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Adultery "संभोग"

Raja maurya

Well-Known Member
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सुबह जब अपर्णा बालकनी पर खड़ी होके खुले हवा का मजा ले रही थी तब उसकी लाल रंग की नाइटी में से उसकी भरी जवानी उछल रही थी...

पास के बगीचे में शंकर दयाल सिगरेट फूंकते हुए अपर्णा की मादक जिस्म को देख रहा था....

जब अपर्णा की नजर शंकर दयाल पर पड़ी तो शंकर ने उसे अपने होठों से kiss करने का इशारा किया...

अपर्णा- साला ठरकी..

उधर शंकर दयाल मन ही मन बोल रहा था- गजब की जिस्म है उफ्फ !! इसकी दूध चूसने में ज्यादा मजा आएगा..

तब शंकर उसे देख के अपनी उंगलियों पे दूसरी उंगली फसा कर चोदने की अश्लील इशारे करने लगा...

अपर्णा ये देख कर अपनी मुंह दूसरी तरफ घुमाने लगी और मन ही मन बोली- लगता है बुड्ढे को चोदना ज्यादा पसंद है...

शंकर दयाल- रांड कभी ना कभी तो तुझे मेरे लन्ड को चूसना ही पड़ेगा...

तभी शंकर दयाल ने कुछ notice किया कि अपर्णा दूसरी तरफ देख कर बारबार मुस्कुरा रही थी...

शंकर दयाल ध्यान से दूसरी तरफ देखने लगा तो देखता ही रह गया...

दूसरी तरफ रघु कार साफ करते हुए अपर्णा को देखते हुए हंस रहा था...

शंकर दयाल- अरे बाप रे, तो चूत को लन्ड मिल चुका है... कोई बात नहीं, मेंने भी जिंदगी में एक से बढ़ कर एक चूत मारे हैं... अपर्णा अब तो तुझे चोदने में और भी मजा आएगा....

अपर्णा रघु को देखते हुए हंसती हुई अंदर चली गयी... ये सब शंकर दयाल देख रहा था...

शंकर- अबे ओ मादरचोद रघु.. इधर आ....

रघु- आया मालिक...

रघु अपर्णा को अंदर जाती हुई देखते हुए शंकर दयाल के पास आया...

रघु पास आके बोला- बोलिये मालिक

शंकर- माँ की चुत, यहां काम करने आया है या रंडीबाजी करने ?

रघु हड़बड़ाते हुए- क्यों, क्या हुआ मालिक ?

शंकर- अपने काम पे ध्यान दे... अपर्णा को क्यों घूर रहा था ? चक्कर क्या है बता ?

रघु- वो साहब, गलती हो गया.. अब और नहीं होगा...

शंकर- ठीक है.. चल जा... और हां याद रख, अपनि नजर टेढ़ी कर ले... समझा

रघु- जी मालिक

रघु के जाते ही शंकर एक सिगरेट मुंह पर डालते हुए बोला- ड्राइवर से चूदेगी बहनचोद...

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सावित्री- हेलो, रघु गाड़ी तैयार रख, मुझे सहर जाना है...

रघु- जी मालकिन

सावित्री फोन रखते ही सेक्सी स्टाइल में अपनी होंठ को घुमाती हुई बोली- अब आएगा मजा...

कुछ देर बाद रघु कार के पास सावित्री की इंतजार कर रहा था...

कुछ देर बाद सावित्री बंगले से बाहर आयी तो उसे देख के रघु का लन्ड फड़फड़ाने लगा..

सावित्री सेक्सी sleeveles ब्लाउज के साथ एक transparent साड़ी पहनी थी जिससे उसकी सेक्सी ब्लाउज के साथ चुचियों का भी दर्शन हो रहा था...

रघु का लन्ड खड़ा हो चुका था...

सावित्री उसके पास आके सेक्सी स्माइल करती हुई बोली- चलें ड्राइवर साहब

रघु का लन्ड फड़फड़ाने लगा.. उसका मन किया कि वहां पे सावित्रि को पकड़ के चोद डाले... लेकिन खुद को कंट्रोल करते हुए कार के ड्राइविंग सीट पर बैठ गया..

सावित्री मुस्कुराती हुई कार के पीछे बैठ गयी...

रघु का नजर रास्ते में कम और सावित्री पे ज्यादा था... वो गाड़ी के Mirror से सावित्री को देख रहा था...

गाड़ी चलाते हुए रघु का तन मन सब बेकरार था सावित्री की मादक यौवन को भोगने की....

रघु मन ही मन बोल रहा था- मालकिन नंगी रहती हैं तो ज्यादा खूबसूरत लगती हैं.. गजब की चूची और गजब की लाल रंग की निप्पल... उफ्फ वो भी क्या नजारा था जब मालकिन नंगी खड़ी थी.. मन किया कि निप्पल को चूस लूँ....

ये सोच ही रहा था कि सावित्री की आवाज से वो चौंक गया...

सावित्री- रघु गाड़ी का AC खराब है क्या ? बहुत गर्मी हो रही है..

रघु- नहीं तो मालकिन, AC तो on है

सावित्री- मुझे पता नहीं बहुत गर्मी हो रही है (अपनी निचले होंठ को दांतों से दबाती हुई)

रघु ये देख के पागल हो रहा था...

अचानक सावित्री अपनी लाल रंग की साड़ी को उतार दी...

ये देख के रघु का गाँड़ फटने लगा क्योंकि सावित्री अब sleeveless ब्लाउज में थी और उसकी बड़ी बड़ी मादक चुचियाँ के लिए ब्लाउज छोटी पड़ रही थी... ब्लाउज के ऊपर से उसकी nipples साफ झलक रही थी...

रघु का लन्ड तेजी से झटके खाने लगा...

रघु मन ही मन- मालकिन इस उम्र (50) में भी गजब की यौबन सम्भल कर रखी है.... क्या चूची है बहनचोद...

रघु 30 साल का जबान लौंडा था.. वैसे तो उसने कई लड़कियों को चोदा था पर वो पागल था 50 साल की सावित्री की जिस्म का... वो उसे हर हाल में चोदना चाहता था...

सावित्री सेक्सी स्माइल करती हुई अपनी ब्लाउज भी उतार दी.. अब वो लाल रंग की ब्रा में थी... ब्रा में कैद चुचियाँ बड़े ही मादक लग रही थी... रघु पसीना पसीना हो गया था... पीछे बेठी सावित्री सेक्सी अंदाज में अपने निचले होंठ को दांतों से दबा रही थी...

रघु अछि तरह से जानता था कि सावित्री को क्या चाहिए....

सड़क पर गड्ढे होने के कारण गाड़ी हिलने की वजह से सावित्री की चुचियाँ ऊपर नीचे उछल रही थी जिसे देख कर रघु पागल हो रहा था...

सावित्री- सच में बहुत गर्मी है रघु..

रघु- जी मालकिन

सावित्री अपनी दोनो हाथ को पीठ पीछे ले जाती हुई ब्रा की हुक भी खोल दिया... और जैसे ही ब्रा को निकाल दिया मानो दोनो चुचियाँ आजाद हो गयी हो, सामने झूलने लगे....

गोरी गोरी चुचियाँ, लाल लाल निप्पल, देख कर रघु का लन्ड तन के खड़ा था..

रघु मिरर से दोनों चूची को घूरते जा रहा था और दांत दबाने लगा था....

सावित्री दोनो चुचियों को अपने हाथों से दबाते हुए बोली- रघु तू पीछे आएगा या सड़क पर उतर जाऊं ?

रघु को बस इसी मौके का तलास था...

रघु गाड़ी को सीधा जंगल के अंदर ले गया और गाड़ी रोक दी... रघु गाड़ी से उतरा और पीछे की गेट खोलते हुए पीछे घुस गया और घुसते ही वो सावित्री को पकड़ के होंठो को चूसने लगा.... और हाथों से चुचियों को मसलने लगा...

रघु- में भी और अपने आप को सम्भाल नहीं सकता मालकिन...

सावित्री सेक्सी स्माइल करती हुई बोली- तुझे संभालने के लिए कौन बोल रहा है..

रघु चूची को कस के दबा रहा था.. आज उसका इतने बरसो का सपना पूरा हो रहा था... जो चूची को देख के वो मुठ मारता था वो चूची को आज वो हाथ में पकड़ा हुआ था...

रघु सावित्री की मादक होठ को चूसता जा रहा था... और चूची को दबाते हुए निप्पल को खींचने लगा था... सावित्री की मुंह से सिसकारी निकलना सुरु हो चुका था...

गाड़ी जंगल में रुका हुआ था और अंदर रघु और सावित्री की सेक्स गेम सुरु हो रहा था...

सावित्री अपनी हाथ से रघु की शर्ट को उतार दिया और पैंट की बटन खोलने लगा..

रघु भी देर ना करते हुए सावित्री की साड़ी को उतार दिया और पेटीकोट भी निकाल दिया...

रघु अब सावित्री की नाभि को चूमने लगा तो सावित्री मादक आहें भरने लगी..

सावित्री- आआआआहहहहहह रघु.........

रघु नाभी को चाटने लगा...

सावित्री रघु के बाल पकड़ के ऊपर की तरफ मुंह करके आहें भर रही थी...

रघु अब सावित्री की पैंटी उतार दिया... उसके सामने झांटो से भरी चुत थी जो कि बड़ा लन्ड लेने के लिए तैयार थी.... रघु पागलों की तरह चूत को चाटना सुरु किया तो सावित्री की मुंह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी..

सावित्री- आआआआआहहहहहहह रघु,

रघु लगातार चूत चाटते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर ले जाते हुए सावित्री की दोनों चुचियों को दबाने लगा... चुचियाँ दबाते दबाते चूत चाट रहा था...

सावित्री- आआआआआहहहब्बब रघु, और चाट मेरे राजा...

रघु मजे से सावित्री की चूत चाट रहा था... सावित्री की चूत गीली हो चुकी थी.. सावित्री अब पागल होने लगी थी....

रघु कुछ देर चूत चाटने के बाद दोनों चूचीयों को चूसना सुरु किया.. चूची को चूसते चूसते निप्पल को मजे से चूस रहा था...

सावित्री- आआआआहहहहहहहह ओहदहहहह मम्ममम्ममम्ममम्ममम्म सससससससस

रघु भरपूर दबा दबा के चूस रहा था मानो आम को चूस रहा हो...

सावित्री के हाथ रघु के अंडरवेअर के अंदर घुस गई और वो लन्ड पकड़ के हिलाने लगी थी.

रघु का लन्ड साइज हाथों से पता लगाते हुए सावित्री बोली- अपना गन्ना मुंह नहीं चुसाओगे रघु (सेक्सी अंदाज में)

रघु जो कि चूची को चूस रहा था अपनी मुंह निकाल कर बोला- जरूर चुसाउंगा मालकिन लेकिन पहले मुझे आपकी आम चूसने दो... क्या है ना आम मुझे बहुत पसन्द है... ये कहते हुए रघु चुचियों को पागलों की तरह चूसने लगा..

कुछ देर के बाद रघु का बड़ा लन्ड सावित्री की मुंह पर था जिसे सावित्री मजे से चूस रही थी..बड़ा काला लन्ड सावित्री की मुंह पर पूरी तरह से समायी हुई थी.... रघु मजे से लन्ड चूसा रहा था...

रघु अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था... वो बहुत सारे रंडियां चोदा था पर उसे सावित्री सबसे बड़ी रांड लग रही थी...

रघु सावित्री के बाल पकड़ कर जोर जोर से लन्ड को सावित्री के मुंह के अंदर बाहर करने लगा और मुंह चोदना सुरु किया... सावित्री की दोनों गाल लाल हो चुकी थी...

रघु बिना देर किए लन्ड को बाहर निकाला और सावित्री को कार के पीछे सीट पर लिटाया और दोनों टांग को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर डाल दिया.. उसने देखा कि सावित्री की गाँड़ की छेद भी खुली हुई थी... रघु को ये समझते देर नही लगा कि सावित्री की गाँड़ भी मारने लायक है..

रघु अब बिना देर किए लन्ड को चूत पर सेट करके एक जोरदार धक्का मारा जिससे पूरा का पूरा लन्ड सावित्री की चूत में घुस गया .. कार के अंदर "फचकककककककककककक" की आवाज गूंज उठी और साथ में सावित्री की आवाज भी "आआआआआआहहहहहहहह"

रघु का लन्ड अब धीरे धीरे अंदर बाहर होने लगा था... सावित्री सेक्सी अंदाज में रघु को देखते हुए बोली- आज मेरी सारी गर्मी उतार दे मेरे राजा..

रघु अब धीरे धीरे स्पीड बढ़ाने लगा था... जैसे ही स्पीड बढ़ रहा था वैसे ही सावित्री की आंखे बंद होने लगी थी... भारी भरकम चुचियाँ आगे पीछे होक हिलने लगे थे...

कुछ ही देर में चुदाई पूरा जोरो से चलने लगा.. कार के अंदर सावित्री की मादक सिसकारी गूंजने लगा और साथ में "पच पच पच पच पच पच पच पच" की आवाज़ें भी जो कि चूत से आ रही थी....

सावित्री- मम्ममम्ममम्ममम्मममम्म सससससससस आआठठहब्बबबब्ब मममममममममम सससससम्मममम्म ससससम्म्म्ममम्म ममममममम ससससस

रघु दनादन चोद रहा था.. उसका लन्ड तेजी से सावित्री की चूत में घुसने लगा था... मानो आज सावित्री की चूत फाड़ के ही रहेगा...

कार अब तेजी से हिलने लगा था... कोई देखेगा तो उसे समझने में देर नहीं लगेगा कि कार के अंदर क्या चल रहा है ?

रघु अब सावित्री की जोरदार ठुकाई करने लगा था... रघु का हर एक झटका से सावित्री की मुंह से जोरद्दार सिसकारी निकल रही थी... दोनो जिस्म पसीने से लथपथ थे.

रघु चोदते हुए बोल रहा था- बस इसी दिन का मुझे इंटजार था मालकिन...

सावित्रि की मुंह अब लाल हो चुकी थी क्योंकि रघु उसे बेरहमी से ठोक रहा था....

सावित्री- आआआआहहहहहहहह रघु सच में तू असली मर्द है... क्या लन्ड है तेरे पास बहनचोद

ये सुनते ही रघु अब और स्पीड से चोदने लगा...

करीब आधे घण्टे तक नॉनस्टॉप ठुकाई के बाद रघु अपना सारा वीर्य सावित्री की चूत में दाल दिया... दोनो हांफ रहे थे.…

कुछ दी के बाद रघु सावित्री को बाहर निकाला और बाहर कार के पीछे खड़ी करके खड़ा खड़ा उसकी गाँड़ मारने लगा...

उसका बड़ा लन्ड सावित्री की गाँड़ की छेद को फाड़ रहा था..

सावित्री- जरा धीरे चोदो रघु...

रघु चोदते हुए बोला- धीरे चोदना मेरी आदत नहीं है...

ये कहते हुए रघु फूल स्पीड स सावित्री की गाँड़ मारने लगा...

सावित्री अब दर्द से चिल्लाने लगी तो रघु बोला- यही तो मजा है मालकिन...

सावित्री- धीरे से चोद मादरचोद.. गाँड़ की छेद पुरु खुली नहं अभी तक...

रघु- कोई बात नहीं, छेद में खोल देता हूँ...

ये कहते हुए रघु और जोर जोर से गाँड़ मारने लगा...

सावित्री चिल्लाने लगी- बहनचोद......

सावित्री जितना गाली दे रही थी रघु उतना स्पीड से चोद रहा था..

रघु चोदते हुए बोल रहा था- आपकी जैसी क्यों रंडियां चोदा है मेने... मेरे पास कोई नखरा नही चलेगा....

ये कहते हुए रघु पागलों की तरह गाँड़ मारने लगा...

सावित्री अव फुल स्पीड से चुद रही थी... उसके मुंह से जोर जोर स आवाज़ें आने लगी.. उसकी दोनो चुचियाँ जोर जोर से उछलने लगी थी....

रघु करीब 30 मिनट तक सावित्री की गाँड़ को खड़े खड़े चोदा... सावित्री की हालत खराब होने लगी थी लेकिन खेल अभी बाकी था....

कुछ देर बाद सावित्री घुटनो के बल बैठ के रघु का लन्ड चूस रही थी... सावित्री पसीने से पूरी तरह भीग चुकी थी क्योंकि उसकी दो बार जोरदार ठुकाई हो चुकी थी...

रघु अब सावित्री को एक पेड़ के पास ले गया और उसे पेड़ पे सटा के खड़ा किया और उसकी एक टांग को ऊपर उठाया और पीछे से चोदने लगा.... वहां पे रघु सावित्री को करीब 30-35 मिनट तक चोदा...

सावित्री रघु की चोदने की कला से खुश थी...

कुछ ही देर बाद रघु और सावित्री कार पर नंगे सोये हुए थे...

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Mast majedaar update Bhai
 
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फिर सावित्री अपने हाथ को ले जाते हुए रघु के सोये हुए लन्ड को पकड़ के सहलाने लगी...

रघु- सोये शेर को मत जगाओ मालकिन

सावित्री- क्यों तेरे शेर में और दम नहीं है क्या मेरी गुफा में घुसने की ?

रघु सावित्री की और देखते हुए बोला- मेरे शेर में इतना दम है कि तुम्हारे गुफा को सुरंग बना सकता है..

सावित्री मादक हंसी हंसती हुई बोली-तो देर किस बात की, बना सुरंग...

रघु हैरान था कि सावित्री 50 साल की होने के वावजूद और फिर तीन बार भयंकर चुदाई होने की बाबजूद अब भी ठुकाई के लिए तैयार थी...

रघु झट से सावित्री की चूत में उंगली घुसा दिया और आगे पीछे करते हुए बोला- लगता है बड़ा सुरंग करना पड़ेगा...

रघु का लन्ड फिर से खड़ा होने लगा था....सावित्री लन्ड को हाथ से मुठ मारने लगी थी और फिर अपना मुंह ले जाकर लन्ड को चूसने लगी...

रघु भी उंगली से चुत को जोर जोर से मारने लगा...

सावित्री अचानक रघु को गले लगाती हुई बोली- ओह रघु, अब लगता है मुझे तेरे लन्ड की आदत हो जाएगी..

रघु का लन्ड फिर से चोदने के लिए तैयार था...रघु सावित्री की दोनों चूची को पकड़ के चूसने लगा....

सावित्री- अब और मत तड़पा रघु.. जल्दी से चोदना सुरु कर...

बस क्या था, रघु सावित्री को अपने लन्ड के ऊपर अपनी तरफ मुंह कर के बिठाया और उसकी दोनो गाँड़ को पकड़ के सावित्री को ऊपर नीचे करने लगा...

सावित्री मजे से चुदने लगी... धीरे धीरे रघु की चोदने की स्पीड बढ़ गया तो सावित्री बोली- और जोर से चोद मेरे राजा...

रघु को बहुत ज्यादा जोश आने लगा था... रघु चोदते हुए एक जोदार चांटा सावित्री की गाँड़ पर मारा... कार के अंदर एक जोरद्दार आवाज गूंज गयी.. सावित्री की मुंह से मादक सिसकारी निकल गयी.. रघु का जोरदार चांटा लगने पर सावित्री की गाँड़ लाल होने लगी थी...

रघु स्पीड से चोदते हुए चांटे पे चांटे मारने लगा और सावित्री की गाँड़ लाल हो चुकी थी...

सावित्री- आआआआहहहहहहह मम्मम्ममम्ममम्ममम्म मममममममम ममममममममम

रघु सावित्री की कमर पर हाथ रख कर उसको ऊपर नीचे करके लन्ड के ऊपर बिठा कर चोद रहा था जिसकी वजह से कार तेजी से हिलने लगा...

सावित्री- बस ऐसे ही चोदो मेरे राजा..

रघु का स्पीड बढ़ चुका था... उसका काला लन्ड सावित्री की चूत को दनादन चोद रहा था... कार के अंदर सावित्री की सिसकारी के साथ साथ पच पच पच पच पच की आवाज़ें आ रही थी जो कि तेजी से लन्ड घुसने से आ रही थी....

सावित्री की बड़ी बड़ी चूचियाँ रघु का सीने में तेजी से घिस रही थी... रघु चोदते हुए एक जोरदार चांटा उसकी गाँड़ पे मारते हुए बोला- तुम्हारी गुफा को मेरा शेर आज सुरंग बनाएगा मालकिन... सावित्री की बड़ी बड़ी गाँड़ अब लाल हो चुकी थी...

सावित्री अब जोर जोर से हांफने लगी थी क्योंकि चुदाई बहुत स्पीड से होने लगी थी और उससे पहले भी तीन बार जोरदार ठुकाई हो चुकी थी...
रघु same स्पीड में चोद रहा था..

रघु- क्यों मजा आ रही है ना मालकिन ? (गाँड़ पे चांटा मारते हुए)

सावित्री जो कि पूरी तरह पसीने से भीग चुकी थी और उसकी मुंह और गाँड़ लाल हो चुके थे, हांफती हुई बोली- इतनी ठुकाई तो कभी रणजीत के पापा ने भी नहीं किया था कभी....

रघु- वो क्या ठोकेंगे, उनको तो अपर्णा मेडम को रोज ठोकने में फुर्सत नहीं मिल रहा था...

ये सुनके सावित्री चौंकती हुई बोली- तुझको कैसे पता कि जनार्दन रोज अपर्णा को चोदता था ?

रघु गाँड़ पे चांटा और मारते हुए बोला- में कई बार जनार्दन साहब को बालकनी पर अपर्णा मेडम को ठोकते हुए देखा है...

सावित्री आहें भर्ती हुई बोली- साली रांड, सती सावित्री बनती है.. रोज मेरे पति से चुत मरवाती थी कुतिया...

रघु- मालकिन अगर आप बुरा नहीं मानेंगे तो एक बात बोलू ?

सावित्री लन्ड पर उछलती हुई बोली- बोल मेरे राजा

रघु का लन्ड अब झड़ने वाला था...

रघु- मुझे अपर्णा मेडम को ठोकना है...

सावित्री- हां तो ठोक ले.... वैसे भी वो रांड ही है...

सावित्री अब पूरी तरह से थक चुकी थी.. उसकी गाँड़ अब धीरे धीरे हिलने लगे थे पर रघु अब भी उसे दनादन चोद रहा था...

रघु अब झड़ने वाला था, पूरी स्पीड से चोदने लगा तो सावित्री जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी...

एक जोरदार झटके के साथ रघु का वीर्य सावित्री की चूत में भर गया... और रघु ठीक वैसी पोज में ही बैठा रहा और सावित्री भी उसका लन्ड पे ही बेठी रही... बहुत सारा सफेद वीर्य सावित्री की चूत, गाँड़ में और रघु की जांघो पर गिरे हुए थे...

सावित्री- वाकई तू एक शेर है रघु...

रघु- लेकिन ये शेर को रोज शिकार करने की आदत है...

सावित्री एक जोरद्दार kiss उसके होंठो पर देती हुई बोली- तो रोज शिकार कर लेना...

चार बार भयंकर चुदाई के बाद दोनों वापिस बंगले पर आने के लिए निकल पड़े....

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अपर्णा बहुत ही परेशान दिख रही थी और कुर्सी पर बैठी हुई थी और अपने आप बात कर रही थी..

अपर्णा- साले ठरकी बुड्डा, अपना उम्र देखा है कभी.. बड़ा आया मुझे चोदने वाला.. अच्छा हुआ निरूपा सासु माँ की पति है वरना उसको ऐसी सबक सिखाती की कभी चोदने के लायक नहीं रहता..

अपर्णा की गुस्सा शंकर दयाल पर थी जो कि उसके पीछे हाथ धोकर पड़ा था...

फिर अपर्णा मोबाइल से किसीसे बात करने लगी...

अपर्णा- यार जेनिफर मत पूछ यार, कितनी परेशान हूँ..

उधर से जेनिफर जो कि अपर्णा की सहेली थी दिल्ली की वो बात कर रही थी...

जेनिफर- अपर्णा तो फिर बुड्ढे से चुदवा ले और क्या ?

अपर्णा- एक थप्पड़ दूंगी, तू आके चुदवा ले रंडी...

जेनिफर हंसती हुई बोली- तू तो ऐसे बात कर रही है जैसे तूने कभी चूत ना मरवाई हो.. याद है ना कॉलेज की बुड्ढे प्रोफ़ेसर नागपाल ने तुझे किस तरह पिकनिक में चोदा था झरने के नीचे..

अपर्णा- वो बात अलग थी, में उस वक़्त बैचलर थी...

जेनिफर- तो अब कौनसा शादीसुदा है ? तेरे पति रणजीत तो expire हो चुका है ना, अब तू विधवा है... मेरी बात मान तू किसी और से शादी कर ले.. टेंशन खत्म..

अपर्णा- ठीक है में इस बारे में सासु माँ से बात करूँगी...

जेनिफर- लेकिन उससे पहले उस बुड्ढे से चुदवा ले, कम से कम चरमसुख तो मिलेगी तुझे...

अपर्णा- साली रंडी चुप हो जा.. बोल तेरा पति कैसा है, ठीक से ठोक रहा है ना ? (हंसती हुई)

जेनिफर- भले ही एक दिन खाना नहीं खाती हूँ पर लन्ड जरूर खाती हूँ (हंसती हुई)

अपर्णा- तू कभी नहीं सुधरेगी कुटिया.... अच्छा एक बात सुन, में दिल्ली आउंगी कुछ दिनों के लिए ठीक है...

जेनिफर- आजा मेरी रांड.. फिर lesbian करेंगे... बहुत दिन हो गयी तेरी चूची दबा के (हंसती हुई)

अपर्णा- रहने दे

जेनिफर- क्यों तेरी चूची सिर्फ मर्द ही चूसते रहेंगे क्या वैसे भी प्रोफेसर नागपाल अब भी तुझे याद करते रहते हैं...

अपर्णा- अच्छा, क्या बोलते हैं (थोड़ी उत्सुकता दिखाती हुई)

जेनिफर- बोलते हैं अपर्णा कभी आये तो बताना, शायद तुझे फिर ठोकना चाहते होंगे..

अपर्णा - हट कमीनी..

जेनिफर- तुझे याद है ना जब प्रोफेसर नागपाल की बीवी ने तुम दोनों को रंगे हाथ पकड़ा था प्रोफेसर की बाथरूम में...

अपर्णा- रहने दे, तू क्यों वो सब बातें याद कर रही है ?

जेनिफर- मेरे कहना का मतलब है, औरत की जरूरत सिर्फ मर्द ही पूरा कर सकता है... तो तेरे लिए बेहतर होगा किसी मर्द से शारीरिक सम्बन्ध बना ले या फिर दूसरी शादी कर ले...

अपर्णा रघु को याद करते हुए बोली- मेने मर्द ढूंढ लिया है...

जेनिफर- oh really.. कौन है वो गांडू ? (हंसती हुई)

अपर्णा- है, बड़ा ही मजबूत मर्द..

जेनिफर- हां तेरे लिए तो मजबूत मर्द ही चाहिए जो तेरे चूत को बेरहमी से ठोक सके...

अपर्णा हंसती हुई बोली- रंडी कहीं की, चल फोन रखती हूं...

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सावित्री कार से उतर कर बंगले के अंदर जाने लगी तो रास्ते में उसे शंकर दयाल मिल गया जो कि उस तरफ आ रहा था..

शंकर दयाल सावित्री को देख कर बोला- और मेडम, कहाँ गए थे ?

सावित्री- सहर से आ रही हूं जीजू...

शंकर- हूँ आजकल तुम्हारी गाँड़ कुछ ज्यादा ही बड़ी हों गयी है (गाँड़ को दबाते हुए)

सावित्रि- छोड़िये ना जीजा जी.. आप भी ना रस्ते पर छेड़ देते हो..

शंकर- क्या करूँ, बेड पर तेरी दीदी को छेड़ता हूँ ना (सावित्रि की गाँड़ को सहलाते हुए)

सावित्रि जो कि चार बार दर्दनाक ठुकाई खा चुकी थी, उसकी और मन नहिब थी उस दिन और ठुकने कि तो वो बोली- में बहुत थक गई हूँ, मैं चलती हूँ...

शंकर- कोई बात नहीं, आज रात तेरे कमरे में आ रहा हूँ...

सावित्रि- आज नहीं...

शंकर- क्यों किसीसे गाँड़ मरवा के आ रही है क्या बाहर से ?

सावित्रि- आप भी ना केसी बातें करते हो ? चलो में चलती हूँ...

शंकर- तो फिर आज रात को मुझे तेरी गाँड़ मारना है..

सावित्री- ठीक है बाबा... अब तो जाने दो...

बालकनी के ऊपर से अपर्णा ये सब देख रही थी कि किस तरह शंकर दयाल सावित्रि की गाँड़ को सहला रहा था...

लेकिन अगले ही पल वो चौंक गए क्योंकि शंकर दयाल उसकी तरफ देख कर हंस रहा था, अपर्णा समझ नहीं पा रही थी कि क्यों वो हंस रहा था ?

अपर्णा गुस्से से कमरे के अंदर चली गयी...

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फिर सावित्री अपने हाथ को ले जाते हुए रघु के सोये हुए लन्ड को पकड़ के सहलाने लगी...

रघु- सोये शेर को मत जगाओ मालकिन

सावित्री- क्यों तेरे शेर में और दम नहीं है क्या मेरी गुफा में घुसने की ?

रघु सावित्री की और देखते हुए बोला- मेरे शेर में इतना दम है कि तुम्हारे गुफा को सुरंग बना सकता है..

सावित्री मादक हंसी हंसती हुई बोली-तो देर किस बात की, बना सुरंग...

रघु हैरान था कि सावित्री 50 साल की होने के वावजूद और फिर तीन बार भयंकर चुदाई होने की बाबजूद अब भी ठुकाई के लिए तैयार थी...

रघु झट से सावित्री की चूत में उंगली घुसा दिया और आगे पीछे करते हुए बोला- लगता है बड़ा सुरंग करना पड़ेगा...

रघु का लन्ड फिर से खड़ा होने लगा था....सावित्री लन्ड को हाथ से मुठ मारने लगी थी और फिर अपना मुंह ले जाकर लन्ड को चूसने लगी...

रघु भी उंगली से चुत को जोर जोर से मारने लगा...

सावित्री अचानक रघु को गले लगाती हुई बोली- ओह रघु, अब लगता है मुझे तेरे लन्ड की आदत हो जाएगी..

रघु का लन्ड फिर से चोदने के लिए तैयार था...रघु सावित्री की दोनों चूची को पकड़ के चूसने लगा....

सावित्री- अब और मत तड़पा रघु.. जल्दी से चोदना सुरु कर...

बस क्या था, रघु सावित्री को अपने लन्ड के ऊपर अपनी तरफ मुंह कर के बिठाया और उसकी दोनो गाँड़ को पकड़ के सावित्री को ऊपर नीचे करने लगा...

सावित्री मजे से चुदने लगी... धीरे धीरे रघु की चोदने की स्पीड बढ़ गया तो सावित्री बोली- और जोर से चोद मेरे राजा...

रघु को बहुत ज्यादा जोश आने लगा था... रघु चोदते हुए एक जोदार चांटा सावित्री की गाँड़ पर मारा... कार के अंदर एक जोरद्दार आवाज गूंज गयी.. सावित्री की मुंह से मादक सिसकारी निकल गयी.. रघु का जोरदार चांटा लगने पर सावित्री की गाँड़ लाल होने लगी थी...

रघु स्पीड से चोदते हुए चांटे पे चांटे मारने लगा और सावित्री की गाँड़ लाल हो चुकी थी...

सावित्री- आआआआहहहहहहह मम्मम्ममम्ममम्ममम्म मममममममम ममममममममम

रघु सावित्री की कमर पर हाथ रख कर उसको ऊपर नीचे करके लन्ड के ऊपर बिठा कर चोद रहा था जिसकी वजह से कार तेजी से हिलने लगा...

सावित्री- बस ऐसे ही चोदो मेरे राजा..

रघु का स्पीड बढ़ चुका था... उसका काला लन्ड सावित्री की चूत को दनादन चोद रहा था... कार के अंदर सावित्री की सिसकारी के साथ साथ पच पच पच पच पच की आवाज़ें आ रही थी जो कि तेजी से लन्ड घुसने से आ रही थी....

सावित्री की बड़ी बड़ी चूचियाँ रघु का सीने में तेजी से घिस रही थी... रघु चोदते हुए एक जोरदार चांटा उसकी गाँड़ पे मारते हुए बोला- तुम्हारी गुफा को मेरा शेर आज सुरंग बनाएगा मालकिन... सावित्री की बड़ी बड़ी गाँड़ अब लाल हो चुकी थी...

सावित्री अब जोर जोर से हांफने लगी थी क्योंकि चुदाई बहुत स्पीड से होने लगी थी और उससे पहले भी तीन बार जोरदार ठुकाई हो चुकी थी...
रघु same स्पीड में चोद रहा था..

रघु- क्यों मजा आ रही है ना मालकिन ? (गाँड़ पे चांटा मारते हुए)

सावित्री जो कि पूरी तरह पसीने से भीग चुकी थी और उसकी मुंह और गाँड़ लाल हो चुके थे, हांफती हुई बोली- इतनी ठुकाई तो कभी रणजीत के पापा ने भी नहीं किया था कभी....

रघु- वो क्या ठोकेंगे, उनको तो अपर्णा मेडम को रोज ठोकने में फुर्सत नहीं मिल रहा था...

ये सुनके सावित्री चौंकती हुई बोली- तुझको कैसे पता कि जनार्दन रोज अपर्णा को चोदता था ?

रघु गाँड़ पे चांटा और मारते हुए बोला- में कई बार जनार्दन साहब को बालकनी पर अपर्णा मेडम को ठोकते हुए देखा है...

सावित्री आहें भर्ती हुई बोली- साली रांड, सती सावित्री बनती है.. रोज मेरे पति से चुत मरवाती थी कुतिया...

रघु- मालकिन अगर आप बुरा नहीं मानेंगे तो एक बात बोलू ?

सावित्री लन्ड पर उछलती हुई बोली- बोल मेरे राजा

रघु का लन्ड अब झड़ने वाला था...

रघु- मुझे अपर्णा मेडम को ठोकना है...

सावित्री- हां तो ठोक ले.... वैसे भी वो रांड ही है...

सावित्री अब पूरी तरह से थक चुकी थी.. उसकी गाँड़ अब धीरे धीरे हिलने लगे थे पर रघु अब भी उसे दनादन चोद रहा था...

रघु अब झड़ने वाला था, पूरी स्पीड से चोदने लगा तो सावित्री जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी...

एक जोरदार झटके के साथ रघु का वीर्य सावित्री की चूत में भर गया... और रघु ठीक वैसी पोज में ही बैठा रहा और सावित्री भी उसका लन्ड पे ही बेठी रही... बहुत सारा सफेद वीर्य सावित्री की चूत, गाँड़ में और रघु की जांघो पर गिरे हुए थे...

सावित्री- वाकई तू एक शेर है रघु...

रघु- लेकिन ये शेर को रोज शिकार करने की आदत है...

सावित्री एक जोरद्दार kiss उसके होंठो पर देती हुई बोली- तो रोज शिकार कर लेना...

चार बार भयंकर चुदाई के बाद दोनों वापिस बंगले पर आने के लिए निकल पड़े....

************************

अपर्णा बहुत ही परेशान दिख रही थी और कुर्सी पर बैठी हुई थी और अपने आप बात कर रही थी..

अपर्णा- साले ठरकी बुड्डा, अपना उम्र देखा है कभी.. बड़ा आया मुझे चोदने वाला.. अच्छा हुआ निरूपा सासु माँ की पति है वरना उसको ऐसी सबक सिखाती की कभी चोदने के लायक नहीं रहता..

अपर्णा की गुस्सा शंकर दयाल पर थी जो कि उसके पीछे हाथ धोकर पड़ा था...

फिर अपर्णा मोबाइल से किसीसे बात करने लगी...

अपर्णा- यार जेनिफर मत पूछ यार, कितनी परेशान हूँ..

उधर से जेनिफर जो कि अपर्णा की सहेली थी दिल्ली की वो बात कर रही थी...

जेनिफर- अपर्णा तो फिर बुड्ढे से चुदवा ले और क्या ?

अपर्णा- एक थप्पड़ दूंगी, तू आके चुदवा ले रंडी...

जेनिफर हंसती हुई बोली- तू तो ऐसे बात कर रही है जैसे तूने कभी चूत ना मरवाई हो.. याद है ना कॉलेज की बुड्ढे प्रोफ़ेसर नागपाल ने तुझे किस तरह पिकनिक में चोदा था झरने के नीचे..

अपर्णा- वो बात अलग थी, में उस वक़्त बैचलर थी...

जेनिफर- तो अब कौनसा शादीसुदा है ? तेरे पति रणजीत तो expire हो चुका है ना, अब तू विधवा है... मेरी बात मान तू किसी और से शादी कर ले.. टेंशन खत्म..

अपर्णा- ठीक है में इस बारे में सासु माँ से बात करूँगी...

जेनिफर- लेकिन उससे पहले उस बुड्ढे से चुदवा ले, कम से कम चरमसुख तो मिलेगी तुझे...

अपर्णा- साली रंडी चुप हो जा.. बोल तेरा पति कैसा है, ठीक से ठोक रहा है ना ? (हंसती हुई)

जेनिफर- भले ही एक दिन खाना नहीं खाती हूँ पर लन्ड जरूर खाती हूँ (हंसती हुई)

अपर्णा- तू कभी नहीं सुधरेगी कुटिया.... अच्छा एक बात सुन, में दिल्ली आउंगी कुछ दिनों के लिए ठीक है...

जेनिफर- आजा मेरी रांड.. फिर lesbian करेंगे... बहुत दिन हो गयी तेरी चूची दबा के (हंसती हुई)

अपर्णा- रहने दे

जेनिफर- क्यों तेरी चूची सिर्फ मर्द ही चूसते रहेंगे क्या वैसे भी प्रोफेसर नागपाल अब भी तुझे याद करते रहते हैं...

अपर्णा- अच्छा, क्या बोलते हैं (थोड़ी उत्सुकता दिखाती हुई)

जेनिफर- बोलते हैं अपर्णा कभी आये तो बताना, शायद तुझे फिर ठोकना चाहते होंगे..

अपर्णा - हट कमीनी..

जेनिफर- तुझे याद है ना जब प्रोफेसर नागपाल की बीवी ने तुम दोनों को रंगे हाथ पकड़ा था प्रोफेसर की बाथरूम में...

अपर्णा- रहने दे, तू क्यों वो सब बातें याद कर रही है ?

जेनिफर- मेरे कहना का मतलब है, औरत की जरूरत सिर्फ मर्द ही पूरा कर सकता है... तो तेरे लिए बेहतर होगा किसी मर्द से शारीरिक सम्बन्ध बना ले या फिर दूसरी शादी कर ले...

अपर्णा रघु को याद करते हुए बोली- मेने मर्द ढूंढ लिया है...

जेनिफर- oh really.. कौन है वो गांडू ? (हंसती हुई)

अपर्णा- है, बड़ा ही मजबूत मर्द..

जेनिफर- हां तेरे लिए तो मजबूत मर्द ही चाहिए जो तेरे चूत को बेरहमी से ठोक सके...

अपर्णा हंसती हुई बोली- रंडी कहीं की, चल फोन रखती हूं...

*************************
सावित्री कार से उतर कर बंगले के अंदर जाने लगी तो रास्ते में उसे शंकर दयाल मिल गया जो कि उस तरफ आ रहा था..

शंकर दयाल सावित्री को देख कर बोला- और मेडम, कहाँ गए थे ?

सावित्री- सहर से आ रही हूं जीजू...

शंकर- हूँ आजकल तुम्हारी गाँड़ कुछ ज्यादा ही बड़ी हों गयी है (गाँड़ को दबाते हुए)

सावित्रि- छोड़िये ना जीजा जी.. आप भी ना रस्ते पर छेड़ देते हो..

शंकर- क्या करूँ, बेड पर तेरी दीदी को छेड़ता हूँ ना (सावित्रि की गाँड़ को सहलाते हुए)

सावित्रि जो कि चार बार दर्दनाक ठुकाई खा चुकी थी, उसकी और मन नहिब थी उस दिन और ठुकने कि तो वो बोली- में बहुत थक गई हूँ, मैं चलती हूँ...

शंकर- कोई बात नहीं, आज रात तेरे कमरे में आ रहा हूँ...

सावित्रि- आज नहीं...

शंकर- क्यों किसीसे गाँड़ मरवा के आ रही है क्या बाहर से ?

सावित्रि- आप भी ना केसी बातें करते हो ? चलो में चलती हूँ...

शंकर- तो फिर आज रात को मुझे तेरी गाँड़ मारना है..

सावित्री- ठीक है बाबा... अब तो जाने दो...

बालकनी के ऊपर से अपर्णा ये सब देख रही थी कि किस तरह शंकर दयाल सावित्रि की गाँड़ को सहला रहा था...

लेकिन अगले ही पल वो चौंक गए क्योंकि शंकर दयाल उसकी तरफ देख कर हंस रहा था, अपर्णा समझ नहीं पा रही थी कि क्यों वो हंस रहा था ?

अपर्णा गुस्से से कमरे के अंदर चली गयी...

************************
Terrific update...agle update kaa intezaar hain...thanks so much!!
 
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Raja maurya

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फिर सावित्री अपने हाथ को ले जाते हुए रघु के सोये हुए लन्ड को पकड़ के सहलाने लगी...

रघु- सोये शेर को मत जगाओ मालकिन

सावित्री- क्यों तेरे शेर में और दम नहीं है क्या मेरी गुफा में घुसने की ?

रघु सावित्री की और देखते हुए बोला- मेरे शेर में इतना दम है कि तुम्हारे गुफा को सुरंग बना सकता है..

सावित्री मादक हंसी हंसती हुई बोली-तो देर किस बात की, बना सुरंग...

रघु हैरान था कि सावित्री 50 साल की होने के वावजूद और फिर तीन बार भयंकर चुदाई होने की बाबजूद अब भी ठुकाई के लिए तैयार थी...

रघु झट से सावित्री की चूत में उंगली घुसा दिया और आगे पीछे करते हुए बोला- लगता है बड़ा सुरंग करना पड़ेगा...

रघु का लन्ड फिर से खड़ा होने लगा था....सावित्री लन्ड को हाथ से मुठ मारने लगी थी और फिर अपना मुंह ले जाकर लन्ड को चूसने लगी...

रघु भी उंगली से चुत को जोर जोर से मारने लगा...

सावित्री अचानक रघु को गले लगाती हुई बोली- ओह रघु, अब लगता है मुझे तेरे लन्ड की आदत हो जाएगी..

रघु का लन्ड फिर से चोदने के लिए तैयार था...रघु सावित्री की दोनों चूची को पकड़ के चूसने लगा....

सावित्री- अब और मत तड़पा रघु.. जल्दी से चोदना सुरु कर...

बस क्या था, रघु सावित्री को अपने लन्ड के ऊपर अपनी तरफ मुंह कर के बिठाया और उसकी दोनो गाँड़ को पकड़ के सावित्री को ऊपर नीचे करने लगा...

सावित्री मजे से चुदने लगी... धीरे धीरे रघु की चोदने की स्पीड बढ़ गया तो सावित्री बोली- और जोर से चोद मेरे राजा...

रघु को बहुत ज्यादा जोश आने लगा था... रघु चोदते हुए एक जोदार चांटा सावित्री की गाँड़ पर मारा... कार के अंदर एक जोरद्दार आवाज गूंज गयी.. सावित्री की मुंह से मादक सिसकारी निकल गयी.. रघु का जोरदार चांटा लगने पर सावित्री की गाँड़ लाल होने लगी थी...

रघु स्पीड से चोदते हुए चांटे पे चांटे मारने लगा और सावित्री की गाँड़ लाल हो चुकी थी...

सावित्री- आआआआहहहहहहह मम्मम्ममम्ममम्ममम्म मममममममम ममममममममम

रघु सावित्री की कमर पर हाथ रख कर उसको ऊपर नीचे करके लन्ड के ऊपर बिठा कर चोद रहा था जिसकी वजह से कार तेजी से हिलने लगा...

सावित्री- बस ऐसे ही चोदो मेरे राजा..

रघु का स्पीड बढ़ चुका था... उसका काला लन्ड सावित्री की चूत को दनादन चोद रहा था... कार के अंदर सावित्री की सिसकारी के साथ साथ पच पच पच पच पच की आवाज़ें आ रही थी जो कि तेजी से लन्ड घुसने से आ रही थी....

सावित्री की बड़ी बड़ी चूचियाँ रघु का सीने में तेजी से घिस रही थी... रघु चोदते हुए एक जोरदार चांटा उसकी गाँड़ पे मारते हुए बोला- तुम्हारी गुफा को मेरा शेर आज सुरंग बनाएगा मालकिन... सावित्री की बड़ी बड़ी गाँड़ अब लाल हो चुकी थी...

सावित्री अब जोर जोर से हांफने लगी थी क्योंकि चुदाई बहुत स्पीड से होने लगी थी और उससे पहले भी तीन बार जोरदार ठुकाई हो चुकी थी...
रघु same स्पीड में चोद रहा था..

रघु- क्यों मजा आ रही है ना मालकिन ? (गाँड़ पे चांटा मारते हुए)

सावित्री जो कि पूरी तरह पसीने से भीग चुकी थी और उसकी मुंह और गाँड़ लाल हो चुके थे, हांफती हुई बोली- इतनी ठुकाई तो कभी रणजीत के पापा ने भी नहीं किया था कभी....

रघु- वो क्या ठोकेंगे, उनको तो अपर्णा मेडम को रोज ठोकने में फुर्सत नहीं मिल रहा था...

ये सुनके सावित्री चौंकती हुई बोली- तुझको कैसे पता कि जनार्दन रोज अपर्णा को चोदता था ?

रघु गाँड़ पे चांटा और मारते हुए बोला- में कई बार जनार्दन साहब को बालकनी पर अपर्णा मेडम को ठोकते हुए देखा है...

सावित्री आहें भर्ती हुई बोली- साली रांड, सती सावित्री बनती है.. रोज मेरे पति से चुत मरवाती थी कुतिया...

रघु- मालकिन अगर आप बुरा नहीं मानेंगे तो एक बात बोलू ?

सावित्री लन्ड पर उछलती हुई बोली- बोल मेरे राजा

रघु का लन्ड अब झड़ने वाला था...

रघु- मुझे अपर्णा मेडम को ठोकना है...

सावित्री- हां तो ठोक ले.... वैसे भी वो रांड ही है...

सावित्री अब पूरी तरह से थक चुकी थी.. उसकी गाँड़ अब धीरे धीरे हिलने लगे थे पर रघु अब भी उसे दनादन चोद रहा था...

रघु अब झड़ने वाला था, पूरी स्पीड से चोदने लगा तो सावित्री जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी...

एक जोरदार झटके के साथ रघु का वीर्य सावित्री की चूत में भर गया... और रघु ठीक वैसी पोज में ही बैठा रहा और सावित्री भी उसका लन्ड पे ही बेठी रही... बहुत सारा सफेद वीर्य सावित्री की चूत, गाँड़ में और रघु की जांघो पर गिरे हुए थे...

सावित्री- वाकई तू एक शेर है रघु...

रघु- लेकिन ये शेर को रोज शिकार करने की आदत है...

सावित्री एक जोरद्दार kiss उसके होंठो पर देती हुई बोली- तो रोज शिकार कर लेना...

चार बार भयंकर चुदाई के बाद दोनों वापिस बंगले पर आने के लिए निकल पड़े....

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अपर्णा बहुत ही परेशान दिख रही थी और कुर्सी पर बैठी हुई थी और अपने आप बात कर रही थी..

अपर्णा- साले ठरकी बुड्डा, अपना उम्र देखा है कभी.. बड़ा आया मुझे चोदने वाला.. अच्छा हुआ निरूपा सासु माँ की पति है वरना उसको ऐसी सबक सिखाती की कभी चोदने के लायक नहीं रहता..

अपर्णा की गुस्सा शंकर दयाल पर थी जो कि उसके पीछे हाथ धोकर पड़ा था...

फिर अपर्णा मोबाइल से किसीसे बात करने लगी...

अपर्णा- यार जेनिफर मत पूछ यार, कितनी परेशान हूँ..

उधर से जेनिफर जो कि अपर्णा की सहेली थी दिल्ली की वो बात कर रही थी...

जेनिफर- अपर्णा तो फिर बुड्ढे से चुदवा ले और क्या ?

अपर्णा- एक थप्पड़ दूंगी, तू आके चुदवा ले रंडी...

जेनिफर हंसती हुई बोली- तू तो ऐसे बात कर रही है जैसे तूने कभी चूत ना मरवाई हो.. याद है ना कॉलेज की बुड्ढे प्रोफ़ेसर नागपाल ने तुझे किस तरह पिकनिक में चोदा था झरने के नीचे..

अपर्णा- वो बात अलग थी, में उस वक़्त बैचलर थी...

जेनिफर- तो अब कौनसा शादीसुदा है ? तेरे पति रणजीत तो expire हो चुका है ना, अब तू विधवा है... मेरी बात मान तू किसी और से शादी कर ले.. टेंशन खत्म..

अपर्णा- ठीक है में इस बारे में सासु माँ से बात करूँगी...

जेनिफर- लेकिन उससे पहले उस बुड्ढे से चुदवा ले, कम से कम चरमसुख तो मिलेगी तुझे...

अपर्णा- साली रंडी चुप हो जा.. बोल तेरा पति कैसा है, ठीक से ठोक रहा है ना ? (हंसती हुई)

जेनिफर- भले ही एक दिन खाना नहीं खाती हूँ पर लन्ड जरूर खाती हूँ (हंसती हुई)

अपर्णा- तू कभी नहीं सुधरेगी कुटिया.... अच्छा एक बात सुन, में दिल्ली आउंगी कुछ दिनों के लिए ठीक है...

जेनिफर- आजा मेरी रांड.. फिर lesbian करेंगे... बहुत दिन हो गयी तेरी चूची दबा के (हंसती हुई)

अपर्णा- रहने दे

जेनिफर- क्यों तेरी चूची सिर्फ मर्द ही चूसते रहेंगे क्या वैसे भी प्रोफेसर नागपाल अब भी तुझे याद करते रहते हैं...

अपर्णा- अच्छा, क्या बोलते हैं (थोड़ी उत्सुकता दिखाती हुई)

जेनिफर- बोलते हैं अपर्णा कभी आये तो बताना, शायद तुझे फिर ठोकना चाहते होंगे..

अपर्णा - हट कमीनी..

जेनिफर- तुझे याद है ना जब प्रोफेसर नागपाल की बीवी ने तुम दोनों को रंगे हाथ पकड़ा था प्रोफेसर की बाथरूम में...

अपर्णा- रहने दे, तू क्यों वो सब बातें याद कर रही है ?

जेनिफर- मेरे कहना का मतलब है, औरत की जरूरत सिर्फ मर्द ही पूरा कर सकता है... तो तेरे लिए बेहतर होगा किसी मर्द से शारीरिक सम्बन्ध बना ले या फिर दूसरी शादी कर ले...

अपर्णा रघु को याद करते हुए बोली- मेने मर्द ढूंढ लिया है...

जेनिफर- oh really.. कौन है वो गांडू ? (हंसती हुई)

अपर्णा- है, बड़ा ही मजबूत मर्द..

जेनिफर- हां तेरे लिए तो मजबूत मर्द ही चाहिए जो तेरे चूत को बेरहमी से ठोक सके...

अपर्णा हंसती हुई बोली- रंडी कहीं की, चल फोन रखती हूं...

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सावित्री कार से उतर कर बंगले के अंदर जाने लगी तो रास्ते में उसे शंकर दयाल मिल गया जो कि उस तरफ आ रहा था..

शंकर दयाल सावित्री को देख कर बोला- और मेडम, कहाँ गए थे ?

सावित्री- सहर से आ रही हूं जीजू...

शंकर- हूँ आजकल तुम्हारी गाँड़ कुछ ज्यादा ही बड़ी हों गयी है (गाँड़ को दबाते हुए)

सावित्रि- छोड़िये ना जीजा जी.. आप भी ना रस्ते पर छेड़ देते हो..

शंकर- क्या करूँ, बेड पर तेरी दीदी को छेड़ता हूँ ना (सावित्रि की गाँड़ को सहलाते हुए)

सावित्रि जो कि चार बार दर्दनाक ठुकाई खा चुकी थी, उसकी और मन नहिब थी उस दिन और ठुकने कि तो वो बोली- में बहुत थक गई हूँ, मैं चलती हूँ...

शंकर- कोई बात नहीं, आज रात तेरे कमरे में आ रहा हूँ...

सावित्रि- आज नहीं...

शंकर- क्यों किसीसे गाँड़ मरवा के आ रही है क्या बाहर से ?

सावित्रि- आप भी ना केसी बातें करते हो ? चलो में चलती हूँ...

शंकर- तो फिर आज रात को मुझे तेरी गाँड़ मारना है..

सावित्री- ठीक है बाबा... अब तो जाने दो...

बालकनी के ऊपर से अपर्णा ये सब देख रही थी कि किस तरह शंकर दयाल सावित्रि की गाँड़ को सहला रहा था...

लेकिन अगले ही पल वो चौंक गए क्योंकि शंकर दयाल उसकी तरफ देख कर हंस रहा था, अपर्णा समझ नहीं पा रही थी कि क्यों वो हंस रहा था ?

अपर्णा गुस्से से कमरे के अंदर चली गयी...

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Mast majedaar update Bhai
 
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Polakh555

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रघुनाथपुर के सीमा में खड़ी थी एक विशाल और आलीशान बंगला.... लगता तो ऐसा था कि कोई राजा महाराज की बंगला हो.. विल्कुल मनमोहक..

रात के करीब 11 बज रहे थे.. बंगले की सारी लाइटें ऑफ थी.. ऊपरी मंजिला की corner वाले कमरे से किसी औरत की मादकता से भरी आवाज़ें आ रही थी.. आआआहहहहहहह...मममममम.. ससससससस,

कुछ समय बाद आवाज़ें आनी बन्द हो गयी और कमरे की लाइट ऑन हो गयी... एक बुढा आदमी जिसकी उम्र लगभग 60 साल की थी बिल्कुल नंगा बेड पर बैठा हुआ था और उसके सामने एक औरत जिसकी उम्र लगभग 47 साल की थी बेड पर नंगी थी... दोनों पसीनों से लथपथ थे.. उस औरत बहुत ही सेक्सी थी, जिसके चुची बड़ी बड़ी थी जो कि 38 साइज की होगी... बड़ी गाँड़ के साथ साथ चुत के ऊपर झांटों से भरी हुई जंगल थी... उस बुड्ढा की लन्ड मुरझा हुआ झुका हुआ बिल्कुल छोटा था....

वो बुड्डा और कोई नहीं उस बंगले की मालिक और रघुनाथपुर की सबसे अमीर आदमी जनार्दन चौधुरी थे और सामने बैठी औरत उनकी बीवी सावित्री थी...

सावित्री- जब आपसे होता नहीं है तो आप करते ही क्यों हैं ?

जनार्दन- में कोसिस तो कर रहा हूँ ना सावित्री...

सावित्री- ख़्वामोखा मुझे प्यासी करके छोड़ देते हैं, बस अपना आनंद ले लेते हो...

जनार्दन- क्या करूँ, उमर भी तो हो गया है...

सावित्री- तो फिर करते ही क्यों है ?

जनार्दन- क्या करूँ, आदत जो हो गयी है तुम्हारी...

सावित्री- रहने दो,

सावित्री गुस्से में लग रही थी.. क्यों कि जनार्दन चौधुरी उसको भरपूर सेक्स का मजा नहीं दे पा रहे थे...

सावित्री जो कि एक गदरायी हुई सेक्सी बदन की मालकिन थी.. उभरे हुए 38 की चुचीं, रसीले कमर और उभरा हुआ पाहाड जैसी गाँड़, जिसको देख कर किसी भी मर्द का लन्ड झट से खड़ा हो जाये....

सावित्री 2 बच्चों की माँ थी.. एक बेटा और एक बेटी... बेटा का नाम रंजीत था जो कि चौधरी बंश का अगला वारिश था जो कि Delhi में किसी multi-National company में job कर रहा था.. रंजीत का उम्र 30 साल था...

और एक बेटी थी नम्रता जो कि 25 साल की थी.. जिसकी शादी जल्दी ही हो गयी थी... पास के सहर में ही उसकी शादी हुई थी...

तो इतने बड़े बंगले में सिर्फ जनार्दन चौधुरी और उनकी बीवी सावित्री ही थे... उनकी बंगले में उनके अलावा एक नौकर, एक नौकरानी, और एक ड्राइवर भी थे..

नौकर का नाम परमेस्वर, नौकरानी का नाम शांति, और ड्राइवर का नाम रघु था....

***********************

परमेस्वर और शांति बंगले का सभी काम करते थे..और ड्राइवर रघु भी गाड़ी चलाने के अलावा बगीचे का काम भी कर लेता था..

भले ही जनार्दन चौधुरी बुड्ढे हो गए हों और सेक्स करने में दिक्कतें आ रही हो फिर भी वो एक कामुक किस्म के आदमी थे.. औरत उनकी कमजोरी थी.. अपने जवानी के दिन में वो बहुत अय्याश किये थे फिर उन्होंने सावित्री से शादी कर ली.. शादी के बाद भी उनकी रासलीला खत्म नही हुई थी.... रघुनाथपुर गांव के कई औरतों को वो अपना रांड बना कर रखे हुए थे... चौधरी के पास बहुत जमीन जायदाद था.. खेती काम के लिए जब गावों की औरतें काम के लिए आते तो जनार्दन उनको हवस की नजर से देखते थे और छेड़ते थे..... कई औरतों को खेत में बने झोपड़ी में चुदाई करते थे.... ये सब बात सावित्री को पता थी लेकिन जनार्दन के गुस्सा को वो अच्छी तरह जानती थी....

एक दिन जनार्दन अपने बगीचे में बेठ के चाय पी रहे थे... तभी उनका नौकर परमेस्वर आया-

परमेस्वर- मालिक, गांव की कोई औरत आपसे मिलना चाहती है..

जनार्दन जैसे ही औरत की नाम सुने, उनके आंखों में वासना के कीड़े दौड़ने लगे...

जनार्दन- कौन औरत ? क्या नाम है उसकी ?

परमेस्वर- पता नहीं मालिक..

जनार्दन- ठीक है यहां भेज दे उसे...

परमेस्वर के जाने के बाद जनार्दन एक सिगरेट निकाल के मुंह पर डालने लगे.....

औरत- नमस्ते हुजूर...

जनार्दन ने पीछे मुड़ के देखे तो पीला रंग की साड़ी में एक औरत खड़ी थी, पीला ब्लाउज में उसकी चुचीं साफ नजर आ रही थी...

जनार्दन- पीछे क्यों खड़ी है, आगे आजा....

वो औरत आगे आ गयी...

जनार्दन- क्या नाम है तेरा ?

औरत- जी, निर्मला

जनार्दन- बोल क्या बात है ?

निर्मला- हुजूर मुझे कुछ पैसे उधार चाहिए, मेरे बच्चे की तवियत खराब है, उसे अस्पताल ले जाना है....

जनार्दन हमेशा ऐसी मौके की तलाश में रहता था...

जनार्दन- क्या हुआ है तेरे बच्चे को ?

निर्मला- जी पता नहीं हुजूर, कल से बुखार है....

जनार्दन- देख पैसे तो मेरे पास भी नहीं है लेकिन तेरे लिए में जुगाड़ कर सकता हूँ अगर तू चाहे तो !!

निर्मला- मालिक में क्या कर सकती हूँ ? आप ही तो सब कुछ हो...

जनार्दन निर्मला की बड़ी बड़ी चुचीं को घूरते हुए बोला- निर्मला कुछ चीज़ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है....

निर्मला एक सीधी साधी औरत थी, लेकिन वो सब समझ गयी कि चौधुरी क्या कहना चाहता है, लेकिन वो मजबूर थी, गांव में दूसरा कोई उसकी मदद नहीं कर सकता....

निर्मला- जी में तैयार हूं...

जनार्दन- अरे वाह !!! बड़ी होशियार है तू, सब समझ गयी...

निर्मला नज़रें झुकाए खड़ी थी...

जनार्दन- आज रात को यहां आ जाना, पैसे वहां मिल जाएंगे...

निर्मला- जी मालिक....

निर्मला वापस जाने लगी....

पीछे परमेस्वर झाड़ी को पानी दे रहा था और ये सब चुपके से देख रहा था...तभी ड्राइवर रघु वहां आ गया..

रघु- और परमेस्वर भाई, क्या खबर है, सब ठीकठाक ना ?

परमेस्वर- हैं भाई... यहां तो बस चौधुरी साहब का ही मजे ही मजे हैं...

रघु- हां उनका तो है.. क्यों आज कोई नई माल मिल गया क्या उन्हें...

परमेस्वर- हां भाई.. गांव की कोई औरत आयी थी निर्मला नाम की.. उसको आज रात यहां पर बुलाये हैं चौधुरी साहब ने...

रघु- चौधुरी साहब की मजे है भाई, रोज नई नई चुत... और साला हम हैं कि एक ही चुत पे लन्ड रगड़ रगड़ के थक गए हैं, मजा नहीं आ रहा है...

परमेस्वर- क्यों भाभी अब और मजा नहीं दे रही है क्या (हंसते हुए)

रघु- हां भाई एक ही चुत कितना मारोगे....

परमेस्वर- तो फिर कोई नई चुत ढूंढ लो भाई...

रघु- वो में ढूंढ लिया हुँ...

परमेस्वर- अच्छा, बताना कौन है वो ?

रघु- चौधरी साहब की बीवी सावित्री....

परमेस्वर- अबे पागल हो गया क्या ? तुझे पता है तू किसकी बारे में बोल रहा है...

रघु- पता है...

परमेस्वर- पता है फिर भी बोल रहा है... अगर मालकिन को पता चल गया तो तेरा छुट्टी हो जाएगा यहां से....

रघु- परमेस्वर एक बात बताऊं, तू कभी ध्यान से सावित्री मालकिन को देखना, उनकी आंखों में प्यास नजर आती है... बस इसीका फायदा मुझे उठाना है...

परमेस्वर- क्या बक रहा है तू ?

रघु- मुझे लगता है उनको भरपूर सेक्स की जरूरत है... बुड्डा अभी ठीक से चोद नहीं पा रहा है उनको....

परमेस्वर- देख भाई.. जो भी करना है चालाकी से कर वरना कुछ गड़बड़ हो गया तो तू नहीं बचेगा....

रघु हंसते हुए बोला- बोल तुझे चाहिए क्या सावित्री की चुत ?

परमेस्वर- नहीं भाई मेरे पास शांति की चुत है जिससे में खुश हूं..

रघु- साला शांति (नौकरानी) को चोद चोद के सारे रस चूस लिया है तूने, कभी मुझे भी तो चूसा...

परमेस्वर- पहले तू सावित्री मालकिन की चूस ले, बाद में शांति की चूसना...

फिर दोनों खिलखिला कर हंसने लगे.....

***********************

सावित्री अपने कमरे में बेठ के अपना बेटा रंजीत से फ़ोन पे बात कर रही थी....

सावित्री- बहुत दिन हो गया तुझे यहाँ से जाके, कब आ रहा है तू ?

रंजीत- बस और कुछ दिन ठहर जाओ mom... फिर में अकेला नहीं किसी और को भी लेकर आऊंगा....

सावित्री- किसी और को, किसको ?

रंजीत- तुम्हारी बहु को....

सावित्री- तूने हम सबको बिन बताए शादी कर ली ?

रंजीत- नहीं mom, शादी करने वाला हूँ, वो भी Court marraige...

सावित्री- Court marraige क्यों ?

रंजीत- क्योंकि वो दूसरे Caste की है और हमारी love marraige होगी....

सावित्री- तेरे पापा को पता चल गया तो गुस्सा होंगे....

रंजीत- Mom आप सब संभाल लेना please....

सावित्री- ठीक है, पहले तू आ तो सही, फिर तेरा शादी की पार्टी भी होगी....

रंजीत- Thank you mom...

सावित्री- Bye बेटा....

रंजीत- Bye mom..

सावित्री के phone रखते ही शांति (नौकरानी) चाय लेके आ गयी...

शांति- मालकिन चाय....

सावित्री चाय की कप उठा कर पीने लगी.....

शांति- मालकिन आज हमारे पास एक नई खबर है....

सावित्री- बोल...

शांति- मालिक आज रात यहां पर गाँव की किसी औरत को बुलाये हैं.....

सावित्री- खबर पक्की है ना...

शांति- हां मालकिन...

सावित्री- तुझे पता है वो औरत कौन है ?

शांति- नहीं मालकिन...

सावित्री- ठीक है तू जा.....

शांति अपनी मोटी मोटी गाँड़ मटका ते हुए चली गयी..

सावित्री मन ही मन बोल रही थी- पता नहीं ये आदमी कब सुधरेगा ? जब भी देखो औरत.. लेकिन उनसे होता कुछ नहीं है फिर भी औरत चाहिए... जब उनके दो बच्चों को ये पता चलेगा तब क्या होगा ?

तब पीछे से रघु ने आवाज दिया- मालकिन आपने मुझे बुलाया ?

सावित्री पीछे मुड़ गयी और बोली- हां कल सुबह मुझे सहर थोड़ा जाना है, गाड़ी तैयार रखो...

रघु- जी मालकिन...

ये कहते हुए रघु बार बार सावित्री के बड़े बड़े चुचीं को घूर रहा था कि जो कि मदमस्त नजर आ रहे थे....

रघु जाते हुए सोच रहा था- उफ्फ क्या जवानी है सावित्री मालकिन की... रसीले बदन के साथ साथ रसीले चुचियाँ.... बुड्डा की जगह में होता तो सारी रस चूस कर फेंक देता...

ये सोचते हुए रघु अपना लन्ड पैंट के ऊपर से हाथ से मसलते हुए बाहर जा रहा था....

रात के 9 बज रहे थे.. निर्मला बंगले की गेट पे खड़ी थी... तभी शांति ने सावित्री को ये खबर दे दी... सावित्री ने रघु को फ़ोन करके बोल दी कि उस औरत को गेट के पास ही रोक कर रखो, में आ रही हूं...

गेट के पास रघु और निर्मला खड़े थे, तभी अंदर से सावित्री आ रही थी... जोर जोर से चलने की वजह से सावित्री की दोनो चुचियाँ हवा में ऊपर नीचे हो रही थी... रघु की नजर सावित्री की चुचियों पर थी जो जोर जोर से हिल रही थी... रघु निचले होंठ को अपने दांतों से दबा रहा था सावित्री की हिलते चुचियाँ देख कर....

सावित्री पास आ गयी और बोली- तू कौन है, तेरा नाम क्या है ?

निर्मला- जी निर्मला...

सावित्री- यहां पे क्यों आयी है ?

निर्मला- जी मालिक ने बुलाया है...

सावित्री- तुझे पता है वो तुझे किस लिए बुलाये हैं ?

निर्मला- जी पता है...

सावित्री- फिर भी तू आयी है ?

निर्मला- जी..

सावित्री- बोल तुझे क्या चाहिए, पैसा चाहिए या कुछ और ? में देती हूं....

तभी बालकनी में खड़े जनार्दन ने आवाज दिया- रघु, उस औरत को अंदर आने दो....

सावित्री पीछे मुड़ कर जनार्दन को घूर के देख रही थी... निर्मला बंगले के अंदर जा रही थी...

रघु बारबार सावित्री को घूरते हुए मन में बोल रहा था- तेरा पति तेरे सामने गैर औरतों की ठुकाई कर रहा है, तू भी गैर मर्दों से ठुकाई करवा लें....

फिर सावित्री बड़े गुस्से से अंदर जा रही थी....

बाहर में खड़े शांति और रघु ये सब देख रहे थे.......

रघु- शांति, क्या तुझे पता है कि चौधुरी सहाब ने इस औरत को इतनी रात को क्यों बुलाये हैं ?

शांति शरमा गयी और बोली- बात तो ऐसे कर रहा है जैसे कुछ मालूम ही ना हो....

रघु- अरे सच में मालूम नहीं है... कुछ काम है क्या अभी ?

शांति- मुझे नही पता..

ये कहते हुए शांति हड़बड़ी में जाने लगी...

रघु- (मन में) तुझे सब पता है.. बस एक बार सावित्री की चुत मारने दे फिर तुझे बताऊंगा की इतनी रात को एक औरत को क्यों बुलाया जाता है.....

फिर सब नौकर परमेस्वर, शांति और ड्राइवर रघु सब काम निपटा कर अपने अपने घर जाने लगे... बस गेट पर वॉचमैन था एक बुड्डा...

जाते जाते वॉचमैन को रघु ने बोला- थोड़ा ध्यान से काका, हमारे मालिक मालकिन का ध्यान रखना.....

बुड्डा- हां बेटा....

**********************

अंदर जनार्दन आराम कुर्शी पे सिगरेट पीते हुए बैठा हुआ था..

सावित्री- ये क्या चल रहा है यहां पर, आपने किसी औरत को यहां बुलाये हो क्यों ?

जनार्दन- क्यों कि वो मुझे पसंद है...

सावित्री- अभी तो ये सब बन्द करो, तुम्हारे दो जवान जवान बच्चे हैं.....

जनार्दन- अब ज्यादा मेरा मुंह मत खुलवाओ तुम....समझे....

सावित्री गुस्से से वहां से जा रही थी......

अंदर जनार्दन के कमरे में निर्मला नजरें झुकाए चुपचाप बैठी थी...

जनार्दन जैसे ही अंदर आये निर्मला खड़ी हो गयी....

जनार्दन ने दरवाजा बंद कर दिया...

जनार्दन- देख क्या रही है, अपने कपड़े उतार...

निर्मला कपड़े उतारने लगी...

जनार्दन- ये बता तेरे बच्चे कितने हैं ?

निर्मला- जी 4 बच्चे हैं...

जनार्दन- क्यों और कोई काम नहीं है क्या तेरे पति का, बस बच्चे पैदा करते रहो...

निर्मला अब सिर्फ चड्डी में थी.. सिर्फ ब्लाउज पहनी थी जो कि वो निकाल दी थी... उसके बड़े बड़े चुचीं पाहाड जैसी खड़ी थी... चुचियाँ बड़ी थी लेकिन ज्यादा दबाने की वजह से झूल रही थी..

जनार्दन निर्मला की चुचियों को घूरते हुए बोला- लगता है तेरे पति ने कुछ ज्यादा ही मेहनत किया है..

निर्मला चुपचाप खड़ी थी....

जनार्दन ने पीछे से जाके एक हाथ से चुचीं को मसल दिया....

निर्मला की बदन पे आग लग गयी थी....

फिर जनार्दन ने दोनों हाथों से चुचियों को मसल रहे थे....

निर्मला दोनो आंखे बंद करके खड़ी थी और पीछे से चौधुरी उसकी बूब्स को मसल रहे थे...

निर्मला पहली बार किसी गैर मर्द से चुचीं मसलवा रही थी....

कुछ देर बाद जनार्दन अपने लन्ड चुसा रहे थे निर्मला को.... निर्मला मजबूरी में लण्ड चूस रही थी...

कुछ देर चूसाने के बाद जनार्दन निर्मला को बेड पे लिटा दिए और जैसे ही लन्ड डाल दिए और चोदने लगे, बस कुछ ही सेकंड में वो झड़ गए.... निर्मला प्यासी रह गयी थी....
फिर जनार्दन थक के बेड के किनारे पे सो गए... लेकिन निर्मला बिन पानी जल की तरह छटपटा रही थी....

सुबह जब हुई तो जनार्दन ने निर्मला को कुछ पैसे दे के वहां से भेज दिए.....

निर्मला जैसे ही बंगले से बाहर निकली तो वहां पे रघु आ चुका था क्योंकि आज उसे सावित्री मालकिन को शहर ले जाना था.....

रघु- क्यों निर्मला, रात को मजा आया ना ?

निर्मला चुपचाप जा रही थी...

रघु- बोल ना, दबा के ठुकाई हुई कि नहीं तेरी.....

निर्मला चुपचाप जा रही थी...

रघु- अगर ठुकाई ठीक से नहीं हुई तो बता दे, तुझे इतना ठोकुंगा कि चलने लायक नहीं छोडूंगा....

निर्मला रघु की बात को नजरअंदाज करके जा रही थी तो रघु ने निर्मला के हाथ पकड़ लिए-

रघु- मुझे पता है चौधुरी सहाब बुड्ढे हो गए हैं, वो तुझे कहाँ चोद पाएंगे... तू अभी भी प्यासी है.. चल कोने में चल तेरी प्यास बुझाता हूँ...

निर्मला की बदन पे आग लगी हुई थी तो वो चुपचाप रघु के साथ जाने लगी...

गेट के पास एक छोटी से झाड़ी है जो कि बंगले के अंदर ही है, पर सुबह सुबह कोई ना होने के कारण रघु निर्मला को वहां पे ले गया और चड्डी उतार के खड़े खड़े चोद रहा था....निर्मला की चुचियाँ जोर जोर से हिल रहे थे, रघु चुचियों को मसल मसल के खड़े खड़े ठोक रहा था....ठुकाई इतनी तेज थी कि निर्मला की गाँड़ फट रही थी पर मजा भी आ रही थी....कुछ देर ठोकने के बाद निर्मला को रघु ने छोड़ दिया... और निर्मला अपने घर जाने लगी...

**********************

रघु बगीचे में पौधों को पानी दे रहा था, तभी देखा कि बालकनी पे सावित्री नाइटी में खड़ी थी और चाय पी रही थी... नाइटी में से उसकी 36 की बड़ी बड़ी चुची साफ नजर आ रही थी.... सावित्री बालकनी पर टहल रही थी तो उसके नाइटी के अंदर ब्रा ना पहनने की वजह से उसके दोनों चुचीं हिल रहे थे... रघु ये सब नजारा देख के अपने होठों को दात से दबा रहा था....

रघु की नजर सावित्री के ऊपर बहुत दिनों से था... उसे चोदने के लिए रघु पागल हो गया था... सावित्री की मादक अदाओं पर वो फिदा था.... उसकी हर एक अंग को वो चूसना चाहता था....

फिर सावित्री किसी से फ़ोन पर हंस हंस के बातें कर रही थी, ये देख कर रघु मन ही मन बोल रहा था "बस एक बार मुझसे चुद ले सावित्री, फिर तुझे और किसी की जरूरत ही नही पड़ेगी... इतना ठोकुंगा की चुत की खुजली मिट जाएगी...

फिर फ़ोन ऑफ कर के बालकनी से ही सावित्री बोली- रघु गाड़ी तैयार है ना...

रघु- जी मालकिन..

सावित्री- ठीक है, तो फिर में नहा लेती हूं, फिर सहर की तरफ निकलेंगे...

रघु- जी मालकिन...

फिर सावित्री अंदर चली गयी...

रघु मन ही मन सोचा- सावित्री नहाने गयी है, क्यों ना उसकी नहाने का scene थोड़ा देखने की कोशिश किया जाए.... और वो अंदर जाने लगा...

चुपके चुपके वो अंदर गया जहां पे बाथरूम था... बाथरूम के अंदर से पानी गिरने की आवाज आ रहा था, शायद सावित्री नहा रही थी... रघु अंदर झांकने की पूरी कोशिश की लेकिन देखने में नाकामयाब रहा... फिर अचानक उसका नजर बाथरूम के बाहर पड़ा एक कुर्शी के ऊपर गया जहां पे एक लाल रंग की ब्रा और चड्डी पड़ी हुई थी... उसे समझने में देर नहीं लगा कि ये ब्रा और पैंटी सावित्री मेडम की है... रघु हाथ से ब्रा को उठाया और ध्यान से देखने लगा, और मन ही मन बोला" उफ्फ क्या ब्रा है, चुचीं बहुत ही बड़ी होगी, ये ब्रा देख के पता चल रहा है... फिर ब्रा को हाथों से मसलने लगा मानो सावित्री की चुचीं मसल रहा हो..... ब्रा को सूंघने लगा और चाटने लगा... ब्रा को पागलों की तरह चाट रहा था... पैंटी को भी पागलों की तरह चाट रहा था....

रघु मन ही मन बोला- क्यों ना ये ब्रा और पैंटी को में अपने साथ ले लूं, ये ब्रा और पैंटी को सावित्री मेडम ने पहनी है, इसको चाटने में मजा आ जायेगा... फिर ब्रा और पैंटी को ले के बाहर आ गया....

रघु कमरे से बाहर निकल कर सीधा बाहर में बना visitors लोगों के लिए toilet में घुस गया और वहां पे अपना लन्ड निकाल के लन्ड के ऊपर ब्रा को लगा के मुठ मारने लगा... मुठ मारते वक़्त उसके जुबान पे बस एक ही नाम था "सावित्री मेरी रांड"

रघु 30 साल का एक मजबूत मर्द था, उसका लन्ड 9 इंच का फौलादी वाला था, जो कि किसी भी चुत की धज्जियां उड़ा सकता था... रघु की नजर 48 साल की सावित्री की चुत मारने की थी.. वो सावित्री की जबरदस्त ठुकाई करना चाहता था....

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T_D_R

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बड़ी मादक कहानी है मित्र।

रघु के शेर ने बड़ी तेज़ दहाड़ लगाई गुफा में, अगले अपडेट की प्रतीक्षा में .....
 
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