संजय फ़ेविकोल संधि की खुशख़बरी घरवालों को देता है ।
राधा सबका मुँह मीठा कराती है ।
रात में राधा धीरज के कमरे में जा कर धीरज का भी मुँह मीठा कराती है ।
बदले में धीरज राधा का मुँह चोद कर उसकी गांड मार लेता है ।
फटा मुँह और फटी गांड लिए राधा धीरज के कमरे में ही सो जाती है ।
अब आगे ......
सुबह होते ही राधा की नींद गांड में दर्द की वजह से टूटती है ।
राधा अपना गला पकड़ कर उसे सहलाती है और हल्का सा खाँस कर उसे साफ़ करती है ।
फिर धीरे धीरे बेड से उतर कर अलमारी से लोअर निकाल कर पहन लेती है ।
धीरे धीरे वह लंगड़ाते हुए रसोई की तरफ़ चल देती है ।
रसोई में पहुँच कर वह फ़्रिज में से पानी की बोतल निकालती है
पानी की बोतल मुँह से लगा कर पानी से गरारे करती है ।
तभी उसकी गांड में दर्द उठता है ।
राधा एक हाथ से अपनी गांड पकड़ते हुए
आऽऽऽऽऽऽऽह ! मेरी गांड
हरामज़ादे ने बिलकुल भी तरस नही खाया !
दोनों ने फाड़ कर तहस नहस कर दी ।
गांड तो गांड !
मेरे मुँह की भी माँ चोद कर रख दी है ।
इतना कहकर राधा पानी की बोतल को वापस फ़्रिज में रखने के लिए झुकती है
तभी नीरज अपने कमरे से जम्भाई लेता हुआ निकलता है ।
उसका लण्ड सुबह सुबह जैसे सबका खड़ा होता है वैसे ही खड़ा होता है ।
सामने राधा के झुकने की वजह से उसके मोटे चौड़े चुत्तड लोअर में क़हर ढा रहे थे
नीरज अपनी माँ की इस अवस्था में हिलती हुई गांड को देख कर अपना आपा खो बैठता है ।
उसे वो दिन याद आ जाता है जब उसके चाचा इसी गांड को उछाल उछाल कर उसकी माँ को पेल रहे थे
नीरज अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करने लगता है ।
वो लण्ड को लेकर २-३ बार दबाता है लेकिन उसका लण्ड और ज़्यादा फ़नकार मारने लगता है ।
सामने रसोई में इससे अनजान ..
राधा झुकी हुई फ़्रिज में बोतल रख कर बर्फ़ ढूँढने लगती है ।
बर्फ़ का सेल्फ़ फ़्रिज में सबसे नीचे होता है ।
जिसकी वजह से राधा और नीचे झुक कर बर्फ़ निकालने लगती है ।
अब नीरज के सामने अपनी माँ की बड़ी और मोटी व चौड़ी और मलाईदार गांड
जो अभी तक लोअर में पैक थी , उसे अपनी और खींचने लगती है ।
नीरज चल कर रसोई में जाता है ।
और सामने लहराती भारी भरकम गांड को देख कर एक ही झटके में ..
लोअर को गांड के छेद की तरफ़ से फाड़ देता है ।
अब नीरज के सामने उसकी माँ की गांड का फटा छेद आ जाता है ।
राधा को एकदम से झटका सा महसूस होता है ।
वो डर जाती है ।
उसके हाथ में जो बर्फ़ थी वो ज़मीन पर गिर जाती है
वो पीछे मुड़ कर देखने ही वाली होती है ।
तभी उसे अपनी गांड के छेद में किसी चीज़ के घुसने का अहसास होता है ।
उसे ये समझते देर नही लगती कि ये किसी का लण्ड है
नीरज राधा के चुत्तडों को दोनो हाथों से खोल कर उसके फटे छेद में
अपना फ़नफ़नाता लण्ड एक ही झटके में पूरा ठूँस देता है
ये वही उछलती गांड थी जिसको वो बहुत पहले ठोकना चाहता था ।
नीरज झुकी हुई राधा के कंधो पर हाथ रख कर एक के बाद एक तगड़े करारे धक्के लगाता है ।
राधा की पहले से फटी गांड और फट जाती है ।
वो पीछे मुड़ कर देखती है कि ये कौन है जो उसकी फटी गांड को बिना बताए और फाड़ने लग गया है ।
नीरज को पहचान कर वो रोने वाले मुँह से कुछ कहने की कोशिश करती है ।
लेकिन नीरज इसकी परवाह किए बग़ैर अपना लण्ड राधा की गांड में अंदर बाहर करता रहता है ।
थोड़ी सी हिम्मत जुटा कर राधा पीछे से धक्के पे धक्के लगा रहे नीरज से कहती है :
राधा - आऽऽऽऽऽह !
नीरज बेटा ! ये तूने क्या कर दिया ।
मेरी फटी गांड को और फाड़ कर रख दिया ।
नीरज - मॉम मुझे आपकी ऐसे गांड मारने में बहुत मज़ा आता है ।
आऽऽह !
राधा - आऽऽऽह !
तो मैंने कभी मना किया है क्या तुझे !
जब तेरा मन करे मार लिया कर ।
पर अभी इसमें दर्द था इसलिए ही यहाँ बर्फ़ लेने आयी थी ।
पर तूने बिना बताए ही मेरी ले ली !
आऽऽऽऽऽऽऽह
नीरज राधा की गांड रसोई में बजा रहा होता है तभी संजय वहाँ आता है ।
वो रसोई में घुसता है और नीरज को राधा की गांड मारते हुए देख लेता है ।
संजय रसोई से बाहर निकलते हुए - ओफ़्फ़ो !
राधा ! ये सुबह-सुबह क्या लगा रखा है ?
राधा ठूकते हुए - मेरे से क्या पूछ रहे हो !
अपने लाड़ले से पूछो !
आपके बेटे ने मेरे से बिना पूछे ही मेरी गांड में लण्ड दे दिया है ।
संजय - अपनी आँखो पे हाथ रखते हुए - नीरज बेटा कम से कम रसोई का दरवाज़ा तो बंद कर लेते
नीरज - SORRY DAD I WILL NEVER DO THIS AGAIN
संजय - अब तुम दोनो यहाँ खुल्ले में ही लग गए हो तो अब मुझे ही कुछ करना होगा ।
राधा डार्लिंग तुम्हें पता भी है !
क्या होगा अगर ,
कोई यहाँ आ गया और तुम दोनो को ऐसे देख लिया तो ?
क्या इज़्ज़त रह जाएगी तुम्हारी इस घर में ,
तुम्हें तो कम से कम ये सोचना चाहिए था ।
चलो नीरज तो अभी बच्चा है ।
उसे नही पता होगा कब कहाँ और कैसे अपनी माँ की गांड मारनी है ।
राधा - गांड मरवाते हुए - अजी सुनिए !
आप प्लीज़ एक काम कर दीजिए !
जब तक ये मेरी गांड मार कर फ़ारिग़ नही होता
तब तक आप रसोई के बाहर पहरा दे दीजिएगा ।
संजय - हाँ , बस अब यही काम रह गया है करने को !
राधा पीछे हाथ कर के उसकी गांड मारते नीरज से कहती है :
राधा - नीरज ! बेटा तू बोल अपने पापा से !
प्लीज़ वो हमारी मदद करे !
नीरज राधा के दोनो हाथों को पीछे से पकड़ कर बेरहमी से राधा की गांड मारते हुए कहता है :
नीरज - आऽऽऽह ! प्लीज़ पापा कर दीजिए ना !
मम्मा की इज़्ज़त के ख़ातिर । प्लीज़जजजज..
संजय - ठीक है लेकिन तुम दोनो थोड़ा जल्दी करो .
संजय रसोई के बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है
थोड़ी देर बाद कोमल अपनी आँखे मलते हुए अपने कमरे से निकलती है ।
डाइनिंग टेबल पर अपने पापा को बैठा देख कर वो उसके पास जाती है ।
कोमल - पापा आप यहाँ क्यूँ बैठे है ?
संजय - बेटा वो रसोई में पानी लीक हो रहा है ।
कोमल - तो ..
संजय - तो नीरज पाइप की मरम्मत कर रहा है !
कोमल रसोई के अंदर झांकने की कोशिश करती है
तभी संजय कोमल से कहता है :
संजय - बेटा नीरज ने बोला है जब तक पाइप पूरी तरह से ठीक नही हो जाता ।
तब तक मैं किसी को अंदर ना जाने दूँ ।
इसलिए यहाँ बैठा हूँ ताकि कोई फिसल कर ना गिर जाए ।
कोमल - पापा नीरज भाई पाइप की भी मरम्मत कर देते है ?
संजय हंसते हुए - हाँ ! आगे और पीछे के सारे पाइप ठीक कर देता है ।
तेरी माँ ने उसे सब सिखाया हुआ है ।
दोनो बैठे बात कर रहे होते है इतने में ही सुमन रसोई की तरफ़ जाते हुए कोमल को दिखाई देती है ।
कोमल सुमन को आवाज़ लगाती है ।
कोमल - चाची ... रसोई में मत जाना ।
नीरज भाई किसी पाइप की मरम्मत करने में जी जान से लगे हुए है
संजय भी उसे अपने पास बुला कर बिठा लेता है ।
तभी
राधा गांड मरवाते हुए मूत देती है ।
उसकी चूत से मूत की धार भर भर कर फ़र्श पर गिरने लगती है ।
राधा - आऽऽऽह ! उई आह सी .. फट गयी मेरी गांड ! आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह
राधा की सिसकारियाँ सुन कर कोमल संजय से पूछती है :
कोमल - पापा नीरज भाई के साथ मॉम क्या कर रही है ?
संजय - बेटा तेरी माँ मुझसे शिकायत कर बैठी ।
कहने लगी मेरे लाड़ले बेटे को सुबह-सुबह काम पर लगा दिया और उसके पास चली गयी ।
मैंने बहुत रोकने की कोशिश की पर तेरी माँ नही मानी ।
मुझे डर है कहीं वो फिसल कर गिर ना जाए ।
सुमन - हस्ते हुए - दीदी भी ना !
एक मिनट भी नीरज और धीरज से अलग नही रह सकती ।
संजय - राधा की चीख़े सुन कर - राधा ... डार्लिंग
तुम्हारा पाइप ठीक हुआ के नही !
कितनी देर और लगेगी ?
बाहर सब बैठे इंतेज़ार कर रहे है ।
नीरज से बोलो जल्दी जल्दी करे ।
राधा - चिल्लाते हुए - हाँ ! आऽऽऽऽह !
कोमल के पा. पा. बोल देती हूँ ।
आप किसी को अंदर मत भेज देना ।
यहाँ पानी पानी हो गया है , कभी कोई फिसल जाए
इसी बीच नीरज अपना लण्ड राधा की गांड से खींच कर ..
उसके बालों को पकड़ कर उसे नीचे बिठा देता है
और
राधा के चेहरे पर अपना गाढ़ा वीर्य उड़ेल देता है
राधा उसके वीर्य से नहा लेती है ।
फिर वो अपना लोअर अपनी फटी गांड पर चढ़ा कर रसोई से बाहर निकल कर आती है ।
सामने से धीरज भी अपने कमरे से निकलता है ।
और राधा को अपनी गांड पर हाथ रख कर चलते हुए देख कर हसने लगता है ।
राधा अपने फटे हुए छेद और छेद के ऊपर फटा हुआ लोअर ..
दोनों को सबसे छुप छुपाते हुए अपने कमरे की तरफ़ चल पड़ती है ।
कोमल और सुमन समझती है ये कि राधा की ये हालत रात में धीरज ने की है ।
सुमन - राधा को चिढ़ाते हुए - कोमल लगता है कल दीदी को डॉक्टर ईशिता के यहाँ लेके जाना पड़ेगा ।
पीछे से नीरज भी अपने लण्ड को पैंट में डाल कर अपनी जीप लगाता हुआ कहता है :
नीरज - हाँ , मॉम को डॉक्टर के पास मैं लेकर जाऊँगा !
नीरज राधा को अपनी फटी गांड को सम्भालते हुए ले जाते देख कर हंसी आ जाती है ।
राधा नीरज की हंसी सुन कर पीछे देखती है ।
राधा नीरज को ग़ुस्से से देखते हुए - बेशर्म
फिर सब अपने अपने काम में मसगुल हो जाते है
और ऐसे ही दिन और रात निकलते चले जाते है ।
सुमन की चूत अब ठीक हो जाती है । वह अपने स्कूल जाने लगती है ।
राधा की फटी गांड भी अब वापस से सिकुड़ने लगती है ।
दफ़्तर में धीरज और दीपिका की प्रेम कहानी भी थोड़ी सी रफ़्तार पकड़ने लगती है ।
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रविवार का दिन :
घर पर सभी मौजूद है ।
धीरज तैयार हो कर सीढ़ियाँ उतरता हुआ बाहर जाने वाला होता है ।
तभी राधा उसे टोकते हुए कहती है :
राधा - आज रविवार को इतने बन ठन कर साहब जादे कहाँ चले ?
कोई स्पेशल मीटिंग है क्या !
धीरज - नहीं मॉम ! ऐसी कोई मीटिंग नही है ।
बस अपने एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ ।
कोमल - हस्ते हुए - भैया .... दोस्त या सहेली !
धीरज - तू चुप कर ! बिल्ली कहीं की ! जब देखो रास्ता काट देती है ।
राधा - कोमल की साइड लेते हुए - ठीक ही तो बोला है मेरी बच्ची ने ।
धीरज - आप भी ना मॉम ! कहाँ इस पागल की बात पर ध्यान देती हो ।
ओके ! बाय !
धीरज झट से बाहर निकल जाता है ।
राधा उसे रुकने के लिए बोलती रह जाती है ।
पीछे से सुमन राधा से कहती है :
सुमन - दीदी हमारे बाथरूम में पानी नही आ रहा है .
राधा - हाँ ! वो कुछ प्रॉब्लम है । मैं पलंबर को बुला लेती हूँ ।
तू कॉमन बाथरूम में नहा ले ।
तभी कोमल बोल पड़ती है :
कोमल - नीरज को देखते हुए - मॉम पलंबर की क्या ज़रूरत है ।
नीरज भाई है ना , वो आपके सारे पाइप ठीक कर देगा ।
कोमल की बात सुन कर नीरज कातिल सी मुस्कान के साथ राधा को देखता है ।
राधा उस दिन को याद करके सिहर उठती है ।
राधा अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी गांड पर रखती है जो उस दिन के बाद से और फैल गयी थी ।
राधा - नही ! नही ! ये दूसरे वाले पाइप साफ़ करता है ।
ये नीरज से नही होगा ।
कोमल - पर मॉम ! पापा ने कहा था कि नीरज आगे और पीछे दोनों वाले पाइप सही कर देता है ।
और ये गुण भी आपने ही इसे सिखाए है ।
ये सुन कर नीरज राधा को अपना लण्ड मसल कर दिखा देता है ।
राधा - आँखे दिखाते हुए - कोमल !
बीच में ही सुमन बोल पड़ती है :
सुमन - ठीक है दीदी ! आप पलंबर को बुलाइए ।
जब तक मैं कॉमन बाथरूम में नहा लेती हूँ ।
राधा रसोई में जा कर चाय बनाने लगती है ।
कोमल और नीरज सोफ़े पर बैठ कर बातें करते है ।
तभी वहाँ संजय आता है ।
नीरज - GOOD MORNING ! पापा
संजय - GOOD MORNING ! बेटा
ये कहकर संजय कोमल के सामने खड़ा हो जाता है
कोमल संजय को गले लगाकर उसके कान में कहती है :
कोमल - आपका
वो ! खड़ा है ठीक कर लो .
संजय - क्या
खड़ा है बेटी !
कोमल - आपका
लण्ड पापा ! और शर्मा जाती है
संजय ये सुनकर कोमल को ज़ोर से गले लगा कर उसकी गांड पर हाथ रख देता है ।
फिर संजय अपने लण्ड को उसकी चूत में दबा देता है ।
लण्ड सीधा कोमल की चूत में घुस जाता है ।
कोमल चींख पड़ती है !
आउच ! आइ मेरी चूत ! पापा निकालो ! आपका लण्ड मेरी चूत में घुस गया है
संजय - क्या ? अंदर कच्छी नही पहनी हो क्या ?
कोमल - आऽऽऽह ! नही
रात में उतार कर सोई थी तो सुबह नही पहनी ।
अब आप अपना लोड़ा निकालो । भाई देख रहा है
नीरज उन दोनो को बहुत देर से देखे जा रहा था ।
अपने पापा का लण्ड अपनी बहन की चूत में घुसता देख कर नीरज खाँसता है ।
संजय झटके से कोमल की चूत में से लण्ड खींच कर बाहर निकाल लेता है ।
तीनों एक दूसरे को देख कर हस्ते है ।
राधा चाय बनाकर लाती है । सभी बैठ कर चाय पीते है ।
संजय कोमल के बग़ल में बैठ कर उसकी स्कर्ट में हाथ देकर
उसकी नंगी चूत रगड़ने लगता है
राधा और नीरज का ध्यान संजय पर जाता है ।
संजय चूत में उँगली डाल देता है ।
कोमल - आऽऽह ! छोड़ो भी पापा !
सब हमें ही देख रहे है ।
राधा - हे राम ! आप ये क्या कर रहे हो ?
और ये आपका हाथ कहाँ घुसा हुआ है ?
बाहर निकालो !
मैंने कहा बाहर निकालो इसे अभी !
संजय - अरे भाग्यवान ! आज गुड़िया ने कच्छी नही पहनी है बस वही देख रहा था ।
राधा - हो !!! बड़े बेशर्म हो गये हो आप !
अगर इतना ही जी मचल रहा है तो अंदर ले जाकर चोद लो अपनी बेटी को ।
ऐसे अपनी बीवी और बेटे के सामने
उसकी चूत में उँगली करते हुए
आपको बिलकुल भी शर्म नही आ रही !
कोमल शर्माते हुए खड़े होकर वहाँ से जाने लगती है
तभी संजय उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लेता है ।
संजय का खड़ा लण्ड फिर से एक ही झटके में कोमल की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस जाता है
कोमल - ऊप्स..... और नीरज और राधा को अपनी बड़ी बड़ी आँखो से देखने लगती है ।
संजय - मेरी बेटी को मुझे अपनी गोद में बिठाने का पूरा हक़ है ।
तभी पीछे से बाथरूम का दरवाज़ा खुलता है ।
सुमन अधनंगे बदन पर छोटा सा तौलिया लपेट कर बाहर निकलती है ।
सभी उसे देखने लगते है ।
सुमन की आधी ढकी चुचिया और लगभग पूरी नंगी गांड सभी को दिखाई देती है ।
संजय का लण्ड कोमल की चूत में झड़ने लगता है ।
सुमन भागते हुए अपने कमरे में घुस जाती है ।
अपनी चाची की हिलती गांड को देख कर नीरज अपना लण्ड शॉर्ट्स में से बाहर निकाल कर मूठ मारने लगता है ।
राधा का ध्यान भी सुमन की हिलती चुचीयो और गांड पर रहता है
तभी नीरज के लण्ड की धार सीधे राधा के चेहरे पर जाकर गिरती है ।
राधा अचानक से हुए इस हमले के लिए तैयार नही थी ।
नीरज का मूठ उसके मुँह में भी चला जाता है जिसे राधा थूकने लगती है ।
संजय भी हैरानी से नीरज की तरफ़ देखने लगता है ।
कोमल मौक़ा पा कर अपनी चूत लण्ड से उठा कर अपने कमरे में भाग जाती है ।
संजय भी उसका पीछा करते हुए भाग कर
सुमन के कमरे में घुस जाता है ।
ये देख कर नीरज और राधा चौंक पड़ते है ।
नीरज ने जो धार अभी
राधा के मुँह पे दे मारी थी वो सुमन की गांड के नाम की थी ।
मूठ से भरा हुआ मुँह लेकर राधा नीरज की ओर देखती है और हंस पड़ती है ।
राधा - ये तो
KLPD हो गया !
खड़े लण्ड पर धोखा
नीरज उदास हो जाता है ।
राधा को अब उसपे दया आती है ।
वो अपने चेहरे पे पड़ा नीरज का मूठ उँगली में लेकर चाटते हुए कहती है :
राधा -
मेरा प्यारा बेटा हमेशा खड़े लण्ड पर धोका खा जाता है ।
कोई बात नही !
मेरे मुँह पे पड़े तेरे इस मूठ की क़सम
आज रात को तू सुमन को चोदेगा !
ज़रूर चोदेगा ।
नीरज - मुँह लटकाते हुए - मॉम !
ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यूँ होता है ।
जब भी मेरा मन किसी को चोदने को होता है ।
तो हमेशा उसे कोई और ही बजाके चला जाता है ।
राधा - नीरज को पुचकारते हुए - ना ! मेरा बच्चा !
आज ऐसा नही होगा ।
आज रात को तू ज़रूर सुमन को चोदेगा ये मेरा वादा है तुझ से ।
नीरज - मॉम वादा पूरा नही किया तो ?
राधा - नीरज के लण्ड पर झुकते हुए - वादा पूरा नही किया तो ...
जिस छेद में तू चाहे सबके सामने उस छेद में अपना लण्ड डाल देना ।
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