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चोर-पूलिस
उधर राधा की गांड फटते-फटते रह गयी इधर कोमल अपनी चाची सुमन के साथ ट्राफ़िक पूलिस के फेर में पड़ी थी ।
कोमल - सर ... ! प्लीज़ जाने दो आगे से ऐसी गलती नही होगी
आप ये पैसे रख लो प्लीज़ ..
ट्रैफ़िक पूलिस वाला एक हट्टा कट्टा पहलवान सा था जिसकी बड़ी बड़ी मूँछें थी ।
उसकी नेम प्लेट पे “ घनश्याम सिंह ” लिखा था ।
कोमल उसे घनश्याम जी कहके पुकार रही थी ।
घनश्याम - नही ! नही ! मैं क्या तुम्हें रिश्वतखोर लगता हूँ ।
कोमल - प्लीज़ घनश्याम जी ।
अब हो गयी ना गलती !
आगे से नही होगी ।
प्लीज़ .. प्लीज़ .. प्लीज़ !
घनश्याम स्कूटी की चाबी निकालने के लिए नीचे झुकता है ।
वो चाबी निकालता है तभी उसकी नज़र कोमल की उठी स्कर्ट पर जाती है ।
उसे कोमल की
चूत दिखायी देती है ।
घनश्याम का लण्ड खड़ा हो जाता है ।
सुमन और कोमल इस बात से अनजान , चाबी निकाले जाने से हैरान थे ।
घनश्याम को जाते देख कोमल ग़ुस्से में घनश्याम को घूरने लगती है ।
कोमल स्कूटी से उतरकर घनश्याम की तरफ़ जाती है ।
सुमन को पीछे से कोमल की उठी हुई स्कर्ट दिख जाती है , जिसमें से कोमल की ` कोमल सी ‘ गांड दायें-बायें हो रही थी उसके चलने से ।
कोमल को घनश्याम पर ग़ुस्सा आता है । वो उसके पास जाके खड़ी हो जाती है ।
घनश्याम जवान लड़की की चूत देख के अब तक होश में नही आ पाया था । वो अपना मुँह जग में पानी लेके धोने लगता है ।
कोमल - एसक्यूस मी भाई साहब !
घनश्याम उसकी तरफ़ देखता है । कोमल के पीछे सुमन दौड़ती हुई आ रही है , घनश्याम की नज़रें सुमन को देखने लगती है ।
घनश्याम को किसी और को देखते हुए कोमल भी पीछे मुड़ के देखने लगती है अब घनश्याम को फिर से कोमल की गांड के दर्शन हो जाते है ।
घनश्याम से अपने आप को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है ।
तभी सुमन कोमल के पास पहुँच कर , कोमल के पीछे हाथ कर के कोमल की उठी स्कर्ट नीचे कर देती है ।
कोमल को याद आता है उसकी कच्छी तो सुमन ने पहन रखी है और जो कच्छी उसकी माँ ने दी थी वो उसने स्कूटी में छुपा के रख दी थी ।
कोमल सुमन की आँखो में देख कर कहती है ये तो गड़बड़ हो गयी ।
इस आदमी ने तो मुझे नंगा देख लिया ।
सुमन घनश्याम के पास जाती है और उससे विनती करती है कि उन्हें जाने दे और जो उसने देखा उसे किसी को ना बताए ।
उसके बदले जो उसे चाहिए वो उनसे माँग ले ।
घनश्याम का तो लण्ड पैंट में तम्बू बन ही चुका था । अब उसे अच्छी तरह से पता था कि उसे क्या माँगना है ।
उसने एक नज़र सुमन पर ऊपर से नीचे तक दौड़ाई फिर कोमल को अच्छी तरह से ऊपर से लेके नीचे तक देखा ।
फिर उसने सुमन के सामने ही कोमल से पूछा :
घनश्याम - ए ..लड़की मेरा लण्ड चूसेगी ?
सुमन और कोमल दोनो के मुँह खुल गए !
सुमन - ये क्या कह रहे हो आप भाई साहब ।
आख़िर ये क्यूँ चूसेगी आपका लण्ड !!!
घनश्याम समझ गया ये किसी बड़े घराने की बड़ी रंडियाँ है ।
उसने सुमन से कहा ....
घनश्याम - तो..तू चूस ले राँड !!!
ये सुनके कोमल और सुमन दोनो आश्चर्यचकित रह गयी ।
दोनो को लगा की अब ये पुलिस वाला बिना चोदे दोनो को छोड़ेगा नही ।
कोमल ने झट से अपने पापा को फ़ोन लगाया और उन्हें सारी बात बता दी ।
संजय ने बात समझते हुए पूलिस वाले से बात करनी चाही ।
कोमल ने फ़ोन घनश्याम को दे दिया ।
कुछ देर घनश्याम से बात करने के बाद संजय ने वापस कोमल से बात की ।
कोमल - हाँ पापा ! कुछ हुआ ?
संजय - देखो बेटी ये पैसे तो लेगा नही । इसने तेरी चूत और गांड दोनो देख ली है
अब ये कह रहा है किसी एक की गांड दिलवा दो !
अब तू ये बता ! बेटी .. तू मरवाएगी या सुमन ?
कोमल हैरानी से - ये क्या डील हुई पापा ! इसलिए इतनी देर बात की आपने ?
हम बीच सड़क पे है ! बीच सड़क पे क्या हम किसी अनजान व्यक्ति से ..
संजय हँसता हुआ - अरे मज़ाक़ था बेटी , मैंने उससे बात कर ली है ।
वो बोल रहा है कि उसकी जीप खड़ी है उसमें जाके किसी एक की गांड चाटेगा । और छोड़ देगा तुम दोनो को ।
कोमल - ठीक है पापा मेरी चाट लेगा । रखती हूँ अब फ़ोन ।
कोमल सुमन को सब बताती है । सुमन उससे पूछती है कि क्या वो जाए जीप में ?
कोमल मना करके कहती है कि वो सम्भाल लेगी ।
कोमल घनश्याम के पास जाके कहती है :
चलिए ..।
दोनो जीप की तरफ़ अग्रसर हो जाते है ।
जीप में पहुँच कर घनश्याम कोमल की स्कर्ट ऊपर उठा कर घुस जाता है उसमें और अच्छे से उसकी चूत और गांड चाट चाट कर साफ़ कर देता है ।
बाहर सुमन खड़ी जीप की तरफ़ देखती रहती है ।
१० मिनट गुजर जाने के बाद सुमन जीप के पास पहुँचती है और खिड़की पे खटखटाती है ।
दोनो जीप से बाहर निकलते है ।
कोमल को देख कर सुमन के होश उड़ जाते है ।
वो ऐसे लग रही थी जैसे उस
पूलिस वाले ने उसकी ज़बरदस्ती लिटा कर गांड मार ली हो ।
घनश्याम कोमल को सुमन को थमा के निकल जाता है ।
सुमन - अरे कोमल डील तो सिर्फ़ गांड चाटने की हुई थी ना ।
कोमल - साँस दुरुस्त करते हुए - हाँ लेकिन उस हरामी ने मेरे मुँह में अपना १० इंच लम्बा लण्ड भी दे दिया ।
सुमन - १० इंच था उसका ?
कोमल - हाँ मेरा गला पूरा भर भर के चोद डाला उसने पर चलो जान तो छूटी ।
दोनो हंसने लगे और आगे निकल गए ।
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घर : बच्चों को भी मौक़ा
इधर राधा भी अपने कपड़े पहन कर आ गयी ।
उसके बाद वह संतोष और नीरज से बातें करने लगी पर नीरज का ध्यान अपनी मॉ की गांड पर लगा हुआ था जो आज उसने थोड़ी देर पहले देखी थी ।
वो बार बार अपने खड़े लण्ड को बैठाने की कोशिश कर रहा था
ये देख कर राधा हंस पड़ी और बोली :
राधा - आइ अम सॉरी बेटा !
वो तेरे चाचू इतने दिनो बाद आए थे और आज उन्हें एक महीने के लिए बाहर भी जाना है तो मैं उन्हें मना नही कर सकी ।
आज सुबह से मेरा भी मन मचल रहा था चुदाई के लिए इसलिए कर लिया ।
तू रात में कोमल या सुमन को ले लेना ! ओके !
नीरज - कोई बात नही मॉम वो मैं रात को देखूँगा । और हाँ चाचू आप कहाँ जा रहे हो ?
संतोष - वो मुझे ज़रूरी काम से मुंबई जाना पड़ रहा है । एक महीने बाद आऊँगा तब तक सुमन यहीं रहेगी ।
नीरज - वाउ !! चाची एक महीने यहीं रहेगी ।
नीरज की इक्सायट्मेंट देख कर राधा और संतोष हंस पड़े ।
राधा - देखा तुझे तेरी चाची पूरे महीने भर के लिए मिल रही है ... जब चाहे चढ़ जाना उस पर !
तीनो हंस पड़ते है तभी डोरबैल बजती है ।
राधा उठती है और दरवाज़ा खोलती है ।
सामने कोमल और सुमन खड़ी थी ।
राधा को कोमल का मुँह फटा-फटा सा लगता है पर उसने ज़्यादा ध्यान नही दिया इस बात पर और बोली
राधा - आ गयी तुम दोनो !
कोमल अंदर आते हुए - हाँ मॉम !
राधा - बैठ मैं चाय बनाकर लाती हूँ ।
सुमन - नही दीदी अब सीधा डिनर ही लगा देना ।
राधा खाना लगाती है । सभी खाने बैठते है ।
राधा बग़ल में खड़ी हो कर सभी को खाना खिलाने लगती है ।
संतोष - अरे भाभी आप भी आइए ना !
राधा - नही नही तुम लोग खाओ मैं बाद में खा लुंगी
संतोष पास खड़ी राधा को खींच के अपनी गोद में बिठा लेता है । संतोष का खड़ा हुआ लण्ड राधा की गांड में चुभने लगता है ।
राधा - ओह...ओ !!!! छोड़ो ना सभी देख रहे है ।
संतोष - देखने दो मैं अपनी प्यारी भाभी को खाना खिला रहा हूँ । किसी को इससे क्या !
सभी हंस पड़ते है और राधा शर्मा जाती है । राधा को देख कर नीरज का लण्ड फिर से तन जाता है ।
नीरज सुमन को देख कर एक सेक्सी स्माइल देता है ये देख कर सुमन शर्मा जाती है ।
कोमल उन्हें छेड़ते हुए कहती है :
कोमल - क्यू नीरज भैया !! कल रात धीरज भैया ने चाची की चूत सुजाई थी ।
कहीं आज आपका दिल तो नही कर रहा चाची को चोदने का !
सुमन - धत्त ! बेशर्म !! कुछ भी बोल देती है और शर्मा जाती है ।
संतोष - अरे हाँ तुमने बताया नही डॉक्टर ने क्या कहा ?
कोमल - कहना क्या था चाचू बस धीरज भैया की तारीफ़ की ..
राधा - धीरज की तारीफ़ ? किस लिए !!
कोमल - डॉक्टर ने कहा बड़ी क़िस्मत वाली है जो इतने तगड़े लण्ड से चुदी ।
सुमन - धत्त !! बेशर्म !!
राधा - मेरे बेटे का लण्ड है ही इतना तगड़ा कि कोई भी उसकी तारीफ़ करेगी ।
कोमल - हाँ लेकिन चाची अभी ३-४ दिन चुद नही सकती ।
ये सुन कर नीरज का मुँह लटक गया । ये देख कर राधा को हंसी आ गयी ।
राधा - कोई बात नही नीरज बेटा तुम आज रात को गुड़िया को ले लेना ..
कोमल - मुझे !!!!! पर पापा ...
राधा - उन्हें मैं मना लुंगी , अब ख़ुश ।
यू ही हंसी मज़ाक़ में समय निकला । थोड़ी देर में धीरज और संजय भी आ गए ।
राधा ने उन दोनो के लिए भी खाना परोसा । सभी फ़्रेश होकर खाने बैठे तभी संजय बोला :
संजय - और संतोष कैसा चल रहा है तुम्हारा ??
संतोष - जी भैया सब ठीक है वो अभी एक घंटे में मुझे मुंबई निकलना है ।
ज़रूरी काम है एक महीने के लिए इसलिए सुमन को यहीं छोड़े जा रहा हूँ । उसका ख़याल रखिएगा ।
संजय - खूब तरक़्क़ी करो तुम ।
भगवान तुम्हें और सफल बनाए ।
और हाँ !
सुमन की बिलकुल भी चिंता मत करना ।
संतोष - आप लोगों के पास रहेगी तो चिंता की क्या बात !
फिर संजय सुमन से उसकी चूत की सूजन के बारे में पूछता है ।
सुमन उसको बताती है कि डॉक्टर ने दवाई दी है । ३-४ दिन लगेंगे ठीक होने में जब तक किसी से भी चुदवाने को मना किया है ।
संजय सुमन को अपनी चूत दिखाने के लिए कहता है
सुमन शर्मा जाती है ।
पर संजय उसे चूत दिखाने पे मजबूर कर देता है ।
सुमन शर्माते हुए स्कर्ट ऊपर करती है और अपनी कच्छी बग़ल में करके संजय को अपनी चूत दिखाती है ।
संजय सुमन से कच्छी उतारने के लिए कहता है
संजय - छोटी अगर कच्छी पहन के रखोगी तो ज़ख़्म भरने में समय लगेगा ।
सुमन झट से अपनी गांड से कच्छी उतार फेंकती है
थोड़ी देर बाद संतोष जाने के लिए तैयार होता है ।
संजय नीरज से संजय को अयरपोर्ट तक छोड़ के आने के लिए बोलता है ।
ये सुनकर नीरज का मुँह लटक जाता है ।
राधा नीरज की उदासी को देखते हुए कहती है :
राधा - वोह .. आज नीरज का मन कोमल के साथ .
संजय - गुड़िया के साथ !!
पर गुड़िया के साथ तो मैं आज !
राधा बीच में ही बात काटते हुए - ओफ़्फ़ो !! आप भी ना !
कभी तो बच्चों को भी मौक़ा दिया करो ।
संजय - जैसा तुम चाहो .. डार्लिंग हम तो आपकी चूत के ग़ुलाम है ।
राधा - छि ! छि !
कभी तो शर्म किया करो बच्चों के सामने ही !
इसी हंसी मज़ाक़ के साथ संजय धीरज को संतोष के साथ भेज देता है ।
कोमल और नीरज को वो आज रात मज़े करने के लिए कहता है
नीरज पापा को धन्यवाद देता है ।
नीरज ख़ुश होते हुए उठता है और बग़ल में बैठी कोमल को उसके बग़ल में हाथ देकर उठा लेता है ।
नीरज कोमल की गांड के नीचे हाथ रख कर अपने कमरे में दौड़ पड़ता है ।
कोमल समझ जाती है कि अब उसे नीरज से चुदने से कोई नही बचा सकता ।
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