रात को धीरज और सुबह को नीरज राधा की ज़बरदस्त गांड मार लेते है ।
रविवार के दिन घर में संजय और कोमल में हल्की फ़ुल्की छेढ़खानी होती है ।
नहाने के बाद सुमन के नग्न रूप को देख कर नीरज उसे चोदने की सोचता है लेकिन संजय बाज़ी मार ले जाता है ।
राधा नीरज से आज रात सुमन को चुदवाने का वादा करती है ।
अब आगे ....
कोमल जो भाग कर ये सोचकर अपने कमरे में घुसी थी कि ..
“ उसके पापा भी उसके पीछे भाग कर आएँगे और उसे खूब जम कर पेलेंगे ”
.. निकल कर बाहर आती है ।
बाहर राधा और नीरज को बैठा देखकर कोमल राधा से पूछती है
कोमल - मॉम पापा कहाँ रह गए ?
राधा - तेरे पीछे भागते हुए वो सुमन के कमरे में घुस गए ।
मेरे बच्चे का मन था आज अपनी चाची को चोदने का ।
बेचारा !
नीरज - कोई बात नही मॉम सिर्फ़ मेरे साथ ही
KLPD नही हुआ है ।
दी के साथ भी
GCPD हो गया है ।
राधा -
KLPD तो बेटा मैं जानती हूँ ।
खड़े लण्ड पर धोखा होता है
लेकिन ये
GCPD क्या होता है ?
कोमल निराशा से अपनी चूत पर हाथ रखते हुए सोफ़े पर बैठते हुए कहती है :
गरम चूत पर धोखा मॉम , गरम चूत पर धोखा !!
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संजय और सुमन :
सुमन बाहर के क्रियाकलाप से बेख़बर अंदर घुसते ही अपना तौलिया खोल कर पहले चुचीयो को फिर नीचे झुकते हुए अपने पैरो को पोंछती है ।
सुमन की नंगी गांड दरवाज़े की तरफ़ है तभी वहाँ संजय आकर दरवाज़ा अंदर से बंद कर देता है ।
धड़ामममम.......
सुमन एकदम से डर जाती है और खड़े हो कर तौलिया से अपने आप को ढकते हुए कहती है :
सुमन - जेठ जी ! आप ! आप यहाँ क्या कर रहे है ।
चलिए बाहर जायिए !
ऐसे किसी के भी कमरे में घुसना आपको शोभा नही देता ।
संजय की तरफ़ बढ़ते हुए सुमन का तौलिया फिसल कर नीचे गिर जाता है ।
अब सुमन बिलकुल नंगी संजय के सामने आ जाती है ।
संजय सुमन के बड़े बड़े थनों को घूरने लगता है ।
संजय आगे बढ़ कर एक हाथ से सुमन के एक थन को निचोड़ता है ।
और दूसरे हाथ को सुमन के मुँह पर रख कर उसकी चबड चबड बंद कर देता है ।
सुमन बड़ी बड़ी आँखे कर कर संजय को देखती है ।
संजय - चुप ! चुप ! साली !
संजय नीचे बैठ कर सुमन की चूत चाटने लगता है ।
सुमन की साफ़ सुथरी चूत से इत्र जैसी खूशबू आ रही थी ।
संजय अपनी जीभ निकाल कर सुमन की चूत में घुसा देता है ।
सुमन - हस्ते हुए - साली नही जेठ जी !
याद कीजिए मैं आपकी भाभी हूँ । फिर से भूल गए ना आप
संजय ये सुनकर अपने सीधे हाथ की बीच वाली उँगली सुमन के पीछे ले जाते हुए उसकी गांड में घुसा देता है ।
सुमन - अपनी गांड से उँगली निकाल कर - गांड में उँगली मत करिए जेठ जी ।
गांड में उँगली करने की वजह से सुमन की चूत में भी खुजली होने लगती है ।
सुमन संजय का सिर बालों से पकड़कर अपनी चूत में दबा देती है
संजय सुमन की चूत चाटने लगता है । लेकिन जल्द ही सुमन को होश आ जाता है ।
सुमन - संजय का मुँह अपनी चूत से हटाते हुए - छोड़िए ना ! जेठ जी ।
दीदी और बच्चे बाहर ही बैठे है ।
क्या सोचेंगे वो भी हमारे बारें में कि आप सुबह-सुबह मेरे साथ
छि . . और शर्मा जाती है ।
संजय - क्या सोचेंगे भाभी जी !
यही ना कि पापा चाची को चोदने के लिए चाची के कमरे में ही घुस गए ।
सुमन - छीछी ... कितनी गंदी बातें करते है आप ।
फिर हस्ते हुए - पर हाँ यही सोचेंगे ।
संजय - तो तुम बताओ क्या हम दोनों मिल कर उन्हें ग़लत साबित कर दे ?
सुमन - हैरानी से संजय को देखते हुए - कैसे ?
संजय सुमन की गांड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए कहता है
संजय - तुम्हारी चूत के साथ-साथ तुम्हारी ये बाहर को निकलती हुई गांड भी मार कर ..
हम ये साबित करेंगे कि पापा सिर्फ़ चूत ही नही चोदते बल्कि गांड भी मारते है ।
सुमन - अपने मुँह पर हाथ रखते हुए - ओह ! जेठ जी !
मुझे मालूम नहीं था कि आप मेरी गांड मारने का ग़लत विचार भी अपने मन में रखते है ।
छि ......
संजय सुमन के दोनो मुलायम चुत्तडों पर अपनी हथेली रख कर उन्हें भींच देता है ।
संजय -तुमसे किसने कहा कि ये ग़लत विचार है ।
अरे ये तो बहुत अच्छा विचार है जब भाई अपनी भाभी की गांड मार कर बाहर निकलता है तो सभी उनका दिल से सम्मान करते है ।
सुमन - झूठ बोलते हो आप जेठ जी ।
संतोष ने तो आज तक राधा दीदी की गांड नही मारी
वो तो कहते है कि गांड मारने से औरत की इज़्ज़त कम हो जाती है ।
संजय - संतोष राधा की दिल से इज़्ज़त करता है ।
और मुझे पूरा विश्वास है कि एक ना एक दिन वो भी राधा की गांड में चार चाँद लगा देगा ।
धीरज और नीरज भी अपनी माँ की इज़्ज़त करते है ।
दोनों राधा की दिन रात गांड मारते है ।
राधा का भी आशीर्वाद दोनों पर बना रहता है ।
इसलिए दोनो लड़के अपनी माँ पर जान छिड़कते है ।
ये कह कर संजय भावुक हो जाता है ।
सुमन संजय को देख कर हसने लगती है ।
सुमन को हँसता देख संजय सुमन से पूछता है :
संजय - क्या हुआ ! मैंने कुछ ग़लत कह दिया क्या !
सुमन - हस्ते हुए - हाँ ।
संजय - क्या !
सुमन - दोनों अपनी माँ पर जान नही छिड़कते है ।
जेठ जी
बल्कि उनकी गांड मार मार कर मूठ छिड़कते है ।
दोनो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगते है ।
संजय को हँसता देख सुमन नीचे बैठ कर संजय का लण्ड ज़ोर ज़ोर से मठियाने लगती है ।
संजय अपने हाथ पीछे फ़ोल्ड करके खड़ा रहता है ।
थोड़ी देर बाद नीचे नंगी बैठी सुमन अपना मुँह खोल कर संजय का लण्ड जड़ तक ले लेती है ।
संजय के दोनो चुत्तडों को दबा कर सुमन संजय के लण्ड से अपने गले को चुदवाने लगती है ।
५ मिनट के बाद सुमन मुँह से लण्ड निकाल कर लण्ड को ऊपर उठा देती है ।
और संजय के लटकते हुए टट्टो को चाटने लगती है
संजय के आंडो को चाटने के साथ साथ सुमन आंडो को मुँह में भर कर चूसती है ।
५ मिनट आंडो को अच्छे से चूसने के बाद सुमन संजय को घूम कर झुकने के लिए कहती है ।
संजय - छोटी मुझे तेरी गांड मारनी है ।
मुझे तेरे से मरवानी नही है और हंसने लगता है ।
सुमन - पता है जेठ जी ... मेरे पास लण्ड भी नही है जिससे मैं आपकी गांड मार सकूँ ।
संजय पलट कर झुक जाता है ।
सुमन अपनी जीभ निकाल कर संजय की गांड में घुसा देती है और ज़ोर लगा कर चूसती है ।
संजय चिल्लाने लगता है ।
बाहर बैठे लोगों को संजय की चीख सुनाई देती है ।
राधा - ये लो जी । चुद गयी तुम दोनो की चाची !
कोमल - पर मॉम चिल्लाना तो चाची को चाहिए था
ये तो पापा के चिल्लाने की आवाज़ है ।
नीरज - कहीं चाची ने ! पापा की गांड तो नहीं मार ली ?
कोमल और राधा दोनो नीरज पर ग़ुस्से से चिल्लाते है ।
राधा नीरज के गाल पर हल्का सा चाँटा जड़ देती है
राधा - बेटा अपने पापा की इज़्ज़त करना सीखो ।
उन्होंने इस घर में हमेशा सबकी गांड मारी है ।
कभी किसी से मरवायी नही है ।
नीरज अपने गाल पर हाथ रखते हुए - पर मॉम ! दी की आज तक क्यूँ नही मारी ?
ये सुनकर राधा नीरज की तरफ़ देखती है ।
कोमल घबरा जाती है ।
कोमल नीरज की तरफ़ मुँह करके उसे ग़ुस्से से आँखे दिखाती है
नीरज कुछ समझ नही पाता ।
आख़िर इस सवाल का जवाब जानने का उसका भी अधिकार है
कोमल - बात को सम्भालते हुए - मॉम ये सवाल !
ज़रूर इसने इसलिए पूछा होगा
क्यूँकि इसे भी मेरी गांड मारने के लिए नही मिल रही है ।
हैं ना भाई ?
कोमल नीरज की तरफ़ ग़ुस्से से देख कर अपनी नज़रें राधा की तरफ़ घुमाती है ।
नीरज - हाँ ... हाँ मॉम वो दी के चुत्तड दिन पे दिन बड़े होते जा रहे है ।
ये कहकर नीरज फिर फँस जाता है ।
कोमल नीरज के पैर पर ज़ोर से पैर मारती है ।
नीरज - मेरा मतलब ... हाँ मेरा भी मन करता है कि मैं दी की सील पैक गांड खोलूँ
राधा - नीरज समय आने पर तुम्हें सब कुछ बता दिया जाएगा ।
जब तक तुम अपने लण्ड को क़ाबू में रखो !
समझ गए ?
नीरज - कोमल को तिरछी नज़रों से देखते हुए - जी मॉम ।।
कोमल - मुँह पर हाथ रखते हुए -
IDIOT !!
उधर सुमन के कमरे में संजय सुमन को गोदी में उठा कर चोदना शुरू कर देता है ।
सुमन के दोनो पैर हवा में उठे हुए थे ।
संजय सुमन को उछाल उछाल कर चोदने लगता है । सुमन के थन संजय के सीने में दब से जाते है ।
संजय से चुदती सुमन :
१० मिनट तक ऐसे ही झूला झूलती सुमन को संजय बेड पर फ़ेक देता है ।
सुमन अपनी दोनो टांगो को हवा में उठा कर अपने दोनो हाथों से पकड़ लेती है ।
और विपरीत दिशा में खिंचती है जिससे उसकी चूत खुल जाती है
संजय आगे बढ़ कर लण्ड चूत पर सैट करके एक ही झटके में चूत में जड़ तक घुस जाता है ।
सुमन अपना मुँह खोल कर जीभ बाहर निकाल लेती है जिसे संजय अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है ।
१० मिनट तक ऐसे ही चूत का भोसड़ा बना कर संजय सुमन को पलटने के लिए कहता है ।
सुमन पलट कर घोड़ी बन जाती है ।
सुमन की भारी भरकम गांड संजय के सामने हिचकोले मारने लगती है ।
संजय एक बार सीधे और एक बार उल्टे हाथ से
सुमन को नंगे चुत्तडों पर कसके थप्पड़ मार कर उन्हें हिलाता है ।
सुमन के चुत्तड बड़े और गद्देदार होने की वजह से एक लय में हिलने लगते है ।
संजय अपने सीधे हाथ के अंगूठे और एक उँगली से सुमन के चुत्तडों की दरार एक तय जगह से खोलता है ।
उसका अनुमान बिलकुल सही निकला ।
सामने सुमन की गांड का छेद था ।
कसे हुए छेद को देख कर संजय मुस्कुराता है
जैसे उसने पहली बार एक ही बार में उस जगह को ढूँढा हो ।
सुमन संजय को टकटकी लगाए उसके छेद को देखते हुए कहती है :
सुमन - जेठ जी .... कुछ नया मिल गया है क्या ?
संजय - छोटी इतने भारी भरकम पहाड़ों के बीच ये खाई पता नही कहाँ गुम हो जाती है ।
कितनी मेहनत करनी पड़ती है इस तंग छेद को ढूँढने के लिए ।
सुमन अपने दोनो हाथों से अपने चुत्तडों को फैला कर बोलती है
सुमन - जेठ जी अब अपनी घटिया बातें बंद कीजिए और इस छेद की सवारी करना शुरू कीजिए ।
चलिए आ जयिए ।
संजय लण्ड हाथ में लिए घोड़ी बनी सुमन के ऊपर झुक कर अपना टोपा छेद पर जमा देता है ।
सुमन की कमर पर हाथ रख कर सुमन से कहता है :
संजय - छोटी !
MAY I COME IN ?
सुमन अध्यापिका थी इसलिए संजय के छोटे बच्चे की भलीभाँति ऐसा पूछने पर उसे हंसी आ जाती है ।
हंसते हुए वो कहती है :
सुमन -
YES ! YOU MAY COME IN !
इतना बोलकर सुमन हंसते हुए मुँह आगे करती है
परंतु जल्दी ही उसकी हंसी छूमंतर हो जाती है ।
संजय एक झटके में ही सुमन की मोटी गांड की पतली नली को पूरा भर देता है ।
और बिना रुके लगातार सुमन की गांड मारने लगता है ।
सुमन संजय के तगड़े झटको का दर्द खुद आगे पीछे हो कर कम करती है ।
१५ मिनट तक ऐसे ही सुमन की गांड फाड़ते हुए संजय चिल्लाने लगता है :
संजय -
MADAM JI MAY I CUM IN ? MADAM JI MAY I CUM IN YOU ?
सुमन -
YES YOU MAY CUM IN . BUT NOT IN MY ASS . YOU MAY CUM IN MY PUSSY .
संजय सुमन की गांड से लण्ड निकाल कर चूत में डाल देता है और झड़ने लगता है ।
संजय झड़ कर सुमन की पीठ पर ही गिर जाता है ।
सुमन भी पेट के बल बेड पर पसर जाती है ।
संजय का लण्ड चूत से निकल कर सुमन की गांड की गहराइयों में कही खो जाता है ।
१० मिनट बाद सुमन अपनी गांड से चिपके हुए संजय से कहती है
सुमन - जेठ जी ! जेठ जी !
संजय - हममम...
सुमन - हटिए ! मेरे ऊपर से !
और निकलिए मेरे कमरे से !
पता नही सब मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे ।
ये कहकर सुमन अपने कपड़े पहन्ने लगती है ।
संजय नंगा ही कमरे से बाहर निकल जाता है ।
सुमन पीछे मुड़कर देखती है तो उसकी गांड फट जाती है ।
वो जल्दी से संजय के कपड़े ज़मीन से उठाकर कमरे से बाहर निकलती है ।
सामने संजय राधा और दोनो बच्चों के सामने नंगा खड़ा होता है ।
सुमन संजय को खींचते हुए उसके कमरे में धकेल देती है ।
सुमन - सॉरी दीदी ! इन्हें क्या है ना कि होश ही नही रहता मेरे साथ वो सब करने के बाद ।
नीरज - मुझे भी चाची ।
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