इससे पहले की शमशेर कुछ कर पाता उस शख्श ने फौरन और एक गोली चलाया और वो जाके सीधा शमशेर के पैर में लगा और वो नीचे गिर गया...
ये देख के तीनों औरतों के चेहरे पर मुस्कान खिल गयी..
उस शख्श के बन्दूक होने की वजह से शमशेर के गुंडे भी आगे नहीं बढ़ रहे थे...
शख्श- सब अपने हाथ ऊपर करो और सामने वाले कमरे में घुस जाओ... सब गुंडे हाथ ऊपर कर के पास वाले कमरे में घुश गए... जैसे ही सब अंदर घुस गए, उस शख्श झट से बाहर से दरवाजा बन्द कर दिया... अब वहां पे सिर्फ वो, शमशेर, कालू, श्यामला और तीनोँ औरतें थीं...
वो शख्श बिना देर किए तीनों औरतों के हाथों के रस्सी खोलने लगा.... सावित्री की हाथ खोलते वक़्त उसका नजर उसकी मादक गाँड़ पर पड़ा जो कि पाहाड जैसी खड़ी थी... बड़ी बड़ी चुचियों के साथ साथ Nipples को देखते हुए बोला- मालकिन कोई कपड़े पहन लीजिये..
वो शख्श और कोई नहीं, सावित्री की ड्राइवर रघु था... जो पहली बार सावित्रि को नंगी देखा था वो भी इतने करीब से.. जो कि उसका बहुत दिनों से ख्वाहिश था.. उसका मन कर रहा था कि दोनों चुचियों को मुंह लगा कर चूस ले..
फिर निरूपा के हाथ खोलते हुए निरूपा की मादक चूची को देखता ही रह गया.. बहुत बड़ी चूची वो पहली बार नंगी देख रहा था... रघु अपना दांत दबाते रह गया और उसका लन्ड हिचकोले खाने लगा..
फिर अपर्णा की हाथ खोलते हुए सोचने लगा- कमाल की जिस्म है अपर्णा मेडम की, यूँही जनार्दन साहब इसको दिन रात नहीं चोदते थे..
तीनो औरतों के हाथ खोलते ही तीनों झट से अपने कपड़े जो कि पास के टेबल पर था फौरन पेहेन लिए...
सावित्री- Thank you रघु, तूने आज हम सबको नरक जाने से बचा लिया...
रघु- आपका नमक खाता हूं मालकिन, आपसे गद्दारी नहीं करूंगा...
सावित्री ठीक से रघु से आंखे नहीं मिला पा रही थी क्योंकि रघु ने उसे पूरी तरह नंगी देख लिया था..
सावित्री- पता नहीं में किस तरह तुम्हारा ये ऋण चुकाऊं ?
रघु मन ही मन- चूत दे कर चुकाओ मालकिन....
तभी अचानक रघु को पीछे से किसीने जोर से लात मारा और रघु दूर जा गिरा... कालू उठ खड़ा हुआ था लेकिन लँगड़ा रहा था...
सावित्री पास में पड़ा एक rod उठाके लायी और कालू के गाँड़ पे मारने लगी.. कालू दर्द से चिल्ला उठा...
निरूपा बिना देर किए श्यामला के बालों को खींच के उसे थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ते हुए बोली- मादरचोद तू हमें शेख के हाथों बेचना चाहती थी...
श्यामला दर्द से चिल्ला रही थी...
सावित्री अब इंस्पेक्टर ओमपाल के पास गई जो कि रस्सी पर बंधा हुआ था..
सावित्री- तेरे जेसे पुलिस ऑफ़सर रहेंगे तो इस देश बर्बाद हो जाएगा... तुझे जिंदा रहना का कोई हक नहीं है...
ओमपाल- नहीं ऐसा मत करो सावित्री..
सावित्री कस के एक लात मारी ओमपाल के लन्ड पे और बोली- मेडम बोल बहनचोद...
फिर निरूपा आके समझाई- इसे छोड़.. हमें शमशेर से बदला लेना है...
अचानक शमशेर खड़ा हो गया था और वो सावित्री और निरूपा के बालों को पकड़ कर खींचते हुए बोला- रंडियों में तुम जैसे राण्डों को अपना रखेल बना कर मूत पिलाता हूँ...
तभी रघु ने मौका पाते ही लोहे के रॉड से शमशेर के सर पर दे मारा.. शमशेर चिल्ला के दोनों को छोड़ दिया...
श्यामला पास में पड़े बन्दूक उठा के सावित्री को मार ही रही थी कि रघु दौड़ते हुए गया और बन्दूक को शमशेर की और कर दिया और गोली जाके सीधा शमशेर के छाती पर लगा... शमशेर धड़ाम से नीचे गिर गया...
श्यामला- नहीं मेरा बेटा...
श्यामला शमशेर के लास के ऊपर सर रख कर रोने लगा...
ये देख कर सावित्री को भी थोड़ी सी दया आने लगी थी कि किस तरह एक माँ अपने बेटे के लास के ऊपर सर रख कर रो रही थी...
सावित्री- अब रोने से कुछ नहीं होगा श्यामला.. अपने बेटे को सही समय पर समझाते तो आज ये दिन देखना ना पड़ता... खेर अभी भी वक़्त है तुम सब सुधर जाओ..
फिर रघु भी ओमपाल के पास गया जो कि पूरी तरह से घायल हो चुका था...
रघु- ओमपाल सामने देखो...
ओमपाल सामने देखा तो उसके आंखों पर खुशी की झलक दिखने लगी.. सामने उसकी बीवी और बच्चे खड़े थे...
ओमपाल रघु को देखने लगा तो रघु ने बोला- जी हाँ तुम्हारे बीवी और बच्चों को मैने ही किडनैप किया था लेकिन मालकिन लोगों को बचाने के लिए..
"और हम कामयाब हो गए" दरवाजे पर खड़ा एक शख्श के मुंह से ये आवाज आया तो सब मुड़ के देखे...
दरवाजे पर निरूपा के पति शंकर दयाल खड़ा था जिसे देख कर निरूपा की चेहरा खिल उठा..
शंकर दयाल आके निरूपा को बाहों में भर लिया और kiss करने ही वाला था कि निरूपा उसे रोकी और बोली- क्या तुम सबके सामने सुरु हो जाते हो...
सावित्री और अपर्णा हंसने लगे..
शंकर दयाल सावित्री को बॉहों में भर्ते हुए धीरे से बोला- अबकी बार बिना कंडोम के..
सावित्री हल्की सी मुस्कुराके बोली- कोई चांस नहीं जीजा जी..
फिर शंकर दयाल अपर्णा की मादक जिस्म को घूरते हुए बोला- और अपर्णा बेटी यहां आओ गले लगो...
अपर्णा समझ गयी कि ये बुड्डा बहुत बड़ा ठरकी है... ओर वो दूर से ही नमस्कार करने लगी..
शंकर दयाल मन ही मन बोला- इतना अकड़ !! Bed में तोड़ना पड़ेगा इसकी अकड़ को... काफी मजा आएगा इस कमसिन चूत को ठोकते हुए...
तब तक ओमपाल को उसकी बीवी उसके हाथों से रस्सी निकाल चुकी थी..
शंकर दयाल- रंजना मेडम, ओमपाल साहब को ले जाओ किसी अस्पताल में इलाज करवाओ...
रंजना ओमपाल की बीवी का नाम थी... उम्र करीब 36 साल, गोरा रंग के साथ गठीले बदन...
रंजना शंकर दयाल को देखते हुए बोली- जी जरूर...
और ओमपाल को ले जाते हुए रंजना पीछे मुड़ के शंकर दयाल को देख कर सेक्सी स्माइल कर रही थी... और ये सब निरूपा ने देख लिया था.. निरूपा हल्की सी आवाज में बोली- तुम घर चलो, तुम्हारी खबर लेती हूँ...
फिर सब सही सलामत घर वापिस आ गए.... घर पहुँचके रघु बाथरूम में घुस के लगातार तीन बार मुठ मार चुका था.. क्योंकि वो तीनो औरतों को पूरी तरह नंगी देखा था.. उसके आंखों के सामने तीनो के रसीले चूची और भारी गाँड़ के साथ साथ जंगल में घिरे चुतों की याद आ रहा था.. और वो हर एक को याद करते हुए जम के मुठ मार रहा था..
इतने में उसका मन नहीं भरा तो नौकरानी शांति को store रूम पर ले गया और doggy पोज में चोदने लगा... चोदते हुए उसे बस सावित्री की गदरायी बदन और सेक्सी होंठ के साथ बड़ी बड़ी चूची लाल निप्पल रसीले चूत याद आ रहा था...
शांति- आआआहहहहहहहहहह धीरे से चोद बहनचोद
रघु- मादरचोद थोड़ी सी रुक जा.. इतना बड़ा बड़ा लन्ड रोज लेती है और अभी नखरा कर रही है माँ की चूत..
शांति की चुचियाँ हवा में तेजी से उछल रहे थे और रघु उसे दनादन चोद रहा था...
शांति- अगर गाँड़ में दम है तो कभी सावित्री मालकिन की चूत फाड़ कर देख...
रघु- सब्र कर, वो दिन बहुत जल्दी आएगा..
शांति कराहते हुए बोली- हां तब तक तेरा लन्ड छोटा हो चुका होगा और उसकी चूत ढीली हो चुकी होगी...
रघु- तेरी माँ की चूत... तेरे सामने उसे नहीं चोदा ना तो में तुझे मेरा लन्ड काट के gift कर दूंगा..
अब चोदने की स्पीड बढ़ चुका था और रघु तेजी से चोदते हुए झड़ गया...
रघु और शांति चुदाई में व्यस्त थे लेकिन उनको ये नहीं पता था कि उनको सावित्री छुप छुप कर देख रही थी...
सावित्री रघु की बातें सुनकर सेक्सी स्माइल करती हुई मन ही मन बोली- तुम्हारा ख्वाहिश जरूर पूरा होगा रघु... तुमने मेरी जान बचा कर बहुत बड़े काम किये हो, तुम् मुझे चोदने की पहले हकदार हो..
तभी रघु अपने लन्ड से वीर्य को शांति के ऊपर गिराते हुए बोला- एक बार मालकिन को में अपना वीर्य पिलाना चाहता हूँ...
सावित्री उसका बड़ा लन्ड को देखते ही रह गया.. लन्ड की साइज देख कर सावित्री मन ही मन बोली- वाकई ये मर्द है, किसी भी उम्र की चूत की धज्जियां उड़ा सकता है...
ये कहते हुए सावित्री अपनी हाथ से ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को दबाने लगी...
जब रघु बाहर की तरफ आने लगा तो सावित्री हड़बड़ी में वहां से चली गयी और सीधा अपने bed पे लेट गयी और ब्लाउज और पेटीकोट निकल दी... रघु की लन्ड को याद करते हुए चूत मैं उंगली करने लगी...
तभी अपर्णा की आवाज सुनके चौंक गई जो कि पहले से ही सावित्री के कमरे में थी...
अपर्णा- वाह क्या बात है सासु माँ... शमशेर के अड्डे पे इतने लन्ड से चुद के भी आपकी चूत गरम् है क्या बात है ?
सावित्री हल्की सी हंसती हुई बोली- ये चूत है पगली, कभी ठंडी नहीं पड़ती, बस लन्ड बड़ा मिल जाये..
अपर्णा- सच में बहुत बड़ी रांड हो आप
सावित्री- हूँ तू क्या है, तू भी तो रांड है... मेरे पति को फंसा कर चुदवा रही थी रोज रात को...
अपर्णा- वो तो ऐसे ही हो गयी पर में ऐसी वैसी नहीं हूं...
सावित्री उठ गई और अपर्णा के पीछे जा के अपर्णा को कस के पकड़ ली और बोली- आजा lesbian करें...
अपर्णा झट से अलग होती हुई- पागल हो गयी आप सासु माँ..
सावित्री- देख तेरे और मेरे दोनो के मर्द नहीं है.. क्यों ना हम मजे लें...
अपर्णा- क्यों आपके जीजा जी हैं ना.. उनसे चुदवा लो...
सावित्री- वो तो अभी निरूपा दीदी को चोद रहे होंगे...
अपर्णा- वो भी एक नम्बर की ठरकी हैं...
सावित्री- क्यों तुझे कभी ठोक तो नहीं दिए (हंसती हुई)
अपर्णा- यही तो डर है... जबसे मुझे देखा है बस मेरे पीछे ही पड़ा है बुड्डा...
सावित्री- हूँ तो बात यही है... एक बार चुद के देख उनसे.. देखना बुड्ढे में कितना दम है...
अपर्णा- में उनकी बेटी की उम्र की हूँ सासु मां..
सावित्री- अच्छा तो तू मेरे पति के भी तो बेटी की उम्र थी फिर उनसे क्यों चुदी ?
अपर्णा- बोली ना वो वैसे ही हो गई..
सावित्री हंसती हुई बोली- थोड़ा सम्भल के रहना... शंकर दयाल जीजू बड़े ही ढीट हैं.. जिस किसिपे एक बार नजर डाल दिये तो उसे चोद के रहते हैं..
अपर्णा अपना बुरा सा मुंह बनाकर कमरे के बाहर चली गयी..
सावित्री उसकी मटकती हुई बड़ी बड़ी गाँड़ को देख कर बोली- शंकर दयाल इसकी गाँड़ की सील तोड़ कर रहेगा.. और फिर सावित्री बेड पर लेट के चूत पे उंगली करने लगी....
उधर शंकर दयाल निरूपा के चूत को चाटने में व्यस्त था... निरूपा पूरी तरह नंगी लेटी थी bed पर और शंकर दयाल नीचे से उसकी चूत चाट रहा था....
निरूपा- सससससससस सससससससस
शंकर दयाल- अब उठ जाओ रानी... कुतिया बनो जल्दी से
निरूपा थोड़ी सी नकली गुस्सा दिखाते हुए बोली- पहले ये बताओ तुम्हारे और ओमपाल के बीबी के बीच क्या खिचड़ी पक रहा है ?
शंकर दयाल हड़बड़ाते हुए- कुछ भी नहीं
निरूपा- तो फिर वो तुम्हे देख के क्यों हस रही थी ?
शंकर दयाल- क्या पता ?
निरूपा- ज्यादा झूट मत बोलो.. तुम्हे में अछि तरह जानटी हूँ... कोई नई चूत दिख जाए तो बस उसे मारना ही है तुमको...
शंकर दयाल- तुम्हे तो पता है और क्या (हंसते हुए)
निरूपा शंकर दयाल को चूमते हुए- तो फिर ओमपाल की बीबी को ठोका की नहीं ?
शंकर दयाल अपना लन्ड निरूपा के चूत में सेट करके बोला- ठोका लेकिन साली रांड ज्यादा नखरे कर रही थी, मुश्किल से एक बार ठोक पाया...
निरूपा- सससससस मम्ममम्ममम्ममम्ममम्म
बस क्या था, शंकर दयाल पागल की तरह निरूपा को चोदना सुरु किया....
शंकर दयाल सिर्फ नाम का निरूपा को चोद रहा था लेकिन उसका मन में अपर्णा नजर आ रहा था और वो मन ही मन बोल रहा था- अपर्णा की नमकीन चूत पे मेरा लन्ड घुसाउंगा तब जाके मुझे चैन मिलेगा...
करीब 2 राउंड चोदने के बाद निरूपा सो गई पर शंकर दयाल को नींद नहीं आ रहा था, उसे बस अपर्णा की सेक्सी गाँड़ नजर आ रहा था साथ मेउन उसकी मादक चुचियाँ उसके लन्ड को खड़ा कर रहा था...
शंकर दयाल ने सोचा थोड़ा बाहर टहलता हूँ, शायद नींद आ जाये...
जैसे ही कमरे से बाहर आया तो देखा- अपर्णा बालकनी पर खड़ी होक सिगारेट पी रही थी... अपर्णा काले रंग की नाइटी पहनी हुई थी जीससे उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ साफ बाहर की तरफ निकली हुई लग रही थी..
शंकर दयाल मन ही मन- इस रांड को पटाना पड़ेगा...
शंकर दयाल उसके पास गया और बोला- नींद नहीं आ रहा है क्या डिअर ?
अपर्णा मूड के देखी और बोली- आपको पता है आपके और मेरे बीच क्या रिश्ता है ?
शंकर दयाल चुप था...
अपर्णा- आप मेरे ससुर हैं... तो प्लीज उस तरह बात कीजिये...
शंकर दयाल का नजर अपर्णा की गोल गोल चूची पर था और वो बोला- हूँ जनार्दन भी तो तुम्हारा ससुर था ना...
ये सुनके अपर्णा खामोश हो गयी...
शंकर दयाल- ज्यादा सती बनके जरूरत नहीं है.. मुझे सब पता है कौन सती है और कौन रांड है ?
अपर्णा चिल्ला के बोली- अपने जुबान को सम्भालो ससुर जी... आप मेरे पिता समान है..
शंकर दयाल मन ही मन- रांड की गाँड़ फाड़ने में मजा आएगा...
शंकर दयाल- तुम्हारी उम्र कितनी है बताओ ?
अपर्णा- 26 साल
शंकर- ओह्ह तब तो मजा आएगा तुम्हे ठोकने में (अपर्णा की सेक्सी होंठ को देख के)
अपर्णा- ये क्या बदतमीजी से बात कर रहे हो ?
शंकर- गाँड़ खुल चुकी है या नहीं ?
अपर्णा को बहुत गुस्सा आ रही थी पर वो बताये तो किसे ?
अपर्णा गुस्से से अपने कमरे की तरफ जाने लगी तो शंकर उसकी मादक गाँड़ को देखते हुए बोला- कोई बात नहीं तुम्हारे गाँड़ की ओपनिंग में करूँगा...
अपर्णा के जाने के बाद शंकर दयाल बोला- मादरचोद रांड... अभी 26 साल की, चूत काफी टाइट होगी... बस एक बार मौका मिल जाये इसकी चूत को ठोक ठोक के ढीला कर दूंगा...
शंकर दयाल ये कहते हुए अपने कमरे में चला गया....
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