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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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sunoanuj

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रचित कान्हा हो मित्र । 👋
 

Rachit Chaudhary

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रचित कान्हा हो मित्र । 👋
भाई भागा नहीं हूं यहीं हूँ मित्र । आज सोचा था कुछ लिखने का साले दोस्त बोतल लेकर आगये । जल्द ही दूंगा यार update
 

Rachit Chaudhary

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Abhi good nit yaro...
Samjhta hu dosto ki story ko age padhne ki excitement kya hoti h... Sala din kab nikal jata h pta hi ni chalta ... Jald hi dunga update
 
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Blackserpant

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Update 9.

*********************
प्रिय पाठकों - आज का अपडेट बड़ा ही मस्त होगा । कुछ जिंदगी की सच्चाइयों से भरा हुआ और आज वैसे भी तुम्हारे राइटर का जन्मदिन है तो वैसे भी कलम से जादू दिखाऊंगा आज मैं । अब कहानी जमने लगी है आगे वो होगा जो कोई कल्पना भी नही कर सकता ।

और हां मेरे प्रिय पाठकों मेरे fans को बताना चाहूंगा कि दोस्तो आज एक चुदाई कहानी मैं पढ़ रहा था तो मैंने पोस्ट रिप्लाई में राइटर से कहा कि चुदाई जब कराओ इस बाप बेटी की तो आग लगा देना भाई ,
तो बदले में दोस्तो उस राइटर ने वहाँ सबके सामने बेइज्जती कर दी मेरी उसने कहा मुझे लिखना मत सिखा writing skills में मैं तेरा बाप हूँ ,
तो प्रिय पाठकों क्या ये सही था । इस कहानी को अब मैं इतनी hit लिखूंगा की एक दिन उसकी भी नजर पड़ेगी और वो भी पढ़ेगा और उसके लिए नीचे कुछ लाइन्स लिखी है मैंने कि -

--------------
आज इस कहानी की अपडेट जुड़ी है सच्चाई से ।
यारों की यारी में धोखे की खाई से ।
हिम्मत नही हारनी , कहानी लिखकर बाजी है मारनी ,
और तू भी सुन जो सीख सके तो सीख लेना अपने भाई से।
आज मेरी कलम बिल्कुल अंदर से बोलेगी ,
माता सरस्वती मंदिर में से बोलेगी ।
एक sex स्टोरी के राइटर ने मेरे दिल पर मारा है पत्थर ,
तो आज ये चोट खायी मछली समंदर से बोलेगी ।
अक्ल के अंधो को आंख लगाने आया मैं ,
साधुओं के माथे पर राख लगाने आया मैं ।
इस छोटी सी जिंदगी में कई बार टूट लिया ,
घायल परिंदो को पंख लगाने आया मैं ।
लिख बेटा कहानी मेहनत का फल होगा
धरती को खोद कहीं तो जल होगा ,
एक दिन जब तू मेरी ये कहानी पढ़ेगा जरूर ऐसा पल होगा ।
थोड़ा टाइम तो लगेगा पर आज नही तो कल होगा ।
तू लिखकर लेले एक दिन ये राइटर सफल होगा ।
मुझसे भी कई बार खोट होते गए ,
Cool cool मुद्दे hot होते गए ।
जिस जिस को भी सपोर्ट किया भाई मानकर ,
मेरी गलती की लिस्ट में वे नोट होते गये ।
मैं नही कहता पता है मेरा नाम सबको ।
पर कोई बात ना तरक्की दे राम सबको ।
हिट जाये कहानी मेरे छोटे बड़े राइटर भाइयों की ,
इतना भाये उनका काम सबको ।


**********
उधर राकेश और शालिनी का जापान जाने के लिए फिक्स हो हो चुका था।

शालिनी कुछ समय बाद ऑफिस पहुंची अभी अभी अभी चूत की चुदाई कराई थी जिस वजह से उसकी पेंटी भी गीली पड़ी थी , उसने सोचा कि मैं पहले नहा लेती हूं।वह जल्दी से ऊपर वाली मंजिल पर गई , जो सिर्फ मालिक लोगों के लिए होता है ।
वहां पर जाकर उसने अपने कपड़े उतारे और एक आर्टिफिशियल स्विमिंग पूल में नहाने के लिए उतर गयी ।
उसने स्विमिंग पूल में पानी का टेंपरेचर नॉर्मल किया , जिससे कि पानी ना ही ठंडा महसूस हो रहा था और ना ही गरम । 10 मिनट तक नहाने के बाद शालिनी स्विमिंग पूल पूल से निकली

अब कुछ अच्छा महसूस कर रही थी। जो चुदाई की थकावट थी वह भी निकल गई थी।
अब शालिनी ने सोचा कि क्या पहना जाए , शालिनी ने जींस और ऊपर के लिए एक शॉर्ट गाउन निकाला ।
शालिनी की गाड़ी में हमेशा एक दो जोड़ी कपड़े extra रखे होते हैं ।



उधर आरती अपने फ्रेंड्स के साथ होटल पहुंचकर घूमने की प्लानिंग कर रहे थे ।कि उन्हें कोई गाइड करने वाला हो, जो यहां पर उन्हें घुमा सके।
क्योंकि यहां के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं थी अचानक आरती की फ्रेंड को मायूस बैठा देखकर आरती ने पूछा कि क्या हुआ तुम ऐसे चुप क्यों बैठी हो ?
उसने कहा कि उसके बॉयफ्रेंड से उसका ब्रेकअप हो गया है । आरती बोली कि जो तुम्हारा बॉयफ्रेंड था उसे तो मैं भी जानती हो ।
वह तो शक्ल से ही बेवफा लगता था लेकिन तुम्हें उसने क्यों छोड़ दिया ?
आरती की फ्रेंड बोली मैं तुम्हारी तरह जवानी में भरी हुई नहीं हूं ना ,तुम्हारी तरह मेरी गांड बाहर नहीं निकल रही है ना, तुम्हारी तरह मेरी छातियों उठी हुई पहाड़ की तरह नहीं रहती हैं । इसलिए मेरे जैसी लड़कियों को पसंद करता ही कौन है।
यह कहते कहते वह मायूस हो गयी ।

आरती ने कहा गलती तुम्हारी नहीं है तुम्हें कोई बहुत प्यार करने वाला मिलेगा । उस लड़के को तो मैं जानती ही हूं और अब तुम उसकी उम्मीद छोड़ दो कि वह तुम्हें अपनी जीएफ के रूप में दोबारा देखना चाहेगा क्योंकि वह तुम्हारे साथ सिर्फ धोखा कर रहा है ।

आरती ने कहा मैं तुम्हे एक बात बोलू आरती की फ्रेंड बोली बोलिए तो आरती ने इस कदर अपने लफ्जों को शायरी में पिरोया ।

आरती बोली -

जिसे जाना था वह चला गया अब रोने से क्या हो जाएगा,
जिसे जाना था वह चला गया अब रोने से क्या हो जाएगा,
खोई हुई चीज को यूं ढूंढने से क्या हो जाएगा।

तू क्या सोच रही है तू अकेली है नहीं मेरी फ्रेंड बहुत रोए हैं इस प्यार में,
तेरे जैसे पता नही कितने बर्बाद हो गए हैं इस प्यार में ।

एक बार जिंदगी की फिर नई शुरुआत कर।
भूल गया वह तुझे अब तू भी भूल जा कोई और बात कर।



यह सब सुनकर आरती की फ्रेंड आरती से बोली क्या बात है। आज तो मेरी जान शायराना अंदाज में है ।

आरती यह सुनकर उसे बोली कि मेरी जान यह शायराना अंदाज मेरा नहीं है ।
वह मुस्कुराते हुए बोली कि एक शायर है जो आजकल मुझे भी शायरी सिखा रहा है ।

आरती की फ्रेंड कहने लगी कौन है वह ?

आरती बोली की है एक पागल सरफिरा जो दिलो दिमाग पर अपना घर बनाता जा रहा है। और उसकी बातों में जादू है। जब वह बोलता है तो लगता है कि हर लाइन उसने मेरे लिए ही बोली है। उसकी हर लाइन में इतना प्यार इतना रहस्य इतनी मिस्ट्री होती है कि मैं तो समझ ही नहीं पाती कि दिमाग से सुनूं या दिल से। आरती यह बोले जा रही थी ।

उधर दूसरी तरफ राकेश और शालिनी जाने के लिए रेडी हो चुके थे ।

शालिनी राकेश की आंखों के आगे आई तो अपने शरारती अंदाज में बोली भैया मैं कैसी लग रही हूं। अकॉर्डिंग टू जापान यह मेरी ड्रेस सही है।

राकेश ने जैसे ही उसे देखा राकेश तुम मानो पागल ही हो गया शालनी की हिरनी जैसी आंखों पर लगा हुआ काला चश्मा उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था।

राकेश बोला आज तो मेरी बहन लगता है दिलों पर राज करेगी यह बोलते हुए राकेश मुस्कुरा दिया ।

शालिनी बोली बताओ ना भैया कैसी लग रही हूं ।

राकेश बोला आज तो तुम बिल्कुल ही कयामत लग रही हो कयामत से भी ऊपर लग रही हो । तुम्हारा यह ड्रेस लुक बहुत अच्छा है शालिनी तुम्हें देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि तुम कोई हीरोइन नहीं हो । तुम बिल्कुल हीरोइन ही लग रही हो ।

शालीनी यह सुनकर मुस्कुरा दी उधर राकेश ने पहली बार ऑब्जर्व किया कि उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो गई है। उसकी बहन की उम्र भी तो जवानी में लंड खाने के लायक ही है राकेश कहने लगा अपने मन में ।

राकेश ने पहली बार ऑब्जर्व किया था कि शालिनी की जांगे भर गई है उपासना से तो मोटी नहीं है , लेकिन हां अब कपड़े फंसने लगे हैं। उसकी जवानी में कोई भी कपड़े पहन लो वही फस जाते हैं । राकेश सोचने लगा कि अब शालिनी की शादी कर देनी चाहिए क्योंकि वह अब जवान हो गई है यह सोचते सोचते उसकी नजर उसकी छाती के ऊपर पड़ी तो मानो रेड कलर में वह फटने को तैयार हो रही हो । और जैसे खरबूजा होता है खरबूजे जैसे चूचे तो उसके छाती पर इस तरह शोभा दे रहे थे जैसे हिमालय पर्वत ।
उनकी गोलाई और उनका उठाव पागल कर गया राकेश को और राकेश के मुंह से निकला-




राकेश शालीनी से बोला -
तेरे नैन नशीले बेबी खतरनाक ,
लगा लिया तूने काला चश्मा अपनी धकलीं आंख ।
तेरी एक अदा पर बंदे मर गए लाख ।
तूने जला दिए दिल बस बची है राख ।
है गजब तेरा लुक सोना moon जैसा मुख ।
जो भी तुझे एक बार देख ले उसे मिल जाए सारी दुनिया के सुख ।
तुझे देखकर मेरी तो सांसे गई रुक ,
I want to read your beauty वाली book ।


अपने भाई राकेश के मुंह से ऐसी लाइंस सुनकर शर्मा गई शालिनी और कहने लगी भैया आप तो कोई पहुंचे हुए शायर लगते हैं ।
यह शायरी आपने कहा सुनी राकेश ने कहा मैंने यह सुनी नहीं है तुम्हें देखकर ऑन द स्पॉट बनाई है ।

शालिनी कहने लगी तुरंत शायरी बनाने में एक्सपर्ट हो भाई आप ।

उसके बाद शालिनी और राकेश तुरंत गाड़ी की तरफ चल दिए । दोनों गाड़ी में जा कर बैठे ।

जैपनीज की गाड़ी पीछे चल रही थी राकेश वाली गाड़ी से ।

राकेश और शालिनी पीछे बैठे हुए थे।
आगे ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और गाड़ी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की तरफ भाग रही थी ।
अचानक राकेश ने पीछे वाली गाड़ी के ड्राइवर से कहा ,( जो जैपनीज वाली गाड़ी चला रहा था ) तुम एयरपोर्ट चलो हम जरा कुछ शॉपिंग करके आते हैं । कुछ कपड़े खरीदने हैं वह मैं खरीद कर आ रहा हूं एयरपोर्ट पर ही मिलूंगा ।

लेकिन जब राकेश ने फोन किया तो गाड़ी में हिंदी गाना बज रहा था जिसे सुनकर राकेश ने सोचा कि जैपनीज तो बोर हो रहे होंगे ।उसने अपने ड्राइवर से कहा कि कोई हॉलीवुड का इंग्लिश सॉन्ग प्ले करो या इसे बंद करो।
क्योंकि जैपनीस हिंदी नहीं समझ पा रहे होंगे ऐसा कह कर उसने कॉल रखदी ।
राकेश ने भी अपनी गाड़ी में भी एक इंग्लिश गाना चला दिया । गाना कुछ इस तरह था -

you are my love you are my life,
you are star of my eyes .
give me hug every time,
you are sweet you are nice.
You are fine like a wine ,
Your beauty is God's design .

यह गाना शालिनी को बहुत पसंद आया उसने पहली बार सुना था और वह गाने में खो गई ।


उसके बाद उधर दूसरी तरफ उपासना अपने कमरे में बैठी हुई सोच रही थी कि आखिर क्या किया जाए ।
अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया वह उठी और उठ कर नहा कर आई।

नहाने के बाद उसने एक पार्लर वाली को बुक किया और घर बुलाया कुछ ही देर बाद दोस्तों उपासना बैठी हुई थी नीचे फर्श पर ।
उसने सिर्फ ब्रा और पेंटी पहन रखी थी । ड्रेसिंग कमरे में सिर्फ उपासना और पार्लर वाली ही थे , गेट लॉक था ।

पार्लर वाली उपासना के पैरों पर मेहंदी लगा रही थी।
हाथों पर पहले ही लगा चुकी थी ।
दोस्तों उपासना ने आज अपने हाथ की उंगलियों से लेकर अपने कंधे तक मतलब पूरी पूरी बाजुओं पर मेहंदी लगाई थी , फूलों के डिजाइन से ।
और पैरों की शुरुआत हो चुकी थी और उसने पार्लर वाली को बोला कि उसे अपने पैरों की उंगलियों से लेकर अपनी जांघों को मेहंदी से सजाना है ।



पार्लर वाली ने उसकी टांगो पर मेहंदी लगन शुरू किया तो घुटनो तक तो फूलों के डिजाइन बनवाये उपासना ने और उसके बाद गदरायी जांघो पर उसने पत्तियों के डिजाइन बनवाये । और उनके डिजान्स के बीच मे मेहंदी से slut और आपकी रंडी लिखवाया ।

उसके बाद उसने पेट पर भी मेहंदी लगाई मतलब पूरी तरह से सजने धरने का प्रोग्राम आज उपासना बना चुकी थी।

दो-तीन घंटे के बाद मेहंदी सूखने के बाद उपासना नहाने चली गयी तो दोबारा से उपासना नहा कर निकली ।



और जैसे ही उसने अपने आपको आईने में देखा तो उसे शर्म आ गई ।

दोस्तों ऊपर से नीचे तक मेहंदी में रची हुई उपासना शीशे के सामने खड़ी थी । उसकी गांड पीछे को निकली हुई थी और छातियां आगे को निकली हुई थी ।
उपासना ने मेहंदी से अपनी छातियों पर भी निप्पल के चारों ओर एक गोल सर्कल बनवाया था।
जिससे उसकी चूचियां इतनी ज्यादा मस्त लग रही थी कि अगर किसी की आंखों के सामने नंगी आ जाए तो उनको खा ही जाए ।

उसके पेट पर नाभि के चारों तरफ भी मेहंदी से बना हुआ एक सर्कल था । जो और भी ज्यादा अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था ।

अपनी क्लीन चूत के चारों तरफ मेहंदी की एक लाइन खिंचवा रखी थी । और चूत के 3 इंच ऊपर जहां से जाटों की शुरुआत होती है, वहां से उसने तकरीबन कोई इन 4 इंच के घेरे में झांटें छोड़ दी थी, यानी कि वह साफ नहीं की थी।
जो छोटी-छोटी काले रंग की झांट और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।

फिर उसकी नीचे भरी-भरी जांघें जो सिर्फ आगे से मेहंदी से रची हुई थी , लेकिन पीछे से नहीं ताकि कोई भी देखे तो उसे उपासना की जांघ सामने से सजी-धजी ही नजर आए।
लेकिन जब उसे सीधी लिटा कर उसकी टांगों को मोड़ कर उसकी छाती से लगाए तो पीछे की तरफ की जांघ , जब सामने आए तो उन पर मेहंदी रची हुई नहीं दिखेगी ,वह बिल्कुल नंगी मोटी जांघ दिखेगी ।

इस तरह से अपने आपको एक यूनिक तरीके से सजाकर मन ही मन बड़ी मुस्कुरा रही थी उपासना ।

उपासना को अब सेलेक्ट करना था ड्रेस कोड ।
उसे ड्रेस क्या पहनना है वह जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल कर बेड पर एक-एक ड्रेस कोअलग करने लगी।

पहले उसे एक गाउन मिला तो उसने सोचा कि गाउन पहनकर सजी हुई मैं अच्छी नहीं लगूंगी । उसने गाउन एक तरफ फेंक दिया ।
फिर दूसरे नंबर पर उसके हाथ में जींस आई तो जींस को भी उसने एक तरफ फेंक दिया ।
फिर उसने एक सूट सलवार निकाले लेकिन वह सूट सलवार भी उसे पसंद नहीं आए ।
उसने सोचा क्या पहना जाए ऐसा क्या पहना जाए जिससे मेरा सजा हुआ यह रूप और भी खूबसूरत लगे ।
उसने दोस्तों एक साड़ी निकाली लेकिन वह भी उसे पसंद नहीं आई ।
उसने फिर सोचा कि मैं एक काम करती हूं ऐसा सोचकर उसने तुरंत कॉल लगाया अपने मार्केट इंस्पेक्टर को।

और कहा - I'm upasna from DS Industries. मुझे मार्केट में जो सबसे अच्छा टेलर है उनका डाटा चाहिए।

इंस्पेक्टर ने कहा सुनकर अच्छा लगा कि आप जैसे बड़े लोगों ने हमें याद किया ।
बिल्कुल आप एक सेकंड का वेट कीजिए , मैं अभी निकलता हूं और निकाल कर उपासना को ट्रांसफर कर दिया ।

उपासना ने टेलर को कॉल लगाया उधर से आवाज आई कोई लेडीस की ।

उपासना ने कहा - कि मुझे कोई ड्रेस सेलेक्ट करना था पहनने के लिए लेकिन मुझे कोई ड्रेस पसंद नहीं आया।
तुम्हें चाहती हूं आप मेरे घर पर 20, 30 दुपट्टे भेज दे। जो सूट सलवार के ऊपर दुपट्टे पहने जाते हैं वो वाले ।

सुनकर टेलर ने कहा कि दुपट्टा किस तरह का चाहिए मैडम ।

उपासना ने कहा कि जो बिल्कुल देसी सूट सलवार के दुपट्टे होते हैं , जो ज्यादा मोटे कपड़े की नहीं होती हैं ।
ट्रांसपेरेंट वाले टाइप की होती हैं वह वाली भेज दो।
जिन्हें चुन्नी बोलते है ।
और साथ में एक एक्सपीरियंसड फीमेल टेलर भी भेज देना ।

आधे घंटे के बाद आ गयी । उपासना ने उसे 1 सेपरेट रूम में बिठाया और उसे उसकी सिलाई मशीन वहां पर रखवा दी।
टेलर बैठी हुई था और उपासना से पूछने लगी - यस मैम कपड़ों में क्या मॉडिफिकेशन आपको कराना है ।

तो उपासना ने कहा कि मुझे सूट सलवार बनवाना है ।

यह सुनकर टेलर कहने लगी - मैडम मैं सूट सलवार के कपड़े तो लेकर ही नहीं आई हूं । मैं तो केवल चुन्नियां लेकर आई हूं ।

उपासना ने कहा - यही तो ट्विस्ट है की मुझे चुन्नी वाले कपड़े के सूट सलवार पहनने हैं , तो तुम कितना टाइम लोगे इन्हें सीलने में ।

टेलर यह सुनकर चौंक गई और कहने लगी - मैम ऐसे भी कोई सूट सलवार पहनता है क्या ।

उपासना अभी दरअसल साड़ी पहनकर खड़ी हुई थी। इस वजह से टेलर को नहीं समझ आ रहा था कि यह चुडक्कड़ रंडी क्यों बनवा रही है दुप्पटे वाले कपड़े के सूट सलवार ।

तो टेलर ने कहा - ठीक है मैम जैसा आप चाहो मुझे तो बनाना है , आप किसी भी कपड़े का बनवा लो। मैं आधे घंटे में रेडी कर दूंगी । दुपट्टे के कपड़े के सूट सलवार तो वैसे भी जलदी बन जाएंगे ।
बस आप मुझे अपना नापा दीजिए बॉडी का।

यह सुनकर उपासना उसके पास गई और अपनी साड़ी एक तरफ उतार कर रख दी ।

जैसे ही उसने साड़ी उतारी तो टेलर चोंक गयी उसकी सजावट देखकर । नाभि के चारो और सर्कल देखकर मेहंदी से लगा हुआ वह बहुत ही ज्यादा उत्साहित हो गई और पूछने लगी कि भाभी आज कोई फंक्शन में जाना है क्या आपको ?

उपासना कहने लगी - आप अपना काम कीजिए ।

इस वक्त दोस्तों उपासना ने फुल स्लीव का ब्लाउज पहना हुआ था मतलब पूरी ढकी हुई थी फुल कपड़े में जिस वजह से उसकी बाजू की मेहंदी टेलर को दिखाई नहीं दे रही थी।
और नीचे पहना हुआ था उसने पेटीकोट जिस वजह से नीचे की मेहंदी भी उसे दिखाई नहीं दे रही थी ।
उसे केवल उसके हाथों की और उसके पेट पर आगे बने सर्कल ही दिखाई दे रही थी।

उसने नापा लेना स्टार्ट किया तो उपासना ने कहा - आप पीछे से गला डीप रखना सूट का , और उसकी जो कुर्ती होगी वह मेरे हिप्स तक ही रहेगी ।

यह कहकर उसने नापा देना स्टार्ट किया तो टेलर ने उसकी जांघों को फीते से नापा तो वह हैरान रह गई क्योंकि उसकी जांघे नॉर्मल लड़कियों के मुकाबले काफी मोटी थी ।

उसने उसके बाद उसने उसकी कमर में फीता डाला तो उसकी कमर का पतलापन देखकर वह हैरान रह गई।

उसके बाद उसने उसकी छातियों में फीता डाला छाती भी नॉर्मल लड़कियों के हिसाब से और उसकी एज के हिसाब से काफी गदरा गई थी । छातिया नहीं दोस्तों हम उन्हें पके हुए पपीते बोल सकते हैं ।

उसके हिप्स का नापा लिया तो उपासना के हिप्स भी चौड़े चौड़े थे । साड़ी भी नाकाम साबित होती थी उस गांड को ढकने में और आज ये चुदक्कड़ देवी उस गांड को झीनी सी सलवार से ढकने के ख्वाब देख रही थी ।


उधर दूसरी तरफ धर्मवीर अपने कमरे में बैठकर लैपटॉप में कुछ देख रहा था।
अचानक धर्मवीर ने सोचा कि नीचे जाकर दूध ही पी लेता हूं, लेकिन उसने सोचा की उपासना को मैं कॉल कर देता हूं।

उसने उपासना को कॉल किया - उपासना मेरे कमरे में दूध दे जाओ ।

उपासना यह सुनकर थोड़ा शरमा गई लेकिन उसने जल्दी से एक बड़ा सा शॉल लिया और अपने पेट और कमर को भी छुपा लिया । साड़ी पहन ही रखी थी ।
बस उसके हाथ ही अब बाहर दिखाई दे रहे थे ।

उपासना दूध लेकर राजवीर के कमरे में गई तो दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने जब उपासना को देखा तो उपासना के प्रति उसके दिल में उपासना की और इज्जत बढ़ गई वह सोचने लगा - कि मेरी बहन और मेरी बहू में कितना फर्क है।

आरती और उपासना में कितना फर्क है।

बहू मेरे घर की मान और मर्यादा का कितना ख्याल रखती है। वास्तव में भगवान ऐसी बहू सबको दे मेरी बहू करोड़ों में एक है ।अपनी बहू की तारीफ मन ही मन करता हुआ उसने दूध उसके हाथों से जैसे ही लिया ।

तो उपासना के रचे हुए हाथ देखकर वह मन में चौक गया , सोचने लगा धर्मवीर कि रात को जब सब डिनर कर रहे थे तब तो उपासना के हाथों पर कुछ भी नहीं था। और अब उपासना के हाथ बिल्कुल रचे हुए हैं।

आज तो कोई त्यौहार या कोई फंक्शन भी नहीं है मन में धर्मवीर ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसने सोचा हो सकता है उपासना को आज कहीं पर जाना हो। किसी फंक्शन या पार्टी में तो अनायास ही पूछ बैठा की - बहू आज तुम कहीं जाने वाली हो क्या ?

उपासना ने कहा कि- आज वो और उनकी बहन यानि मेरे पति राकेश और शालिनी दोनों जापान गए हैं ।
और आरती दीदी भी अपने फ्रेंड्स के साथ हिल स्टेशन गई हैं लेकिन वह तो शाम तक आ जाएंगी ।नहीं पापा जी मुझे तो ऐसा कहीं कोई खास पार्टी में नहीं जाना है ।
मैं तो आज घर पर ही हूं यह कहते हुए वह चुप हो गई।

धर्मवीर ने कहा - हाँ कॉल आया था राकेश का उसने बताया इस प्लान के बारे में कि वह दोनों बहन भाई जपेन जा रहे हैं । अच्छा है बहू की अपने बिजनेस की पकड़ और भी मजबूत हो और हम दौलत और शोहरत दोनों में अपना नाम और बड़ा करें । राकेश की लगन देखकर मुझे लगता है कि वह अपने बाप के नाम को रोशन कर देगा ।

लेकिन यह बोलने के बाद में धर्मवीर ने मन में सोचा कि बहू को कहीं आज जाना भी नहीं है । और राकेश भी घर पर नहीं है जो पति के लिए सजी हो तो फिर आज बहू ने हाथ क्यों रचाये हुए हैं धर्मवीर ऐसा मन में सोच ही रहा था लेकिन पूछने की हिम्मत नहीं कर सका ।

और दूध लेकर अपने बेड पर बैठ गया उपासना दूध देकर जैसे ही जाने को मुड़ी तो दोस्तों साड़ी और शॉल से ढकी होने के बावजूद भी उपासना की गांड की लचक महावीर की नजरों से बची ना रह सकी । और मजबूर हो गया धर्मवीर अपनी आंखों से स्कैन करने को ।

उसका bubble ass यानी चौड़ी गांड एक बार तीर मार गई महावीर के दिल में। और अपनी नजरो से ही अपनी बहु को नंगा करने लगा ।




लेकिन महावीर ने तुरंत सोचा कि मैं कितना गंदा हूं ।
आजकल की इतनी मॉडर्न घर की इतनी हाई प्रोफाइल फैमिली से बिलोंग करने वाली लड़कियों को मैंने नंगे घूमते हुए देखा है । लेकिन मेरी बहू ढकी हुई है पूरी की पूरी और उसके बावजूद भी मैं अपने मन में उसकी गांड को घूरने के सपने देख रहा हूं । छी मैं कितना गंदा इंसान हूं मुझे ऐसा नहीं होना चाहिए । मैं तो धरती पर कलंक ही हूं । मैं इंसानियत पर कलंक हूं । मुझे अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए और मैं किस रास्ते पर चलने की सोच रहा हूं।


धर्मवीर ऐसा सोचता ही रह गया और उपासना निकल चुकी थी।

उपासना जैसे ही नीचे आई राकेश का कॉल आया हूं कि हम दोनों बहन भाई एयरपोर्ट पहुंच चुके हैं ।
और दोनों बहन भाइयों ने कपड़े भी खरीद लिए हैं ,
और वह उसे कहने लगा कि हो सकता है मैं कॉल ना कर पाऊं तो मेरी जान मेरी बात को समझना कि अभी दो-तीन दिन बिजी हूं । और यह सब किसके लिए कर रहा हूं अपनी बीवी के लिए ही तो कर रहा हूं अपनी फैमिली के लिए ही तो कर रहा हूं , अपने परिवार के लिए ही तो कर रहा हूं।

यह सुनकर उपासना खुश हुई और अपने पति को प्यारी सी किस देकर फोन रखा ।


तब तक टेलर ने तैयार कर दी थी ड्रेस। उ
उपासना ने जो ड्रेस बनवाई थी दोस्तों उसकी जो नीचे सलवार थी वह पूरी चुस्त टाइट बनवाई थी , और उस सलवार की लंबाई घुटनों से थोड़ा ही नीचे तक थी यानी की पूरी पैरों तक नहीं घुटनों से हल्का नीचे तक की थी जहां तक कैपरी होती है ।
और वह चुस्त सलवार के ऊपर चुन्नी वाले कपड़े की ही कुर्ती थी यानी की सलवार और कुर्ती दोनों ही चुन्नी वाले कपड़े के थे । और दोनों ही चुस्त और टाइट ।


उपासना ने इन कपड़ों को लेकर रख लिया ।
फिर उपासना ने टेलर को दस हजार का एक नोट देते हुए विदा किया।

प्रिय पाठकों आप सोच रहे होगे की उपासना आज किसके लिए सजी है
आखिर आज क्या होने वाला है , क्या आज रात को नंगा नाच होने वाला है। क्या आज उपासना चुदने वाली है । क्या उपासना एक ताबड़तोड़ चुदाई के लिए तैयार हो रही है । क्या उपासना को चार या पांच मर्द मिलकर चोदने वाले हैं आज की रात । क्या उस उपासना के सारे छेदों में आज वीर्य भरा जाना है रात को । आखिर आज साला होने वाला क्या है यह यही आप सोच रहे होंगे ना ।
तो अब यह नेक्स्ट अपडेट में दोस्तों ।

मां कसम आज एक बार फिर कहता हूं कि मां कसम आग लगा दूंगा इस कहानी के जरिये हर चुत और लंड में । इस कहानी को पढ़कर चूतों में से अनलिमिटेड पानी की नदी बहेगी और लंड वालो को चूतों के सपने खुली आँखों से भी दिखने लगेंगे ।
वादा है मेरा प्रिय पाठकों कि तुम्हें लत लगा दूंगा मेरी कहानियों की।
......
कोई भी फोटो दिख नहीं रहा है, मजा नहीं आ रहा है. कुछ कीजिए
 
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Nevil singh

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UPDATE- 23

*******
चारों लोग कमरे में थे उपासना और पूजा बेड पर लेटी हुई थी।
चारों लोग मन ही मन सोच रहे थे की बात को आगे कैसे बढ़ाया जाए , कैसे पहल की जाए । यही उधेड़बुन चारों के दिमाग में चल रही थी तभी सोमनाथ की नजर कमरे की दीवार पर लगे एक फोटो पर गई जिसमें उपासना ने एक पेटीकोट पहना हुआ था और ऊपर एक चोली पहन रखी थी ।

यह देख कर सोमनाथ बोला- बेटी इस फोटो में तो तुम बहुत ही सुंदर दिख रही हो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई सोमनाथ बोला बेटी जो तुमने यह पहनावा पहना हुआ है फोटो में । मैं इस पहनावे में तुम्हें देखना चाहता हूँ।

उधर धर्मवीर मन ही मन सोचने लगा कि सोमनाथ को क्या हो गया है इतनी सेक्सी ड्रेस पहनकर दोनों लेटी हैं और यह इन्हें दोबारा कपड़े पहनाने में लगा हुआ है ।

उधर उपासना बोली - पापा जी यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको पहन कर कर दिखाती हूं ।
उधर धर्मवीर बोला पूजा से - तुम भी अपनी दीदी के साथ यही ड्रेस पहनो तुम भी सुंदर लगोगी।

यह सुनकर दोनों शर्माती हुई बेड से उतर गई और कमरे से बाहर जाने लगी।

दोस्तों उस पारदर्शी गगरी में उनके चूतड़ों की थिरकन कहर बरपा रही थी सोमनाथ और धर्मवीर पर और दूसरी तरफ पूजा और उपासना अपने कूल्हों को और भी ज्यादा मटका कर चल रही थी ।
अपनी गांड को हिलाते हुए दोनों कमरे से बाहर चली गई।


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कमरे में जाकर दोनों ने कपड़े चेंज करने लगी उपासना ने पूजा को एक हरे रंग का पेटिकोट दिया और एक छोटा सा ब्लाउज ।
खुद के लिए उपासना ने एक नीले रंग का पेटिकोट निकाला और लाल रंग का छोटा सा ब्लाउज।
यह पेटिकोट और ब्लाउज दोनों ही उनके साइज के हिसाब से काफी छोटे थे जिस वजह से उनकी गांड पर पेटिकोट बिल्कुल फस गया ।
उनकी भारी-भारी कांड कांड उस पेटीकोट में निकल कर पीछे की तरफ उभर गई ।
ब्लाउज की बात करें तो ब्लाउज भी स्लीवलैस था , ब्लाउज की जगह चोली कहें तो बेहतर होगा क्योंकि कमर पर सिर्फ एक डोरी थी जिसने इस ब्लाउज को संभाला हुआ था और आगे मोटे मोटे दो पपीते जिनको ब्लाउज ने कसकर जकड़ रखा था ।

दोनों ने अपने आप को शीशे में देखा तो शर्मा गयीं पर मस्तानी चाल चलती हुई उन दोनों के कमरे की तरफ बढ़ने लगी ।


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कमरे के गेट पर जाकर दोनों ने देखा के अंदर सोमनाथ और धर्मवीर बैठे हुए हैं ।

उपासना ने पूजा को अंदर धक्का दिया, धक्का इतना तेज लगाया गया था की पूजा सीधा बीच रूम में जाकर रुकी ।

पूजा ने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने जब पूजा की तरफ देखा तो अपने होश खो बैठे।
ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउज और पेटीकोट में कोई कसी हुई जवानी आजाद होना चाहती हो।
पूजा की जवानी उसके कपड़ों को फाड़कर बाहर आने को उतावली हो रही थी ।

सोमनाथ ने कहा- उपासना बेटी कहां है ?

पूजा ने कहा- दीदी बाहर गेट पर खड़ी है ।

सोमनाथ ने उपासना को आवाज लगाई - उपासना अंदर आओ ।

उपासना धीरे धीरे अंदर की तरफ आने लगी तो उसकी जवानी तो पूजा से भी ज्यादा गदरायी हुई थी।
दोनों कमरे में खड़ी हो गई।

सोमनाथ ने कहा - देखा समधी जी मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।

धर्मवीर ऐसा सुनकर खड़ा हुआ और दोनों को निहारने लगा फिर धर्मवीर और सोमनाथ पीछे की तरफ घूम कर आए तो उनकी आंखें चौड़ी हो गई।
क्योंकि उपासना और पूजा के कूल्हे ऐसे लग रहे थे जैसे पीछे दो मोटे मोटे तबले हो और उनके नितंब उस पेटीकोट में कसे हुए थे जिससे कि उनकी गांड और भी बाहर को उभरकर दिख रही थी ।

धर्मवीर बोला- मानना तो पड़ेगा सोमनाथ जी कि आप की बेटियां करोड़ों में एक है।

यह सुनकर पूजा बोली- रहने दीजिए क्यों झूठी तारीफ करने में लगे हो तुम दोनों ।


तभी धर्मवीर के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गयी।

उसने सोमनाथ से कहा - चलो सोमनाथ जी नींद आ रही है , चलो सोने चलते हैं ।
ऐसा उसने सोमनाथ को आंख मारते हुए कहा था।
सोमनाथ उसका इशारा समझ गया और धर्मवीर के साथ ऊपर चला गया ।


पूजा और उपासना एक दूसरे का चेहरा ताकती हुई हैरानी से एक दूसरे को देखने लगीं ।


पूजा ने कहा - ऐसा कैसे हो सकता है दीदी। तुमने तो कहा था कि ये दोनों हमें बिना चोदे नहीं छोड़ेंगे आज , लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है ।

उपासना बोली- जहां तक मैं जानती हूं हम जैसी घोड़ियों को देखकर बिना चोदे तो यह मर्द रह नहीं पाएंगे । इसमें जरूर कोई राज की बात है चलो चल कर देखते हैं ।

दोनों धर्मवीर और सोमनाथ के रूम की तरफ जाने लगीं।
जैसे ही वह रूम के पास पहंची उन्हें धर्मवीर और सोमनाथ की आवाज सुनाई देने लगी ।

सोमनाथ धर्मवीर से कह रहा था - समधी जी आपने यह है क्या किया?

धर्मवीर बोला - सोमनाथ मैंने नोट किया था कि पूजा और उपासना हम दोनों के सामने शर्मा रही थी । इसका सीधा सा मतलब है कि हमें अलग-अलग कमरे चुनने होंगे, अगर हम अलग अलग होकर उनकी चूतों को फाड़ेंगे तो वह चोदने में पूरा मजा देंगी और खुलकर चुदवायेगी। इसलिए मैंने ऐसा किया । अब तुम मेरा प्लान सुनो।
तुम नीचे उपासना और पूजा के पास जाना और जाकर कहना की समधी जी का टीवी चल नहीं रहा है और मुझे टीवी देखना है इसलिए मैं तो नीचे आ गया और समधी जी दूध मंगा रहे थे पीने के लिए, जब तुम जाकर ऐसा बोलोगे तो उपासना जरूर पूजा को भेजेगी दूध लेकर और अपना काम बन जाएगा । तुम पूरी रात उपासना को रगड़ना और मैं यहां पूजा की चूत को खोलकर उसे भोसड़ा बना दूंगा ।

यह सुनकर सोमनाथ बोला- तुम्हारे दिमाग की भी दाद देनी पड़ेगी समधी जी।

इतना सुनकर उपासना और पूजा की धड़कन तेज हो गई वह आने वाले वक्त के बारे में सोचने लगीं और उत्तेजित होने लगी ।

जल्दी से वह दोनों अपने कमरे में आकर बैठ गई और सोमनाथ का इंतजार करने लगी ।


सोमनाथ को पता नहीं था कि वह दोनों उनका प्लान सुन चुकी है ।

सोमनाथ 10 मिनट बाद पूजा और उपासना के कमरे में गया तो यह देख कर उपासना और पूजा एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा पड़ी। लेकिन यह सब सोमनाथ की समझ में कुछ नहीं आया।

सोमनाथ में अपने प्लान के मुताबिक कहा- कि समधी जी का टीवी तो चल नहीं रहा है और मेरा मन आज टीवी देखने का था।

उपासना बोली - हां हां पापा जी क्यों नहीं आप हमारे पास टीवी देख लीजिए।

सोमनाथ सोफे पर बैठ गया तभी सोमनाथ ने कहा - उपासना धर्मवीर जी दूध मंगा रहे हैं उनको दूध देकर आओ।

उपासना किचन की तरफ जाने लगी लेकिन तभी पूजा ने उसे रोका- दीदी आप पापा जी से बात कीजिए उनको दूध मैं देकर आती हूँ ।

उपासना मुस्कुरा पड़ी और बदले में पूजा ने भी मुस्कान के साथ उसका साथ दिया ।

उधर सोमनाथ की हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि जब उपासना और पूजा चहलकदमी कर रही थी तो पेटीकोट में फंसी उनकी गांड इस तरह हिल रही थी जिसे देखकर सोमनाथ का कलेजा मुंह को आ गया ।

उधर पूजा दूध लेकर धर्मवीर के कमरे की तरफ चली गई ।

उपासना आकर सोमनाथ से पूछने लगी - पापा जी आपके लिए भी दूध कर दूं क्या ।

सोमनाथ बोला- नहीं बेटी अभी नहीं , अभी तो मुझे टीवी देखना है अपनी बेटी से ढेर सारी बातें करनी है फिर दूध पीना है ।

यह सुनकर उपासना बड़ी ही एक्टिंग के साथ बोली - ओके डैडी एस यू विश विश ।

उपासना ने पूछा - पापा जी यदि आप कहें तो आपका बिस्तर भी यहीं पर लगा दूं , आप भी यही सो जाना।

सोमनाथ बोला बेटी एक ही बेड है रूम में तो।

उपासना बोली- तो क्या हुआ पापा जी आप इसी पर सो जाना मैं दूसरी साइड सो जाऊंगी ।

तब सोमनाथ धीरे से बोला - यह बेड तो तुम्हारा ही वजन मुश्किल से संभाल पाता होगा ।
(यह वाक्य धीरे से बोला गया था लेकिन इतना भी धीरे नहीं था की उपासना सुन ना सके, उपासना ने सुन लिया और एक साथ हैरानी से आंखे फैलाकर बोली ।

उपासना- पापा जी आपको मैं इतनी भारी लगती हूं क्या?
अंदर तो आप बड़ी तारीफ कर रहे थे कि मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।
यहां पर आप मेरी बुराई कर रहे हैं ।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी बुराई कहां की मैंने , यदि तुमने सुन ही लिया है तो मैं तो यही कह रहा था कि यह बेड तो तुम्हारे वजह से ही टूटने को हो जाता होगा।

उपासना - आपको मैं इतनी मोटी लगती हूं क्या ?

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी मैंने कब कहा तुम मोटी हो लेकिन तुम भारी हो ।

उपासना ने बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से कहा- फिर तो पापा जी आप भी टूट जाने चाहिए थे लेकिन आपने तो मुझे शाम गोद में उठा लिया था । आप क्यों नहीं टूटे?


सोमनाथ के पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए उसके मुंह से उत्तेजना में निकल गया - तुम जैसी को सिर्फ हम ही संभाल सकते हैं ।


यह सुनकर उपासना की नजरें शर्म से जमीन में गढ़ गयीं लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली - तुम जैसी का क्या मतलब है पापा जी, और इसका क्या मतलब है की हम ही संभाल सकते हैं केवल । क्यों और कोई नहीं संभाल सकता क्या ?


सोमनाथ यह सुनकर सपकपा गया क्योंकि दो बार उपासना उसकी टांगों के नीचे आकर निकल चुकी थी अबबयह मौका जाने नहीं देना चाहता था वह कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहता था ।
लेकिन सोमनाथ यह भी जानता था की उपासना के अंदर जो आग भरी हुई है अगर उसे एक बार भड़का दिया जाए तो उसका लंड उसकी चूत में गोते लगाने से कोई नहीं रोक सकता ।
और उसे यही काम करना था उसे उसके अंदर भरी हुई आग को भड़काना था ,

सोमनाथ- उपासना मेरे कहने का मतलब था कि तुम्हें संभालने के लिए किसी हल्के मोटे इंसान की बस की बात नहीं है तुम ।
जैसी का मतलब है कि बेटी तुम भारी-भरकम हो और तुम्हें संभालने के लिए किसी भारी भरकम आदमी की ही जरूरत पड़ेगी अगर मैं आदमी ना कहकर सांड कहूं तो ज्यादा अच्छा होगा ।

यह सुनकर उपासना और ज्यादा शर्माकर बोली - पापा जी इतनी भी भारी नहीं हूं मैं ।

सोमनाथ बोला - मैं कैसे मानूं , देखने में तो तुम कितनी ____ ।
ऐसा कहकर सोमनाथ चुप हो गया ।

उपासना बोली - कितनी ______ आगे बोलिए ।

सोमनाथ - रहने दो बेटी मुझे शर्म आती है।

उपासना - पापा जी बेटी से क्या शर्माना बोलिए ना कितनी_______ ।

सोमनाथ - मेरे कहने का मतलब था सभी औरतों से तुम कितनी ज्यादा चौड़ी हो ।

यह सुनकर उपासना होंठ अपने दांतो से काटते हुए बोली - कहां से चौड़ी हो पापा जी मैं।

सोमनाथ बोला - बेटी कमर को छोड़कर सब जगह से चौड़ी गई हो ।


यह सुनकर उपासना शर्मा गयी लेकिन अनजान बनते हुए सोमनाथ से खुलते हुए बोली - मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा पापा जी। बताइए ना कहां से चौड़ी हो गई है आपकी बेटी ।
उपासना ने यह कहते हुए आपकी बेटी पर ज्यादा जोर लगाया था।


जब सोमनाथ नहीं देखा की उपासना खुलने लगी है तो उसने कहा - बेटी तुम्हारी जांघे हैं पहले से काफी मोटी हो गई है ।

उपासना बोली- और पापा जी ।

सोमनाथ बोला- और तुम्हारी छातियां भी भारी हो गई हैं।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली- और कहां से चौड़ी हो गई हूँ मैं पापा जी।


सोमनाथ उपासना को तरसाने की सोच रहा था इसलिए उसने कहा - और कहीं से नहीं बेटी।

उपासना यह सुनकर सोमनाथ की तरफ पीठ करके खड़े हो गई उसकी कसी हुई गांड सोमनाथ के सामने थी फिर उपासना ने पूछा - और पापा जी कहां से चौड़ी हो गयी हूं।

लेकिन सोमनाथ में फिर भी वही कहा- और कहीं से नहीं बेटी।


इस पर उपासना को अपनी आशाओं पर पानी पीता हुआ दिखाई देने लगा तो उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ निकालते हुए बहुत ही कामुक आवाज में पूछा- ध्यान से देखिए ना पापा जी आपकी बेटी और कहीं से भी जरूर चौड़ी हो गयी होगी ।

सोमनाथ को अब लगने लगा था कि उसकी उपासना बेटी की आग भड़कने लगी है ,वह खुलने लगी है और धीरे-धीरे बेशर्म भी पड़ने लगी है ।

और उसने उसे इस बात का फायदा उठाते हुए कहां - हां बेटी तुम्हारे नितंब दिख रहे हैं इन्होंने तो चौड़ाई की हद ही पार कर दी हैं देखो तो बिल्कुल फैल गए हैं ।

उपासना ने जब यह सुना तो उसके जेहन में एक तेज लहर दौड़ गयी , उसका सीना जोरो से धड़कने लगा । वह समझ गई थी अब रेल पटरी पर है।

अपना अगला वार करते हुए बोली - पापा जी कूल्हे तो सभी औरतों के चौड़े ही होते हैं ।

सोमनाथ बोला- हां बेटी औरत के नितंब उम्र के हिसाब से चौड़े होते हैं लेकिन तुम्हारे कूल्हे है तुम्हारी उम्र के हिसाब से बहुत ज्यादा मोटे और चौड़े हैं। और सबसे खास बात कि तुम्हारे कूल्हे बिल्कुल कसे हुए हुए हैं ।


उपासना शरमाते हुए बोली हुए - पापा जी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी के नितंबों को घूरते हुए ।

यह सुनकर सोमनाथ सपकपा गया और बोला- नहीं बेटे मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा था ।

उपासना बोलो चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं सो रही हूं ।

उपासना ने टीवी चला दिया।


सोमनाथ समझ गया की उपासना शर्मआ रही है अभी। अभी उसे बेशर्म बनाना पड़ेगा इसलिए वह सोने का नाटक करने जा रही है।


उपासना टीवी की तरफ पीठ करके करवट लेकर लेटी थी और सोमनाथ सोफे पर बैठ कर ही टीवी देख रहा था ।

आधा घंटा हो चुका था सोमनाथ को टीवी देखते देखते हैं लेकिन उसका ध्यान टीवी पर कम उपासना की गांड पर ज्यादा था ।
मन ही मन कह रहा था आज इस गांड को गोदाम ना बना दिया तो मेरा नाम भी सोमनाथ नहीं, इस कमरे में तुम्हारी चीखें नहीं गूंजी तुम मेरा नाम सोमनाथ ।

उधर उपासना बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि अब कुछ होगा अब कुछ कुछ होगा ।
तभी उसके कान के बिल्कुल पास तेज चुटकी बजी उसका दिल एकदम से धक्क कर गया , दरअसल यह तेज चुटकी सोमनाथ ने चेक करने के लिए बजाई थी की उपासना जाग तो नहीं ।

उपासना सोने का नाटक करते हुए जरा भी नहीं मिली और चुपचाप ऐसे ही लेटे रही फिर सोमनाथ ने टीवी को बंद किया, गेट को लॉक किया और कमरे की लाइट ऑन करदी ।


उपासना की धड़कन तेज हो गई फिर सोमनाथ घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।
अब उपासना के चेहरे के बिल्कुल सामने खड़ा था सोमनाथ ।
उपासना को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी सोमनाथ ने अपनी शर्ट के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।
अपनी शर्ट और बनियान को उतार कर उसने सोफे पर फेंक दिया ।

अब तो उपासना का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर सोमनाथ ने अपनी पेंट का हुक खोला और पेंट को उतार कर कर फेंक दिया।
अब सोमनाथ उसके सामने केवल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर उपासना यह नजारा देख रही थी तभी सोमनाथ ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर उपासना की आंखें फैलने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कुल मीच ली जिससे सोमनाथ को लगे उपासना सो रही है।

उपासना ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।
वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा उपासना को उत्तेजित कर रहा था।

फिर सोमनाथ ने घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब उपासना को सोमनाथ दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि दोस्तों सोमनाथ बेड पर लेट चुका था ।


5 मिनट हो चुके थे दोनों तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तभी उपासना के कान के पास फिर एक तेज चुटकी बजी उपासना फिर चुपचाप लेटी रही और गहरी नींद का नाटक करती रही।

फिर उपासना को को पीछे से कोई साया अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । उपासना के तन बदन में एक झुर्झुरी सी महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे सोमनाथ का हाथ आगे अपने पेट पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी लेकिन वह अपनी सांसो पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी वो यह नहीं जताना चाहती थी कि वह जाग रही है।
वह तो सोने का नाटक कर रही थी सोमनाथ ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर दिया ।
उपासना का पिछवाड़ा अब सोमनाथ से बिल्कुल सटा हुआ था
तभी सोमनाथ ने अपना हाथ धीरे से उपासना के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।
सोमनाथ ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।
सोमनाथ आराम आराम से उपासना की चुचियों को सहलाने लगा।
फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और उपासना के कूल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फैला कर कर इस तरह से उपासना के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब उपासना भी भी गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।
उपासना के पीछे से हट गया अब सोमनाथ ।


उपासना के मन में एक साथ कई सारे सवाल उठे कि उसका नंगा बाप उसके बदन से अभी तक चिपका हुआ था और अचानक हट गया।

तभी जो हुआ उसने उपासना को मदहोश कर दिया क्योंकि तभी उसे अपनी गांड पर अपने बाप की गरम गरम सांसे महसूस हुईं हालांकि उसने पेटीकोट पहना हुआ था लेकिन सोमनाथ की तेज सांसें उसे महसूस हो गई।

उसे महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उसके पिछवाड़े में जांघों के बीच कोई अपना मुंह घुसा राह है । उपासना को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसके पिछवाड़े से उसका बाप खेल रहा हो अपने गालों से उसके कूल्हों को सहला रहा हो अपनी नाक को उसके चूतड़ों के बीच में रखकर जैसे कोई उसका नंगा बाप कुछ गहरी सांस लेकर सूंघ रहा हो।

सोमनाथ ने अब अपने दोनों हाथों से उपासना के चूतड़ों को फैलाया लेकिन पेटीकोट की वजह से ज्यादा नहीं फैला सका और अपने मुंह को गांड की दरार में घुसाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगा।
उसकी चूत की भीनी भीनी खुशबू लेने के बाद सोमनाथ ने उपासना का कंधा पकड़ कर हल्का सा दबाव देकर उसे सीधा लिटाने की कोशिश करने लगा।

उधर उपासना समझ गई और उसने कोई विरोध नहीं किया अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और सीधी लेट गई । उसने अपनी आंखें मींचे रखी थी

अपनी बेटी की जवानी को इस तरह एक पेटीकोट ब्लाउज में फंसी हुई देखकर सोमनाथ का लंड करंट पकड़ने लगा ।
उपासना के चूचे उस ब्लाउज से आजाद होने की गुहार लगा रहे थे ।

तभी उपासना ने देखा की उसका बाप बेड से उतर गया है ।
वह समझ नहीं पाई कि सोमनाथ क्यों उतरा है ।
लेकिन उसने तभी अपनी आंखें कॉल कर देखा तो सोमनाथ कुछ ढूंढ रहा था।
तभी उसे बेड की तरफ आता हुआ दिखाई दिया और उसके हाथ में कैंची थी ।

उपासना समझ गई और उसकी धड़कनें तेज हो गई ।

उपासना बेड पर सीधी पड़ी हुई थी सोमनाथ ने उसकी चुचियों के बीच में कैंची रखी और उसके ब्लाउज को काट दिया ।
ब्लाउज के कटते ही उसके मोटे मोटे चूचे जिनकी निप्पल अब तक खड़ी हो चुकी थी, खुलकर सामने आ गए ।

अपनी बेटी की मोटी मोटी छातियों को देखकर सोमनाथ का लंड अब अपनी औकात में आना शुरू हो गया ।

फिर सोमनाथ ने उसके पेटीकोट को बीच में से काटना स्टार्ट किया और उसके पूरे पेटीकोट को काटकर जैसे ही दोनों पल्लों को अलग अलग खोलकर फैलाया तो उसकी बेटी की नंगी जवानी उसकी आंखों के सामने थी।

उसका कलेजा मुंह को आ गया आंखें फैल गई क्योंकि उपासना चीज ही कुछ ऐसी थी ।
उपासना की चूत तो उसे दिखाई नहीं दी क्योंकि उसकी चूत पर झांटे नहीं पूरा जंगल था। काली काली झांटों में ढकी, उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच उसकी जवानी में चार चांद लगा रही थी उसकी चूत।

सोमनाथ ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चूत की तरफ ले जाना शुरू किया तो उसकी चूत से उसे मादक खुशबू आई और उपासना को भी अपनी झांटों भरी चूत पर गर्म गर्म सांसे महसूस हुई लेकिन तभी अचानक सोमनाथ का फोन पर वाइब्रेशन शुरू हो गया।
सोमनाथ ने देखा कि उसके फोन पर धर्मवीर का कॉल आ रहा है।


सोमनाथ फोन उठाते हुए बोला- कैसे फोन किया समधी जी।

दूसरी तरफ से धर्मवीर कुछ बोला ___________ जो कि उपासना को सुनाई नहीं दे रहा था ।

फिर सोमनाथ ने रिप्लाई किया - पूजा नखरे कर रही है यह उसकी आदत है जब वह खुल जाएगी तो बेशर्मी पर उतर आएगी ।

यह सुनकर उपासना समझ गई कि धर्मवीर के रूम में पूजा नखरे कर रही है और धर्मवीर भी उसे चोदने की कोशिश कर रहा है और एक मैं हूं कि बिल्कुल भी नखरे नहीं कर रही हूं फिर भी अभी तक लंड नसीब नहीं हुआ।

तभी सोमनाथ ने फोन पर कहा - हां समधी जी जैसा आपने बताया था उपासना का जिस्म बिल्कुल वैसा ही है।

धरवीर- ____________।

सोमनाथ - नहीं मैंने नंगी कर दिया है मेरे सामने बेड पर नंगी पड़ी है ।

धर्मवीर_____________।


सोमनाथ - आज तो उसकी चूत को पी जाऊंगा मैं। इस घोड़ी को चुदाई का असली रूप दिखा दूंगा आप चिंता ना करें।

धर्मवीर - ____________ ।

सोमनाथ - नहीं अभी तो नींद में है लेकिन कुत्तिया की जब नींद खुलेगी तब तक इस की चूत में लंड जा चुका होगा ।

धर्मवीर __________

सोमनाथ - क्या समधी जी 10:00 बजे तक चोदना है क्या पूजा को ओके। कोई बात नहीं उपासना की चूत को भी मैं सुबह 10:00 बजे तक ही बजाऊंगा ।

ऐसा कहकर सोमनाथ ने फोन रख दिया ।

उपासना को यकीन नहीं हो रहा था कितनी बेशर्मी भरी बातें उसका बाप अपनी बेटियों के बारे में कर रहा है। अपने बाप और ससुर के बीच हुई इस वार्तालाप का गहरा असर उसकी वासना पर हुआ ।

सोमनाथ ने झुक कर उपासना के पैरों को चूमना शुरू किया।
उपासना का दिल धक-धक करने लगा अब तो वह अपने बाप के आगे बिल्कुल नंगी पड़ी थी और। उसके पैरों को उसका बाप चाट रहा था।
फिर चाटते चाटते सोमनाथ घुटनों तक आया और दोनों हाथों से उसके बूब्स को आराम से सहलाता हुआ उसकी जांघों को चाटने लगा ।

उसकी जांघों पर चुम्मा की बरसात करते हुए अब उसकी सांसे उपासना की चूत से टकराने लगी ।
सोमनाथ ने उपासना की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह लगाया।
जैसे ही सोमनाथ की नाक पूजा की चूत से टच हुई पूजा के मुंह से सिसकारी निकलते निकलते बची ।

उधर सोमनाथ को भी अपनी नाक पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ
सोमनाथ ने अपने हाथ की उंगली को उसकी चूत पर झांटों को हटाकर फेरना शुरू किया तो उसकी उंगली पर लसलसा सा पानी आ गया।

सोमनाथ का माथा ठनका।
सोमनाथ ने मन ही मन कहा यह क्या? मतलब उपासना जाग रही है, मतलब उपासना गर्म हो रही है , मतलब उपासना की चूत पानी छोड़ रही है।
और ऐसा सोचते हुए कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर फैल गयी फिर सोमनाथ ने इस बात का फायदा उठाते हुए उसकी चूत को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू किया।
यह सब उपासना के लिए बर्दाश्त से बाहर था लेकिन फिर भी वह अपनी आंखें मींचकर लेटी रही ।
उपासना की मोटी मोटी जांघो में सोमनाथ का चेहरा बहुत ही छोटा सा दिख रहा था । उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच फूली हुई झांटों से ढकी हुई चूत पर मुह लगाना सोमनाथ को जन्नत की सैर करा रहा था।

उसकी चूत के बालों को हटाकर व उसके चूत के दाने को चूसने लगा ।

चूत के दाने पर हुआ यह हमला उपासना के लिए कम नहीं था उसके हाथों ने बेडशीट को मुट्ठी में भर लिया और वह नियंत्रण में रहने की कोशिश करने लगी।
उपासना की चूत को चाटते हुए जब सोमनाथ को 10 मिनट हो गए ।
जब जी भर के चूत को चाट लिया तब अपना मुह हटाया ।
उपासना की चूत के पानी से सना हुआ अपना चेहरा उसने उपासना की जांघो से पोंछकर साफ किया और बेड पर खड़ा हो गया ।

फिर धीरे से सोमनाथ उपासना के चेहरे की तरफ अपना चेहरा लाया और उसके कान के पास अपने होठों को रखकर बहुत ही धीरे से बोलने लगा उपासना के कान में बोल रहा था कि आज तो इस बैड पर मेरे लंड पर नाचेगी तू ।

उपासना की हालत आप समझ सकते हो दोस्तो जो सब सुनते हुए भी नींद का नाटक करते हुए अनसुना कर रही थी ।


सोमनाथ में फिर बोलना शुरू किया तेरी चूत का आज वह बढ़ता बनाऊंगा बनाऊंगा कि इस चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम हो जाएगी फिर तुझे हर वक्त लौड़ा ही दिखेगा ही दिखेगा ही दिखेगा उपासना के शर्म से चेहरा लाल पड़ गया लेकिन उसने अपनी आंखें फिर भी बंद ही रखना उचित समझा।

सोमनाथ ने फिर बोलना शुरू किया- आज देखता हूं कितनी गर्मी है तुझ में।
पूरा दिन अपनी गांड को मेरे आंखों के आगे मटकाकर घूमती है ना तू । आज निकालता हूं तेरी गांड की मस्ती। तुझे देख कर ही मेरा लंड ही मेरा लंड अपना सर उठाने लगता है और आज तेरी चूत ने भी मेरे लंड की भी मेरे लंड की सुन ही ली ।
आज तो इस भोसड़े को बड़े इत्मीनान से फाड़कर तेरे अंदर अपना बीज डालूंगा।
आज तेरी वह हालत करूंगा कि तुझे देख कर कर एक रंडी भी शर्मा जाएगी और वैसे मैं जानता हूं ,मैं उसी दिन समझ गया था जिस दिन तू धर्मवीर के लोड़े पर उछल उछल रही थी कि तू कितनी कितनी चुदक्कड़ कुतिया है ।
अपना ये कुतियापना दिखाना आज ।
रात भर मैं तेरी चूत चूत कूटने वाला हूं उपासना । आज पूरी रात मैं तेरे ऊपर चढ़ा रहूंगा और तू अपने बाप को अपनी टांगे फैला कर अपने ऊपर चढ़ाएगी । तेरी तो चूत में लौड़ा घुसा चूत में लौड़ा घुसा कर फिर तेरी गांड में अपनी उंगली घुसाउंगा ।
तुझे ऐसा चोदूंगा एक दम एक्सपर्ट रंडी बन जाएगी और रंडी तो तू है ही साली , बहन की लौड़ी, छिनाल कुतिया ।

उपासना यह सब सुनकर सहम गई । लेकिन उसे इसमे कुछ आनंद का अनुभव भी हो रहा था । तभी सोमनाथ हट गया वहाँ से ।

उपासना को समझ नहीं आया उसका बाप क्यों हट गया।
उसने हल्की सी आंखें खोली और देखा जैसे ही दोस्तों उपासना ने हल्की सी आंखें खोली तभी अचानक से उसने अपनी आंखें वापस बैंड कर ली ।
क्योंकि उसने नजारा ही कुछ ऐसा देखा था उसने देखा था कि उसका बाप बेड पर खड़ा होकर उसके दोनों तरफ पैर रखकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ बैठ रहा है और उसका काला लटकता हुआ लंड धीरे-धीरे उपासना को अपने चेहरे की तरफ आता हुआ दिखाई दिया था ।
जिस वजह से उसने तुरंत आंखें वापस बंद कर ली थी और वह समझ गई सोमनाथ का लंड अब उसके मुंह पर आएगा।

इसलिए उसके होंठ धीरे-धीरे कांपने लगे उन थरथराते हुए होठों को देखकर अचानक सोमनाथ रुक गया, और उसके सीने पर झुक कर उसके होंठो को ध्यान से देखने लगा।
अपनी शादीशुदा बेटी के लाल लिपस्टिक से रचे होंठ धीरे-धीरे कांप रहे थे । उपासना के होंठ सोमनाथ को बहुत ही प्यारे लगे लेकिन उन होठों को चूसने से पहले उन होंठो पर अपना लंड रखना चाहता था सोमनाथ इसलिए उसने अपने लंड को उपासना की चीन पर रखा।

उपासना अपने आप को नियंत्रण में रखने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
फिर अचानक अपने बाप के लंबे लौड़े की गंध उपासना को अपने नथुनों में महसूस हुई वह मदहोश हो गई उस लैंड की गंद लेकर।

तभी उपासना के होठों पर सोमनाथ ने अपने लंड का सूपाड़ा रख दिया।
सोमनाथ का लंड पूरी औकात में खड़ा था उसकी बेटी के होंठ लंड के नीचे दब गए ।
सोमनाथ में अपना लंड थोड़ा दबाया और लंड का सुपाड़ा होंठो के बीचो बीच जगह बनाने लगा ।

उपासना समझ गई कि बिना मुंह में लंड डाले उसका बाप नहीं मानेगा।
और सोने का नाटक वह करे भी तो कब तक लेकिन उसने सोचा जब तक चलता है इस नाटक को चलने दो।

इस तरह दबने से उसके होंठ धीरे-धीरे खुल गए अब तो उपासना के दोनों होंठ लंड के सुपाड़े पर चढ़ चुके थे।
सोमनाथ में हल्का सा दबाव दबाव और बनाया तो उपासना का मुंह चौड़ा होता चला गया क्योंकि सोमनाथ के लोड़े सुपाड़ा उपासना के मुंह में था।
यह बात सोमनाथ भी जानता था कि उपासना जगी हुई है लेकिन वह सोने का नाटक कर रही है इसलिए अब उसे कोई डर नहीं था ।

उसने अपना लंड पर और दबाव बनाया तो आधा लंड उपासना के मुंह में चला गया और आधे लंड से ही उसका मुंह पूरा भर गया था ।

अपने लंड को आधा ही उसके मुंह में अंदर-बाहर करने लगा और एक हाथ उपासना की चूत पर ले जाकर उसे सहलाने लगा।
सोमनाथ में देखा की उपासना की चूत का पानी जांघों से होते हुए उसके गांड के छेद तक गीला करता हुआ बेडशीट पर गिर रहा है ।

सोमनाथ समझ गया कि अब चोट करने का सही समय है ।
उसने लंड पर और दबाव बनाया और ध्यान से उपासना की चेहरे की तरफ देखने लगा ।

सोमनाथ लगातार उपासना के चेहरे की देख रहा था इसलिए उपासना आंखें तो नहीं खोल सकती थी ।
उपासना ने अपनी आंखें बंद किए हुए ही हल्की सी गों-गों की आवाज की जिससे सोमनाथ समझ गया की लंड हलक तक चला गया है लेकिन अभी भी आधे से थोड़ा कम लंड बाहर था।

सोमनाथ ने उपासना के गालों को सहलाया और आखिरकार लंड का एक झटका उसके मुंह में मार ही दिया।
पूरा लौड़ा उपासना के मुंह में चला गया लेकिन क्या कहने दोस्तों उपासना ने भी हद ही कर दी अपने बाप का लौड़ा हलक तक मुंह में लेकर भी बंदी सोने का नाटक कर रही थी ।
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे लेकिन आंखें कुतिया की तब भी बंद थी।
सोमनाथ ने 8-10 झटके उसके मुंह में मारे और उसके मुंह को चोद कर झटके से लंड बाहर कर दिया ।
उपासना के मुंह से थूक की लार लंड के साथ खींचती हुई चली गई।
अब सोमनाथ उपासना की दोनों जांघों के बीच आकर बैठा और उसकी जांघों को मोड़ कर उसकी छातियों से लगा दिया ।

क्या नजारा था दोस्तों चौड़ी चौड़ी गांड और मोटी मोटी जांघों के बीच खिला हुआ वह चूत का जंगल मानो पुकार रहा था सोमनाथ के हल्लाबी लौड़े को।
सोमनाथ में जांघो को मोड़ कर चुचों से लगाया और अपने लंड का टोपा उपासना की चूत पर रखा ।
उपासना तो इस हमले के लिए तैयार थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमला कितना घातक होगा।
उपासना ने सोचा था कि सोमनाथ धीरे-धीरे लौड़ा लौड़ा उसकी चूत में सरकायेगा लेकिन हद तो तब हो गई दोस्तों जब सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर लंड को एक ही झटके में आधे से ज्यादा लौड़ा उपासना की चूत में उतार दिया ।
चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में, गर्म भट्टी भट्टी में फंसा हुआ सोमनाथ का लंड और भी ज्यादा फूल गया।
और जैसे ही यह झटका उपासना की चूत पर पड़ा उपासना के मुंह से बहुत ही जोर से चीख निकली , जिससे पूरा कमरा गूंज गया । उसके मुंह से iiiiiiiiieeeeeeeeee mar gyi बहुत तेज चीख निकली थी दोस्तों जिसे सुनकर एक बार के लिए सोमनाथ भी घबरा गया ।

लेकिन वह जानता था इस घोड़ी को काबू इसी तरह किया जा सकता है।
उपासना अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलने लगी लेकिन यह क्या तभी सोमनाथ में दूसरा झटका उसकी चूत में पूरी जान लगा कर मारा अब तो पूरा लौड़ा उपासना की चूत में फंस गया ।
यह दर्द उपासना के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया उसने एक साथ चीख कर कहा कर कहा - बेटी की चूत को फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।

*********
आगे की कहानी next update में ।
दोस्तों कहीं कोई कमी लगे तो बताना ।
साथ बने रहने के लिए और आपके प्यार के लिए धन्यवाद मेरे चोदू भाइयो और चुदक्कड़ बहनों ।

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jordaar update hai bhai
 
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Nevil singh

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Update 24

लो दोस्तों आपका अपना रचित आगया तो बिना देर करते हुए आगे बढ़ते हैं।
**********


अपनी बेटी के मुंह से इतनी गंदी जुबान से यह शब्द सुनकर सोमनाथ को कानों पर विश्वास नहीं हुआ और उसके जोश की सीमा ना रही ।

फिर अपना चेहरा उपासना के कान के पास ले जाकर बोला - उपासना बेटी मैंने भी रंडियां तो बहुत देखी पर तेरे से नीचे नीचे ।

सोमनाथ ने जब यह कहा तो उसने सोचा था कि उपासना मेरे इन शब्दों से और ज्यादा गरम हो जाएगी, लेकिन दोस्तों हुआ उसका उल्टा ही ।


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जैसे ही सोमनाथ ने उसके कान में ऐसा कहा तो उपासना ने फिर से उसकी छाती में तुरंत एक जोरदार लात मारी। सोमनाथ बेड से नीचे जा गिरा।
उस भारी-भरकम घोड़ी की लात खा कर सोमनाथ की आज फिर से सदमे जैसी हालत हो गई थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था की उपासना ने आज क्यों लात मारी। आज तो वह खुद भी गरम हो रही थी। और शाम से ही चुदने के लिए तड़प रही थी।
लेकिन उसने आज फिर से मुझ में लात मारी जरूर उसे मैंने गुस्सा दिला दिया या कोई और बात है ।
सोमनाथ ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने बेड पर बैठी उपासना पर पड़ी। जो बेड पर अपने पैर नीचे लटका कर बैठी थी, और धीरे-धीरे कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुरा रही थी ।

मुस्कुराते हुए बोली - मुझे तू रंडी बोलता है जबकि सच तो यह है कि तु मुझे देखता ही रंडियों की तरह है, इन रंडियों वाली वाली नजर से किसी भी शरीफ औरत को देखेगा तो वह तुझे रंडी ही नजर आएगी , और इन्हीं रंडियों वाली नजर से तूने अपनी बेटी को देखा था और आज तूने अपनी जबान से उगल भी दिया मुझे रंडी कहकर । मुझे अफसोस है तुझे अपना बाप कहते हुए ।आखिर तू राजी ही कैसे हो गया अपनी बेटी के बारे में ऐसा सोचने के लिए ।

दोस्तों धर्मवीर का दिमाग एकदम सुन पड़ गया था उसे इन बातों का जवाब तो दूर उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि गलती मेरी है या उपासना की या हम दोनों की। आखिर माजरा क्या है इतना ज्यादा परेशान और शर्म से अपने बारे में सोचते हुए मुंह छुपा कर सोमनाथ बैठा हुआ था।
उसे आने वाले पलों का अहसास नहीं था कि आगे क्या होने वाला है तभी उसके कानों में फिर से उपासना की आवाज पड़ी ।

उपासना - अपनी गर्दन नीचे झुकाकर क्यों बैठा है कुत्ते । तुझे अपनी बेटी को चोदना था ना ,
यही ख्वाहिश थी ना तेरी कि तेरी बेटी तुझ से चुदवाये,
यही चाहता था ना कि तेरी बेटी तेरी टांगों के नीचे आ जाये,
सिसकारियां लेकर बोली उपासना
बोल जो मैं पूछ रही हूं यही चाहता ना तू कि तेरी बेटी नंगी तेरे लोड़े के नीचे आ जाए और तू अपनी बेटी की चूत में अपना लंड भर सके ।

यह सुनकर सोमनाथ थोड़ा गर्म होने लगा । अपनी बेटी से खुलेआम इस तरीके से पेश आने की उसकी उम्मीद थी। लेकिन फिर भी उपासना सब कुछ खुलेआम उसके सामने कह रही है तो इसे मैं एक न्योता समझूं या गुस्सा।
अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा था सोमनाथ ।

उपासना ने फिर से बोलना शुरू किया- अभी शाम को इतनी बातें बना रहा था अब तेरी मुंह में जबान नहीं रही क्या ,
तू यही तो चाहता था कि मैं थोड़ा खुल सकूं मैं थोड़ा खुल कर तुझ से बात कर सकूं, तो कर तो रही हूं अब देखना बिल्कुल खुल कर बात कर रही हूँ।
तेरे मुंह पर टेप किसने लगा दी जो तू बोलता नहीं , मैं तो तेरी उम्मीदों से दो कदम आगे निकली हूं अब तू क्यों चुप है। तुझे क्यों सांप सूंघ गया है मैंने तो कोई कसर नहीं छोड़ी तेरी उम्मीदों पर खरी उतरने में।
देख ले तू चाहता था कि मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊं तो तूने आज मुझे कर दिया नंगी, मैं इस बेड पर मादरजात नंगी बैठी हूं
तू चाहता था कि मैं तुझे प्यार करूं सॉरी मैं गलत बोल गई तू तो यह चाहता ही नहीं था कि मैं तुझे प्यार करूं बल्कि तू यह चाहता था कि मैं तुझ से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा लूं , तो ले बैठी तो हूं बेड पर अपनी चूत खोले।
तू चाहता था कि मैं तेरा लोड़ा अपने मुंह में लूं तो देख बैठी तो है तेरी बेटी तेरा लंड मुंह में लेने के लिए ।
तू चाहता था कि मैं तेरे नीचे आकर चुदूं अपनी गांड उठा उठा कर तो चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं ।अपनी गांड उठा उठा कर ही चुदूंगी तुझसे ।


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तू चाहता था कि मैं तेरे लंड से निकला वीर्य अपनी चूत में भर लूं तो चल वो भी भर लूंगी।
तू चाहता था कि तू अपना मुंह मेरी गांड में घुसा कर मेरी गांड से खेले चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं।
और सबसे लास्ट में यह कहूंगी कि तू चाहता था कि तू मुझे रंडी की तरह रगड़ दे ,तू मुझे अपनी कुतिया बनाकर चोदे तो मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूँ............................................. क्योंकि तुझे भी तेरे किए की सजा मिलनी चाहिए । तुझे भी पता चलना चाहिए कि जब एक औरत अपनी पर आती है तो मर्द को कुत्ता बना देती है , और आज मैं तुझे अपना कुत्ता बनाऊंगी और तू किसी कुत्ते की तरह अपनी मालकिन की सेवा करेगा ।
तुझे आज मैं दिखाऊंगी कि जब औरत अपनी पर आती है तो वह किसी की रंडी और रखैल नहीं बनती बल्कि अपने बाप को भी गुलाम बनाकर उसकी मालकिन बन जाती है ।

चल बहन के लोड़े खड़ा हो और इधर आ मेरे पैरों में यह सुनकर सोमनाथ के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

उसे उम्मीद ही नहीं थी ऐसा भी कुछ हो सकता है।
उसे उम्मीद नहीं थी उसकी बेटी ही उसकी आंखें खोल देगी ।
लेकिन जहां अब वह खड़ा था वहां से लौटना मुश्किल था।
उसने उपासना के इस रूप की उम्मीद तो दूर सोच तक भी नहीं की थी ।
अब तो सोमनाथ चुपचाप खड़ा हुआ और गर्दन झुका कर उपासना के सामने जाकर खड़ा हो गया ।

उपासना की आवाज कमरे में गूंजी - नीचे बैठ भोसड़ी के ।

सोमनाथ चुपचाप नीचे बैठ गया उपासना ने अपना पैर उसके मुंह के सामने कर दिया । सोमनाथ ने देखा की पैरों पर मेहंदी लगी हुई थी और बिल्कुल चिकने गोरे पैरों पर लाल मेहंदी ऐसे शोभा दे रही थी जैसे वृक्षों पर फल।
उपासना के पैरों में से निकलती हुई भीनी भीनी परफ्यूम की खुशबू सोमनाथ के नथुनों में भर रही थी ।

(( दोस्तों अब आप यह सोच रहे होगे कि यह राइटर तो भाई पैरों में भी परफ्यूम की खुशबू लिख देता है । तो दोस्तों यह सब मैं बस लिखता ही जा रहा हूं उसी तरह आप बिना सोचे पढ़ते जाओ ))

सोमनाथ उपासना के पैरों को देख ही रहा था अपने ख्यालों में डूबा हुआ कि तभी उसके कानों में उपासना की आवाज पड़ी जिसमें रौब और गुरूर दोनों थे ।

उपासना- तेरे जैसा गांडू मैंने भी आज तक नहीं देखा अगर मैं यह बोलूं तो तुझे कैसा लगेगा जलील लगेगा ना तुझे ।जलालत फील करेगा ना तू तो अपनी बेटी के कानों में जब तूने यह बोला कि सारी रंडियां तेरे से नीचे नीचे है तो सोच मुझे कैसा फील हुआ होगा । जलालत फील हुई होगी ना मुझे। लगा होगा ना बुरा। अब मैं तुझे बताती हूं की जलालत कैसे फील होती है।
असली जलालत मैं तुझे फील कराउंगी। तुझे पता चलेगा एक औरत का बदला ।

सोमनाथ को फिर से झटका लगा आज तो उसे झटके ही झटके लगते जा रहे थे और अपने मन में सोमनाथ सोचने लगा - उधर धर्मवीर साला मस्ती से पूजा की चूत को कूट रहा होगा और मेरी यहां मा चुदी पड़ी है, यहां मेरी गांड फाड़ के रख दी उपासना ने । यह सोमनाथ सोच रहा था की उपासना की आवाज से वह ख्यालों से बाहर आया।

उपासना - ओ गंडवे क्या सोच रहा है दिखता नहीं है मालकिन सामने बैठी है। चल मेरे पैरों को साफ कर आज गंदे गंदे से लग रहे हैं ।

सोमनाथ ने अपनी जीभ उपासना के पैरों पर फेरी और उसके पैरों को चाट कर साफ कर दिया।

फिर उपासना बेड से उतरी और गेट के पास जाकर खड़ी हो गई ।
उपासना जब खड़ी थी तब उसकी पीठ सोमनाथ की तरफ थी
जिससे कि उसके मोटे मोटे कूल्हे बिल्कुल नंगे सोमनाथ की तरफ थे ।
ऊपर से उसका शरीर बिल्कुल ऐसा लगता था जैसे लोड़े की भूखी कोई प्यासी औरत खड़ी हो ।।

उपासना ने कहा - भोंसड़ी के आंखें फाड़ फाड़ के क्या देख रहा है आकर मेरी गांड चाट दे थोड़ी सी ।

यह सुनकर सोमनाथ खड़ा होकर उपासना के पास आने लगा कि तभी एक रौबदार आवाज मैं उपासना ने गरज कर कहा - तू कुत्ता है गांडू है और तेरे जैसे कुत्ते और गांडू मेरे जैसी संस्कारी बेटी के पास खड़े होकर आएंगे क्या।
इतनी हिम्मत कैसे आ गई तुझ में , अपनी औकात में आ नीचे फर्श पर कुत्ता बनकर ।

अब तो दोस्तों सोमनाथ के लोड़े लग गए थे अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां मैं चूत का इंतजाम समझ कर चूत बजाने के लिए आया था लेकिन यहां तो मेरी ही गांड उल्टी फट रही है । मैंने सोचा था कि जब उसकी चूत में लौड़ा भरूंगा तो यह कुत्तिया ओह आह की तरह सिसकारियां भरेगी । लेकिन यहां तो मेरी सिसकारियां निकलने को तैयार हैं । भोसड़ी का इतना इंसल्ट अपना कभी नहीं हुआ । इससे तो अच्छा था मैं इस के चक्कर में आता ही नहीं पर मेरी भी क्या गलती मुझे तो धर्मवीर ने गुमराह किया था।
और जिसमें की यह साली मेरी बेटी उसकी बहू होकर उसके लोड़े पर नाची थी तो मैं क्या कोई भी गुमराह हो सकता है। मुझे क्या पता थी कि मेरे साथ ऐसा होगा। मैंने तो यही सोचा था कि मेरे भी लोड़े पर नाच लेगी पर यहां तो उल्टा हो रहा है ।

दोस्तों अब तक उपासना उसके पास आ चुकी थी और उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा मार कर बोली - रंडी के क्या सोच रहा है मैंने बोला था ना आकर मेरी गांड चाट दे। इतनी देर हो गई मुझे कहे हुए और तेरे कान पर अब तक जो जूं भी नहीं रेंगी । और ऐसा कहकर उपासना उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी।


सोमनाथ की आंखों के सामने उसके भारी-भारी चूतड़ ऐसे थे जैसे कह रहे हो कि हमें लोड़े की जरूरत है । हमारे चौड़े होने का राज सिर्फ और सिर्फ लंड है ।

सोमनाथ में अपना मुंह उपासना के कूल्हों की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच में सोमनाथ को अपना मुंह छोटा महसूस हो रहा था ।उपासना के फैले हुए चूतड़ उसके चेहरे को छुपाने के लिए बेताब थे।


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सोमनाथ ने अपनी जीभ निकालकर उपासना की गांड की दरार में रखी तो उधर उपासना की भी हालत खराब हो गई क्योंकि चुदने का तो मन आज वह बना चुकी थी ।
अपने बाप की जबान पहली बार अपनी चूत और गांड के इतना करीब महसूस करके उसकी हालत अब खराब होने लगी थी।

उधर सोमनाथ ने भी महसूस किया की उपासना की चूत से उसके मूत की मादक खुशबू उसके नथुनी में आ रही है ।
उसे नशा सा होने लगा उपासना के कौमार्य का।
उसे नशा सा होने लगा होने लगा अपनी जवान बेटी के भरे हुए जिस्म का।
उसे नशा सा होने लगा उपासना की लंड मांगती चूत का और इसी नशे में सोमनाथ ने उपासना के दोनों साइड में हाथ रखकर उपासना की गांड में अपना मुंह घुसा दिया और उसकी नाक उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत से जा टकराई। तभी उपासना ने अपनी गांड से ही सोमनाथ की मुंह पर धक्का मारा जिस से सोमनाथ फिर पीछे की तरफ गिर गया क्योंकि धक्का जोरदार था।

तभी उपासना की तेज आवाज कमरे में फिर से गूंजी अपनी औकात भूल गया क्या मेरे कुत्ते। मैंने तुझे गांड चाटने को बोला था अपने जिस्म से खेलने को नहीं । तूने कैसे हिम्मत कि अपने हाथों से मुझे छूने की।
सालों को गांड चाटनी भी नहीं आती चल दोबारा से आकर चाट ऐसा कहकर उपासना बेड पर चढ़ी और कुत्तिया बन गई और अपनी गांड उपासना ने सोमनाथ की तरफ की हुई थी ।


सोमनाथ के जोश की सीमा नहीं थी लेकिन सोमनाथ की गांड बराबर फट रही थी उसे पता नहीं होता था कि उसके साथ क्या होने वाला है।
उसे आज इतने झटके लगे थे कि अब उसने उसके दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था ।

अपने आप को कठपुतली सा महसूस करने लगा था सोमनाथ क्योंकि उसे समझ में नहीं आता था की उपासना कब और किस बात पर गुस्सा हो जाती है । उसने फिर से उपासना की तरफ देखा तो उपासना बेड पर कोहनी के बल झुकी हुई थी और उसके गांड पीछे को उभरकर बिल्कुल साफ दिख रही थी । उसकी भारी भारी जांघों के बीच हल्का सा अंधेरा सा दिख रहा था सोमनाथ को। जो कि दूर से देखने पर उसकी बेटी उपासना की चूत पर झांटें थी ।


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सोमनाथ धीरे-धीरे कुत्ते की तरह बैठ के पास आया और फिर बेड पर उपासना के पीछे बैठ गया ।

वह अपने आप को एक तरह से धन्य भी महसूस कर रहा था उसे यकीन नहीं था कि उसकी बेटी अपनी गांड को इस तरह खोलकर दिखाएगी ।

सोमनाथ ने उपासना को बिना छुए ही उसकी गांड से अपना मुंह लगा दिया और उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत ने उसकी नाक और होठों को गिला कर दिया ।
उपासना की चूत की खुशबू सोमनाथ को इतनी मादक लगी कि उसने जीभ की जगह अपनी नाक ही उपासना की चूत के छेद से रगड़ दी ।

उधर उपासना भी सिसकारी ले उठी अपने बाप की हरकत से । इतनी गरम तो वह धर्मवीर से चुदवाते वक्त भी नहीं हुई थी जितनी गर्म आज गई थी।
उसकी आंखों में उसे बस लंड ही दिख रहा था इतनी चुदासी हो गई थी उपासना ।

सोमनाथ ने इस तरह चूत को चाटने के बाद उसके चूतड़ों को चाटने लगा उपासना के नितंबों को अपने थूक से अब गीला करके जांघो की तरफ आया और उन मोटी मोटी जांघों को चाटने लगा ।


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तभी उपासना बेड पर सीधी बैठी तो उसकी चूचियां भी उछल रही थी ।
बैठकर उपासना बोली - चल रंडी की औलाद अपनी पैंट उतार ।

सोमनाथ ने बिना देर किए हुए अपनी पेंट निकाल दी नीचे उसने अंडरवियर नहीं पहना हुआ था । उसका खड़ा लोड़ा उछल कर बाहर आ गया।

उपासना ने जब उसका लंड देखा तो उपासना की आंखों में चमक आ गई क्योंकि उसने यह तो देखा था कि उसके बाप का लोड़ा धर्मवीर के लंड से लंबा है लेकिन इतना अंतर होगा और पास से देखने पर इतना प्यारा लगेगा यह उसने नहीं सोचा था ।

सोमनाथ लोड़े की चमक उपासना की आंखों में साफ देख सकता था लेकिन कुछ बोलने की हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि उपासना ने उसकी गांड फाड़ कर रखी थी आज।

उपासना ने पास आकर लंड पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोली अपनी बेटी को देख कर भी तेरा यह लंड खड़ा हो रहा है।
चल इसे अपने हाथों से मुट्ठ मार कर दिखा।

सोमनाथ ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगा।

इस नजारे ने उपासना को इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने जोश से अपनी आंखें कुछ सेकंड के लिए बंद कर ली और सोचने लगी - कि क्या लंड उसके बाप का और धन्यवाद कर रही थी भगवान का कि राकेश के बाद उसने इतने लंबे और मोटे लौड़ों का इंतजाम किया है मेरे लिए ।
आज तो मुझे महसूस हो रहा है कि मैं विधवा ही अच्छी हूं कम से कम मेरी जवानी को कूटने वाले लंड तो मिलेंगे ।
मुझे महसूस हो रहा है मेरे पति राकेश तुम्हारा तो लंड नहीं लुल्ली था मुझे तो विधवा होकर देखने को मिल रहे हैं लंड । हां मेरे पति राकेश आज तुम्हारी विधवा पत्नी असली लंड के सामने नंगी बैठी है क्योंकि तुम तो उसे लंड दे नहीं पाते थे तुम तो लुल्ली देते थे । लंड तो मैं आज लूंगी । लंड लंड लंड आज लूंगी मैं लंड । लंड अपने मुंह में , अपनी चूत में अपनी गांड में अपने सारे छेदों में मैं आज लंड लूंगी ।
अपने मन ही मन में लंड के लिए इतनी पागल होकर उपासना ने आंखें खोली तो उसके बाप का लोड़ा उसकी आंखों के सामने लहरा रहा था, जिसमें से पानी की कुछ बूंदें उसके सुपाड़े को गीला कर रही थी ।

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उपासना कल्पना कर रही थी कि यह लंड बिल्कुल सही है एक औरत को चोदने के लिए । ऐसे लंड से हर वह घोड़ी संतुष्ट हो सकती है जिसे लंड ही लंड दिखता हो । ऐसा लोड़ा तो अगर कोई रंडी भी ले ले तो उसकी भी चाल में फर्क डाल सकता है । शायद इसे ही हल्लबी लंड कहते हैं ।

अब उपासना सोमनाथ को उंगली का इशारा करते हुए अपने पास आने को बोली ।

उपासना की तरफ सोमनाथ आया और घुटने के बल खड़ा हो गया ।

उपासना ने अपना चेहरा नीचे की तरफ किया सोमनाथ के लंड का टमाटर के जैसा सुपाड़ा उपासना के चेहरे के पास आ गया ।

उपासना ने अपनी नाक और सुपाड़े के नजदीक कर दी जिससे कि सोमनाथ को अपने लंड पर उपासना की गर्म सांसे महसूस होने लगी ।

उपासना ने पूरे लंड को पहले अपनी नाक से सूंघा लंबी लंबी सांसे लेकर और फिर लंड से अपना चेहरा दूर खींच लिया ।


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सोमनाथ के लंड की बिल्कुल सीध में अपना मुंह करके उपासना ने हल्का सा मुंह खोल दिया और अपनी उंगली से सोमनाथ को आगे की तरफ बढ़ने का इशारा किया।

सोमनाथ के लिए यह बिल्कुल नया था उसकी बेटी जो आज उसे चुदाई की मालकिन नजर आ रही थी, चुदाई की देवी नजर आ रही थी ।।

सोमनाथ उपासना के मुंह की तरफ बेड पर बढ़ने लगा और आगे की तरफ बढ़ कर उसने होठों के पास लंड ले जाकर रोक दिया क्योंकि सोमनाथ को अब हर बात पर डर लगने लगा था।
सोमनाथ ने सोचा कि ऐसा ना हो मुंह में लंड डाला और कहीं उपासना फिर से नाराज हो गई तो।
इस वजह से उसकी फट भी रही थी जिस वजह से उसने लंड को मुंह के बिल्कुल पास लाकर रोक दिया ।

अब उपासना ने अपनी उंगली से फिर और पास आने का इशारा किया सोमनाथ का लंड अब उपासना के होंठो से छू गया था जिस वजह से सोमनाथ के जेहन में एक लहर सी दौड़ गई ।


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उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले कपड़े को सुंधा और फिर सोमनाथ से इसी पोजीशन में बोली- मेरे गांडू पापा , मेरे गुलाम , भड़वे, रंडी की औलाद तेरे लंड की खुशबू तेरी मालकिन को भा गई है। तेरी मालकिन तुझसे बहुत खुश है चल मैं तुझे खुश होकर एक वरदान देती हूं।
मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ को अभी भी डर ही लग रहा था उसने सोचा यह तो बिल्कुल देवी की तरह मेरे साथ व्यवहार कर रही है । मैं क्या मांगू इससे--- मैं इससे बोलता हूं कि तुम मुझे लात नहीं मारोगी । फिर उसने सोचा अरे नहीं नहीं मैं इस से वरदान मांगता हूं कि तुम मुझे किसी भी तरह का धक्का नहीं दोगी और मेरी बेइज्जती नहीं करोगी । लेकिन तभी अचानक सोमनाथ के सर ने एक झटका खाया और उसकी आंखों में चमक आ गई । उसने सोचा हां मैं यही मांगता हूं लेकिन पहले कंफर्म कर लूं कि पक्का मिलेगा या नहीं ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - मालकिन ऐसा तो नहीं कि जो मन में आए मैं मांगू और आप मना कर दो।

तभी उपासना बोली - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी क्योंकि तो गांडू है, तू दल्ला है , तू भड़वा है, तू एक नंबर का मादरचोद है क्योंकि तुझे मैंने अभी असली औरत की ताकत का एहसास कराया था और तू फिर भूल गया कि औरत क्या चीज होती है । जब औरत कहती है तो पीछे नहीं हटती इसलिए ज्यादा सोच मत और मांग तू क्या चाहता है कोई भी एक वरदान मांग ले।
अगर वह वरदान मेरी जान भी हुआ तो भी मैं आज तुझे अपनी जान देकर वह वरदान पूरा करूंगी । मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ- बोला तो ठीक है मालकिन अगर बुरा लगे तो माफ कर देना क्योंकि मैं आपका गुलाम हूं, अपने इस गुलाम को माफ कर देना अगर मैं कुछ गलत मांग बैठूं तो । या ऐसा वरदान मांग बैठूं जिसे आप पूरा ना कर सको तो इस गुलाम को माफ कर देना।
मैं मांगता हूं मेरा वरदान है कि - मैं कुछ भी करूं तुम उसमें मेरा साथ दोगी मैं जैसे चाहूं वैसे तुम्हें चोद सकूं
अगर मैं रंडी या अपनी कुतिया भी बनाना चाहूं तो बना सकूं ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले सुपाड़े को रगड़ते हुए शायराना अंदाज में कहा-
ठीक है दिया तुझे यह वरदान।
तथास्तु मेरे गुलाम ।

ऐसा कहकर उपासना अपना मुंह खोले हुए उसी झुकी हुई पोजीशन में उसके लंड के सामने ऐसे ही रही ।


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सोमनाथ ने कहा ठीक है मतलब तूने मुझे यह वरदान दिया है । तुमने की जगह तू का यूज़ किया सोमनाथ ने और ऐसा कहकर सोमनाथ ने उपासना की सर को पकड़कर उसकी खुले मुंह में अपना लंड घुसेड़ दिया ।

आधा लंड मुंह में जाते ही उपासना की आंखें बाहर आ गई ।
कमरे का माहौल बिल्कुल बदल गया सब कुछ सोमनाथ के लिए एक पल में बदल गया और उपासना के लिए भी ।

सोमनाथ मन ही मन मे सोचने लगा कि अब फसी है मेरी विधवा जवान बेटी ढंग से। अब तो तू कुतिया रंडी सब बनेगी । तेरी चूत का ऐसा बाजा बजाऊंगा की अपने बाप के लौड़े से चुदकर तू सुबह को चल भी नही पाएंगी । मेरी गदरायी बेटी सुबह तक तेरी चूत में इतना वीर्य भरूंगा तेरी गांड और चूत इस कदर फाडूंगा की तेरी चूत और इस मस्तानी गांड के छेद किसी रबड़ के छल्ले की तरह चौड़े हो जाएंगे ।

अब सोमनाथ ने उसके मुंह में आधा लंड घुसाकर उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए बोला - ले ले इसे अपने हलक में ।
जिस तरह तू अपनी चूत और गांड की मालकिन है । मैं भी लोड़े का मालिक हूं । अभी नीचे आकर छूट जाएगी तेरी मस्ती । तेरी सारी मस्ती झड़ जाएगी। जितनी मस्ती तेरी गांड में चढ़ी है सारी उतर जाएगी । वैसे भी तेरे जैसी घोड़ी को लंड ना मिले तो क्या जवाब देगी तू अपनी इस गदरायी जवानी को।
ऐसा कहकर सोमनाथ ने पूरा लंड उपासना के मुंह में घुस आने के लिए उसके सर को पकड़कर झटका मारा ।

उपासना की आंखें अब सोमनाथ की झांटों पर आ गई ।सोमनाथ के लंड की जड़ में उगे हुए बाल उपासना की बिल्कुल आंखों पर थे, मतलब लौड़ा उसके हलक तक पहुंच गया था और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी इसी तकलीफ के कारण उपासना के मुंह से केवल घोंघोंघोंघों की आवाज आ रही थी ।
सोमनाथ समझ गया कि मुंह में पूरा लंड ले गई मतलब प्यासी तो है कुतिया।
और गर्म भी है सही से ठोकने लायक माल है बिल्कुल मेरी बेटी ।

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ऐसा सोचकर सोमनाथ ने एक झटके से बाहर खींच लिया पूरा लंड
सेकंड के कुछ हिस्से में ही उपासना के मुंह से गोली की तरह बाहर हो गया उसके बाप का लौड़ा। उपासना का मुंह खुला का खुला रह गया जिसमें से उसकी थूक की लार नीचे लटक रही थी।
अब सोमनाथ ने उसके बालों को खींच कर बेड पर घुटने के बल खड़े करते हुए खुद उसके सामने खड़ा हो गया और और उसके खुले चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर ऊपर की तरफ मोड़ा और झुक कर उसके मुंह में थूक दिया ।

यह सब उपासना के लिए इतना जल्दी हुआ कि उसे सोचने और समझने का भी वक्त नहीं मिला । जब उसके मुंह में उसके बाप ने थूका तो उसे एहसास हुआ कि ऐसा प्यार तो धर्मवीर ने भी नहीं किया था जितना मजा मुझे प्यार में आ रहा है और अपने बाप का थूक अपने मुंह में उसने अपने थूक से मिला दिया ।

सोमनाथ ने उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए उसके मुंह में दोबारा से थूका और फिर खड़ा होकर अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया ।

उपासना का सर पकड़ कर उसके मुंह में लंड के घस्से मारता हुआ बोला - बेटी ऐसे लंड भगवान तेरे जैसी गरम रंडियों के लिए ही बनाता है मैं तो अपने लंड को देखकर सोचता था कि मेरा लंड सबसे इतना अलग अलग क्यों है लेकिन मुझे आज पता चला ऐसे लंड तो तेरे जैसी गदरआई हुई घोड़ियों के लिए बने होते हैं जो तुम्हारा सही से बाजा बजा सकें ।

उपासना भी गर्म होते हुए उसके लंड के झटकों से अपने मुंह की ताल से ताल मिला रही थी। फिर कुछ झटके मारने के बाद सोमनाथ उसके मुंह से अपना लौड़ा निकाल कर बेड पर बैठ गया।


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उपासना के मुंह से सोमनाथ के लंड की लार से मिली हुई लार उसके मुंह से टपक रही थी । अपनी बेटी के मोटे मोटे चूचे और उसका चेहरा इस तरह से सना हुआ देखकर सोमनाथ का सर भनभना गया।

सोमनाथ ने उपासना का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचते हुए बेड पर उसे अपनी गोद में उल्टी लिटा लिया ।
अब उपासना की गांड बैठे हुए सोमनाथ की गोद में थी और उस चौड़ी और भारी सी गांड को देखकर सोमनाथ के मुंह में भी पानी आ गया ।
उसने जोश में आते हुए एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।

अपने बाप के भारी हाथों से अपनी भारी गांड पर पड़ा थप्पड़ महसूस करके उपासना के मुंह से आउच निकला।

अब सोमनाथ ने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाया और देखा तो उसकी चूत के छेद से पानी रिस रहा था। सोमनाथ में उपासना की चूत जिसे अभी अभी कुत्तों की तरह चाटा था उसमें अपनी एक उंगली डाल दी ।

उपासना ने जब अपनी पानी छोड़ती चूत में अपने बाप की उंगली महसूस की तो उसकी सिसकारी निकल पड़ी ।

बेटी को सिसियाती हुई देख सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर तेजी से उंगली चूत के अंदर बाहर करने शुरू कर दी । उंगली से हो रही इस चूत चुदाई के सामने उपासना 1 मिनट भी नहीं टिक सकी और उसने पानी छोड़ दिया। यह देखकर तो सोमनाथ बिल्कुल हैरान ही रह गया क्योंकि वह भी अपना हाथ गीला होने की वजह से समझ गया था कि उपासना झड़ गई और हैरान होते हुए सोचने लगा कि उसकी बेटी कितनी गरम है । उसकी उंगली पर ही इतनी जल्दी झड़ गई इसे तो ठोकने के लिए सच में ही एक दमदार लंड की जरूरत है जो इसकी चूत के पानी को सुखा सके ।
सच में बहुत गर्म और चुदक्कड़ है मेरी बेटी ।

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यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - क्या हुआ उपासना बेटी इतनी गरम है तू तो कि मेरी उंगली पर ही पानी छोड़ गई। अभी तो लौड़ा चूत में गया भी नहीं अब तू ही बता मैंने सच ही तो कहा था कि रंडियां तो देखी पर तेरे जैसी रंडी से सब नीचे हैं जो इतनी गरम है । ऐसे ही तेरी गांड बखान नहीं करती तेरे गर्म होने का। ऐसे ही तेरे मटकते चूतड़ बखान नहीं करते तेरी लंड की प्यास का कुछ तो बात होती है जब ये बखान करते हैं । वह सच ही कहते हैं उनकी क्या गलती ।

अब उपासना भी गरम होकर झड़ चुकी थी और बुरी तरह से सिसिया रही थी लंड के लिए और लंड की उसी भूख की में बोली बड़ी ही कामुक आवाज में - क्या कहते हैं आपकी बेटी के मटकते चूतड़ और गांड ।

सोमनाथ बोला - ये कहते हैं कि हमें अच्छे से रगड़ कर चोदो। हमें दौड़ा-दौड़ा कर चोदो । तेरी भारी भरकम गांड जब हिलती है बेटी तो ऐसा लगता है कि तुझे मुता मुताकर चोदू ।

उपासना भी कामुक आवाज में साथ देती हुई बोली- हां पापा यह बात तो माननी पड़ेगी। मेरी चूत अब लोड़े मांगने लगी है । आपकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो गई है तो इसमें मेरी क्या गलती है पापा ।
मेरी उम्र भी तो हो गई है अब लौड़ों से खेलने की , लौड़ों के नीचे रहने की।

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सोमनाथ के जोश में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उसने उपासना को बेड पर सीधी लिटा कर और जल्दी से उसके घुटने उसकी छाती से मिला दिए ।
यह सीन कुछ ऐसा था की पहली बार उपासना के चेहरे पर शर्म की लाली छा गई और उसके चेहरे पर शर्म और शरारत से मिली जुली मुस्कान फैल गई।

सीन कुछ ऐसा था दोस्तों की उपासना तकिए पर सर रखकर लेटी थी और सोमनाथ ने उसके घुटने मोड़कर बिल्कुल इसकी छातियों से लगा दिए थे जिससे की उपासना की चूत के सामने बिल्कुल सोमनाथ का चेहरा दिख रहा था ।

उपासना अपनी बालों से ढकी हुई चूत से होते हुए सीधा अपने बाप की आंखों में झांक रही थी।
जो उपासना अभी कुछ सेकंड पहले ही झड़ी थी उसकी चूत से उसकी गांड की दरार में जाता हुआ पानी देख रहा था अब सोमनाथ ।

सोमनाथ ने एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया और उपासना की आंखों में झांकते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ कर दिए।

दृश्य कुछ ऐसा था की उपासना और सोमनाथ दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे बिना कुछ बोले । जैसे कुछ पढ़ रहे हो ।

उपासना की आंखों में झांकते हुए सोमनाथ ने अपना मुंह उपासना की गीली चूत पर रख दिया।

गीली चूत पर मुंह जाते ही उपासना ने सिसकारी भरनी चाही लेकिन वह रुक गई क्योंकि उसकी आंखों में झांकता हुआ सोमनाथ उसकी चूत पर मुह लगाए उसे बड़ा अच्छा लग रहा था । और वह नहीं चाहती थी कि उसकी आंखों का यह कनेक्शन टूटे । जिसकी वजह से उपासना ने अपनी सिसकारी को रोककर सोमनाथ की आंखों में आंखें ही डाले रखीं ।

अब सोमनाथ ने अपनी बेटी की आंखों में झांकते हुए अपनी जीभ निकालकर कुटिल मुस्कान के साथ उसकी चूत के छेद पर रख दिया।

उपासना के लिए यह बर्दाश्त से बाहर हो गया था अपनी सिसकारी को रोकना लेकिन फिर भी उपासना सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अब सोमनाथ भी उपासना को उसकी चूत चाटते हुए घूरने लगा था।
यह आंखें प्यार वाली नहीं थी दोस्तों यह आंखें तो एक दूसरे को खोल रही थी । सोमनाथ को उपासना की आंखों में प्यार नहीं बल्कि लंड की भूखी एक औरत की प्यास दिख रही थी ।
उपासना की आंखों में प्यार नहीं गुस्सा सा महसूस हो रहा था सोमनाथ को।

और इसी तरह कुछ सोमनाथ भी उपासना को घूर रहा था ।

उपासना को सोमनाथ की आंखों में प्यार नहीं बल्कि उसकी गदरायी चूत और गांड की बखिया उधेड़ कर रखने वाला लंड दिख रहा था ।

इसी तरह 1 मिनट तक उपासना की आंखों को घूरते हुए चूत चाटकर सोमनाथ बेड पर खड़ा होकर अपने लोड़े को हिलाने लगा , लेकिन आंखों का कनेक्शन नही टूटने दिया।

अभी भी दोनों एक दूसरे को घूर रहे थे ।

उपासना को घूरते हुए सोमनाथ ने थोड़ा सा झुकते हुए अपना लौड़ा उपासना की चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया ।


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अब यह सोमनाथ के लिए भी बर्दाश्त से बाहर था कि चेहरे पर कोई बदलाव ना आए , उसकी आह ना निकले क्योंकि वह उपासना की घूरती नजरों में उतनी ही गहराई से झांक रहा था ।

उधर उपासना भी सोमनाथ का लंड अपनी चूत पर रगड़ता महसूस करके बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी रोकने की कोशिश करते हुए सोमनाथ को घूरती रही ।

दोस्तों नजारा ही कुछ ऐसा था कमरे का की एक जवान कुतिया लोड़े की चाह में बेड पर उस लंड के नीचे अपने बाप को नहीं बल्कि अपने यार को घूर रही थी। उपासना उसके लंड की रगड़ से मूतने को तैयार थी उसका उत्तेजना के मारे मूत निकलने को तैयार था ।

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सोमनाथ ने उपासना की आंखों में लंड कितनी भूख देखकर लंड उसके छेद पर रख कर दबाव देना शुरू किया ।

दोस्तों उपासना ने अपनी मुट्ठी से बेडशीट को कस कर पकड़ लिया ताकि उसके मुंह से कोई चीख या कोई आह ना निकले, और अपने चेहरे पर बिना कोई एक्सप्रेशन लाए सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अपनी चूत में अपने बाप के लंड का सुपाड़ा फंसाकर कर (जिस सुपाड़े को अभी कुछ देर पहले अपनी नाक से रगड़ रगड़कर सूंघ रही थी) उपासना जरा भी नहीं सिसकी।

बस वह अपने बाप की आंखों में घूरती रही ।

सोमनाथ ने उपासना की आंखों में घूरते हुए अपने लंड पर और दबाव बनाया तो सोमनाथ को महसूस हुआ कि इसके आगे उपासना अपनी चीख नहीं रोक पाएगी या उसके मुंह से सिसकारी निकल जाएगी तो सोमनाथ रुक गया और उसकी आंखों में घूरता ही रहा जैसे कि पूछ रहा हो कि डाल दूं तेरी चूत में यह लंड, कर दूं तेरी चुदाई, भर दूं तेरी चूत को अपने लोड़े से।

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सोमनाथ को उपासना की तरफ से कोई इशारा आने की उम्मीद थी लेकिन यह उम्मीद टूट गई जब 2 मिनट तक चूत में लंड का सुपाड़ा फसाकर उपासना उसकी आंखों में ऐसे ही घूरती रही बिना कोई इशारा किये।

अब सोमनाथ भी उसकी आंखों में घूरते हुए सोचने लगा की चीख तो दबाव देने से निकलेगी और वैसे भी निकलेगी और ऐसा सोच कर उपासना की आंखों में खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए , उपासना की चूत पर अपना हाथ ले गया और उपासना की चूत के पानी में अपना हाथ गीला करके अपने बाकी बचे लंड पर लगाने लगा।

सुपाड़ा उपासना की चूत में फंसा हुआ था पूरा लंड भी गीला कर लिया था सोमनाथ ने ।

उपासना की आंखों में बिल्कुल ऐसे ही घूरते हुए कुछ सेकंड तक देखा जैसे अभी भी उसके आखिरी इशारे की प्रतीक्षा कर रहा हो लेकिन उपासना की तरफ से कोई इशारा नहीं बस उपासना की भूखी आंखें उसे घूरे जा रही थी।

सोमनाथ अपने दोनों हाथों से उपासना के घुटने उसकी छाती से मिला दिए।

अपने हाथों से उपासना की जांघों पर वजन रखते हुए उसके ऊपर झुक कर उपासना की आंखों में घूरते हुए अपनी पूरी जान से सोमनाथ में झटका मारा।


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झटका इतनी जान से मारा गया था एक बार में ही आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में जा फंसा और अपनी चूत में फंसा हुआ आधे से ज्यादा लोड़ा महसूस करते ही उपासना की चीख उस कमरे में गूंज गई ।

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दोस्तों ठीक ऐसा लगा था जैसे कोई गरम कुतिया गला फाड़ कर चीखी हो aaaaaaahhhhhhhh......margayiiiiiiiiiiiaaaaaahhhhhhssshh.....
और यहां पर इस तरह से उपासना और सोमनाथ की आंखों का कनेक्शन टूट गया ।
और उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।।

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दोस्तों जैसा कल वादा किया था कि कल अपडेट जरूर दूंगा तो आज यह वादा पूरा करके लिख दिया है update लेकिन अब मुझे चिंता होने लग गई है कि लोग मुझ पर सही हंसते हैं , मुझे सही गालियां देते हैं क्योंकि यह स्टोरी पता नहीं क्यों आगे बढ़ ही नहीं रही है ।
इतनी देर लिखने के बाद भी इनका उपासना और सोमनाथ का प्रोग्राम पूरा नहीं हो सका । माफी चाहता हूं चिंता मुझे इस बात की है कि मैं इस कहानी को पूरा कैसे करूंगा क्योंकि अभी तो इसकी शुरुआत ही हुई है । कहीं हद से ज्यादा लंबी ना हो जाये यह कहानी । चलो देखते हैं क्या होता है वैसे अपनी राय और सुझाव जरूर दीजिएगा यार बहुत ज्यादा समय खर्च करता हूँ एक update लिखने में ।

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fantastic update hai bhai
 

Blackserpant

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Gand ke sa
Update 21

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दोस्तों जैसे ही समय मिलता है मैं update कर देता हूँ plz अपना साथ बनाये रखें । ये बात पक्की है कि इस कहानी को पूरी लिखूंगा तब तक कोई नई कहानी नही शुरू करूँगा और इसे मैं XForum की सबसे longest story बना दूंगा । दोस्तों मैं मोबाइल से type करता हूं तो मुझे एक update पूरा करने में 4 से 5 घंटे तक का समय लग जाता है और इस lockdown में मैं फैमिली के साथ हूं तो आप समझ सकते है । आशा करता हूं आप मेरे हालातों को समझते हुए इस कहानी का मजा लेंगे । तो चलिये बिना समय गंवाए खोल लीजिये अपनी जीन्स का हुक और ले जाइए अपना हाथ .... hahaha it's part of a joke plz don't mind . Let's begin
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वैसे ही धर्मवीर की नजर उन पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया वह बस इतना ही बोल सका सोमनाथ जी देखिए जरा जरा

जैसे ही सोमनाथ ने देखा मानो स्वर्ग में विचरण करती दो अप्सराओं को उसने देख लिया हो ।

सोमनाथ और धर्मवीर अपनी आंखों को सेंकते हुए उनको खिड़की पर खड़े होकर देखने लगे ।


उधर उपासना और पूजा स्विमिंग पूल के पास पहुंचकर धीरे धीरे पानी मे उतर गयीं ।
धर्मवीर और सोमनाथ तक उनकी आवाज तो नही पहुंच पा रही थी लेकिन देखकर वो अंदाजा लगा सेकते थे कि दोनों बहनें कितनी खुस नजर आरही है। दोनों हंसते हुए एकदूसरे को चिकोटी भी काट रहीं थीं ।


कुछ देर नहाने के बाद दोनों बाहर निकली । उनका ये रूप यदि कोई ऋषि मुनि भी देख लेते तो भी खड़े खड़े अपने आपको झड़ने से नही रोक पाते ।
क्योंकि दोनों की जांघो पर सलवार चिपक चुकी थी पानी से । चोली में उनके मोटे मोटे चूचे नजर आरहे थे और उन चुचों से टपकती पानी की बूंदे । बहुत ही ज्यादा मनमोहक और मादक दृश्य था जो धर्मवीर और सोमनाथ की आंखे देख रही थी ।



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तभी उपासना ने तिरछी नजर से धर्मवीर के रूम की तरफ देखा (कुछ इस तरह कि धर्मवीर और सोमनाथ को पता ना चल सके ) तो उसका ससुर और उसका सगा बाप उन्हें ही ताड़ रहे थे ।

उपासना - उधर मुह करके मत देखना पुजा पर वो दोनों हमे ही देख रहे है ।

पूजा - देखने दो तो दीदी बताओ क्या करना है ।

तभी उपासना ने पूजा के पेट पर चिकोटी काटी और भाग ली। पीछे पीछे उपासना को पकड़ने के लिए पूजा भी भागी ।

भागते हुए उन दोनों के चूतड़ों ने तो धर्मवीर और सोमनाथ के दिल और लंड मे तूफान मचा दिया ।

सोमनाथ आह कर गया देखते हए ।

धर्मवीर - लगता है सोमनाथ जी आप आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे है ।

सोमनाथ - एक बात पुछु । आपका दिल क्या कह रहा है ।

धर्मवीर - सच बोलू तो मेरा दिल कह रहा है तुमने चूतों की रानियां पैदा की है सोमनाथ जी ।

सोमनाथ - तो आप लंड के राजाओं में अपना नाम शुमार कीजिये समधीजी ।

धर्मवीर - मेरा तो मन कर रहा है कि दोनों को यहीं पटक कर चोद दूं बिना कोई रहम किये ।

सोमनाथ - इनपर रहम करना तो मूर्खता होगी समधीजी । ये तो हार्डकोर रंडियां लगतीं है मुझे ।

उधर पूजा ने भागते भागते जैसे ही उपासना को पकड़ा तो पूजा ने उपासना को खड़ी करके उसके चूतड़ों पर 8, 10 थप्पड़ खींच दिए ।

उसके थप्पड़ों से हिलते उपासना के कूल्हों ने आग में घी का काम किया ।

धर्मवीर बोला कुछ भी कहिए सोमनाथ जी इन दोनों को लंड की सख्त जरूरत है ।

सोमनाथ बोला - इन दोनों का मटकना यह साबित करता है कि इन्हें एक ताबड़तोड़ चुदाई की जरूरत है ।

धर्मवीर बोला- तो क्यों ना आज इनकी चूतों में अपना सोमरस भर दिया जाए।

सोमनाथ यह सुनकर excited हो गया ।

धर्मवीर - तो चलिए फिर से शुरू करते हैं अपना खेल और चोद देते हैं दोनों घोड़ियों को।

सोमनाथ - लेकिन समधी जी मैं सोच रहा हूं कि पहले हमें पता कर लेना चाहिए की उपासना चुदने के लिए रेडी है भी या नहीं।

धर्मवीर- बात तो तुमने ठीक की चलो देखते हैं ।

ऐसा कहते हुए दोनों नीचे की तरफ चलने लगे ।
उधर उपासना और पूजा भी नहा कर वापस आ चुकी थी और आज कई दिनों के बाद उपासना और पूजा ने टाइट जींस पहनी थी ।
ऊपर दोनों ने स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था जो नाभि के काफी ऊपर था। पूजा ने अपने बालों को जुड़ा बनाकर सर पर रखा हुआ था और उपासना ने अपने बाल खुले छोड़े हुए थे और उसके रेशमी बाल कमर पर लहरा रहे थे। और उसके नीचे जींस में फंसे हुए उसके चूतड़ जानलेवा लग रहे थे



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धर्मवीर और सोमनाथ हॉल में आकर बैठ गए तभी उपासना और पूजा हॉल में आई ।

उपासना - पापा जी यदि आपका चाय पीने का मन कर रहा है तो आपके लिए चाय ले आयें।

सोमनाथ - बेटी चाय तो अभी पी थी थोड़ी देर पहले यदि कुछ और हो खाने के लिए हल्का-फुल्का तो वह ले आओ ।

तभी पूजा बोली - दीदी किचन में केले रखे हैं केले ले आओ।

उपासना यह सुनकर केले लेने के लिए लेने चली गई ।

केले लाकर उपासना टेबल पर रखती है।
धर्मवीर और सोमनाथ केले का छिलका उतारकर खाने लगे ।

सोमनाथ ने पूजा और उपासना को भी केले देते हुए कहा - तुम भी खाओ ।

उपासना ने केले पकड़ते हुए चाकू भी मांगा और चाकू से छोटे छोटे पीस करके उपासना केले खाने लगी ।

इस तरह से केले खाते हुए देखकर सोमनाथ बोला - बेटी केले हमारी तरह छीलकर खाओ , क्या यह छोटे छोटे केले काट कर खा रही हो ।

यह सुनकर उपासना की नजरें सोमनाथ की नजरों से टकरा गई अपने बाप की नजरों में झांककर उपासना ने इस्माइल देते हुए अपना चेहरा झुका लिया।

धर्मवीर - उपासना क्या हुआ बहू, खाओ ना केले तुम्हारे पापा कितने प्यार से तुम्हें केले खिला रहे हैं।

उपासना बोली धीमी आवाज में - बिना काटे नहीं खा सकती मैं केले।
इतना ही सुनना था की पूजा बोली कैसे नहीं खा सकती हो दीदी मैं खिलाती हूं तुम्हें केले।


पूजा ने उपासना की गर्दन में हाथ डाला और एक हाथ में केला पकड़ा। यह केला सबसे मोटा था लेकिन गर्दन में एक हाथ होने की वजह से एक हाथ से छीन वह छील नहीं सकती थी तो उसने सोमनाथ जी से कहा पापा जी केला छीलिये दीदी को मैं खिलाती हूं ।

सोमनाथ ने उठकर केले को आधे से ज्यादा छील दिया ।
उपासना और पूजा की मोटी मोटी जांघे जींस में फंसी हुई थी और बड़ा ही मनमोहक दृश्य था जब पूजा उपासना को केला खिलाने वाली थी ।



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पूजा बोली दीदी- मुंह खोलिए ।

उपासना बोली - मुझसे नहीं खाया जाएगा।

पूजा बोली- दीदी मुंह तो खोलिए आप ।

उपासना ने हल्का सा मुंह खोला लेकिन केला मोटा था और पूजा इस बात का फायदा उठाना चाहती थी।

पूजा बोली- दीदी मुंह पूरा खोलिए केला मोटा है ।

उपासना यह सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। अब वह पूजा की बाहों में लेटी हुई प्रतीत हो रही थी ।
उपासना ने शर्म से अपनी आंखें बंद किये हुए अपना मुंह और थोड़ा सा खोल दिया ।

पूजा ने 2 इंच केला उपासना के मुंह में डाल दिया।
उपासना ने केला दांतो से काट कर खा लिया तब पूजा बोली ऐसे नहीं खाते हैं दीदी केला । रहने दीजिए दीदी आप ने केला खराब कर दिया अब मैं दूसरा केला लाती हूं क्योंकि यहां तो सारे केले छोटे हैं ।
पूजा किचन में गई और केला छांटने लगी तभी उसकी नजर एक केले पर पड़ी जो सबसे ज्यादा मोटा था और लंबा भी हंसते हुए पूजा ने वह अकेला उठाया और भाग कर वापस आई ।
लेकिन पूजा जब भागकर किचन में गई थी और जब भाग कर आई तो उसकी गदरायी जवानी छुपी ना रह सकी धर्मवीर और सोमनाथ की नजरों से।

पूजा ने दोबारा से उपासना की गले में अपनी बाजू डाली और उसे मुंह खोलने को बोला ।उपासना सब समझ रही थी कि यह क्या चल रहा चल रहा है और साथ में मजा भी ले रही थी ।उसने मजे लेने के लिए मुंह पर हाथ रख कर कहा - हाय रब्बा इतना मोटा केला में कैसे खाऊंगी ।

पूजा बोली- दीदी खाना तो पड़ेगा ।

उपासना ने आंखें बंद करते हुए अपना मुँह खोला ।
पूजा ने थोड़ा सा केला उपासना के मुंह में डाला ।

पूजा बोली दीदी और मुंह खोलिए ।
उपासना ने थोड़ा सा और मुंह खोला पूजा ने आधा केला उपासना के मुंह में डाल दिया।
इस बात का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- बहू पूरा लो लो ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेजी से मीच ली शर्म से वह गढ़ी जा रही थी।

पूजा बोली सोमनाथ से - देखो पापा दीदी अपने मुंह में केला ले रही है ।

सोमनाथ बोला केला तो सेहत के लिए अच्छा होता है , केला तुम भी खाओ।

धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी आपको क्या लग रहा है उपासना ले पाएगी मुंह में या नहीं ।

सोमनाथ बोला- समधी जी देखो बेटी ले तो रही है मुंह में और कोई भी नहीं कह सकता की उपासना नहीं ले पाएगी यह तो पूरा ले लेगी।

उधर उपासना और पूजा भी मस्ताने लगी थी।

पूजा बोली - हां देखो पापा दीदी तो सच में पूरा ले गयी।
फिर पूजा ने उपासना के मुंह से केला निकाला दोबारा से अंदर डाल दिया, जैसे लंड से मुंह को चोदा जाता है वैसे ही पूजा ने चार पांच बार ऐसा किया।

तब उपासना का केले से मुंह चोदन होने लगा तो उपासना ने पूजा को एक साथ धक्का दिया और मुंह से केला निकल गया साथ में उपासना का लारदार थूक केले से होता हुआ नीचे टपकने लगा । उपासना को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी उसने अपने मुंह पर दोनो हाथ और वहां से भाग खड़ी हुई ।

भागते हुए उसके चूतड़ों को देखकर अपने लंड पर हाथ रख लिया सोमनाथ में और धर्मवीर ने।



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उपासना तो जा चुकी थी सोमनाथ बोलो पूजा बेटा तुम भी खा लो केला।

केला पूजा भी काटकर खाने लगी धर्मवीर बोला नहीं जैसे तुमने उपासना को खिलाया है वैसे ही खाओ ।

पूजा बोली नहीं मैं ऐसे नहीं खा सकती।

धर्मवीर उठा और पूजा के पीछे खड़ा हो गया उसने पूजा की गले में हाथ डाला और वही केला टेबल से उठा लिया जिसे उपासना को खिलाया जा रहा था।
यह देखकर पूजा बोली यह अकेला तो दीदी का झूठा है ऐसे कैसे खा सकती हूं मैं ।

सुनकर सोमनाथ बोला - ऐसी क्या बात हुई तुम्हारी दीदी ही तो है ।

यह सुनकर पूजा चुप हो गई और धर्मवीर ने वह केला पूजा के होठों से लगा दिया।

धर्मवीर बोला- मुँह खोलो पूजा लेकिन पूजा ने मुंह नहीं खोला।

धर्मवीर उस केले को पूजा के होठों पर रगड़ने लगा।

धर्मवीर दोबारा बोला - मुंह खोलो ।

पूजा ने भी शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली और हल्का सा मुंह खोल दिया लेकिन केला मोटा था जिस वजह से उसके होठों में ही फस गया ।

धर्मवीर बोला बेटा पूजा और थोड़ा मुंह खोलो तभी तुम ले पाओगे अंदर। पूजा ने अपना मुंह खोल दिया और धर्मवीर ने आधा अकेला पूजा के मुंह में डाल दिया।

केले के चारों तरफ पूजा के होंठ बड़े ही कामुक लग रहे थे क्योंकि उपासना से मोटे थे पूजा के होट।
धर्मवीर का लंड भी पैंट में टाइट हो चुका था।

धर्मवीर का लंड पूजा की भारी भरकम पिछवाड़े से टच हो गया ।

पूजा के लिए यह बहुत शर्म वाली बात थी। पूजा थोड़ा आगे को हुई लेकिन इस बार धर्मवीर ने अपना पूरा जोर लगाकर पूजा के पिछवाड़े से चिपका दिया अपना लौड़ा और रहा-सहा केला भी पूजा के मुंह में डाल दिया।

धर्मवीर बोला- देखिए सोमनाथ जी आपकी छोटी बेटी भी कम नहीं है उपासना से । यह भी पूरा केला ले गई ।

सोमनाथ बोला हां समधी जी मेरी तो दोनों बेटियां ही एक समान है मेरे लिए।


पूजा शर्म से लाल पीली हो रही हो रही थी ।

धर्मवीर बोला- हां सोमनाथ जी यह तो आपने ठीक कहा कोई भी बेटी कम नहीं है । देखो तो इतना मोटा केला इतने प्यार से ले लिया मुंह मे ।
फिर धर्मवीर ने केले को मुंह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया बड़ी ही कामुक अंदाज में पूजा केला चूसने लगी ।

केले को अंदर बाहर बाहर करते हुए धर्मवीर ने पूजा के पिछवाड़े से अपना लंड रगड़ना शुरु कर दिया।

पूजा भी कहां कम थी उसने भी अपनी गांड पीछे की तरफ धकेल कर चूतड़ों को धर्मवीर के लंड पर रगड़ना जारी रखा।

5 मिनट तक यही सीन सीन चलता रहा फिर अचानक पूजा ने पूरा केला दांतों से काट कर खा लिया ।

धर्मवीर- भला यह क्या किया बेटी।

पूजा बोली आपने ही तो कहा था की पूजा केला खालो , लो खा लिया।

धर्मवीर उसकी चालाकी पर कुछ ना कह सका ।
फिर पूजा चाय के कप उठाकर किचन में जाने लगी लेकिन जैसे ही उसने कप उठाया उसके हाथ से कप छूट गया और नीचे गिर गया कप नीचे गिर के टूट चुका था , पूजा उसे उठाने के लिए नीचे झुकी तो टाइट जींस में उसके चूतड़ सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर कहर बरपाने लगे ।

धर्मवीर बोला- बेटी तुमने कप तोड़ा है इसकी पनिशमेंट तो तुम्हें मिलनी ही चाहिए ।

पूजा समझ गई उसने बड़े ही नशीली अंदाज में कि मैं हर पनिशमेंट के लिए रेडी हूं , मुझे जो सजा दोगे मंजूर है ।

धर्मवीर बोला कि तुमने दो कप तोड़े हैं तो तुम्हें दो थप्पड़ खाने होंगे।

पूजा बोली क्या आप मेरी पिटाई करेंगे क्या ।

धर्मवीर बोला नहीं पूजा तुम्हारे लिए दो ऑप्शन है या तो अब दो थप्पड़ एक एक गाल पर खाओ या अपने पिछवाड़े पर खाओ ।

यह सुनते ही पूजा शर्मा गई और शर्मा कर अपना पिछवाड़ा धर्मवीर की तरफ करके खड़ी हो गई ।

धरमवीर समझ गया पूजा भी अपने पिछवाड़े पर ही स्लैपिंग चाहती है ।

धर्मवीर ने उसके कूल्हों पर एक करारा थप्पड़ लगाया ।

पूजा के मुंह से बड़ी ही मादक आह निकली आउच।

पूजा का पिछवाड़ा एक थप्पड़ से पूरी तरह हिल गया ।

धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ लगाया दोनों चूतड़ों पर एक थप्पड़ खाकर पूजा भागती हुई कमरे से निकल गई।

सोमनाथ जी भी बहुत गौर से देख रहे थे जब धर्मवीर पूजा के मतवाले नितंबो पर थप्पड़ मार रहे थे।
धर्मवीर सोमनाथ की तरफ चलते हुए बोला कुछ भी हो दोनों पूजा और उपासना का खाना पीना उनके पिछवाड़े पर ही लग रहा है देखो तो ऐसी मादक घोड़ियों की तरह घूमती फिरती है ।



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तभी सोमनाथ बोला - पूजा अभी भागकर उपासना के पास ही गई होगी चलो देखते हैं दोनों में क्या बातें चल रही है।

ऐसा कहकर उपासना और पूजा के रूम की तरफ चल दिए सोमनाथ और धर्मवीरजी । गेट के पास जाकर दोनों ने कान लगाकर सुनना शुरू किया ।
दोस्तों यह बात हकीकत भी थी की पूजा सीधे उपासना के रूम में ही गई थी।
उपासना ने देखा कि पूजा का चेहरा लाल हुआ पड़ा है ।
वह समझ गई कि कुछ ना कुछ जरूर हुआ है ।

उपासना बोली- क्या हुआ पूजा ऐसे कैसे लाल होकर आ रही हो ।

पूजा बोली - होना क्या था आपके ससुर जी और हमारे पापा जी कम ठरकी थोड़ी ना है ,जो ऐसे ही आ जाने देते।
जैसा उन्होंने आपके साथ किया वैसा ही मेरे साथ किया ।

उपासना बोली - तो मतलब छोटी घोड़ी केला चूसकर आरही है ।

पूजा बोली - बड़ी घोड़ी तो बीच में ही भाग कर आ गई थी ।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए बोली- बड़ी घोड़ी का भागकर आना ही ठीक था वरना वह दोनों पैंट में ही झड़ जाते पर मुझे तो लगता है वह अधूरा काम तुम पूरा करके आई हो ।

पूजा ने उपासना को बताया कि कैसे उसके हाथ से कप गिर गया था और कैसे धर्मवीर ने उसके पिछवाड़े को लाल किया है ।

उधर धर्मवीर और सोमनाथ कान लगाकर सारी बातें सुन रहे थे और साथ ही साथ अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहे थे ।

उपासना बोली - तभी मैं कहूं छोटी घोड़ी इतनी लाल क्यों हो रही है वह इसलिए हो रही है क्योंकि मेरे ससुर जी ने उसकी गांड पर थप्पड़ लगाये हैं।

यह सुनकर पूजा शर्माकर बोली - अपनी गांड को बचा कर रखिएगा कहीं ऐसा ना हो की बड़ी घोड़ी की गांड पर थप्पड़ की जगह कुछ और ही लग जाए।

उपासना बोली- पूजा सीधे-सीधे बोलो जो बोलना चाहती हो ।

पूजा बोली- दीदी मैं तो यह कहना चाहती थी कहीं ऐसा ना हो कि आपकी गांड को फाड़कर ही रख दे ससुर जी ।

उपासना बोली- हाय अब बचा ही क्या है ससुर जी ने तो फाड़ कर रख दी थी मेरी अब तो अपने बाप से फड़वानी है ।अब मेरे ससुर जी तो तेरी गांड फाड़कर रखेंगे ।

यह सुनकर पूजा लजा गई ।
पूजा बोली- दीदी यह तो आगे बढ़ ही नहीं रहे हैं हमें ही कुछ करना होगा।

उपासना बोली- इसमें चिंता वाली क्या बात है, आज रात को उनका लंड तुम्हारी चूत में होगा अगर तुम कहो तो।

पूजा बोली- क्यों दीदी आप भी तो भरना चाहते हैं पापा का लंड अपनी चूत में । और मुझे डर लग रहा है कहीं ऐसा ना हो मैं आपके ससुर जी का लंड ना ले पाऊं ।

उपासना मुस्कुराती हुई बोली - इसमे डरने वाली क्या बात है । आजकल की लड़कियां बड़े से बड़ा लौड़ा आसानी से खा जाती है जाती है और तू तो फिर भी घोड़ी है ।अपने पिछवाड़े को देख ,अपनी जांघों को देख , लटकते इन पपीते जैसे चुचियों को देख फिर तेरी यही फूली चूत कहेगी कि ये लोड़ा हमारे लिए ही बना है। तेरे जैसी चुड़कड़ घोड़ी धर्मवीर जैसे लोड़े के ही काबू में आ सकती हैं । वरना तू तो बेलगाम हो जाएगी।

पूजा हंसते हुए बोली - बड़ा तजुर्बा है दीदी आपको तभी आप बेलगाम नहीं हुई हो ।

उपासना बोली - क्या बताऊं मेरी तो ससुर जी ने टिकाकर मारी है । जब चोदते हैं तो हिलने भी नहीं देते ।
इन बातों से दोनों गर्म हो गई।

उपासना बोली - मुझे तो इंतजार है जब मेरे पापा अपने लंबा सा लोड़ा इस घोड़ी की चूत में उतारेंगे। पूरी तरह से नीच से गांड उठाकर लूंगी अपने पापा का लंड । अपने पापा का लंड चाट चाट कर निहाल हो जाऊंगी । अपनी चूत को अपने पापा के मुंह पर मारूंगी और कहूंगी पीलो पापा अपनी बेटी की चूत को ।



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उधर धर्मवीर और सोमनाथ भी बातों को सुन सुनकर झड़ गए थे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे ।

पूजा बोली- चलो मार्केट चलते हैं और कुछ खरीद कर ले आते हैं शाम और रात के लिए ।

जैसे ही ये बात कही पूजा ने तो धर्मवीर और सोमनाथ दबे पांव अपने कमरे में चले गए और जाकर बात करने लगे जैसे उन्हें कुछ पता ही ना हो ।

पूजा और उपासना ने अपने होठों पर लिपस्टिक लगाई और जल्दी सोमनाथ और धर्मवीर के रूम की तरफ चल दीं ।

जीन्स में कसी हुई घोड़ियां जाकर धर्मवीर और सोमनाथ से बोलीं - पापा जी हमें मार्केट जाना है यदि आप साथ चलेंगे तो अच्छा रहेगा ।

धर्मवीर और सोमनाथ भी उनके साथ चल दिए चारों एक ही गाड़ी में मार्केट की तरफ निकल पड़े । मार्केट पहुंचकर गाड़ी को पार्क किया धर्मवीर ने और एक कपड़े के शोरूम की तरफ चलने लगे।


चारों शोरूम में काउंटर पर पहुंचे तब काउंटर पर बैठे लड़के ने बताया कि लेडीस गारमेंट ऊपर है और जेंट्स गारमेंट नीचे । और जेंट्स को उपर जाने की अनुमति नहीं है ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ का मुंह लटक गया ।
वह नीचे ही बैठ गए और उपासना पूजा ऊपर की तरफ पड़े ।
जब वह चलती हुई जा रही थी तभी शोरूम में चार पांच लोग और घुसे।
वह उनकी तरफ ही देखे जा रहे थे । एकदो ने अपने लंड पर हाथ रख रखा था ।
उपासना और पूजा ऊपर चली गई । और वह चार पांच लोग धर्मवीर और सोमनाथ जहां बैठे थे वहीं पर आकर बैठ गए ।

उनमे से एक बोला - अभी अभी ऊपर दो लड़कियां गयीं हैं इतनी मस्त लड़कियां आजतक तक नहीं देखीं ।

दूसरा बोला- अबे सीधा सीधा बोल ना कि ऐसी गांड आज तक नहीं देखी, क्या पिछवाड़ा था यार ।

अपनी बेटी और बहू के बारे में ऐसी बातें सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ गर्दन नीचे करके बैठे रहे ।

वह चार पांच लोग पूजा और उपासना के बारे में अश्लील बातें करते रहे।

कोई कह रहा था एक रात के लिए मिल जाए तो इन्हें चलने के लायक नहीं छोडूंगा । कोई कह रहा था कि मैं तो पूरी रात अपना लंड फसा कर लेटा रहूंगा ।

तभी पूजा और उपासना नीचे की तरफ आती हुई दिखाई दीं।

पूजा के हाथ में एक बैग था और दोनों धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी ।
जींस में कसी हुई उनकी जांघें और टॉप में मोटे मोटे चूचे कहर बरपा रहे थे।

जैसे ही वह पेमेंट करके धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ आईं तभी उन चार पांच लोगों में से बैठे हुए एक लफंगे ने कहा - देखो तो कितनी भारी भारी गांड है दोनों की ।

यह सुनकर पूजा और उपासना बुरी तरह से शर्मा गयीं ।

तभी दूसरा बोला पक्का पूरी रात लंड से खेलती होंगी यह दोनों ।
एक साथ दस दस लंड से खेलने लायक हैं ये दोनों तो ।

तभी तीसरा बोला मेरा तो मन करता है इनकी गांड पर थप्पड़ लगाता रहूं।

चौथा बोला मेरा मन करता है इनके पिछवाड़े में अपना मुंह घुसा दूं ।

पांचवा बोला मेरा तो मन करता है कि इनके गले में कुतिया वाला पट्टा डालकर अपनी रंडी बना लो और बारी बारी से दोनों को पूरी रात अपने वीर्य से नहलाते रहो । देखने से ही सस्ती रंडियां लगतीं हैं ये घोड़ियां ।



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अब तो बेशर्मी की हद हो चुकी थी धरमवीर गुस्से से खड़ा हुआ और उसने उन में से एक के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया ।
तमाचा लगते ही चारों लोग इकट्ठे होकर धर्मवीर की तरफ लपके ।
धर्मवीर ने किसी फिल्म की तरह एक के घुटने में लात मारी और दूसरे के मुंह पर लात मारी ।
और तीसरे के पेट मे अपनी पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया ।
बाकी बचे दो जैसे ही वो धर्मवीर की तरफ लपके धर्मवीर ने एक के मुंह पर पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया और दूसरे का पैर पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उछाल दिया ।

यह फाइट चल ही रही थी कि तभी पुलिस आगयी ।
पुलिस ने आकर देखा तो इंस्पेक्टर ने धर्मवीर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा- सर हमें माफ कीजिए हमारे होते हुए आप जैसे शरीफ इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ । हमें जैसे ही फोन पर सूचना मिली तुरंत ही हम पुलिस स्टेशन से दौड़ते दौड़ते सीधे यहीं पर आए ।

वह चारों-पांचों लोग हैरानी से मुंह फाड़ कर कर पुलिस वालों की तरफ और धर्मवीर सोमनाथ की तरफ देखने लगे कि आखिर यह हो क्या रहा है ।

तभी पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ते हुए कहा कि तुम्हें अब पता चलेगा की शरीफ लोगों की घर की बहन और बेटी को छेड़ने का अंजाम क्या होता है।
क्योंकि तुम जानते नहीं जिसे तुम ने छेड़ा है वह दिशा इंडस्ट्रीज की मालिक है । और ये हैं धर्मवीर जी फाउंडर ऑफ दिशा इंडस्ट्रीज।

यह सुनकर चारों के पैरों से जमीन निकल गई और गिड़गिड़ा कर धर्मवीर के पैरों में माफी मांगने लगे । हमें माफ कर दीजिए सर हमें पता नहीं था कि ये आपके साथ हैं वरना हम ऐसी गलती भूल कर भी नहीं करते

धरमवीर ने कहा- मेरे ही साथ में नहीं यदि कोई भी लड़कियां या औरत मिले तो उसकी इज्जत करना सीखो ।

धर्मवीर ने इंस्पेक्टर से कहा कि इनको माफ कर दीजिए उन्हें जेल मत भेजिएगा, लेकिन इनके घर वालों को बुलाकर उन्हें बताइएगा और तभी इन्हें घर जाने दीजिएगा ।

यह सुनकर चारों खुश हो गये और धर्मवीर से कहने लगे सर हम आपका एहसान कभी नहीं भूलेंगे लेकिन आप हमारी गलती भूल जाइएगा , हम माफी चाहते हैं और साथ ही वादा करते हैं कि दोबारा ऐसा किसी लड़की या औरत के साथ यह व्यवहार नहीं करेंगे ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने एक बार आखिरी निगाह उनकी तरफ डाली और बाहर की तरफ निकल गए ।
पूजा और उपासना शर्म से दोनों के चेहरे लाल हो गए थे ।
चारों गाड़ी में बैठकर घर वापस आगये थे कोई अभी तक कुछ नही बोला था । पूजा और उपासना के मन मे आज रात को होने वाली चुदाई की कल्पना थी तो धर्मवीर के मन मे उस पांचवे गुंडे का चेहरा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसने उस गुंडे को पहले भी कही देखा है ।


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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताते रहिएगा जिससे कि मुझे भी लिखने की excitement बनी रहे ।
आपका प्यारा सा भाई और दोस्त- रचित चौधरी ।

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saath saath chut or boobs ke bhi photo daalo bhai
 

Nevil singh

Well-Known Member
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Update 25.

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दोस्तों आज बहुत ज्यादा समय लगा पोस्ट करने में और उसकी वजह है स्टोरी में pics add करना । पूरा एक घंटा लगता है फ़ोटो लगाने में ही । तो मेरी कहानी का आनंद लेते हुए support भी करना। चलो शुरू करते है आज की update ।
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रक्षाबंधन का दिन है आज ।
शालिनी घूमने आयी हुई थी । जैसे ही शालिनी सुबह hotel रूम में सोकर उठी तो उसने सोचा कोई न्यूज़ ही देख ली जाए क्या चल रहा है दुनिया मे ।

शालिनी ने रिमोट उठाया और TV चला दिया ।
TV की स्क्रीन चलते ही उसपर दिखाया जा रहा था कि दुनिया मे किस तरह लोग रक्षाबंधन का उत्सव मना रहे है ।

शालिनी की आंखे नम हो गयी क्योंकि वो मन ही मन सोचने लगी - मेरा भी एक भाई था जिसे मैंने खुद ही मौत के घाट उतार दिया ।
मैंने ये नही किया होता तो मैं भी आज किसी की कलाई पर राखी बाँधती ।
तभी शालिनी अपने पिछले साल वाले राखी वाले दिन की यादों में खोती चली गयी । जब उसने राकेश को राखी बांधी थी ।
शालिनी अपने यादों में डूबती चली गयी ।

आगे कहानी यादों में चलेगी _____________________________
आज रक्षाबंधन है और शालिनी बड़ी चहकती हुई सी नजर आरही है ।
उसने तुरंत बैड से उठकर राकेश के कमरे की तरफ दौड़ लगाई लेकिन वो अचानक पता नही क्या सोचकर रुक गयी ।

शालिनी ने सोचा कि आज रक्षाबंधन के दिन मैं बिना नहाए बिना नहाए भैया के सामने नहीं जाऊंगी ।
ऐसा सोच कर कर शालिनी वापस कमरे की तरफ मुड़ी और कमरे में आकर सोचने लगी - भईया के सामने थाली सजाकर ही जाऊंगी ।

उधर राकेश भी आज उत्साहित था । वह सोच रहा था अपनी प्यार सी बहन को क्या गिफ्ट देना चाहिए ।
उसने सोचा कि अपनी बहन को एक सोने की रिंग, कपड़े और उसे एक नई कार गिफ्ट करेगा ।
ऐसा सोचकर राकेश ने हाथ मुँह धोये और पार्किंग की तरफ चल दिया ।
पार्किंग से गाड़ी निकालकर सीधा मार्किट पहुंचा । राकेश ने एक सोने की रिंग पैक कराई । फिर एक मॉल में घुसा । वह शालिनि के लिए कपड़े देखने लगा ।

अब राकेश के सामने सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि उसे साइज नही पता था शालिनि का ।
उसने एक जीन्स टॉप सेलेक्ट किये क्योंकि शालिनि ज्यादातर जीन्स टॉप ही पहनती थी ।
राकेश ने 30 साइज का टॉप और 32 साइज की जीन्स पैक करा ली क्योंकि राकेश ने सोचा कि शालिनि का साइज ज्यादा से ज्यादा 30* होगा । लेकिन उस बेचारे को क्या पता था कि शालिनि का साइज इतना है ।

कपड़े लेकर राकेश घर आया । आकर नहाया धोया । और इंतजार करने लगा शालिनि का।

तभी उपासना अंदर आते हुए राकेश से बोली - जी आपकी बहन नीचे आपका इंतजार कर रही राखी बांधने के लिए ।

राकेश - हां बस चलता हूँ।

शालिनि ने आज एक लाल रंग का कुर्ता पहना हुआ था जिसकी लालिमा उड़के चेहरे पर भी फैली हुई थी । कुर्ता उसको घुटनों से थोड़ा ऊपर तक था और उस कुर्ते में साइड कट ज्यादा लंबे थे जो साइड में पेट पर से ही कटे हुए थे ।
उसके नीचे शालिनि ने सफेद रंग की लैगिंग पहनी हुई थी जो बेहद ही तंग थी ।


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उसने एक सफेद रंग का पतला सा दुपट्टा भी लिया हुआ था ।
दुपट्टा तो नाम के लिए ही था क्योंकि ये दुपट्टा उसने बस एके कंधे पर लटकाया हुआ था ।

बेहद ही प्यारी लग रही थी शालिनि red and white वाले कपड़ो में ।
बाल आज उसने बिल्कुल खुले छोड़े हुए थे जो उसकी कमर तक ही थे ।


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राकेश नीचे आया तो शालिनि उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली - आइये भईया।

राकेश ने आकर शालिनि को गले से लगाया । लेकिन राकेश को अपनी छाती में कुछ चुभता सा महसूस हुआ ।
राकेश को महसूस हुआ कि उसकी बहन अब छोटी नही रही वह बड़ी हो गयी है ।

राकेश की कलाई पर शालिनि ने रखी बांधी , उसके माथे पर हल्दी चंदन का टीका किया ।
फिर दोनों बहन भइया ने एक दूसरे का मुंह मीठा कराया ।
जब राकेश ने शालिनि को घेवर खिलाने के लिए उसके मुह की तरफ अपना हाथ बढ़ाया तो कुछ पलों के लिए राकेश ठिठक सा गया ।
उसकी वजह ये थी क्योंकि उपासना के होंठ इतने प्यारे लग रहे थे जैसे शर्बत के दो प्याले हों । वाकई में शालिनि ने होंठों पर ऐसी लिपस्टिक लगाई थी जिससे होंठ गीले गीले दिखें ।


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राकेश ने लड्डू खिलाया शालिनि मुंह खोलकर पूरा लड्डू एक साथ मुह के अंदर ले गयी । यह नजारा देखकर राकेश के संस्कारों की धज्जियां उड़ गयीं ।

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हां दोस्तों शालिनि का वो प्यारा सा चुदासा सा चेहरा देखकर राकेश के मन में गंदे विचार आने लगे ।
राकेश ने सोचा काश इन खूबसूरत होठों पर मेरा लंड होता तो जीते जी मैं स्वर्ग में होता ।
मेरा वीर्य इन होठो की मादकता और सुंदरता में चार चांद लगा देता ।

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फिर उपासना को एक साथ खाँसी उठी लड्डू खाकर तो राकेश ने उसे पानी पिलाया ।
अब तो राकेश के मन मे भूकंप आगया था । अपने दिमाग मे चल रहे इस भूचाल की वजह से राकेश की आंखों में वासना अपना नाच करने लगी । उसकी आंखें लाल होने लगी ।
उपासना के होठों से पानी की बूंदे ऐसी सजी हुई थी जैसे कह रही हो कि इन जूसी होंठो पर से हमे भी चूस लो ।


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फिर दोनों भाई बहन गपशप करने लगे ।

शालिनि - अच्छा भइया मैने आपको राखी बांधी अपने अपनी बहन को एक भी रुपया अब तक नही दिया ।

राकेश- तुम्हे पैसे चाहिए तो ये लो ।
ऐसा कहकर राकेश ने ने शालिनी की तरफ अपना पर्स पड़ा है शालिनी ने राकेश कब पर पर अपने हाथ में लेकर उसमें से 20000 रुपए निकाल लिए


राकेश बोला- मेरी प्यारी बहन मैं तुम्हारे लिए और भी कुछ गिफ्ट लाया हूं।

शालिनी एक साथ खुश होते हुए बोली - हां जल्दी दीजिए मुझे मैं भी तो देखूं अपनी प्यारी बहन के लिए क्या गिफ्ट लेकर आए हैं भइया।

राकेश- वो तो मेरे कमरे में रखे हुए हैं , मेरे कमरे से मैं लेकर आता हूं ।

राकेश अपने कमरे में आया । शालिनी के लिए राकेश ने अपने कमरे में आकर कपड़े और रिंग उठाएं लेकिन वह नई कार के पेपर कहीं पर रखकर भूल गया था जिस वजह से उसे ढूंढने में समय लगा।

कार के पेपर ढूंढने में राकेश को 20 मिनट लग गए लगभग 20 मिनट बाद राकेश रिंग , कपड़े और गाड़ी के पेपर लेकर शालिनि के पास आया ।

राकेश ने देखा शालिनी किसी से फोन पर बात कर रही है , लेकिन उसे आता देखकर शालिनी ने फोन रख दिया और उछलकर राकेश की तरफ भागी ।

शालिनि- दीजिये भैया दीजिए । मैं भी तो देखूं क्या गिफ्ट लिया है आपने मेरे लिए।

शालिनी ने देखा एक गिफ्ट में उसे रिंग मिली है ।
दूसरा पैकिंग उसने खोली जिसमें नई लंबोर्गिनी गाड़ी के पेपर थे ।

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शालिनी बड़ी ही खुशी और जोश से बोली - भैया हो तो आपके जैसा लेकिन तभी उसने तीसरी पैकिंग खोली जिसमें नए जींस टॉप देखकर शालिनी थोड़ी सी झिझक गई क्योंकि उसे पता था कि भैया को तो मेरा साइज ही नहीं पता है।
कपड़े या तो छोटे होंगे या बड़े होंगे । फिटिंग करानी होगी ।

शालिनी शर्मा कर तीनों गिफ्ट अपनी गोद में उठाए हुए अपने कमरे की तरफ चलने लगी ।
तभी राकेश बोला- यह तो सरासर बेईमानी है, मेरी प्यारी बहन ।

शालिनी- अब क्या बेईमानी कर दी भैया ।

राकेश बोला- तुमने गिफ्ट तो ले लिए लेकिन इन्हें यूज़ करके भी तो दिखाओ।
मुझे गाड़ी भी चला कर दिखाना । मुझे रिंग भी पहन कर दिखाना , मुझे कपड़े भी पहन कर दिखाना । जिससे मुझे भी खुशी हो सके ।

शालिनी बोली - इसमें तो कोई बड़ी बात नहीं है भैया । यह मैं अभी पहन कर आती हूं।


शालिनी अपने कमरे में चली गई तभी राकेश की नजर मेज पर पड़ी जहां शालिनी का मोबाइल रखा हुआ था ।
मोबाइल की स्क्रीन अभी तक ऑफ नहीं हुई थी , बंद नहीं हुई थी जिससे कि मोबाइल का लॉक भी नहीं लगा था ।

शालिनी लॉक करना भूल गई थी राकेश के दिमाग में पता नहीं क्या आया उसने एक साथ झट से वह मोबाइल उठा लिया , क्योंकि कुछ ही पलों में मोबाइल ऑटोमेटिक लॉक हो जाता । लेकिन राकेश ने ऐसा नहीं होने दिया ।

राकेश ने कॉल डिटेल्स में देखा शालिनी को किसी नए नंबर से फोन आया था । जब राकेश अपने कमरे में था । फिर राकेश ने शालिनी के मोबाइल में फाइल मैनेजर खोला, जिसमें उसे कॉल रिकॉर्डिंग का फोल्डर दिखा। उसने ओपन किया तो देखा कि इसमें सबसे ऊपर जो फाइल थी वह अभी 20 मिनट पहले की थी । जिसका मतलब साफ था कि जिससे शालिनी ने बात की है यह उसी की कॉल रिकॉर्डिंग है ।
राकेश ने वह रिकॉर्डिंग प्ले कर दिया।

हेलो
शालिनी- हेलो

सहेली - आज तो रक्षाबंधन है ।अपने प्यारे भाई को राखी बांध दी तूने।


शालिनी- हां मैंने तो बांध दी। भैया मेरे लिए गिफ्ट लेने गए हैं ।


सहेली- तूने अभी जो अपना एक फोटो पोस्ट किया है वह आज ही का है क्या ।


शालिनि- हां मैंने अभी-अभी एक फोटो क्लिक करके पोस्ट किया था । तुमने देख लिया क्या ।


सहेली - भाई को राखी बांधने जा रही हो या अपने आशिक से मिलने जा रही हो , जो ऐसे कपड़े पहने हैं ।


शालिनी हैरानी से - तू सुधरेगी नहीं । इसमें कपड़ों वाली क्या बात है। सही तो पहने हैं ।


सहेली- क्या सही पहने हैं ।अपना कुर्ता तो देख तेरी चूतड़ों के नीचे ही खत्म हो जाता है । और उस पर तूने वह लेगिंग पहनी हुई है जो तेरी मोटी मोटी जांघों को छुपाने की जगह और ज्यादा दिखा रही है और तू बोल रही है कि सही कपड़े तो पहने हैं । मुझे तो नहीं लगता कि तूने सही पहने हैं ।


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शालिनी - अच्छा कमीनी चल मुझसे गलती हो गई अब तो तू खुश है ।


सहेली - मैं तो खुश ही हूं , लेकिन मैं यह सोच रही हूं कि अगर यही गलती तेरे भाई से हो गई ।


शालिनी- क्या मतलब है तेरा ।


सहेली - मेरा मतलब है कि जब तू ऐसे कपड़े पहन कर भाई के सामने जाएगी तो तुझे लगता है क्या कि तेरे जैसी 30 साल की घोड़ी में उसे अपनी बहन नजर आएगी ।


शालिनि- शर्माते हुए- अब तू ज्यादा दिमाग ना खराब कर । कम से कम आज रक्षाबंधन के दिन तो ऐसी बातें ना कर। मैं जैसी भी हूं अपने भाई को बहन ही नजर आऊंगी। घोड़ी तो तू नजर आती होगी तेरे भाई को । तू लगती भी घोड़ी जैसी ही है ।


सहेली- लेकिन इतना नहीं लगती जितना तू लगती है। तुझे बड़ा विश्वास है अपने भाई पर यह विश्वास तेरा बिल्कुल गलत है। तेरा ही नहीं पूरी दुनिया में जितनी भी बहने हैं सबको यह गलतफहमी है कि उनका भाई उन्हें बहन की नजर से देखता है । असलियत तो यह है कि जो भी भाई अपनी बहन की मटकती हुई गांड को देखेगा तो जाहिर सी बात है की है तो आखिर वह भी इंसान ही । बहन की गांड में ही ऐसा क्या अलग होगा आखिर बहन की गांड भी तो ऐसी ही होगी ना जैसी सब लड़कियों की होती है। और आजकल लड़कियों की मटकती हुई गांड देखकर मर्दों के लंड खड़े हो जाते हैं तो तेरे भाई का क्यों नहीं होगा । उसका भी खड़ा हो जाएगा ।


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शालिनी- तेरे उपदेश सुन सुन कर तो मेरा दिमाग खराब हो जाता है । मुझे बस इतना पता है कि मैं अपने भाई की प्यारी बहन हूं ।


सहेली - !मैं भी तो यही कह रही हूं कि सब लड़कियां यही समझती है कि मैं तो अपने भाई की प्यारी बहन हूं लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होता। जब तेरे जैसी प्यारी बहन इतनी सज संवर कर अपने जिस्म को इस तरह तंग पजामी में फसाकर भाई के सामने चहल कदमी करेगी तो पता है आजकल के भाई क्या सोचते हैं ? आजकल के भाई सोचते हैं की गांड तो मेरी बहन की भी जबरदस्त है इसका भी कोई बॉयफ्रेंड होगा जो मेरी बहन की चूत लेता होगा । कौन और कैसा होगा वह आदमी जो मेरी बहन के ऊपर चढ़ता होगा और मेरी बहन भी कम नहीं लग रही नीचे से गांड उठा उठा कर लंड लेती होगी।


शालिनी - अच्छा तो तुझे बड़ा ज्ञान है तो अपना ज्ञान अपने पास रख। मुझे बता कि तेरी जिंदगी कैसी चल रही है अपने बॉयफ्रेंड के साथ ।


सहेली- मेरा तो ब्रेकअप हो गया यार वह लड़का सही नहीं था। मतलब गुंडा टाइप का था। अब मेरी तो किस्मत तेरी तरह नहीं है ना यार ।


शालिनी - क्यों इसमें किस्मत की क्या बात हुई । मुझे तो कोई बुराई नजर नहीं आती तुम्हारी किस्मत में ।


सहेली - तुझे नजर आएगी क्यों जब तेरा दिल करता है अपने बॉयफ्रेंड को चढ़ा लेती है अपने ऊपर । मेरे से पूछ कैसे गुजरता है एक-एक दिन बिना लंड जाए पर तेरे तो मजे हैं शालिनी इतनी बार चुद चुद कर तुझ में निखार भी आ गया है ।


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शालिनी - ऐसा नहीं है यार मैं भी रोज नहीं ले पाती लंड। 2 दिन हो गए मुझे भी बिना चुदे और आज रक्षा बंधन है तो कल ही जाऊंगी ऑफिस ।


सहेली- तुझे तो 2 दिन बहुत लंबे लग रहे हैं मेरी लाडो रानी लगता है तुझे लंड का ज्यादा ही चस्का लग गया है । और गलती तेरी भी नहीं है तेरे बॉयफ्रेंड ने अच्छी खासी मेहनत की है तेरे ऊपर चढ़ कर तभी तो तू आज इतना गदरा गई है कि जब तू गुजरती है तो तेरी गांड के दीवाने हो जाते हैं लोग । अच्छा एक बात बताओ तेरी गांड मटकती ही ज्यादा है या तू जानबूझकर मटका कर चलती है ।


शालिनी - तू पूरी एक नंबर की बदमाश है पर क्या करूं तू मेरी सबसे प्यारी सहेली है । तुझसे मैंने अपनी जिंदगी की हर बात शेयर की है तो यह भी करूंगी । मैं अपनी गांड बिल्कुल भी मटका कर नहीं चलती लेकिन मैं क्या करूं मेरी गांड थोड़ा पीछे की तरफ ज्यादा निकल गई है जिस वजह से लोगों को लगता है कि मैं गांड मटका कर चल रही हूं । उन्हें क्या पता की चूत चोद चोद कर भारी हो गई है यह गांड । एक पैर भी आगे रखो तो पूरी गांड एक तरफ झुक जाती है ।


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सहेली - गांड तो झुकेगी ही लाडो रानी जब खीरे जैसा लंड रोज अपनी चूत में लोगी ।


शालिनी - बस करना यार क्यों गर्म करने में लगी हुई है ।


सहेली - अब तो गरम होगी ही क्योंकि तेरी जवानी लंडों से पीटने लायकहो गयी है ।


शालिनि - अब इतनी गिर गई हूं क्या मैं कि मेरी पिटाई लंड से करवाएगी।


सहेली- इस में गिरने वाली बात नहीं है मेरी लाडो रानी क्योंकि तेरे जैसी गदरायी हुई लौंडिया अगर लंडों से ना पिटे तो वह अपनी जुबानी काबू में नहीं कर सकती । तेरी जवानी को काबू में करने के लिए एक साथ 3, 4 लंडों को मेहनत करनी पड़ेगी तब जाकर तेरी जैसी लौंडिया ठंडी होती है ।


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शालिनि- अब मुझे तू ज्यादा गर्म ना कर वरना मैं अभी अपने बॉयफ्रेंड को बुलाकर अपने ऊपर चढ़ा लूंगी ।


सहेली - चढ़ा लेना तो रोका किसने है । वैसे भी तेरे जैसी लौंडिया के ऊपर चढ़ते हुए लोग ही अच्छे लगते हैं । वैसे मैंने सुना है तेरा भाई जो है राकेश यह भी रंडियां चोदने जाता है ।


शालिनी हैरान होते हुए- अब तू बिल्कुल हद पार कर रही है कमीनी । मेरे भाई को तो बदनाम मत कर।


सहेली - अरे नहीं मेरी एक फ्रेंड है जो तेरे भाई की कंपनी में काम करती है। वह बता रही थी कि उसे डेट पर ले गया था तेरा भाई और पूरी रात चोद कर सुबह वापस लाया था ।


शालिनी हैरान होते हुए - मेरा भाई ऐसा नहीं हो सकता मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि भैया ऐसे भी हो सकते हैं । और क्या बताया तेरी फ्रेंड ने।


सहेली- वह तो यही कह रही थी कि उसे लेकर गया था रात भर इतनी बुरी तरह रगड़ा कि बेचारी सुबह को चल भी नहीं पा रही थी। कह रही थी राकेश का लोड़ा ज्यादा बड़ा तो नहीं है लेकिन चूत की कुटाई बड़े अच्छे तरीके से करता है । तो इस हिसाब से तो शालिनी तुम दोनों भाई बहन ही बड़े चुदक्कड़ हो। तेरी चूत को लंड की प्यास रहती है और तेरे भाई के लंड को चूत की प्यास रहती है ।


शालिनी- तुझसे तो कोई जीत ही नहीं सकता। अब मैं क्या बोलूं मैं तुम्हें, हां हैं दोनों भाई बहन चुदक्कड़।


सहेली- तुझे और तेरे भाई के बीच में यदि कंपटीशन कराया जाए तो कौन पहले हारेगा कहना मुश्किल है ।


शालिनी - अब यह भी तू ही बता दे क्योंकि मेरी बात तो तू कभी मानती नहीं है ।


सहेली - मुझे तो लगता है तू ही जीतेगी क्योंकि तेरी जवानी जब तक पूरे दिन ना चुदे तब तक तुझे चैन नहीं मिलता। उसके लोड़े को तो तू निचोड़ लेगी शेरनी । वैसे तेरा मन भी तो कर रहा होगा कि अपने भाई को निचोड़ ले , अपने ऊपर चढ़ा ले ।


शालिनी - मेरा मन तो नहीं कर रहा लेकिन यदि तुझे मेरे ऊपर चढ़वाना ही है तो बेशक चढ़ा दे । तुझे शर्मिंदा नहीं करूंगी तेरी बात रखूंगी । मैं अपनी गांड और चूत को भींच भींचकर कर अपने भाई के लंड को निचोड़ लुंगी ।


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सहेली - तेरा मन करता है क्या अपने भाई के लंड को देखने का ।



शालिनी - अब तो देखने का ही नहीं मुंह में लेने का भी मन कर रहा है । पता नहीं कैसा होगा मेरे भाई का लोड़ा । अपनी बहन की प्यास बुझा भी पाएगा या नहीं । मैं भी तो नहीं कह सकती कि भाई तेरी बहन प्यासी है आकर प्यास बुझा दे मेरी। तेरी बहन अपनी आंखों में तेरा लंड लिए घूम रही है दे दे उसे यह लंड । और चोद दे अपने ही घर में अपनी इस बहन को ।



सहेली - तो चुदवाने का मन है अपने भाई से मेरी लाडो रानी का ।



शालिनी - अगर भाई कहे तो मैं तो खुला न्योता दे दूंगी कि आजा अपनी बहन की फटी हुई चूत में अपने लंड का झंडा गाड़ दे क्योंकि मेरी सील तोड़ना तो तेरे नसीब में नहीं था भाई लेकिन इस चुदी चुदाई चूत को चोद कर ही अपना मन बहला ले। पूरी जान से चोद अपनी बहन को ----------------------- अच्छा चल ठीक है मैं बाद में बात करती हूं भैया आ रहे है।

सहेली - bye ।


रिकॉर्डिंग खत्म हो चुकी थी और राकेश की आंखें वासना में जलने लगी।
लेकिन उसे आत्मग्लानि और अपने ऊपर जलालत महसूस होने लगी कि मैं कैसा भाई हूं अपनी ही बहन की चूत और गांड के सपने देख रहा हूं ।
मेरे जैसे भाई को मर जाना चाहिए । मैं भाई होने के नाम पर कलंक हुं।
अगर हर घर में ऐसा भाई हो तो बहनों की इज्जत एक रंडी से ज्यादा नहीं रह जाएगी । मुझे ऐसा नहीं होना चाहिए। मुझे पूरी दुनिया में कम से कम अपनी बहन को तो बहन समझ लेना चाहिए ।
मैं इतना भी बुरा कैसे हो सकता हूं कि पूरी दुनिया भर में सिर्फ अपनी बहन को एक अच्छी नजर से ना देख सकूं । मैं इतना भी बुरा कैसे हो सकता हूं।
कम से कम इंसानियत नाम की कोई तो चीज होगी मेरे अंदर और यह सब विचार राकेश के दिमाग में कौंधने लगे । राकेश को बेहद गुस्से का अनुभव हो रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि जिस धर्मवीर सिंह ने उन दोनों भाई बहन को इतने प्यार से पाला है, अच्छी शिक्षा दी है, अच्छे संस्कार दिए हैं और इतनी मेहनत करने के बाद अपने बच्चों को एक सज्जन इंसान बनाया है ।
लेकिन मेरी बहन तो इस कलयुग की एक हिस्सा बन चुकी है वह तो अपने भाई के लिए इतने गंदे विचारों को अपनी सहेली से साझा कर रही है ।
इसका मतलब मुझसे हजारों गुना ज्यादा मेरी बहन गलत है और मेरी बहन को मुझे सही रास्ते पर लाना चाहिए। लेकिन मेरी बहन ने इतनी बड़ी गलती की है तो उसे उसकी सजा भी मिलनी चाहिए ।


राकेश अपने हाथ में शालिनी का मोबाइल लेकर बैठे हुए यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे मोबाइल में शालिनी का चेहरा दिखाई दिया ।


राकेश के आश्चर्य की सीमा न रही उसे समझते देर न लगी कि शालिनि बिल्कुल उसके पीछे खड़ी है और शालिनी ने उसे रिकॉर्डिंग सुनते हुए देख लिया है ।


हां दोस्तों बिल्कुल ऐसा ही हुआ था जब राकेश रिकॉर्डिंग सुन रहा था तो तब तक शालिनि कपड़े पहन कर आ चुकी थी ।
शालिनी ने कपड़े पहन तो लिए थे लेकिन उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी उन्हें पहनने के लिए । क्योंकि उसके भाई ने उपहार जो दिया था शालिनी को । शालिनि समझ गई कि भाई को मेरा साइज पता नहीं है इसलिए छोटे कपड़े ले आया लेकिन भाई को कैसे बताऊं इन कपड़ों में मेरी गांड और मेरे चूचे नहीं आएंगे । लेकिन अब क्या करूं पहनने तो पड़ेंगे ही और शालिनी उन्हीं कपड़ो को पहनकर आ चुकी थी ।


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टॉप में से उसकी चूची इतने फंसे हुए दिख रहे थे कि उसके चुचों की निप्पल टॉप में से साफ पता की जा सकती थी। और जींस तो उसकी गांड पर और उसकी जांघों पर ऐसी चिपक चिपक गई थी जैसे अभी कुछ समय पहले लैगिंग चिपकी हुई थी। और इस बेहद टाइट जींस को शालिनी के नितंब फाड़ने को बेताब थे।

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शालिनी ने आकर जब अपने भाई को कुछ सुनते हुए देखा उसके मोबाइल में तो वह चुपचाप पीछे से उसके पास आ गई। और जब उसने सुना कि उसकी सहेली से जो अभी उसकी बात हुई थी वह रिकॉर्डिंग चल रही है और भाई सुन रहा है तो उसके पैरों के नीचे से मानों जमीन ही निकल गई ।

शालिनी को समझ नहीं आया कि वह क्या करें क्या ना करें ।
शालिनी को इतनी शर्म लग रही थी कि उसे लग रहा था की जमीन फट जाए जाए और मैं उस में समा जाऊं लेकिन तभी उसका चेहरा राकेश को मोबाइल की स्क्रीन पर दिखता है, जिस वजह से राकेश ने झटके से अपना सर पीछे पलट कर देखा ।


जब उसने देखा कि उसकी बहन कपड़े पहन कर आ चुकी है और मैंने इतना बड़ा साइज लिया था कपड़ों का लेकिन वह कपड़े भी इसके बदन पर चिपके हुए हैं। फूल तो गई है मेरी बहन वह सोचने लगा ।


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शालिनी की हालत आप समझ सकते हैं दोस्तों बिल्कुल भीगी बिल्ली की तरह अपने आपको जींस टॉप में फंसाये हुए खड़ी हुई थी ।
शालिनी के पास बोलने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि उसकी बेशर्मी राकेश सुन चुका था , राकेश सुन चुका था कि मेरी बहन लंडों के लिए कितनी पागल है ।

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राकेश ने शालिनि के पास आकर उसके बालों को अपने हाथ से पकड़ कर खींचा जिस वजह से शालिनी का चेहरा ऊपर की तरफ उठ गया और उसका मुंह थोड़ा सा खुल गया ।


राकेश गुस्से में बोला- यह गुल खिलाती है मेरी बहन । अगर मेरी बहन को लंड की इतनी इतनी ही जरूरत थी तो घर में बताया क्यों नहीं। अब तक तेरी शादी करवा देते । लेकिन तू इतनी गिरी हुई निकली जितनी मैं सोच भी नहीं सकता ।


शालिनी पर इन बातों से पहाड़ से टूट चुका था उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था क्या बोले या ना बोले । ऊपर से राकेश की इतनी खुल्लम खुल्ला भाषा से शालिनी पानी पानी हो गई।


राकेश फिर बोला मैं तुझे छोटी बहन समझकर अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता रहा और तूने क्या किया तूने लोड़े खाए ।
अपनी चूत को अपनी शादी से पहले ही फड़वा लिया और ऊपर से अब तो इतनी गिर गई कि तुझे अपने भाई में भी लंड नजर आने लगा ।
गलती तेरी नहीं है शालिनी गलती तो इस गांड की है।

ऐसा कह कर राकेश ने पूरी जान से शालिनी की गांड पर थप्पड़ मारा जिससे जींस में फंसे हुए चूतड़ भी हिल गए ।


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राकेश बोला- हां गलती इस गांड की है जो तूने इतनी चौड़ी कर ली है कि इसे अपने ऊपर हर वक्त एक मर्द चाहिए । जो तेरी गांड पर चढ़कर तेरी मस्ती झाड़ सके । तेरे चूतड़ों में अपना लंड फसा कर तुझे ठंडी कर सके ।


शालिनी यह सब सुनकर गरम भी हो गई थी और शर्मिंदा भी लेकिन हद तब हो गई जब राकेश ने शालिनी के बालों को और नीचे की तरफ खींचते हुए उसे खड़े-खड़े झुका दिया ।

राकेश उसके आगे खड़ा होकर अपनी बेल्ट खोलने लगा ।

शालिनी को समझते देर न लगी कि अब क्या होने वाला है इसलिए शालिनी अपना सर उठाने लगी लेकिन राकेश ने अपना हाथ उसके सर पर रख कर कर उसे झुकी हुई रहने पर मजबूर कर दिया ।


राकेश - तुझे लंड देखना था ना अपने भाई का ना देखना था ना अपने भाई का ना अपने भाई का । अब दिखा तू मुझे अपनी चूत की भूख। तू अपने भाई के लंड को निचोड़ने की बात कर रही थी ना, तो ले अब निचोड़ । तेरे जैसी गरम कुतियाओं को ही ठंडा किया है मैंने । तेरे जैसी रंडियों की गर्मी उतारी है मैंने। मुझे तो पता ही नहीं था की एक हराम रंडी मेरे घर में भी पल रही है।
मैं तो तुझे बच्ची समझता था लेकिन तू तो दो बच्चों की मां को भी मात देने वाली लंडखोर औरत निकली ।

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समझ नहीं आता तुझे लड़की कहूं या औरत क्योंकि लड़की कुंवारी होती है और लड़की तो तू रही नहीं और औरत शादीशुदा होती है तो शादी भी तूने नहीं की । अब समझ नहीं आ रहा तुझे नाम क्या दूं तुझे नाम क्या दूं ।
तेरी जवानी को आज मैंने ढीला ना कर दिया कर दिया दिया ना कर दिया कर दिया दिया तो मैं तेरा भाई नहीं ।
तेरी जांघो के बीच की गर्मी अपने लोड़े से ना निकाली तो मैं तेरा भाई नहीं।
जो राखी तूने अपने तूने अपने भाई को बांधी है उसकी कसम तेरी हालत आज ऐसी कर दूंगा की इतने सेक्सी कपड़े पहन कर कर अपनी गांड मटकाती हुई तू कभी मेरे पास नहीं आएगी । मेरे लोड़े से तू दूर भागेगी वह दर्द आज मैं तुझे दूंगा दूंगा।


राकेश ने अपने लंड लंड बाहर निकाला और सीधा शालिनी के मुंह की तरफ कर दिया ।

शालिनी मैं अपने होंठ नहीं खोलें ।
राकेश अपने लंड का दबाव शालिनी के होठों पर बनाए हुए था लेकिन शालिनी अपने होठों को बिल्कुल भी नहीं खोल रही थी ।

ऐसा लग रहा था जैसे राकेश के लंड के सुपाड़े और शालिनी के रचे हुए जूसी होठों के बीच कोई युद्ध चल रहा हो ।

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राकेश समझ गया था कि शालिनी बेशक चुदक्कड़ रांड हो लेकिन यहां पर सती सावित्री ही बनेगी । क्योंकि घर मे लड़कियां जितनी सती सावित्री और संस्कारी बनकर दिखाती है अंदर से उनमें लंड की उतनी ही ज्यादा भूख होती है , उतनी ही ज्यादा चुदासी और चुदक्कड़ होती हैं । ये बात मेरे घर मे ही नही बल्कि हर किसी के घर मे यही होता है जिन्हें हम सीधी साधी संस्कारी लड़की समझते है उनके अंदर एक बेशर्म रंडी छुपी होती है जिन्हें बस एक मौका चाहिए अपनी चूतों में लंड लेने का । यही कुछ सोचते हुए राकेश के मन मे विचार आया । यह अपने होंठ नहीं खोलेगी और मेरा लंड अंदर नहीं जाएगा ।



यह सोचते हुए राकेश ने एक हाथ से अपने लंड को शालिनी के होठों पर रगड़ते हुए दूसरे हाथ को झुकी हुई शालिनी के कूल्हों पर मारा।


राकेश के हाथ की धाप इतनी तेज थी कि शालिनी अपनी गांड पर पड़े हुए थप्पड़ की वजह से आगे की तरफ गिरने को हुई जिससे लंड पर उसके होंठो का दबाव बढ़ गया । जैसे ही गांड पर थप्पड़ पड़ा शालिनि का मुंह खुला aaaahhhh और राकेश का लोड़ा उसके मुंह में चला गया ।


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लंड मुंह में जाते ही राकेश ने शालिनी का सर पकड़ा और अपने चूतड़ों में पूरी जान इकट्ठी करके एक जोरदार झटका मारा ।
राकेश ने देखा कि शालिनि के लिपस्टिक लगे हुए होंठ उसके लोड़े के बिल्कुल जड़ में उसके लंड पर किसी रबड़ की तरह चढ़े हुए हैं ।

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कुछ सेकंड तक ऐसे ही दबाए रखने के बाद राकेश ने आधा लौड़ा बाहर किया और फिर जोरदार झटका मारा । इतनी जोरदार मुंह चुदाई से शालिनि का मुँह सन गया था । शालिनी का ही थूक उसके होठों के चारों तरफ फैल गया ।

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राकेश किसी पिस्टन की भांति अपना लोड़ा स्पीड से उसके मुंह में अंदर बाहर करते हुए शालिनी की गांड को हाथो से पीटने लगा ।


शालिनी को भी अजीब एहसास हो रहा था अपनी गांड पर थप्पड़ खाते हुए लोड़े को मुंह में लेने का ।


राकेश ने लंड को बाहर निकाला और उसके गालों पर मारने लगा ।
शालिनी के थूक में सना हुआ लंड जब शालिनी के गालों पर पड़ता तो थूक के दाग उसके गालों पर रह जाते । धीरे धीरे पूरा मुह शालिनी का अपने ही थूक से सन गया। शालिनी की आंखों का काजल उसके गालों पर लगकर गालों को काला कर रहा था ।

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दूसरी तरफ शालिनी के मुंह से उसके थूक की लार नीचे टपक रही थी जो उसके टॉप में फंसे चुचों पर गिर रही थी ।


अपनी बहन का मुंह किसी रंडी की तरह चोदने लगा था राकेश।
मुंह में लंड डालकर राकेश शालिनी के गालों पर थप्पड़ भी लगा रहा था और लौड़ा भी अंदर बाहर कर रहा था ।
मस्त मुँह चुदाई चल रही थी लेकिन तभी गेट पर बैल बजी ।


दोनों फुर्ती से अलग हुए ।
राकेश हिदायत देते हुए अलग हुआ कि या तो सुधर जाना अगर दोबारा मुझे लगा कि तुम नहीं सुधरी हो तो तुम्हारी वह हालत करूंगा कि तुम्हें अपने आप पर शर्म आएगी और राकेश ने खड़ी हुई शालिनी की गांड पर लात मारी और उसे उसके कमरे में जाने को कहा ।

गांड पर लात लगते ही शालिनि फर्श पर गिर गयी और उसके मुँह से राकेश के लंड का पानी और शालिनि के थूक का मिश्रण फर्श पर टपक रहा था ।

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शालिनी अपनी गांड पर राकेश की लात खाकर अपने कमरे में आ गई ।


जब राकेश ने गेट खोला तो सामने धर्मवीर था जो से रक्षाबंधन की बधाई दे रहा था ।

राकेश ने अपने चेहरे पर खुशी के भाव लाते हुए अपने पापा से गपशप करनी शुरू की । लगा जैसे कुछ हुआ ही ना हो ।


शालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी यह क्या हो गया?? क्या भाई अब आगे कुछ करेगा या नहीं । भाई ने मुझे वार्निंग दी है। आज के बाद मुझे सुधारना होगा ।
यह सब सोचते हुए शालिनी अपनी लाइफ जीने लगी लेकिन उसके बाद कभी भी राकेश ने उसे गंदी नजर से नहीं देखा और ना ही शालिनि से कभी कुछ कहा। आज 1 साल हो गया है और मैंने अपने ही भाई को मार दिया।

मुझे अपने भाई को मारना नहीं चाहिए था लेकिन मेरे भाई का मरना जरूरी था वरना मैं अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाती ।
भाई मरना तो तुम्हें था मेरे लिए ना सही उपासना के लिए , अगर उपासना आपकी बीवी ना होती तो आपकी जान नहीं जाती मेरे प्यारे भाई । लेकिन उपासना भाभी के लिए आपको मारना जरूरी था।
इसलिए मैंने आपको मार दिया मुझे माफ करना आपकी प्यारी बहन हूँ मैं और हमेशा रहूंगी ।


ऐसा सोचते हुए शालिनी अपनी यादों से बाहर आ गई _______________

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दोस्तों आज की सारी अपडेट शालिनि की यादों में ही निकल गयी ।
कहानी जारी रहेगी ।
अपने सुझाव जरूर दीजिएगा साथ मे ये भी बताना की इस कहानी को पढ़ने वाले लोग कहाँ कहाँ से हैं ।
साथ बने रहने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।
आपका प्यारा भाई- रचित

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bahad rashbhari update hai bhai
 

Nevil singh

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Update 26

दोस्तों अब कहानी को ले चलते हैं राकेश की ओर।
राकेश जो कि अभी जापान में था । वह दिन-रात यही सोचने लगा कि शालिनी ने उसे मारने की कोशिश क्यों की। वह अपनी बहन को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था ।
फिर उसी की बहन ने उसे क्यों मारना चाहा तभी राकेश के दिमाग में एक विचार आया कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि मैंने शालिनी को चोदने की कोशिश की और इसी वजह से गुस्से में आकर उसने मारा हो , लेकिन अगले ही पल यह भ्रम उसका दूर हो गया जब उसे याद आया कि किस तरह शालिनी अपनी गांड मटका मटका कर चोदने का आमंत्रण दे रही थी।

शालिनी तो लोड़े के आगे फैल गई गई थी लेकिन फिर चुदी क्यों नहीं ,चुदने के बदले उसने मुझे मार क्यों दिया । कुछ ऐसे ही विचारों में गुमसुम रहता था।

राकेश उसे पता लगाना था कि यह सब चल क्या रहा है आखिर यह सब हो क्या रहा है।
तभी उसे दिमाग में एक आईडिया आया आया और उसने अपने सबसे वफादार दोस्त को फोन किया ।
यह दोस्त राकेश की कंपनी में ही काम करता था लेकिन दोनों का व्यवहार और स्वभाव एक तरह से दोस्ताना ही था ।

इसका नाम दीपक था ।
दोस्तों दीपक के बारे में थोड़ा सा आपको बता दूं कि दीपक एक 6 फुट लंबा और तंदुरुस्त शरीर का मालिक था। तगड़ा और तंदुरुस्त शरीर होने के साथ-साथ इसका दिमाग किसी चालाक लोमड़ी से कम नहीं था ।
अगर दिमाग के बारे में बात करूं तो दीपक का दिमाग रावण की टक्कर का था । इसमें हंसने वाली बात नहीं है दोस्तों बहुत ही दिमाग और शातिर इंसान था दीपक।
जो कि राकेश का पक्का दोस्त था।

कुछ देर रिंग बचने के बाद दीपक ने फोन उठाया ।

राकेश की आवाज आई - कैसा है दीपक ?

दीपक- कौन अबे भूल गया क्या अपने बाप को। तेरा भाई राकेश बोल रहा हूं मैं । जिसे मैंने अपना भाई समझा वह दोस्त आज मुझे भूल गया ।

दीपक ने जैसे ही यह सुना उसका मुंह खुला का खुला रह गया हकलाते हुए उसके मुंह से इतना ही निकल सका- कक-क कौन दीपक।तुम जी-जिंदा हो। अभी कहां हो तुम और क्या कर रहे हो ।

राकेश - इतना जोर से बोलने की जरूरत नहीं है बस मेरी बात ध्यान से सुनो। मेरे साथ धोखा हुआ है और यह बात मैं तुम्हें अभी फोन पर नहीं बता सकता । किसी को कानों कान खबर नहीं होना चाहिए कि मैंने तुम्हें फोन किया है या मैं जिंदा हूं बस । मेरा काम है जो तुम्हें करना है मेरे लिए एक फ्लैट खरीदो जो मेरे घर से 10 किलोमीटर के दायरे में ही हो, एक गाड़ी खरीदो । मैं 1 हफ्ते में इंडिया आ जाऊंगा तब तक यह सारा काम करके रखना और दोस्त बहुत विश्वास के साथ मैंने तुम्हें फोन किया है । मेरे और तुम्हारे अलावा किसी तीसरे को यह बातें कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए कि मैं जिंदा हूं । बाकी सारी कहानी में आकर बताऊंगा। अभी वक्त नहीं है चलो ठीक है रखता हूं फोन । बाय मेरी जान ।

ऐसा कहकर राकेश ने फोन रख दिया दूसरी तरफ दीपक अभी भी अपना फोन कान पर लगाए हुए बैठा था उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह कोई सपना है या सच में उसे राकेश का फोन आया है । कुछ देर सोचने के बाद जब उसे विश्वास नहीं हुआ तो उसने अपने फोन में जल्दी से कॉल रिकॉर्डिंग वाला फोल्डर खोला और दोबारा से उसी कॉल को सुनने लगा तब जाकर फिर विश्वास हुआ कि सच में राकेष उसे कॉल किया है।
झनझना गया था दीपक का दिमाग सोचने लगा कि यह क्या है कि राकेश ने मुझे कुछ बताया भी नहीं । क्या राकेश को किसी ने मारने की कोशिश की थी । क्या राकेश की हत्या के पीछे जापान मैं किसी का हाथ था। यह सोच ही रहा था लेकिन तभी उससे हिम्मत मिली कि राकेश ने कहा है आकर सब कुछ बताएगा और जो काम राकेश ने दिया है उसे पूरा कर ले

दीपक तुरंत ऑफिस से निकला और चल दिया राकेश का काम करने ।


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अब चलते हैं दोस्तों उपासना , धर्मवीर ,सोमनाथ और पूजा की तरफ ।

जैसा कि आप जानते हैं सोमनाथ और उपासना एक दूसरे के सामने अपने लंड और चूत को खुल चुके थे।

लेकिन दूसरी तरफ पूजा को धर्मवीर के कमरे में दूध लेकर जाना था। दूध लेकर क्या जाना था दोस्तों अपनी आग को ठंडी करवाने जाना था । अपनी गर्मी निकलवाने जाना था ।

पूजा ने जाते हुए सोचा की पेटिकोट और ब्लाउज में मैं कैसे अकेली अपनी बहन के ससुर के सामने जाऊंगी ।

हां दोस्तों यह सोचना भी सही था पूजा का क्योंकि पूजा उपासना के मुकाबले ज्यादा शर्मीली थी । उपासना को देखकर वह थोड़ी बेशर्म हो जाती थी लेकिन अकेले में उसके लिए यह मुमकिन नहीं था कि वह अपने चूतड़ों पर अपना पेटिकोट कसकर अपनी बहन के ससुर के सामने जाए ।

इसलिए उसने सूट सलवार पहनने का निर्णय लिया उसने कसी हुई ब्रा पेंटी पहनी , उसके ऊपर समीज पहनी और फिर उसने सूट सलवार पहने ।
सलवार को अगर तंग पजामी कहूं तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि यह चूड़ीदार पजामी थी जोकि उसकी जांघों से चिपकी हुई थी और उसकी गांड उस तंग पजामी ने इस तरह बाहर को निकली हुई थी जब वह चलती तो उसके चूतड़ों पर से सूट जो उसने पहना हुआ था वह हवा में लहरा जाता और उसकी मोटी मोटी जांघे चलते हुए साफ देखी जा सकती थी ।

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पूजा का बदन बिल्कुल ऐसा था कि ना तो वह ज्यादा लंबी लगती थी और ना ही ज्यादा छोटी लगती थी मतलब मीडियम साइज की हाइट थी उसकी ऊपर से भरा हुआ बदन मतलब चलते हुए बिल्कुल चुदाई की मूरत लगती थी ।
ऐसा लगता था इस जैसी लौंडिया को तो सड़क पर पटक कर भी चोदो तो भी चुदाई में पीछे नहीं हटेगी।


दूसरी तरफ धर्मवीर अपने कमरे में बैठा हुआ पूजा का इंतजार कर रहा था


पूजा के मन में डर , शर्म और लाज के भाव थे ।
वह जाते हुए डर रही थी । वह धर्मवीर के कमरे में जाते हुए सोच रही थी की चूत की गर्मी भी क्या चीज होती है आज मैं खुद ही चुदने जा रही हूं वह भी अपनी बहन के ससुर से , आज अपनी चूत खुलवाने जा रही हूं पता नहीं आज मेरी क्या हालत होगी । मेरी इस हिलती हुई और मटकती हुई गांड में लंड जाएगा लेकिन कैसे । कैसे मैं अपनी बहन के ससुर के सामने अपनी चूत खोल कर लेटूंगी मैं तो शर्म से मर ही जाऊंगी ।
कैसे में नंगी होकर अपनी बहन के ससुर के लोड़े का स्वागत करूंगी हाय मैं तो मर ही जाऊंगी शर्म से ।

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इन्हीं बातों को सोचते हुए और गर्म होते हुए पूजा धर्मवीर के कमरे में पहुंची।

धर्मवीर ने जैसे ही पूजा को गेट पर देखा तो सूट और सलवार पहने हुए देखकर धर्मवीर का माथा ठनक गया ।
सोचने लगा कि अभी तो दोनों घोड़ियां पेटीकोट और चोली में अपनी जवानी को दिखा रही थी, और अब यह बहन की लोड़ी सती सावित्री बन कर मेरे पास आई है। जबकि यह भी जानती है कि धर्मवीर के पास जाना मतलब लोड़ा खाना है ।

पूजा ने गले में दुपट्टा लिया हुआ था जो उसकी चूचे नहीं देख पा रहे थे, लेकिन चूतड़ों पर कोई दुपट्टा नहीं था गांड तो बिल्कुल बाहर ही दिख रही थी।

लंड मांगती हुई गांड को आखिर कैसे छुपा पाती पूजा ।
धीरे धीरे चलते हुए वह धर्मवीर के पास आकर बोली।

पूजा- लीजिए दूध पी लीजिए ।


धर्मवीर ने उसके हाथ से से दूध ले लिया और एक ही सांस में सारा दूध खत्म कर दिया और दूध पीने के बाद धर्मवीर ने गिलास वापस पूजा को दे दिया।


अब तो पूजा के लिए बहुत परेशानी वाली बात हो गई क्योंकि जो दूध लेकर वह धर्मवीर के पास आई थी उसे तो पी चुका था धर्मवीर ।
अब उसके पास रुकने का कोई बहाना नहीं था ।
अब वह कैसे कहती कि मुझे तुम्हारे साथ ही सोना है आज ।
एक तो शर्मीली थी पूजा ऊपर से उसे कोई बहाना भी नजर नहीं आ रहा था कि वह धर्मवीर के पास रुके क्योंकि धर्मवीर गिलास खाली करके उसके हाथ में पकड़ा चुका था ।

अब तो पूजा को वापस उपासना के पास ही जाना था यही सोच कर पूजा की शक्ल पर परेशानियों के भाव उभर आए , जिन्हें धर्मवीर ने पढ़ लिया ।

धर्मवीर के बारे में जैसा आप जानते हैं दोस्तों एक मंझा हुआ खिलाड़ी था धर्मवीर वह सोमनाथ की तरह चोदने के लिए तड़पता नहीं था वह तो चुदने के लिए तड़पाता था और इसी तरह खड़ी हुई चुदने के लिए तड़पती हुई पूजा को देख रहा था धर्मवीर।


अब जब पूजा को लगा कि अब तो कोई बहाना ही नहीं बचा है कि मैं यहां रुकूं और यह मैं कह नहीं सकती कि आप मुझे चोदो , नंगी करो , लंड दो मुझे तो मैं क्या करूं ।

फिर पूजा वापस जाने के लिए गेट की तरफ मुड़ी लेकिन मुड़कर वह धर्मवीर की तरफ अपनी गांड करके और अपने हाथ से गिलास फर्श पर छोड़ दिया। लेकिन गिलास को इस तरह से छोड़ा गया की धर्मवीर को लगे कि पूजा के हाथ से गिलास छूट गया है ।
जबकि पूजा ने गिलास को जान पूछ कर फर्श पर गिराया था।


अब गिरे हुए गिलास को फर्श पर से उठाने के लिए झुकना था पूजा को और झुकने के लिए ही उसने गिलास को गिराया था ।
एक बार उसने अपनी गर्दन पीछे की तरफ मोड़ कर कर धर्मवीर को देखा जोकि उसे ही देख रहा था ।
पूजा ने अपनी प्यासी नजरों से धर्मवीर को देखते हुए हल्की सी मुस्कुराहट दी और फिर गर्दन आगे करके गिलास उठाने लगी ।
झुक कर अपने पूरे पिछवाड़े को बाहर निकाल कर गिलास उठाने लगी पूजा।

पूजा की उफान मारती इस गांड को देखकर धर्मवीर का लोड़ा टाइट हो गया, लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल किए हुआ था ।

पूजा ने गिलास हाथ में पकड़ा लेकिन उठी नहीं झुकी ही रही कुछ पलों तक और झुके झुके ही अपनी गांड को थोड़ा सा हिला दिया और फिर सीधी खड़ी हो गई ।

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पूजा समझ गई थी कि उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों ने क्या कहर बरपाया होगा धर्मवीर के लंड पर और कुछ पल ठहर कर गेट की तरफ बढ़ने लगी पूजा।

लेकिन तभी उसके कानों में आवाज गूंजी ।

धर्मवीर - पूजा नीचे जाकर क्या करोगी ।

पूजा मानो इसी का इंतजार कर रही थी कि धर्मवीर उसे रोके । कोई एक बात धर्मवीर के मुंह से निकले और पूजा रुक जाए धर्मवीर के कमरे में ।
यही तो चाह रही थी पूजा और ऐसा सुनते ही पूजा में कहा ।


पूजा - नीचे पापा जी और दीदी टीवी देख रहे हैं वहीं पर जाकर बैठूंगी। वैसे टीवी देखना तो मुझे पसंद नहीं है लेकिन क्या करूं बैठना तो पड़ेगा ही उनके पास ।

अभी तक पूजा धर्मवीर की तरफ नहीं मुड़ी थी अपनी गांड धर्मवीर की तरफ करके गेट की तरह अपना मुंह करके ही जवाब दे रही थी पूजा ।


धर्मवीर- जब तुम्हें टीवी देखना पसंद नहीं है तो फिर क्यों जा रही हो वैसे भी मेरा टीवी नहीं चल रहा है । मैं भी अकेला बोर हो रहा हूं चलो दोनों कुछ देर छत पर टहल कर आते हैं ।

ऐसा सुनकर पूजा मुस्कुराते हुए धर्मवीर की तरफ आने लगी ।

धर्मवीर समझ गया कि उसने उसका उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है

पूजा ने गिलास को बेड के सिरहाने पर रखा और खड़ी हो गई धर्मवीर के सामने ।

अब बारी थी धर्मवीर की कि वह कुछ करे।
धर्मवीर भी खड़ा हुआ और बोला चलो ऊपर चलते हैं और दोनों घर की छत पर पहुंच गए ।


ठंडी ठंडी हवा चल हवा चल रही थी बड़ा ही रोमांचित मौसम था ।
बादल गरज रहे थे और बारिश शुरू ही होने वाली थी । बारिश की कोई कोई बूंद गिर भी रही थी जमीन रही थी जमीन भी रही थी जमीन भी रही थी जमीन । बादल ज्यादा घने थे जिन्हें देखकर लग रहा था कि आज रात मूसलाधार बारिश होने वाली है ।और धीरे-धीरे टपकती हुई कोई कोई बूंद दोनों के जिस्म पर गिर रही थी। लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई थी जिससे वह दोनों भीग जाए कोई-कोई बूंद ही गिर रही थी।


दोनों छत पर टहलने लगे लेकिन एक दूसरे से कोई बातचीत नहीं हो रही थी।

धर्मवीर जब छत पर टहल रहा था तो पूजा जानपूछकर उसके सामने चलती और अपनी गांड को इस तरह से मटकाती कि मानो धर्मवीर के लंड पर चाकू चल रहे हो ।
इस तरह चल रही थी पूजा जैसे फैशन शो में कैटवॉक कर रही हो ।
अपने चूतड़ों की थिरकन में मादकता लाते हुए बड़ी ही मस्तानी चाल से उसके सामने चूतड़ों को मटका मटका कर चल रही थी पूजा ।


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धर्मवीर समझ तो सब रहा था यह सब लंड की भूख है लेकिन पहल कैसे करें यही सोच रहा था ।

उधर पूजा कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी ।
उस चांदनी रात में किसी चूत की देवी या चूत की रानी की तरह मादकता बिखेरते हुए अपने भरे हुए और गदरआए हुए बदन को हिलाते हुए हिचकोले खाते हुए धर्मवीर की आंखों के सामने एक तरह से वासना से भरा नृत्य कर रही थी पूजा।


दोस्तों छत पर दोनों इस तरह से टहल रहे थे की पूजा आगे आगे चलती और धर्मवीर उसके पीछे पीछे पीछे चलती और धर्मवीर उसके पीछे पीछे पीछे उसके पीछे पीछे ।
वह दूसरी तरफ मुड़ती धर्मवीर भी उसकी गांड को निहारते हुए पूजा के पीछे पीछे मुड़ जाता।
मतलब देखकर कहा जा सकता था जैसे किसी चुदासी कुत्तिया के पीछे उसे भभोड़ने लिए कोई कुत्ता घूम रहा हो ।


तभी पूजा के पीछे चलते हुए धर्मवीर ने गाना गुनगुनाना शुरू किया धर्मवीर यह गाना कुछ तेज आवाज में जा रहा था जा रहा था जिसे पूजा साफ-साफ सुन सकती थी ।

धर्मवीर गाना गाने लगा -

एक भीगी हसीना क्या कहना,

यौवन का नगीना क्या कहना ।
सावन का महीना क्या कहना ,

बारिश में पसीना क्या कहना।।


इतना गाना गाकर धर्मवीर चुप हो गया दूसरी तरफ पूजा ने इस गाने को एक इशारा समझा और उसने देर ना करते हुए करते हुए यह गाना आगे शुरू किया ।
पूजा भी इतनी तेजी से गा रही थी कि धर्मवीर साफ सुन सके ।

बहुत ही तेज आवाज में गाना गाने लगी पूजा --

मेरे होठों पे यह अंगूर का जो पानी है,

मेरे महबूब तेरे प्यास की कहानी है ।
जब घटाओं से बूंद जोर से बरसती है,
तुझसे मिलने को तेरी जानेमन तरसती है ।



इतना गाना गाकर पूजा भी चुप हो गई ।
फिर कोई एक दो मिनट पूजा धर्मवीर के आगे आगे आगे आगे आगे चलती रही और धर्मवीर उसकी गांड को देख कर मजा लेता रहा रहा मजा लेता रहा रहा ।
जब कुछ देर तक दोनों के बीच फिर कोई बातचीत नहीं हुई तो धर्मवीर ने फिर से गाना स्टार्ट किया ।
इस बार धर्मवीर की आवाज पहले से भी ज्यादा तेज थी ।

धर्मवीर गाने लगा --

नजरों में छुपा ले देर न कर,

ये दूरी मिटा ले देर न कर ।
अब दिल में बसा ले देर ना कर ,

सीने से लगा ले देर ना कर ।


इतना गाना गाकर धर्मवीर फिर चुप हो गया अब तो पूजा को भी मजा आने लगा आने लगा आने लगा था ।
वह और तड़पाना चाहती थी धर्मवीर चाहती थी धर्मवीर को और ज्यादा अपनी गांड को मटका मटका कर उसके आगे चल रही थी ।
कभी-कभी दुपट्टा ठीक करने के बहाने से वह अपनी गांड के पीछे से दुपट्टा हाथ में पकड़ती और साथ में सूट को भी पकड़ कर कर एक तरफ खींच लेती जिससे उसकी तंग पजामी में मोटे मोटे गद्देदार गोलमोल चूतड़ों के दर्शन हो जाते थे धर्मवीर को ।

इस तरह सताना अच्छा लग रहा था पूजा को ।
आग लगाना चाहती थी धर्मवीर के लंड में तभी तो एक मस्त घोड़ी की तरह हथिनी की तरह मस्ती से चलती हुई अपनी गांड हिला रही थी धर्मवीर के आगे आगे चलते हुए ।

जब धर्मवीर ने इतना गाना गाकर बंद किया तो पूजा ने इस गाने को आगे बढ़ाते हुए गाना स्टार्ट किया। पूजा को इतना मजा आने लगा आने लगा आने लगा था इस खेल में कि उसने अब धर्मवीर से भी तेज आवाज में गाने का निर्णय लिया और लगभग बहुत ही तेज आवाज में पूजा ने गाना शुरू किया ।
उसकी आवाज इतनी तेज थी कि उसके घर से तीसरे या चौथे घर में भी आराम से सुनी जा सकती थी लेकिन धर्मवीर के घर के आस-पास कोई घर नहीं था पास में । जिस वजह से पूजा को कोई डर भी नहीं था ।
अपनी पूरी आवाज खोल कर कर तेज आवाज में गाने लगी पूजा।


पूजा गाने लगी --

बड़ी बेचैन हूं मैं मेरी जान मैं कल परसों से ,

था मुझे इंतजार इस दिन का बरसों से ।
अब जो रोकेगा तो मैं हद से गुजर जाऊंगी ,

और तड़पाएगा दिलदार तो मैं मर जाऊंगी ।।


इस गाने के बहाने से दोनों ने बड़ी ही आसानी से अपनी अपनी बात एकदूसरे के सामने रखदी। लेकिन अब भी कुछ बाकी था । पहल करने ही हिम्मत बाकी थी ।

उसके पीछे चलता हुआ धर्मवीर फिर गाना गाने लगा।

गाना कुछ इस तरह था -

जी करता है तेरी जुल्फों से खेलूं ,

जी करता है तेरी तुझे बाहों में ले लूं ।
जी करता है तेरे होठों को चूमूँ,

जी करता है तेरे इश्क में झूमुं ।

पूजा भी कुछ सोचने लगी और धर्मवीर के सामने चलते हुए कुछ सेकंड के लिए रुकी ।
धरमवीर भी उसके पीछे रुक गया पूजा ने वह किया जिसकी उम्मीद धर्मवीर को नहीं थी ।
पूजा ने रुक कर अपने दोनों हाथ अपने घुटनों पर रखें और अपने पिछवाड़े को पीछे की तरफ निकालकर अपनी गांड को कुछ इस तरह हिलाया जैसे जैसे पॉर्न मूवी में कोई पॉर्नस्टार अपनी गांड हिलाती है ।

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पूजा के गद्देदार और भारी कूल्हों वाली गांड को इस तरह हिलता देखकर आसमान टूट पड़ा धर्मवीर के ऊपर ।

कुछ सेकंड के लिए इस तरह अपनी गांड हिला कर पूजा फिर धर्मवीर के आगे आगे चलने लगी । अब गाना गाने की बारी पूजा की थी ।
पूजा ने अपने दुपट्टे को अपने सर पर किया अपने चेहरे पर हल्का सा पर्दा किया और इस बार जो पूजा ने गाना गाया पूजा की आवाज कुछ तेज नहीं थी । बड़ी ही मादक आवाज में पूजा ने गाना गाया और उसने बस इतनी ही आवाज में गाना गाया कि धर्मवीर सुन सके ।
बड़े ही सेक्सी अंदाज में पूजा ने धर्मवीर के ही गाने को अलग अंदाज में गाने लगी ।

गाना कुछ इस तरह था ।

जी करता है तेरे लंड से खेलूं ,

जी करता है उसे अपनी चूत में ले लूं ।
जी करता है तेरे लंड को चूमूँ,

जी करता है तेरे लंड पर झुलूं ।
Hayee हाय की इस मादक आवाज के साथ गाना खत्म हुआ ।

यह पूजा का बेहद ही बेशर्मी भड़क कदम था जो बड़ी हिम्मत करके उठाया था पूजा ने ।

अब कुछ बचा था तो वह थी शुरुआत । एक पहल जो दोनों में से कोई भी कर सकता था ।
लेकिन पूजा को तो सती सावित्री बनना था ।
तड़पाना अच्छा लग रहा धर्मवीर को और अपना गाना खत्म करके वह सीधा छत की ग्रिल पर खड़ी हो गई ।
अपने दोनों हाथ उसने ग्रिल पर रख लिए ।

अब धर्मवीर क्या करता ऐसे ही टहलता रहता या कोई पहल करता ।
ऐसी ही कंडीशन थी छत पर ।

धर्मवीर ने टहलने का इरादा बदल दिया और पूजा के बिल्कुल पीछे जाकर खड़ा हो गया ।

पूजा को एहसास हो गया था कि धर्मवीर बिल्कुल इसके बिल्कुल इसके पीछे खड़ा है लेकिन उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।

तभी धरमवीर की सांसो उसे अपने कान पर महसूस हुई ।
पूजा का दिल धक-धक करने लगा शर्म और लज्जा की वजह से उसने अपनी आंखें बंद कर ली ।


धर्मवीर बोला - गाओ ना पूजा गाना क्यों बंद कर दिया ।

पूजा - मुझसे नहीं आता गाना वाना । वह तो बस ऐसे ही मुंह से निकल गया।

धर्मवीर अब आगे आगे का क्या इरादा है ।

इस सवाल से तो पूजा की सांसे ही थम गई ही थम गई लेकिन अपने आप पर कंट्रोल करते हुए अपनी मुट्ठियों को भींचते हुए पूजा ने जवाब दिया - आगे का इरादा ? मैं कुछ समझी नहीं ।


धर्मवीर उसके कान के पास अपने होंठ ले जाकर जाकर बड़े धीरे से मादक आवाज में बोला - तो तुम मेरे कमरे में क्या करने आई थी ।

पूजा अब कैसे कहती है कि वह चुदने आई थी । उसके नीचे नंगी लेटने आई थी ।

पूजा बोली - मैं तो आपको दूध देने आई थी ।

उसके कान में धर्मवीर फिर धीरे से बोला- मुझे तो नहीं लगता तुम दूध देने आई थी थी ।

पूजा भी अपनी आंखें बंद किए हुए मादक आवाज में में बोली - तो फिर मैं क्या करने आई थी । दूध ही तो देने आई थी थी तो देने आई थी थी आपको ।

धर्मवीर - मैं बताऊं तुमको क्या करने आई थी ।


पूजा समझ गई कि अब कुछ होने वाला है । अपनी सांसो पर कंट्रोल करते हुए धीरे-धीरे उसने अपनी आंखें खोली ।
उसकी आंखों के सामने शहर का नजारा था । लाइट से जगमग हो रहा था पूरा शहर और बारिश शुरू होने से पहले चलने वाली तेज ठंडी हवा पूजा के बालों को उड़ा रही थी जो उसके बाल कभी उसके चेहरे पर आ जाते तो कभी हवा की वजह से अपने आप ही हट जाते और इस ठंडी ठंडी ठंडी हवा में ठंडी ठंडी ठंडी हवा में कोई कोई बूंद बूंद उनके बदन पर गिर रही थी और ऐसी स्थिति में जब धर्मवीर की सांसें उसकी कानों से टकराती उसकी कानों से टकराती तो उसकी सांसे उसे बहुत ही गर्म लगती।

माहौल उत्तेजक हो चला था था चला था था धर्मवीर अपने होठों को उपासना के कान के पास रखकर धीरे धीरे सांस ले रहा था और पूजा के जवाब का इंतजार कर रहा था । इस तरह बिल्कुल पीछे खड़े होने की वजह से दोस्तों धर्मवीर का लंड पूजा की गांड से छू रहा था और आप पूजा की हालत समझ सकते हैं मुश्किल से नियंत्रण में रखी हुई थी वह अपने जज्बातों को , अपने हालातों को , अपनी सांसो को ।

पूजा में धीरे से - कहा धत्त बड़े आए । मैं दूध लेकर नहीं आई थी तो क्या करने आई थी चलिए बताइए । आपको जब आपको इतना पता है कि मैं दूध लेकर नहीं आई थी तो बताइए मैं भी तो सुनूं ।


धर्मवीर धीरे से उसके कान में बोला- पूजा सच कड़वा होता है कहीं ऐसा ना हो कि तुम बुरा मान जाओ ।

अब पूजा के सामने उसकी शर्म चुनौती बन के खड़ी हो गई खड़ी हो गई के खड़ी हो गई खड़ी चुनौती बन के खड़ी हो गई खड़ी हो गई के खड़ी हो गई खड़ी हो गई ।

पूजा धीरे से बोली - देखिए मैं सिर्फ आपको दूध देने आई थी यदि आपको लगता है कि मैं कुछ और करने आई थी तो बताइए मैं क्या करने आई थी।

धर्मवीर ने उसके कान में कहा कान में कहा - लो तो बता देते हैं क्या करने आए थे आप पूजा जी मेरे कमरे में ।

ऐसा कह कर धर्मवीर एक साथ पूजा के पीछे से साथ पूजा के पीछे से पूजा के पीछे से हट गया।
पूजा को एहसास हुआ कि जो जो हुआ कि जो धर्मवीर अभी उसकी गांड से चिपका हुआ था वह बिल्कुल उससे अलग अलग हट उससे अलग अलग हट गया है । आखिर वह क्या कर रहा है या उसका क्या करने का इरादा है । पूजा यह सब सोच ही रही थी लेकिन उसने पीछे गर्दन मोड़कर नहीं देखा ।वह शहर की तरफ अपना चेहरा सीधा करके बस जगमगाते शहर को देख रही थी और सोच रही थी कि अब क्या होने वाला है। धर्मवीर तो कह रहा था कि बता देते हैं लेकिन धर्मवीर ने तो कुछ नहीं बताया और पीछे से भी हट गया और दोस्तों अगले ही पल वह हुआ जिसकी उम्मीद या कल्पना भी पूजा ने नहीं की थी ।



हां दोस्तों धर्मवीर जैसे ही पूजा के पीछे से हटा। वह बिल्कुल पूजा के पीछे बैठ गया उसके पीछे बैठकर उसकी चौड़ी गांड गांड धर्मवीर के सामने थी ।
धर्मवीर ने आहिस्ते से धीरे से पूजा के सूट को को हाथ से पकड़ कर उठाया और उस तंग पजामी में में में तंग पजामी में में पजामी में में फंसी हुई पूजा की गांड को दो पल के लिए निहारा और फिर उसकी गांड की दरार में अपने दोनों हाथों से उसकी पजामी को पकड़कर विपरीत दिशाओं में अपनी पूरी जान से फाड़ दिया और यह सब इतना जल्दी हुआ की पूजा जब तक समझती समझती तब तक उसकी गांड पर से पजामी पजामी फट चुकी थी और उसकी पेंटी में फंसे हुए चूतड़ धर्मवीर के सामने थे


उसकी पैंटी की जो उसके चूतड़ों के बीचो बीच फंसी हुई थी दिख भी नहीं रही थी । गोल गोल सांवले भारी चूतड़ों को देखकर धर्मवीर ने अपना नियंत्रण खो दिया और एक हाथ से नहीं बल्कि अपने दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों पर एक साथ थप्पड़ मारा थप्पड़ मारा ।

थप्पड़ भी जोरदार था पूरी गांड हिल हिल गई और पूजा के मुह से चीख निकली - आउच ।


धर्मवीर एक साथ थप्पड़ मारकर खड़ा हो गया उपासना की आंखें बंद हो चुकी थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि इसका विरोध करूं इसका विरोध करूं या समर्थन ।

तभी धर्मवीर की आवाज उसके कानों में गूंजी जो पहले की तरह धीरे नहीं थी। इस आवाज में तो गुर्राहट और जंगलीपना था।

धर्मवीर - पता चला या अब बोलकर बताऊं कि तुम मेरे पास चुदने आई थी।

धरमवीर की बेशर्मी से हिल गई थी पूजा ।

पूजा ने हिम्मत करते हुए कहा- यह क्या बदतमीजी है ।आपको शर्म नहीं आती ।


धर्मवीर हंसते हुए- हाहाहा शर्म- शर्म की उम्मीद वह भी मुझसे ।
वैसे तुझे तो बहुत शर्म आती है अपनी गांड को फैलाकर झुक गई थी मेरे सामने। आधे घंटे से अपने चूतड़ों को मटका मटका कर मेरे आगे चल रही थी । तुझे तो बहुत शर्म आती है । मुझे तो हैरानी है कि लंड की भूकी लड़की को भी शर्म आती है ।



अब पूजा के पास इसका कोई जवाब नहीं था धर्मवीर ने उसकी गर्दन पकड़ी पकड़ी और उसका चेहरा अपनी तरफ किया पूजा की आंखों में आंखें डाल कर बोला बोला कर बोला 2 मिनट में नीचे आ जाना जाना तेरी चुदाई करनी है । सुन लिया ना चोदना है तुझे घोड़ी । यही करनी तो आई थी आई थी चुदाई ।
मैं तेरे बाप सोमनाथ की तरह नहीं हूं जो साला कभी लात खाता है, तो कभी धक्का खाता है । तुम दोनों बेटियों ने अभी धर्मवीर को सही से नहीं पहचाना है । अपना यह सावित्रीपना जाकर किसी और मादरचोद को दिखाना समझी। मैं बस तेरे जैसी चूतों में लंड उतारना जानता जानता हूं अब तुझे तय करना है की जबरदस्ती तेरे जैसी घोड़ी के ऊपर मैं चढूं या अपनी मर्जी से मेरे लंड के आगे अपनी चूत खोलेगी । तेरे जैसी लौंडिया मैंने बहुत नचाई है अपने लोड़े पर। तेरे जैसी घोड़ियों की नाक में नकेल डाली है मैंने । तेरी जैसी गदरआई हुई कुतिया के गले में पट्टा डालना सीखा है मैंने और तू धर्मवीर के सामने नखरे कर रही है ।

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सीधी बात है प्यार से चुदना है तो प्यार से चोदूंगा वरना हलक में लौड़ा उतार के के तेरी गांड को गोदाम बना दूंगा। तू मुझे पागल समझती है जब पहले दिन तू अपनी गांड को मटका मटका कर सीढ़ियों पर पर चल रही थी मैं तभी समझ गया था कि तेरे जैसी घोड़ी जल्दबाजी में ठंडी नहीं होती । तुझे तो पूरी रात तेरे ऊपर चढ़कर चोदना पड़ेगा, तेरी चूत पर अपने लंड से हल चलाना हल चलाना पड़ेगा। तब जाकर ठंडी होगी तू ।

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अब समझ गई ना रंडी अगर प्यार से चुदना है तो चुपचाप नीचे आ जाना । अगर 2 मिनट में नीचे नहीं आई नीचे नहीं आई तो तुझे अपने लोड़े पर बैठा कर कर तेरी गांड पर लात बजाता हुआ नीचे जाऊंगा। फैसला तेरे हाथ में ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने पूजा के मुंह पर थूक दिया तू कितना ज्यादा था कि उसके गाल से टपकता हुआ उसके होठों तक आ गया ।


ऐसा कहकर धर्मवीर पूजा की गांड पर एक और थप्पड़ लगाकर नीचे की तरफ चला गया गया गया ।


पूजा कुछ पलों के लिए खड़ी खड़ी सन्न रह रह रह गई ।
समझ नहीं आया कि धर्मवीर किस मिट्टी का बना है। किस तरह सोचता है धर्मवीर ।अपने चेहरे को साफ करती हुई और यही सब सोचो में गुम पूजा के पैर छत से नीचे की तरफ बढ़ गए।


नीचे आकर उसने धर्मवीर के कमरे में देखा तो कोई नहीं था लेकिन कमरे से बराबर में जो कमरा था उसका दरवाजा खुला हुआ था ।

पूजा ने देखा कि दरवाजा बिल्कुल खुला हुआ है उसने अंदर झांक कर देखा तो धर्मवीर बस चड्डी पहने हुए था और चटाई बिछाकर कमरे में बैठा हुआ था। और दरवाजे की तरफ धर्मवीर ने पीठ की हुई थी जिस वजह से उसका चेहरा उसे नहीं दिख रहा था लेकिन उससे हैरानी तब हुई जब उसके कानों में धर्मवीर की आवाज पड़ी ।

धर्मवीर- खड़ी खड़ी क्या देख रही है इसी कमरे में है तेरी चुदाई का प्रोग्राम। इसी कमरे में चुदेगी तू आज । मेरे लोड़े पर तेरी चूत का पानी लगेगा ।

पूजा को हैरानी हुई कि धर्मवीर ने उसकी तरफ चेहरा भी नहीं किया हुआ है फिर धर्मवीर को कैसे पता चला कि वह गेट पर खड़ी है वास्तव में बहुत शातिर है मेरी बहन का ससुर ।

पूजा यह आवाज़ सुनकर लगभग हिल सी गई।
सोफे पर बैठे बैठे अपने दुपट्टे को भी ठीक ठाक कर लिया ,अब अगले पल मे होने वाली घटना का सामना करने के लिए हिम्मत जुटा रही थी ।

तभी पूजा के कान मे एक आवाज़ आई और वह कांप सी गई।

धर्मवीर - आओ इधर ।


पूजा को लगा कि वह यह आवाज़ सुनकर बेहोश हो जाएगी ।

अगले पल पूजा सोफे पर से उठी और अंदर के हिस्से मे आ गयी ।
पूजा ने देखा कि धर्मवीर जी नीचे चटाई पर बैठे हैं और उसी की ओर देख रहे हैं ।


अगले पल धर्मवीर जी ने कहा - चटाई ला कर बिछा यहाँ और तैयार हो जा ।

पूजा समझ गयी कि धर्मवीर जी क्या करना चाहते हैं।

उसने चटाई ला कर धर्मवीर वाली जगह यानी चटाई के बगल मे बिछा दी।

अब धर्मवीर जी के कहे गये शब्द यानी तैयारी के बारे मे सोचने लगी । उसका मतलब पेशाब करने से था. उसे मालूम था कि धर्मवीर जी ने उसे तैयार यानी पेशाब कर के चटाई पर आने के लिए कहा है ।
लेकिन उनके सामने ही बाथरूम मे जाना काफ़ी शर्म वाला काम लग रहा था और यही सोच कर वह एक मूर्ति की तरह खड़ी थी ।

तभी धर्मवीर जी ने बोला - पेशाब तो कर ले, नही तो तेरी जैसी लौंडिया पर मेरे जैसा कोई चढ़ेगा तो मूत देगी तुरंत । वैसे भी तुझे आज मुता मुता कर चोदना है ।

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यह सुनकर पूजा की आंखे जमीन में गढ़ गयीं ।
दूसरे पल पूजा बाथरूम की तरफ चल दी। बाथरूम मे अंदर आ कर जैसे अपनी सलवार के नाड़े पर हाथ लगाई कि मन मस्ती मे झूम उठा।

उसके कानो मे धर्मवीर जी की चढ़ने वाली बात गूँज उठी । पूजा का मन लहराने लगा ।
वह समझ गयी कि अगले पल मे उसे धर्मवीर जी अपने लंड से चोदेंगे।
नाड़े के खुलते ही फटी हुई सलवार को नीचे सरकई और फिर पैंटी को भी सरकाकर मूतने के लिए बैठ गयी।

पूजा का मन काफ़ी मस्त हो चुका था। उसकी साँसे तेज चल रही थी ।
वह अंदर ही अंदर बहुत खुश थी । फिर मूतने के लिए जोर लगाई तो मूत निकालने लगा। मूतने के बाद खड़ी हुई और पैंटी उपर सरकाने से पहले एक हाथ से अपनी चूत को सहलाया ।
फिर जब सलवार का नाड़ा बाँधने लगी तो पूजा को लगा कि उसके हाथ कांप से रहे थे ।

फिर गेट खोलकर बाहर आई तो देखी कि धर्मवीर जी अपना कोट निकाल कर केवल चड्डी मे ही चटाई पर बैठे उसी की ओर देख रहे थे।

अब पूजा का कलेजा तेज़ी से धक धक कर रहा था। वह काफ़ी हिम्मत करके धर्मवीर जी के तरफ बढ़ी लेकिन चटाई से कुछ दूर पर ही खड़ी हो गयी और अपनी आँखें लगभग बंद कर ली।

वह धर्मवीर जी को देख पाने की हिम्मत नही जुटा जा पा रही थी ।

तभी धर्मवीर जी चटाई पर से खड़े हुए और पूजा का एक हाथ पकड़ कर चटाई पर खींच कर ले गये ।
फिर चटाई के बीच मे बैठ कर पूजा का हाथ पकड़ कर अपनी गोद मे खींच कर बैठाने लगे ।

धर्मवीर जी के मजबूत हाथों के खिचाव से पूजा उनके गोद मे अपने बड़े बड़े चूतड़ों के साथ बैठ गयी।

अगले पल मानो एक बिजली सी उसके शरीर मे दौड़ उठी ।
अब पूजा की बड़ी बड़ी चुचियाँ समीज़ मे एक दम बाहर की ओर निकली हुई दीख रहीं थी ।

पूजा अपनी आँखें लगभग बंद कर रखी थी। लेकिन पूजा ने अपने हाथों से अपने चुचिओ को ढकने की कोई कोशिस नही की और दोनो चुचियाँ समीज़ मे एक दम से खड़ी खड़ी थी ।
मानो पूजा खुद ही दोनो गोल गोल कसे हुए चुचिओ को दिखाना चाहती हो। पूजा अब धर्मवीर की गोद मे बैठे ही बैठे मस्त होती जा रही थी ।

धर्मवीर जी ने पूजा के दोनो चुचिओ को गौर से देखते हुए उनपर हल्के से हाथ फेरा मानो चुचिओ की साइज़ और कसाव नाप रहे हों ।

पूजा को पंडित जी का हाथ फेरना और हल्का सा चुचिओ का नाप तौल करना बहुत ही अच्छा लग रहा था। इसी वजह से वह अपनी चुचिओ को छुपाने के बजाय कुछ उचका कर और बाहर की ओर निकाल दी जिससे धर्मवीर जी उसकी चुचिओ को अपने हाथों मे पूरी तरह से पकड़ ले.।

पूजा अब धर्मवीर जी की गोद मे एकदम मूर्ति की तरह बैठ कर मज़ा ले रही थी।
अगले पल वह खुद ही धर्मवीर के गोद मे आगे की ओर थोड़ी सी उचकी और अपने समीज़ को दोनो हाथों से खुद ही निकालने लगी। अब वह खुद ही आगे आगे चल रही थी।

पूजा को अब देर करना ठीक नही लग रहा था ।
आख़िर समीज़ को निकाल कर फर्श पर रख दी ।
धर्मवीर की गोद मे खुद ही काफ़ी ठीक से बैठ कर अपने सिर को कुछ झुका लिया पूजा ने लेकिन दोनो छातियो को ब्रा मे और उपर करके निकाल दी।


धर्मवीर पूजा के उतावलेपन को देख कर मस्त हो गये।
वह सोचने लगे कि पूजा लंड के लिए पगलाने लगी है। फिर भी धर्मवीर एक पुराने चोदु थे और अपने जीवन मे बहुत सी लड़कियो और औरतों को चोद चुके थे । इस वजह से वे कई किस्म की लड़कियो और औरतों के स्वाभाव से भली भाँति परिचित थे।
इस वजह से समझ गये की पूजा काफ़ी गर्म किस्म की लड़की है और अपने जीवन मे एक बड़ी छिनाल भी बन सकती है। बस ज़रूरत है उसको छिनाल बनाने वालों की।

धर्मवीर यही सब सोच रहे थे और ब्रा के उपर से दोनो चुचिओ को अपने हाथों से हल्के हल्के दबा रहे था।
पूजा अपने शरीर को काफ़ी अकड़ कर धर्मवीर के गोद मे बैठी थी जैसे लग रहा था कि वह खुद ही दबवाना चाहती हो।

धर्मवीर ने ब्रा के उपर से ही दोनो चुचिओ को मसलना सुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद ब्रा की हुक को पीछे से खोल कर दोनो चुचिओ से जैसे ही हटाया की दोनो चुचियाँ एक झटके के साथ बाहर आ गयीं।

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चुचियाँ जैसे ही बाहर आईं की पूजा की मस्ती और बढ़ गयी और वह सोचने लगी की जल्दी से धर्मवीर दोनो चुचिओ को कस कस कर मसले ।
धर्मवीर ने चुचिओ पर हाथ फिराना सुरू कर दिया। नंगी चुचिओ पर धर्मवीर जी हाथ फिरा कर चुचिओ के आकार और कसाव को देख रहे थे जबकि पूजा के इच्छा थी की धर्मवीर उसकी चुचिओ को अब ज़ोर ज़ोर से मीसे ।


आख़िर पूजा लाज़ के मारे कुछ कह नही सकती तो अपनी इस इच्छा को धर्मवीर के सामने रखने के लिए अपने छाति को बाहर की ओर उचकाते हुए एक मदहोशी भरे अंदाज़ मे धर्मवीर के गोद मे कसमासाई तो धर्मवीर समझ गये और बोले ।

धर्मवीर - थोड़ा धीरज रख रे छिनाल, अभी तुझे कस कस के चोदुन्गा ।
धीरे धीरे मज़ा ले अपनी जवानी का समझी, तू तो इस उम्र मे लंड के लिए इतना पगला गयी है आगे क्या करेगी कुतिया ।

धर्मवीर भी पूजा की गर्मी देख कर दंग रह गये। उन्हे भी ऐसी किसी औरत से कभी पाला ही नही पड़ा था जो उसके सामने ही रंडी की तरह व्यवहार करने लगे।


पूजा के कान मे धरमवीर की आवाज़ जाते ही डर के बजाय एक नई मस्ती फिर दौड़ गयी । तब धर्मवीर ने उसके दोनो चुचिओ को कस कस कर मीज़ना सुरू कर दिया ।

ऐसा देख कर पूजा अपनी छातियो को धर्मवीर के हाथ मे उचकाने लगी ।
रह रह कर धर्मवीर अब पूजा के चुचों की घुंडीओ को भी ऐंठने लगे फिर दोनो चुचिओ को मुँह मे लेकर खूब चुसाइ सुरू कर दी।

अब क्या था पूजा की आँखें ढपने लगी और उसकी जांघों के बीच अब सनसनाहट फैलने लगी ।
थोड़ी देर की चुसाइ के बाद चूत मे चुनचुनी उठने लगी मानो चींटियाँ रेंग रहीं हो ।

अब पूजा कुछ और मस्त हो गयी और लाज़ और शर्म मानो शरीर से गायब होता जा रहा था ।
धर्मवीर जो की काफ़ी गोरे रंग के थे और बस चड्डी मे चटाई के बीच मे बैठे और उनकी गोद मे पूजा साँवली रंग की थी और चुचियाँ भी साँवली थी और उसकी घुंडिया तो एकदम से काले अंगूर की तरह थी जो धर्मवीर के गोरे मुँह मे काले अंगूर की तरह खड़े थे जिसे वे चूस रहे थे।

धर्मवीर की गोद मे बैठी पूजा पंडित जी के काफ़ी गोरे होने के वजह से मानो पूजा एकदम काली नज़र आ रही थी. दोनो के रंग एक दूसरे के बिपरीत ही थे ।

जहाँ धर्मवीर का लंड भी गोरा था वहीं पूजा की चूत तो एकदम से काली थी। पूजा की चुचिओ की चुसाइ के बीच मे ही धर्मवीर ने पूजा के मुँह को अपने हाथ से ज़ोर से पकड़ कर अपने मुँह से सटाया फिर पूजा के निचले और उपरी होंठो को चूसने और चाटने लगे।

पूजा एकदम से पागल सी हो गयी। अब उसे लगा कि उसकी चूत में कुछ गीला पन हो रहा है।


पूजा अब धर्मवीर के गोद मे बैठे ही बैठे अपने होंठो को चूसा रही थी तभी धर्मवीर बोले।


धरमवीर - जीभ निकाल चुद्दो ।

पूजा को समझ नही आया की जीभ का क्या करेंगे । फिर भी मस्त होने की स्थिति मे उसने अपने जीभ को अपने मुँह से बाहर निकाली और धर्मवीर लपाक से अपने दोनो होंठो मे कस कर चूसने लगे ।

जीभ पर लगे पूजा के मुँह का थूक चाट गये ।
पूजा को जीभ का चटाना बहुत अच्छा लगा । फिर धर्मवीर अपने मुँह के होंठो को पूजा के मुँह के होंठो पर कुछ ऐसा कर के जमा दिए की दोनो लोंगो के मुँह एक दूसरे से एकदम सॅट गया और अगले ही पल धर्मवीर ने ढेर सारा थूक अपने मुँह मे से पूजा के मुँह मे धकेलना सुरू कर किया।

पूजा अपने मुँह मे धर्मवीर का थूक के आने से कुछ घबरा सी गयी और अपने मुँह हटाना चाही लेकिन पूजा के मुँह के जबड़े को धर्मवीर ने अपने हाथों से कस कर पकड़ लिए था। तभी धर्मवीर के मुँह मे से ढेर सारा थूक पूजा के मुँह मे आया ही था की पूजा को लगा की उसे उल्टी हो जाएगी और लगभग तड़फ़ड़ाते हुए अपने मुँह को धर्मवीर के मुँह से हटाने की जोर मारी ।

तब धर्मवीर ने उसके जबड़े पर से अपना हाथ हटा लिए और पूजा के मुँह मे जो भी धर्मवीर का थूक था वह उसे निगल गयी । लेकिन फिर धर्मवीर ने पूजा के जबड़े को पकड़ के ज़ोर से दबा कर मुँह को चौड़ा किए और मुँह के चौड़ा होते ही अपने मुँह मे बचे हुए थूक को पूजा के मुँह के अंदर बीचोबीच थूक दिया जो की सीधे पूजा के गले के कंठ मे गिरी और पूजा उसे भी निगल गयी ।

पूजा के मुँह मे धर्मवीर का थूक जाते ही उसके शरीर मे अश्लीलता और वासना का एक नया तेज नशा होना सुरू हो गया ।

मानो धर्मवीर ने पूजा के मुँह मे थूक नही बल्कि कोई नशीला चीज़ डाल दिया हो।
पूजा मदहोशी की हालत मे अपने सलवार के उपर से ही चूत को भींच लिया।

धर्मवीर पूजा की यह हरकत देखते समझ गये कि अब चूत की फाँकें फड़फड़ा रही हैं।
दूसरे पल धर्मवीर के हाथ पूजा के सलवार के नाड़े पर पहुँच कर नाड़े की गाँठ खोलने लगा ।

लेकिन धर्मवीर की गोद मे बैठी पूजा के सलवार की गाँठ कुछ कसा बँधे होने से खुल नही पा रहा था।
ऐसा देखते ही पूजा धर्मवीर की गोद मे बैठे ही बैठे अपने दोनो हाथ नाड़े पर लेजाकर धर्मवीर के हाथ की उंगलिओ को हटा कर खुद ही नाड़े की गाँठ खोलने लगीं।

ऐसा देख कर धर्मवीर ने अपने हाथ को नाड़े की गाँठ के थोड़ा दूर कर के पूजा के द्वारा नाड़े को खुल जाने का इंतजार करने लगे।

अगले पल नाड़े की गाँठ पूजा के दोनो हाथों ने खोल दी और फिर पूजा के दोनो हाथ अलग अलग हो गये।

यह देख कर धर्मवीर समझ गये की आगे का काम उनका है क्योंकि पूजा सलवार के नाड़े के गाँठ खुलते ही हाथ हटा लेने का मतलब था कि वह खुद सलवार नही निकलना चाहती थी ।शायद लाज़ के कारण, फिर पूजा का हाथ हटते ही धर्मवीर अपने हाथ को सलवार के नाड़े को उसके कमर मे से ढीला करने लगे ।

धर्मवीर के गोद मे बैठी पूजा के कमर मे सलवार के ढीले होते ही सलवार कमर के कुछ नीचे हुआ तो गोद मे बैठी पूजा की चड्डी का उपरी हिस्सा दिखने लगा ।

फिर धर्मवीर अगले पल ज्योन्हि पूजा की सलवार को निकालने की कोशिस करना सुरू किए की पूजा ने अपने चौड़े चूतड़ों को गोद मे से कुछ उपर की ओर हवा मे उठा दी और मौका देखते ही धर्मवीर सलवार को पूजा के चूतड़ों के नीचे से सरकाकर उसके पैरों से होते हुए निकाल कर फर्श पर फेंक दिया ।

अब केवल पैंटी मे पूजा अपने बड़े बड़े और काले चूतड़ों को लेकर धर्मवीर के गोद मे बैठ गयी।

पूजा के दोनो चूतड़ चौड़े होने के नाते काफ़ी बड़े बड़े लग रहे थे और फैल से गये थे । जिस अंदाज़ मे पूजा बैठी थी उससे उसकी लंड की भूख एकदम सॉफ दिख रही थी।
चेहरे पर जो भाव थे वह उसके बेशर्मी को बता रहे थे।
अब पूजा की साँसे और तेज चल रही थी ।सलवार हटते ही पूजा की मोटी मोटी जांघ भी नंगी हो गयी जिसपर धर्मवीर की नज़र और हाथ फिसलने लगे।

पूजा की जांघे काफ़ी मांसल और गोल गोल साँवले रंग की थी। लेकिन चूत के पास के जाँघ का हिस्सा कुछ ज़्यादा ही सांवला था।

धर्मवीर पूजा की नंगी और मांसल साँवले रंग की जांघों को अब काफ़ी ध्यान से देख रहे थे ।

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पूजा जो की धर्मवीर के गोद मे ऐसे बैठी थी मानो अब धर्मवीर के गोद से उठना नही चाहती हो।
धर्मवीर का लंड भी चड्डी के अंदर खड़ा हो चुका था।
जिसका कडापन और चुभन केवल पैंटी मे बैठी पूजा अपने काले चूतड़ों मे आराम से महसूस कर रही थी ।

फिर भी बहुत ही आराम से एक चुदैल औरत की तरह अपने दोनो चूतड़ों को उनके गोद मे पसार कर बैठी थी।

धर्मवीर ने पुजा को गोद मे बैठाए हुए उसकी नंगी गोल गोल चुचिओ पर हाथ फेरते हुए काफ़ी धीरे से पूछा - मज़ा आ रहा है ना।

इस पर पूजा धीरे से बोली - जी ।
और अगले पल अपनी सिर कुछ नीचे झुका ली । साँसे कुछ तेज ले रही थी।

धर्मवीर - तेरे जैसे भरे शरीर की लौंडिया को ऐसे ही चोदना चाहिए पूरी जवानी ठंडी कर देनी चाहिए । वरना तेरे जैसी संस्कारी लड़की आवारा लड़को के लौड़ों के नीचे सोने लगती है । और उनके लंड का पानी यदि एकबार पी लिया तेरी इस भैंस जैसी चूत ने तो तुझे चुदक्कड़ कुतिया बनने से कोई नही रोक सकता ।

धर्मवीर पूजा के पैंटी के उपर से ही चूत को मीज़ते हुए यह सब बातें धीरे धीरे बोल रहे थे और पूजा सब चुप चाप सुन रही थी ।
वह गहरी गहरी साँसें ले रही थी और नज़रें झुकाए हुए थी।

धर्मवीर की बातें सुन रही पूजा खूब अच्छी तरह समझ रही थी कि धर्मवीर किन आवारों की बात कर रहें हैं । लेकिन वह नही समझ पा रही थी कि अवारों के लंड का पानी मे कौन सा नशा होता है जो औरत को छिनाल या चुदैल बना देता है।

पूजा को धर्मवीर की यह सब बातें केवल एक सलाह लग रही थी जबकि वास्तव मे धर्मवीर के मन मे यह डर था कि अब पूजा को लंड का स्वाद मिल चुका है और वह काफ़ी गर्म भी है।

ऐसे मे यदि शहर के आवारा लड़के मौका पा के पूजा की रगड़दार चुदाई कर देंगे तो पूजा केवल मुझसे चुद्ते रहना उतना पसंद नही करेगी और अपने शहर के आवारे लौड़ों के चक्कर मे इधर उधर घूमती फिरती रहेगी। जिससे हो सकता है कि धर्मवीर के यहां पर आना जाना भी बंद कर दे ।


चूत को पैंटी के उपर से सहलाते हुए जब भी चूत के छेद वाले हिस्से पर उंगली जाती तो पैंटी को छेद वाला हिस्सा चूत के रस से भीगे होने से धर्मवीर जी की उंगली भी भीग जा रही थी।

धर्मवीर जब यह देखे कि पूजा की चूत अब बह रही है तो उसकी पैंटी निकालने के लिए अपने हाथ को पूजा के कमर के पास पैंटी के अंदर उंगली डाल कर निकालने के लिए सरकाना सुरू करने वाले थे कि पूजा समझ गयी कि अब पैंटी निकालना है तो पैंटी काफ़ी कसी होने के नाते वह खुद ही निकालने के लिए उनकी गोद से ज्योन्हि उठना चाही धर्मवीर ने उसका कमर पकड़ कर वापस गोद मे बैठा लिए और गुर्राकर तेज आवाज में बोले ।

धरमवीर - रूक आज मैं तुम्हारी पैंटी निकालूँगा । थोड़ा मेरे से अपनी कसी हुई पैंटी निकलवाने का तो मज़ा लेले रंडी की बहन ।

पूजा धर्मवीर के गोद मे बैठने के बाद यह सोचने लगी कि कहीं आज पैंटी फट ना जाए।

फिर पूजा की पैंटी के किनारे मे अपनी उंगली फँसा कर धीरे धीरे कमर के नीचे सरकाने लगे । पैंटी काफ़ी कसी होने के वजह से थोड़ी थोड़ी सरक रही थी।

पूजा काफ़ी मदद कर रही थी कि उसकी पैंटी आराम से निकल जाए। फिर पूजा ने अपने चूतड़ों को हल्के सा गोद से उपर कर हवा मे उठाई लेकिन धर्मवीर जी चूतड़ की चौड़ाई और पैंटी का कसाव देख कर समझ गये कि ऐसे पैंटी निकल नही पाएगी, क्योंकि कमर का हिस्सा तो कुछ पतला था लेकिन नीचे चूतड़ काफ़ी चौड़े थे फिर उन्होने पूजा को अपने गोद मे से उठकर खड़ा होने के लिए कहा - चल खड़ी हो जा बहनकी लौड़ी तब निकालूँगा तेरी पैंटी , तेरे कूल्हे इतने चौड़े हैं कि लगता है किसी कम उम्र की भैंस के चूतड़ हों ।

इतना सुनते ही पूजा उठकर खड़ी हो गयी और फिर धर्मवीर उसकी पैंटी निकालने की कोशिस करने लगे। पैंटी इतनी कोशिस के बावजूद बस थोड़ी थोड़ी किसी तरह सरक रही थी ।

पूजा के गोल मटोल चूतड़ धर्मवीर के मुँह के ठीक सामने ही थे जिस पर पैंटी आ कर फँस गयी थी ।

जब धर्मवीर चड्डी को नीचे की ओर सरकाते तब आगे यानी पूजा के झांट और चूत के तरफ की पैंटी तो सरक जाती थी लेकिन जब पिछला यानी पूजा के चूतड़ों वाले हिस्से की पैंटी नीचे सरकाते तब चूतड़ों का निचला हिस्सा काफ़ी गोल और मांसल होकर बाहर निकले होने से चड्डी जैसे जैसे नीचे आती वैसे वैसे चूतड़ के उभार पर कस कर टाइट होती जा रही थी ।

आख़िर किसी तरह पैंटी नीचे की ओर आती गयी और ज्योन्हि चूतड़ों के मसल उभार के थोड़ा सा नीचे की ओर हुई कि तुरंत "फटत्त" की आवाज़ के साथ चड्डी दोनो बड़े उभारों से नीचे उतर कर जाँघ मे फँस गयी ।

पैंटी के नीचे होते ही पूजा के सांवले और काफ़ी बड़े दोनो चूतड़ों के गोलाइयाँ अपने पूरे आकार मे आज़ाद हो कर हिलने लगे।
मानो पैंटी ने इन दोनो चूतड़ों के गोलाईओं को कस कर बाँध रखा था।
चूतड़ों के दोनो गोल गोल और मांसल हिस्से को धर्मवीर काफ़ी ध्यान से देख रहे थे ।

पूजा तो साँवले रंग की थी लेकिन उसके दोनो चूतड़ भी सांवले रंग के थे।
चूतड़ काफ़ी कसे हुए थे । पैंटी के नीचे सरकते ही पूजा को राहत हुई कि अब पैंटी फटने के डर ख़त्म हो गया था ।

फिर धर्मवीर सावित्री के जांघों से पैंटी नीचे की ओर सरकाते हुए आख़िर दोनो पैरों से निकाल लिए । निकालने के बाद पैंटी के चूत के सामने वाले हिस्से को जो की कुछ भीग गया था उसे अपनी नाक के पास ले जा कर उसका गंध नाक से खींचे और उसकी मस्तानी चूत की गंध का आनंद लेने लगे ।

पैंटी को एक दो बार कस कर सूंघने के बाद उसे फर्श पर पड़े पूजा के कपड़ों के उपर फेंक दिया ।

अब पूजा एकदम नंगी होकर धर्मवीर के सामने अपना चूतड़ कर के खड़ी थी ।
फिर अगले पल धर्मवीर चटाई पर उठकर खड़े हुए और अपनी चड्डी निकाल कर चटाई पर रख दिए।
उनका लंड अब एकदम से खड़ा हो चुका था. धर्मवीर फिर चटाई पर बैठ गये और पूजा जो सामने अपने चूतड़ को धर्मवीर की ओर खड़ी थी , फिर से गोद मे बैठने के बारे मे सोच रही थी कि धर्मवीर ने उसे गोद के बजाय अपने बगल मे बैठा लिए ।

पूजा चटाई पर धर्मवीर के बगल मे बैठ कर अपनी नज़रों को झुकाए हुए थी।
फिर धर्मवीर ने पूजा के एक हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर खड़े तननाए लंड से सटाते हुए पकड़ने के लिए कहा।

पूजा ने धर्मवीर के लंड को काफ़ी हल्के हाथ से पकड़ी क्योंकि उसे लाज़ लग रही थी। धर्मवीर का लंड एकदम गरम और कड़ा था। सुपाड़े पर चमड़ी चढ़ी हुई थी । लंड का रंग गोरा था और लंड के अगाल बगल काफ़ी झांटें उगी हुई थी ।

धर्मवीर ने देखा की पूजा लंड को काफ़ी हल्के तरीके से पकड़ी है और कुछ लज़ा रही है तब पूजा से बोले - अरे चूत की रानी कस के पकड़ , ये कोई साँप थोड़ी है कि तुझे काट लेगा, थोड़ा सुपाड़े की चमड़ी को आगे पीछे कर ।अब तो तेरो उमर हो गयी है ये सब करने की, लंड से खेलने की, लौड़ों के बीच रहने की । थोड़ा मन लगा के लंड का मज़ा लूट । पहले इस सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी को पीछे की ओर सरका और थोड़ा सुपाड़े पर नाक लगा के लौड़े की गंध सूंघ ।


पूजा ये सब सुन कर भी चुपचाप वैसे ही बगल मे बैठी हुई लंड को एक हाथ से पकड़ी हुई थी और कुछ पल बाद कुछ सोचने के बाद सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी को अपने हाथ से हल्का सा पीछे की ओर खींच कर सरकाना चाही और अपनी नज़रे उस लंड और सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी पर गढ़ा दी थी । बहुत ध्यान से देख रही थी कि लंड एक दम साँप की तरह चमक रहा था और सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी पूजा के हाथ की उंगलिओ से पीछे की ओर खींचाव पा कर कुछ पीछे की ओर सर्की और सुपाड़े के पिछले हिस्से पर से ज्योन्हि पीछे हुई की सुपाड़े के इस काफ़ी चौड़े हिस्से से तुरंत नीचे उतर कर सुपाड़े की चमड़ी लंड वाले हिस्से मे आ गयी और धर्मवीर के लंड का पूरा सुपाड़ा बाहर आ गया जैसे कोई फूल खिल गया हो और चमकने लगा ।

जैसे ही सुपाड़ा बाहर आया धर्मवीर पूजा से बोले - देख इसे सूपड़ा कहते हैं और औरत की चूत मे सबसे आगे यही घुसता है, अब अपनी नाक लगा कर सूँघो और देखा कैसी महक है इसकी । इसकी गंध सूँघोगी तो तुम्हारी मस्ती और बढ़ेगी चल सूंघ इसे ।

पूजा ने काफ़ी ध्यान से सुपादे को देखा लेकिन उसके पास इतनी हिम्मत नही थी कि वह सुपाड़े के पास अपनी नाक ले जाय। तब धर्मवीर ने पूजा के सिर के पीछे अपना हाथ लगा कर उसके नाक को अपने लंड के सुपाड़े के काफ़ी पास ला दिया लेकिन पूजा उसे सूंघ नही रही थी।


धर्मवीर ने कुछ देर तक उसके नाक को सुपाड़े से लगभग सटाये रखा तब पूजा ने जब साँस ली तब एक मस्तानी गंध जो की लौड़े की थी, उसके नाक मे घुसने लगी और पूजा कुछ मस्त हो गयी।

फिर वह खुद ही सुपादे की गंध सूंघने लगी। ऐसा देख कर धर्मवीर ने अपना हाथ पूजा के सिर से हटा लिया और उसे खुद ही सुपाड़ा सूंघने दिया और वह कुछ देर तक सूंघ कर मस्त हो गयी।

फिर धर्मवीर ने उससे कहा - अब सुपाड़े की चमड़ी को फिर आगे की ओर लेजा कर सुपाड़े पर चढ़ा दे ।

यह सुन कर पूजा ने अपने हाथ से लंड की चमड़ी को सुपाड़े के उपर चढ़ाने के लिए आगे की ओर खींची और कुछ ज़ोर लगाने पर चमड़ी सुपाड़े के उपर चढ़ गयी और सुपाड़े को पूरी तरीके से ढक दी मानो कोई नाप का कपड़ा हो जो लंड के सुपाड़े ने पहन लिया हो ।

धर्मवीर ने देखा की पूजा लंड को काफ़ी ध्यान से अपने हाथ मे लिए हुए देख रही थी । और उन्होने ने उसे दिखाने के लिए थोड़ी देर तक वैसे ही पड़े रहे और उसके साँवले हाथ मे पकड़ा गया गोरा लंड अब झटके भी ले रहा था।

धर्मवीर बोले - पूजा रानी चमड़ी को फिर पीछे और आगे कर के मेरे लंड की मस्ती बढ़ा कि बस ऐसे ही बैठी रहेगी । अब तू सयानी हो गयी है और तेरा बाप तेरी शादी भी जल्दी करेगा । तो लंड से कैसे खेला जाता है कब सीखेगी। और मायके से जब ये सब सिख कर ससुराल जाएगी तब समझ ले कि अपने ससुराल मे बढ़े मज़े लूटेगी और तुम्हे तो भगवान ने इतनी गदराई जवानी और शरीर दिया है कि तेरे ससुराल मे तेरे देवर और ससुर का तो भाग्य ही खूल जाएगा । बस तू ये सब सीख ले की किसी मर्द से ये गंदा काम कैसे करवाया जाता है और शेष तो भगवान तेरे पर बहुत मेरहबान है ।


धर्मवीर जी बोले और मुस्कुरा उठे । पूजा ये सब सुन कर कुछ लज़ा गयी लेकिन धर्मवीर के मुँह से शादी और अपने ससुराल की बात सुनकर काफ़ी गर्व महसूस की और थोड़ी देर के लिए अपनी नज़रें लंड पर से हटा कर लाज़ के मारे नीचे झुका ली लेकिन अपने एक हाथ से लंड को वैसे ही पकड़े रही।


धर्मवीर ने देखा की पूजा भी अन्य लड़कियो की तरह शादी के नाम पर काफ़ी खुश हो गयी और कुछ लज़ा भी रही थी ।
तभी पूजा के नंगे चौड़े मासल चूतड़ों पर हाथ फेरते वो आगे धीरे से बोले- अपनी शादी मे मुझे बुलाओगी की नही ।

पूजा ने जब धर्मवीर के मुँह से ऐसी बात सुनी तो उसे खुशी का ठिकाना ही नही रहा और नज़ारे झुकाए ही हल्की सी मुस्कुरा उठी लेकिन लाज़ के मारे कुछ बोल नही पाई और शादी के सपने मन मे आने लगे तभी धर्मवीर ने फिर बोला ।

धर्मवीर -बोलो बुलाओगी की नही ।

इस पर पूजा काफ़ी धीरे से बोली - जी बुलाऊंगी ।
एकदम से सनसना गयी. क्योंकि धर्मवीर का लंड उसके हाथ मे भी था और वह एकदम से नंगी धर्मवीर के बगल मे बैठी थी और उसके चूतड़ों पर धर्मवीर जी का हाथ मज़ा लूट रहा था।

ऐसे मे शादी की बात उठने पर उसके मन मे उसके होने वाले पति, देवर, ससुर, ननद, सास और ससुराल यानी ये सब बातों के सपने उभर गये इस वजह से पूजा लज़ा और सनसना गयी थी। धर्मवीर जी की इन बातों से सावित्री बहुत खुश हो गयी थी । किसी अन्य लड़की की तरह उसके मन मे शादी और ससुराल के सपने तो पहले से ही थे।

तभी धर्मवीर ने कहा - तेरा बाप बुलाए या नही तू मुझे ज़रूर बुलाना मैं ज़रूर आउन्गा । चलो लंड के चमड़ी को अब आगे पीछे करो और लंड से खेलना सीख लो ।

कुछ पल के लिए शादी के ख्वाबों मे डूबी पूजा वापस लंड पर अपनी नज़रे दौड़ाई और सुपाड़े की चमड़ी को फिर पीछे की ओर खींची और पहले की तरह सुपाड़ा से चमड़ी हटते ही खड़े लंड का चौड़ा सुपाड़ा एक दम बाहर आ गया।

पूजा की नज़रे लाल सुपाड़े पर पड़ी तो मस्त होने लगी। लंड पर पूजा का हाथ वैसे ही धीरे धीरे चल रहा था और खड़े लंड की चमड़ी सुपादे पर कभी चढ़ती तो कभी उतरती थी।

धर्मवीर के दोनो हाथों से चूतड़ और चुचि को कस कर मीज़ना सुरू किए और आगे बोले - मैं तेरे मर्द से भी मिल कर कह दूँगा कि तुम्हे ससुराल मे कोई तकलीफ़ नही होनी चाहिए । हमारी पूजा हर वक्त लंड के नीचे रहनी चाहिए । पूरी कसकर चुदनी चाहिए ।

पूजा के चुचिओ और चूतड़ों पर धर्मवीर के हाथ कहर बरपा रहे थे इस वजह से उसके हाथ मे लंड तो ज़रूर था लेकिन वह तेज़ी से सुपाड़े की चमड़ी को आगे पीछे नही कर पा रही थी।

वह यह सब सुन रही थी लेकिन अब उसकी आँखे कुछ दबदबाने जैसी लग रही थी।

धर्मवीर के सॉफ आश्वासन से कि वह खुश हो गयी। अब चूतड़ों और चुचिओ के मीसाव से मस्त होती जा रही थी पूजा ।

धर्मवीर बोले - और मेरे ही लंड से तुम खूब चुदोगी आज तो मेरे ही सामने शादी के मंडप तुम किसी की पत्नी बनोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा क्योंकि मैं ये तो देख लूँगा के मैने जिसकी चूत का भोसड़ा बनाया है उसकी सुहागरात किसके साथ मनेगी , सही बात है कि नही ।

इतना कह कर धर्मवीर मुस्कुरा उठे और आगे बोले - लंड तो देख लिया, सूंघ लिया और अब इसे चाटना और चूसना रह गया है इसे भी सीख लो चलो। इस सुपादे को थोड़ा अपने जीभ से चाटो । आज तुम्हे इतमीनान से सब कुछ सीखा दूँगा ताकि ससुराल मे तुम एक गुणवती की तरह जाओ और अपने गुनो से सबको संतुष्ट कर दो ।
फिर आगे बोले - चलो जीभ निकाल कर इस सुपाड़े पर फिराओ ।

पूजा अगले पल अपने जीभ को सुपादे पर फिराने लगी। सुपाड़े के स्पर्श से ही पूजा की जीभ और मन दोनो मस्त हो उठे ।
पूजा की जीभ का थूक सुपाड़े पर लगने लगा और सुपाड़ा गीला होने लगा।

पूजा के नज़रें सुपाड़े की बनावट और लालपन पर टिकी थी।
पूजा अपने साँवले हाथों मे धर्मवीर के खड़े और गोरे लंड को कस के पकड़ कर अपने जीभ से धीरे धीरे चाट रही थी।

धर्मवीर जी सावित्री के चेहरे को देख रहे थे और लंड चूसने के तरीके से काफ़ी खुश थे।
पूजा के चेहरे पर एक रज़ामंदी और खुशी का भाव सॉफ दीख रहा था।

धर्मवीर की नज़रें चेहरे पर से हट कर पूजा के साँवले और नंगे शरीर पर फिसलने लगी ।

पंडित जी अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसके भैंस की तरह बड़े बड़े दोनो चूतड़ों पर फिराने लगे और चूतड़ों पर के मांसल गोलाईओं के उठान को पकड़ कर भींचना सुरू कर दिए।
ऐसा लग रहा था कि धर्मवीर के हाथ पूजा के चूतड़ों पर के माँस के ज़यादा होने का जयजा ले रहे हों । जिसका कसाव भी बहुत था और उनके गोरे हाथ के आगे पूजा के चूतड़ काफ़ी सांवले लग रहे थे ।

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पूजा बगल मे बैठी हुई धर्मवीर के लंड और सुपादे पर जीभ फिरा रही थी। धर्मवीर से अपने चूतड़ों को मसलवाना बहुत अछा लग रहा था।

तभी धर्मवीर बोले - कब तक बस चाटती रहेगी । अब अपना मुँह खोल कर ऐसे चौड़ा करो जैसे औरतें मेला या बेज़ार मे ठेले के पास खड़ी होकर गोलगापा को मुँह चौड़ा कर के खाती हैं समझी ।

पूजा यह सुन कर सोच मे पड़ गयी और अपने जीवन मे कभी भी लंड को मुँह मे नही ली थी इस लिए उसे काफ़ी अजीब लग रहा था । वैसे तो अब गरम हो चुकी थी लेकिन मर्द के पेशाब करने के चीज़ यानी लंड को अपने मुँह के अंदर कैसे डाले यही सोच रही थी ।
वह जीभ फिराना बंद कर के लंड को देख रही थी फिर लंड को एक हाथ से थामे ही धर्मवीर की ओर कुछ बेचैन से होते हुए देखी ।

धर्मवीर ने पूछा - कभी गोलगापा खाई हो की नही?

इस पर पूजा कुछ डरे और बेचैन भाव से हाँ मे सिर हल्का सा हिलाया।

धर्मवीर बोले - गोलगप्पा जब खाती हो तो कैसे मुँह को चौड़ा करती हो । वैसे चौड़ा करो ज़रा मैं देखूं ।

धर्मवीर के मुँह से ऐसी बात पर पूजा एक दम लज़ा गयी क्योंकि गोलगप्पा खाते समय मुँह को बहुत ज़्यादा ही चौड़ा करना पड़ता हैं और तभी गोलगापा मुँह के अंदर जाता है । वह अपने मुँह को वैसे चौड़ा नही करना चाहती थी लेकिन धर्मवीर उसके मुँह के तरफ ही देख रहे थे।

पूजा समझ गयी की अब चौड़ा करना ही पड़ेगा। और अपनी नज़रें धर्मवीर जी के आँख से दूसरी ओर करते हुए अपने मुँह को धीरे धीरे चौड़ा करने लगी और धर्मवीर जी उसके मुँह को चौड़ा होते हुए देख रहे थे ।


जब पूजा अपने मुँह को कुछ चौड़ा करके रुक गयी और मुँह के अंदर सब कुछ सॉफ दिखने लगा तभी पंडित जी बोले - थोड़ा और चौड़ा करो और अपने जीभ को बाहर निकाल कर लटका कर आँखें बंद कर लो ।
kaviraj bhai ki bahad khubsurat update behtreen hai
 
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