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Romance संयोग का सुहाग [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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शनिवार है, इसलिए घर में ढेर सारे काम होते हैं।
बीवी को प्यार करना है, बच्ची को प्यार करना है, नाश्ता बनाना है, कपड़े धोने हैं, वगैरह वगैरह! :rofl:
अब बताओ, मैं अपनी जवान बीवी की हसरतें पूरी करूँ, या ये कहानी लिखूँ ?
खैर, घबराएँ नहीं। लिखी है, लिखी है!
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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आज की रात खुशियों वाली रात थी। रिसेप्शन के अंत में पूरे परिवार ने साथ में बैठ कर खाना खाया। और बड़ी फ़ुरसत में एक दूसरे से बात करी। फिर समीर के मम्मी डैडी के निमंत्रण पर मीनाक्षी में माँ बाप और आदेश उनके घर को चल दिए, और सारे उपहारों के साथ समीर और मीनाक्षी अपने घर को!


(अब आगे)


घर आने पर समीर अपनी आदत अनुसार कमरे में आया, और पार्टी वाले कपड़े बदलने लगा। एक दो बार मीनाक्षी ने उसकी झलक देखी है बिना कपड़ों में! उसको देख कर वो न जाने क्यों लजा जाती। समीर के पीछे पीछे ही, धीरे धीरे चलते हुए वो भी कमरे में आती है। शर्त उतरने पर उसने पहली बार पीछे से उसका मर्दाना, कसरती जिस्म देखा। भुजाओं, कंधों और पीठ की माँस-पेशियाँ उसकी हर एक हरकत पर मछलियों के समान फिसल रही थी। अगले ही पल उसकी पतलून भी हट गई। ऊपरी शरीर के साथ साथ निचला शरीर भी गठा हुआ था।

“ओह! आई ऍम सॉरी! मैंने ध्यान नहीं दिया कि आप भी यहाँ हैं। सॉरी!” कहते हुए उसने जल्दी से अपना निक्कर पहन लिया और टी-शर्ट पहनने लगा।

मीनाक्षी मुस्कुरा दी। वही सौम्य, स्निग्ध मुस्कान, जिसने वहाँ डांस-फ्लोर पर समीर के प्रण को धराशाई कर दिया। चुनरी उतार कर वो एक पल तो ठिठकी। समीर अभी भी वहीं था। फिर उसने अपनी नज़रें झुका कर अपनी चोली का हुक खोलना शुरू कर दिया।

“ओह! लेट मी गिव यू योर प्राइवेसी!” कह कर समीर बाहर जाने लगा।

मीनाक्षी का मन हुआ कि वो उसे रोक ले। वो कुछ कहती, उसके पहले ही समीर ने कहा,

“आप कपड़े बदल लीजिए। फिर आता हूँ।” कह कर वो कमरे से बाहर निकल गया और जाते जाते दरवाज़ा भी भेड़ गया।

मीनाक्षी ने एक गहरी साँस छोड़ी, और मुस्कुरा दी। जब तक उसने कपड़े बदल कर सोने के लिए कपड़े पहने, और अन्य कपड़ों और ज़ेवरों को व्यवस्थित कर के समुचित स्थान पर रखा, तक तक समीर रसोई में जा कर दोनों के लिए चाय बना लाया। और उसने जब चाय का प्याला मीनाक्षी की तरफ बढ़ाया तो उसने शिकायत भरे लहज़े में कहा,

“अरे, आपने क्यों बना दी? मुझको कह देते!”

उसकी शिकायत को अनसुना करते हुए समीर बोला, “दो मिनट फुर्सत से आपके साथ बैठ कर बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसलिए सोचा, चाय बना लाता हूँ। साथ में बैठ कर, चुस्कियाँ लेते हुए बातें करेंगे।”

“आपको चाय बनाना आता है,” मीनाक्षी ने पहली चुस्की ले कर कहा! स्वाद ऐसा था जैसे उसकी माँ ने बनाया हो। घर की याद दिलाने वाली चाय! “खाना पकाना आता है, डांस करना आता है…” बॉडीबिल्डिंग करना आता है, यह जान-बूझ कर नहीं कहा उसने, “क्या नहीं आता आपको?”

“पति की खूबियाँ धीरे धीरे पता चलनी चाहिए! उससे पत्नी के मन में पति के लिए प्रेम और आदर दोनों बना रहता है!” समीर ने ठिठोली करते हुए कहा।

‘प्रेम और आदर तो अभी भी है’ मीनाक्षी ने सोचा।

“वैसे डांस तो आपका लाजवाब है। देखा नहीं, कैसे सब मुँह बाए देख रहे थे!”

डांस की बात सुन कर, मीनाक्षी को उस चुम्बन की याद हो आई। और समीर को भी। दोनों की नज़रें कुछ पल के लिए मिलीं।

“थैंक यू फॉर द किस!” समीर ने बड़ी संजीदगी से कहा।

वो मुस्कुराई, “थैंक्स टू यू टू!”

“पार्टी कैसी लगी?” समीर ने मुस्कुराते हुए पूछा, “जल्दबाज़ी में कुछ भी ठीक से प्लान नहीं हो पाया।”

“बहुत बढ़िया थी! बहुत बढ़िया! थैंक यू!”

“अरे! थैंक यू काहे का?”

“ऐसे यादगार पल देने के लिए! आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूँगी!”

“थैंक्स! मम्मी पापा से आपको बात करने का मौका मिला?”

“जी!”

“वो लोग ठीक हैं? आज बात ही नहीं हो पाई।”

“बिलकुल ठीक हैं! बहुत खुश हैं। उनको मालूम है कि उनकी बेटी बहुत सुख से है।”

“गुड! मैं चाहता हूँ, कि आप अपने तरीके से, जैसा मन करे, वैसा रहिए। जो मन करे, वो करिए! ये आपका घर है। जैसा मन करे, रखिए। और, अगर जॉब करने का मन है, तो बताइए। बॉस की वाइफ डी पी एस में हैं। उनसे बात करवाई जा सकती है। वहाँ अच्छी सैलरी मिलती है। या जो भी कुछ करने का मन हो, बताइए!”

मीनाक्षी से रहा नहीं गया। उसने समीर के हाथ को अपने हाथ से दो तीन बार सहलाते हुए कहा, “थैंक यू!”

दोनों की चाय ख़तम हो गई थी। समीर उसकी और अपनी प्याली उठा कर ले जाने को हुआ तो मीनाक्षी ने उसको रोकते हुए कहा, “कम से कम ये तो कर लेने दीजिए मुझे!”

“अरे, मैं वैसे भी बगल वाले कमरे में जा रहा हूँ। उसके लिए उठना ही है।”

“आप .... यहीं सो जाइए न?” उसने हिचकिचाते हुए कहा, “वहाँ क्यों जाते हैं! इतनी गर्मी हो जाती है वहाँ!”

“आई नो! गर्मी तो होती है। और, सच कहूँ, मुझसे ज्यादा कौन चाहता होगा आपके साथ सोना?”
 
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“तो फिर?”

“मैं अपने आपको रोक नहीं पाऊँगा!”

समीर के ऐसे स्पष्टीकरण को सुन कर मीनाक्षी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। फिर भी उसको अपनी बात तो कहनी ही थी,

“रोकने को किसने कहा।”

समीर कुछ देर के लिए चुप हो गया। उसके धड़कनें अचानक ही तेज़ हो गईं। फिर उसने खुद पर थोड़ा नियंत्रण लाते हुए कहा, “आई डू लव यू! डू यू नो दैट?”

उसने सर हिला कर हामी भरी।

“मैं आपको ‘मिनी’ बुला सकता हूँ?”

मीनाक्षी मुस्कुराई, “आप प्यार से मुझे जिस नाम से भी बुलाएँगे, वो ही मेरा नाम होगा।”

समीर मुस्कुराया, “मिनी, आई लव यू। और इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि हम एक दूसरे के बारे में बहुत अंजान हैं। पति-पत्‍नी के प्‍यार में .... शारीरिक संबंध ही पति-पत्‍नी का असली संबंध नहीं है। मैं आपको जानना चाहता हूँ। अपने बारे में बताना चाहता हूँ। कुछ मंत्र पढ़ लिए, रीति रिवाज पूरे कर लिए। वो कोई शादी थोड़े ही है! वो तो बस, सामजिक शादी है। वो शादी तो हो गई।

लेकिन हमारा क्या? हमारी भावनात्मक शादी का क्या? उसके लिए मैं आपकी पसंद, नापसंद जानना चाहता हूँ। मैं जानना चाहता हूँ कि आप किन बातों पर हँसती हैं। किन बातों पर नाराज़ होती हैं। मैं आपको जानना चाहता हूँ। इतना कि बिना आपके कुछ बोले मुझे समझ में आ जाए कि आप क्या सोच रही हैं। मैं आपका ऐसा ख्याल रखना चाहता हूँ कि आप आगे आने वाली जिंदगी दुःख क्या होता है, यह भूल जाएँ!

मैं यह नहीं चाहता कि आप किसी भी तरह का कोम्प्रोमाईज़ करें, या मैं किसी तरह का कोम्प्रोमाईज़ करूँ। हमें कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना है, बल्कि तार-तम्य बैठाना है। तबला अलग है, बाँसुरी अलग। अगर कोम्प्रोमाईज़ करेंगे तो उनमे से कोई एक कम बजेगा, और दूसरा ज्यादा। लेकिन अगर दोनों ने तार-तम्य बैठेगा, तो दोनों बराबर बजेंगे। और एक बढ़िया सिम्फनी बनेगी।

सच कहूँ, मैं मरा जा रहा हूँ आपका सान्निध्य पाने के लिए। लेकिन मैं इंतज़ार कर लूँगा। मुझे मालूम है कि उस इंतज़ार का फल बहुत मीठा होगा।”

समीर की ऐसी गंभीर समझ को सुन कर मीनाक्षी कुछ पल समझ नहीं सकी कि वो क्या बोले। फिर कुछ सोचने के बाद बोली, “मम्मी डैडी ने लड़का नहीं, हीरा बनाया है आपको!”

“हा हा हा हा हा हा”

“एक बात पूछूँ आपसे?”

“हाँ?”

“मिनी क्यों?”

“हा हा…. आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं, लेकिन न जाने क्यों छोटी सी लगती हैं मुझे!” कह कर समीर कमरे से बाहर चला गया।

जब वो वापस लौट रहा था, तब मीनाक्षी ने उसको पुकारा, “सुनिए?”

जब समीर कमरे में आ गया तो उसने कहा, “इधर आइए? मेरे पास!”

समीर उसके पास आ कर बिस्तर पर बैठ गया, तब मीनाक्षी ने प्रेम से उसके गले में गलबैयाँ डाल कर उसके होंठों को चूम लिया। और अपनी बड़ी बड़ी आखों से उसके मुस्कुराते चेहरे को देखने लगी।

“गुड नाइट!”

“गुड नाइट!” समीर ने कहा, और अनिच्छा से कमरे से बाहर निकल आया। उसका दिल बल्लियों उछल रहा था। सुनहरा भविष्य सन्निकट था।
 
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