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Romance संयोग का सुहाग [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Wo aap samaaj ki baaton ka jaise khandan karte hai naa ussi ke baare mein likha hai jo bahut hi accha hota hai
धन्यवाद! समाज की बातों का खंडन करने का काम अब आप जैसे युवा लोगो का है।
अपने समय में हम जो कर सके, कर दिए। अब उन सभी निर्णयों के साथ हंसी ख़ुशी जी रहे हैं.
 

kingkhankar

Multiverse is real!
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इस घटना के कोई दस दिन बाद स्वतंत्रता दिवस था। और उस कारण तीन दिनों की छुट्टी मिलती। समीर ने सुझाया कि कहीं घूमने चला जाए। लेकिन मीनाक्षी ने कहा कि पूरे परिवार के साथ कुछ दिन बिताते हैं। ठीक बात थी, सभी से मिले कुछ समय भी हो गया था। समीर ने कॉल कर के अपने सास ससुर और आदेश को घर आने का न्योता दिया। इसको सभी ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। सभी लोग पंद्रह अगस्त की शाम को आने वाले थे, इसलिए मीनाक्षी ने सोचा कि घर की थोड़ी सफाई कर ली जाए। कामवाली कुछ दिनों की छुट्टी पर थी, इसलिए घर की सफाई थोड़ा उपेक्षित हो गई थी।

लगभग दस बज रहा था।

नाश्ता और साफ़ सफ़ाई वगैरह निबटा कर मीनाक्षी नहाने के लिए बाथरूम गई। काम काज और गर्मी ने पूरे बदन को पसीने से तर बतर कर दिया था; और ऊपर से ऊमस। ऐसे में चैन नहीं मिलता। जैसे ही नहाते हुए उसने पहला मग पानी का डाला, उसका मन हुआ कि बस कुछ इसी तरह वो पानी में पड़ी रहे। काफी देर तक बाहर निकलने को उसका मन ही नहीं हो रहा था। लेकिन आखिरकार बाहर आना ही पड़ा। बाहर आते हुए उसने अपना बदन एक पतले सूती अंगौछे में लपेट लिया। ऐसी सड़ी हुई गर्मी में तौलिया लपेटने में तो गर्मी के मारे जान निकल जाती।

बाथरूम से निकलकर उसने जैसे ही पहला कदम रखा तो देखा समीर उसके सामने खड़ा है। इतने दिनों में वो आज पहली बार इतनी देर से सो कर उठा था। वो इस समय सिर्फ अपने अंडरवियर को पहने था। समीर का मर्दाना चौकोर चेहरा, छोटे बाल, उनींदी लेकिन चमकती आँखें, होठों पर सहज मुस्कुराहट, लंबी काठी और कसा हुआ शरीर .... अपने पति को ऐसे देख कर मीनाक्षी के दिल में एक धमक सी हुई।

‘ओह! कैसा मॉडल जैसा लगता है!’

वह ठगी सी उसको देखती रह गई। दोनों के इस संछिप्त विवाहित जीवन में अंतरंगता के यह प्रथम क्षण थे। मीनाक्षी समीर को देख तो रही थी, लेकिन समीर क्या देख रहा था? छाती से जाँघ तक के शरीर को सूती अंगौछे से ढकी एक युवती। उसका यौवन जैसे अभी-अभी ही अपने शिखर तक पहुँचा हो। कितनी सुन्दर… मीनाक्षी... मछली के आकार की आँखों वाली! मीनाक्षी को उस हाल में आज तक किसी भी पुरूष ने नहीं देखा था। गीले बालों से टपकते हुए पानी से उसका पतला, सफ़ेद अंगौछा पूरी तरह से भीग चुका था। अब वह वस्त्र मीनाक्षी के शरीर को जितना छुपा रहा था, उससे अधिक उसकी नुमाइश लगा रहा था। उसके स्तनों की गोलाइयाँ, चूचकों का गहरा रंग, शरीर का कटाव, कमर का लोच, नितंब का आकार - कुछ भी नहीं छुप रहा था।

समीर हतप्रभ सा अपनी पत्नी को देख रहा था। उसको लगा जैसे उसके दिल की धड़कनें रुक जायेंगीं।

‘हे प्रभु! ये लड़की जब सजती सँवरती है, तब भी रति का रूप लगती है, और जब नहीं भी सजती सँवरती है, तब भी! कैसी आश्चर्यजनक बात है!’

समीर अपनी प्रतिज्ञा अपनी प्रतिज्ञा के कारण रास्ता बदल देना चाहता है! लेकिन वो ऐसा करे भी तो कैसे? ईश्वर-प्रदत्त इस अवसर को भला कैसे ठुकरा दे? वह चरित्रवान तो है, लेकिन इतना भी नहीं कि कामदेव के इस अद्वितीय उपहार से दृष्टि बचा कर निकल जाए। वह शर्मीला भी है, लेकिन इतना नहीं कि अपने ऐसे सौभाग्य से शरमा जाए। ऐसी ही अवस्था में जब राजा पाण्डु ने अपनी रानी माद्री को देखा, तब वो कामाग्नि से भस्म हो गए। ऐसी ही अवस्था में जब ऋषि विश्रवा ने कैकसी को देखा तो उनके संयोग से रावण का जन्म हुआ।

‘कुछ दिन और सब्र कर लो। जल्दबाज़ी से कुछ भी सार्थक नहीं निकलता है।’

कामदेव का जादू कुछ क्षण यूँ ही चलता रहा, और जब वो जादुई पल समाप्त हुए, तो दोनों यूँ ही शर्मसार हो गए। समीर पलट कर लौट गया, और मीनाक्षी शरमा कर खुद में ही सिमट गई। आज उसको लगा कि उसका सर्वस्व समीर लेता गया। यदि लज्जा ने मीनाक्षी की दृष्टि को रोक न लिया होता, और उसने अपने पति के शरीर पर उस एकमात्र वस्त्र की ओर देख लिया होता, तो उसको पता चल जाता कि कामदेव के जादू का समीर पर क्या असर हुआ है।
Quite a detailed update.
Next update will be worth enjoying.
Loved this update so much.
 

mashish

BHARAT
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वर्मा परिवार पर तो जैसे गाज गिर गई हो - और क्यों न हो? बस कुछ ही घंटों में, हंसी ख़ुशी का माहौल जैसे मातम में बदल गया। विवाह के पंडाल में उपस्थित लोगों के चेहरों पर क्रोध, हास्य, अविश्वास और दुःख का मिला-जुला भाव स्पष्ट देखा जा सकता था।

हुआ कुछ यूँ कि मेरठ में रहने वाले वर्मा परिवार की बड़ी बेटी मीनाक्षी की शादी, मुरादाबाद के एक डिग्री कॉलेज में, प्रोफेसर के पद पर कार्यरत एक लड़के से कर दी गई थी। सगाई वाले दिन, वर्मा जी ने अपनी हैसियत से कहीं आगे बढ़-चढ़ कर होने वाले वर को एक मारुती स्विफ़्ट कार और सोने के पांच सिक्के दिए थे। दहेज़ को ले कर दोनों परिवारों में न जाने क्या कुछ तय हुआ था, लेकिन लड़के वाले सगाई के इस नज़राने से बहुत खुश होते हुए तो नजर नहीं आ रहे थे। मज़ेदार बात तो यह है कि सगाई के दौरान उन्होंने मीनाक्षी को एक जोड़ी सोने के कंगन, और एक मामूली सी अँगूठी ही दी थी।

सगाई समारोह से उठते हुए दूल्हे के परिवार वालों ने आख़िरकार बोल ही दिया कि अगर उन्हें कुछ नगदी मिल जाती तो काफी बेहतर होता। साथ ही साथ उन्होंने इस बात पर अपनी नाराज़गी भी दिखाई कि वर्मा जी ने सगाई समारोह में वर के साथ आए हुए मेहमानों को भेंट स्वरूप बस कपड़ों की जोड़ी ही दी। इस बात पर वर्मा जी ने कहा कि कुछ समय दें, जिससे वो नगदी का बंदोबस्त कर सकें। वर्मा जी के इस निवेदन पर वर पक्ष बिना किसी हील हुज्जत के चल तो दिए, लेकिन रहे वो सभी असंतुष्ट ही। धन का लालच एक बलवान वस्तु होता है। मानवता पर वह हमेशा ही भारी पड़ता है।

खैर, आज तो मीनाक्षी का विवाह होना था और वर्मा जी के घर ख़ुशियों का माहौल था। उन्होंने वाकई अपनी हैसियत से कहीं अधिक खर्च कर डाला था अपनी प्यारी बेटी की शादी में। प्रोफेसर साहब की बारात देर रात करीब ग्यारह बजे उनकी चौखट पर जब आई, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि पल भर में क्या से क्या हो जाएगा। बारात के शोर शराबे में वर्मा जी के समधी ने दस लाख रुपए दहेज़ में मांग लिए, और यह धमकी भी दे डाली कि दूल्हे के स्वागत में यदि लक्ष्मी का चढ़ावा न चढ़ा तो यह शादी तो नहीं होगी।

वर्मा जी ने उनको समझाने का भरसक प्रयास किया - कहा कि हाल फिलहाल दो लाख रुपए की व्यवस्था हो पाई है। उसको स्वीकार करें, और विवाह संपन्न हो जाने दें। बाकी की रकम धीरे धीरे वो भर देंगे, यह वायदा भी किया। लेकिन दहेज़ लोभियों ने उनकी एक न सुनी। मीनाक्षी के पिता ने अपने सीमित संसाधनों का हवाला देते हुए वर के पिता को मनाने की हज़ार प्रयत्न किए… यहाँ तक कि उनके पैर पर अपनी पगड़ी तक रख दी, परन्तु दहेज़ लोभियों ने उसे ठोकर मार दी। बस बात ही बात में अनुनय विनय, कहा-सुनी में बदल गया।

इतनी देर रात हो जाने के कारण कन्या पक्ष के लोगों की संख्या कम थी; लेकिन अपने आतिथेय के ऐसे अपमान को देख कर कुछ जोशीले लड़की-वालों ने दूल्हे और बारातियों के साथ मार-पीट कर डाली। किसी समझदार ने पास के पुलिस चौकी में खबर कर दी थी, इसलिए बात बहुत आगे बढ़ने से पहले ही पुलिस आ गई और दोनों पक्षों के कुछ समझदार लोगों को बुला कर समझौता कराने की कोशिश भी की। लेकिन दूल्हा और उसके परिजन बिलकुल नहीं माने। पुलिस ने भी हार कर दूल्हे और उसके समस्त परिजनों पर आईपीसी और दहेज़ एक्ट की विभिन्न धाराओं तहद रिपोर्ट दर्ज कर ली।
nice start
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Write your reply...वाकई मे बहुत ही अच्छी कहानी लिखी है आपने
धन्यवाद! :)
 

piyanuan

Active Member
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धन्यवाद! :) उम्मीद है कल भी आपको असहज नहीं लगेगा।
अरे, बहुत अर्सा हो जाता है हिंदी भाषा में लिखे! तो मन की इच्छा यहीं पूरी कर लेता हूँ :)
:popcorn: khate hue kal ka update
 

Lutgaya

Well-Known Member
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बहुत ही शानदार लिखा है सैक्स पढने आते हैं परन्तु आपके शब्दों के मायाजाल से ऐसी तृप्ति मिली कि सैक्स की आवश्यकता ही नही लगी प्लीज कहानी लम्बी चलाना आप जैसे जादूगर बिरले ही हैं झ्स साईट पर वर्ना बाकी सब तो अण्डरवीयर उतारकर ही आते हैं
 

mashish

BHARAT
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ab tak sare update pad liye ek aesi story jiske liye koi bhi tareef kam pad jaye sayed hi is fourm per koi story ho hamare samaj ka ayena dikhati hai aapki story thanks aesi story post karne ke liye ek request hai index bna dijiye.
 
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