संस्कारी घर - परिवार
पात्र :
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नाम -
संजय वर्मा
उम्र - ४८
काम - बिजनिसमैन ( इनका एक फ़र्निचर का शोरूम है )
नाम -
राधा वर्मा ( संजय की धर्मपत्नी )
उम्र - ४५
काम - ग्रहणी
नाम -
धीरज वर्मा ( संजय वर्मा का बड़ा बेटा )
उम्र - २४
काम - पापा के बिज़नेस में सहयोग करता है ।
नाम -
नीरज वर्मा ( संजय वर्मा का छोटा बेटा )
उम्र - २२
काम - विद्यार्थी
नाम -
कोमल वर्मा ( संजय वर्मा की इकलौती बेटी )
उम्र - २०
काम - विद्यार्थी
नाम -
संतोष वर्मा ( संजय वर्मा का छोटा भाई )
उम्र - ४२
काम - ठेकेदार
नाम -
सुमन वर्मा ( संतोष वर्मा की धर्मपत्नी )
उम्र - ३५
काम - प्ले स्कूल की अध्यापिका है ।
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सुबह के ७ बज रहे है ।
राधा रसोई में खाना तैयार कर रही है , तभी कोमल जिसका कमरा रसोई के सामने था ,आँखे मलते हुए रसोई में आयी ।
राधा - उठ गयी मेरी प्यारी गुड़िया
ये बोलते हुए राधा कोमल के माथे को चूम लेती है और कहती है
राधा - लगता है रात में पापा ने मेरी गुड़िया को ठीक से सोने नही दिया !
कोमल - शर्मा ते हुए - नही मॉम ऐसी कोई बात नही है ।
राधा - बात कैसे नही है , देख तो मेरी गुड़िया की आँखे अब तक लाल लग रही है ।
कोमल कुछ नही बोली ..
राधा - लगता है पापा को तेरी छोटी सी
चूत बहुत पसंद है ।
कोमल शर्म से लाल हो गयी ।
राधा - तुझे भी तो पापा का
लण्ड पसंद है ना ।
कोमल - शर्माते हुए - ऐसी कोई बात नही है मॉम
राधा - चल ठीक है ! मान ली तेरी बात तू अभी जा कर तैयार हो जा मैं एक घंटे में नाश्ता लगाती हूँ ।
कोमल पीछे मुड़कर जाने लगी तभी राधा ने कहा :
राधा - बेटी कमरे से निकलने से पहले कम से कम अपनी कच्छी तो पहन लेती
कोमल नीचे देखती है और दौड़ कर रूम में भाग जाती है ।
राधा हंस पड़ती है ।
उस वक्त कोमल ने सिर्फ़ एक छोटी सी टी-शर्ट पहनी हुई थी ।
और
नीचे पूरी नंगी थी ।
एक घंटे बाद दोनो बेटे सहित संजय तैयार हो कर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते है ।
उधर कोमल भी अपने बाल सुखाकर टेबल पर बैठ जाती है ।
उस वक्त कोमल ने एक सफ़ेद रंग का टॉप और पिंक स्कर्ट पहना था ।
राधा नाश्ता लगाती है । सभी खाना शुरू करते है ।
तभी कोमल की ज़ुल्फ़ें उसके चेहरे पर बार बार आ जाती है ।
इस पर संजय राधा से बोलता है :
संजय - राधा गुड़िया के बाल समेटो , उसे खाने में परेशानी हो रही है ।
राधा साड़ी को कमर तक उठाती है और अपनी कच्छी उतारने लगती है ।
धीरज - मॉम आपको गुड़िया के बाल समेटने को बोला गया है ।
और आप अपनी
चूत को हवा खिला रही हो ।
राधा हंसने लगी और अपनी सफ़ेद कच्छी उतार कर कोमल की तरफ़ बढ़ी
और कच्छी को अपने दाँतो में दबाकर , दोनो हाथों से कोमल के बालों को समेटा
और अपनी कच्छी को लपेट कर जूड़ा बना दिया ।
ये देख कर सभी हंसने लगे ।
ऐसे ही नाश्ता समाप्त हो गया और सभी बाहर अपने काम पर जाने की तैयारी करने लगे ।
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डोर बैल का बजना
नीरज ने दरवाज़ा खोला ।
सामने
संतोष और
सुमन खड़े थे ।
नीरज - अरे चाचू वहाट आ सर्प्राइज़ .. प्लीज़ कम इन ।
दोनो अंदर आते है .
राधा - अरे देवरजी बड़े दिनो बाद दर्शन दिए ।
हमारी याद नही आती या कोई नई मिल गयी ।
संतोष - नही भाभी मैं तो हमेशा आप लोगों से मिलना चाहता हूँ
बस समय ही नही मिल पाता है ।
मुझे तो हमेशा आप सब की याद आती है ।
ख़ासकर आपकी और हमारी प्यारी गुड़िया की ।
ये कह कर संतोष कोमल के गाल चूम लेता है ।
संजय - नालायक जब तू शहर से बाहर होता है तो छोटी को यहाँ क्यूँ नही छोड़ जाता है ?
संतोष - सॉरी भैया ! वो क्या है ना है कि मुझे कल अचानक किसी काम से जाना पड़ा ।
लेकिन रात को धीरज तो आ ही गया था हमारे घर सोने के लिए
संजय - वो तो ठीक है पर आइंदा ख़याल रखना ऐसी गलती दुबारा ना होने पाए ।
संतोष - ओके भैया
राधा - अरे सुमन तू क्यूँ वहाँ खड़ी है यहाँ आ !
सभी बैठ कर बातें करने लगते है तभी कोमल कहती है :
कोमल - मुझे देर हो रही है ।
मुझे जल्दी से बाज़ार जा कर कुछ किताबें लेनी है ।
फिर कुछ कपड़े लेने के लिए मॉल भी जाना है ।
ये कहते हुए कोमल जाने को हुई कि राधा चिलायी रुक तो सुमन को भी साथ ले जा ।
सुमन - मैं ! !!! मैं इस वक्त नही जा सकती !!
राधा - क्यूँ ?? क्यूँ नही जा सकती !
सुमन - वोह ... वोह..
राधा - क्या .. वोह-वोह लगा रखा है ?
सुमन - मैं ... मैं इस वक्त नही जा सकती ।
राधा - क्यूँ !!
सुमन - शर्माते हुए - वो दीदी मैंने आज
कच्छी ..
राधा - हाँ कच्छी के आगे भी तो बोल !
सुमन - वो दीदी मैंने आज कच्छी नही पहनी है !
संजय - कच्छी नही पहनी ! पर क्यूँ ?
सुमन संजय की बात पर शर्मा गयी !
राधा - हाँ बोल ना !!!
सुमन - वोह ..वोह..मेरी च.. च...चू..
राधा - क्या चू..
सुमन - वो....
मेरी चूत में सूजन है इसलिए !
संजय धीरज को डाँटता हुआ :
संजय - नालायक एक तो रात में वहाँ सोने गया ।
ऊपर से अपनी चाची की ऐसी चुदाई की.. कि चूत सूजा दी ।
इस पर राधा हंस पड़ी और बोलती है :
राधा - क्यूँ डाँट रहे हो मेरे बच्चे को ?
ऐसी फूल जैसी चाची जिसकी होगी वो भला कैसे अपने आप को सम्भाले ।
ऊपर से रात में अकेले हो तो और भी मुश्किल है ।
संजय सुमन से कहता है :
संजय - छोटी अपनी चूत तो दिखाओ !
मैं भी तो देखूँ आख़िर क्या किया है इस बदमाश ने तुम्हारे साथ ।
सुमन शर्माते हुए - नही ! जेठ जी सब ठीक है
रहने दीजिए ।
संतोष - अरे जब भैया कह रहे है तो दिखा दो !
सुमन जो इस वक्त हल्के पीले रंग की स्कर्ट में थी ,
धीरे -धीरे अपना स्कर्ट शर्माते हुए उठाने लगी ।
सुमन ने अपनी स्कर्ट कमर तक उठाया ।
सभी उसकी चूत को गौर से देखने लगे ..
राधा ने अपना हाथ मुँह पर रख कर कहा :
राधा - हाए रे मेरी प्यारी देवरानी को कैसे निर्दयी होकर चोदा है
संजय - नीरज जा कर फ़र्स्ट ऐड बॉक्स से क्रीम ले कर आओ ।
नीरज - अभी लाया ।
नीरज भाग कर गया और जल्दी से क्रीम ले कर आया ।
संजय सुमन से बैठने के लिए बोलता है ।
सुमन अपनी स्कर्ट ऊपर किए शर्माते हुए बैठ गयी ।
संजय उसे अपनी टाँगे खोलने के लिए कहता है ।
सुमन शर्माते हुए अपनी टाँगे खोलती है ।
संजय अपनी उँगली से सुमन की चूत में क्रीम लगाने लगता है ।
सुमन -
आऽऽऽऽऽह
क्रीम लगाने के बाद संजय कोमल से कहता है :
संजय - गुड़िया इसे अपने साथ ले जा ।
और जा कर
डॉक्टर ईशिता से चेक अप करवा देना
कोमल - ओके पापा अब हम चलते है ।
वैसे भी मुझे बहुत देर हो रही है ।
सुमन - पर मैं बिना कच्छी के कैसे जाऊँ ??
कोमल - ओफ़्फ़ो चाची !!
कोमल झट से अपनी स्कर्ट ऊपर करती है और अपनी कच्छी उतार देती है ।
राधा पूछती है - अब तू क्यूँ अपनी कच्छी उतार रही है ?
कोमल अपनी कच्छी लेकर सुमन के पास आती है और उसकी टाँगे उठाकर उसे पहना देती है ।
कोमल - अब ख़ुश ! अब चले ?
सुमन - हाँ अब ठीक है , चल !
कोमल सबको बाए कहकर सुमन के साथ निकल जाती है ।
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