उधर दूसरे कमरे में सावित्री,अपर्णा और निरूपा कुर्सियों पर बंधी हुई थी वो भी नंगी...
सावित्री- दीदी तुरन्त हमने कुछ नही सोचे तो सब गड़बड़ हो जाएगी.. वो शेख आ चुका है, कुछ ही देर बाद शमशेर हम तीनों को उसके हाथों बेच देगा... ऊपर से रणजीत और उसके पापा को भी मार दिया गया...
निरूपा परेशान थी.. और तीनों के तीनों बिल्कुल नंगी थी... उनकी दूधिया चूची चमक रही थी और चुतों में झांट की जंगल भरी हुई थी...
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शमशेर ये सोच के ही परेशान था कि पता नहीं शेख क्या कर रहा होगा अपने मम्मी के साथ ?
सामने बैठा ओमपाल हल्की सी मुस्कुरा रहा था और शमशेर को देख रहा था...
तभी अंदर के कमरे से श्यामला की चीखने की आवाज आई जिसे सुनकर शमशेर दंग रह गया...
ओमपाल- लगता है ठुकाई सुरु हो गया है तेरे मम्मी की...
शमशेर- ओमपाल तेरे जुबान को लगाम दे (गुस्से से)
ओमपाल- अब गुस्से होने से फायदा क्या है ? में जरा देखता हूँ तेरे मम्मी को किस तरह ठोक रहा है शेख मियां ...
ओमपाल उस कमरे की दरवाजा को हल्के से खोल के देख के शमशेर की तरफ देखते हुए बोला- अरे बापरे ! इधर आ समशेर, तेरे मम्मी को देख, पहली बार ऐसे चुद रही है...
शमशेर ना चाहते हुए भी वहां गया और देखने लगा तो हक्कवाक्का रह गया...
उसने अंदर देखा कि श्यामला की चूत में और गांड मैं दोनो में लन्ड घुसे हुए थे... नीचे से शेख चूत चोद रहा था और ऊपर में कालू गांड मार रहा था... श्यामला जोर जोर से चीख रही थी....
शमशेर को बहुत गुस्सा आ रहा था पर पैसे की लालच ने उसे रोक रखा था.....
करीब एक घण्टे तक कालू और शेख श्यामला की जिस्म को रौंदते रहे... श्यामला की होश उड़ गए थे लगातार चूदते हुए....
शेख अंदर के कमरे से बाहर निकलते हुए बोला- शमशेर आज तो मजा आ गया ?
ओमपाल- शेख मिया, ये बताओ माल केसी है ?
शेख- एक नम्बर की रांड है साली... उम्र हो गयी है फिर भी चूत में कसाबट है... लगता है इसकी पति इसे ठीक से चोदा नही है....
ओमपाल मुस्कुराते हुए समशेर को देखते हुए बोला- हम रहते हुए उस रांड को अपने पति की क्या जरूरत है ?
शमशेर का मुंह गुस्से स लाल हो गया था...
शमशेर बात को घुमाते हुए बोला- शेख मियाँ, अब कुछ काम की बात हो जाये...
शेख कुर्सी पर बैठते हुए बोला- ठीक है चलो वो तीन हसीनाओं को यहां पर ले के आओ..
शमशेर जोर से चिल्लाया- अबे ओ कालू, जल्दी बाहर आजा...
कालू अंदर से हांफते हुए बाहर निकला...
शमशेर- उन तीन रंडियों को यहां पर ला...
कुछ ही देर बाद सावित्री, निरूपा और अपर्णा शेख के सामने नंगी खड़ी थीं... उनके दोनों हाथ पीछे से बंधे हुए थे...
शेख तीनो के चुचियों और मादक बदन को देखते रह गया था...
शेख- वाह ! शमशेर क्या पटाखा रखे हो... सब के सब चुदने में expert हैं ना !!
शमशेर- आप एक बार चोद के तो देखिए शेख मियाँ...
शेख निरूपा को देखते हुए बोला- अब तो हर रात रंगीन होगा ऐसे नमीकन चुतों के साथ..
तीनो औरतों की नजर नीची थी..
शेख खड़ा हो गया और तीनों औरतों के पीछे जा के तीनों के मादक जिस्म को देखने लगा..
अचानक उसने सावित्री की गाँड़ पर जोरदार चांटा मारा... सावित्री की मुंह से कराह निकल गयी "मम्ममम्ममम्ममम्ममम्ममम्ममम्मममम्म"
फिर पीछे से निरूपा के एक चूची को पकड़ के मसलते हुए बोला- इसकी चूची काफी ढीली हो चुकी है, पता नहीं चूत कितनी ढीली होगी...
निरूपा गुस्से से चिल्लाई- हाथ हटा मादरचोद...
शमशेर झट से खड़ा हो गया और निरूपा के गाल में कस के एक थप्पड़ जड़ दिया और बोला- साली रांड, मेहमान से कैसे बात किया जाता है, पता नहीं है तुझे..
शेख चूची को दबाते हुए बोला- रहने दे शमशेर, इसकी अकड़ बिस्तर पे तोडूंगा..
ये कहते हुए शेख उसकी गाँड़ पर जोरदार चांटा लगाया... पूरे कमरे पर चांटा की आवाज गूंज गया...
फिर शेख अपर्णा को घूरते हुए बोला- लगता है ये आइटम सबसे रसीली है...
अचानक अपर्णा की हल्की सी चीख निकल गयी क्योंकि शेख उसकी चूत में उंगली घुसा दिया था और आगे पीछे कर रहा था..
शेख- बहुत टाइट है इसकी चूत.
शमशेर- अब बताइये शेख साहब, डील पक्का ना...
शेख अपर्णा की चूत स उंगली निकालते हुए बोला- डील तो पक्की होगा ही.. ठीक है ये तीन हसीनाओं को रेडी करो और कंटेनर में डाल दो.
फिर कालू तीनो औरतों को ले गया...
शेख और शमशेर के बीच सौदा हो गया था...
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कंटेनर पर सावित्री अपर्णा और निरूपा को बंद कर के ले जारहा था... तीनो अंदर से चिल्ला रहे थे लेकिन उनकी आवाज अंदर ही दब के रह गयी थी...
कंटेनर चल चुका था, तीनो औरते अपनी किस्मत को कोसने लगा थी...
उधर शमशेर को ओमपाल बधाई देते हुए बोला- बधाई हो शमशेर, तू तो करोड़पति बन गया..
शमशेर- तूने भी तो अच्छा खासा माल कमाया इससे...
ओमपाल- चल में चलता हूं, ऐस कर ले...
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निरूपा सावित्री और अपर्णा तीनो औरतें पूरी तरह से नंगी थी... उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ अंधेरे में भी सफेद बर्फ की तरह चमक रही थी...
सावित्री- दीदी अब हम तीनों को ये शेख अपना रखेल बना कर रखेगा...
अपर्णा रोने लगी....
निरूपा- अपर्णा ये वक़्त रोने की नहीं है... हमें ये हालात को सामना करना पड़ेगा...
अपर्णा- और कितना सामना करूँ सासु माँ... जबसे यहाँ आयी हु बस चुद ही रही हूं... रंडी बन कर रह गयी हूँ..
सावित्री- तो हम भी तो दिन रात चुद रहे हैं, तू अकेली नहीं है...
अपर्णा- आप तो सबसे बड़ी रंडी हैं सासु माँ...
सावित्री- मेरी मुंह मत खुलवा अपर्णा... मेरे पति और अपने ससुर से रंगरेलिया मना रही थी और मुझे रंडी बोल रही है तू...
अपर्णा- आप भी कम नहीं है, अपने दामाद राजेश से रोज गाँड़ मरवाती थी...
सावित्री- अपर्णा (जोर से चिल्लाई)
तभी निरूपा चिल्लाई- चुप हो जाओ तुम दोनों.. ये वक़्त नहीं है ऐसी बातें करने की....
कंटेनर सड़क पर दौड़ रहा था और अंदर तीन खूबसूरत औरतें बन्द पड़े थे.. उनके पीछे पीछे और एक गाड़ी जा रहा था जिनमें शमशेर के पालतू गुंडे जा रहे थे...
अपर्णा निरूपा और सावित्री चुपचाप सोचने में व्यस्त थे... कुछ घण्टे के बाद अचानक कंटेनर रुक गया.....
कंटेनर का गेट खुला और तीन मुस्टंडे पहलवान अंदर आये और बोले- चलो ओ रंडियों, बाहर निकलो...
तीनो औरतें एक एक करके बाहर निकलने लगे... तीनो के तीनों पूरी तरह से नंगी होने की वजह से सारे गुंडे उन्हें हवस की नजर से देख रहे थे...
तीनों औरतें कंटेनर से बाहर निकल कर अपनी नजर दौड़ाये तो बाहर का नजारा देख कर चौंक गए..
ये क्या !! उन्हें फिर से शमशेर के अड्डे पर वापस क्यों लाया गया है ?
सावित्री- दीदी ये लोग हमें वापस यहाँ क्यों लेकर आये हैं ?
निरूपा- क्या पता ?
तीनों औरतों को वापस शमशेर के अड्डों के अंदर ले जाया जा रहा था....
अंदर पहुंच के देखा तो शमशेर चिल्ला रहा था ओमपाल के ऊपर..
शमशेर- तुमने बहुत बड़ा धोखा किया है ओमपाल मेरे साथ...
ओमपाल- ये मेरा मजबूरी है शमशेर, बात को समझ...
शमशेर- में कुछ नहीं जानता,बस मुझे इतना बता की कंटेनर को वापस इधर क्यों बुलाया वो भी तुम्हारा पुलिस फ़ोर्स लगा कर...
ओमपाल- सब बताता हूँ रुक...
शमशेर- माँ की आँख, लौड़े लग गए मेरे पैसों की..
ओमपाल तीनो औरतों को देख कर बोला- बहुत बड़ा किस्मत है तुम तीन छिनाल की...
निरूपा- जुबान सम्भाल कर बात कर ओमपाल...
शमशेर- इन रंडियों से बात करना बंद कर और ये बोल तूने कंटेनर को वापस यहां क्यों लेकर आया ? अबतक ये कंटेनर जाहाज पर सवार हो चुका होता..
ओमपाल- जानना चाहेगा तो सुन.. किसीने मेरे बीवी बच्चों को किडनैप कर लिया है... और उन्हें मारने की धमकी दे रहा है... बदले में वो इन तीन रंडियों को सही सलामत वापस चाहता है...
शमशेर- तो तूने वो मान लिया ?
ओमपाल- क्यों मुझे मेरे बीवी बच्चों से प्यार नहीं है क्या ?
सावित्री- सब तेरे जैसे नहीं होते शमशेर...
शमशेर- चुप माँ की चूत रंडी... जब हम दोनों बात कर रहे हैं तो तू क्यों बीच में गाँड़ मरवा रही है.. चुपचाप खड़ी रह नहीं तो तेरी गाँड़ में Rod घुसाउंगा (गुस्से से)
सावित्री चुप हो गयी और दूसरी तरफ देखने लगी...
ओमपाल- तू ऐसा वैसा कुछ नहीं करेगा शमशेर.. ये तीन औरतें पूरी तरह सुरक्षित चाहिए मुझे...
तीनो औरते के चेहरे पर मुस्कान खिल गयी...
शमशेर गुस्सा होके बोला- माँ की चूत.. और मेरे पैसों का क्या होगा ?
ओमपाल- वो मुझे पता नहीं है, पर में मजबूर हूँ..
तभी पास में खड़े कालू ने बोला- boss बस एक बार आर्डर दे दो, में ये इंस्पेक्टर की खोपडी उड़ा दूंगा...
ओमपाल- ज्यादा उछल मत लौड़े.. पुलिस पर हाथ उठाएगा तू बहनचोद...
ये कहते हुए ओमपाल कस के एक लात मारा कालू को, कालू दूर जा कर गिरा...
शमशेर- बस बहुत हो गया ओमपाल... और अब नहीं.. अबे लौंडों देखते क्या हो, इसकी हड्डिया तोड़ दो...
एक साथ सब गुंडे ओमपाल की और दौड़े तो ओमपाल अपना रिवाल्वर बाहर निकाल कर शमशेर के कनपट्टी पर रख दिया और बोला- अब बोल, क्या पहले उड़ाऊँ, ?
सब गुंडे रुक गए....
ओमपाल- ये मत भूल की में एक पुलिस अफसर हूँ... अभी यहां पर फ़ोर्स खड़ा कर सकता हूँ...
शमशेर- तू ऐसे बात कर रहा है जैसे तू बहुत बड़ा शरीफ़ है... हमसे पैसे घुश खाता है और अपने आप को पुलिस बता रहा है...
ये कहते हुए शमशेर इस तरह से पलट कर मारा की ओमपाल को कुछ समझ नहीं आया और वो नीचे गिर गया...
शमशेर- पकड़ लो इस हरामजादा को...
ओमपाल को सब गुंडे पकड़ के एक खम्बे पर बांध दिया गया...
शमशेर- क्या बोला तू ? तू पुलिस है ?
शमशेर जोर जोर से हंसने लगा...
शमशेर- ऐसे पुलिस वाले को में अपने लन्ड पर बिठाता हूँ... तेरा हालात इन रंडियों से भी बदतर करूँगा..
ओमपाल चिल्ला रहा था- इसका अंजाम बहुत भयानक होगा शमशेर...
शमशेर- लौड़ा होगा बहनचोद... तुझे पता चलेगा कि मुझसे गद्दारी करने का कितना बड़ा कीमत चुकाना पड़ेगा...
ओमपाल- शमशेर तू मेरे मदद के बिना ये तीन औरतों को दुबई नही ले जा सकता...
शमशेर हंसते हुए बोला- तू अकेला पुलिस वाला है क्या ? तेरे जैसे बहुत घुशघोर पुलिस वाले हैं.. तू देख में कैसे ये तीन रंडियों को दुबई भेजता हूँ...
ओमपाल- ऐसा मत कर शमशेर, वरना मेरे बीवी बच्चे कि जान खतरे में पड़ जायेगा...
शमशेर हंसते हुए बोला- में तेरे आंखों पर ऐसे ही डर देखना चाहता था ओमपाल... और क्या बोला तू "तेरे बीवी की जान खतरे में पड़ जायेगा.. लगता है तू अपनी बीवी से बहुत प्यार करता है ?
ओमपाल- हां
शमशेर- अपने बीवी से पूछ लेना कि वो कितने बार मेरे लन्ड से चूदी है ?
ओमपाल जोर से चिल्लाया- शमशेर
शमशेर- और उससे पूछना की रोज तेल लगा कर मेने कितने बार उसकी गाँड़ मारा है...
ओमपाल खामोश था...
शमशेर हंसते हुए बोला- अपनी रंडी बीवी को तू शरीफ समझ रहा है... में चाहूँ तो तेरे सामने तेरे बीवी मेरा लन्ड चुसेगी.... और तुझसे तो मेरा कुछ पुराना भी बाकी है...
ये कहते हुए शमशेर ने कालू को कुछ इशारा किया.. कालू अंदर के कमरे में जाने लगा... और कमरे के अंदर से श्यामला गुस्से से बाहर आ गयी और सीधा ओमपाल के पास गया और कस के एक लात ओमपाल के लन्ड पे मारा...
ओमपाल दर्द से चिल्लाने लगा.. क्योंकि श्यामला के हील के नुकीले भाग उसके लन्ड पर लगा था...
श्यामला- मादरचोद भड़वे... तू क्या समझता है तूने मुझे जितना टॉर्चर किया है, वो मैं भूल जाउंगी...
श्यामला लगातार लात पे लात मारने लगी तो ओमपाल लगभग बेहोशी के हालात में आ गया...
शमशेर- बस कर मम्मी, मर जायेगा...
श्यामला- मरने दे इस भड़वे को..
श्यामला की गुस्सा सातवें आसमान पर थी...
फिर श्यामला तीनो औरतों को देख कर बोली- इन रंडियों को जल्द से जल्द भेजने की बन्दोबस्त कर ले शमशेर.. इस बार कोई चूक नहीं होनी चाहिए... इन रंडियों के लिए मुझे शेख के नीचे सोना पड़ा...
फिर श्यामला कालू को पास बुलाई और जोर से कस के एक तमाचा कालू के गाल में जड़ दी..
कालू अपने गाल पकड़के रह गया..
श्यामला- मादरचोद कालू, उस शेख की बात मान कर तूने भी मुझसे कम टॉर्चर नहीं किया है...
कालू नजरें नीची करके खड़ा था...
शमशेर- रहने दे मम्मी... वो सब मजबूरी में हुआ...
अपर्णा निरूपा और सावित्री के हाथ पीछे से बंधी हुई थी और तीनों पूरी तरह से नंगी थीं...
शमशेर- कालू इन रंडियों को वापिस कंटेनर पर डाल...
ये सुनके तीनों औरतों के पैर कांपने लगे....
कालू जैसे ही तीनो के पास पहुंचता, अचानक कालू के पैर में गोली लग गया शायद वाहर से आया था... सब चौंक गए... तीनो औरतें तो चिल्ला दिए... कालू दूर जाके गिरा और दर्द से बिलखने लगा..
शमशेर झट से अपना बन्दूक निकालते हुए बोला- कौन है मादरचोद ?
अचानक दरवाजे पर एक शख्श का छाया दिखने लगा और वो दरवाजे पर खड़ा हो गया...
वो शख्श को देख कर निरूपा अपर्णा और सावित्री ने नजरें नीची कर ली क्योंकि तीनो पूरी तरह से नंगी थी और उनके हाथ भी बंधे थे.... क्योंकि वो शख्श तीनो के बड़ी बड़ी चुचियों और झांटो से भरी चुतों को देख रहा था.... खास कर सावित्री के बड़े बड़े चूची को हवस की नजर से देख रहा था, मानो वहां पे ही सावित्री की चूची को खा जाएगा... सावित्री उसको देख कर अपनी नजरें नीची कर ली...
तीनो उस शख्श को देख कर थोड़ी सी खुश भी हो रही थी और शर्मिन्दगी भी महसूस हो रही थी क्योंकि वो शख्श तीनो औरतों को पहली बार नंगी देख रहा था...
शमशेर और श्यामला समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ये शख्श है कौन जो बीच में रुकावट डालने आ गया और उसके हाथ में पिस्तौल भी है ?????
To be continued....