिल को हासिल करने का भरसक प्रयत्न कर रही थी..

शीला अब हेमंत के ऊपर से उतर गई.. और अपनी मांसल जांघों को फैलाते हुए बिस्तर पर लेट गई.. फिर हेमंत को अपने ऊपर खींच लिया.. शीला के स्तनों को दोनों हाथों से दबाने के बाद, हेमंत ने अपने सुपाड़े को शीला के लसलसित भोसड़े के मुख पर रखकर एक जानदार धक्का लगाया.. शीला ने सिसककर उसका स्वीकार किया.. अद्भुत सख्ती थी उस जवान लंड की.. !! एक अरसा हो गया था जवान लंड को अंदर लिए हुए.. शीला को ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे लोहे का गरम सरिया अंदर घुस गया हो.. !! अपने भूखे भोसड़े को संतुष्ट करने के लिए शीला को ऐसे ही लंड की जरूरत थी..

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हेमंत का लंड.. इंजन के पिस्टन की तरह.. शीला के छेद के अंदर बाहर होने लगा.. हर धक्के के साथ शीला के स्तन आगे पीछे हो रहे थे.. हेमंत अपने जीवन के सब से यादगार अनुभव से गुजर रहा था.. फुल स्पीड में धक्के लगा रहे हेमंत के बगल में खड़ी रेणुका अपनी निप्पलों को खींचते हुए करीब आई.. और हेमंत के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. शीला की जवानी के साथ रेणुका के जोबन का मिश्रण होते ही हेमंत को धरती पर ही स्वर्ग नजर आने लगा.. अपनी सारी ताकत लगाकर हेमंत शीला को धनाधन चोद रहा था..

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देखते ही देखते शीला का पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया.. "आह्ह हेमू.. मज़ा आ रहा है यार.. और जोर से चोद.. चीर दे मेरी चूत.. कितना दम है रे.. !! जड़ तक हिला कर रख दिया.. मार जोर से.. रुकना मत, मेरे राजा.. !!"

शीला की बातें सुनकर रेणुका अपने आप पर काबू न रख पाई.. और आँखें बंद कर अपनी तीन उँगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी..

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शीला की परीक्षा में हेमंत फैल होना नहीं चाहता था.. अपना सारा जोश लगाकर वो शीला को इतना खुश करना चाहता था की वो उसकी गुलाम बन जाएँ.. शीला उसे इतनी पसंद आ गई थी.. !!

आधे घंटे की भीषण चुदाई के बाद शीला की चूत का फव्वारा छूट गया.. और उसी के साथ.. हेमंत के लंड ने भी वीर्य की जोरदार पिचकारी से शीला का गर्भाशय भर दिया.. रेणुका भी उँगलियाँ डालकर झड़ गई.. कामुक कराहों से जो पूरा कमरा गूंज रहा था.. वो अब शांत हो गया था.. !! तीनों अब आराम से बिस्तर पर लेटकर अपनी थकान उतारने लगे.. लेटे लेटे हेमंत, शीला की लंबी निप्पलों से खेल रहा था..

थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..
nice update
 

Sanju@

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तीनों लड़कियां शांत होकर.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर सो गई..

सोने की कोशिश कर रही मौसम की आँखों के सामने बार बार सुबोधकांत का लंड आ जाता था.. उसका मन कर रहा था की फाल्गुनी को जागा कर उससे विडिओ दिखाने को कहें.. विडिओ में पापा को पूरा नंगा देख पाती.. और वो कैसे चोदते है वो भी पता चलता.. पूरे नंगे पापा कैसे लगते होंगे?? वो तो सब ठीक.. पर आज तो पापा ने ही उसे पूरी की पूरी नंगी देख ली थी.. वैशाली मेरी चूत चाट रही थी वो भी पापा ने देख लिया होगा क्या?? क्या सोच रहे होंगे वो मेरे बारे में?? हो सकता है की वो जीजू ही हो.. हो सकता है की वैशाली की पहचानने में गलती हुई हो?? सुबह उठकर वैशाली से पूछूँगी.. जानना तो पड़ेगा.. !! पापा भी बड़े शातिर खिलाड़ी निकलें.. वैशाली और फाल्गुनी दोनों को साथ में चोदते है.. पापा ने आज तक कितनी औरतों और लड़कियों को चोदा होगा??

लंड का स्वाद चखते ही.. मौसम को अपने बाप के लंड के बारे में अजीब अजीब खयाल आने लगे थे.. और उसे इस बात से कोई गिल्ट भी महसूस नहीं हो रहा था.. जवानी की दहलीज पर खड़ी लड़की को अगर संयम का पाठ न पढ़ाया जाए तो वो किसी भी हद तक जा सकती है.. उम्र ही ऐसी होती है.. वासना, संवेदना और उत्तेजना की उछलती हुई लहरों में जो खुद पर अंकुश न रख पाएं.. वह निश्चित तौर पर बर्बादी के रास्ते चल पड़ता है..

जो मौसम, फाल्गुनी और अपने पापा के काम संबंधों को घृणा की नज़रों से देखती आई थी.. वही मौसम अब सेक्स और सहवास को लेकर कुछ भी सोचने से कतराती नहीं थी.. उसे सिर्फ लंड चाहिए था.. जीजू का लंड जब चूत के अंदर बाहर हुआ और तब जो सुख मिला.. उसे सिर्फ याद करते हुए भी वो बेकाबू हो जाती थी.. और उसे बार बार पुरुष के संग सहवास की इच्छा हो रही थी.. यहाँ तक की वो अपने बाप के बारे में गंदे से गंदा विचार करने पर भी अपने मन को रोक नहीं पा रही थी.. फाल्गुनी को लेकर उसके मन में अब सहानुभूति हो रही थी.. वो भी बेचारी इसी तड़प के मारे बार बार पापा से चुदवा रही होगी.. अनगिनत सवालों के घेरे में फंसी मौसम जब सुबह उठी तब उसका सर दर्द कर रहा था.. सिर्फ दो घंटों की नींद ही नसीब हुई थी.. !! देर तक जागने के कारण नींद पूरी नहीं हुई थी.. अरे देर तक क्या.. लगभग पूरी रात ही जागकर गुजार दी थी..

मौसम फटाफट तैयार हो गई और सगाई के मुहूरत की राह देखते हुए ऊपर बने गेस्टरूम में इंतज़ार करने लगी.. दुल्हन की तरह सजधज कर तैयार हुई थी मौसम.. इतनी सुंदर लग रही थी की देखने वाला बस देखता ही रह जाए.. !!

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हाथ की महंदी का एकदम गाढ़ा रंग आ गया था.. गोरे चिकने हाथ पर कुहनी तक लगी महंदी उसके सौन्दर्य पर चार चाँद लगा रही थी.. ताजे खिले गुलाब जैसा उसका चेहरा.. चमकती आँखें.. अपने भविष्य के रंगीन सपने सँजोये बैठी थी.. तरुण के साथ अब तक कुछ ज्यादा बातचीत का मौका नहीं मिला था उसे.. पर अब तक जितनी भी बातें हुई उससे ये तो साफ हो गया था की वो बड़ा ही शांत और समझदार होनहार लड़का था.. जमाने का रंग उस पर चढ़ा नहीं था..

तभी पीयूष उस कमरे में दाखिल हुआ.. मौसम का ये सुंदर रूप वो बस देखता ही रहा.. मेकअप में और भी खूबसूरत लग रही थी मौसम.. !!

"अरे जीजू आप?? आइए आइए.. कैसी लग रही हूँ मैं?" कोयल जैसी मधुर आवाज में मौसम ने कहा

पीयूष अपनी नज़रों से मौसम की खूबसूरती के जाम पीते हुए उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला "ब्यूटीफुल यार.. बेहद खूबसूरत लग रही है तू.. !!"

"थेंक यू जीजू.. जरा ठीक से बैठिए.. कोई देख लेगा.. दरवाजा खुला है" मौसम ने थोड़ी घबराहट से कहा

पीयूष खड़ा हुआ और वो दरवाजा बंद करने ही वाला था तब उसने फाल्गुनी को ऊपर आते हुए देखा.. पीयूष को दरवाजा बंद करते देख.. फाल्गुनी वहीं से मुड़ गई..

दरवाजा बंद करने के बाद, पीयूष मौसम के लबों को चूमना चाहता था.. पर चूमने से लिपस्टिक खराब हो जाती इसलिए कुछ हो नहीं पाया..

"जीजू, आज मैंने आपकी दी हुई ब्रा पहनी है.. "

"क्या बात है.. !! कंफर्टेबल तो है ना..?? चलो मेरी कोई चीज तो तेरे सुंदर बूब्स के करीब है.. "

"अच्छा.. तो फिर साथ में पेन्टी भी गिफ्ट करनी थी.. !!" मौसम ने कहा

हंसकर पीयूष ने कहा "यार वो मुझे याद नहीं आया.. वरना जरूर ले आता.. पर अगर तेरी चूत के करीब कोई चीज रखने का चांस मिलें तो मैं पेन्टी को हरगिज वो मौका नहीं दूंगा.. !!" पीयूष क्या कहना चाहता था वो मौसम समझ रही थी

"आपको कल मज़ा आया जीजू?"

"हाँ यार.. बहोत मज़ा आया.. थोड़ा सा टाइम कम पड़ गया.. पूरी रात मिली होती तो अब तक तीन चार बार तो कर ही लेता.. !!"

"जो मिलें उसमे ही संतोष करना चाहिए.. वरना ये भी नसीब कहाँ होने वाला था.. !! पिछली बार मैंने आपको फोन करके बुलाया और मैं खुद ही बीमार हो गई.. उस बात का बहोत अफसोस है मुझे"

"वो तो है.. पर कल रात तूने ठीक से इन्जॉय तो किया था ना.. !! तेरी कोई इच्छा अधूरी तो नहीं रह गई?? अगर ऐसा हो तो अभी बता दे.. !"

"मुझे तो बहोत मज़ा आया था.. जिंदगी में पहली बार इतना मज़ा आया.. बार बार करने को मन करने लगा है.. एक बार से जैसे मन ही नहीं भरा.. करने के बाद शरीर इतना हल्का हल्का महसूस हो रहा था.. !!!जीजू, पता नहीं.. तरुण के साथ भी ऐसा ही मज़ा मिलेगा या नहीं"

पीयूष: "अगर तेरा बहोत मन कर रहा हो तो.. चल अभी एक राउंड हो जाए.. मैं तैयार हूँ.. मेहमान भी अभी आए नहीं है.. पापा और मदन भैया लंच ऑर्डर करने गए है.. अभी निपटा लेते है.. और हाँ.. शादी के बाद अगर तरुण के साथ मज़ा न आए तो मुझे बुला लेना.. !!"

मौसम: "जीजू, अभी तो मैं उस बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहती"

पीयूष: "ओह मौसम.. पूरी रात मुझे सपने में तेरे बूब्स ही नजर आ रहे थे.. सच कहूँ तो अभी मैं तेरे दबाने के लिए ही आया हूँ.. मुझे एक बार तसल्ली से देख लेने दे.. दबा लेने दे.. चूस लेने दे.. !!" कहते हुए उसने मौसम के गालों को सहला दिया..

मौसम ने कोई विरोध नहीं किया बल्कि पीयूष का हाथ पकड़कर चूम लिया.. और अपने गोरे गालों पर पीयूष का हाथ रगड़ते हुए बोली

मौसम: "ओह्ह जीजू.. प्लीज.. ऐसा मत कीजिए.. मुझे वापिस कुछ कुछ होने लगा है.. मन तो मेरा भी बहोत है.. पर ये कपड़े और मेकअप खराब हो जाने का डर है"

पीयूष: "कुछ भी खराब नहीं होगा.. क्या यार तू भी नखरे कर रही है.. !! देख.. ये मेरा कैसे तैयार होकर खड़ा है.. अकेले मौका मिला है तो मजे कर लेते है यार..!!"

मौसम: "नहीं जीजू.. मुझे बहोत डर लग रहा है.. कोई आ गया तो हंगामा हो जाएगा" मौसम ने मना किया पर फिर भी पीयूष का हाथ नहीं छोड़ा

पीयूष: "तो फिर मैं जाऊँ नीचे? वक्त बर्बाद करने का क्या मतलब!!" नाराज होकर पीयूष ने कहा

मौसम से पीयूष की नाराजगी देखी नहीं गई..

"जीजू प्लीज.. समझने की कोशिश कीजिए.. मन तो मेरा भी.. !!" मौसम ने वाक्य अधूरा ही छोड़ दिया

पीयूष: "तेरा भी मन क्या करने को कर रहा है??"

मौसम: "कुछ नहीं.. आप जाइए यहाँ से.. !!" मौसम ने परेशान होकर आँखें बंद कर दी और अपने दोनों हाथों से सर पकड़ लिया

पीयूष: "अरे रुक क्यों गई? बोल दे जो भी कहना हो.. गेटआउट कह दे मुझे.. मैं चला जाऊंगा " अब भी नाराज था पीयूष

मौसम: "जीजू प्लीज यार.. ऐसा नहीं है.. !! मुझे भी आपका देखने का बड़ा ही मन है" आखिर उसके मुंह से सच निकल ही गया

कोल्डप्ले की टिकट की वैटिंग लिस्ट में नंबर आ जाने पर जो खुशी होती है वही खुशी पीयूष के चेहरे पर भी छा गई..

पीयूष: "ओह, तो उसमें कौन सी बड़ी बात है.. !! ले देख ले.. पर देख के करेगी क्या? खाने को देखने से पेट थोड़े ही भर जाता है.. !! उसके लिए तो निवाला लेकर मुंह में डालना पड़ता है.. !!"

साढ़े छह इंच का एकदम मस्त कडक लोडा बाहर निकालकर मौसम के सामने पेश कर दिया पीयूष ने..

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मौसम के दिल की धड़कने चार गुना तेज हो गई "ओह माय गॉड जीजू.. कितना मस्त लग रहा है यार.. !!"

पीयूष ने लंड को मुठ्ठी में पकड़कर चमड़ी को पीछे सरकाते ही.. उसका छोटे टमाटर जैसे लाल सुपाड़ा दिखने लगा.. वो चमड़ी को आगे पीछे करते हुए हिलाने लगा.. और सुपाड़े की दिखने-छुपने की कवायत शुरू हो गई.. मौसम अपने जीजू का लंड टकटकी लगाए देख रही थी..

मौसम एकदम से खड़ी हो गई.. यह सुनिश्चित करने के लिए की आसपास कोई था या नहीं.. उसने दरवाजा खोलकर देखा.. सीढ़ियों पर फाल्गुनी खड़ी थी.. मौसम को देखते ही उसने अपना अंगूठा दिखाकर थम्स-अप का इशारा करते हुए ये कह दिया की वो निगरानी रखे हुए है.. किसी को ऊपर नहीं आने देगी.. और अगर कोई आ गया तो उसे अलर्ट कर देगी.. मौसम को अब इत्मीनान हो गया

मौसम ने दरवाजा बंद कर लिया और पीयूष का लंड अपने महंदी लगे हाथों से पकड़ लिया.. आह्ह.. लंड की गर्मी का एहसास अपनी कोमल हथेलियों पर होते ही मौसम की आँखें बंद हो गई.. हीना लगे हाथों में कडक लंड का होना.. ये दुनिया के सबसे हसीन द्रश्य में से एक होता है.. उससे सुंदर और कामुक सीन ढूँढना वाकई में मुश्किल है..

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मौसम के हाथ अपने जीजू के लंड को सहला रहे थे और पीयूष उसके बदन से इस तरह खेल रहा था जिससे की उसका मेकअप और ड्रेसिंग खराब न हो जाएँ..

पीयूष: "किस करने का बड़ा मन कर रहा है मौसम.. आह्ह.. एक बार चुनरी हटाकर अपने बूब्स तो दिखा.. मैंने दी हुई ब्रा कैसे लग रही है.. एक बार मैं भी तो देखूँ.. !!"

मौसम: "आह्ह जीजू.. मैं भी काफी एक्साइट हो गई हो और मेरी भी बड़ी इच्छा हो रही है.. पर क्या करूँ.. !! हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है.. इसलिए ऊपर ऊपर से करके ही संतोष करना पड़ेगा.. आप मुझे ज्यादा छूना मत वरना मेकअप खराब हो जाएगा.. !!"

पीयूष: "ओह मौसम.. तेरे इस रूप को देखने के बाद अपने आप को रोक पाना बड़ा ही मुश्किल है.. मुझे अब रोक मत यार.. मुझसे रहा नहीं जाता" पीयूष मौसम को अपनी बाहों में भरने गया..

मौसम: "जीजू प्लीज.. मत करो.. आपकी दूसरी कोई भी इच्छा मैं पूरी कर दूँगी.. मेरे कपड़े खराब हो जाएंगे"

मौसम पीयूष का लंड बड़ी उत्तेजना से मसल रही थी..

पीयूष: "फिर तो एक ही चीज बचती है.. तू मेरा मुंह में लेकर चूस ले.. इफ यू डॉन्ट माइंड.. कुछ नहीं होगा.. बड़ा मज़ा आएगा.. अगर ना पसंद आए तो निकाल देना.. कल रात को ही मेरा बड़ा मन था तेरे मुंह में देने का.. पर तुझे अच्छा नहीं लगेगा सोचकर मैंने कहा नहीं.. !!"

मौसम: "पर जीजू.. मेरी लिपस्टिक खराब हो जाएगी उसका क्या?? और मुझे आता भी नहीं है चूसना.. " परोक्ष रूप से मौसम ने जता दिया की उसे चूसने में कोई हर्ज नहीं है.. सिर्फ लिपस्टिक खराब हो जाने का डर है

पीयूष: "यार, लिपस्टिक तुम फिर से लगा लेना.. कौन सी बड़ी बात है.. मैं लगा दूंगा तुझे.. और तुझे कहाँ अपने होंठ रगड़ने है.. !! सिर्फ मुंह के अंदर ही तो लेना है.. ले जल्दी.. और चूसना शुरू कर"

पिछली रात से मौसम खुद जीजू का लंड मुंह में लेना चाहती थी.. वो इच्छा अभी पूरी होने वाली थी.. कपड़ों के कारण घुटनों के बल बैठना मुमकिन नहीं था.. और बेड पर बैठे बैठे कैसे चूसती?? आखिर पीयूष कोने में पड़ी कुर्सी ले आया.. और उस पर खड़ा हो गया.. अपना लंड सीधा मौसम के मुंह के सामने धर दिया.. मौसम की हालत देखने जैसी हो गई.. एक तरफ उसकी चूत बगावत पर उतर आई थी.. दूसरी तरफ इतना मस्त लोडा सामने होने के बावजूद वो अंदर ले नहीं पा रही थी उस बात का मलाल था..

नीचे के कमरों से हल्के हल्के शोर-शराबे की आवाज़ें आने लगी थी

"लगता है की मेहमान आ गए है जीजू.. !!"

पीयूष: "कोई बात नहीं.. वो सीधा ऊपर थोड़ी चले आएंगे.. !! तू जल्दी कर यार.. !!" मौका हाथ से जाते हुए देख पीयूष भी बेचैन हो गया और मौसम को ललचाने के लिए उसके गालों पर अपना लंड रगड़ने लगा.. जब तक मौसम अपना मुंह नहीं खोलती.. तब तक अंदर डालना संभव नहीं था.. उसकी लिपस्टिक के कारण.. वरना पीयूष इतना उत्तेजित था की मौसम के होंठों पर जबरदस्ती दबाकर अपना लंड घुसेड़ देता..

आखिर मौसम ने पीयूष का लंड मुठ्ठी में पकड़कर उसकी नोक पर अपनी जीभ का स्पर्श किया..

"ओह्ह मेरी जान.. !!" पीयूष कराह उठा..

मौसम का मुंह खुलते ही उसने हल्का सा धकेल दिया अपना लंड.. और मौसम का सुंदर मुखड़ा अपने मजबूत लोड़े से भर दिया.. मौसम को तो पता ही नहीं था की मुंह में डालने के बाद आगे क्या करना था.. मुंह के अंदर विचित्र स्वाद की अनुभूति हो रही थी.. कुछ मज़ा नहीं आ रहा था लेकिन अरुचि भी नहीं हो रही थी..

"अब गुड़िया की तरह बैठी क्या है?? अंदर बाहर करना शुरू कर.. !! मुंह में भरकर नहीं रखना है इसे.. चूसना है" पीयूष इस नासमझी से परेशान होकर बोला..

पीयूष की निर्देशानुसार मौसम ने लंड को मुंह के अंदर आगे पीछे करना शुरू किया.. और चूसने लगी.. अब उसे धीरे धीरे अंदाजा लगने लगा था की चूसते कैसे है.. चूसने में आसानी हो इसलिए मौसम ने लंड को जड़ से मजबूती से दबाकर पकड़ रखा था.. दबाने के कारण पीयूष का सुपाड़ा मौसम के मुंह के अंदर एकदम फुल गया.. मस्त टाइट लोड़े को चूसने में अब मौसम को भी मज़ा आ रहा था..

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दोनों इस आनंददायक प्रक्रिया में लीन थे तभी मौसम के मोबाइल पर एक मिस-कॉल आकर चला गया.. लंड चूसते चूसते ही मौसम ने नोटीफिकेशन खोलकर देखा तो फाल्गुनी का मिस-कॉल था.. मतलब खतरे की घंटी.. !!

मौसम ने तुरंत लंड को मुंह से बाहर निकालते हुए कहा.. "जीजू, फाल्गुनी का कॉल था.. आप नीचे जाइए.. !! थोड़ी देर में सगाई की रसम शुरू हो जाएगी"

पीयूष बेचैन होकर बोला "यार, अब इस खड़े लंड का क्या करूँ?? ये तो अब ढीला होने से रहा.. एक काम कर.. तू उल्टा लेट जा.. मैं पीछे से डाल देता हूँ.. तेरा ड्रेस खराब नहीं होगा"

मौसम: "नहीं जीजू.. अब कुछ नहीं हो सकता.. आप जाइए प्लीज.. कोई आ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे"

तभी तरुण का कॉल आया और मिस-कॉल हो गया.. अपनी होने वाली मंगेतर को वो याद कर रहा था.. पर उसे कहाँ पता था की मौसम तो अपने जीजू के संग जीवन के सर्वोच्च आनंद को प्राप्त करने में मशरूफ़ थी..

"जीजू, तरुण का भी मिस-कॉल आ गया.. प्लीज अब आप जाइए और इसे कैसे भी करके अंदर पेंट में डाल दीजिए.. " बेहद उत्तेजित मौसम ने एक बार और लंड को चूस लिया..

तरुण का नाम सुनते ही पीयूष का दिमाग खराब हो गया.. साला तरुण भेनचोद.. !! इसी तरुण ने उस दिन फोन पर मुझे अपमानित किया था.. उससे तो बराबर बदला लूँगा मैं.. करते रहने दो उसे इंतज़ार.. मौसम जब अस्पताल में थी और पीयूष ने फोन किया था तब तरुण ने फोन उठाया था और ये कहकर मौसम को फोन नहीं दिया था की उसकी चिंता करने के लिए वो बैठा था.. इस बात का बहोत बुरा लगा था पीयूष को.. साला कल का लौंडा मुझे सीखा रहा था.. आज उसे हिसाब बराबर करने का मौका मिल गया था

पीयूष ने आखिरी दांव आजमाते हुए कहा "मौसम, हो सकता है की इस तरह हम आखिरी बार मिल रहे हो.. ऐसा मौका दोबारा कभी नसीब नहीं होगा.. तू जल्दी जल्दी उल्टा होकर लेट जा.. मैं पीछे से डालकर फटाफट चोद दूंगा.. मज़ा आ जाएगा.. ये देख यार.. कितना मस्त टाइट हो गया है.. बातों में टाइम वेस्ट मत कर मेरी जान.. तेरे कपड़े खराब नहीं होंगे और तेरे नीचे की आग भी बुझ जाएगी.. " कहते हुए पीयूष ने उसकी चुनरी हटाकर टाइट चोली के ऊपर से ही उसके दोनों स्तन दबा दीये..

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मौसम: "जिद मत कीजिए जीजू.. प्लीज.. !! आप जाइए.. मुझे नहीं करवाना"

पीयूष: "चल छोड़.. अंदर ना लेना हो तो कोई बात नहीं.. मुझे एक बार तेरी चाट लेने दे.. तेरी चूत की मस्त गंध मैं अपने दिल में हमेशा के लिए बसाकर रखना चाहता हूँ.. मौसम, आई लव यू यार.. मेरा दिल मत तोड़ प्लीज.. एक आखिरी बार तेरी चूत चाटने दे"

चूत चटाई का नाम सुनकर, मौसम के दिल की अरमान उछलने लगे.. उसका विरोध लगभग गायब सा हो गया.. बस अब थोड़ी बहोत शर्म बची थी.. परिस्थिति भयानक थी.. फाल्गुनी ने इशारा कर दिया था.. मेहमान आ चुके थे.. तरुण नीचे से कॉल पर कॉल किए जा रहा था.. कोई भी कभी भी ऊपर आ सकता था.. पर चूत चटवाने की लालच ने मौसम के दिल-ओ-दिमाग पर कब्जा कर लिया था..!!!

मौसम: "जीजू आपने तो मुझे भी गरम कर दिया.. यार आप समझते क्यों नहीं? फाल्गुनी ने पहले ही कॉल करके बता दिया है.. तरुण के फोन पर फोन आ रहा है.. इस स्थति में अगर कोई ऊपर आ गया तो क्या होगा?? आप तो मर्द हो.. निकल जाओगे.. फंसना तो मुझे ही है ना.. !!"

अवैद्य संबंधों की सब से बड़ी तकलीफ और हकीकत.. पकड़े जाने पर ज्यादातर बदनामी लड़की/स्त्री की ही होती है.. !!

पीयूष: "अब चुप भी कर.. ये सब उपदेश बाद में देना.. अभी उसके लिए टाइम नहीं है.. "

पीयूष ने मौसम को बेड के ऊपर खड़ा कर दिया.. वो जानता था की मौसम सिर्फ दिखाने के लिए विरोध कर रही थी.. मन तो उसका भी बड़ा हो रहा था.. पर अब वो मना नहीं कर पाएगी.. लोहा गरम हो चुका था.. !!

पीछे से मौसम का घाघरा उठा दिया पीयूष ने .. गुलाबी रंग की पेन्टी में गोरे जवान कूल्हों को देखकर पीयूष मदहोश हो गया.. उसका लंड उत्तेजना से इतना फुल चुका था की उसे डर लग रहा था की कहीं लंड की नसें फट न जाएँ.. उसने चूत चाटने के लिए मौसम की पेन्टी को एक साइड पर किया और खड़े होकर वो मौसम को पीछे खड़ा हो गया.. पेन्टी को सरकाकर अपने टाइट लंड को कूल्हों से रगड़ने के बाद.. टोपे को मौसम के गरम सुराख पर घिस दिया..

"ऊई माँ.. मर गई.. क्या कर रहे हो जीजू??" मौसम अपनी गांड को लंड के ऊपर गोल गोल घुमाने लगी

पीयूष ने मौसम की कमसिन बुर की फाँकों के बीच अपना सुपाड़ा फँसाकर लंड को थोड़ा सा अंदर डाल ही दिया..

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मौसम: "नहीं जीजू.. मत करो ऐसा.. ऊईईई माँ.. !!" आनंद भरी कराहों से सिसकने लगी मौसम.. उसके विरोध में भी अब कुछ दम नहीं था.. बस थोड़ी सी स्त्री-सहज आनाकानी थी.. पर आज तो पीयूष इतना उत्तेजित था की मौसम सच में विरोध करती तो भी वो सुनने वाला नहीं था.. तरुण के अपमान का बदला लेने का इससे बेहतर मौका कहाँ मिलता.. !! सूत समेत हिसाब बराबर करने का अवसर था.. मौसम के भव्य कूल्हों को दोनों हथेलियों से सपोर्ट देते हुए उसका डेढ़ इंच जितना लंड चूत के अंदर घुस चुका था..

"नहीं जीजू प्लीज.. अब बर्दाश्त नहीं होगा मुझसे.. फिर कभी करेंगे.. आज नहीं.. ओह्ह ओह्ह.. !!" इतनी उत्तेजित हो गई की अपने कपड़ों की परवाह किए बगैर ही चोली के ऊपर से अपने स्तनों को मसलने लगी वो.. और बोली "आप ने तो चाटने की बात की थी.. और डालने लगे.. प्लीज यार.. थोड़ी सी जीभ तो फेर दो एक बार.. !!"

पीयूष भी शातिर खिलाड़ी था.. मौसम की बात को इग्नोर करते हुए उसने एक जोर का धक्का लगाया और अपना पूरा लंड उसकी चूत में बच्चेदानी तक घुसेड़ दिया..


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और कुछ पल तक ऐसे ही खड़ा रहा.. उसके लंड ने मौसम की चूत की दीवारों को चीरते हुए अपना स्थान अंदर बना लिया था.. मौसम की चूत से अब रस टपक रहा था.. और उसके छींटें नीचे बिस्तर पर पड़ रहे थे.. इतना मज़ा आ रहा था मौसम को की उसने अब किसी भी प्रकार का विरोध करना बंद कर दिया.. पर उसी वक्त पीयूष ने झटके से लंड को बाहर निकाल दिया.. और मौसम की चुनरी से अपना लंड पोंछ लिया..

"ओह्ह जीजू.. अब ये क्या?? आपने बाहर क्यों निकाल दिया?? प्लीज अंदर डाल दीजिए वापिस.."

मौसम की बात को अनसुनी कर पीयूष नीचे झुककर मौसम की चूत चाटने लगा.. जैसे ही फाँकों पर जीभ का स्पर्श हुआ, मौसम सिहरने लगी.. लंड के अभाव से छटपटती रही उसकी मुनिया जीभ छूते ही एकदम मदहोश हो गई..

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पर मोटा लंड जब चूत की दीवारों को खिसकाकर अंदर घुसकर जो मजे देता है.. वो मज़ा अब मौसम को चाहिए था.. शेर ने अब खून चख लिया था..

"नहीं जीजू प्लीज.. अब अंदर ही डाल दो.. मुझे नहीं चटवानी.. अंदर डालने से ही मज़ा आएगा"

पीयूष ने उसकी एक न सुनी.. और चूत चाटता ही रहा.. एक पल पहले ही लंड के घर्षण का मज़ा ले चुकी मौसम अब बेचैनी से तरस रही थी.. मौसम लंड अंदर लेना चाहती थी और पीयूष चूत चाट रहा था.. तभी मौसम के मोबाइल की रिंग बजी.. फोन उठाना जरूरी था.. नहीं उठाती तो देखने के लिए कोई न कोई ऊपर चला आता..

सुबोधकांत का फोन था.. मौसम ने उठाया और कहा "हाँ पापा.. !!" जीजा चूत चाट रहा था और साली अपने बाप से बात कर रही थी.. बड़ा ही एरोटिक सीन था.. !!

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"तैयार हो गई बेटा?? और कितनी देर?? मेहमान इंतज़ार कर रहें है.. थोड़ी देर में पंडित आ जाएगा और विधि शुरू कर देगा.. जल्दी कर बेटा"

पीयूष के मुंह पर अपनी चूत दबाते हुए.. और अपने कूल्हें रगड़ते हुए मौसम ने कहा "जी पापा.. मैं तैयार ही हूँ.. बस मेकअप का टचिंग कर रही हूँ.. "

"जो भी कर रही हो, जरा जल्दी करना बेटा.. !! कहीं मुहूरत का समय न निकल जाए" सुबोधकांत ने फोन रख दिया

बगल में खड़ी शीला ने हसंकर कहा "मैंने कहा था ना आप से.. लड़कियों को कितना भी वक्त दो.. उनकी तैयारी कभी खत्म ही नहीं होगी.. " बड़े ही नशीले अंदाज मे आँख मटकाते हुए उसने कहा

सुबोधकांत: "सारी लड़कियां ऐसी नहीं होती.. कुछ तो बहोत जल्दी तैयार हो जाती है" आँख मारकर सुबोधकांत ने भी सिक्सर लगा दिया..

ऊपर के कमरे में पीयूष.. मौसम की चूत की गुलाबी फाँकों को उंगलियों से अलग करते हुए अंदर के लाल हिस्से को जीभ डालकर चाटे जा रहा था.. पीयूष की इस अदा पर मौसम फ़ीदा हो गई.. चूत से रस ऐसे टपक रहा था जैसे बिन बादल बरसात की बूंदें गिर रही हो.. और अब उसकी चूत, चुदाई मांग रही थी.. अब लंड बिना उसका उद्धार नहीं था.. पीयूष अपने खड़े लंड को मुठ्ठी में पकड़कर खुद ही हिलाते सहलाते.. जैसे लोरी सुनाकर मना रहा था..

दोनों तब चोंक उठे जब नीचे से रमिलाबहन की आवाज सुनी "अरे फाल्गुनी.. बेटा मौसम को बोल, की जल्दी से नीचे आ जाएँ.. पण्डितजी भी आ चुके है.. मुहूरत का समय निकला जा रहा है"

मौसम जबरदस्त उत्तेजित थी और लंड लेने के लिए बेबस थी.. उसकी चूत अपना रस उँड़ेलने के लिए मचल रही थी.. पर अपनी माँ की आवाज सुनते ही उसके सारे मूड पर पानी फिर गया.. लेकिन पीयूष खुद को और मौसम को मझधार में छोड़ना नहीं चाहता था.. उसका दृढ़ता से मानना था की जो पुरुष अपनी हमबिस्तर स्त्री को बीच रास्ते, बिना संतुष्ट किए छोड़ देता है.. वह स्त्री भी उसे, जीवन की मझधार में छोड़कर चली जाएगी.. और जल्द ही खुद के लिए नया रास्ता ढूंढ लेगी..

मौसम ने अपनी चूत चाट रहे पीयूष से कहा "बस जीजू.. टाइम खत्म.. छोड़ो मुझे.. अब तो हमें नीचे जाना ही होगा.. पहले मैं नीचे जाती हूँ.. और आप थोड़ी देर बाद आना.. ताकि किसीको शक न हो.. !!"

लेकिन पीयूष इन आखिरी क्षणों का पूर्ण इस्तेमाल कर लेना चाहता था.. अपनी चूत चटाई की तमाम कला को एक साथ काम पर लगाकर उसने मौसम को लाल-गरम कर दिया..


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"ओह्ह जीजू.. ये क्या किया आपने.. !! उफ्फ़.. अब तो मुझसे भी रहा नहीं जाता.. जरा और दबाकर चाटों.. हाय.. ऊई माँ.. !!" मौसम भी चटाई के आखिरी पड़ाव पर थी.. और जाने से पहले झड़ जाना चाहती थी.. तभी.. !!

अचानक फाल्गुनी दरवाजा खोलकर अंदर आ गई.. और खड़ी हुई मौसम के घाघरे में घुसकर चूत चाट रहे पीयूष को देखकर वो जोर जोर से हंसने लगी.. उसे कोई ताज्जुब तो नहीं हुआ था क्यों की अंदर क्या चल रहा होगा, उसका उसे पहले से ही अंदाजा था..

मौसम को भी कोई खास झिझक नहीं हुई.. पर पीयूष बेचारा सकपका गया.. लेकिन मौसम के एक ही वाक्य ने पीयूष के संकोच और शर्म को आश्चर्य में तब्दील कर दिया

"देख लो मम्मी.. एक बार मैंने तुम्हें करते हुए देख लिया था.. आज तुमने मुझे देख लिया.. हिसाब बराबर" हँसते हुए मौसम ने कहा.. फाल्गुनी और मौसम के आपस में सारे पत्ते खुल चुके थे इसलिए दोनों में से किसी को भी एक दूसरे का कोई डर नहीं तहा..

"अरे बाप रे.. जीजू.. आप मेरी बेटी के साथ, ये क्या कर रहे है??" फाल्गुनी ने शरारत करते हुए कहा

पीयूष बेचारे को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.. की ये मौसम और फाल्गुनी एक दूसरे को आपस में मम्मी-बेटी कहकर क्यों बुला रहे थे.. !! वो कुछ पूछता उससे पहले मौसम ने झुककर पीयूष के लंड को अपने मुख तक ला दिया और बोली "फाल्गुनी, तू हम दोनों का विडिओ बना.. इस यादगार पल को रिकॉर्ड कर हम इसे और भी रोमांचक बना देते है.. और जल्दी कर.. नीचे जाना पड़ेगा" मौसम के इस रूप को देखकर पीयूष के तो होश ही उड़ गए.. मौसम ने पीयूष का लंड चूसना शुरू कर दिया और फाल्गुनी अपने मोबाइल से विडिओ बनाने लगी..

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अब मौसम को लिपस्टिक बिगड़ जाने का डर नहीं था.. फाल्गुनी जो आ चुकी थी.. वो उसका मेकअप ठीक करने में मदद करेगी

थोड़ी देर तक लंड चूसकर मौसम खड़ी हो गई और फाल्गुनी से कहा.. "मम्मी, जीजू को अंदर डालकर चोदने की बड़ी ही तीव्र इच्छा है.. मन तो मेरा भी है.. पर ये कपड़े खराब हो जाने का डर है.. अगर हम चोद ले तो क्या तू मेरा ड्रेस ठीक कर पाएगी? नहीं तो फिर तू ही घोड़ी बन जा, जीजू के लिए"

फाल्गुनी ये सुनकर शर्मा गई "क्या यार मौसम.. कुछ भी बोलती है.. चिंता मत कर.. करवा ले जो मन करें.. पर दो मिनट के अंदर.. नहीं तो नीचे से सब लोग ऊपर आ जाएंगे.. !!!"

मौसम ने पेन्टी घुटनों तक उतार दी.. अपना घाघरा ऊपर कर घोड़ी बनकर.. बेशर्मी से अपनी खुली गांड पीयूष को दिखाते हुए बोली "फाल्गुनी से डरने की कोई जरूरत नहीं है जीजू.. आप डाल दो अंदर.. इतनी देर हो ही गई है तो थोड़ी ओर सही.. मैं तो पहले से ही मना कर रही थी.. पर आपने एक न सुनी.. और मुझे गरम करते ही गए.. मन में इच्छा जागृत करवाते हो और आखिर मेरे ही मुंह से सब बुलवाते हो.. !!"

एक तरफ जीजू की जिद, एक तरफ चूत की खुजली और एक तरफ सगाई का मुहूरत.. दुविधाओं के त्रिवेणी संगम के बीच फंस चुकी थी मौसम

"देख क्या रहे हो जीजू.. डाल दो अंदर.. हो जाने दो थोड़ी देर.. निकल जाने दो मुहूरत का समय.. पर हाँ.. जरा कस के धक्के लगाना.. ऐसा ना हो की मुर्गे की जान भी जाए और खाने वाले को मज़ा भी न आए.."

फाल्गुनी की उपस्थिति की परवाह कीये बगैर पीयूष ने मौसम की दोनों जांघों के संगम पर अपने लोडे को टीका दिया और धक्के पर धक्के लगाने लगा.. उसके प्रत्येक धक्के से मौसम की चूत के साथ.. फाल्गुनी की चूत में भी सुरसुरी हो रही थी.. पीयूष के जोरदार लंड को अंदर बाहर होता देख फाल्गुनी का गला सूख रहा था..

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मदहोश होकर फाल्गुनी भी सुबोधकांत की घनघोर चुदाई को याद करते हुए विडिओ बना रही थी.. उसका ऐसा मन कर रहा था की मौसम को धक्का देकर वो खुद घोड़ी बन जाए और जीजू का लंड अंदर ले ले.. डॉगी स्टाइल सुबोधकांत और फाल्गुनी की सबसे पसंदीदा पोजीशन थी.. अलग अलग आसनों में चुदाई के बाद.. फाल्गुनी और सुबोधकांत का मन तब ही भरता था जब वो लोग डॉगी स्टाइल में चुदाई करते थे.. शुरू शुरू में फाल्गुनी इन सारी बातों में अनाड़ी थी.. उसे बड़ा ही विचित्र लगा था पहली बार इस तरह चुदवाने में.. फिर धीरे धीरे मौसम के पापा ने चुदाई के सारे पाठ सीखा दीये.. और वो सिख गई की हर आसान में कैसे लुत्फ उठाया जा सकता है.. अब वो चुदाई की ऐसी आदि हो चुकी थी की सुबोधकांत को किसी भी चीज के लिए मना न करती..

मौसम के दोनों गोरे चूतड़ों को पकड़कर, बीच की दरार में धनाधन लंड डालकर चोदते पीयूष को देखकर, फाल्गुनी का अनायास ही अपनी चूत पर चला गया.. मोबाइल पर जीजू-साली की मस्त चुदाई को शूट करते करते फाल्गुनी खुद अपनी चूत को खुजाने लगी..

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मौसम इतनी उत्तेजित हो गई थी की अपनी गांड को गोल गोल घुमाते हुए पीयूष के लंड का घर्षण अपनी चूत के सभी हिस्सों पर, अधिक से अधिक महसूस कर रही थी.. कामुक घोड़ी की तरह चुदवा रही मौसम को देखकर भला कौन कह सकता था की नीचे उस लड़की की सगाई की तैयारियां चल रही थी.. !!

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"आह्ह जीजू.. फक मी हार्ड.. ओहह गॉड.. बहोत मज़ा आ रहा है.. यस.. उफ्फ़.. हाँ वही स्पॉट है.. उसी जगह धक्के मारो.. उफ्फ़ उफ्फ़ उफ्फ़.. !!" मौसम सातवे आसमान में उड़ रही थी.. बढ़िया सी रिधम में जीजू के बेरहम धक्कों से हिल रहे उसके गोरे कूल्हें.. फाल्गुनी ज़ूम इन ज़ूम आउट करके शूट कर रही थी..

लगातार तीस-पैंतीस धक्के लगाने के बाद पीयूष ने अपना लंड मौसम की पुच्ची से बाहर खींच निकाला और फर्श पर अपने लंड के गाढ़े सफेद वीर्य से रंगोली बना दी..

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पिछली रात के संभोग के दौरान.. अपने जीजू के लंड से छूटे फव्वारे को देखकर मौसम पागल हो गई थी.. पर आज वो यह नजारा देख नहीं पाई थी.. क्योंकि पीयूष उसके पीछे था.. आँख बंद कर.. बड़ी मुसीबत से प्राप्त हुए.. अनमोल ऑर्गजम के मजे ले रही थी..

मौसम तो नहीं देख पाई.. पर फाल्गुनी ने मौसम की चूत रस से सराबोर, पीयूष के वीर्य टपकाते लंड को रूबरू देखा.. उतना ही नहीं.. उसने ज़ूम करके लंड के क्लोजअप शॉट्स भी लिए.. शूटिंग में मशरूफ़ फाल्गुनी का दुपट्टा सरक जाने के कारण उसका एक उरोज गाड़ी की हेडलाइट की तरह चमक रहा था.. जीजू के विकराल लंड को आखिरी क्षणों में ठुमकते देखकर फाल्गुनी की जवानी, लंड का स्वाद चखने को बेताब हो गई थी.. फटी आँखों से लंड और चूत के भीषण युद्ध के बाद हांफ रहे सैनिक जैसे पीयूष के लंड को वो देखती ही रही.. पीयूष आँखें बंद कर उस दिव्य स्खलन के आनंद को महसूस कर रहा था..

आधी मिनट के अंतराल के बाद, मौसम को वास्तविकता का ज्ञान हुआ.. वो खड़ी हुई.. अपनी पेन्टी पहनी.. और घाघरा नीचे कर दिया.. उसने खुद ही अपना मेकअप ठीक किया और लिपस्टिक का टच-अप कर लिया.. पीयूष ने मौसम के साइलन्ट पर रखे मोबाइल के स्क्रीन को देखा.. तरुण की उन्नीस मिस-कॉल आ चुके थे.. मन ही मन वो बहोत खुश हुआ..

फाल्गुनी: "बस यार, अब तो हद ही हो गई है.. नीचे चलें?? आप लोगों ने तो मुझे भी गरम कर दिया यार" पीयूष की नज़रों के सामने ही फाल्गुनी अपनी चूत खुजाते हुए बोली "अब मुझे भी किसी को ऊपर लेकर आना पड़ेगा" और फिर पीयूष के सामने देखकर आँख मारी

पीयूष: "अगर ऐसा है, तो फिर मैं ऊपर ही रहता हूँ.. अभी और एकाध चूत को तो ये शांत कर ही देगा.. !!" मौसम की मस्त चूत को चोदकर.. चुदाई के नशे में झूल रहे लंड को दिखाते हुए पीयूष ने कहा

"एक नंबर के बेशर्म है आप जीजू.. अब हटिए.. मुझे मौसम को लेकर नीचे जाना होगा" कृत्रिम क्रोध के साथ फाल्गुनी ने कहा "और हाँ.. आप यहीं रहिए.. मैं मौसम को लेकर नीचे पहुँच जाऊँ उसके पाँच मिनट बाद आप नीचे आना" फिर मौसम की ओर देखकर बोली "चलो बेटा.. अब नीचे चलें?"


पीयूष पूछना चाहता था की वो दोनों आपस में माँ-बेटी का सम्बोधन क्यों कर रही थी.. !! पर अभी कसी भी बात करने का वक्त नहीं था.. वो जा रही मौसम की पीठ को देख रहा था.. मौसम हमेशा के लिए उससे दूर जा रही थी.. वो उसकी छोटी हो रही परछाई से साफ प्रतीत हो रहा था..
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मौसम दरवाजे से बाहर गई तब तक पीयूष उसे पीछे से देखता रहा.. आँखें नम हो गई.. और सब धुंधला दिखाई देने लगा.. थोड़ी देर पहले का कामुक वातावरण अब विषादपूर्ण हो चुका था.. जुदाई हमेशा गम साथ लेकर आती है.. चुपचाप धीरे धीरे जा रही मौसम को वो ऐसे देख रहा तहा जैसे वो वर्तमान को त्यागकर भविष्य की ओर चल पड़ी हो.. !! उसके हर कदम पर पीयूष का दिल बैठा जा रहा था..

जाने से पहले वो पलट कर एक बार मेरी तरफ देखेगी?? एक आखिरी बार उसके हसीन चेहरे को दिल भरकर देखना चाहता हूँ.. पर शायद नहीं पलटेगी..

या पलटेगी.. !!

नहीं पलटेगी शायद.. !!

क्यों पलटेगी भला.. पलटना भी नहीं चाहिए.. !! मैं तो अब उसके लिए गुजरा हुआ वक्त हूँ.. !! असह्य कश्मकश से गुज़रता हुआ पीयूष सांस रोके खड़ा था.. आँखों के रास्ते रूह निकल जाए उतनी आतुरता से वो मौसम के पलटने का.. बिना पलक झपकाए इंतज़ार कर रहा था..

ब्याह कर ससुराल जाती लड़कियां.. अपने मायके की कितनी हसीन यादें अपने दिल में दफन कर जाती है.. औरतों को ये कला कुदरत ने बक्शी होगी?? दरवाजे तक पहुँच चुकी मौसम के अंदर.. अभी भी अपनी प्रेमिका को तलाश रहा था पीयूष.. दो कदम और आगे जाते ही वो लक्ष्मण-रेखा के उस पार पहुँच जाएगी.. जहां पहुँचकर वो उसे भी भूल जाएगी.. धड़कते दिल के साथ पीयूष उसे देखता ही रहा..

दरवाजे से बाहर निकलकर मुड़ने से पहले.. मौसम ने आखिर पलटकर देखा.. दोनों की उदास नजरें एक हुई.. एक फीकी सी मुस्कान के साथ मौसम की और देख रहे पीयूष की आँखों से एक आँसू टपक पड़ा..

कुछ दिन पहले पीयूष को पिंटू ने एक शेर सुनाया था, वो याद आ गया उसे..

.. वो पलट कर जो देखेगी, तो ज़माना थम जाएगा,
मिलेंगे फिर कभी, पर वो पहली मोहब्बत सा ना हो पाएगा।।

मौसम की आँखों मे एक अजीब सा सुकून ढूँढने लगा पीयूष.. उसकी सांसें अब धीमी पड़ रही थी.. पर उस आखिरी बार पलट कर देखने से पीयूष इतना खुश हुआ की इतना खुश तो वो मौसम को पाकर भी नहीं हुआ था.. मौसम के कांपते गोरे होंठ.. गोरे गुलाबी गाल... लाल अधर.. हिरनी जैसी गर्दन.. पीयूष बिना पलक झपकाए उसे देखता ही रहा

जीजू को एक आखिरी बार देखते हुए मौसम को याद आया.. जीजू उसे कितनी बेकरारी से किस करना चाहते थे.. !! पर लिपस्टिक खराब हो जाने के डर से उसने किस नहीं कर दिया.. फाल्गुनी का हाथ छुड़ाकर वो भागकर पीयूष की तरफ आई और उसे गले लगाकर.. बिना लिपस्टिक की परवाह किए.. उसे चूमने लगी.. चूमते चूमते रो पड़ी..

"आई लव यू जीजू.. "

"मौसम, चाहें थोड़ा सा ही करना.. पर याद जरूर करना मुझे" पीयूष भी बस इतना ही बोल पाया

"अलविदा जीजू... आप के साथ बिताया एक एक पल, मैं ज़िंदगी भर नहीं भूल पाऊँगी.. आई विल लव यू फोरेवर.. गुड बाय जीजू" मौसम ने कहा

फाल्गुनी ने तुरंत मौसम के कपड़े और लिपस्टिक ठीक कर दीये और दोनों नीचे चले गए

फाल्गुनी और मौसम सीढ़ियाँ उतरकर नीचे आ रही थी.. बिल्कुल उसी वक्त... पिंटू के साथ काफी देर से बात कर रही वैशाली ने कहा "मुझे अपने जीवन में तुम्हारे जैसे ही फ्रेंड और फिलोसॉफर की तलाश थी.. क्या तुम मेरे हमसफ़र बनोगे??"

कविता मौसम के करीब जाकर खड़ी हो गई.. एकदम खुश लग रही कविता के सामने देखकर पिंटू सोच रहा था की वैशाली की बात का क्या जवाब दिया जाए..

काफी सोचने के बाद पिंटू ने कहा "वैशाली, आप के साथ जो कुछ भी घटा है.. इसके लिए मेरे दिल में बहोत हमदर्दी है.. आप जब चाहे मुझे किसी भी काम के लिए.. किसी भी वक्त.. दोस्त समझकर कॉल कर सकती है.. !!" इतना कहकर पिंटू ने वैशाली से हाथ मिलाया.. और पानी पीने जाने के बहाने उठकर खड़ा हो गया.. वैशाली ने इतने खुलकर ऑफर करने के बाद भी.. पिंटू एकदम जेन्टलमेन की तरह पेश आया.. यह देखकर.. वैशाली की आँखों में पिंटू की इज्जत ओर बढ़ गई.. !!

मौसम के जाने के बाद.. पीयूष सोफ़े पर बैठे बैठे बहोत रोया.. !! प्यार या प्रेम, सुख देता है.. ये मानने वाले महा-मूर्ख होते है.. हकीकत में, प्रेम की झोली में सुख की भिक्षा मिलती ही नहीं है.. जिसके पास जो चीज होती है.. वही दे पाता है.. इतनी सामान्य सी बात न समझने वाले, ऐसे लोगों के सामने प्रेम की अपेक्षा से झोली फैलाए बैठे रहते है.. जिनके पास देने के लिए गम, धोखा, दर्द और निराशा के अलावा ओर कुछ नहीं होता..

सृष्टि के सर्जन से लेकर आज तक.. ऐसे कौनसे इंसान को आपने देखा जो प्यार में पड़ने के बावजूद हमेशा खुश हो.. !! यही तो इस बात का सब से बड़ा प्रमाण है.. यह सब कुछ जानने के बावजूद लोग प्यार में पड़ते है.. और हँसते हँसते सारे गम, पीड़ा और निराशा को गले लगा लेते है.. क्योंकी शुरुआत में प्रेम आपको सुख का भ्रम दिखाकर इतनी जबरदस्त रोमांचक पलों की भेंट देता है की प्यार करने वाला, अपनी बाकी की ज़िंदगी, उन्हीं पलों को फिर से पाने की उम्मीद लगाए, अपनी बाकी ज़िंदगी हँसते हँसते दर्द में काट लेता है.. और वो हसीन पल, फिर कभी लौटकर नहीं आते.. !!

पीयूष के लिए.. मौसम की जुदाई बर्दाश्त करना बहोत मुश्किल था.. काफी प्रयत्नों के बाद वो खड़ा हुआ और वॉश-बेज़ीन के पास जाकर आईने में अपने चेहरे को देखने लगा.. और खुद से बातें करने लगा.. ये क्या हाल बना रखा है? तू मौसम की मंगनी में आया है या मैयत में?

रो रो कर उसकी आँखें सूजी हुई और लाल हो गई थी... चेहरे पर उदासी के बादल छाए हुए थे.. हथेली में ठंडा पानी लेकर चेहरे को धोने के बाद.. उसे थोड़ी ताजगी का एहसास हुआ.. ठंडे पानी ने चमत्कारिक औषधि जैसा काम किया..

कितनी ताकत होती है पानी में.. !! कैसी भी उदासी हो, एक पल के अंदर ताजगी में परिवर्तित करने का गुण होता है पानी में.. नींद से उठे हुए आदमी को, हकीकत में जगाने का काम पानी ही तो करता है.. दुख और उदासी जब अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच जाएँ.. तब उन्हें हल्का करने का काम भी पानी ही करता है.. आँखों से बहकर.. दिल का बोझ हल्का करने का अमोघ शस्त्र.. रुदन.. ये भी तो पानी बहाकर ही होता है.. !!

कमरे से बाहर आकर.. पीयूष ने नीचे का नजारा देखा.. सारे मेहमान गोल बनाकर बैठे थे.. बीच में तरुण और मौसम एक एक आसन पर बैठे हुए थे.. पण्डितजी बैठकर कुछ विधि कर रहे थे.. तरुण ने सुंदर से रिमलेस चश्मे पहन रखे थे.. और उसके कारण उसका चेहरा थोड़ा सा गंभीर और मेच्योर लग रहा था.. कोई भी पहली नजर में देखकर कह सकता था की यह लड़का पढ़ाई में अव्वल होगा.. तरुण और मौसम की जोड़ी.. "मेईड फॉर इच अधर" जैसी दिख रही थी.. तरुण को मौसम के करीब बैठे देखकर.. पीयूष ईर्ष्या की आग में जलने लगा.. तरुण की बगल में बैठी सहमी सी मौसम को वो काफी देर तक देखता रहा.. देखकर कौन अंदाजा लगा पाता.. की शालीन और संस्कारी होकर बैठी यह लड़की.. आधे घंटे पहले अपने बहनोई के लंड से चुदकर बैठी थी.. !! कीसे पता चलता की अभी थोड़ी देर पहले वो झुककर अपने जीजू के लंड को चूस रही थी.. !!

सब की तरफ देख रहे पीयूष की नजर कोने में बैठे पिंटू, वैशाली और कविता पर गई.. और वही स्थिर हो गई.. ऊपर खड़े पीयूष को दिख रहा था की कविता की छातियों की नोक.. पिंटू के कंधों को छु रही थी.. लेकिन भीड़भाड़ वाली जगह पर तो ऐसा अक्सर होता है.. इसलिए पीयूष ने उस बात को ज्यादा दिल पर नहीं लिया.. कमरे के दूसरे कोने मे शीला, मदन, राजेश सर, रेणुका और सुबोधकांत बड़ी ही सौजन्यशील मुद्रा में खड़े हुए थे.. तमाम लोगों के बीच.. एक मात्र शीला ऐसी थी.. जो अपने हुस्न के जलवों से पूरे कमरे को रोशन कर रही थी.. मेहमानों में जो पुरुष थे वह सारे.. बार बार.. किसी न किसी बहाने.. शीला को नजरें भरकर देख रहे थे..

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पीयूष नीचे उतरकर कमरे में आया.. और तरुण तथा मौसम के पीछे खड़ा हो गया

कमरे के कोने में खड़ी शीला ने रेणुका का हाथ पकड़ते हुए कहा "चल बाहर चलते है.. यहाँ कितनी गर्मी हो रही है.. बाहर आराम से बातें करेंगे"

दोनों हाथ पकड़कर बाहर आए.. और घर के बागीचे में कुर्सी पर बैठे बैठे बातें करने लगे

रेणुका: "सुबोधकांत ने घर तो बड़ा ही शानदार बनाया है.. रंगों का कॉम्बीनेशन भी गजब का है"

शीला: "वो खुद भी इतने ही रंगीन है.. मकान तो रंगीन होगा ही"

रेणुका: "हा हा हा.. लगता है.. सुबोधकांत के रंगों का लाभ तूने भी ले लिया है"

शीला: "तो उसमें गलत क्या है?? अब ये मत पूछना की कैसे.. तू भी सयानी बन रही है.. पर अभी वो आकर अपना लंड दिखा देंगे तो तू यहाँ ही चूसने बैठ जाएगी.. मैं तो सीधी बात करती हूँ हमेशा.. !!"

रेणुका: "अरे, मैंने कब कहा की कुछ गलत है.. पर लगता है की मदन भैया के आने के बाद तेरे गुलछर्रे बंद हो गए है"

शीला: "हाँ यार.. उस लाइफ को तो मैं भी बड़ा मिस कर रही हूँ"

रेणुका: "मुझे तेरी भूख का अंदाजा है.. तो अब गुजारा कैसे चलता है तेरा??"

शीला: " कुछ नहीं यार.. फिलहाल मदन से काम चला रही हूँ.. बाहर की बिरियानी अब नसीब नहीं होती.. और जगह भी तो नहीं है कोई.. अब तो वैशाली भी हमारे साथ ही रहेगी.. इसलिए मुझे अब वो पुरानी वाली सारी आजादी हमेशा के लिए भूल जानी पड़ेगी"

रेणुका: "क्यों भूल जानी पड़ेगी.. !! तेरे घर मुमकिन नहीं है तो क्या हुआ.. !! मेरा घर अक्सर खाली रहता है.. राजेश जब भी शहर से बाहर जाता है तब घर पर अकेले बैठे बोर होती रहती हूँ.. तुझे जब मौका मिलें तब मेरे घर चली आना"

शीला: "वो तो ठीक है.. पर तेरे घर आकर क्या करूँ?? हम दोनों साथ बैठकर क्या भजन करेंगे?"

रेणुका: "अरे यार.. भजन नहीं.. भोजन करेंगे.. तुझे जिसे लेकर आना हो, चली आना.. मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और मैं तुझसे हिस्सा भी नहीं मांगूँगी"

शीला: "यार रेणुका... मुझे हिस्सा देने में भी कोई हर्ज नहीं है.. भूखा मरने से तो बेहतर है की हमारे पास जो हो वो सब मिल बांटकर खाएं.. कभी मेरे पास कुछ नहीं होगा तब तुझसे मांग लूँगी.. संसार ऐसे लेन-देन से ही तो चलता है"

रेणुका: "हम्म.. तो अभी किस के साथ मजे कर रही है?"

शीला: "किसी के साथ नहीं यार.. मदन हमेशा आसपास होता है.. कुछ भी कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता"

रेणुका: "पर कोई तो होगा.. जिसे लेकर तू मेरे घर आ सके"

शीला: "वैसे नमूने तो बहोत सारे है.. खासकर मेरा दूधवाला रसिक.. बेचारा बहोत तड़प रहा है मेरे बगैर.. आशिक हो गया है मेरा.. मन तो मेरा भी बहोत करता है पर क्या करूँ!! जब वो दूध देने आता है तब मदन अंदर के कमरे में सो रहा होता है.. फिर भी वो कभी बबले दबा देता है तो कभी अपना खोलकर हाथ में थमा देता है.. साले का इतना मस्त मोटा गधे जैसा लंड है यार.. !! उसके दो दोस्त है.. रघु और जीवा.. उन दोनों के फोन नंबर है मेरे पास.. पर साले एक नंबर के नशेड़ी है.. दारू पीकर उन्हें खुद होश नहीं रहता की कौनसे छेद में डालना है.. और उन्हें बुलाना हो तो पहले से प्लैनिंग जरूरी है.. वक्त भी ज्यादा चाहिए"

रेणुका: "अरे हाँ याद आया.. वो तेरा दूधवाला.. जिसकी बीवी पेट से थी.. !!"

शीला: "हाँ वही.. अब तो उसका बच्चा भी हो गया.. साला जोरदार है रसिक.. बस एक बार चुदवा लो तो ज़िंदगी भर याद रह जाए"

रेणुका: "शीला, यार मेरे घर उसका सेटिंग कर दे.. मैं भी तो एक बार तेरे दूध वाले को चख कर देखूँ"

शीला: "हाँ करती हूँ कुछ.. अभी तो यहाँ मेरी नजर सुबोधकांत पर है.. पिछली बार जब हम वैशाली को लेने के लिए आए थे.. तब यहाँ गराज में ही उन्होंने मुझे झुकाकर जो शॉट लगाए थे.. आहाहाहा.. आज भी मेरी चूत उस चुदाई को याद कर डकार मार लेती है.. पर अभी इतने सारे मेहमान है.. चांस मिलना मुश्किल है"

तभी सुबोधकांत.. दो कामुक चूतों की गंध परखते हुए बाहर बागीचे में आ गए और बोले "सगाई की विधि खत्म हो गई.. चलिए खाना खाने चलते है"

"आपने घर बहोत बढ़िया बनाया है" रंगीन सुबोधकांत के साथ परिचय बढ़ाने के इरादे से रेणुका ने कहा

"थेंकस.. वैसे आप जैसों की मौजूदगी से मेरे गार्डेन की शोभा बढ़ गई.." शीला के भव्य स्तनों को देखते हुए सुबोधकांत ने कहा.. "बागीचे के फूलों की कोई तुलना ही नहीं है.. आपकी सुंदरता के सामने"

शीला: "अच्छा.. !! आप को कैसे फूल देखना पसंद है"

रेणुका: "अरे शीला.. इतना भी नहीं समझती..?? भँवरा हमेशा उसी फूल के पास जाता जिसमें रस ज्यादा हो.. "

शीला: "ओह्ह.. मुझे ये समझ नहीं आता की पुरुषों की तुलना हमेशा भँवरे से ही क्यों की जाती है?"

सुबोधकांत: "इसलिए क्योंकी फूलों की सच्ची कदर सिर्फ भँवरा ही कर सकता है.. अगर भँवरा न हो तो फूल किस काम का?? और एक बात बता दूँ आपकी जानकारी के लिए.. पुरुषों की तुलना सिर्फ भँवरे के साथ ही नहीं की जाती.. सांड और घोड़े के साथ भी की जाती है.. अलग अलग मामलों में उनकी ताकत और प्रदर्शन के अनुसार उनकी तुलना अलग अलग प्राणियों से की जाती है.. " सुबोधकांत ने द्विअर्थी संवादों का दौर जारी रखा और साथ ही साथ अपनी चोदने की शक्ति का प्रदर्शन भी कर दिया

"बात तो आपकी सही है.. पर फिलहाल हम भँवरे की जो उपमा देते है.. उसकी बात कर रहे है.. भँवरा अपनी पसंद के फूल पर ही मंडराता है ये तो समझ में आता है.. पर अगर फूल को कोई भँवरा पसंद आ जाएँ तो??" शीला ने सिक्सर लगा दी..

सिर्फ थोड़ी देर के लिए एकांत मिला था.. उसमें जीतने हो सकें उतने दांव खेल लेने के लिए शीला तैयार थी.. उसे पता था की रेणुका की मौजूदगी के कारण सुबोधकांत कुछ कह या कर नहीं पा रहें.. वरना पिछली बार की गराज की मुलाकात की यादें ताज़ा करने का अच्छा मौका था.. अगर थोड़ी देर के लिए भी रेणुका चली जाए.. तो अभी सुबोधकांत को कोने में ले जाकर, अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में गायब कर दूँ.. !!

सुबोधकांत: "उसका भी उपाय है.. अगर फूल को कोई भँवरा पसंद आ जाएँ.. तो उस भँवरे का मोबाइल नंबर ले लेना चाहिए.. और मौका मिलने पर उसका इस्तेमाल करना चाहिए... सिम्पल.. !!

सुबोधकांत भी शीला जीतने ही बेकरार थे.. कल से वो शीला की आँखों के हावभाव में छुपे हुए आमंत्रण को देख पा रहे थे.. सुबोधकांत के उत्तर से शीला रोमांचित हो गई.. सुबोधकांत की बात को आगे बढ़ाने की स्पीड काबिल-ए-तारीफ थी.. जरा भी वक्त नहीं गंवाया उन्हों ने.. अगर इसी गति से बात आगे बढ़ी तो शाम तक कुछ सेटिंग होने की गुंजाइश थी..

सुबोधकांत: "बाय ध वे.. आप दोनों के पास मेरा मोबाइल नंबर तो होगा ही.. अगर नहीं है तो मुझसे ले लेना.. और अगर आपको मेरा न लेना हो.. तो आप मुझे आप दोनों का नंबर दे देना.. कुछ अनमोल पुष्प अगर बागीचे में ना हो तो कोई बात नहीं.. पर उनका नंबर पास होना चाहिए.. कम से कम मोबाइल पर बात करके तो उनकी खुशबू का आनंद लिया जा सके"

रेणुका को सुबोधकांत ने अपना लेटेस्ट आईफोन १६ मोबाइल अनलॉक करके दे दिया.. रेणुका को समझ नहीं आया की क्या करना था.. पर शीला समझ गई.. की सुबोधकांत उनका नंबर मांग रहा था.. रेणुका के हाथ से मोबाइल लेकर शीला ने अपना नंबर डायल किया.. और रिंग बजते ही कट कर दिया..

तभी वहाँ रमिलाबहन आ पहुंची "अरे, तुम लोग यहाँ गप्पे लड़ा रहे हो.. !! सारे मेहमान राह देख रहे है.. अंदर चलिए" सुबोधकांत का हाथ पकड़कर खींचते हुए वो उन्हें अंदर ले गई

रेणुका: "तू हमेशा सब बातों में एक कदम आगे ही रहती है.. अब मैं अपना नंबर उनको कैसे भेजूँ? कुछ जुगाड़ लगाना पड़ेगा.. वैसे आदमी है बड़ा ही दिलचस्प" दोनों हँसते हँसते अंदर गए..

"प्लीज, आप लोग पहले खाना खा लीजिए.. बातें तो होती रहेगी" शीला और रेणुका को बातें करते देख सुबोधकांत ने करीब आकर कहा

शीला और रेणुका ने प्लेट ले ली.. दोनों खाना खाने लगे.. सुबोधकांत भी उनके साथ ही खड़े थे..

रेणुका: "अरे शीला.. पता नहीं मैंने अपना मोबाइल कहाँ रख दिया.. !! जरा मुझे मिस-कॉल करना तो.. !!"

शीला: "देख नहीं रही तुम.. खाना खा रही हूँ.. हाथ गंदे है मेरे"

सुबोधकांत: "अरे कोई बात नहीं.. मैं हूँ ना.. !! आप नंबर बताइए.. !!"

रेणुका ने अपना नंबर कहा.. सुबोधकांत ने डायल करते ही रेणुका के पर्स में ही रिंग बजी.. रेणुका ने शीला की तरफ देखकर आँख मारी

रेणुका: "अरे, ये तो मेरे पर्स में ही था.. मैं भी भूल गई थी.. खामखा आपको तकलीफ दी.. !!"

सुबोधकांत: "अरे इसमें तकलीफ की क्या बात है!!" रेणुका का नंबर सेव करते करते उन्हों ने कहा
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पिंटू के विचारों से वैशाली धीरे धीरे प्रभावित हो रही थी.. दोस्ती अक्सर पौधे जैसी होती है.. कभी कभी मिट्टी, खाद और पानी.. सब कुछ ठीक होने पर भी पौधा नहीं खिलता.. और कभी कभी सड़क के किनारे.. बिना किसी देखभाल के भी खिल उठता है.. पिंटू की मित्रता भी कुछ ऐसी ही थी.. ना वैशाली ने कुछ प्रयत्न किया था.. और ना ही पिंटू ने.. सामान्य बातचीत से शुरू हुआ उनका व्यवहार कब दोस्ती में पलट गया.. दोनों को पता ही नहीं चला.. वैशाली अब निःसंकोच पिंटू से बातें करती थी.. ऊपर से, अब वो उनके ऑफिस भी नियमित रूप से जाने लगी थी.. संजय नाम का पन्ना अब उसकी ज़िंदगी की किताब से धीरे धीरे पलट रहा था और जो नया पन्ना खुला था उस पर हल्का हल्का पिंटू का नाम लिखा हुआ नजर आ रहा था..

कविता, फाल्गुनी, पीयूष और पिंटू.. सब खाना खाने में व्यस्त थे.. वैशाली भी उनके साथ जुड़ गई.. मज़ाक मस्ती.. हंसी-ठिठोली के बीच.. मौसम की मंगनी बड़े ही आराम से पूर्ण हो गई.. शहर में रहते मेहमान भी चले गए थे.. अब बाकी सारे लोगों की वापिस लौटने की बारी थी

रेणुका: "शीला, एक काम करते है.. एक गाड़ी बच्चों को दे देते है.. और दूसरी गाड़ी में हम सब साथ चलते है.. वो सब आराम से बातें करेंगे और हमें भी मज़ा आएगा"

राजेश: "बिल्कुल सही कह रही है रेणुका.. पीयूष, ये लो मेरी इनोवा की चाबी.. आप सब साथ चले जाओ.. हम लोग मदन भैया की गाड़ी में आएंगे"

दोनों ही गाड़ियां चल पड़ी.. फाल्गुनी और मौसम, फिर से अकेले रह गए

एक रात में कितना कुछ घट गया.. !! शादी की रात दुल्हन के लिए यादगार होती है.. पर मौसम के लिए तो सगाई की पिछली रात हमेशा ही याद रहने वाली बन गई थी..

सुबोधकांत: "ये ले बेटा फाल्गुनी.. ये टिफिन अंदर गाड़ी में रख दे.. हमारे ऑफिस के प्युन को देकर आते है.. !!" सुबोधकांत ने एक साथ.. ऑफिस के प्युन, फाल्गुनी की चूत और अपने लंड.. तीनों की भूख मिटाने का बंदोबस्त कर दिया

फाल्गुनी मौसम से नजरें नहीं मिला पा रही थी.. पर मौसम ने ताना मारने का मौका नहीं छोड़ा "पापा का लंड एकदम मस्ती से चूसना.. वैसे भी जीजू का देखकर, तू कभी से गरम हो चुकी है"

नजरें झुकाकर मुसकुराते हुए फाल्गुनी सुबोधकांत की कार में बैठ गई.. उसकी चूत में.. पीयूष का लंड देखकर.. और मौसम को घोड़ी बनकर चुदते देखकर.. गजब की अफरातफरी और खलबली मची हुई थी.. उसे शांत करने का समय आ गया था.. जाते जाते उसकी और मौसम की नजरें चार हुई... मौसम ने उसे आँख मारी.. और फाल्गुनी शरमाकर मुस्कुराई.. सारे मेहमानों को विदा करके सुबोधकांत की कार उनकी ऑफिस की दिशा में चल पड़ी

जैसे ही गाड़ी सोसायटी से बाहर निकली, सुबोधकांत ने फाल्गुनी के दोनों स्तनों को मसलकर रख दीये.. "गजब की सुंदर लग रही है इस ड्रेस में तू.. मन तो कर रहा था की सब के सामने से तुझे उठाकर ऑफिस ले जाऊँ और पटककर चोद दूँ.. !!"

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सुनते ही फाल्गुनी बहोत गरम हो गई..उसने कहा "अंकल, आप भी सूट में बड़े हेंडसम लग रहे थे.. मेरा भी बहोत मन कर रहा था.. नीचे तो जैसे बुखार सा चढ़ गया है..!!"

बीस मिनट के ड्राइविंग के बाद दोनों ऑफिस पहुंचे.. ऑफिस पर चपरासी के अलावा और कोई नहीं था.. सुबोधकांत ने उसे टिफिन दिया.. और एक अड्रेस देते हुए कहा की.. वहाँ जाकर पार्टी से चेक लेना है.. उसके जाते ही.. फाल्गुनी कूदकर सुबोधकांत की गोद में बैठ गई.. और उनके मर्दाना होंठों को चूसने लगी..

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फाल्गुनी को आज पहली बार सुबोधकांत ने इतना गरम होते हुए देखा था.. पर उन्हों ने उस बारे में पूछताछ करने के बजाए.. उसकी और अपनी गर्मी को ठंडा करने पर ध्यान केंद्रित किया.. फटाफट उन्हों ने फाल्गुनी को उसके वस्त्रों की कैद से आजाद कर दिया और उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया..


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फाल्गुनी की दिमाग में अभी भी पीयूष के लंड की यादें ताज़ा थी.. हाँ, अंकल के लंड से साइज़ में पतला और थोड़ा छोटा जरूर था.. पर एक स्त्री के लिए, लंड आखिर लंड होता है.. उसे तो बस अपनी चूत की आग ठंडा करने से ही मतलब होता है..

फाल्गुनी और सुबोधकांत की लंबी किस अब भी चल रही थी उस दुरान मौसम का फोन आया.. पर्स के अंदर पड़ा हुआ मोबाइल वो उठाती उससे पहले ही मिस-कॉल हो गया.. "शायद मेरे घर से फोन होगा.. एक मिनट अंकल.. !!" पर्स से मोबाइल निकालकर उसने देखा और मौसम को फोन लगाया.. ज्यादा बात करना मुमकिन नहीं था क्योंकी अंकल को ये पता नहीं चलना चाहिए की उनके गुलछरों के बारे में मौसम जानती थी..

फाल्गुनी ने एकदम फटाफट कॉल खत्म किया.. सुबोधकांत उसे पूछने ही वाले थे की किसका फोन था.. उससे पहले ही फाल्गुनी ने उनका लंड पकड़कर खेलना शुरू कर दिया.. और सुबोधकांत के मन के सारे प्रश्न, भांप बनकर उड़ गए..

फाल्गुनी की छोटी सी गुलाबी निप्पल को मसलते हुए अपना तंग लोडा उसे दिखाकर सुबोधकांत ने पूछा "मैं तो हेंडसम लग रहा था.. अब इसे देख.. ये कैसा लग रहा है? " अपने सुपाड़े को उजागर करते हुए उन्होंने फाल्गुनी से पूछा

"ये तो इसे पता.. " अपनी चूत की ओर इशारा करते हुए फाल्गुनी ने कहा.. शीला और रेणुका के मदमस्त स्तनों को याद करते हुए सुबोधकांत टूट पड़े फाल्गुनी के ऊपर.. आज फाल्गुनी को अंकल की आक्रामकता कई गुना ज्यादा महसूस हुई

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"मम्मी, तरुण का कॉल है.. मैं बात करके आती हूँ" कान पर मोबाइल चिपकाकर मौसम ऊपर अपने बेडरूम मे चली आई.. और दरवाजा बंद कर दिया..

फाल्गुनी और पापा की काम लीला की आवाज़ें सुनने के लिए वो बेकरार थी.. इसलिए उसने फाल्गुनी को फोन किया था.. और फोन पर सिर्फ इतना ही कहा की.. कॉल को चालू रख और फोन साइड में रख दे.. मौसम उन दोनों की चुदाई लीला को सुनते हुए अपनी चूत में उंगली करना चाहती थी.. फाल्गुनी भी समझ गई.. जीजू के लंड का स्वाद चखकर अब मौसम की भूख जाग चुकी थी.. और अब वो हर पल चुदाई के खयालों में ही खोई रहती थी.. फाल्गुनी ने बड़ी ही चालाकी से कॉल चालू रखकर उसे सोफ़े पर रख दिया और उसे अपने दुपट्टे से ढँक दिया..

अपना स्कर्ट उठाकर पेन्टी के अंदर हाथ डालकर.. टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेट गई.. फाल्गुनी और पापा की बातें सुनते हुए वो अपने दाने को रगड़ने लगी..

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फाल्गुनी को पता था की मौसम उनकी बातें सुन रही थी.. इसलिए वो बहोत कम बोल रही थी.. और अंकल को ज्यादा बोलने दे रही थी..

सुबोधकांत: "फाल्गुनी बेटा.. कहीं मौसम को हमारे संबंधों के बारे में कुछ भनक तो नहीं लग गई??"

फाल्गुनी: "नहीं नहीं अंकल.. उसे तो इस बारे में कुछ भी पता नहीं है"

सुबोधकांत: "आज जिस तरह वो हम दोनों को साथ जाते देखकर मुस्कुरा रही थी.. ये देखकर मुझे तो शक हो रहा है.. !!"

फाल्गुनी: "ऐसा कुछ भी नहीं है.. अगर उसे कुछ भी भनक लग गई होती तो वो मुझसे बात ही क्यों करती?? आह्ह.. अंकल, मुझे नीचे बड़ी मीठी सी खुजली हो रही है.. जरा चाट दीजिए ना.. !!"

मौसम अपने मोबाइल को कान से चिपकाकर बड़ी उत्तेजना से फाल्गुनी औ पापा की कामुक बातें सुन रही थी.. उसे सुनकर ताज्जुब हो रहा था की क इस बेशर्मी से फाल्गुनी उसके पापा को चूत चाटने के लिए कह रही थी..

सुबोधकान्त: "ओह्ह.. तुझे चूत चटवाने की इतनी जल्दी है.. !!! चल चाट देता हूँ"


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मौसम को चूत चटाई की आवाज़ें और फाल्गुनी की सिसकियाँ, दोनों सुनाई दे रही थी.. एक मीठी सी झनझनाहट उसके सारे बदन को सरसराने लगी.. फिर और थोड़ी गंदी गंदी बातें करने के बाद.. सुबोधकान्त ने अपना लंड फाल्गुनी के चेहरे के सामने धर दिया

सुबोधकान्त: "ले बेटा... इसे ठीक से चूस.. बराबर चूसना.. चूस चूसकर तू ऐसी एक्सपर्ट बन जा की शादी के बाद तेरे पति को मज़ा आ जाए.. तू किस्मत वाली है.. की शादी से पहले ही ये सब कुछ सिख पा रही है.. पता नहीं, मौसम को ऐसा सब आता भी होगा या नहीं.. !!"

सुबोधकान्त के खड़े लंड को अपनी कोमल हथेलियों में भरकर हिलाते हुए फाल्गुनी ने कहा "मौसम को भला कौन सिखाएगा?? अगर आप मुझे ये सब न सिखाते तो मुझे भी कैसे पता चलता??"

सुबोधकान्त अब फाल्गुनी के नंगे बदन पर छा गए.. अपने नग्न शरीर से फाल्गुनी के शरीर को ढँक दिया.. और अपनी बालों वाली छाती को उसके स्तनों को रगड़ते हुए बोलें "तुझे तो जब पहली बार देखा था तब से मन बना लिया था चोदने का, मेरी जान.. !! तेरी जवानी.. और खासकर तेरे ये स्तन.. जब देखें तब तय कर लिया था मैंने, की तुझे तो मैं रगड़कर रख दूंगा.. !!"

फाल्गुनी: "मेरे बूब्स?? आपने कब देखें थे मेरे बूब्स अंकल??"

सुबोधकान्त: "एक बार जब तू मेरे हाथों में चाय का कप देने के लिए झुकी थी.. तब तेरे ड्रेस के अंदर, कच्चे अमरूद जैसी चूचियों को देखकर.. मुझे बाथरूम में जाकर मूठ मारनी पड़ी थी.. उस दिन से मैंने मन बना लिया था की तुझे छोड़ूँगा नहीं.. !!"

फाल्गुनी ने झुककर सुबोधकान्त के लोड़े के टोपे पर चुंबन रसीद करते हुए कहा "अच्छा तब देख लिए थे आपने... !!"

"आह्ह.. !!" सुबोधकांत के मुँह से उत्तेजना भरी कराह निकल गई.. "पूरा मुंह में ले ले बेटा.. जड़ तक अंदर लेकर चूस.. बहोत मस्त चूसती है तू.. मौसम को भी तेरी तरह चूसना सीखा दें.. ताकि वो भी शादी के बाद तरुण को मजे दे सकें.. पति को मुठ्ठी में रखने के लिए इस कला का सीखना बहोत आवश्यक होता है बेटा.. !!" कहते हुए सुबोधकान्त ने फाल्गुनी की कोमल क्लिटोरिस को सहलाते हुए उसकी चूत में दो उँगलियाँ सरका दी..

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लंड चूसते हुए भी फाल्गुनी की सिसकियाँ निकल रही थी.. चूत में उंगलियों के अंदर बाहर होने की वजह से..

लंड चुसाई की बातों में अपने नाम का उल्लेख सुनकर मौसम का पूरा शरीर कांपने लगा.. वो बेड पर लेट गई.. उसकी और फाल्गुनी की सिसकियाँ अब एक ताल में साथ साथ निकल रही थी.. अपनी चूत में उंगली डालकर मौसम झड़ गई.. पर उसने फोन कट नहीं किया.. मौसम को ये जानने में दिलचस्पी थी की पापा और फाल्गुनी के जिस्मानी संबंध कितना आगे बढ़ चुके थे.. और अन्य कई बातें भी सुनी उसने..

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सुबोधकान्त: "फाल्गुनी, एक बार तुझे विदेश ले जाना चाहता हूँ मैं.. पर कैसे सेटिंग करूँ कुछ समझ नहीं आता.. तू अपने घर से दस दिनों के लिए निकल सकती है?? कुछ बहाना बना कर??"

फाल्गुनी: "घर पर क्या बताऊँ अंकल?? रात को आधा घंटा लेट हो जाता है तो भी मम्मी कितना सुनाती है मुझे"

सुबोधकान्त: "समझ सकता हूँ.. पर अगर तेरी कोई फ्रेंड भी साथ हो तो शायद तेरे मम्मी-पापा इजाजत दे देंगे"

फाल्गुनी: "मौसम के अलावा मेरी और कोई फ्रेंड नहीं है.. और अगर मान लो मैं किसी फ्रेंड को लेकर आपके साथ आ भी गई.. तो मुझे तो रात को उसके साथ ही रहना पड़ेगा ना.. !! मैं आपके साथ कैसे रह पाऊँगी??"

सुबोधकान्त: "तू कुछ भी कर बेटा.. कोई तरकीब सोच... तेरी शादी से पहले मैं अपनी कुछ इच्छाएं पूरी करना चाहता हूँ जिसके लिए तुझे बहार ले जाना जरूरी है.. यहाँ उसे पूरा नहीं कर पाऊँगा"

फाल्गुनी: "पर अंकल, एक दिन भी बाहर रहना मुमकिन नहीं है.. आप तो दस दिनों की बात कर रहें है"

सुबोधकान्त: "फाल्गुनी, मेरी कुछ खास गुप्त इच्छाएं है.. जिन्हें तृप्त करने की आस लिए मैं अब तक जी रहा हूँ.. और अगर तेरे साथ उन इच्छाओं को पूरी न कर पाया.. तो फिर इस जीवन में उनकी पूरे होने की कोई संभावना नहीं है.. और तू मेरे पास रहेगी भी कितने समय तक?? एकाध साल में तो तेरी भी शादी हो जाएगी.. !!"

फाल्गुनी: "आह्ह अंकल.. ये सारी बातें कर मुझे दुखी मत कीजिए.. मैं अभी यहाँ खुश होने आई हूँ.. तो मुझे खुश कीजिए.. ओह्ह.. मैं अभी बहोत एक्साइटेड हूँ.. ऊँहहह..मुझे चोद दीजिए.. आपके इस (लंड पकड़ते हुए) को तो मैं शादी के बाद भी याद रखूंगी.. और मौका मिलने पर इसे खुश भी करती रहूँगी.. !!" बेशर्म होकर फाल्गुनी ने कहा

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मौसम फोन पर फाल्गुनी की आनंद से भरी किलकारीयों को दर्द भरी सिसकियों को.. साथ में लंड चुसाई के पुचूक-पुचूक आवाजों को सुनकर मदहोश हो गई थी.. झड़ने के बाद उंगलियों पर लगे चूत रस को सुनते हुए उसने फोन पर फ़च-फ़च की आवाज़ें सुनी.. वो समझ गई की फाल्गुनी की बुर में पापा का लंड घुस चुका था और घमासान चुदाई का दौर शुरू हो गया था.. आह्ह.. !! कितना मज़ा आ रहा होगा फाल्गुनी को.. !!

अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए, क्लिटोरिस पर लगे प्रवाही को अपनी निप्पल पर लगाते हुए वो फाल्गुनी की दर्द भरी कराहों को... उत्तेजना मिश्रित सिसकियों को.. लंड और चूत के घर्षण की आवाजों को.. पापा और फाल्गुनी की जांघों के टकराने की ध्वनि को... सुन रही थी.. और सुनते सुनते उसकी चूत एक बार फिर से झड़ गई.. !! इतने कम समय में दो दो ऑर्गजम.. !! मौसम को आश्चर्य हुआ.. दूसरी बार झड़ने के बाद, उसके शरीर की सारी ऊर्जा खर्च हो चुकी थी

मौसम ने फोन कट किया और लाश की तरह सुस्त होकर बेड पर पड़ी रही.. पाँच मिनट के अंतर में उसकी चूत, दो बार ठंडी करते हुए मौसम ने आज नया विक्रम स्थापित कर लिया था.. वो भी बिना लंड के.. !! सिर्फ आवाज़ें सुनकर.. अगर सुनने में इतना मज़ा आया तो फाल्गुनी को कितना मज़ा आ रहा होगा.. !! ये सोचते हुए मौसम को ये विचार आया की पापा अपनी कौन सी गुप्त इच्छाओं के बारे में बात कर रहे थे.. !! सोचते सोचते उसने अपनी जांघें आपस में दबा दी और आँखें बंद कर ली.. !!


करीब एक घंटे बाद मौसम की तब आँख खुली जब फाल्गुनी ने उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी.. कपड़े पहनकर उसने दरवाजा खोला और फाल्गुनी भी अंदर आ गई.. दोनों सहेलियाँ बातें करते करते थोड़ी देर के लिए सो गई.. आधे घंटे के बाद फाल्गुनी उठी.. मुंह धोकर फ्रेश हो कर घर चली गई.. मौसम किचन में मम्मी की मदद करने लग गई.. रमिला बहन भी बहोत थक चुकी थी.. मौसम की सगाई बिना किसी तकलीफ के निपट जाने का संतोष उनके चेहरे पर नजर आ रहा था..
बहुत ही शानदार, लाज़वाब और कामुकता से भराअपडेट है
 

CHETANSONI

KING of milf😎
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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
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थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..

हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"

रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"

हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"

शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"

शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"

हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे

रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"

शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी

रेणुका: "क्या सोच रही है?"

शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"

रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"

शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"

आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..

हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"

रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"

हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"

शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"

हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"

शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"

हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"

रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"

हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "

शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया

"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..

हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..

हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..

हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"

रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"

तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"

"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..

उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"

शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"

हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"

शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"

हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा

शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"

बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..

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हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..

शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..

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शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "

हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..

तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..

हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी

शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..

उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!

अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!

एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..

रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"

शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..

दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए

उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी

शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"

अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा

काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..

एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..

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रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"

रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..

रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"

रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..

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शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"

रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"

रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..

सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!

शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..

एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..

शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"


हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"

यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..

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शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..

हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी

हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"

उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"

उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..

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हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..

उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था

तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया

"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"

रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"

शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"

रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया

शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"

मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..

रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था

शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..

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राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"

हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"

शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"

हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"

जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"


पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
Ye sheela kya maal hai yaar
 
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