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Incest संस्कारी घर - परिवार

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1) इस कहानी का इंग्लिश संस्करण पूरी लिख दी गई है, अगर किसी को इस कहानी का पूरा संस्करण पढ़ना है तब वो इस लिंक से पढ़ सकता है Sanskari Ghar - Parivaar (Completed)

2) और अगर कोई मेंबर इस कहानी को देवनागरी/हिंदी में पूरा करना चाहता है तब वो इसे पूरा कर सकता है

Reason - Evanstonehot ने नही किया है पूरा + ये स्टोरी पहले ही पूरी हो चुकी है
 
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संजय फ़ेविकोल संधि की खुशख़बरी घरवालों को देता है ।

राधा सबका मुँह मीठा कराती है ।

रात में राधा धीरज के कमरे में जा कर धीरज का भी मुँह मीठा कराती है ।

बदले में धीरज राधा का मुँह चोद कर उसकी गांड मार लेता है ।

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फटा मुँह और फटी गांड लिए राधा धीरज के कमरे में ही सो जाती है ।

अब आगे ......

सुबह होते ही राधा की नींद गांड में दर्द की वजह से टूटती है ।

राधा अपना गला पकड़ कर उसे सहलाती है और हल्का सा खाँस कर उसे साफ़ करती है ।

फिर धीरे धीरे बेड से उतर कर अलमारी से लोअर निकाल कर पहन लेती है ।

धीरे धीरे वह लंगड़ाते हुए रसोई की तरफ़ चल देती है ।

रसोई में पहुँच कर वह फ़्रिज में से पानी की बोतल निकालती है

पानी की बोतल मुँह से लगा कर पानी से गरारे करती है ।

तभी उसकी गांड में दर्द उठता है ।

राधा एक हाथ से अपनी गांड पकड़ते हुए

आऽऽऽऽऽऽऽह ! मेरी गांड

हरामज़ादे ने बिलकुल भी तरस नही खाया !

दोनों ने फाड़ कर तहस नहस कर दी ।

गांड तो गांड !

मेरे मुँह की भी माँ चोद कर रख दी है ।

इतना कहकर राधा पानी की बोतल को वापस फ़्रिज में रखने के लिए झुकती है

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तभी नीरज अपने कमरे से जम्भाई लेता हुआ निकलता है ।

उसका लण्ड सुबह सुबह जैसे सबका खड़ा होता है वैसे ही खड़ा होता है ।

सामने राधा के झुकने की वजह से उसके मोटे चौड़े चुत्तड लोअर में क़हर ढा रहे थे

नीरज अपनी माँ की इस अवस्था में हिलती हुई गांड को देख कर अपना आपा खो बैठता है ।

उसे वो दिन याद आ जाता है जब उसके चाचा इसी गांड को उछाल उछाल कर उसकी माँ को पेल रहे थे

नीरज अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करने लगता है ।

वो लण्ड को लेकर २-३ बार दबाता है लेकिन उसका लण्ड और ज़्यादा फ़नकार मारने लगता है ।

सामने रसोई में इससे अनजान ..

राधा झुकी हुई फ़्रिज में बोतल रख कर बर्फ़ ढूँढने लगती है ।

बर्फ़ का सेल्फ़ फ़्रिज में सबसे नीचे होता है ।

जिसकी वजह से राधा और नीचे झुक कर बर्फ़ निकालने लगती है ।

अब नीरज के सामने अपनी माँ की बड़ी और मोटी व चौड़ी और मलाईदार गांड

जो अभी तक लोअर में पैक थी , उसे अपनी और खींचने लगती है ।

नीरज चल कर रसोई में जाता है ।

और सामने लहराती भारी भरकम गांड को देख कर एक ही झटके में ..

लोअर को गांड के छेद की तरफ़ से फाड़ देता है ।

अब नीरज के सामने उसकी माँ की गांड का फटा छेद आ जाता है ।

राधा को एकदम से झटका सा महसूस होता है ।

वो डर जाती है ।

उसके हाथ में जो बर्फ़ थी वो ज़मीन पर गिर जाती है

वो पीछे मुड़ कर देखने ही वाली होती है ।

तभी उसे अपनी गांड के छेद में किसी चीज़ के घुसने का अहसास होता है ।

उसे ये समझते देर नही लगती कि ये किसी का लण्ड है

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नीरज राधा के चुत्तडों को दोनो हाथों से खोल कर उसके फटे छेद में

अपना फ़नफ़नाता लण्ड एक ही झटके में पूरा ठूँस देता है

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ये वही उछलती गांड थी जिसको वो बहुत पहले ठोकना चाहता था ।

नीरज झुकी हुई राधा के कंधो पर हाथ रख कर एक के बाद एक तगड़े करारे धक्के लगाता है ।

राधा की पहले से फटी गांड और फट जाती है ।

वो पीछे मुड़ कर देखती है कि ये कौन है जो उसकी फटी गांड को बिना बताए और फाड़ने लग गया है ।

नीरज को पहचान कर वो रोने वाले मुँह से कुछ कहने की कोशिश करती है ।

लेकिन नीरज इसकी परवाह किए बग़ैर अपना लण्ड राधा की गांड में अंदर बाहर करता रहता है ।

थोड़ी सी हिम्मत जुटा कर राधा पीछे से धक्के पे धक्के लगा रहे नीरज से कहती है :

राधा - आऽऽऽऽऽह !

नीरज बेटा ! ये तूने क्या कर दिया ।

मेरी फटी गांड को और फाड़ कर रख दिया ।

नीरज - मॉम मुझे आपकी ऐसे गांड मारने में बहुत मज़ा आता है ।

आऽऽह !

राधा - आऽऽऽह !

तो मैंने कभी मना किया है क्या तुझे !

जब तेरा मन करे मार लिया कर ।

पर अभी इसमें दर्द था इसलिए ही यहाँ बर्फ़ लेने आयी थी ।

पर तूने बिना बताए ही मेरी ले ली !

आऽऽऽऽऽऽऽह

नीरज राधा की गांड रसोई में बजा रहा होता है तभी संजय वहाँ आता है ।

वो रसोई में घुसता है और नीरज को राधा की गांड मारते हुए देख लेता है ।

संजय रसोई से बाहर निकलते हुए - ओफ़्फ़ो !

राधा ! ये सुबह-सुबह क्या लगा रखा है ?

राधा ठूकते हुए - मेरे से क्या पूछ रहे हो !

अपने लाड़ले से पूछो !

आपके बेटे ने मेरे से बिना पूछे ही मेरी गांड में लण्ड दे दिया है ।

संजय - अपनी आँखो पे हाथ रखते हुए - नीरज बेटा कम से कम रसोई का दरवाज़ा तो बंद कर लेते

नीरज - SORRY DAD I WILL NEVER DO THIS AGAIN

संजय - अब तुम दोनो यहाँ खुल्ले में ही लग गए हो तो अब मुझे ही कुछ करना होगा ।

राधा डार्लिंग तुम्हें पता भी है !

क्या होगा अगर ,

कोई यहाँ आ गया और तुम दोनो को ऐसे देख लिया तो ?

क्या इज़्ज़त रह जाएगी तुम्हारी इस घर में ,

तुम्हें तो कम से कम ये सोचना चाहिए था ।

चलो नीरज तो अभी बच्चा है ।

उसे नही पता होगा कब कहाँ और कैसे अपनी माँ की गांड मारनी है ।

राधा - गांड मरवाते हुए - अजी सुनिए !

आप प्लीज़ एक काम कर दीजिए !

जब तक ये मेरी गांड मार कर फ़ारिग़ नही होता

तब तक आप रसोई के बाहर पहरा दे दीजिएगा ।

संजय - हाँ , बस अब यही काम रह गया है करने को !

राधा पीछे हाथ कर के उसकी गांड मारते नीरज से कहती है :

राधा - नीरज ! बेटा तू बोल अपने पापा से !

प्लीज़ वो हमारी मदद करे !

नीरज राधा के दोनो हाथों को पीछे से पकड़ कर बेरहमी से राधा की गांड मारते हुए कहता है :

नीरज - आऽऽऽह ! प्लीज़ पापा कर दीजिए ना !

मम्मा की इज़्ज़त के ख़ातिर । प्लीज़जजजज..

संजय - ठीक है लेकिन तुम दोनो थोड़ा जल्दी करो .

संजय रसोई के बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है

थोड़ी देर बाद कोमल अपनी आँखे मलते हुए अपने कमरे से निकलती है ।

डाइनिंग टेबल पर अपने पापा को बैठा देख कर वो उसके पास जाती है ।

कोमल - पापा आप यहाँ क्यूँ बैठे है ?

संजय - बेटा वो रसोई में पानी लीक हो रहा है ।

कोमल - तो ..

संजय - तो नीरज पाइप की मरम्मत कर रहा है !

कोमल रसोई के अंदर झांकने की कोशिश करती है

तभी संजय कोमल से कहता है :

संजय - बेटा नीरज ने बोला है जब तक पाइप पूरी तरह से ठीक नही हो जाता ।

तब तक मैं किसी को अंदर ना जाने दूँ ।

इसलिए यहाँ बैठा हूँ ताकि कोई फिसल कर ना गिर जाए ।

कोमल - पापा नीरज भाई पाइप की भी मरम्मत कर देते है ?

संजय हंसते हुए - हाँ ! आगे और पीछे के सारे पाइप ठीक कर देता है ।

तेरी माँ ने उसे सब सिखाया हुआ है ।

दोनो बैठे बात कर रहे होते है इतने में ही सुमन रसोई की तरफ़ जाते हुए कोमल को दिखाई देती है ।

कोमल सुमन को आवाज़ लगाती है ।

कोमल - चाची ... रसोई में मत जाना ।

नीरज भाई किसी पाइप की मरम्मत करने में जी जान से लगे हुए है

संजय भी उसे अपने पास बुला कर बिठा लेता है ।

तभी राधा गांड मरवाते हुए मूत देती है

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उसकी चूत से मूत की धार भर भर कर फ़र्श पर गिरने लगती है ।

राधा - आऽऽऽह ! उई आह सी .. फट गयी मेरी गांड ! आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह

राधा की सिसकारियाँ सुन कर कोमल संजय से पूछती है :

कोमल - पापा नीरज भाई के साथ मॉम क्या कर रही है ?

संजय - बेटा तेरी माँ मुझसे शिकायत कर बैठी ।

कहने लगी मेरे लाड़ले बेटे को सुबह-सुबह काम पर लगा दिया और उसके पास चली गयी ।

मैंने बहुत रोकने की कोशिश की पर तेरी माँ नही मानी ।

मुझे डर है कहीं वो फिसल कर गिर ना जाए ।

सुमन - हस्ते हुए - दीदी भी ना !

एक मिनट भी नीरज और धीरज से अलग नही रह सकती ।

संजय - राधा की चीख़े सुन कर - राधा ... डार्लिंग

तुम्हारा पाइप ठीक हुआ के नही !

कितनी देर और लगेगी ?

बाहर सब बैठे इंतेज़ार कर रहे है ।

नीरज से बोलो जल्दी जल्दी करे ।

राधा - चिल्लाते हुए - हाँ ! आऽऽऽऽह !

कोमल के पा. पा. बोल देती हूँ ।

आप किसी को अंदर मत भेज देना ।

यहाँ पानी पानी हो गया है , कभी कोई फिसल जाए

इसी बीच नीरज अपना लण्ड राधा की गांड से खींच कर ..

उसके बालों को पकड़ कर उसे नीचे बिठा देता है

और

राधा के चेहरे पर अपना गाढ़ा वीर्य उड़ेल देता है

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राधा उसके वीर्य से नहा लेती है ।

फिर वो अपना लोअर अपनी फटी गांड पर चढ़ा कर रसोई से बाहर निकल कर आती है ।

सामने से धीरज भी अपने कमरे से निकलता है ।

और राधा को अपनी गांड पर हाथ रख कर चलते हुए देख कर हसने लगता है ।

राधा अपने फटे हुए छेद और छेद के ऊपर फटा हुआ लोअर ..

दोनों को सबसे छुप छुपाते हुए अपने कमरे की तरफ़ चल पड़ती है ।

कोमल और सुमन समझती है ये कि राधा की ये हालत रात में धीरज ने की है ।

सुमन - राधा को चिढ़ाते हुए - कोमल लगता है कल दीदी को डॉक्टर ईशिता के यहाँ लेके जाना पड़ेगा ।

पीछे से नीरज भी अपने लण्ड को पैंट में डाल कर अपनी जीप लगाता हुआ कहता है :

नीरज - हाँ , मॉम को डॉक्टर के पास मैं लेकर जाऊँगा !

नीरज राधा को अपनी फटी गांड को सम्भालते हुए ले जाते देख कर हंसी आ जाती है ।

राधा नीरज की हंसी सुन कर पीछे देखती है ।

राधा नीरज को ग़ुस्से से देखते हुए - बेशर्म

फिर सब अपने अपने काम में मसगुल हो जाते है

और ऐसे ही दिन और रात निकलते चले जाते है ।

सुमन की चूत अब ठीक हो जाती है । वह अपने स्कूल जाने लगती है ।

राधा की फटी गांड भी अब वापस से सिकुड़ने लगती है ।

दफ़्तर में धीरज और दीपिका की प्रेम कहानी भी थोड़ी सी रफ़्तार पकड़ने लगती है ।

______________________________________

रविवार का दिन :

घर पर सभी मौजूद है ।

धीरज तैयार हो कर सीढ़ियाँ उतरता हुआ बाहर जाने वाला होता है ।

तभी राधा उसे टोकते हुए कहती है :

राधा - आज रविवार को इतने बन ठन कर साहब जादे कहाँ चले ?

कोई स्पेशल मीटिंग है क्या !

धीरज - नहीं मॉम ! ऐसी कोई मीटिंग नही है ।

बस अपने एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ ।

कोमल - हस्ते हुए - भैया .... दोस्त या सहेली !

धीरज - तू चुप कर ! बिल्ली कहीं की ! जब देखो रास्ता काट देती है ।

राधा - कोमल की साइड लेते हुए - ठीक ही तो बोला है मेरी बच्ची ने ।

धीरज - आप भी ना मॉम ! कहाँ इस पागल की बात पर ध्यान देती हो ।

ओके ! बाय !

धीरज झट से बाहर निकल जाता है ।

राधा उसे रुकने के लिए बोलती रह जाती है ।

पीछे से सुमन राधा से कहती है :

सुमन - दीदी हमारे बाथरूम में पानी नही आ रहा है .

राधा - हाँ ! वो कुछ प्रॉब्लम है । मैं पलंबर को बुला लेती हूँ ।

तू कॉमन बाथरूम में नहा ले ।

तभी कोमल बोल पड़ती है :

कोमल - नीरज को देखते हुए - मॉम पलंबर की क्या ज़रूरत है ।

नीरज भाई है ना , वो आपके सारे पाइप ठीक कर देगा ।

कोमल की बात सुन कर नीरज कातिल सी मुस्कान के साथ राधा को देखता है ।

राधा उस दिन को याद करके सिहर उठती है ।

राधा अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी गांड पर रखती है जो उस दिन के बाद से और फैल गयी थी ।

राधा - नही ! नही ! ये दूसरे वाले पाइप साफ़ करता है ।

ये नीरज से नही होगा ।

कोमल - पर मॉम ! पापा ने कहा था कि नीरज आगे और पीछे दोनों वाले पाइप सही कर देता है ।

और ये गुण भी आपने ही इसे सिखाए है ।

ये सुन कर नीरज राधा को अपना लण्ड मसल कर दिखा देता है ।

राधा - आँखे दिखाते हुए - कोमल !

बीच में ही सुमन बोल पड़ती है :

सुमन - ठीक है दीदी ! आप पलंबर को बुलाइए ।

जब तक मैं कॉमन बाथरूम में नहा लेती हूँ ।

राधा रसोई में जा कर चाय बनाने लगती है ।

कोमल और नीरज सोफ़े पर बैठ कर बातें करते है ।

तभी वहाँ संजय आता है ।

नीरज - GOOD MORNING ! पापा

संजय - GOOD MORNING ! बेटा

ये कहकर संजय कोमल के सामने खड़ा हो जाता है

कोमल संजय को गले लगाकर उसके कान में कहती है :

कोमल - आपका वो ! खड़ा है ठीक कर लो .

संजय - क्या खड़ा है बेटी !

कोमल - आपका लण्ड पापा ! और शर्मा जाती है

संजय ये सुनकर कोमल को ज़ोर से गले लगा कर उसकी गांड पर हाथ रख देता है ।

फिर संजय अपने लण्ड को उसकी चूत में दबा देता है ।

लण्ड सीधा कोमल की चूत में घुस जाता है ।

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कोमल चींख पड़ती है !

आउच ! आइ मेरी चूत ! पापा निकालो ! आपका लण्ड मेरी चूत में घुस गया है

संजय - क्या ? अंदर कच्छी नही पहनी हो क्या ?

कोमल - आऽऽऽह ! नही

रात में उतार कर सोई थी तो सुबह नही पहनी ।

अब आप अपना लोड़ा निकालो । भाई देख रहा है

नीरज उन दोनो को बहुत देर से देखे जा रहा था ।

अपने पापा का लण्ड अपनी बहन की चूत में घुसता देख कर नीरज खाँसता है ।

संजय झटके से कोमल की चूत में से लण्ड खींच कर बाहर निकाल लेता है ।

तीनों एक दूसरे को देख कर हस्ते है ।

राधा चाय बनाकर लाती है । सभी बैठ कर चाय पीते है ।

संजय कोमल के बग़ल में बैठ कर उसकी स्कर्ट में हाथ देकर

उसकी नंगी चूत रगड़ने लगता है

राधा और नीरज का ध्यान संजय पर जाता है ।

संजय चूत में उँगली डाल देता है ।

कोमल - आऽऽह ! छोड़ो भी पापा !

सब हमें ही देख रहे है ।

राधा - हे राम ! आप ये क्या कर रहे हो ?

और ये आपका हाथ कहाँ घुसा हुआ है ?

बाहर निकालो !

मैंने कहा बाहर निकालो इसे अभी !

संजय - अरे भाग्यवान ! आज गुड़िया ने कच्छी नही पहनी है बस वही देख रहा था ।

राधा - हो !!! बड़े बेशर्म हो गये हो आप !

अगर इतना ही जी मचल रहा है तो अंदर ले जाकर चोद लो अपनी बेटी को ।

ऐसे अपनी बीवी और बेटे के सामने

उसकी चूत में उँगली करते हुए

आपको बिलकुल भी शर्म नही आ रही !

कोमल शर्माते हुए खड़े होकर वहाँ से जाने लगती है

तभी संजय उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लेता है ।

संजय का खड़ा लण्ड फिर से एक ही झटके में कोमल की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस जाता है

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कोमल - ऊप्स..... और नीरज और राधा को अपनी बड़ी बड़ी आँखो से देखने लगती है ।

संजय - मेरी बेटी को मुझे अपनी गोद में बिठाने का पूरा हक़ है ।

तभी पीछे से बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है ।

सुमन अधनंगे बदन पर छोटा सा तौलिया लपेट कर बाहर निकलती है ।

सभी उसे देखने लगते है ।

सुमन की आधी ढकी चुचिया और लगभग पूरी नंगी गांड सभी को दिखाई देती है ।

संजय का लण्ड कोमल की चूत में झड़ने लगता है ।

सुमन भागते हुए अपने कमरे में घुस जाती है ।

अपनी चाची की हिलती गांड को देख कर नीरज अपना लण्ड शॉर्ट्स में से बाहर निकाल कर मूठ मारने लगता है ।

राधा का ध्यान भी सुमन की हिलती चुचीयो और गांड पर रहता है

तभी नीरज के लण्ड की धार सीधे राधा के चेहरे पर जाकर गिरती है ।

राधा अचानक से हुए इस हमले के लिए तैयार नही थी ।

नीरज का मूठ उसके मुँह में भी चला जाता है जिसे राधा थूकने लगती है ।

संजय भी हैरानी से नीरज की तरफ़ देखने लगता है ।

कोमल मौक़ा पा कर अपनी चूत लण्ड से उठा कर अपने कमरे में भाग जाती है ।

संजय भी उसका पीछा करते हुए भाग कर सुमन के कमरे में घुस जाता है ।

ये देख कर नीरज और राधा चौंक पड़ते है ।

नीरज ने जो धार अभी राधा के मुँह पे दे मारी थी वो सुमन की गांड के नाम की थी ।

मूठ से भरा हुआ मुँह लेकर राधा नीरज की ओर देखती है और हंस पड़ती है ।

राधा - ये तो KLPD हो गया ! खड़े लण्ड पर धोखा

नीरज उदास हो जाता है ।

राधा को अब उसपे दया आती है ।

वो अपने चेहरे पे पड़ा नीरज का मूठ उँगली में लेकर चाटते हुए कहती है :

राधा - मेरा प्यारा बेटा हमेशा खड़े लण्ड पर धोका खा जाता है

कोई बात नही !

मेरे मुँह पे पड़े तेरे इस मूठ की क़सम

आज रात को तू सुमन को चोदेगा ! ज़रूर चोदेगा

नीरज - मुँह लटकाते हुए - मॉम !

ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यूँ होता है ।

जब भी मेरा मन किसी को चोदने को होता है ।

तो हमेशा उसे कोई और ही बजाके चला जाता है ।

राधा - नीरज को पुचकारते हुए - ना ! मेरा बच्चा !

आज ऐसा नही होगा ।

आज रात को तू ज़रूर सुमन को चोदेगा ये मेरा वादा है तुझ से ।

नीरज - मॉम वादा पूरा नही किया तो ?

राधा - नीरज के लण्ड पर झुकते हुए - वादा पूरा नही किया तो ...

जिस छेद में तू चाहे सबके सामने उस छेद में अपना लण्ड डाल देना ।




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घर पर :

शाम को सभी लिविंग रूम में बैठ कर बातें कर रहे होते है कि तभी डोरबैल बजती है । सुमन उठ कर दरवाज़ा खोलती है । दरवाज़ा खुलते ही संजय सुमन को उसकी गांड पकड़ कर उठा लेता है और सुमन को वैसे ही उछालने लगता है जैसे उसे चोद रहा हो ।



सुमन - आउच ... जेठ जी छोड़िए ना ! सब देख रहे है ।



राधा - अरे !! क्या बात है ! इतनी ख़ुशी किस बात की है आज ? हमें भी कुछ बताओ ।



संजय सुमन को २-३ बार और ज़ोर ज़ोर से उछालता है जिससे सुमन की स्कर्ट में से उसकी कच्छी सामने खड़े धीरज को दिखती है । संजय सुमन की गांड कच्छी के ऊपर से मसलता है जिसे वहाँ खड़े लोग देखते है । तीसरी बार में जब संजय सुमन को उछालता है तो सुमन की चूचियाँ उसके टॉप में से बाहर निकल जाती है ।



सुमन - छोड़िए ना जेठ जी देखिए आपने मेरी क्या हालत कर दी है । गलती से अगर किसी का लण्ड खड़ा हो गया तो वो मेरी चूत के लिए अच्छा नही होगा । डॉक्टर ने अभी चुदने के लिए मना किया है ।



राधा सुमन के लगभग नंगे हो जाने पर संजय को डाँट ते हुए कहती है - धत्त बेशर्म हो गए हो आप ! उतारो इसे यहाँ धीरज खड़ा है । याद नही इसकी चूत का क्या हाल किया था इसने । अब तुम इसकी ये इतनी मोटी मोटी गांड इसे दिखा रहे हो । आपको शर्म नही आती क्या बिलकुल भी । राधा की बात सुनकर संजय सुमन को नीचे उतारता है । सुमन की गांड और चुचियों को धीरज आगे बढ़ कर ढक देता है । राधा को लगा कहीं धीरज सुमन को उठा कर कमरे में ना ले जाए पर उसने ऐसा नही किया ।



राधा धीरज से - क्या हुआ बेटा ! तेरी तबियत तो ठीक है ना !



धीरज - हाँ मॉम मैं ठीक हूँ । बस थोड़ी थकावट है । मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ । बाक़ी बातें पापा आपको बता देंगे ।



धीरज अपने कमरे में जाकर लेट जाता है । सुमन और राधा को धीरज का रवैया अजीब सा लगता है । फिर राधा संजय से पूछती है ।



राधा - हाँ जी !!! अब आप कुछ बताओगे भी या नही ! आख़िर हुआ क्या है जो इतने ख़ुश लग रहे हो ?



संजय - बताता हूँ ! पहले ये बताओ अपनी गुड़िया कहाँ है !



राधा - कमरे में होगी अपने ! आप बात तो बताओ ?



संजय - तुम दोनो मेरे साथ आओ गुड़िया के रूम में ही बताऊँगा ।



संजय दोनो को लेकर कोमल के रूम में जाता है । अंदर कोमल लैप्टॉप पर गेम खेल रही थी और नीरज उसके चुत्तडों की मालिश कर रहा था । जैसे ही संजय कमरे में घुसता है , कोमल अपनी जींस अपने चुत्तडों पर सरका लेती है । नीरज भी इधर उधर देखने लगता है ।



संजय कोमल के नितम्बों को पकड़ कर उसकी जींस घुटनो तक उतार देता है और उसके चुत्तडों को चूम लेता है । नीरज डर जाता है कहीं उसके पापा की नज़र कोमल दी की फटी गांड पर ना चली जाए , जिसकी वो अभी थोड़ी देर पहले सिकाई कर रहा था ।



कोमल एकदम झटके से अपनी जींस वापस चढ़ाते हुए - ये क्या बदतमीज़ी है पापा ! आपने मेरी गांड का चुम्बन क्यूँ लिया ?


संजय - गुड़िया आज सुबह तेरी ये गांड देखना हमारे लिए कितना शुभ हुआ ! इसका अंदाज़ा भी है क्या तुझे !



कोमल ये सुन कर शर्मा जाती है कि पापा भी सबके सामने ये क्या बोल रहे है ।



राधा - ओहो ! आपने भी बात का बतंगड बना दिया । अरे हुआ क्या है ये तो बताओ !!



संजय - आज फ़ेविकोल वालों के साथ हमारी संधि थी



राधा - हाँ तो ??



संजय - अरे हमें २ करोड़ का लाभ होगा ।



ये सुनकर सभी चौंक पड़ते है । कोमल अपनी फटी गांड उठाकर बैठ जाती है । सुमन और राधा अपने दोनो हाथ एक दूसरे से मिला लेती है ।



राधा - कोमल के पापा ! क्या आप सच बोल रहे है ?



संजय - हाँ भई हाँ ?



इतना सुनते ही कोमल तालियाँ बजाने लगती है । नीरज जो अभी तक पीछे डरा खड़ा था , वो आगे आकर राधा की गांड पर २ चपत मारता है ।



राधा - हाँ बेटा मार ! और मार ! कहीं मैं कोई सपना तो नही देख रही ! मार एक और मार !



नीरज को मौक़ा मिल चुका था वो अब राधा की नाइटी उठा कर राधा की कच्छी नीचे सरका देता है । और खींच खींच कर ४ से पाँच चपत लगा देता है । कोमल नीरज को मौक़े का फ़ायदा उठा कर देखते हुए हसने लगती है ।



राधा - आऽऽऽऽह ..... बस कर हरामज़ादे ... अब क्या मेरी गांड सूजा देगा ! पता चल गया मैं कोई सपना नही देख रही ।



सुमन - नीरज बेटा ग़लत बात .... चलो सॉरी बोलो मम्मी से !



नीरज राधा की कच्छी को वापस पहनाता हुआ - I AM SO SORRY MOM !! ??



नाइटी के नीचे राधा की चौड़ी सूजी हुई गांड ढक जाती है । राधा नीरज को होंठो पे किस्स करते हुए उसे गले लगा लेती है ।



राधा - कोई नही मेरा बच्चा !!!



कोमल - मॉम इस ख़ुशी के मौक़े पर तो पार्टी बनती है ।



नीरज राधा के दोनो स्तन दबा कर कोमल की हाँ में हाँ मिलाता है ।



संजय - हाँ राधा अपने बच्चों को पार्टी दो । पार्टी तो इनकी बनती है ।



राधा - तुम सब बैठो मैं अभी तुम सबका मुँह मीठा कर देती हूँ । राधा उठ कर अपने फ़ुट्बॉल जैसे दोनो स्तनों को बाहर निकाल कर अपने दोनो हाथों से अच्छे से भींचती है । दोनो स्तनों में हल्का हल्का दूध दिखने लगता है । सबसे पहले राधा अपनी चूची नीरज के मुँह में दे देती है । नीरज अच्छे बच्चे की तरह चूस चूस कर दूध पीने लगता है ।



कोमल - मॉम मैं भी भाई के साथ ही मुँह मीठा करूँगी ।



राधा अपना दूसरा स्तन कोमल के मुँह में डाल देती है । कोमल भी अपने भाई के साथ चूस चूस कर दूध पीती है । कोमल चूची से मुँह हटाकर नीरज के मुँह में अपने हिस्से का दूध डाल देती है । नीरज दूध गटक जाता है और कोमल के होंठ चूस लेता है । पास में खड़े संजय और सुमन ये सब देख कर गरम हो जाते है । संजय सुमन के स्तनों को भींचने के लिए आगे बढ़ता है , तभी उन्हें राधा रोक देती है ।



राधा - ओह !! आप ये बच्चों के सामने क्या करने वाले थे । कुछ शर्म लिहाज़ बची है आपमें या नही ?



सुमन - दीदी जेठ जी दिन पर दिन बदतमीज़ होते जा रहे है ! समझा लीजिए और हसने लगती है ।



संजय - अरे बच्चों को तो मुँह मीठा कर दिया मेरा नही होगा क्या ?



राधा - नहीं , आप जाइए सो जाइए मुँह मीठा बच्चों का किया जाता है । बड़ों का नही ।



संजय - बड़े से याद आया धीरज का मुँह तो मीठा कराया ही नही !!



राधा - आपने बताया नही । उसका मुँह लटका लटका सा क्यूँ है आज ? कुछ बात हो गयी थी ?



संजय - आपके बड़े बेटे अपनी नयी सेक्रेटेरी से प्यार कर बैठे है ।



राधा - अच्छा तो ये .... बात है ।



कोमल - ये..... डबल ट्रीट .... भाभी मिलने की ख़ुशी में !!!!! ये....



सभी हंस पड़ते है । राधा अपनी चूचियों से बचा हुआ दूध एक ग्लास में निचोड़ लेती है , और धीरज के कमरे की तरफ़ चल पड़ती है ......



धीरज अपने कमरे में गुमसूम सा अपने बेड पर सो रहा था । राधा दूध का ग्लास उसके पास ले जाकर कहती है



राधा - धीरज ... ले बेटा खड़ा हो कर दूध पी ले ।



धीरज - मॉम मुझे भूख नही है ।



राधा - अरे मीठा वाला दूध है । भींच भींच के तेरे लिए निकाला है । चल शाबाश ... मेरा बहादुर बेटा ... ये दूध पी कर ताक़त आ जाएगी मेरे बच्चे में ।



धीरज दूध का ग्लास राधा के हाथ से लेकर पास में टेबल पर रख देता है । राधा धीरज को सवालों भारी नज़रों से देखती है । धीरज राधा को बेड पर बिठा देता है , और उसके तरबूज़ मसलता हुआ कहता है ।



धीरज - मॉम निप्पल से पीने का मन है । पिलाओगी ?



राधा धीरज को नीचे बिठा कर उसका सिर अपनी चुचीयों में छुपा लेती है ।



राधा - पी ले बेटा .... यहाँ से भी पी ले । आऽऽह..... अच्छे से चूस .... निचोड़ दे इन्हें ।.... आह .....



धीरज राधा की निप्पलों को चूस चूस कर ख़ाली सा कर देता है । जब दूध आना बंद हो जाता है तो धीरज दोनो हाथों से राधा की मोटी मोटी चूचियों को दबा दबा कर चूसता है ।



धीरज - ओह आह मॉम मज़ा आ गया । अब आप मेरा दूध पियो ।



राधा - तेरा दूध ? तेरे भी निप्पलों से दूध निकालता है क्या ? ला दिखा......... ऊ.... ओह... गूगूगूगूगू.....



राधा अपनी बात पूरी भी नही कर पाती.... धीरज बेड पर बैठी राधा के सामने खड़ा हो कर अपना कच्छे में हाथ डाल कर अपना सख़्त लोड़ा राधा के मुँह में ठूँस देता है । राधा की आँख बड़ी बड़ी हो जाती है । धीरज राधा का सिर टाइट पकड़ कर उसके मुँह में लम्बे और तगड़े शॉट्स लगाता है ।



राधा के गले की अब माँ चुदनी स्टार्ट हो जाती है । वो जीभ निकाल कर धीरज के लण्ड को अपने गले में भरने लगती है । धीरज १०-१५ करारे मार कर राधा के गले में ही झड़ जाता है । राधा की लाल आँखो से आशु गिरने लगते है । धीरज अपना लण्ड अपनी माँ के मुँह से पूरा बाहर निकालता है , और फिर से एक ही झटके में गले से नीचे उतार देता है ।



धीरज धीरे धीरे लण्ड अपनी माँ के गले में अंदर बाहर करते करते - मॉम इसे कहते है DEEPTHROAT ! बोल के बताइए क्या कहते है !



राधा लण्ड मुँह में लिए ही बोलती है - आइपरोट ...... धीरज लण्ड जड़ तक घुसा के रुक जाता है ! क्या कहा मॉम आपने .... दुबारा बोलिए ..... मुझे ठीक से सुनायी नही दिया ... प्लीज़ आप रिपीट कर देंगी ।



राधा की साँस अटकने लगती है । राधा उसके पैरो पर हाथ रख कर अपने आप को पीछे धकेलती है लेकिन धीरज ने उसके सिर के पीछे हाथ रख कर और दबा दिया । अब राधा का मुँह शायद फट चुका था । धीरज के आंड भी अब राधा के मुँह में घुसने लगे थे और आँखे धीरज की झाँटो में ।



धीरज राधा का सिर एकदम से छोड़ देता है । राधा जल्दी से अपना सिर पीछे कर धीरज का लण्ड मुँह से निकाल फेंकती है , और धीरज का मूठ जो उसके गले में फँस गया था , वो राधा के मुँह से बहने लगता है ।



धीरज - मॉम लगता है आपका मुँह लीक हो गया है । और हसने लगता है । राधा धीरज के लण्ड पर थूक देती है । धीरज एक बार फिर वही प्रक्रिया २ मिनट तक दोहराता है ।



अब राधा का मुँह फटी चूत के समान खुल चुका था । धीरज आराम से १० मिनट तक राधा का मुँह चोद कर पीछे खड़ा हो जाता है । अब वह उसके बाल पकड़ कर राधा को बेड पर झुका देता है । राधा की लाल गांड पर धीरज ४-५ थप्पड़ जड़ देता है । मुलायम चूतड दायें बायें और ऊपर नीचे को हिलते है , जिसे देख कर धीरज का गीला लण्ड और सख़्त हो जाता है ।



धीरज अपनी झुकी हुई माँ की गांड को खोल कर उसकी गांड के छेद पर थूक देता है , और अपना लण्ड छेद पर सैट करके एक झटके में ही जड़ तक घुसा देता है । राधा बेड पर बिछी चद्दर को अपनी मुट्ठी में दबोच लेती है । उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में छा जाती है । आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ...... मार डाऽऽला रे हरामज़ादे ....... आऽऽऽऽऽऽऽऽह



एक........ ही ..........बार .......... में .... पूरा .....का...... पूरा...... घुसा.... दिया . आऽऽऽऽ



धीरज राधा के पीछे से बाल पकड़ कर उसकी गांड की ठुकाई करने लगता है । पहले पककक्क पककक्क जैसी आवाज़ों के साथ उसका लण्ड उसकी माँ की टाइट गांड खोलता है । लेकिन थोड़ी देर भांजने के बाद धीरज स्पीड बढ़ा देता है । अब राधा की गांड फटने लगती है .... वो अनाप सनाप बकने लगती है ....



GIVE ...IT ....TO ......ME ..... बेटा GIVE ....IT ....TO .....ME ......


YES ....YES....... FUCK .....ME HARDER .....FUCK.... ME.... YES.... FUCK MEEEEEE......



फिर धीरज राधा को सीधा करके उठा लेता है और उसके दोनो पैर अपने कंधो पर रख कर खड़ा खड़ा राधा की गांड राजधानी इक्स्प्रेस की स्पीड से बजाने लगता है ।



आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ...... आऽऽऽऽऽऽऽह .... रहम कर बेटा अपनी माँ की गांड पर कितनी बुरी तरह मारता है रे तू ... ऐसे भी कोई गांड मारता है भला अपनी माँ की । रुक जा नीचे उतार दे मुझे । किस बात का बदला ले रहा है तू मुझसे । मेरा प्यारा बच्चा । धीरज ये सुन कर ताबड तोड़ ८-१० धक्के और लगाता है । राधा अब बेहोश सी होने लगती है तभी धीरज राधा को पलट कर बेड पर कुतिया बना देता है ।



राधा - कितनी गांड और मारेगा हरामज़ादे । कल तक चलने लायक़ भी छोड़ेगा या नही । तेरी चाची सही कहती है बिलकुल जानवरो की तरह ठोकता है । उसकी चूत सूजा दी , और आज मेरी गांड पर चढ़ गया । हट जा अब बोहोत मार ली । कहीं भाग नही रही हूँ मैं , यहीं रहूँगी । कभी और मौक़ा देख कर चढ़ जाना । आज छोड़ दे !



धीरज लम्बे लम्बे झटको से गांड फाड़ता हुआ चिल्लाने लगता है । राधा झट से खड़ी होती है और दूध का ग्लास उठा कर धीरज के लण्ड के सामने लगा देती है । धीरज दूध के ग्लास में झड़ जाता है , जिसे राधा मुँह लगा कर पी जाती है ।



राधा - THANK YOU ! बेटा दूध को टेस्टी बनाने के लिए !



धीरज - THANK YOU MOM ! अपनी गांड मुझसे मरवाने के लिए !



राधा - हाय ! रे ज़ालिम !!!! फाड़ डाली ??





दोनो हंस पड़ते है और एक दूसरे से लिपट कर सो जाते है । ।

।।
very nice update bhai
 

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संजय फ़ेविकोल संधि की खुशख़बरी घरवालों को देता है । राधा सबका मुँह मीठा कराती है । बदले में रात को धीरज राधा का मुँह और गांड फाड़ देता है । फटा मुँह और फटी गांड लिए राधा धीरज के कमरे में ही सो जाती है ।

अब आगे ......

सुबह होते ही राधा की नींद गांड में दर्द की वजह से टूटती है । राधा अपना गला पकड़ कर उसे सहलाती है और हल्का सा खाँस कर उसे साफ़ करती है । फिर धीरे धीरे बेड से उतर कर अलमारी से लोअर निकाल कर पहन लेती है । फिर लंगड़ाते हुए रसोई की तरफ़ चल देती है । रसोई में पहुँच कर राधा फ़्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर पानी से गरारे करती है । तभी उसकी गांड में दर्द उठता है ।

राधा एक हाथ से अपनी गांड पकड़ते हुए - आऽऽऽऽऽऽऽह मेरी गांड .... हरामज़ादे ने बिलकुल भी तरस नही खाया ... फाड़ कर तहस नहस कर दी । गांड तो गांड .... मेरे मुँह की भी माँ चोद कर रख दी । इतना कहकर राधा पानी की बोतल को वापस फ़्रिज में रखने के लिए झुकती है ।

तभी नीरज अपने कमरे से जम्भाई लेता हुआ निकलता है । उसका लण्ड ( सुबह सुबह जैसे सबका खड़ा होता है ) वैसे ही खड़ा होता है । सामने राधा के झुकने की वजह से उसके मोटे चौड़े चुत्तड लोअर में क़हर ढा रहे थे । रात को चपत मार मार कर नीरज ने वह लाल भी कर दिए थे ।

नीरज अपनी माँ की इस अवस्था में हिलती हुई गांड देख कर अपना आपा खो बैठता है । उसे वो दिन याद आ जाता है जब उसके चाचा इसी गांड को उछाल उछाल कर उसकी माँ को पेल रहे थे । नीरज अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करने लगता है । वो लण्ड को मुट्ठ में लेकर २-३ बार दबाता है लेकिन उसका लण्ड और ज़्यादा फ़नकार मारने लगता है ।

सामने रसोई में इस सब से अनजान राधा झुकी हुई फ़्रिज में बोतल रख कर बर्फ़ ढूँढने लगती है । बर्फ़ का सेल्फ़ फ़्रिज में सबसे नीचे होता है , जिसकी वजह से राधा और नीचे नोहड़ कर बर्फ़ निकालने लगती है ।

अब नीरज के सामने अपनी माँ की बड़ी मोटी चौड़ी मलाईदार गांड जो अभी तक लोअर में पैक थी , उसे अपनी और खींचने लगती है । नीरज चल कर रसोई में जाता है और सामने लहराती भारी भरकम गांड को एक ही झटके में लोअर नीचे खींच कर नंगा कर देता है ।

अब नीरज के सामने उसकी माँ की गांड बिलकुल नंगी आ जाती है । राधा को एकदम से झटका सा महसूस होता है । वो डर जाती है और जो उसके हाथ में बर्फ़ थी वो ज़मीन पर गिर जाती है । वो पीछे मुड़ कर देखने वाली होती है तभी उसे अपनी गांड के छेद में किसी चीज़ के घुसने का अहसास होता है । उसे ये समझते देर नही लगती कि ये किसी का लण्ड है .

नीरज राधा के चुत्तडों को दोनो हाथों से खोल कर उसके फटे छेद में अपना फ़नफ़नाता लण्ड एक ही झटके में पूरा ठूँस देता है । ये वही उछलती गांड थी जिसको वो बहुत पहले ठोकना चाहता था । नीरज झुकी हुई राधा के कंधो पर हाथ रख कर एक के बाद एक तगड़े करारे धक्के लगाता है ।

राधा की पहले से फटी गांड और फट जाती है । वो पीछे मुड़ कर देखती है कि ये कौन है जो उसकी फटी गांड को ज़बरदस्ती पेलने लग गया । नीरज को पहचान कर वो रोने वाले मुँह से कुछ कहने की कोशिश करती है । लेकिन नीरज इसकी परवाह किए बग़ैर अपना लण्ड राधा की गांड में अंदर बाहर करता रहता है ।

थोड़ी सी हिम्मत जुटा कर राधा पीछे से धक्के पे धक्के लगा रहे नीरज से कहती है ....

राधा - आऽऽऽऽऽह .... बेटा नीरज ये तूने क्या कर दिया । फटी गांड को और फाड़ के रख दिया ।

नीरज - मॉम बोहोत मज़ा आता है मुझे मुझे आपकी गांड मारने में ।

राधा - आऽऽऽऽऽऽह .... तो मैंने कभी मना किया है क्या तुझे ! जब तेरा मन करे मार लिया कर , पर अभी इसमें दर्द था इसलिए यहाँ बर्फ़ लेने आयी थी पर तूने फिर से मेरी अचानक ले ली ...... आऽऽऽऽऽऽऽह ....

नीरज राधा की गांड रसोई में बजा रहा होता है तभी संजय वहाँ आता है । और जैसे ही वो रसोई में घुसता है तो नीरज को , राधा के ऊपर , पीछे से धक्के लगाते हुए देख लेता है ।

संजय रसोई से बाहर निकलते हुए - ओह !!!!! राधा ये सुबह सुबह क्या हो रहा है यहाँ ??

राधा ठूकते हुए - मेरे से क्या पूछ रहे हो ! अपने लाड़ले से पूछो ! मेरे से बिना पूछे ही पीछे से मेरी गांड में लण्ड दे दिया है इसने !!

संजय अपनी आँखो पे हाथ रखते हुए - नीरज बेटा कम से कम रसोई का दरवाज़ा तो बंद कर लेते अगर इतना ही मन था तो ?

नीरज - SORRY DAD I WILL NEVER DO THIS AGAIN

संजय - अब तुम दोनो यहाँ खुल्ले में लग गए हो तो अब मुझे ही कुछ करना होगा । तुम्हें पता भी है ! क्या होगा अगर , कोई आ गया और तुम दोनो को किसी ने ऐसे देख लिया तो ? । क्या इज़्ज़त रह जाएगी राधा तुम्हारी इस घर में , तुम्हें तो कम से कम ये सोचना चाहिए था । चलो नीरज तो अभी बच्चा है ।

राधा - सुनिए ! आप एक काम करिए ! जब तक ये मेरी गांड मार कर फ़ारिग़ नही होता तब तक आप रसोई के बाहर पहरा दे दीजिएगा ।

संजय - हाँ , बस अब यही काम रह गया है करने को !

राधा पीछे हाथ कर के उसकी गांड मारते नीरज से कहती है - नीरज ! बेटा तू बोल अपने पापा से ! प्लीज़ वो हमारी मदद करे !

नीरज राधा के दोनो हाथों को पीछे से पकड़ कर बेरहमी से राधा की गांड मारते हुए - प्लीज़ पापा कर दीजिए ना ! मम्मा की इज़्ज़त के ख़ातिर । प्लीज़जजजज.......

संजय - ठीक है लेकिन तुम दोनो थोड़ा जल्दी करो .

संजय रसोई के बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है थोड़ी देर बाद कोमल अपनी आँखे मलते हुए अपने कमरे से निकलती है । डाइनिंग टेबल पर अपने पापा को बैठा देख कर वो उसके पास जाती है ।

कोमल - पापा आप यहाँ क्यूँ बैठे है ?

संजय - बेटा वो रसोई में पानी लीक हो रहा है तो नीरज पाइप की मरम्मत कर रहा है ।

कोमल रसोई के अंदर झांकने की कोशिश करती है तभी संजय कोमल से कहता है - बेटा नीरज ने बोला है जब तक पाइप पूरी तरह से ठीक नही हो जाता तब तक मैं किसी को अंदर ना जाने दूँ । इसलिए यहाँ बैठ कर चौकिदारी कर रहा हूँ ।

कोमल - पापा नीरज भाई पाइप की भी मरम्मत कर देते है है क्या ?

संजय हंसते हुए - हाँ आगे और पीछे के सारे पाइप ठीक कर देता है । तेरी माँ ने उसे सब सिखाया हुआ है ।

दोनो बैठे बात कर रहे होते है इतने में ही सुमन रसोई की तरफ़ जाते हुए कोमल को दिखाई देती है । कोमल सुमन को आवाज़ लगाती है ।

कोमल - चाची ... रसोई में मत जाना नीरज भाई किसी पाइप की मरम्मत करने में लगे हुए है !!
संजय भी उसे अपने पास बुला कर बिठा लेता है । तभी राधा गांड मरवाते हुए मूत देती है । उसकी चूत से मूत की धार भर भर कर फ़र्श पर गिरने लगती है । राधा की सिसकारियाँ सुन कर कोमल संजय से पूछती है ....

कोमल - पापा नीरज भाई के साथ मॉम क्या कर रही है ?

संजय - बेटा तेरी माँ ज़िद कर बैठी ... कहने लगी मेरे लाड़ले बेटे को सुबह सुबह काम पर लगा दिया आपने और उसके पास चली गयी ।

सुमन - दीदी भी ना एक मिनट भी नीरज और धीरज से अलग नही रह सकती ।

संजय राधा की चीख़े सुन कर - राधा ... डार्लिंग पाइप ठीक हुआ के नही ? कितनी देर और लगेगी । बाहर सब बैठे इंतेज़ार कर रहे है । नीरज से बोलो जल्दी जल्दी करे ।

राधा चिल्लाते हुए - हाँ कोमल के पा.... पा बोल देती हूँ । आप किसी को अंदर मत भेज देना । यहाँ पानी पानी हो गया है , कभी कोई फिसल जाए ।

इसी बीच नीरज अपना लण्ड राधा की गांड से खींच कर उसके बालों को पकड़ कर उसे नीचे बिठा देता है और राधा के चेहरे पर अपना गाढ़ा वीर्य उड़ेल देता है । राधा उसके वीर्य को उँगली से इक्खट्टा करके चाट लेती है । फिर वो अपना लोअर अपनी फटी गांड पर चढ़ा कर रसोई से बाहर निकल कर आती है ।

सामने से धीरज भी अपने कमरे से निकलता है और राधा को गांड पर हाथ रख कर चलते हुए देख कर हसने लगता है । कोमल और सुमन समझती है ये हालत राधा की रात में धीरज ने की है ।

सुमन राधा को चिढ़ाते हुए - कोमल लगता है कल दीदी को डॉक्टर ईशिता के यहाँ लेके जाना पड़ेगा ।

पीछे से नीरज अपनी पेंट की जीप लगाता हुआ कहता है - हाँ , मॉम को डॉक्टर के पास मैं लेकर जाऊँगा !!

राधा नीरज को ग़ुस्से से देखते हुए - बेशर्म....... !!!!!!!


फिर सब अपने अपने काम में मसगुल हो जाते है और ऐसे ही दिन और रात निकलते चले जाते है । सुमन की चूत अब ठीक हो जाती है । वह अपने स्कूल जाने लगती है । राधा की फटी गांड भी अब वापस से सिकुड़ने लगती है । दफ़्तर में धीरज और दीपिका की प्रेम कहानी भी थोड़ी सी रफ़्तार पकड़ने लगती है ।

*********************

रविवार का दिन :

घर पर सभी मौजूद थे । धीरज तैयार हो कर सीढ़ियाँ उतरता हुआ बाहर जाने वाला होता है तभी राधा उसे टोकते हुए कहती है ..

राधा - आज रविवार को इतने बन ठन कर साहब जादे कहाँ चले ? कोई स्पेशल मीटिंग है क्या !

धीरज - नहीं मॉम ! ऐसी कोई मीटिंग नही है बस अपने एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ ।

कोमल हस्ते हुए - भैया .... दोस्त या सहेली .... हाँ ?

धीरज - तू चुप कर ! बिल्ली कहीं की जब देखो रास्ता काट देती है ।

राधा कोमल की साइड लेते हुए - ठीक ही तो बोला है मेरी बच्ची ने ।

धीरज - आप भी ना मॉम ! कहाँ इस पागल की बात पर ध्यान देती हो . OK BYE !

धीरज झट से बाहर निकल जाता है । राधा उसे रुकने के लिए बोलती रह जाती है । पीछे से सुमन राधा से कहती है ...

सुमन - दीदी हमारे बाथरूम में पानी नही आ रहा है .

राधा - हाँ वो कुछ प्रॉब्लम है , मैं पलंबर को बुला लेती हूँ । तू कॉमन बाथरूम में नहा ले ।

तभी कोमल बोल पड़ती है ....

कोमल नीरज को देखते हुए - मॉम पलंबर की क्या ज़रूरत है । नीरज भाई है ना , वो सारे पाइप ठीक कर देते है ।

कोमल की बात सुन कर नीरज कातिल सी मुस्कान के साथ राधा को देखता है । राधा उस दिन को याद करके सिहर उठती है । अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी गांड पर रखती है जो उस दिन के बाद से और फैल गयी थी ।

राधा - नही ! नही ! ये दूसरे वाले पाइप साफ़ करता है जिनमे कुछ फँस गया हो । ये नीरज से नही होगा .

सुमन - ठीक है दीदी ! आप पलंबर को बुलाइए मैं कॉमन बाथरूम में नहा लेती हूँ ।

राधा रसोई में जा कर चाय बनाने लगती है .

कोमल और नीरज सोफ़े पर बैठ कर बातें करते है तभी वहाँ संजय आता है ।

नीरज - GOOD MORNING ! पापा

संजय - GOOD MORNING कहकर कोमल के सामने खड़ा हो जाता है । कोमल संजय को गले लगाकर उसके कान में कहती है ।

कोमल - आपका वोह ! खड़ा है ठीक कर लो .

संजय - क्या खड़ा है बेटी ... ??

कोमल - आपका लण्ड पापा ... और शर्मा जाती है

संजय ये सुनकर कोमल को ज़ोर से गले लगा कर उसकी गांड पर हाथ रख कर अपने लण्ड को उसकी चूत में दबा देता है । कोमल चींख पड़ती है .... आउच ... आइ मेरी चूत ... पापा निकालो ... आपका लण्ड मेरी चूत में घुस गया है ।

संजय - क्या ? अंदर कच्छी नही पहनी हो क्या ?

कोमल - आऽऽऽह ... नही । रात में उतार कर सोई थी तो सुबह नही पहनी । अब आप अपना लोड़ा निकालो । भाई देख रहा है .

नीरज उन दोनो को बहुत देर से देखे जा रहा था । अपने पापा का लण्ड अपनी बहन की चूत में घुसता देख कर नीरज खराशता है.

नीरज - उहूउहूउहू

संजय झटके से कोमल की चूत में से लण्ड खींच कर निकाल लेता है । एक दूसरे को देख कर तीनो हस्ते है । राधा चाय बनाकर लाती है । सभी बैठ कर चाय पीते है । संजय कोमल के बग़ल में बैठ कर उसकी स्कर्ट में हाथ देके उसकी नंगी चूत रगड़ने लगता है । राधा और नीरज का ध्यान संजय पर जाता है । संजय चूत में उँगली डाल देता है ।

कोमल - आऽऽह ... छोड़ो भी पापा ! सब हमें ही देख रहे है ।

राधा - हे राम !!! आप ये क्या कर रहे हो ?????? और ये आपका हाथ कहाँ घुसा हुआ है ? बाहर निकालो ! मैंने कहा बाहर निकालो इसे अभी !

संजय - अरे भाग्यवान ! आज गुड़िया ने कच्छी नही पहनी है बस वही देख रहा था ।

राधा - हो !!! बड़े बेशर्म हो गये हो आप ... अगर इतना ही जी मचल रहा है तो अंदर ले जाकर चोद डालो .. ऐसे अपनी बीवी और बेटे के सामने उसकी चूत में उँगली करते हुए आपको बिलकुल भी शर्म नही आइ ?

कोमल शर्माते हुए खड़े होकर वहाँ से जाने लगती है तभी संजय उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लेता है । संजय का खड़ा लण्ड फिर से एक ही झटके में कोमल की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस जाता है ।

कोमल - ऊप्स..... और नीरज और राधा को अपनी बड़ी बड़ी आँखो से देखने लगती है ।

संजय - मेरी बेटी को मुझे अपनी गोद में बिठाने का पूरा हक़ है ।

तभी पीछे से बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है । सुमन अधनंगे बदन पर छोटा सा तौलिया लपेट कर बाहर निकलती है । सभी उसे देखने लगते है । सुमन की आधी ढकी चुचिया और लगभग नंगी गांड सभी को दिखाई देती है । संजय का लण्ड कोमल की चूत में झड़ने लगता है । सुमन भागते हुए अपने कमरे में घुस जाती है । अपनी चाची की हिलती गांड को देख कर नीरज अपना लण्ड शॉर्ट्स में से बाहर निकाल कर मूठ मारने लगता है । राधा का ध्यान भी सुमन की हिलती चुचीयो और गांड पर रहता है , तभी नीरज के लण्ड की धार सीधे राधा के चेहरे पर जाकर गिरती है ।

राधा अचानक से हुए इस हमले के लिए तैयार नही थी । नीरज का मूठ उसके मुँह में भी चला जाता है जिसे राधा थूकने लगती है । संजय भी हैरानी से नीरज की तरफ़ देखने लगता है । कोमल मौक़ा पा कर अपनी चूत लण्ड से उठा कर अपने कमरे में भाग जाती है । संजय भी उसका पीछा करते हुए भाग कर सुमन के कमरे में घुस जाता है ।

ये देख कर नीरज और राधा चौंक पड़ते है । नीरज ने जो धार अभी राधा के मुँह पे दे मारी थी वो सुमन की गांड के नाम की थी । मूठ से भरा हुआ मुँह लेकर राधा नीरज की ओर देखती है और हंस पड़ती है ।

राधा - हाहा !! ये तो KLPD हो गया ??? खड़े लण्ड पर धोका .... हा हा ...

नीरज उदास हो जाता है । राधा को अब उसपे दया आती है । वो अपने चेहरे पे पड़ा नीरज का मूठ उँगली में लेकर चाटते हुए कहती है ...

राधा - मेरा प्यारा बेटा हमेशा खड़े लण्ड पर धोका खा जाता है । कोई बात नही ... मेरे मुँह पे पड़े तेरे इस मूठ की क़सम आज रात को तू सुमन को चोदेगा .... ज़रूर चोदेगा ।

नीरज मुँह लटकाते हुए - मॉम ! ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यूँ होता है । जब मेरा मन किसी को चोदने को होता है तो उसे कोई और बजाके चला जाता है ।

राधा नीरज को पुचकारते हुए - ना ! मेरा बच्चा ! आज ऐसा नही होगा । आज रात को तू ज़रूर सुमन को चोदेगा ये मेरा वादा है तुझ से ।

नीरज - मॉम वादा पूरा नही किया तो ?

राधा नीरज के लण्ड पर झुकते हुए - वादा पूरा नही किया तो इसे जिस छेद में तू चाहे सबके सामने उस छेद में डाल देना ।

.......
very nice update bhai maza aa gya
 
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