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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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Nevil singh

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इतना सुन कर पूजा जिसे ऐसा करने मे काफ़ी लाज़ लग रही थी उसने सबसे पहले अपनी आँखें ही बंद कर ली फिर मुँह को और चौड़ा किया और जीभ को बाहर कर ली जिससे उसके मुँह मे एक बड़ा सा रास्ता तैयार हो गया.

धर्मवीर ने एक नज़र से उसके मुँह के अंदर देखा तो पूजा के गले की कंठ एक दम सॉफ दीख रही थी। मुँह के अंदर जीभ, दाँत और मंसुड़ों मे थूक फैला भी सॉफ दीख रहा था ।

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धरवीर- मुँह ऐसे ही चौड़ा रखना समझी ,बंद मत करना । अब तुम्हारे मुँह के अंदर की लाज़ मैं अपने लंड से ख़त्म कर दूँगा और तुम भी एक बेशर्म औरत की तरह गंदी बात अपने मुँह से निकाल सकती हो । यानी एक मुँहफट बन जाओगी । और बिना मुँह मे लंड लिए कोई औरत यदि गंदी बात बोलती है तो उसे पाप पड़ता है । गंदी बात बोलने या मुँहफट होने के लिए कम से कम एक बार लंड को मुँह मे लेना ज़रूरी होता है ।

अगले पल धर्मवीर ने बगल मे बैठी हुई पूजा के सर पर एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपने लंड को पूजा के हाथ से ले कर लंड के उपर पूजा का चौड़ा किया हुआ मुँह लाया और खड़े और तननाए लंड को पूजा के चौड़े किए हुए मुँह के ठीक बीचोबीच निशाना लगाते हुए मुँह के अंदर तेज़ी से ठेल दिया और पूजा के सिर को भी दूसरे हाथ से ज़ोर से दबा कर पकड़े रहे।

लंड चौड़े मुँह मे एकदम अंदर घुस गया और लंड का सुपाड़ा पूजा के गले के कंठ से टकरा गया और पूजा घबरा गयी और लंड निकालने की कोशिस करने लगी लेकिन धर्मवीर उसके सिर को ज़ोर से पकड़े थे जिस वजह से वह कुछ कर नही पा रही थी।

धर्मवीर अगले पल अपने कमर को उछाल कर पूजा के गले मे लंड चाँप दिए और पूजा को ऐसा लगा कि उसकी साँस रुक गयी हो और मर जाएगी ।
इस तड़फ़ड़ाहट मे उसके आँखों मे आँसू आ गये और लगभग रोने लगी और लंड निकालने के लिए अपने एक हाथ से लंड को पकड़ना चाही लेकिन लंड का काफ़ी हिस्सा मुँह के अंदर घुस कर फँस गया था और उसके हाथ मे लंड की जड़ और झांटें और दोनो गोल गोल अंडे ही आए और पूजा के नाक तो मानो धर्मवीर के झांट मे दब गयी थी ।

पूजा की कोसिस बेकार हो जा रही थी क्योंकि धर्मवीर ने पूजा के सर के बॉल पकड़ कर उसे अपने लंड पर दबाए थे और अपनी कमर को उछाल कर लंड मुँह मे ठेल दे रहे थे ।

दूसरे पल पंडित जी पूजा के सिर पर के हाथ को हटा लिए और पूजा तुरंत अपने मुँह के अंदर से लंड को निकाल कर खांसने लगी और अपने दोनो हाथों से आँखों मे आए आँसुओं को पोंछने लगी ।

इधर लंड मुँह के अंदर से निकलते ही लहराने लगा। लंड पूजा के थूक और लार से पूरी तरह नहा चुका था ।

धर्मवीर खाँसते हुए सावित्री से बोले - चलो तुम्हारे गले के कंठ को अपने लौड़े से चोद दिया है अब तुम किसी भी असलील और गंदे शब्दों का उच्चारण कर सकती हो और एक बढ़िया मुहफट बन सकती हो ।
मुहफट औरतें बहुत मज़ा लेती हैं । आगे बोले - औरतों को जीवन मे कम से कम एक बार मर्द के लंड से अपने गले की कंठ को ज़रूर चुदवाना चाहिए . इसमे थोडा ज़ोर लगाना पड़ता है .ताकि लंड का सुपाड़ा गले के कंठ को छू सके और कंठ मे असलीलता और बेशर्मी का समावेश हो जाए।

पूजा अभी भी खांस रही थी और धर्मवीर की बातें चुपचाप सुन रही थी। धर्मवीर के गले मे लंड के ठोकर से कुछ दर्द हो रहा था ।फिर पूजा की नज़रें धर्मवीर के टंटनाये लंड पर पड़ी जो की थूक और लार से पूरा भीग चुका था।

धर्मवीर बोला - मैने जो अभी तेरे साथ किया है इसे कंठ चोदना कहते हैं । और जिस औरत की एक बार कंठ चोद दी जाती है वह एक काफ़ी रंगीन और बेशरम बात करने वाली हो जाती है। ऐसी औरतों को मर्द बहुत चाहतें हैं । ऐसी औरतें गंदी और अश्लील कहानियाँ भी खूब कहती हैं जिसे मर्द काफ़ी चाव से सुनते हैं । वैसे कंठ की चुदाई जवानी मे ही हो जानी चाहिए। आजकल कंठ की चुदाई बहुत कम औरतों की हो पाती है क्योंकि बहुत लोग तो यह जानते ही नही हैं समझी । अब तू मज़ा कर पूरी जिंदगी ।


पूजा के मन मे डर था कि फिर से कहीं लंड को गले मे ठूंस ना दें इस वजह से वह लौड़े के तरफ तो देख रही थी लेकिन चुपचाप बैठी थी ।

तभी धर्मवीर बोले - चलो मुँह फिर चौड़ा कर , घबरा मत इस बार केवल आधा ही लंड मुँह मे पेलुँगा । अब दर्द नही होगा । मुँह मे लंड को आगे पीछे कर के तुम्हारा मुँह चोदुन्गा जिसे मुँह मारना कहतें हैं । यह भी ज़रूरी है तुम्हारे लिए इससे तुम्हारी आवाज़ काफ़ी सुरीली होगी ।चलो मुँह खोलो ।

पूजा ने फिर अपना मुँह खोला लेकिन इस बार सजग थी की लंड कहीं फिर काफ़ी अंदर तक ना घूस जाए।

धर्मवीर ने पूजा के ख़ूले मुँह मे लंड बड़ी आसानी से घुसाया और लंड कुछ अंदर घुसने के बाद उसे आगे पीछे करने के लिए कमर को बैठे ही बैठे हिलाने लगे और पूजा के सिर को एक हाथ से पकड़ कर उपर नीचे करने लगे। उनका गोरे रंग का मोटा और तनतनाया हुआ लंड पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे होने लगा ।

पूजा के जीभ और मुँह के अंदर तालू से लंड का सुपाड़ा रगड़ाने लगा वहीं पूजा के मुँह के दोनो होंठ लंड की चमड़ी पर कस उठी थी मानो मुँह के होंठ नही बल्कि चूत की होंठ हों।

धर्मवीर एक संतुलन बनाते हुए एक लय मे मुँह को चोदने लगे।


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धर्मवीर बोले - ऐसे ही रहना इधर उधर मत होना । बहुत अच्छे तरीके से तेरा मुँह मार रहा हूँ । साबाश ।
इसके साथ ही उनके कमर का हिलना और पूजा के मुँह मे लंड का आना जाना काफ़ी तेज होने लगा।
पूजा को भी ऐसा करवाना बहुत अच्छा लग रहा था. ।
उसकी चूत मे लिसलिसा सा पानी आने लगा ।
पूजा अपने मुँह के होंठो को धर्मवीर के पिस्टन की तरह आगे पीछे चल रहे लंड पर कस ली और मज़ा लेने लगी ।
अब पूरा का पूरा लंड और सुपाड़ा मुँह के अंदर आ जा रहा था ।
कुछ देर तक धर्मवीर ने पूजा के मुँह को ऐसे ही चोदते रहे और पूजा की चूत मे चुनचुनी उठने लगी ।

वह लाज के मारे कैसे कहे की चूत अब तेज़ी से चुनचुना रही है मानो चीटिया रेंग रही हों । अभी भी लंड किसी पिस्टन की तरह पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे हो रहा था, लेकिन चूत की चुनचुनाहट ज़्यादे हो गयी और पूजा के समझ मे नही आ रहा था कि धर्मवीर के सामने ही कैसे अपनी चुनचुना रही चूत को खुज़लाए ।
इधर मुँह मे लंड वैसे ही आ जा रहा था और चूत की चुनचुनाहट बढ़ती जा रही थी ।

आख़िर पूजा का धीरज टूटने लगा उसे लगा की अब चूत की चुनचुनाहट मिटाने के लिए हाथ लगाना ही पड़ेगा ।
और अगले पल ज्योन्हि अपने एक हाथ को चूत के तरफ ले जाने लगी और धर्मवीर की नज़र उस हाथ पर पड़ी और कमरे मे एक आवाज़ गूँजी।

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धर्मवीर - रूक चूत पर हाथ मत लगाना । लंड मुँह से निकाल और चटाई पर लेट जा । तैयार हो गई है तू अब लंड है तू अब लंड खाने के लिए। हाथ से इस चूत की बेईजती मत कर इस चूत की रगड़ाई तो मैं अपने लंड से करूंगा । अपनी चूत के पानी को अपने हाथ पर खराब मत कर इससे तो मैं अपना लौड़ा नहलाऊंगा आज । तू क्या सोच रही है कि मैं बस तुझे ही ठंडा करूं कुतिया। मुझे ठंडा कौन करेगा मैं तेरी चूत के पानी से ही तो ठंडा होना चाहता हूं ।
इसे बेकार मत कर मुझे नहला अपनी चूत के पानी में । देखूं तो कि बहन की बहन भी रंडी ही है या कोई सती सावित्री है । सती सावित्री तो तू नहीं हो सकती क्योंकि तेरे लंड की भूख भूख तेरी आंखों में दिख रही है । तू तो वह गरम कुतिया है जिसकी गांड के नीचे तकिया लगा कर चूत में लंड भकाभक पेला जाए।

पूजा का हाथ तो वहीं रुक गया लेकिन चूत की चुनचुनाहट नही रुकी और बढ़ती गयी ।

धर्मवीर जी का आदेश पा कर पूजा ने मुँह से लंड निकाल कर तुरंत चटाई पर लेट गयी। और बर की चुनचुनाहट कैसे ख़त्म होगी यही सोचने लगी और एक तरह से तड़पने लगी।

धर्मवीर लपक कर पूजा के दोनो जांघों के बीच ज्योहीं आए की पूजा ने अपने दोनो मोटी और लगभग गदरायी जांघों को चौड़ा कर दी और दूसरे पल धर्मवीर ने अपने हाथ के बीच वाली उंगली को चूत के ठीक बीचोबीच लिसलिशसाई चूत मे गच्च.. की आवाज़ के साथ पेल दिया और धर्मवीर की गोरे रंग की बीच वाली लंबी उंगली जो मोटी भी थी पूजा के एकदम से काले और भैंस की तरह झांटों से भरी चूत मे आधा से अधिक घूस कर फँस सा गयी ।

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पूजा लगभग चीख पड़ी और अपने बदन को मरोड़ने लगी ।
धर्मवीर अपनी उंगली को थोड़ा सा बाहर करके फिर चूत में घुसेड़ दिए और अब गोरे रंग की उंगली काली रंग की चूत मे पूरी की पूरी घूस गयी ।

धर्मवीर ने पूजा की काली चूत मे फँसी हुई उंगली को देखा और महसूस किया कि फूली हुई चूत जो काफ़ी लिसलिसा चुकी थी , अंदर काफ़ी गर्म थी और चूत के दोनो काले काले होंठ भी फड़फड़ा रहे थे ।

चटाई मे लेटी पूजा की साँसे काफ़ी तेज थी और वह हाँफ रही थी साथ साथ शरीर को मरोड़ रही थी ।

धर्मवीर चटाई मे सावित्री के दोनो जांघों के बीच मे बैठे बैठे अपनी उंगली को चूत में फँसा कर उसकी काली रंग की फूली हुई चूत की सुंदरता को निहार रहे थे कि चटाई मे लेटी और हाँफ रही पूजा ने एक हाथ से धर्मवीर की चूत मे फँसे हुए उंगली वाले हाथ को पकड़ ली ।

धर्मवीर की नज़र पूजा के चेहरे की ओर गयी तो देखे कि वह अपनी आँखें बंद करके मुँह दूसरे ओर की है एर हाँफ और कांप सी रही थी।
तभी पूजा के इस हाथ ने धर्मवीर के हाथ को चूत मे उंगली आगे पीछे करने के लिए इशारा किया ।

पूजा का यह कदम एक बेशर्मी से भरा था । वह अब लाज़ और शर्म से बाहर आ गयी थी।

धर्मवीर समझ गये की चूत काफ़ी चुनचुना रही है इसी लिए वह एकदम बेशर्म हो गयी है ।

और इतना देखते ही धर्मवीर ने अपनी उंगली को काली चूत मे कस कस कर आगे पीछे करना शुरू किया ।
पूजा ने कुछ पल के लिए अपने हाथ धर्मवीर के हाथ से हटा लिया ।
धर्मवीर पूजा की चूत अब अपने हाथ के बीच वाली उंगली से कस कस कर चोद रहे थे ।
अब पूजा ने अपने जाँघो को काफ़ी चौड़ा कर दीया ।पूजा की जांघे तो साँवली थी लेकिन जाँघ के चूत के पास वाला हिस्सा काला होता गया था और जाँघ के कटाव जहाँ से चूत की झांटें शुरू हुई थी, वह काला था और चूत की दोनो फांके तो एकदम से ही काली थी जिसमे धर्मवीर का गोरे रंग की उंगली गच्च गच्च जा रही थी ।
जब उंगली चूत मे घूस जाती तब केवल हाथ ही दिखाई पड़ता और जब उंगली बाहर आती तब चूत के काले होंठो के बीच मे कुछ गुलाबी रंग भी दीख जाती थी ।
धर्मवीर काली और फूली हुई झांटों से भरी चूत पर नज़रें गढ़ाए अपनी उंगली को चोद रहे थे कि पूजा ने फिर अपने एक हाथ से धर्मवीर के हाथ को पकड़ी और चूत मे तेज़ी से खूद ही चोदने के लिए जोर लगाने लगी ।

पूजा की यह हरकत काफ़ी गंदी और अश्लील थी लेकिन धर्मवीर समझ गये कि अब पूजा झड़ने वाली है और उसका हाथ धर्मवीर के हाथ को पकड़ कर तेज़ी से चूत मे चोदने की कोशिस करने लगी जिसको देखते धर्मवीर अपने उंगली को पूजा की काली चूत मे बहुत ही तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया।


पूजा धर्मवीर के हाथ को बड़ी ताक़त से चूत के अंदर थेल रही थी लेकिन केवल बीच वाली उंगली ही चूत मे घूस रही थी ।

अचानक पूजा तेज़ी से सिसकाते हुए अपने पीठ को चटाई मे एक धनुष की तरह तान दी और कमर का हिस्सा झटके लेने लगा ही था की पूजा चीख पड़ी - आररीए माई री माईए सी उउउ री माएई रे बाप रे ...आअहह ।
और धर्मवीर के उंगली को चूत ने मानो कस लिया । और गर्म गर्म रज चूत मे अंदर से निकलने लगा और धर्मवीर की उंगली भींग गयी ।
फिर धर्मवीर के हाथ पर से पूजा ने अपने हाथ हटा लिए और चटाई मे सीधी लेट कर आँखे बंद कर के हाँफने लगी।

धर्मवीर ने देखा की पूजा अब झाड़ कर शांत हो रही है ।
फिर चूत मे से अपने उंगली को बाहर निकाले जिसपर सफेद रंग का कमरस यानी रज लगा था और बीच वाली उंगली के साथ साथ बगल वाली उंगलियाँ भी चूत के लिसलिसा पानी से भीग गये थे।

धर्मवीर की नज़र जब पूजा की चूत पर पड़ी तो देखा की चूत की दोनो होंठ कुछ कांप से रहे थे , और चूत का मुँह, अगल बगल के झांट भी लिसलिस्से पानी से भीग गये थे ।

तभी बीच वाली उंगली के उपर लगे कमरस को धर्मवीर अपने मुँह मे ले कर चाटने लगे और पूजा की आँखें बंद थी लेकिन उसके कान मे जब उंगली चाटने की आआवाज़ आई तो समझ गयी की धर्मवीर फिर चूत वाली उंगली को चाट रहे होंगे ।
और यही सोच कर काफ़ी ताक़त लगाकर अपनी आँखे खोली तो देखी की धर्मवीर अपनी बीच वाली उंगली के साथ साथ अगल बगल की उंगलिओ को भी बड़े चाव से चाट रहे थे ।
उंगलिओ को चाटने के बाद पूजा ने देखा की धर्मवीर बीच वाली उंगली को सूंघ भी रहे थे ।
फिर पूजा की चूत की तरफ देखे और उंगली चुदाई का रस और चूत के अंदर से निकला रज कुछ चूत के मुँह पर भी लगा था।

पूजा अपने दोनो मोटी मोटी साँवले रंग के जांघों को जो को फैली हुई थी , आपस मे सटना चाहती थी लेकिन धर्मवीर उसकी चूत को काफ़ी ध्यान से देख रहे थे और दोनो जांघों के बीच मे ही बैठे थे और इन दोनो बातों को सोच कर पूजा वैसे ही जांघे फैलाए ही लेटी रही।

पूजा अब धर्मवीर के चेहरे की ओर देख रही थी ।झड़ जाने के वजह से हाँफ रही थी । तभी उसकी नज़र उसकी जांघों के बीच मे बैठे धर्मवीर के लंड पर पड़ी जो अभी भी एक दम तनतनाया हुआ था और उसकी छेद मे से एक पानी का लार टपाक रही थी ।

अचानक धर्मवीर एक हाथ से पूजा की चूत के झांटों को जो बहुत ही घनी थी उसपर हाथ फिराया और चूत पर लटकी झांटें कुछ उपर की ओर हो गयीं और चूत का मुँह अब सॉफ दिखाई देने लगा। फिर भी चूत के काले होंठो के बाहरी हिस्से पर भी कुछ झांट के बॉल उगे थे जिसे धर्मवीर ने अपनी उंगलिओ से दोनो तरफ फैलाया और अब चूत के मुँह पर से झांटें लगभग हट गयीं थी।

धर्मवीर ऐसा करते हुए पूजा की काली काली चूत के दोनो होंठो को बहुत ध्यान से देख रहे थे और पुजा चटाई मे लेटी हुई धर्मवीर के मुँह को देख रही थी और सोच रही थी की धर्मवीर कितने ध्यान से उसकी चूत के हर हिस्से को देख रहे हैं और झांट के बालों को भी काफ़ी तरीके से इधर उधर कर रहे है।


धर्मवीर का काफ़ी ध्यान से चूत को देखना पूजा को यह महसूस करा रहा था की उसकी जांघों के बीच के चूत की कितनी कीमत है और धर्मवीर जैसे लोंगों के लिए कितना महत्व रखती है ।
यह सोच कर उसे बहुत खुशी और संतुष्टि हो रही थी।
पूजा को अपने शरीर के इस हिस्से यानी चूत की कीमत समझ आते ही मन आत्मविश्वास से भर उठा।


धर्मवीर अभी भी उसकी चूत को वैसे ही निहार रहे थे और अपने हाथ की उंगलिओ से उसकी चूत के दोनो फांकों को थोड़ा सा फैलाया और अंदर की गुलाबी हिस्से को देखने लगे।


पूजा भी धर्मवीर की लालची नज़रों को देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रही थी की उसकी चूत की कीमत कितनी ज़्यादा है और धर्मवीर ऐसे देख रहे हैं मानो किसी भगवान का दर्शन कर रहे हों ।

तभी अचानक धर्मवीर को चूत के अंदर गुलाबी दीवारों के बीच सफेद पानी यानी रज दिखाई दे गया जो की पूजा के झड़ने के वजह से था।

धर्मवीर ने अब अगले कदम जो उठाया की पूजा को मानो कोई सपना दिख रहा हो ।
पूजा तो उछल सी गयी और उसे विश्वास ही नही हो रहा था। क्योंकि धर्मवीर अपने मुँह पूजा के चूत के पास लाए और नाक को चूत के ठीक बेचोबीच लगाकर तेज़ी से सांस अंदर की ओर खींचे और अपनी आँखे बंद कर के मस्त हो गये ।

चूत की गंध नाक मे घुसते ही धर्मवीर के शरीर मे एक नयी जवानी की जोश दौड़ गया।
फिर अगला कदम तो मानो पूजा के उपर बिजली ही गिरा दी।
धर्मवीर पूजा की चूत के मुँह को चूम लिए और पूजा फिर से उछल गयी।

पूजा को यकीन नही हो रहा था की धर्मवीर जैसे लोग जो की जात पात और उँछ नीच मे विश्वास रखते हों और उसकी पेशाब वाले रास्ते यानी चूतों को सूंघ और चूम सकते हैं ।
वह एक दम से आश्चर्या चकित हो गयी थी. उसे धर्मवीर की ऐसी हरकत पर विश्वास नही हो रहा था ।लेकिन यह सच्चाई थी।

पूजा अपने सहेलिओं से यह सुनी थी की आदमी लोग औरतों की चूत को चूमते और चाटते भी हैं लेकिन वह यह नही सोचती थी की धर्मवीर जैसे लोग भी उसकी चूत पर अपनी मुँह को लगा सकता हैं ।

पूजा चटाई पर लेटी हुई धर्मवीर के इस हरकत को देख रही थी और एकदम से सनसना उठी थी ।
उसके मन मे यही सब बाते गूँज ही रही थी कि धर्मवीर ने अगला काम शुरू कर ही दिया पूजा जो केवल धर्मवीर के सिर को की देख पा रही थी क्योंकि चटाई मे लेटे लेटे केवल सिर ही दिखाई पड़ रहा था ।

उसे महसूस हुआ की धर्मवीर क़ी जीभ अब चूत के फांकों पर फिर रही है और जीभ मे लगा थूक चूत की फांको पर भी लग रहा था ।

धर्मवीर के इस कदम ने पूजा को हिला कर रख दिया ।पूजा कभी सोची नही थी की धर्मवीर उसकी चूत को इतना इज़्ज़त देंगे ।
उसका मन बहुत खुश हो गया । उसे लगा की आज उसे जीवन का सबसे ज़्यादा सम्मान या इज़्ज़त मिल रहा है। वह आज अपने को काफ़ी उँचा महसूस करने लगी थी। उसके रोवे रोवे मे खुशी, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान भरने लगा । उसने अपने साँवले और मोटे मोटे जांघों को और फैला दी जिससे उसके पावरोटी जैसी फूली हुई चूत के काले काले दोनो होंठ और खूल गये और पंडित जी का जीभ दोनो फांकों के साथ साथ चूत की छेद मे भी घुसने लगा।

पूजा जो थोड़ी देर पहले ही झड़ गयी थी फिर से गर्म होने लगी और उसे बहुत मज़ा आने लगा ।
चुत पर जीभ का फिरना तेज होने लगा तो पूजा की गर्मी भी बढ़ने लगी।


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उसे जहाँ बहुत मज़ा आ रहा था वहीं उसे अपने चूत और शरीर की कीमत भी समझ मे आने लगी जिस वजह से आज उसे धर्मवीर इतने इज़्ज़त दे रहे थे ।

जब धर्मवीर चूत पर जीभ फेरते हुए सांस छोड़ते । तब सांस उनकी नाक से निकल कर सीधे झांट के बालों मे जा कर टकराती और जब सांस खींचते तब झांटों के साथ चूत की गंध भी नाक मे घूस जाती और धर्मवीर मस्त हो जाते ।

फिर धर्मवीर ने अपने दोनो हाथों से काली चूत के दोनो फांकों को फैला कर अपने जीभ को बुर छेद मे घुसाना शुरू किया तो पूजा का पूरा बदन झंझणा उठा । वह एक बार कहर उठी । उसे बहुत मज़ा मिल रहा था।
आख़िर धर्मवीर की जीभ चूत की सांकारी छेद मे घुसने की कोशिस करने लगी और चूत के फांकों के बीच के गुलाबी हिस्से मे जीभ घुसते ही पूजा की चूत एक नये लहर से सनसनाने लगी। और अब जीभ चूत के गुलाबी हिस्से मे घुसने के लिए जगह बनाने लगी ।
जीभ का अगला हिस्सा हो काफ़ी नुकीला जैसा था वह चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अब फैलाने और भी अंदर घुसने लगा था ।यह पूजा को बहुत सॉफ महसूस हो रहा था की धर्मवीर की जीभ अब उसकी चूत मे घूस रही है ।

पूजा बहुत खुस हो रही थी ।उसने अपने चूत को कुछ और उचकाने के कोशिस ज्योन्हि की धर्मवीर ने काफ़ी ज़ोर लगाकर जीभ को बुर के बहुत अंदर घुसेड दिया जी की चूत की गुलाबी दीवारों के बीच दब सा गया था । लेकिन जब जीभ आगे पीछे करते तब पूजा एकदम से मस्त हो जाती थी।

पूजा की मस्ती इतना बढ़ने लगी की वह सिसकारने लगी और चूत को धर्मवीर के मुँह की ओर ठेलने लगी थी। मानो अब कोई लाज़ शर्म पूजा के अंदर नही रह गई थी।


धर्मवीर समझ रहे थे की पूजा को बहुत मज़ा आ रहा है चूत को चटवाने मे. फिर पंडित जी ने अपने दोनो होंठो से चूत के दोनो फांकों को बारी बारी से चूसने लगे तो पूजा को लगा की तुरंत झड़ जाएगी ।


फिर धर्मवीर चूत की दोनो फांको को खूब चूसा जिसमे कभी कभी अगल बगल की झांटें भी धर्मवीर के मुँह मे आ जाती थी ।
दोनो फांकों को खूब चूसने के बाद जब पूजा की चूत के दरार के उपरी भाग मे दाना जो की किसी छोटे मटर के दाने की तरह था , मुँह मे लेकर चूसे तो पूजा एकदम से उछल पड़ी और धर्मवीर के सर को पकड़ कर हटाने लगी।


उसके शरीर मे मानो बिजली दौड़ गयी । पर धर्मवीर ने उसके दाने को तो अपने दोनो होंठो के बीच ले कर चूसते हुए चूत की दरार मे फिर से बीच वाली उंगली पेल दी और पूजा चिहूंक सी गयी और उंगली को पेलना जारी रखा।

दाने की चुसाई और उंगली की पेलाई से पूजा फिर से ऐंठने लगी और यह काम धर्मवीर तेज़ी से करते जा रहे थे नतीजा की पूजा ऐसे हमले को बर्दाश्त ना कर सकी और एक काफ़ी गंदी चीख के साथ झड़ने लगी । और धर्मवीर जी ने तुरंत उंगली को निकाल कर जीभ को फिर से चूत के गहराई मे थेल दिए और दाने को अपने एक हाथ की चुटकी से मसल दिया.

चूत से पानी निकल कर पंडित जी के जीभ पर आ गया और काँपति हुई पूजा के काली चूत मे घूसी धर्मवीर की जीभ चूत से निकल रहे रज को चाटने लगे और एक लंबी सांस लेकर मस्त हो गये ।


पूजा झाड़ कर फिर से हाँफ रही थी। आँखे बंद हो चुकी थी। मन संतुष्ट हो चुका था।

धर्मवीर अपना मुँह चूत के पास से हटाया और एक बार फिर चूत को देखा। वह भी आज बहुत खुस थे क्योंकि जवान और इस उम्र की काली चूत चाटना और रज पीना बहुत ही भाग्य वाली बात थी ।

पूजा भले ही सांवली थी लेकिन चूत काफ़ी मांसल और फूली हुई थी और ऐसी बुर बहुत कम मिलती है चाटने के लिए। ऐसी लड़कियो की चूत चाटने से मर्द की यौन ताक़त काफ़ी बढ़ती है । यही सब सोच कर फिर से चूत के फूलाव और काली फांकों को देख रहे थे ।

पूजा दो बार झाड़ चुकी थी इस लिए अब कुछ ज़्यादे ही हाँफ रही थी। लेकिन धर्मवीर जानते थे की पूजा का भरा हुआ गदराया शरीर इतना जल्दी थकने वाला नही है और इस तरह की गदराई और तन्दरूश्त लड़कियाँ तो एक साथ कई मर्दों को समहाल सकती हैं। फिर पूजा की जांघों के बीचोबीच आ गये और अपने खड़े और तननाए लंड को चूत की मुँह पर रख दिए।

लंड के सुपाड़े की गर्मी पाते ही पूजा की आँखे खूल गयी और कुछ घबरा सी गयी और धर्मवीर की ओर देखने लगी ।

दो बार झड़ने के बाद ही तुरंत लंड को चूत के मुँह पर भिड़ाकर धर्मवीर ने पूजा के मन को टटोलते हुए पूछा - चुदने का मन है ..या रहने दें...बोलो ?

पूजा जो की काफ़ी हाँफ सी रही थी और दो बार झाड़ जाने के वजह से बहुत संतुष्ट से हो गयी थी फिर भी चूत के मुँह पर दहकता हुआ लंड का सुपाड़ा पा कर बहुत ही धर्म संकट मे पड़ गयी ।
इस खेल मे उसे इतना मज़ा आ रहा था की उसे नही करने की हिम्मत नही हो रही थी। लेकिन कुछ पल पहले ही झड़ जाने की वजह से उसे लंड की ज़रूरत तुरंत तो नही थी लेकिन चुदाई का मज़ा इतना ज़्यादे होने के वजह से उसने धर्मवीर को मना करना यानी लंड का स्वाद ना मिलने के बराबर ही था ।
इस कारण वह ना करने के बजाय हा कहना चाहती थी यानी चुदना चाहती थी । लेकिन कुच्छ पल पहले ही झड़ने की वजह से शरीर की गर्मी निकल गयी थी और उसे हाँ कहने मे लाज़ लग रही थी । और वह चुदना भी चाहती थी।

पूजा ने देखा की धर्मवीर उसी की ओर देख रहे थे शायद जबाव के इंतजार मे।
पूजा के आँखें ज्योन्हि धर्मवीर की आँखों से टकराई की वह लज़ा गयी और अपने दोनो हाथों से अपनी आँखें मूंद ली और सिर को एक तरफ करके हल्का सा कुछ रज़ामंदी मे मुस्कुरई ही थी की धर्मवीर ने अपने लंड को अपने पूरे शरीर के वजन के साथ उसकी काली और कुच्छ गीली चूत मे ठेला ही था की पूजा का मुँह खुला - आरे बाअप रे माईए । और अपने एक हाथ से धर्मवीर का लंड और दूसरी हाथ से उनका कमर पकड़ने के लिए झपटी लेकिन तब तक धर्मवीर के भारी शरीर का वजन जो की अपने गोरे मोटे लंड पर रख कर काली रंग की फूली हुई चूत में घुसेड़ चुके थे और नतीज़ा की भारी वजन के वजह से आधा लंड पूजा की काली चूत मे घूस चुका था।


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अब पूजा के बस की बात नही थी की घूसे हुए लंड को निकाले या आगे घूसने से रोक सके । लेकिन पूजा का जो हाथ धर्मवीर के लंड को पकड़ने की कोशिस की वह उनका आधा ही लंड पकड़ सकी और पूजा को लगा मानो लंड नही बल्कि कोई गरम लोहे की छड़ हो।

अगले पल धर्मवीर अपने शरीर के वजन जो की अपने लंड के उपर ही रख सा दिया था , कुछ कम करते हुए लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा तो चूत से जितना हिस्सा बाहर आया उसपर बुर का लिसलिसा पानी लगा था।

अगले पल अपने शरीर का वजन फिर से लंड पर डालते हुए हुमच दिए और इसबार लंड और गहराई तक घूस तो गया लेकिन पुजा चटाई मे दर्द के मारे ऐंठने लगी.

धर्मवीर ने देखा की अब उनका गोरा और मोटा लंड झांटो से भरी चूत मे काफ़ी अंदर तक घूस कर फँस गया है तब अपने दोनो हाथों को चटाई मे दर्द से ऐंठ रही पूजा की दोनो गोल गोल साँवले रंग की चुचिओ पर रख कर कस के पकड़ लिया और मीज़ना शुरू कर दिया।


पूजा अपनी चुचिओ पर धर्मवीर के हाथ का मीसाव पा कर मस्त होने लगी और उसकी चूत मे का दर्द कम होने लेगा।
पूजा को बहुत ही मज़ा मिलने लगा। वैसे उसकी मांसल और बड़ी बड़ी गोल गोल चुचियाँ किसी बड़े अमरूद से भी बड़ी थी और किसी तरह धर्मवीर के पूरे हाथ मे समा नही पा रही थी।

धर्मवीर ने चुचिओ को ऐसे मीज़ना शुरू कर दिया जैसे आटा गूथ रहे हों। चटाई मे लेटी पूजा ऐसी चुचि मिसाई से बहुत ही मस्त हो गयी और उसे बहुत अच्छा लगने लगा था ।

उसका मन अब चूत मे धन्से हुए मोटे लंड को और अंदर लेने का करने लगा। लेकिन चटाई मे लेटी हुई आँख बंद करके मज़ा ले रही थी। कुछ देर तक ऐसे ही चुचिओ के मीसावट से मस्त हुई पूजा का मन अब लंड और अंदर लेने का करने लगा लेकिन धर्मवीर केवल लंड को फँसाए हुए बस चुचिओ को ही मीज़ रहे थे। चुचिओ की काली घुंडिया एक दम खड़ी और चुचियाँ लाल हो गयी थी।


पूजा की साँसे अब तेज चल रही थी। सावित्री को अब बर्दाश्त नही हो पा रहा था और उसे लंड को और अंदर लेने की इच्छा काफ़ी तेज हो गयी। और धीरज टूटते ही धर्मवीर के नीचे दबी हुई पूजा ने नीचे से ही अपने चूतड़ को उचकाया ।

धर्मवीर इस हरकत को समझ गये और अगले पल पूजा के इस बेशर्मी का जबाव देने के लिए अपने शरीर की पूरी ताक़त इकठ्ठा करके अपने पूरे शरीर को थोड़ा सा उपर की ओर उठाया तो लंड आधा से अधिक बाहर आ गया। और चुचिओ को वैसे ही पकड़े हुए एक हुंकार मारते हुए अपने लंड को चूत मे काफ़ी ताक़त से घुसेड़ दिया और नतीज़ा हुआ कि चूत जो चुचिओ की मीसावट से काफ़ी गीली हो गयी थी, लंड के इस जबर्दाश्त दबाव को रोक नही पाई और धर्मवीर के कसरती बदन की ताक़त से चांपा गया लंड चूत मे जड़ तक धँस कर काली चूत मे गोरा लंड एकदम से कस गया ।

चूत मे लंड की इस जबर्दाश्त घूसाव से पूजा मस्ती मे उछल पड़ी और चीख सी पड़ी "सी रे ....माई ... बहुत मज़ाअ एयेए राहाआ हाइईइ आअहह..."

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फिर धर्मवीर ने अपने लंड की ओर देखा तो पाया कि लंड का कोई आता पता नही था और पूरा का पूरा पूजा की काली और झांटों से भरी हुई चूत जो अब बहुत गीली हो चुकी थी, उसमे समा गया था।


धर्मवीर यह देख कर हंस पड़े और एक लंबी साँस छोड़ते हुए बोले - तू बड़ी ही गदराई हुई घोड़ी है । तेरी चूत अपनी बहन की तरह बड़ी ही रसीली और गरम है..तुझे चोद्कर तो मेरा मन यही सोच रहा कि तेरी बहन की गांड का भी स्वाद किसी दिन दोबारा पेल कर ले लू.....क्यों ....कुच्छ बोल ...।

पूजा जो चटाई मे लेटी थी और पूरे लंड के घूस जाने से बहुत ही मस्ती मे थी कुच्छ नही बोली क्योंकि धर्मवीर का मोटा लंड उसकी चूत के दीवारों के रेशे रेशे को खींच कर चौड़ा कर चुका था , और उसे दर्द के बजाय बहुत मज़ा मिल रहा था ।

धर्मवीर के मुँह से अपनी बहन उपासना के बारे मे ऐसी बात सुनकर उसे अच्च्छा नही लगा लेकिन मस्ती मे वह कुछ भी बोलना नही पसंद कर रही थी ।

बस उसका यही मन कर रहा था की धर्मवीर उस घूसे हुए मोटे लंड को आगे पीछे करें।

जब धर्मवीर ने देखा की पूजा ने कोई जबाव नही दिया तब फिर बोले - खूद तो चूत मे मोटा लौड़ा लील कर मस्त हो गयी है, और तेरी बहन के बारे मे कुछ बोला तो तेरे को बुरा लग रहा है साली हराम्जादि कहीं की । वो बेचारी विधवा का भी तो मन करता होगा कि किसी मर्द के साथ अपना मन शांत कर ले । लेकिन लोक लाज़ से और शरीफ है इसलिए बेचारी अपना जीवन घूट घूट कर जी रही है । क्यों ...बोलो सही कहा की नहीं ।


इतना कहते ही अगले पल धर्मवीर ने पूजा की दोनो चोचिओ को दोनो हाथों से थाम कर ताच.. ताच्छ... पेलना शुरू कर दिया।

धर्मवीर का गोरा और मोटा लंड जो चूत के लिसलिस्से पानी से अब पूरी तरीके से भीग चुका था, पूजा के झांटों से भरी काली चूत के मुँह मे किसी मोटे पिस्टन की तरह आगे पीछे होने लगा।

चूत का कसाव लंड पर इतना ज़्यादा था कि जब भी लंड को बाहर की ओर खींचते तब लंड की उपरी हिस्से के साथ साथ चूत की मांसपेशियाँ भी बाहर की ओर खींच कर आ जाती थी । और जब वापस लंड को चूत मे चाम्पते तब चूत के मुँह का बाहरी हिस्सा भी लंड के साथ साथ कुच्छ अंदर की ओर चला जाता था । लंड मोटा होने की वजह से चूत के मुँह को एकदम से चौड़ा कर के मानो लंड अपने पूरे मोटाई के आकार का बना लिया था ।

पूजा ने धर्मवीर के दूसरी बात को भी सुनी लेकिन कुछ भी नही बोली। वह अब केवल चुदना चाह रही थी । लेकिन धर्मवीर कुच्छ धक्के मारते हुए फिर बोल पड़े - मेरी बात तुम्हे ज़रूर खराब लगी होगी , क्योंकि मैने गंदे काम के लिए बोला । लेकिन तेरी दोनो जांघों को चौड़ा करके आज तेरी चूत चोद रहा हूँ । ये तुम्हें खराब नही लग रहा है....तुम्हे मज़ा मिल रहा है..शायद ये मज़ा तेरी बहन को भी मिले यह तुम्हे पसंद नही । दुनिया बहुत मतलबी है ।और तू भी तो इसी दुनिया की है ।

और इतना बोलते ही धर्मवीर हुमच हुमच कर चोदने लगे और पूजा ने उनकी ये बात सुनी लेकिन उसे अपने चूत को चुदवाना बहुत ज़रूरी था इसलिए बहन के बारे मे धर्मवीर के कहे बात पर ध्यान नही देना ही सही समझी ।

और अगले पल चूत मे लगी आग को बुझाने के लिए हर धक्के पर अपने चौड़े और सांवले रंग के दोनो चूतड़ों को चटाई से उपर उठा देती थी क्योंकि धर्मवीर के मोटे लंड को पूरी गहराई मे घूस्वा कर चुदवाना चाह रही थी पूजा।


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धर्मवीर के हर धक्के के साथ पूजा की चूत पूरी गहराई तक चुद रही थी । धर्मवीर का सुपाड़ा पूजा की चूत की दीवार को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था।


पूजा जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही हो ।धर्मवीर हर धाक्के को अब तेज करते जा रहे थे। लंड जब चूत मे पूरी तरह से अंदर धँस जाता तब धर्मवीर के दोनो टट्टे पूजा की गांड पर टकरा जाते थे ।

कुछ देर तक धर्मवीर पूजा को चटाई मे कस कस कर चोद्ते रहे । उनका लंड पूजा की कसी बुर मे काफ़ी रगड़ के साथ घूस्ता और निकलता था ।
मानो उस कसी हुई चूत को ढीला करने की कसम खायी हुई थी धर्मवीर ने ।

धर्मवीर को भी कसी हुई चूत का पूरा मज़ा मिल रहा था तो वहीं पूजा को भी धर्मवीर के कसरती शरीर और मोटे लंबे और तगड़े लंड का मज़ा खूब मिल रहा था। कमरे मे फच्च फच्च की आवाज़ भरने लगी।

पूजा के चूतड़ अब उपर की ओर उठने लगे और हर धक्के के साथ चटाई मे दब जाते थे । चूत से पानी भी निकलना काफ़ी तेज हो गया था इस वजह से चूत का निकला हुआ पानी पूजा की गांड की दरार से होता हुआ चटाई पर एक एक बूँद चूना शुरू हो गया ।


पूजा अब सिसकारने लगी थी ।
अचानक पूजा के शरीर मे एक ऐंठन शुरू होने लगी ही थी की धर्मवीर ने पूजा को कस कर जाकड़ लिया और उसकी गीली और चू रही काली चूत को काफ़ी तेज़ी से चोदने लगे । चुदाइ इतनी तेज होने लगी कि चूत से निकलने वाला पानी अब चूत के मुँह और लंड पर साबुन की तरह फैलने लगा।


जब लंड बाहर आता तब उसपर सफेद रंग के लिसलिसा पानी अब साबुन की झाग की तरह फैल जाता था ।

धर्मवीर पूजा को काफ़ी तेज़ी से चोद रहे थे लेकिन फिर पूजा गिड़गिडाना शुरू कर दी "...सीई....और....तेज...जी धर्मवीर जी ....जल्दी ...जल्दी........आह ।

धर्मवीर के कान मे ये शब्द पड़ते ही उनके शरीर मे झटके दार ऐंठन उठने लगी उनका कमर का हिस्सा अब झटका लेना शुरू कर दिया क्योंकि धर्मवीर जी के दोनो आंडों से वीर्य की एक तेज धारा चल पड़ी और धर्मवीर ने अपने पूरे शरीर की ताक़त लगाकर धक्के मारना शुरू कर दिया ।

अगले पल धर्मवीर पूजा के कमर को कस लिए और अपने लंड को चूत के एकदम गहराई मे चाँप कर लंड का अगला हिस्सा चूत की तलहटी मे पहुँचा दिया और लंड के छेद से एक गर्म वीर्य के धार तेज़ी से निकल कर ज्योन्हि चूत के गहराई मे गिरा कि पूजा वीर्य की गर्मी पाते ही चीख सी पड़ी " एयेए ही रे माइ रे बाप ...रे...बाप...आरी धर्मवीर बहुत मज़ा ....आ रा..हा ही रे मैया..." और पूजा की चूत से वीर्य निकल कर लंड पर पड़ने लगा ।

धर्मवीर का लंड काफ़ी देर तक झटके ले ले कर वीर्य को चूत मे उडेल रहा था । लगभग पूरी तरीके से झड़ जाने के बाद धर्मवीर ने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और अगले पल वापस चूत मे घुसेड़कर वीर्य की आख़िरी बूँद भी उडेल दी ।

अब दोनो हाँफ रहे थे और धर्मवीर ने पूजा के उपर से हट कर लंड को चूत से बाहर खींचा और चुदाइ के रस से भीग कर सना हुए लंड के बाहर आते ही चूत की दोनो काली फाँकें फिर से सटने की कोशिस करने लगी लेकिन अब चूत का मुँह पहले से कहीं और खूल कर फैल सा गया था ।

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चूत की सूरत पूरी बदल चुकी थी ।धर्मवीर चूत पर एक नज़र डाले और अगले पल पूजा की दोनो जांघों के बीच से हट कर खड़े हो गये ।

पूजा अपनी दोनो जांघों को आपस मे सटाते हुए अपनी नज़र धर्मवीर के अभी भी कुछ खड़े लंड पर डाली जो की चुदाई रस से पूरी तरह से सना था। धर्मवीर ने अगले पल पूजा की पैंटी को उठाया और अपने लंड के उपर लगे चुदाई रस को पोच्छने लगे ।

पूजा ऐसा देख कर एक दम से घबरा सी गयी । लंड पर काफ़ी ज़्यादे मात्रा मे चुदाई रस लगे होने से पैंटी लगभग भीग सी गयी ।


धर्मवीर लंड पोच्छने के बाद पूजा की ओर पैंटी फेंकते हुए बोला - ले अपनी चूत को पोंच्छ कर इसे पहन लेना और कल सुबह नहाते समय ही इसे धोना...समझी ।


पैंटी पर पूजा का हाथ पड़ते ही उसकी उंगलियाँ गीले पैंटी से भीग सी गयी । लेकिन धर्मवीर अब चटाई पर बैठ कर पूजा की ओर देख रहे थे और पूजा कई बार झाड़ जाने के वजह से इतनी थक गयी थी चटाई पर से उठने की हिम्मत नही हो रही थी ।

धर्मवीर के कहने के अनुसार पूजा ने पैंटी को हाथ मे लेकर चटाई मे उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत और झांटों मे लगे चुदाई रस को पोछने लगी । लेकिन पैंटी मे धर्मवीर के लंड पर का लगा चुदाई रस पूजा के पोंछने के जगह पर लगने लगा ।

फिर पूजा उठी और चूत को धोने और मूतने के लिए जैसे ही बाथरूम तरफ बढ़ी की धर्मवीर ने चटाई पर लेटते हुए कहा - चूत को आज मत धोना और इस पैंटी को पहन ले ऐसे ही और कल ही इसे भी धोना । इसकी गंध का भी तो मज़ा लेले घोड़ी ।


पूजा के कान मे ऐसी अजीब सी बात पड़ते ही सन्न रह गयी लेकिन उसे पेशाब तो करना ही था इस वजह से वह बाथरूम के तरफ एकदम नंगी ही बढ़ी तो धर्मवीर की नज़र उसके चौड़े चौड़े दोनो चूतड़ों पर पड़ी और वे भी एकदम से नंगे चटाई पर लेटे हुए अपनी आँख से मज़ा लूट रहे थे।

पूजा जब एक एक कदम बढ़ाते हुए बाथरूम के ओर जा रही थी तब उसे महसूस हुआ की उसकी चूत मे हल्का मीठा मीठा दर्द हो रहा था ।
बाथरूम के अंदर जा कर जैसे ही पेशाब करने बैठी तभी उसकी दोनो जांघों और घुटनों मे भी दर्द महसूस हुआ। उसने सोचा कि शायद काफ़ी देर तब धर्मवीर ने चटाई मे चुदाई किया है इसी वजह से दर्द हो रहा है।
लेकिन अगले पल ज्योन्हि वीर्य की बात मन मे आई वह फिर घबरा गयी और पेशाब करने के लिए ज़ोर लगाई । पूजा ने देखा की वीर्य की हल्की सी लार चूत के छेद से चू कर रह गयी और अगले पल पेशाब की धार निकलने लगी ।

पेशाब करने के बाद पूजा ज़ोर लगाना बेकार समझी क्योंकि चूत से वीर्य बाहर नही आ पा रहा था। उसके मन मे धर्मवीर के वीर्य से गर्भ ठहरने की बात उठते ही फिर से डर गयी और पेशाब कर के उठी और ज्योन्हि बाहर आई तो उसकी नज़र धर्मवीर पर पड़ी जो की कमरे मे नंगे खड़े थे और पूजा के बाहर आते ही वो भी बाथरूम मे घूस गये और हल्की पेशाब करने के बाद अपने लंड को धो कर बाहर आए ।

तबतक पूजा अपनी गीली पैंटी को पहन ली जो की उसे ठंढी और धर्मवीर के वीर्य और चूत के रस की गंध से भरी हुई थी।
धर्मवीर ने एक टैबलेट के पत्ते को निकाला और अपनी सलवार को पहन रही पूजा से बोला - कपड़े पहन कर इस दवा के बारे मे जान लो ।

पूजा की नज़र उस दवा के पत्ते पर पड़ते ही उसकी सारी चिंता ख़त्म हो गयी थी ।उसने अपने ब्रा और समीज़ जो जल्दी से पहन कर दुपट्टे से अपनी दोनो हल्की हल्की दुख रही चुचिओ को ढक कर धर्मवीर के पास आ कर खड़ी हो गयी ।
धर्मवीर ने दवा को अपने हाथ मे लेकर पूजा को बताया - तुम्हारी उम्र अब मर्द से मज़ा लेने की हो गयी है इस लिए इन दवा और कुछ बातों को भी जानना ज़रूरी है....यदि इन बातों पर ध्यान नही दोगि तो लेने के देने पड़ जाएँगे । सबसे बहले इन गर्भ निरोधक गोलिओं के बारे मे जान लो....इसे क्यूँ खाना है और कैसें खाना है।


धर्मवीर - वैसे तुम्हारी जैसी लड़कियाँ बहुत दीनो तक मर्दों से बच नही पाती हैं और शादी से पहले ही कोई ना कोई पटक कर चोद ही देता है । और मैंने भी आख़िर तुमको मैने तो चोद ही दिया ।

फिर धर्मवीर दवा के पत्ते की ओर इशारा करते हुए पूजा को दवा कैसे कैसे खाना है बताने लगे और पूजा धर्मवीर की हर बात को ध्यान से सुन कर समझने लगी ।

बात खत्म करते हुए हुए धर्मवीर ने बगल मे खड़ी पूजा के चूतड़ पर एक चाटा मारा और एक चूतड़ को हाथ मे लेकर कस के मसल दिया।

पूजा पूरी तरीके से झनझणा और लज़ा सी गयी।

धर्मवीर - कुतिया सुबह के 4:00 बज गए हैं एक-दो घंटे सो ले अगर सोना है तो । बहन की लोहड़ी अभी भी शर्म आ रही है अभी लोड़े के नीचे गनगना कर चोदी है ।

पूजा ने धर्मवीर की हल्का सा मुक्का मारा और बोली बेशर्म ।

धर्मवीर को इतना बर्दाश्त कहां होना था । धर्मवीर का तो दोस्तों स्वैग ही अलग होता है । धर्मवीर की छाती में जैसे ही हल्का सा मुक्का मारा धर्मवीर ने एक जोरदार थप्पड़ पूजा के गाल पर मारा ।

धर्मवीर- मुझे बेशर्म बोलती है अपनी औकात भूल गई अभी मेरे लोड़े के नीचे रही है तू । तेरे ऊपर चढ़ा हूं मैं और तुम मुझे बेशर्म बोलती है ।
चल बहन की लोड़ी जा कर सो जा ।
ऐसा कहते हुए धर्मवीर ने पूजा की गांड पर लात मारी और पूजा सीधा बेडरूम में पहुंच गई ।

पूजा अभी भी सोच में गुम थी कि आखिर धर्मवीर किस तरह का आदमी है।
धर्मवीर को समझना मुश्किल है। चोदता है तो हड्डियों तक तोड़ देता है ।
किसी पागल सांड की तरह चढ़ता है ।

अब इतने नखरे तो धर्मवीर के झेलने ही पड़ेंगे। गांड पर लात भी खानी पड़ेगी और चूत में लौड़ा भी लेना पड़ेगा ।

इन्हीं ख्यालों में गुम उपासना बेड पर गिर पड़ी। उसकी चाल में अजीब टेढ़ापन था। बड़ी मुश्किल से एक एक कदम आगे बढ़ा पा रही थी।

पूजा लेटे-लेटे सोचने लगी कि क्या हो रहा होगा दीदी के साथ ।
क्या उपासना दीदी और पापा सो गए होंगे या अभी दीदी की चूत पर लौड़ा बज रहा होगा। आखिर दीदी भी पूरी चुदक्कड़ है।
एक साथ पूजा के दिल से आवाज आई तू कौन सा कम चुदक्कड़ है । पूरी सुहागरात मनाई है कुतिया तूने भी ।

यह विचार आते ही पूजा धीरे से अपने आपसे बोली हां हम दोनों बहन चुदक्कड़ हैं । क्या करें जब चूत पर कोई लंड रखता है तो हमारी चूत खा जाती है वो लोड़ा। तगड़ा से तगड़ा लंड हम दोनों बहने आराम से लील जाती है और इन्हीं ख्यालों में सो गई पूजा।

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दोस्तों आपका सुझाव जरूर दीजिएगा ।
आपके प्यार का प्यासा - रचित ।

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jabardast update hai bhai
 

Cadbury

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Mujhe bahen ki chudai kahani bahut pasand hain, jaise ki bahen ki chudai dosto ke sath milkar, bahen ke sath group sex, bahen ki chudai uske boy friend ke sath, bahen ki chudai teacher ke sath milkar, shadi suda bahen ko dosto ke sath, bahen ke family ke sath group chudai, dosto ke sath family ki chudai ye kahani mujhe bahut pasand hain, aapke pass hongi to mujhe jarur de
 
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Nevil singh

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Update 28.

Hi दोस्तों माफी चाहता चाहता हूं बहुत इंतजार कराया अपडेट के लिए लेकिन तैयार है आपके लिए आगे की कहानी।

लौड़ों के राजाओं से और चूत की रानियों से निवेदन है कि यह कहानी पढ़ते हुए आनंद के सागर में गोते लगाए ।
कहानी को ले चलते हैं वहां पर जब बालवीर ने घूमने का प्लान बनाया था , शालिनी और आरती बलवीर के साथ घूमने को राजी हो गए थे-


*********
यह सुनते ही आरती खुश हो गई और एक साथ चहकते हुए बोली भैया आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना । हम दोनों भाई बहन चलते हैं घूमने ।
तभी बलवीर ने शालीनी से भी पूछा शालीनी ने पता नही क्या सोचकर हां करदी ।

आरती , शालीनी और बलवीर का प्लान फिक्स हो चुका था ।
अगले दिन सुबह को बलवीर, शालीनी और आरती अपने 6 दिन के टूर के लिए रवाना हो चुके थे ।
ड्राइवर उनको सुबह 7 बजे एयरपोर्ट लेकर पहुंच चुका था ।


सबसे पहले बलवीर शालिनी और गोवा जाने का फैसला किया ।
सुबह के 11 बजे तीनो गोवा पहुंच चुके थे ।

बलवीर साइड में खड़ा होकर होटेल में रूम बुक करने लगा । उसने सोचा दोनों से पूछ लूं कि कितने दिन के लिए होटेल बुक करूँ ।

बलवीर (शालिनि और आरती की तरफ आते हुए) - आरती कितने दिन तक रुकने वाले है हम यहां ।

आरती - भइया जब तक आप घूमना चाहे। वैसे भी हम दोनों को तो घूमने में मजा आता है ।

बलवीर - ठीक है दो दिन तक हम लोग गोवा में घूम लेते है फिर 2 दिन के लिए कश्मीर चलेंगे ।

शालिनि - ग्रेट चाचाजी ।

बलवीर रूम बुक करने लगा । उसने 2 रूम बुक किये एक शालिनि और आरती के लिए, एक अपने लिए ।

तीनो होटेल पहुंचे जाकर देखा तो पता लगा कि जो रूम उसने बुक किया था वो तभी कैंसिल हो गया था ।

रिसेप्शनिस्ट- यस सर , how may I help you ?

Balbir - भाई अंग्रेजी से तो मैं परेशान हो गया हूं भारत मे तो कम से कम हिंदी बोलो ।

रिसेप्शनिस्ट- जी सर मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं ?

बलवीर - मैंने अभी दो रूम बुक किए थे , लेकिन अभी होटल आकर मैंने देखा तो मुझे पता चला कि मेरे रूम कैंसिल हो गया ।

रिसेप्शनिस्ट - हां जी सर माफी चाहता हूं मैं उसके उसके लिए । मैं आपको बताना चाहता हूं कि अब एक रूम खाली है यदि आप चाहते हैं तो उसमें आप रुक सकते हैं ।

बलबीर - लेकिन हम तीन लोग हैं।

तभी आरती ने बोला हां भैया कोई बात नहीं हम कोई दूसरे होटल में रुक जाएंगे ।


तभी रिसेप्शनिस्ट ने बोला - माफ कीजिएगा । मैं यहां पर आसपास में कोई होटल अवेलेबल नहीं मिलेगा। इस मौसम में काफी लोग गोवा घूमने आते हैं जिस वजह से आसानी से नहीं मिल पाता है होटल ।


तभी आरती सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखते हुए - तो फिर कैसे करेंगे भैया ।

बलवीर एक मिनट तक कुछ सोचा फिर बोला - आरती ऐसा करते हैं बेड पर तुम दोनों सो जाना मैं सोफे पर सो जाऊंगा।


शालिनी- हां चाचा जी यह ठीक रहेगा ।

तभी रिसेप्शनिस्ट ने एक वेटर को कहा- तुम जाकर साहब को कमरा दिखाओ ।


बलवीर आरती और शालिनि से बोला - कि हां तुम इस लड़के के साथ जाकर रूम में पहुंचो, मैं पेमेंट करके आता हूं ।


आरती और शालिनी उस लड़के के साथ रूम की तरफ चल दी ।
बलवीर ने पेमेंट किया लेकिन जैसे ही बलवीर ने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देखा तो वह सामने की तरफ कुछ देख रहा था ।
उसकी नजरों का पीछा करते हुए बलवीर ने देखा तो पाया रिसेप्शनिस्ट आरती और शालिनी को जाते हुए घूर रहा था ।


यह पहला मौका था जब बालवीर ने आरती और शालिनी को पीछे से इस तरह चलते हुए देखा था ।
दोनों की गांड चलते हुए काफी हिल रही थी जिसे उनके पीछे चलने वाला लड़का देख रहा था । हालांकि सूट पहना हुआ था शालिनी और आरती ने लेकिन उसमें भी चलती हुई किसी बोंब की तरह लग रही थी दोनों ।


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बलवीर ने पेमेंट किया और बलवीर भी उनकी उनकी तरफ चलने लगा।

लड़के ने रूम में पहुंचकर कहा- मैम यह है आपका कमरा । अगर किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप कॉल कीजिएगा ।

ऐसा कहकर वह लड़का बाहर चला गया ।

आरती और शालिनी ने जाकर सामान रखा और सोफे पर बैठ गई ।

आरती- भैया भूख भी लग रही है पहले कुछ खा लेते हैं फिर थोड़ा आराम करने का भी मन है ।

शालिनी उसका साथ देते हुए- हां चाचा जी मुझे भूख लग रही है ।

बलवीर - अच्छा जब तुम दोनों को भूख लग रही है तो पहले चलो कुछ खा लेते हैं । मैं खाना ऑर्डर कर देता हूं ।

बलवीर खाना ऑर्डर करने लगा ।

शालिनी बोली- जी चाचाजी आप खाना ऑर्डर कीजिए तब तक मैं नहा लेती हूं ।

ऐसा कहकर शालिनी ने अपने कपड़े निकाले बैग में से और बाथरूम में घुस गई ।

अब कमरे में बलवीर और आरती थे ।

आरती को सलमान का मैसेज रिसीव हुआ तो आरती अपना फोन उठाकर बाहर गिरिल पर जाकर खड़ी हो गई और सलमान से बातें करने लगी ।


उधर शालिनी बाथरूम में नहाने के लिए गई हुई थी लेकिन उसका फोन वहीं सोफे पर रखा था ।
तभी उसके फोन पर उसकी बेस्ट फ्रेंड नाज़नीन (Najneen) का फोन आया।

नाज़नीन के बारे में आपको बता दें कि यह एक मुस्लिम शादीशुदा औरत है।
नाज़नीन की शादी को अभी 1 साल हुआ है । नाज़नीन पर्दे में रहने वाली औरत है यह मोहतरमा अगर घर से बाहर निकलती हैं तो अपने आप को बुर्के से ढककर ही घर से बाहर जाती हैं ।


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इनकी आंखें बिल्कुल कटीली हैं लेकिन चुदाई के मामले में इन्हें देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह एक शरीफ पाकीजा मुस्लिम औरत है ।
अपने शौहर से चुदवाते समय यह दिखाती है कि मैं कितनी बड़ी लंडखोर औरत हूं।


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हां दोस्तों जब यह मोहतरमा अपने शौहर के नीचे बिछती हैं तो कोई शरीफ पाक औरत नहीं बल्कि सस्ती और चुडक्कड़ रांड बन जाती हैं ।



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बलवीर ने जैसे ही देखा कि किसी नाज़नीन नाम से फोन आ रहा है तो उसने सोचा शालिनी की सहेली होगी । बता देता हूँ कि वो नहा रही है।

यह सोचकर बलवीर ने फोन उठा लिया ।


जैसे ही बलवीर ने फोन अपने कान से लगाया दूसरी तरफ से आवाज आई।

नाजनीन- क्या हाल हैं मेरी चुदक्कड़ रानी के । अब तो अपने भैया को मार कर अपने चाचा को मारने का प्लान है क्या, लेकिन याद रखना वह तेरा भाई राकेश नहीं है। वह तेरा चाचा बलवीर है लाडो रानी कहीं ऐसा ना हो कि चाचा को रिझाने के चक्कर में अपनी चूत का चबूतरा बनवा लो । वह तो बेचारा सीधा साधा राकेश था जो तेरे जैसी घोड़ी को देखकर तुझ पर चढ़ने के लिए बेताब हो गया था। वैसे तुझे चुदने के बाद मारना चाहिए था राकेश को पर तूने बेचारे को तेरी चूत भी नहीं लेने दी और तूने पहले ही मार दिया उसको । अब बोलती क्यों नहीं कुछ मैं इतनी देर से बकबक किए जा रही हूं।


बलवीर को कुछ समझ नहीं आया ।
उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया ।
परेशान हो गया बलबीर ।
उसकी आंखों से गुस्सा और आंस दोनों साफ झलक रहे थे ।


बलवीर ने फोन डिस्कनेक्ट किया और सोफे पर गिर पड़ा।
सोफे पर बैठे बैठे उसके दिमाग में यह भूचाल चल ही रहा था कि शालिनी ने ने राकेश को क्यों मारा ?
क्या शालिनी ने ही राकेश को मारा है ?
क्या राकेश की हत्या की गई है ?
क्या राकेश शालिनी को चोदना चाहता था?
क्या शालिनी चुदक्कड़ है जो अपनी चूत अबसे पहले फड़वा चुकी है ।

यह सोचते हुए बलवीर काफी परेशान सोफे पर बैठा था कि तभी शालिनी नहा कर आगयी।

शालिनी ने जींस पहनी हुई थी और उसके ऊपर टॉप डाला हुआ था ।
अपनी उम्र के हिसाब से शालिनी का शरीर ज्यादा ही बड़ा लगता था ।
देखने से भी शालिनी कुंवारी नहीं लगती थी ऐसी लगती थी जैसे उसके रोम-रोम में वासना भरी हो ।

अपनी भतीजी की मोटी मोटी गदराई हुई जांघों को देखकर बलवीर समझ गया कि उसकी भतीजी अब बच्ची नहीं है । वह एक खेलीखाई लड़की है जो अपने भाई को मार चुकी है ।


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शालिनी के भरे हुए बदन और खूबसूरती के साथ-साथ उसमें एक शातिर दिमाग भी है यह समझ चुका था बलवीर ।
तभी बलवीर के दिमाग में एक विचार कौंधा कि जिस सहेली का अभी फोन आया है वह दोबारा शालिनी को फोन करेगी और शालिनी को पता चल जाएगा की फोन पर मैंने उसकी सहेली की बात सुन ली है ।
इसका मतलब मेरी पोल खुल जाएगी । मेरी पोल खुले उससे पहले ही मुझे कुछ करना होगा ।

तभी रूम में वेटर की एंट्री होती है जो खाना लेकर आया था उसने खाना टेबल पर रखा और बाहर की तरफ निकल गया ।

बलवीर भी उस लड़के के पीछे चला गया ।
कमरे से बाहर जाकर बलवीर ने उसे रोका और कहां एक काम कर सकते हो ।

लड़के ने सवालिया नजरों से बलवीर की ओर देखा और पूछा- कैसा काम ?

बलवीर- यार वह क्या है ना मुझे थोड़ा प्राइवेसी चाहिए ।
अपनी गर्लफ्रेंड से मुझे मिलना है और वह देखो मेरी बहन मेरे साथ ही है।
आरती की तरफ इशारा करते हुए बलवीर ने कहा । तो मैं चाहता हूं कि तुम उसे बातों में लगा लो या कुछ ऐसा करो एक-दो घंटे के लिए वह कमरे में ना आ पाए ।

लड़का - बदले में मुझे क्या मिलेगा ।

बलवीर ने लड़के की तरफ़ पचास हजार का एक नोट बढ़ाते हुए कहा - यह लो उस काम की कीमत ।


लड़के की आंखों में 50000 का नोट देखकर चमक आ गई और उसने वह नोट जल्दी से अपनी जेब में रख लिया और बोला - आज आप चिंता मत कीजिए समझ लीजिए आपका काम हो गया। हमारे यहां पर आज एक बर्थडे पार्टी है तो मैम साहब को मैं वहां बुला लेता हूं ।


बलवीर को ये आईडिया जच गया और उसने कहा - ठीक है तुम मेरे रूम में इनविटेशन कार्ड लेकर आना मैं उसे तुम्हारे साथ भेज दूंगा ।

लड़का - ठीक है साहब में 10 मिनट में आता हूं।
ऐसा बोलकर लड़का चला गया ।

आरती को इस बारे में भनक तक नहीं की वह तो बस धर्मवीर यानी सलमान से चैटिंग कर रही थी ।

बलवीर वापस कमरे में आया और आके शालिनी से बोला- मुझे तुमसे कुछ बात करनी है शालिनी ।


सवालिया नजरों शालिनी बोली- बोलिये चाचा जी ।


बलवीर- अभी आरती बाहर एक बर्थडे पार्टी में जाएगी जो होटल वालों ने रखी है, तो तुम मत जाना उसके साथ।

शालिनी सवालिया नजरों से बलवीर को देखते हुए - हां चाचा जी वह तो ठीक है लेकिन यह तो बता दीजिए बात किस बारे में करनी है ।

बलबीर ने सोचा कि अभी मैं इसे कोई हिंट दूंगा तो कहानी खराब हो सकती है इसलिए उसने झट से कहा - मैं सोच रहा हूं गोवा में हम लोग अपनी कंपनी की एक नई ब्रांच खोलें तो उसी के बारे में बात करनी थी । लेकिन बात सिर्फ तुमसे ही करनी थी । तो सोच रहा हूं आरती चली जाएगी तब इस बारे में बात करते हैं ।


शालिनी यह सुनकर खुश हुई क्योंकि उसने सोचा कि हो सकता है बलवीर चाचा वह ब्रांच मेरे नाम से शुरू करें। ऐसा सोच कर वह चहकते हुए बोली - हां चाचा जी बिल्कुल जब आरती बुआ चली जाएंगी हम तब बात कर लेंगे।
लेकिन चाचा मुझे भूख लग रही है चलो खाना खा लेते हैं ।

तभी आरती अंदर आ गई आरती बोली- भैया मुझे भी भूख लग रही है।

बलवीर - तो चलो आ जाओ पहले खाना खाते हैं ।
तीनो लोग बैठे ही थे कि तभी वह लड़का अंदर आया जिससे बलवीर ने सारा प्लान फिक्स किया था ।


लड़का - सर हमारे होटल में आज एक छोटी सी पार्टी है आप से रिक्वेस्ट है की पार्टी में आकर पार्टी की शोभा बढ़ाएं ।


बलवीर - बहुत खुशी की बात है यह तो लेकिन मुझे बड़े दुख के साथ मना करना पड़ेगा क्योंकि मुझे अभी ऑफिस का काम है ।
एक काम करो शालिनी और आरती तुम दोनों चली जाओ ऐसा कहते हुए बलवीर अपने फोन को चलाने लगा ।


आरती - चलो कम से कम पार्टी तो मिलेगी। चलो हम दोनों चलते हैं शालिनि, भैया अपने ऑफिस का काम कर लेंगे ।

शालिनी मुंह बनाते हुए - लेकिन मेरे तो सर में दर्द हो गया है सफर की वजह से । मेरा थोड़ा आराम करने का मन है अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं आराम कर लूं और आप पार्टी में चली जाओ बुआ।


आरती ने अपने मन में सोचा- चलो अच्छा है सलमान से चैटिंग करने का भी मौका मिलेगा और वैसे भी शालिनि के सर में दर्द है तो वह आराम कर लेगी


यह सोच कर आरती बोली - कोई बात नहीं मैं चली जाती हूं इनको भी बुरा नहीं लगेगा और मैं जल्दी आ जाऊंगी ।

बलवीर - हां आरती ये ठीक रहेगा तुम पार्टी में चली जाओ मैं और शालिनी यह खाना पेट भर कर खाएंगे hahaha हंसते हुए बलवीर बोला । वैसे भी तुम्हें डांस करने का बहुत शौक है तो आज तुम्हें डांस करने का मौका भी मिल जाएगा ।

शालिनी- हां चाचा जी डांस तो वाकई में बहुत अच्छा करती हैं बुआ।

आरती - तुम दोनों मेरी क्यों हंसी उड़ा रहे हो , ऐसा कुछ नहीं है ।


बलवीर - शालिनी देखो आज हमारी आरती इतना अच्छा डांस करेगी कि-

कर देगी फेल शकीरा को तोड़ेगी ये रिकॉर्ड माईकल के ,
कर देगी फेल शकीरा को तोड़ेगी ये रिकॉर्ड माईकल के ,
ऐसे कमर घुमाकर नाचेगी जैसे पैडल घूमते है साईकिल के ।


यह सुनकर शरमा गई आरती।

आरती - ओके भैया ।

ऐसा बोलकर आरती उस लड़के के साथ चली गई अब कमरे में शालिनी और बलबीर बचे थे ।

दोस्तों बलवीर और धर्मवीर दोनों भाइयों के स्वभाव में कोई ज्यादा बड़ा अंतर नहीं था जैसा शातिर दिमाग धर्मवीर का था वैसा ही शातिर दिमाग और भैंसे जैसा तगड़ा शरीर बलवीर का भी था ।

शालिनी को इस बात के बारे में कोई भनक नहीं थी कि बलवीर क्या सोच रहा है । वह तो बस अपनी मस्ती में मस्त थी ।

अब बलवीर ने उठकर गेट लॉक किया और सोफे पर बैठ गया ।
शालिनी अपने फोन में कुछ देख रही थी ।
बलवीर की आवाज तभी उसके कानों में पड़ी ।

बलवीर - शालिनी हम जो गोवा में नई कंपनी खोल रहे हैं मैं सोच रहा हूं कि उसे तुम्हारे नाम कर दूं ।

शालिनी खुश होते हुए - दिल से धन्यवाद चाचा जी। आज मुझे एहसास हुआ कि आप मुझे अपनी सगी बेटी की तरह ही प्यार करते हैं ।

बलवीर - हां बेटी तुम मेरी अपनी ही हो । लेकिन मैं सोच रहा हूं इसके बदले में तुम्हें भी कुछ मेरे लिए करना चाहिए ।

शालिनी - हां चाचा जी बिल्कुल । बोलिए क्या करे यह शालिनी आपके लिए। मैं तो अपनी फैमिली के लिए अपनी जान भी दे दूं ।

बलवीर अपने चेहरे पर पर कुटिल मुस्कान लाते हुए- मुझे तुम्हारी जान नहीं कुछ और चाहिए ।

शालिनी अभी भी खुशी में ही मग्न थी । उसे आने वाले समय के बारे में कोई भनक नहीं थी और ना ही वह बलवीर की बातों का सही अर्थ समझ पा रही थी ।


शालिनी ने चहकते हुए कहा - आप कहिए तो चाचा जी आपके मुंह से वह ख्वाहिश निकलने से पहले ही मैं उसे पूरी कर दूंगी ।


बलवीर - हां शालिनी यह तो मुझे भी लग रहा है तुम्हारा यह भरा हुआ जवान मदमस्त गदराया हुआ शरीर देखकर कि अब तुम मर्दों की ख्वाहिश पूरी करने लायक हो गई हो ।


बलवीर की यह बात शालिनी के कानों में पड़ते ही उसे झटका लगा ।
उसके चेहरे की खुशी और मुस्कान एक पल में गायब हो गई ।
उसकी आंखें बड़ी हो गई और माथे में एक साथ कई सिलवटें आगयीं।

शालिनी अपने इस चेहरे से हैरानी से बलवीर को देखते हुए बोली- क-क्या मतलब चाचा जी । मैं-मैं कुछ समझी नहीं ।


बलवीर - अरे बेटी तुम गलत समझ रही हो मेरा मतलब है कि मैं काफी दिनों से इंडिया नहीं आया हूं इसलिए मुझे लगता था कि तुम अभी छोटी ही होगी, लेकिन तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो ।
बात को संभालते हुए बलवीर बोला


शालिनी- अच्छा वह तो ठीक है चाचा जी लेकिन आपने ऐसे वर्ड्स यूज़ किये हैं जिसे सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा ।

बलवीर हंसते हुए- सॉरी बेटी मेरे मुंह से निकल गया मेरा मतलब यही था कि तुम अब बड़ी हो गई हो ।

शालिनी- इट्स ओके चाचा जी। हां बताइए आपको क्या चाहिए उसके बदले में जो गिफ्ट आपने मुझे दिया है ।

बलवीर - मैं चाहता हूं मेरी बेटी मुझे गले से लगाकर प्यार से धन्यवाद बोले। कम से कम हमें भी तो लगना चाहिए कि शालिनी भी हमें अपना मानती है।

शालिनी खुश होते हुए - ओह चाचूजी जी आई लव माई फैमिली । लेकिन चाचा जी मैं आप को गले लगाकर धन्यवाद बोलूंगी तो आप भी मुझे गले से लगाकर मेरे कान में शुक्रिया बोलना, आखिर हम भी आपकी बेटी हैं । बदला तो ले ही लूंगी हा हा हा हा ।


बलवीर अपनी बाहों को फैलाते हुए- जैसा मेरी बेटी चाहे ।


शालिनी खुशी और प्यार से बलवीर के सीने से लग गई ।
अब बलवीर को उसके कान में शुक्रिया बोलना था ।

जैसे ही शालिनी खुशी से बलवीर के गले से लगी तो बलवीर ने अपने दोनों हाथ शालिनी के भारी कूल्हों पर रखकर उसके कान में कहा - यह एक बार मिल जाए तो मैं तो जीते जी स्वर्ग में पहुंच जाऊंगा , शुक्रिया बेटी ।


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शालिनी में जब अपनी गांड पर बलवीर के हाथ महसूस करते हुए अपने कान में यह बात सुनी तो उसे दोबारा से झटका लगा और वह एक साथ उछल कर बलवीर के सीने से दूर हो गई ।


शालिनी हकलाते हुए - क-क-क्या मतलब है आपका ।


बलवीर- अरे बेटी मेरा मतलब है कि तुम्हारी या जादू की झप्पी मुझे एक बार मिल जाती है तो मैं जीते जी स्वर्ग में पहुंच जाता हूं । कितने प्यार से गले लगाती है मेरी प्यारी भतीजी , यह बोला मैंने तो शालिनी , तो बताओ क्या गलत बोला ।


शालिनी अब कंफ्यूज हो चुकी थी अपनी ही सोच से ।
शालिनी को समझ नहीं आ रहा था बलवीर सच में उसे बेटी की तरह बहुत प्यार करता है या बलवीर उससे कुछ और मांगना चाहता है क्योंकि बलवीर की बातें बिल्कुल नहीं लग रही थी कि वह अपनी भतीजी के बारे में गलत सोच सकता है लेकिन बलवीर की हरकतें शालिनी को सोचने पर मजबूर कर रही थी ।


शालिनी नॉर्मल होते हुए और चाची जी- आपने मेरे पीछे क्यों हाथ रखा था बैक पर।


बलवीर- अरे बेटी अपनी बेटी को हाथ लगाने में भी सोचना कैसा। लग गया होगा मेरा हाथ हो सकता है कहीं गलत जगह पर । माफ कीजिए उसके लिए।


बलवीर की इन बातों से शालिनी के दिल में बलवीर की एक इज्जतदार छवि दोबारा से बन गई । गलत बातें अपने दिमाग से निकालती हुई शालिनी बोली- अब तो खुश हो गए ना आपको जादू की झप्पी भी मिल गई ।


बलवीर - हां अब तो मैं खुश हूं बहुत । मैं चाहता हूं कि मेरी बेटी मुझे एक बार और जादू की झप्पी दे फिर हम आराम करते हैं ।


शालिनी - हां हां चाचा जी क्यों नहीं मैं तो थक भी गई हूं। मैं भी आराम करूंगी चलो एक और आपको जादू की झप्पी देती हूं।


बलवीर बोला - ठीक है मैं तुम्हारे कान में शुक्रिया कहूंगा ।
इस बार शालिनी ने नहीं कहा था बलबीर से कि तुम मुझे शुक्रिया बोलना कान में लेकिन फिर भी अब बलबीर ने अपनी तरफ से बोला , क्योंकि बलवीर के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था ।


शालिनी - ओके चाचा जी शालिनी दोबारा से खुश होते हुए और चहकते हुए प्यार से बलवीर के सीने से लगी ।


बलवीर ने इस बार शालिनी के चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाते हुए शालिनि के कान में कहा- यही तो कहा था मैंने पहले भी शालिनी कि इस गांड पर एक बार मुझे चढ़ा ले वादा करता हूं सुबह को ठीक से हग भी नहीं पाएगी । तेरी गांड मेरा लौड़ा संभालने के लायक हो गई है । इतनी भारी गांड ही टिक सकती है मेरे नीचे , शुक्रिया मेरी चुदक्कड़ बिटिया ।


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दोस्तों जैसे ही शालिनी के कानों में यह शब्द पड़े शालिनी की हैरानी की सीमा न रही ।
ऐसा लगा जैसे 440 वोल्ट का झटका उसे लगा हो। उछलकर बलवीर से बहुत दूर खड़ी हो गई शालिनि और गुस्से से बलवीर को देखते हुए बोली


शालिनि - तो यह है तेरा असली रूप इतनी देर से मैं जिसे तेरा प्यार समझ रही थी वह प्यार नहीं अपनी बेटी जैसी भतीजी के लिए तेरी आँखों मे हवस थी। कुत्ते डूब के मर जाना चाहिए तेरे जैसे चाचा को जो अपनी ही बेटी जैसी भतीजी की इज्जत नहीं कर सका । तेरी मुझसे यह बोलने की हिम्मत कैसे हुई । तुझे क्या लगता है तू मेरे नाम एक कंपनी करेगा तो मैं तेरी हवस शांत करूंगी । छि कितना गिर गया है तू चाचा । मैं थूकती हूं तेरी कंपनी पर और थूकती हूं तुझ जैसे घटिया आदमी पर ।

ऐसा बोलते हुए शालिनी को पारा चढ़ गया । गुस्सा उसके चेहरे पर तांडव कर रहा था ।
शालिनी ने बोलते हुए आगे बढ़कर बलवीर के मुंह पर तमाचा मारा । तमाचा भी पूरी जान से मारा था शालिनी ने बलवीर को तो दिन में ही तारे दिख गए। बलवीर की आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया था कुछ पल के लिए शालिनी का यह रूप देख कर ।

लेकिन बलवीर भी धर्मवीर की तरह सुलझा हुआ आदमी था ।
उसे पता था की बाजी उसके हाथ में हमेशा रहेगी ।

शालिनी ने फिर दूसरा थप्पड़ बलवीर के दूसरे गाल पर मारा ।

यह थप्पड़ भी पहले थप्पड़ जैसा ही तगड़ा था दोनों गालों पर थप्पड़ मार कर शालिनी ने बलवीर के मुंह पर थूक दिया और बाहर की तरफ जाते हुए बोली - अभी बोलती हूं धर्मवीर भैया को जाकर कि उन्होंने अपने घर में कैसा आस्तीन का सांप पाला है । घटिया इंसान हाट्ट । इस तरह से गुस्से से अपना हाथ झटककर शालिनी गेट पर पहुंची ही थी कि तभी उसके कानों में बलवीर की आवाज पड़ी । जो आवाज ज्यादा तेज नहीं थी बड़े ही धीमे से बोला था बलबीर ने ।


बलवीर - मैंने तो सिर्फ बोला ही है लेकिन अपने धर्मवीर भैया को जा कर यह भी बताना कि तुमने क्या किया है उन्हें जाकर बताना कि उनके बेटे का और अपने भाई की हत्या मैंने की है ।


दोस्तों कमरे का माहौल बदल गया ।
एक सन्नाटा सा कमरे में छा गया।
शालिनी जो अभी शेरनी जैसी फीलिंग ले रही थी अब उसकी फीलिंग कैसे बताऊं दोस्तों । अब तो यही कहना उचित होगा कि अब वह कोई फीलिंग ले ही नहीं रही थी, हा हा हा हा ।


शालिनी का दिमाग एकदम सुनना हो गया ।
उसे इतनी हैरानी और इतना तगड़ा दिमागी झटका जिंदगी में पहली बार लगा था ।

शालिनी अपनी आंखों को फैला कर देखते हुए बलवीर की तरफ मुड़ी और बोली हकलाते हुए - क-क्या मतलब है तुम्हारा। मैं कुछ समझी नहीं ।


बलवीर - सोफे पर बैठते हुए मतलब भी समझ गई है तू तो यह हकलाने का नाटक कैसा । इतना अनजान बनने का नाटक पसंद आया मुझे। लेकिन मतलब तो मेरा समझ ही गई है ना कि मैं जानता हूं । बल्कि मेरे पास वीडियो भी है जहां तू ने राकेश को मारा है ।


दोस्तों अब तो शालिनी की बिल्कुल फट गई
अब तो शालिनी की हालत क्या बताऊं बिल्कुल ऐसी हो गई जैसे उसका सब कुछ लुट गया हो।
शालिनि अपने मन में सोचने लगी कि हो सकता है उस होटल के मालिक ने हमारा वीडियो बना लिया । हो सकता है उसके कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हो देखने के लिए कि कपल क्या कर रहे हैं और राकेश की हत्या भी उसमें रिकॉर्ड हो गई हो । और वह फिर बलवीर ने वीडियो हासिल कर ली हो।


शालिनी ये सोचते हुए बड़े असमंजस में बोली धीरे से- तो तुम बदले में क्या चाहते हो । अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपना बिजनेस पाटनर बना सकती हूं। जिसमें मैं तुम्हें 1500 करोड़ रुपए का हिस्सेदार बनाऊंगी ।

शालिनी के यह शब्द सुनकर तो बलवीर का दिमाग भी हिल गया।
बलवीर ने अपने मन में सोचा आखिर इस लड़की का प्लान क्या है ।
इतनी दौलत उसके पास कहां से आई और यह क्या करना चाहती हैं ।
यह सब क्या चल रहा है बलवीर ने शालिनी से पूछना चाहा लेकिन बलवीर ने अपने मन में सोचा अगर मैं अभी पूछता हूं तो बात खराब हो सकती है ।
अब तो चिड़िया जाल में फंस चुकी है धीरे-धीरे सब उगलवा लूंगा ।
पहले इसको देखू कि कितने पानी में है ।
जब यह इतनी शातिर है ,
अपने परिवार के लिए इतनी घातक है ,
इतनी खतरनाक है तो जाहिर सी बात है ये बेटी तो हो नहीं सकती ।
घर की बेटियां तो ऐसा काम नहीं करती।
तो मैं ही इसे बेटी क्यों समझूँ । पहले मैं भी उसकी जवानी का मजा लूं। उसके बाद देखते हैं क्या होता है ।


बलवीर- हां मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर हैम मैं इस राज को राज ही रखूंगा और उस ओरिजिनल वीडियो को भी तुम्हें दे दूंगा । लेकिन इसका क्या जो अभी तुमने मेरे साथ किया है । तुमने मुझे थप्पड़ मारा है। तुमने मेरे मुंह पर थूका है । इसका बदला मैं अलग से लूंगा । मंजूर है तो बोलो ।


शालिनी अब ना करने की हालत में थी ही नहीं ।
उसके हालात ऐसे नहीं थे कि वह ना कर सके क्योंकि बलवीर सब कुछ जान चुका था ।


शालिनी- तो उसके लिए माफ तो कर सकते हैं। मैंने तुम्हें इतना बड़ा ऑफर दिया है सोचो 1500 करोड़ रुपए तुम्हें बैठे-बिठाए मिल गए । तो क्या यह छोटा सा गुस्सा माफ नहीं कर सकते ।


बलवीर - आज की दुनिया में दो ही चीजें ऐसी हैं जिन्हें इंसान भूल नहीं सकता। एक इज्जत और दूसरी बेइज्जती । तुमने मेरी बेइज्जती की है और इस बेइज्जती का बदला तो लेना चाहिए ।


शालिनी- तो क्या चाहते हो तुम ।

बलवीर अब समझ चुका था की बाजी पूरी तरह मेरे हाथ में है ।
अब मैं आगे बढ़ सकता हूं ।
बलवीर ने नाज़नीन की बातों को बातों को याद करते हुए कहना शुरू किया।


बलवीर- तुम यह मत सोचो कि मुझे सिर्फ राकेश की हत्या के बारे में ही पता है । अगर तुम यह सोचती हो तो यह तुम्हारी गलतफहमी है । फिर तुम बलवीर को नहीं समझी हो अच्छे से कि बलवीर क्या चीज है । शालिनी मुझे यह भी पता है कि तुम ने राकेश की हत्या की है और कैसे की है । मेरे पास उसका वीडियो भी है । मेरे पास तुम्हारे हर करतूत का सबूत है कि तुमने राकेश को कैसे रिझाया । तुमने पहले राकेश को हरी झंडी दी चोदने के लिए और फिर बिना चुदे ही उसे मार दिया ।


यह सुनकर तो शालिनी बिल्कुल बेहोश होने से बची। उसे सदमा से लगा क्योंकि यही तो किया था शालिनी ने । अब तो उसे पक्का यकीन हो गया कि उस कमरे में वीडियो बनी है और वह बलवीर के पास है । जबकि असलियत यह थी दोस्तों की बलवीर को नाज़नीन ने ऐसा ही बोला था फोन पर की बिचारा बिना चूत लिए ही मर गया और तूने मारा है उसे शालिनी ।
नाज़नीन कि इन बातों को याद करते हुए बलवीर बोला था ।



शालिनी- तो अब क्या चाहते हो तुम इस बात को राज रखने के लिए । मैं चाहती हूं यह बात राज ही रहे ।


बलवीर - कोई बात नहीं राज ही रहेगी यह बात मेरी जान लेकिन मैं चाहता हूं जिस काम को राकेश नहीं कर पाया मैं उसे करूं ।


शालिनी इन बातों का मतलब साफ समझ रही थी और बलवीर के इस तरह खुलेपन से बात करने से शालिनी समझ गई थी बलवीर उसे चोदने की प्लानिंग कर चुका है ।

लेकिन फिर भी हालात को समझते हुए शालिनि बोली - अगर मैं मना कर दूं तो ।


बलवीर - तो मैं कौन सा तुझसे विनती कर रहा हूं की तू हां ही कर । मत कर तेरी मर्जी है । लेकिन उस वक्त के बारे में सोच लेना कि जब मैं उस वीडियो को तेरे बाप धर्मवीर और पुलिस को सौंप दूंगा और तेरा बाप तुझे घर से बेदखल करके लात मारकर भगा देगा जेल में सड़ने के लिये।

अब तो शालिनी बुरी तरह से फंस चुकी थी अब उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या बोले और क्या सुने । अब तो उसे हर हालत में बलवीर की ही बात बात माननी थी ।


शालिनी - और अगर मैं हां करूं तो ?


बलवीर - हां करेगी तो उसमें तेरा ही फायदा है । तेरा बिजनेस पाटनर भी बन जाऊंगा । यह बात राज ही रखूंगा । तू जेल जाने से बचेगी और तू बेदखल होने से बचेगी अपने घर से ।


शालिनी - ओके लेकिन यह हमारे बीच सिर्फ एक बार ही होगा। उसके बाद तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते ।
अभी भी बड़े एटीट्यूड में बोली थी शालिनी ।


बलवीर- नहीं फिर मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर नहीं है तुम जा सकती हो।


शालिनी का सारा एटीट्यूड झड़ गया यह सुनकर ।


शालिनी - तो क्या चाहते हो तुम साफ-साफ बोलो ।


बलवीर अगर साफ-साफ ही सुनना है तो मुझे जो सौदा करना है उसमें चाहे तुम मुझे 1500 करोड़ दो या मत दो वह तुम्हारी मर्जी है क्योंकि पैसे की मेरे पास कमी नहीं है लेकिन मेरा जो सौदा है वह कुछ अलग किस्म का है । अगर तुम्हें मंजूर है तो हां करो वरना तैयार रहो जेल जाने के लिए ।
balbeer ne toh shalini ki kah kar le li bhai
jakash update hai bhai
sher par swa sher
 

Nevil singh

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शालिनी- बोलो क्या सौदा है तुम्हारा ।

बलवीर- बताया तो था तुम्हारे कान में कि तुम्हारी गांड मारनी है क्योंकि चूत तो तुम पहले ही फ़ड़वा चुकी हो । मैं जब चाहूं तुम्हें अपने लंड के नीचे रख सकूं । मैं चाहता हूं कि जब मैं चाहूं तब तुम आकर अपनी मूतती हुई चूत को मेरे लंड पर रखो ।


बलवीर के मुंह से इतनी खुल्लम खुल्ला और गंदी जुबान सुनकर शालिनी शरमा गई और साथ में उसे गुस्सा भी आया ।

अपना चेहरा दूसरी तरफ करके गुस्से से अपनी मुट्ठियों को भींचते हुए बोली- तुम्हें अपने बेटी के साथ यह सब करते हुए अच्छा लगेगा क्या ।


बलवीर की आवाज में अब रोब पैदा होने लगा । अपनी रौबदार आवाज में बोला- जब बहन अपनी चूत के सपने दिखा कर अपने भाई को मारने में कोई बुराई महसूस नहीं करती तो फिर मैं ही क्यों बुराई महसूस करूँ। मुझे तो अच्छा ही लगेगा । अब तुम बताओ तुम हां कर रही हो या ना कर रही हो।


बलवीर की आवाज में कोई विनती नजर नहीं आ रही थी शालिनी को। बलवीर तो शौक से पूछ रहा पूछ रहा था कि हां करो या ना करो और शालिनी को ना करने की तो हिम्मत ही नहीं रह गई थी ।


शालिनी अपने दांतो को पीसते हुए गुस्से में बोली - ठीक है मंजूर है मुझे ।

बलवीर - इतना गुस्सा क्यों दिखा रही है मेरी जान । चुदना ही तो है और बदले में तुझे भी तो मेरा लौड़ा मिलेगा अपनी इस भारी भारी गांड में लेने के लिए ।


शालिनी गुस्से से अपनी आंखें लाल कर चुकी थी उसने पूरी जान से अपनी मुट्ठियाँ भींच रखी थी और गुस्से से दातों को पीसते हुए एटीट्यूड में बोली- मुझे इन बेहूदी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है जो करना है जल्दी कर लो।


बलवीर - मेरी जान यह बेहूदगी तो अब झेलनी पड़ेगी और इतनी जल्दी करने की भी क्या पड़ी है । आराम से चुदना। आज तो आरती है हमारे साथ
आने ही वाली होगी वह भी पार्टी से तो आज तो तुझे चोद नहीं पाऊंगा मैं लेकिन घर चल कर मेरे कमरे में आना और रात भर तुझे चोदूंगा मैं । बोल अगर सौदा मंजूर है तो ।


शालिनी अभी भी अपने एटीट्यूड में ही थी गुस्से से अपने हाथों को झटक ते हुए बोली - ठीक है घर चल कर आपका काम हो जाएगा लेकिन तब तक हमारे बीच कोई ऐसी बात नहीं है होगी ।


बलवीर को शालिनी की इस बात पर गुस्सा आ गया उसने सोचा कि उसका सारा चिट्ठा तो मैं खोल चुका हूं लेकिन फिर भी यह मुझे घमंड दिखा रही है। इसको अभी लाइन पर लाता हूं ।

ऐसा सोचते हुए राकेश अपना फोन हाथ में लेते हुए बोला - ठीक है शालिनी तुम अपने एटीट्यूड में ही रहो देखो मैं भी क्या करता हूं । मैं अभी भैया को फोन लगाता हूं और मैं सब कुछ बता रहा हूं । मुझे नहीं करना तुम्हारे साथ कोई सौदा ।

ऐसा कहकर धर्मवीर का नंबर मिलाने लगा बलवीर अपने मोबाइल में ।

यह देख कर तो शालिनी के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई ।

उसने जल्दी से बलबीर की तरफ देखकर बोला - नहीं नहीं ऐसा मत करना। मैं तैयार हूं मैंने कब मना किया है तुमको ।


बलवीर अपना मोबाइल सोफे पर रखते हुए- तो इतनी देर से किस चीज का एटीट्यूड दिखा रही है मुझे । जो तुझे बोल दिया कि तुझे चोदना है तो तुझे नहीं पता कैसे चोदा जाता है । तो इस तरह एटीट्यूट दिखाएगी तू तो मुझे तेरा यह सौदा नहीं मानना। मैं भैया को बता दूंगा और पुलिस को भी बता दूंगा। अगर तुझे मेरी बात मंजूर है तो बिना किसी घमंड के बोल ।


शालिनी अब मजबूर हो गई थी पूरी तरह से । उसके सामने कोई ऑप्शन ही नहीं बचा था। वह जमीन की तरफ देखते हुए बोली- मुझे आप का सौदा मंजूर है ।


बलवीर- ठीक है तो फिर मेरे पास आओ ।


शालिनी धीरे धीरे चलती हुई चलती बलवीर के पास आई ।
बलवीर सोफे पर बैठा था शालिनी बलवीर के सामने आकर खड़ी हो गई।


बलवीर - ऐसे क्या खड़ी है अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ला ।


शालिनी ने झुक कर अपना चेहरा बलवीर के चेहरे के पास किया कि तभी अचानक बलबीर ने अपने भारी भरकम हाथ से शालिनी के दोनों गालों पर एक एक थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना तेज था कि शालिनी गिरने से बची । शालिनि के बाल जो खुले हुए थे वह उड़कर उसके चेहरे पर आ गए।
इतना तेज थप्पड़ मारा था बलवीर ने ।


थप्पड़ मारकर बलवीर बोला - अब बता कैसा लगा तूने भी मुझे ऐसे ही थप्पड़ मारा था ना । अब पता लगा ना जब थप्पड़ लगता है तो कैसा लगता है । मुझे भी ऐसा ही लगा था । अब जो तूने मेरे चेहरे पर थूका है उसे चाट कर साफ कर ।


शालिनी की हालत अब शब्दों में बयां नहीं की जा सकती दोस्तों ।

शालिनी बलवीर के चेहरे को देख ही रही थी ।
बलवीर के चेहरे पर शालिनी ने जो थूका था वह उसके गालों से होते हुए उसके होठों तक आ गया था और उसे चाट कर साफ़ करने को बोला था बलवीर ने।


शालिनी बलवीर के चेहरे को देख ही रही थी बलवीर फिर रौबदार आवाज में बोला - आवाज नहीं आई क्या तुझे । मैंने बोला है जो तूने मेरे मुंह पर थूका है उसे चाट कर साफ़ कर । और यह बातें मैं बार-बार नहीं कहूंगा याद रखना ।
मैं तेरा नौकर नहीं हूं अगर इस बार कोई भी बात मानने में देर की तो समझ लेना क्योंकि मैं तेरी एक नहीं सुनूंगा । चल चाटकर साफ कर मेरा मुंह ।


शालिनी ने जैसे ही यह सुना उसने देर करना उचित नहीं समझा और वह धर्मवीर के चेहरे पर झुक गयी । दोनों की सांसें एक दूसरों की सांसो से मिल गई । दोनों की आंखें मिल गई एक दूसरे की आंखों से ।

तभी शालिनी ने अपनी जीभ निकाली और अपनी आंखें बंद कर लीं।


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अपनी आंखें बंद करके शालिनी ने अपनी जीभ से बलवीर के चेहरे को चाटना को चाटना शुरू किया।

शालिनी ने अपनी जीभ से चाटकर बलवीर के गाल को साफ कर दिया और बलवीर के होठों पर भी जीभ से चाटकर लगा थूक साफ कर दिया और फिर खड़ी हो गई ।


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बलवीर - मैंने तुझे खड़ी होने को कहा जो तू खड़ी हो गई । साली तूने मेरे मुंह पर थूका था मैं भी तेरे मुंह पर थूकुंगा । चल अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास ला।

शालिनि अब कुछ बोलने की हालत में नहीं थी शालिनी ने अपना मुंह बलवीर के मुंह पर झुका दिया ।
बलवीर ने अपने हाथों से शालिनी के चेहरे पर से बालों को हटाया और बालों को हाथ से पकड़के पीछे की तरफ पकड़ लिया ।


शालिनी ने अपनी आंखें बंद कर लीं ।
दोस्तों शालिनी बहुत खूबसूरत लड़की थी और इस तरह की खूबसूरत लड़की इस तरह जींस में अपने कूल्हों को फंसा कर अपना चेहरा पास लाकर आंखें बंद कर ले तो आपका भी ईमान डोल जाएगा ।

ऐसी हालत ही बलवीर की थी ।
एक फोन कॉल की वजह से शालिनी जैसी गदरायी हुई भतीजी अपने मुंह पर थूकवाने के लिए झुकी हुई थी ।


बलवीर बोला- मैं तभी थूकूंगा जब तू अपनी जुबान से बोलेगी कि चाचा जी अपनी बेटी के मुंह पर थूक दो ।

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अब तो शालिनी की इतनी ज्यादा जलालत की थी बलवीर ने कि शालिनी को भी शर्म आने लगी थी ।

शालिनी अपनी आंखों को बंद किए हुए धीरे से बोली - अब थूक भी दीजिए ना अपनई भतीजी के मुंह पर ।


बलबीर ने अपने मुंह में थूक इकट्ठा किया और शालिनी के मुंह पर थूक दिया।
बलबीर ने ज्यादा थूका था इसलिए शालिनी के दोनों गालों पर होठों पर और आंखों पर बलवीर का थूक फैल गया।
थूक में सना हुआ शालिनी का चेहरा बड़ा ही मादक लग रहा था बलवीर को।

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बलवीर बोला - अब बोल चाचा जी मेरे भी चेहरे को चाट कर साफ़ कर दीजिए ।


शालिनी ने अपनी आंखें अपनी आंखें बंद किए हुए बोला - चाचा जी अपनी बेटी के चेहरे से यह थूक तो साफ कीजिए जो आपने थूका है ।


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बलबीर ने अपनी जीभ बाहर निकली और शालिनि के चेहरे को चाटना शुरू कर दिया। पूरे चेहरे पर से थूक को चाट कर शालिनि के होठों पर जीभ फिराने लगा बलवीर ।


बलवीर - अच्छा दिखा तो दे कैसी दिखती है अंदर से मेरी भतीजी ।
अपनी चूत किस तरह सजा कर रखी है । अपने इस मोटे पिछवाड़े को खोल कर तो दिखा । मैं भी तो देखूं कैसी दिखती है अंदर से ।


शालिनी ने जैसे ही यह सुना उसने सोचा अगर देर की तो बलवीर फोन कर देगा और मेरा सौदा ठुकरा देगा । शालिनी ने जल्दी से बलवीर की तरफ अपनी पीठ की और जींस का हुक खोलने लगी ।

शालिनी ने अपनी जींस का हुक खोल दिया और दोनों साइड में अपने अंगूठे को फंसाकर अपनी जींस उतारने लगी । इतनी टाइट थी जीन्स कि उसकी गांड से नीचे की तरफ सरक ही नहीं रही थी ।
शालिनी ने जान लगाकर अपनी जींस अपने चूतड़ों से नीचे की ।


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जैसे ही जींस नीचे हुई शालिनी के चौड़े चौड़े चूतड़ उछल कर बाहर आ गए।
पेंटी तो दिखी ही नहीं रही थी चूतड़ों के बीच में गायब हो गई थी ।

बलवीर में अपने दोनों हाथ चूतड़ों पर रखें और हल्के हल्के दबाने लगा दबाने लगा फिर चूतड़ों पर पर एक थप्पड़ लगाया और बोला।

बलवीर - मेरी भतीजी ने गांड तो अच्छी खासी बना रखी है। शालिनी तुम्हारी गांड तो लड़कियों की तरह नहीं बल्कि औरतों की तरह चौड़ी है फिर बलवीर ने एक और थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।

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थप्पड़ लगते ही शालिनि के गोल गोल चूतड़ हिलने लगते और शालिनि के मुंह से आउच निकलता

अब बलवीर ने कहा- घूम मेरी तरफ ।


शालिनि के लिए यह बेहद शर्म वाली बात थी क्योंकि बलवीर उसे उसकी चूत देखने की बात कर रहा था लेकिन शालिनी ने अपनी आंखें बंद अपनी आंखें बंद बंद किए हुए बलवीर की तरफ घूम गई ।


बलवीर के तो होश ही उड़ गए शालिनी को देखकर देखकर क्योंकि चूत तो उसे दिख ही ही ही नहीं रही थी उसे तो काली काली झांटे दिख रही थी जिन्होंने चूत को छुपा रखा था। गोरी गोरी मोटी मोटी जांघों के बीच में काली झांटें शालिनी की मादकता में चार चांद लगा रही है ।

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अब बलवीर ने शालिनी की जींस को को और नीचे घुटनों तक करना चाहा लेकिन जींस जांघों में बुरी तरह फंसी हुई थी ।
बलवीर ने थोड़ा सा जोर लगा कर थोड़ा सा जोर लगा कर जीन्स नीचे करदी ।

अब बलवीर शालिनि के बिल्कुल सामने सोफे पर बैठा था और शालिनी खड़ी थी खड़ी थी


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बलवीर ने अपने दोनों हाथ शालिनी की गांड पर रखें पर रखें गांड पर रखें पर रखें और शालिनी को अपनी तरफ खींचा ।
जैसे ही बलवीर ने अपनी तरफ खींचा तो शालिनी की चूत बलवीर के बिल्कुल मुंह के सामने आ गई गई सामने आ गई गई के सामने आ गई गई सामने आ गई ।


बलवीर बोला- अपनी आंखें खोल खोल ।

शालिनी ने धीरे-धीरे अपनी आंखे खोलीं तो बलवीर बिल्कुल बिल्कुल उसके सामने बैठा था और उसकी आंखों में झांक रहा था ।

फिर बलवीर बोला बोला - अपनी आंखें खोल कर कर कर देख मुझे ।

शालिनी बलवीर के चेहरे को देखने लगी ।

अब बलवीर ने दोबारा से सालीनी की चूत को निहारा और उसके चूतड़ों को हाथों से मसलते हुए अपनी नाक शालिनी की चूत चूत पर लगा दी। बलवीर की पूरी नाक शालिनि की झांटों में घुस गई ।
शालिनि देख रही थी बलवीर का चेहरा अपनी चूत पर लगे हुए।

बलवीर ने अपनी नाक झांटों में घुसा कर एक लंबी सांस खींची और उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए बोला- चुदने लायक है बिल्कुल । तेरी चूत की खुशबू बता रही है कि तू मेरा लंड आराम से लील लेगी ।


चल बोल अब चाचा जी मेरी चूत को सूंघ लो ।

शालिनी गुस्से से बोली - चाचा जी मेरी चूत को सूंघ लो ।

बलवीर ने दोबारा से अपनी नाक शालिनि की चूत में घुसा दी और फिर लंबी लंबी सांसे लंबी सांसे खींचने लगा और गांड पर थप्पड़ मार कर बोला - तेरा यह गुस्सा लोड़े के नीचे आकर खत्म हो जाएगा खत्म हो जाएगा क्योंकि तेरी चूत की महक बता रही है की चोदने में तू बड़ा मजा देगी ।

बलवीर बोल ही रहा था कि तभी गेट पर दस्तक के साथ आरती की तेज आवाज आई- भैया सो गए क्या ।

बलवीर शालिनी के कूल्हों पर थप्पड़ मारता हुआ बोला- चल तुझे अब मैं मैं घर चल कर ही चोदूंगा। तब तक बचा ले अपनी चूत को फिर तो इसमें अपने लंड से बीज डाल दूंगा मैं । चल बहन-की-लौड़ी दरवाजा खोल और ऐसा बोल कर बलवीर ने शालिनि की गांड पर लात मारी ।

दरवाजे की तरफ चलदी शालिनी लात खा करम
दरवाजे के पास जाकर शालिनी ने जल्दी से अपनी जींस पहनी और गेट खोला ।


आरती अंदर आते हुए आते हुए- भैया आप अभी तक सोए नहीं । पार्टी में तो आज बहुत मजा आया।


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बलवीर - चलो तुमने तो पार्टी कर ली । हम लोग भी कल मिलकर पार्टी करते हैं ।

आरती - हां हां भैया क्यों नहीं .. लेकिन भैया शालिनी क्यों चुप चुप लग रही है ।

शालिनी अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए- बुआ जी सर में दर्द हो रहा था इसलिए मैं आराम कर रही थी और भैया भी अपना अपना अपने लैपटॉप पर काम कर रहे थे। इस वजह से मैं लेटे लेटे बोर हो रही थी ।


आरती- अच्छा कोई बात नहीं अब मैं आ गयी अब हम लोग गपशप गपशप करेंगे।

दोस्तों रात के 11:00 बजे तक आरती और शालिनी ने टीवी टीवी देखा और फिर सोने लगे लेकिन शालिनी के लिए तो जैसे समय गुजर ही नहीं रहा था था।

शालिनी लेटे-लेटे सोचने लगी कि अब क्या होगा ? चाचा तो बड़ा शातिर है। मेरी वीडियो भी रख ली और अब यह जब मुझे चाहेगा तब चोदेगा । मैं क्या करूं कि मैं इसके इसके चंगुल से निकल सकूं।
ऐसा सोच ही रही थी शालिनी और सोचते-सोचते सो गई गई ।


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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है मुझे बताना जरूर साथ देने देने के लिए दिल के लिए दिल देने के लिए दिल के लिए दिल से धन्यवाद ।
आपका अपना - रचित ।

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bhai yeh kya gajab kar diya sar mundate hi olle pad gaye balbeer ke
manmohak update hai bhai
 

Nevil singh

Well-Known Member
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Update - 29.

Hi दोस्तों । माफी चाहता हूं काफी इंतजार कराया । छोटा भाई समझकर माफ करना और इस update का लुफ्त और आनंद लेना ।

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अगले दिन शालिनि , आरती और बलवीर दिन में खूब जगहों पर घूमे । ढेर सारी शॉपिंग की उन्होंने ।
बलवीर ने आरती के सामने ऐसी कोई भी प्रितिक्रिया नही दी जिससे आरती को शक हो कि बलवीर और उसकी भतीजी शालिनि के बीच कोई खिचड़ी पक रही है । लेकिन अंदर ही अंदर बलवीर सोच में डूबा था कि शालिनि ने आखिर अपने भाई को क्यों मारा , इसके पीछे क्या वजह है ।

उधर शालिनि भी सोचों में डूबी हुई थी लेकिन वो ये सोच रही थी कि आखिर बलवीर को कैसे रास्ते से हटाया जाए ।
हां दोस्तो शालिनि अपने चाचा बलवीर को भी अपने भाई राकेश की तरह भगवान को प्यारा करने की योजना पर मन ही मन मे मंथन करने लगी थी ।

डिनर करने के बाद सब सोने की तैयारी कर रहे थे ।
आरती अपने मोबाइल में घुसी पड़ी थी क्योंकि वो सलमान से चैटिंग कर रही थी मैसेज द्वारा ।
शालिनि लैपटॉप में कोई गेम खेल रही थी ।
बलवीर अपने लैपटॉप में कुछ ऑफिसियल वर्क कर रहा था ।

तकरीबन आधे घंटे बाद आरती वाशरूम जाने के लिए उठी तभी बलवीर की नजर आरती के चहरे पर पड़ी ।
बलवीर को कुछ अटपटा सा लगा क्योंकि आरती मुस्कुराती हुई मोबाइल हाथ मे लेकर उठी थी ।

बलवीर सोच रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हो सकती है जो आरती का चेहरा इतना खिला हुआ है । क्या आरती का कोई बॉयफ्रेंड है ।
--- नही नही आती ऐसी नही है । और वैसे भी मेरी आरती बहन विधवा है ।

अपने दिमाग को झटकते हुए बलवीर ने सोचा ।

------ वक्त था रात के 1 बजे --------
सब सो चुके थे । तभी बलवीर की आंखे खुली । दोस्तो बलवीर की आंखे कोई नींद से नही खुली थी बल्कि बलवीर ने आंखे बिल्कुल ऐसे खोली थी जैसे कोई आंख बंद करके सोने का बहाना कर रहा हो और फिर अचानक से अपनी आंखों को खोल ले । जैसे मूवी में जब विलेन मरने का नाटक करता है और फिर एकदम से आंखे खोल लेता है, बिल्कुल इसी तरह आंखे खोली थी बलवीर सिंह ने ।

बलवीर ने फिर एक नजर आरती और शालिनि पर डाली । दोनों सो रही थीं गहरी नींद में ।
बलवीर धीरे से आरती के पास आया और कुछ ढूंढने लगा । तभी उसने तकिया के नीचे हाथ डाला तो उसके हाथ मे आरती का मोबाइल आगया ।

बलवीर ने मोबाइल हाथ मे लिया और चुपके से वापस अपनी जगह पर लेट गया । बलवीर मोबाइल का लॉक खोलने की कोशिश करने लगा । कई पैटर्न डालने के बाद भी जब लॉक नही खुला तो हताश सा हो गया बलवीर । फिर अचानक उसके मन मे एक आईडिया आया और उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैल गयी ।

बलवीर धीरे से उठकर दोबारा आरती के पास गया । उसने धीरे से मोबाइल के फिंगरप्रिंट सेंसर को आरती की उंगली से लगाया ,
बलवीर फिर उदास हो गया क्योंकि मोबाइल नही खुला ।
बलवीर ने फिर से दूसरी उंगली से लगाया तब भी नही खुला ।
फिर बलवीर ने लास्ट वाली सबसे छोटी उंगली से लगाया अचानक से मोबाइल अनलॉक हो गया ।
बलवीर का चेहरा ख़ुसी और प्रसन्नता के भावों से भर गया ।

बलवीर फिर वापस अपनी जगह पर आकर लेट गया ।
बलवीर ने सबसे पहले गैलरी खोली उसे कुछ नही मिला, बस आरती के फोटोज और कुछ वीडियो पड़ी हुई थीं । फिर उसने कॉल लॉग खोला उसे तब भी कुछ नही मिला ।
फिर उसने व्हाट्सएप खोला उसे वहाँ भी कुछ नही मिला ।

फिर बलवीर के मन मे पता नही क्या आया उसने मोबाइल का इनबॉक्स यानी मैसेज एप्प खोल लिया ।
बलवीर की नजर एक नाम पर पड़ी जो था - सलमान ।

बलवीर ने मैसेज खोली तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गयीं , क्योंकि सलमान के साथ एक लंबी कन्वर्सेशन थी उसमे ।
बलवीर आज की चैट पढ़ने लगा ।

सलमान - hi

आरती - hi

सलमान- कैसी हो आरती जी आप । लगता है कि आप हमें भूल गयी हो ।

आरती - ऐसा कुछ नही ह सल्लू मियां । मैंने बताया था ना आपको भईया के साथ घूमने आई हूँ ।

सलमान - हम्म बताया था तुमने । और बताओ वापस कब आरही हो ।

आरती - एक दो दिन और लगेंगे अभी । वैसे तुमको क्या करना है मुझे बुलाकर ।

सलमान - करना तो कुछ नही है बस मिलने का मन था आपसे ।

आरती - ना बाबा ना । मुझे नही मिलना आपसे ।

सलमान - क्यों ।

आरती - क्योंकि मुझे डर लगता है आपसे ।

सलमान- डर hahaha और वो भी तुम्हे ।

आरती - इसमे हसने वाली क्या बात है ?

सलमान- रहने दो ,अब नहीं बता रहा वरना तुम फिर बोलोगी की मैं बदतमीजी करता हूँ ।

आरती - बदतमीजी में तो आपने पीएचडी की हुई है , तो बदतमीजी करने से आप वैसे भी बाज नही आते । पर मैं ये जानना चाहती हूं कि मुझे तुमसे मिलने में डर क्यों नही लग सकता ।

सलमान - आरती जी वो इसलिए क्योंकि अगर तुम्हारे जैसे फिगर की औरत भी डरने लगी तो बाकी स्लिम लड़कियों का क्या होगा ।


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आरती - अब डर से फिगर का क्या कनेक्शन सलमान जी ।

सलमान - कनेक्शन है तभी तो बोला है आरती जी । तुम क्या चाहती हो कि तुमसे कोई दुबला पतला इंसान मिले ।

आरती - नही ऐसा नही चाहती मैं ।

सलमान - तो बताओ फिर क्या चाहती हो ?

आरती की तरफ से फिर 3 मिनट तक कोई रिप्लाई नही किया गया । फिर कुछ देर बाद आरती ने रिप्लाई किया । शायद आरती हिम्मत जुटा रही होगी कुछ बोलने के लिए । लेकिन आरती तो अपनी भावनाएं अपने एक दोस्त सलमान के सामने रख रही थी । आरती को क्या पता था कि सलमान कोई और नही बल्कि उसका बड़ा भाई धर्मवीर ही सलमान बना बैठा है ।

आरती - दुबला पतला क्यों चाहूंगी मैं तो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त चाहती हूं ।

सलमान - क्यों चाहती हो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त।

आरती - ये भी कोई पूछने वाली बात है ।

सलमान - क्यों मुझसे पूछो की तुम क्यों चाहती हो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त । मैं बता सकता हूँ ।

आरती - अच्छा साहब । चलो तुम ही बताओ ।

सलमान - फिर ये मत कहना कि बदतमीजी पर उतर आए ।

आरती - अच्छा बाबा नही कहूंगी ।

सलमान - तो सुनो , तुम इसलिए चाहती हो हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त दोस्त ताकि वो तुम्हे अच्छे से संतुष्ट कर सके । दुबले पतले मर्द के बसकी बात नही है तुम जैसी घोड़ी की सवारी करना ।

आरती - shutup .... मैं तुम्हे घोड़ी नजर आती हूं क्या ?

सलमान - और नही तो क्या । तुम जैसी घोड़ी को लगाम डालने के लिए मेरे जैसे हट्टा-कट्टा तगड़ा तंदरुस्त मर्द की ही जरूरत पड़ेगी ।

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आरती - अच्छा जी आपको तो बहुत पता है । और फिर तो तुम भी घोड़ा हो ।

सलमान - हां मैं तू हूं घोड़ा कब मना किया मैंने ।

आरती - अच्छा घोड़े जी ।

सलमान - हम्म घोड़ी जी । अब बताओ ना कब मिल रही हो ।

आरती - जब आप चाहो ।

सलमान - संडे को फ्री हो ।

आरती - ओके डन ।

सलमान - ठीक है तो मिलते है संडे दोपहर 12 बजे ।

आरती - दोपहर को नही शाम को । एक रात के लिए।

सलमान - ओह मेरी घोड़ी चाहती है कि रात भर मेरा बाजा बजे ।

आरती - छी कितने गंदे हो तुम ।

सलमान - तो रात में क्या पूजा पाठ करोगी ।

आरती - तुमसे कोई नही जीत सकता ।

सलमान - अच्छा बताओ क्या करोगी रात को ।

आरती - मुझे नही पता ।

सलमान - तुम्हे मेरी कसम है अगर तुमने अपने दिल की बात नही बोली तो ।

फिर आरती की तरफ से फिर 3 मिनट तक कोई रिप्लाई नही किया गया । फिर कुछ देर बाद आरती ने रिप्लाई किया । शायद आरती हिम्मत जुटा रही होगी कुछ बोलने के लिए ।


आरती - कसम मत दो मुझे ।

सलमान - बोला ना । अगर कुछ मानती ही तो दिल की बात बोलो । मेरी कसम है आपको ।

आरती - चुदने आऊंगी अपने घोड़े से रात भर के लिए ----- अब खुश ।

सलमान - haye तेरी चूत का भोसड़ा नही बनाया तो मैं भी सलमान नही ।

आरती - हट्ट गंदे इंसान । bye पगले ।

सलमान - bye मेरी चुदक्कड़ घोड़ी ।

आरती - ओके bye मेरे चोदू घोड़े ।


बलवीर की आंखे चौड़ी हो गयी यह कन्वर्सेशन पढ़कर । बलवीर ने जल्दी से सलमान का नंबर निकाला और अपने मोबाइल में सर्च मिशन के नाम से सेव कर लिया , और आरती का मोबाइल उसके तकिए के निचे रखकर वापस अपनी जगह पर आकर लेट गया ।

बलवीर की आंखों में नींद दूर दूर तक नही थी । वह सोच में डूबा हुआ था कि पहले तो उसकी भतीजी शालिनि एक शातिर और चालाक निकली और अब उसकी सगी बहन आरती जो एक विधवा है , वो भी no नो नो ---- ये क्या हो गया है मेरे परिवार को । अंदर ही अंदर क्या चल रहा है मेरे परिवार में । अगर आरती धर्मवीर भइया को बोलती तो क्या वो इसकी दूसरी शादी नही करा सकते थे । लेकिन आरती ने बोला क्यों नही । और अगर नही भी बोला तो ये किसी सलमान से इतनी गंदी बाते करने की क्या जरूरत है ।
मैं मानता हूं कि आरती की body की भी कुछ जरूरतें है लेकिन अगर वो बोलती तो क्या हम उसकी दूसरी शादी नही करते । इस तरह रंडपना करने की क्या जरूरत थी ।
क्या आरती जैसी संस्कारी विधवा के पीछे एक रंडी छुपी हुई है । नही ऐसा नही हो सकता । मैं अपनी बहन को किसी गैर इंसान के नीचे नही लेटने दूंगा ।


ये सब सोच ही रहा था बलवीर की तभी उसके दिमाग मे पता नही क्या आया बलवीर चुपचाप उठा और आरती के पास आकर आरती को देखने लगा ।

सुंदरता की मूरत लग रही थी बलवीर की छोटी बहन आरती इस वक्त ।
आंखे बंद थी चेहरे पर बालों की कुछ लटे बिखरी पड़ी थी ।
सीने पर सूट में फसे चूचे नीचे सपाट पेट । पेट से नीचे दोनों जांघो का फैलाव । बलवीर ने देखा कि आरती की जांघो का फैलाव कुछ ज्यादा ही है जिसका मतलब है कि उसकी बहन की जांघे खूब मोटी मोटी हैं । बलवीर का आरती को देखने का नजरिया बिल्कुल बदल गया । अब उसे आरती अपनी बहन नही बल्कि गदराई हुई एक प्यासी छिनाल नजर आरही थी ।


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फिर बलवीर से जब रहा नही गया तो उसने आरती की जांघों पर से उसका सूट ऊपर की तरफ उठा दिया ।

सामने का नजारा देखकर तो बलवीर के लंड ने एक उछाल मारी और बलवीर का थूक उसके हलक में अटक गया । क्योंकि आरती ने नीचे तंग पजामी पहनी हुई थी और उसकी मोटी मोटी जांघे वास्तव में कितनी गदरायी हुई , कितनी मोटी लग रही थी । और दोनों जांघो के बीच मे चूत के पास कितना उठान था जैसे कोई वी शेप का पकोड़ा रखा हो । बलवीर से अब इन्जार करना मुश्किल हो रहा था ।


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बलवीर ने दो मिनट तक इस दृश्य से अपनी आंखें सेकी । फिर अचानक से उसने आरती के हाथ को पकड़कर हिलाया ।

आरती हड़बड़ाकर उठी आरती ने देखा तो बलवीर खड़ा हुआ था । आरती को कुछ समझ नही आया उसने जल्दी से अपना सूट ठीक किया । नाईट बल्ब के अंधेरे में बलवीर का चेहरा भी साफ नही दिख रहा था आरती को ।
आरती ने सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखा ।

बलवीर ने अपने होठों पर उंगली रखी और आरती के कान के पास अपना मुह लाकर धीरे से बोला - जरा एक मिनट के लिए बाहर आओ ।

आरती को अब तक कुछ समझ नही आया था । आरती चुपके से उठी और चली गयी बलवीर के पीछे पीछे ।
बलवीर बाहर गैलरी पर आकर रुक गया । आरती भी बाहर आकर रुक गयी ।

आरती (चहकती हुई आवाज में भोली सी सूरत बनाकर )- क्या हुआ भईया इतनी रात में सब ठीक तो है ना ।

बलवीर - आरती मैं सोच रहा हूँ तुम्हारी शादी कर देनी चाहिए ।

आरती ( इसबार गुस्से वाला मुह बनाकर ) - भइया आधी रात को अपने मुझे ये बात करने के लिये उठाया है । दिमाग तो ठीक है आपका । और मैंने पहले ही कहा है कि मुझे नही करनी शादी ।

बलवीर - तो चाहती क्या हो तुम आरती । जिंदगी भर बिना शादी के ही रहोगी क्या यूं विधवा बनकर ।

आरती - भईया ये क्या हो गया है आपको । क्यों ऐसी अटपटी बातें कर रहे हैं । और हां मैं अपनी बाकी की जिंदगी अपने पति की यादों में गुजरना चाहती हूं ।


बलवीर - अच्छा चली जैसी आपकी मर्जी ।

आरती ने सोचा हो सकता है किसी ने भईया को ज्यादा force किया हो या भईया को अभी कुछ पता चला हो । ऐसा सोचते हुए आरती बोली - वैसे कौन है वो जिससे आप मेरी शादी करना चाहते है ।

बलवीर - मैं खुद हूँ वो ।

ये सुनते ही आरती हैरान रह गयी । वो गुस्से से एकटक बलवीर को देखने लगी । तभी ऊंची आवाज में बोली ।

आरती - छी कितने गंदे इंसान हो आप । मैं सोच भी नही सकती थी । मैं अभी धर्मवीर भईया को फोन लगाती हूं देखना वो आपको जिंदा नही छोड़ेंगे । और वैसे भी कोई हक नही है इतनी गंदी नजर वालों को जीने का ।

आरती जैसे ही मुड़ी तुरंत बलवीर बोला ।

बलवीर - हां धर्मवीर भैया को ये भी बता देना कि मैं सलमान से चुदने का वादा कर चुकी हूं । यही है ना सलमान का नम्बर, अपने मोबाइल में सलमान का नम्बर दिखाते हुए बलवीर बोला ।

इतना सुनते ही आरती खड़ी की खड़ी रह गयी । उसे यह समझ नहीं आया की बलवीर को उसके और सलमान के बारे में कैसे पता चला , जबकि आरती का मोबाइल भी उसी जगह रखा था जहां वो रखकर सोई थी । आरती को कुछ भी समझ नही आरहा था । आरती भोलेपन का नाटक करते हुए बोली जैसे उसे कुछ पता ही ना हो ।

आरती - क-कौन सलमान । मैं किसी सलमान को नही जानती ।

अब बलवीर के लिए ये एक उल्टा पासा फेंका आरती ने ।

बलवीर ने मन ही मन सोचा यदि मैंने इसको ये बताया कि तेरा मोबाइल चेक किया है मैंने तो ये मुझे हल्के में लेगी ।

इसलिए बलवीर ने अपना दिमाग चलाते हुए कहा- वाह अब तुम किसी सलमान को जानती नहीं हो । तुम क्या समझती हो मैं पागल हूं । जिस दिन सलमान ने तुमसे पहली बार बात की थी मुझे उसी दिन से पता है, और अब यह बात मैं धर्मवीर भैया को बताऊंगा सबूत के साथ। तुम नहीं जानती हो ना किसी सलमान को, कोई बात नहीं । जाकर सो जाओ ।

इतना कहकर बलवीर ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और सिगरेट पीने लगा ।
आरती के लिए अब आगे कुआं पीछे खाई जैसी स्थिति हो गई थी , क्योंकि आरती जानती थी अगर बलबीर ने धर्मवीर भैया को बताया तो धर्मवीर अपने गुस्से में कुछ भी कर सकता है । जो धर्मवीर उसकी इतनी इज्जत करता है वही धर्मवीर भैया उसे घर से निकाल देंगे। इतना सोचते ही कांप गई आरती ।
आरती को क्या पता था कि सलमान कोई और नहीं धर्मवीर ही है । वह तो बस फंस चुकी थी और बलवीर उसे ब्लैकमेल करने की पूरी कोशिश कर रहा था । आरती 1 मिनट तक वहीं चुपचाप चुपचाप खड़ी रही । 1 मिनट बाद उसके मुंह से निकला।

आरती - तुम क्या चाहते हो ।

बलवीर - मैं चाहता हूं यह जानना कि तुमने ऐसा क्यों किया ।

आरती - मुझे इस बारे में कुछ बात नहीं करनी। मुझे कुछ नहीं पता ।

बलवीर - तो मैंने कब कहा तुम्हें पता है । मैंने तो कह दिया पहले ही जाकर सो जाओ । धर्मवीर भैया जब पूछेंगे तब तुम्हें सब कुछ पता होगा। चलो जाओ सो जाओ ।

इतना बोल कर बलबीर फिर सिगरेट पीने में मगन हो गया ।


आरती - भैया मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो । प्लीज धर्मवीर भैया को इसबारे में कुछ मत बताना।

बलवीर - आ गई ना लाइन पर । तूने क्या सोचा था मैं तेरी खुशामद करूंगा। मैं क्यों करूं खुशामद । खुशामद तो तुझे करनी पड़ेगी मेरी। ठीक है नहीं बताऊंगा लेकिन बदले में मुझे कुछ चाहिए ।

आरती- बोलो क्या चाहिए तुम्हें ।

बलवीर - यहां से जाकर सीधे बाथरूम में चलो मैं वहीं आता हूं ।

आरती इतना सुनकर सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखने लगी और बोली - बाथरूम में क्या बात करनी है आपको । यहीं पर कर लो ।


बलबीर - यहां पर बाहर से कोई हमें खड़े हुए देख सकता है और हर कोई यही सोचेगा यह लोग पता नहीं इस वक्त क्या बात कर रहे हैं । इसलिए बाथरूम में बात करनी है ।

अब आरती को बलवीर की बातें अटपटी लगने लगी थी । उसने फिर बलवीर की तरफ सवालिया नजरों से देखा और बोला ।


आरती - तो बाथरूम में अब बात ही क्या करनी है ।

बलवीर थोड़ा सा गुस्से में- अब तू मुझसे सुनना ही चाहती है तो सुन । तुझे चेक करना है , मैं भी तो देखूं मेरी जो बहन इतनी सीधी साधी और संस्कारी बनती है आखिर वह दिखती कैसी है। तेरी गांड की इस चौड़ाई को नाप कर देखना ही पड़ेगा ।

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बलवीर के मुंह से ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर आरती डर गई , साथ में शर्म से भी दोहरी हो गई ।


आरती - जरा तमीज से बात कीजिए ।

बलवीर - तमीज से और वह भी तुझसे जो दूसरों के नीचे लेटने के लिए मरी जा रही है । पता नहीं किस सलमान से अपनी चूत को ठंडा करना चाहती है। अब अगर एक भी शब्द फालतू बोली तो इसी वक्त अपना बैग उठाकर धर्मवीर भैया के पास चला जाऊंगा, फिर अपनी मां चुदाती रहना, इसलिए अगर चाहती है कि सब कुछ ठीक रहे तो चुपचाप बाथरूम में मिल । मैं सिगरेट खत्म करके आता हूं ।


अब आरती के पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था। आरती 1 मिनट तक चुप खड़ी रही फिर गुस्से से कमरे में घुस गई ।
अपनी सिगरेट खत्म करने के बाद बलवीर कमरे में आया तो शालिनी सोई हुई थी और आरती बेड पर नहीं थी । बलवीर समझ गया की आरती बाथरूम में पहुंच गई है ।

बलवीर ने बाथरूम का दरवाजा देखा जो लॉक नहीं था । बलवीर बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुसा और दरवाजा लॉक कर दिया।

दोस्तों बाथरूम बहुत बड़ा था लेकिन उसमें अंधेरा ही अंधेरा था क्योंकि आरती ने लाइट ऑन नहीं की थी । बलवीर ने बाथरूम की लाइट ऑन की की तो आरती बाथरूम की दीवार के पास दरवाजे की तरफ पीठ करके खड़ी थी बिल्कुल चुपचाप ।

बलवीर धीरे से आरती के पास गया और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा आरती को जैसे झटका सा लगा ।
आरती कुछ नहीं बोली चुपचाप खड़ी रही लेकिन बलवीर कहां चुप रहने वाला था ।

बलवीर - गांड तो तूने अच्छी खासी रौंदने लायक बना रखी है। तुझ पर चढ़ना मामूली बात नहीं है। तू तो पूरा निचोड़ देगी ।

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आरती ने अपनी आंखें खोली और तिरछी नजर से आंखों में गुस्सा भरते हुए बलवीर को घूरा । लेकिन बलवीर ने तभी बदले में बदले मुस्कुराते हुए आरती की गांड में पजामी के ऊपर से ही उंगली घुसा दी ।

जो आरती अभी गुस्से से बलवीर को घूर रही थी उसका मुंह हल्का सा खुला और हल्की सी सिसकारी निकल गई --- आह ,
अपने सगे भाई की उंगली अपने चूतड़ों के बीच से होते हुए अपनी गांड के छेद पर महसूस की आरती ने।


बलवीर- कितने गहरे चूतड़ हैं तेरे । कैसे बनाए हैं तूने इतने गहरे चूतड़। तेरी तो चूत भी गहरी खाई में होगी। तेरे जैसी को तो संतुष्ट करने के लिए दो-तीन दिन भी कम पड़ेंगे । चल अपने सूट को ऊपर उठा ।

आरती ने अपना सूट ऊपर नहीं उठाया चुपचाप खड़ी रही, तभी बलवीर का एक जोरदार चांटा उसकी गांड पर पड़ा ।

बलवीर - सुनाई नहीं दिया क्या या मुंह में लंड डालकर बताऊं कि सूट ऊपर कैसे उठाते हैं ।
अपनी भारी-भरकम गांड पर चांटा पड़ते ही आरती की गांड हिलने लगी ।शर्म से पानी पानी होकर होकर आरती ने अपनी हिलती हुई गांड पर अपने दोनों हाथ रख लिए, जिससे कि उसकी गांड हिलना बंद कर दे । चूतड़ तो हिलना बंद कर दिए लेकिन बलवीर कहां पीछे रहने वाला था ।
बलबीर ने आरती के बालों को पकड़ा और उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आंखों में देखने लगा । आरती भी बलवीर को घूरे जा रही थी।


बलवीर- कब तक यह शर्म का चोला पहनकर रहेगी। उतार कर फेंक दे इस शर्म के चोले को । मुझे पता है तू लंड की बहुत प्यासी है और तू है कि शर्म ही नहीं छोड़ रही ।
आरती कुछ नहीं बोली बलवीर को घूरते रही ।
तभी बलवीर ने उसके चेहरे को अपनी तरफ को दबाते हुए अपने मोटे मोटे होठों से उसके होठों को भींच लिया ।

यह आरती के लिए बिल्कुल नया था । आरती और बलवीर दोनों की आंखें खुली हुई थी और दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे । तकरीबन 1 मिनट तक बलवीर ने अपने होठों में आरती के होठों को दबाए रखा और एक दूसरे को देखते रहे ।
जब आरती की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो बलबीर ने अपने मुंह को और चौड़ा खोला और आरती के होठों को मुंह में भर कर चबाने लग गया । दोनों की सांसें एक दूसरे की सांसो से बुरी तरह टकरा रही थी ।

तकरीबन 1 मिनट तक आरती के होठों को चूसते हुए बलवीर आरती की आंखों में देखे जा रहा था ।
1 मिनट बाद आरती के बालों को पकड़े हुए बलवीर ने आरती के मुंह को पीछे की तरफ झटका जिससे कि बहुत ही तेजी से दोनों के मुंह एक दूसरे से अलग हो गए ।

दृश्य कुछ ऐसा हो गया था कमरे का की आरती बलवीर के सामने खड़ी हुई बलवीर की आंखों में घूरती हुई हांफ रही थी । दोनों की सांसें तेज चल रही थी । तभी बलवीर बोला ।


बलवीर - अब उठा अपने सूट को ऊपर चल ।

लेकिन आरती ने फिर भी कोई रिस्पांस नहीं दिया ना ही अपना सूट ऊपर उठाया ।

अब तो बलवीर को गुस्सा भी आने लगा बलवीर अपने मन में सोचने लगा कितनी ज्यादा हेकड़ी दिखा रही है । मेरे कहने का जैसे इस पर कुछ असर ही ना हो रहा हो । कितनी शरीफ बन रही है मेरे सामने। इसकी गांड की सारी मस्ती अभी झाड़ता हूं ।


बलवीर - तुझे सुनाई नहीं दे रहा ना। तू क्या समझती है कि तेरा सूट मैं ऊपर नहीं उठा सकता , जब मैं तेरे होठों को चूस सकता हूं , जब मैं तेरी गांड पर थप्पड़ मार सकता हूं, जब मैं तेरी गांड में उंगली कर सकता हूं , तो क्या मैं तेरा सूट नहीं उठा सकता । मैं तेरा सूट भी उठा सकता हूं लेकिन मैं नहीं उठाऊंगा क्योंकि अब मेरे सामने अपना सूट तू खुद उठाएगी और अगर तूने 1 मिनट के अंदर अपना सूट नहीं ऊपर किया , तो फिर दो काम होंगे या तो तुझे अभी कमरे में ले जाकर शालिनी के सामने ही नंगी करके पूरे कमरे में दौड़ा-दौड़ा कर चोदूंगा या फिर अपना बैग उठाकर सीधा धर्मवीर भैया के पास चला जाऊंगा । इनमें से जो मेरे मन में आया वह काम मैं करूँगा । अब फैसला तुझे करना है कि तुझे सूट ऊपर करना है या नहीं। ये ले मैं बैठ गया तेरे सामने ।

ऐसा कह कर बलवीर आरती के सामने घुटनों के बल बैठ गया और बलवीर का चेहरा आरती की जांघों के बिल्कुल सामने आ गया। बीच में था तो बस आरती का सूट । आरती अभी भी चुपचाप खड़ी थी तभी अपनी सोच से निकलकर आरती ने अपना चेहरा छत की तरफ उठा दिया और छत की तरफ देखते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं जैसे भगवान से कोई गुहार लगा रही हो । 1 मिनट का समय होने वाला था कि तभी बलवीर की तरफ से कुछ हरकत महसूस हुई आरती समझ गई बलवीर अब अपना काम करने वाला है । तभी बिजली की फुर्ती से आरती ने गर्दन नीचे करके बलवीर की तरफ देखा और बोली ।

आरती - रुको क्या चाहते हो तुम कि तुम्हारी बहन तुम्हारे सामने अपना सूट ऊपर उठाये । जितनी गंदी जबान तुमने इस्तेमाल की है शायद ही दुनिया में कोई भाई अपनी बहन के सामने इतनी गंदी जुबान इस्तेमाल कर सकता है । लेकिन जब तुमने अपनी यह गंदी जबान इस्तेमाल कर ही दी है और तुम क्या समझते हो कि मुझे पता नहीं है कि तुम मेरा सूट ऊपर क्यों उठाना चाहते हो , तो यह तुम्हारी गलतफहमी है । मुझे पता है तुम मेरा सूट ऊपर इसलिए उठवाना चाहते हो ताकि तुम मेरी जांघों के बीच मेरी चूत को देख सको । अगर किस्मत को यही मंजूर है तो ले देख अपनी बहन की चूत ।


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ऐसा कहकर आरती ने अपना सूट बिल्कुल अपना नाभि से ऊपर उठा दिया और बलवीर के आगे खड़ी हो गई ।

बलवीर को पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही आरती ने सूट उठाया तो उसकी आंखें चुंधिया गई सामने का नजारा देखकर ।

पजामी में कसी हुई मोटी मोटी जांघें और उसके बीच चूत का हिस्सा जो कि काफी मोटा लग रहा था । और हल्का सा आरती का पेट के नीचे वाला पेड़ू भी उभरा हुआ था । बलबीर बहुत ही मंझा हुआ खिलाड़ी था । बलवीर समझ गया कि पेड़ू उन्हीं लड़कियों का उभरा हुआ होता है जिन की चूत बड़े और मोटे लोड़े की मांग करती है । बलवीर को आरती की मोटी मोटी जांघों को निहारते हुए जब 1 मिनट हो गई । तो उसने फुर्ती से अपने दोनों हाथों को आरती की गांड से लगाया और आरती को अपनी तरफ खींच लिया और अपना मुंह आरती की भारी भारी मोटी मोटी जांघो के बीच बिल्कुल चूत पर लगा दिया ।

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कहानी आगे जारी रहेगी । दोस्तो बताना जरूर कहानी सही दिशा में जा रही है या नही ।
आपका अपना - Rachit
beautiful update bhai
woqt aane par hi bati gul ho jaati hai
 

Rachit Chaudhary

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