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साफ़ सफ़ाई कर के जब मीनाक्षी बाथरूम से बाहर आई तो उसने देखा कि समीर उसी की दिशा में देख रहा था। तौलिए से अपना तन ढँकना वो भूल गई थी। समीर ने भी खुद को ढँकने की कोई कोशिश नहीं करी थी। वो वैसे ही नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था। जब वो बिस्तर के पास आई तो समीर ने प्यार से उसका हाथ पकड़ कर अपने बगल बैठा लिया और उसकी गोद में अपना सर रख कर लेट गया। उसके लेटने का तरीका ऐसा था कि उसका चेहरा मीनाक्षी की योनि की तरफ था।
“मिनी?”
“हम्म”
“तुम बहुत सुन्दर हो!”
मीनाक्षी ने देखा कि यह कहते हुए समीर उसकी योनि को देख रहा था।
‘एक नंबर का बदमाश है!’
“तुम बहुत सुन्दर हो! जैसा सोचा था, उससे भी कहीं अधिक!”
‘समझ आ रहा है कि साहब को क्या सुन्दर लग रहा है!’ उसने मन में सोचा।
“क्या सुन्दर लगा आपको?” और प्रत्यक्ष में कहा।
“तुम्हारा कुछ! कोई एक ही चीज़ हो तो बताऊँ! अब इसको ही ले लो.... तुम्हारी चूत.... इसकी बनावट - जैसे दो पल्लों का दरवाज़ा कस कर भेड़ लिया गया हो! और अभी, जब तुम ऐसे बैठी हो, तो इसको देखने पर ये गुलाब के फूल की पंखुड़ियों जैसी लग रही हैं। सच में, अंदर जा कर मज़ा आ गया!”
जिस तरह समीर ने यह सब कहा, मीनाक्षी हँसे बिना न रह सकी।
“आप इसको चूत क्यों कहते हैं? चूत तो गाली होती है न?”
“ओहहह! अच्छा वो? वो तो देहाती और आवारा लोगों के लिए गाली होती है। असल में चूत तो फल होता है। संस्कृत में ‘चूतफल’ मतलब आम! मैं तो इसको आम कह रहा हूँ! ऐसी प्यारी सी चीज़ को मैं गाली क्यों दूँगा भला?”
“बातें बनाना कोई आपसे सीखे!”
“अरे! अब किसकी कसम लूँ मैं! आम जैसी ही रसदार है ये!”
“हा हा बदमाश! लोग तो ब्रेस्ट्स को आम कहते हैं।”
“क्या बात है! इसका मतलब यह है कि मेरी बीवी आम की टोकरी है पूरी - एक जोड़ी राजापुरी आम ऊपर, और दशहरी आम के रस की प्याली नीचे!”
“धत्त गंदे!”
“मिनी, आज तुमने मुझे कम्पलीट कर दिया! थैंक यू!” कह कर समीर ने उसकी योनि को चूम लिया।
“आप ने भी तो मुझे कम्पलीट कर दिया!”
मीनाक्षी की बात पर समीर मुस्कुराया, और उसने मीनाक्षी के सर को थोड़ा सा नीचे करने की कोशिश की। मीनाक्षी ने भी अपना सर थोड़ा नीचे कर, उसको चूमने में सहयोग किया। जब चुम्बन टूटा, तो उसके स्तन समीर के चेहरे से जा लगे। उसने झट से मीनाक्षी का एक निप्पल अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
मीनाक्षी समीर को मना करने की स्थिति में नहीं थी। समीर के प्रेम करने के तरीके की वो अब मुरीद बन चुकी थी। समीर जहाँ चाहता, जैसे चाहता, और जो भी चाहता, मीनाक्षी उसको वो सब करने से मना नहीं कर सकती थी। अलका ने एक बार मीनाक्षी को कहा था कि उन पुरुषों को अपनी पत्नियों के स्तनपान में ख़ास रूचि होती है, जिन्होंने अपनी माँ का या तो बहुत ही कम, या बहुत ही अधिक स्तनपान किया हो।
‘समीर ने कितना किया है?’ मीनाक्षी के मन में यह सवाल उठा, ‘कम या ज्यादा? शरीर देख कर तो लगता है कि साहब ने अपनी माँ का दूध खूब पिया है! और अब अपनी बीवी का भी!’
“आपसे एक बात पूछूँ?”
“एक नहीं, सौ बात पूछो!”
“आपने मम्मी का दूध कब तक पिया है?”
“उम्म्म, यही कोई छः सात साल तक!”
“अरे वाह। मम्मी आपको बहुत प्यार करती हैं इसका मतलब।”
“हाँ! बहुत प्यार करती हैं! मैं भी उनको बहुत प्यार करता हूँ। वो अभी भी मेरा बचपन याद कर के बताती हैं कि मैं उनके दूध को कभी छोड़ना ही नहीं चाहता था। उनका दूध पीना मुझे सबसे ज्यादा सुख देता था। पर अफ़सोस, उम्र बढ़ी और मैं मम्मी के दूध से वंचित हो गया। हर औरत के स्तन माँ के प्रेम की याद दिलाते तो हैं, लेकिन हर औरत प्रेममयी हो, ये ज़रूरी नहीं।”
समीर ने देखा की मीनाक्षी बहुत इंटरेस्ट ले कर उसकी बात सुन रही थी। वो मुस्कुराया और फिर बोला,
“लेकिन इनमें (उसने बारी बारी से मीनाक्षी के दोनों चूचक चूमे) से मेरे लिए प्रेम की मीठी धारा बहती है।”
“मिनी?”
“हम्म”
“तुम बहुत सुन्दर हो!”
मीनाक्षी ने देखा कि यह कहते हुए समीर उसकी योनि को देख रहा था।
‘एक नंबर का बदमाश है!’
“तुम बहुत सुन्दर हो! जैसा सोचा था, उससे भी कहीं अधिक!”
‘समझ आ रहा है कि साहब को क्या सुन्दर लग रहा है!’ उसने मन में सोचा।
“क्या सुन्दर लगा आपको?” और प्रत्यक्ष में कहा।
“तुम्हारा कुछ! कोई एक ही चीज़ हो तो बताऊँ! अब इसको ही ले लो.... तुम्हारी चूत.... इसकी बनावट - जैसे दो पल्लों का दरवाज़ा कस कर भेड़ लिया गया हो! और अभी, जब तुम ऐसे बैठी हो, तो इसको देखने पर ये गुलाब के फूल की पंखुड़ियों जैसी लग रही हैं। सच में, अंदर जा कर मज़ा आ गया!”
जिस तरह समीर ने यह सब कहा, मीनाक्षी हँसे बिना न रह सकी।
“आप इसको चूत क्यों कहते हैं? चूत तो गाली होती है न?”
“ओहहह! अच्छा वो? वो तो देहाती और आवारा लोगों के लिए गाली होती है। असल में चूत तो फल होता है। संस्कृत में ‘चूतफल’ मतलब आम! मैं तो इसको आम कह रहा हूँ! ऐसी प्यारी सी चीज़ को मैं गाली क्यों दूँगा भला?”
“बातें बनाना कोई आपसे सीखे!”
“अरे! अब किसकी कसम लूँ मैं! आम जैसी ही रसदार है ये!”
“हा हा बदमाश! लोग तो ब्रेस्ट्स को आम कहते हैं।”
“क्या बात है! इसका मतलब यह है कि मेरी बीवी आम की टोकरी है पूरी - एक जोड़ी राजापुरी आम ऊपर, और दशहरी आम के रस की प्याली नीचे!”
“धत्त गंदे!”
“मिनी, आज तुमने मुझे कम्पलीट कर दिया! थैंक यू!” कह कर समीर ने उसकी योनि को चूम लिया।
“आप ने भी तो मुझे कम्पलीट कर दिया!”
मीनाक्षी की बात पर समीर मुस्कुराया, और उसने मीनाक्षी के सर को थोड़ा सा नीचे करने की कोशिश की। मीनाक्षी ने भी अपना सर थोड़ा नीचे कर, उसको चूमने में सहयोग किया। जब चुम्बन टूटा, तो उसके स्तन समीर के चेहरे से जा लगे। उसने झट से मीनाक्षी का एक निप्पल अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
मीनाक्षी समीर को मना करने की स्थिति में नहीं थी। समीर के प्रेम करने के तरीके की वो अब मुरीद बन चुकी थी। समीर जहाँ चाहता, जैसे चाहता, और जो भी चाहता, मीनाक्षी उसको वो सब करने से मना नहीं कर सकती थी। अलका ने एक बार मीनाक्षी को कहा था कि उन पुरुषों को अपनी पत्नियों के स्तनपान में ख़ास रूचि होती है, जिन्होंने अपनी माँ का या तो बहुत ही कम, या बहुत ही अधिक स्तनपान किया हो।
‘समीर ने कितना किया है?’ मीनाक्षी के मन में यह सवाल उठा, ‘कम या ज्यादा? शरीर देख कर तो लगता है कि साहब ने अपनी माँ का दूध खूब पिया है! और अब अपनी बीवी का भी!’
“आपसे एक बात पूछूँ?”
“एक नहीं, सौ बात पूछो!”
“आपने मम्मी का दूध कब तक पिया है?”
“उम्म्म, यही कोई छः सात साल तक!”
“अरे वाह। मम्मी आपको बहुत प्यार करती हैं इसका मतलब।”
“हाँ! बहुत प्यार करती हैं! मैं भी उनको बहुत प्यार करता हूँ। वो अभी भी मेरा बचपन याद कर के बताती हैं कि मैं उनके दूध को कभी छोड़ना ही नहीं चाहता था। उनका दूध पीना मुझे सबसे ज्यादा सुख देता था। पर अफ़सोस, उम्र बढ़ी और मैं मम्मी के दूध से वंचित हो गया। हर औरत के स्तन माँ के प्रेम की याद दिलाते तो हैं, लेकिन हर औरत प्रेममयी हो, ये ज़रूरी नहीं।”
समीर ने देखा की मीनाक्षी बहुत इंटरेस्ट ले कर उसकी बात सुन रही थी। वो मुस्कुराया और फिर बोला,
“लेकिन इनमें (उसने बारी बारी से मीनाक्षी के दोनों चूचक चूमे) से मेरे लिए प्रेम की मीठी धारा बहती है।”