अब आगे
संजय संतोष को अपने वापस आने से पहले ना जाने के लिए कहता है ।
संतोष बड़े भैया से पूरी तरह सहमत हो जाता है ।
फिर संजय और धीरज ऑफ़िस के लिए निकल जाते है ।
थोड़ी देर में नीरज भी कॉलेज के लिए निकल जाता है ।
अब घर में बस राधा और संतोष रह गए थे ।
राधा - और बताओ देवर .. जी ..
आज इधर का रास्ता कैसे याद आ गया ।
संतोष - भाभी वो आज रात की फ़्लाइट से मुझे एक महीने के लिए मुंबई जाना पड़ेगा ।
तो सोचा सुमन को यहाँ छोड़ जाऊँ ।
राधा - ये तो अच्छा सोचा तुमने ।
इसी बहाने सुमन भी हमारे साथ महीने भर रह लेगी ।
कुछ देर तक आपस में बातें करते हंसी मज़ाक़ होती रही
फिर राधा ने संतोष से पूछा :
राधा - बहुत देर हो गयी हमें बातें करते हुए संतोष तुम कुछ लोगे ठंडा या
गरम्म्म्म्म
संतोष - मैं तो गरमा-गरम
दूध पियूँगा
ये कह कर संतोष राधा के
स्तनों पे हाथ रख कर उन्हें निचोड़ देता है ।
राधा - हाथ झटकते हुए - धत्त ...!! बदमाश मैं जाती हूँ और चाय बनाकर लाती हूँ ।
राधा खड़ी हो कर जाने के लिए जैसे मुड़ती है कि संतोष उसके हाथ पकड़ कर अपनी बाँहों में खींच लेता है ।
राधा हंसते हुए - बड़े
मूड में लग रहे हो क्या बात है
संतोष - बस आप से मिले हुए बहुत दिन हो गए तो सोचा अपनी भाभी को ज़रा
प्यार कर लूँ ।
ये कह कर संतोष राधा के बालों में उँगलियाँ घुसाता है और राधा के होंठ से अपने होंठ मिला देता है ।
दोनो एक दूसरे को चूमने लगते है ।
संतोष राधा का ब्लाउस खोलने लगता है । और थोड़ी देर में ब्लाउस को ज़मीन पर फ़ैंक़ देता है ।
संतोष राधा की चूँचियों को ज़ोर से भींच देता है ।
उसके हाथ चूचियों से होते हुए राधा के पेट पर चले जाते है ।
वो उसके पेट को सहलाने के साथ साथ उसकी नाभि से खेलने लगता है
धीरे-धीरे संतोष अपने एक हाथ को राधा की साड़ी में घुसेड़ देता है ।
तभी संतोष राधा के होंठ से अपने होंठ हटाता है और कहता है :
संतोष - लगता है आजकल मेरी प्यारी भाभी घर में भी कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न रहने लगी है ।
राधा हैरानी से संतोष को देखते हुए - मतलब ?
संतोष - मतलब यही कि आपने
कच्छी भी नही पहनी है !!!
राधा को अचानक ख़याल आता है और वो हड़बड़ाकर उठ जाती है !!!!!
संतोष - क्या हुआ ?
राधा - मुझे कोमल को फ़ोन करना होगा !
संतोष - पर किसलिए ??????
राधा उसकी बात का कोई जवाब नही देती और अपना मोबाइल उठा कर कोमल को फ़ोन करती है । कोमल का फ़ोन बजता है ।
कोमल - हैलो मॉम !
राधा - हैलो ! बेटा तुम कहाँ हो ?
कोमल - मॉम वो मैं घर पर अपना लाइसेन्स भूल गयी थी तो यहाँ ट्रैफ़िक पूलिस ने रोक रखा है ।
आपने फ़ोन क्यूँ किया ?? कुछ ज़रूरी बात है क्या ?
राधा - अरे ! मेरी कच्छी तेरे बालों में ही लगी रह गयी !!!!
कोमल को ख़याल आता है , वो झट से राधा की कच्छी से बने अपने बालों के जूड़े को खोल कर कच्छी हाथों में छुपा लेती है ।
कोमल - हाँ मॉम ..... निकाल लिया ?
राधा - थैंक गॉड ? अच्छा तो तू उस पूलिस वाले को कुछ ले-दे कर मामला ख़त्म कर और वहाँ से निकल जा
कोमल - हाँ मॉम वो ही कर रही हूँ ! बाय.
राधा बाय कहके फ़ोन रखती है ।
उधर संतोष पूरा नंगा हो कर कुर्सी पे बैठा बैठा राधा की
गांड के उभार को देख के अपने लण्ड को मुठिया रहा था ।
राधा पीछे मुड़ी तो संतोष को देख के हंस पड़ी ।
संतोष से और रुका नही गया और वो राधा को गपचने को उठा पर राधा बच निकली और सोफ़े के पास जाके खड़ी हो गयी ।
राधा - बड़े बेशब्र हो आप देवर जी !
संतोष - जिसकी आप जैसी भाभी हो ... वो भला बेशब्र कैसे ना हो !
अब राधा अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियों को दबाने लगी जिसे देख कर संतोष कुर्सी पर बैठ के अपने लण्ड को मठियाने लगा ।
राधा पीछे मुड़ी और सोफ़े की बैक को पकड़ कर अपने गद्देदार मोटे-मोटे चुत्तडों को संतोष की तरफ़ कर दिया और थोड़ा आगे को झुक कर उन्हें हिलाने लगी ।
अपनी माँ समान भाभी की गांड को ऐसे मटकते देख कर संतोष जैसे स्वर्ग में था ।
राधा धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी ।
साड़ी पूरी तरह से उतार देने के बाद राधा ने संतोष की तरफ़ अपनी गांड करके नाड़ा खींच दिया जिससे संतोष को अपनी भाभी की नंगी गांड के दर्शन हो गये
वो तेज तेज मूठ मारने लगा ।
राधा सोफ़े को पकड़ कर नीचे झुकी और अपनी मोटी तगड़ी नंगी चौड़ी गांड के दर्शन संतोष को करवाए ।
राधा लगातार अपनी गांड हवा में हिलाए जा रही थी
फिर राधा ने अपने दोनो हाथों से अपनी गांड की दरार को खोल कर संतोष को अपनी गांड का छेद अच्छी तरह से दिखाया ।
ये देख कर संतोष उठकर राधा के पास आया और
नीचे बैठ कर उसने अपना सिर राधा की गांड में घुसा दिया ।
राधा सिसक उठी !
संतोष अपनी जीभ निकाल कर राधा के गांड के छेद में घुसाने लगता है ।
राधा सिसकती रहती है ।
संतोष गांड के छेद को जीभ से जमकर चोदता है ।
फिर उसके बाद गांड के आस पास के हिस्से हो अच्छी तरह से चाट के साफ़ करता है ।
संतोष खड़ा हुआ और राधा को पलट कर उसे अपने पैरो के नीचे बैठा दिया ।
अब संतोष का लण्ड राधा के मूँह के सामने था ।
राधा ने नज़र उठा कर संतोष की आँखो में देखा और अपना मुँह खोल कर संतोष का पैना खड़ा लण्ड अपने गरम मुँह में ठूँस लिया ।
राधा संतोष का पैना लण्ड अपने हलक में उतारने लगी और अपने गाढ़े थूक से लण्ड चिप चिपा कर दिया ।
संतोष आँखे बंद किए राधा का सिर पकड़ के अपने लण्ड से राधा के सिर को चोदे ज़ा रहा था ।
१० मिनट तक लण्ड चूसने के बाद राधा उठी और संतोष का लण्ड पकड़ कर कुर्सी की ओर चलने लगी ।
चलते समय राधा के रसीले मुलायम चुत्तड ऊपर नीचे हो रहे थे ।
राधा अपने हाथों से संतोष का लण्ड पकड़े सेक्सी स्टाइल में आगे आगे चल रही थी ।
कुर्सी पर पहुँचकर राधा ने अपनी एक टांग उठा कर कुर्सी पर रख दी ।
अपने एक हाथ से कुर्सी को पकड़ कर दूसरे हाथ से संतोष के लण्ड को पकड़ कर अपनी
गांड के छेद पर सैट कर दिया ।
संतोष ने गांड का छेद पहचान लिया और अपने आप को पीछे कर लिया ।
राधा ने हैरानी से संतोष की तरफ़ देखा और पूछा :
राधा - क्या हुआ ?
संतोष - भाभी मैं आपकी दिल से इज्जत करता हूँ , मैं आपकी गांड नही मार सकता ।
राधा की हंसी छूठ जाती है ।
राधा - अरे तो फिर
चूत ही मार ले चल ....
संतोष चूत मारने की बात से सहमत हो जाता है और आगे बढ़ कर राधा की चूत में अपना खड़ा टाइट लण्ड जड़ तक उतार देता है ।
राधा की आँखे बाहर निकल आती है ।
उसकी हंसी उसके पिछवाड़े में घुस जाती है ।
राधा कुर्सी को पकड़े आगे पीछे हिलती है और संतोष उसको हिलने में मदद करता है ।
संतोष लगातार धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था और बड़बड़ाए ज़ारा था ......
आह.... समा लो अपनी चूत में भा.... भी !!!!!!
१५ मिनट तक चली इस भीषण चुदायी के बाद दोनो ने अपना पॉस्चर चेंज किया ।
अब संतोष कुर्सी पर बैठ गया और राधा उसके लण्ड के ऊपर उछलने लगी ।
चुदाई का महा खेल तब शुरू हुआ जब राधा अपनी गांड उछाल उछाल कर संतोष के लण्ड को अपनी चूत में लेने लगी ।
राधा ऐसे उछल उछल के चुद रही थी :
अगर कोई उसके पीछे खड़ा हुआ होता तो राधा के मोटे चुत्तडों के बीच छुपा साफ़ सुथरा गांड का छेद भी उसे दिखता
संतोष ने अपने दोनो हाथ राधा के चुत्तडों पे रख दिए और उन्हें सहारा देकर राधा की चूत पेलने लगा ।
बीच बीच में संतोष राधा के चुत्तडों पर थप्पड़ भी मार देता था । राधा अब झड़ने की कगार पर थी ।
इसी बीच संतोष ने
राधा की गांड में उँगली घुसा दी
राधा अब स्वर्ग में थी ।
संतोष अपना पैना लण्ड राधा की चूत में और अपनी एक उँगली राधा की गांड में बराबर कर रहा था ।
२० मिनट तक चली इस भीषण चुदाई से दोनो झड़ने लगे ।
संतोष ने पिचकारी राधा की चूत में ही दे मारी ।
संतोष ने राधा से कहा - भाभी में दूसरी बार झड़ने वाला हूँ , प्लीज़ आप अपना मुँह खोल के नीचे बैठ जाओ ।
राधा झट से उठी और नीचे अपना चुदा हुआ मुँह लेके बैठ गयी ।
संतोष ने अपना लण्ड राधा के खुले मुँह के पास ले जाकर ४-५ पिचकारियाँ मारी जो राधा के मुँह में गिरी और कुछ उसकी आँख और नाक में गिर गयी ।
दोनो थोड़ी देर ऐसे ही शांत पड़े रहे ।
राधा की फटी चूत से संतोष का वीर्य बहे ज़ा रहा था ।
थोड़ी देर बाद दोनो उठे और सोफ़े पर बैठ गए ।
फिर अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए राधा बोल पड़ी :
राधा - मेरी गांड क्यूँ नही मारी
संतोष - भाभी बताया तो था मैं आपकी इज़्ज़त करता हूँ
राधा - तो फिर उँगली क्यूँ डाल दी !
बदमाश
संतोष - मेरी भाभी ! क्यूँकि मैं आपका देवर हूँ
और देवर का फ़र्ज़ होता है
अपनी भाभी की गांड में उँगली करते रहना ।
दोनो हंस पड़ते है ।
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नीरज की वापसी :
अपने देवर से चुदने के बाद राधा अपनी भारी भरकम गांड मटकाते हुए रसोई की तरफ़ जाने लगती है ।
रसोई में जाकर राधा चाय बनाती है ।
संतोष सोफ़े पर नंगा बैठा टीवी देखने लगता है ।
तभी डोरबैल बजती है ।
टिंग टोंग । टिंग टोंग
संतोष सामने पड़ा तौलिया उठाकर अपनी कमर पर लपेट कर दरवाज़ा खोलता है ।
सामने नीरज खड़ा था ।
संतोष - अरे नीरज बहुत जल्दी आ गए !
नीरज - अंदर घुसते हुए - हाँ चाचू वो आज ज़्यादा कलासिस नही थी , सिर्फ़ एक ही क्लास थी
अचानक से राधा ट्रे में चाय लिए नंगी ही रसोई से बाहर आ गयी और नीरज को सामने , अपने चाचा के पास खड़ा देख कर डर गयी ।
उसने झट से ट्रे को टेबल पर रखा और पास पड़े अपने कपड़े उठाने लगी ।
नीरज अपनी मादरजात नंगी माँ को आँखे फाड़ कर देखने लगा
राधा जब ट्रे रखने के लिए टेबल पर झुकी तो नीरज अपनी माँ की गांड का मुआयना करने लगा ।
राधा कपड़ों से अपने आप को छुपाते हुए - अरे ! नीरज बेटा तुम कब आए ?
नीरज - बस अभी आया मॉम और आप ये नंगी ..
राधा - झुंझला कर बात काट ते हुए - देवरजी आपने बताया क्यूँ नही ।
नीरज बेटा ! तू बैठ कर अपने चाचू के साथ चाय पी
मैं कपड़े पहन कर आती हूँ ।
राधा पीछे मुड़ कर अपने कमरे में जाने लगी ।
पीछे नीरज और संतोष एक बार फिर से राधा की हिल्लोरे मारती गांड को निहारते है ।
यहाँ भले ही चुदाई सभी आपस में करते हो
लेकिन कभी भी एक दूसरे के सामने नही करते थे ..
आख़िर यही तो .. संस्कार है इस घर के
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