आज की रात खुशियों वाली रात थी। रिसेप्शन के अंत में पूरे परिवार ने साथ में बैठ कर खाना खाया। और बड़ी फ़ुरसत में एक दूसरे से बात करी। फिर समीर के मम्मी डैडी के निमंत्रण पर मीनाक्षी में माँ बाप और आदेश उनके घर को चल दिए, और सारे उपहारों के साथ समीर और मीनाक्षी अपने घर को!
(अब आगे)
घर आने पर समीर अपनी आदत अनुसार कमरे में आया, और पार्टी वाले कपड़े बदलने लगा। एक दो बार मीनाक्षी ने उसकी झलक देखी है बिना कपड़ों में! उसको देख कर वो न जाने क्यों लजा जाती। समीर के पीछे पीछे ही, धीरे धीरे चलते हुए वो भी कमरे में आती है। शर्त उतरने पर उसने पहली बार पीछे से उसका मर्दाना, कसरती जिस्म देखा। भुजाओं, कंधों और पीठ की माँस-पेशियाँ उसकी हर एक हरकत पर मछलियों के समान फिसल रही थी। अगले ही पल उसकी पतलून भी हट गई। ऊपरी शरीर के साथ साथ निचला शरीर भी गठा हुआ था।
“ओह! आई ऍम सॉरी! मैंने ध्यान नहीं दिया कि आप भी यहाँ हैं। सॉरी!” कहते हुए उसने जल्दी से अपना निक्कर पहन लिया और टी-शर्ट पहनने लगा।
मीनाक्षी मुस्कुरा दी। वही सौम्य, स्निग्ध मुस्कान, जिसने वहाँ डांस-फ्लोर पर समीर के प्रण को धराशाई कर दिया। चुनरी उतार कर वो एक पल तो ठिठकी। समीर अभी भी वहीं था। फिर उसने अपनी नज़रें झुका कर अपनी चोली का हुक खोलना शुरू कर दिया।
“ओह! लेट मी गिव यू योर प्राइवेसी!” कह कर समीर बाहर जाने लगा।
मीनाक्षी का मन हुआ कि वो उसे रोक ले। वो कुछ कहती, उसके पहले ही समीर ने कहा,
“आप कपड़े बदल लीजिए। फिर आता हूँ।” कह कर वो कमरे से बाहर निकल गया और जाते जाते दरवाज़ा भी भेड़ गया।
मीनाक्षी ने एक गहरी साँस छोड़ी, और मुस्कुरा दी। जब तक उसने कपड़े बदल कर सोने के लिए कपड़े पहने, और अन्य कपड़ों और ज़ेवरों को व्यवस्थित कर के समुचित स्थान पर रखा, तक तक समीर रसोई में जा कर दोनों के लिए चाय बना लाया। और उसने जब चाय का प्याला मीनाक्षी की तरफ बढ़ाया तो उसने शिकायत भरे लहज़े में कहा,
“अरे, आपने क्यों बना दी? मुझको कह देते!”
उसकी शिकायत को अनसुना करते हुए समीर बोला, “दो मिनट फुर्सत से आपके साथ बैठ कर बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसलिए सोचा, चाय बना लाता हूँ। साथ में बैठ कर, चुस्कियाँ लेते हुए बातें करेंगे।”
“आपको चाय बनाना आता है,” मीनाक्षी ने पहली चुस्की ले कर कहा! स्वाद ऐसा था जैसे उसकी माँ ने बनाया हो। घर की याद दिलाने वाली चाय! “खाना पकाना आता है, डांस करना आता है…” बॉडीबिल्डिंग करना आता है, यह जान-बूझ कर नहीं कहा उसने, “क्या नहीं आता आपको?”
“पति की खूबियाँ धीरे धीरे पता चलनी चाहिए! उससे पत्नी के मन में पति के लिए प्रेम और आदर दोनों बना रहता है!” समीर ने ठिठोली करते हुए कहा।
‘प्रेम और आदर तो अभी भी है’ मीनाक्षी ने सोचा।
“वैसे डांस तो आपका लाजवाब है। देखा नहीं, कैसे सब मुँह बाए देख रहे थे!”
डांस की बात सुन कर, मीनाक्षी को उस चुम्बन की याद हो आई। और समीर को भी। दोनों की नज़रें कुछ पल के लिए मिलीं।
“थैंक यू फॉर द किस!” समीर ने बड़ी संजीदगी से कहा।
वो मुस्कुराई, “थैंक्स टू यू टू!”
“पार्टी कैसी लगी?” समीर ने मुस्कुराते हुए पूछा, “जल्दबाज़ी में कुछ भी ठीक से प्लान नहीं हो पाया।”
“बहुत बढ़िया थी! बहुत बढ़िया! थैंक यू!”
“अरे! थैंक यू काहे का?”
“ऐसे यादगार पल देने के लिए! आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूँगी!”
“थैंक्स! मम्मी पापा से आपको बात करने का मौका मिला?”
“जी!”
“वो लोग ठीक हैं? आज बात ही नहीं हो पाई।”
“बिलकुल ठीक हैं! बहुत खुश हैं। उनको मालूम है कि उनकी बेटी बहुत सुख से है।”
“गुड! मैं चाहता हूँ, कि आप अपने तरीके से, जैसा मन करे, वैसा रहिए। जो मन करे, वो करिए! ये आपका घर है। जैसा मन करे, रखिए। और, अगर जॉब करने का मन है, तो बताइए। बॉस की वाइफ डी पी एस में हैं। उनसे बात करवाई जा सकती है। वहाँ अच्छी सैलरी मिलती है। या जो भी कुछ करने का मन हो, बताइए!”
मीनाक्षी से रहा नहीं गया। उसने समीर के हाथ को अपने हाथ से दो तीन बार सहलाते हुए कहा, “थैंक यू!”
दोनों की चाय ख़तम हो गई थी। समीर उसकी और अपनी प्याली उठा कर ले जाने को हुआ तो मीनाक्षी ने उसको रोकते हुए कहा, “कम से कम ये तो कर लेने दीजिए मुझे!”
“अरे, मैं वैसे भी बगल वाले कमरे में जा रहा हूँ। उसके लिए उठना ही है।”
“आप .... यहीं सो जाइए न?” उसने हिचकिचाते हुए कहा, “वहाँ क्यों जाते हैं! इतनी गर्मी हो जाती है वहाँ!”
“आई नो! गर्मी तो होती है। और, सच कहूँ, मुझसे ज्यादा कौन चाहता होगा आपके साथ सोना?”